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IND vs ENG 1st Test, Day 1: जो रुट ने जड़ा लगातार तीसरा शतक, इंग्लैंड ने पहले दिन ही ...

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भारत और इंग्लैंड के बीच चेन्नई के एमए चिदंबरम स्टेडियम में खेले जा रहे पहले टेस्ट मैच (IND vs ENG 1st Test) के पहले दिन का खेल समाप्त हो गया है। इंग्लैंड ने शानदार बल्लेबाजी करते हुए पहले दिन ही 3 विकेट के नुकसान पर 263 रन बना लिए हैं। अपना 100 वां टेस्ट मैच खेल रहे इंग्लिश कप्तान जो रुट (Joe Root) ने अपने 100 वें टेस्ट को यादगार बना दिया है।

उन्होंने मैच के पहले दिन हीं शानदार बल्लेबाजी करते हुए 14 चौके और 1 छक्के की मदद से 128 रन बना लिए हैं। वहीं, दूसरी ओर इंग्लैंड के ओपनर बल्लेबाज डॉमिनिक सिब्ले ने भी शानदार प्रदर्शन करते हुए 12 चौके की मदद से 87 रन बनाए। पहले दिन की आखिरी बॉल पर जसप्रीत बुमराह ने उन्हें आउट कर दिया।

जो रुट ने जड़ा लगातार तीसरा शतक

जो रूट (Joe Root) ने 100वें टेस्ट में अपना शतक 164 गेंदों पर पूरा किया, जिसमें 12 चौके शामिल रहे। ये उनके करियर का 20वां टेस्ट शतक है, भारत के खिलाफ जमाया 5वां शतक और टेस्ट मैच में उनके बल्ले से निकला लगातार तीसरा शतक है। जो रूट स्पिन के कितने शानदार खिलाड़ी हैं. ये बात उन्होंने श्रीलंका में दिखाया और अब भारतीय पिच पर भी उसे लेकर अपना लोहा मनवाते दिख रहे हैं। चेन्नई टेस्ट की पहली पारी में जो रूट का शतक उनके बल्ले से निकला लगातार तीसरा शतक है। इससे पहले उन्होंने श्रीलंका के खिलाफ गॉल में खेले 2 टेस्ट में 228 और 186 रनों की पारी खेली थी।

पहले दिन कमाल नहीं कर पाए भारतीय गेंदबाज

दूसरी ओर भारतीय टीम के लिए पहला दिन कुछ खास नहीं रहा। इंग्लैंड के खिलाफ टीम में वापसी करने वाले अनुभवी गेंदबाज इशांत शर्मा पहले दिन कुछ खास कमाल नहीं दिखा पाए। उन्होंने पहले दिन 15 ओवर गेंदबाजी की और 27 रन दिए लेकिन इन्हें एक भी विकेट नहीं मिला। (IND vs ENG 1st Test)

आर अश्विन ने ओपनर बल्लेबाज रॉरी बर्न्स को अपना शिकार बनाया और इंग्लैंड को पहला झटका दिया। वहीं, जसप्रीत बुमराह को डेनियल लॉरेंस औऱ सिब्ले को अपना शिकार बनाया। भारत के लिए अपना दूसरा टेस्ट सीरीज खेल रहे वाशिंगटन सुंदर भी पहले दिन गेंदबाजी में अपनी छाप छोड़ने में नाकाम रहे।

साथ ही अपना दूसरा टेस्ट मैच खेल रहे शाहबाज नदीम का परफॉर्मेंस भी कुछ खास नहीं रहा। इंग्लिश टीम की ओर से अभी बेन स्टोक्स, ऑली पोप और जोस बटलर जैसे खिलाड़ी बल्लेबाजी करने वाले हैं। ऐसे में शानदार खेल दिखा रही इंग्लैंड की टीम पहली पारी में बड़ा स्कोर खड़ा करने का कोई मौका नहीं छोड़ने वाली है।

‘जो कहते हैं कृषि बिल काला है, उनके मुंह पर लगाना…’ राज्यसभा में केंद्रीय मंत्र...

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केंद्र सरकार द्वारा लाए गए नए कृषि कानूनों को लेकर आंदोलन तेज है। दिल्ली के टिकरी, गाजीपुर और सिंघु बॉर्डर पर हजारों की संख्या में किसान इस कानून के विरोध में आंदोलन कर रहे हैं। केंद्र सरकार और सरकार के मंत्रियों के बीच 11 राउंड की बैठक हो चुकी है लेकिन नतीजा अभी भी कोसों दूर नजर आ रहा है। सड़क से लेकर संसद तक किसान आंदोलन का असर देखने को मिल रहा है।

