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“…आप हमेशा सुपर किंग्स रहेंगे”, CSK के आईपीएल से बाहर होने पर इमोशनल हुईं साक्षी

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इंडियन प्रीमियर लीग (IPL 2020) में प्लेऑफ में क्वालिफाई करने की जंग लगातार तेज होती जा रही है। तीन टीमें (MI, DC, RCB) का प्लेऑफ में पहुंचना लगभग तय हो ही गया है। ये तीनों टीमें 7-7 जीत के साथ टॉप-3 पॉजिशन पर है। चौथे नंबर पर कोई-सी टीम क्वालिफाई कर पाएगी, इस पर संस्पेंस बना हुआ है।

राजस्थान की जीत से टूटी CSK की उम्मीदें

धोनी की टीम चेन्नई सुपर किंग्स के लिए आईपीएल का ये सीजन काफी खराब रहा। सीएसके की टीम 12 में से केवल 4 मैच ही जीतने में कामयाब हुई है। बीते दिन रॉयल चैंलेजर्स बैंगलोर (RCB) के खिलाफ खेले गए मैच में चेन्नई सुपर किंग्स को 8 विकेटों से जीत हासिल हुई। लेकिन इसके बावजूद सीएसके की टीम बीते दिन ही प्लेऑफ से बाहर हो गई। रविवार को राजस्थान ने रात में खेले गए मैच में जीत हासिल कर, सीएसके की टीम की सारी उम्मीदों पर पानी फेर दिया।

ऐसा पहली बार होगा जब धोनी की टीम क्वालिफाई नहीं करेगी। अब तक जितने भी सीजन सीएसके ने खेले है, टीम ने हर बार क्वालिफाई किया है। लेकिन इस बार 12 में से 4 मैच जीतकर धोनी की टीम प्वाइंट टेबल में सबसे नीचे 8 नंबर पर बनी हुई है। अगर सीएसके आगे खेले जाने वाले दो मैच जीत भी जाती है तो टीम के पास केवल 12 ही प्वाइंट होंगे।

साक्षी ने कविता के जरिए फैंस को दिया मैसेज

चेन्नई सुपर किंग्स के टूर्नामेंट से बाहर होने जाने के बाद कप्तान महेंद्र सिंह धोनी की पत्नी साक्षी ने एक इमोशनल पोस्ट किया है। साक्षी ने फैंस को दिए इस स्पेशल मैसेज में कहा- “ये एक खेल ही तो हैं..आप कुछ जीतते हैं और कुछ में हार का सामना करते हैं।”

साक्षी ने एक कविता के जरिए फैंस को खास मैसेज दिया। उन्होनें लिखा- “ये एक खेल ही हैं..इसमें आप कुछ जीतते है, तो कुछ हारते हैं। सालों से हम कई शानदार जीत देखते आ रहे हैं, तो कुछ दर्दभरी हार भी हमने देखी। हमने एक का जश्न मनाया, तो दूसरे पर दिल टूट गया। कुछ के जवाब मिले, कुछ के नहीं…! कुछ में जीते, कुछ में हारे और बाकी में चूक गए…ये सिर्फ एक खेल ही तो है!!”

साक्षी ने इस दिल छू लेने वाले मैसेज में आगे कहा- “कई उपदेश दे रहे हैं और कई अलग-अलग प्रतिक्रियाएं…अपनी भावनाओं को खेल भावना के आड़े मत आने देना…ये बस खेल ही तो हैं। कोई हारना नहीं चाहता..लेकिन हर कोई तो नहीं जीत सकता ना। जब हार हुई हो, हैरानी हो तो मैदान से लौटना भारी लगता है…जोशीले नारे और आहें दर्द बढ़ा देती हैं, तब अंदर की मजबूती काम आती है..ये बस खेल ही तो हैं।”

साक्षी अपनी इस भावुक पोस्ट में आगे बोलीं- “आप तब भी एक विजेता थे और अभी भी एक विजेता ही हैं…असली योद्धा लड़ने के लिए बने होते हैं…वो हमारे दिल और हम मन में हमेशा सुपर किंग्स रहेंगे।”

टीम को खेलने हैं अब बस दो मुकाबले

गौरतलब है कि चेन्नई सुपर किंग्स बेहतरीन टीमों में से एक है। तीन बार ये टीम आईपीएल का खिताब जीत चुकी है। ऐसे में पहली बार टीम का क्वालिफाई नहीं कर पाना, फैंस के लिए बड़ा झटका है। फैंस काफी निराश है, जिसकी वजह से ही कप्तान धोनी की पत्नी साक्षी ने इस स्पेशल कविता के जरिए मैसेज दिया। आपको बता दें कि चेन्नई को अब टूर्नामेंट के बाकी बचे हुए दो मैच कोलकाता नाइट राइडर्स और किंग्स इलेवन पंजाब के खिलाफ खेलने हैं।

भगत सिंह ने देखा था ऐसे भारत का सपना, जानें वीर सपूत के बारे में कुछ खास बातें…

भारत को अंग्रेजों से स्वतंत्रता दिलवाने में यूं तो लाखों स्वतंत्रता सेनानियों ने अपनी जान दी थीं। लेकिन भगत सिंह के व्यक्तित्व का प्रभाव कुछ अलग ही पड़ा। महज़ 23 साल का युवा अपने 2 साथियों के साथ गर्व से मां भारती के लिए फांसी पर झूल गया। इस शहादत का प्रभाव इतना हुआ कि पूरे देश के युवाओं के अंदर भगत सिंह ने जन्म ले लिया। भगत सिंह के बलिदान ने उस वक़्त युवाओं के अंदर ऐसा जोश भर दिया कि वे सीधा अंग्रेज़ी हुकूमत से टक्कर लेने को तैयार रहते थे।

