Home Blog Page 1231

'तांडव' के पहले एपिसोड के 17वें और 22वें मिनट पर ऐसा क्या दिखाया गया, जिसको ल...

अमेजन प्राइम पर 15 जनवरी को रिलीज हुई वेब सीरीज ‘तांडव’ के खिलाफ लोगों का गुस्सा लगातार बढ़ता ही जा रहा है। वेब सीरीज के रिलीज होते ही इस पर हंगामा होना शुरू हो गया। सीरीज में दिखाए गए कुछ सीन्स पर लोग आपत्ति जता रहे है। वहीं इसी बीच सीरीज के मेकर्स की परेशानी लगातार बढ़ी हुई हैं।

लखनऊ में दर्ज हुआ केस

उत्तर प्रदेश के लखनऊ में ‘तांडव’ को लेकर कई लोगों पर केस दर्ज कराया गया है। हजरतगंज थाने में तैनात एसएसआई अमरनाथ यादव ने अमेजन प्राइम वीडियो की इंडिया हेड अपर्णा पुरोहित समेत वेब सीरीज के डायरेक्टर अली अब्बास जफर, प्रोड्यूसर हिमांशु कृष्णा मेहरा, लेखक गौरव सोलंकी और एक अन्य के खिलाफ ये केस दर्ज कराया। ये केस धारा 153A, 295, 505 (1)(b), 505(2), 469, 66, 66f, 67 के तहत दर्ज किया गया। केस दर्ज कराते हुए ‘तांडव’ वेब सीरीज में क्या आरोप लगाए गए, आइए इसके बारे में भी आपको बता देते हैं…

जानिए लगे है क्या क्या आरोप?

इसमें ये आरोप लगाए गए है- ‘वेब सीरीज के पहले एपिसोड के 17वें मिनट पर हिंदू देवी-देवताओं का बेहद गलत तरीके से रूप धारण कर धर्म से जोड़कर अमर्यादित तरीके से देवी-देवताओं को बोलते हुए दिखाया गया और निम्न स्तरीय भाषा का प्रयोग किया गया, जो धार्मिक भावनाओं को भड़काने वाला एवं आघात पहुंचाने वाला है।’

इसमें ये भी कहा गया- ‘सीरीज के पहले एपिसोड में  22वें मिनट में जातिगत विद्वेष फैलाने वाले संवाद हैं। ऐसे संवाद और भी एपिसोड में मौजूद हैं। सीरीज में भारत के प्रधानमंत्री जैसे गरिमामय पद को ग्रहण करने वाले व्यक्ति का चित्रण अत्यंत अशोभनीय ढंग से किया गया।’

शिकायत में आगे ये आरोप लगाए गए- ‘वेब सीरीज में जातियों को छोटा बड़ा दिखाकर विभक्त करने वाले और महिलाओं का अपमान करने वाले दृश्य हैं और वेब सीरीज की मंशा एक समुदाय विशेष की धार्मिक भावनाओं को भड़काकर वर्ग विद्वेष फैलाने की है।’

FIR में लिखा है- ‘वेब सीरीज का इंटेरनेट के जरिए काफी प्रचार-प्रसार किया जा रहा है, जो समाज के लिए हानिकारक है। सीरीज के निर्माता-निर्देशक ने ये जो कृत्य किया, वो धार्मिक और जातिगत भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला और भड़काने तथा शासकीय व्यवस्था को क्षति पहुंचाने एवं अश्लीलता फैला रहा है।’

अमेजन से मांगी गई सफाई

गौरतलब है कि रिलीज होते ही तांडव वेब सीरीज विवाद में घिरी हुई हैं। विवादित सीन्स की वजह से इसे बैन करने की मांग उठ रही है। धार्मिक भावनाएं भड़काने के आरोप में घिरी वेब सीरीज को लेकर सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने अमेजन प्राइम से जवाब मांगा है। मंत्रालय ने सोमवार तक जवाब देने को कहा।

इस वेब सीरीज में एक्टर सैफ अली खान के साथ डिंपल कपाड़िया, सुनील ग्रोवर, तिग्मांशु धूलिया, डिनो मोरिया, कुमुद मिश्रा, मोहम्मद जीशान अय्यूब, गौहर खान और कृतिका कामरा नजर आ रहे हैं।

किस सीन को लेकर हो रहा विवाद?

बता दें कि तांडव के पहले एपिसोड में ही एक सीन है, जिसको लेकर ये पूरा विवाद हो रहा है। एक्टर मोहम्मद जीशान आयूब भगवान शिव के कैरेक्टर में नजर आ रहे हैं। इस दौरान वो यूनिवर्सिटी के छात्रों को संबोधन करते हुए गलत शब्दों का करते है। इस बात को लेकर ही पूरा हंगामा हो रहा है। वेब सीरीज पर दलित विरोधी और हिंदू विरोधी होने के आरोप लग रहे हैं। सोशल मीडिया पर लगातार इस बैन और बॉयकाट करने की मांग उठाई जा रही है। साथ ही साथ वेब सीरीज से जुड़े लोगों पर कार्रवाई करने की मांग भी उठ रही हैं।

जानिए कैसा रहेगा 18 जनवरी को आपका दिन

जैसा कि हम सभी जानते हैं ग्रहों का प्रभाव हमारे जीवन में पड़ता है, जिसके चलते हमें कभी अच्छे तो कभी बुरे दिनों का सामना करना पड़ता. वहीं आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि आज का राशिफल आपके जीवन में क्या-क्या परिवर्तन लेकर आ सकता है. तो आइए आपको बताते हैं आज के दिन के बारे में आपके सितारे क्या कहते हैं और 18 जनवरी का दिन आपके लिए कैसा रहेगा

मेष राशि- आपका आज का दिन मिला-जुला बीतेगा. परिवार में हंसी-खुशी का माहौल रहेगा. किसी करीबी की बातें आज आपको ठेंस पहुंचा सकती है.

