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Lucknow Bus Fire News: लखनऊ में चलती बस में लगी भीषण आग, 2 बच्चों समेत 5 लोगों की मौत

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Lucknow Bus Fire News: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में गुरुवार तड़के एक दिल दहला देने वाला हादसा हुआ। बिहार के बेगूसराय से दिल्ली जा रही एक एसी स्लीपर बस में चलते समय अचानक आग लग गई। हादसे में दो बच्चों, दो महिलाओं और एक पुरुष की जलकर मौत हो गई, जबकि कई यात्री झुलस गए। यह घटना लखनऊ के मोहनलालगंज इलाके में किसान पथ पर तड़के करीब 5 बजे हुई।

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धुएं से भरी बस में मची भगदड़, आग की चपेट में आए सोते यात्री- Lucknow Bus Fire News

चश्मदीद यात्रियों के मुताबिक, बस में पहले धुआं भरना शुरू हुआ और कुछ ही पलों में आग की तेज लपटें उठने लगीं। उस समय अधिकांश यात्री नींद में थे, जिससे उन्हें समय रहते बस से बाहर निकलने का मौका नहीं मिला। बस में अफरा-तफरी मच गई और कई यात्री अंदर ही फंस गए।

Lucknow Bus Fire News
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ड्राइवर-कंडक्टर ने यात्रियों को छोड़ खुद बचाई जान

प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि जैसे ही बस में आग लगी, ड्राइवर और कंडक्टर बस से कूदकर मौके से फरार हो गए। यात्रियों को बाहर निकलने में उस समय दिक्कत हुई क्योंकि ड्राइवर की सीट के पास एक अतिरिक्त सीट लगी थी, जिससे निकास में बाधा पहुंची। कई यात्री इसी कारण नीचे गिर गए और आग की चपेट में आ गए।

स्थानीय लोगों ने दी सूचना, 30 मिनट में पाया आग पर काबू

स्थानीय ग्रामीणों ने तुरंत पुलिस और दमकल विभाग को सूचित किया। फायर ब्रिगेड की गाड़ियां मौके पर पहुंचीं और करीब 30 मिनट की मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया गया। जब बचाव दल ने बस के अंदर प्रवेश किया, तो वहाँ पाँच जले हुए शव बरामद किए गए।

शॉर्ट सर्किट से लगी आग की आशंका, जांच जारी

सहायक पुलिस आयुक्त (मोहनलालगंज) रजनीश वर्मा ने बताया कि शुरुआती जांच में पता चला है कि बस के गियरबॉक्स में शॉर्ट सर्किट से आग लगी होगी। बस में उस वक्त अधिकांश यात्री सो रहे थे। अचानक फैली आग में कुछ यात्रियों को निकलने का मौका नहीं मिल पाया।

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आपातकालीन निकास भी नहीं खुला, आग के बाद भी नहीं रुकी बस

पुलिस के अनुसार, बस में आपातकालीन निकास द्वार भी काम नहीं कर रहा था, जिससे पीछे की सीटों पर बैठे यात्री अंदर ही फंस गए। प्रत्यक्षदर्शियों का दावा है कि बस में लगी आग की लपटें एक किलोमीटर दूर से भी देखी जा सकती थीं, और आग लगने के बाद भी बस कुछ दूरी तक चलती रही।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जताया शोक, दिए राहत के निर्देश

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस भीषण हादसे पर गहरा दुख व्यक्त किया है। उन्होंने मृतकों के परिजनों के प्रति संवेदना प्रकट करते हुए अधिकारियों को राहत एवं बचाव कार्य में तेजी लाने और घायलों के उचित इलाज की व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं।

ड्राइवर और कंडक्टर की तलाश जारी, वायरल हो रहीं तस्वीरें

फिलहाल पुलिस फरार ड्राइवर और कंडक्टर की तलाश में जुटी है। मृतकों की पहचान और उनके परिजनों को सूचित करने की प्रक्रिया जारी है। वहीं, इस हादसे की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं, जो घटना की भयावहता को दर्शाते हैं।

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Pollachi Gangrape Case: कोयंबटूर पोल्लाची यौन उत्पीड़न केस में 6 साल बाद 9 दोषियों को...

Pollachi Gangrape Case: तमिलनाडु के कोयंबटूर जिले के पोल्लाची यौन उत्पीड़न मामले में एक ऐतिहासिक फैसले के तहत 6 साल बाद 9 दोषियों को उम्रभर की सजा सुनाई गई है। विशेष महिला अदालत की न्यायाधीश आर. नंदिनी देवी ने इन आरोपियों को दोषी करार देते हुए उन्हें मरते दम तक उम्रकैद की सजा दी। साथ ही, अदालत ने पीड़ितों को 85 लाख रुपए का मुआवजा भी देने का आदेश दिया। इस फैसले से न केवल न्याय मिला, बल्कि यह घटना भी न्यायिक इतिहास में एक मील का पत्थर बन गई है।

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दोषियों की सजा और मुआवजे का ऐलान- Pollachi Gangrape Case

इन 9 दोषियों में रिश्वंथ उर्फ एन सबरीराजन, के थिरुनावुक्कारासु, एम सतीश, टी वसंतकुमार, आर मणिवन्नन उर्फ मणि, पी बाबू उर्फ ‘बाइक’ बाबू, के अरुलानंथम, टी हारोनिमस पॉल और एम अरुणकुमार शामिल हैं। इन आरोपियों की उम्र 30 से 39 साल के बीच बताई गई है। इन सभी आरोपियों को सलेम सेंट्रल जेल से अदालत में लाया गया था। भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 376D (गैंगरेप) और 376(2)(N) (एक महिला से बार-बार गैंगरेप) के तहत इन्हें सजा सुनाई गई। इसके अलावा, अदालत ने इन आरोपियों पर 1.5 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया।

Pollachi Gangrape Case crime
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कैसे खुलासा हुआ था पोल्लाची यौन उत्पीड़न केस

