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Kishtwar Cloud Burst: किश्तवाड़ में बादल फटने से मचा हाहाकार, 33 की मौत, 200 से ज्याद...

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Kishtwar Cloud Burst: जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले में गुरुवार सुबह एक दर्दनाक हादसा हो गया। चशोती गांव के पास बादल फटने से अचानक बाढ़ आ गई, जिससे पूरा इलाका तबाही की चपेट में आ गया। इस हादसे में कम से कम 33 लोगों की जान चली गई, जबकि करीब 120 लोग घायल हुए हैं। हालत यह है कि करीब 200 लोग लापता बताए जा रहे हैं, जिनकी तलाश लगातार जारी है। बाढ़ की चपेट में CISF के दो जवानों की भी मौत हुई है। हादसे के बाद इलाके में अफरा-तफरी का माहौल है।

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घायलों को तुरंत नजदीकी अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। प्रशासन की टीमें मौके पर राहत और बचाव कार्य में जुटी हुई हैं। स्थानीय लोगों के मुताबिक, यह घटना उस जगह पर हुई जहां श्री मचैल यात्रा के दौरान चार पहिया वाहन खड़े होते हैं और कई अस्थायी दुकानें भी लगी होती हैं। इसी वजह से मौके पर मौजूद यात्रियों और दुकानदारों की बड़ी संख्या में जान-माल का नुकसान हुआ है।

कंट्रोल रूम और हेल्प डेस्क की व्यवस्था- Kishtwar Cloud Burst

प्रशासन ने हालात को देखते हुए तेजी से कदम उठाए हैं। चशोती गांव में आपदा के बाद पद्दार में एक कंट्रोल रूम बनाया गया है, जो आपदा स्थल से लगभग 15 किलोमीटर दूर है। यहां पांच अधिकारियों को तैनात किया गया है, जो लगातार राहत कार्य की निगरानी कर रहे हैं।

ज़रूरतमंद लोग इन नंबरों पर संपर्क कर सकते हैं:

  • 9858223125
  • 6006701934
  • 9797504078
  • 8492886895
  • 8493801381
  • 7006463710

इसके अलावा जिला नियंत्रण कक्ष के लिए 01995-259555 और 9484217492 नंबर जारी किए गए हैं, वहीं पुलिस कंट्रोल रूम किश्तवाड़ का नंबर 9906154100 है। प्रशासन ने लोगों को भरोसा दिलाया है कि हर संभव सहायता दी जाएगी और प्रभावित इलाकों में लगातार निगरानी रखी जा रही है।

अमित शाह और उमर अब्दुल्ला की बातचीत

इस आपदा पर केंद्र सरकार भी पूरी तरह नजर बनाए हुए है। गृह मंत्री अमित शाह ने किश्तवाड़ की स्थिति पर जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा और मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला से फोन पर बात की। उन्होंने आश्वासन दिया कि केंद्र सरकार हर परिस्थिति में राज्य सरकार और आम लोगों के साथ मजबूती से खड़ी है।

अमित शाह ने सोशल मीडिया पर लिखा, “किश्तवाड़ में बादल फटने की घटना पर मैंने उपराज्यपाल और मुख्यमंत्री से बात की। एनडीआरएफ की टीमें मौके पर पहुंच चुकी हैं और स्थानीय प्रशासन राहत कार्य कर रहा है। हम लगातार स्थिति पर नजर रखे हुए हैं।”

मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भी सोशल मीडिया पर जानकारी दी कि उन्होंने अमित शाह को पूरी स्थिति से अवगत कराया है। उन्होंने कहा कि प्रभावित क्षेत्र से सटीक जानकारी आने में समय लग रहा है, लेकिन सभी जरूरी संसाधन जुटाए जा रहे हैं। उन्होंने यह भी साफ कर दिया कि वह मीडिया से बात नहीं करेंगे और सरकार जब संभव होगा तब अधिकारिक जानकारी साझा करेगी।

श्री मचैल यात्रा पर रोक

इस हादसे के बाद श्री मचैल यात्रा को अगली सूचना तक स्थगित कर दिया गया है। किश्तवाड़ के एडीसी के मुताबिक, यात्रा के मार्ग पर स्थित कई अस्थायी ढांचे बह गए हैं। प्रशासन, SDRF, NDRF और अन्य एजेंसियों की मदद से बड़े पैमाने पर राहत व बचाव अभियान चलाया जा रहा है।

NDRF ने जानकारी दी है कि उनके 180 सदस्यीय दो दल, ज़रूरी उपकरणों के साथ उधमपुर बेस से रवाना किए गए हैं।

फिलहाल, पूरे क्षेत्र में डर और बेचैनी का माहौल है। प्रशासन, सेना और राहत एजेंसियां मिलकर हालात पर काबू पाने की कोशिश में जुटी हैं। सरकार ने साफ कर दिया है कि प्रभावित लोगों को किसी भी सूरत में अकेला नहीं छोड़ा जाएगा।

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IAS Sandeep Bhagia: नोएडा के जीएसटी दफ्तर में तैनात आईएएस संदीप भागिया पर महिला अधिका...

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IAS Sandeep Bhagia: उत्तर प्रदेश के नोएडा में एक आईएएस अधिकारी पर महिला अधिकारियों द्वारा लगाए गए गंभीर आरोपों ने राज्य के प्रशासनिक हलकों में खलबली मचा दी है। मामला जीएसटी विभाग से जुड़ा है, जहां वर्तमान में अपर आयुक्त के पद पर तैनात आईएएस संदीप भागिया पर शोषण, उत्पीड़न और अमानवीय व्यवहार के आरोप लगे हैं। पीड़ित महिला अधिकारियों ने प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर पूरे मामले की जांच कराने और कड़ी कार्रवाई की मांग की है।

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क्या है पूरा मामला? (IAS Sandeep Bhagia)

नोएडा में जीएसटी विभाग में कार्यरत कई महिला अधिकारियों ने आरोप लगाया है कि संदीप भागिया पिछले चार महीनों से लगातार उन्हें मानसिक रूप से प्रताड़ित कर रहे हैं। सीएम को भेजे गए पत्र में महिलाओं ने लिखा है कि भागिया ने उनके साथ ‘गुलामों जैसा व्यवहार’ किया है।

पत्र में लिखा गया है कि संदीप भागिया अक्सर महिला अधिकारियों को लेकर अपमानजनक भाषा का प्रयोग करते हैं। उन्हें धमकाते हुए कहते हैं – ‘पेल दूंगा’, ‘बर्बाद कर दूंगा’, ‘नौकरी खा जाऊंगा’। शिकायत में यह भी आरोप है कि वे महिला अधिकारियों को इस कदर मानसिक दबाव में रखते हैं कि वे डर और तनाव में काम कर रही हैं।

महिलाओं ने मुख्यमंत्री से आग्रह किया है कि इस मामले की निष्पक्ष जांच हो और आरोपी अधिकारी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए ताकि अन्य महिला कर्मचारियों के आत्मसम्मान की रक्षा की जा सके।

कौन हैं संदीप भागिया?

