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Jyoti Malhotra conversion story: ज्योति मल्होत्रा जासूसी मामले में नया मोड़, धर्म परि...

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Jyoti Malhotra conversion story: हरियाणा के हिसार में पकड़ी गईं ज्योति मल्होत्रा के पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी के लिए जासूसी करने के आरोपों में लगातार नई बातें सामने आ रही हैं। सोशल मीडिया पर उसके धर्म परिवर्तन करने और किसी पाकिस्तानी अधिकारी से शादी करने जैसे दावे तेजी से फैल रहे थे। हालांकि, हिसार पुलिस ने इस मामले में बड़ा अपडेट देते हुए साफ किया है कि इन बातों को लेकर कोई ठोस प्रमाण अभी तक नहीं मिला है।

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जांच में नहीं मिला धर्म परिवर्तन या शादी का कोई सबूत- Jyoti Malhotra conversion story

पुलिस के अनुसार, अब तक की जांच से यह साबित नहीं हुआ है कि ज्योति ने अपनी असली पहचान छिपाकर धर्म परिवर्तन किया हो या उसने मुस्लिम बनकर किसी पाकिस्तानी अधिकारी से विवाह किया हो। जांच अधिकारी ने स्पष्ट कहा कि ये सब अफवाहें और अटकलें हैं, जिनका कोई आधार नहीं है। ज्योति फिलहाल पुलिस की हिरासत में है, जहां उसकी पांच दिन की रिमांड समाप्त हो रही है। इस दौरान पुलिस ने उसके डिजिटल उपकरणों और वित्तीय गतिविधियों की गहन जांच की है।

Jyoti Malhotra conversion story
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डिजिटल उपकरणों की फॉरेंसिक जांच जारी

ज्योति के मोबाइल फोन, लैपटॉप समेत अन्य डिजिटल डिवाइसों की फॉरेंसिक जांच हो रही है। हालांकि, अब तक इस जांच में कोई सैन्य या गुप्त दस्तावेज लीक होने का ठोस सबूत नहीं मिला है। पुलिस फॉरेंसिक लैब की रिपोर्ट का इंतजार कर रही है, जो आगे की जांच का रुख तय करेगी। व्हाट्सएप चैट की जांच को लेकर भी पुलिस ने अभी कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है, लेकिन माना जा रहा है कि इन चैट्स में कई महत्वपूर्ण सुराग हो सकते हैं।

ऑनलाइन गतिविधियों पर पुलिस का खास फोकस

पुलिस ज्योति की सोशल मीडिया गतिविधियों, ईमेल और इंस्टेंट मैसेजिंग ऐप्स के जरिए उसके संपर्क और संवाद की तहकीकात कर रही है। जांच का मकसद यह पता लगाना है कि उसने कब और कैसे पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी से संपर्क किया। अब तक मिले डिजिटल फुटप्रिंट से कोई संकेत नहीं मिला है कि वह देश की सैन्य या रणनीतिक जानकारी तक पहुंच रखती थी।

चार बैंक खातों की छानबीन, कोई संदिग्ध ट्रांजेक्शन नहीं

जांच में यह भी सामने आया है कि ज्योति के नाम पर चार अलग-अलग बैंक खाते हैं। पुलिस इन खातों की लेन-देन की पूरी पड़ताल कर रही है ताकि पता लगाया जा सके कि कहीं उसे पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी से आर्थिक मदद तो नहीं मिली। अब तक की जांच में खातों से कोई संदिग्ध ट्रांजेक्शन नहीं पाया गया है, लेकिन बैंकिंग विशेषज्ञों और फॉरेंसिक साइंस लैब की मदद से और गहराई से जांच जारी है। इसके साथ ही डिजिटल वॉलेट, क्रिप्टोकरेंसी और मनी ट्रांसफर ऐप्स की संभावित जांच भी चल रही है।

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पाकिस्तान इंटेलिजेंस से संपर्क, लेकिन आतंकवाद से दूर

हिसार पुलिस ने स्पष्ट किया है कि ज्योति पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी के संपर्क में जरूर थी, लेकिन आतंकवादी संगठन या गतिविधियों से उसका कोई नाता नहीं मिला है। किसी भी तरह की आतंकी साजिश में उसकी भागीदारी का कोई प्रमाण नहीं है। पुलिस ने यह भी साफ किया कि धर्म परिवर्तन या पाकिस्तानी अधिकारी से शादी जैसी खबरें पूरी तरह निराधार हैं।

पुलिस का बयान

हिसार पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “जांच में अब तक ऐसा कोई सबूत नहीं मिला है जिससे कहा जा सके कि ज्योति ने देश की सुरक्षा से जुड़ी संवेदनशील जानकारियां लीक की हों। हालांकि, जांच अभी जारी है और सभी पहलुओं पर गहनता से काम हो रहा है।”

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US Jewish Museum Firing: वॉशिंगटन में इजरायली दूतावास के दो कर्मचारियों की हत्या, यहू...

