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ASP Anuj Chaudhary का मथुरा में एक और हंगामा, सेवायत का पकड़ा कॉलर! जानें पूरा विवाद

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ASP Anuj Chaudhary: उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में ठाकुर बांके बिहारी मंदिर के सेवायत और पुलिस अधिकारियों के बीच हुए विवाद ने पूरे इलाके में हलचल मचा दी है। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक वीडियो में एएसपी अनुज चौधरी पर मंदिर के सेवायत के साथ बदसलूकी करने का गंभीर आरोप लगाया जा रहा है। इस घटना से जुड़ी कई नई जानकारियां सामने आईं हैं, जो स्थिति को और जटिल बना रही हैं।

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क्या हुआ था उस दिन? (ASP Anuj Chaudhary)

16 नवंबर, रविवार को बागेश्वर धाम के कथावाचक धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की पदयात्रा दिल्ली से मथुरा पहुंची थी। मथुरा में यात्रा की सुरक्षा की जिम्मेदारी एएसपी अनुज चौधरी को दी गई थी। यात्रा के बाद जब सेवायत गोस्वामी सोहित पूजा सामग्री लेकर शास्त्री के दर्शन के लिए आगे बढ़े, तो पुलिस ने उन्हें रोक दिया। इस दौरान, आरोप है कि एएसपी अनुज चौधरी ने सेवायत का कॉलर पकड़कर उनका अपमान किया। इसके बाद पुलिसकर्मियों ने ब्रजवासियों के साथ धक्का-मुक्की की, और यहां तक कि उनके कपड़े तक फाड़ दिए। इस घटना की एक वीडियो क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल हो गई, जिससे पूरे मामले का पर्दाफाश हुआ।

सेवायत के आरोप और वीडियो का वायरल होना

वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि पुलिसकर्मियों ने न केवल धक्का-मुक्की की, बल्कि मंदिर में ब्रजवासियों के कपड़े भी फाड़े और हाथापाई की। इस वीडियो के वायरल होते ही लोग पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठाने लगे। कथावाचक मृदुल कांत शास्त्री ने भी एक वीडियो जारी कर आरोप लगाया कि पुलिस ने ना सिर्फ बदतमीजी की, बल्कि यह कार्रवाई पूरी तरह से अव्यवस्थित और अभद्र थी।

मंदिर प्रबंधन का बयान और मामला पलटा

सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो के बाद सोमवार को घटनाक्रम ने नया मोड़ लिया। मंदिर प्रबंधन समिति के सदस्य दिनेश गोस्वामी ने बयान जारी किया और साफ किया कि किसी सेवायत के साथ कोई बदसलूकी नहीं की गई थी। उन्होंने बताया कि धीरेंद्र शास्त्री से मिलने के लिए केवल पांच लोगों को ही अनुमति दी गई थी, लेकिन कई बाहरी लोग नियमों को तोड़कर अंदर घुसने की कोशिश कर रहे थे। ऐसे में पुलिस ने स्थिति को नियंत्रण में रखने के लिए कार्रवाई की।

मृदुल कांत शास्त्री ने भी बाद में अपना बयान बदलते हुए कहा कि प्रशासन ने पूरी तरह से सहयोग किया और यात्रा सफल रही। उन्होंने यह स्वीकार किया कि पुलिस ने सुरक्षा के दृष्टिकोण से कार्रवाई की थी।

एएसपी अनुज चौधरी का विवादों से पुराना नाता

मथुरा में हुए इस विवाद से पहले भी एएसपी अनुज चौधरी कई बार विवादों में रहे हैं। 2024 में उत्तर प्रदेश के संभल जिले में हुए दंगों के दौरान उन्होंने एक विवादास्पद बयान दिया था, जिसमें उन्होंने कहा था, “जाहिल हमें मारते रहेंगे, हम मरने के लिए भर्ती हुए हैं।” यह बयान बहुत चर्चा में रहा था और आलोचनाओं का शिकार हुआ था।

अन्य विवादों से जुड़ा नाम

इसके अलावा, मार्च 2025 में जब होली और जुमा एक ही दिन पड़े थे, तब उन्होंने मुसलमानों से कहा था कि वे होली के दिन अपने घरों में रहें। इस बयान ने भी भारी विवाद खड़ा किया था। नवंबर 2025 में एक यूट्यूबर ने उन्हें धमकी दी थी कि वह एएसपी को केस में फंसा देंगे। हालांकि, इस मामले में एएसपी अनुज चौधरी ने किसी भी प्रकार की तहरीर देने से इनकार कर दिया था।

नए विवादों में एएसपी का आचरण सवालों के घेरे में

मथुरा के ठाकुर बांके बिहारी मंदिर में हुई घटना ने एक बार फिर एएसपी अनुज चौधरी के आचरण को सवालों के घेरे में ला दिया है। सोशल मीडिया पर लोग उनकी कार्यशैली और व्यवहार को लेकर तीखी आलोचना कर रहे हैं। कई लोग इस घटना को पुलिसिया गुंडागर्दी और प्रशासन की असंवेदनशीलता से जोड़ रहे हैं।

मथुरा में हुए इस विवाद से यह सवाल उठता है कि क्या एक अधिकारी को सार्वजनिक रूप से अपनी शक्ति का ऐसा दुरुपयोग करने का अधिकार है? यह केवल मथुरा का ही नहीं, बल्कि पूरे यूपी का मामला बन चुका है, क्योंकि एएसपी अनुज चौधरी का यह आचरण कई अन्य विवादों से जोड़ते हुए समाज में एक गहरी छाप छोड़ गया है।

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Viral News: मधुबनी से लद्दाख तक सिंगल गियर साइकिल पर 30,000 किमी का सफर, ITBP ने बढ़ा...

Viral News: बिहार के मधुबनी जिले के रहने वाले सूरज ने अपनी हिम्मत, जुनून और सपनों को हकीकत में बदलते हुए वह कर दिखाया, जिसे सुनकर हर कोई हैरान है। सूरज ने सिंगल गियर वाली साधारण साइकिल पर लगभग ढाई महीने का सफर तय करते हुए मधुबनी से लद्दाख तक की कठिन और रोमांचक यात्रा पूरी की। इस यात्रा का मकसद सिर्फ एक था अपने पैशन को पूरा करना।

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सूरज सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव हैं और अपने इंस्टाग्राम पर उन्होंने बताया कि वे अब तक 20 राज्यों और 6 केंद्रशासित प्रदेशों में यात्रा करते हुए करीब 30,000 किलोमीटर साइकिल से पूरा कर चुके हैं। उनकी यह यात्रा सिर्फ साहस की नहीं, बल्कि आत्मविश्वास और इच्छाशक्ति की भी मिसाल है।

लद्दाख के वीरान रास्ते और सेना का साथ- Viral News

हाल ही में सूरज ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट suraj_bl_vlogs पर एक पोस्ट शेयर की, जिसमें उन्होंने अपने मुश्किल अनुभव को बताया। उन्होंने लिखा, “सच बताऊँ, उस वक्त मेरे पास खाने को कुछ भी नहीं था। Thank you Sir।”

