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शरद पवार ने की नेहरु और मोदी के लेह दौरे की तुलना, जानें कैसे अलग हैं दोनों की नीतिया...

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भारत चीन के बीच लद्दाख में जारी तनाव में अब थोड़ी नरमी जरूर आने लगी है. इस बीच एनसीपी चीफ शरद पवार ने पीएम की तारीफ की है. उन्होंने पीएम के लेह दौरे को देश के पहले पीएम जवाहर लाल नेहरु से जोड़ा. उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में सेना के जवानों का आगे बढ़कर हौसला बढ़ाना काफी जरूरी है. बता दें 3 जुलाई को पीएम ने लेह के फॉरवर्ड पोस्ट जाकर जवानों को सरप्राइज दिया था. और साथ ही बिना नाम लिए चीन को बहुत सुनाया था. पीएम ने कहा था कि वो दोस्ती भी मन से करते हैं और दुश्मनी भी मन से करते हैं. पीएम की इस यात्रा के कुछ दिनों बाद चीन ने गलवान घाटी के विवादित इलाके से अपने सैनिकों को हटा लिया था.

मोदी और नेहरु के सीमा पर जाने में अंतर

पीएम मोदी और पूर्व पीएम जवाहरलाल नेहरु के सीमा पर जाने में अंतर है. दरअसल तत्कालीन पीएम जवाहर लाल नेहरु 1962 की जंग हार गए थे. उसके बाद वो तत्कालीन रक्षा मंत्री यशवंत राव चव्हाण के साथ LAC पर जवानों से मुलाक़ात करने गए थे. उस दौरान विपक्ष ने नेहरु की नीति की जबरदस्त आलोचना की थी. दरअसल इस युद्ध में चीन ने भारत की जमीन को हड़प लिया था. जिसके बाद नेहरु की छवि को काफी करारा झटका लगा था.

नेहरु के बयान की जबरदस्त आलोचना

पूर्व पीएम जवाहरलाल नेहरु ने ये भी कहा था कि अक्साई चीन एक बंजर इलाका है जहां घास भी नहीं उगती. इस बयान के बाद एक सांसद ने पलटवार करके कहा था कि उनके सिर पर बाल नहीं उगते तो क्या वो भी चीन को दे दें. नेहरु के इस बयान की काफी आलोचना हुई थी. पवार ने भले ही मोदी और नेहरु की तुलना कर दी हो लेकिन चीन के साथ संघर्ष में पीएम मोदी और नेहरु का काफी अलग अलग स्टैंड रहा है. गलवान वैली में मारे गए 20 जवानों की शहादत में भारत ने काफी कड़ा स्टैंड लिया. इस झड़प में चीन के 40 जवान भी मारे गए थे. पीएम ने कहा कि हमारे जवान मारते-मारते मरे हैं और देश की सीमा की तरफ आंख उठाने वाले को बख्शा नहीं जाएगा.

ड्रैगन रह गया था हक्का बक्का

1962 की लड़ाई में चीन के सामने भारतीय जवानों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था. उनके पास हथियार और ढंग के गोला बारूद तक नहीं थे. लेकिन इस बार जवानों में जोश कुछ अलग था. भारत ने इस बार तेजी से LAC पर जवानों की तैनाती की. वायुसेना और नौसेना को युद्ध के स्तर तक अलर्ट कर दिया गया. इस बात पर पीएम मोदी झुकने को नहीं तैयार हुए. पीएम मोदी ने साफ कहा था कि दुश्मन को करारा जवाब मिलेगा. सीमा पर हेकड़ी दिखा रहे ड्रैगन भारत के ऐक्शन को देख हक्काबक्का रह गया.

सौरव गांगुली का बचपन में भूत से हुआ था एनकाउंटर, बताया हैरान करने वाला किस्सा

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आज 8 जुलाई को भारत के पूर्व कप्तान और मौजूदा BCCI के अध्यक्ष सौरव गांगुली 48 साल के हो गए. अपने जन्मदिन भी गांगुली ने फैंस के साथ एक काफी हैरान कर देने वाला किस्सा शेयर किया है. गांगुली ने अपने बचपन की यादें ताजा करते हुए कहा था कि उन्होंने बचपन में भूत देखा था.

12 साल में हुई घटना

अपने जन्मदिन पर एक इंटरव्यू में बातचीत करते हुए गांगुली ने बताया कि जब वो 12-13 साल के थे तो उन्होंने अपने घर में भूत देखा था. गांगुली ने वो किस्सा शेयर करते हुए बताया कि उस वक़्त उनके घर में एक लड़का काम करता था. उस रविवार की शाम को मैं अपने परिवार के साथ ऊपर अपने कमरे में था. मुझे उस लड़के के पास जाकर चाय बनाने के लिए बोलकर आने को कहा गया. जब मैं रसोई में पहुंचा तो लड़का वहां से गायब था. जिसके बाद मैं घरवालों के पास वापिस आ गया.

