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48 साल पहले भी थमी थी रेलवे की रफ़्तार, सेना बुलाने की आ पड़ी थी नौबत

भारत में कोरोना वायरस के प्रकोप को देखते हुए रेलवे ने सभी ट्रेनें कैंसल कर दी हैं, 31 मार्च की रात 12 बजे तक कोई भी ट्रेन नहीं चलेगी. ये कदम सोशल डिसटेंसिंग मेंटेन करने के लिए उठाया गया है. मालगाड़ियों के अलावा सभी ट्रेन रद्द हो चुकी हैं. देखा जाए तो पूरे देश में लॉक डाउन की स्थिति आ चुकी है. रेलवे के इस फैसले जॉर्ज फर्नांडिस के नेतृत्व में 1974 की याद दिला दी जब रेलवे में हुई हड़ताल से पूरे देश की रफ़्तार थम गई थी.

ये थी हड़ताल की वजह

दरअसल हड़ताल रेल कर्मचारियों की सैलरी न बढ़ाने की वजह से हुई थी. दरअसल उस दौर में तीन वेतन आयोग लागू हुआ था लेकिन इसके बावजूद कर्मचारियों की सैलरी में कुछ ख़ास इजाफा नहीं किया गया था. इसके अलावा हड़ताल की दूसरी वजह काम के घंटों की मांग कम करने की थी. 1973 में जॉर्ज फ़र्नांडिस आल इंडिया रेलवे मैन्स फेडरेशन के अध्यक्ष बने थे. इन्हीं के नेतृत्व में 8 मई 1974 में रेल कर्मचारियों ने हड़ताल शुरू की थी. दरअसल उस दौरान रेलवे स्टाफ को लगातार काम करना पड़ता था. जिस वजह से वो चाहते थे कि उनके काम करने के घंटे घटाए जायें.

15 लाख लोग हुए थे शामिल

हैरानी की बात तो ये थी कि इस हड़ताल में करीब 15 लाख लोग शामिल थे. जॉर्ज फ़र्नांडिस द्वारा शुरू की गई इस हड़ताल में धीरे धीरे कई यूनियनें भी जुड़ती चलीं गयीं. जिस वजह से ये हड़ताल काफी बड़ी होती चली गई. इस बात में भी सच्चाई की जॉर्ज फ़र्नांडिस की नेशनल लेवल के नेताओं में गिनती इस हड़ताल के विशालकाय रूप लेने के बाद ही हुई थी.

इंदिरा गांधी ने इस वजह से ही लगायी थी इमरजेंसी

बताया जाता है कि इस हड़ताल का आधार ले कर ही तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी ने पूरे देश में इमरजेंसी घोषित कर दी थी. इस हड़ताल को दबाने के लिए कांग्रेस सरकार ने लाखों लोगो को जेल में डाल दिया था. जिसके बाद रेल कर्मचारी अपने परिवार संग पटरियों पर बैठ गए थे. जिसके बाद प्रदर्शनकारियों को खदेड़ने के सरकार को सख्त रुख अख्तियार करना पड़ा था. कई जगह पर ट्रैक खुलवाने के लिए सेना की तैनाती की गई थी. एक रिपोर्ट के अनुसार करीब 30 हजार मजदूर नेताओं को जेल में डाल दिया गया. हालांकि इसके 3 हफ्ते बाद हड़ताल वापिस ले ली गई जिसकी वजह आज तक नहीं पता चल पायी है.

होली का रंग छुड़ाने के 6 घरेलू नुस्खे़, जो आएंगे आपके काम!

रंगो का त्योहार होली (Holi) सभी के दिलों में खुशी का उमंग लेकर आता है। लोग दिल खोलकर रंग और गुलाल से होली मनाते है। दिन भर की मस्ती के बाद जब शाम का समय होता है और लोग अपने शरीर पर जमे हुए रंग को छुड़ाने की कोशिश में लग जाते हैं और उनकी मुश्किलें शुरु हो जाती है। रंग से बदरंग हुए लोग रंग छुड़ाने के लिए एक बार दो बार नहीं, बल्कि कई बार साबुन का इस्तेमाल करते है। जिससे रंग तो पूरा नहीं छूट पाता लेकिन उनकी त्वचा खुरदुरी हो जाती है। ऐसे में आज हम आपको कुछ घेरलू नुस्खे के बारे में बताने जा रहे है जिनसे आप होली (Holi 2020) के जिद्दी रंग को घर पर आसानी से छुड़ा सकते हैं।