सूरज के मुताबिक, वह हनले से उमलिंगला की ओर जा रहे थे। रास्ता बेहद खराब और चारों ओर बंजर पहाड़, जहाँ न आदमी दिखता है न कोई जानवर। इस दौरान लेह में चल रहे विरोध प्रदर्शन के कारण सभी दुकानें बंद थीं, जिससे खाने-पीने का सामान मिलना मुश्किल हो गया था।

इसी बीच उन्हें भारतीय सेना और ITBP के जवानों का अनमोल साथ मिला। सूरज ने लिखा,
“जहाँ भी Army वाले दिखते, वह अपनी वैन रोककर पूछते और मदद करते। यही हमारे Indian Army है 🙌🫡।”

ITBP ने दिखाई दरियादिली, दिया खाना और पानी

सूरज ने अपने वीडियो में ये भी शेयर किया कि सुनसान रोड पर वे निराश खड़े थे, तभी ITBP का ट्रक उनके पास रुकता है। जवान उनसे पूछते हैं कि वे कहाँ से आए हैं। जब सूरज बताते हैं कि वह मधुबनी, बिहार से सोलो ऑल इंडिया साइकिल राइड पर निकले हैं, तो जवान उन्हें चॉकलेट, रियल जूस और पानी देकर मदद करते हैं।

सूरज जवानों की इस मदद से बेहद खुश हो जाते हैं।

सोशल मीडिया पर सेना की जमकर तारीफ

सूरज के इस पोस्ट पर सैकड़ों लोगों ने कमेंट कर ITBP और भारतीय सेना की सराहना की। कई यूजर्स ने ITBP जवानों की इस मानवीय पहल की सराहना की। एक यूजर ने लिखा कि सेना हमेशा मदद के लिए तैयार रहती है और ऐसे ही छोटे-छोटे काम उन्हें आम लोगों की नजरों में असली हीरो बनाते हैं। दूसरे यूजर ने टिप्पणी की कि रील नहीं बल्कि ऐसे रियल हीरो ही समाज के लिए प्रेरणा बनते हैं। वहीं कुछ लोगों ने ITBP के शौर्य और निष्ठा को याद करते हुए लिखा कि उनका यह व्यवहार उनके मूल्यों का प्रतिबिंब है।

सूरज की कहानी क्यों खास है?

एक मामूली साइकिल पर इस तरह की यात्रा करना अपने आप में कमाल है, लेकिन जिस तरह रास्ते में सेना ने उनका साथ दिया, वह इस कहानी को और दिलचस्प बनाता है। यह सिर्फ एक युवक की यात्रा नहीं, बल्कि यह भरोसा है कि हमारी सेना हर परिस्थिति में नागरिकों की मदद के लिए खड़ी रहती है।

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Anil Vij vs officer: कैथल की बैठक में बवाल! अनिल विज और पुलिस अधिकारी में सीधी भिड़ंत...

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Anil Vij vs officer: जिला शिकायत निवारण समिति की शुक्रवार को हुई बैठक अचानक उस समय गर्मा गई, जब प्रदेश के परिवहन, ऊर्जा और श्रम मंत्री अनिल विज और कैथल के एक पुलिस अधिकारी के बीच ज़ीरो एफआईआर दर्ज न किए जाने को लेकर तीखी नोकझोंक हो गई। बैठक की अध्यक्षता कर रहे विज ने आरोप लगाया कि पुलिस ने उनके पहले दिए गए निर्देशों को नज़रअंदाज़ किया, जिसके कारण मामला फिर से समिति के समक्ष लेकर आना पड़ा।

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ज़ीरो एफआईआर का मामला बना टकराव की वजह- Anil Vij vs officer

विवाद की शुरुआत तब हुई जब विज ने एक धोखाधड़ी के मामले में ज़ीरो एफआईआर न दर्ज होने पर सवाल उठाया। ज़ीरो एफआईआर की विशेषता होती है कि किसी भी थाना क्षेत्र की परवाह किए बिना इसे किसी भी पुलिस स्टेशन में दर्ज किया जा सकता है। मंत्री ने इस मामले में पुलिस की सुस्ती पर नाराजगी जताते हुए पूछा कि आखिर उनके निर्देशों को समय रहते पूरा क्यों नहीं किया गया।

इस दौरान कैथल की एसपी उपासना भी बैठक में मौजूद थीं। उन्होंने मामले में हस्तक्षेप कर पुलिस की ओर से स्पष्टीकरण देने की कोशिश की, लेकिन विज इससे संतुष्ट नहीं हुए और बार-बार संबंधित अधिकारी से जवाब मांगते रहे। बैठक के एक वीडियो में विज एसपी से यह भी कहते दिखे कि “कैथल पुलिस अपना काम ठीक से नहीं कर रही।”

“मेरे आदेशों की अवहेलना कैसे?”: विज

मंत्री ने कड़े शब्दों में कहा कि समिति द्वारा दिया गया निर्देश बिल्कुल स्पष्ट था और पुलिस को तुरंत ज़ीरो एफआईआर दर्ज करनी चाहिए थी। विज ने एसपी से कहा, “ये मेरे आदेश हैं। इनके पालन में देरी कैसे हो सकती है?” उन्होंने दावा किया कि शिकायत समिति तक इसलिए पहुंची, क्योंकि पुलिस ने शिकायत पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया।

जब विज ने संबंधित अधिकारी से पूछा कि मामला अब तक दर्ज क्यों नहीं हुआ, तो अधिकारी ने दावा किया कि शिकायतकर्ता खुद अपना केस चंडीगढ़ में दर्ज करवाना चाहता था। इस पर विज ने सवाल उठाया कि क्या शिकायतकर्ता ने यह बात लिखित रूप में दी है। अधिकारी के पास कोई दस्तावेज न होने पर मंत्री ने शिकायतकर्ता को तुरंत फोन लगाया।

फोन पर खुला सच, और बढ़ी बहस

शिकायतकर्ता से हुई बातचीत में साफ हुआ कि वह कैथल में ही एफआईआर दर्ज करवाना चाहता है और पुलिस कार्रवाई से खुश नहीं है। शिकायतकर्ता के इस बयान ने मंत्री को और नाराज़ कर दिया। उन्होंने अधिकारी पर कार्रवाई न करने और शिकायत को लटकाने का आरोप लगाया।

यहां से मामला और गर्मा गया। वीडियो में अधिकारी विज से कहते सुने गए, “सर, आप न्याय नहीं कर  रहे।” इस पर मंत्री ने उत्तर दिया,“मैं न्याय कर रहा हूँ।”

