बाबा साहेब अंबेडकर के इन कामों को कोई मिटा नहीं सकता, सदियों तक याद किए जाएंगे

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बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर ने अपनी पूरी जिंदगी समाजसेवा और नैतिक कार्यों में न्योछावर कर दी. उन्होंने समाज में पिछड़े, दबे कुलचे लोगों को उनके मौलिक अधिकारों के प्रति जागरूक किया, साथ ही  समाज में फैली कुप्रथा छुआछूत, धर्म जाति को लेकर अनेक कार्य किए. उनके द्वारा किए गए महान कार्यों के चलते आज देश के हर वर्ग का व्यक्ति तहे दिल से उन्हें याद करता है. चलिए आज हम आपको बाबा साहेब के उन कामों के बारे में बताते हैं, जिन्हें हिंदुस्तान हमेशा अपने जहन में रखेगा.

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इन विश्वविद्यालयों की स्थापना भी की

बाबा भीमराव आंबेडकर ने मानवाधिकार… जैसे-  दलितों या पिछड़ा वर्ग के लोगों के लिए मंदिरों में प्रवेश, पानी पीने पर पाबंदी और छुआछूत जैसी कुरीतियों को मिटाने का कार्य किया. साथ ही उन्होंने मनु स्मृति दहन 1927, महाड़ सत्याग्रह 1928, नासिक सत्याग्रह 1930 और येवला की गर्जना 1935 जैसे अहम आंदोलन चलाए. उन्होंने बेजुबान और अशिक्षित लोगों को जागरूक करने के लिए वर्ष 1927 से 1956 के दौरान मूकनायक, समता जनता और प्रबुद्ध भारत जैसी पांच साप्ताहिक पत्रिकाओं का विमोचन भी किया.

उन्होंने छात्रावास, नाइट स्कूलों, ग्रंथालयों एवं शैक्षणिक गतिविधियों के जरिए कमजोर तबके के छात्रों को शिक्षा अर्जित करने के साथ आय अर्जित करने के लिए सक्षम बनाया. 1945 में उन्होंने पीपुल्स एजुकेशन सोसायटी के जरिए बंबई में सिद्धार्थ महाविद्यालय और औरंगाबाद में मिलिंद महाविद्यालय की स्थापना की.

उन्होंने महिलाओं के तलाक संपति में उत्तराधिकार इत्यादि का प्रावधान कर उसके कार्यान्वयन के लिए संघर्ष किया. बाबा साहेब ने समता, समानता, बंधूता और मानवता आधारित भारतीय संविधान 2 वर्ष 11 माह और 17 दिनों में पूर्ण कर अहम कार्य किया.  इसके अलावा बाबा साहेब हमेशा बंटवारे के खिलाफ रहे. साथ ही मोहम्मद अली  जिन्ना जैसे लोगों के  लिए उन्होंने काफी कड़े शब्दों का इस्तेमाल किया था.

शिक्षा और संघर्ष

शिक्षा के  प्रति हर दलित को जागरुक करने का प्रयत्न उन्होंने आयुपर्यंत किया. उनके ज्ञान  का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि दुनिया की सबसे बड़ी यूनिवर्सिटी से उन्होंने कई डिग्रियां हासिल की थी. उनके पास 22 डिग्रियां थी. वह हमेशा कुछ न कुछ पढ़ते ही रहते थे. मुंबई  में अपने घर में उन्होंने एक लाइब्रेरी बना रखी थी, जिसमें 35 हजार से ज्यादा पुस्तकें थी.

बाबा साहेब उन पहले नेताओं  में से एक थे, जो यूसीसी के पक्षधर थे. इसके अलावा महिला शिक्षा और उनके अधिकारों के लिए भी बाबा साहेब ने  काफी संघर्ष किया और समाज को जागरुक करने का प्रयास किया. उनका मानना था कि शिक्षा ही वह साधन है, जिसके तहत समाज में अपनी जगह बनाई जा सकती है और उन्होंने इसे साबित भी किया था. आज के समय में भारत ही नहीं बल्कि दुनिया बाबा साहेब अंबेडकर को उनके कामों की  बदौलत याद करती है. दुनिया के कई देशों में  बाबा साहेब की मूर्तियां भी लगी हैं और हर वर्ष अंबेडकर जयंती पर कई जगहों पर कार्यक्रम भी होते हैं.

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