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यहां इस्तेमाल किये जा रहे हैं आपके कूड़ेदान में फेंके गए मास्क, रोंगटे खड़े कर देगी हकी...

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कोरोना काल में मास्क तो हमारे डेली रूटीन का एक अभिन्न हिस्सा बन चुका है. बाहर जाते वक्त, किसी से बात करते वक्त, काम करते वक्त हर समय एक मास्क ही हमारा प्रोटेक्टिव शील्ड है जो हमें इस महामारी से बचा सकता है. सरकार ने कोरोना से अल्ट्रा सेफ्टी के लिए हर महीने अपना मास्क बदलने की सलाह दी है. साथ ही इसको डिस्पोज करने की गाइडलाइन्स केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (Central Pollution Control Board) ने भी जारी की हैं.

लेकिन इसके बावजूद कुछ लोग ऐसे ही अपना मास्क कूड़ेदान में फेंक दे रहे हैं. पर क्या आपको इस बात का जरा भी अंदाजा है कि आपके इन फेंके गए मास्क का कितना खतरनाक उपयोग हो रहा है ? नहीं न, आइये हम बताते हैं.

डिस्पोजेबल मास्क की असल सच्चाई

काफी लोग सोशल मीडिया पर मास्क को सही तरीके से लोगों से डिस्पोज करने की अपील करते दिख रहे हैं. इसके पीछे एक बहुत बड़ी वजह सामने आई है. दरअसल आपको ये जानकर एक गहरा धक्का लगेगा कि मास्क को बेचने में एक बड़ी धांधलेबाजी हो रही है. कई लोग इन डिस्पोजेबल मास्क को गरीबों में बेचकर मोटा मुनाफा कमा रहे हैं. इन डिस्पोजेबल मास्क को धांधलेबाज किफायती या कम दामों में बेचकर गरीबों को दे देते हैं. और इन सब से अनजान गरीब व्यक्ति मास्क को पहनकर अपने काम पर चले जाते हैं.

लाखों बीमारियों का मंडरा रहा खतरा

इस मास्क को पहनने से गरीबों में कोरोना से बचने के बजाय सबसे ज्यादा इस महामारी की चपेट में आने की आशंका रहती है. सिर्फ कोरोना ही नहीं इसे पहनने से वे अन्य गंभीर बीमारियों से भी ग्रसित हो सकते हैं. साथ ही इससे देश में कोरोना की रफ़्तार दोगुनी स्पीड पकड़ सकती है. इस बात से अनजान मास्क खरीदने वाला व्यक्ति किसी दूसरे व अपने आसपास के लोगों में भी ये संक्रमण फैला सकता है. साथ ही लगातार मास्क लगाये रहने से उस व्यक्ति के शरीर में ये बीमारी और भी गंभीर रूप ले सकती है.

क्या है इससे बचने का उपाय ?

इन सभी से बचने के लिए मास्क को कूड़ेदान में फेंकने से पहले उसे बीच से दो टुकड़ों में काट दें. इसके अलावा मास्क में अगर दो डोरियां लगी हो तो पहले नीचे की डोरी खोलें. ऊपर की डोरी पहले खोलने पर मास्क पलट कर चेहरे या गर्दन पर लग जाएगा, जो खतरनाक हो सकता है.अगर इलास्टिक लगा है तो ध्यान से खींच कर उतारें. ध्यान रहे कि मास्क का रिबन या इलास्टिक पकड़ कर ही मास्क उतारना है. इसके अलावा मास्क को कहीं भी डिस्पोज न कर दें. इसे पहले तीन दिन पेपर बैग में रखें और फिर इसे काटकर सूखे कचरे में डाल सकते हैं.

कभी बलात्कार, तो कभी नरसंहार! क्या है कंगारू अदालतें जिनके अजीबोगरीब आदेश आज भी लोगों...

हाल ही में पश्चिम बंगाल के वीरभूम जिले में एक आदिवासी महिला के गैरजातीय युवक के साथ अवैध संबंध रखने के जुर्म में उसके साथ गैंगरेप के आदेश की घटना ने इंसानियत को शर्मसार कर दिया है. हैरानी की बात तो ये है कि कानून को ही कटघरे में खड़ा करने वाला ये आदेश किसी न्यायपालिका द्वारा नहीं बल्कि कंगारू अदालत की ओर से दिया गया. अब मन में सवाल ये उठता है कि देश में सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ट व अन्य निचली अदालतों के अलावा ऐसी कौन सी अदालत है जिसका आदेश देश के एक तबके के लिए उच्च न्यायालय से भी सुप्रीम है. ये कौन सी अदालत है जिसके बारे में न ही कोई स्कूली शिक्षा में जिक्र किया गया और न ही किसी किताब में इसका वजूद दिखता है. तो आइये जानें क्या है कंगारू कोर्ट्स जो कुछ लोगों के लिए आज भी तमाम कानूनों से बढ़कर है.

क्या है कंगारू कोर्ट ?

