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जब Mithun Chakraborty के एक झूठ से Rishi Kapoor की जान पर बन आई, जानिए पूरा किस्सा

Mithun Chakraborty News: बॉलीवुड में ‘डिस्को डांसर’ के नाम से मशहूर हुए मिथुन चक्रवर्ती ने न सिर्फ अपने बेहतरीन डांस मूव्स से बल्कि दमदार अभिनय से भी लाखों दर्शकों का दिल जीता है। 1976 में फिल्म ‘मृगया’ से अपने करियर की शुरुआत करने वाले मिथुन को पहली ही फिल्म में राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाज़ा गया था। इंडस्ट्री में पूरी तरह बाहरी होने के बावजूद उन्होंने मेहनत, लगन और अपनी अदाकारी से वो मुकाम हासिल किया जो हर अभिनेता का सपना होता है।

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हालांकि, उनके करियर के शुरुआती दिनों में काम पाना आसान नहीं था। नए कलाकार होने की वजह से उन्हें अक्सर फिल्में गंवाने का डर सताता रहता था। इसी डर में एक बार मिथुन ने ऐसा झूठ बोल दिया, जिससे एक घटना के दौरान अभिनेता ऋषि कपूर की जान पर बन आई। यह घटना आज भी फिल्म इंडस्ट्री में चर्चा का विषय बनी रहती है।

जब मिथुन ने फिल्म से हाथ न धोने के लिए बोला झूठ- Mithun Chakraborty News

यह किस्सा है साल 1978 में रिलीज़ हुई फिल्म ‘फूल खिले हैं गुलशन गुलशन’ की शूटिंग के दौरान का। फिल्म में मिथुन और ऋषि कपूर दोनों अहम किरदारों में थे। मिथुन इस फिल्म में ऋषि के दोस्त की भूमिका निभा रहे थे। निर्देशन की कमान सिकंदर खन्ना ने संभाली थी, जबकि फिल्म के निर्माता थे अनिल कपूर के पिता सुरिंदर कपूर।

एक दिन शूटिंग के दौरान एक कार सीन फिल्माया जाना था। इस सीन में मिथुन को कार चलाते हुए ऋषि कपूर के पास ले जाकर रोकना था, जिसके बाद ऋषि को कार में बैठना था। डायरेक्टर ने जब मिथुन से पूछा कि क्या उन्हें कार चलानी आती है, तो मिथुन ने तुरंत ‘हां’ में जवाब दे दिया। जबकि हकीकत यह थी कि मिथुन को ठीक से कार चलानी नहीं आती थी। उन्हें डर था कि कहीं सच बताने पर उन्हें फिल्म से निकाल न दिया जाए, इसलिए उन्होंने झूठ बोल दिया।

सीन में हुआ हादसा, ऋषि कपूर हुए ज़ख्मी

जब शूटिंग शुरू हुई और कैमरा रोल करने लगा, मिथुन ने कार स्टार्ट की और ऋषि कपूर की ओर बढ़ने लगे। लेकिन कार को वक्त पर नहीं रोक पाए और सीधे ऋषि से जा टकराए। टक्कर इतनी तेज़ थी कि कार का बोनट ऋषि कपूर के चेहरे पर लग गया और उनके मुंह से खून बहने लगा। गनीमत रही कि चोट गंभीर नहीं थी, लेकिन कुछ पल के लिए माहौल बेहद तनावपूर्ण हो गया।

मिथुन ने तुरंत कुबूल की अपनी गलती

इस हादसे के बाद मिथुन बेहद घबरा गए। उन्होंने खुद आगे बढ़कर डायरेक्टर को पूरी सच्चाई बता दी कि उन्हें कार चलाना नहीं आता था और उन्होंने सिर्फ फिल्म में काम बनाए रखने के लिए झूठ बोला था। उन्होंने अपने झूठ और लापरवाही के लिए ईमानदारी से माफी मांगी। इस घटना के बाद सेट पर मौजूद सभी लोग स्तब्ध थे लेकिन मिथुन की सच्चाई और शर्मिंदगी ने स्थिति को संभाल लिया।

मिथुन की ईमानदारी ने दिल जीता

हालांकि यह हादसा गंभीर हो सकता था, लेकिन मिथुन की सच्चाई स्वीकार करने की ईमानदारी और इंसानियत ने सबका दिल जीत लिया। इस घटना से यह भी साबित हुआ कि मिथुन न सिर्फ एक अच्छे अभिनेता हैं, बल्कि एक जिम्मेदार इंसान भी हैं जो अपनी गलती को छिपाने की बजाय उसे स्वीकार करने का साहस रखते हैं।

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Sanyasi in Sikhism: क्या सिख धर्म में सन्यासी या साधु-संत होते हैं? जानिए गुरु परंपरा...

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Sanyasi in Sikhism: सिख धर्म, जिसकी स्थापना गुरु नानक देव जी ने 15वीं सदी में की थी, आज विश्व के प्रमुख और प्रभावशाली धर्मों में से एक है। यह धर्म एकेश्वरवाद, समानता, और सेवा के सिद्धांतों पर आधारित है। गुरु नानक ने एक ऐसे समाज की कल्पना की, जहाँ जाति, धर्म या लिंग के आधार पर कोई भेदभाव न हो और हर व्यक्ति आध्यात्मिकता को गृहस्थ जीवन जीते हुए भी प्राप्त कर सके।

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कई बार यह सवाल उठता है कि क्या सिख धर्म में सन्यास या साधु-संतों की परंपरा है, जैसी सनातन धर्म में देखी जाती है? इस प्रश्न का उत्तर सिख धर्म के मूल दर्शन, इतिहास और आचार प्रणाली को समझे बिना देना अधूरा होगा।

