नोएडा : एसटीएफ एसपी राजीव नारायण मिश्रा को प्रतिष्ठित डीजीपी के प्रशंसा पत्र (गोल्ड) से सम्मानित करने की घोषणा की गई है। लखनऊ में डीजीपी मुख्यालय में 15 अगस्त, 2018 को भारत के 71 वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर गौतमबुद्धनगर जिले के वरिष्ठ एसटीएफ अधिकारी राजीव नारायण मिश्रा को यह सम्मान दिया जाएगा। जानकारी के लिए बता दूं कि डीजीपी के प्रशंसा पत्र सेवा के क्षेत्र में असाधारण उपलब्धि के लिए राज्य स्तर के प्रसिद्ध संगठन एसटीएफ समेत अन्य संगठनों के योग्य और मेधावी पुलिसकर्मियों को दिया जाता है। राजीव नारायण मिश्रा को एचसीएल सॉफ्टवेयर इंजीनियर के अपहरण मामले की गुत्थी को सुलझाने में उनकी अनुकरणीय दक्षता और उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए सम्मानित किया गया है।
जानकारी के लिए बता दूं कि एचसीएल सॉफ्टवेयर इंजीनियर का अपहरण गाजियाबाद में 23 मई को कर लिया गया था। राजीव नारायण मिश्रा को एसएसपी गाजियाबाद के अनुरोध पर 27 मई की दिन सुबह में इस केस की जिम्मेदारी सौंपी गयी थी। श्री मिश्रा अपने निरंतर प्रयासों के फलस्वरूप इस केस की गुत्थी को सुलझाने में आखिरकार सफल हुए और अपने नेतृत्व में टीम के अथक प्रयासों के बाद बंधक को उन्होंने छुड़ा लिया। अपने अदम्य साहस का परिचय देते हुए आखिरकार 1 जून को मुठभेड़ में उन्होंने अपराधियों को पकड़ लिया। श्री राजीव नारायण मिश्रा ने नेड्रिक न्यूज को बताया कि इस तरह के कार्य से उन्हें नौकरी में संतुष्टि मिलती है। बंधक से वसूली के दिन याद करते हुए, उन्होंने हमें बताया कि वह और उनकी टीम सभी इस घटना से परेशान हो गए थे, लेकिन उन्होंने हिम्मत का परिचय देते हुए पीड़ित को उसके परिवार से मिला दिया। जानकारी के लिए बता दें कि अपहरणकर्ताओं ने 8 दिनों तक पीड़ित को गंभीर यातना दी थी। राजीव मिश्रा ने हमें बताया कि इस मामले की गुत्थी को सुलझाना उनकी टीम के लिए आदर्श की बात है, क्योंकि अपहरणकर्ता तकनीकी रूप से एक्सपर्ट थे और अपराध करने में कोई चूक नहीं कर रहे थे। इस मामले से संबंधित अनुभवों को शेयर करने के लिए श्री मिश्रा को एसटीएफ मुख्यालय, लखनऊ में बुलाया गया था और इसके बाद श्री मिश्रा किस तरह से इस सनसनीखेज अपहरण मामले के रहस्य पर से पर्दा उठाएंगे को लेकर अधिकारियों के समक्ष एक प्रेजेंटेशन भी दी थी। राजीव मिश्रा ने हाल ही में हुए अपराधियों के साथ मुकाबले में बहुत ही कठिन भूमिका निभाई है। उनकी कार्रवाईयों में खतरनाक शूटर बलराज भाटी के साथ-साथ विभिन्न संगठित हार्ड कोर अपराधियों के खिलाफ कई और कार्रवाइयां भी शामिल हैं।
2017 में स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राजीव नारायण मिश्रा को लखनऊ में प्रतिष्ठित प्रशंसा पत्र (रजत) से सम्मानित किया गया था। श्री मिश्रा को यह सम्मान अंकित चौहान की हत्या केस की जटिल गुत्थी सुलझाने के लिए दिया गया था। अंकित को अप्रैल 2015 में नोएडा में सड़क पर पीछा कर गोली मारी गई थी। यह मामला नई दिल्ली में सीबीआई को स्थानांतरित कर दिया गया। इस मामले की गुत्थी सुलझाने के लिए सीबीआई ने 5 लाख रुपये का इनाम भी घोषित किया था। इस केस को सुलझाना इतना आसान नहीं था, क्योंकि अपराधी ने अपराध का कोई सबूत तक नहीं छोड़ा था। केस को सुलझाने के लिए अधिकारियों ने इसे कई एगल्स से जांचा-परखा। आखिरकार जून में, पिछले साल नोएडा एसटीएफ ने मामले की गुत्थी सुलझा ली और अपराधियों को गिरफ्तार कर लिया। राजीव मिश्रा इस मामले की गुत्थी सुलझाने में महत्वपूर्ण कड़ी थे और आखिरकार उन्होंने अपराधियों को गिरफ्तार कर पूरे मामले को सुलझा भी लिया। एसपी एसटीएफ के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने ऑनलाइन पोंजी योजना का खुलासा किया। पोंजी स्कीम में 3700 करोड़ रुपये से अधिक की धोखाधड़ी शामिल थी।
एसपी एसटीएफ राजीव नारायण मिश्रा को बहादुरी के लिए राष्ट्रपति के पुलिस पदक से भी सम्मानित किया गया है। उन्हें यह बेहद प्रतिष्ठित पुरस्कार 5 जुलाई, 2005 को राम जन्मभूमि अयोध्या आतंकवादी हमला मामले में अनुकरणीय बहादुरी के लिए दिया गया था। इस हमले के दौरान उन्हें फैजाबाद में तैनात किया गया था और संयुक्त मुठभेड़ में उन्होंने पांच आतंकवादी मार गिराए थे। श्री राजीव नारायण मिश्रा यूपी पुलिस के सबसे सराहनीय एवं कर्तव्यनिष्ठ अधिकारियों में से एक हैं।