संतरे के छिलके- संतरे के छिलके, बादाम, दूध और मसूर की दाल को एक साथ मिलाकर उसका पेस्ट तैयार कर लें। फिर उस पेस्ट को चेहरे पर लगा लें। ऐसा करने पर बेहद आसानी से आपके चेहरे से रंग हट जाएगा और चेहरे में निखार भी आएगा।

संतरे के छिलके व मसूर के दाल- अगर आपके चेहरे पर दाने है और आपने होली भी मजे में खेली है। तो रंग हटाने के लिए आप मसूर की दाल, संतरे के छिलके और बादाम को दूध के साथ मिलाकर पेस्ट बना लें। इस पेस्ट को आप रंग वाले स्थान पर हल्के हाथों से मसलें और धो लें। इससे आपकी त्वचा साफ हो जाएगी और उसमें चमक भी आयेगी।

मूली- रंग छुड़ाने के लिए हम मूली का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। मूली का रस निकाल कर उसमें बेसन या मैदा को दूध के साथ मिलाकर पेस्ट बनाएं और उसे चेहरे पर लगाएं। चेहरे के साथ-साथ आप इस पेस्ट का प्रयोग शरीर के अन्य हिस्सों में भी रंग छुड़ाने के लिए कर सकते हैं।

नींबू और बेसन- रंग छुड़ाने के लिए नींबू और बेसन का भी प्रयोग किया जा सकता है। आप बेसन, नींबू और दूध को मिलाकर उसका पेस्ट तैयार करें और अपनी त्वचा पर लगाए। फिर 15 से 20 मीनट के बाद अपनी त्वचा को गुनगुने पानी से धो लें।

खीरा- खीरे का इस्तेमाल भी रंग छुड़ाने के लिए किया जाता रहा है। अगर आप खीरे का प्रयोग कर रंग छुड़ाना चाहते हैं तो आप खीरे का रस निकालकर उसमें एक चम्मच सिरका और थोड़ा सा गुलाब जल मिलाकर पेस्ट तैयार करें और इससे मुंह धोएं। रंग छुड़ाने में यह नुस्खा भी काफी बेहतर साबित होता है।

जौ का आटा और बादाम का तेल- लोग रंग छुड़ाने के लिए जौ का आटा व बादाम के तेल का भी इस्तेमाल करते है। आटा, बादाम का तेल के साथ थोड़ी सी मुल्तानी मिट्टी को एक साथ मिलाकर उसका पेस्ट तैयार करें। उस पेस्ट को आप अपने त्वचा पर लगाएं और कुछ देर बाद ठंडे पानी से धो लें।

नोट- हमने ऊपर आपको जो भी उपाय बताए हैं वो अलग-अलग के सूत्रों से लिए गए हैं, इन्हें अपनाने के लिए नेड्रिक न्यूज सलाह नहीं देता है। इसलिए डॉक्टर्स से परामर्श के बाद ही उपायों को अपनाएं।

भारत में लॉन्च हुआ मोटोरोला का ये फोल्डेबल स्मार्टफोन, जानिए इसके फीचर्स और कीमत!

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पिछले वर्ष मोटोरोला (Motorola) ने यूएस बाजार में मोटो रेजर (Moto Razr) को पेश किया था. इसी के बाद से ये चर्चा है कि इसे भारत में जल्द ही पेश किया जाएगा. वहीं, अब कंपनी ने लंबे इंतजार के बाद अपने फोल्डेबल फोन मोटो रेजर को पेश कर दिया है. इसे आप ई-कॉमर्स वेबसाइट फ्लिपकार्ट (Flipkart) में खरीद सकेंगे. आइए आपको इस फोल्डेबल स्मार्टफोन की कीमत और खासियत के बारे में बताते हैं…

मोटो रेजर की कीमत

मोटो रेजर के एक ही स्टोरेज वेरिएंट को भारत में पेश किया गया है. 6GB रैम और 128GB इंटरनल मेमोरी वाले फोल्डेबल स्मार्टफोन की कीमत 1,24,999 रुपये है. फ्लिपकार्ट में ये फोन आपको 2 अप्रैल से शुरू होने वाली सेल में मिलेगा, जोकि काल रंग में उपलब्ध होगा. ग्राहक अगर इस फोन को Citi Bank के कार्ड से खरीदेगा तो उसे सीधा 10,000 रुपये की छूट मिलेगी. वहीं, रिलाइस जियो ग्राहक को भी इस फोन समेत डबल डाटा ऑफर दिया जाएगा.

