Home Blog Page 1164

इस तरह से करें चीनी लहसुन की पहचान, भूल से भी किया अगर इसका सेवन तो जा सकती है जान!

हर मर्ज की दवा और खाने में स्वाद बढ़ाने के लिए लहसुन (Garlic) को जाना जाता है. ज्यादातर लोगों के घरों में इसका इस्तेमाल किया जाता है. वहीं, ये बाजारों में भी अलग-अलग कीमतों में बिकता है, देखने में कोई सफेद तो कोई हल्का सा पिंक्सि कलर में बिकता है. लहसुन भी कई तरह की वेराइटी में बाजारों में उपलब्ध होता है. ऐसे में आपको ये ध्यान देने की जरूरत है कि कहीं आप चीनी लहसुन (Chinese Garlic) का तो सेवन नहीं कर रहे हैं.

हालांकि वाणिज्य मंत्रालय द्वारा 5 साल पहले चीन से लहसुन की खरीदारी पर रोक लगा दी थी, लेकिन हाल ही में कोलकाता में चीन से लाया हुआ लहसुन पाया गया है. जानकारों की मानें तो चीनी लहसुन का ऊपरी हिस्सा बाहर से देखने में सफेद रंग का होता है, लेकिन उसमें के बीज का रंग गुलाबी या थोड़ा काला होता है. इसके अलावा ये चीनी लहसुन आकर में भी बड़ा होता है.

ये तो हम सभी जानते हैं कि हाल ही में चीन में कोरोना वायरस के कारण हजारों लोगों की मौत हो चुकी है जिसका दहशत लोगों में है. वहीं, अगर बात करें चीनी लहसुन कि इस लहसुन को पहले क्लोरीन से ब्लीच किया जाता है जिससे ये देखने में ऊपर की ओर से एकदम सफेद लगे. इतना ही नहीं इसमें कीड़ा मारने वाली औषधियों का इस्तेमाल किया जाता है. जानकारों को ये भी कहना है कि व्यक्ति की सेहत के लिए चीनी लहसुन हानिकारक है. इसमें कासीनजन (carcinogenic) और जहरीला (toxic) मौजूद होता है. ज्यादा वक्त तक इसका इस्तेमाल करने पर स्वास्थ्य रोग हो सकता है.

पश्चिम बंगाल टास्क फोर्स के सदसय कमल के मुताबिक जिस दिन से चीनी लहसुन की खरीद बिक्री को बंद किया गया है तबसे एनफोर्समेंट डिपार्टमेंट और टास्क फोर्स की टीम हर सब्जी मंडी और दुकानों की जांच करते हैं जिससे कि आम लोगों तक ये जानलेवा लहसुन न पहुंच चुके. उनका आगे कहना है कि ये लहसुन लोगों के स्वास्थ्य के लिए काफी हानिकारक है, मीडिया और अख़बारों के जरिए चीनी लहसुन को लेकर आगाह किया जा रहा है. आपको बता दें कि कोलकाता के कई मंडियों में चीनी लहसुन की बिक्री होने की खबरें हैं. दुनियाभर में लहसुन उत्पादन को लेकर भारत का स्थान दूसरे नंबर पर है.

BJP नेता कैलाश विजयवर्गीय ने 20 साल तक जो किया वो करने में नेताओं की बंध जायेगी घिग्घ...

बीजेपी नेता कैलाश विजयवर्गीय अक्सर अपने विवादित बयानों और तीखे तेवर के लिए जाने जाते हैं. हाल ही में उन्होंने 20 वर्ष बाद अन्न का निवाला खाया है. बात सुनने में थोड़ी आश्चर्य करने वाली है लेकिन सौ आने सच है. मतलब 20 सालों से अन्न उनके भोजन का हिस्सा ही नहीं था. बताया जाता है कि उन्होंने ऐसा मुश्किल संकल्प इंदौर के विकास के लिए ही लिया था.

महात्मा ने कही थी ये बात

बता दें, कैलाश विजयवर्गीय सन 2000 में जब इंदौर के मेयर निर्वाचित हुए उस समय उन्‍हें किसी महात्‍मा ने बताया था कि शहर पितृ दोष से ग्रस्‍त है, और इसी वजह से इंदौर का विकास रुका हुआ है. उन्होंने इस दोष को दूर करने के लिए एक उपाय बताया. महात्मा ने कहा कि अगर इंदौर के पितृ पर्वत पर भगवान श्री हनुमान जी की प्रतिमा स्‍थापित की जाए तो यह दोष दूर हो सकता है.

विजयवर्गीय ने लिया ये संकल्प

कैलाश विजयवर्गीय ने अपने जन्‍मस्‍थान इंदौर की उन्‍नति के लिए संकल्‍प लिया कि वह जब तक पितृ पर्वत पर विश्‍व की सबसे ऊंची अष्‍टधातु की प्रतिमा स्‍थापित नहीं कराएंगे तब तक अन्‍न ग्रहण नहीं करेंगे. अब आख़िरकार 20 साल बाद जाकर उनका यह संकल्‍प पूरा हुआ है. इंदौर के पितृ पर्वत पर 72 फीट ऊंची, 108 टन वजन की अष्‍टधातु की हनुमान जी की प्रतिमा स्‍थापित कर उसकी प्राण प्रतिष्‍ठा की गई. जिस पर करीब 15 करोड़ रुपये का खर्चा हुआ है.