दरअसल इस तरह की अदालतें देहाती इलाकों में आयोजित की जाती हैं. इसे स्थानीय भाषा में सालिसी सभा भी कहा जाता है. ये अदालत कानून या न्याय के मान्यता प्राप्त मानकों की अवहेलना करता है. इन अदालतों में अभियुक्त के खिलाफ निर्णय पहले से ही आधारित होता है. इन अदालतों के फैसले असंवैधानिक और गैर कानूनी होते हैं. ये अपनी मन मर्जी से चलते हैं. उदाहरण के तौर पर किसी छोटे मोटे जुर्म के लिए ये अदालत किसी भी महिला को बदचलन बता देते हैं. या सामूहिक बलात्कार का आदेश दे देते हैं. कभी भी महिला की पिटाई करने वाले पुरुष को पेड़ों से बांधकर बदले में उसकी पिटाई करने का आदेश दे दिया जाता है.

पश्चिम बंगाल में ज्यादा सक्रिय

ये अदालतें सबसे ज्यादा पश्चिम बंगाल में सक्रिय हैं. कई सरकारें आई और गयीं लेकिन इन अदालतों की जमीनी हकीकत नहीं बदली. तमाम राजनेता लोगों से इस सिस्टम को जड़ से उखाड़ने का चुनावी वादा करते हैं लेकिन असल हकीक़त तो ये है कि इन्हीं राजनेताओं के संरक्षण में इस तरह की अदालतें पल रही हैं. आये दिन इन ढोंगी अदालतों के तुगलकी फरमान जारी होते रहते हैं जिनमें हत्या और बलात्कार जैसे आदेश शामिल है. लेकिन इसके बावजूद ये आदेश देने वाले बच जाते हैं. गौरतलब है कि साल 2011 में कोर्ट पहले ही इन अदालतों को गैर कानूनी घोषित कर चुका है. लेकिन उच्च न्यायालय के आर्डर के बावजूद उनकी नाक के नीचे ही कंगारू अदालत आये दिन कानून की अवहेलना करने वाले आदेश जारी करती रहती हैं.

तमाम घटनाएं हैं उदाहरण

वर्तमान में बंगाल के बीरभूमि जिले में एक आदिवासी महिला के साथ गैंगरेप का आदेश इसका सबसे ताजा उदाहरण है. इससे पहले ओडिशा के मयुरभंज में ऐसी घटना सामने आई थी जहां अलग-अलग समुदायों के एक लड़के और एक लड़की के बीच प्रेम संबंध के विरोध में उनका कथित तौर पर सिर मुड़ाकर उन्हें सड़कों पर घुमाया गया. ऐसा ही कुछ राजस्थान में एक युवती के बचपन की शादी विरोध करने पर हुआ था जिसके बाद कंगारू अदालत ने उस पर 16 लाख रूपए का जुर्माना लगाया तथा उसके परिवार को समाज से बहिष्कृत कर दिया था. यही नहीं एक बार बंगाल के बीरभूम जिले में 75 साल के एक वृद्ध की दसों अंगुलियां काट दी गईं थी क्योंकि गांव वालों ने उस पर जादू टोना का आरोप लगाया था.

सदियों पुरानी है ये परंपरा

कुछ जानकारों की मानें तो इन अदालतों का चलन भारत में अंग्रेजों के शासन काल से भी पहले से चला आ रहा है. इस दौरान भारतीय दंड संहिता लागू होने के बावजूद स्थानीय पंचायतें, राजा और जमींदार समानांतर न्याय व्यवस्था चलाते हुए तमाम विवादों का निपटारा करते थे. उनका फैसला पत्थर की लकीर के समान होता था. लेकिन 21वीं सदी में ऐसी अदालतें समाज के लिए किसी धब्बे से कम नहीं है. जहां देश एक तरफ प्रगतिशील विचारधारा की ओर तेजी से कदम बढ़ा रहा है, वहीं दूसरी तरफ समाज के एक वर्ग की ऐसी सोच और हरकतें देश को गहरी खाई की ओर धकेलने में लगी हुई हैं. फ़िलहाल, पुलिस, प्रशासन और सरकार की सख्ती के बिना इन पर अंकुश लगाना संभव नहीं है.

गणेश चतुर्थी के दिन गलती से भी नहीं देखना चाहिए चांद, जानिए क्यों माना जाता है अशुभ?

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आज देशभर में गणेश चतुर्थी का त्योहार मनाया जा रहा है. गणपति बप्पा आज लोगों के घरों में विराज रहे हैं. पौराणिक मान्‍यताओं के मुताबिक भाद्र मास के शुक्‍ल पक्ष की चतुर्थी को गणेश जी का जन्म हुआ था. इस साल आज यानी 22 अगस्त को ये त्योहार मनाया जा रहा है. हर साल देशभर में गणेशोत्सव का त्योहार धूमधाम से मनाया जाता है. इस साल भी गणेश चतुर्थी को लेकर उत्साह का माहौल है. हालांकि इस बार सभी त्योहारों की तरह गणेश चतुर्थी पर भी कोरोना वायरस का असर पड़ता हुआ दिखाई दे रहा है.