जब हक के लिए लड़ने का रास्ता चुना

ऐसा नहीं है कि भगत सिंह शुरू से ही इस उग्र विचारधारा के इंसान थे। भगत सिंह भी छुटपन से गांधी के विचारों को मानते थे। लेकिन 1921 में जब महात्मा गांधी के नेतृत्व में चलने वाले असहयोग आंदोलन को वापस ले लिया गया, तो एक खास वर्ग गांधी जी के इस फैसले से सहमत नहीं था। इस घटना ने 14 साल के किशोर भगत सिंह पर ज़बरदस्त असर डाला और भगत सिंह ने गांधी के अहिंसा का रास्ता छोड़ कर अपने हक के लिए लड़ने का रास्ता चुना।

ऐसे भारत का देखा था सपना

भगत सिंह का मकसद सिर्फ भारत को अंग्रेज़ी हुकूमत से आज़ादी दिलाने तक ही सीमित नहीं था। भगत सिंह ने जिस भारत की कल्पना की थी उसमें वो भारत का निर्माण एक अशोषित समाज के रूप में करना चाहते थे। जहां ताक़तवर वर्ग कमज़ोरों को ना दबाए, जहां धर्म के नाम पर बंटवारा और मार-काट ना हो। वो हमेशा कहते थे कि सिर्फ अंग्रेज़ो से आज़ादी हमारा मकसद नहीं है, मकसद है देश को एक ऐसा नेतृत्व देना जो इसे एक भ्रष्ट, शोषक और साम्प्रदायिक समाज ना बनने दें।

क्यों हुईं थीं भगत सिंह को फांसी?

1928 में जब भारत में साइमन कमीशन आया तो उसका पूरे भारत मे विरोध हुआ और “साइमन गो बैक” नारे की गूंज ब्रिटिश सरकार को परेशान करने लगी। जिसके चलते हर जगह भारतीय प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज किया गया, जिसमें शेर-ए-पंजाब के नाम से प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी लाल लाजपत राय की मौत हो गई। इस घटना में भगत सिंह को भीतर तक झकझोड़ दिया था। उनकी मौत का बदला लेने के लिए 17 दिसंबर 1928 को अंग्रेज़ी मुलाज़िम स्कॉट की हत्या का प्लान बना। लेकिन निशाना चूक गया और स्कॉट की जगह असिस्टेंट सुप्रीटेंडेंट ऑफ पुलिस जॉन पी सांडर्स क्रांतिकारियों का निशाना बन गए, जिसके बाद भगत सिंह और उनके साथियों के साथ अंग्रेज़ी हुकूमत के लुका छुपी का दौर शुरू हो गया।

1929 में अंग्रेज़ी हुकूमत पब्लिक सेफ्टी और डिस्प्यूट्स बिल लाने की तैयारी में, जो भारत के बेहद घातक माना जा रहा था। तय हुआ कि इस बिल का विरोध किया जाएगा और असेंबली में बम फेंका जाएगा। मकसद किसी को चोट पहुंचना नहीं सिर्फ अंग्रेज़ी हुकूमत को नींद से जगाना था। इस बार निशाना नहीं चूका, जो मकसद था पूरा हुआ। भगत सिंह में अपनी गिरफ्तारी अपनी सहमति से दी। वो चाहते भी यही थे कि जेल जाएं और युवाओं को संदेश दे कि सिर्फ अहिंसा के रास्ते पर चल कर ही अपना हक नहीं मिलता। हक मांग कर नहीं छीन कर लिया जाता है। आज़ादी कुर्बानी मांगती है, जिसे देने के लिए वो हमेशा कतार में सबसे आगे खड़े रहे।

भगत सिंह सिर्फ एक स्वतंत्र सेनानी नहीं, वो एक विचारधारा है। युवाओं के लिए प्रेरणा।

सरकार की नाक के नीचे 10 साल तक लगाया साबले ने CDSCO को चूना, आखिर कैसे खुली पोल देखें...

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14 सितम्बर 2020 को स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने भष्ट्राचार के खिलाफ बड़ा कदम उठाते हुए एक फैसला किया। केंद्रीय औषध मानक नियंत्रण संगठन (उत्तरीय खंड) के शीर्ष अधिकारी धनन्जय साबले को भ्रष्टाचार करने, भारतीय कंपनियों के साथ भेदभाव करने और मेक इंन इंडिया की मुहीम को फेल करने की कोशिश करने के लिए कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया है। इस जांच के बाद साबले को लेकर जो सच सामने आया, उसने सरकारी तंत्र की नींव हिला कर रख दी है। कुछ ऐसे अनगिनत सवाल सामने आए जिसने सभी को असमंजस में डाल दिया…

सबसे पहले रुख करते हैं एक बड़े सवाल पर आखिर क्यों साबले पर लग रहा है भष्ट्राचार का आरोप, इसके पीछे का कारण जानकर आपकी भी नींदे उड़ जाएगी।

जब NEDRICK NEWS ने खुद को एक पारंगत सरकारी अधिकारी कहने वाले साबले का बीता हुआ कल खंगाला, तो जो सच सामने आया, वो ये बताता है कि आज भी हमारे सरकारी विभाग में नौकरियां मेरिट के बजाए धोखाधड़ी से हासिल की जाती है और वो भी करोडों लोगों की जान के साथ खिलवाड़ करके। केंद्रीय औषध मानक नियंत्रण संगठन (उत्तरीय खंड) के शीर्ष अधिकारी धनन्जय साबले की नियुक्ति दिल्ली में एक ड्रग इंस्पेक्टर के तौर पर हुई थी। साबले के अनुसार वो खुद इस पद के लिए काबिल समझता था, इसका प्रूफ भी दिया था, लेकिन फर्जी।

जी हां, साबले ने ड्रग इंस्पेक्टर की पोस्ट के लिए 3 सालों का एक ड्रग फैक्टी बिदवई कैमिकल प्राइवेट लिमीटेड नांदेड से Manufacturer होने का अनुभव लेटर दिया था, लेकिन जब हमारे संवाददाता ने इसकी जांच की तो पता चला कि साबले तो 2006 से 2009 तक B.E.S INSTITUTE OF PHARMACY, VELSHET, NAGOTHANE में प्रिंसिपल के तौर पर काम कर रहा था।