बाऊंड्री वाल पर दौड़ रहा था लड़का

गांगुली आगे बोले कि घरवालों ने मुझे छत पर उसे देखकर आने को कहा लेकिन वो वहां भी नहीं था. उनके घर के पास कुछ झोपडियां बनी हुई थी तो मैंने वहां जाकर देखा कि वो छत की बाऊंड्री वाल पर दौड़ रहा था. हमारा छह मंजिल का मकान है, अगर वो वहां से गिर जाता तो मर जाता. मैंने उसे चिल्लाकर बहुत रोकने की कोशिश की लेकिन उसने सुना ही नहीं. मैंने ये पूरा वाकया भागकर नीचे अंकल को बताया कि लड़का पागल हो गया है. हम ऊपर की ओर भागे लेकिन वो हमें नहीं दिखा. बाद में हमने उसे पेड़ की पत्तियों पर पड़ा हुआ पाया. इसके बाद फायर ब्रिगेड को बुलाकर हमने उसे अस्पताल भिजवाया. बाद में अगले दिन शाम के पांच बजे वह लड़का हमारे घर आया. हम उससे दूर भागने लगे तो उसने बताया कि उसकी मां निश्चित दिनों में उसके शरीर में आती है.

सफल बल्लेबाजों में से एक हैं गांगुली

बता दें कि गांगुली को भारत क्रिकेट टीम के सफल कप्तानों में से एक कहा जाता है. उनका जन्म 8 जुलाई 1972 को कोलकाता में हुआ था. उन्होंने क्रिकेट में 1992 में डेब्यू किया था. उनको एक सफल बल्लेबाज भी कहा जाता है. उनके वनडे और टेस्ट क्रिकेट में बल्ले से 18 हजार से ज्यादा रन निकले है.

2004 का वो दिन जब बिहार में इस बाहुबली नेता ने दोहराया था विकास दुबे जैसा कांड, खौफ ख...

उत्तर प्रदेश के कानपुर के बिकरू गांव में आठ पुलिसकर्मियों के प्लान एंड प्लाट मर्डर से राज्य सरकार की कानून व्यवस्था सवालों के घेरे में आ गई है. अभी भी इसके पीछे का मास्टरमाइंड विकास दुबे पुलिस के हाथ नहीं आ पाया है और कहीं दुबका हुआ बैठा है. विकास की जानकारी पुलिस तक पहुंचाने वाले पर ढाई लाख रुपये का इनाम घोषित किया गया है. इसके अलावा नेपाल बॉर्डर की सीमाएं पर चौकसी सख्त कर दी गई है ताकि विकास न भाग सके. ये पूरा घटनाक्रम बिहार के बाहुबली शहाबुद्दीन की याद दिलाता है जिसके घर पर साल 2004 में कुछ ऐसी ही वारदात हुई थी.

हत्या का था आरोपी

दरअसल बिहार में उस दौरान RJD की सरकार सत्ता में थी और शहाबुद्दीन RJD का ही बाहुबली नेता कहा जाता था. उसने 16 अगस्त 2004 को बिजनेसमैन चंद्रेश्वर प्रसाद उर्फ़ चंदा बाबू के दो बेटे राजीव और सतीश की रंगदारी के मामले में हत्या कर दी थी. उसने इन दोनों सगे भाइयों को तेजाब से नहला दिया था. उस दौरान सत्तासीन सरकार के नेता होने के चलते पुलिसकर्मी भी शहाबुद्दीन पर कार्रवाई करने से खौफ खा रहे थे.

दो पुलिसकर्मियों ने की प्लानिंग

इस वारदात के बाद सिवान के तत्कालीन सीएम डीएम सीके अनिल और एसपी एस रत्न संजय कटियार ने पूरी प्लानिंग की और शहाबुद्दीन के खौफ को पूरी तरह ख़त्म करने की ठान ली. दोनों अफसर भारी पुलिस बल के साथ बाहुबली नेता के प्रतापपुर वाले घर पर घेराबंदी करने पहुंचे. इसकी भनक शहाबुद्दीन के समर्थकों को पहले ही लग गई थी और वे पुलिस पर हमला करने के लिए तैयार बैठे थे. जैसे ही पुलिस बल नेता के घर पहुंचा, उन पर ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी गई. पुलिस बल ने भी जबरदस्त तरीके से काउंटरअटैक किया.