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US Jewish Museum Firing: अमेरिका की राजधानी वॉशिंगटन डीसी में एक गंभीर और चिंताजनक घटना हुई है, जहां इजरायली दूतावास के दो कर्मचारियों की गोली मारकर हत्या कर दी गई। यह घटना वॉशिंगटन के कैपिटल यहूदी म्यूजियम (Capital Jewish Museum) के बाहर हुई, जहां एक यहूदी कार्यक्रम चल रहा था। इस म्यूजियम में अमेरिकी यहूदी समिति (American Jewish Committee) की ओर से कार्यक्रम आयोजित किया गया था।

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घटना का विवरण और संदिग्ध की गिरफ्तारी– US Jewish Museum Firing

टाइम्स ऑफ इजरायल की रिपोर्ट के मुताबिक, हमलावर को पुलिस ने हिरासत में ले लिया है। आरोपी ने गिरफ्तारी से पहले ‘Free Palestine’ के नारे लगाए थे। वॉशिंगटन पुलिस प्रमुख पामेला स्मिथ ने बताया कि प्रारंभिक जांच से पता चला है कि दोनों पीड़ित म्यूजियम के कार्यक्रम में हिस्सा लेकर बाहर निकल रहे थे, तभी उन्हें गोली मारी गई। पुलिस का मानना है कि हमले को एक ही व्यक्ति ने अंजाम दिया, जो अब हिरासत में है।

म्यूजियम के बाहर हमलावर को चहलकदमी करते देखा गया था। जैसे ही लोग बाहर निकले, उसने हैंडगन निकाला और दो कर्मचारियों पर फायरिंग कर दी। इसके बाद वह म्यूजियम के अंदर गया, जहां सुरक्षा कर्मचारियों ने उसे पकड़ लिया।

अमेरिकी और अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाएं

इस दर्दनाक घटना पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि यहूदी विरोधी हिंसा को अब रोकना होगा। ट्रंप ने कहा, “अमेरिका में नफरत और कट्टरपंथ की कोई जगह नहीं है। हम पीड़ितों के परिवारों के प्रति गहरी संवेदनाएं व्यक्त करते हैं।”

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अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने भी हमले की कड़ी निंदा की। उन्होंने इसे “कायरतापूर्ण यहूदी विरोधी हिंसा” बताया और कहा कि वे इस हमले के दोषियों को न्याय के कठघरे में लाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

वहीं, वॉशिंगटन में इजरायली दूतावास के प्रवक्ता टैल नइम कोहेन ने कहा कि मारे गए दोनों कर्मचारी एक यहूदी कार्यक्रम में शामिल थे। उन्होंने स्थानीय और संघीय प्रशासन पर भरोसा जताया कि वे हमलावर को पकड़ेंगे और यहूदी समुदाय की सुरक्षा सुनिश्चित करेंगे।

जांच में जुटी एजेंसियां

एफबीआई की ज्वॉइंट टेररिज्म टास्कफोर्स इस घटना की जांच कर रही है। होमलैंड सिक्योरिटी मंत्री क्रिस्टी नोएम ने कहा कि मामले की गहन जांच जारी है और जैसे ही नई जानकारी मिलेगी, वह साझा की जाएगी। उन्होंने पीड़ित परिवारों के प्रति संवेदना जताई और दोषियों को सख्त से सख्त सजा दिलाने का आश्वासन दिया।

एफबीआई निदेशक काश पटेल ने भी कहा कि उनकी टीम वॉशिंगटन पुलिस के साथ मिलकर काम कर रही है। उन्होंने जनता से पीड़ितों और उनके परिवारों के लिए प्रार्थना करने की अपील की।

संयुक्त राष्ट्र और इजरायली प्रतिक्रिया

संयुक्त राष्ट्र में इजरायली राजदूत डैनी डैनन ने इस हमले को यहूदियों के खिलाफ एक आतंकवादी कार्रवाई करार दिया। उन्होंने घटना को विश्वभर में बढ़ते यहूदी विरोधी रुझानों के संदर्भ में गंभीर बताया।

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Bihar Shakti Peeth Tour: बिहार के 9 प्रमुख शक्तिपीठ, आस्था, इतिहास और यात्रा की सम्पू...

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Bihar Shakti Peeth Tour: हिंदू धर्म में शक्ति पीठों का विशेष महत्व है। ऐसी मान्यता है कि जब भगवान शिव देवी सती के मृत शरीर को लेकर तांडव कर रहे थे, तब भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से उनके अंगों को काटकर गिरा दिया। जहां-जहां देवी सती के अंग गिरे, वहां शक्तिपीठ स्थापित हुए। भारत भर में फैले 51 शक्तिपीठों में से कई बिहार में स्थित हैं, जो भक्तों के लिए आस्था और भक्ति का केंद्र हैं। आइए जानते हैं बिहार के उन प्रमुख शक्तिपीठों के बारे में, जो आध्यात्मिक ऊर्जा से परिपूर्ण हैं।

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बड़ी पटनदेवी, पटना- Bihar Shakti Peeth Tour 

पटना में स्थित यह शक्तिपीठ देवी सती की दाहिनी जंघा के गिरने से जुड़ा है। यहां काले पत्थरों से निर्मित महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती की मूर्तियां विराजमान हैं। स्थानीय मान्यता है कि यहां पूजन से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

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छोटी पटनदेवी, हाजीगंज

बड़ी पटनदेवी से लगभग 3 किलोमीटर दूर यह मंदिर हाजीगंज क्षेत्र में है। पौराणिक कथा के अनुसार यहां सती का पट और वस्त्र गिरे थे। मंदिर में तीनों देवियों की मूर्तियां स्थापित हैं और यह भी एक शक्तिपीठ माना जाता है।

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शीतला मंदिर, मघरा गांव

बिहारशरीफ के पास मघरा गांव में स्थित यह मंदिर भी एक प्राचीन शक्तिपीठ है। कहा जाता है कि यहां सती के हाथ का कंगन गिरा था। यहां जल चढ़ाने से बीमारियों से राहत मिलने की मान्यता है। मंदिर परिसर में एक प्राचीन कुआं भी है।

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मंगला गौरी मंदिर, गया

गया शहर में स्थित यह मंदिर शक्तिपीठों में अत्यंत महत्वपूर्ण है। यहां देवी सती का स्तन गिरा था। मंदिर तक 115 सीढ़ियों से चढ़कर पहुंचा जा सकता है। इस स्थल को ‘पालनपीठ’ भी कहा जाता है। यहां श्रद्धालु अपने पितरों के श्राद्ध कर्म भी कराते हैं।