हमारे पास एक रिकॉर्डिंग है, जिसमें साबले खुद को ड्रग एवं Cosmetic के क्षेत्र में 5 साल का अनुभवी बताता है! आपको बता दे कि केंद्रीय औषध मानक नियंत्रण संगठन में ड्रग इंस्पेक्टर के पद पर नौकरी पाने के लिए 3 सालों Manufacturing या टेस्टिंग का ड्रग एवं Cosmetic के क्षेत्र में अनुभव होना अनिवार्य बताया है। लेकिन साबले ने फर्जी दस्तावेज देते हुए कॉलेज में प्रिंसिपल होने का कहीं जिक्र नहीं किया, जबकि एक फैक्ट्री का वर्क Experience दिया।

इतना ही नहीं साबले ने 2014 में Assistant Drugs Controller (ADCI) के पद के लिए अप्लाई किया था, इसमें भी कम से कम 5 साल का अनुभव होना अनिवार्य होता है लेकिन इस वक्त भी साबले के पास अनुभव कम था। लेकिन फिर भी उसे पद पर नियुक्त कर दिया गया, जो कि पूरी तरह से गैर कानूनी था। साथ ही ये भी सवाल उठता है कि जब कार्यरत था उसकी सैलरी का प्रमाण, अटेंडेंस रजिस्टर, प्रोस्पेक्टर्स विद्यार्थियों को असाइंमेंट और ऐसे तमाम सबूतों को क्यों संज्ञान में नहीं लिया गया। हमारे पास वो call recording है जो इस बात का प्रमाण देती है की ये वो ही धनंजय साबले है जो दिल्ली में posted है और ये उसी की कहानी है जो एक भ्रष्ट सरकारी अधिकारी है..

अब ये भी जान लेते हैं की आखिर ये साबले शिकंजे में कैसे आया–

देशभर में कोरोना संकट बढ़ रहा है लेकिन इन हालातों में साबले ने भ्रष्टाचार की सारी हदों को पार कर दिया है। दरअसल साबले ने कोरोना वायरस से लड़ने में मददगार जांच करने वाले चिकित्सा उपकरण (medical device/diagnostic kit ) बनाने वाली कंपनियों के आवेदन को आगे ही नहीं बढ़ने दिया, ये सभी कंपनियां भारत की है। जबकि पीएम मोदी के मेक इन इंडिया की मुहिम के तहत भारतीय कंपनियों को बढ़ावा देने के निर्देश दिए गए है लेकिन बावजूद इसके साबले ने भारतीय कंपनियों के आवेदन को आगे ही नहीं बढ़ने दिया। इस समय कोरोना की जांच के लिए जो भी उपकरण होते है, उसकी उपलब्धता सबसे पहले होनी चाहिए थी, लेकिन साबले ने इन आवेदनों को सिरे से खारिज कर दिया। जिसके बाद ही साबले के खिलाफ कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया गया है।

साबले की लापरवाही की शिकार 13 कंपनियों ने कोरोना वायरस के इलाज और बचाव से जुडे़ उपकरणों के लिए आवेदन किया था, लेकिन इस लापरवाही की बड़ी कीमत देश और देशवासियों को चुकानी पड़ी। भारत को मजबूरन अमेरिका से PM CARES फण्ड का पैसा इस्तेमाल करके अमेरिका से वेंटिलेटर्स आयात करने पड़े तो वहीं चीन से भी सर्जिकल मास्क की बड़ी खेप मंगवानी पड़ी। इसके अलावा कई इलाकों में टेस्टिंग की सुविधा को पूरा करने के लिए भी विदेशों से किट आयात करके मंगवाए गए। जबकि अगर साबले उन 13 कंपनियों के आवेदन पर वक्त रहते कार्रवाई करते तो भारत को शायद ये दिन न देखना पड़ता।

साबले के खिलाफ कई और भी शिकायतें है। साबले की इस घपलेबाजी के खिलाफ पहली बार 6 मार्च 2016 को मनोज पिम्पालसाकर नाम के व्यक्ति ने की थी, उसने साबले के खिलाफ भ्रष्टाचार करने, और धोखाधड़ी करके ड्रग इंस्पेक्टर के पद को पाने के खिलाफ शिकायत की थी।

मगर हैरानी की बात ये है कि इस शिकायत के बाद से ही मनोज लापता है और आज तक उसका कोई सुराग नहीं मिला है। लेकिन इस शिकायत के बाद से ही साबले की हरकतों पर नजर रखी जाने लगी और आखिरकार उसके गुनाहों से पर्दा उठ ही गया।

साबले का भारतीय कंपनियों के आवेदन पर मंजूरी ना देना, मेक इन इंडिया मुहिम की धज्जियां उड़ाई जा रही है। साबले जैसे अधिकारी जो बिना काबिलियत के ऐसे पदों पर पहुंच जाते है, जो ना केवल लाखों लोगों की जान को खतरे में डाल देते है। बल्कि दूसरों के नौकरियों का हक भी मारते है। ऐसे में साबले का कच्चा चिट्ठा सामने आने के बाद क्या होगा सरकार का अगला कदम, इसका इंतजार सभी को है।

ऐसा क्या कह दिया सुनील गावस्कर ने जो आगबूबला हो गई अनुष्का, जानिए पूरा मामला?

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इंडियन प्रीमियर लीग के हुए छठे मुकाबले में मिली बड़ी हार के बाद रॉयल चैंलजर्स बेंगलुरु (RCB) टीम को काफी आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है. पंजाब के खिलाफ खेलते हुए RCB 97 रनों से हार गई. मैच में कप्तान कोहली के प्रदर्शन को लेकर भी कई तरह के सवाल उठ रहे हैं.

विराट के परफॉर्मेंस को लेकर अनुष्का हुई ट्रोल

दरअसल, कोहली ने मैच में पंजाब टीम के सबसे अहम खिलाड़ी कप्तान केएल राहुल के दो बार कैच छोड़े. वहीं इसके अलावा वो बल्लेबाजी में भी फेल रहे. 207 जैसे बड़े लक्ष्य का पीछा करते हुए कोहली केवल एक ही रन बना पाए. जिसके बाद से सोशल मीडिया पर उनको काफी ट्रोल किया जा रहा है. इस दौरान कई ट्रोलर्स विराट की पत्नी और एक्ट्रेस अनुष्का शर्मा को भी हर बार की तरह इस बार भी टारगेट कर रहे हैं.