देशभर में मनाई जा रही गणेश चतुर्थी

भाद्रपास के शुक्ल पक्ष में शुरू होने वाला ये त्योहार 10 दिनों तक यानी अनंद चौदस तक चलता है. चतुर्थी के दिन गणपति बप्पा लोगों के घरों में पधारते हैं और 10 दिनों बाद विदा करके विसर्जन किया जाता है. हालांकि आजकल कई लोग दो से तीन दिनों में भी विसर्जन कर देते हैं.

किसी भी पूजा या फिर शुभ कार्य से पहले गणपति बप्पा का नाम लिया जाता है. ऐसी मान्यता है कि जिन घरों में गणेश जी का स्वागत किया जाता है और 10 दिनों तक श्रद्धा से पूजा की जाती है, उन घरों में बप्पा की विशेष कृपा होती है. गणपति बप्पा उनके सभी दुख दूर कर लेते हैं.

गणेश चतुर्थी के दिन नहीं करने चाहिए चांद के दीदार

गणेश चर्तुशी को लेकर कई तरह की मान्यताएं है. इनमें से एक ये भी है कि गणेश चतुर्थी के दिन गलती से भी चांद को नहीं देखना चाहिए. इन दिन चांद का दीदार करना अशुभ माना जाता है. ऐसा माना जाता है कि गणेश चतुर्थी के दिन जो भी व्यक्ति चांद देखता है, उस पर झूठा आरोप लगता है. आइए आपको बताते हैं कि गणेश चतुर्थी के दिन चांद ना देखने की वजह और इसके पीछे की कहानी क्या है…

ये है इसके पीछे की कहानी…

मान्यताओं के अनुसार जब गणपति बप्पा ने पृथ्वी की सबसे पहले परिक्रमा की थी, तो प्रथम पूज्म कहलाए. सभी देवी-देवताओं ने उनकी वंदना की, लेकिन तब चंद्रमा मंद-मंद मुस्कुराएं. दरअसल, चांद को अपने सौंदर्य पर घमंड हो रहा था. चंद्रमा ने गणेश जी की बाकी देवताओं की तरह पूजा नहीं की, जिसकी वजह से उनको चांद पर गुस्सा आया और उन्होनें गुस्से में चांद को श्राप दे दिया कि आज से तुम काले हो जाएगा. फिर चंद्रमा को अपनी गलती का एहसास हो गया और तुरंत ही गणेश जी से माफी मांग ली. जिसके बाद गणेश जी ने कहा कि जैसे-जैसे सूर्य की किरणें तुम पर पड़ेगीं, तो तुम्हारी चमक लौट आएगी.

गणेश चतुर्थी के दिन चांद को ना देखने की ये वजह बताई जाती है. हालांकि अगर आपने गलती से भी चांद को देख लिया है, तो परेशान ना हो. भूल से अगर चांद को देख लें तो एक खास मंत्र का जाप कर लेना चाहिए, जो इस प्रकार है-

‘सिंह: प्रसेन मण्वधीत्सिंहो जाम्बवता हत:. सुकुमार मा रोदीस्तव ह्येष:स्यमन्तक:।।’

विवादों के बाद संजीव कुमार की हुई TCIL के चेयरमैन के रूप में नियुक्ति, दूरसंचार विभाग...

सार्वजनिक उद्यम चयन बोर्ड (PESB) ने मंगलवार को साक्षात्कार प्रक्रिया के बाद दूरसंचार कंसल्टेंट्स इंडिया लिमिटेड (TCIL) का नेतृत्व करने के लिए महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड (MTNL) में तकनीकी निदेशक संजीव कुमार का चयन किया.

दूरसंचार विभाग ने दी जानकारी

इस बारे में दूरसंचार विभाग ने कहा कि “उनकी वरिष्ठता, आयु प्रोफ़ाइल, उपयुक्तता, अनुभव, शैक्षणिक पृष्ठभूमि, प्रबंधकीय क्षमताओं, नेतृत्व, और व्यापक दृष्टि के संबंध में साक्षात्कार के दौरान उम्मीदवारों के प्रदर्शन को ध्यान में रखते हुए, खोज-सह-चयन समिति ने, एक अधिसूचना में एमटीएनएल के निदेशक (तकनीकी) संजीव कुमार के टीसीआईएल के लिए अध्यक्ष-सह-प्रबंध निदेशक की नियुक्ति के लिए सिफारिश की.”

