जन्माष्टमी का त्योहार भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस दिन कई तरह की परंपराएं और रीति-रिवाज निभाए जाते हैं,
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जिनमें से खीरे का विशेष महत्व है।खीरे को खीरे को एक तरह से गर्भनाल का प्रतीक माना जाता है, जो बच्चे को उसकी मां से जोड़कर रखता है।
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ऐसा माना जाता है कि जब शिशु जन्म लेता है, तो उसे उसकी मां से अलग करने के लिए गर्भनाल काटनी पड़ती है।
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इसी तरह, जन्माष्टमी की पूजा में खीरे को डंठल से काटकर भगवान श्रीकृष्ण का जन्म कराया जाता है। यह प्रतीकात्मक रूप से माता देवकी के गर्भ से भगवान के जन्म को दर्शाता है।
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पूजा के दौरान, खीरे के डंठल को सिक्के से या किसी धातु की वस्तु से काटा जाता है। इसे 'नाल छेदन' कहा जाता है।