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चामुंडा मंदिर, नवादा

नवादा के रूपौ गांव में स्थित चामुंडा मंदिर वह स्थान है जहां देवी का सिर गिरा था। यहां मंगलवार को विशेष भीड़ होती है। समीप के शिव मंदिर में प्राचीन शिवलिंग भी है।

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ताराचंडी मंदिर, सासाराम

कैमूर की पहाड़ियों में बसी यह गुफा शक्ति उपासकों के लिए पवित्र स्थल है। यह माना जाता है कि यहां देवी के नेत्र गिरे थे। पास में चार पवित्र झरने हैं, जिन्हें स्थानीय लोग सीता कुंड और माझरमुंड कहते हैं।

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चंडिका देवी मंदिर, मुंगेर

गंगा तट पर स्थित यह मंदिर देवी की दाहिनी आंख गिरने से जुड़ा है। यहां एक सोने की आंख स्थापित है। मान्यता है कि भगवान राम ने लंका विजय के बाद यहां देवी की पूजा की थी।

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उग्रतारा शक्तिपीठ, सहरसा

यहां देवी की बायीं आंख गिरी थी। मंदिर की मूर्ति पाल काल की है। कहा जाता है कि महर्षि वशिष्ठ ने यहां कठोर साधना की थी। उत्खनन में भगवान बुद्ध की प्रतिमा भी मिली थी।

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अंबिका भवानी मंदिर, छपरा

यह शक्तिपीठ देवी सती के अंतिम विश्राम स्थल के रूप में जाना जाता है। यहां कोई मूर्ति नहीं है, परंतु मंदिर के नीचे प्राचीन कुआं और देवी से जुड़ी वस्तुएं मिली हैं। चैत्र मास में यहां विशाल मेला लगता है।

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बिहार के इन नौ शक्तिपीठों की यात्रा केवल एक धार्मिक अनुभव नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और ऐतिहासिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। इन स्थलों पर जाकर भक्तगण न केवल आध्यात्मिक शांति का अनुभव करते हैं, बल्कि भारत की गहन धार्मिक परंपराओं से भी परिचित होते हैं। यदि आप भी देवी शक्ति की आराधना में विश्वास रखते हैं, तो बिहार के इन दिव्य स्थलों की यात्रा अवश्य करें।

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Chennai Super Kings: IPL 2025 में चेन्नई सुपर किंग्स का निराशाजनक अंत, राजस्थान रॉयल्...

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Chennai Super Kings: चेन्नई सुपर किंग्स (CSK) की टीम के लिए IPL 2025 का सफर उम्मीदों के उलट रहा। मंगलवार, 20 मई को अरुण जेटली स्टेडियम में खेले गए मुकाबले में राजस्थान रॉयल्स (RR) ने उन्हें छह विकेट से हराकर न केवल टूर्नामेंट से विदाई ली, बल्कि चेन्नई की कमियों को भी पूरी तरह उजागर कर दिया। युवा बल्लेबाज वैभव सूर्यवंशी की 57 रन की धमाकेदार पारी और आकाश मधवाल की घातक गेंदबाज़ी इस मैच की मुख्य बातें रहीं।

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CSK की बल्लेबाज़ी फिर ढही, मिडिल ऑर्डर ने संभाला मोर्चा- Chennai Super Kings

पहले बल्लेबाजी करते हुए चेन्नई की शुरुआत बेहद खराब रही। टीम ने महज 78 रन के स्कोर पर अपने 5 अहम विकेट गंवा दिए थे। हालांकि, आयुष म्हात्रे ने तेजतर्रार अंदाज़ में 20 गेंदों में 43 रन बनाकर पारी में जान डाली। इसके बाद डेवाल्ड ब्रेविस (42 रन) और शिवम दुबे (39 रन) की साझेदारी ने स्कोर को सम्मानजनक 187 तक पहुंचाया। राजस्थान के गेंदबाज़ों में आकाश मधवाल और युधवीर सिंह दोनों ने 3-3 विकेट लेकर चेन्नई की उम्मीदों पर पानी फेर दिया।

राजस्थान की आसान जीत, वैभव सूर्यवंशी चमके

लक्ष्य का पीछा करने उतरी राजस्थान की शुरुआत ठोस रही। कप्तान संजू सैमसन ने 41 रन बनाए, जबकि यशस्वी जायसवाल ने 36 रनों की पारी खेली। सबसे ज्यादा प्रभावित किया युवा बल्लेबाज वैभव सूर्यवंशी ने, जिन्होंने 33 गेंदों में 57 रन ठोककर जीत की नींव रख दी। ध्रुव जुरेल ने नाबाद 31 रन बनाकर टीम को 17 गेंद शेष रहते जीत दिला दी।

CSK के लिए एक और शर्मनाक सीजन

इस हार के साथ चेन्नई सुपर किंग्स के नाम कई अनचाहे रिकॉर्ड जुड़ गए। टीम ने इस सीजन में 10 मैच गंवाए — जो उनके IPL इतिहास की सबसे खराब बराबरी वाला प्रदर्शन है। इससे पहले 2022 में भी उन्होंने इतने ही मैच हारे थे।

सबसे चिंताजनक पहलू था लक्ष्य का बचाव करने में असफलता। चेन्नई इस सीजन जब भी स्कोर डिफेंड करने उतरी, उसे हार का सामना करना पड़ा। पांच में से पांच बार विपक्षी टीम ने लक्ष्य हासिल कर लिया, जो दर्शाता है कि गेंदबाजी वह ताकत नहीं रही जो कभी चेन्नई की पहचान थी।

अश्विन का फॉर्म रहा फीका

चेन्नई के लिए रविचंद्रन अश्विन का प्रदर्शन भी निराशाजनक रहा। पूरे सीजन में उन्होंने सिर्फ 7 विकेट लिए, जो 2009 के उनके डेब्यू सीजन के बाद सबसे खराब प्रदर्शन है। उनके अनुभव और क्षमता के बावजूद वह प्रभाव नहीं छोड़ पाए, जिसकी टीम को जरूरत थी।