साल 2016 से कर रहे थे काम

बता दें कि साल 2016 से कुमार MTNL में निदेशक (तकनीकी) के तौर पर काम कर रहे हैं. कुमार को टीसीआईएल के सीएमडी के पद पर नियुक्ति के लिए साक्षात्कार में आए आठ उम्मीदवारों की सूची में से चयन पैनल द्वारा चुना गया है. इस सूची में तीन उम्मीदवार नरेंद्र जैन निदेशक (वित्त),कामेंद्र कुमार, निदेशक (तकनीकी), अतुल कुमार रस्तोगी, कार्यकारी निदेशक, टीसीआईएल;  देवेंद्र कुमार अग्रवाल, सीनियर जीएम, रमाकांत शर्मा, सीजीएम, बीएसएनएल; से और एक उम्मीदवार प्रशांत राव, निदेशक (सिस्टम, इलेक्ट्रिकल एंड रोलिंग स्टॉक) गुजरात मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (जीएमआरसीएल) से थे.  सूत्रों की मानें तो भारतीय दूरसंचार सेवा (ITS) लॉबी बोर्ड और DoT द्वारा अपनाई गई स्क्रीनिंग प्रक्रिया से नाखुश थी क्योंकि कुछ अधिकारियों का नाम शॉर्टलिस्ट में नहीं लिया गया था, और उनमें से एक जोड़ी विवादास्पद नियुक्ति को चुनौती देने की योजना बना रही है.

क्या है TCIL?

दूरसंचार कंसल्टेंट्स इंडिया लिमिटेड (टीसीआईएल) संचार मंत्रालय के दूरसंचार विभाग के प्रशासनिक नियंत्रण के तहत एक मिनीरत्न पीएसयू है. ये एक प्रमुख प्रीमियर टेलीकम्युनिकेशंस और इंजीनियरिंग कंपनी है जो अनुकूल विकासशील देशों को अपनी विशाल और विविध दूरसंचार विशेषज्ञता उपलब्ध करा रही है. इस कंपनी ने अपनी दूरसंचार कंसल्टेंसी और टर्नकी परियोजनाओं के निष्पादन सेवाओं को भारत में दूरसंचार ऑपरेटरों, थोक उपयोगकर्ताओं और अन्य लोगों और मध्य पूर्व, अफ्रीका, दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया के 80 अन्य देशों में विस्तारित किया है.

टीसीआईएल की सफलता की कहानी इसके गुणवत्ता प्रबंधन और परियोजना निष्पादन में उत्कृष्टता के लिए निहित है. कंपनी की ऑर्गेनिक और इनऑर्गेनिक वृद्धि के कारण इसका स्टैंडअलोन और ग्रुप टर्नओवर कई गुना बढ़ गया है. इसकी सफलता के पीछे TCIL के निदेशक (तकनीकी) कामेंद्र कुमार का भी बहुत बड़ा हाथ है.

World Mosquito Day : क्या आप जानते हैं एक छोटा सा मच्छर ले सकता है आपकी जान, बचाव के ...

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कानों के पास आकर भीन-भीन आवाज कर अपने होने का एहसास दिलवाने वाले मच्छर हमारी जाने के लिए कितने खतरनाक होते हैं, वो तो आप जानते ही होंगे. घर का कोना हो या फिर बरसात में कोई पानी का भरा ड्रम, मच्छर पनपने लग जाते हैं. जिसके बाद आपकी आमदनी डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया जैसी घातक बीमारी में निकल जाती है, तो फिर क्यों न ये सब जानते हुए हम पहले से ही सर्तक रहें.

आपको शायद इस बात की जानकारी न हो कि दुनियाभर में मच्छर का प्रकोप बड़ी संख्या में लोगों को प्रभावित करता है. जिससे छुटकारा पाने के लिए तरह-तरह के कई अभियान भी चलाए जाते हैं, लेकिन फिर भी हर साल हजारों मलेरिया और डेंगू के केस सामने आते हैं. आपको बता दें कि 20 अगस्त, 1897 में ब्रिटिश डॉ रोनाल्ड रॉस ने इस बात का पता लगाया था कि मच्छर के काटने की वजह से मलेरिया होता है. जिसके बाद से 20 अगस्त के दिन विश्व मॉस्किटो डे के रूप में मनाया जाता है. तो आइए आपको इस मौके पर बताते हैं कि मच्छर के काटने से होने वाली बीमारियों पर कैसे रोकथाम किया जा सकता है.

रिसर्ज की माने तो ऐसा कहा जाता है कि जितना कोई आपदा या दूसरी बीमारियां किसी व्यक्ति को नुकसान नहीं पहुंचाती है उससे कई ज्यादा तो एक छोटे से मच्छर पहुंचाता है. आपको जानकारी के लिए बता दें कि एक छोटा सा मच्छर 1 बार में मानव का 0.1 मिलीमीटर तक खून चूसता है, जिससे डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया जैसी जानलेवा बीमारियां होने की संभावाना होती है.

आंकड़ों के अनुसार मच्छर से होने वाली तरह-तरह की बीमारियों से हर साल लाखों-करोड़ों लोगों की जान जाती है. जिनमें अफ्रीकी देशों में सबसे ज्यादा मृत्यु होती है. बता दें कि मच्छर के काटने से मलेरिया, डेंगू, पीला बुखार, एन्सेफलाइटिस जैसी बीमारियां किसी व्यक्ति की जान तक ले सकता है.