लेकिन अधिकारी अपनी बात पर अड़े रहे। उन्होंने कहा कि शिकायत दर्ज न करने का आरोप गलत है और इसका दोष उन पर डालना अनुचित है। अधिकारी बोले, “आप मेरा करियर खराब कर रहे हैं। मैं इस गलती का जिम्मेदार नहीं हूँ। आप मेरे बारे में किसी से भी पूछ सकते हैं। मैं हमेशा आदेशों का पालन करता हूँ।”

विज का सख्त निर्देश: बैठक खत्म होने से पहले दर्ज हो एफआईआर

विज ने स्पष्ट किया कि प्रक्रिया की बातें अपनी जगह हैं, लेकिन सबसे पहले शिकायत दर्ज होना ज़रूरी है। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा, “बैठक खत्म होने से पहले ज़ीरो एफआईआर दर्ज कर दें, वरना मैं आपको सस्पेंड कर दूँगा।”

बैठक के दौरान मंत्री ने सिर्फ इसी मामले में सख्ती नहीं दिखाई, बल्कि अन्य शिकायतों पर भी तत्काल कार्रवाई के आदेश दिए।

अन्य शिकायतों पर भी एक्शन मोड में विज

एक युवती द्वारा उत्पीड़न की शिकायत में पुलिस पर सबूतों के बावजूद कार्रवाई न करने का आरोप लगाया गया था। इस पर विज ने मातहत अधिकारियों को निर्देश दिया कि जिम्मेदार पुलिसकर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाए।

इसके अलावा चार अलग-अलग मामलों में तथ्य-जांच समितियां गठित की गईं और अगली बैठक में रिपोर्ट जमा करने के आदेश दिए गए।

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Political news: एक जेल से विधायक बना, दूसरा दो पैन कार्ड में फंसकर फिर पहुंचा सलाखों ...

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Political news: बिहार और उत्तर प्रदेश की राजनीति में इन दिनों जैसे भयंकर सियासी तूफान आ गया है। एक तरफ, बिहार के बाहुबली नेता अनंत सिंह ने जेल से ही मोकामा सीट पर ऐतिहासिक जीत दर्ज की, तो दूसरी तरफ, उत्तर प्रदेश के चर्चित नेता आजम खान और उनके बेटे को कोर्ट ने 7-7 साल की सजा सुनाई। इन घटनाओं ने न केवल दोनों राज्यों की राजनीति को फिर से गर्म कर दिया है, बल्कि यह सवाल भी खड़ा कर दिया है कि क्या राजनीतिक ताकत और कानून के बीच की लाइन हमेशा इतनी धुंधली होती है? क्या जेल में बंद रहते हुए भी कोई नेता विधानसभा की कुर्सी पर बैठ सकता है? और क्या सजा के बाद भी नेता बिना सजा भुगते अपनी राजनीतिक पकड़ बनाए रख सकते हैं? आइए, जानते हैं इन दोनों घटनाओं के भीतर की राजनीति और कानून के जटिल पहलुओं को।

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अनंत सिंह की जेल से चुनावी जीत: एक नई कहानी

बिहार के बाहुबली नेता अनंत सिंह ने मोकामा विधानसभा सीट पर अपनी ताकत का अहसास कराते हुए अपनी प्रतिद्वंदी वीणा देवी को 28,206 वोटों से हराया। लेकिन यह जीत किसी साधारण चुनावी परिणाम से कहीं अधिक है। अनंत सिंह इस समय दुलारचंद यादव की हत्या के आरोप में जेल में बंद हैं। इस विवादास्पद हत्या के मामले ने अनंत सिंह को बिहार की राजनीति के एक विवादित और प्रभावशाली नेता के रूप में स्थापित किया है।

जीत की नहीं थी उम्मीद- Political news

कई राजनीतिक विश्लेषक मान रहे थे कि दुलारचंद यादव की कथित हत्या का आरोप अनंत सिंह के लिए बड़ा नुकसान साबित होगा, लेकिन तारतार गांव में इसका असर लगभग नगण्य दिखा। हाँ, गांव के आसपास के कुछ बूथों पर इस मामले की हलचल जरूर महसूस की गई। उदाहरण के तौर पर, बूथ नंबर 226 पर जहां अनंत सिंह को सिर्फ 206 वोट मिले, वहीं वीणा देवी को 483 मत हासिल हुए। इसी तरह बूथ नंबर 227 पर अनंत सिंह को 103 वोट मिले जबकि वीणा देवी को 635 वोट पड़े।

इसके बावजूद, पूरे तारतार गांव में अनंत सिंह की बढ़त साफ दिखाई दी। दिलचस्प बात यह रही कि पीयूष प्रियदर्शी को पूरे गांव से सिर्फ 15 वोट ही मिल सके। गांव के कई मतदाताओं ने वोटिंग के बाद साफ कहा,हम आंकड़ों और जोड़-घटाव में नहीं पड़े, हमें अनंत भैया का काम दिखता है और उसी पर हमने फैसला किया।

क्या शपथ ग्रहण समारोह में होंगे शामिल

चुनाव परिणाम के बाद अनंत सिंह के समर्थक खुशी के जश्न में डूबे हुए हैं, वहीं बिहार की राजनीति में एक बड़ा सवाल उठ खड़ा हुआ है: क्या अनंत सिंह जेल में रहते हुए विधायक की शपथ ले सकते हैं? क्या वे विधानसभा में अपनी भूमिका निभा सकते हैं? यह सवाल इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि अनंत सिंह के खिलाफ हत्या का आरोप गंभीर है और पुलिस ने अभी तक आरोप पत्र भी दाखिल नहीं किया है।

कानूनी दृष्टिकोण से देखें तो, चुनाव जीतने से अनंत सिंह को शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने का अधिकार अपने आप नहीं मिल जाता। चूंकि वे न्यायिक हिरासत में हैं, उन्हें अदालत की अनुमति मिलने पर ही जेल से बाहर आ सकते हैं। बिना न्यायिक आदेश के वे अपनी विधायकी के कर्तव्यों को निभाने के लिए जेल से बाहर नहीं आ सकते।

अदालतें कभी-कभी ऐसे मामलों में अस्थायी राहत देती हैं, जिससे निर्वाचित प्रतिनिधि शपथ ग्रहण कर सकें। लेकिन यह राहत पूरी तरह से अदालत के विवेक पर निर्भर होती है। इस मामले में अनंत सिंह के लिए राहत मिलने के बाद भी उन्हें विधायक के रूप में काम करने के लिए जमानत की आवश्यकता होगी। और अगर जमानत नहीं मिलती है, तो उनका विधायक बनना और विधानसभा में शामिल होना मुश्किल हो सकता है।

आजम खान और उनके बेटे की सजा: यूपी की राजनीति का उलझा हुआ मामला

वहीं, उत्तर प्रदेश में सपा नेता आजम खान के खिलाफ एक और बड़ा घटनाक्रम सामने आया है। रामपुर कोर्ट ने दो पैन कार्ड रखने के मामले में आजम खान और उनके बेटे अब्दुल्ला आजम को दोषी करार देते हुए 7-7 साल की सजा सुनाई है। इस सजा के बाद दोनों को जेल भेज दिया गया है।