सिख धर्म का मूल दृष्टिकोण– Sanyasi in Sikhism

गुरु नानक देव जी ने अपने समय की धार्मिक कट्टरता और सामाजिक असमानता का विरोध करते हुए एक ऐसा मार्ग सुझाया, जिसमें ईश्वर की भक्ति, परिश्रम, और सच्ची कमाई को प्रमुख स्थान मिला। उन्होंने “नाम जपो, किरत करो, और वंड छको” की सीख दी। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि ईश्वर तक पहुंचने के लिए जंगलों में तपस्या या समाज से कटकर रहने की आवश्यकता नहीं, बल्कि इंसान को गृहस्थ जीवन जीते हुए भक्ति करनी चाहिए।

सन्यास नहीं, सेवा और संतुलन की शिक्षा

जहां सनातन धर्म में सन्यास आश्रम जीवन का अंतिम चरण माना गया है, वहीं सिख धर्म में ऐसे किसी औपचारिक ‘सन्यास’ की व्यवस्था नहीं है। सिख विचारधारा में ‘मीरी-पीरी’ का सिद्धांत बहुत महत्वपूर्ण है, जिसका मतलब है भौतिक (राजनैतिक/सामाजिक) और आध्यात्मिक जिम्मेदारियों का संतुलन।

गुरु नानक देव जी ने स्वयं परिवार सहित जीवन व्यतीत किया, और उनके बाद के सभी गुरु भी गृहस्थ जीवन के समर्थक रहे। सिख धर्म में व्यक्ति को समाज के बीच रहते हुए ही धार्मिक जीवन जीने की प्रेरणा दी जाती है।

खालसा पंथ: सैनिक-संत की अवधारणा

गुरु गोबिंद सिंह जी ने 1699 में खालसा पंथ की स्थापना की, जो सिख धर्म की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम था। खालसा का अर्थ है शुद्ध और निर्भय। खालसा सिखों को न केवल धर्मनिष्ठ और भक्त बनना था, बल्कि अत्याचार और अन्याय के खिलाफ संघर्ष करने वाला सैनिक-संत भी बनना था।

खालसा पंथ के अनुयायियों के लिए पांच ककार—केश, कंघा, कड़ा, कच्छा और कृपाण—आवश्यक माने गए। ये न केवल उनकी पहचान हैं, बल्कि उनके अनुशासन, आत्मबल और धर्म के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक भी हैं।

संत-परंपरा का सम्मान, लेकिन सन्यास नहीं

सिख धर्म में हालांकि ‘सन्यास’ की परंपरा नहीं है, लेकिन संतों और भक्त कवियों की वाणी को विशेष स्थान दिया गया है। गुरु ग्रंथ साहिब, जो सिखों का सबसे पवित्र ग्रंथ है, उसमें न केवल सिख गुरुओं की वाणी है, बल्कि 15 भक्ति आंदोलन से जुड़े संतों की वाणी भी शामिल की गई है।

इनमें संत कबीर, रविदास, नामदेव, और शेख फरीद जैसे महान संत शामिल हैं, जो भले ही अन्य पंथों से संबंधित थे, लेकिन उनके विचार सिख धर्म के मूल सिद्धांतों से मेल खाते थे। इन संतों की रचनाएं समानता, मानवता और एकेश्वरवाद पर आधारित थीं।

गुरु अर्जुन देव जी ने जब आदि ग्रंथ का संकलन किया, तब उन्होंने इन संतों की वाणी को भी उसमें स्थान देकर यह सिद्ध कर दिया कि सिख धर्म समावेश और उदारता की मिसाल है।

आधुनिक सिख समाज में ‘संत’ की भूमिका

आज के समय में भी सिख समाज में कई लोग ‘संत’ या ‘बाबा’ के रूप में जाने जाते हैं। ये लोग समाज के बीच रहते हुए धार्मिक उपदेश, सत्संग, सेवा कार्य और सामाजिक upliftment के कार्य करते हैं। लेकिन इनका जीवन सन्यासियों जैसा एकांतवासी या सांसारिक त्याग से पूर्ण नहीं होता।

ये संत गुरु ग्रंथ साहिब की शिक्षाओं पर आधारित जीवन जीते हैं और समाज को भक्ति, सेवा और समानता के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करते हैं। कुछ लोग इन्हें सनातन धर्म के साधु-संतों से जोड़ते हैं, लेकिन इनकी भूमिका और उद्देश्य दोनों भिन्न हैं।

सेवा, भक्ति और समाज के बीच संतुलन ही सिख धर्म का सार

सिख धर्म का मूल संदेश है कि ईश्वर को पाने के लिए संसार छोड़ने की आवश्यकता नहीं, बल्कि संसार में रहते हुए भी ईश्वर की भक्ति, सेवा और ईमानदारी के साथ जीवन जीया जा सकता है। सिख धर्म सन्यास की नहीं, बल्कि कर्तव्य, सामाजिक जिम्मेदारी और भक्ति की राह पर चलने की प्रेरणा देता है।

सिखों के संत, उनके विचार और उनकी जीवनशैली भले ही कुछ रूपों में साधु-संतों जैसी दिखे, पर वे सन्यास नहीं बल्कि गृहस्थ धर्म में रहकर अध्यात्म का सच्चा उदाहरण हैं। यही सिख धर्म की विशेषता है—आध्यात्मिकता का समाज में रहकर पालन करना।

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Dharam Singh Chhoker: हरियाणा में ED की बड़ी कार्रवाई: पूर्व कांग्रेस विधायक धर्म सिं...