राजस्थान की चेजिंग में कमजोरी, लेकिन चेन्नई के खिलाफ मजबूत पकड़

राजस्थान रॉयल्स के लिए भी यह सीजन खास नहीं रहा, खासकर लक्ष्य का पीछा करते हुए। टीम ने 10 में से सिर्फ 2 मुकाबले ही चेज करते हुए जीते — एक गुजरात और एक चेन्नई के खिलाफ। एक मुकाबला सुपर ओवर में गंवाया और सात मैचों में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। इस प्रदर्शन के साथ RR ने न्यूनतम 10 मैच वाले किसी भी सीजन में सबसे कम चेज जीत प्रतिशत (20%) दर्ज किया।

लेकिन चेन्नई के खिलाफ उनका प्रदर्शन लगातार मजबूत होता जा रहा है। 2020 से अब तक RR ने CSK के खिलाफ खेले गए 10 में से 8 मुकाबले जीत लिए हैं, जिससे साफ है कि राजस्थान अब चेन्नई के लिए बड़ी चुनौती बन चुका है।

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Doctor Death Devendra Sharma: दिल्ली पुलिस ने पकड़ा ‘डॉक्टर डेथ’ देवेंद्र...

Doctor Death Devendra Sharma: डॉक्टरों को आमतौर पर जिंदगी बचाने वाला माना जाता है, लेकिन जब कोई डॉक्टर खुद हत्याओं के पीछे हो तो ये सोच डरावनी हो जाती है। दिल्ली की क्राइम ब्रांच ने एक ऐसे डॉक्टर को गिरफ्तार किया है, जो ‘डॉक्टर’ नहीं बल्कि कुख्यात हत्यारा निकला। देवेंद्र शर्मा नाम के इस शख्स पर 100 से ज्यादा हत्याओं का आरोप है और वह पहले भी एक हत्या के मामले में फांसी की सजा पा चुका है।

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100 से ज्यादा हत्याएं, 9 साल का खौफनाक सफर- Doctor Death Devendra Sharma

पुलिस की जांच में सामने आया है कि देवेंद्र शर्मा, जो थाना छबड़ा, गांव पुरैनी अलीगढ़ का निवासी है, ने 1995 से 2004 के बीच 9 सालों में अपने गिरोह के साथ मिलकर 100 से ज्यादा हत्याएं की थीं। वह अपनी इन गुनाहों को छुपाने के लिए मरे हुए लोगों की लाशों को कासगंज की हजारा नहर में फेंक देता था। यहां की नहर में मगरमच्छ उन लाशों को खा जाते थे, जिससे कोई सुराग नहीं मिल पाता था। यह खुलासा पुलिस के लिए भी चौंकाने वाला रहा।

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सजा भुगतने के बाद पैरोल पर घर गया, फिर हुआ फरार

डॉक्टर देवेंद्र शर्मा पर हत्या का मामला था और उसे जयपुर की सेंट्रल जेल में उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। वर्ष 2020 में उसे 20 दिन की पैरोल मिली, जिसके दौरान वह छर्रा थाने में अपनी नियमित हाजिरी लगाता था। इसी दौरान वह अपने गांव गया था, लेकिन आधे घंटे बाद ही वहां से लापता हो गया। उसके फरार होने की सूचना पुलिस को मिली और उसकी तलाश शुरू हुई।

दिल्ली में विधवा से शादी कर छुपा रहा था अपना असली चेहरा

पैरोल पर बाहर आने के बाद देवेंद्र शर्मा ने अपनी पहचान छुपाने के लिए दिल्ली में एक विधवा से शादी कर ली। इसके बाद उसने उसके साथ रहना शुरू किया और प्रॉपर्टी के काम में लग गया। पुलिस की क्राइम ब्रांच ने छह महीने बाद उसे दिल्ली से गिरफ्तार किया। उसकी गिरफ्तारी ने पूरे इलाके में हलचल मचा दी।

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गांव में फैली सनसनी, परिवार का कहना

गांव के लोग बताते हैं कि देवेंद्र शर्मा के पुस्तैनी मकान में कोई नहीं रहता। उसके पिता के नाम 14 बीघा खेती है, लेकिन देवेंद्र ने गांव में खेती और मकान बेचने की बात कही थी। उसके बाद वह गांव वापस नहीं आया। इस खबर से गांव में खलबली मची हुई है।

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National Herald Case: नेशनल हेराल्ड मनी लॉन्ड्रिंग केस में ED की दलीलें जारी, जानें इ...

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National Herald Case: नेशनल हेराल्ड से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जांच कर रही प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और अदालत के बीच कानूनी बहस जारी है। राउज एवेन्यू की विशेष अदालत में सुनवाई के दौरान ईडी ने कहा कि अनुसूचित अपराध मनी लॉन्ड्रिंग के लिए एक ट्रिगर हो सकता है, लेकिन हर कंपनी की गतिविधि को मनी लॉन्ड्रिंग नहीं माना जा सकता। इसके जवाब में अदालत ने ईडी से कड़े सवाल किए कि क्या जांच एजेंसी के पास ऐसा ठोस सबूत है जिससे कहा जा सके कि शेयर, संपत्ति या किराया अपराध से उत्पन्न हुई आय है।

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अदालत ने पूछा, क्या ये शेयर अपराध की कमाई हैं? (National Herald Case)

