IND vs ENG: भारत को लॉर्ड्स टेस्ट में 22 रनों से हार, जडेजा की संघर्षपूर्ण पारी के बावजूद सीरीज में इंग्लैंड ने बनाई 2-1 की बढ़त

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IND vs ENG: भारत को लॉर्ड्स टेस्ट में 22 रनों से हार का सामना करना पड़ा है, जिससे इंग्लैंड ने सीरीज में 2-1 की बढ़त बना ली है। भारत को जीत के लिए 193 रनों का लक्ष्य मिला था, लेकिन रवींद्र जडेजा ने अंत तक क्रीज पर टिके रहकर अपनी टीम को एक उम्मीद दी। जडेजा ने शानदार 61 रनों की पारी खेली, लेकिन टीम के बाकी बल्लेबाजों के समर्थन के बिना वह इस चुनौती का सामना नहीं कर सके। 82 रनों पर सात विकेट गिरने के बाद भी टीम इंडिया ने हार मानने की बजाय संघर्ष किया, जिसका सारा श्रेय जडेजा को जाता है। हालांकि, अंततः भारत को हार मिली। तो, आखिरकार टीम इंडिया इस मैच को कैसे हार गई? आइए जानते हैं लॉर्ड्स टेस्ट में भारत की हार के तीन सबसे बड़े कारणों के बारे में।

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लॉर्ड्स टेस्ट में यशस्वी जायसवाल का निराशाजनक प्रदर्शन- IND vs ENG

भारतीय सलामी बल्लेबाज यशस्वी जायसवाल ने सीरीज की चार पारियों में अब तक 220 रन बनाए थे, जिसमें एक शतक और एक हाफ-सेंचुरी शामिल थे। उनका प्रदर्शन शानदार रहा था, लेकिन लॉर्ड्स टेस्ट की पिच पर वह अपना अच्छा प्रदर्शन जारी नहीं रख सके। इस पिच पर अच्छे बल्लेबाजों की परीक्षा होती है, और जायसवाल इस परीक्षा में पूरी तरह से विफल रहे। उन्होंने दोनों पारियों में कुल मिलाकर सिर्फ 13 रन ही बनाए। उनके खराब प्रदर्शन का असर भारत के अन्य बल्लेबाजों पर पड़ा, और उन्हें दबाव का सामना करना पड़ा। जायसवाल का यह प्रदर्शन टीम के लिए एक बड़ा झटका था, क्योंकि सलामी बल्लेबाज का अच्छा प्रदर्शन हमेशा टीम की शुरुआत को मजबूत करता है।

नाइट वॉचमैन भेजने की गलती

चौथे दिन इंग्लैंड की दूसरी पारी 192 रनों पर समाप्त हो चुकी थी, और लॉर्ड्स की पिच बल्लेबाजी के लिए अब कठिन हो गई थी। उस दिन के स्टंप्स तक भारत के 4 विकेट गिर चुके थे, और भारत के पास मैच में वापसी करने का कोई स्पष्ट रास्ता नहीं था। इसके बाद, भारत ने आकाशदीप को नाइट वॉचमैन के रूप में बल्लेबाजी के लिए भेजा, लेकिन वह दिन के आखिरी ओवर में क्लीन बोल्ड हो गए। नाइट वॉचमैन भेजने का कदम खुद ही यह साबित करता है कि टीम इंडिया डिफेंसिव मोड में थी। इस स्थिति में भारत को काउंटर अटैक करने के लिए किसी और बल्लेबाज को भेजने का विचार करना चाहिए था। ऋषभ पंत, नितीश कुमार रेड्डी, या वाशिंगटन सुंदर जैसे खिलाड़ी उस समय बेहतर विकल्प हो सकते थे, लेकिन आकाशदीप का भेजना एक बड़ी गलती साबित हुआ। यह मूव पूरी तरह से इंग्लैंड के गेंदबाजों के दबाव में खेल रहा था, जो पूरी तरह से मैच पर हावी हो गए थे।

कप्तान शुभमन गिल का दबाव में कमजोर प्रदर्शन

किसी भी टीम का कप्तान अगर आत्मविश्वास से भरा होता है, तो उसके नेतृत्व में खेलने वाले अन्य खिलाड़ी भी आत्मविश्वास से भरे नजर आते हैं। लेकिन लॉर्ड्स टेस्ट में भारत के कप्तान शुभमन गिल दबाव में दिखाई दिए। उन्होंने दोनों पारियों में कुल 22 रन ही बनाए, जो किसी भी कप्तान के लिए निराशाजनक आंकड़ा है। खासकर दूसरी पारी में उनका प्रदर्शन और भी चिंताजनक था, जब उन्होंने 9 गेंदों का सामना किया और उन गेंदों में से आधे से ज्यादा पर बीट हुए। उनके निराशाजनक प्रदर्शन ने टीम के आत्मविश्वास को भी प्रभावित किया, और टीम को जीत की ओर बढ़ने में मुश्किल हुई। एक कप्तान के तौर पर शुभमन गिल को इस टेस्ट में आत्मविश्वास और सकारात्मकता की कमी महसूस हुई, जिससे टीम पर दबाव और बढ़ गया।

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