Dharam Singh Chhoker: हरियाणा की राजनीति में उस वक्त भूचाल आ गया जब प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने पूर्व कांग्रेस विधायक धर्म सिंह छौक्कर के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के गंभीर मामले में बड़ी कार्रवाई करते हुए 638 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त कर ली। इस जब्ती में गुरुग्राम की 35 एकड़ जमीन भी शामिल है, जो सेक्टर 68, 103 और 104 में फैली हुई है। यह कार्रवाई महीरा इन्फ्राटेक लिमिटेड से जुड़े एक बड़े घोटाले के सिलसिले में की गई है, जिसका पहले नाम साई आईना फार्म्स प्राइवेट लिमिटेड था।

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कौन हैं धर्म सिंह छौक्कर? (Dharam Singh Chhoker)

धर्म सिंह छौक्कर हरियाणा के समालखा विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के पूर्व विधायक रह चुके हैं। उन्होंने पुलिस की नौकरी छोड़कर राजनीति में कदम रखा और धीरे-धीरे गुज्जर समाज में एक प्रभावशाली नेता के रूप में स्थापित हुए। उनके भाई इंदर सिंह भी पहले राजनीति में सक्रिय थे, जिनके राजनीतिक करियर को छौक्कर ने आगे बढ़ाया। वे दो बार चुनाव जीत चुके हैं और दो बार हार का सामना भी कर चुके हैं। बताया जाता है कि धर्म सिंह, हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के करीबी माने जाते हैं।

कैसे और कब हुई गिरफ्तारी?

धर्म सिंह छौक्कर को गुरुग्राम और दिल्ली से जुड़े रियल एस्टेट घोटाले और मनी लॉन्ड्रिंग मामलों में दिल्ली के एक होटल से गिरफ्तार किया गया था। गिरफ्तारी के दौरान झड़प की भी खबर सामने आई और उनका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसमें उनके कपड़े फटे हुए नजर आए। इस घटना के बाद गुज्जर समाज में गहरा रोष फैल गया और पानीपत में एक बड़ी पंचायत आयोजित की गई, जिसमें ED के व्यवहार की तीखी आलोचना की गई।

ED के आरोप क्या हैं?

प्रवर्तन निदेशालय का कहना है कि धर्म सिंह छौक्कर और उनकी कंपनी ने करीब 3,700 घर खरीदारों से 616 करोड़ रुपये की भारी-भरकम राशि वसूली, लेकिन वादे के मुताबिक उन्हें घर नहीं दिए गए। इस राशि का उपयोग अन्य स्थानों पर किया गया, जिसका अनुमानित मूल्य 500 से 1,500 करोड़ रुपये तक हो सकता है। यह निवेश कथित तौर पर गैरकानूनी ढंग से किया गया और इसका हिसाब-किताब भी गड़बड़ पाया गया।

कोर्ट से मिली राहत, लेकिन जांच जारी

छौक्कर को 17 मई को ED हिरासत में भेजा गया था और बाद में हिरासत अवधि को भी बढ़ा दिया गया। हालांकि, 19 जून 2025 को पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने उन्हें स्वास्थ्य आधार पर 12 दिनों की अंतरिम जमानत दी है। अब उन्हें 1 जुलाई तक ED के सामने पेश होना अनिवार्य है।

राजनीतिक असर और प्रतिक्रियाएं

चूंकि धर्म सिंह छौक्कर कांग्रेस से जुड़े रहे हैं, इसलिए इस पूरे घटनाक्रम ने राजनीतिक रंग भी पकड़ लिया है। विपक्ष ने इसे राजनीति से प्रेरित बताया तो वहीं भाजपा समर्थकों ने इसे भ्रष्टाचार के खिलाफ बड़ी जीत बताया है। कांग्रेस पार्टी ने अभी तक इस मामले में कोई स्पष्ट टिप्पणी नहीं दी है।

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North Waziristan Attack: पाकिस्तान में आत्मघाती हमले के लिए भारत को ठहराया दोष, विदेश...

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North Waziristan Attack: 28 जून को पाकिस्तान के अशांत उत्तर वजीरिस्तान इलाके में हुए आत्मघाती कार बम धमाके ने एक बार फिर क्षेत्रीय सुरक्षा और आतंकवाद को लेकर बहस छेड़ दी है। इस हमले में 14 पाकिस्तानी सैनिकों की जान चली गई और करीब 25 लोग घायल हुए। हमले की जिम्मेदारी आतंकवादी संगठन हाफिज गुल बहादुर गुट ने ली है, जो लंबे समय से पाकिस्तानी तालिबान (TTP) से जुड़ा रहा है। हालांकि, इसके बावजूद पाकिस्तान की सेना ने इस गंभीर हमले का दोष भारत पर मढ़ दिया — वो भी बिना किसी साक्ष्य के।

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भारत की कड़ी प्रतिक्रिया, “आरोप बेबुनियाद और निंदनीय” (North Waziristan Attack)

भारत सरकार ने इन आरोपों को स्पष्ट शब्दों में खारिज कर दिया है। रविवार को विदेश मंत्रालय की ओर से जारी आधिकारिक बयान में कहा गया कि पाकिस्तान के ऐसे आरोप आधारहीन, भ्रामक और गैर-जिम्मेदाराना हैं। बयान में यह भी कहा गया कि पाकिस्तान को दूसरों पर उंगली उठाने से पहले अपने देश के भीतर सक्रिय आतंकी संगठनों पर लगाम लगानी चाहिए।