यह मामला 2019 का है, जब भाजपा विधायक आकाश सक्सेना ने आजम खान और उनके बेटे पर दो पैन कार्ड रखने का आरोप लगाया था। सिविल लाइंस कोतवाली थाने में इस मामले की रिपोर्ट दर्ज हुई थी, और अब इस मामले में कोर्ट ने दोनों को दोषी करार दिया। अदालत का कहना था कि आजम खान और अब्दुल्ला आजम ने धोखाधड़ी और फर्जी दस्तावेजों के जरिए यह पैन कार्ड बनाए थे।

सपा नेता आजम खान, जो पिछले कुछ समय से जेल में थे, हाल ही में सीतापुर जेल से जमानत पर बाहर आए थे। अक्टूबर 2023 में वे सीतापुर जेल में बंद थे, लेकिन सितंबर 2025 में उन्हें जमानत मिली और वे बाहर आए। हालांकि, खुली हवा में सांस लेने का उनका समय बहुत छोटा रहा। एक महीने से भी कम समय बाद, उन्हें दो पैन कार्ड के मामले में दोषी करार देते हुए फिर से सजा सुनाई गई है।

क्या कहता है कानून?

आजम खान के खिलाफ यह सजा उनके लिए एक और राजनीतिक और कानूनी चुनौती लेकर आई है। हालांकि, यह सजा ज्यादा लंबी नहीं है, लेकिन उनके लिए यह एक बड़ी झटका साबित हो सकती है। उनके खिलाफ पहले भी कई आपराधिक मामले दर्ज हैं, जिनमें से कुछ में उन्हें सजा मिल चुकी है और कुछ में वे बरी हो चुके हैं।

यहां यह सवाल भी उठता है कि क्या आजम खान और उनके बेटे अब्दुल्ला को जमानत मिल सकती है? जैसा कि पहले बताया गया, अदालतें इस तरह के मामलों में जमानत देने से पहले बहुत सतर्क रहती हैं, और चूंकि यह मामला गंभीर अपराध से जुड़ा है, इसलिए उनके लिए जमानत मिलना आसान नहीं होगा।

राजनीतिक और कानूनी पहलू

इन दोनों मामलों ने बिहार और उत्तर प्रदेश की राजनीति को एक नई दिशा में खड़ा कर दिया है। एक ओर जहां अनंत सिंह की जेल में रहकर चुनाव जीतने की घटना राजनीति के नक्सलवादी और बाहुबली प्रभाव की मिसाल बन रही है, वहीं दूसरी ओर आजम खान की सजा और उनके खिलाफ दर्ज मामलों ने उन्हें उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक विवादित और जटिल चेहरा बना दिया है।

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ऑर्डर मत करे तो नुकसान भी ना पहुंचाएं, Zehra Calligraphy ने धर्म के नाम पर कही कड़ी ब...

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सोशल मीडिया पर छोटे व्यवसाय और ग्राहकों के बीच एक नया विवाद तेजी से वायरल हो रहा है। Zehra Calligraphy, जो हैंडमेड इत्र और कलिग्राफी प्रोडक्ट्स के लिए जानी जाती है, अचानक चर्चा में आ गई है। मामला कुछ ऐसा है कि ब्रांड की मालकिन ने ग्राहकों से सीधे अपील की कि अगर खरीदना नहीं है तो ऑर्डर ही मत करें, क्योंकि मंगवाकर वापस करने से उनका व्यवसाय नुकसान में जाता है। यह ट्वीट आते ही सोशल मीडिया पर हलचल मच गई, और लोगों ने अपनी राय देने में कोई कसर नहीं छोड़ी।

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Zehra Calligraphy का संदेश

Zehra Calligraphy ने 16 नवंबर को ट्वीट किया, “नफ़रत में लोग अंधे हो जाते हैं। मैं आप लोगों से हाथ जोड़कर गुज़ारिश करती हूँ कि अगर खरीदना नहीं है, तो ऑर्डर मत किया करें। वापस करने से हमारा नुकसान होता है। हमारे इत्र में कोई कमी हो तो हमें बताइए, दो दिन की लास्टिंग दे रही हूँ, कम पैसे में सिर्फ धर्म के आधार पर पार्सल भेजा गया है।”

इस ट्वीट के बाद सोशल मीडिया पर दो तरह की प्रतिक्रियाएँ देखने को मिलीं। कुछ लोगों ने इस अपील को समझा और व्यवसाय का समर्थन किया, जबकि कुछ ने व्यवसायिक प्रैक्टिस पर सवाल उठाए।

विनोद सेन का समर्थन

वहीं इस मामले में, सोशल मीडिया पर सक्रिय विनोद सेन ने Zehra Calligraphy के ट्वीट पर रिप्लाई किया। उन्होंने लिखा, “अगर किसी को खरीदना ही नहीं है तो ऑर्डर क्यों करते हैं? प्रोडक्ट मंगवाकर वापस कर देना ये न इंसानियत है न कारोबार की समझ। आप मेहनत से काम कर रही हैं, इत्र में कोई कमी है तो बताना चाहिए, पर नुकसान पहुँचाना किसी भी तरह जायज़ नहीं। मेहनत और ईमानदारी हमेशा जीतती है।”

विनोद सेन की यह प्रतिक्रिया सोशल मीडिया पर काफी ध्यान खींचने वाली रही और कई लोग उनकी बात से सहमत भी नजर आए। उन्होंने स्पष्ट रूप से यह संदेश दिया कि छोटे व्यवसायों की मेहनत का सम्मान करना चाहिए और ग्राहकों को जिम्मेदारी के साथ ऑर्डर करना चाहिए।

छोटे व्यवसाय और ग्राहक का भरोसा

यह मामला छोटे व्यवसायों और उनके ग्राहकों के बीच भरोसा और पारदर्शिता की अहमियत को भी उजागर करता है। Zehra Calligraphy जैसे ब्रांडों में उत्पाद की गुणवत्ता, समय पर डिलीवरी और ग्राहक संतुष्टि प्रमुख भूमिका निभाती है। जब ग्राहक बिना कारण के ऑर्डर वापस कर देते हैं वो भी सिर्फ धर्म के आधार पर, तो छोटे व्यवसायों को वित्तीय नुकसान और समय की बर्बादी होती है।

सोशल मीडिया का असर

यह घटना सोशल मीडिया पर तेज़ी से वायरल हो गई और लोगों ने अपनी राय साझा की। कई लोगों ने ज़ेहरा कैलिग्राफ़ी का समर्थन किया, जबकि अन्य ने क्लाइंट के रुख़ पर सवाल उठाए। हालाँकि किसी विषय को धार्मिक रंग देना ग़लत है, कंपनियों और व्यवसायों की पहचान उनके काम से होनी चाहिए, न कि उनके धर्म से।

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Best House Buying Muhurat 2026: नए साल में घर खरीदना है? राशि अनुसार जानें सबसे शुभ स...