20 साल बाद किया अन्न ग्रहण

हनुमान जी की प्राण प्रतिष्ठा के साथ महामंडलेश्वर जूना अखाड़े के पीठाधीश्वर अवधेशानंद गिरी जी महाराज, संत मुरारी बापू और वृंदावन से महामंडलेश्वर गुरुशरणानंदजी महाराज की उपस्थित में कैलाश विजवर्गीय ने 20 साल बाद संकल्‍प पूरा होने पर अन्‍न ग्रहण किया. बता दें इन 20 वर्षों में कैलाश को उनकी पत्नी आशा विजयवर्गीय का पूरा सहयोग मिला. आशा ने उन्‍हें फल, साबूदाने, सवा के चावल वगैरह की खाद्य सामग्री खाने के लिए दी. दो दशकों में लगभग यहां एक लाख पौधे भी लगाए गए जो अब वृक्ष का रूप ले चुके हैं.

कभी 500 की सैलरी पाने वाला ये डिजाइनर आज कमाता है करोड़ों, कुछ ऐसा था फर्श से अर्श तक ...

0

आज के समय में फैशन की दुनिया में मनीष मल्होत्रा एक बड़ा नाम हैं. भारत के सबसे नामी डिज़ाइनर में गिने जाने वाले मनीष के डिजाईन किये हुए कपड़े हर सेलेब से लेकर बड़े बड़े उद्योगपतियों के घरानों में पहने जाते हैं. लेकिन इस मुकाम को पाना मनीष के लिए बिलकुल भी आसान नहीं था. उन्हें अपनी जिंदगी में इस दौरान काफी मुश्किलों से जूझना पड़ा जिसका जिक्र उन्होंने हाल ही में अपने इंटरव्यू में किया है.

मां के कपड़े देख हुआ फैशन से प्यार

हाल ही में दिए गए इंटरव्यू में मनीष ने बताया कि उन्हें पढ़ाई करना बिलकुल पसंद नहीं था. हालांकि इस मामले में उनका घरवालों की तरफ से कोई दबाव नहीं था. वो जो भी करना चाहते थे बचपन से ही उन्हें अपनी मां का हमेशा से सपोर्ट मिला. वो ये भी बताते हैं कि फैशन की तरफ उनका झुकाव मां के कपड़ों से होता चला गया. बचपन में वो अपनी मां के लिए कपड़े सेलेक्ट करने में उनकी मदद करते थे.

सिर्फ 500 रुपये थी पहली कमाई

पंजाबी माहौल में पले बढ़े मनीष ने छठी कक्षा में पेंटिंग और आर्ट की क्लास ज्वाइन की थी. उन्हें ये क्लास बेहद पसंद थी. स्कूल में मनीष को अपना इन्ट्रेस्ट तो पता चल गया लेकिन उसको सही आकार कॉलेज में आकर मिला. कॉलेज में उनके कनेक्शन बनते गए. जिसके बाद उन्होंने मॉडलिंग के साथ ही बुटीक में काम करना शुरू किया. यहां उन्होंने बारीकी से डिजाईनिंग सीखी जिसकी उन्हें मासिक मात्र 500 रुपये तनख्वाह मिलती थी. लेकिन वो इस सैलरी में संतुष्ट थे क्योंकि उस दौरान उनके पास विदेश से डिजाईनिंग सीखने के पैसे नहीं हुआ करते थे.

श्रीदेवी की मौत ने दिया गहरा सदमा

आख़िरकार उनकी मेहनत और लगन काम आई, और अपने करियर में उन्हें एक बड़ा ब्रेक मिला. 25 साल की उम्र में उन्हें जूही चावला की एक फिल्म में बतौर डिजाइनर काम करने का मौका मिला. लेकिन उनके लिए टर्निंग पॉइंट ‘रंगीला’ फिल्म साबित हुई जिसके लिए उन्हें फिल्म फेयर अवार्ड से नवाजा गया. इसके बाद तो जैसे प्रसिद्धि उनके कदम चूमती गई और 2005 में उन्होंने खुद का लेबल लांच कर दिया.

हालांकि एक वक़्त ऐसा भी आया जिसने मनीष को अंदर तक झकझोर कर रख दिया. 24 फरवरी 2018 में श्रीदेवी की मौत उनके लिए किसी गहरे झटके से कम नहीं थी. श्रीदेवी का यूं आकस्मिक तरीके से दुनिया से चले जाने की स्थिति से उबर पाना मनीष के लिए आसान नहीं था लेकिन इस स्थिति का सामना करने में भी उनके काम ने ही उनकी मदद की.

Leap Year: हर 4 साल बाद आखिर क्यों बढ़ता है एक दिन और फरवरी में ही क्यों होते हैं 29 ...