मंत्रालय ने कहा, “हम इन आरोपों को तिरस्कार और घृणा के साथ खारिज करते हैं। अच्छा होगा कि पाकिस्तान अपनी जमीन पर पनपते आतंकी नेटवर्क को खत्म करने पर ध्यान दे, बजाय इसके कि वह बार-बार भारत को निशाना बनाकर अपने कर्तव्यों से पल्ला झाड़े।”

हमले में इस्तेमाल हुआ भारी विस्फोटक, कर्फ्यू में हुआ हमला

सूत्रों के मुताबिक, आत्मघाती हमला एक ऐसे समय हुआ जब उत्तर वजीरिस्तान में सैन्य गतिविधियों के चलते कर्फ्यू लागू था। हमलावरों ने 800 किलोग्राम विस्फोटक से लदी कार का इस्तेमाल किया, जो इलाके में सुरक्षा बलों पर बड़ा हमला करने की मंशा से किया गया प्रतीत होता है। यह हमला हालिया महीनों में सबसे भीषण आतंकी घटनाओं में गिना जा रहा है।

घटना के तुरंत बाद राहत और बचाव कार्य शुरू कर दिए गए। खैबर पख्तूनख्वा के मुख्यमंत्री अली अमीन गंदापुर ने इस घटना की निंदा करते हुए शहीद सैनिकों को श्रद्धांजलि दी।

जिम्मेदारी ली ‘उसुद अल-हरब’ नामक उपगुट ने

हाफिज गुल बहादुर गुट के एक उपगुट ‘उसुद अल-हरब’ ने इस आत्मघाती हमले की जिम्मेदारी ली है। यह गुट लंबे समय से पाकिस्तान के सुरक्षाबलों पर हमले करता रहा है और देश में पहले भी कई बार ऐसे हमले कर चुका है।

विशेषज्ञों के अनुसार, यह हमला एक बार फिर पाकिस्तान के उन इलाकों में पनप रहे आतंकवादी गुटों की मौजूदगी पर गंभीर सवाल खड़े करता है। पाकिस्तान पर पहले भी अंतरराष्ट्रीय मंचों पर यह आरोप लगता रहा है कि वह उत्तर वजीरिस्तान जैसे सीमावर्ती क्षेत्रों में चरमपंथियों को पनाह देता रहा है।

2022 के बाद बढ़ी आतंकी घटनाएं

यह ध्यान देने योग्य है कि नवंबर 2022 में पाकिस्तान सरकार और TTP के बीच संघर्ष विराम टूटने के बाद खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान में आतंकी हमलों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है। भारत की ओर से यह बार-बार कहा गया है कि पाकिस्तान को अपनी आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था को सुधारने की जरूरत है, न कि हर आतंकी घटना के लिए भारत को निशाना बनाने की।

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Uttarakhand Marriage Law: उत्तराखंड में लागू UCC कानून के बाद पूर्व विधायक की बढ़ीं म...

Uttarakhand Marriage Law: उत्तराखंड की राजनीति उस समय गर्मा गई जब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अपने पूर्व विधायक सुरेश राठौड़ को पार्टी से 6 साल के लिए निष्कासित कर दिया। उन पर आरोप है कि उन्होंने अपनी पहली पत्नी को तलाक दिए बिना दूसरी शादी कर ली, जो कि राज्य में लागू यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) के नियमों का स्पष्ट उल्लंघन है। यह मामला अब सिर्फ राजनीतिक नहीं रह गया है, बल्कि कानूनी मोड़ ले चुका है।

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UCC के तहत बहुविवाह अपराध- Uttarakhand Marriage Law

भाजपा ने विधानसभा चुनाव 2022 से पहले यह वादा किया था कि अगर पार्टी सत्ता में आती है तो राज्य में समान नागरिक संहिता लागू की जाएगी। चुनाव में जीत हासिल करने के बाद पार्टी ने अपने इस वादे को निभाया और 27 जनवरी 2025 से UCC को विधिवत लागू कर दिया गया। इस संहिता के अंतर्गत शादी, तलाक, गोद लेना, लिव-इन रिलेशनशिप और उत्तराधिकार जैसे मसलों पर सभी धर्मों के लिए एक समान कानून बनाया गया है।

UCC का सबसे बड़ा असर विवाह व्यवस्था पर पड़ा है। इसके अनुसार, कोई भी व्यक्ति पहली पत्नी के रहते हुए दूसरी शादी नहीं कर सकता। यदि ऐसा पाया गया तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है। कानून के तहत दोषी को छह महीने की जेल या ₹50,000 का जुर्माना या फिर दोनों सजा हो सकती है। जुर्माना न भरने पर एक अतिरिक्त महीने की कैद का भी प्रावधान है।

पूर्व विधायक पर लगे गंभीर आरोप

हरिद्वार के ज्वालापुर से पूर्व विधायक सुरेश राठौड़ एक वायरल वीडियो के चलते विवादों में आ गए, जिसमें वे सहारनपुर की अभिनेत्री उर्मिला सनावर को अपनी दूसरी पत्नी के रूप में सबके सामने प्रस्तुत करते नजर आ रहे हैं। यह वीडियो सामने आते ही भाजपा की छवि को ठेस पहुंची, क्योंकि यह मामला उस कानून के सीधे उल्लंघन से जुड़ा था जिसे पार्टी ने हाल ही में लागू किया है।

पार्टी ने राठौड़ को कारण बताओ नोटिस जारी कर जवाब मांगा था, लेकिन उनके स्पष्टीकरण से पार्टी नेतृत्व संतुष्ट नहीं हुआ। इसके बाद प्रदेश भाजपा अध्यक्ष के निर्देश पर उन्हें पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से छह साल के लिए निष्कासित कर दिया गया।