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Best House Buying Muhurat 2026: हर किसी का सपना होता है कि उसका अपना घर हो, वह जगह जहां परिवार के सभी सदस्य खुश और संतुष्ट रहें, और जीवन में स्थिरता और सुख-शांति बनी रहे। लेकिन क्या आप जानते हैं कि सिर्फ बजट या लोकेशन ही नहीं, बल्कि घर खरीदने का समय भी बहुत मायने रखता है? ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, वर्ष 2026 कुछ खास ग्रह गोचर और योग लेकर आ रहा है, जो कई राशियों के लिए घर, फ्लैट या जमीन खरीदने के लिहाज से बहुत शुभ साबित हो सकते हैं।

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2026 में घर खरीदने के शुभ मुहूर्त- Best House Buying Muhurat 2026

ज्योतिष में कहा जाता है कि कुछ विशेष तिथियाँ और समय ऐसे होते हैं, जब किसी भी प्रकार की प्रॉपर्टी खरीदना लाभदायक होता है। 2026 में घर खरीदने के प्रमुख शुभ दिन और समय इस प्रकार हैं:

  • जनवरी: 01, 04, 14, 16, 23, 24, 25 (08:29–18:10)
  • फरवरी: 02, 04, 13, 19, 21 (09:45–16:55)
  • मार्च: 09, 13, 25, 27, 29, 30 (08:37–17:57)
  • अप्रैल: 09, 10, 15, 23, 26 (08:02–17:14)
  • मई: 02, 03, 04, 06, 07, 14 (08:04–17:12)
  • जून: 15, 17, 19, 20, 21, 26, 27 (07:25–17:26)
  • जुलाई: 06, 08, 12, 16, 23, 24, 26, 27 (07:48–17:58)
  • अगस्त: 09, 13, 14, 19, 20, 23, 24, 29 (07:55–17:57)
  • सितम्बर: 07, 09, 11, 16, 17, 19 (08:49–17:25)
  • अक्टूबर: 16, 17, 23, 31 (09:18–16:55)
  • नवम्बर: 02, 04, 09, 11, 12, 14, 19, 21, 26, 28, 29, 30 (07:28–17:14)
  • दिसम्बर: 06, 10, 11, 16, 17, 19, 25, 28 (08:01–17:51)

इन मुहूर्तों पर घर या जमीन खरीदना शुभ माना जाता है और इससे निवेश लाभदायक हो सकता है।

राशि अनुसार घर खरीदने के शुभ योग

मेष (Aries): मेष राशि वालों के लिए साल मिला-जुला रहेगा। जून से अक्टूबर तक प्रॉपर्टी में निवेश या घर खरीदना लाभकारी हो सकता है, जबकि शनि की स्थिति शुरुआत में थोड़ी बाधा ला सकती है।

वृषभ (Taurus): साल की शुरुआत में सावधानी जरूरी है। घर या जमीन खरीदने से पहले पूरी जांच-पड़ताल करना आवश्यक है। रिनोवेशन या मरम्मत के लिए समय शुभ रहेगा।

मिथुन (Gemini): जनवरी-मार्च में बुध वक्री होने के कारण निवेश से बचें। अप्रैल के बाद परिस्थितियाँ बेहतर होंगी।

कर्क (Cancer): मई के बाद घर या फ्लैट खरीदना आपके लिए शुभ रहेगा। ग्रहों की स्थिति मददगार साबित होगी।

सिंह (Leo): यह साल सिंह राशि वालों के लिए घर खरीदने के लिहाज से बहुत अच्छा रहेगा। विवादित संपत्ति से बचें, अन्यथा बृहस्पति की कृपा से निवेश लाभदायक होगा।

कन्या (Virgo): साल का पहला भाग खास रहेगा। जनवरी से मई तक नया घर खरीदना या निर्माण कार्य शुरू करना शुभ होगा।

तुला (Libra): कोर्ट में चल रहे किसी विवाद का निपटारा हो सकता है। नया मकान या जमीन खरीदने के लिए समय अनुकूल रहेगा।

वृश्चिक (Scorpio): मार्च के बाद घर या जमीन खरीदने का समय अनुकूल रहेगा। मई के बाद कुछ अवरोध हो सकते हैं।

धनु (Sagittarius): जून से अक्टूबर के बीच गुरु ग्रह की दृष्टि लाभदायक रहेगी। शनि के कारण थोड़ी देरी हो सकती है।

मकर (Capricorn): मार्च के बाद घर का सपना पूरा हो सकता है। पहले अटका हुआ सौदा सफल हो जाएगा।

कुंभ (Aquarius): सावधानी बरतें। विवादित जमीन से दूर रहें। मौजूदा भूमि पर निर्माण कार्य के लिए समय शुभ रहेगा।

मीन (Pisces): जनवरी से मई तक नया घर खरीदना या निर्माण शुरू करना शुभ होगा। मई के बाद जल्दबाजी न करें।

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Vrindavan Seven Thakur Ji: वृंदावन की यात्रा क्यों होती है अधूरी इन सात ठाकुर जी के द...

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Vrindavan Seven Thakur Ji: उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में स्थित वृंदावन सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि वह भूमि है जहां श्रीकृष्ण ने अपना बचपन बिताया, लीलाएं कीं और जहां आज भी हर गली में भक्ति की महक महसूस होती है। दुनिया भर से लाखों श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं, लेकिन कहा जाता है कि वृंदावन की यात्रा तब तक पूर्ण नहीं होती जब तक आप यहां के सात प्रमुख ठाकुर जी यानी Seven Thakur Ji of Vrindavanके दर्शन न कर लें।

ये सात मंदिर सिर्फ पूजा के स्थान नहीं, बल्कि सैकड़ों साल पुरानी विरासत, आस्था और संस्कृति के जीवंत प्रतीक हैं। आइए जानते हैं, इन सात प्रमुख ठाकुर जी के दर्शन का क्या महत्व है और हर मंदिर की खासियत क्या है।

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श्री राधा-गोपीनाथ जी (Vrindavan Seven Thakur Ji)

गोकुलनाथ जी द्वारा बनवाया गया यह मंदिर भक्ति और प्रेम के गहन स्वरूप को दर्शाता है। यहां पहुंचकर ऐसा लगता है मानो गोप-गोपियों के उस युग की झलक आज भी जीवित हो।

श्री राधा-गोकुलानंद जी

यह धाम वात्सल्य और प्रेम का प्रतीक है। श्री लोकनाथ गोस्वामी जी द्वारा स्थापित इस मंदिर में राधारानी के साथ गोकुलानंद जी के बाल स्वरूप की पूजा होती है। बच्चों जैसी मासूम भक्ति यहां के वातावरण में महसूस होती है।