भारी मात्रा में मिले थे पाकिस्तानी हथियार

जब गोलीबारी थमी तो पुलिस शहाबुद्दीन के प्रतापपुर वाले घर के अंदर दाखिल हुई. वहां का नजारा देख कर खुद पुलिस के होश उड़ गए थे. बाहुबली नेता के घर से भारी मात्रा में पाकिस्तानी हथियार बरामद हुए थे. साथ ही एके-47 रायफल भी मिली थी. कई ऐसे हथियार मिले जिसे सिर्फ पाकिस्तानी सेना यूज करती है. इसके अलावा नेता के घर से कीमती जेवर और नकदी के अलावा शेर और हिरण की खाल बरामद हुई थी. इससे पहले 2001 में भी शहाबुद्दीन के चेलों ने छापा मारने आये तीन पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी थी.

अब इतने सालों बाद उत्तर प्रदेश की राजनीति में भी कुछ इससे भी भयावह मंजर देखने को मिला है.

रिलायंस जियो ने लांच की वीडियो कांफ्रेंसिंग एप JioMeet, इतने लोगों से एक साथ कर सकते ...

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रिलायंस जियो अपने यूज़र्स के लिए नई नई चीजें लांच करता रहता है. लॉकडाउन का दौर चल रहा है और लोगों में वीडियो कालिंग का क्रेज बढ़ता हुआ दिखाई दे रहा है. इसकी पॉपुलैरिटी को देखते हुए अब बिजनेसमैन मुकेश अंबानी की कंपनी जियो ने भी वीडियो कांफ्रेंसिंग एप JioMeet को लांच कर दिया है. ये गूगल प्ले स्टोर के साथ एप्पल स्टोर पर भी उपलब्ध है. साथ ही ये मोबाइल फ्रेंडली होने के साथ ही डेस्कटॉप फ्रेंडली भी है. यानि आप लैपटॉप या कंप्यूटर से भी इस एप को ऑपरेट कर सकते हैं. इसकी सबसे बड़ी खासियत ये है कि आप इस एप के जरिये 100 लोगों से एक साथ वीडियो के माध्यम से जुड़ सकते हैं.

साफ़ सुथरा है यूजर इंटरफेस

जियो मीट एप का यूजर इंटरफेस चलाने में काफी ईजी है. ये ज़ूम से काफी मिलता जुलता है. इसमें मल्टी डिवाइस लॉगइन का सपोर्ट भी मिलता है. इसको आप 5 डिवाइसेज से कनेक्ट कर सकते हैं. इसके अलावा एप में कॉल के दौरान आप एक से दूसरे डिवाइस पर भी स्विच कर सकते हैं. इसके साथ इस एप में स्क्रीन शेयरिंग के साथ सेफ ड्राइविंग मोड का भी फीचर मिलता है.

ज़ूम और गूगल मीट को देगा टक्कर

इसके साथ रिलायंस ने जियो मीट एप को गूगल मीट, ज़ूम और माईक्रोसॉफ्ट की टक्कर में उतारा है. इस बारे में रिलायंस जियो इन्फोकॉम के सीनियर वाईस प्रेजिडेंट पंकज पवार के मुताबिक जियो मीट कई ख़ास सर्विस वाला प्लेटफोर्म है. इसको किसी भी डिवाइस और ऑपरेटिंग सिस्टम पर यूज़ कर सकते हैं. इसके अलावा ये आम वीडियो कांफ्रेंसिंग एप की तरह कोलैबोरेशन को लिमिट नहीं करता.

एजुकेशन के लिहाज से बनाया गया एप

जियो ने हाल ही में बताया था कि ये एप हेल्थ और एजुकेशन के लिहाज से बनाया गया है. इसके जरिये आप वर्चुअली डॉक्टर्स से कनेक्ट करके दवाई की पर्ची भी ले सकते हैं. आप ऑनलाइन लैब से टेस्ट और दवाइयां भी आर्डर कर सकते हैं. इस एप में आपको डॉक्टर्स के लिए डिजिटल वेटिंग रूम भी मिल जायेंगे. इसके अलावा स्टूडेंट्स और टीचर्स के लिए वर्चुअल क्लासरूम क्रिएट कर सकते हैं. इसमें आप पूरे सेशन को रिकॉर्ड कर सकते हैं. इस एप से टीचर आपको होम वर्क दे सकते हैं.

Father’s Day 2025: क्या आप जानते हैं कैसे हुई थी फादर्स डे की शुरुआत? इस दिन पिता को ...