अब कानूनी कार्रवाई की बारी

राजनीतिक कार्रवाई के बाद अब सुरेश राठौड़ के खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी तय मानी जा रही है। चूंकि उन्होंने अपनी पहली पत्नी से तलाक नहीं लिया था और दूसरी शादी कर ली, यह UCC के उल्लंघन के अंतर्गत आता है। ऐसे में अब उन्हें जेल की सजा और भारी जुर्माने का सामना करना पड़ सकता है।

UCC के प्रमुख प्रावधान

उत्तराखंड में लागू समान नागरिक संहिता के तहत:

  • शादी का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य है, ग्रामीण स्तर पर भी यह सुविधा उपलब्ध है।
  • तलाक के लिए सभी धर्मों के लिए एक समान कानून है।
  • बहुविवाह पर पूर्ण प्रतिबंध है।
  • सभी धर्मों की महिलाओं को उत्तराधिकार में बराबर का अधिकार है।
  • लिव-इन रिलेशनशिप का रजिस्ट्रेशन जरूरी है और 18-21 वर्ष के युवाओं को माता-पिता की अनुमति लेनी होगी।
  • हलाला जैसी प्रथाएं समाप्त कर दी गई हैं।
  • ट्रांसजेंडर और धार्मिक परंपराओं को UCC के दायरे से बाहर रखा गया है।

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Kerala News: डांस टीचर को सात वर्षीय छात्र के साथ यौन शोषण के मामले में 52 साल की सजा...

Kerala News: केरल के तिरुवनंतपुरम में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया, जिसने समाज और कानून व्यवस्था दोनों को झकझोर कर रख दिया। एक नृत्य शिक्षक, जिसे बच्चों का मार्गदर्शक और रोल मॉडल माना जाता है, उसने अपने ही सात वर्षीय छात्र का बार-बार यौन शोषण कर मानवता को शर्मसार कर दिया। शनिवार को त्वरित विशेष पॉक्सो अदालत ने इस मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए आरोपी डांस टीचर सुनील कुमार को 52 साल जेल की सजा सुनाई है।

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20 साल की प्रभावी सजा और भारी जुर्माना- Kerala News

हालांकि कुल सजा 52 साल की है, लेकिन अदालत ने आदेश दिया कि सभी सजाएं एक साथ चलेंगी। इसका मतलब है कि आरोपी को वास्तविक तौर पर 20 साल तक जेल में रहना होगा। इसके अलावा उस पर 3.25 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। कोर्ट ने साफ निर्देश दिया कि यदि यह जुर्माना वसूल हो जाता है तो उसे पीड़ित बच्चे को मुआवजे के तौर पर दिया जाए।

कैसे हुआ मामले का खुलासा?

घटना 2017 से 2019 के बीच की है जब पीड़ित बच्चा डांस क्लास के लिए सुनील कुमार के पास जाया करता था। अभियोजन पक्ष के अनुसार, उसी दौरान आरोपी ने कई बार नाबालिग बच्चे के साथ अप्राकृतिक यौन संबंध बनाए। यह कृत्य एकांत कमरे में होता था, जहाँ वह डांस सिखाने का बहाना बनाकर बच्चे को ले जाता था।

शुरुआत में बच्चा डर और धमकियों के कारण किसी से कुछ नहीं कह सका। लेकिन जब उसके माता-पिता ने यह फैसला किया कि अब उसके छोटे भाई को भी उसी टीचर के पास डांस सिखाने भेजा जाएगा, तब जाकर बच्चे ने साहस जुटाया और अपने साथ हुई घटना का खुलासा किया। उसके बाद परिवार ने तत्काल स्थानीय पुलिस थाने में शिकायत दर्ज करवाई।

अभियोजन की भूमिका और कोर्ट का रुख

विशेष लोक अभियोजक आर.एस. विजय मोहन ने अदालत को बताया कि कैसे आरोपी ने अपने पद और बच्चे की मासूमियत का फायदा उठाते हुए उसके साथ बार-बार दुष्कर्म किया। अभियोजन पक्ष ने ठोस साक्ष्य और पीड़ित के बयान के आधार पर मजबूत केस तैयार किया, जिसे कोर्ट ने गंभीरता से लिया।

जज अंजू मीरा बिड़ला ने फैसला सुनाते हुए कहा कि बच्चों के खिलाफ यौन अपराधों में किसी भी तरह की ढील नहीं दी जा सकती। उन्होंने इसे ‘घृणित अपराध’ बताते हुए कहा कि ऐसे मामलों में कड़ी सजा ही समाज में एक सख्त संदेश दे सकती है।

सामाजिक चेतावनी

इस मामले ने पूरे समाज को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या हम अपने बच्चों को सुरक्षित माहौल दे पा रहे हैं? जब एक शिक्षक ही शोषण करने लगे तो बच्चों का भरोसा किस पर टिकेगा? यह घटना न सिर्फ कानून के लिए चुनौती थी, बल्कि समाज के लिए एक गंभीर चेतावनी भी है।

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Day-Night In Space: अंतरिक्ष में दिन में 16 बार निकलता है सूरज, जानें कैसी होती है एस...