वृषभ राशि- आपका दिन सामान्य बीतेगा. पुरानी परेशानियों से छुटकारा मिलेगा. मन थोड़ा परेशान रहेगा. आज के दिन हर परिस्थिति में जीवनसाथी का साथ मिलेगा.

मिथुन राशि- आपका दिन बढ़िया बीतेगा. मनचाहे काम पूरे होंगे. मेहनत अनुसार फल मिलेगा. किसी भी काम में जल्दबाजी दिखाना भारी पड़ सकता है.

कर्क राशि- आपका दिन अच्छा रहेगा. कार्यक्षेत्र से अच्छी खबर मिलेगी. नए चीजें खरीदने का मन बना सकता है. छात्रों को अधिक मेहनत करने की जरूरत है.

सिंह राशि- आपका दिन ठीक-ठाक बीतेगा. कामकाज के सिलसिले में बेहतर परिणाम मिलेंगे. घर का माहौल थोड़ा तनावपूर्ण रहेगा. माता-पिता का स्वास्थ्य आपकी चिंता बढ़ा सकता है.

कन्या राशि- आपका दिन शानदार बीतेगा. लंबे वक्त से चले आ रहे विवादों से आज छुटकारा मिलने की उम्मीद है. आज के दिन किसी से भी झगड़ा मोल ना लें. अपने गुस्से पर काबू रखें.

तुला राशि- आपका दिन बहुत बढ़िया बीतेगा. रुके हुए पैसे वापस मिलेंगे. परिवार के साथ अच्छा वक्त बिताएंगे. विदेश से अच्छी खबर मिलने के आसार है.

वृश्चिक राशि- लंबे वक्त से रुके हुए काम पूरे होंगे. कार्यक्षेत्र में चली आ रही परेशानी दूर होगी. गृहस्थ जीवन सामान्य रहेगा. संतान की तरफ से कोई परेशान करने वाली खबर मिल सकती है.

धनु राशि- आज के दिन आपको कुछ दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है. आर्थिक परेशानी का सामना करना पड़ सकता है. व्यापार में उतार चढ़ाव का सामना करना पड़ सकता है. रिश्तेदारों का साथ मिलेगा.

मकर राशि- आपका दिन मिला-जुला बीतेगा. जीवनसाथी के साथ आज झगड़ा होने के आसार है. आज के दिन आपको भविष्य की चिंता सताएगी. दोस्तों के साथ दिल की हर बात को शेयर करें.

कुंभ राशि- आपका दिन बहुत अच्छा बीतेगा. इनकम बढ़ने के आसार है. पुरानी परेशानी दूर होगी. लव लाइफ में सुधार होगा.

मीन राशि- दिन की शुरुआत परेशानियों से होगी. बने बनाए काम बिगड़ सकते है. आज आपके मन में नकारात्मक विचार आएंगे. पूजा-पाठ में मन लगेगा.

क्या है रेलवे का ऐतिहासिक DFC प्रोजेक्ट? इसके कैसे होगा आपको फायदा? जानिए सबकुछ

आजाद भारत का अब तक का सबसे बड़ा प्रोजेक्ट, जिसके पूरा होते ही देश में फैली महंगाई 50 फीसदी तक कम हो जाएगी। जिसके आने के बाद आपकी जरूरत का सामान आपके पास 24 घंटे में पहुंच जाएगा और वो भी पुराने दामों से कई गुणा कम पर…जी हां, देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आने वाले साल 2022 में एक ऐसी ही परियोजना का उद्घाटन करेंगे, जिसका सपना भारत के पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने देखा था।

आजाद भारत के सबसे बड़ी परियोजना का नाम है, Dedicated Freight Corridor project। इंडियन रेलवे में रफ्तार लाने के लिए साल 2006 में इस परियोजना की शुरूआत की गई थी। लेकिन सरकार बदलने के साथ ही ये परियोजना कुछ वक्त के लिए रूक गई। मगर अब पीएम मोदी ने इस परियोजना को पूरा करना का मन बना लिया। इस परियोजना के लिए Dedicated Freight Corridor Corporation of India Limited बनाया गया है जो इस पूरे प्रजोक्ट की देखरेख करेगा।

81 करोड़ से ज्यादा लागत

81,459 crore रुपये की लागत से पूरे होने वाली इस परियोजना को अभी दो अलग अलग फेस में बनाया जा रहा है। Western Dedicated Freight Corridor और eastern Dedicated Freight Corridor।  क्या है ये प्रोजेक्ट, और क्यों जरूरी है भारत के विकास के लिए…भारत की तरक्की में इसका क्या अहम रोल होगा… क्यों बनाया जा रहा है ये प्रोजक्ट…इन सभी पर चर्चा करेंगे।

क्या है Dedicated Freight Corridor ?

सबसे पहले ये जानना जरूरी है कि क्या है Dedicated Freight Corridor project। Dedicated Freight Corridor भारतीय रेलवे का अब तक का सबसे बड़ा प्रोजक्ट है, ये उन मालगाड़ियों को रफ्तार देने के लिए बनाया जा रहा है। इसके पूरा होने के बाद जो मालगाड़ियां 30 किलोमीटर की रफ्तार से चलती है वो 80 से 100 किलोमीटर की रफ्तार से चलेगी।

क्या इससे होगा फायदा?

आसान भाषा में समझे तो अब इंडियन रेलवे में पैसेंजर ट्रेन और मालगाड़ियों, दोनो के लिए एक ही ट्रैक है। और पैसेंडर ट्रेन को रास्ता देने के लिए मालगाड़ियों को कई घंटो तक खड़ा रहना पड़ता है। इसके कारण मालगाड़ियां जो कि 24 घंटे में अपने गणतव्य तक पहुंचनी चाहिए थी वो कई दिनो में पहुंचती है। इस कारण इसका खर्च भी बढ़ जाता है जिससे सामान के दाम की वैल्यू भी बढ़ जाती है। जो मंहगाई का एक बड़ा कारण है।

लेकिन इस योजना के लागू होने के बाद मालगाड़ियों के लिए अलग से ट्रैक बनाए जा रहे है, जो पूरी तरह से इलेक्ट्रिक इंजन से चलेंगे। साथ ही इन मालगाड़ियों में डबल डेकर कंटेनर रख कर सामान को गणतव्य तक पहुंचाया जा सकेगा। जिससे सामान जल्दी और ज्यादा मात्रा में पहुंचेगा। इस परियोजना के लागू होने के बाद पैसेंजर ट्रेन को भी लाभ होगा।

कैसे करेगा काम?