विपक्षी पार्टियां केंद्र सरकार पर लगातार हमला बोल रही है तो वहीं दूसरी ओर विपक्ष के नेता संसद में भी सरकार पर सवाल उठा रहे हैं। संसद में लगातार इसके पक्ष और विपक्ष में तर्क दिए जा रहे हैं, जिसे लेकर जमकर हंगामा भी हो रहा है। इसी बीच एनडीए की सहयोगी रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया के अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने राज्यसभा में विपक्षी पार्टियों को निशाने पर लिया है।

मराठा, जाट, राजपूत और ठाकुरों को भी चाहिए रिजर्वेशन

आरपीआई के अध्यक्ष रामदास अठावले ने आज शुक्रवार को राज्यसभा में कृषि बिल के समर्थन में अपने अंदाज में एक कविता सुनाई और विपक्षी दलों को निशाने पर लिया। केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘किसान बिल जो कहते हैं काला है, मैं कहता हूं बिल तो उजाला है, क्या जो कहते हैं बिल काला है, उनके मुंह पर लगाना ताला है।‘

अठावले ने कहा, मराठा, जाट, राजपूत और ठाकुर समुदाय के लोग महाराष्ट्र, हरियाणा, राजस्थान और यूपी में रिजर्वेशन चाहते हैं। क्षेत्रीय समुदाय की बहुत बड़ी आबादी है। जिस तरह से 10 फीसदी रिजर्वेशन आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग को दिया गया है उसी तरह से उन्हें भी दिया जाना चाहिए।

किसान आंदोलन का आज 72वां दिन

बता दें, नए कृषि कानूनों के विरोध में किसान पिछले 71 दिनों से दिल्ली की बॉर्डरों पर आंदोलन कर रहे हैं और सरकार से इन कानूनों को रद्द करने की मांग भी कर रहे हैं। साथ ही एमएसपी पर कानून बनाने की मांग भी की जा रही है। हालांकि, केंद्र सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि वे कानून को वापस नहीं करेंगे। केंद्र सरकार की ओर से लगातार इस कानून में संशोधन की बात कही जा रही है। किसान नेता और सरकार के बीच अगली बैठक कब होगी, इस पर संशय बरकरार है।

Farmers Protest: तीन घंटों का चक्का जाम, पुलिस की तैयारी…जानिए 6 फरवरी का पूरा प्लान

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2 महीनों से भी जारी किसान आंदोलन में एक बार फिर से तेज हो रहा है। जहां 26 जनवरी को हुई हिंसा के बाद ये संभावनाएं जताई जाने लगी थीं कि किसानों का आंदोलन खत्म होने की ओर आगे बढ़ रहा है, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। किसानों का कहना है कि उनका आंदोलन तब तक यूं ही जारी रहेगा, जब तक सरकार उनकी मांगों को मान नहीं लेती।

दिल्ली-यूपी और उत्तराखंड में नहीं होगा चक्का जाम

किसानों ने एक बार फिर से अपने आंदोलन को रफ्तार देने के लिए कल यानी 6 फरवरी को चक्का जाम करने का फैसला लिया। किसान संगठनों का कहना है कि ये चक्का जाम देशव्यापी होगी, जिसमें 6 फरवरी को केवल तीन ही घंटों के लिए होगा। हालांकि ये चक्का जाम दिल्ली, यूपी और उत्तराखंड में नहीं होगा। इसका ऐलान भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने किया।

3 घंटों के लिए होगा चक्का जाम

राकेश टिकैत के अनुसार 6 फरवरी यानी शनिवार को चक्का जाम तीन घंटों के लिए दोपहर 12 बजे से लेकर 3 बजे तक होगा। जिस दौरान अपने अपने इलाकों में लोग सड़कों पर बैठेंगे और उन्हें जाम करेंगे। किसान नेताओं के अनुसार ये चक्का जाम दोपहर 3 बजे तक खत्म हो जाएगा और वो इसके बाद एक साथ एक मिनट के लिए गाड़ियों के हॉर्न बजाएंगे। तीन घंटे के चक्का जाम के बाद प्रदर्शनकारी गांव, ब्लॉक और जिला स्तर पर स्थानीय अधिकारियों को ज्ञापन सौंप जाएगा। राकेश टिकैत ने कहा कि यहां जो लोग नहीं आ सकते, वो अपनी-अपनी जगहों पर शांतिपूर्ण तरीके से चक्का जाम करें।

केंद्र पर तंज कसते हुए राकेश टिकैत ने कहा कि दिल्ली और आसपास की जगहों पर पहले ही किले बंदी की हुई है, तो इस वजह से हमले ये फैसला लिया कि यहां पर चक्का जाम नहीं किया जाएगा। इस दौरान टिकैत ने ये अपील भी की है कि गांव, शहरों और कस्बों में जो प्रदर्शनकारी चक्का जाम करेंगे, उस दौरान वहां जो आम लोग मौजूद होंगे उनकी सेवी की जाए। किसान संगठन चक्का जाम के दौरान आम लोगों को मूंगफली, फल, पानी चना, खाना समेत अन्य चीजें देंगे।

