सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के उपराज्यपाल को कचरा प्रबंधन मामले में कड़ी फटकार लगाई हैं। जस्टिस मदब बी लोकुर ने कहा कि “अगर एजेंसी ठीक से काम नहीं कर रही है, तो उपराज्यपाल को निर्देश देना चाहिए, लेकिन यहां तो LG कूड़े के निपटारे के उपाय सुझाने के लिए हो रही मीटिंग में हिस्सा तक नहीं ले रहे हैं।”
कोर्ट ने कटाक्ष करते हुए कहा कि “आप (LG) दावा करते हैं कि आपके पास शक्ति है, आप सुपरमैन हैं लेकिन जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार नही हैं।”
कोर्ट ने यह भी कहा कि एक तरफ एलजी ऑफिस इस बात को स्वीकार करता है कि कूड़े का निस्तारण उनके अधिकार क्षेत्र में आता है और दूसरी तरफ आप लोग (एलजी ऑफिस) चुपचाप बैठे रहते हैं।
इतना ही नहीं उच्च न्यायालय ने कड़ी फटकार लगाते हुए पूछा कि “आखिर तीन लैंडफिल साइटों का कूड़ा कब तक उठवाएंगे? लैंडफिल साइट पर पड़े कूड़े की ऊंचाई कुतुब मीनार से मात्र 8 मीटर कम रह गई है। आप लोग इसके लिए क्या कर रहे हैं।“
कोलिन गोंजालविस ने कहा था कि “तीन मुख्य लैंडफिल (गाजीपुर, ओखला और भलस्वा) की सफाई के मुद्दे पर एलजी ऑफिस से कोई भी मीटिंग में शामिल नहीं हुआ। इस पर जजों की बेंच ने कहा “उपराज्यपाल ने कहा था कि हमारे पास शक्ति है और हम सुपरमैन हैं, लेकिन उन्होंने कुछ भी नहीं किया” जानकारी के लिए बता दे कि दिल्ली के मुख्यमंत्री के पहुंचने के एक दिन बाद सुप्रीम कोर्ट का ये फैसला आया हैं। उपराज्यपाल अनिल बैजल ने 3 आईएएस अफसरों का तबादला भी किया था। उनके इस फैसले के विरोध पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल देश के उच्च न्यायालय पहुंच गए थे। बता दे उन्होंने ये आदेश उच्च न्यायालय के पिछले हफ्ते दिए उस फैसले के बाद लिया था “जिसमें दिल्ली के उपराज्यपाल का अधिकार क्षेत्र भूमि, पुलिस और कानून व्यवस्था तक सीमित रखा गया था. और सेवा विभाग की अधिसूचना को रद्द नही किया गया था”