श्री राधा-मदन मोहन जी

वृंदावन का सबसे प्राचीन मंदिर माना जाने वाला यह धाम मुगल काल में बनाया गया था। इसका इतिहास भक्ति, प्रेम और समर्पण की कहानियों से भरा है। माना जाता है कि यहां के दर्शन करने से जीवन में सुख, शांति और सकारात्मकता का आगमन होता है।

श्री राधारमण जी

यह मंदिर अनोखा इसलिए है क्योंकि यहां राधारानी की मूर्ति नहीं, बल्कि उनके लिए एक खूबसूरत सिंहासन स्थापित है। मान्यता है कि राधारानी स्वयं यहां उपस्थित रहती हैं। गौड़ीय वैष्णव संप्रदाय के लिए यह मंदिर अत्यंत पवित्र माना जाता है।

श्री राधा-दामोदर जी

यह मंदिर वैष्णव परंपरा का बेहद महत्वपूर्ण केंद्र है। कहा जाता है कि यही वह स्थान है जहां श्री रूप गोस्वामीजी ने साधना की थी। भगवान के दामोदर स्वरूप के दर्शन भक्तों को अद्भुत शांति और आंतरिक स्थिरता देते हैं।

श्री राधा-बांके बिहारी जी

वृंदावन का शायद सबसे प्रसिद्ध मंदिर—यहां भीड़ सुबह से शाम तक लगी रहती है। यहां भगवान कृष्ण की तिरछी, मनमोहक मुद्रा वाली मूर्ति स्थापित है। खास बात यह है कि बांके बिहारी की झलक सिर्फ कुछ क्षणों के लिए ही दी जाती है, ताकि भक्त उनकी मोहक छवि में खो न जाएं।

श्री राधा-गोविंद देव जी

इस प्रसिद्ध मंदिर का निर्माण जयपुर के राजा मान सिंह ने करवाया था। इसकी भव्य वास्तुकला हर किसी को आकर्षित करती है। मान्यता है कि यहां दर्शन से मन के सभी पापों का नाश होता है और भक्त को विशेष कृपा प्राप्त होती है।

इन सात मंदिरों के दर्शन क्यों ज़रूरी?

इन सभी मंदिरों में भगवान कृष्ण के अलग-अलग स्वरूपों की झलक मिलती है कहीं बाल रूप, कहीं दामोदर, कहीं गोविंद, तो कहीं बिहारी। हर मंदिर की अपनी एक कथा, ऊर्जा और अनुभूति है। यही कारण है कि इन सात ठाकुर जी के दर्शन को वृंदावन यात्रा का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा कहा जाता है।

डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं, परंपराओं और समाज में प्रचलित विश्वासों पर आधारित है। पाठकों से अनुरोध है कि वे किसी भी धार्मिक या ज्योतिषीय उपाय को अपनाने से पहले अपनी व्यक्तिगत समझ और विशेषज्ञ सलाह जरूर लें।

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Mridul Tiwari Eviction: बिग बॉस 19 से बाहर होने के बाद मृदुल तिवारी का नोएडा में भव्य...

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Mridul Tiwari Eviction: बिग बॉस 19 से मिड-वीक एविक्शन के बाद जैसे ही इंफ्लूएंसर मृदुल तिवारी अपने शहर नोएडा पहुंचे, उनके स्वागत का नज़ारा किसी फिल्म स्टार की एंट्री से कम नहीं था। सड़क पर फैन्स की भीड़, जोर-जोर से गूंजता उनका नाम और हाथों में मालाओं का ढेर हर तरफ बस मृदुल-मृदुल ही दिख रहा था। उनकी कार को चारों ओर से घेरकर फैन्स उत्साह में चिल्ला रहे थे, जबकि मृदुल भी हर किसी को हाथ जोड़कर प्यार से अभिवादन करते नज़र आए। उनके स्वागत का ये दृश्य साफ दिखा रहा है कि मृदुल के पास बेहद मजबूत फैन बेस है और शायद यही वजह है कि उनके अचानक हुए एविक्शन पर लगातार सवाल उठ रहे हैं।

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एविक्शन पर सवाल, ऑडियंस स्पीच एडिट होने की शिकायत- Mridul Tiwari Eviction

मृदुल ने शो से बाहर आने के बाद एक इंटरव्यू में दावा किया कि ऑडियंस के सामने दी गई उनकी स्पीच का अच्छा हिस्सा एडिट कर दिया गया और सिर्फ साधारण हिस्सा दिखाया गया। इससे फैन्स को भी लग रहा है कि मेकर्स वही दिखा रहे हैं, जो वे दिखाना चाहते हैं।

 

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वहीं, शो में लाइव ऑडियंस के तौर पर मौजूद एक महिला ने यह कहकर नया विवाद पैदा कर दिया कि उन्हें बताया गया था कि ये वोटिंग कैप्टन्सी टास्क के लिए हो रही है, न कि एविक्शन के लिए। इस दावे ने सोशल मीडिया पर शक को और गहरा दिया है।

अभिषेक बजाज ने भी उठाए सवाल: “दूसरों को मौका मिला, हमें क्यों नहीं?”

अभिषेक बजाज, जो खुद मिड-वीक डबल एविक्शन में बाहर हुए थे, ने आवेज दरबार के साथ लाइव सेशन में कहा कि मेकर्स ने कुनिका सदानंद, नेहल चुडासमा और फरहाना भट्ट जैसे कंटेस्टेंट्स को दूसरा मौका दिया, लेकिन उनकी और मृदुल की बारी आने पर सीधे एविक्शन कर दिया गया।

 

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सोशल मीडिया पर भी यही चर्चा है कि अभिषेक वो कंटेस्टेंट थे, जिन्हें सीक्रेट रूम का मौका मिलना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

बिग बॉस हाउस से बाहर ‘मिनी रीयूनियन’

वहीं, बाहर आते ही मृदुल तिवारी ने अपने करीबी कंटेस्टेंट्स अभिषेक बजाज, नगमा मिराजकर और आवेज दरबार के साथ मुलाकात की। शो में इनकी बॉन्डिंग काफी मजबूत थी, और बाहर भी उनकी दोस्ती कायम दिखी। सभी चारों ने रीयूनियन की तस्वीरें सोशल मीडिया पर शेयर कीं, जिन्हें फैंस ने खूब पसंद किया।

मृदुल, अभिषेक, नगमा और आवेज ये सभी एक ही ग्रुप का हिस्सा थे। इस ग्रुप के बाकी सदस्य गौरव खन्ना, प्रणित मोरे और अशनूर कौर अभी भी शो में बने हुए हैं।

नोएडा में चक्काजाम, मृदुल के फैंस में भारी उत्साह

सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में दिख रहा है कि मृदुल के स्वागत में उनके फैन्स ने सड़क पर चक्काजाम कर दिया। उनकी कार चलते-चलते रुक गई क्योंकि लोगों ने उसे चारों तरफ से घेर लिया। उनके गले में फूल-मालाओं की लड़ी थी और वे मुस्कुराते हुए लगातार अपने फैंस का शुक्रिया अदा करते नजर आए।

उनकी इस लोकप्रियता को देखकर कई दर्शक यह मानने को तैयार नहीं हैं कि मृदुल को कम वोट मिले होंगे।

आवेज दरबार की प्रतिक्रिया, “ये बात हजम नहीं हुई”

मृदुल के एविक्शन के बाद आवेज दरबार ने अपनी इंस्टाग्राम स्टोरी पर लिखा, “मृदुल को कम वोट्स आए हैं… ये बात कुछ हजम नहीं हुई। कोई ना, असली जिंदगी अब शुरू होगी।”

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Rubina-Abhinav Love Story: पति पत्नी और पंगा के विजेता बने रुबीना-अभिनव, जानें उनकी ल...