सुनवाई के दौरान अदालत ने ईडी से पूछा कि क्या यंग इंडियन कंपनी के पास जिन शेयरों का आरोप है, वे अनुसूचित अपराधों से मिली कमाई का हिस्सा हैं। अदालत ने कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग की कार्रवाई के लिए यह तय करना जरूरी है कि क्या शेयर, संपत्ति और किराया अपराध से उत्पन्न हुई आय मानी जा सकती है या नहीं। अदालत का मानना है कि जांच एजेंसी को स्पष्ट तौर पर पहचान करनी होगी कि कौन सी संपत्ति अपराध की कमाई है।

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ईडी का पक्ष: यंग इंडियन के पास कोई व्यावसायिक गतिविधि नहीं

ईडी ने कोर्ट को बताया कि यंग इंडियन कंपनी के पास लाभ के लिए कोई व्यावसायिक गतिविधि नहीं थी, बल्कि केवल शेयर जारी करने का काम किया गया। ईडी का दावा है कि शेयर, संपत्ति और किराया अपराध से प्राप्त धन की आय हैं, जबकि विज्ञापन और ऋण को इस मामले से अलग रखा गया है। इसके चलते अदालत ने ईडी से फोरेंसिक ऑडिट करने वाले विशेषज्ञों की जानकारी मांगी ताकि कंपनियों की वित्तीय गतिविधियों और शेयर जारी करने की प्रक्रिया की जांच की जा सके।

शेयर जारी करना धोखाधड़ी का मामला

ईडी ने कहा कि यंग इंडियन को आल इंडिया कांग्रेस कमेटी की एक कंपनी एजेएल के शेयर धोखाधड़ी के जरिए जारी किए गए हैं। सुनवाई में ईडी ने स्पष्ट किया कि यह मामला केवल अपराध से मिली संपत्ति से संबंधित है। एक बार शेयर जारी हो जाने के बाद इसे संपत्ति माना जाता है, लेकिन उसकी उत्पत्ति अपराध से हुई हो तो वह मनी लॉन्ड्रिंग में आती है।

अप्रैल में दाखिल किया था आरोपपत्र

प्रवर्तन निदेशालय ने 15 अप्रैल को इस मामले में पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, राहुल गांधी समेत अन्य आरोपितों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया था। आरोपपत्र में मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े विभिन्न पहलुओं को सामने रखा गया है, जिसके तहत यंग इंडियन कंपनी द्वारा कथित तौर पर फर्जी तरीके से शेयर जारी करने का आरोप है।

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अगली सुनवाई कब?

अदालत ने मामले की आगे की सुनवाई के लिए फोरेंसिक ऑडिटर की रिपोर्ट पर ध्यान देने की बात कही है। जांच एजेंसी से इस मामले की प्रामाणिकता और कंपनियों की वित्तीय गतिविधियों के सही दस्तावेज कोर्ट के सामने पेश करने को कहा गया है। इस बीच, इस केस पर कानूनी लड़ाई जारी रहने की संभावना है और आने वाले दिनों में अदालत में मामले की सुनवाई महत्वपूर्ण मोड़ ले सकती है।

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Kharge Attack On PM Modi: कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने मोदी सरकार की विदेश न...

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Kharge Attack On PM Modi: कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विदेश नीति को लेकर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी की 72 देशों की 151 विदेश यात्राओं, जिनमें 10 बार अमेरिका के दौरे भी शामिल हैं, के बावजूद भारत के वैश्विक मंच पर अलग-थलग पड़ने का आरोप लगाया। खरगे ने कहा कि मोदी सरकार की विदेश नीति केवल दिखावटी है और इसमें कूटनीतिक सफलता का अभाव है।

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विदेश यात्राओं पर सवाल– Kharge Attack On PM Modi

खरगे ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व ट्विटर) पर लिखा, “प्रधानमंत्री मोदी पिछले 11 वर्षों से लगातार विदेश दौरे कर रहे हैं, लेकिन हमारा देश अब अकेला पड़ गया है। 151 यात्राओं के बावजूद भारत वैश्विक मंच पर कमजोर नजर आ रहा है। क्या प्रधानमंत्री का काम केवल विदेश यात्राएं करना और फोटो खिंचवाना है?” उनका यह बयान मोदी सरकार की विदेश नीति पर गहरी असंतोष को दर्शाता है।

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भारत के घटते वैश्विक प्रभाव पर चिंता

खरगे ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) द्वारा पाकिस्तान को 1.4 अरब डॉलर का ऋण देने और आतंकवाद विरोधी अभियानों के बीच अचानक युद्ध विराम की घोषणा को भारत के घटते प्रभाव का संकेत बताया। उन्होंने कहा, “जब हमारी बहादुर सेना आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई कर रही थी, तब युद्ध विराम की घोषणा की गई, जो भारत की कूटनीति की कमजोरी को दर्शाता है।”

अमेरिकी राष्ट्रपति के बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया

खरगे ने अमेरिकी राष्ट्रपति के उस बयान की भी कड़ी आलोचना की जिसमें उन्होंने दावा किया कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच लगभग सात बार संघर्ष विराम करवाया है। कांग्रेस अध्यक्ष ने इसे देश के अपमान के रूप में बताया। उन्होंने कहा, “पूरा देश आतंकवादियों के खिलाफ एकजुट था, लेकिन मोदी सरकार इस मामले पर देश को स्पष्ट जानकारी नहीं दे रही है और इसे छुपाने की कोशिश कर रही है।”

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कांग्रेस का मोदी सरकार पर हमला

मल्लिकार्जुन खरगे के इस बयान से साफ है कि कांग्रेस मोदी सरकार की विदेश नीति से पूरी तरह असंतुष्ट है। पार्टी का मानना है कि प्रधानमंत्री के विदेश दौरे केवल दिखावटी हैं और भारत की कूटनीतिक स्थिति को मजबूत करने में विफल रहे हैं। इसके अलावा, पड़ोसी देशों के साथ संबंधों में आई खटास और भारत के घटते वैश्विक प्रभाव ने सरकार की विदेश नीति की कमज़ोरी को उजागर किया है।

मल्लिकार्जुन खरगे की आलोचना ने मोदी सरकार की विदेश नीति पर नई बहस छेड़ दी है। जहां मोदी सरकार विदेश यात्राओं को अपनी उपलब्धि मानती है, वहीं कांग्रेस का कहना है कि ये यात्राएं केवल दिखावा हैं और भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि को सुधारने में नाकाम रही हैं।

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Golden Dome for America: ‘गोल्डन डोम’ क्या है? अमेरिका को क्यों जरूरी है यह मिसाइल रक...