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Day-Night In Space: भारतीय वायुसेना के विंग कमांडर शुभांशु शुक्ला ने देश का नाम रोशन करते हुए अंतरिक्ष में कदम रख दिया है। 28 घंटे की लंबी अंतरिक्ष यात्रा पूरी कर वे गुरुवार को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) में सफलतापूर्वक दाखिल हुए। यह उपलब्धि न सिर्फ उनके लिए गर्व का क्षण है बल्कि पूरे भारत के लिए भी एक ऐतिहासिक मील का पत्थर है। ISS में उनका मिशन अब शुरू हो चुका है, जहां उन्हें वैज्ञानिक रिसर्च, तकनीकी मेंटेनेंस और शरीर की फिटनेस बनाए रखने जैसे कई ज़िम्मेदार कार्य निभाने हैं।

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अंतरिक्ष में नींद और शेड्यूल कैसा होता है? (Day-Night In Space)

ISS धरती से लगभग 400 किलोमीटर ऊपर स्थित है और लोअर अर्थ ऑर्बिट में 28,000 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से परिक्रमा करता है। इसका मतलब है कि हर 90 मिनट में यह धरती का एक चक्कर पूरा कर लेता है और अंतरिक्ष यात्री दिन में करीब 16 बार सूर्योदय और सूर्यास्त का अनुभव करते हैं। यह स्थिति नींद और समय की धारणा को चुनौती देती है।

इसलिए ISS पर काम का शेड्यूल ‘कोऑर्डिनेटेड यूनिवर्सल टाइम’ (UTC) के अनुसार तय किया जाता है। अंतरिक्ष यात्री सुबह 6 बजे दिन की शुरुआत करते हैं और एक निर्धारित समय पर ही सोते हैं। नींद के लिए वे विशेष स्लीपिंग बैग्स का उपयोग करते हैं जो स्टेशन की दीवारों पर लगाए जाते हैं, क्योंकि वहां गुरुत्वाकर्षण नहीं होता, इसलिए पारंपरिक बेड काम नहीं करते। खिड़कियों पर शेड्स लगाकर तेज़ रोशनी को रोका जाता है ताकि नींद में बाधा न आए।

कड़ी मेहनत का हिस्सा है अंतरिक्ष

ISS पर काम का समय आमतौर पर 8 से 10 घंटे का होता है जिसमें वैज्ञानिक प्रयोगों के साथ-साथ स्टेशन की निगरानी और सुधार का कार्य किया जाता है। साथ ही हर दिन दो घंटे की एक्सरसाइज अनिवार्य होती है ताकि शून्य गुरुत्वाकर्षण का शरीर पर नकारात्मक असर न हो—जैसे मसल्स का कमजोर होना या हड्डियों की ताकत कम होना।

इनके अलावा एस्ट्रोनॉट्स की दिनचर्या में ग्राउंड कंट्रोल से बातचीत, डाटा रिपोर्टिंग और आपसी समन्वय भी शामिल होता है। यह एक टीम प्रयास है जिसमें अनुशासन और समय का कठोर पालन बहुत जरूरी होता है।

खानपान और मनोरंजन की व्यवस्था

अंतरिक्ष में खाना भी खास होता है। वहां मिलने वाला भोजन फ्रीज-ड्राइड और वैक्यूम पैक्ड होता है, जैसे सूखे फल, चावल या प्रोटीन से भरपूर स्नैक्स। इन्हें विशेष ओवन में गर्म किया जाता है। पानी की व्यवस्था रिसाइक्लिंग सिस्टम के ज़रिए की जाती है, ताकि सीमित संसाधनों में भी पर्याप्त जल उपलब्ध रहे।

तनाव और अकेलेपन से बचने के लिए एस्ट्रोनॉट्स किताबें पढ़ते हैं, म्यूजिक सुनते हैं, और धरती की खूबसूरत तस्वीरें खींचते हैं। वे समय-समय पर अपने परिवार से भी संपर्क करते हैं ताकि भावनात्मक संतुलन बना रहे और मानसिक थकान कम हो।

भारत के लिए गर्व का क्षण

विंग कमांडर शुभांशु शुक्ला की यह उपलब्धि सिर्फ एक अंतरिक्ष मिशन नहीं, बल्कि भारत की तकनीकी क्षमता और अंतरिक्ष विज्ञान में बढ़ते कदमों का प्रमाण है। उनका यह योगदान आने वाली पीढ़ियों को भी प्रेरणा देगा कि सीमाएं चाहे धरती की हों या आकाश की, भारतीय युवा उन्हें पार करने का माद्दा रखते हैं।

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Kolkata Gang Rape Case: ‘अगर नहीं जाती तो रेप नहीं होता’: टीएमसी नेताओं क...

Kolkata Gang Rape Case: पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता के साउथ कलकत्ता लॉ कॉलेज में हुई गैंगरेप की घटना ने पूरे राज्य को झकझोर कर रख दिया है। एक 24 वर्षीय छात्रा के साथ कॉलेज परिसर में ही सामूहिक दुष्कर्म की वारदात सामने आने के बाद न केवल कानून-व्यवस्था पर सवाल खड़े हुए हैं, बल्कि सियासी हलकों में भी उबाल आ गया है। इस जघन्य अपराध के तीन आरोपी फिलहाल पुलिस हिरासत में हैं, और तीनों का संबंध तृणमूल कांग्रेस की छात्र इकाई से बताया जा रहा है।

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राजनीतिक बयानों से और भड़का मामला- Kolkata Gang Rape Case

घटना को लेकर जहां विपक्ष ने ममता बनर्जी सरकार पर सुरक्षा में विफल रहने का आरोप लगाया है, वहीं सत्तारूढ़ दल टीएमसी के नेताओं की टिप्पणियों ने आग में घी डालने का काम किया है। वरिष्ठ नेता और विधायक मदन मित्रा ने विवादास्पद बयान देते हुए कहा कि “अगर छात्रा कॉलेज बंद होने पर वहां नहीं जाती, तो यह घटना नहीं होती।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि अगर वह अपने साथ दोस्तों को लेकर जाती या किसी को सूचित करती, तो अपराध नहीं होता। इस बयान ने पीड़िता को ही जिम्मेदार ठहराने की कोशिश के रूप में व्यापक निंदा झेली है।

टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी ने भी ऐसी ही टिप्पणी कर डाली। उन्होंने कहा कि “अगर दोस्त ही बलात्कार करें, तो सरकार हर जगह सुरक्षा कैसे सुनिश्चित कर सकती है?” उनके इस बयान ने भी लोगों की नाराज़गी को और भड़काया। विरोधियों ने इसे महिला सुरक्षा पर सरकार की असंवेदनशीलता का उदाहरण बताया।

पार्टी ने नेताओं से बनाई दूरी

टीएमसी ने संकट को भांपते हुए दोनों नेताओं के बयानों से फौरन पल्ला झाड़ लिया। पार्टी प्रवक्ता ने स्पष्ट किया कि यह व्यक्तिगत राय है, पार्टी इन बयानों का समर्थन नहीं करती और इनकी कड़ी निंदा करती है। तृणमूल कांग्रेस के मुताबिक, ये विचार पार्टी की सोच को नहीं दर्शाते।

बगावत पर उतरे सांसद कल्याण बनर्जी

हालांकि, बयान पर आलोचना के बाद खुद कल्याण बनर्जी ने पार्टी पर ही सवाल खड़ा कर दिया। उन्होंने कहा कि पार्टी के आधिकारिक बयान से वे सहमत नहीं हैं और पूछा कि क्या टीएमसी परोक्ष रूप से उन नेताओं का समर्थन कर रही है जो अपराधियों का बचाव कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि महज निंदा से कुछ नहीं होगा, जब तक जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कठोर कदम नहीं उठाए जाते।

मदन मित्रा की सफाई

मदन मित्रा ने खुद पर उठे आरोपों को खारिज करते हुए सोशल मीडिया पर सफाई दी। उन्होंने दावा किया कि उनके बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है और एक विशेष समूह उन्हें बदनाम करने की साजिश कर रहा है।

केंद्रीय मंत्री की तीखी प्रतिक्रिया

घटना पर केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने भी तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने इसे राज्य में महिला सुरक्षा की भयावह स्थिति का प्रतीक बताया और ममता बनर्जी सरकार को सीधे तौर पर जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि इस जघन्य अपराध ने राज्य सरकार की कानून व्यवस्था की पोल खोल दी है।

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बिहार में अब मोबाइल से भी डालेंगे वोट! नगरपालिका चुनाव से हुई ई-वोटिंग की शुरुआत, आयो...

Bihar Election: हाल ही में बिहार (Bihar) राज्य को लेकर एक बड़ी खबर सामने आई है जहां बिहार मोबाइल के जरिए वोटिंग की सुविधा शुरू करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है। बिहार राज्य चुनाव आयोग (Bihar State Election Commission) ने 28 जून 2025 को होने वाले नगरपालिका आम और उपचुनाव में यह सुविधा शुरू की है। तो चलिए आपको इस लेख में पूरे मामले के बारे में विस्तार से बातते है।

बिहार देश का पहला राज्य बना जहां ई-वोटिंग शुरू हुई

यह तो सभी जानते हैं कि कुछ समय बाद यानी इस साल के अंत में बिहार में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, जिसके लिए प्रमुख राजनीतिक दल अपनी तैयारियों में जुटे हुए हैं। इस बीच बिहार सरकार ने चुनाव को लेकर एक बड़ी तकनीकी योजना का खुलासा किया है। 28 जून 2025 को बिहार राज्य निर्वाचन आयोग ने आधुनिक तकनीक की ओर एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। बिहार देश का पहला राज्य बन गया है जहां मोबाइल के जरिए ई-वोटिंग (Online Voting) की सुविधा शुरू की गई है।

यह सुविधा नगर निगम आम एवं उप-चुनाव 2025 के लिए लागू की गई है। इसके मुख्य बिंदु एवं विशेषताएं इस प्रकार हैं मतदाता अब अपने मोबाइल फोन पर “ई-वोटिंग (Online Voting) SECBHR” ऐप के माध्यम से घर बैठे मतदान (Voting) कर सकेंगे। यह सुविधा विशेष रूप से उन मतदाताओं के लिए है जिन्हें मतदान केंद्रों तक पहुंचने में कठिनाई होती है, जैसे वरिष्ठ नागरिक, दिव्यांगजन, गर्भवती महिलाएं, गंभीर बीमारियों से ग्रस्त व्यक्ति और प्रवासी श्रमिक।

कैसे करें वोट की पुष्टि

बिहार आयोग का कहना है कि यह ई-वोटिंग सिस्टम स्मार्ट, पारदर्शी और सुलभ है, जिसके ज़रिए मतदाता घर बैठे अपने मोबाइल फोन के ज़रिए सुरक्षित और भरोसेमंद तरीके से मतदान कर सकेंगे। डेटा को सुरक्षित और पारदर्शी बनाने के लिए इस सिस्टम में ब्लॉकचेन प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल किया गया है। इसके अलावा फेस रिकग्निशन और लाइवनेस डिटेक्शन जैसे फीचर्स से पहचान की दोहरी सुरक्षा सुनिश्चित की गई है, जिससे धोखाधड़ी की संभावना शून्य हो जाती है। ईवीएम की तरह इसमें वीवीपैट (Voter Verified Paper Audit Trail) जैसा फीचर भी शामिल है, जिसके ज़रिए वोट की पुष्टि की जा सकेगी।