भारतीय किसान यूनियन की तरफ से ये कहा गया है कि ये चक्का जाम शांतिपूर्ण होगा। सिर्फ हाईवे को जाम किया जाएगा। इस दौरान एंबुलेंस और स्कूल बस का रास्ता नहीं रोका जाएगा।

चक्का जाम के लिए पुलिस की तैयारी

वहीं चक्का जाम को लेकर पुलिस भी सतर्क है। भले ही दिल्ली में किसान संगठनों ने चक्का जाम नहीं करने का फैसला लिया हो, लेकिन फिर भी 26 जनवरी की हिंसा को देखते हुए पुलिस सतर्क है। दिल्ली पुलिस के DSP चिन्मय बिस्वाल ने कहा कि चक्का जाम को  देखते हुए सभी संवेदनशील जगहों पर खास ध्यान रखा जा रहा है। चक्‍का जाम का सबसे ज्‍यादा असर पंजाब और हरियाणा में दिखने की संभावना है। ऐसे में वहां की पुलिस पूरी तरह मुस्‍तैद है।

…तो क्या तांडव Controversy का द फैमिली मैन-2 पर पड़ा इफेक्ट? पोस्टपोन हुई मनोज ...

मनोज वाजपेयी स्टारर मोस्ट पॉपुलर वेब सीरीज द फैमिली मैन के दूसरे सीजन का फैंस बेसब्री से इंतेजार कर रहे हैं। इस सीरीज का पहला सीजन 2019 में आया था और अब दूसरे सीजन की रिलीज डेट को भी अनाउंस कर दिया गया था। 12 फरवरी को द फैमिली मैन 2 अमेजन प्राइम पर रिलीज होनी थी। लेकिन अब फैंस को थोड़ा और इंतेजार करना पड़ेगा, क्योंकि द फैमिली मैन 2 पोस्टपोन हो गई है।

पोस्टपोन हुई द फैमिली मैन 2

द फैमिली मैन अब 12 फरवरी को रिलीज नहीं होगी। इसकी जानकारी देते हुए सीरीज के निर्माता राज और डीके ने एक आधिकारिक बयान जारी किया और बताया कि अब द फैमिली मैन-2 गर्मियों में आएगी।

वो फैंस जो बेसब्री से इसका इंतेजार लंबे वक्त से कर रहे थे, उनको जरूर इससे झटका लगेगा। उनको इस दूसरे पार्ट के लिए थोड़ा और इंतेजार करना पड़ेगा। दरअसल, द फैमिली मैन 2 पर लंबे वक्त से काम चल रहा था। सीरीज के पहले सीजन को मिली सफलता के बाद मेकर्स दूसरे पार्ट को बेहद खास बनाना चाहते है।

जारी किया गया ये बयान

द फैमिली मैन 2 के पोस्टपोन होने पर मेकर्स ने एक आधिकारिक बयान जारी कर कहा- ‘हम ये जानते हैं कि आप सभी लोग द फैमिली मैन के अगले सीजन का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। दर्शकों ने जितना प्यार मिल रहा हैं, हम उसके शुक्रगुजार है। हम आपके लिए एक अपडेट लेकर आए हैं। द फैमिली मैन 2 का अगला सीजन इस साल गर्मियों में आएगा। दूसरे सीजन को बेहतरीन बनाने के लिए हम दिन रात मेहनत कर रहे हैं। उम्मीद करते हैं कि आप इसे पसंद करेंगे। द फैमिली मैन 2 के लिए हम काफी उत्साहित हैं।’

क्या तांडव विवाद का पड़ा असर?

द फैमिली मैन 2 के पोस्टपोन होने की वजह भले ही मेकर्स ने साफ तौर पर नहीं बताई हो। लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि बीते दिनों में कुछ वेब सीरीज को जो कुछ भी कॉट्रोवर्सी हुई, उसी को देखते हुए द फैमिली मैन 2 को पोस्टपोन किया गया। दरअसल, बीते दिनों मिर्जापुर और तांडव जैसे वेब सीरीज काफी विवादों में घिरी रहीं।

तांडव वेब सीरीज के कुछ सीन्स को लेकर काफी ज्यादा बवाल हुआ। मामला कोर्ट तक पहुंचा। वहीं सोशल मीडिया पर भी इसे बैन करने की मांग उठने लगे। मेकर्स ने विवाद को बढ़ता देख माफी मांगी और साथ में विवादित सीन्स को भी सीरीज से हटाया। वहीं मिर्जापुर वेब सीरीज पर भी जिले की खराब छवि दिखाने का आरोप लगा और ये मामला भी कोर्ट तक पहुंचा।