हर चार साल बाद 366 दिनों वाला वर्ष आता है जिसे ‘लीप ईयर’ (Leap Year) कहते हैं. हालांकि साल में कितने दिन होते हैं अगर ये सवाल किया जाए तो 365 ही कहा जाता है, क्योंकि हर वर्ष फरवरी माह सिर्फ 28 दिनों का होता है. जबकि लीप ईयर में फरवरी का महीना 29 दिनों का होता है. वहीं, इस साल यानी 2020 में 29 फरवरी (29 February) का दिन पड़ रहा है. क्या आप ये जानते हैं कि लीप ईयर अन्य वर्षों की तुलना में एक दिन अधिक क्यों होता है? अगर नहीं, तो आइए आपको बताते हैं…

आखिर क्यों बढ़ता है एक दिन?

पृथ्वी के मौसम के अनुरूप एक कैलेंडर होता है. इसमें पृथ्वी द्वारा सूर्य की परिक्रमा करने में लगे समय के हिसाब से दिनों की संख्या होती है. बता दें कि पृथ्वी को सूर्य के चारों तरफ एक चक्कर पूरा करने में करीब 365.242 दिन का वक्त लगता है. हालांकि हर वर्ष में आमतौर पर सिर्फ 365 दिन होते हैं. वहीं, अगर पृथ्वी द्वारा लगाए गए अतिरिक्त वक्त 0.242 दिन को चार बार जोड़ेंगे तो ये वक्त 1 दिन के समान होता है.

जिसके चलते 4 सालों में तकरीबन 1 पूरा दिन होता है और कैलेंडर में हर चार साल में एक बार अतिरिक्त दिन जोड़ा जाता है, जिसे लीप ईयर कहा जाता है. जो देखने में गलत लग सकता है, लेकिन इस गलती को ग्रेगोरियन कैलेंडर (Gregorian calendar) द्वारा सुधारा किया गया था, जिसके जरिए हमें दिन-तारीख का अब पता चलता है. ग्रेगोरियन कैलेंडर को साल 1582 में पेश किया था.

क्या ग्रेगोरियन कैलेंडर से पहले भी कोई कैलेंडर था?

अगर आपका भी ये ही सवाल है कि ग्रेगोरियन कैलेंडर से पहले कोई कैलेंडर था या नहीं तो आपको बता दें कि इससे पहले भी एक कैलेंडर हुआ करता था, जिसे जूलियन कैलेंडर के नाम से जाना जाता है. इस कैलेंडर को 45 ईसा पूर्व में लाया गया था, लेकिन इस प्रणाली में लीप ईयर को लेकर कैलेंडर अलग होता था.

जब जूलियन कैलेंडर में 4 के बाद आ गई 15 तारीख

पृथ्वी के एक चक्कर लगाने के निश्चित वक्त की जानकारी न होने के चलते जूलियन कैलेंडर में खामियां आने लगीं. जिसके चलते ये कैलेंडर 10 दिन पीछे हो गया यानी 4 अक्तूबर के बाद सीधे 15 अक्तूबर की तारीख आएगी थी, इस तरह की गलती को सुधारा गया था. जूलियन कैलेंडर में पोप ने लीप ईयर सिस्टम को भी संशोधित किया. जिसके बाद नई प्रणाली को ग्रेगोरियन कैलेंडर के तौर पर जाना जाने लगा.

लीप ईयर ऐसे करें पता

जो साल पूरी तरह से 4 से भाग किया जा सकता है वो लीप ईयर कहलाता है, जैसे- 2000 को 4 से पूरी तरह भाग किया जा सकता है. ऐसे ही 2004, 2008, 2012, 2016 और अब इस नए साल 2020 को इसी क्रम में शामिल किया जा सकता है.

दूसरी ट्रिक ये भी है कि अगर कोई साल 100 से पूरी तरह भाग किया जा सके तो वो लीप ईयर नहीं होगा, लेकिन अगर वही साल पूरी तरह से 400 की संख्या से भाग हो जाता है तो वो लीप ईयर कहला जाएगा. जैसे- 1500 को 100 से भाग कर सकते हैं लेकिन ये 400 से पूरी तरह डिवाइड नहीं होगा. ऐसे ही साल 2000 को 100 और 400 दोनों से पूरी तरह भाग कर सकते हैं, जिसके चलते साल 2000 लीप ईयर कहलाएगा.

FSSAI: मिठाई बेचने वाली दुकानों के लिए सरकार ने पेश किया ये नियम, अब 1 जून से जरूरी ह...

0

“हलवाई की दुकान” यहां से गुजरने पर एक पल के लिए कदम तो आपके भी ठहरते होंगे. यहां से आने वाले तरह-तरह के पकवानों की खुशबू आपको रोक ही लेती होगी, लेकिन अगर ये दुकान घर के पास होती है तो यहां से खान-पान का सामान लेने में आप शायद थोड़ा डरते भी होंगे कि इसकी क्वालिटी सही होगी भी या नहीं. वहीं, अब आपको किसी भी स्थानीय मिठाई की दुकानों या पड़ोस वाली हलवाई की दुकान (sweet shop) से सामाने लेने के लिए ज्यादा सोचना नहीं पड़ेगा, क्योंकि इन दुकानों के सामानों को लेकर सरकार ने इनकी क्वालिटी में सुधार लाने के लिए नए नियम लागू करने का फैसला लिया है.