मोटो रेजर के स्पेसिफिकेशन्स

दो स्क्रीन के साथ उपलब्ध मोटो रेजर में 6.2 इंच की फ्लैक्सिबल OLED HD+ स्क्रीन है और इसका स्क्रीन रेजोल्यूशन 876 x 2142 पिक्सल है. वहीं, जब इस फोन को फोल्ड कर दिया जाएगा तो इसके स्क्रीन का साइज 2.7 इंच का होता है. इसकी खासियत है कि स्क्रीन पर वॉटर रेपलेंट स्पैल्श प्रूफ नैनो कोटिंग की गई है जिसे ये वॉटर प्रूफ बनता है. साथ ही इसकी सुरक्षा के लिए 3D गोरिल्ला ग्लास 3 का इस्तेमाल किया गया है.

इसके अलावा इसमें Qualcomm Snapdragon 710 प्रोसेसर और Adreno 616 जीपीयू है. बैटरी बैकअप के लिए इसमें 18W टर्बोपावर चार्जर समेत 2510mAh की बैटरी दी गई है. सिक्योरिटी को लेकर इसमें फिंगरप्रिंट सेंसर और फेस अनलॉक है.

फोटोग्राफी के लिए हैं ये खास फीचर्स

अगर बात करें इस फोन की फोटोग्राफी की तो इसके लिए इसमें ड्यूल एलईडी फ्लैश और f/1.7 अर्पचर के अलावा 16MP का मेन कैमरा भी है. इस फोल्डेबल फोन को फोल्ड करने पर आप 5MP का फ्रंट कैमरे का इस्तेमाल कर सकते हैं. इस फोल्डेबल स्मार्टफोन में ई-सिम की सुविधा भी है, साथ ही इसमें कनेक्टिविटी के लिए ब्लूटूथ 5.0 और वाई-फाई सपोर्ट उपलब्ध है.

International Women’s Day 2020: इस कारण 8 मार्च को ही मनाया जाता है “अंतरराष्ट्रीय मह...

हर वर्ष 08 मार्च को दुनियाभर में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है. यूं तो साल 1908 में महिला दिवस की शुरुआत हुई थी, लेकिन इसे मान्यता साल 1975 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा गई थी. जिसके बाद से पूरे विश्व के कई देशों में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस को 8 मार्च के दिन मनाया जाने लगा. आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की शुरुआत कैसे हुई, इसे 8 मार्च को ही क्यों मनाया जाता है और अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस का क्या है महत्व? आइए जानते हैं…

महिला दिवस (Women’s Day) हर साल विभन्न थीम के साथ मनाया जाता है. वहीं, इस बार की थीम “I am Generation Equality: Realizing Women’s Rights” है. इस थीम का मतलब महिला की समानता और उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करना है.

कब से शुरू हुआ अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस ?

अंतरराष्ट्रिय महिला दिवस को सबसे पहले 28 फरवरी,1909 को अमेरिका में मनाया गया था. दरअसल, न्यूयॉर्क में साल 1908 में कई महिलाएं नौकरी के घंटों को कम करने और आय बढ़ाने को लेकर हड़ताल पर थी. जिसके बाद उन्हें सफलता मिली और फिर एक साल बाद यानी साल 1909 में सोशलिस्ट पार्टी ऑफ अमेरिका ने इस दिन को राष्ट्रीय महिला दिवस घोषित कर दिया.

8 मार्च को ही क्यों मनाया जाता है अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस?

साल 1917 में पहले विश्व युद्ध के दौरान रूस की महिलाओं ने ब्रेड और पीस को लेकर हड़ताल की थी. इस दौरान उन्होंने अपने पतियों की मांग का समर्थन करने से भी इंकार कर दिया था. यहां तक कि महिलाओं ने उन्हें युद्ध को छोड़ने के लिए भी राजी कराया था. इसके बाद वहां के सम्राट निकोलस को अपना पद छोड़ना पड़ा था और फिर बाद में महिलाओं को मतदान करने का भी अधिकार मिला था. 28 फरवरी को रूसी महिलाओं द्वारा ये विरोध किया गया था. बता दें कि यूरोप में 08 मार्च को महिलाओं ने पीस ऐक्टिविस्ट्स को सपोर्ट करने को लेकर रैलियां की थीं. जिसके चलते दुनियाभर में 8 मार्च के दिन अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की शुरुआत हुई थी.