मच्छरों से बचाव के तरीके

अगर आप मच्छरों से खुद का और अपने परिवार का बचाव करना चाहते हैं तो अपने आस-पास न केवल अपने घर में बल्कि पूरे इलाके में साफ-सफाई का पूरी तरह से खासतौर पर ख्याल रखें. घर हो या फिर घर के बाहर की जगह में जलभराव न होने दें. घर के आस-पास की खुली नालियों को तत्काल रूप से बंद करा दें. घर में पानी की टंक्कियों, कूलर और ट्यूब-टायरों में बिल्कुल भी पानी न भरने दें. इसके अलावा खाने-पीने का भी खास ध्यान दें और विटामिन की अधिकता वाले ही फल और खाना खाएं. अगर आपको अपनी तबीयत जरा सी भी खराब लगे तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें.

किराने की दुकान में काम करने वाले सूर्यकांत कैसे बन गए IPL के स्कोरकीपर ?

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कभी कभी जिंदगी पल भर में किस्मत को कुछ यूं जादुई तरीकों से बदलती है कि एक टाइम खुद को भी विश्वास करना थोड़ा मुश्किल सा हो जाता है. कुछ ऐसी ही कहानी इस बार यूएई में होने वाले IPL में स्कोरकीपर बनाये गए शख्स की है. पश्चिम बंगाल के चिनसुरा में रहने वाले इस शख्स के लिए इस बार का IPL उस सपने जैसा है जो हकीकत में बदल जाता है. आपको जानकर काफी हैरानी होगी कि इस बार IPL का स्कोरकीपर अपने जीवन में पहली बार एयरपोर्ट पर कदम रखेगा. आइये जानें कौन है ये शख्स?

किराने की दुकान में करते थे काम

इस शख्स का नाम सूर्यकांत पंडा है. उन्होंने सिर्फ 10वीं तक स्कूली शिक्षा हासिल की है और वे एक कुक के बेटे हैं. बचपन में काम की तलाश में उन्होंने ओडिशा से बंगाल की ओर रुख किया था. बंगाल में उन्होंने एक किराने की दुकान में काम करना शुरू किया. उनकी स्पोर्ट्स की तरफ बचपन से ही रुचि थी लेकिन आर्थिक समस्याओं के चलते वे अपने सपने को कभी पूरा नहीं कर पाए. उनका मन था कि वो क्रिकेटर बनें. हालांकि ऐसा नहीं है कि उन्होंने इसके लिए कोशिश नहीं की. इस समय 32 साल के हो चुके सूर्यकांत ने 2002 से 2003 के दौरान हुगली डिस्ट्रिक्ट एसोसिएशन के मैदान पर कुछ मैच खेले. लेकिन जिम्मेदारियों के चलते वो अपना गेम जारी नहीं रख सके.

मिल चुके हैं कई पुरूस्कार

सूर्यकांत हमेशा क्रिकेट से जुड़ना चाहते थे. वह हुगली जिला खेल संघ में स्कोरिंग करने लगे. 2015 में सीएबी की परीक्षा पास करने के बाद उनका स्कोरर के तौर पर चयन हो गया और फिर सीएबी द्वारा आयोजित अधिकांश मैचों के स्कोरर बन गए. सूर्यकांत को निरंतर प्रयास और दृढ़ संकल्प ने 2018 में सर्वश्रेष्ठ स्कोरर का पुरस्कार दिलाया. सीएबी के सचिव अविषेक डालमिया ने उन्हें पुरस्कृत किया. सूर्यकांत पंडा अपनी सभी उपलब्धियों का श्रेय मेंटर कौशिक साहा और रक्तिम साधु को देते हैं. रक्तिम साधु कहते हैं, ‘यह मेरे लिए बहुत गर्व की बात है. वह सीखने और सिखाने में बेहद रुचि रखता है. मुझे उससे बहुत उम्मीदें हैं.’

सूर्यकांत ने जताई ख़ुशी

हुगली डिस्ट्रिक्ट स्पोर्ट्स एसोसिएशन के संयुक्त सचिव विकास मल्लिक ने कहा, ‘पूरे हुगली स्पोर्ट्स एसोसिएशन को उनकी उपलब्धि पर गर्व है. वह खुद की मेहनत से यहां तक पहुंचा है. मुझे तब ज्यादा खुशी होगी, जब वह बीसीसीआई की परीक्षा पास कर लेगा. उसे देखकर कई अन्य भी प्रेरित हो सकते हैं.’ बता दें कि सूर्यकांत 19 अगस्त को बेंगलुरु और फिर 27 अगस्त को दुबई के लिए उड़ान भरेंगे. IPL के मुकाबले 19 सितंबर से 10 नवंबर तक खेले जायेंगे. उन्होंने कहा, ‘मैं फुटबॉलर बनना चाहता था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. जब उन्होंने (सूर्य) मुझे बताया कि वह आईपीएल के लिए चुने गए हैं, तो मैं बहुत खुश हुआ. मैं उन्हें अपने कर्मचारी के रूप में कभी नहीं देखता, वह मेरे लिए भाई या दोस्त की तरह हैं.’

अब डॉक्टर को मेडिकल हिस्ट्री के पर्चे देने से मिलेगी छुट्टी! केंद्र सरकार के इस मिशन ...