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Rubina-Abhinav Love Story: कलर्स टीवी का चर्चित रियलिटी शो पति पत्नी और पंगा का रोमांचक फिनाले रविवार को संपन्न हो गया। शो के पहले सीजन का खिताब टीवी के सबसे चर्चित कपल रुबीना दिलैक और अभिनव शुक्ला ने अपने नाम कर लिया। सोशल मीडिया पर कपल की ट्रॉफी के साथ तस्वीरें वायरल हो रही हैं, जिसे देख फैंस और सेलेब्स दोनों ही कपल को बधाई दे रहे हैं।

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शो का फिनाले और मेजबानी- Rubina-Abhinav Love Story

शो की मेजबानी की थी बॉलीवुड की जानी-मानी अभिनेत्री सोनाली बेंद्रे और स्टैंड-अप कॉमेडियन मुनव्वर फारुकी ने। दोनों ही मेजबान अपनी खास शैली और हास्यपूर्ण अंदाज़ से दर्शकों का मनोरंजन करते रहे। इस सीजन में टीवी की कई चर्चित अभिनेत्रियां जैसे अविका गौर, हिना खान और उनके पति भी शो में हिस्सा लिए थे। फिनाले में सभी कपल्स ने अपनी पूरी ताकत दिखाई, लेकिन ट्रॉफी रुबीना और अभिनव के नाम रही।

 

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विजेताओं की प्रतिक्रिया

विजेता कपल ने अपनी खुशी साझा करते हुए कहा,
“पति पत्नी और पंगा के साथ धमाल हमारे लिए जिंदगी की भागदौड़ से दूर एक साथ समय बिताने का शानदार तरीका था। हमने खुले तौर पर अपनी कमियों के बारे में बात की और यह अनुभव बहुत सुकून देने वाला रहा। यह ट्रॉफी दर्शकों के प्यार और सभी प्रतियोगी कपल्स के सहयोग का नतीजा है।”

रुबीना और अभिनव ने शो के मेकर्स और होस्ट सोनाली और मुनव्वर का भी धन्यवाद किया। उन्होंने कहा कि उनके प्यार, मार्गदर्शन और ह्यूमर ने इस सफर को यादगार बनाया। रुबीना ने मज़ाक में कहा, “इंजीनियर्स में सबसे घटिया क्वालिटी का रोमांस होता है,” और फैंस को हंसाते हुए अपने प्यार का इज़हार किया। आइये अब जानते हैं अभिनव और रुबीना की प्रेम कहानी के बारे में।

रुबीना और अभिनव की लव स्टोरी

रुबीना और अभिनव की कहानी भी उतनी ही रोमांचक और प्रेरक है। दोनों की मुलाकात गणपति पूजा के दौरान एक कॉमन फ्रेंड के घर हुई थी। अभिनव ने इंटरव्यू में बताया कि जब उन्होंने रुबीना को साड़ी में देखा, तो वह बेहद खूबसूरत लग रही थीं। उन्होंने कहा कि आमतौर पर लड़कियों को वेस्टर्न कपड़ों में देखा जाता है, लेकिन रुबीना की साड़ी में खूबसूरती ने उन्हें मोहित कर दिया।

इसके बाद, दोनों ने साल 2015 में डेटिंग शुरू की। रुबीना ने कहा कि उन्होंने ही पहल की, क्योंकि उन्हें भरोसा था कि यह रिश्ता लंबे समय तक रहेगा। अभिनव ने भी रुबीना के फोटोशूट पर कमेंट करके उन्हें अपना इंटरेस्ट दिखाया। यही दोनों के प्यार की शुरुआत बनी।

रिश्ते की खास बातें

कपल की खासियत यह है कि दोनों के इंट्रेस्ट मिलते-जुलते हैं। दोनों को कॉफी और ट्रैवल करना पसंद है। अभिनव को फोटोग्राफी पसंद है, जबकि रुबीना फोटोशूट का आनंद लेती हैं। रुबीना ने कहा कि अभिनव हमेशा सरप्राइज देते रहते हैं, जिससे उनका रिश्ता और मजबूत होता है। अभिनव भी अपनी पत्नी के काम को लेकर हमेशा उत्साहित रहते हैं।

डेटिंग के दौरान, जब रुबीना शूटिंग पर जाती थीं, तो अभिनव उनके लिए हेल्दी खाना और ड्रिंक्स लेकर स्पेशल रेफ्रिजरेटर रखते थे, ताकि उनकी सेहत का ध्यान बना रहे।

शादी और परिवार

आपको बता दें, रुबीना और अभिनव ने 21 जून 2018 को हिमाचल में अपने परिवार और करीबी दोस्तों की मौजूदगी में शादी की। शादी की तस्वीरें सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुईं।

इनकी लव स्टोरी में भी मुश्किलें आईं। बिग बॉस 14 में दोनों ने अपने रिश्ते को एक और मौका दिया और अपनी शादी को मजबूत बनाया। और उसके बाद कपल ने 27 नवंबर 2023 को जुड़वां बेटियों जीवा और एधा का दुनिया में वेलकम किया।

करियर और संपत्ति

अब कमाई की बात करें तो, रुबीना और अभिनव दोनों ही टीवी इंडस्ट्री में काम कर रहे हैं। रुबीना की कुल संपत्ति लगभग 31 करोड़ रुपये बताई जाती है, जबकि अभिनव की संपत्ति 15-20 करोड़ रुपये के बीच आंकी जाती है। दोनों अपने करियर और परिवार का संतुलन अच्छे से बनाए हुए हैं।

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Delhi Blast NIA Report: लाल किला धमाके में एनआईए ने खोली आतंक की गुत्थी, आमिर राशिद अ...