इस परियोजना को 2 अलग अलग फेस में बनाया जा रहा है। Western Dedicated Freight Corridor और eastern Dedicated Freight Corridor।

फिल्हाल Western Dedicated Freight Corridor पूरा होने वाला है, जिसे साल 2022 में शुरू करने की भी योजना है। तो वहीं Eastern Dedicated Freight Corridor को साल 2024 में पूरा करना का लक्ष्य रखा गया है। इस योजना में करीब 81,459 crore रूपये की लागत आ रही है। जो अब तक का सबसे महंगा प्रोजक्ट है।

Western Dedicated Freight Corridor 1504 किलोमीटर लंबा है जो कि यूपी के दादरी से शुरू होकर महाराष्ट्र के जेएन पोर्ट मुम्बई तक जाएगी। तो वहीं Eastern Dedicated Freight Corridor सोहनेवाला लुधियाना पंजाब से शुरू होकर पश्चिम बंगाल के दखुनी बंदरगाह तक जाएगा। ये 1856 किलोमीटर लंबा है।

इसके लिए बनने वाले रेलवे ट्रैक को पूरी एडवांस टेक्नॉलॉजी के साथ बनाया जाता है। इंडियन रेलवे और डीएफसी के मालगाड़ी रेलवे ट्रैक में एक उचित दूरी बनाई गई, जो कि सामान्य दूरी का दोगुना है। ताकि जब फ्रेट ट्रेन सामान लेकर जाए तो इसका प्रभाव दूसरे ट्रेनों पर न पड़े। डीएफसी में कही भी लेबल क्रॉसिंग नहीं दी गई है। इसमें या तो पुल बनाए गए है या फिर सुरंग बनाई गई है। ताकि इसकी गति पर प्रभाव न पड़े।

इस प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए हरियाणा के सोहना में अरावली पर्वत की पहाड़ियों के बीच से करीब 1 किलोमीटर की सुरंग बनाई गई ताकि परियोजना में कोई बाधा न आए। जबकि रिपोर्ट की मानें तो अगर पर्वत के पास से घुमाकर ले जाया जाता तो इसमें 40 किलोमीटर दूरी और बढ़ जाती। लेकिन ऐसा करने के बजाए सुरंग बना दी। इस सुरंग को इलेक्ट्रिक डबल स्टेक कंटेनर को ले जा सके…उतना ऊंचा बनाया गया है।

क्या-क्या होगी खासियत?

इस पूरे इलेक्ट्रोनिक्स सिस्टम की देखरेख के लिए प्रयागराज में ऑपरेशन कंट्रोल सेंटर बनाया गया है। जिसमें पूरी तरह से नई तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। इसी के साथ कुछ प्रेसिडींग स्टेशन भी बनाए जाएंगे। जहां जरूरी ट्रेनों को पहले आगे जाने के लिए सिग्नल दिए जाएंगे। डीएफसी की लूप लाइन को भी 2 किलोमीटर बनाई जा रही है। ताकि कम से कम 2 किलोमीटर ट्रेन बनाई जा सकी। डीएफसी के ट्रेक को बनाने के लिए नई तकनीक वाले ट्रेकिंग मशीन को लाया गया जो रोजाना 1.5 किलोमीटर ट्रैक बिछाती है। इसे ऑटोमेटिक ट्रेन लेन मशीन कहा जाता है। इसके ट्रैक बिछाने के लिए फिश प्लेट का इस्तेमाल नहीं किया गया है। यानि की गैपिंग नहीं है।

इसमें हादसे को रोकने और स्पीड को बरकरार रखने के लिए ऑटोमेटिक सिग्नलिंग का इस्तेमाल किया गया है। जो कि हर एक किलोमीटर पर लगाया गया। इसमें 4 लाइट लगे है एक रेड, एक ग्रीन और 2 येलो। यानि कि अगर कोई ट्रेन 3 किलोमीटर की दूरी पर है तो ऑटोमेटिक 2 येलो लाइट जल जायेंगे यानि कि ये संकेत होगा कि ट्रेन की स्पीड को 60 किलोमीटर प्रति घंटा कर लिया जाए। तो वहीं एक येलो लाइट का मतलब है कि 30 की स्पीड से गाड़ी चलानी है।

डीएफसी के लिए इस्तेमाल होने वाली ट्रेनों में डबल Wag 12 इंजन का इस्तेमाल किया जाएगा। 2 किलोमीटर की ट्रेन होने के कारण बीच में एक Wag 9 इंजन लगाया गया था कि कपलिंग पर इसका ज्यादा प्रभाव ना पड़े। साथ ही ब्रेक लगाने की सूरत में ये डिब्बों के बीच संतुलन बनाए रख सकें।

आपको बता दें कि इंडियन रेलवे को 63 प्रतिशत कमाई फ्रेट ट्रेनों से होती है, इसलिए सरकार डीएफसी के रेलवे ट्रैक के आसपास इंडस्ट्री खड़े करने की भी प्लानिंग है। जिससे लॉडिंग अनलॉडिंग आसान हो जाए। इसके अलावा इन ट्रेनों के लिए अलग से रेलवे स्टेशन बनाए जा रहे है। ताकि वहां पर आसानी से लॉडिंग अनलॉजिंग किया जा सके।

इसी के साथ बंदरगाहों के आसपास लॉजिस्टिक पार्क में भी डीएफसी के रेलवे स्टेशन बनाने की तैयारी चल रही है..ताकि अधिक संख्या में कंटेनर सीधा बंदगाहों में रखे जा सके। और इनका आयात निर्यात जल्द से जल्द हो सके। बता दें कि फिलहाल यहां तक सीधा कंटेनर को पहुंचाने के लिए रेल लाइन नहीं बिछाई गई थी, लेकिन अब इस परियोजना में पार्क में ही रेल लाइन बिछाई जा रही है। जिससे सीधा कंटेनर बंदरगाहों के लॉजिस्टिक पार्को तक पहुंच जाएं।