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हाल ही में स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से पीएम मोदी ने अपने भाषण में कई चीजों का जिक्र किया था. जिसमें नेशनल डिजिटल हेल्थ मिशन की भी एलान किया गया था. पीएम ने इस मिशन को डिजिटल इंडिया की दिशा में एक बड़ा कदम बताया था.

पीएम ने इस बारे में पूरी ब्रीफिंग तो नहीं दी लेकिन एक संकेत देते हुए ये जरूर बताया था कि कैसे इस मिशन के जरिये सरकार की पूरा मेडिकल सेक्टर ऑनलाइन करने की योजना है. पीएम का कहना था इसके जरिये डॉक्टर-मरीज से लेकर क्लिनिक, अस्पताल और मेडिकल स्टोर ऑनलाइन हो जायेंगे. आइये जानें केंद्र सरकार का ये डिजिटल हेल्थ मिशन आपकी जिंदगी पर कैसे प्रभाव डालेगा.

आईडी कार्ड से पता चलेगी मेडिकल हिस्ट्री

इस मिशन के तहत आपको एक यूनिक आईडी कार्ड यानि पहचान पत्र दिया जाएगा. ये बिल्कुल आधार कार्ड की तरह होगा. इस आईडी कार्ड की मदद से पेशेंट की पूरी मेडिकल हिस्ट्री पता की जा सकेगी. इससे पेशेंट को ये फायदा होगा कि देश के किसी कोने में इलाज कराते समय पेशेंट को किसी जांच रिपोर्ट या पर्ची की जरूरत नहीं होगी.

आपकी हेल्थ की सारी जानकारी इस आईडी कार्ड में पहले से स्टोर होंगी. डॉक्टर को आपकी पूरी हेल्थ कुंडली पता चल सकेगी कि आप पहले कौन सी बीमारी की चपेट में आ चुके हैं. और आपने कहां इलाज कराया है.

नहीं रखनी पड़ेंगी पर्चियां

इससे पहले मरीज को अपना डेटा रखने के लिए तमाम पर्चियां रखनी पड़ती थी. लेकिन इस मिशन के जरिये अब इन पर्चियों को रखने की झंझट से छुटकारा मिलेगा. हर मरीज का पूरा डेटा रखने के लिए अस्पताल, क्लीनिक और डॉक्टर्स को एक सेंट्रल सर्वर से लिंक किया जाएगा.

मतलब इस मिशन में अस्पताल, क्लिनिक और डॉक्टर भी रजिस्टर होंगे. फ़िलहाल सरकार इसे सबके लिए अनिवार्य करने की प्लानिंग नहीं कर रही है. सरकार की कोशिश है कि धीरे धीरे इसको सिस्टम में लाया जाए. इससे स्वास्थ्य रिकॉर्ड रखने में आसानी होगी. बिल और डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन की भी झंझट नहीं रहेगी.

ऑनलाइन और ऑफलाइन मिलेंगे विकल्प

अभी तक दवा लेने के लिए आपको डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन की जरूरत पड़ती थी. ऑनलाइन दवा लेने के लिए भी आपको डॉक्टर का ऑनलाइन पर्चा अपलोड करना पड़ता था. लेकिन अब इसकी कोई जरूरत नहीं होगी. ऑनलाइन दवा लेने के लिए अब सिर्फ आपको हेल्थ आईडी की जरूरत पड़ेगी. और इसे डालते ही आपकी सारी जानकारी फार्मेसी के पास चली जायेंगी.

और आपके घर इसकी ऑनलाइन डिलीवरी हो जायेगी. इसके अलावा ऑफलाइन भी दवा लेने के लिए आपको सिर्फ अपनी आईडी बतानी पड़ेगी. इसके अलावा हर मेडिकल स्टोर को भी इस मिशन से जोड़े जाने की प्लानिंग है ताकि हर मेडिकल स्टोर पर ये प्रिस्क्रिप्शन आसानी से एक्सेस किया जा सके.

सबसे जुदा है NaMo स्टाइल, ऐसा फैशन सेंस जो सबको दीवाना बना दे

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पीएम मोदी आज 17 सितंबर को अपना 69वां जन्मदिन मना रहे हैं। ये आज के समय में एक ऐसी शख्सियत बन चुके हैं जिनके कपड़ों से लेकर बोलने का स्टाइल भी फैशन स्टेटमेंट बन चुका है। एक ऐसे प्रखर वक्ता जिनकी हर चाल में एक स्टाइल है। मौजूदा दौर में उनके सादगी भरे परिधान भी देश में ही नहीं बल्कि विदेश में भी खूब पॉपुलर हैं। तो आज उनके जन्मदिन पर हम बात करते हैं नमो के फैशन स्टाइल की  जो थोड़ा हटके है।