जी हां, 1 जून 2020 के बाद से सभी स्थानीय मिठाई की दुकानों के लिए एक नया नियम लागू हो जाएगा, जिसके तहत उन्हें अपने परातों एवं डब्बों में बिक्री के लिए रखी गई मिठाईयों के “निर्माण की तारीख” (Date of manufacture) और “उपयोग की उपयुक्त अवधि” (Suitable duration of use) जैसी जानकारी को जरूर लिखना होगा. हालांकि अभी भी इन जानकारियों को पहले से बंद डिब्बाबंद मिठाई के डिब्बे पर लिखना जरूरी है.

इसलिए उठाया गया ये कदम

आम लोगों के स्वास्थ्य खतरों को ध्यान में रखते हुए भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण यानी (FSSAI-Food Safety and Standards Authority of India) ने ये कदम उठाया है. ये निर्देश उसके बाद जारी की गए जब सूचना मिली कि उपभोक्ताओं को बासी या खाने की अवधि खत्म होने के बाद भी मिठाइयों की बिक्री की गई.

FSSAI ने दिया आदेश

FSSAI द्वारा आदेश देते हुए कहा गया कि “सार्वजनिक हित में और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए, ये तय किया गया है कि खुली बिक्री वाली मिठाइयों के मामले में, बिक्री के लिए रखी मिठाई के कंटेनर या ट्रे पर ‘निर्माण की तारीख’ और ‘उपयोग की अवधि’ जैसी जानकारियों को प्रदर्शित करना होगा.”

इस दिन से ये नियम हो जाएगा लागू

आदेश के मुताबिक 1 जून, 2020 से ये प्रभावी होगा. राज्यों के खाद्य सुरक्षा आयुक्तों (Food safety commissioners) को इन निर्देशों का पालन सुनिश्चित करना होगा. जिसके चलते कोई भी हलवाई की दुकान में अब मिठाई ‘निर्माण की तारीख’ और ‘उपयोग की अवधि’ जैसी जानकारी के बिना नहीं बेचा जा सकेगा.

एक दूसरे से कितने अलग हैं मोदी-ट्रंप के विशेष विमान, खासियतें ऐसीं कि बाल भी नहीं हो ...

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत आने की ख़बरों के बीच उनका विशेष विमान भी सुर्ख़ियों में है. किसी ताकतवर देश का नेता जब दूसरे देश के दौरे पर होता है, तब उड़ान के दौरान आसमान में सुरक्षा के कड़े इंतजामात होते हैं. ट्रंप का विमान ‘एयर फोर्स वन’ के नाम से जाना जाता है, जिसमें वो सारे सुरक्षा तंत्र लगे होते हैं जो किसी भी हमले को नाकाम कर सके. जबकि पीएम मोदी के विशेष विमान का नाम एयर इंडिया वन है. ये बोईंग 747-400 विमान है. इस विमान का इस्तेमाल राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री की हवाई यात्रा में इस्तेमाल किया जाता है. आइये जानें क्या है इन दोनों सुप्रीम नेताओं के विशेष विमान में विशेष अंतर.

अमेरिकी राष्ट्रपति का विमान

 

अमेरिकी राष्ट्रपति का विमान एयरफोर्स वन खास तरीके से निर्मित बोइंग 747-200B सीरीज के विमानों में से एक है. इनके विमान को भी उड़ता वाईट हाउस माना जाता है. इस विमान की खासियत ये है कि विमान में होने के बाद भी अमेरिकी राष्ट्रपति किसी से भी कनेक्ट रह सकते हैं. साथ ही अगर अमेरिका पर हमला हो जाए, तो इस विमान को मोबाइल कमांड सेंटर की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है.

भारतीय पीएम का विमान

पीएम मोदी का विमान एयर इंडिया वन भी किसी से कम नहीं है. ये एक ‘उड़ता हुआ किला’ है जिसमें आधुनिक संचार उपकरण लगे हैं. इसका डिप्लॉयमेंट नई दिल्ली के इंदिरा गांधी एयरपोर्ट स्थित द एयर हेडक्वार्टरस कम्युनिकेशन स्क्वाड्रन के अधीन होता है. पीएम की यात्रा के वक़्त ये एक मिनी प्रधानमंत्री कार्यालय में तब्दील होता है. इसमें बेहद आधुनिक और सुरक्षित कम्युनिकेशन सिस्टम लगे होते हैं.

अमेरिकी राष्ट्रपति के बेड़े में दो विमान

अमेरिकी राष्ट्रपति के विशेष विमान एयर फोर्स वन के बेड़े में दो विमान हैं. एक के उड़ान भरने पर दूसरा स्टैंड बाय मोड में रहता है. स्टैंड बाय मोड वाला विमान चंद मिनटों के नोटिस पर उड़ने के लिए हमेशा तैयार रहता है. ये विमान पूरी तरह से अमेरिकी राष्ट्रपति के लिए समर्पित है.