सुनील गावस्कर के कमेंट पर भड़के फैंस

विराट के साथ-साथ ट्रोलर्स के निशाने पर अनुष्का भी हैं. सिर्फ सोशल मीडिया पर लोग ही नहीं, पूर्व दिग्गज खिलाड़ी और कॉमेंटेटर सुनील गावस्कर ने भी अनुष्का शर्मा पर एक भद्दा कमेंट कर दिया, जिसको लेकर काफी हंगाामा हो रहा है. विराट और अनुष्का के तमाम चाहने वाले इस कमेंट के लिए सुनील गावस्कर की काफी आलोचना करते हुए नजर आ रहे हैं. इसके अलावा उनको BCCI के कमेंट्री पैनल से हटाने की भी मांग की जा रही है.

अनुष्का ने भी दिया करारा जवाब

वहीं इस पूरे विवाद पर अब एक्ट्रेस अनुष्का शर्मा का भी रिएक्शन सामने आ गया है. विराट के खराब परफॉर्मेंस को लेकर खुद पर किया गया भद्दा कमेंट अनुष्का को भी रास नहीं आया और उन्होनें अपने इंस्टाग्राम पर एक लंबा नोट लिखकर सुनील गावस्कर को करारा जवाब दिया है.

अनुष्का ने कहा- ‘मिस्टर गावस्कार ये बात सही है कि आपके जो कुछ भी कहा वो अच्छा नहीं था, लेकिन मुझे ये जानकर अच्छा लगेगा कि आपने पति के खेल का आरोप उसकी पत्नी पर लगाते हुए ऐसा बयान देने के बारे में क्यों सोचा? मैं ये बात जानती हूं कि आपने इतने सालों में कॉमेंट्री के दौरान क्रिकेटर्स की निजी जिंदगी का सम्मान किया है. क्या आपको नहीं लगता कि ये सम्मान मेरे और हमारे लिए भी रखना चाहिए था?’

अनुष्का शर्मा ने आगे लिखा- ‘मुझे यकीन है कि बीती रात मेरे पति की परफॉर्मेंट पर कमेंट करने के लिए आपके पास और भी कई शब्द और वाक्य होंगे. या फिर आपके शब्द सिर्फ तभी मायने रखते हैं जब उनमें मेरा नाम आया हो?’

एक्ट्रेस ने आगे गावस्कार को जवाब देते हुए कहा- ‘ये साल 2020 है, लेकिन मेरे लिए कुछ चीजें अभी भी नहीं बदली. आखिर कब ऐसा होगा जब मेरा नाम क्रिकेट में घसीटना बंद किया जाएगा और इस तरह की टिप्पणियां नहीं की जाएगी? रिस्पेक्टेड मिस्टर गावस्कार, आप एक दिग्गज खिलाड़ी हैं, जिनका नाम इस जेंटलमैन के खेल में काफी ऊंचे स्थान पर हैं. मैं बस आपको ये बताना चाहिए थीं कि आपने जो कुछ भी कहा उससे मुझे कैसा लगा.’

गौरतलब है कि ये पहला मौका नहीं जब विराट के परफॉर्मेंस के लिए अनुष्का को ब्लेम किया गया हो, या फिर उनका नाम बीच में घसीटा गया हो. ऐसा पहले भी बहुत बार देखने को मिला है. विराट भी पहले अपने परफॉर्मेंस को लेकर अनुष्का पर टिप्पणी करने वाले लोगों को करारा जवाब दे चुके हैं. वहीं अनुष्का भी समय-समय पर ट्रोलर्स को जवाब देती रही हैं.

IPL में कमेंट्री कर रहे मशहूर खिलाड़ी का मुंबई में निधन, क्रिकेट जगत में छाई शोक की ल...

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क्रिकेट जगत से बेहद ही बुरी खबर आ रही हैं. ऑस्ट्रेलिया के पूर्व बल्लेबाज और रिटायरमेंट के बाद कमेंट्री के लिए फेमस डीन जोन्स का निधन हो गया है. 59 साल की उम्र में डीन जोन्स ने आखिरी सांस ली. उनका निधन मुंबई में ही हुआ है. वो स्टार स्पोर्ट्स की कमेंट्री टीम का भी हिस्सा थे और IPL के लिए कमेंट्री कर रहे थे. दिग्गज खिलाड़ी की मौत दिल का दौरा पड़ने की वजह से हुई है.

क्रिकेट के बाद कॉमेंट्री में बनाई पहचान

मेलबर्न में जोन्स का जन्म हुआ था. बात अगर उनके क्रिकेट की करियर की करें तो उन्होनें 52 टेस्ट मैच खेले हैं, जिसमें 3631 रन बनाए. डीन जोन्स का बेस्ट स्कोर 216 था. उन्होनें 11 शतक जड़े हैं. वहीं डीन ने ऑस्ट्रेलिया की तरफ से 164 वनडे मैच भी खेले हैं, जिसमें उन्होनें 6068 रन बनाए. वनडे में उन्होनें 7 शतक और 46 अर्धशतक लगाए.

IPL में भी कर रहे थे कमेंट्री

जोन्स ऑस्ट्रेलिया को पहला वर्ल्ड कप जिताने वाली टीम का भी हिस्सा रहे है. रिटायरमेंट के बाद डीन जोन्स ने कमेंट्री में अपनी पहचान बनाई. कमेंट्री की दुनिया के वो काफी चर्चित नाम थे. उनको प्रोफेसर डीनो के नाम से भी जाना जाता था. अभी खेला जा रहा IPL के लिए वो मुंबई से कॉमेंट्री कर रहे थे. जोन्स IPL पैनल कमेटी का हिस्सा थे, जिसमें ब्रेट ली, ब्रायन लारा, ग्रीम स्वान और स्कॉट स्टायरिस शामिल हैं.

