जब जादूगरनी ने गुरु नानक देव जी को की थी वश में करने की कोशिश, जानिए फिर आगे क्या हुआ था?

जब जादूगरनी ने गुरु नानक देव जी को की थी वश में करने की कोशिश, जानिए फिर आगे क्या हुआ था?

गुरु नानक देव से जुड़ी ये कहानी तो आपको सुननी ही चाहिए, जिसमें एक जादूगरनी का जिक्र है और जिक्र है भाई मरदाना का। तो चलिए इस स्टोरी को हम जानते हैं डीटेल में… 

एक बार गुरु नानक देव जी अपने दो चेलों के साथ कामरूप देश चले गए जहां के लोग कालाजादू करने में माहिर थे और इसी के लिए फेमस हुआ करते थे। नगर के द्वार पर पहुंचकर गुरु नानक जी एक पेड़ के नीचे मुद्रा करके बैठ गए। और उनका चेला भाई मरदाना गांव के भीतर गए भोजन और पानी की तलाश में तो वहीं दूसरा चेला गुरु के पास रुका बैठा रहा। दूसरी तरफ एक तालाब से मरदाना सुराही भर ही रहा था कि नगर की रानी की दो बहने आई और मरदाना से पूछने लगीं की वो यहां क्यों आए हैं। तो मरदाना ने इसका जवाब दिया ही था कि दोनों हंस पड़ी और बोल पड़ीं की तुम तो भेड़ बकरी की तरह बोलते हो, तो तुमको भेड़ ही बना देते हैं। 

इतना बोलते ही मरदाना भैड़ बन गए। और भे… भें… करने लगे। कुछ ज्यादा वक्त बीतने पर जब वो नहीं लोटे तो गुरु नानक देव जी को चिंता हुई और गुरु जी ने ध्यान कर उस जगह का पता लगाया जहां मरदाना थे और सीधे वहीं पहुंच गए अपने दूसरे चेले को साथ लेकर। जहां वो दोनों जादूगर्नियां पहले से ही मौजूद थीं और गुरू जी के पहुंचने पर अपना जादू उन पर भी चलाया पर ये क्या उनमें एक लड़की खुद ही बकरी बन गई और दूसरी लड़की का जो हाथ था वो हवा में जम गया। 

वहां मौजूद लोगों ने फटाफट नगर की रानी को इस बारे में बताया फिर बिना देरी वो भी मौके पर पहुंच गई। उसने भी पहले तो गुरु नानक पर खुद भी काला जादू आजमाने की कोशिश की, लेकिन सब नाकाम रहा और कुछ ही देर में वो आंक गई कि उसका इस बार किसी दैवीय शक्ति से पाला पड़ गया है कि संत से उसकी टक्कर हुई है। फिर रानी समेत तीनों लड़कियों ने दयालु गुरु नानक देव जी से मांफी मांगी और इस माफी से गुरू ने दोनों लड़कियों को ठीक कर दिया और मरदाना भी अपने असल रूप में आ गए। 

इस घटना के बाद कामरूप के लोगों ने कहा कि गुरु नानक देव जी आप हमें ज्ञान दें। जिस पर गुरु नानक देवजी ने कहा कि हमारे अंदर इश्वर का वास होता है। आप सबको लोगों को परेशान करना छोड़ कर उनकी मदद करनी चाहिए। ध्यान करो, कर्तव्य पालन करोय़ लोगों से प्रेम करो। इस उपदेश के बाद गुरु नानक जी वहां से आगे बढ़ गए और कामरूप देश एक काफी फेमस आध्यात्म केंद्र बन गया।

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