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Delhi Blast NIA Report: दिल्ली के लाल किला इलाके में 10 नवंबर को हुए कार बम धमाके ने पूरी राजधानी और देश को हिला कर रख दिया था। इस आतंकवादी घटना की जांच अब राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के हाथों में है, और एजेंसी को मामले में बड़ी सफलता मिली है। जांच के दौरान एनआईए ने उस शख्स को गिरफ्तार किया है, जिसने आत्मघाती हमलावर के साथ मिलकर इस गंभीर साजिश को अंजाम दिया।

गिरफ्तार आरोपी का नाम आमिर राशिद अली बताया जा रहा है। जांच में सामने आया कि धमाके में इस्तेमाल की गई कार उसी के नाम पर रजिस्टर्ड थी। एनआईए ने उसे दिल्ली से हिरासत में लिया। शुरुआत में धमाके की जांच दिल्ली पुलिस कर रही थी, लेकिन बाद में केस को एनआईए को सौंपा गया। अपने हाथ में मामला लेने के बाद एनआईए ने बड़े पैमाने पर तलाशी अभियान शुरू किया और इसी दौरान आमिर राशिद अली को पकड़ने में सफलता मिली।

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आमिर राशिद अली और उसकी भूमिका- Delhi Blast NIA Report

जांच में सामने आया कि आमिर जम्मू-कश्मीर के सांबूरा, पंपोर का रहने वाला है। उसने पुलवामा के उमर उन नबी के साथ मिलकर यह हमला प्लान किया था। आमिर का काम दिल्ली में कार खरीदने और उसे धमाके के लिए इस्तेमाल होने वाले आईईडी (बम) के रूप में तैयार करने में मदद करना था।

गौर करने वाली बात यह है कि आमिर को पहले 11 नवंबर को हिरासत में लिया गया था, लेकिन लंबी पूछताछ और उसकी भूमिका स्पष्ट होने के बाद उसे औपचारिक रूप से रविवार को गिरफ्तार किया गया।

आत्मघाती हमलावर की पहचान

एनआईए ने फोरेंसिक जांच के जरिए उस ड्राइवर की पहचान की, जो धमाके के वक्त कार चला रहा था। उसकी पहचान उमर उन नबी के रूप में हुई। उमर पुलवामा का रहने वाला था और हरियाणा के फरीदाबाद स्थित अल-फलाह यूनिवर्सिटी में जनरल मेडिसिन विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर था। यानी, एक डॉक्टर खुद आतंकवादी साजिश में शामिल था।

एनआईए ने उमर की एक और गाड़ी भी जब्त की है, जिसकी जांच अभी जारी है। अब तक एजेंसी ने 73 गवाहों से पूछताछ की है, जिनमें धमाके में घायल लोग भी शामिल हैं। शुरुआती जानकारी के अनुसार, इस धमाके में कुल 10 लोगों की मौत हुई, जबकि पहले अधिकारियों ने 13 लोगों की मौत की बात कही थी।

कई राज्यों की पुलिस के साथ समन्वय

एनआईए इस मामले की जांच दिल्ली पुलिस, जम्मू-कश्मीर पुलिस, हरियाणा पुलिस, यूपी पुलिस और अन्य एजेंसियों के साथ मिलकर कर रही है। जांच अब राज्य-स्तर पर फैल चुकी है। एजेंसी यह पता लगाने में लगी हुई है कि इस धमाके के पीछे कौन-कौन लोग और संगठन शामिल थे और उनकी साजिश कितनी व्यापक थी। यह मामला RC-21/2025/NIA/DLI के तहत दर्ज किया गया है।

सूत्रों के मुताबिक, अब तक 20 से अधिक डॉक्टरों से पूछताछ हो चुकी है, जिनमें से अधिकांश को छोड़ दिया गया। जम्मू-कश्मीर पुलिस ने लगभग 200 लोगों को संदिग्ध गतिविधियों के आधार पर हिरासत में लिया, लेकिन उनमें से कई को बाद में रिहा किया गया।

इस मामले में अब तक चार मुख्य आरोपी गिरफ्तार किए गए हैं डॉ. अदील, डॉ. मुझम्मिल, डॉ. शाहीन और मौलवी इरफान। बाकी सभी को केवल पूछताछ और संदिग्ध गतिविधियों की पुष्टि के लिए हिरासत में लिया जा रहा है।

एनआईए का कहना है कि पूरा मॉड्यूल काफी संगठित और तकनीकी समझ रखने वाला था, इसलिए जांच कई स्तरों पर हो रही है। फिलहाल एजेंसियां किसी भी जानकारी पर आधिकारिक बयान देने से बच रही हैं क्योंकि मामला शुरुआती चरण में है।

रविवार को हुए अहम घटनाक्रम

रविवार को लाल किला धमाके के मामले में कई अहम घटनाक्रम सामने आए। सबसे पहले, लाल किला मेट्रो स्टेशन, जो धमाके के बाद सुरक्षा कारणों से बंद था, दोबारा खोला गया। स्टेशन के सभी गेट अब आम जनता के लिए खुले हैं। लाल किले के सामने लगाया गया सफेद परदा भी हटा दिया गया, जिससे इलाके में सामान्य गतिविधियां लौटने लगीं।

उधर, अल-फलाह यूनिवर्सिटी में भी सुरक्षा एजेंसियों की जांच जारी रही। यहां से धमाके के मुख्य आरोपी उमर नबी और उसके नेटवर्क से जुड़े महत्वपूर्ण सुराग मिले। दिनभर की कार्रवाई में पुलिस ने दो और संदिग्धों को गिरफ्तार किया, जिन्हें उमर नबी का करीबी बताया जा रहा है।

जांच में एक और बड़ा खुलासा हुआ। धमाके स्थल से मिले 9mm के कारतूस सीमित श्रेणी के पाए गए हैं। इन कारतूसों का स्रोत क्या है और ये वहां कैसे पहुंचे, इसका पता लगाने के लिए फोरेंसिक और इंटेलिजेंस टीमें मिलकर काम कर रही हैं।

तकनीकी और संगठित मॉड्यूल

जांच एजेंसियों का कहना है कि यह मॉड्यूल काफी संगठित और तकनीकी रूप से सक्षम प्रतीत हो रहा है। उमर और उसके साथियों ने एक “व्हाइट-कॉलर” आतंकवादी मॉड्यूल बनाया था, जिसमें मेडिकल फील्ड से जुड़े लोग शामिल थे। यही वजह है कि जांच कई स्तरों पर हो रही है।

धमाके में इस्तेमाल विस्फोटक, कारतूस और अन्य उपकरणों को समझने के लिए फॉरेंसिक टीम लगातार काम कर रही है। जांच अब संभावित विदेशी कनेक्शन और अन्य संदिग्धों तक फैल चुकी है।

घटनास्थल और विश्वविद्यालय से मिले सुराग

हाल ही में धमाके स्थल से 9mm कैलिबर के तीन कारतूस बरामद हुए हैं, जिनमें दो जिंदा और एक खाली खोखा शामिल है। ये कारतूस आम नागरिकों के लिए प्रतिबंधित होते हैं, लेकिन अब तक किसी हथियार का अवशेष मौके से नहीं मिला।

जांच के दौरान अल-फलाह यूनिवर्सिटी से भी महत्वपूर्ण साक्ष्य मिले। यहीं पर आरोपी उमर ने कार को कुछ समय के लिए खड़ा किया था और यहां से विस्फोटक सामग्री भी बरामद हुई।

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