आज IPL का छठा मैच खेला जाने वाला है. आज का मुकाबला रॉयल चैंलजर्स बेंगलुरु और किंग्स इलेवन पंजाब के बीच कुछ ही घंटों में शुरू होना है. इस मैच से पहले क्रिकेट जगत से ये दुखद खबर आई है. डीन जोन्स के निधन पर फैन्स समेत तमाम दिग्गज सोशल मीडिया पर उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं.

दिग्गजों ने जताया दुख

टीम इंडिया के मुख्य कोच रवि शास्त्री ने डीन जोन्स के निधन पर दुख जताते हुए ट्वीट किया. उन्होंने कहा- ‘अपने सहकर्मी और प्यारे दोस्त को खोकर मुझे गहरा सदमा लगा. डीन जोन्स, आप काफी कम उम्र में हमें छोड़कर चले गए. परिवार के प्रति मेरी संवेदनाएं, आपकी आत्मा को शांति मिले.’

11 सालों तक खुद यौन शोषण का शिकार हुए हैं अनुराग कश्यप, काफी Controvesial रही हैं इनक...

बॉलीवुड के मशहूर फिल्ममेकर अनुराग कश्यप एक बार फिर से विवादों में घिर गए हैं. अनुराग कश्यप पर एक्ट्रेस पायल घोष ने यौन शोषण के आरोप लगाए है, जिसके बाद सोशल मीडिया पर कई लोग उनकी आलोचना कर रहे हैं और गिरफ्तार करने की मांग कर रहे हैं. हालांकि अपने ऊपर लगे इन गंभीर आरोपों पर अनुराग की तरफ से भी सफाई दी गई हैं और उन्होनें पायल के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है. लेकिन ऐसा पहली बार नहीं जब फेमस डायरेक्टर विवादों में घिरे हों. चाहे पर्सनल हो या फिर प्रोडेफेशनल लाइफ अनुराग कश्यप अक्सर ही चर्चाओं में बने रहते हैं. आइए आज हम आपको उनकी कॉन्ट्रोवर्सिल लाइफ के बारे में…

बतौर डायरेक्टर अनुराग ने करियर की शुरुआत एक ‘पांच’ नाम की फिल्म से की थी. हालांकि उनकी ये फिल्म आज तक रिलीज नहीं हो पाई. इसके बाद अनुराग ने ब्लैक फ्राई डे, नो स्मोकिंग, देव डी, गुलाल, द गर्ल इन येलो बूट्स, गैंग्स ऑफ वासेपुर जैसी कई फिल्में बनाई है. अनुराग कश्यप की अधिकतर फिल्में सामाजिक मुद्दों पर होती हैं.

11 साल तक हुए यौन शोषण के शिकार

अनुराग के इस तरह की फिल्में बनाने की एक वजह ये हैं कि वो खुद यौन शोषण का शिकार हो चुके हैं. अनुराग ने बताया था कि वो 11 सालों तक इसका सामना करना पड़ा था. एक इंटरव्यू में उन्होनें इसका खुलासा किया था. उन्होनें बताया था कि जिसने मेरा शोषण किया था वो 22 साल का था. हालांकि अब मैं उस व्यक्ति को माफ कर चुका हूं. जब मैं उससे कई सालों के बाद मिला था तो उसे भी इसका पछतावा था. लेकिन ये सब भूला पाना मेरे लिए आसान नहीं था.

अनुराग ने ये भी कहा था कि वो तनाव, गुस्से और फ्रस्टेशन में मुंबई आए थे. उन्होनें बताया था कि डिप्रेशन से निकलने में कल्कि ने उनकी काफी मदद की थीं. आपको बता दें कि एक्ट्रेस कल्कि, अनुराग की दूसरी पत्नी हैं. हालांकि अब दोनों अलग हो चुके हैं.

दो बार की हैं शादी…

अनुराग कश्यप ने दो शादियां की है. उनकी पहली शादी आरती बजाज से साल 1997 में हुई थी. दोनों का साल 2009 में तलाक हो गया था. अनुराग और आरती की एक बेटी भी हैं, जिनका नाम आलिया हैं. इसके बाद साल अनुराग एक्ट्रेस कल्कि कोचलिन के साथ शादी के बंधन में बंध गए. दोनों ने साल 2011 में शादी की थी. हालांकि ये भी ज्यादा वक्त तक चल नहीं पाई और 2015 में दोनों अलग हो गए. लेकिन अब जब पायल घोष ने यौन शोषण के आरोप लगाए हैं, तब दोनों पत्नियां अनुराग के समर्थन में उतर आई हैं.

20 साल छोटी लड़की को कर रहे हैं डेट

इन दिनों अनुराग कश्यप अपने से 20 साल छोटी शुभ्रा शेट्टी को डेट करने की खबरों को लेकर सुर्खियों में है. शुभ्रा ने 2014 में मुंबई से कॉलेज से पढ़ाई पूरी की है. वो फिलहाल अनुराग की प्रोडेक्शन कंपनी फैंटम फिल्म्स में काम कर रही हैं. हाल ही में आई अनुराग कश्यप द्वारा निर्देशित वेब सीरीज चोक्ड की स्क्रिप्ट भी शुभ्रा ने ही लिखी है.

कब खतरनाक हो जाता हैं Pancreatic Cancer, इन लक्षणों को गलती से भी नहीं करना चाहिए नजर...

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पैन्क्रियाटिक कैंसर जो कि एक स्टेज पर जाकर जानलेवा साबित हो सकता है। आज हम इसी पैन्क्रियाटिक कैंसर के बारे में विस्तार से जानेंगे। यह बीमारी जानलेवा इसलिए भी है क्योंकि शुरू के स्टेज में इसके लक्षण के बारे में पता ही नहीं चल पाता है। ज्यादातर केसेज में इस कैंसर के लक्षण तब दिखाई पड़ते हैं जब या तो ये प्रभावित सेल्स बड़ा हो जाता है या फिर पैंक्रियाज के बाहर ये पूरी तरह से फैल चुके होते हैं। पैन्क्रियाटिक कैंसर के बारे में अडवांस स्टेज में पता चलने पर अगर उसका इलाज किया भी जाए तो मरीज के पूरी तरह से स्वस्थ्य होने की उम्मीद बेहद कम होती है।

आखिर ये कैंसर कैसे होता हैं?