आईएएस संदीप भागिया वर्ष 2018 बैच के अधिकारी हैं और मूल रूप से लखनऊ के रहने वाले हैं। उनके पिता दर्शनलाल शिव शांति आश्रम में सेवादार हैं। संदीप ने लखनऊ पब्लिक स्कूल से इंटरमीडिएट की पढ़ाई की और बाद में IIT दिल्ली से इंजीनियरिंग की डिग्री ली।

सिविल सेवा की तैयारी उन्होंने सिंधी साहित्य विषय लेकर की और पांचवें प्रयास में UPSC 2017 में ऑल इंडिया 30वीं रैंक हासिल की। जब उन्होंने सिविल सेवा परीक्षा पास की, उस वक्त वह इंडियन डिफेंस अकाउंट सर्विसेज में कार्यरत थे।

अब तक की पोस्टिंग

आईएएस बनने के बाद संदीप भागिया की पहली नियुक्ति मेरठ में ज्वाइंट मजिस्ट्रेट के तौर पर हुई थी। उसके बाद वह मुजफ्फरनगर के सीडीओ रहे और अब उन्हें हाल ही में गौतमबुद्ध नगर में अपर आयुक्त (राज्य कर) के पद पर तैनात किया गया है।

शिकायत के बाद हलचल

महिला अधिकारियों की यह शिकायत सामने आने के बाद विभागीय स्तर पर बेचैनी साफ देखी जा रही है। सूत्रों के अनुसार, शासन ने इस मामले को गंभीरता से लिया है और जल्द ही जांच के आदेश दिए जा सकते हैं। हालांकि अब तक अधिकारी संदीप भागिया की तरफ से कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है।

आगे क्या?

अब सबकी नजरें इस बात पर टिकी हैं कि क्या मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस मामले में त्वरित जांच कराते हैं या नहीं। महिला अधिकारियों का कहना है कि इस तरह का व्यवहार सरकारी सेवा में पूरी तरह से अस्वीकार्य है और अगर समय रहते कार्रवाई नहीं हुई तो यह बाकी महिला कर्मचारियों के लिए भी एक गलत मिसाल बन सकता है।

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Rajinikanth Coolie Movie Review Rating: रजनीकांत की ‘कुली’ का धमाकेदार रि...

Rajinikanth Coolie Movie Review Rating: रजनीकांत… नाम ही काफी है। जब उनका नाम सामने आता है तो दिमाग में सीधा वो चश्मा घुमाते हुए आंखों पर पहनने वाला स्टाइल, हवा में सिगरेट उछालना और एक खास चाल चलने वाला सुपरस्टार नजर आता है। लंबे समय से अगर आप इस रजनी स्टाइल को मिस कर रहे थे, तो ‘कुली’ आपके लिए किसी ट्रीट से कम नहीं है। लोकेश कनगराज की इस फिल्म में रजनीकांत पूरी रजनी-शैली में लौटे हैं, और यही नहीं, उन्होंने इस बार अपने 50 साल के फिल्मी करियर को भी एक जबरदस्त ट्रिब्यूट दिया है।

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कहानी में है दम, लेकिन अंदाज में असली मजा- Rajinikanth Coolie Movie Review Rating

फिल्म की शुरुआत होती है एक बड़े पोर्ट से, जहां का मालिक है साइमन (नागार्जुन)। यहां घड़ियों की तस्करी होती है, जो सोने-हीरे से भी महंगी होती हैं। उसके इस धंधे को मैनेज करता है उसका खास आदमी दयाल (सौबिन शाहिर)। इसी बंदरगाह पर काम करते हैं 14,400 मजदूर – जिन्हें ‘कुली’ कहा जाता है।

इधर, देवराज उर्फ देवा (रजनीकांत) एक ऐसी हवेली में रहता है, जिसे उसने हॉस्टल में बदल दिया है और गरीब, जरूरतमंद छात्रों को बेहद कम किराए पर वहां जगह देता है। एक दिन देवा को अपने पुराने दोस्त राजशेखर (सत्यराज) की मौत की खबर मिलती है। जब वह उनके घर जाता है तो उनकी बेटी प्रीति (श्रुति हासन) उसे ताने मारते हुए बाहर निकाल देती है।

ऑटोप्सी रिपोर्ट कहती है कि राजशेखर की मौत हार्ट अटैक से हुई, लेकिन देवा को एक असली रिपोर्ट मिलती है जिससे पता चलता है कि उसकी छाती पर कई वार किए गए थे। इसके बाद कहानी घूमती है राजशेखर के एक अविष्कार की तरफ  एक मोबाइल श्मशान, जो आवारा जानवरों के लिए बना था और प्रदूषण को भी कम करता था। लेकिन यह पेटेंट खारिज हो जाता है, और फिर यही टेक्नोलॉजी गलत हाथों यानि साइमन तक पहुंचती है। उसके बाद जो होता है, वो देखना स्क्रीन पर ही बेहतर होगा।

रजनीकांत ने फिर किया कमाल

इस बात में कोई दो राय नहीं कि ‘कुली’ रजनीकांत की फिल्म है, और सिर्फ उन्हीं की है। उन्होंने अपने पुराने चार्म के साथ वापसी की है – वो चाल, वो एक्शन, वो डायलॉग्स, सबकुछ वहीं है, जिसे देखकर 80s और 90s के रजनी फैन्स खुशी से झूम उठेंगे। हर फ्रेम में वो छा जाते हैं। साथ में आमिर खान का कैमियो और उपेंद्र की एंट्री फिल्म को और ऊंचा ले जाती है।

नागार्जुन ने साइमन के रूप में एक खतरनाक विलेन का रोल निभाया है, जो कहीं-कहीं मजाकिया भी लगता है, लेकिन जब भी स्क्रीन पर आता है, असर छोड़ जाता है। दयाल के रोल में सौबिन शाहिर ने जबरदस्त परफॉर्मेंस दी है – वो चालाक है, पागलपन है, और डरावना भी। श्रुति हासन का रोल थोड़ा सीमित है, लेकिन जहां-जहां इमोशनल सीन्स आते हैं, उन्होंने अपनी मौजूदगी दर्ज कराई है।

निर्देशन और टेक्नीकल पहलू

लोकेश कनगराज ने इस फिल्म में अपनी पुरानी स्टाइल का इस्तेमाल किया है – रॉ एक्शन, तगड़ा बैकग्राउंड म्यूजिक और बड़ा विजुअल अपील। हालांकि ‘कुली’ उनकी फिल्मों ‘विक्रम’ और ‘कैथी’ जितनी टाइट नहीं लगती, लेकिन फिर भी उन्होंने बड़े परदे के लिए एक ऐसी कहानी बनाई है, जिसे देखकर दर्शक ताली और सीटी बजाने पर मजबूर हो जाएं।