यह मामला फरवरी 2019 में सामने आया था, जब एक 19 वर्षीय कॉलेज छात्रा ने अपनी शिकायत में बताया था कि कुछ युवक उसे एक कार में बैठाकर घूमने के बहाने बाहर ले गए और वहां उसके साथ सामूहिक बलात्कार किया। इस कृत्य का वीडियो भी बनाया गया था, जिसे बाद में ब्लैकमेलिंग के रूप में इस्तेमाल किया गया। यह मामला सिर्फ एक लड़की का नहीं था, बल्कि बाद में पता चला कि ऐसे सैकड़ों मामले सामने आए हैं। आरोपी युवक फेसबुक और इंस्टाग्राम के जरिए लड़कियों से दोस्ती करते थे और फिर उन्हें अकेला पाकर उनका यौन उत्पीड़न करते थे। इसके बाद वीडियो बनाकर उन्हें ब्लैकमेल किया जाता था।

100 से अधिक लड़कियां बनीं शिकार

सीबीआई की जांच में यह सामने आया कि इस गैंग के द्वारा 100 से ज्यादा लड़कियों को अपनी हवस का शिकार बनाया गया था। इन पीड़िताओं में अधिकांश स्कूल और कॉलेज की छात्राएं थीं, लेकिन वे सामाजिक डर के कारण अपनी पीड़ा का खुलासा नहीं कर पाईं। आखिरकार एक लड़की ने हिम्मत जुटाकर अपने परिजनों को बताया, जिसके बाद इस मामले की शिकायत पुलिस में की गई और जांच शुरू की गई।

सियासी बयानबाजी और फैसले का स्वागत

पोल्लाची यौन उत्पीड़न मामले में कोर्ट के फैसले का स्वागत तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन और विपक्षी नेता एडप्पादी के पलानीस्वामी ने किया। मुख्यमंत्री स्टालिन ने कहा कि दोषियों को सजा दिलाने से तमिलनाडु की जनता को न्याय मिला है, और जिन लोगों ने आरोपियों को बचाने की कोशिश की थी, उन्हें शर्म आनी चाहिए। पलानीस्वामी ने भी पुलिस की त्वरित कार्रवाई और सीबीआई जांच की सराहना की और इसे पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए महत्वपूर्ण कदम बताया।

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सीबीआई की महत्वपूर्ण भूमिका

इस मामले की शुरुआत में स्थानीय पुलिस द्वारा जांच की जा रही थी, लेकिन लोगों के विरोध और नाराजगी के बाद इसे सीबीआई के हवाले किया गया। सीबीआई ने इस मामले की पूरी तफ्तीश की और विस्तृत चार्जशीट दाखिल की। विशेष लोक अभियोजक जिशा के अनुसार, इस मामले में एक भी गवाह मुकरा नहीं हुआ और आठ पीड़िताओं ने गवाही दी, जिनकी पहचान गुप्त रखी गई थी।

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India vs Pakistan: लकी बिष्ट का पाकिस्तान को तगड़ा जवाब, ‘परमाणु हथियार रॉटविलर कुत्त...

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India vs Pakistan: भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव का माहौल अब भी बरकरार है, खासकर भारतीय सेना के ऑपरेशन सिंदूर के बाद। हालांकि, दोनों देशों के बीच सीजफायर का ऐलान किया गया है, लेकिन पाकिस्तान की लगातार हरकतें और आतंकवाद को बढ़ावा देने की कोशिशें फिर भी जारी हैं। इन घटनाओं के बीच, पूर्व एनएसजी कमांडो और रॉ एजेंट लकी बिष्ट ने पाकिस्तान को तीखा जवाब दिया है। लकी बिष्ट ने पाकिस्तान के परमाणु हथियारों को लेकर अपनी राय व्यक्त करते हुए कहा कि पाकिस्तान के परमाणु हथियार रॉटविलर कुत्ते की तरह होते हैं, जिन्हें कटवाने के लिए नहीं, बल्कि दिखाने के लिए रखा जाता है।

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पाकिस्तान में सैन्य शासन और भ्रष्टाचार का आरोप- India vs Pakistan

वाराणसी में ‘आजतक’ से बात करते हुए, लकी बिष्ट ने पाकिस्तान के सैन्य शासन पर हमला करते हुए कहा, “जब तक पाकिस्तान में मिलिट्री राज होगा और आसिम मुनीर जैसे सेनाध्यक्ष और आसिम मलिक जैसे आईएसआई प्रमुख होंगे, तब तक पाकिस्तान की तरक्की संभव नहीं है।” उन्होंने आगे कहा कि पाकिस्तान के पूर्व जनरल बाजवा के पास 13 अरब की संपत्ति है, लेकिन असल में यह आंकड़ा इससे कहीं ज्यादा हो सकता है। उनका आरोप था कि पाकिस्तान की जनता को इस वॉर और आतंकवाद से कोई लाभ नहीं हुआ है, बल्कि इसका पूरा फायदा सेना के जनरल और आईएसआई प्रमुख ने उठाया है। बिष्ट ने पाकिस्तान की जनता से अपील करते हुए कहा कि जब तक आपका देश मिलिट्री कंट्रोल में रहेगा, तब तक आप तरक्की नहीं कर सकते। उन्होंने पाकिस्तान में लोकतंत्र की ओर कदम बढ़ाने का सुझाव दिया, तभी कुछ सुधार हो सकता है।

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ऑपरेशन सिंदूर: आतंकवाद के खिलाफ भारत की ताकतवर प्रतिक्रिया

लकी बिष्ट ने ऑपरेशन सिंदूर के बारे में भी बात की और कहा, “हमने 104 किलोमीटर घुसकर पाकिस्तान के आतंकी ट्रेनिंग कैंपों को नष्ट किया है। उनके एयर डिफेंस सिस्टम को भी उड़ा दिया और आईएसआई की बिल्डिंग को भी तबाह कर दिया। इस ऑपरेशन में 100 से ज्यादा आतंकवादी मारे गए।” बिष्ट ने स्पष्ट किया कि भारत की लड़ाई पाकिस्तान की जनता से नहीं, बल्कि आतंकवाद से है। आतंकवाद के खिलाफ भारत की यह लड़ाई हमेशा जारी रहेगी, और जब भी आतंकवाद सिर उठाएगा, भारतीय सेना उसे मुंहतोड़ जवाब देगी। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि युद्ध किसी भी समस्या का स्थायी समाधान नहीं है, लेकिन पाकिस्तान की लगातार हरकतों ने भारत को मजबूर किया है कि वह अपनी सुरक्षा को लेकर और अधिक सतर्क रहे।

