प्रयागराज : कुंभ मेले में पहले शादी स्नान के लिए सैकड़ों की तदात में अखाड़ों के नागा साधु जाते है जिन्हें देखने के लिए शाही स्नान घाट के रास्ते पर हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचे। जैसे ही नागा साधु गुजरते वैसे ही वहां उनके चरण के नीचे की रेत बटोरने के लिए श्रद्धालु टूट पड़ते। श्रद्धालुओं बस मुट्टठी भर रेत बटोर कर उसे सहेज कर रख लेते है। दोपहर तक चले शाही स्नान घाट जाने वाले रास्ते पर यही स्थिति रही।
आपको बता दें कि शाही स्नान के लिए जाने वाले नागाओं का चरण रज बेहद शुभ माना जाता है। श्रद्धालुओं का मानना है कि नागा देवताओं के ही गण होते है। इसलिए उनके चरण की रेती को माथे से लगाना देवताओं का आशीर्वाद माना जाता है। श्रद्धालु पूरे घर में उसका छिड़काव करते है साथ ही चरण रज को पूजाघर में भी रखते है। इस बार मुट्ठीभर चरणरज एकत्र किया गया।
मकर संक्रांति के प्रथम स्नान महापर्व पर मंगलवार को गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम तट पर देश-दुनिया के हर कोने से आस्था का जनसैलाब उमड़ पड़ा। जिससे प्रयागराज की सड़कें चारो तरफ श्रद्धा पथ में तब्दील हो गईं। देश भर से आए संतों, श्रद्धालुओं, पर्यटकों का सागर उमड़ा तो संगम तट पर कहीं तिल रखने भर की जगह नहीं बची।
मकर संक्रांति के दिन संगम स्नान, स्नानकर्ता के साथ उसके पूर्वजों का भी कल्याण एवं मुक्ति का मार्ग प्रशस्त करता है। माना जाता है कि मकर संक्रांति के दिन सूर्य अपने पुत्र शनि के घर अर्थात् मकर राशि में एक माह के लिए आते हैं। मकर संक्रांति सूर्य के राशि परिवर्तन का पर्व होता है। मकर राशि में सूर्य के आने से मकर संक्रांति का स्नान प्रारम्भ होता है। मकर संक्रांति का स्नान नकारात्मकता को खत्म कर स्नान-दान, जप करने वाले का भाग्योदय करता है।
कंचन मौर्य