हमारे जीवन में दो लोगों का सबसे ज्यादा महत्व होता है, वो होते हैं हमारे माता और पिता. हमारी मां हमें जन्म देती है, तो पिता हमने चलना सिखाते है. मां हमें सपने दिखाती है, तो पिता हमारे सपनों को पूरा करने के लिए अपनी जी-जान लगा देते है. वैसे तो हमेशा ही हमारे लिए माता-पिता प्यारे होते है, लेकिन उनको स्पेशल फील कराने के लिए हर साल मदर्स डे और फादर्स डे (Father’s Day) मनाया जाता है.

मदर्स डे मई के पहले रविवार को मनाया जाता है और फॉदर्स डे जून के तीसरे रविवार को होता है. इस साल फादर्स डे 21 जून को मनाया जाएगा. क्या आप जानते हैं कि फादर्स डे की शुरूआत कैसे और कब हुई थी? क्यों ये हर साल जून के तीसरे रविवार को ही मनाया जाता है? वैसे तो फादर्स डे को लेकर कई कहानियां है, लेकिन आज हम आपको उनमें से सबसे मशहूर कहानी बताने जा रहे है…

1910 में हुईं थी फादर्स डे की शुरुआत

फादर्स डे की शुरुआत अमेरिका के वॉशिंगटन से हुई थी. पहली बार फादर्स डे 19 जून 1910 को मनाया गया था. वॉशिंगटन के स्पोकन शहर की रहने वाली सोनोरा स्मार्ट डॉड को सबसे पहले फादर्स डे मनाने का आइडिया आया था. उसे ये आइडिया मदर्स डे से ही आया था. दरअसल, सोनोरा डॉड की मां का निधन उसके बचपन में ही गुजर गई थी, जिसके बाद उसके पिता विलियम स्मार्ट ने बच्चों की परवरिश की. सोनोर के पिता ने काफी मुश्किल से सभी बच्चों का पालन-पोषण किया लेकिन कभी मां की कमी महसूस नहीं होने दी.

इसकी वजह से सोनोरा का अपने पिता के प्रति काफी सम्मान था. साल 1909 में मई महीने में सोनोरा मदर्स डे पर चर्च गई थी. चर्च में आयोजित कार्यक्रम में हर कोई मां की अहमियत बता रहा था. बस यही से सोनोरा को फादर्स डे मनाने का ख्याल आया. मदर्स डे से सोनोरा को ख्याल आया कि पिता के सम्मान में कोई भी दिन है ही नहीं.

सोनोरा चाहती थीं कि अगले साल उसके पिता के जन्मदिन को फादर्स डे मनाया जाए, जो 5 जून को होता था. हालांकि कुछ परेशानियों के चलते 5 जून को तो फादर्स डे मनाना संभव नहीं हो पाया, लेकिन उसके कुछ ही दिन बाद 19 जून 1910 को मनाया गया. उस दिन भी रविवार ही था.

फिर साल 1916 में अमेरिकी राष्ट्रपति वुडरो विल्सन ने फादर्स डे मनाने के प्रस्ताव को स्वीकृति दी. साल 1924 में राष्ट्रपति कैल्विन कुलिज ने इसे राष्ट्रीय आयोजन घोषित किया. वहीं 1966 में अमेरिकी राष्ट्रपति लिंडन जॉनसन ने पहली बार फादर्स डे को जून के तीसरे रविवार को मनाने का फैसला लिया. 1972 में राष्ट्रपति रिचर्स निक्सन ने नियमित अवकाश घोषित किया. अब फादर्स डे सिर्फ अमेरिकी ही नहीं पूरी दुनिया में मनाया जाता है.

ऐसे मनाएं फादर्स डे…

फादर्स डे के दिन कई लोग अपने पिता को स्पेशल फील कराने के लिए उनके मनचाहे तोहफे देते है या फिर उनके साथ घूमने जाते है. इस बार देश समेत पूरी दुनिया में महामारी कोरोना वायरस का साया है, तो ऐसे में इस बार फादर्स डे अपने पिता के साथ घर पर ही मनाएंगें तो अच्छा रहेगा.

फादर्स डे के दिन आप अपने पिता को हैंडमेड तोहफे देकर या फिर उनकी पंसद की कोई चीज बनाकर खुश कर सकते हैं. इसके अलावा घर पर आप केक बनाएं, अपने पापा के साथ गेम खेलें. आजकल की जिंदगी में वैसे तो हर कोई काफी व्यस्त रहता है, ऐसे में हमें ना तो अपने दिल की बातें माता-पिता से शेयर कर पाते और ना ही उनकी सुन पाते हैं. फादर्स डे आप अपने पिता से दिल की हर बात शेयर करें और उनके दिल की भी बाते सुनें. साथ ही उन्हें ये भी बताएं कि आपकी जिंदगी में उनकी क्या अहमियत है. यकीन मानिक बिना महंगे तोहफे दिए ही इन सबसे आपके पिता का फादर्स डे बहुत स्पेशल बन जाएगा.