पाकिस्तान के परमाणु हथियारों पर लकी बिष्ट की टिप्पणी

पाकिस्तान द्वारा परमाणु हमले की धमकी देने के सवाल पर लकी बिष्ट ने बेहद तीखे शब्दों में प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के परमाणु हथियार रॉटविलर कुत्ते की तरह हैं, जैसे लोग रॉटविलर कुत्ते घरों में पालते हैं, ताकि वह दिखाने के लिए हो, न कि हमला करने के लिए। बिष्ट का मानना है कि पाकिस्तान के परमाणु हथियार सिर्फ दिखावे के लिए हैं, और वे वास्तविक युद्ध में काम नहीं आते। यह बयान पाकिस्तान के परमाणु हथियारों को लेकर भारत की स्थिति को स्पष्ट करता है कि भारत पाकिस्तान की धमकियों से डरने वाला नहीं है।

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पाकिस्तान से सख्त चेतावनी: आतंकवाद को ‘एक्ट ऑफ वॉर’ माना जाएगा

लकी बिष्ट ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान का भी समर्थन किया, जिसमें उन्होंने कहा था कि अब कोई भी आतंकी हमला ‘एक्ट ऑफ वॉर’ माना जाएगा और उसका सख्ती से मुकाबला किया जाएगा। बिष्ट ने यह भी कहा कि ऑपरेशन सिंदूर अभी भी जारी है और इसका उद्देश्य आतंकवाद को समाप्त करना है। प्रधानमंत्री मोदी के स्पष्ट शब्दों ने पाकिस्तान को एक और चेतावनी दी है कि भारत आतंकवाद के खिलाफ अपनी लड़ाई में पीछे नहीं हटेगा।

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Israel Saudi Arabia Abraham Accord: सऊदी अरब का अब्राहम समझौते में शामिल होने की ओर इ...

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Israel Saudi Arabia Abraham Accord: मध्य पूर्व में दशकों से चले आ रहे तनाव और टकराव के बाद अब एक नई कूटनीतिक तस्वीर उभरती नजर आ रही है। इज़रायल और कुछ प्रमुख अरब देशों के बीच अब्राहम समझौते के जरिए सामान्य रिश्ते स्थापित किए जा रहे हैं। इस समझौते के तहत, अब तक संयुक्त अरब अमीरात (UAE), बहरीन, मोरक्को और सूडान जैसे देशों ने इज़रायल को मान्यता दी है और उससे औपचारिक संबंध स्थापित किए हैं। अब संकेत मिल रहे हैं कि सऊदी अरब भी इस दिशा में धीरे-धीरे कदम बढ़ा रहा है, जिससे यह समझौता और भी महत्वपूर्ण बन जाता है।

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पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप का बयान: सऊदी अरब की दिशा में एक बड़ा कदम – Israel Saudi Arabia Abraham Accord

इस कूटनीतिक प्रक्रिया की पुष्टि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने की है। रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रंप ने सऊदी अरब की राजधानी रियाद में एक वैश्विक निवेश मंच पर बोलते हुए कहा कि वह दिन ऐतिहासिक होगा जब सऊदी अरब भी अब्राहम समझौते में शामिल होगा। ट्रंप ने कहा, “जब सऊदी अरब इस प्रक्रिया में शामिल होगा, तब आप मुझे और उन सभी को सम्मानित करेंगे जिन्होंने मध्य पूर्व में शांति स्थापित करने के लिए कठिन प्रयास किए।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह उनका व्यक्तिगत मत है कि सऊदी अरब जल्द से जल्द इज़रायल के साथ अपने रिश्ते सामान्य करे, हालांकि इस निर्णय का समय और तरीका पूरी तरह से सऊदी अरब पर निर्भर करेगा।

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अब्राहम समझौते का महत्व और उद्देश्य

अब्राहम समझौता एक ऐतिहासिक शांति प्रयास है, जिसे 2020 में आरंभ किया गया था। इस समझौते का मुख्य उद्देश्य इज़रायल और अरब देशों के बीच कूटनीतिक, आर्थिक और सामाजिक सहयोग को बढ़ावा देना है। इसके तहत भागीदार देश व्यापार, सुरक्षा, पर्यटन, प्रौद्योगिकी और नवाचार के क्षेत्रों में आपसी सहयोग को बढ़ावा देते हैं। इस पहल को “अब्राहम” नाम इसलिए दिया गया क्योंकि अब्राहम को यहूदी, ईसाई और इस्लाम तीनों धर्मों के साझा पैगंबर के रूप में माना जाता है। इस समझौते के माध्यम से, इन तीन धर्मों के मानने वालों के बीच संवाद और सह-अस्तित्व को प्रोत्साहित किया जा रहा है।

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सऊदी अरब का रुख और संभावित बदलाव

हालांकि सऊदी अरब ने अब तक इज़रायल को औपचारिक मान्यता नहीं दी है, लेकिन हाल के घटनाक्रम संकेत देते हैं कि वह धीरे-धीरे इस दिशा में बढ़ रहा है। क्षेत्रीय विशेषज्ञों का मानना है कि ईरान के बढ़ते प्रभाव, क्षेत्रीय अस्थिरता और आर्थिक साझेदारी की संभावनाएं सऊदी अरब को इस निर्णय की ओर धकेल रही हैं। सऊदी अरब के लिए इज़रायल के साथ संबंधों को सामान्य करना न केवल सुरक्षा और सामरिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हो सकता है, बल्कि यह आर्थिक और क्षेत्रीय सहयोग के लिए भी एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है।

