Home Blog Page 39

Ambedkar vs Congress: क्या वाकई बाबा साहब कांग्रेस की वजह से चुनाव हारे थे? सुप्रिया ...

0

Ambedkar vs Congress: इन दिनों देश की सियासत में एक बार फिर से “संविधान”, “दलित नेतृत्व” और “बाबा साहब अंबेडकर” को लेकर बहस तेज़ हो गई है। ये कोई सामान्य राजनीतिक चर्चा नहीं, बल्कि भारत के लोकतंत्र की जड़ से जुड़ा मुद्दा है। हाल ही में भीमसेना के एक इंटरव्यू में कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत और पत्रकार साधना भारती के बीच इसी मुद्दे पर विस्तार से बातचीत हुई, जो न सिर्फ गंभीर थी, बल्कि कई अहम सवाल खड़े कर गई।

और पढ़ें: “वोट चोरी” बहस से लेकर बिहार की राजनीति तक— Supriya Shrinet से खास बातचीत

इस इंटरव्यू में जहां एक तरफ साधना ने भाजपा की नीतियों और संविधान को लेकर उनके कथित रुख पर सवाल उठाए, वहीं उन्होंने कांग्रेस से भी यह पूछा कि राहुल गांधी अगर हर समय हाथ में संविधान रखते हैं, तो क्या उनका दलितों और बाबा साहब के विचारों के प्रति व्यवहार भी उतना ही ज़मीन से जुड़ा है?

जब अंबेडकर जी का अपमान बनता है सियासत का हिस्सा- Ambedkar vs Congress

इंटरव्यू की शुरुआत में ही साधना भारती ने बड़ा सवाल खड़ा किया — “बाबा साहब अंबेडकर का बार-बार अपमान क्यों होता है?” संसद में उनका मज़ाक उड़ाया जाता है, उनकी मूर्तियाँ तोड़ी जाती हैं, और कुछ कथित धार्मिक मंचों से उनके खिलाफ विवादास्पद बयान भी सामने आते हैं। इस पर सुप्रिया श्रीनेत ने हामी भरी कि हां, यह सब होता रहा है और खासतौर पर बीजेपी और संघ परिवार का रिकॉर्ड इसमें कोई छुपा नहीं है।

उन्होंने बीजेपी पर सीधा हमला करते हुए आगे कहा, “जिस बाबा साहब की प्रतिमा को जलाया गया, जिनके विचारों को आरएसएस और बीजेपी के शुरुआती नेताओं जैसे गोलवलकर, सावरकर, श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने अपशब्द कहे आज वही लोग उनके नाम पर राजनीति कर रहे हैं।”

“400 सीट दो, संविधान बदल देंगे” – सुप्रिया का सीधा आरोप

सुप्रिया ने ये भी कहा, “जब बीजेपी के नेता मंच से ये कहते हैं कि हमें 400 सीटें दे दो, हम संविधान बदल देंगे, तो ये बात कोई हवा में नहीं कही गई है। ये खुलकर कहा गया है और कई नेता मंच से इसे बोल चुके हैं। फिर ये कहना कि हम बाबा साहब का सम्मान करते हैं, ये सिर्फ दिखावा है।”

क्या कांग्रेस ने अंबेडकर को चुनाव हरवाया था?

वहीं कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने ऐतिहासिक घटनाओं का हवाला देते हुए यह साफ किया कि बाबा साहब अंबेडकर को संविधान सभा में लाने में कांग्रेस की भूमिका कितनी अहम रही थी।

उन्होंने विस्तार से बताया कि जिस सीट से बाबा साहब चुने गए थे, वह विभाजन के बाद पाकिस्तान चली गई थी, और उस सीट से डी. मंडल पहले लॉ मिनिस्टर बने। ऐसे में अंबेडकर जी के पास संविधान सभा में आने के लिए कोई वैध सीट नहीं बची जिससे वो संविधान सभा का हिस्सा बन सकें।