क्या होता है डिप्रेशन? जिसकी वजह से मन में आते हैं आत्महत्या के विचार, जानिए इसके लक्...

बीते दिन बॉलीवुड एक्टर सुशांत सिंह राजपूत ने फांसी लगाकर अपनी जान दे दी, जिसने हर किसी को झकझोंर कर रख दिया. जो सुशांत हमेशा अपने चेहरे पर एक प्यारी सी मुस्कान लेकर चलते थे, उसी मुस्कुराहट के पीछे उन्होनें बहुत दर्द छिपा रखा था.

पिछले साल ही सुशांत की फिल्म ‘छिछोरे’ रिलीज हुई थी, जिसको लोगों ने खूब पंसद भी किया था. इस फिल्म में उन्होनें लोगों को जिंदगी से ना हारने का मैसेज दिया था, लेकिन आज वहीं सुशांत खुद इतना बड़ा कदम उठाने को मजबूर हो गए. पुलिस के मुताबिक पिछले 6 महीनों से डिप्रेशन का इलाज करा रहे थे. आज हम आपको बताते हैं कि डिप्रेशन क्या होता है, जिसकी वजह से लोग आत्महत्या जैसा बड़ा कदम उठाने को मजबूर हो जाते हैं…

क्या होता है डिप्रेशन?

डिप्रेशन एक मानसिक बीमारी होती हैं. डिप्रेशन का शिकार व्यक्ति ज्यादातर उदास रहता है और उसके मन में अधिकतर नेगिटिव विचार आते हैं. कई बार व्यक्ति अपने आप को इतना असहाय महसूस करने लगता है कि वो खुदकुशी तक करने के बारे में सोचने लगता है.

सिर्फ मानसिक ही नहीं डिप्रेशन शारीरिक रूप से भी नुकसान पहुंचा सकता हैं. हर मरीज में इसके अलग लक्षण होते हैं. लेकिन डिप्रेशन का शिकार हर मरीज अपने आप को किसी परस्थिति में फंसा हुआ और खुद को अकेला महसूस करता है.

ये हो सकती हैं वजह…

डिप्रेशन की वजह कुछ भी हो सकती हैं. किसी करीबी की मृत्यु का सदमा, रिलेशनशिप में परेशानी, कोई चीज मन-मुताबिक ना होना, कर्ज सम्बन्धी दिक्कत, नौकरी में समस्या, बचपन का कोई हादसा जिसे भूला ना पाना जैसी कोई भी घटना डिप्रेशन का कारण बन सकती हैं.

डिप्रेशन के लक्षण…

डिप्रेशन का शिकार लोगों के व्यक्तिव में कई बदलाव आते हैं. हर वक्त बैचेनी और असहाय महसूस करना, गुस्सा आना, चिड़चिड़ा रहना, ठीक से सो ना पाना, दिनभर सिर दर्द रहना, मन में नेगिटिव विचार आना, मूड ऑफ रहना, किसी काम में मन ना लगना, ज्यादा थकावट होना, यौन इच्छाओं में कमी डिप्रेशन के लक्षण हो सकते हैं.

जब डिप्रेशन से शिकार व्यक्ति का तनाव ज्यादा बढ़ जाता है, तो मन में जान लेने के विचार आने लगते हैं. कुछ केस में ऐसे विचार आते-जाते रहते हैं. वहीं, कुछ मामलों में इस तरह के विचार इस कदर हावी हो जाते हैं कि शख्स आत्महत्या करने को मजबूर हो जाता है. WHO की एक रिपोर्ट के अनुसार डिप्रेशन की वजह से हर साल 8 लाख लोगों अपनी जान लेते हैं.

ऐसा हो तो करें डॉक्टर से संपर्क

आज के समय में अधिकतर लोग इसे बीमारी नहीं मानते और इसको लेकर डॉक्टर से संपर्क नहीं करते. जब किसी शख्स के मन में लगातार नेगिटिव विचार और साथ ही खुद को चोट पहुंचाने की कोशिश ख्याल आए तो तुरंत ही डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए. इसके अलावा अपनी करीबियों और दोस्तों के साथ दिल की बातें शेयर करके मन को हल्का करना चाहिए.

अपनी प्रेमिका को लेकर काफी पोसेसिव थे विराट कोहली, इस इंग्लिश क्रिकेटर के बात करने पर...