पैन्क्रियाटिक कैंसर की स्थिति तब पैदा होता है जब पैंक्रियाज के सेल काउंट में काफी तेजी से इजाफा होने लगता है। बेकाबू हो चुकी कोशिकाएं बड़े ही घातक तरीके से ट्यूमर बनाती हैं जो शरीर के अन्य हिस्सों पर ब्लड स्ट्रीम के जरिए हमला करता है जिससे ऑर्गन फेलियर के साथ साथ मौत हो सकती है।

पैन्क्रियाटिक कैंसर दो तरह के होते हैं

पैंक्रियाज में ग्रंथियां होती हैं जो बॉडी के लिए पैन्क्रियाटिक जूस, हार्मोन के साथ साथ इंसुलिन भी बनाती हैं। पैंक्रियाज के एक्सोक्राइन और एंडोक्राइन भाग में कैंसर पनप जाता है। पैन्क्रियाटिक ग्लैंड के अंदर एक्सोक्राइन कैंसर होता है वहीं शरीर के लिए जो हार्मोन प्रड्यूस करता है एंडोक्राइन ट्यूमर उस भाग में होता है।

अब जानते हैं पैन्क्रियाटिक कैंसर के लक्षण

पैन्क्रियाटिक कैंसर के लक्षण तब तक नहीं दिखाई पड़ते हैं जब तक कि ये क्रिटिकल कंडिशन में ना पहुंच जाए। इसके जो शुरू के लक्षण हैं वो अन्य बीमारियों के लक्षण जैसे ही होते हैं। ऐसे में ज्यादातर केसेज में मरीज उन अन्य बीमारियों का ही उपचार करवाने लगते हैं जिससे शरीर में पैन्क्रियाटिक कैंसर को बढ़ने का मौका मिलने लगता है।

कुछ ऐसे लक्षण है जो अगर शरीर में अचानक दिखने लगें और लंबे समय तक वे दिखाई पड़ते रहे तो व्यक्ति को एक बार जरूर पैन्क्रियाटिक कैंसर का टेस्ट करवाना चाहिए। साथ ही अपने डॉक्टर से इस बारे में सलाह लेनी चाहिए।

1. पेट और पीठ में लगातार दर्द बना रहना

2. एकाएक वजन घटने लगना
3. पाचन से जुड़ी समस्याएं पैदा होना
4. बार बार बुखार का आना
5. भूख का न लगना
6. त्वचा का रूखापन बढ़ते जाना
7. बेचैनी सा लगना या फिर उल्टियां होना
8. पीलिया होना
9. पेल या ग्रे मल का होना
10. हाई ब्लड शुगर होना

रिस्क फैक्टर पर गौर कर लेते हैं

पैन्क्रियाटिक कैंसर आखिर क्यों होता है इस बारे में कोई वजह अब तक सामने नहीं आई है, लेकिन कई तरह के फैक्टर्स व्यक्ति को ऐसे कैंसर का मरीज बना सकते हैं जिनमें मोटापा, काफी देर तक बैठे रहने की आदत होना, स्मोकिंग, जेनेटिक्स, डायबीटीज जैसे फैक्टर्स शामिल हैं।

इलाज कैसे करा सकते हैं?

  • सर्जरी या कीमो के जरिए पैन्क्रियाटिक कैंसर का इलाज होता है।
  • विपल प्रसीजर- पैंक्रियाज, स्मॉल इंटेस्टाइनि के साथ ही गॉलब्लैडर के छोटे भाग को निकाला जाता है।
  • डिसटल पैंक्रियाटेक्टमी- पैंक्रियाज के लंबे हिस्से या टेल को हटा दिया जाता है।
  • टोटल पैंक्रियाटेक्टमी- इस पद्धति को कम इस्तेमाल में लाया जाता है जिसमें पैंक्रियाज के साथ ही स्प्लीन यानि कि ऐब्डमन के ऊपर के भाग को हटा दिया जाता है।
  • कीमोथेरपी- इसमें पैन्क्रियाटिक कैंसर के लिए कीमोथेरपी या फिर इसी के साथ रेडियोथेरपी का प्रयोग किया जाता है। इस पद्धति में सर्जरी भी कर दी जाती है।

Disclamier- किसी भी कंक्लूजन पर पहुंचने से पहले अपने डॉक्टर या सलाहकार से जरूर मिलें। ये जानकारियां अलग-अलग स्रोतों से जुटाई गई है, इनकी पुष्टि नेड्रिक न्यूज नहीं करता है।

मेक इन इंडिया के तहत CDSCO में काम करने वाली भारतीय दवाई कम्पनियां हुई त्रस्त, भ्रष्ट...

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सूत्रों से पता चला है की स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने सोमवार को केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (उत्तरीय खंड) के शीर्ष अधिकारी धनन्जय साबले को एक मामले में कारण बताओ नोटिस जारी किया है। दरअसल नोटिस में साबले ने कोरोना वायरस से लड़ने में मददगार जांच करने वाली चिकित्सा उपकरण (medical device/diagnostic kit ) बनाने वाली कंपनियों के आवेदन प्राथना का समय से निस्तारण ना करने को लेकर जवाब तलब किया गया है।

नोटिस में कहा गया है कि इस covid -19 महामारी में मेडिकल डिवाइस जो कि बहुत जरूरी है और इसकी समय पर उपलब्ध्ता होनी चाहिए। ऐसे में इन भारतीय कंपनियों के आवेदनों को रोककर, अधिकारी साबले मेक इन इंडिया पर पानी फेर रहे है और कोरोना जैसी महामारी के शुरुआती दौर में देश को इन उपकरणों(medical device/diagnostic kits) की सबसे ज्यादा जरूरत थी। तब ऐसे में इन कंपनियों के द्वारा दाखिल किए गए आवेदनों पर समय रहते कार्यवाही क्यों नहीं की गई?