यात्री सेवा में लगा दिया जाता है पीएम मोदी का विमान

अगर पीएम मोदी के विमान एयर इंडिया वन का VVIP यूज़ नहीं होता है तो ये सामान्य यात्री सेवा में लगा दिया जाता है. लेकिन इस व्यवस्था को जल्द ही ख़त्म किया जा सकता है. खबरें है कि पीएम मोदी के लिए लाया जा रहा विशेष विमान कभी यात्री सेवा में नहीं यूज़ किया जायेगा.

26 साल बाद बदलने वाला है पीएम मोदी का विमान

एयर इंडिया वन 26 साल से भारतीय पीएम के लिए विशेष विमान के तौर पर काम कर रहा है. लेकिन अब इसकी जगह जल्द ही बोइंग 700-300ER इस वर्ष जुलाई के महीने में लेने वाला है. पिछले साल जनवरी में बोइंग ने दो 700-300ER विमानों की डिलीवरी कर दी थी. जिसके बाद इस दोनों विमानों को एडवांस्ड सुरक्षा कवर देने के लिए अमेरिका भेज दिया गया था. विमान में मिसाइल सिस्टम और काउंटर-मेजर डिस्पेंसिंग सिस्टम्स (CMDS) लगे होंगे. साथ ही लार्ज एयरक्राफ्ट इन्फ्रारेड काउंटर मेजर्स (LAIRCM) सेल्फ प्रॉटेक्शन सूट्स (SPS) भी होंगे.

कौन थे “दारा शिकोह” जिनकी कब्र को तलाश रही है केंद्र सरकार की बनाई एएसआई टीम, जानिए…

हाल ही में केंद्र सरकार के संस्कृति मंत्रालय द्वारा एक टीम का गठन किया गया. जिसे भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (Archaeological Survey of India) के 7 लोगों को मिलाकर बनाया गया है. मंत्रालय द्वारा इस टीम को जो काम सौंपा गया है वो अपने आपमें काफी दिलचस्प है क्योंकि इस टीम को दारा शिकोह की कब्र (dara Shikoh Grave) को ढूंढना है.

टीए अलोन (निदेशक, स्मारक, एएसआई) द्वारा इस टीम की अध्यक्षता की जा रही है. इस टीम में वरिष्ठ पुरातत्व विशेषज्ञ आरएस बिष्ट, केएन दीक्षित, बीआर मणि, सतीश चंद्र, सईद जमाल हसन, बीएम पांडे और केके मोहम्मद सदस्य हैं. दारा शिकोह की कब्र की तलाश करने के लिए टीम के पास तीन महीने तक का समय है.

वहीं, अब सवाल ये खड़ा होता है कि जिनकी कब्र की तलाश के लिए भारत सरकार द्वारा एक टीम तक गठन कर दिया गया वो आखिर हैं कौन? दारा शिकोह का इतना ज्यादा महत्व क्यों है और कैसे एएसआई की टीम दारा शिकोह की कब्र की तलाश कर पाएगी? आइए आपको इन सभी सवालों के जवाब देते हैं…

कौन थे दारा शिकोह?

आपको बता दें कि दारा शिकोह मुगल बादशाह शाह जहां के सबसे बड़े बेटे थे. इनका जन्म आज से तकरीबन 405 वर्ष पूर्व 1615 ई. में हुआ था. वहीं, 1659 ई. में अपने ही छोटे भाई औरंगजेब के साथ युद्ध के दौरान उनकी मृत्यु हो गई थी.

“आजाद ख्याल के थे मुसलमान” 

इतिहासकारों की माने तो उनके मुताबिक दारा शिकोह अपने वक्त के बहुत आजाद ख्याल के मुसलमान थे. यहां तक उन्होंने इस्लाम और हिन्दू की परंपराओं में समानताएं तलाशने का भी प्रयास किया था. दारा शिकोह ने भागवत गीता और अन्य 52 उपनिषदों का पारसी भाषा में अनुवाद किया था.

विशेषज्ञ का कहना है कि 17वीं सदी के दारा शिकोह काफी आजाद सोच रखने वाले एक महान विचारक थे. कुछ इतिहासकारों का तो ये भी कहना है कि औरंगजेब के स्थान पर दारा शिकोह मुगल शासक बनते, तो धार्मिक लड़ाइयों के दौरान जाने वाली कई हजार जानें बच सकती थीं. बता दें कि एक किताब “द मैन हू वुड बी किंग” मे लिखा हुआ है कि दारा शिकोह बहुत दयालु, उदार और हर किसी को साथ लेकर चलने वाले शख्स थे. हालांकि वो युद्ध के मैदान में अधिक प्रभावी नहीं थे.

दारा शिकोह को बताया “सच्चा हिंदुस्तानी”

देश की राजधानी दिल्ली में हाल ही में हुए एक कॉन्क्लेव में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सदस्य के अलावा अन्य वक्ताओं ने दारा शिकोह को “सच्चा हिंदुस्तानी” कहा था. बता दें कि पिछले वर्ष यानी 2019 में अलीगढ़ मुस्लिम विवि में दारा शिकोह के नाम से रिसर्च चेयर की स्थापना भी की गई थी.

