International Turban Day: हर साल 13 अप्रैल को ‘अंतर्राष्ट्रीय पगड़ी दिवस’ मनाया जाता है, जो सिख धर्म और संस्कृति के महत्वपूर्ण पहलुओं को सम्मानित करने का अवसर है। यह दिन विशेष रूप से पगड़ी की सांस्कृतिक और धार्मिक महत्ता को स्वीकार करने के लिए समर्पित है, और यह सिख समुदाय के लिए एक ऐतिहासिक महत्व रखता है। इस दिन का उद्देश्य धार्मिक सद्भाव और अंतर-सांस्कृतिक समझ को बढ़ावा देना है।
13 अप्रैल को क्यों मनाया जाता है ‘अंतर्राष्ट्रीय पगड़ी दिवस’? (International Turban Day)
‘अंतर्राष्ट्रीय पगड़ी दिवस’ 13 अप्रैल को मनाया जाता है, क्योंकि इस दिन सिख धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार, बैसाखी, मनाया जाता है। बैसाखी के दिन 13 अप्रैल 1699 को, गुरु गोबिंद सिंह जी ने आनंदपुर साहिब में खालसा पंथ की स्थापना की थी, जिससे यह दिन सिख समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण तारीख बन गई। गुरु गोबिंद सिंह जी के इस ऐतिहासिक कदम ने न केवल सिख समुदाय को एकजुट किया, बल्कि पगड़ी को भी सिखों के धार्मिक और सांस्कृतिक जीवन का अनिवार्य हिस्सा बना दिया।
सिखों में पगड़ी का ऐतिहासिक संदर्भ
सिख धर्म में पगड़ी का महत्व बेहद गहरा है। 2004 से, 13 अप्रैल को पगड़ी दिवस के रूप में मनाने की परंपरा शुरू हुई थी, ताकि सिख समुदाय में पगड़ी पहनने की आवश्यकता और इसके सांस्कृतिक महत्व को समझाया जा सके। गुरु गोबिंद सिंह जी ने 1699 में बैसाखी के दिन सिखों को पगड़ी पहनने का आदेश दिया था, जो उस समय मुगलों और राजपूतों द्वारा अपने सम्मान और प्रतिष्ठा के प्रतीक के रूप में पहनी जाती थी। गुरु गोबिंद सिंह जी ने इसे सिखों की पारंपरिक पोशाक के रूप में प्रस्तुत किया, जिससे यह उनकी पहचान और सम्मान का प्रतीक बन गया।
गुरु गोबिंद सिंह जी ने न केवल पगड़ी पहनने का आदेश दिया, बल्कि सिखों को तलवार चलाने और ‘सिंह’ (पुरुषों के लिए) और ‘कौर’ (महिलाओं के लिए) नाम अपनाने की अनुमति भी दी। यह निर्णय सिख समुदाय में समानता को बढ़ावा देने और प्रत्येक सिख को एक सम्मानित पहचान देने के उद्देश्य से था।
दस्तार बंदी: एक महत्वपूर्ण सिख संस्कार
सिख संस्कृति में ‘दस्तार बंदी’ एक महत्वपूर्ण धार्मिक संस्कार है, जो एक सिख लड़के के पगड़ी पहनने की शुरुआत का प्रतीक होता है। यह समारोह आमतौर पर तब आयोजित किया जाता है जब लड़के की उम्र 11 से 16 साल के बीच होती है। दस्तार बंदी एक युवा सिख के जीवन की महत्वपूर्ण घटना है, जो उसकी आस्था और पहचान का प्रतीक होती है। यह समारोह उसे पगड़ी पहनने के लिए तैयार करता है, जिससे वह अपनी धार्मिक आस्थाओं और सिख धर्म के सिद्धांतों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को व्यक्त करता है।
कनाडा में पगड़ी दिवस का औपचारिक स्वीकार
2022 में कनाडा के मैनिटोबा प्रांत ने पगड़ी दिवस अधिनियम पारित किया, जिसके तहत 13 अप्रैल को पूरे प्रांत में पगड़ी दिवस घोषित किया गया। इस अधिनियम ने पगड़ी के महत्व को एक धार्मिक प्रतीक के रूप में मान्यता दी और यह स्वीकार किया कि पगड़ी सिख समुदाय के लिए सम्मान, गरिमा और धार्मिक पहचान का प्रतीक है। इस कदम ने पगड़ी के महत्व को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता दिलाई और सिख समुदाय के योगदान को सम्मानित किया।
सिखों में पगड़ी का महत्व
सिख धर्म में पगड़ी का महत्व सिर्फ एक कपड़े के टुकड़े से कहीं अधिक है। यह पगड़ी सिख धर्म के सिद्धांतों को और सिख समुदाय के विचारधाराओं को प्रकट करती है। पगड़ी पहनना एक सिख की पहचान का प्रतीक है, जो उसकी बहादुरी, करुणा और सामुदायिक सेवा के सिद्धांतों को दर्शाता है। पगड़ी सिख धर्म के महत्वपूर्ण मूल्यों जैसे कि समानता, सहिष्णुता और आत्म-निर्भरता को भी प्रदर्शित करती है। यह सिख समुदाय की एकता और गौरव का प्रतीक है, जिसे वे अपनी सांस्कृतिक पहचान के रूप में गर्व से पहनते हैं।