केंद्रीय औषध मानक नियंत्रण संगठन के ऑनलाइन पोर्टल की जांच में पाया गया कि चिकित्सा उपकरण (medical device/diagnostic kit ) से जुड़ी करीब 13 भारतीय कंपनियों के ऑनलाइन आवेदन पर हुई कार्यवाही में कोताही बरती गई है। ये है वो 13 भारतीय कंपनी:

TULIP DIAGNOTICS PRIVATE LIMITED
Axiva sichem biotech
Nulife
Sidak Life Care Pvt Ltd
Lotus Surgicals Pvt Ltd
Harsoria Healthcare Pvt Ltd
Genes 2me Pvt Ltd
M/s. Prymax Healthcare LLP
Apothecaries sundries Mfg. Co.
Medtech Devices
Cardiomac India Pvt. Ltd.
Kosdrug Pvt. Ltd.
Poly Medicure Limited

जिसके चलते भारत को काफी मुसीबतों का सामना करना पड़ा। आपको बता दें कि महामारी के दौरान भारत ने PM CARES फण्ड का पैसा इस्तेमाल करके अमेरिका से वेंटिलेटर्स आयात किये थे। वही चीन से भी सर्जिकल मास्क की बड़ी खेप मंगवाई गयी थी। भारत के कई इलाकों में तो कोरोना टेस्टिंग किट्स की भी कमी सामने आई थी, जिसके बाद से उनकी कमी को विदेश ने आयात करके ही पूरा किया गया था।

अब अधिकारी साबले से इस मामले को लेकर जवाब मांगा गया है। फिलहाल इस पूरे मामले के सामने आने के बाद स्वास्थ्य विभाग की गलियों में चर्चाएं गर्म हो गयी है। साबले पर भ्रष्टाचार के भी आरोप लग रहे है। काफ़ी शिकायतों के भंडार को ये अपने साथ लिए घूम रहे है। जांच का विषय ये भी बनता है की इतने सालो से आखिर किसकी मेहरबानी से में ये टेक लगाए इतनी मुख्य कुर्सी से चिपके हुए बैठे है?

गौरतलब है कि केंद्र सरकार शुरुआत से ही मेक इन इंडिया योजना के तहत घरेलू कंपनियों को प्राथमिकता दे रही है। प्रधानमंत्री ने खुद भारत बायोटेक द्वारा बनाई जा रही वैक्सीन को लेकर कई बार ज़िक्र किया था। गलवान घाटी में चीनी सेना के साथ हुई झड़प के बाद से boycottChina कैंपेन ने भी जोर पकड़ लिया लिया है। अब भारत सरकार चीनी उत्पादों पर अपनी निर्भरता को कम करने का प्रयास कर रही है। लेकिन ऐसे में अगर सरकारी संस्थाओं के अधिकारी ही भारतीय कंपनियों के साथ इस तरह का व्यवहार करेंगे भारत के आत्मनिर्भर बनने की राह आसान नहीं होगी । आखिर ऐसे भ्रष्ट अफसरों की वजह से ही PM मोदी जी के मेक इन इंडिया को लागू करने में दिक्क़तें आ जाती है । ये सावले जैसे भ्रष्ट अफसर देश को दीमक की तरह खोखला कर रहे है इनके जैसे अफसरों की जगह जेल में ही होनी चाहिए।

जब पति की मौत के बाद लोगों के लिए ‘डायन’ बन गईं थीं रेखा, कुछ इस तरह रिया चक्रवर्ती स...

बॉलीवुड के मशहूर एक्टर सुशांत सिंह राजपूत की मौत को तीन महीने पूरे हो चुके है. 14 जून को सुशांत मुंबई स्थित अपने घर पर पंखे से लटके हुए पाए गए थे. मुंबई पुलिस ने सुशांत की मौत को सुसाइड बताया, लेकिन उनके तमाम चाहने वालों ने सुसाइड की थ्योरी को मानने से इनकार कर दिया. जिसके बाद देश की तीन बड़ी जांच एजेंसियां सीबीआई, ईडी और एनसीबी केस की गुत्थी को सुलझाने में जुटी हुई है.

कई लोग दे रहे रिया का साथ

सुशांत केस में ड्रग्स का एंगल भी सामने आया है, जिसमें उनकी गर्लफ्रेंड रिया चक्रवर्ती समेत कई लोगों को गिरफ्तार किया गया. रिया को 22 सितंबर तक न्यायिक हिरासत में भेजा गया है. हालांकि इस दौरान कई लोग रिया का साथ देते हुए भी नजर आ रहे हैं और इस केस में मीडिया ट्रायल पर सवाल उठा रहे हैं. कई लोग रिया के खिलाफ चल रहे मीडिया ट्रायल को गलत बता रहे हैं, तो कई लोगों ने इसकी तुलना रेखा तक से शुरू कर दी है.

मीडिया ट्रायल को लेकर हुई तुलना

सिंगर चिन्मयी श्रीपदा ने ट्विटर पर रेखा और रिया के मीडिया ट्रायल की तुलना की है. इस दौरान उन्होनें एक पोस्ट शेयर की, जिसमें रेखा की बायोग्राफी के कुछ अंश है. इसके द्वारा चिन्मयी श्रीपदा ने ये बताने की कोशिश की कि कैसे साल 1990 में रेखा के पति मुकेश अग्रवाल की आत्महत्या के बाद एक्ट्रेस को ‘डायन’ तक बता दिया गया था. उन्होनें यासर उस्मान द्वारा लिखी गई रेखा की बायोग्राफी “रेखा: द अनटोल्ड स्टोरी” का जिक्र किया.