यहां भेजा गया था दारा शिकोह का सिर

‘शाहजहांनामा’ के मुताबिक “औरंगजेब समेत युद्ध में हार होने के बाद दारा शिकोह को जंजीर से बांधकर दिल्ली लाया गया था और फिर दारा शिकोह का सिर काटकर आगरा किले में भेजा था, जबकि बाकी के शरीर को दिल्ली के निजामुद्दीन स्थित हुमांयू के मकबरे के परिसर में ही दफना दिया था.”

ASI की टीम कैसे खोजेगी दारा शिकोह की कब्र

संस्कृति मंत्रालय ने जिस टीम का गठन किया है उनका कहना है कि “हुमायूं के मकबरे के परिसर में उस परिवार के बहुत से लोगों की कब्र है. सबसे बड़ी परेशानी ये है कि ज्यादातर कब्रों पर तो किसी तरह का कोई नाम ही अंकित नहीं है. अभी तक टीम ने इसके लिए किसी तरह की कोई कार्य प्रणाली निर्धारित नहीं की है. ये पूरी तरह से नहीं कहा जा सकता कि कब्र वहीं है, हालांकि ये एक संभावना जरूर है, जैसा कि शाहजहांनामा में कहा गया है. वो बात अलग है कि किसी ने भी कब्र की सही स्थान का जिक्र नहीं किया है.”

इंस्टाग्राम पर सबसे ज्यादा फॉलो किए जाने वाले भारतीय बने विराट कोहली, इन एक्ट्रेस को ...

0

टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली करोड़ो लोगों के दिलों में बसते है. दुनिया भर में करोड़ो लोग उनको चाहते हैं. मैदान पर तो विराट अक्सर अपने बल्ले से कई रिकॉर्ड तोड़ते हुए नजर आए है, लेकिन अब मैदान से बाहर भी कप्तान कोहली ने एक बड़ा रिकॉर्ड बना लिया है. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म इंस्टाग्राम पर विराट कोहली सबसे ज्यादा फॉलो करने वाले इंडियन बन गए है.

इंस्टाग्राम पर हुए 50 मिलियन फॉलोअर्स

जी हां, हाल ही में विराट कोहली के इंस्टाग्राम पर 50 मिलियन यानि 5 करोड़ फॉलोअर्स पूरे हो चुके हैं. तमाम दिग्गजों को पछाड़कर विराट इंस्टाग्राम पर सबसे ज्यादा फॉलो किए जाने वाले भारतीय बन गए है. सोशल मीडिया पर विराट कोहली अक्सर ही एक्टिव रहते है. वो अक्सर ही क्रिकेट, अपने काम और निजी जिंदगी से जुड़ी चीजें फैन्स के साथ शेयर करते रहते हैं.

इंस्टाग्राम पर विराट अब तक 932 पोस्ट कर चुके है और साथ ही वो 480 लोगों को फॉलो कर रहे है. 5 करोड़ फॉलोअर्स पूरे होने पर विराट कोहली ने एक वीडियो भी पोस्ट की. जिसमें उन्होनें प्यार और साथ देने के लिए फैन्स को धन्यवाद कहा.

दूसरे नंबर पर प्रियंका चोपड़ा

बता दें कि विराट कोहली एक्ट्रेस प्रियंका चोपड़ा को पछाड़कर इंस्टाग्राम सबसे ज्यादा फॉलो किए जाने वाले पहले भारतीय बने. प्रियंका के इंस्टाग्राम पर 4.99 करोड़ फॉलोअर्स है, जबकि तीसरे नंबर पर दीपिका पादुकोण हैं, जिनके फॉलोअर्स 4.41 करोड़ है. वहीं इंस्टाग्राम पर सबसे ज्यादा फॉलो किए जाने वाले इंडियन की लिस्ट में चौथे नंबर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम है, उनको इस सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर 3.45 करोड़ लोग फॉलो कर रहे है.

सोशल मीडिया पर 100 से ज्यादा मिलियन फॉलोअर्स

वहीं अगर तीनों बड़े सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक, इंस्टाग्राम और ट्विटर पर विराट कोहली के फॉलोअर्स देखें तो ये 100 मिलियन से ज्यादा पहुंच चुके है. जहां इंस्टाग्राम पर विराट कोहली को 50 मिलियन लोग फॉलो कर रहे हैं, तो वहीं फेसबुक पर उनको 37 मिलियन लोग फॉलो करते हैं. इसके अलावा ट्विटर पर विराट कोहली के 33.7 मिलियन फॉलोअर्स है. इन तीनों प्लेटफॉर्म को मिलाकर विराट कोहली के कुल फॉलोअर्स 120 मिलियन यानि 12 करोड़ के करीब पहुंच गए है.

नंबर-1 पर रोनाल्डो

बात अगर दुनिया की करें तो इंस्टाग्राम पर सबसे ज्यादा फॉलो करने वाली लिस्ट में सबसे टॉप पर फुटबॉल खिलाड़ी क्रिस्टियान रोनाल्डो है. उनके इंस्टाग्राम पर कुल 20 करोड़ फॉलोअर है. वहीं इसके बाद इस लिस्ट में दूसरे नंबर पर अमेरिकन सिंगर एरियाना ग्रांडे है, जिनको 175 मिलियन लोग इंस्टाग्राम पर फॉलो कर रहे है. तीसरे नंबर पर हॉलीवुड स्टार ड्वेन जॉनसन के 1.72 करोड़ फॉलोअर्स है.