भारत में लाए हाफ स्लीव कुर्ते का ट्रेंड 

भारत के पहले पीएम जवाहरलाल नेहरू के बाद देश में फैशन की फ़िज़ाएं  घोलने वाले दूसरे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही हैं। इनकी बदौलत ही देश में हाफ स्लीव कुर्ते का ट्रेंड लाइमलाइट में आया है। पहले भारत की जनता आधी बाजू के कुर्ते पहनने से कतराती थी। लेकिन इन सबसे जुदा मोदी को इस बात से कोई ख़ास फर्क नहीं पड़ता था। वे आधी बाजू के कुर्ते पहन ज्यादातर राजनैतिक समारोह में हिस्सा लेते रहते हैं। और आज आलम ये है कि इस स्टाइल के कुर्ते ने फैशन जगत में खलबली मचा रखी है। हर कोई मोदी कुर्ता का दीवाना है।

इस वजह से ट्रेंड में आया मोदी कुर्ता 

एक बार किसी इंटरव्यू में पीएम मोदी ने इस आधी बांह के कुर्ता पहनने की कहानी साझा की थी। उन्होंने बताया था कि वो अपने कपड़े हमेशा खुद धोते हैं। ऐसे में पूरी बांह का कुर्ता धोने में अधिक समय की बर्बादी होती थी। जिस वजह से उन्होंने कुर्ते की स्लीवस काटने की सोची। इससे इंसान कम्फर्टेबल भी रहता है और कपड़े धोने में ज्यादा समय भी व्यर्थ नहीं जाता। तो मोदी के कपड़े धोने की आदत ने मोदी कुर्ते को जन्म दिया। इसके अलावा मोदी के मास्क, टीशर्ट और बैज जैसी चीज़ें भी समय समय पर मार्केट में देखी गईं।

पगड़ियां जीतती हैं दिल

पीएम मोदी की कुर्ते के साथ अद्भुत पगड़ियां एक माहौल में अलग ही छटा बिखेरती हैं।  लोकसभा चुनावों के दौरान चुनावी प्रचार प्रसार में उनको अलग अलग राज्यों में कई प्रकार की पगड़ियां बांधे हुए देखा गया। कभी वो रंग बिरंगी पगड़ी में नज़र आते हैं। उनकी स्टाइलिश हैट मीडिया में कई बार सुर्खियां बटोरती देखी गईं हैं। ये जहां रहते हैं वहीं के माहौल में ढल जाते हैं।  इन्हें विदेशों में कई बार कोट पैंट में भी देखा गया। उनके जूते युवाओं में काफी लोकप्रिय है।

दवाइयों को कहें NO! ये आसान घरेलु टिप्स चमकदार बना देंगे आपका चेहरा

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बरसात के मौसम में सबसे ज्यादा दिक्कत हमारी स्किन से जुड़ी होती है। क्योंकि बरसात में कई तरह के कीड़े मकोड़े निकलने लगते है। गंदा पानी जमा हो जाता है और उस पानी के कारण कई तरह की बीमारियां फैलने लगती है। लेकिन इसमें बड़ी चिंता होती है स्किन की देखभाल। आज हम आपको स्किन की देखभाल करने के लिए कुछ घरेलू टिप्स बताने जा रहे है।

1 – हमारी त्वचा को ग्लोंइंग बनाने के लिए सबसे जरूरी है हमारे शरीर में पानी की अधिक मात्रा का होना। पानी हमारे शरीर की कोशिकाओं को आसानी से हील करता है। और हमारी त्वचा में होनी वाली परेशानी को दूर करता है। इसके लिए जरूरी है कि आप रोजाना कम से कम 4 से 5 लीटर पिएं।

2 – कम से कम 8 घंटे की नींद ले- नींद हमारी सेहत और स्किन के लिए सबसे जरूरी है। अगर आप कम सोते है तो आपके शरीर की ऊर्जा कम होने लगती है और मेलेनिन बढ़ने लगता है जिससे आपकी स्किन डार्क होने लगती है। तो कोशिश करें कि कम से कम 6 से 8 घंटे की नींद जरूर लें।

3 – नींबू का इस्तेमाल अपने खाने में जरूर करें – नींबू आपके शरीर को ग्लो करने में अहम भूमिका निभाता है। नींबू में विटामिन सी होता है जो स्किन को आसानी से हील करता है। ये हमारी स्किन के रोमछिद्रो को खोलता है जिससे त्वचा में आसानी से ऑक्सीजन का प्रवेश होता है। ये हमारी त्वचा के लिए काफी उपयोगी है।

4 – ग्रीन टी पियें – अगर आप चाय कॉफी पीने के शौक़ीन है तो उसे छोड़ कर ग्रीन टी का इस्तेमाल करें। क्योंकि चाय और कॉफी में मौजूद कैफीन आपके शरीर को नुकसान पहुंचाता है। उसके कारण नींद न आने की समस्या हो जाती है।

5 – ओमेगा थ्री एसिड युक्त चीजे खाएं – ओमेगी थ्री एसिड युक्त चीजों का इस्तेमाल आपको हमेशा जवान रख सकता है। इसके कारण आपकी स्किन मे झुर्रियां नहीं पड़ती है। टैनिंग नहीं होती है और ग्लोंइंग होती है।