कैसे करें ऐप का उपयोग

इस सुविधा के लिए बिहार राज्य चुनाव आयोग ने दो मोबाइल एप्लीकेशन का उपयोग किया है – सी-डैक द्वारा विकसित “ई-वोटिंग एसईबीएचआर” और बिहार राज्य चुनाव आयोग द्वारा विकसित एक अन्य ऐप। आपको बता दें, फिलहाल यह ऐप केवल एंड्रॉइड फोन पर काम करेगा। वही यह एक ऐतिहासिक कदम है जो लोकतांत्रिक प्रक्रिया में तकनीक के समावेश और मतदाताओं की भागीदारी को बढ़ावा देगा।

Shefali Jariwala Death: बच्चा गोद लेने की तैयारी में थीं शेफ़ाली जरीवाला, फिर अचानक ह...

Shefali Jariwala Death: हाल ही में बॉलीवुड (Bollywood) जगत से एक चौंकाने वाली खबर सामने आई है जहां बीती रात बॉलीवुड अभिनेत्री (Bollywood actress) और मॉडल शेफाली जरीवाला (Shefali Jariwala) , जो अपने “कांटा लगा” संगीत वीडियो और “बिग बॉस 13” (Bigg boss 13) में उनकी भागीदारी के लिए जानी जाती हैं, का कल रात यानी शुक्रवार 27 जून 2025 को 42 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उनके अचानक निधन की खबर ने उनके प्रशंसकों और मनोरंजन उद्योग को झकझोर कर रख दिया है। तो चलिए आपको इस लेख में आपको शेफाली जरीवाला से जुड़ी हर एक अपडेट के बारे में बताते है।

पुलिस और फोरेंसिक जांच

शुरुआती रिपोर्ट में कार्डियक अरेस्ट (Cardiac arrest) की बात कही गई थी, लेकिन मुंबई पुलिस ने कहा है कि मौत का सही कारण अभी स्पष्ट नहीं है और पोस्टमार्टम रिपोर्ट (Post-mortem report) के बाद इसकी पुष्टि की जाएगी। मुंबई पुलिस (Mumbai Police) की एक टीम और एक फोरेंसिक टीम (Forensic Team) शनिवार, 28 जून 2025 की सुबह जांच के लिए अंधेरी, मुंबई में उनके आवास पर पहुंची। जहाँ शेफाली जरीवाला (Shefali Jariwala) के पति, अभिनेता पराग त्यागी (Actor Parag Tyagi) का बयान पुलिस ने दर्ज किए हैं। दूसरी और पुलिस ने कहा है कि उन्हें “इस स्तर पर कुछ भी संदिग्ध नहीं मिला है” लेकिन जांच जारी है। वही मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार मिली जानकारी के मुताबिक, पुलिस अब तक 4 लोगों के बयान दर्ज कर चुकी है।

अस्पताल में भर्ती और पोस्टमॉर्टम

बताया जा रहा है कि पराग त्यागी (Parag Tyagi) शेफाली को बेलेव्यू मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल (Bellevue Multispeciality Hospital) ले गए, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। उसके बाद उनके शव को पोस्टमार्टम के लिए कूपर अस्पताल ले जाया गया। उनकी मौत के कारण या परिस्थितियों के बारे में अभी तक उनके परिवार की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। इस के अलवा मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक रात आठ बजे के बाद पोस्टमार्टम शुरू होगा। पुलिस का कहना है कि पोस्टमार्टम के बाद ही मौत के कारणों का पता चल सकेगा।

शेफाली जरीवाला और पराग त्यागी का रिश्ता

शेफाली जरीवाला और पराग त्यागी का रिश्ता काफी मजबूत और प्यार भरा था। 27 जून 2025 को शेफाली का निधन हो गया था, जिसके बाद पराग सदमे में देखे गए थे। शेफाली जरीवाला की यह दूसरी शादी थी। उनकी पहली शादी म्यूजिक डायरेक्टर हरमीत सिंह (मीत ब्रदर्स) से हुई थी, जो 2009 में खत्म हो गई थी। शेफाली ने अपनी पहली शादी को ‘टॉर्चर’ बताया था।

लेकिन जब शेफाली और पराग एक कॉमन फ्रेंड की डिनर पार्टी में मिले तभी पराग को पहली नजर में ही शेफाली से प्यार हो गया था, लेकिन शेफाली अपनी पहली शादी के अनुभव के कारण शुरू में झिझक रही थीं। हालांकि, पराग का केयरिंग नेचर और उनका सपोर्ट शेफाली का दिल जीतने में कामयाब रहा। दोनों ने करीब चार साल तक एक-दूसरे को डेट किया और फिर अगस्त 2014 में शादी कर ली। शेफाली और पराग ने डांस रियलिटी शो ‘नच बलिए सीजन 5’ और ‘नच बलिए सीजन 7’ में भी साथ में हिस्सा लिया था पराग ने शेफाली को मिर्गी और मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से उबरने में भी मदद की।

बच्चा गोद लेने की थी योजना

आपको बता दें, शेफाली मां बनना चाहती थीं और उन्होंने बच्चा गोद लेने की इच्छा भी जताई थी, क्योंकि उन्हें लगता था कि दुनिया में कई बच्चों को घर और प्यार की जरूरत होती है। पराग त्यागी ने एक बार कहा था कि शेफाली ऐसी महिला हैं, जिसे कोई भी पुरुष अपनी पत्नी के रूप में चाहेगा, जो उनके रिश्ते की गहराई को दर्शाता है।