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Golden Dome for America: अमेरिका ने मिसाइल सुरक्षा के क्षेत्र में एक नया युग शुरू करने का एलान किया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ‘गोल्डन डोम’ नामक अत्याधुनिक मिसाइल डिफेंस सिस्टम परियोजना की घोषणा की है, जिसकी अनुमानित लागत लगभग 175 बिलियन डॉलर बताई जा रही है। यह परियोजना अमेरिका की रक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है, जिसका उद्देश्य देश को हवाई हमलों और बैलिस्टिक मिसाइलों से पूरी तरह सुरक्षित बनाना है।

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गोल्डन डोम सिस्टम क्या है? (Golden Dome for America)

गोल्डन डोम एक अत्याधुनिक और प्रस्तावित मिसाइल डिफेंस नेटवर्क है, जिसे विशेष रूप से बैलिस्टिक मिसाइलों, ड्रोन और अन्य हवाई हमलों को रोकने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसे इस तरह विकसित किया जाएगा कि यह अमेरिका के चारों ओर एक अदृश्य सुरक्षा कवच बनाकर दुश्मनों के हमलों को भेदने नहीं देगा। तकनीकी तौर पर यह सिस्टम अंतरिक्ष आधारित सेंसर, लॉन्ग-रेंज रडार, ग्राउंड-बेस्ड मिडकोर्स डिफेंस (GMD) और स्पेस-बेस्ड इन्फ्रारेड सिस्टम (SBIRS) जैसे अत्याधुनिक उपकरणों से लैस होगा।

Golden Dome for America
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परियोजना की समयसीमा और महत्व

राष्ट्रपति ट्रंप ने स्पष्ट किया है कि उनका लक्ष्य है कि यह सिस्टम उनके कार्यकाल समाप्त होने से पहले यानी 2029 तक पूरी तरह से चालू हो जाए। उन्होंने कहा कि इस प्रोजेक्ट की शुरुआत से ही यह उम्मीद जताई जा रही है कि यह सिस्टम अमेरिका को बाहरी मिसाइल हमलों से एक नई सुरक्षा देगा। ट्रंप ने यह भी कहा कि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन ने भी इस तरह का सिस्टम बनाना चाहा था, लेकिन उस समय तकनीकी सीमाओं के कारण यह संभव नहीं हो पाया था। आज की तकनीक और संसाधनों की मदद से यह सपना साकार होने जा रहा है।

गोल्डन डोम का कार्यप्रणाली

गोल्डन डोम एक जटिल नेटवर्क होगा, जो सैटेलाइट्स के एक बड़े समूह द्वारा संचालित होगा। ये सैटेलाइट्स आसमान में उठने वाली हर खतरे की पहचान करेंगे, उनकी गति और दिशा को ट्रैक करेंगे और तुरंत कमांड पोस्ट को अलर्ट भेजेंगे। इसके बाद इंटरसेप्टर मिसाइलें लॉन्च की जाएंगी जो हवा में ही दुश्मन की मिसाइलों को नष्ट कर देंगी। इस प्रणाली में हाइपरसोनिक, सुपरसोनिक और एडवांस क्रूज मिसाइलों को भी निशाना बनाया जाएगा। खास बात यह है कि इस प्रणाली के विकास के लिए एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स को महत्वपूर्ण ठेका दिया गया है।

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अंतरिक्ष आधारित सेंसर और तकनीक की भूमिका

गोल्डन डोम सिस्टम अंतरिक्ष से मिसाइल हमलों की निगरानी करने में सक्षम होगा। अंतरिक्ष में लगे सेंसर दुश्मन की मिसाइलों की पहचान कर उनकी रीयल टाइम ट्रैकिंग करेंगे। सेंसर मिसाइल की गति, दिशा और खतरे के स्तर को भांपने का काम करेंगे, जिससे कमांड सेंटर को तेजी से सही निर्णय लेने में मदद मिलेगी। इसके बाद लॉन्चर को सिग्नल भेजकर इंटरसेप्टर मिसाइलें दागी जाएंगी, जो आसमान में दुश्मन की मिसाइलों को नष्ट कर देंगी।

गोल्डन डोम की जरूरत क्यों?

दुनिया भर में बढ़ते तनाव और सैन्य संघर्ष के बीच मिसाइल हमलों का खतरा भी लगातार बढ़ रहा है। अमेरिका के करीबी सहयोगी इजरायल ने हाल के वर्षों में कई बार हमास और तेहरान पर हवाई हमले किए हैं, वहीं हूती विद्रोहियों के हमले भी चिंता का विषय हैं। मौजूदा मिसाइल डिफेंस सिस्टम पर्याप्त प्रभावी नहीं हैं, इसीलिए ट्रंप का मानना है कि गोल्डन डोम जैसी उच्च तकनीक वाली प्रणाली की जरूरत है जो हर तरह की मिसाइलों को हवा में ही खत्म कर दे। यह अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा ढांचे को मजबूती प्रदान करेगा और दुश्मनों के मंसूबों को विफल कर देगा।

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Sikhism in Scotland: स्कॉटलैंड में सिख धर्म की यात्रा, 1855 में महाराजा दलीप सिंह से ...