ऐसा माना जा रहा है कि इन सब विवादों के चलते ही द फैमिली मैन 2 को पोस्टपोन करने का फैसला लिया गया। हालांकि बताया जा रहा है कि सीरीज में ऐसा कंटेंट नहीं जिसपर बवाल हो। लेकिन फिर भी मेकर्स फिलहाल रिस्क नहीं लेना चाहते। जिसके चलते इसे पोस्टपोन किया गया। वैसे अब उम्मीद ये की जा रही है कि द फैमिली मैन 2 अब इस साल मई-जून के महीने में रिलीज हो।

सबसे जानलेवा सांप में क्यों कहलाया जाता है भारतीय कोबरा, जानिए…

“सांप” ये एक नहीं बल्कि अनेक होते हैं, जो देखने में भले ही छोटे होते हो लेकिन इनके सामने जाने से बड़ा सा बड़ा व्यक्ति डरता है. चाहें छोटा सा सांप हो या फिर बड़ा सा काटने पर उतना ही दर्द होता है और जान जाने का खतरा भी उतना ही रहता है ये ही कारण है कि हम सभी सांप से दूर ही रहना पसंद करते हैं. वहीं, आप ने कोबारा सांप का नाम तो काफी सुना होगा या फिर देखा भी होगा. कहा जाता है कि कोबरा भारत का सबसे जानलेवा सांप है, लेकिन क्या आप जानते कि क्यों? तो आइए आपको कोबरा से जुड़ी कुछ ऐसी बाते बताते है जिसे जानकर यकीनन आप हैरान भी हो सकते हैं…

भारतीय कोबरा

आपको बता दें कि भारत में पाए जाने वाला सबसे जहरीला सांप भारतीय कोबरा है. इस साप को नाग के नाम से भी जाना जाता है. हिन्दू धर्म में नाग देवता के रूप में इसकी पूजा की जाती है. लगभग सभी इलाकों में आसानी से नाग देखने को मिलता हैं. खास आकार के फन और उस पर बनी धारियों से कोबरा की पहचान की होती है. ये अपने शरीर का एक तिहाई भाग उठाकर चल सकता है. कोबरा की औसत लंबाई 12 से 14 फुट तक होती है.

काटते ही इतने मिनटों में मौत

कहा जाता है कि कोबरा के काटने से व्यक्ति का बच पाना काफी मुश्किल होता है. अगर इसने किसी व्यक्ति को काट लिया तो काटने के 15 मिनट के अंदर ही उसकी मौत हो जाती है. बता दें कि अभी तक किंग कोबरा की सबसे ज्यादा रिकॉर्ड की गई लंबाई 18 फुट 9 इंच ही मानी गई है.

लुप्त हो रहे हैं किंग कोबरा

आपको बता दें कि वन्यजीव संरक्षण अधिनियम की अनुसूची-2 में किंग कोबरा है. इसका मतलब ये है कि ये उन जीवों में से हैं जो खतरे में हैं. किंग कोबरा लुप्त होते जा रहे हैं वो समय दूर नहीं है जब एक कोबरा दिखना भी मुश्किल हो सकते हैं. वहीं बेहद खतरनाक होने के कारण इनके संरक्षण के उपाय नहीं किए जाते है, क्योंकि विषैला और जानलेवा होता है.

सपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे शिवपाल यादव, कहा- किसानों के खिलाफ कानून बनाने वालों क...

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उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election 2022) को लेकर राजनीतिक पार्टियों ने अपनी तैयारियां तेज कर दी है। प्रदेश की क्षेत्रीय पार्टियां सत्तारुढ़ भारतीय जनता पार्टी को मात देने के लिए अपने प्रयासों में लग गई है। वहीं, दूसरी ओर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ भी अगले चुनाव को लेकर अपनी तैयारियों में लगे हैं।

इसी बीच समाजवादी पार्टी लोहिया (PSPL) के प्रमुख शिवपाल यादव (Shivpal Yadav) ने कहा है कि वह अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) की समाजवादी पार्टी (SP) से गठबंधन करने के लिए तैयार हैं। उन्होंने नए कृषि कानूनों को लेकर सरकार को निशाने पर लिया। शिवपाल यादव ने कहा कि जिस सरकार ने किसानों के हित के खिलाफ ये काले कृषि कानून बनाए हैं, उन्हें किसी सूरत में चुनाव नहीं जीतने देना चाहिए।

जरुरत पड़ी तो शुरु करेंगे जेल भरो आंदोलन

आज शुक्रवार को PSPL प्रमुख ने यह बात कही। उन्होंने कहा, ‘हम किसानों के साथ हैं और जरूरत पड़ी तो हम जेल भरो आंदोलन भी करेंगे। ये कानून केवल कॉर्पोरेट घरानों की मदद के लिए बनाए गए हैं, बल्कि केंद्र सरकार की तरफ से लिए गए सभी निर्णय फिर चाहे वो नोटबंदी हो, जीएसटी हो, कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान श्रमिकों का माइग्रेशन हो, ये सब देश और जनता के खिलाफ ही थे।‘

शिवपाल यादव (Shivpal Yadav) ने सरकार को निशाने पर लेते हुए कहा, किसानों की आय को दोगुना करने का वादा किया गया, लेकिन आय में कमी आई है। यदि किसान इन कानूनों का विरोध कर रहे हैं तो सरकार क्यों उन पर ये कानून थोप रही है?