डीजल इंजन के बजाए एल्सस्टर्न कंपनी ने wag 12 नाम का इलेक्टॉनिक इंजन बनाया गया। इस इंजन को डबवल स्टक वाली ट्रेनों को चलाने के लिए बनाया गया जिससे डीजल का खर्च बंद हो जाएगा। इन इंजन से भारत सरकार की 12 हजार करोड़ रूपये बचत सलाना होगी।
इन दोनों परियोजना के तहत दो और डीएफसी परियोजना है, लेकिन फिलहाल वो प्रस्तावित है। लेकिन इन दोनों पर काम जारी है। उम्मीद की जा रही है कि आने वाले साल में ये परियोजना पूरी हो जाएगी, जिसके बाद देश की उन्नति नए शिखर पर पहुंच जाएगी।

चीन ने बना डाली 'स्वर्ग की आंखें', जानिए ये टेलीस्कोप कैसे देगा एलियंस-एस्टेर...

0

अंतरिक्ष में एलियंस, एस्टेरॉयड्स के साथ ही मेटियोर्स की खबर देने वाले टेलीस्कोप आर्सिबो टेलीस्कोप टूट गया तो दुनिया के लिए चीन ने नया टेलीस्कोप बना डाला। जी हां, हाल के दिनों में चीन इसी को लेकर सुर्खियों में है। दुनियाभर के साइंटिस्ट्स चीन के इस बड़े टेलीस्कोप से एलियन की दुनिया और धरती की तरफ बढ़ रहे एस्टेरॉयड्स के बारे में जान पाएंगे।

सवाल कई है इस टेलीस्कोप से जुड़े, जैसे कि इतना बड़ा टेलीस्कोप कहां बना और कैसे बनाया चीन ने? तो चलिए सबकुछ एक एक कर जानते हैं।

नेशनल एस्ट्रोनॉमिकल ऑब्जरवेट्रीस ऑफ चाइना की तरफ से कहा गया कि अपने इस विशाल टेलीस्कोप का 10 प्रतिशत ऑब्जरवेशन समय, वो दुनिया के अलग अलग साइंटिस्ट्स के लिए देगा। इस साल 1 अगस्त तक इस टेलीस्कोप के जरिए अंतरिक्ष की निगरानी करने का टाइमटेबल जारी कर दिया जाएगा और फिर इस टेलीस्कोप का दुनियाभर के साइंटिस्ट इस्तेमाल कर पाएंगे।

जिस टेलीस्कोप की खासा चर्चाएं है, उसका नाम फाइव हंड्रेड मीटर अपर्चर स्फेरिकल टेलीस्कोप जो दक्षिण-पश्चिम चीन के गुईझोउ प्रांत में बनाया गया है। यहां के पिंगतांग क्षेत्र की पहाड़ियों के बीच इसका निर्माण किया गया। इसे तियानयान या फिर स्वर्ग की आंखें यानि कि Eye of Heaven नाम से भी जाना जा रहा है।

पिंगतांग इलाके के गांव के लोगों को दूसरी जगह Displaced किया गया, जिससे कि टेलीस्कोप के इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेज से उन्हें कोई क्षति न पहुंचे। FAST टेलीस्कोप एक गोलाकार डिश एंटीना है जिसका व्यास 500 मीटर है। इसे बनाने में 4450 त्रिकोण पैनल्स को इस्तेमाल किया गया है और 2000 मैकेनिकल विंचेस माने चरखियां इसमें लगी हैं, जो अलग-अलग दिशा में इस रेडियो टेलीस्कोप को घुमाने में हेल्प करती है।

अगर बात आर्सिबो टेलीस्कोप की बात करें तो अगर अंतरिक्ष में देखना हो तो सिर्फ 20 डिग्री तक ही घूमने की क्षमता थी उसमें पर FAST टेलीस्कोप 40 डिग्री तक एबल है घूम पाने में। NAOC के साइंटिस्ट्स की तरफ से जानकारी दी गई है कि इस टेलीस्कोप का इस्तेमाल बस सुदूर अंतरिक्ष के ग्रहों और फिर एलियन जीवन की खोज के साथ ही एस्टेरॉयड्स जो कि काफी ज्यादा दूरी से आ रहे हों उनकी जानकारी देगा। नीयर अर्थ ऑबजेक्ट्स की ये जानकारी नहीं देगा।

आर्सिबो टेलिस्कोप से रेडियो टेलिस्कोप 2.5 गुना ज्यादा संवेदनशील है। इसे ऐसे समझ सकते हैं कि जो भी अंतरिक्ष से आने वाली इलेक्ट्रोमैग्नेटिक के अलावा जो भी रेडियो तरंगों को काफी ज्यादा बारीकी से कैट कर पाएगा। इसके पास किरणों को कैच करने का 71 हजार वर्ग मीटर है क्षेत्रफल। जबकि, ये क्षेत्रफल आर्सिबो टेलिस्कोप के पास सिर्फ 50 हजार वर्ग मीटर ही था।

साल 2016 में FAST टेलीस्कोप को बनाया जाना शुरू किया गया था और 11 जनवरी 2020 को पूरा हुआ। अब यह ऑफिशियली अंतरिक्ष में ताकाझाकी के लिए तैयार है। जिसमें 19 बीम रिसीवर हैं। ऑस्ट्रेलिया के वैज्ञानिकों ने भी इसे बनाने में हेल्प की है। इस टेलीस्कोप से अंतरिक्ष, आकाशगंगा और सौर मंडल की कहां से उत्पत्ति हुई ऐसे कई सवालों की जानकारियां हासिल की जा सकेंगी।