फिल्म की लंबाई करीब 2 घंटे 50 मिनट है, लेकिन अगर आप रजनी के फैन हैं, तो ये वक्त कब गुजर जाएगा, पता भी नहीं चलेगा। क्लाइमेक्स में जो ट्विस्ट आते हैं, वो वाकई दिमाग घुमा देते हैं।

म्यूजिक ने जमाया रंग

अनिरुद्ध रविचंदर का म्यूजिक फिल्म की रूह है। चाहे रजनीकांत की एंट्री हो या कोई हाई इमोशन सीन – हर जगह म्यूजिक पूरी तरह फिट बैठता है। उनका बैकग्राउंड स्कोर कहानी को और भी ऊंचाई देता है। जब-जब रजनी स्क्रीन पर आते हैं, म्यूजिक के साथ माहौल और भी रोमांचक हो जाता है।

कमजोरियां क्या हैं?

अगर थोड़ा निगेटिव देखा जाए तो फिल्म की कहानी कुछ हिस्सों में प्रेडिक्टेबल लग सकती है। कुछ इमोशनल हिस्से वैसे नहीं असर डालते जैसे बनाए गए हैं। अगर आप सिर्फ कंटेंट बेस्ड सिनेमा पसंद करते हैं और मसाला फिल्मों से परहेज करते हैं, तो शायद ये फिल्म आपके लिए नहीं है। लेकिन रजनी का फैनबेस जानता है कि वो सिनेमाघर क्यों जाता है और इस फिल्म में वो सबकुछ है।

देखना चाहिए या नहीं?

अगर आप रजनीकांत के फैन हैं, तो ये फिल्म मिस करना गुनाह होगा। अगर आप मसाला फिल्मों के साथ एक पुराने जमाने का स्वैग और एक्शन देखना चाहते हैं, तो ‘कुली’ आपके लिए है। ये फिल्म न सिर्फ रजनीकांत को ट्रिब्यूट देती है, बल्कि उन्हें फिर से एक ऐसे अवतार में पेश करती है, जिसे देख आप सिनेमाहॉल से मुस्कुराते हुए बाहर निकलेंगे।

रेटिंग: 3.5 स्टार्स
फिल्म की लंबाई: 2 घंटे 50 मिनट
देखने लायक: थलाइवर फैन हैं तो मिस मत करना।

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War 2 vs Coolie: बॉक्स ऑफिस पर भिड़े दो दिग्गज, कौन मारेगा बाजी?

War 2 vs Coolie: बॉलीवुड और साउथ की फिल्म इंडस्ट्री के बीच इन दिनों एक अलग ही मुकाबला चल रहा है। मौका है दो बड़ी फिल्मों की टक्कर का, ऋतिक रोशन और जूनियर एनटीआर की वॉर 2, और दूसरी तरफ रजनीकांत की कुली। दोनों फिल्में एक ही दिन, 14 अगस्त को रिलीज हुई हैं और सिनेमाघरों से लेकर सोशल मीडिया तक माहौल गर्म है।

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दो फिल्में, एक रिलीज डेट और तगड़ा क्लैश- War 2 vs Coolie

वॉर 2 जहां यशराज फिल्म्स की हाई-स्टेक स्पाई यूनिवर्स का हिस्सा है, वहीं कुली रजनीकांत के 50 साल लंबे करियर को एक भव्य ट्रिब्यूट की तरह देखा जा रहा है। दिलचस्प बात ये है कि वॉर 2 से जूनियर एनटीआर का बॉलीवुड डेब्यू हो रहा है, जबकि ऋतिक रोशन इस फिल्म के जरिए पहली बार तेलुगू दर्शकों से रूबरू हो रहे हैं।

थलाइवा की एंट्री और सीटियां

कुली की बात करें तो इसके पहले ही दिन से सिनेमाघरों में रजनीकांत का जलवा देखने को मिला। सोशल मीडिया पर कई वीडियो वायरल हैं, जिनमें फैंस स्क्रीन के सामने खड़े होकर डांस कर रहे हैं, सीटियां मार रहे हैं और रजनीकांत की एंट्री पर हूटिंग कर रहे हैं। फिल्म में उनके 50 साल के फिल्मी सफर को सम्मान देने वाला टाइटल कार्ड भी दर्शकों के लिए एक इमोशनल मोमेंट बना।

YRF का दबदबा और पलटता माहौल

पहले तो ऐसा लग रहा था कि वॉर 2 का डोमिनेंस हर तरफ रहेगा। यशराज फिल्म्स ने देशभर के सिंगल, डुअल और ट्रिपल स्क्रीन थियेटरों में वॉर 2 के शोज को लगभग कब्जा लिया था। कुली को सिर्फ चुनिंदा मल्टीप्लेक्स में ही जगह मिल रही थी।

लेकिन मामला तब पलटा जब कुली की एडवांस बुकिंग तेजी से बढ़ने लगी। शुरुआत में फिल्म का कलेक्शन 8 करोड़ अनुमानित था, मगर अब वही कलेक्शन एडवांस बुकिंग के चलते 60% बढ़कर 13 करोड़ तक पहुंचने की उम्मीद है।

छोटे शहरों में चमकी ‘कुली’

एक मल्टीप्लेक्स अधिकारी के मुताबिक, “कुली टियर-2 और टियर-3 शहरों में बहुत अच्छा प्रदर्शन कर रही है, इसलिए हमें इसके शो बढ़ाने पड़ रहे हैं।” कई सिनेमाघरों ने कहा कि उन्हें पहले कुली के शोज न देने की सख्त हिदायत दी गई थी, मगर अब दर्शकों की डिमांड के चलते उन्होंने कुली को स्क्रीन पर जगह दे दी है।

बुक माय शो जैसी टिकट बुकिंग साइट्स पर भी अब कुली के ज्यादा शो देखे जा सकते हैं।

वॉर 2 का अपना फैनबेस

हालांकि वॉर 2 को लेकर भी जबरदस्त उत्साह है। पहली बार ऋतिक और जूनियर एनटीआर आमने-सामने आ रहे हैं। फिल्म को अयान मुखर्जी ने डायरेक्ट किया है और कियारा आडवाणी भी इसमें एक्शन अवतार में दिखेंगी। वॉर 2 का ट्रेलर पहले ही सोशल मीडिया पर धूम मचा चुका है और स्पाई यूनिवर्स की पहचान इसे एक मजबूत ओपनिंग दिला सकती है।

आखिर कौन होगा आगे?