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Sikhism in Scotland: स्कॉटलैंड में सिख धर्म का इतिहास एक सदी से भी अधिक पुराना है। सिखों ने स्कॉटलैंड में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई थी और धीरे-धीरे वे इस देश के सामाजिक और सांस्कृतिक परिदृश्य का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गए हैं। सिखों की स्कॉटलैंड में पहली दस्तावेजीकृत उपस्थिति महाराजा दलीप सिंह के रूप में 1855 में हुई थी, जब वे पर्थशायर में बसे थे। इसके बाद, 1920 के दशक में बठ/भटरा समुदाय के प्रमुख सिखों ने ग्लासगो और एडिनबर्ग में अपने घर बसाए थे। हालांकि, स्कॉटलैंड में सिखों की बड़ी संख्या उन परिवारों से आती है जो 20वीं सदी के अंत में यहां आकर बसे।

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इतिहास की शुरुआत: महाराजा दलीप सिंह का योगदान- Sikhism in Scotland

1855 में महाराजा दलीप सिंह के स्कॉटलैंड में आने के साथ ही सिखों की उपस्थिति की शुरुआत हुई। महाराजा दलीप सिंह ने पर्थशायर के ग्रैंडटुली एस्टेट में निवास किया, और यही उनके जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बना। उनका यहां आना न केवल सिखों के इतिहास में महत्वपूर्ण घटना थी, बल्कि इसने स्कॉटलैंड और भारत के बीच सांस्कृतिक और धार्मिक संबंधों को भी मजबूत किया।

1920 के दशक में सिखों का स्थायी बसना

1920 के दशक में सिखों की दूसरी लहर स्कॉटलैंड में आई, जब बठ/भटरा समुदाय के प्रमुख सिखों ने ग्लासगो और एडिनबर्ग में अपने कदम जमाए। इस दौरान, सिखों ने अपने धर्म को बढ़ावा देने के लिए कई गुरुद्वारों की स्थापना की। ग्लासगो में दक्षिण पोर्टलैंड स्ट्रीट में पहला गुरुद्वारा स्थापित हुआ था, जो स्कॉटलैंड में सिख धर्म का एक प्रमुख केंद्र बना।

20वीं सदी के अंत में सिखों की बढ़ती संख्या

स्कॉटलैंड में सिखों की सबसे बड़ी संख्या उन परिवारों से आती है जिन्होंने 20वीं सदी के अंत में इस देश में आव्रजन किया। इन परिवारों ने यहाँ अपनी जीवनशैली को अपनाया और सिख धर्म के सिद्धांतों को फैलाने का काम किया। 2022 में हुए जनगणना के अनुसार, स्कॉटलैंड की कुल जनसंख्या का लगभग 0.2% (10,988 लोग) सिख धर्म को मानते हैं।

स्कॉटलैंड में प्रमुख गुरुद्वारे

स्कॉटलैंड में सात प्रमुख गुरुद्वारे हैं, जो सिख धर्म के अनुयायियों के लिए धार्मिक और सामाजिक केंद्र हैं। इनमें से चार गुरुद्वारे ग्लासगो में स्थित हैं, एक एडिनबर्ग में, एक डंडी में और एक इर्विन में स्थित है। इन गुरुद्वारों में सिखों द्वारा की जाने वाली पूजा अर्चना और अन्य धार्मिक गतिविधियाँ होती हैं। इसके अलावा, अब्बरडीन में एक और गुरुद्वारा खोलने की योजना बनाई जा रही है।

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स्कॉटलैंड में गुरुद्वारे

  • गुरु नानक गुरुद्वारा, डंडी
  • गुरु नानक गुरुद्वारा, एडिनबर्ग
  • गुरु नानक गुरुद्वारा, ग्लासगो (वेस्ट एंड)
  • सेंट्रल गुरुद्वारा सिंह सभा, ग्लासगो (सेंट्रल)
  • श्री गुरु तेग बहादुर गुरुद्वारा, ग्लासगो (दक्षिण की ओर)
  • गुरुद्वारा गुरु ग्रंथ साहिब सिख सभा, ग्लासगो (दक्षिण की ओर)
  • गुरु नानक गुरुद्वारा इरविन, इरविन

स्कॉटिश सिखों की सांस्कृतिक पहचान

स्कॉटलैंड के सिख समुदाय का एक विशिष्ट सांस्कृतिक पहचान है। यहां के सिख अपनी पारंपरिक पोशाक, जैसे कि किल्ट्स और टैर्टन पहनने के लिए प्रसिद्ध हैं। स्कॉटिश सिखों का खुद का टैर्टन भी है, जिसे वे अपनी सांस्कृतिक विरासत और धार्मिक पहचान को दर्शाने के लिए पहनते हैं।

प्रमुख सिख व्यक्तित्व

स्कॉटलैंड में सिख समुदाय के कई प्रमुख व्यक्तित्व हैं जिन्होंने अपने क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इनमें से कुछ प्रसिद्ध नामों में पाम गोसल हैं, जो पश्चिमी स्कॉटलैंड से स्कॉटिश संसद की सदस्य हैं, हर्दीप सिंह कोहली जो अभिनेता, हास्य कलाकार और प्रस्तुतकर्ता हैं, संजेव कोहली, जो एक और प्रसिद्ध अभिनेता और प्रस्तुतकर्ता हैं। इसके अलावा, टाइगरस्टाइल बंधु, जो संगीत बैंड के सदस्य हैं, टोनी सिंह, जो एक प्रसिद्ध शेफ हैं, और जगतार सिंह जोहल, जो एक सिख कार्यकर्ता हैं, शामिल हैं।

सिखों की बढ़ती उपस्थिति और भविष्य

स्कॉटलैंड में सिख धर्म और सिख समुदाय का भविष्य उज्जवल दिखाई देता है। यह समुदाय न केवल अपनी धार्मिक पहचान को बनाए रखे हुए है, बल्कि साथ ही अपने सामाजिक और सांस्कृतिक योगदान से भी समाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। आने वाले वर्षों में यह समुदाय और भी अधिक प्रभावी हो सकता है, खासकर जब सिखों के बीच आपसी सहयोग और परंपराओं के प्रचार-प्रसार के प्रयास बढ़ेंगे।

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Romancham remake Kapkapiii: महज 3 करोड़ में बनी इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर मचाया धमाल,...