पिछले साल 1 जनवरी तक FAST टेलीस्कोप के जरिए ट्रायल रन के वक्त अंतरिक्ष से 121 सिग्नल पकड़े गए। अगर दुनिया के वैज्ञानिकों को चीन इस टेलीस्कोप के इस्तेमाल की इजाजत देता है तो इसका फायदा पूरी दुनिया उठा सकेगी। मौजूदा समय में अमेरिका, यूरोप और ऑस्ट्रेलिया की चीन इस प्रोजेक्ट में हेल्प ले रहा है।

जानिए कैसा रहेगा 17 जनवरी को आपका दिन

जैसा कि हम सभी जानते हैं ग्रहों का प्रभाव हमारे जीवन में पड़ता है, जिसके चलते हमें कभी अच्छे तो कभी बुरे दिनों का सामना करना पड़ता. वहीं आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि आज का राशिफल आपके जीवन में क्या-क्या परिवर्तन लेकर आ सकता है. तो आइए आपको बताते हैं आज के दिन के बारे में आपके सितारे क्या कहते हैं और 17 जनवरी का दिन आपके लिए कैसा रहेगा…

मेष राशि- आज कार्यक्षेत्र में दिन तनावपूर्ण रह सकता है. घर वालों के साथ अच्छा समय रहेगा. धर्म संबंधित कार्यों में आपको लाभ होने का योग है.

वृषभ राशि- आज अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखें. सुनी-सुनाई बातों पर ध्यान न दें. परिवार वालों के साथ आपका समय ठीक बीतेगा.

मिथुन राशि- आज पैसों के लेन-देन से बचने की जरूरत है. परिवार में खुशी का माहौल बना रहेगा. आर्थिक तंगी दूर होगी. आपका समाज में सम्मान बढ़ेगा.

कर्क राशि- आज दिन की शुरुआत अच्छी होगी. घर-परिवार में खुशी का माहौल बना रहेगा. समाजिक तौर पर आपको लाभ होगा. आपका दिन सही रहेगा.

सिंह राशि- आज किसी की भी बातों में ना आएं. परिवार वालों को ज्यादा समय दें. अपने स्वास्थ्य का खास ध्यान रखें. आपका स्वास्थ्य अच्छा रहेगा.

कन्या राशि- आज का दिन खुशहाल पूर्वक से बितेगा. दोस्तों के साथ अच्छा वक्त गुजरेगा. आर्थिक स्थिति ठीक रहेगी. किसी बात को लेकर परेशान रह सकते हैं.

तुला राशि- आज काम के प्रयास रंग लाएंगे. बाहर का खाने-पीने से बचने चाहिए. नौकरीपेशा लोगों का प्रमोशन हो सकता है. आपका दिन अच्छा रहेगा.

वृश्चिक राशि- आज दोस्तों के साथ समय बढ़िया बीतेगा. आर्थिक समस्या दूर होगी. धार्मिक कार्यों में आपकी रुचि बढ़ेगी. परिजनों के साथ खुश रहेंगे.

धनु राशि- आज का दिन अच्छा बीतेगा. आप ज्यादा तनाव में रह सकते हैं. समाज में आपकी नई पहचान बढ़ेगी. घर में खुशी का माहौल बना रहेगा.

मकर राशि– आज आपके सभी कार्य पूरे होंगे. दोस्तों के साथ आपका अच्छा समय बीतेगा. संगीत में आपकी रुचि बढ़ेगी. परिजनों के साथ आपका समय अच्छा बितेगा.

कुंभ राशि– आज आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ सकता है. आपका मन प्रसन्न रहेगा. अपने गुस्से पर काबू रखें.

मीन राशि– आज शाम ढलने तक हर परेशानी खत्म होने के आसार है. आपके रुके हुए कार्य पूरे होंगे. कार्यक्षेत्र में दबाव का सामना करना पड़ सकता है.

कोरोना के बाद अब ये बीमारी मचाएगी दुनिया में तबाही? जानिए क्यों फिर बढ़ी टेंशन?

0

कोरोना वायरस से जूझ रही इस दुनिया में भले ही कई देशों में वैक्सीनेशन का प्रोग्राम शुरू कर दिया हो। लेकिन इबोला वायरस की खोज करने वाले साइंटिस्ट ने जो चेतावनी जारी की है, उस पर गौर करना बेहद जरूरी हो जाता है। दरअसल, वैज्ञानिक जीन-जैक्सय मुयेम्बे तामफूम ने एक इंटरव्यू में दावा किया कि Disease X नाम की एक बीमारी दुनिया के कई भाग में मौजूद है। इससे पीड़ित लोग कांगों में पाए गए हैं।

इबोला खोजने वाले डॉक्टर ने क्यों चेताया?

प्रोफ़ेसर ने इस महामारी का नाम Disease X रखा है। उन्होंने बताया कि ये बेहद घातक है। जानकारी दे दें कि साल 1976 में प्रोफ़ेसर जीन ने ही इबोला वायरस को खोजा। जीन ने कहा है कि एक ऐसी दुनिया में हैं आज हम जहां नए वायरस बाहर आएंगे जो कि मानवता के लिए खतरा बन जाएंगे। जीन ने कहा कि मेरा मानना है कि फ्यूचर में महामारी कोरोना वायरस से अधिर घातक हो सकती है और ज्यादा तबाही मचाने वाली होगी। डॉक्टरों को डर है कि Disease X’ नया वायरस कोरोना के जैसे ही जल्दी फैल सकता है और इससे मरने वालों की तादात इबोला से भी 50 से 90 फीसदी अधिक है।

WHO ने इस पर क्या कहा? 

WHO ने फ़िलहाल इस Disease-X के बारे में क्या कहा है इसे समझते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार वैज्ञानिकों ने कहा है कि Disease X महामारी परिकल्पना है लेकिन इसे लेकर जैसे दावे किए जा रहे हैं अगर ये वैसी ही कोई बीमारी हुई तो इसे दुनियाभर में फैलने से रोकना काफी मुश्किल होगा।

क्या अब ये बनेगी अगली विनाशकारी महामारी?