यूएई और बहरीन के उदाहरण

यूएई और बहरीन पहले ही इज़रायल के साथ कई व्यापारिक और रक्षा समझौते कर चुके हैं। इन देशों का इज़रायल के साथ सामान्य रिश्ता अब्राहम समझौते के तहत आगे बढ़ा है, और इन समझौतों ने मध्य पूर्व में व्यापारिक और राजनीतिक स्थिरता को बढ़ावा दिया है। ऐसे में सऊदी अरब के लिए भी इस समझौते में शामिल होना एक रणनीतिक कदम हो सकता है, जो उसे मध्य पूर्व में अपनी स्थिति मजबूत करने में मदद करेगा।

सऊदी अरब का निर्णय: मध्य पूर्व की राजनीति में बड़ा बदलाव

अगर सऊदी अरब इस समझौते में शामिल होता है, तो यह न केवल मध्य पूर्व की राजनीति में बड़ा बदलाव होगा, बल्कि यह इज़रायल-अरब संबंधों के लिए एक नया युग शुरू कर सकता है। इस कदम से न केवल दोनों देशों के बीच व्यापार और सुरक्षा सहयोग को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि यह पूरी क्षेत्रीय स्थिरता और विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है। सऊदी अरब का यह कदम संभावित रूप से अन्य अरब देशों को भी प्रेरित कर सकता है, जो अब्राहम समझौते में शामिल होने का विचार कर सकते हैं।

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Who is Anita Anand: कौन हैं अनीता आनंद, कनाडा की नई विदेश मंत्री जिन्होंने भगवद्गीता ...

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Who is Anita Anand: कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने हाल ही में अपने मंत्रिमंडल में एक बड़ा फेरबदल किया है। इस फेरबदल में अनीता आनंद को कनाडा का नया विदेश मंत्री नियुक्त किया गया है। अनीता आनंद को मेलोनी जोली की जगह यह पद सौंपा गया है, जिन्हें अब उद्योग मंत्री की जिम्मेदारी दी गई है। भारतीय मूल की अनीता आनंद की नियुक्ति को लेकर काफी चर्चा हो रही है, और उनके विदेश मंत्री बनने के बाद उन्हें शुभकामनाएं भी मिल रही हैं, जिनमें भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर का संदेश भी शामिल है।

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अनीता आनंद की भारतीय पृष्ठभूमि और कनेक्शन- Who is Anita Anand

अनीता आनंद का जन्म 20 मई 1967 को कनाडा के नोवा स्कोटिया प्रांत के केंटविल शहर में हुआ था। उनके पिता का संबंध तमिलनाडु से है, जबकि उनकी मां पंजाब से हैं। हालांकि उनका परिवार कनाडा में बस गया था, अनीता ने हमेशा अपनी भारतीय जड़ों को गर्व से स्वीकार किया है। अनीता ने टोरंटो विश्वविद्यालय में कानून की प्रोफेसर के रूप में भी काम किया है।

राजनीति में कदम रखते हुए, अनीता ने 2019 में ओकविल से सांसद के रूप में अपने करियर की शुरुआत की थी। इस चुनाव में वे कनाडा की पहली महिला सांसद बनीं। इसके बाद, 2021 से 2023 तक वे कनाडा की रक्षा मंत्री रहीं और 2023 से 2024 तक ट्रेजरी बोर्ड की अध्यक्ष के रूप में कार्य किया। अब, 2024 में उन्हें प्रधानमंत्री मार्क कार्नी के मंत्रिमंडल में विदेश मंत्री के रूप में एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी गई है।

शपथ ग्रहण और भारतीय विरासत

अनीता आनंद ने अपनी भारतीय विरासत को हमेशा गौरव के साथ स्वीकार किया है, और इस बार भी मंत्रिपद की शपथ लेते समय उन्होंने भारतीय संस्कृति को सम्मानित किया। उन्होंने शपथ लेने के दौरान हाथ में भगवद गीता रखी और अपनी कर्तव्यों के प्रति प्रतिबद्धता जताई। शपथ ग्रहण के बाद अनीता ने कहा, “मुझे कनाडा के विदेश मंत्री के रूप में नियुक्त किया जाना एक बड़ा सम्मान है। मैं कनाडा के लोगों के लिए एक सुरक्षित और निष्पक्ष दुनिया बनाने और उन्हें बेहतर सेवाएं प्रदान करने के लिए प्रधानमंत्री मार्क कार्नी और हमारी पूरी टीम के साथ मिलकर काम करने के लिए तैयार हूं।”

भारत के विदेश मंत्री की बधाई

भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी अनीता आनंद को विदेश मंत्री के रूप में नियुक्त होने पर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) के माध्यम से बधाई दी। जयशंकर ने लिखा, “कनाडा के विदेश मंत्री के रूप में आपकी नियुक्ति पर बधाई। यह आपके और कनाडा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।”

कनाडा में लिबरल पार्टी की सरकार

कनाडा में लिबरल पार्टी की चौथी बार सरकार बनी है, जिसके तहत प्रधानमंत्री मार्क कार्नी के नेतृत्व में हाल ही में हुए आम चुनाव में लिबरल पार्टी ने 343 सीटों में से 169 सीटें जीतीं। हालांकि पार्टी को बहुमत नहीं मिला, क्योंकि बहुमत के लिए 172 सीटों की आवश्यकता थी, लेकिन इसके बावजूद लिबरल पार्टी ने सरकार बनाने में सफलता प्राप्त की है। इस सरकार के तहत अनीता आनंद को विदेश मंत्री जैसे महत्वपूर्ण पद पर नियुक्त किया गया है, जो उनके करियर की एक और बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है।

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Pakistan announced compensation scheme: भारत के ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान ने घोष...