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क्रिकेटर विराट कोहली (Virat Kohli) जितने आक्रामक फील्ड पर दिखते हैं, उतने ही वो अपने पर्सनल लाइफ में भी है. वे अपनी चीजों और अपने करीबी लोगों को लेकर काफी पोसेसिव भी है. एक चैट में पूर्व इंग्लिश क्रिकेटर निक कॉम्पटन (Nick Compton) ने 2012 में भारत दौरे पर हुई एक ऐसी घटना का जिक्र किया जो विराट को बिलकुल पसंद नहीं आया था. निक ने बताया कि जब वो एक बार विराट की प्रेमिका से मिल कर बात कर रहे थे, तो विराट को इस बात से काफी आपत्ति हुई थी. जिसके बाद उनकी पूर्व प्रेमिका को लेकर पूरी इंग्लिश टीम ने काफी फब्तियां कसी थी.

विराट को होती थी जलन

निक ने बताया कि उसके बाद विराट को इतनी सी बात पर इतनी दिक्कत हुई कि सीरीज के दौरान कोहली ने बार बार उन्हीं को निशाना बनाया. निक ने उनकी पूर्व प्रेमिका से टकराने वाले वाकये को संक्षेप में बता कर कहा कि सीरीज से पहले वो केविन पीटरसन और युवराज सिंह के साथ बाहर थे और उनकी पूर्व प्रेमिका भी वहीँ मिल गई थी. जिसके बाद निक ने उनकी पूर्व प्रेमिका से बात की थी.

करने लगते थे कमेंट

निक ने बताया ये बात विराट को इतनी नागवार गुजरी कि जब भी वो बैटिंग करने जाते थे, तो ये भारतीय क्रिकेटर उन पर कमेंट करता था. उस दौरान ऐसा लगता था मानो वो बताना चाह रहे हों कि वो मेरी गर्लफ्रेंड है. लेकिन उस लड़की ने तो विराट को अपना एक्स बॉयफ्रेंड बताया था. आप समझ रहे हैं न कि मैं क्या कहना चाहता हूँ?

इंग्लिश टीम इस घटना को बनाना चाहती थी हथियार

जब इंग्लिश टीम को लगा कि विराट इस वाकये से चिढ़ गए हैं, तो उन्होंने इस घटना को विराट के ही खिलाफ हथियार बनाने की सोची. उन्होंने बताया हम इसका उस दौरान स्लेजिंग के रूप में इस्तेमाल कर रहे थे. लेकिन ये हम पर ही भारी पड़ गई. विराट ने काफी अच्छे तरीके से कमबैक किया और एक शतक जड़ दिया. फ़िलहाल निक ने विराट की उस पूर्व प्रेमिका के नाम को सीक्रेट ही रखा है. बता दें कि उस दौरान इंग्लैंड की टीम ने 4 मैचों की टेस्ट सीरीज में 2-1 से जीत दर्ज की थी. उस दौरान टीम की कप्तानी एलिस्टर कुक के हाथों थी जबकि भारत के महेंद्र सिंह धोनी कप्तान थे.

इन चीजों पर भूलकर भी नहीं करना चाहिए सैनिटाइजर का इस्तेमाल, हो सकता है खतरनाक!

वैश्विक महामारी कोरोना वायरस पूरी दुनिया के लिए बहुत बड़ी मुसीबत बना हुआ है. भारत समेत कई देशों में इसका कहर लगातार जारी है. 78 लाख से भी ज्यादा लोग कोरोना की चपेट में आ चुके हैं, तो वहीं 4 लाख से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है.

कोरोना वायरस की वजह से दुनियाभर के लोगों के मन में डर का माहौल बना हुआ है. ये वैश्विक महामारी छूने से भी फैलती है. ऐसे में सैनिटाइजर की डिमांड काफी बढ़ गई है. डॉक्टर भी कोरोना के संक्रमण के बचने के लिए बार-बार हाथ धोने की सलाह दे रहे हैं. ऐसे में आजकल लोग किसी भी चीज को छूने के बाद सैनिटाइजर का इस्तेमाल कर रहे हैं.

हो सकती हैं ये दिक्कतें

लोग सिर्फ हाथों के लिए ही नहीं, सैनिटाइजर का इस्तेमाल सब्जियों, फलो और खाने-पीने की अन्य चीजों पर भी कर रहे हैं, जो सही नहीं है. ऐसा करना खतरनाक भी साबित हो सकता है. डायरेक्ट खाने-पीने की चीजों पर सैनिटाइजर का इस्तेमाल करने से स्वास्थ्य सम्बन्धी दिक्कतें हो सकती हैं. एक्सपर्ट के मुताबिक सैनिटाइजर का इस्तेमाल हाथों और मेटल से बनी हुई चीजों पर करना चाहिए.

