Chernobyl Disaster: वर्तमान भारत-पाकिस्तान के बीच परमाणु तनाव और धमकियों के बीच यह जानना जरूरी है कि विश्व में पहली बार रेडिएशन लीक और परमाणु विस्फोट का भयानक खतरा कब सामने आया था। 26 अप्रैल 1986 को यूक्रेन के चेरनोबिल न्यूक्लियर पावर प्लांट में एक विनाशकारी दुर्घटना हुई, जिसने पूरे विश्व को हिलाकर रख दिया।
दुर्घटना का कारण और प्रारंभिक टेस्टिंग- Chernobyl Disaster
चेरनोबिल दुर्घटना उस समय हुई जब पावर प्लांट में एक टेस्टिंग चल रही थी। इसका उद्देश्य यह जांचना था कि बिजली की सप्लाई अचानक रुकने पर मशीनें कितनी देर तक काम कर सकती हैं और रिएक्टर को ठंडा करने वाला सिस्टम कितनी देर तक सक्रिय रह सकता है। इस परीक्षण के दौरान, रात लगभग 1:30 बजे टर्बाइन कंट्रोल करने वाला वॉल्व हटा दिया गया और इमरजेंसी में इस्तेमाल होने वाला रिएक्टर को ठंडा करने वाला सिस्टम बंद कर दिया गया।
इसी बीच, न्यूक्लियर फ्लूजन को रोकने वाला स्विच भी बंद कर दिया गया, जिससे परमाणु प्रतिक्रिया नियंत्रण से बाहर हो गई। इस गलती के कारण भारी विस्फोट हुआ, जिसकी तीव्रता हिरोशिमा और नागासाकी पर गिराए गए परमाणु बमों से भी ज्यादा थी।
विनाशकारी विस्फोट और रेडिएशन का फैलाव
विस्फोट के तुरंत बाद रेडिएशन का घातक फैलाव हुआ, जिससे प्लांट के आसपास 40 लोगों की तत्काल मृत्यु हो गई और कई लोग गंभीर रूप से जल गए। रेडिएशन के प्रभाव से कैंसर और अन्य गंभीर बीमारियां फैल गईं। अनुमान के मुताबिक, करीब 50 लाख लोग इस रेडिएशन की चपेट में आए और 4000 से अधिक लोगों को कैंसर जैसी बीमारियां हुईं।
इस दुर्घटना से आर्थिक नुकसान भी अत्यंत भारी हुआ, जिसकी राशि लगभग 2.5 लाख करोड़ रुपये आंकी गई है। पूरे क्षेत्र को रेडिएशन से संक्रमित होने के कारण लोग मजबूरन वहां से पलायन कर गए।
दुर्घटना के बाद के असर और सीख
चेरनोबिल हादसे ने दुनिया को परमाणु ऊर्जा के खतरों से आगाह किया। यह घटना परमाणु सुरक्षा के महत्व को समझने और कड़े नियम बनाने की प्रेरणा बनी। इसके बाद कई देशों ने अपने परमाणु संयंत्रों की सुरक्षा बढ़ाने और जोखिम कम करने के लिए कदम उठाए।
भारत-पाकिस्तान जैसे देशों के बीच परमाणु हथियारों को लेकर तनाव की स्थिति में चेरनोबिल जैसी त्रासदी की याद दिलाना आवश्यक है कि परमाणु हथियार और ऊर्जा के प्रयोग में अत्यंत सावधानी बरतनी चाहिए।
26 अप्रैल 1986 को चेरनोबिल न्यूक्लियर पावर प्लांट में हुई दुर्घटना इतिहास की सबसे भयावह परमाणु आपदाओं में से एक है। यह घटना न केवल तत्कालीन क्षेत्र बल्कि पूरे विश्व के लिए एक चेतावनी थी कि परमाणु तकनीक का गलत इस्तेमाल कितना विनाशकारी हो सकता है। आज भी, जब भारत और पाकिस्तान के बीच परमाणु तनाव जारी है, तब चेरनोबिल की घटना हमें परमाणु हथियारों और ऊर्जा के सुरक्षित उपयोग की अहमियत समझाती है।