सुप्रिया ने बताया कि इस स्थिति में जवाहरलाल नेहरू और महात्मा गांधी ने मिलकर यह निर्णय लिया कि महाराष्ट्र से कांग्रेस का एक प्रतिनिधि इस्तीफा देगा और उस सीट से बाबा साहब को नॉमिनेट किया जाएगा।
उन्होंने इसे केवल राजनीतिक फैसला नहीं, बल्कि एक बड़े सम्मान का प्रतीक बताया।

“ये बाबा साहब के ज्ञान, उनकी दृष्टि और संविधान निर्माण में उनकी अद्वितीय क्षमता को देखकर लिया गया फैसला था।” — सुप्रिया श्रीनेत

“चुनाव हारना कोई अपराध नहीं होता”

एक और बड़ी भ्रांति पर सुप्रिया ने बात रखी, जिसमें अक्सर कहा जाता है कि कांग्रेस ने बाबा साहब को चुनाव हरवा दिया था।

इस पर सुप्रिया ने स्पष्ट किया —
“बाबा साहब चुनाव हार गए क्योंकि वो अपने ही बनाए संविधान के दायरे में रहकर चुनाव लड़ना चाहते थे। लेकिन ये चुनावी राजनीति है, हार-जीत होती रहती है। इससे उनके सम्मान में कोई कमी नहीं आती।”

राज्यसभा में भेजने का फैसला भी अद्वितीय था

सुप्रिया ने एक अहम बात पर ज़ोर देते हुए कहा कि जब बाबा साहब चुनाव हार गए और उन्हें राज्यसभा में भेजने की बारी आई, तब भी कांग्रेस ने अपनी महानता दिखाई।

उन्होंने बताया,

“बाबा साहब की पार्टी में सिर्फ एक विधायक (MLA) था, फिर भी नेहरू जी ने साफ कहा कि बाबा साहब अपनी पार्टी से ही राज्यसभा जाएंगे, कांग्रेस के एमएलए सिर्फ उनका समर्थन करेंगे। वो कांग्रेस के सांसद नहीं बनेंगे, बल्कि अपने दल के सांसद बनेंगे। यह कौन करता है?”

इस घटनाक्रम को सुप्रिया ने कांग्रेस की विचारधारा और बाबा साहब के प्रति सम्मान का सबसे बड़ा उदाहरण बताया।

बाबा साहब और भगत सिंह – दोनों के विचारों को पढ़ने की चुनौती

सुप्रिया श्रीनेत ने बीजेपी और संघ परिवार को यह कहकर भी घेरा कि ये लोग अक्सर भगत सिंह की बात करते हैं, लेकिन न तो बाबा साहब और न ही भगत सिंह के विचारों को गहराई से पढ़ते हैं। उन्होंने कहा, “अगर पढ़ लें कि बाबा साहब ने सांप्रदायिकता और सामाजिक न्याय को लेकर क्या लिखा है, तो उनके पैरों तले ज़मीन खिसक जाएगी।”

“राहुल गांधी संविधान की लड़ाई लड़ रहे हैं”

इसी बीच जब राहुल गांधी के हर वक्त हाथ में संविधान लेकर चलने को लेकर साधना भारती ने सवाल उठाया कि क्या ये सिर्फ दिखावा है या असल में कोई प्रतिबद्धता? इस पर सुप्रिया ने साफ कहा कि राहुल गांधी सिर्फ संविधान हाथ में नहीं लेते, वो असल में उसी की रक्षा के लिए लड़ाई भी लड़ रहे हैं।

“जब राहुल गांधी कहते हैं – ‘I love my country. I love my Constitution.’ तो वो सिर्फ जुमला नहीं है। ये उनके संघर्ष की धुरी है।”

उन्होंने कहा कि बाबा साहब ने जो संविधान हमें दिया, उसने देश के सबसे अमीर से लेकर सबसे गरीब तक को बराबर का वोट दिया। इसी संविधान ने महिलाओं, दलितों, आदिवासियों और अल्पसंख्यकों को समानता का अधिकार दिया। और यही संविधान आज खतरे में है, अगर हम चुप रहे।