जब रेखा को लेकर कहीं गई थी ये बातें…

इस पोस्ट में बताया गया है कि 2 अक्टूबर 1990 को मुकेश अग्रवाल, रेखा के पति ने खुदकुशी कर अपनी जान दे दी थी और इस दौरान जिस दुपट्टे का उन्होनें इस्तेमाल किया, वो उनकी अपनी पत्नी (रेखा) का था. इसके बाद कैसे रेखा को ‘डायन’ बताया गया. इसके अलावा इस दौरान अनुपम खेर और सुभाष घई ने उनके बारे में क्या-क्या कहा था. इसको लेकर कुछ प्वाइंट साझा किए गए हैं, जिसमें बताया गया है कि…

– देशभर में Witchhunt चला. लोग उनसे नफरत करने लगे और उनको आदमी मारने वाले ‘डायन’ तक कहा जाने लगा.

– रेखा के पति मुकेश की मां ने उस दौरान रोते हुए कहा था कि ‘वो डायन मेरे बेटे को खा गई. भगवान उसको कभी माफ नहीं करेगा.’

– मुकेश के भाई अनिल गुप्ता ने कहा कि मेरे भाई ने रेखा से सच्चा प्यार किया. वो उसके लिए कुछ भी कर सकता था. वो ये बर्दाश्त नहीं कर पाया रेखा जो कुछ भी उसके साथ कर रही थी और अब वो क्या चाहती है. क्या उसकी नजर हमारी दौलत पर है.?

– इस दौरान सुभाष घई ने कहा था कि रेखा ने फिल्म इंड्रस्टी के चेहरे पर ऐसा काला धब्बा लगा दिया, जो आसानी से नहीं धुल पाएगा. मेरा मानना है कि अब कोई भी सम्मानित परिवार किसी एक्ट्रेस को अपनी बहू के रूप में स्वीकार करने से पहले कई बार सोचेगा. रेखा का करियर खत्म समझो. कोई समझदार डायरेक्टर रेखा को फिल्मों में काम नहीं देगा क्योंकि अब लोग उन्हें ‘भारत की नारी’ और ‘इंसाफ की देवी’ के रूप में स्वीकार नहीं करेंगे.

– वहीं अनुपम खेर ने कहा था कि रेखा एक राष्ट्रीय खलनायिका बन गई है. मुझे नहीं पता कि अगर वो मेरे सामने आ गईं तो मैं कैसे रिएक्ट करूंगा.

– मुकेश की आत्महत्या के बाद ‘द ब्लैक विडो’, ‘मुकेश के सुसाइड के पीछा का भयानक सच’ जैसी हैडलाइंस बनाई थी. 1990 से लेकर 2020 तक 30 साल बीत गए है, लेकिन अभी भी वैसा ही केस और वहीं रिएक्शन. चिन्मयी ने इसको शेयर करते लिखा कि ये अविश्वसनीय है कि इससे रेखा कैसे बचीं.

कब और क्यों देश में मनाया जाता है हिंदी दिवस, जानिए 14 सितंबर का इतिहास

दुनियाभर में कई भाषाओं का प्रयोग किया जाता है. वहीं भारत में भी बहुत सी बोलियां बोली जाती है, जहां पर आजादी के बाद भाषा को लेकर एक बड़ा सवाल खड़ा हुआ था, जिसके बाद आखिर में 14 सितंबर 1949 को हिन्दी भाषा को राजभाषा का दर्जा दिया गया. वो बात अलग है कि हिन्दी और अंग्रेजी को भी आधिकारिक भाषा के तौर पर नए राष्ट्र की भाषा चुना गया. उस दौरान देवनागरी लिपी वाली हिन्दी के साथ अंग्रेजी को भी संविधान सभा ने स्वीकार कर लिया, लेकिन आज यानि 14 सितंबर के दिन ही संविधान सभा ने हिंदी को भारत की राजभाषा घोषित किया.

क्यों मनाया जाता है हिन्दी दिवस

देश आजाद होने के 2 साल बाद संविधान सभा में 14 सितंबर 1949 को एक मत से हिंदी को राजभाषा घोषित किया गया. इस फैसले के बाद हिन्दी भाषा को हर क्षेत्र में प्रसारित करने के लिए राष्ट्रभाषा प्रचार समिति और वर्धा ने अनुरोध किया था, जिसके बाद साल 1953 से हर साल पूरे देश में 14 सितंबर को हिंदी दिवस के तौर पर मनाया जाने लगा. 14 सितंबर 1953 को पहली बार देश में हिंदी दिवस मनाया गया।

14 सितंबर का इतिहास

  • डेनमार्क में साल 1770 में प्रेस की स्वतंत्रता को मान्यता मिली.
  • लार्ड लेक ने साल 1803 दिल्ली पर कब्जा किया.
  • पहले गवर्नर जनरल के तौर विलियम वेंटिक साल 1833 पर भारत आया.
  • साल 1901 में अमेरिका के राष्ट्रपति विलियम मैकेंजी की गोली मारकर हत्या हुई थी.
  • रूस को आधिकारिक रूप में साल 1917 में गणतंत्र घोषित किया गया.
  • संविधान सभा ने साल 1949 में हिंदी को भारत की आधिकारिक भाषा का दर्जा दिया गया.
  • सोवियत संघ का अंतरिक्ष यान साल 1959 में पहली बार चंद्रमा की सतह पर उतरा.
  • साल 1960 में खनिज तेल उत्पादक देशों ने साथ मिलकर ओपेक की स्थापना की थी.
  • साल 1998 में जनरल इलेक्ट्रिक को पीछे छोड़कर माइक्रोसॉफ्ट दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी बनी.
  • माइक्रोसॉफ्ट ने साल 2000 में विंडोज एम.ई. लॉच किया.
  • प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने साल 2000 में अमेरिकी सीनेट के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को सम्बोधित किया था.
  • ओसामा बिन लादेन को पकड़ने के अभियान के लिए साल 2001 में अमेरिका में 40 अरब डॉलर मंजूर किए.
  • जापान ने साल 2007 में तानेगाशिया स्‍थित प्रक्षेपण केन्‍द्र से पहला चन्‍द्र उपग्रह H-2A प्रक्षेपित किया.
  • रुस के पेर्म हवाई अड्डे पर साल 2008 को एअरोफ़्लोत का विमान दुर्घटनाग्रस्त हुआ. जिसमें सवार 88 लोगों की मौत हो गई.