देखने वाली बात है कि लगातार रेबीज, यलो फीवर, कई तरह के इंफ्लुएंजा और अलग तरह की बीमारियां पशुओं से इंसानों में बीते सालों में आ चुकी हैं। जिसमें ज्यादातर चूहे या कीड़ों के कारण आई हैं। इनसे दुनिया में प्लेग जैसी महामारी आ चुकी है। ऐसा माना जाता है कि चीन के वुहान शहर से जो कोरोना वायरस निकला वो चमगादड़ से आया। भले इस पर अब तक किसी भी तरह की पुष्टि की मुहर न लगाई गई हो। आज कोरोना वायरस लाखों की जान ले चुका है।

ब्रिटेन के एडिनबर्ग यूनिवर्सिटी के रिसर्चर की मानें तो हर तीन से चार साल के अल्टर्नेट पर एक नया वायरस दुनिया में कदम रख रहा है। यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर मार्क वूलहाउस के अनुसार अधिकतर वायरस पशुओं से आ रहे हैं। वैज्ञानिकों ने कहा कि वुहान जैसे वेट मार्केट में रखे गए लाइव एनिमल्स काफी बड़ा खतरा हैं और ‘Disease X’ महामारी इनमें से किसी के अंदर मौजूद हो रह सकती है। वैज्ञानिकों ने इस तरह के लाइव एनिमल्स मार्केट को पहले भी इंसानों में फैलने वाली बीमारी जैसे कि फ्लू और सार्स के लिए जिम्मेदार बताया था।

अब इस चीज को लेकर भी कम हो जाएगी चीन पर निर्भरता, भारत के हाथ लगा बड़ा खजाना!

0

12 मार्च 2020 को ही केंद्र सरकार की तरफ से केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने राज्यसभा में एक बड़ी जानकारी दी थी। उन्होनें बताया था कि लिथियम के स्रोत का कर्नाटक के मंड्या जिले में पता लगा है, जो कि जिले के मार्लागाला-अल्लापटना क्षेत्र में मिला है। साल भर के भूगर्भीय रिसर्च के साथ ही खोजबीन के बाद अब इस बात का पता चला है कि 1600 टन लिथियम अयस्क वहां मौजूद है। अब सवाल ये है कि केंद्र सरकार को लिथियम की इतनी दरकार क्यों पड़ी। आइए जानते हैं…

लिथियम के लिए दूसरे देशों पर निर्भर भारत

दरअसल, एक रेअर अर्थ एलीमेंट है, लिथियम जिसकी 100 फीसदी जरूरत भारत अभी तक चीन और अन्य लिथियम निर्यातक देशों के जरिए पूरा करता था। हर साल लिथियम बैटरी का भारत आयात करता है। आपके फोन, टीवी, लैपटॉप या फिर रिमोट हर जगह ये बैटरी इस्तेमाल में लाई जाती है। केंद्र सरकार ने साल 2016-17 में 17.46 करोड़ से अधिक की लिथियम बैटरी का आयात किया। इसका मूल्य 384 मिलियन यूएस डॉलर्स मतलब कि 2818 करोड़ रुपए रहा। 2017-18 में 31.33 करोड़ बैटरी का आयात किया जो कि 727 मिलियन डॉलर्स मतलब कि 5335 करोड़ रुपए का था।

इसी तरह से 2018-19 में बैटरी आई 71.25 करोड़ और इसकी कीमत थी 1255 मिलियन डॉलर्स मतलब कि 9211 करोड़ रुपए। साल 2019-20 में 45.03 करोड़ बैटरी आने पर 929 मिलियन डॉलर्स मतलब कि करीब 6820 करोड़ रुपये लगा।

क्यों शुरू की गई इसकी खोज?

लिथियम आयन बैटरी का इस्तेमाल स्पेस टेक्नोलॉजी में काफी ज्यादा होता है और खर्चे को कम करने के लिए लिथियम के स्रोत की खोज देश भर में शुरू की गई। इंडियन गवर्नमेंट के परमाणु ऊर्जा विभाग के एटॉमिक मिनरल्स डायरेक्टोरेट फॉर एक्सप्लोरेशन एंड रिसर्च ने ये कोड शुरू की। भारत में जो लिथियम का अयस्क मिला है अगर उस पर गौर किया जाए तो उनके नाम है लेपिडोलाइट (Lepidolite), स्पॉडूमीन (Spodumene) और एम्बील्गोनाइट (Amblygonite)। भारत में कहां-कहां लिथियम के स्रोत पाए जाने के आसार? आइए इसे जान लेते हैं।

छत्तीसगढ़ के कोरबा में काटघोड़ा-गढ़हाटारा इलाके में, हिमाचल प्रदेश के किन्नौर के नाको ग्रेनाइट क्षेत्र में, बिहार में नवादा जिले में पिछली मेघहटारी इलाके में, जमुई जिले में हर्णी-कल्वाडीह छरकापतल, तो वहीं परमनिया-तेतरिया क्षेत्र में, राजस्थान में सिरोही जिले के सिबागांव इलाके में, मेघालय के ईस्ट खासी हिल्स जिले में उमलिंगपुंग ब्लॉक क्षेत्र में और झारखंड में कोडरमा के धोराकोला-कुशहना क्षेत्र में लिथियम के स्रोत पाए जाने के आसार है।

लिथियम आयन पर दूसरे देशों पर भारत निर्भर है और जो देश इसके सबसे बड़े स्रोत हैं उनके नाम है बोलिविया, अर्जेंटीना, चिली, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और चीन। इन देशों के बीच इस खनिज के निर्यात का कॉम्प्टीशन चलता है।

किन चीजों में होता है इस्तेमाल? 

लिथियम आयन बैटरी का इलेक्ट्रिक गाड़ियों, लैंडर-रोवर, मोबाइल बैटरी, स्पेसक्राफ्ट यानी सैटेलाइट्स, घड़ी का सेल, मौजूदा वक्त में हर तरह के इलेक्ट्रॉनिक सामान में बैटरी का इस्तेमाल किया जाता है और अलग अलग तरह के मेडिकल इंस्ट्रूमेंट्स अलावा दवाइयों में भी इसे इस्तेमाल में लाया जाता है।

दुनिया के पावरफुल पासपोर्ट की लिस्ट: अमेरिका नहीं ये देश है टॉप पर, जानिए भारत-पाक कि...

