नई दिल्ली : खातों में न्यूनतम बैलेंस नहीं रखने पर देश के बैंकों ने खाताधारकों से मोटी रकम कमायी है। 24 सार्वजनिक और निजी बैंकों को इस मामले में जुर्माने के तौर पर करोड़ों का मुनाफा हुआ है।
दरअसल, लोकसभा में इस संबंध में पूछे गये सवाल पर वित्त मंत्रलय ने लिखित जवाब पेश किया. जिसमें बताया गया कि देश के 24 सार्वजनिक और प्राइवेट बैंक पिछले 4 साल में खाताधारकों से 11,500 करोड़ रुपये जुर्माने के रूप में वसूल कर चुके हैं। मंत्रालय की तरफ से कहा गया कि वित्त वर्ष 2017-18 में भारतीय स्टेट बैंक अकेले ही ग्राहकों से 2,400 करोड़ रुपये वसूल चुका है।
मंत्रालय ने बताया कि न्यूनतम बैलेंस नहीं रखने पर निजी क्षेत्र के 3 बैंकों एचडीएफसी बैंक, एक्सिस बैंक और आइसीआइसीआइ बैंक ने ग्राहकों से जुर्माना वसूला है। इनमें सबसे ज्यादा 591 करोड़ रुपये एचडीएफसी बैंक ने वसूल किये हैं ।
वहीं जिन 21 सरकारी बैंकों ने 2017-18 में ये वसूली की है उनमें 40 प्रतिशत 3 बड़े सरकारी बैंक हैं। रिजर्व बैंक ने 1 जुलाई, 2015 को अपने एक मास्टर सर्कुलर के जरिये बैंकों को ये वसूली करने का हक दिया था। रिजर्व बैंक ने इन बैंको से कहा था कि वे ग्राहकों को दी जाने वाली सेवाओं के बदले शुल्क लें।
एसबीआइ ने 1 अप्रैल 2017 को एक बार फिर न्यूनतम बैलेंस पर जुर्माना लगाने का नियम बनाया। जिसके बाद ये वसूली की गयी। एसबीआइ ने बड़े शहरों और शहरी क्षेत्र में 3000 रुपये औसत मासिक न्यूनतम बैलेंस रखने का नियम बनाया तो वही अर्ध शहरी इलाकों में 2000 रुपये और ग्रामीण इलाकों में ये राशि 1000 रुपये रखना तय किया गया था। इसी के आधार पर इन 24 बैंकों ने ये वसूली की है। आपको जानकारी दे दें कि प्रधानमंत्री जनधन योजना के तहत खुले खातों को इस नियम के अंतर्गत नहीं रखा गया है।