उन्होंने स्पष्ट कहा कि हम किसानों के साथ हैं और अगर जरुरत पड़ी तो हम जेल भरो आंदोलन शुरु करेंगे। यादव ने कहा कि नए कृषि कानून केवल कॉरपोरेट घरानों के लाभ के लिए बनाए गए हैं।

अखिलेश यादव ने कही थी छोटी पार्टियों से गठबंधन की बात

बता दें, PSPL ने स्पष्ट कर दिया है कि वे सपा के साथ गठबंधन करने को तैयार हैं। लेकिन समाजवादी पार्टी की ओर से इस मामले पर अभी तक कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। पिछले दिनों सपा प्रमुख अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने कहा था कि उनकी पार्टी विधानसभा चुनाव 2022 के लिए प्रदेश की छोटी पार्टियों से गठबंधन के लिए संपर्क कर रही है।

सभी विपक्षी पार्टियां केंद्र सरकार द्वारा लाए गए नए कृषि कानूनों का विरोध कर रही है। सपा भी काफी पहले से इस मामले को लेकर सरकार पर हमलावर है। उम्मीद लगाई जा रही है कि सपा जल्द ही PSPL के साथ गठबंधन करने का ऐलान कर सकती है।

गौरतलब है कि किसान आंदोलन को लेकर आंदोलन तेज हो गया है। दिल्ली के बॉर्डरों पर किसान पिछले 70 दिनों से आंदोलन कर रहे हैं और केंद्र सरकार से इन कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं। कल शनिवार, 6 फरवरी को किसान संगठनों ने देशभर में दोपहर 12 से 3 बजे तक चक्का जाम का ऐलान किया है।

राम मंदिर दान: भिखारियों ने दिया चंदा, तो इससे प्रेरित होकर मुस्लिम युवक भी आए आगे, प...

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अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण बनने का सपना लोग दशकों से देखते हुए आ रहे थे। उन करोड़ों लोगों को ये सपना अब आखिरकार पूरे होने जा रहा है। अगले कुछ ही सालों में अयोध्या में राम मंदिर बनकर तैयार हो जाएगा। राम मंदिर का भूमिपूजन हो चुका है और अब इसके निर्माण का कार्य चल रहा है। साथ ही साथ राम मंदिर निर्माण के लिए देशभर से चंदा इकट्ठा करने का काम जारी है।

राम मंदिर के लिए लोग बढ़-चढ़कर दान करते हुए नजर आ रहे हैं। झारखंड में भिखारियों ने भी राम मंदिर निर्माण के लिए अपना योगदान दिया। झारखंड के रामगढ़ जिला मुख्यालय स्थित लेप्रोसी कॉलोनी के भिखारियों ने भी 2425 रुपये एकत्रित करके राम मंदिर के लिए समर्पित किए। सिर्फ यही नहीं इससे प्रेरित होकर एक मुस्लिम युवक ने भी मंदिर निर्माण के लिए दान देकर एकता की मिसाल पेश की।

लेप्रोसी कॉलोनी की एक महिला सरस्वती देवी भीख मांगकर और कचड़ा चुनकर अपना गुजारा करती हैं। लेकिन जब राम मंदिर निर्माण के लिए योगदान देनी की बात आई, तो इसमें उन्होनें भी अपना योगदान देने का फैसला लिया। वहीं भीख मांगकर जिंदगी चलाने वाले लेप्रोसी कॉलोनी निवासी जीतू महतो ने भी भगवान राम के लिए अपनी आस्था को दिखाते हुए राम मंदिर के लिए 1 हजार रुपये का दान दिया।

वहीं जब एक मुस्लिम युवक जिनका नाम गुलाब सिंह है, उन्होनें लेप्रोसी कॉलोनी के रहने वाले लोगों की भगवान राम के प्रति आस्था को देखा, तो वो भी मंदिर निर्माण में अपना योगदान देने के लिए आगे आए। इससे प्रेरित होकर उन्होनें मंदिर निर्माण समिति को चंदा दिया।

रामगढ़ के लेप्रोसी कॉलोनी में दान लेने गए मंदिर निर्माण समिति के सदस्यों और पदाधिकारियों ने कहा कि समाज का हर वर्ग राम मंदिर के लिए बढ़-चढ़कर दान कर रहा है। सभी का यही सपना है कि वो भव्य राम मंदिर के सपने को साकार होते देखे।