मनुस्मृति बनाम संविधान: विचारधारा की टकराहट

सुप्रिया श्रीनेत ने संघ की विचारधारा पर तीखा प्रहार करते हुए कहा कि ये वो लोग हैं जो आज भी मनुस्मृति को संविधान से बेहतर मानते हैं। “वो आज भी कहते हैं कि संविधान में खामियां हैं और अगर उन्हें बहुमत मिल जाए तो वे संविधान बदल देंगे।”

उन्होंने उदाहरण देकर बताया कि जब संसद में विपक्ष की आवाज को दबाया जाता है, माइक काटा जाता है, बिल बिना बहस के पास होते है, तो ये संविधान के साथ धोखा है। उन्होंने कहा, “72% बिल स्टैंडिंग कमेटी के पास नहीं जा रहे हैं।”

दलित नेतृत्व पर सवाल – बीजेपी के पास क्यों नहीं है कोई दलित चेहरा?

सुप्रिया ने बीजेपी के खिलाफ बड़ा सवाल उठाटे हुए कहा, “बीजेपी के पास अब तक कोई दलित राष्ट्रीय अध्यक्ष क्यों नहीं रहा?”

उन्होंने कहा, “बीजेपी आज 17-18 राज्यों में सरकार चला रही है, लेकिन कहीं भी कोई दलित मुख्यमंत्री नहीं है। आरएसएस में हमेशा चितपावन ब्राह्मण ही सर्वोच्च पद पर क्यों रहता है? एक बार राजपूत अध्यक्ष बने थे, लेकिन कोई दलित, ओबीसी, आदिवासी क्यों नहीं?”

इसके मुकाबले कांग्रेस की स्थिति बताते हुए उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने दो बार दलित को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया है, पांच से अधिक मुख्यमंत्री दलित समुदाय से बनाए हैं, और हमेशा सामाजिक न्याय के पक्ष में खड़ी रही है।

जब धर्म बन जाता है “धंधा”

सुप्रिया ने बेहद तीखे अंदाज़ में धार्मिक मंचों से हो रही जातिगत टिप्पणियों पर बात की। उन्होंने बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री और रामभद्राचार्य जैसे कथित धर्मगुरुओं के बयानों की आलोचना की। उन्होंने बताया कि कैसे एक ओबीसी नेता के डीएनए पर सार्वजनिक रूप से सवाल उठाया गया, और महिलाओं की चूड़ियों को कायरता का प्रतीक बताया गया।

“आप महिला होकर चूड़ियों को कमजोरी का प्रतीक मानते हैं? ये तो शक्ति का प्रतीक हैं। रानी लक्ष्मीबाई, अवंतीबाई लोधी जैसी महान महिलाओं ने चूड़ियां पहनकर ही इतिहास रचा है,” उन्होंने कहा।

आस्था जरूरी है, लेकिन देश और संविधान उससे ऊपर है

सुप्रिया ने अंत में साफ शब्दों में कहा कि वो धार्मिक लोगों के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन जब आस्था के नाम पर संविधान निर्माता का अपमान किया जाता है, तब चुप रहना अपराध बन जाता है।

उन्होंने जोर देकर कहा,“आस्था अपनी जगह है, लेकिन उससे ऊपर देश है। और देश का संविधान सबसे ऊपर है। बाबा साहब का अपमान संसद से लेकर मंचों तक होगा तो आवाज उठेगी और ज़ोर से उठेगी।”

और पढ़ें: Shilpi Jain Murder Case: कौन थी शिल्पी जैन? क्यों PK आज भी सम्राट चौधरी को मानते हैं संदिग्ध? जानें पूरी कहानी