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Pakistan announced compensation scheme: भारत के ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान और पीओके में आतंकवादियों के ठिकानों को नष्ट किया गया, जिसमें जैश-ए-मोहम्मद का मुख्यालय भी पूरी तरह से खंडहर में तब्दील हो गया। इस ऑपरेशन में 100 से ज्यादा आतंकवादी मारे गए, और भारत ने आतंकवादियों के खिलाफ एक निर्णायक कदम उठाया। इस हमले का जवाब पाकिस्तान की शहबाज शरीफ सरकार ने एक मुआवजा योजना की घोषणा करके दिया है। पाकिस्तान सरकार ने भारतीय हमलों में मारे गए नागरिकों और सैन्यकर्मियों के परिजनों को 1 करोड़ रुपए (10 मिलियन PKR) तक का मुआवजा देने का ऐलान किया है।

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पाकिस्तान सरकार की मुआवजा योजना की जानकारी- Pakistan announced compensation scheme

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया कि प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने भारतीय हमलों में मारे गए नागरिकों और सुरक्षाबलों के लिए एक व्यापक मुआवजा योजना की घोषणा की है। इसके तहत, मारे गए नागरिकों के परिवारों को 1 करोड़ (10 मिलियन PKR) का मुआवजा दिया जाएगा। घायल नागरिकों को 10 से 20 लाख रुपये के बीच मुआवजा मिलेगा। वहीं, भारतीय हमलों में मारे गए सैनिकों के परिजनों को उनके रैंक के आधार पर 1 करोड़ से 1.8 करोड़ रुपये (10-18 मिलियन PKR) के बीच मुआवजा मिलेगा।

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मसूद अजहर के परिवार को मिल सकता है 14 करोड़ का मुआवजा

पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर के 14 रिश्तेदार इस हमले में मारे गए हैं, जिनमें उनकी बड़ी बहन, जीजा, भतीजा-भाभी, एक भांजी और कई बच्चे शामिल हैं। चूंकि मसूद अजहर इन रिश्तेदारों का वैध उत्तराधिकारी माना जाता है, ऐसे में संभावना है कि पाकिस्तान सरकार की ओर से उसे मुआवजे के रूप में 14 करोड़ रुपये मिल सकते हैं।

भारत ने जैश-ए-मोहम्मद के ठिकानों को तबाह किया

भारत ने 6-7 मई की रात पाकिस्तानी पंजाब प्रांत के बहावलपुर में जैश-ए-मोहम्मद के मुख्यालय सहित कई आतंकवादी ठिकानों को निशाना बनाया। इसमें जामिया मस्जिद सुभान अल्लाह, जिसे उस्मान-ओ-अली कैंपस के नाम से भी जाना जाता है, पूरी तरह से तबाह हो गई। भारतीय अधिकारियों के अनुसार, यह हमले सटीक थे और इनका उद्देश्य केवल आतंकी ठिकानों को नष्ट करना था। इस हमले में 100 से ज्यादा आतंकवादी मारे गए, जो पाकिस्तान और पीओके के विभिन्न क्षेत्रों में छिपे हुए थे।

सैन्यकर्मियों और उनके परिवारों के लिए भी मुआवजा

पाकिस्तानी सरकार ने यह भी घोषणा की है कि भारतीय हमलों में मारे गए सैन्यकर्मियों के परिजनों को उनके रैंक के आधार पर मुआवजा मिलेगा। इसके अलावा, सैन्यकर्मियों के बच्चों को ग्रेजुएशन तक मुफ्त शिक्षा प्रदान की जाएगी। मृत सैन्यकर्मियों की एक बेटी को शादी के लिए 10 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाएगा। घायल सैन्यकर्मियों को 20 से 50 लाख रुपये के बीच मुआवजा मिलेगा। पाकिस्तान सरकार ने यह भी वादा किया है कि भारतीय हमलों में क्षतिग्रस्त हुए घरों और मस्जिदों का पुनर्निर्माण किया जाएगा।

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घायलों के इलाज का खर्च उठाएगी पाकिस्तान सरकार

प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने यह भी कहा कि शहीदों के बच्चों की देखभाल करना सरकार की जिम्मेदारी है, और उनकी सरकार इस दायित्व को पूरी तरह से निभाएगी। उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि भारतीय हमलों में घायल हुए लोगों का इलाज सरकार द्वारा कराया जाएगा और इसका पूरा खर्च उठाया जाएगा। शहबाज शरीफ ने यह भी वादा किया कि पाकिस्तान की रक्षा और सम्मान में योगदान देने वाले किसी भी व्यक्ति को राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित किया जाएगा और उन्हें पुरस्कार से नवाजा जाएगा।

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CJI BR Gavai Oath Ceremony: न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई ने संभाला भारत के 52वें मुख...

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CJI BR Gavai Oath Ceremony: भारत के अगले प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) के रूप में न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई ने 13 मई, 2025 को पद संभाल लिया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें शपथ दिलाई। न्यायमूर्ति गवई का कार्यकाल छह महीने का होगा, और वह 23 दिसंबर 2025 को सेवानिवृत्त होंगे। भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में उनकी नियुक्ति के बाद, न्यायमूर्ति गवई भारतीय न्यायपालिका में एक नई दिशा देने के लिए तैयार हैं।

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न्यायमूर्ति गवई का करियर और योगदान- CJI BR Gavai Oath Ceremony

जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई का जन्म 24 नवंबर 1960 को महाराष्ट्र के अमरावती में हुआ था। उनके पिता दिवंगत आरएस गवई, जो बिहार और केरल के पूर्व राज्यपाल रहे, एक प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता थे। जस्टिस गवई ने 1985 में वकालत शुरू की और 2003 में बॉम्बे हाईकोर्ट के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में अपनी न्यायिक यात्रा की शुरुआत की। बाद में उन्हें स्थायी न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया। उन्होंने 15 वर्षों तक मुंबई, नागपुर, औरंगाबाद और पणजी की पीठ में अपनी सेवाएं दीं।

जस्टिस गवई को 2019 में सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश नियुक्त किया गया और इसके बाद उन्होंने कई महत्वपूर्ण मामलों में अपने फैसलों से न्यायपालिका को दिशा दी। वे संविधान पीठों का हिस्सा रहे हैं जिनके फैसले भारतीय न्याय व्यवस्था पर गहरा प्रभाव डालते हैं।