गौरतलब है कि करोड़ों लोगों का सपना अयोध्या में राम मंदिर बनते हुए देखने का था। दशकों तक राम मंदिर के लिए लड़ाई चली। इस आंदोलन में कई लोगों ने अपनी जान भी गंवाई। राम मंदिर का मुद्दा सालों तक राजनीति में छाया रहा। लंबे समय तक कानूनी लड़ाई चली और 9 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने इस पर ऐतिहासिक फैसला सुनाया। जिसके बाद 5 अगस्त 2020 को राम मंदिर का भव्य भूमि पूजन हुआ। अब अगले कुछ ही सालों में ये मंदिर बनकर तैयार हो जाएगा।

ड्रीम गर्ल हेमा मालिनी से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें जानिए यहां…

हेमा मालिनी ने सिर्फ अपनी खूबसूरती ही नहीं बल्कि अपने दमदार अभिनय से भी लोगों का दिल जीता है. आज भी हेमा मालिनी करोड़ो दिलों पर राज करती है. उनका फिल्मी करियर काफी दिलचस्प रहा है. हर किरदार को हेमा ने बखूबी निभाया है. उम्र के इस पड़ाव में भी वो उतनी ही खूबसूरत और एनर्जी से भरपूर लगती है. आइए जानते हैं हेमा मालिनी से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें…

तमिलनाडु में हुआ जन्म

हेमा मालिनी का जन्म 16 अक्टूबर 1948 में तमिलनाडु में हुआ है. हेमा ने पढ़ाई चेन्नई के स्कूल में की है. बताया जाता है कि जब हेमा मालिन 10वीं कक्षा में थी तब ही से उन्हें फिल्मों के ऑफर आने शुरू हो गए थे. जब हेमा 11वीं में पहुंची तब ही उन्होनें फिल्मों में काम करना शुरू कर दिया था. उन्होनें साउथ की फिल्मों से अपने करियर की शुरूआत की थी.

ऐसा रहा फिल्मी सफर

1961 में हेमा मालिनी ने तेलगु फिल्म में एक किरदार किया था. उनके बॉलीवुड करियर की शुरूआत 1968 में ‘सपनों का सौदागर’ नाम की फिल्म से हुई थी. इस फिल्म में मुख्य किरदार में राज कपूर नजर आए थे. हेमा की पहली ही फिल्म के बाद राज कपूर ने ये कह दिया था कि वो एक दिन फिल्मी जगत का बड़ा चहरा बनेगी और राज कपूर की ये बात एकदम सच निकलीं.

हेमा मालिनी ने इसके बाद 1970 में ‘जॉनी मेरा नाम’ फिल्म में काम किया. ये फिल्म सुपरहिट हुई और धीरे-धीरे हेमा के फिल्मी करियर ने रफ्तार पकड़ ली. 1972 में वो ‘सीता और गीता’ नाम की फिल्म में नजर आई. इस फिल्म में उन्होनें डबल रोल निभाया था, जिसे हर किसी ने काफी पंसद किया. इस फिल्म के बाद वो रातोंरात स्टार बन गईं. ‘सीता और गीता’ फिल्म के लिए उन्हें बेस्ट एक्ट्रेस का अवॉर्ड भी मिला था. इसके बाद हेमा मालिनी ने प्रेम नगर अमीर गरीब, शोले, महबूबा चरस, ड्रीम गर्ल, त्रिशूल, मीरा, कुदरत, नसीब, क्रांति, अंधा कानून, रजिया सुल्तान, रिहाई, जमाई राजा, बागबान और वीर जारा जैसी कई सुपरहिट फिल्म में काम किया है.

फिल्म का निर्देशन भी कर चुकी हैं

एक्टिंग के अलावा हेमा मालिनी ने फिल्म का निर्देशन भी किया है. उन्होनें फिल्म ‘दिल आशना है’ में शाहरूख खान को मौका दिया था. वैसे तो शाहरूक की पहली फिल्म ‘दीवाना’ मानी जाती है. लेकिन कहा जाता है कि शाहरूख को पहली फिल्म का ऑफर हेमा मालिनी ने इसी फिल्म के लिए दिया था.

शादी करने के लिए धर्मेंद ने किया था धर्म परिवर्तन

धर्मेंद्र और हेमा की जोड़ी हर किसी को काफी पंसद आती है. ये दोनों फिल्मों में एक-साथ काम किया करते थे और दोनों को एक-दूसरे से प्यार हो गया. जिसके बाद ये दोनों हमेशा के लिए एक हो गए. अपनी किताब में हेमा मालिनी ने बताया था कि शुरूआत में उन्होनें धर्मेंद्र से शादी के बारे में कभी भी नहीं सोचना था. लेकिन जैसे-जैस वक्त बीता दोनों ने शादी करने का फैसला ले लिया. सबसे दिलचस्प बात तो ये हैं कि धर्मेंद्र से हेमा से शादी करने के लिए अपना धर्म और नाम परिवर्तन किया था. 21 अगस्त 1979 को दोनों ने निकाह किया था. उन्होनें ऐसा इसलिए किया था जिससे उन्हें अपनी पहली पत्नी प्रकाश कौर को तलाक ना देना पड़े.