“वोट चोरी” बहस से लेकर बिहार की राजनीति तक— Supriya Shrinet से खास बातचीत

0

Supriya Shrinet: हाल ही में कांग्रेस की तेज़-तर्रार प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत भीमसेना द्वारा आयोजित इंटरव्यू में नज़र आईं। जहां पत्रकार साधना भारती ने उनसे तीखे और बिना लाग-लपेट वाले सवाल पूछे — मुद्दा था राजनीति का, कांग्रेस की विचारधारा का और मौजूदा सत्ता की रणनीतियों का। लेकिन इस बातचीत में जो हिस्सा सबसे ज़्यादा चर्चा में रहा, वो था बिहार की राजनीति और ‘वोट चोरी’ का मुद्दा। यह बातचीत तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल हुई, क्योंकि साधना के सवाल तीखे थे और सुप्रिया के जवाब भी उतने ही जबरदस्त। आईए आपको विस्तार से बताते हैं बिहार राजनीति पर सुप्रिया श्रीनेत की विचारधारा।

और पढ़ें: Shilpi Jain Murder Case: कौन थी शिल्पी जैन? क्यों PK आज भी सम्राट चौधरी को मानते हैं संदिग्ध? जानें पूरी कहानी

इंटरव्यू के दौरान साधना ने कहा, “मोदी जी के चेहरे के एक्सप्रेशन बदलते देखे हैं, अब बिहार का चुनाव है — बस कांग्रेस वोट चोरी पकड़ने की बात करती है, लेकिन कैसे गद्दी छोड़ेगी?” इस तरह की चुनौतीपूर्ण टिप्पणी पर सुप्रिया ने कांग्रेस की ओर से अपना पक्ष रखा और जनता के बीच जागरूकता बढ़ाने की अहमियत पर जोर दिया।

“यह मुहिम राहुल गांधी ने क्यों शुरू की?”

साधना की टिप्पणी पर सुप्रिया ने कहा कि राहुल गांधी ने यह मुहिम इसलिए उठाई है क्योंकि जनता को सच दिखाना ज़रूरी है। उन्होंने कहा, “संस्थाओं का काम है चुनाव निष्पक्ष कराना, लेकिन जब नाम डिलीट किए जा रहे हों, वोटर लिस्ट में बदलाव हो रहा हो तब ऑपरेशन ‘वोट चोरी’ को रोका जाना चाहिए।” उन्होंने आरोप लगाया कि ज्ञानेश कुमार जैसे अधिकारियों ने वोटर लिस्ट में गड़बड़ी की, नाम डिलीट किए व सॉफ्टवेयर से बदलाव किए गए।

सुप्रिया ने कहा कि लोक (जनता) ही लोकतंत्र को बचा सकती है, और नेता जनता को जागरूक करने का काम करते हैं। उनका मानना है कि कांग्रेस इस चुनाव में मुद्दों को लेकर लोगों के बीच जाएगी, न कि सिर्फ आरोपों पर टिकेगी।

वोटर हक़ यात्रा और वोटर लिस्ट में कटौती| Supriya Shrinet

सुप्रिया ने बताया कि इस मुहिम में एक बहुत बड़ा सवाल बन गया है—इलेक्शन कमीशन ने बिहार में 65 लाख नाम काटे, बिना किसी ठोस कारण बताए। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर कारण सार्वजनिक करने की बात सामने आई थी, लेकिन आयोग ने आधार को मानने से इनकार किया। वह कहती हैं कि बिहार में वोट चोरी अब मुद्दा बन चुका है, और जनता को यह जानने का हक़ है कि किस तरह चुनाव परिणाम को प्रभावित किया जा रहा है।

इतना ही नहीं, सुप्रिया श्रीनेतने ने न सिर्फ वोट चोरी मुद्दे पर तीखी टिप्पणी की, बल्कि बिहार की जमीनी समस्याओं जैसे बेरोजगारी, महंगाई, आर्थिक असमानता, पलायन और भ्रष्टाचार को भी मुख्य एजेंडा बताया।

20 साल से एक ही मुख्यमंत्री अब अचानक बड़े वादे?”

