Sikhism in Scotland: स्कॉटलैंड में सिख धर्म का इतिहास एक सदी से भी अधिक पुराना है। सिखों ने स्कॉटलैंड में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई थी और धीरे-धीरे वे इस देश के सामाजिक और सांस्कृतिक परिदृश्य का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गए हैं। सिखों की स्कॉटलैंड में पहली दस्तावेजीकृत उपस्थिति महाराजा दलीप सिंह के रूप में 1855 में हुई थी, जब वे पर्थशायर में बसे थे। इसके बाद, 1920 के दशक में बठ/भटरा समुदाय के प्रमुख सिखों ने ग्लासगो और एडिनबर्ग में अपने घर बसाए थे। हालांकि, स्कॉटलैंड में सिखों की बड़ी संख्या उन परिवारों से आती है जो 20वीं सदी के अंत में यहां आकर बसे।
इतिहास की शुरुआत: महाराजा दलीप सिंह का योगदान- Sikhism in Scotland
1855 में महाराजा दलीप सिंह के स्कॉटलैंड में आने के साथ ही सिखों की उपस्थिति की शुरुआत हुई। महाराजा दलीप सिंह ने पर्थशायर के ग्रैंडटुली एस्टेट में निवास किया, और यही उनके जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बना। उनका यहां आना न केवल सिखों के इतिहास में महत्वपूर्ण घटना थी, बल्कि इसने स्कॉटलैंड और भारत के बीच सांस्कृतिक और धार्मिक संबंधों को भी मजबूत किया।
Messages of support from @HumzaYousaf & @alisonthewliss meeting Scottish Sikh community, standing shoulder to shoulder with us: “The attack on the Edinburgh Gurdwara was an attack on the whole country” #WeAreScotland #OneScotland pic.twitter.com/vu8ILeH4iB
— Sikhs in Scotland (@sikhsinscotland) September 2, 2018
1920 के दशक में सिखों का स्थायी बसना
1920 के दशक में सिखों की दूसरी लहर स्कॉटलैंड में आई, जब बठ/भटरा समुदाय के प्रमुख सिखों ने ग्लासगो और एडिनबर्ग में अपने कदम जमाए। इस दौरान, सिखों ने अपने धर्म को बढ़ावा देने के लिए कई गुरुद्वारों की स्थापना की। ग्लासगो में दक्षिण पोर्टलैंड स्ट्रीट में पहला गुरुद्वारा स्थापित हुआ था, जो स्कॉटलैंड में सिख धर्म का एक प्रमुख केंद्र बना।
20वीं सदी के अंत में सिखों की बढ़ती संख्या
स्कॉटलैंड में सिखों की सबसे बड़ी संख्या उन परिवारों से आती है जिन्होंने 20वीं सदी के अंत में इस देश में आव्रजन किया। इन परिवारों ने यहाँ अपनी जीवनशैली को अपनाया और सिख धर्म के सिद्धांतों को फैलाने का काम किया। 2022 में हुए जनगणना के अनुसार, स्कॉटलैंड की कुल जनसंख्या का लगभग 0.2% (10,988 लोग) सिख धर्म को मानते हैं।
स्कॉटलैंड में प्रमुख गुरुद्वारे
स्कॉटलैंड में सात प्रमुख गुरुद्वारे हैं, जो सिख धर्म के अनुयायियों के लिए धार्मिक और सामाजिक केंद्र हैं। इनमें से चार गुरुद्वारे ग्लासगो में स्थित हैं, एक एडिनबर्ग में, एक डंडी में और एक इर्विन में स्थित है। इन गुरुद्वारों में सिखों द्वारा की जाने वाली पूजा अर्चना और अन्य धार्मिक गतिविधियाँ होती हैं। इसके अलावा, अब्बरडीन में एक और गुरुद्वारा खोलने की योजना बनाई जा रही है।
स्कॉटलैंड में गुरुद्वारे
- गुरु नानक गुरुद्वारा, डंडी
- गुरु नानक गुरुद्वारा, एडिनबर्ग
- गुरु नानक गुरुद्वारा, ग्लासगो (वेस्ट एंड)
- सेंट्रल गुरुद्वारा सिंह सभा, ग्लासगो (सेंट्रल)
- श्री गुरु तेग बहादुर गुरुद्वारा, ग्लासगो (दक्षिण की ओर)
- गुरुद्वारा गुरु ग्रंथ साहिब सिख सभा, ग्लासगो (दक्षिण की ओर)
- गुरु नानक गुरुद्वारा इरविन, इरविन
स्कॉटिश सिखों की सांस्कृतिक पहचान
स्कॉटलैंड के सिख समुदाय का एक विशिष्ट सांस्कृतिक पहचान है। यहां के सिख अपनी पारंपरिक पोशाक, जैसे कि किल्ट्स और टैर्टन पहनने के लिए प्रसिद्ध हैं। स्कॉटिश सिखों का खुद का टैर्टन भी है, जिसे वे अपनी सांस्कृतिक विरासत और धार्मिक पहचान को दर्शाने के लिए पहनते हैं।
प्रमुख सिख व्यक्तित्व
स्कॉटलैंड में सिख समुदाय के कई प्रमुख व्यक्तित्व हैं जिन्होंने अपने क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इनमें से कुछ प्रसिद्ध नामों में पाम गोसल हैं, जो पश्चिमी स्कॉटलैंड से स्कॉटिश संसद की सदस्य हैं, हर्दीप सिंह कोहली जो अभिनेता, हास्य कलाकार और प्रस्तुतकर्ता हैं, संजेव कोहली, जो एक और प्रसिद्ध अभिनेता और प्रस्तुतकर्ता हैं। इसके अलावा, टाइगरस्टाइल बंधु, जो संगीत बैंड के सदस्य हैं, टोनी सिंह, जो एक प्रसिद्ध शेफ हैं, और जगतार सिंह जोहल, जो एक सिख कार्यकर्ता हैं, शामिल हैं।
सिखों की बढ़ती उपस्थिति और भविष्य
स्कॉटलैंड में सिख धर्म और सिख समुदाय का भविष्य उज्जवल दिखाई देता है। यह समुदाय न केवल अपनी धार्मिक पहचान को बनाए रखे हुए है, बल्कि साथ ही अपने सामाजिक और सांस्कृतिक योगदान से भी समाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। आने वाले वर्षों में यह समुदाय और भी अधिक प्रभावी हो सकता है, खासकर जब सिखों के बीच आपसी सहयोग और परंपराओं के प्रचार-प्रसार के प्रयास बढ़ेंगे।