कैसे मनाया जाता है अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस?

08 मार्च, अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर दुनियाभर की माहिलाओं को खास महसूस करवाने के लिए घर या ऑफिस में एक अलग ही अंदाज नजर आता है. कहीं, महिलाओं को गुलाब या गिफ्ट्स दिए जाते हैं तो कहीं उनके लिए खास कार्यक्रम का आयोजन होता है. कुछ तो ऐसे भी दफ्तर हैं जहां इस दिन महिलाओं की छुट्टी या हाफ डे वार्किंग जैसी सुविधा दी जाती है.

Yes Bank की शुरुआत करने वाले राणा कपूर पर ED की कार्रवाई, घर समेत कई अन्य ठिकानों पर ...

किसी समय में सबका चेहता बैंक आज बर्बादी के कगार पर पहुंच गया है. कभी Yes बैंक के शेयर लगातर ऊंचाईयों को छू रहे थे, लेकिन अब वो धड़ाम हो गए हैं. 2004 में शुरू हुआ Yes बैंक की हालात काफी खराब हो गई. इतना ही नहीं भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने भी Yes बैंक के ग्राहकों को झटका देते हुए इस पर वित्तीय पाबंदिया लगा दी है. 3 अप्रैल तक ग्राहक बैंक से सिर्फ 50 हजार रुपये ही निकाल पाएंगे.

हालांकि शुक्रवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ये आश्वासन दिया है कि 30 दिनों में Yes बैंक का पुनर्गठन किया जाएगा. बैंक को इस संकट के दौर बाहर निकालने का जिम्मा स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) के पूर्व सीएफओ प्रशांत कुमार को सौंपा गया हैं.

ED ने कसा शिकंजा

वहीं इसी बीच Yes बैंक के फाउंडर राणा कपूर पर प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने शिकंजा कसना शुरू कर दिया है. शुक्रवार को ED ने राणा कपूर के घर समेत कई अन्य ठिकानों पर छापेमारी की. साथ ही बैंक के पूर्व CEO राणा कपूर के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का केस भी दर्ज किया. ED ने राणा के खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी किया है, जिसके बाद अब वो देश से बाहर नहीं जा सकेंगे.

शुक्रवार को की गई छापेमारी के दौरान ED ने Yes बैंक से जुड़े कुछ दस्तावेजों को खंगाला है, जिसकी जांच फिलहाल चल रही है. बता दें कि गुरुवार को वित्त मंत्रालय ने यस बैंक पर वित्तीय पाबंदी लगाई है. 3 अप्रैल तक बैंक के ग्राहक 50 हजार से ज्यादा पैसा नहीं निकाल पाएंगे.

राणा कपूर ने इस बारे में बात करते हुए कहा कि वो पिछले 13 महीनों से सक्रिय नहीं है, इसलिए वो इस संकट के बारे में कुछ नहीं कह सकते हैं. बता दें कि साल 2019 के नवंबर में Yes बैंक ने शेयर बाजार को ये बताया था कि राणा कपूर बोर्ड से पूरी तरह से एग्जिट कर चुके हैं.

लोन बांटने का है आरोप

कोई समय ऐसा था जब ये बैंक तेजी से ग्रोथ कर रहा था, लेकिन अब इसकी ये हालत देखकर हर कोई काफी हैरान है. दरअसल, बैंक के खस्ताहाल की वजह से लोन देना बताया जा रहा है. राणा कपूर पर ये आरोप है कि उन्होनें अपने निजी रिश्तों को देखते हुए लोन बांटे.

Yes बैंक ने अनिल अंबानी ग्रुप, आईएलएंडएफएस, सीजी पावर, एस्सार पावर, एस्सेल ग्रुप, रेडियस डिवेलपर्स और मंत्री ग्रुप जैसे कई ग्रूप्स को लोन बांटे हैं. बैंक की हालत तब ज्यादा खराब होनी शुरू हुई जब साल 2018 में राणा कपूर को बैलेंसशीट में गड़बड़ी के आरोप में RBI ने उन्हें चेयरमैन के पद से हटा दिया था.