आतंकियों से लड़ते लड़ते देश के लिए कुर्बान हुआ था ये मेजर, अब पत्नी ने लिखी साहस की नई ...

पिछले साल आज के ही दिन पुलवामा में आतंकियों से लड़ते लड़ते मेजर विभूति शंकर ढौंडियाल देश के लिए अपनी जान कुर्बान कर बैठे थे. उनकी पत्नी निकिता कौल के मेजर विभूति के साथ उन आखिरी लम्हों ने सभी की आंखों में पानी ला दिया था. लेकिन ठीक एक साल बाद साहस की नई इबारत उनकी पत्नी ने लिखी है. उन्होंने सेना में जाने के सारे परीक्षाएं और इंटरव्यू पास कर लिए हैं और अब वो बस मेरिट लिस्ट का इंतजार कर रहीं हैं.

पति को खोने के बाद लिया फैसला

निकिता ने शादी के 10 महीने बाद ही पति को खो दिया था. जिसके बाद उन्होने भी सेना में जाने का मन बनाया था. निकिता ने 10 अप्रैल 2018 में पति के साथ सात फेरे लिए थे. और 18 फरवरी 2019 को पुलवामा के पिंग्लिना गांव में आतंकियों से हुए एनकाउंटर में मेजर विभूति ढौंडियाल शहीद हो गए थे. उस दौरान देहरादून निवासी मेजर विभूति की शादी को मात्र 10 महीने ही हुए थे. पुलवामा हमले के बाद ही सेना ने जैश ए आतंकवादियों के खात्मे के लिए सैन्य ऑपरेशन चलाया था.

ऐसे आखिरी बार पति को किया था विदा

उनकी पति से अंतिम विदाई ने पूरे देश वासियों की रूह को झकझोर कर रख दिया था. उन्होंने उस दौरान कहा था, ‘आपके जैसा पति मुझे मिला, मैं बहुत सम्मानित हूं. मैं हमेशा तुमको प्यार करती रहूंगी विभू. तुम हमेशा जिंदा रहोगे. आई लव यू विभू.’ बता दें मेजर विभूति न सिर्फ निकिता के पति बल्कि उनके बेस्ट फ्रेंड भी थे. उसी दौरान निकिता ने सेना में शामिल करने की इच्छा जताई थी.

पिछले साल दी थी परीक्षा

अपने पति के सपने को पूरा करने की राह पर चल पड़ी निकिता ने पिछले साल नवंबर महीने में एसएससी एग्जाम दिया था. अभी वो मेरिट लिस्ट के इंतजार में हैं. गौरतलब है कि मेजर विभूति तीन बहनों में इकलौते भाई थे. उनको सेना में शामिल होने का जूनून था. उनके अदम्य साहस को देखते हुए मरणोपरांत उन्हें शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया था. टीम का नेतृत्व कर रहे विभूति ढौंडियाल के सीने और गले में गोली लग गई थी. मेजर विभूति की टीम ने दो आतंकी मार गिराए थे.

Bigg Boss: कमाई के मामले में इन कंटेस्टेंट ने विजेताओं को भी पछाड़ा, जानिए किसको मिली...

बिग बॉस के इतिहास का सबसे लंबा और सफल सीजन आखिरकार खत्म हो गया. सिद्धार्थ शुक्ला ने ट्रॉफी जीतकर बिग बॉस 13 के खिताब को अपने नाम कर लिया. फाइनल में आसिम रियाज को मात देकर सिद्धार्थ सबसे सफल सीजन के विनर बने. भले ही सिद्धार्थ ने शो के टाइटल को अपने नाम कर लिया हो, लेकिन अगर कमाई के मामले में देखें तो कोई और कंटेस्टेंट उनसे आगे निकल गया.

ये कंटस्टेंट कई और नहीं टीवी का पॉपुलर चेहरा रश्मि देसाई है. जी हां, रश्मि देसाई बिग बॉस सीजन 13 की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली कंटेस्टेंट बनीं है. रश्मि देसाई के अलावा बिग बॉस के सीजन में कई और भी ऐसे कंटेस्टेंट रहे है, जो भले ही शो के विजेता नहीं बन पाए है लेकिन उन्होनें कमाई के मामले में विनर को भी पीछे छोड़ दिया. आज हम आपको इन्ही कंटेस्टेंट के बारे में बताने जा रहे हैं…

रश्मि ने सिद्धार्थ को छोड़ा पीछे

शुरूआत हाल ही में खत्म हुए बिग बॉस सीजन 13 से करते हैं. जैसा हमने आपको बताया कि शो के विनर भले ही सिद्धार्थ शुक्ला बने हो लेकिन रश्मि देसाई उनसे कमाई के मामले में आगे निकलीं है. जहां सिद्धार्थ शुक्ला को शो में रहने के लिए 2.10 करोड़ रुपये दिए गए, तो वहीं रश्मि को पूरे सीजन में उनसे ज्यादा 2.50 करोड़ मिले.