जहां वॉर 2 शहरी मल्टीप्लेक्स और बड़े सिनेमाघरों में हावी दिख रही है, वहीं कुली ने छोटे शहरों और थलाइवा के फैंस की बदौलत अपना जलवा कायम किया है। पहले दिन की ऑक्यूपेंसी और पब्लिक रिएक्शन से लगता है कि यह मुकाबला एकतरफा नहीं होने वाला।

फिलहाल तो दर्शक दोनों फिल्मों के साथ जमकर एंजॉय कर रहे हैं, लेकिन आने वाले कुछ दिनों में ये तय हो जाएगा कि किसका ‘जादू’ ज्यादा चला, रजनीकांत का स्वैग या फिर ऋतिक-जूनियर एनटीआर की जोड़ी का एक्शन।

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Pakistan–US Ties: क्रेडिट रेटिंग में सुधार से पाकिस्तान को मिली राहत, मूडीज ने रेटिंग...

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Pakistan–US Ties: डोनाल्ड ट्रंप और पाकिस्तान के बीच बढ़ती सियासी गर्माहट के बीच एक बड़ी आर्थिक खबर ने पाकिस्तान की सरकार को थोड़ी राहत दी है। मशहूर अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी मूडीज (Moody’s) ने बुधवार को पाकिस्तान की क्रेडिट रेटिंग को एक पायदान ऊपर उठाते हुए ‘Caa2’ से ‘Caa1’ कर दिया। इसका मतलब ये है कि अब पाकिस्तान की आर्थिक साख में मामूली सुधार माना जा रहा है, हालांकि ये अभी भी जोखिम वाले देशों की श्रेणी में बना हुआ है।

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क्यों बढ़ी रेटिंग? (Pakistan–US Ties)

मूडीज ने अपने बयान में कहा है कि पाकिस्तान की बाहरी वित्तीय स्थिति में कुछ सुधार देखा गया है, खासकर IMF की मदद के बाद। पाकिस्तान को हाल ही में IMF से करीब 7 अरब डॉलर का बेलआउट पैकेज मिला, जिससे वहां की इकॉनमी को थोड़ी स्थिरता मिली है। मूडीज का मानना है कि अब पाकिस्तान की स्थिति पहले से बेहतर है और वो अपने कर्ज चुकाने की दिशा में कुछ प्रगति कर रहा है।

पाकिस्तान के वित्त मंत्री मोहम्मद औरंगजेब ने भी हाल ही में इस्लामाबाद में कहा कि देश की अर्थव्यवस्था के पॉजिटिव संकेत मिल रहे हैं और इसी के आधार पर केंद्रीय बैंक नीतिगत ब्याज दर को 11% से नीचे लाने पर विचार कर सकता है। यह फैसला आम जनता और कारोबारियों को थोड़ी राहत दे सकता है।

बॉन्ड बाजार में भी दिखा असर

रेटिंग बढ़ने का असर पाकिस्तान के अंतरराष्ट्रीय बॉन्ड्स पर भी पड़ा है। बॉन्ड्स की कीमत 1 सेंट बढ़कर 90-100 सेंट तक पहुंच गई है, जो कि साल 2022 के बाद से सबसे ऊंचा स्तर है। उस समय पाकिस्तान आर्थिक संकट की वजह से काफी कमजोर स्थिति में था और उसके बॉन्ड्स की कीमत गिरकर 30 सेंट तक पहुंच गई थी। रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, अब फिच, एसएंडपी और मूडीज तीनों की तरफ से रेटिंग में इजाफा हुआ है, जिससे पाकिस्तान को विदेशी कर्ज जुटाने में थोड़ी आसानी हो सकती है।

प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ का दावा

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने इसे अपनी सरकार की आर्थिक नीतियों की जीत बताया है। उन्होंने कहा कि ये सुधार इस बात का संकेत है कि सरकार सही दिशा में काम कर रही है। हालांकि, मूडीज ने भी चेताया है कि देश में अब भी राजनीतिक अस्थिरता और कमजोर गवर्नेंस एक बड़ी चुनौती है।

अब क्या बदलेगा?

Caa1 की रेटिंग से पाकिस्तान को दो प्रमुख फायदे हो सकते हैं:

  1. अंतरराष्ट्रीय निवेशकों का भरोसा थोड़ा बढ़ेगा, जिससे पाकिस्तान को निवेश और लोन मिलने में मदद मिल सकती है।
  2. नीतिगत ब्याज दरों में कटौती की संभावना बनती है, जिससे मार्केट में नकदी बढ़ेगी और अर्थव्यवस्था में कुछ गति आ सकती है।

हालांकि मूडीज ने साफ किया है कि ये सुधार सीमित है, और पाकिस्तान की स्थिति अभी भी कमजोर बनी हुई है। यह रेटिंग अब भी उस श्रेणी में आती है, जिसे ‘हाई रिस्क’ (उच्च जोखिम वाला) माना जाता है।

ट्रंप और पाकिस्तान की बढ़ती नजदीकियां

इस रेटिंग सुधार के बीच डोनाल्ड ट्रंप और पाकिस्तान के बीच बढ़ती राजनीतिक बातचीत भी चर्चा में है। माना जा रहा है कि अगर ट्रंप अमेरिका की सत्ता में बने रहते हैं, तो पाकिस्तान को रणनीतिक रूप से कुछ और फायदे मिल सकते हैं, जो उसकी अर्थव्यवस्था पर भी असर डाल सकते हैं।

कुल मिलाकर पाकिस्तान के लिए मूडीज की रेटिंग में सुधार एक सकारात्मक संकेत जरूर है, लेकिन ये कोई बड़ा आर्थिक बदलाव नहीं है। देश को अभी भी राजनीतिक स्थिरता, आर्थिक सुधार और मजबूत नीति निर्माण की सख्त ज़रूरत है। IMF की मदद से मिला यह संजीवनी मौका है, जिसका सही इस्तेमाल करना अब पाकिस्तान की अगली चुनौती है।

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Bihar Flood News: गांव-गांव में नाव, मंदिरों में पानी और आंखों में बेबसी: बिहार में ब...