नोटबंदी से लेकर बुलडोजर कार्रवाई तक के अहम फैसले

न्यायमूर्ति गवई की अध्यक्षता में सुप्रीम कोर्ट ने कई महत्वपूर्ण और विवादास्पद फैसले दिए हैं। इनमें 2016 के नोटबंदी फैसले को मंजूरी देना एक प्रमुख निर्णय था। पांच जजों की पीठ ने 4:1 के बहुमत से सरकार के नोटबंदी के फैसले को समर्थन दिया था। इसे काले धन और आतंकवादी फंडिंग पर अंकुश लगाने का एक कदम माना गया।

जस्टिस गवई की बेंच ने बुलडोजर कार्रवाई के खिलाफ भी महत्वपूर्ण आदेश दिए। 2024 में उन्होंने और जस्टिस केवी विश्वनाथन ने कहा कि किसी व्यक्ति की संपत्ति को सिर्फ आरोप या दोषी ठहराए जाने के आधार पर ध्वस्त करना असंवैधानिक है। उन्होंने यह भी आदेश दिया कि कोई भी ऐसी कार्रवाई कानूनी प्रक्रिया के बिना नहीं की जा सकती, और यदि ऐसा होता है तो संबंधित अधिकारी जिम्मेदार होंगे।

जस्टिस गवई के कुछ अन्य महत्वपूर्ण फैसले

  1. राजीव गांधी हत्याकांड के दोषियों की रिहाई: 2022 में जस्टिस गवई की बेंच ने 30 वर्षों से ज्यादा समय से जेल में बंद दोषियों को रिहा करने का आदेश दिया। यह निर्णय तमिलनाडु सरकार की सिफारिश पर लिया गया था, जो राज्यपाल द्वारा अनदेखा किए जाने के बाद लिया गया।
  2. वणियार आरक्षण को असंवैधानिक घोषित करना: तमिलनाडु में वणियार समुदाय को विशेष आरक्षण देने के राज्य सरकार के निर्णय को जस्टिस गवई की बेंच ने असंवैधानिक करार दिया था, क्योंकि यह अन्य पिछड़े वर्गों के साथ भेदभावपूर्ण था।
  3. ईडी निदेशक के कार्यकाल का विस्तार: जुलाई 2023 में जस्टिस गवई की बेंच ने प्रवर्तन निदेशालय के निदेशक संजय कुमार मिश्रा के कार्यकाल विस्तार को अवैध करार दिया और उन्हें पद छोड़ने का आदेश दिया।
  4. मोदी सरनेम केस में राहत: जस्टिस गवई की बेंच ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को मोदी सरनेम मामले में राहत दी थी। उन्हें दो साल की सजा के बाद लोकसभा से अयोग्य करार दिया गया था।
  5. सामाजिक कार्यकर्ताओं को राहत: जस्टिस गवई ने सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता शीतलवाड़ को जमानत दी, और दिल्ली शराब घोटाले में दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और बीआरएस नेता के कविता को भी जमानत दी।

भारत के दूसरे दलित सीजेआई

न्यायमूर्ति गवई भारत के दूसरे दलित मुख्य न्यायाधीश हैं। इससे पहले जस्टिस केजी बालाकृष्णन इस पद पर आसीन हुए थे। जस्टिस गवई की नियुक्ति भारतीय न्यायपालिका में समावेशी प्रतिनिधित्व को और मजबूत करती है।

न्यायमूर्ति गवई का भविष्य और चुनौती

अब जब न्यायमूर्ति गवई ने भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में पद संभाल लिया है, तो उनके सामने कई महत्वपूर्ण और जटिल मामलों की सुनवाई है। उनका कार्यकाल छह महीने का है, लेकिन उनके द्वारा लिए गए फैसले भारतीय न्यायपालिका के भविष्य को आकार देने में अहम भूमिका निभा सकते हैं। उनकी नेतृत्व क्षमता और संविधान के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को देखते हुए, यह कहना गलत नहीं होगा कि वे न्यायपालिका को नए ऊंचाइयों तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

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आयुर्वेद में इन फूड कॉम्बिनेशन को माना जाता है खतरनाक, खाने की गलती ना करें

Food Combination: आयुर्वेद, भारतीय चिकित्सा की एक प्राचीन प्रणाली है, जो हमारे स्वास्थ्य और तंदुरुस्ती के लिए भोजन के महत्व पर जोर देती है। आयुर्वेद (Ayurveda) न केवल इस बात पर ध्यान केंद्रित करता है कि क्या खाना चाहिए, बल्कि इस बात पर भी ध्यान देता है कि किसे के साथ क्या साथ में खाना चाहिए। कुछ खाद्य संयोजनों को ‘विरुद्ध आहार’ माना जाता है, जिसका अर्थ है असंगत खाद्य संयोजन, और माना जाता है कि वे स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं। तो चलिए आपको इस लेख में ऐसे फ़ूड कॉम्बिनेशन (Food Combination) के बारे में बताते है जिन्हें खाने से बचने की सलाह दी जाती है।

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जानिए आयुर्वेद कौनसे फ़ूड कॉम्बिनेशन को नहीं खाना 

  • दूध और फल (Fruits and Milk) – दूध ठंडा और भारी होता है, जबकि फल अम्लीय होते हैं। इन्हें एक साथ खाने से पाचन धीमा हो सकता है और शरीर में विषाक्त पदार्थ बन सकते हैं। केले को छोड़कर, ज़्यादातर फलों को दूध के साथ नहीं खाना चाहिए।
  • शहद के साथ गर्म पानी या दूध (Warm water or milk with honey) – आयुर्वेद के अनुसार, जब शहद को गर्म किया जाता है, तो वह विषैला हो सकता है। इसलिए, इसे कभी भी गर्म पानी या गर्म दूध के साथ नहीं मिलाना चाहिए।
  • घी और शहद (Honey and Ghee)- घी की तासीर ठंडी होती है जबकि शहद की गर्म। इन्हें समान मात्रा में मिलाने से शरीर में नकारात्मक प्रतिक्रिया हो सकती है। हालांकि, असमान मात्रा में इनका सेवन किया जा सकता है।
  • दूध के साथ मछली या चिकन – दूध और मछली या चिकन की प्रकृति अलग-अलग होती है। दूध ठंडा होता है, जबकि मछली और चिकन गर्म होते हैं। इनका एक साथ सेवन पाचन को बिगाड़ सकता है और त्वचा संबंधी समस्याओं का कारण बन सकता है।