साधना भारती के सवालों के बीच, सुप्रिया ने यह सवाल उठाया कि जब पिछले 20 सालों से एक ही व्यक्ति बिहार का मुख्यमंत्री रहा है, तो अब उसको कौन सा “मुहूर्त” मिल गया है? उन्होंने कहा:

“अब वो कह रहा है कि मैं आऊंगा तो ये कर दूंगा। 20 साल में क्यों नहीं किया? किस चीज का इंतजार करते थे?”

मुद्दों का दायरा: सिर्फ चुनाव आयोग नहीं, आम जिंदगी की जद्दोजहद

सुप्रिया ने यह भी रेखांकित किया कि बिहार की जनता सिर्फ वोटर लिस्ट और कमीशन की बातें नहीं सुनना चाहती  वे बेरोजगारी, महंगाई, भ्रष्टाचार और पलायन जैसी जिंदगी की लड़ाइयां लड़ती रही हैं। उन्होंने कहा:

“बिहार का युवा अब बदलाव की चाह बना चुका है… लोगों को 10 जगह भटकना पड़ता है काम की तलाश में, ज़मीन की तलाश में।”

उनका यह कहना था कि वोटर अधिकार यात्रा ने जनता में एक नई लहर जगाई है और कांग्रेस इस लहर को मुद्दों के भरोसे चुनाव मैदान में उतारेगी।

मोदी सरकार और विपक्षी चिंताएं

सुप्रिया ने यह भी कहा कि मोदी जी और बीजेपी को यह बदलाव कम अखर रहा है:

“इसे सुनकर और सोचकर मोदी जी और उनकी पार्टी परेशान हो गई है।”

उनका दावा था कि बीजेपी केवल वोट बचाने की राजनीति करती है, लेकिन कांग्रेस वोटरों की उम्मीदों पर चुनाव लड़ेगी।

तेजस्वी यादव: मुख्यमंत्री चेहरे के नाम पर क्या सोचती हैं

इसी बीच जब साधना ने पूछा कि तेजस्वी यादव को लोग काफी पसंद कर रहे हैं, क्या वे कांग्रेस के लिए मुख्यमंत्री चेहरा बन सकते हैं? सुप्रिया ने इस पर स्पष्ट कहा कि वे बिहार की वोटर नहीं हैं और राज्य की कांग्रेस की नेतृत्व भूमिका तय करना उनका काम नहीं। हालांकि उन्होंने माना कि तेजस्वी यादव लोकप्रिय हैं और उपमुख्यमंत्री भी रह चुके हैं, इसीलिए उन्हें पूरी तरह नकारा नहीं जा सकता।

राहुल गांधी बनेगें प्रधानमंत्री?

इतना ही नहीं, सुप्रिया ने माना कि राहुल गांधी देश के प्रधानमंत्री बनेंगे। उन्होंने कहा, “बिल्कुल, 110%, और वह (राहुल गांधी) प्रधानमंत्री बनेंगे। और मुझे लगता है कि इस देश को राहुल गांधी जैसे प्रधानमंत्री की ज़रूरत है। ऐसा व्यक्ति जो सिर्फ़ बातें ही न करे, बल्कि अपनी बात पर अमल भी करे।”

राजनीति की जंग या जमीनी बात?

साधना के सवालों और सुप्रिया की प्रतिक्रियाओं ने यह साफ कर दिया है कि इस चुनाव में केवल जात‑पात, विकास या योजनाएँ ही नहीं लड़ाई का हिस्सा होंगे। मुद्दे होंगे वोट डालने का अधिकार, लोकतंत्र की रक्षा, और नाम-लॉक लिस्टों की पारदर्शिता। कांग्रेस इस बार लड़ने की रणनीति उन लोगों की आवाज़ बनने की है, जिनकी आस्था लोकतंत्र में है।

और पढ़ें: Ambedkar vs Congress: क्या वाकई बाबा साहब कांग्रेस की वजह से चुनाव हारे थे? सुप्रिया श्रीनेत ने खोला बड़ा राज़!