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Bihar Flood News: बिहार में बाढ़ की स्थिति दिन पर दिन और गंभीर होती जा रही है। लगातार हो रही बारिश ने राज्य के हालात बेकाबू कर दिए हैं। नदियां उफान पर हैं और कई जिलों में पानी ने पूरी तबाही मचा दी है। करीब 10 ज़िलों में 17 लाख से ज्यादा लोग इस आपदा से प्रभावित हैं। गांव के गांव जलमग्न हैं, खेतों का नामोनिशान मिट गया है और कई घरों की छतों तक पानी भर चुका है।

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भागलपुर में खतरे के ऊपर गंगा- Bihar Flood News

भागलपुर जिले में गंगा नदी का जलस्तर 34.86 मीटर तक पहुंच गया है, जो खतरे के निशान से ऊपर है। हालात इतने खराब हो चुके हैं कि प्रशासन को राहत और बचाव कार्य शुरू करने पड़े हैं। बावजूद इसके, कई इलाकों में लोग अब भी सुरक्षित जगहों तक नहीं पहुंच पाए हैं। मौसम विभाग ने आने वाले दिनों में और बारिश की चेतावनी दी है, जिससे लोगों की चिंता और बढ़ गई है।

बेगूसराय में 3 लाख आबादी प्रभावित

बेगूसराय जिले में लगभग 3 लाख लोग बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित हैं। यहां गांवों की हालत ऐसी है कि कई जगह घरों में ताले लटके हुए हैं, लोग बाढ़ के डर से पलायन कर चुके हैं। चारों तरफ सिर्फ पानी ही पानी नजर आ रहा है। जिन गलियों में पहले लोग साइकिल या पैदल चलते थे, अब वहां नावें चल रही हैं।

नालंदा में सैलाब ने खोली स्मार्ट सिटी की पोल

नालंदा जिले में तेज बारिश के बाद शहर में ऐसा जलभराव हुआ कि सरकारी दफ्तर, दुकानें, अस्पताल और घर सभी पानी में डूब गए। कुछ घंटों की बारिश ने नालंदा को स्मार्ट सिटी बनाने के दावों की सच्चाई उजागर कर दी। लोगों को अपने घरों से निकलना भी मुश्किल हो गया।

नवगछिया में मंदिर तक डूबे

नवगछिया के मधुरानी प्रखंड में स्थिति और भी गंभीर है। यहां नासिक टोला गांव में स्थित बजरंगबली के मंदिर में पानी घुस चुका है। मूर्ति आधे से ज्यादा पानी में डूबी हुई है। जब आज तक की टीम नाव के जरिए इलाके का जायजा लेने पहुंची तो चारों तरफ सिर्फ पानी और तबाही का मंजर था। कोसी और गंगा, दोनों नदियों का पानी गांवों में घुस चुका है।

मदरौनी प्रखंड में नाव ही एकमात्र सहारा

आज तक की टीम मदरौनी प्रखंड के कई जलमग्न गांवों में पहुंची, जहां लोग अपने घर छोड़कर ऊंची जगहों की तलाश में हैं। यहां हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि कई स्कूलों और घरों में भी पानी भर चुका है। नावों के जरिए ही लोग एक जगह से दूसरी जगह पहुंच पा रहे हैं।

ग्रामीणों का दर्द और नाराजगी

ग्रामीणों ने साफ तौर पर प्रशासन पर नाराजगी जाहिर की है। उनका कहना है कि पिछले 10 दिनों से कोसी और गंगा का पानी लगातार फैलता जा रहा है, लेकिन अब तक उन्हें कोई राहत सामग्री नहीं मिली है। उनका कहना है कि हर साल यही हाल होता है, लेकिन कोई स्थायी समाधान नहीं निकाला जाता।

सबसे बड़ी समस्या यह है कि गंगा नदी में पानी पहले से ही भरा हुआ है और कोसी का पानी निकलने का कोई रास्ता नहीं है। दोनों नदियों के मिलने से हर साल ये इलाके बाढ़ की चपेट में आ जाते हैं, और स्थानीय लोग इसके आगे खुद को पूरी तरह बेबस महसूस करते हैं।

बाढ़ नहीं, ये त्रासदी है

बिहार में जो हालात हैं, उन्हें सिर्फ ‘बाढ़’ कहना शायद सही नहीं होगा। यह एक मानव-जनित त्रासदी बनती जा रही है, जिसमें हर साल लाखों लोग घर, ज़मीन, मवेशी और उम्मीदें खोते हैं। जब तक इस समस्या का स्थायी समाधान नहीं ढूंढा जाता, तब तक यह आपदा हर साल दोहराई जाती रहेगी।

इस बार फिर वही सवाल है — बारिश रुकेगी या प्रशासन जगेगा?

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Independence Day 2025: आज़ादी का वो दिन… जब पूरा देश जश्न में था, और गांधीजी अक...

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Independence Day 2025: 15 अगस्त 1947  वो तारीख जिसे हर भारतीय गर्व से याद करता है। इसी दिन भारत ने सैकड़ों साल की गुलामी की जंजीरें तोड़ी थीं। देशभर में आज़ादी का जश्न था। दिल्ली के लाल किले से पंडित नेहरू ने ‘त्रिस्ट विद डेस्टिनी’ का ऐतिहासिक भाषण दिया। तिरंगा पहली बार आधिकारिक रूप से स्वतंत्र भारत में फहराया गया। हर गली, हर मोहल्ले में ‘भारत माता की जय’ के नारे गूंज रहे थे। लेकिन एक शख्स इस ऐतिहासिक दिन के जश्न से दूर था — राष्ट्रपिता महात्मा गांधी।

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लोग आज भी पूछते हैं कि जब पूरा देश आज़ाद हो रहा था, तब गांधी जी कहां थे? क्या वो इस मौके पर शामिल नहीं होना चाहते थे? और अगर नहीं हुए, तो क्यों?

बंगाल में, जहां आज़ादी के साथ दर्द भी बंट रहा था- Independence Day 2025

जिस समय दिल्ली में आज़ादी का उत्सव मनाया जा रहा था, उस वक्त महात्मा गांधी बंगाल के नोआखली (जो अब बांग्लादेश में है) में थे। वहां वो सांप्रदायिक हिंसा को रोकने के लिए कोशिश कर रहे थे। भारत की आज़ादी के साथ ही देश का विभाजन हुआ, और इसी के साथ शुरू हुई भयानक सांप्रदायिक दंगों की एक लहर। लाखों लोग मारे गए, करोड़ों को घर छोड़ना पड़ा। पंजाब और बंगाल में हालात सबसे बदतर थे।

गांधी जी ने तय किया कि वो जश्न में शामिल नहीं होंगे। उनकी नज़र में आज़ादी का असली मतलब तभी था जब हर धर्म, हर इंसान को बराबरी और सुरक्षा मिले। इसलिए उन्होंने दिल्ली में झंडा फहराने की बजाय हिंदू-मुस्लिम एकता और शांति के लिए नोआखली में रहकर काम करना ज़्यादा ज़रूरी समझा।

भूख हड़ताल और शांति की पुकार

गांधी जी ने वहां हिंसा रोकने के लिए भूख हड़ताल शुरू कर दी थी। उनका मानना था कि अगर इंसान एक-दूसरे को मार रहे हैं, तो आज़ादी का मतलब ही क्या रह जाता है? उन्होंने लोगों को समझाने की कोशिश की कि नफरत से कोई देश नहीं बनता।

नेहरू और पटेल का निमंत्रण, गांधी जी का जवाब

स्वतंत्रता दिवस समारोह के लिए पंडित नेहरू और सरदार पटेल ने गांधी जी को दिल्ली आने का निमंत्रण भेजा था। लेकिन गांधी जी ने विनम्रता से मना कर दिया। उन्होंने जवाब में लिखा,

“मैं 15 अगस्त को खुश नहीं हो सकता। मैं आपको धोखा नहीं देना चाहता, मगर मुझे भारत-पाकिस्तान के बीच भविष्य के संघर्ष की चिंता है। मेरे लिए हिंदू-मुस्लिम एकता, आज़ादी से भी ज्यादा महत्वपूर्ण है।”

आधी रात को ही क्यों मिली आज़ादी?