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दही के साथ मांसाहारी भोजन

आयुर्वेद के अनुसार दही के साथ मांस या मछली खाना विरुद्ध आहार की श्रेणी में आता है। यह संयोजन स्वास्थ्य के लिए खराब माना जाता है और कई उभरते उत्पाद फायदेमंद साबित हो सकते हैं। तरबूज में पानी की मात्रा अधिक होती है और यह जल्दी पच जाता है, जबकि दूध और दही भारी होते हैं। इनका संयोजन पाचन में बाधा डाल सकता है। वहीं खट्टे फल और दही का संयोजन एसिडिटी बढ़ा सकता है और पाचन संबंधी समस्याएं पैदा कर सकता है। साथ ही उड़द की दाल और दही: इनका एक साथ सेवन भी पाचन के लिए भारी माना जाता है और इससे शरीर में विषाक्त पदार्थ बन सकते हैं।

Indian Army Operation Keller: ‘सिंदूर’ के बाद भारतीय सेना ने क्यों लॉन्च ...

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Indian Army Operation Keller: 13 मई, 2025 को भारतीय सेना ने जम्मू और कश्मीर के शोपियां जिले के केलर क्षेत्र में ‘ऑपरेशन केलर’ लॉन्च किया। यह ऑपरेशन पिछले कुछ दिनों से बढ़ते आतंकवादी गतिविधियों के मद्देनजर शुरू किया गया था। ऑपरेशन के तहत भारतीय सेना ने आतंकवादियों के छिपने के स्थान की पहचान की और एक बड़े तलाशी अभियान के दौरान तीन लश्कर-ए-तैयबा के आतंकियों को ढेर कर दिया। इस अभियान को भारतीय सेना की राष्ट्रीय राइफल्स (RR) ने खुफिया जानकारी के आधार पर अंजाम दिया।

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ऑपरेशन केलर का उद्देश्य और योजना- Indian Army Operation Keller

ऑपरेशन केलर की शुरुआत तब हुई जब भारतीय सेना को क्षेत्र के शोकल केलर इलाके में आतंकियों की मौजूदगी के बारे में विश्वसनीय खुफिया जानकारी मिली। शोपियां जिले के इस क्षेत्र में आतंकवादियों की गतिविधियां लगातार बढ़ रही थीं, जिसके चलते सेना ने ‘सर्च एंड डिस्ट्रॉय’ ऑपरेशन शुरू किया। 13 मई की दोपहर को भारतीय सेना के असिस्टेंट डायरेक्टर जनरल ऑफ पब्लिक इन्फॉर्मेशन (ADGPI) ने सोशल मीडिया पर इस ऑपरेशन के बारे में जानकारी दी, जिसमें बताया गया कि आतंकवादियों ने गोलीबारी शुरू कर दी थी और जवाबी कार्रवाई में तीन आतंकवादी मारे गए।

ऑपरेशन केलर का नामकरण और रणनीति

केलर नाम का ऑपरेशन इस क्षेत्र के नाम पर रखा गया, जहां यह अभियान चलाया गया था। शोपियां के केलर ब्लॉक का यह इलाका घने जंगलों से घिरा हुआ है, जिसे ‘शुकरू फॉरेस्ट’ के नाम से भी जाना जाता है। यह क्षेत्र आतंकी गतिविधियों के लिए कुख्यात रहा है, और यहां अक्सर आतंकवादियों के छिपने की खबरें मिलती रही हैं। ऑपरेशन के दौरान सेना ने इलाके की घेराबंदी की और जैसे ही आतंकवादियों को घेर लिया, उन्होंने मुठभेड़ शुरू कर दी। इस मुठभेड़ में तीन आतंकवादी मारे गए, जिनमें लश्कर-ए-तैयबा का ऑपरेशनल कमांडर शाहिद कुट्टे भी शामिल था।

मारे गए आतंकियों की पहचान और जुड़ी घटनाएं

ऑपरेशन के दौरान मारे गए आतंकियों की पहचान की गई। पहला आतंकवादी शाहिद कुट्टे था, जो शोपियां के चोटीपोरा हीरपोरा का निवासी था। कुट्टे को मोस्ट वांटेड आतंकवादी माना जाता था और वह 8 मार्च 2023 को लश्कर-ए-तैयबा में शामिल हुआ था। वह कई आतंकी हमलों में शामिल रहा, जिनमें 8 अप्रैल 2024 को डेनिश रिसॉर्ट में गोलीबारी और 18 मई 2024 को शोपियां के हीरपोरा में भाजपा सरपंच की हत्या जैसी घटनाएं शामिल थीं। कुट्टे के खिलाफ कई गंभीर आरोप थे, जिनमें कुलगाम के बेहिबाग में टीए कर्मियों की हत्या का संदेह भी था।

दूसरा आतंकवादी अदनान शफी डार था, जो 18 अक्टूबर 2024 को लश्कर-ए-तैयबा में शामिल हुआ था। वह शोपियां के वाची में गैर-कश्मीरी मजदूर की हत्या में शामिल था और उसे कैटेगरी-C का आतंकवादी माना गया। अदनान के खिलाफ कई आतंकी मामलों में शामिल होने की जानकारी सामने आई है।