6 – टमाटर का इस्तेमाल करें – टमाटर में जिंक और विटामिन सी मौजूद होता है। कच्चा टमाटर खाना आपके पेट के लिए काफी फायदेमंद होता है।अगर आप रोजाना कच्चा टमाटर खाते है तो आपके स्किन का ग्लो बढ़ने लगेगा। टमाटर के पेस्ट को फेस पर लगाने से बड़े से बड़ा पुराना दाग भी साफ हो जाता है।

7 – दालों का इस्तेमाल करें – दाल आपके स्किन के लिए ही नही बल्कि आपकी आंखो की रोशनी बढ़ाने में भी काफी मददगार होती है। दाल हमारे शरीर में नई कोशिका बनाती है। अगर आप रोजाना दाल पीते है तो आपकी स्किन का ग्लो बढ़ेगा।

इसके अलावा बिना वजह धूप में न निकलें। रोजाना रात को सोने से पहले आप अपना मुंह जरूर धोएं। इन रेमेडी से आप अपनी स्किन को हमेशा सुरक्षित रख सकते है।

उपयुक्त जानकारी रिसर्च के माध्यम से ली गई है नेड्रिक न्यूज इसकी सत्यता की पुष्टि नहीं करता है।

एंड्रॉइड यूजर्स के साथ बड़ी धोखाधड़ी कर रही हैं ये 23 एप्स, इन्हें तुरंत करें फोन से अल...

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एंड्रॉइड यूजर्स का ऑपरेटिंग सिस्टम आसान होने के चलते कई एप मेकर्स इसका भरपूर फायदा उठाते हैं. इसलिए किसी भी नई एप को इंस्टाल करते टाइम ये एंड्रॉइड यूजर्स के लिए किसी रिस्क से कम नहीं होता. क्योंकि ये जानना मुश्किल है कि कब कौन सी एप आपके प्राईवेट डेटा पर नजर रख रही हो. इन्हीं सब को देखते हुए 23 ऐसी मोबाइल एप्स को खतरनाक एप्स की लिस्ट में डाला गया है जो आपको बिना भनक देते हुए आपका सारा डेटा धीरे धीरे उड़ाती रहती हैं. इस बात का यूजर्स को पता भी नहीं चल पाता क्योंकि ये एप्स अपना काम बड़ी ही सफाई से करती हैं. ऐसे में अगर आपने भी इन 23 एप्स में से कोई एप डाउनलोड कर रखी हो तो उसे अब फोन से अलविदा कहने का वक्त आ गया है.

साइबर सिक्यॉरिटी के रिसर्चर्स ने किया खुलासा

इस बात का खुलासा साइबर सिक्योरिटी और सॉफ्टवेयर फर्म Sophos के रिसर्चर्स ने किया है. उनकी रिपोर्ट के मुताबिक ये सभी फ्लेसवेयर एप्स है और इन्होने गूगल प्ले स्टोर की पालिसी का उल्लंघन किया है. एक रिसर्चर बताते हैं कि गूगल के नए नियमों में बदलाव लाया गया है ताकि वो फेक और भ्रामक मार्केटिंग डिस्प्ले कॉपी पकड़ सके. लेकिन अभी भी इसमें कुछ खामियां है. जिसकी मदद से कुछ खतरनाक काम किये जा सकते हैं.

किसे कहते हैं फ्लेस्वेयर एप्स ?

फ्लेसवेयर भी एक मोबाइल एप्लीकेशन है, लेकिन इसमें सब्सक्रिप्शन फीस छिपी होती है. इन एप्स के जरिये उन यूजर्स का फायदा उठाया जाता है जिनको पता नहीं होता कि इस सब्सक्रिप्शन को कैंसल करना है. और ये एप सब्सक्रिप्शन ख़त्म होने के बाद यूजर्स के अकाउंट से भारी भरकम राशि काट लेते हैं. ये बिना किसी सूचना के आधार पर किया जाता है. पहले ये फ्री ट्रायल के नाम पर सारी बैंकिंग डीटेल्स ले लेते हैं. फिर फ्री सब्सक्रिप्शन की अवधि ख़त्म होते ही उतना पैसा काट लेते हैं. सबसे बड़ी धोखेबाजी तो ये है कि सब्सक्रिप्शन के दौरान न ही इसकी राशि बताई जाती है और न ही इसके ख़त्म होने का टाइम पीरियड बताया जाता है.

टर्म्स एंड कंडीशंस के नाम पर धोखा

दूसरा तरीका इन एप्स का ऐसे टर्म्स एंड कंडीशंस पेश करना होता है जिसको पढ़ना लगभग नामुमकिन सा होता है. कई बार तो बिना परमिशन लिए ही ये एप्स अपना काम करना शुरू कर देती हैं. ये सारी चीजें फ्रॉड की कैटेगरी में आती हैं. इसलिए इन 23 एप्स को तुरंत अपने फोन से हटा लें क्योंकि ये एप भी बिलकुल ऐसा ही फ्रॉड आपके साथ कर रही हैं.

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