सिंदूर और फेरे का कोई कॉन्सेप्ट नहीं, बौद्ध धर्म में कैसे होती है शादी?

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Wedding in Buddhism in Hindi – मानव समाज में शादी विवाह का बहुत ही महत्व है. जिसे हर मजहब में एक पवित्र स्थान प्राप्त है चाहे वो हिन्दू हो, मुस्लिम हो या इसाई ही क्यों न हो. हर धर्म में शादी के रीति-रिवाज़ में काफी ज्यादा अंतर देखने को मिलता है. जैसे हिन्दू धर्म में शादी के लिए लाल रंग, सिंदूर और मंगलसूत्र पवित्र माना जाता है.

अगर हम मुस्लिम धर्म की बात करें तो उसमे शादी सुबह के वक़्त होती है उसमे भी सिन्दूर जैसा कोई कांसेप्ट नहीं होता. लेकिन वहीँ हिन्दू धर्म से उत्पन्न हुए बौद्ध धर्म में बिना सिंदूर और सफेद कपड़े में शादी होती है. आज हम इस लेख में आपको बौद्ध धर्म में शादी के रिति-रिवाज के बारे में बताएंगे.

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बिना सिन्दूर के होती है शादी

ऐसा माना जाता है कि बौद्ध धर्म का जन्म सनातन धर्म से हुआ है. लेकिन इसके बाद भी बौद्ध धर्म और हिंदू धर्म में शादी के रिति-रिवाज बेहद अलग है. बौद्ध धर्म में शादी के दौरान सिंदूर, मगंलसूत्र का उपयोग किया नहीं किया जाता है. बौद्ध धर्म में शादी के लिए सिंदूर की आवश्यकता नहीं होती है.  इसको लेकर बाबा आंबेडकर कहते थे कि, “मुगल आक्रमणकारी भी अपने साथ औरतें लेकर नहीं आए. वह विजेता थे ऐसी दशा में उन्होंने हिंदु युवतियों को अपनी हवस का शिकार बनाया. आर्य ब्राह्मणों ने तत्कालीन उत्पन्न परिस्थिति का सामना करने के लिए कम उम्र की बालिकाओं के माथे पर विवाह के प्रतीक चिह्न के रूप में सिंदूर को स्थान दिया. इस प्रकार बाल विवाह प्रथा का जन्म हुआ.

SINDUR CULTURE
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Wedding in Buddhism in Hindi – मुगल किसी विवाहित स्त्री के साथ छेड़खानी नहीं करते थे. उन्हें जब यह पता चल गया कि जिस युवती के माथे पर सिंदूर लगा है वह विवाहिता है तो वह उसे बिल्कुल स्पर्श नहीं करते थे. आज जब भारत स्वतंत्र हो चुका है हमारे सामने ना अंग्रेज है ना आक्रमणकारी मुगल फिर इस सिंदूर प्रथा का क्या औचित्य?”

सफ़ेद जोड़े में होता है विवाह – Wedding in Buddhism

बौद्ध धर्म में दूल्हा-दुल्हन लाल रंग नहीं बल्कि सफेद कलर के कपड़े पहनते हैं. बौद्ध धर्म में सफेद रंग को परिशुद्ध माना जाता है. इसी वजह से दूल्हा-दुल्हन शादी के लिए सफेद रंग के कपड़े पहनते हैं.  बौद्ध धर्म में शादी के लिए एक टेबल पर गौतम बुद्ध की तस्वीर रख दिया और मोमबत्ती जलाई जाती है.

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टेबल के सामने जमीन से ऊपर आसन बिछाया जाता है. इस आसन पर दूल्हा-दुल्हन एक साथ बैठते हैं इसके बाद बौद्ध गुरू गौतम बुद्ध को साक्षी मानकर पूजा से विवाह संस्कार की शुरुआत करते हैं. दूल्हा-दुल्हन वेदिका के सामने दीप और अगरबत्ती जलाकर पुष्प अर्पित करते हैं और फिर तीन बार पंचांग प्रणाम करते हैं.

बौद्ध धर्म में नहीं लिए जाते हैं सात फेरे

बौद्ध धर्म में शादी के लिए सात फेरे नहीं बल्कि प्रतिज्ञा लेते हैं. दूल्हा-दुल्हन जीवनभर साथ रहने के लिए वादा करते हैं. भगवान गौतम बुद्ध को चढ़ाई हुई माला कपल को आशीर्वाद के रूप में दिया जाता है. इसके बाद कपल बड़ों का आशीर्वाद लेते हैं.

शुभ होता है सफ़ेद रंग

हिंदू धर्म में शादी और शुभ काम के लिए सफेद रंग को अशुभ माना जाता है. लेकिन सफेद रंग अशुभ नहीं होता है. बौद्ध धर्म के अलावा ईसानी धर्म में भी शादी के दौरान सफेद रंग पहनना शुभ माना जाता है. बौद्ध धर्म में सफेद रंग को बेहद पवित्र माना जाता है.