राजनीति का है हिस्सा

बॉलीवुड में हेमा मालिनी ऐसी इकलौती एक्ट्रेस है जिन्होनें बॉलीवुड की सबसे फैमस कपूर फैमिली की दो जनरेशन्स के साथ काम किया है. हेमा ने राज कपूर, शम्मी कपूर, शशि कपूर, रणधीर कपूर और ऋषि कपूर के साथ काम किया है. फिलहाल वो राजनीति का भी हिस्सा है. वो बीजेपी पार्टी में शामिल हुई. वो मौजूदा समय में लोकसभा में मेंबर ऑफ पार्लियामेंट भी हैं.

'खून की खेती…' कांग्रेस पर कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का करारा प्रहा...

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राज्यसभा का बजट सत्र जारी है। संसद में इस बार किसान आंदोलन का मुद्दा ही सबसे ज्यादा चर्चाओं का विषय बना हुआ है। विपक्षी पार्टियां इस मुद्दे को लेकर सरकार को लगातार घेर रही हैं। शुक्रवार को भी तमाम विपक्षी पार्टियों ने किसानों के मुद्दे को लेकर केंद्र पर जमकर हमला बोला। इस दौरान कांग्रेस नेता ने तो राज्यसभा में बोलते हुए कृषि कानून पर बोलते हुए उसे ‘डेथ वॉरेंट’ भी कह दिया।

कांग्रेस के प्रताप सिंह बाजवा ने पंजाबी में बोलते हुए कहा कि जब सदन में कानून को लेकर इस सदन में चर्चा हो रही थी, तब ही मैनें ये कहा दिया था कि ये किसानों के लिए डेथ वॉरेंट होगा, लेकिन सरकार ने बात नहीं मानी।

विपक्ष पर बरसे कृषि मंत्री

वहीं इस मुद्दे को लेकर कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने भी अपना पक्ष शुक्रवार को राज्यसभा में रखा। इस दौरान वो विपक्ष पर जबरदस्त पलटवार भी करते नजर आए। कृषि मंत्री ने विपक्ष पर भड़कते हुए कहा कि खेती पानी से होती है, लेकिन केवल कांग्रेस ही खून की खेती कर सकती है।

कानून में ‘काला’ क्या है?

नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि विपक्षी पार्टियां सरकार को किसान आंदोलन पर घेर रही हैं और तीनों कानून को वो काला कानून बता रही हैं। लेकिन इन कानून में आखिर ‘काला’ है क्या? ये कोई बताएगा। कृषि मंत्री ने कहा कि मुझे बताएं कानून में ‘काला’ क्या है? मैं उसे ठीक करने की कोशिश करूंगा। सबकी बातों को मैनें सुना, लेकिन कानून के प्रावधान किसानों के प्रतिकूल कैसे हैं? इसके बारे में किसी ने भी बताने की कोशिश नहीं की।

कृषि मंत्री ने आगे कहा कि केंद्र सरकार के एक्ट से टैक्स खत्म होता है, जबकि राज्य सरकार का एक्स टैक्स देने पर बाध्या करता। जो टैक्स ले रहा और बढ़ा रहा है उसके खिलाफ आंदोलन होना चाहिए या फिर टैक्स फ्री करने वाले के खिलाफ? देश में अब उल्टी गंगा बह रही है।’

नरेंद्र सिंह तोमर आगे बोले कि भारत सरकार किसानों के लिए पूरी तरह से समर्पित है। आंदोलन के लिए हम लगातार किसानों को सम्मान देने की कोशिश कर रहे। किसानों के साथ 12 बार ससम्मान बातचीत की। हमने एक शब्द भी इधर-उधर नहीं बोला। संवेदनशीलता के साथ विचार किया। हमने बार बार पूछा कि कानून में किसान क्या बदलाव चाहते हैं, उसके बारे में हमें बताएं। लेकिन अगर हम कानून में बदलाव करते हैं तो इसका मतलब ये नहीं कि कृषि कानून गलत है।

‘एक राज्य के किसानों को बरगलाया-डराया गया’

कृषि मंत्री ने कहा कि सिर्फ एक राज्य के किसानों को बरगलाया और डराया जा रहा है। खेती पानी से होती है, लेकिन सिर्फ कांग्रेस ही खून से खेती कर सकती है। उन्होनें कहा कि बीजेपी खून से खेती नहीं कर सकती। कृषि मंत्री के इस बयान को लेकर राज्यसभा में हंगामा शुरू हो गया।