इस सवाल का जवाब भी इतिहास के पन्नों में दर्ज है। भारत को आधी रात को आज़ादी इसलिए दी गई क्योंकि ब्रिटिश सरकार को डर था कि दिन में विभाजन की खबर के साथ दंगे और हिंसा और भड़क सकती है। इसके अलावा, पाकिस्तान को 14 अगस्त को स्वतंत्र घोषित किया गया था और वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन को कराची जाकर वहां सत्ता का हस्तांतरण करना था। इसलिए उन्होंने तय किया कि भारत को आज़ादी 15 अगस्त की आधी रात को दी जाएगी, ताकि दोनों देश एक-दूसरे से कुछ घंटों के फर्क से आज़ाद हो सकें।

आज़ादी और गांधी — एक साथ, लेकिन अलग

गांधी जी का इस ऐतिहासिक समारोह में शामिल न होना इस बात का प्रतीक था कि उनके लिए स्वराज सिर्फ सत्ता नहीं, बल्कि सामाजिक समरसता थी। वो मानते थे कि अगर लोगों के दिलों में नफरत बाकी है, तो झंडा फहराने से क्या बदलता है?

इसलिए जब पूरा देश 15 अगस्त 1947 की रात खुशी से झूम रहा था, गांधी जी मौन थे — एक कोने में, एक जलते हुए बंगाल में, जहां वो अपने भारत की आत्मा को बचाने की कोशिश कर रहे थे।

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India Russia Oil Deal: रूस से सस्ता तेल लेकर भी पेट्रोल-डीजल की कीमतें कम क्यों नहीं ...

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India Russia Oil Deal: बीते तीन सालों में भारत ने रूस से रिकॉर्ड मात्रा में सस्ते दाम पर कच्चा तेल खरीदा है। 5 से 30 डॉलर प्रति बैरल की छूट… सुनकर ऐसा लगता है कि अब तो पेट्रोल-डीजल सस्ते होंगे, लोगों को राहत मिलेगी। लेकिन सच्चाई ये है कि ये राहत आम जनता तक पहुंची ही नहीं। कंपनियों की तिजोरी भर गई, सरकार का खजाना मजबूत हो गया, लेकिन आम आदमी की जेब खाली की खाली रही।

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एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस छूट का 65% फायदा रिलायंस, नायरा जैसी प्राइवेट कंपनियों और इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम जैसी सरकारी तेल कंपनियों को मिला। सरकार को 35% फायदा हुआ। और आम आदमी? उसे कुछ नहीं मिला, न राहत, न राहत की उम्मीद।

सस्ता तेल, महंगा पेट्रोल: आख़िर क्यों? (India Russia Oil Deal)

कागज पर तो कहा जाता है कि भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतें डी-रेगुलेटेड हैं यानी कंपनियां अपने हिसाब से रेट तय करती हैं। लेकिन असल में ये कीमतें सरकार और तेल कंपनियों के हाथ में ही रहती हैं। सरकार को टैक्स की कमाई चाहिए और कंपनियों को पुराने LPG सब्सिडी के घाटे की भरपाई करनी है।

दिल्ली में पेट्रोल पर केंद्र सरकार 21.90 रुपए प्रति लीटर और डीजल पर 17.80 रुपए प्रति लीटर एक्साइज ड्यूटी वसूलती है। इसके ऊपर राज्य सरकारें वैट भी लगाती हैं — जैसे दिल्ली में पेट्रोल पर 15.40 रुपए और डीजल पर 12.83 रुपए वैट लगता है।

इस तरह पेट्रोल-डीजल की कीमत का 40% से ज्यादा हिस्सा टैक्स में चला जाता है। अप्रैल 2025 में सरकार ने एक्साइज ड्यूटी में 2 रुपए प्रति लीटर की बढ़ोतरी की, जिससे उसे 32,000 करोड़ रुपए की अतिरिक्त कमाई हुई। तो सोचिए, सरकार को टैक्स से जो भरोसेमंद कमाई हो रही है, वो उसे जनता को राहत देने से रोक रही है।

कंपनियों की बल्ले-बल्ले

सस्ते रूसी तेल का सबसे बड़ा फायदा तेल कंपनियों को मिला। 2020 में भारत रूस से सिर्फ 1.7% तेल खरीदता था, जो अब बढ़कर 35.1% हो गया है।

सरकारी ऑयल कंपनियों के मुनाफे की बात करें तो:

  • 2022-23 में कुल मुनाफा था सिर्फ ₹3,400 करोड़
  • 2023-24 में ये मुनाफा बढ़कर हो गया ₹86,000 करोड़ — यानी 25 गुना ज्यादा!
  • 2024-25 में मुनाफा कुछ घटकर ₹33,602 करोड़ रहा, पर ये भी 2022-23 से कहीं बेहतर है।

प्राइवेट कंपनियां भी पीछे नहीं रहीं। रिलायंस ने प्रति बैरल $12.5 और नायरा एनर्जी ने $15.2 का रिफाइनिंग मार्जिन हासिल किया। यानी सस्ते में खरीदा, प्रोसेस किया और भारी मुनाफे में बेचा।

2025 की पहली छमाही (24 जून तक) में भारत ने रूस से 23.1 करोड़ बैरल क्रूड आयात किया। इसमें रिलायंस और नायरा की हिस्सेदारी 45% थी। जबकि 2022 में यह हिस्सेदारी सिर्फ 15% के आसपास थी।

रिलायंस का कहना है कि उसके द्वारा खरीदे गए कुल तेल का 30% रूस से आता है, लेकिन रूसी छूट को ही मुनाफे की वजह बताना गलत होगा। फिर भी, मुनाफा हुआ तो किसे — कंपनी को। आम आदमी को तो वही पुरानी कीमतों पर तेल खरीदना पड़ा।

अमेरिका को क्यों चुभी भारत की चाल?