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Wedding in Buddhism in Hindi

बौद्ध विवाह संस्कार में किसी धम्मचारी द्वारा वर वधु को त्रिशरण और पंचशील ग्रहण कराया जाता है,इस पद्धति से विवाह में वर-वधू को प्रमाण पत्र भी दिया जाता है प्रतिज्ञापन के तुरंत बाद वर-वधू एक दूसरे के गले में फूलों की माला डालते हैं उपस्थित जनसमूह वर-वधू पर फूलों की वर्षा करता है,और मंगल कामनाओं के साथ बिना किसी ढोंग और कर्मकांड के शादी संपन्न होती है.

  • बौद्ध धर्म में फिजूलखर्ची मना है अतः तिथि का निर्धारण ऐसे समय में किया जाना चाहिए जब सामान्यतः लगन का समय नहीं हों. इस प्रकार धन के अपव्यय को रोका जा सकता है.
  • बहुत अधिक गर्मी अथवा बहुत अधिक ठंड अथवा बरसात के मौसम में विवाह की तैयारी करने में कठिनाई हो सकती है अतः विवाह की तिथि ऐसे समय निश्चित करनी चाहिए जब न ज्यादा ठंड हो न ज्यादा गर्मी.
  • बौद्ध धम्म के त्योहार (महत्वपूर्ण पूर्णिमा) के दिन विवाह की तिथि रखने से बचना चाहिये. क्यों कि इन दिनों बुद्ध विहार रिक्त नहीं मिल पायेंगे साथ ही योग्य भिक्क्षु संघ की भी उपलब्धता कठिन होगी.
  • दोनों परिवारों की आम सहमति से सार्वजनिक अवकाश (शनिवार,रविवार) के दिन विवाह संस्कार किया जाना सबसे उचित होगा.
  • विवाह की तिथि से एक या दो दिन पूर्व भिक्क्षु संघ को घर पर बुलाकर परित्राण पाठ कराना चाहिये.
  • विवाह संस्कार बुद्ध—विहार में भी किया जा सकता है.
  • बौद्ध परम्परा में, विवाह संस्कार दिन के समय किया जा सकता है यदि किसी कारणवंश संस्कार रात्रि में सम्पन्न किया जाना है तब यह कोशिश की जानी चाहिये कि विवाह संस्कार रात्रि 10:00—11:00 बजे तक अवश्य ही सम्पन्न हो जाय़े.

पूजा विधि – Buddhist Wedding Traditions in Hindi

वर वधु दोनो के लिये श्वेत वस्त्र श्रेष्ठ है, यदि श्वेत वस्त्र न हो तो उससे मिलती जुलत वस्त्र होने चाहिए. बौद्ध देशो में विवाह संस्कार श्वेत वस्त्रों में ही संपन्न होता है. दोनो के माता—पिता भी यथासंभव श्वेत वस्त्र ही धारण करें. स्टेज पर केवल मुख्य—मुख्य लोगों को बैठना चाहिए. शेष लोग स्टेज के नीचे बैठ सकते हैं. स्टेज पर उपासकों को इस प्रकार बैठना चहिए कि नीचे बैठे लोगों को स्टेज पर हो रहा कार्यक्रम भली प्रकार दिखता रहे.

बौद्ध विवाह में नहीं होता कन्यादान

Wedding in Buddhism in Hindi – बौद्ध परम्परा में कन्यादान नहीं होता है क्योंकि पुत्री कोई वस्तु नहीं है. दूसरे यह सार्वभौमिक सत्य है कि दान दी हुयी वस्तु पर दानदाता का अधिकार नहीं रहता. बौद्ध धम्म में ऐसा नहीं है कि विवाह के बाद पुत्री से कोई सम्बंध ही न रहे. यही कारण है कि बौद्ध धम्म में इसे समर्पण विधि कहा गया है. बौद्ध भिक्क्षु वर के पिता का दाहिना हाथ सीधी अवस्था में और इसके ऊपर वर का दाहिना हाथ इसी अवस्था में रखवायें वर के ऊपर कन्या का दाहिना हाथ उल्टी अवस्था में रखवायें.

KANYADAN, Wedding in Buddhism in Hindi
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कन्या के पिता का दाहिना हाथ उसी अवस्था में रखवायें. यदि वर की माता उपस्थित हों तो उनका हाथ वर के पिता के हाथ के ऊपर और यदि कन्या की मां उपस्थित हो तो उनका दाहिना हाथ कन्या के हाथ के ऊपर रखवायें. हांथों के नीचे एक थाल रख दें.

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