दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने प्रमोशन में आरक्षण मामले पर बेहद अहम फैसला दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने नागराज मामले में फैसले को सही बताते हुए उस फैसले पर पुन: विचार की जरूरत को खारिज कर दिया है। इस तरह अब सरकारी नौकरियों में प्रमोशन में SC/ST आरक्षण के लिए कोई डेटा जमा करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। यही नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर नागराज जजमेंट में दी व्यवस्था को बैड इन लॉ बताया। जिसके तहत आरक्षण से पहले पिछड़ेपन का डेटा सरकार से एकत्र करने को कहा गया था।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्यों की दलील स्वीकारते हुए कहा कि अब सरकार सरकारी नौकरी में प्रमोशन में SC/ST आरक्षण दे सकती है। जानकारी दे दें कि संविधान पीठ को यह तय करना था कि सुप्रीम कोर्ट के 12 साल पुराने पांच जजों के संविधान पीठ के नागराज फैसले पर फिर से विचार करने की जरूरत है अथवा नहीं।
सरकारी नौकरी में प्रमोशन में SC/ST आरक्षण पर फैसले के लिए मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, जस्टिस कुरियन जोसेफ, जस्टिस रोहिंटन नरीमन, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस इंदु मल्होत्रा की संविधान पीठ ने कहा कि नागराज जजमेंट को सात जजों को रेफर करने की जरूरत नहीं है।
याद रहे कि अक्टूबर 2006 में नागराज बनाम भारत संघ के मामले में पांच जजों की संविधान बेंच ने इस मुद्दे पर निष्कर्ष निकाला था कि राज्य नौकरी में पदोन्नति के मामले में SC/ST आरक्षण के लिए बाध्य नहीं है। लेकिन यदि वे अपने विवेकाधिकार का प्रयोग करना चाहते हैं और इस तरह का प्रावधान करना चाहते हैं तो राज्य को वर्ग के पिछड़ेपन और सार्वजनिक रोजगार में उस वर्ग के प्रतिनिधित्व की अपर्याप्तता दिखाने वाला डेटा एकत्र करना होगा।