दुनिया के लिहाज से सबसे शक्तिशाली शब्द का इस्तेमाल किया जाए तो जेहन में अमेरिका का ख्याल सबसे पहले आता है। लेकिन पासपोर्ट के मामले में अमेरिका थोड़ा पीछे रह गया। यह खिताब जापान के पास है। Henley & Partners की साल 2021 की पासपोर्ट इंडेक्स ग्लोबल रैंकिंग में जापान के पासपोर्ट को दुनिया में सबसे शक्तिशाली बताया गया है। जहां तक भारत की बात करें तो इस सूची में 2020 के मुकाबले भारत एक पायदान फिसल गया और 85वें नंबर पर जा पहुंचा तो वहीं पाकिस्तान का सूची में नीचे से चौथा स्थान है। भारत से ऊपर 70वां स्थान चीन को मिला है।

कैसे होती हैं रैकिंग?

किसी भी देश के पासपोर्ट की रैंकिंग या यूं कहे उसकी ताकत इस बेस पर तय की जाती है कि बिना पूर्व वीजा के उसके धारक कितने देशों में यात्रा कर सकते हैं यानि कि संबंधित देश के नागरिकों को कितने देश वीजा ऑन एराइवल की अपने यहां सुविधा देते हैं। ज्यादातर वीजा ऑन एराइवल मित्र देशों को दिया जाता है यानि कि ऐसे देश जहां के नागरिकों से कोई खतरा नहीं होता है उस देश को। इसका डेटा इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन यानि IATA देती है।

जानिए कौन-सा देश किस नंबर पर?

पासपोर्ट इंडेक्स ग्लोबल रैंकिंग 2021 में शीर्ष के तीन स्थान पर पहले पर जापान है जिसके नागरिकों को वीजा ऑन एराइवल की सुविधा दुनिया के 191 देशों में है। पहले वीजा मिलने का इंतजार 191 देशों में जाने के लिए यहां के लोगों को नहीं करना होगा। दूसरे नंबर पर सिंगापुर है। 190 देशों में वीजा फ्री एक्सेस की सुविधा यहां के लोगों को मिली हुई है। तो वहीं संयुक्त रूप से दक्षिण कोरिया और जर्मनी तीसरे स्थान पर है जिसमें 189 देशों में दक्षिण कोरिया के लोगों को वीजा ऑन एराइवल मिली हुई है। इस तरह से एशियाई देश ही टॉप 3 पर काबिज हैं।

भारत-चीन-पाक इन नंबर पर

Henley पासपोर्ट इंडेक्स में भारत का पासपोर्ट 85वें स्थान पर है। भारतीय 58 देश बिना किसी पूर्व वीजा के एंट्री ले सकते हैं और इस पायदान पर भारत के साथ तजाकिस्तान है। भारत का स्थान साल 2020 में 84वां था।

5 अन्य देशों के साथ अमेरिका सातवें स्थान पर काबिज है। इन देशों में न्यूजीलैंड, नार्वे, बेल्जियम, स्विटजरलैंड, यूनाइटेड किंगडम को शामिल किया गया हैं और इन देशों समेत अमेरिका के नागरिक दुनिया के 185 देशों में वीजा फ्री एक्सेस की सुविधा पाते हैं।

चीन इस लिस्ट में 70वें पायदान पर है जहां के नागरिक 75 देशों में बिना वीजा एंट्री ले सकते हैं। जानकारी दे दें कि चीन के ऊपर जासूसी के आरोप में कई बड़े मामले दर्ज है। जिसकी वजह से उसके नागरिकों को कई देशों में वीजा मिलने में दिक्कत आती है।

वहीं, इस लिस्ट में पाकिस्तान नीचे से चौथे स्थान पर है। पाकिस्तान 107वें पायदान पर है। पाकिस्तानी नागरिकों को सिर्फ 32 देशों में ही बिना वीजा एंट्री मिल पाती है। शक्तिशाली पासपोर्ट की सूची में टॉप 10 देशों के नाम कुछ इस तरह से हैं-
1-जापान, 2-सिंगापुर
3-जर्मनी, दक्षिण कोरिया
4-फिनलैंड, इटली, लग्जमबर्ग, स्पेन
5-ऑस्ट्रिया, डेनमार्क
6-फ्रांस, आयरलैंड, नीदरलैंड, पुर्तगाल, स्वीडन
7-बेल्जियम, न्यूजीलैंड, नार्वे, स्विटजरलैंड, यूनाइटेड किंगडम, यूनाइटेड स्टेट
8-ऑस्ट्रेलिया, चेक रिपब्लिक, ग्रीस, माल्टा
9-कनाडा
10-हंगरी

आज भी सायरा बानो, दिलीप कुमार की उतारती हैं नजर, जानिए इनकी दिलचस्प लवस्टोरी

फिल्मी दुनिया की शानदार अदाकारा सायरा बानो का जन्‍म 23, अगस्त,1944 को मंसूरी में हुआ था. इन्होंने बॉलीवुड इंडस्ट्री में कई एक से बढ़कर एक फिल्म में दी हैं. 17 की उम्र में सायरा ने अपनी पहली फिल्म की थी, जिसमें उनके साथ शम्मी कपूर ने काम किया था और इनके काम को काफी पसंद किया गया था, जिसके चलते वो रातों-रात स्टार भी बन गई थीं. आइए सायरा बानो की जिंदगी से जुड़ी दिलचस्प बाते आपको बताते हैं…

22 साल की सायरा 44 साल के दिलीप कुमार को अपना दिल दे बैठी थीं, जिसके बाद उन्होंने अपनी प्रेम कहानी को शादी के बंधन में बांधकर रिश्ते को और मजबूत बना लिया था. इन दोनों की ही प्रेम कहानी बहुत दिलचस्‍प है. दोनों के बीच इतने सालों का अंतर होने के बाद भी सायरा दिलीप साहब की बेहद दीवानी थीं और वो उनके साथ ज्यादा से ज्यादा वक्‍त बिताना चाहती थीं. शादी के कई सालों के बाद भी आज सायरा दिलीप कुमार की नजर उतारती हैं.