फल-सब्जी में 7 घंटों तक रहता है वायरस

कोई भी सामान बाजार से खरीदकर लाने के बाद उसे कम से कम चार घंटे के लिए छोड़ देना चाहिए. ऐसे में अगर उस सामान में कोरोना वायरस होगा, तो भी वो खत्म हो जाएगा. सब्जी और फलों में कोरोना वायरस 7 घंटों तक रहता है. ऐसे में बाजार से इसे लाने के बाद कुछ घंटों के लिए अलग छोड़ देना चाहिए. जिस पैकेट या फिर कैरी बैग में सामान लाए हैं, उसको फेंक देना चाहिए. इसके बाद फल-सब्जियों को गर्म पानी से धो लेना चाहिए.

पके खाने में नहीं होता डर

वहीं, कुछ लोगों को बाहर से ऑर्डर किए गए खाने में भी डर रहता है. हालांकि पके हुए खाने में कोई खतरा नहीं होता. लेकिन बाजार से खाने ऑर्डर करने पर कई चीजों का ध्यान रखना होता है, जैसे कि इसको घर तक कौन ला रहा, इसकी पैकिंग कौन कर रहा है. खाना बनने के बाद पैकिंग से लेकर डिलवरी तक इसको कई लोग छूते हैं. ऐसे में अगर जरूरी ना तो बाहर का खाना ना खाएं.

लॉकडाउन के दौरान Parle-G की निकली लॉट्री, 82 साल का टूटा रिकॉर्ड

कोरोना वायरस में लॉकडाउन के चलते तमाम बिजनेस ठप्प हो चुके हैं. कुछ बिजनेस अपनी लुढ़की गाड़ी को पटरी पर लाने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन इस दौरान पारले-जी बिस्किट ने अपनी बिक्री का 82 सालों का रिकॉर्ड तोड़ दिया. पैदल चलने वाले प्रवासी मजदूर के लिए पार्ले-जी बिस्किट किसी अन्नदाता से कम नहीं था. महज 5 रुपये में मिलने वाले इस बिस्किट ने पैदल चलते मजदूरों का हर कदम पर साथ दिया. कुछ लोगों ने इसे खुद खरीदा, तो कुछ ने मदद के तौर पर दूसरों को दिया. काफी लोगों ने तो अपने घरों में इसका स्टॉक जमा कर लिया.

1938 से लोगों का फेवरेट

पार्ले जी 1938 से ही लोगो का फेवरेट रहा है. लेकिन लॉकडाउन के बीच ये अमीरों से ज्यादा गरीबों के सफ़र का साथी बना है. पारले कंपनी ने अभी तक सेल्स नंबर का तो खुलासा नहीं किया है, लेकिन ये जरूर बताया है कि पिछले 8 दशकों में मार्च, अप्रैल और मई इसकी बिक्री के सबसे अच्छे महीने रहे हैं. पार्ले प्रोडक्ट्स केटेगरी के हेड मयंक शाह का भी कहना है कि कंपनी का कुल मार्केट शेयर 5 फीसदी तक बढ़ा है. इसमें से 80-90 परसेंट की ग्रोथ पारले जी की सेल से हुई है.

लॉकडाउन के समय शुरू कर दिया था ऑपरेशन

दरअसल पार्ले ने लॉकडाउन के कुछ समय बाद ऑपरेशन शुरू कर दिए थे. कुछ कंपनियों ने कर्मचारियों के आने जाने की व्यवस्था भी कर दी थी. ताकि वो आसानी से और सुरक्षित तरीके से काम कर सके. फैक्ट्रियां चालू होने पर इन कंपनियों का फोकस उन प्रोडक्ट्स का ज्यादा से ज्यादा उत्पादन करना होता है जिनकी ज्यादा सेल होती है. सिर्फ पारले जी ही नहीं बल्कि लॉकडाउन के दौरान ब्रिटानिया का गुड डे, टाइगर, मिल्क बिकिस, बार्बर्न और मैरी बिस्कुट के अलावा पारले का क्रैकजैक, मोनैको, हाइड एंड सीक जैसे बिस्कुट भी खूब बिके.

