आजकल सोशल मीडिया पर एक गोल-मटोल बच्चा काफी पॉपुलर हो रहा है। ये बच्चा खुद को बलराम का अवतार और भगवान कृष्ण का भक्त बताता है। उसकी भक्ति देखकर हजारों लोग उसके साथ जुड़ रहे हैं। दरअसल, हम बात कर रहे हैं अभिनव अरोड़ा (Youngest Baba Abhinav Arora)की। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि अभिनव अरोड़ा को ‘यंगेस्ट बाबा’ के तौर पर पहचान दिलाने के पीछे एक सोची-समझी मार्केटिंग रणनीति थी, जिसे उनके पिता तरुण राज अरोड़ा (Abhinav Arora father Tarun Raj Arora) ने बेहद कुशलता से अंजाम दिया। तभी तो इतने कम समय में अभिनव अरोड़ा का नाम लोगों के बीच पॉपुलर हो रहा है। इस बात का खुलासा Only Desi नाम के यूट्यूब चैनल पर हुआ है।
अभिनव अरोड़ा का सच-Abhinav Arora exposed
Only Desi नाम के एक यूट्यूब चैनल पर अभिनव अरोड़ा के बारे में दो वीडियो पोस्ट किए गए हैं। इन्हें देखने के बाद आपको समझ में आ जाएगा कि अभिनव एक सामान्य बच्चा है लेकिन उसके पिता ने इस सामान्य बच्चे को बाबा बनाने के लिए बहुत मेहनत की है। Only Desi के मुताबिक, अभिनव अरोड़ा को “यंगेस्ट बाबा” के रूप में स्थापित करने के पीछे उनके पिता की बेहद कुशल मार्केटिंग और ब्रांडिंग रणनीति थी। यह एक सोच-समझकर बनाई गई योजना थी, जिसमें सोशल मीडिया, डिजिटल मार्केटिंग, और पीआर का कुशलतापूर्वक इस्तेमाल किया गया, जिससे अभिनव अरोड़ा आज एक प्रमुख धार्मिक शख्सियत के रूप में उभरकर सामने आए हैं।
ब्रांडिंग और छवि निर्माण
अभिनव अरोड़ा की छवि को उनके पिता ने एक ब्रांड के रूप में पेश किया। उन्होंने अभिनव को “यंगेस्ट बाबा” के रूप में स्थापित किया, ताकि युवा पीढ़ी भी उनसे जुड़ सके। यह एक ऐसी छवि है, जिसे धार्मिक जगत में नया और अनूठा माना गया, जिससे युवा और वृद्ध दोनों का ध्यान आकर्षित हुआ।
सोशल मीडिया और डिजिटल मार्केटिंग
अभिनव अरोड़ा के पिता ने उनकी लोकप्रियता को बढ़ाने के लिए सोशल मीडिया का बहुत प्रभावी तरीके से इस्तेमाल किया। अभिनव की तस्वीरें, वीडियो, प्रवचन और विचारों को विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स पर साझा किया गया। इसके जरिए उन्होंने एक बड़ा ऑनलाइन फॉलोइंग तैयार किया, जो खासकर युवाओं के बीच प्रभावी साबित हुआ।
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प्रेमानंद महाराज का भी लिया सहारा
इसके अलावा उन्होंने वृंदावन के प्रसिद्ध प्रेमानंद महाराज (Premananda Maharaj) की भी मदद ली। दरअसल, अभिनव के पिता उसे महाराज के पास ले गए और उनसे कहा कि उनके बच्चे का झुकाव अति भक्ति की ओर है और हमें क्या करना चाहिए। गौरतलब है कि अभिनव के पिता इस बात को अच्छी तरह जानते थे कि अगर वह प्रेमानंद महाराज के पास जाएंगे तो उनके बेटे की मार्केटिंग अपने आप ही बेहतर हो जाएगी और लोग उनके बेटे को एक सच्चे भक्त के रूप में भी देखेंगे।
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सार्वजनिक कार्यक्रम और प्रचार
अभिनव के पिता ने उनके प्रवचनों और कार्यक्रमों का बड़े स्तर पर प्रचार किया। उन्हें धार्मिक समारोहों और बड़े-बड़े आयोजनों में शामिल किया गया, ताकि वे लोगों के सामने सीधे आ सकें और अपनी पहचान बना सकें। इसके जरिए अभिनव को एक व्यापक प्लेटफॉर्म मिला, जिससे उनकी लोकप्रियता बढ़ी।
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संत श्रीरामभद्राचार्य महाराज और अभिनव अरोड़ा कान्ट्रवर्सी