श्रीसंत ने की थी ज्यादा कमाई

बात अब हम बिग बॉस सीजन 12 की करते हैं. इस सीजन की विजेता दीपिका कक्कड़ बनी थी. लेकिन इस सीजन में उन्हें कमाई के मामले में श्रीसंत ने पछाड़ दिया था. बिग बॉस 12 के फर्स्ट रनरअप रहे श्रीसंत को एक हफ्ते के लिए 50 लाख रुपये मिले थे, जबकि दीपिका को 15 लाख रुपये दिए गए थे.

हिना को मिली शिल्पा से ज्यादा रकम

बिग बॉस का सीजन 11 भी काफी पॉपुलर रहा था. इस सीजन में शिल्पा शिंदे ने हिना खान को हराकर खिताब पर कब्जा जमाया था. लेकिन हिना ने सीजन 11 की विनर को कमाई के मामले में पीछे छोड़ दिया था. हिना खान को पूरे सीजन के लिए मेकर्स ने 1.25 करोड़ रुपये दिए थे, जबकि शिल्पा को इसके मुकाबले काफी कम रकम मिली थी. शिल्पा शिंदे को सीजन-11 में एक हफ्ते के सिर्फ 6 लाख रुपये ही मिले थे.

बानी जे और राहुल देव को मिले ज्यादा पैसे

सीजन-10 के खिताब को मनवीर गुर्जर ने जीता था. लेकिन कॉमनर होने की वजह से मनवीर को घर में रहने के लिए बहुत कम पैसे मिले थे. वहीं उनके मुकाबले इस सीजन में फाइलिस्ट बानी जे और राहुल देव को ज्यादा रकम मिली थी. बिग बॉस-10 में राहुल देव को पूरे सीजन के लिए 2 करोड़ रुपये तो वहीं बानी जे को 1.55 करोड़ रुपये की मोटी रकम मिली थी, जो विनर मनवीर से कई ज्यादा थी.

रिमी सेन ने की प्रिंस से ज्यादा कमाई

बिग बॉस सीजन 9 में रिमी सेन कंटेस्टेंट बनकर आईं थी. माना जा रहा था कि रिमी बिग बॉस के घर में तूफान मचा सकती है, लेकिन ऐसा कुछ हुआ नहीं. फिर भी रिमी को सीजन 9 में काफी तगड़ी रकम मिली थी, जो शो के विजेता प्रिंस नरूला से कई ज्यादा थी. रिमी को बिग बॉस सीजन 9 में घर में रहने के लिए 2 करोड़ रुपये दिए गए थे, जबकि प्रिंस को एक हफ्ते के लिए सिर्फ 10 लाख रुपये ही मिला करते थे.

करिश्मा तन्ना ने गौतम को पछाड़ा

सीजन-8 भी बिग बॉस के फेमस सीजन में से एक रहा. गौतम गुलाटी ने बिग बॉस सीजन 8 में जीत हासिल की थी. भले ही सीजन के विनर गौतम बने थे, लेकिन करिश्मा तन्ना ने उस सीजन में उनसे ज्यादा पैसे कमाए. जहां गौतम को एक हफ्ते घर में रहने के लिए 8 लाख रुपये दिए जाते थे, तो वहीं करिश्मा को 10 लाख रुपये मिले थे.

तनीषा निकलीं आगे

बिग बॉस सीजन-7 की विनर गौहर खान रही थी. लेकिन इस सीजन में उनसे ज्यादा पैसे तनीषा को मिले थे. तनीषा को एक हफ्ते घर में रहने के 9.5 लाख रुपये मिलते थे, तो वहीं गौहर को 6 लाख रुपये दिए जाते थे.

उर्वशी से ज्यादा सिद्धू ने की कमाई

इसके अलावा बिग बॉस सीजन 6 में पूर्व क्रिकेटर और पॉलिटिशियन नवजोत सिंह सिद्धू ने विनर से ज्यादा पैसे लिए. सीजन 6 की विजेता उर्वशी ढोलकिया को एक हफ्ते के 2.5 मिला करते थे, जबकि सिद्धू हर हफ्ते 6 लाख की रकम लिया करते थे.

श्वेता ने ज्यादा इन दोनों ने की कमाई

बिग बॉस सीजन 4 की विजेता श्वेता तिवारी बनी थी. इस सीजन में कमाई के मामले में पामेला और खली उनसे कई ज्यादा आगे निकल गई. हॉलीवुड स्टार पामेला बिग बॉस सीजन 4 में सिर्फ तीन दिन तक ही टिकी थी, लेकिन इस दौरान उन्हें 2.5 करोड़ रुपये की बड़ी रकम मिली थी. वहीं इसके अलावा खली भी कमाई के मामले में श्वेता तिवारी से आगे थे. खली को एक हफ्ते घर में रहने के लिए 50 लाख रुपये मिला करते थे, जबकि श्वेता को एक हफ्ते के लिए सिर्फ 2.5 ही मिलते थे.