गौरतलब है कि किसानों का मुद्दा लगातार चर्चाओं में हैं। 2 महीने से भी ज्यादा समय से किसानों का आंदोलन नए कृषि कानून के विरोध में जारी है। किसानों और सरकार के बीच कई दौर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन विवाद अब तक सुलझ नहीं पाया। विपक्षी पार्टियां सड़क से लेकर संसद तक इस मामले को लेकर सरकार पर हमलावर है। बजट सत्र के दौरान भी ये सबसे बड़ा बहस का मुद्दा बना हुआ है।

केंद्र ने किया कानून में बदलाव अब दिल्ली सरकार को हर फैसले से पहले लेनी होगी LG से मं...

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आम आदमी पार्टी शासित दिल्ली की राजनीतिक गलियारों में हलचले काफी तेज हो गई है। दिल्ली सरकार और दिल्ली के राज्यपाल के बीच के रिश्ते किसी से छिपे नहीं है। अरविंद केजरीवाल की सरकार पहले भी कई बार दिल्ली के राज्यपाल पर सरकार के काम में दखल देने का आरोप लगा चुकी है।

इसी बीच केंद्र सरकार ने बुधवार को एक प्रस्ताव को मंजूरी दी, जिसके तहत राज्यपाल को विधानसभा से अलग कई ऐसी शक्तियां दी जाएंगी, जिनपर अबतक दिल्ली सरकार का अधिकार होता था। केंद्रीय मंत्रिमंडल के इस फैसले पर दिल्ली सरकार और केद्र सरकार के बीच एक बार फिर से तनातनी बढ़ गई है। आज शुक्रवार को दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने इस मामले को लेकर केंद्र की मोदी सरकार पर हमला बोला है और कई तरह के आरोप लगाए हैं।

‘मोदी सरकार दिल्ली पर शासन करना चाहती है’

मनीष सिसोदिया ने कहा है कि ‘एलजी सार्वजनिक हित के मामलों में अनावश्यक रूप से हस्तक्षेप करने और सरकार के काम में बाधा डालने के लिए इस अधिनियम का उपयोग कर सकते हैं।’ उन्होंने केंद्र की मोदी सरकार पर आरोप लगाया कि वह पिछले दरवाजे से राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली पर शासन करना चाहती है। सिसोदिया ने कहा कि यह अधिनियम लोकतंत्र, संविधान और दिल्ली के नागरिकों की मर्जी के खिलाफ है।

उप-मुख्यमंत्री ने कहा, ‘केंद्र मंत्रिमंडल ने एक कानून पेश किया है जिससे दिल्ली की चुनी हुई सरकार से शक्तियां छीन ली जाएंगी और केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त उपराज्यपाल को दे दी जाएंगी। दिल्ली सरकार को अपने फैसले लेने की आजादी नहीं होगी। बीजेपी दिल्ली पर पिछले दरवाजे से शासन करना चाहती है क्योंकि लगातार तीन चुनावों में उन्हें दिल्लीवालों ने हार का मुंह दिखाया है।‘

मनीष सिसोदिया ने आरोप लगाया, ‘केंद्र की बीजेपी सरकार ने एलजी की शक्तियों को बढ़ाने वाले इस कानून को गोपनीय तरीके से मंजूरी दी है। दिल्ली की सरकार बनाने का जो यह कानून है जिसे GNCTD एक्ट कहते हैं। इसमें बदलाव करके केंद्र सरकार अब उपराज्यपाल को इतनी शक्तियां देने जा रही है, जिसके बाद उपराज्यपाल दिल्ली की चुनी हुई सरकार के काम को आसानी से रोक सकते हैं।‘

दिल्ली सरकार के पास नहीं होगी निर्णय लेने की शक्ति

सिसोदिया ने कहा, ‘दिल्ली की चुनी हुई सरकार के पास अब फैसले लेने का अधिकार नहीं होगा, ये अधिकार अब LG के पास होंगे। जिसका मतलब है केंद्र की BJP सरकार के पास होंगे। राज्य सरकार जिसको दिल्ली की जनता चुनती है उसके पास अब निर्णय लेने की शक्ति नहीं होगी।‘

बता दें, केंद्रीय कैबिनेट ने गवर्नमेंट ऑफ NCT एक्ट में कुछ बदलाव किए हैं। जिसमें अब गवर्नर को विधानसभा से अलग कई स्पेशल पावर दिए जाएंगे। इससे पहले दिल्ली सरकार कई फैसले अपने अधिकार से लेती थी लेकिन अब उन्हें राज्यपाल से मंजूरी लेना अनिवार्य होगा। सरकार के इस फैसले पर आम आमदी पार्टी ने नाराजगी जाहिर की है।