संतों से मिलना और मंच पर नाचना-गाना अभिनव को महंगा साबित हो रहा है। दरअसल हाल ही में अभिनव अरोड़ा और संत श्री राम भद्राचार्य महाराज (Saint Shri Ram Bhadracharya Maharaj) को लेकर एक विवाद सामने आया है। दरअसल हुआ ये कि अभिनव अरोड़ा संत श्री राम भद्राचार्य महाराज की कथा में पहुंचे थे इस दौरान वो मंच पर चढ़कर श्री राम के नारे लगाने लगे जिसके बाद भद्राचार्य महाराज ने अभिनव को डांटा और मंच से नीचे उतरने को कहा। इसके बाद अभिनव अरोड़ा को काफी ट्रोल किया गया। लोग कह रहे हैं कि अभिनव के पिता खुद उसे मशहूर संतों के साथ रील बनाने के लिए उकसाते हैं और यहां भी अभिनव अरोड़ा को उनके पिता ने ही इशारा किया था कि वो भद्राचार्य महाराज के कथा कार्यक्रम में आकर्षण का केंद्र बनें ताकि उनकी रील सोशल मीडिया पर वायरल हो जाए और उनके लाखों फॉलोअर्स जुड़ जाएं।
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जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने बताया क्यों डांटा अभिनव को
यूट्यूबर अभिनव अरोड़ा को मंच से उतारे जाने को लेकर सोशल मीडिया पर हो रही ट्रोलिंग के बीच उन्होंने सफाई दी है कि उन्होंने अरोड़ा को मंच से उतरने के लिए क्यों कहा। उन्होंने कहा कि मर्यादा का उल्लंघन करने के कारण यह फैसला लिया गया। उन्होंने अभिनव अरोड़ा के व्यवहार पर सवाल उठाते हुए कहा कि संतों के पास जाकर नाचना-कूदना उनका स्वभाव है। वह गलत व्यवहार करते हैं। श्री राम भद्राचार्य महाराज ने इसे गलत बताया है।
जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने कहा, “मेरी कथा गंभीर विषय पर थी। अभिनव का स्वभाव है कि वह संतों के पास जाता है और नाचता-कूदता है। वह चंचल और शरारती व्यवहार करता है। इसलिए मुझे उसे उतारना पड़ा। यह मेरी गरिमा का मामला है, लेकिन मुझे उससे कोई शिकायत नहीं है।”
मीडिया कवरेज और पीआर रणनीति- Abhinav Arora brand marketing
वहीं दूसरी ओर अभिनव अरोड़ा के पिता ने मीडिया और पीआर एजेंसियों का इस्तेमाल करके अभिनव की छवि बनाने में अहम भूमिका निभाई। अख़बारों, टीवी चैनलों और ऑनलाइन मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर अभिनव के बारे में खबरें और लेख प्रकाशित हुए, जिससे उनकी पहचान और मज़बूत हुई। इतना ही नहीं, अब हर दूसरे-तीसरे पॉडकास्ट में अभिनव नज़र आते हैं और कहते हैं कि वे बचपन से ही कृष्ण के भक्त थे।
आम बच्चे से बना खास बच्चा
अभिनव के पिता की बात करें तो वो एक जाने-माने मोटिवेशनल स्पीकर हैं। अभिनव के पिता तरुण राज अरोड़ा (Abhinav’s father Tarun Raj Arora) का कहना है कि जब से अभिनव ने होश संभाला है, वह खिलौनों से खेलना नहीं जानता था। उसका झुकाव शुरू से ही लड्डू गोपाल की तरफ रहा है। लेकिन ये बात पूरी तरह झूठ है क्योंकि अभिनव के पिता तरुण एक बिजनेस मैन भी रहे हैं। उन्होंने फालूदा एक्सप्रेस नाम से आइसक्रीम ठेले की कंपनी खोली थी और कुछ हद तक अभिनव इस कंपनी का ब्रांड फेस भी था। हालांकि इस कंपनी पर धोखाधड़ी और पैसे को लेकर कई आरोप लगे थे। इसके बाद अभिनव ने अपने बच्चे को अपना बिजनेस प्रोडक्ट बनाकर मार्केट में पेश किया। ये सारी बातें Only Desi यूट्यूब से ही सामने आईं।

यूट्यूब चैनल पर यह भी खुलासा किया गया कि अभिनव पहले एक सामान्य बच्चे की तरह रहता था। वह सामान्य कपड़े पहनता था और सामान्य खिलौनों से खेलता था, लेकिन फिर धीरे-धीरे अभिनव एक सामान्य बच्चे से बदलकर यंगेस्ट बाबा बन गया।

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