ग्राहकों की ओर से आ रही थी खूब डिमांड

ग्राहकों की ओर से पारले जी की खूब डिमांड आ रही थी इसलिए कंपनी ने अपने सबसे कम कीमत वाले ब्रांड पारले जी पर फोकस किया. कंपनी ने अपने डिस्ट्रिब्यूशन चैनल को भी एक हफ्ते के अंदर रीसेट कर दिया, ताकि रिटेल आउटलेट पर बिस्कुट की कमी ना हो. मयंक शाह ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान पारले जी बहुत से लोगों को आसान खाना बन गया. कुछ के लिए तो यह उनका इकलौता खाना था. जो लोग रोटी नहीं खरीद सकते वह भी पारले-जी बिस्कुट खरीद सकते हैं.

करोड़ों की जायदाद, 25 बैंक अकाउंट..जयललिता की संपत्ति का मार्केट प्राइस सुनकर खड़े हो ज...

तमिलनाडु की पूर्व सीएम जे जयललिता के भाई के बेटे और बेटी को उनकी करोड़ों की जायदाद का मालिक घोषित कर दिया गया है। लेकिन इस संपत्ति का उचित बाजार मूल्य जानने के लिए मद्रास हाईकोर्ट में तीन आंकड़ों की पेशी हुई है।

उनके कानूनी उत्तराधिकारी जे दीपा और जे दीपक के मुताबिक इस संपत्ति का कुल मूल्य 188 करोड़ रुपये है। जबकि एआईडीएमके के पदाधिकारी का दावा है कि ये संपत्ति 913.13 करोड़ रुपये की कीमत की है। ये आंकड़े केवल उन चीजों से संबंधित हैं जो जयललिता ने 1991 से 1996 के बीच हासिल की थीं।

कुछ सवालों के खोजे जा रहे जवाब

अभी जयललिता के पसंदीदा समर रिट्रीट कोडानाड एस्टेट के बारे में कुछ सवालों के जवाब ढूंढे जा रहे हैं। ये 900 एकड़ में फैला हुआ है जिसको 1992 में खरीदा गया था। लेकिन खरीदे जाने के बाद ये अपने आकार से दोगुना हो गया है। अब इस एस्टेट के बारे में ये पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि ये नया हिस्सा किस के नाम पर रजिस्टर्ड है, जोड़े गए हिस्से का रजिस्ट्रेशन हुआ है या नहीं। बता दें इसका मार्केट प्राइस 1 करोड़ रुपये प्रति एकड़ हैं।

चुनाव के दौरान 113 करोड़ थी संपत्ति

2016 के विधानसभा चुनाव के दौरान जयललिता ने अपने हलफनामे में 113 करोड़ की संपत्ति लिखी थी। उस दौरान उन्होने चेन्नई के डॉ. राधाकृष्णन नगर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा था। इसके अलावा बैंक खातों में दस करोड़ तिरेसठ लाख रुपये जमा थे. जयललिता की संपत्ति में 27 करोड़ रुपये से अधिक के बांड, डिबेंचर और कंपनियों के शेयर थे. खास बात ये है कि इन संपत्ति का न ही कभी जयललिता ने बीमा कराया और न ही कभी अपना।ये था संपत्ति में शामिल

चल संपत्ति की बात जाये तो जयललिता के पास दो टोयटा प्राडो एसएयूवी, एक कंटेसा, एक एंबेसडर, महिंद्रा बोलेरो और महिंद्रा जीप सहित कुल नौ गाड़ियां हैं, जिसका बाज़ार मूल्य करीब 42 लाख रुपये बताया गया था. हलफनामे के मुताबिक उनके पास 21 किलो सोना मौजूद था जिसे कर्नाटक राजस्व विभाग ने जब्त कर लिया था। इसके अलावा जयललिता के पास बारह सौ पचास किलोग्राम चांदी के आभूषण थे, जिसका बाज़ार मूल्य तीन करोड़ 12 लाख 50 हज़ार रुपये बताया गया. उनके पास 25 बैंक अकाउंट थे जिसमें से उनके सात अकाउंट फ़ीज़ किए जा चुके हैं।

अचल संपत्ति के हिसाब से जयललिता पोएस गार्डेन में रह रही थीं. ये उनका अपना निवास था जो करीब 24 हज़ार वर्गफ़ीट में फैला हुआ है. इसका बिल्टअप एरिया 21 हज़ार वर्ग फ़ीट से कुछ अधिक है. इसका बाज़ार मूल्य लगभग 44 करोड़ रुपये बताया गया है. इस मकान के अलावा जयललिता की अचल संपत्ति में चार कमर्शियल इमारतें शामिल हैं, जिनका कुल मिलाकर बाज़ार मूल्य 13 करोड़ रुपये से ज़्यादा आंका गया है. इसके अलावा तेलंगाना के हैदराबाद और तमिलनाडु के कांचीपुरम में उनका 15 एकड़ और 4 एकड़ का प्लॉट है।