Romancham remake Kapkapiii: फिल्म इंडस्ट्री में बड़े बजट की फिल्मों का चलन आम हो चुका है, जहां फिल्में सौ करोड़ से लेकर पांच सौ करोड़ रुपये तक के बजट में बनती हैं। लेकिन इस दौर में एक ऐसी फिल्म ने तहलका मचाया, जिसका बजट सिंगल डिजिट में था और इसने बॉक्स ऑफिस पर बजट का कई गुना कमाई की। हम बात कर रहे हैं मलयालम फिल्म इंडस्ट्री की, जो अपने अनोखे विषयों और बेहतरीन फिल्म निर्माण के लिए पहचानी जाती है। 2023 में मलयालम फिल्म इंडस्ट्री ने हॉरर और कॉमेडी का शानदार मिश्रण पेश किया और फिल्म ने बड़ी फिल्म्स की तगड़ी टक्कर दी।

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यह फिल्म थी रोमांचम, जो 3 फरवरी 2023 को रिलीज हुई। महज 3 करोड़ रुपये के बजट में बनी इस फिल्म ने वर्ल्डवाइड 70 करोड़ रुपये का कलेक्शन किया, जिससे यह एक ऑल-टाइम ब्लॉकबस्टर साबित हुई। फिल्म के निर्देशक जीतू माधवन ने पहली बार निर्देशन में कदम रखा था और इस फिल्म ने उनका निर्देशन सफल साबित किया। फिल्म में कलाकारों ने शानदार अभिनय किया, जिनमें सौबिन शाहिर, अर्जुन अशोकन, स्नेहा मैथ्यू, सीजू सनी, सजिन गोपू और आदित्य भास्कर शामिल थे।

रोमांचम की अनोखी कहानी- Romancham remake Kapkapiii

रोमांचम की कहानी एक ओइजा बोर्ड गेम के इर्द-गिर्द घूमती है, जिसमें सात दोस्त एक आत्मा को बुलाते हैं। यह ओइजा बोर्ड गेम के माध्यम से खेली जाने वाली एक घातक चुनौती है, जो धीरे-धीरे डरावने और हास्यपूर्ण मोड़ लेती है। इस फिल्म का अनोखा मिश्रण दर्शकों को एक साथ हंसी और डर दोनों का अनुभव कराता है। फिल्म की कहानी के साथ-साथ इसका निर्देशन और अभिनय भी इतने शानदार थे कि यह बॉक्स ऑफिस पर धमाल मचाने में सफल रही।

रोमांचम की सफलता और प्रभाव

रोमांचम की सफलता ने यह साबित किया कि बड़े बजट और स्टारकास्ट के बिना भी दमदार कहानी और बेहतरीन निर्देशन दर्शकों को खींच सकते हैं। फिल्म ने यह संदेश दिया कि फिल्म इंडस्ट्री में केवल बड़ी रकम और बड़े नाम ही सफलता की गारंटी नहीं होते, बल्कि सही कंटेंट और अच्छे अभिनय से भी दर्शकों का दिल जीता जा सकता है। इस फिल्म की सफलता ने मलयालम फिल्म इंडस्ट्री को एक और पहचान दिलाई, जिससे यह साबित हुआ कि छोटी बजट वाली फिल्मों का भी बॉक्स ऑफिस पर जबरदस्त असर हो सकता है।

‘कंपकंपी’ का बॉलीवुड रीमेक

रोमांचम की अपार सफलता के बाद, इस फिल्म का बॉलीवुड में रीमेक बनाने का निर्णय लिया गया। बॉलीवुड में इसे कंपकंपी के नाम से पेश किया गया है। फिल्म की कहानी वही रहने वाली है, जिसमें ओइजा बोर्ड गेम के इर्द-गिर्द घूमती एक आत्मा की कहानी दर्शाई जाएगी, जिसमें हास्य और डर का मिश्रण होगा। इस रीमेक का निर्देशन भी रोमांचम के निर्देशक जीतू माधवन द्वारा किया गया है, जो मलयालम फिल्म के जैसी ही मास्टरपीस देने की कोशिश करेंगे।


बॉलीवुड में इस फिल्म को बड़े बजट और स्टार कास्ट के साथ पेश किया जाएगा, जो कि दर्शकों के लिए एक नया अनुभव हो सकता है। फिल्म का ट्रेलर भी हाल ही में रिलीज हुआ है, और दर्शकों ने इसके टीज़र को काफी सराहा है। अब देखना होगा कि यह बॉलीवुड रीमेक अपनी मलयालम मूल फिल्म के जितनी सफलता हासिल कर पाएगा या नहीं।

फिल्म इंडस्ट्री में बदलाव की आहट

रोमांचम की सफलता ने फिल्म इंडस्ट्री में एक नए बदलाव की आहट दी है। अब फिल्म निर्माताओं का ध्यान केवल बड़े बजट और बड़े स्टार कास्ट पर नहीं बल्कि कंटेंट और कहानी पर भी अधिक ध्यान दिया जाने लगा है। फिल्म ने यह साबित किया कि यदि कहानी दमदार हो, तो वह दर्शकों को आकर्षित करने के लिए काफी होती है। फिल्म इंडस्ट्री में इस बदलाव से भविष्य में और भी छोटी बजट वाली फिल्मों की उम्मीदें जाग सकती हैं, जो दर्शकों के दिलों में अपनी खास जगह बना सकेंगी।

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