भारत के इन इलाकों में नहीं मनाई जाती होली, वजहें सुनकर काम करना बंद कर देगा दिमाग !

होली का त्यौहार आने में अब बस कुछ ही दिन है. जिस वजह से इसको लेकर पूरे देश में लोगों में उत्साह होना तो जायज है. हालांकि जहां देश के ज्यादातर घरों में इसको लेकर जोरों शोरो से तैयारियां चल रहीं है वहीं भारत में कुछ ऐसी भी जगहें जहां ये त्यौहार मनाया ही नहीं जाता. ये बात आपके मन में ये सवाल जरूर कौंधा होगा कि भारत के महापर्व होने के बावजूद भी आखिर इस त्यौहार के न मनाने की वजह क्या हो सकती है. हालांकि इसके पीछे के कारण काफी अजीबोगरीब हैं. लेकिन ये आपको जानने ज़रूर चाहिए.

मध्यप्रदेश के जिले में ये मान्यता

मध्यप्रदेश के बैतूल जिले की मुलताई तहसील के डहुआ गांव में 125 साल से होली नहीं मनाई गयी है. स्थानीय लोगों का कहना है कि करीब 125 साल पहले होली वाले दिन इस गांव के प्रधान बावड़ी में डूब गए थे जिसके चलते उनकी मौत हो गयी थी. इस मौत से गांव वाले बहुत दुखी हुए और उनके इस घटना के बाद जेहन में डर बस गया. अब होली न खेलना यहां की धार्मिक मान्यता बन चुकी है.

झारखंड के इस गांव में 100 साल से नहीं खेली गयी होली

झारखंड के बोकारो के कसमार ब्लॉक स्थित दुर्गापुर गांव में महामारी और आपदा के डर से होली नहीं खेली जाती. एक दशक पहले एक राजा के बेटे की यहां होली के दिन मृत्यु हो गयी थी. जिसके बाद से हर बार होली का आयोजन होने पर गांव महामारी के साए में आ जाता था. इसके बाद से राजा ने यहां होली न मनाने का आदेश दिया. अब उसके बाद से इस गांव में 100 साल से होली नहीं मनाई जाती.

यहां सिर्फ महिलाओं को होली खेलने की इजाजत

उत्तर प्रदेश के कुंडरा गांव में होली के त्यौहार पर सिर्फ महिलाएं होली के रंगों से सराबोर होती हैं. यहां इस दिन पुरुष खेतों पर चले जाते हैं ताकि महिलाएं बेझिझक होकर होली खेल सकें. इस दिन महिलाएं जानकी मंदिर में एकत्र होती हैं और होली खेलती हैं. इस दौरान लड़कियों, पुरुषों और बच्चों को भी होली खेलने की परमिशन नहीं होती है. दरअसल ऐसा इसलिए है क्योंकि होली के दिन यहां मेमार सिंह नाम के एक डकैत ने ग्रामीण की हत्या कर दी थी. जिसके बाद से लोग होली नहीं खेलते थे. फिर बाद में महिलाओं को होली खेलने की इजाजत मिल गयी थी.

होली पर इस दरगाह में बरसते हैं प्यार के सूफियाने रंग, हिन्दू मुस्लिम सौहार्द की है बे...

होली के रंगों को प्रेम का प्रतीक माना जाता है. इसकी कोई मजहब या जात नहीं होती. इसी कथन का एक नमूना आपको उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में स्थित देवा शरीफ दरगाह में देखने को मिल जाएगा. उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से मात्र 42 किलोमीटर दूर बाराबंकी की इस दरगाह में होली के रंगों में सूफियाना प्यार की झलक देखने को मिलती है. दरअसल हिन्दुओं का पर्व कही जाने वाली होली को इस दरगाह में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. ये हिंदुस्तान की एकमात्र ऐसी दरगाह है जो देश में सौहार्द का संदेश देती है.

होली पर अलग होती है छठा

देवा शरीफ की रौनक तो वैसे पूरे साल रहती है लेकिन होली पर इसकी अलग की छठा देखने को मिलती है. यहां होली समारोह में शामिल होने दूर दूर से लोग आते हैं. यहां मुसलमान होली भी खेलते हैं और दिवाली के दीये भी जलाते हैं. यहां होली में केवल गुलाब के फूल और गुलाल से ही होली खेलने की परंपरा है. कौमी एकता गेट पर पुष्प के साथ चाचर का जुलूस निकाला जाता है. इसमें आपसी कटुता को भूलकर दोनों समुदाय के लोग भागीदारी करके संत के ‘जो रब है, वही राम है’ के संदेश को पुख्ता करते हैं.