बीते दिनों अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत पर 50% टैरिफ ठोक दिया। वजह बताई — भारत रूस से सस्ता तेल खरीदकर उसे प्रोसेस करके यूरोप और अमेरिका जैसे देशों में बेच रहा है। ट्रम्प का आरोप है कि भारत को फर्क नहीं पड़ता कि रूस के हमले में यूक्रेन के लोग मर रहे हैं।

रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2025 की पहली छमाही में भारत की प्राइवेट कंपनियों ने 24.66 मिलियन टन रिफाइंड प्रोडक्ट्स एक्सपोर्ट किए, जिनमें से 30% यूरोप गया। यानी अमेरिका का गुस्सा कुछ हद तक मुनाफे की दौड़ पर भी है।

भारत ने क्या कहा?

भारत ने कहा है कि अमेरिका ने जो टैरिफ लगाया है, वो गलत है, बिना किसी चेतावनी के लगाया गया है और उसे लागू करना भी ठीक नहीं है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि पश्चिमी देश खुद भी रूस से व्यापार कर रहे हैं।

  • अमेरिका अब भी रूस से यूरेनियम, पैलेडियम, उर्वरक जैसे उत्पाद मंगवाता है।
  • यूरोपीय संघ ने 2024 में रूस से 67.5 अरब यूरो का व्यापार किया, जिसमें 16.5 मिलियन टन LNG शामिल था — यह 2022 के आंकड़ों से भी ज्यादा है।

भारत ने ये भी कहा कि वो रूस से तेल अपनी राष्ट्रीय जरूरतों और ऊर्जा सुरक्षा के लिए खरीद रहा है, मुनाफे के लिए नहीं। जब रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू हुआ, तो यूरोप ने खाड़ी देशों से तेल खरीदना शुरू कर दिया। भारत को मजबूरी में रूस की ओर रुख करना पड़ा।

अगर रूस से तेल न लें तो?

भारत को हर दिन लाखों बैरल तेल की जरूरत होती है। इसकी 80% से ज्यादा जरूरत आयात से पूरी होती है।

रूस के अलावा विकल्प हैं:

  • इराक – भारत का दूसरा सबसे बड़ा सप्लायर, 21% हिस्सेदारी।
  • सऊदी अरब – तीसरा सबसे बड़ा, करीब 15% हिस्सा।
  • अमेरिका – जुलाई 2025 में भारत के तेल आयात में 7% हिस्सा।
  • अफ्रीकी देश – जैसे नाइजीरिया, और भी कई विकल्प हैं।
  • यूएई – मुरबान क्रूड के जरिए प्रमुख सप्लायर।

लेकिन सच्चाई ये है कि इन देशों से तेल खरीदना रूस की तुलना में महंगा पड़ता है। और रिलायंस जैसे कई प्राइवेट प्लेयर रूस के साथ 10 साल के लॉन्ग-टर्म कॉन्ट्रैक्ट्स कर चुके हैं, जिन्हें तोड़ना आसान नहीं।

रूस से शुरुआत कैसे हुई?

रूस-यूक्रेन युद्ध की शुरुआत फरवरी 2022 में हुई। इसके बाद यूरोप ने रूस से तेल लेना बंद कर दिया। रूस ने एशिया का रुख किया और भारत ने मौका देखा। 2021 में भारत ने रूस से सिर्फ 0.2% तेल मंगवाया था, जो अब बढ़कर 37% हो चुका है।

दोहरा मापदंड?

भारत ने सवाल उठाया कि चीन ने 2024 में $62.6 बिलियन का तेल रूस से खरीदा, जबकि भारत ने सिर्फ $52.7 बिलियन। फिर भी चीन पर कोई टैरिफ नहीं, बल्कि उसे 90 दिनों की डील डेडलाइन दी गई।

यानी साफ है, ट्रम्प का टारगेट सिर्फ व्यापार नहीं, राजनीति भी है। और इस सियासी खेल में आम आदमी फिर से हाशिए पर है।

कुल मिलकर कहें तो, तीन साल से सस्ता तेल मिल रहा है, लेकिन पेट्रोल-डीजल के दाम कम नहीं हुए। कंपनियां मालामाल हो गईं, सरकार का टैक्स कलेक्शन बढ़ गया, लेकिन आम जनता को कोई फायदा नहीं मिला।

अब अमेरिका से टैरिफ का झटका भी लगा है, और दुनिया की बड़ी शक्तियों की खींचतान में भारत को अपनी रणनीति संभालनी होगी। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यही है — क्या कभी आम आदमी तक राहत पहुंचेगी? या फिर हर बार उसे सिर्फ खबरों में ही सस्ती चीजें देखने को मिलेंगी?

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Arjun Tendulkar Engaged: अर्जुन तेंदुलकर की सगाई: सचिन के बेटे ने चुनी अपनी जिंदगी की...

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Arjun Tendulkar Engaged: क्रिकेट की दुनिया के सबसे बड़े सितारे सचिन तेंदुलकर के बेटे अर्जुन तेंदुलकर ने हाल ही में अपनी जिंदगी का एक अहम कदम उठाया है। इस बार क्रिकेट के मैदान पर नहीं, बल्कि अपनी निजी जिंदगी में। अर्जुन की सगाई हो चुकी है, और यह सगाई किसी सामान्य रिश्ते की नहीं, बल्कि एक खास परिवार से जुड़ी हुई है। तो आखिर कौन है वह लड़की, जिसने अर्जुन के दिल को छुआ? दरअसल अर्जुन ने सगाई की है सानिया चंडोक से, जो मुंबई के एक प्रतिष्ठित कारोबारी परिवार से हैं।

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सानिया चंडोक कौन हैं? (Arjun Tendulkar Engaged)

सानिया चंडोक, जो अब अर्जुन तेंदुलकर के जीवन में एक अहम हिस्सा बन चुकी हैं, पहले पब्लिक फिगर नहीं रही हैं। वह सोशल मीडिया पर भी कम ही सक्रिय रहती हैं। खबरों की मानें तो, सानिया चंडोक मुंबई के एक प्रसिद्ध कारोबारी परिवार से ताल्लुक रखती हैं। वह रवि घई की पोती हैं, जो इंटरकॉन्टिनेंटल मरीन ड्राइव होटल और ब्रुकलिन क्रीमरी (लो-कैलोरी आइसक्रीम ब्रांड) के मालिक हैं। भारत सरकार के कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय के आधिकारिक रिकॉर्ड के अनुसार, सानिया ‘मिस्टर पॉज पेट स्पा एंड स्टोर एलएलपी’ में एक नामित भागीदार और निदेशक हैं।

 

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सगाई का निजी समारोह

वहीं, इस सगाई का आयोजन एक निजी समारोह के रूप में हुआ था, जिसमें केवल करीबी रिश्तेदार और दोस्त ही शामिल हुए। यह कार्यक्रम बेहद शाही था, लेकिन दोनों परिवारों की ओर से इस सगाई को लेकर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है।