ऑपरेशन केलर का महत्व और आगे की कार्रवाई

यह ऑपरेशन पाकिस्तान और उसके पाले आतंकवादियों के खिलाफ भारतीय सेना की एक और निर्णायक प्रतिक्रिया थी। पाकिस्तान और आतंकियों के खिलाफ सख्त कदम उठाने की भारत सरकार की नीति के तहत यह ऑपरेशन महत्वपूर्ण था। भारतीय सेना ने साफ किया है कि अब कोई भी आतंकी हमला ‘एक्ट ऑफ वॉर’ माना जाएगा और उसे उसी हिसाब से जवाब दिया जाएगा। शोपियां के इस ऑपरेशन में सेना ने आतंकवादियों के सफाए का काम युद्ध स्तर पर किया।

स्थानीय प्रतिक्रिया और आगे की रणनीति

ऑपरेशन के बाद स्थानीय लोगों ने खुशी जाहिर की है, लेकिन वे चाहते हैं कि ऐसे आतंकवादी पूरी तरह से समाप्त हो जाएं ताकि क्षेत्र में शांति बनी रहे। भारतीय सेना ने इस ऑपरेशन के दौरान आतंकवादियों की भारी फायरिंग का सामना किया, लेकिन उनकी सख्त प्रतिक्रिया के बाद आतंकियों को ढेर कर दिया गया। इस ऑपरेशन को लेकर सेना की तत्परता और सक्षम रणनीति की सराहना की जा रही है।

भारतीय सेना का यह ऑपरेशन केलर आतंकवाद के खिलाफ देश की दृढ़ नीति को दर्शाता है। इस सफलता के बाद सेना ने आतंकियों की गतिविधियों पर नजर बनाए रखने का संकल्प लिया है, और आगे भी ऐसी कार्रवाइयां जारी रहेंगी।

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Karnataka News: BJP नेता पर महिला को देखकर प्राइवेट पार्ट दिखाने का आरोप, FIR दर्ज, प...

Karnataka News: कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ जिले में एक बेहद शर्मनाक घटना सामने आई है, जहां भारतीय जनता पार्टी (BJP) के एक सदस्य पर महिला को देखकर अपना प्राइवेट पार्ट दिखाने का गंभीर आरोप लगा है। आरोपित व्यक्ति ग्राम पंचायत का उपाध्यक्ष बताया जा रहा है। घटना के बाद महिला की शिकायत पर पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है, और भाजपा ने भी इस आरोपित को पार्टी से निष्कासित कर दिया है।

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आरोपित व्यक्ति का परिचय और घटना का विवरण- Karnataka News

इस घटना में आरोपित व्यक्ति का नाम पद्मनाभ सापल्या है, जो दक्षिण कन्नड़ जिले के इडकिडु गांव का निवासी है। सापल्या वर्तमान में ग्राम पंचायत के उपाध्यक्ष के रूप में कार्यरत हैं। बताया जा रहा है कि सापल्या और पीड़िता के बीच सड़क निर्माण को लेकर विवाद चल रहा था। घटना के दिन जब सापल्या इस जगह पर पहुंचा, तो महिला भी वहीं मौजूद थी। आरोप है कि सापल्या ने महिला को देखते ही गुस्से में आकर अपना शॉर्ट्स उतार दिया और अपने प्राइवेट पार्ट को दिखाना शुरू कर दिया। महिला इस घटना की वीडियो रिकॉर्डिंग कर रही थी, जो बाद में सोशल मीडिया पर वायरल हो गई।

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पुलिस की कार्रवाई और FIR

महिला ने इस घटिया हरकत के बाद विट्टल पुलिस थाने में पद्मनाभ सापल्या के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई। पुलिस ने बताया कि यह घटना एक निजी संपत्ति पर गेट लगाने को लेकर हुए विवाद के दौरान घटी थी। महिला ने गेट लगाए जाने पर आपत्ति जताई थी, जिसके बाद दोनों के बीच झगड़ा हुआ। इसी दौरान महिला ने मोबाइल से घटना की रिकॉर्डिंग की और आरोपित ने अपनी शर्मनाक हरकत को अंजाम दिया। महिला की शिकायत पर पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया और जांच शुरू कर दी।

वीडियो वायरल होने के बाद सख्त कार्रवाई

इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, और उसके बाद स्थानीय लोगों में भारी गुस्सा फैल गया। लोग आरोपित के इस कृत्य पर नाराजगी जताते हुए इसे बेहद शर्मनाक और अस्वीकार्य मान रहे हैं। पुत्तूर ग्रामीण मंडल के अध्यक्ष दयानंद शेट्टी ने मामले में तुरंत एक्शन लिया और पद्मनाभ सापल्या की भारतीय जनता पार्टी की प्राथमिक सदस्यता रद्द करने के साथ-साथ उसे पार्टी से निष्कासित करने का आदेश दिया। इसके अलावा, उसे पंचायत उपाध्यक्ष के पद से इस्तीफा देने का भी निर्देश दिया गया।

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स्थानीय लोगों का आक्रोश और गिरफ्तारी की मांग

इस घटना को लेकर स्थानीय लोगों में आक्रोश है। उनका कहना है कि जनप्रतिनिधि बनने के लिए ऐसे लोगों का चुनाव नहीं किया जाना चाहिए। ग्रामीणों ने प्रशासन से अपील की है कि इस मामले में कड़ी सजा दी जाए और आरोपी की गिरफ्तारी जल्द की जाए। उनका यह भी मानना है कि प्रशासन को इस तरह के मामलों में कड़ा उदाहरण पेश करना चाहिए ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके।

पुलिस जांच और आगे की कार्रवाई

पुलिस ने आरोपी से पूछताछ शुरू कर दी है और वीडियो फुटेज की तकनीकी जांच की जा रही है। पुलिस सूत्रों के मुताबिक, यदि आरोप साबित होते हैं तो आरोपी के खिलाफ और भी गंभीर धाराएं जोड़ी जा सकती हैं। यह घटना न केवल महिला की गरिमा के खिलाफ है, बल्कि पंचायत पद की मर्यादा को भी ठेस पहुंचाने वाली है। जांच पूरी होने के बाद इस मामले में और भी कार्रवाई की जा सकती है।

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