हाजी साहब ने शुरू की थी परंपरा

देवा शरीफ हाजी वारिस अली शाह की जन्मस्थली है, जिन्होंने मानवता के लिए प्रेम के अपने संदेश से कई पीढ़ियों के जीवन को प्रभावित किया है. सूफी संत हाजी वारिस अली शाह को सभी धर्म के लोग चाहते थे. इसलिए हाजी साहब हर वर्ग के त्योहारों में बराबर भागीदारी करते हैं. वह अपने हिंदू शिष्यों के साथ होली खेल कर सूफी पंरपरा का इजहार करते थे. इसीलिए उनके निधन के बाद आज भी यह परंपरा आज जारी है. बता दें देवा शरीफ एक ऐतिहासिक हिन्दू-मुस्लिम धार्मिक स्थल है. यहां कौमी एकता की पहचान हाजी वारिस अली शाह की दरगाह है. यहां साल भर लोग दर्शन के लिए आते हैं. यहां की होली उत्सव की कमान पिछले चार दशक से शहजादे आलम वारसी संभाल रहे हैं.

ऐसे पहुंचे

हवाई मार्ग यात्रियों के लिए देवा शरीफ से सबसे नजदीकी अड्डा लखनऊ एयरपोर्ट है. अगर आप ट्रेन से यात्रा कर रहे है तो आपको बाराबंकी रेलवे स्टेशन पर उतरना पड़ेगा. यहां से देवा शरीफ 12 किलोमीटर की दूरी पर है. लखनऊ से इसकी दूरी 42 किलोमीटर है. अगर आप रोड के जरिये सफ़र तय करना चाहते हैं तो यहां आने के लिए आपको आसानी से परिवहन की सुविधाएं मिल जायेंगी. बाराबंकी से हर आधे घंटे पर आपको बस सेवाएं मिल जायेंगी. वहीँ लखनऊ के कैसरबाग़ से भी सीधी बस सेवाएं मिलती हैं.

क्रिकेट के अलावा एड, सोशल मीडिया से भी विराट कोहली करते हैं खूब कमाई, जानकर रह जाएंगे...

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टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली आज जिस मुकाम पर है उसे उन्होनें अपनी मेहनत से हासिल किया है. जब विराट बल्लेबाजी करने के लिए मैदान में उतरते हैं, तो अच्छे से अच्छे गेंदबाज के पसीने छूट जाते है. ना सिर्फ क्रिकेट में बल्कि कमाई के मामले में भी विराट कोहली सबसे आगे है. आइए आज हम आपको बताते हैं कि विराट कितने पैसे कमाते है…

भारतीय कप्तान A+ कैटगिरी के खिलाड़ियों की कैटगिरी में आते है. इसलिए उनको हर साल 7 करोड़ रुपये की फीस मिलती है. क्रिकेट के अलावा भी विराट कई जगह से काफी तगड़ी कमाई करते हैं. एक रिपोर्ट के अनुसार विराट लगभग 19 ब्रांडों के ब्रांड एंबेसडर है, जिससे उनको हर साल 150 करोड़ मिलते हैं.

इसी वजह से उनकी कमाई बाकी सभी खिलाड़ियों से सबसे ज्यादा है. इसके अलावा विराट विज्ञापनों के जरिए भी काफी पैसा कमाते हैं. प्यूमा, ऑडी, पामोलिव, मान्यवर समेत बड़े ब्रांड्स के लिए एड्स करके काफी कमाई करते हैं.

इतना ही नहीं सोशल मीडिया के जरिए भी विराट ताबड़तोड़ कमाई करते हैं. जानकारी के मुताबिक कोहली इंस्टाग्राम पर बस एक प्रमोशनल पोस्ट डालने के लिए 1.20 लाख डॉलर यानी करीब 82 लाख रुपये की बड़ी फीस लेते हैं.