अर्जुन तेंदुलकर का क्रिकेट करियर

अब अगर बात करें अर्जुन तेंदुलकर के क्रिकेट करियर की, तो वह भी एक दिलचस्प मोड़ पर हैं। अर्जुन का आईपीएल 2025 में प्रदर्शन उम्मीदों के मुताबिक नहीं रहा। मुंबई इंडियंस ने उन्हें 30 लाख रुपये की बेस प्राइस पर रिटेन किया था, लेकिन दुर्भाग्यवश उन्हें टूर्नामेंट में एक भी मैच खेलने का मौका नहीं मिला। हालांकि, अर्जुन ने घरेलू क्रिकेट में अपने प्रदर्शन से कई मैचों में सफलता हासिल की है। वह गोवा की टीम से खेलते हैं और अब तक 17 फर्स्ट क्लास, 18 लिस्ट-ए और 24 टी20 मुकाबले खेले हैं।

आईपीएल में अर्जुन का रिकॉर्ड

अर्जुन ने अब तक आईपीएल में कुल 5 मैच खेले हैं। इन मैचों में उन्होंने 3 विकेट और 13 रन बनाए हैं। हालांकि, अर्जुन का आईपीएल करियर अब तक ज्यादा खास नहीं रहा है, लेकिन उनका नाम क्रिकेट की दुनिया में धीरे-धीरे स्थापित हो रहा है। गोवा की ओर से उन्होंने घरेलू क्रिकेट में बेहतर प्रदर्शन किया है, और उनकी फर्स्ट क्लास, लिस्ट-ए और टी20 आंकड़े भी दर्शाते हैं कि उनमें क्षमता है।

तेंदुलकर परिवार की कहानी

वहीं सचिन तेंदुलकर की बात करें तो, उनकी और पत्नी अंजलि की शादी 1995 में हुई थी। अंजलि पेशे से शिशु रोग विशेषज्ञ थीं और सचिन से उम्र में छह साल बड़ी हैं। सचिन और अंजलि की बेटी सारा तेंदुलकर का जन्म 12 अक्टूबर 1997 को हुआ था, जबकि उनके बेटे अर्जुन तेंदुलकर का जन्म 24 सितंबर 1999 को हुआ था। तेंदुलकर परिवार को हमेशा भारतीय क्रिकेट और समाज में एक आदर्श परिवार माना गया है, और अब अर्जुन के जीवन में यह नया मोड़ उन्हें एक और पहचान दिलाएगा।

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Independence Day 2025: 15 अगस्त के खास मौके पर लाल किले में होंगे बंधुआ मजदूरी से आज़...

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Independence Day 2025: स्वतंत्रता दिवस 2025 इस बार कई लोगों के लिए सिर्फ एक जश्न नहीं, बल्कि जिंदगी में नई उम्मीद, नया सम्मान और आज़ादी का असली मतलब लेकर आ रहा है। उन लोगों के लिए, जिन्होंने जिंदगी का एक लंबा हिस्सा बेड़ियों में बिताया और अब खुद को आज़ाद पाकर देश के सबसे बड़े मंच पर बतौर ‘विशेष अतिथि’ खड़े होंगे। उत्तर प्रदेश के अलग-अलग जिलों से बंधुआ मजदूरी से मुक्त कराए गए 178 लोग 15 अगस्त को दिल्ली के ऐतिहासिक लाल किले में आयोजित होने वाले राष्ट्रीय समारोह में बतौर विशेष अतिथि शामिल होंगे। बागपत जिले से भी 13 श्रमिक इस ऐतिहासिक मौके का हिस्सा बनेंगे, जिन्हें कभी शायद यह सपने में भी नहीं लगा होगा कि वे कभी लाल किले पर होने वाले आज़ादी के जश्न में प्रधानमंत्री के भाषण को सामने से सुन पाएंगे।

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बागपत से रवाना हुए 13 श्रमिक- Independence Day 2025

बुधवार को बागपत के सांसद डॉ. राजकुमार सागवान और जिलाधिकारी अस्मिता लाल ने इन श्रमिकों को कलेक्ट्रेट परिसर से हरी झंडी दिखाकर दिल्ली रवाना किया। जिलाधिकारी ने बताया कि इन श्रमिकों को अलग-अलग स्थानों से बंधुआ मजदूरी से आज़ाद कराकर पुनर्वास किया गया है। अब ये लोग अपने जीवन की एक नई शुरुआत कर रहे हैं और सरकार की योजनाओं के जरिए आत्मनिर्भर बनने की ओर बढ़ रहे हैं।

आर्थिक सहायता और पुनर्वास

सरकार की बंधुआ श्रम पुनर्वासन योजना के तहत इन श्रमिकों को आर्थिक सहायता भी प्रदान की गई है। योजना के तहत पुरुष श्रमिकों को एक लाख रुपये और महिला श्रमिकों को दो लाख रुपये की आर्थिक मदद दी गई है, ताकि वे अपने कौशल के अनुसार रोजगार शुरू कर सकें और सम्मानजनक जीवन जी सकें।

दिल्ली में चार दिन का विशेष कार्यक्रम

इन श्रमिकों को 15 अगस्त के मुख्य कार्यक्रम के अलावा 16 अगस्त तक दिल्ली में रुकने का मौका मिलेगा। इस दौरान उन्हें दिल्ली भ्रमण, सांस्कृतिक आयोजन, और अन्य प्रेरणादायक गतिविधियों का हिस्सा बनाया जाएगा। यह चार दिन उनके लिए सिर्फ सम्मान नहीं, बल्कि आत्मविश्वास से भर देने वाला अनुभव भी होगा।

एक असली आज़ादी की कहानी

बंधुआ मजदूरी से निकले इन 178 लोगों की कहानी आज़ादी की असल परिभाषा को सामने लाती है। ये वे लोग हैं जिन्होंने दशकों तक दमन और शोषण झेला, लेकिन अब वे खुद को एक नई पहचान के साथ देख रहे हैं। और जब 15 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लाल किले की प्राचीर से राष्ट्र को संबोधित करेंगे, तो इन लोगों के चेहरे पर भी वह गर्व होगा, जो शायद अब तक उन्होंने कभी महसूस नहीं किया था।

5,000 से अधिक विशेष अतिथि होंगे शामिल

वहीं, सरकार ने इस बार लाल किले पर होने वाले स्वतंत्रता दिवस समारोह के लिए देशभर से करीब 5,000 विशेष अतिथियों को आमंत्रित किया है। इनमें कई अलग-अलग क्षेत्रों के लोग शामिल हैं — जैसे स्पेशल ओलंपिक 2025 के खिलाड़ी, स्वच्छता अभियान के बेहतर कार्यकर्ता, किसान, युवा लेखक, स्टार्टअप उद्यमी, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, और पुनर्वासित महिलाएं और बच्चे।

इस बार का स्वतंत्रता दिवस सिर्फ परेड और भाषण का नहीं, बल्कि असल मायनों में ‘जन-जन की आज़ादी’ का उत्सव बन रहा है।

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