Benzene in Detergent-Soap: जहर फैला रहे हैं डिटर्जेंट और साबुन! संजीव बंसल का बड़ा खुलासा, बेंजीन से कैंसर का खतरा

Benzene in Detergent-Soap
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Benzene in Detergent-Soap: आजकल बर्तन धोने के लिए इस्तेमाल होने वाले डिटर्जेंट, टिकियों और पाउडर में मौजूद बेंजीन जैसे खतरनाक केमिकल्स कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का कारण बन सकते हैं। संजीव बंसल, जो सोप और डिटर्जेंट इंडस्ट्री से जुड़े हुए हैं, ने इस पर गहराई से रिसर्च की है और अब उन्होंने इस खतरनाक केमिकल के बारे में अहम खुलासा किया है। उनका कहना है कि बेंजीन एक हाईली कार्सिनोजेनिक (कैंसर पैदा करने वाला) केमिकल है, जो हमारे दैनिक जीवन के उत्पादों में पाया जाता है और इसके सेवन से गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।

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बेंजीन: कैंसर फैलाने वाला खतरनाक रसायन- Benzene in Detergent-Soap

संजीव बंसल के मुताबिक, बर्तन धोने की टिकियों, डिटर्जेंट और पाउडर में बेंजीन की मौजूदगी न केवल कैंसर, बल्कि खून की बीमारियों जैसे एल्यूकेमिया जैसी गंभीर बीमारियों का कारण बन सकती है। बंसल ने बताया कि जब यह केमिकल हमारे भोजन में मिलकर शरीर में पहुंचता है, तो इसके प्रभाव बेहद गंभीर हो सकते हैं। वह बताते हैं कि बेंजीन लंबे समय तक शरीर में जमा हो सकता है और इस कारण कई जानलेवा बीमारियाँ हो सकती हैं।

संजीव बंसल ने कहा कि जापान, अमेरिका और यूरोप जैसे देशों में इस खतरनाक केमिकल पर सख्त पाबंदी है, लेकिन भारत में सस्ते डिटर्जेंट और टिकियों के नाम पर लोग इस जहर का इस्तेमाल कर रहे हैं। बंसल ने चेतावनी दी कि इन केमिकल्स के लगातार उपयोग से भविष्य में भारत में कैंसर के मामलों में बढ़ोतरी हो सकती है।

संजीव बंसल की पहल: प्रधानमंत्री कार्यालय और कोर्ट तक जाएंगे

संजीव बंसल इस गंभीर मुद्दे को लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय, बीआईएस (भारतीय मानक ब्यूरो), बीआईएस स्टैंडर्ड और हाई कोर्ट तक दस्तक देने की योजना बना रहे हैं। उनका कहना है कि इस खतरनाक केमिकल के बारे में अंतरराष्ट्रीय मीडिया और देश के कई हिस्सों में रिपोर्ट्स पहले ही आ चुकी हैं, लेकिन भारत में अब तक इस समस्या को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। उनका कहना है कि लोग बिना जाने इस जहर का सेवन कर रहे हैं, जबकि सरकार और संबंधित एजेंसियों को इस पर कार्रवाई करनी चाहिए।

भारत में सस्ती टिकियों और डिटर्जेंट के नाम पर जहर

संजीव बंसल ने बताया कि यूरोप और अमेरिका जैसे देशों में बेंजीन के इस्तेमाल पर कड़ी पाबंदी है, लेकिन भारत में सस्ते डिटर्जेंट और टिकियों की बिक्री जारी है। उन्होंने बताया कि ये सस्ते उत्पाद न केवल हमारे स्वास्थ्य के लिए खतरे का कारण बन रहे हैं, बल्कि भविष्य में यह गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं भी पैदा कर सकते हैं। बंसल का कहना है कि भारत में हर 10 में से एक व्यक्ति को कैंसर हो सकता है, और इसका कारण हमारे घरों में रोजाना इस्तेमाल होने वाले ये खतरनाक केमिकल्स हैं।

विश्व स्वास्थ्य संगठन की चेतावनी

संजीव बंसल ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि बेंजीन के खतरों को लेकर WHO ने चेतावनी दी है। इसके अलावा, जापान और यूरोप में भी बेंजीन के खतरों को लेकर रिसर्च पेपर्स प्रकाशित हो चुके हैं। बंसल के मुताबिक, भारत में बेंजीन के खिलाफ कोई सख्त पाबंदी नहीं है, जबकि अन्य देशों में इसके खिलाफ कड़े कदम उठाए जा चुके हैं।

बेंजीन: एक खतरनाक रसायन

बेंजीन एक रंगहीन, ज्वलनशील तरल है, जो तेल, गैसोलीन और सिगरेट के धुएँ में प्राकृतिक रूप से पाया जाता है। इसका इस्तेमाल प्लास्टिक, रेजिन और डिटर्जेंट जैसे उत्पादों में होता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन और अमेरिकी पर्यावरण संरक्षण एजेंसी (EPA) इसे कार्सिनोजेन मानते हैं, जो ल्यूकेमिया और अन्य रक्त कैंसर का कारण बन सकता है। बेंजीन त्वचा के माध्यम से अवशोषित हो सकता है और साँस लेने पर श्वसन समस्याएँ पैदा कर सकता है।

डिटर्जेंट और बर्तन धोने की टिकियों में बेंजीन

पहले डिटर्जेंट में अल्काइल बेंजीन सल्फोनेट (ABS) का उपयोग आम था, जिसमें बेंजीन की संरचना होती थी। 1960 के दशक में पर्यावरणीय चिंताओं के कारण इसे लीनियर अल्काइल बेंजीन सल्फोनेट (LAS) से बदल दिया गया, जो अधिक बायोडिग्रेडेबल है। फिर भी, कुछ सस्ते डिटर्जेंट और बर्तन धोने की टिकियों में बेंजीन के अवशेष हो सकते हैं, खासकर अगर उत्पादन प्रक्रिया में गुणवत्ता नियंत्रण कमज़ोर हो। एनवायरनमेंटल वर्किंग ग्रुप (EWG) ने सफाई उत्पादों में बेंजीन की उपस्थिति की चेतावनी दी है। बर्तन धोने की मशीनों से निकलने वाली भाप में भी बेंजीन जैसे रसायन हो सकते हैं, जो उपयोगकर्ताओं के लिए जोखिम पैदा करते हैं।

स्वास्थ्य और पर्यावरणीय प्रभाव

बेंजीन का लंबे समय तक संपर्क गंभीर स्वास्थ्य समस्याएँ पैदा कर सकता है। यह त्वचा की जलन, सिरदर्द, और श्वसन समस्याओं का कारण बन सकता है। लंबे समय तक एक्सपोज़र से ल्यूकेमिया और अन्य कैंसर का खतरा बढ़ता है। बर्तनों पर बचे रासायनिक अवशेष भोजन के साथ शरीर में प्रवेश कर सकते हैं, जो बच्चों और कमज़ोर रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों के लिए विशेष रूप से खतरनाक है। इसके अलावा, डिटर्जेंट में मौजूद फॉस्फेट जैसे रसायन जल निकायों में शैवाल की वृद्धि को बढ़ावा देते हैं, जिससे पर्यावरण को नुकसान होता है।

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