सूत्र के अनुसार जब सायरा से ये सवाल किया गया कि बहुत बार ये सुना गया है कि दिलीप साहब को बचपन से ही काफी जल्दी नजर लग जाती थी, जिसके चलते उनकी दादी पहले उनकी नजर उतरती थीं, फिर उनकी माता और अब क्या आप भी उनकी नजर उतारती हैं?, तो उन्होंने इसका जवाब देते हुए कहा था कि ”बिलकुल, आज भी असल में दिलीप साहब बचपन से बेहद खूबसूरत रहे हैं. आज भी वो वैसे ही खूबसूरत हैं. उनको चाहने वाले दुनिया भर में हैं.”

उन्होंने आगे बताया कि ”आज भी उन्हें बहुत जल्दी नजर लग जाती है. उनकी दादी और मां उनकी नजर कुछ और तरीके से उतारती थीं, क्योंकि किसी फकीर बाबा ने कहा था कि 15 साल की उम्र तक इस बच्चे को बुरी नजर से बचाकर रखना. इसलिए वे उनके माथे पर राख लगा देती थीं, लेकिन मैं उनकी नजर उतारने के लिए उनका सदका करती हूं. जिसमें गरीबों को अनाज और कपड़े देने के साथ उनकी जरूरतों की कुछ और चीजें दे देती हूं.”

खूबसूरत अभिनेत्री सायरा बानो, दिलीप साहब को दीवानों की तरह चाहती थीं, जिसके बारे में जब दिलीप को पता चला तब वो सायरा में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे थे, क्योंकि उस दौरान वो दो बार प्यार में असफल हो चुके थे. बताया जा रहा है कि दोनों की उम्र में काफी अंतर होने के चलते वो कतरा रहे थे, लेकिन उसके बाद भी सायरा ने हार नहीं मानी और तो और उन्हें खुश करने के लिए उन्होंने उर्दू और पर्शियन भाषा तक सीखी. इतना ही नहीं सायरा ने दिलीप साहब को इंप्रेस करने के लिए बहुत सी ऐसी-ऐसी चीजें की, जिससे वो भी सायरा को पसंद करने लगे, जिसके बाद साल 1966 में दोनों ने किसी को भी बताए बिना शादी कर ली.

Republic Day: भारत के संविधान को गैंस चैंबर में रखने की वजह जानते हैं आप?

हमारे देश की सीमाओं की सुरक्षा तो भारतीय सेना करती है। लेकिन सबसे बड़े लोकतंत्र के संविधान की रक्षा कौन करता है ये एक बड़ा सवाल है। सेना के हाथ में तो संविधान की रक्षा नहीं है तो कौन उसकी सुरक्षा में। आज हम आपको संविधान से जुड़ी एक ऐसी रोचक बात बताएंगे जिसके बारे में कम लोग ही जानते होंगे।

कैसे सुरक्षित रखा जाता हैं संविधान?

दुनिया में भारत का ही एक ऐसा संविधान है जो हस्तलिखित है यानि कि कागज पर हाथ से लिखा हुआ। संविधान के इस मूल प्रति के पन्ने पर सोने की पत्तियों वाली फ्रेम बनी है और हर अध्याय के आरंभिक पृष्ठ पर कलाकृति भी की गई है। पहले फलालेन के कपड़े में संविधान की मूल प्रति को रैप करके नेफ्थलीन बॉल्स के साथ रख दिया गया। संसद भवन के पुस्तकालय में साल 1994 में इसे वैज्ञानिक विधि से प्रिपेयर किए गए चेम्बर में सेफ्टी के साथ रख दिया गया।

क्यों किया जाता हैं ऐसा?

दरअसल, ऐसा करने से पहले यह देखा गया कि दुनिया में अन्य संविधानों को कैसे सुरक्षित रखा गया है। जानकारी मिली कि अमेरिकी संविधान सबसे सुरक्षित है। वॉशिंगटन के लाइब्रेरी ऑफ कांग्रेस में इस एक पेज के संविधान को हीलियम गैस के चेम्बर में रखा गया। इसके बाद गैस चेम्बर बनाने की पहल हुई अमेरिका के गेट्टी इंस्टीट्यूट और भारत की नेशनल फिजिकल लेबोरेटरी के साथ ही भारतीय संसद के बीच करार के बाद। वैसे भारतीय संविधान की साइज की बात करें तो ये बड़ा और भारी है ऐसे में चेम्बर बड़ा हो गया जिससे कई कोशिशों के बाद भी हीलियम गैस को रोका नहीं जा सका। तब जाकर नाइट्रोजन गैस का चेम्बर तैयार किया गया।

किस गैस से कागजों को रखा जाता सुरक्षित?

संविधान की मूल प्रति की कागजों को सेफ्टी से रखने के लिए ऐसी गैस की जरूर थी जो कि इनर्ट यानी कि नॉन-रिएक्टिव हो। नाइट्रोजन गैस ऐसा ही है। भारतीय संविधान को काली स्याही से लिखा गया है ऐसे में ये आसानी से उड़ सकती थी यानि कि ऑक्सीडाइज हो सकती थी। ह्युमिडिटी 50 ग्राम प्रति घन मीटर के करीब रखने की जरूरत थी इसको बचाने के लिए और इसके लिए बनाया गया एयरटाइट चेम्बर जिसमें ह्युमिडिटी मेन्टेन रखने के लिए गैस मॉनिटर्स लगा दिए गए।

चेम्बर की नाइट्रोजन गैस हर साल खाली की जाती है और संविधान की सुरक्षा को बड़ी बारीकी से परखा जाता है। इस चेम्बर की हर दो महीने में चेकिंग भी की जाती है और इस पर सीसीटीवी कैमरे से लगातार निगरानी की जाती है।