देहरादून। उत्तराखंड में सीएम का सिरमोर किसके सिर पर बंधेगा, यह तो फिलहाल कहना मुशिकल है। पार्टी के केद्रीय नेतृत्व ने अभी तक यूपी ,उत्तराखंड के सीएम को लेकर अपने पत्ते नहीं खोले हैं। लेकिन उत्तराखंड के राजनीतिक गलियारों में जो चर्चा है उसमें सीएम दावेदार के रूप में पार्टी के राष्ट्रीय सचिव त्रिवेंद्र सिंह रावत और बरिष्ठ नेता प्रकाश पंत एक दूसरे को चक्कर दे रहे हैं। सतपाल महाराज और धन सिंह रावत भी सीएम की रेस में बने हुए हैं। इसके लिए पार्टी की विधायक दल की बैठक 17 मार्च को हो सकती है।
सीएम की रेस में सबसे आगे चल रहे त्रिवेंद्र और प्रकाश पंत दोनो ही साल 2012 में विधान सभा का चुनाव हार गए थे। इसके बाद उप चुनाव में भी कुछ खास नहीं कर पाए थे। हालांकि सिंह को पार्टी में हमेसा से ही महत्व दिया जाता रहा है। उन्हें हार के बाद झारखंड इकाई की जिम्मेदारी सौंपी गई। सिंह अभी तक सीएम बनने को लेकर कुछ भी कहने से बच रहे हैं।
हालांकि उत्तराखंड में बीजेपी के लिए सीएम चुनना आसान नहीं होगा। क्योंकि वहां पर पार्टी में पहले से ही चार पूर्व सीएम मौजूद हैं। बीसी खंडूरी, रमेश पोखरियाल निशंक, भगत सिंह कोश्यारी और विजय बहुगुणा।
वे लोग जो सतपाल महाराज को सीएम पद के लिए योग्य बता रहे हैं, वे आध्यात्मिक मामलों को उनका प्लस पॉइंट मानते हैं। महाराज 2014 में कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए थे। उन्होंने चौबट्टखा से विधानसभा चुनाव जीता, जहां बीजेपी के पूर्व प्रदेश इकाई के अध्यक्ष तीरथ सिंह रावत को नामांकन से वंचित कर दिया गया था।
बीजेपी राज्य प्रतिनिधि ने बताया कि अगर बीजेपी गृह मंत्री राजनाथ सिंह को यूपी का सीएम बनाती है, तो त्रिवेंद्र सिंह अपने आप ही उत्तराखंड सीएम की इस रेस से बाहर हो जाएंगे। बीजेपी यूपी और उत्तराखंड के लिए दो अगड़ी जाति के चेहरों को सीएम बनाकर सामाजिक समीकरणों को नजर अंदाज नहीं कर सकती।
उन्होंने बताया कि वे बीजेपी के लोकल नेता धन सिंह रावत में भी मुख्यमंत्री बनने की संभावना देख रहे हैं। रावत ने श्रीनगर सीट से चुनाव जीता है और वह पार्टी संगठन के जिम्मेदार और ईमानदार कार्यकर्ता भी रहे हैं। वह 2015 बिहार विधानसभा चुनाव में भी शामिल हुए थे।