विराट की कमाई का पता फोर्ब्स मैग्जीन 2018 से भी चला था. इसमें विराट का नाम दुनिया के सबसे ज्यादा कमाई करने वाली खिलाड़ियों की लिस्ट में शामिल था. इस लिस्ट में विराट 83 नंबर पर थे. 2018 में विराट इंडिया के ऐसे पहले खिलाड़ी थे, जिन्होनें फोर्ब्स की टॉप 100 वाली लिस्ट में अपनी जगह बनाई थी.

फोर्ब्स की लिस्ट के मुताबिक साल 2018 में विराट कोहली ने लगभग 161 करोड़ रुपये कमाई थे. इनमें से 27 करोड़ रुपये उन्हें क्रिकेट से मिले तो वहीं बाकि 134 करोड़ रुपये उन्होनें विज्ञापन के जरिए कमाए थे.

वहीं बात अगर फोर्ब्स इंडिया 2019 लिस्ट की करें तो इसके मुताबिक सबसे ज्यादा कमाई करने वाले भारतीय सेलिब्रिटीज में विराट कोहली टॉप पर थे. फोर्ब्स की इस रिपोर्ट के मुताबिक विराट ने 252.72 रुपये की कमाई की थी. बता दें कि फोर्ब्स इंडिया टॉप 100 सेलब्रिटीज उनकी अनुमानित कमाई और प्रिंट-सोशल मीडिया पर उनकी पॉपुलैरिटी को ध्यान में रखकर चुनती है. ये जानकार आप शॉक्ड हो जाएंगे कि विराट हर दिन लगभग 70 लाख रुपये की कमाई करते हैं.

भारत की वो खूबसूरत झील जिसमें दफ़न है रहस्यों का पिटारा, दिल्ली से बस इतनी दूर!

भारत एक बेइंतेहा खूबसूरत देश है. यहां ऐसी कई खूबसूरत जगहें हैं जिन्हें देख एक पल के लिए लोग स्तब्ध रह जाते हैं. कई लोगों को तो अपनी आखों पर यकीन करना मुश्किल हो जाता है. कई जगहें तो ऐसी है जो अपने अंदर कई रहस्यों को समेटे हैं. इसके पीछे कई पौराणिक मान्यताएं और धार्मिक आस्था जुड़ी है. आज हम आपको ऐसी जगह के बारे में बताने जा रहे हैं जिसके बारे में सुनकर आप हैरत में पड़ जायेंगे.

ऐसे हुआ था झील का निर्माण

एक रिसर्च के मुताबिक ये पता चला है कि ये झील उल्का पिंड के पृथ्वी से तेजी से टकराने से बनी है. शोध से पहले बताया गया कि ये झील करीब 52,000 साल पुरानी है जबकि शोध की मानें तो इसका निर्माण हुए 5 लाख 70 हज़ार साल हो चुके हैं. इसे लोनर क्रेटर झील कहते हैं. बताया जाता है कि वो उल्का पिंड 20 लाख टन वजनी था और 90,000 किमी प्रति घंटे की रफ़्तार से पृथ्वी की ओर गिर रहा था. काफी सालों तक ये भी माना जाता रहा कि ये लोनर क्रेटर झील ज्वालामुखी के मुंह के कारण बनी. लेकिन यहां मस्केलिनाइट भी पाया गया है जो कि एक ऐसा कांच है जो केवल तेज गति से टकराने से ही बनता है.

ये कहानियां भी प्रचलित

हालांकि स्थानीय लोग अभी भी इससे जुड़ी पौराणिक कथाओं पर विश्वास रखते हैं. उनके हिसाब से सारे वैज्ञानिक तर्क गलत हैं. कहानी के अनुसार लोनसुर नाम के राक्षस ने क्षेत्र में आतंक मचा रखा था. वो लोगों को परेशान और प्रताड़ित करता था. जिसके बाद इस असुर का वध करने खुद भगवान विष्णु ने पृथ्वी पर अवतार लिया और इस असुर को धरती के गर्भ में पहुंचाने के लिए काफी तेज पटका. काफी तीव्र तरीके से पटकने के चलते वहां एक झील रुपी गड्ढा बन गया. बता दें इस लोनार शहर के बीच में एक दैत्य सूडान नाम का मंदिर भी स्थित है. यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है जिन्होंने राक्षस लोनासुर का विनाश किया था.

