Sikhism in Peru: पेरू, जो अपनी प्राचीन इंका सभ्यता और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के लिए जाना जाता है, अब सिख धर्म की उपस्थिति का साक्षी बन रहा है। सिख धर्म, जो भारत में 15वीं शताब्दी में गुरु नानक देव जी द्वारा स्थापित हुआ, अब दुनिया के कई हिस्सों में फैल चुका है, और पेरू जैसे लैटिन अमेरिकी देशों में भी इसकी जड़ें जम रही हैं। हालांकि पेरू में सिख समुदाय छोटा है, फिर भी यह अपनी धार्मिक पहचान और संस्कृति को बनाए रखने में सक्रिय है।
सिख धर्म का पेरू में आगमन- Sikhism in Peru
पेरू में सिख धर्म का इतिहास अपेक्षाकृत नया है। 20वीं शताब्दी के अंत और 21वीं शताब्दी की शुरुआत में, कुछ सिख परिवार व्यापार, शैक्षिक और तकनीकी अवसरों के कारण पेरू आए। यह परिवार मुख्य रूप से पेरू की राजधानी लीमा जैसे बड़े शहरों में बसे। हालांकि पेरू में सिखों की संख्या 40-50 से अधिक नहीं है, फिर भी यह छोटा समुदाय अपनी सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान को बनाए रखने में सक्रिय है।
सिख धर्म के मूल सिद्धांत और पेरू समाज
सिख धर्म के मूल सिद्धांत – ईमानदारी, सेवा और समानता – पेरू के बहुसांस्कृतिक समाज में पूरी तरह से समाहित होते हैं। पेरू में बसे सिख परिवार स्थानीय समुदायों के साथ मिलकर सामाजिक कार्यों में भाग लेते हैं। उदाहरण के लिए, सिख समुदाय द्वारा आयोजित लंगर (मुफ्त भोजन सेवा) ने स्थानीय लोगों का ध्यान आकर्षित किया है। लीमा में कुछ अवसरों पर सिखों ने गरीब और जरूरतमंद लोगों के लिए भोजन वितरण कार्यक्रम आयोजित किए, जो सिख धर्म की सेवा भावना को दर्शाता है। पेरू के लोग इस परंपरा की सराहना करते हैं, क्योंकि यह पेरू की सामाजिक एकजुटता की भावना से मेल खाता है।
कोविड-19 महामारी में लंगर सेवा
कोविड महामारी ने पेरू और बाकी दुनिया में भारी तबाही मचाई थी, खासकर कमजोर समुदायों के लिए यह कठिन समय था। इस संकट के बीच, क्रिशन शिवा सिंह, जो पेरू में एक सिख सेवाधारी हैं, ने एक लंगर सेवा परियोजना की शुरुआत की, जिससे लीमा और आसपास के क्षेत्रों में जरूरतमंद समुदायों को भोजन और आपूर्ति प्रदान की गई। उन्होंने बताया, “पेरू में रोजगार का स्तर 42% तक गिर चुका है, और यह एक अभूतपूर्व सामाजिक और श्रमिक संकट का कारण बना है। ‘लंगर पेरू’ एक सेवा परियोजना है जो विभिन्न कमजोर समुदायों को खाना और घर पर भोजन तैयार करने के लिए जरूरी सामान प्रदान करता है।”
चुनौतियाँ और अनुकूलन
पेरू में सिख समुदाय को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। सबसे बड़ी चुनौती है सिख धर्म के बारे में जागरूकता की कमी। पेरू में अधिकांश लोग सिख धर्म के प्रतीकों, जैसे पगड़ी और किरपान, से परिचित नहीं हैं, जिसके कारण कभी-कभी गलतफहमियां उत्पन्न होती हैं। इसके अलावा, पेरू में कोई स्थायी गुरुद्वारा नहीं है, जिसके कारण सिख समुदाय को धार्मिक समारोहों के लिए निजी घरों या किराए के स्थानों का उपयोग करना पड़ता है।
भाई प्रताप सिंह का योगदान
भाई प्रताप सिंह, जो फिलहाल पेरू में एकमात्र सिख नागरिक हैं, पेरू में सिख धर्म का प्रसार कर रहे हैं। वह न केवल पेरू की संस्कृतियों के साथ सिख धर्म के सिद्धांतों का आदान-प्रदान कर रहे हैं, बल्कि वह पूरे लैटिन अमेरिका में गुरु नानक देव जी के शिक्षाओं को फैलाने में भी सक्रिय हैं। उनका जीवन भारतीय और पेरू के संस्कृतियों के बीच पुल बनाने का एक अद्वितीय उदाहरण है। वह पेरू में सिख धर्म के प्रसार के लिए विभिन्न धार्मिक और सामाजिक कार्यक्रम आयोजित करते हैं, और सिख समुदाय की पहचान को संरक्षित रखने के लिए काम कर रहे हैं।
सिख धर्म का भविष्य और पेरू में संभावनाएं
पेरू में सिख धर्म की उपस्थिति अभी शुरुआती चरण में है, लेकिन इसके भविष्य के लिए संभावनाएं उज्जवल हैं। सिख समुदाय शिक्षा और सामाजिक कार्यों के माध्यम से अपनी पहचान मजबूत करने की दिशा में काम कर रहा है। भविष्य में, एक स्थायी गुरुद्वारे की स्थापना और सिख धर्म के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए स्कूलों और विश्वविद्यालयों में कार्यक्रम आयोजित किए जा सकते हैं। साथ ही, सिख समुदाय पर्यावरण संरक्षण और सामुदायिक विकास जैसे मुद्दों पर स्थानीय संगठनों के साथ सहयोग कर सकता है, जो पेरू में सामाजिक कार्यों के लिए महत्वपूर्ण हैं।
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