ऐसे पहुंचे इस खूबसूरत जगह

लोनर महाराष्ट्र के बुलढाणा जिले में एक छोटा सा शहर है. आप हवाई मार्ग के जरिये निकटतम एयरपोर्ट औरंगाबाद से भी यहां पहुँच सकते हैं. ये दिल्ली से बस 24 घंटे की दूरी पर है. मुंबई और औरंगाबाद के बीच 20 से अधिक ट्रेनें गुजरती हैं जो मनमाड जंक्शन से गुजरती है. इस बीच आपको हरे भरे खेत, झरनों के शानदार नज़ारे, पहाड़ जैसे मनमोहक द्रश्य देखने को मिलेंगे जो आपके सफ़र को सुहावना बनाने का काम करेंगे. औरंगाबाद में केंद्रीय बस स्टैंड ट्रेन स्टेशन से लगभग 1 किमी दूर है. काफी सैलानी औरंगाबाद में अजंता और एलोरा की गुफाएं देखने आ जाते हैं और वहीँ से वापस लौट जाते हैं. वो लोनर क्रेटर देखने नहीं जाते, लेकिन आपको इस खूबसूरत जगह का एक बार सफ़र तो ज़रूर करना चाहिए.

शशि थरूर के गले में लटके इस डिवाइस को न समझे मामूली, खासियत और कीमत जानकर रह जाएंगे ह...

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अपने लाइफस्टाइल और अंग्रेजी के लिए प्रसिद्ध कांग्रेस नेता शशि थरूर आए-दिन किसी न किसी वजह से चर्चा में रहते हैं. वहीं, आजकल ये अपने एक खास गैजेट की वजह से सुर्खियों में हैं. इन दिनों सोशल मीडिया पर शशि की जो तस्वीरें वायरल हो रही हैं, उनमें आप एक गैजेट को देख सकते हैं जो उनके गले पर लटका नजर आएगा. मामूली सा दिखने वाला ये गैजट आम नहीं है आइए आपको इस गैजट की खासियत बताते हैं…

चलता-फिरता पावरहाउस कहलाए जाने वाले पावरबैंक के बारें में तो आपने सुना ही होगा, लेकिन क्या आपने कभी चलते-फिरते एयरप्यूरीफायर के बारे में सुना व देखा है? अगर नहीं तो आपको बता दें कि शशि थरूर के गले में जो डिवाइस लटका हुआ है वो एक चलता-फिरता एयरप्यूरीफायर है, जो एयरटैमर (AirTamer) है.

क्या है एयरटैमर की खासियत?

बता दें कि जिसके पास ये एयरटैमर होता है उसको किसी एंटी पॉल्यूशन मास्क या सैनेटाइजर की आव्यश्कता नहीं होती है. ये एयरटैमर हवा को साफ करने का कार्य करता है. लगभग 3 फुट तक की हवा को ये एयरप्यूरीफायर साफ करता है.

हर तरह के बैक्टिरिया को मारने में सक्षम

ई-कॉर्मस साइट अमेजन पर दी गई जानकारी के अनुसार एयरटैमर साथ होने से आपके पास खतरनाक वायुकण नहीं आते हैं. जिसके चलते आपको एकदम साफ और ताजी हवा मिलती है. इस गैजेट की मदद से बैक्टिरिया मार जाते है.

चार्ज करना है बेहद आसान

इतना ही नहीं इस एयरप्यूरीफायर को आप बेहद आसान तरीके से चार्ज भी कर सकते हैं. एक माइक्रो यूएसबी चार्जिंग केबल के जरिए इसे आप चार्ज कर सकते हैं. बता दें कि अगर इस एयरप्यूरीफायर की कीमत कि तो इसे आप 8,499 रुपये में खरीद सकते हैं. इतना ही नहीं इस एयरप्यूरीफायर के फिल्टर को बदलने की भी कोई भी जरूरत नहीं है. इस डिवाइस का वजन केवल 50 ग्राम है.

ट्वीट कर डिवाइस के बारे में बता चुके हैं थरूर

आपको बता दें कि एक ट्विटर यूजर ने सांसद थरूर के गले में लटके देखे डिवाइस के बारे में 07 फरवरी को पूछा था, जिसका जवाब थरूर ने दिया था. वो बात अलग है कि कई यूजर्स ऐसे भी थे जिन्होंने इस डिवाइस को जीपीएस ट्रैकर बताया था. इतना ही नहीं कुछ यूजर्स ने तो इसे ऑनलाइन ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी भी कहा था.