Excessive sweating in diabetes: ब्लड शुगर हाई है? रोज़ बहाइए पसीना, कंट्रोल में आएगी ...

0

Excessive sweating in diabetes: आजकल डायबिटीज यानी हाई ब्लड शुगर की समस्या इतनी आम हो चुकी है कि हर घर में कोई न कोई इससे जूझ रहा है। शुगर लेवल एक बार बढ़ गया तो उसे कंट्रोल में लाना आसान नहीं होता। लोग दवाओं, डाइट चार्ट और घरेलू नुस्खों का सहारा लेते हैं, लेकिन कई बार सब बेअसर हो जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि सिर्फ रोज़ाना थोड़ी देर पसीना बहाकर आप इस परेशानी को काफी हद तक काबू में ला सकते हैं?

और पढ़ें: Hand Dryer Infection: हैंड ड्रायर या पेपर टॉवल? आपकी सेहत के लिए कौन है बेहतर विकल्प?

डायबिटीज से जुड़ी परेशानियां- Excessive sweating in diabetes

ब्लड शुगर लेवल बढ़ने का असर सिर्फ शुगर तक सीमित नहीं रहता। यह शरीर के बाकी हिस्सों पर भी बुरा असर डालता है। इससे वजन बढ़ता है, घाव जल्दी नहीं भरते, थकान बनी रहती है और आंखों, किडनी और दिल पर भी असर पड़ता है। लेकिन अच्छी खबर ये है कि अगर आप नियमित रूप से हल्का-फुल्का व्यायाम करते हैं, तो शुगर लेवल को काबू में रखा जा सकता है।

क्यों जरूरी है एक्सरसाइज?

दरअसल कसरत करने से शरीर में इंसुलिन की संवेदनशीलता (Sensitivity) बढ़ती है। इंसुलिन वो हार्मोन है, जो ब्लड में मौजूद शुगर को कंट्रोल करता है। जब शरीर एक्टिव रहता है, तो मांसपेशियां उस शुगर का इस्तेमाल करती हैं और ब्लड में उसकी मात्रा कम हो जाती है। यही वजह है कि डायबिटीज के मरीजों के लिए कसरत को एक तरह की नेचुरल दवा माना जाता है।

कितनी देर कसरत करें?

विशेषज्ञों की मानें तो रोजाना 30 से 45 मिनट तक की कसरत डायबिटीज के लिए बेहद फायदेमंद होती है। अगर आप अभी शुरुआत कर रहे हैं तो 15-20 मिनट से शुरू करें और धीरे-धीरे समय बढ़ाएं। हफ्ते में कम से कम 5 दिन कसरत करना जरूरी है।

कौन-कौन सी एक्सरसाइज फायदेमंद हैं?

  1. ब्रिस्क वॉक – तेज गति से चलना, जो शरीर को थकाए नहीं लेकिन सांसें तेज कर दे
  2. साइकलिंग – घर के बाहर या स्टैटिक साइकल, दोनों विकल्प अच्छे हैं
  3. योगा – शरीर को अंदर से संतुलित करता है
  4. डांस या ज़ुम्बा – मज़ेदार भी और हेल्दी भी
  5. हल्की वेट लिफ्टिंग – शरीर की ताकत बढ़ाने के लिए

इन सभी गतिविधियों से न सिर्फ ब्लड शुगर कंट्रोल होता है बल्कि मूड भी अच्छा रहता है और वजन भी घटता है।

ब्रिस्क वॉक कैसे करें?

ब्रिस्क वॉक के लिए आपको किसी महंगे उपकरण की जरूरत नहीं होती। बस एक आरामदायक जूते और खुली जगह चाहिए। शुरुआत में 5-10 मिनट हल्का वॉर्मअप करें और फिर 20-30 मिनट तक तेज गति से चलें। ध्यान रहे, चलने की स्पीड ऐसी हो कि आप बात कर सकें लेकिन सांस थोड़ा तेज चले।

एक्सरसाइज से पहले और बाद में ध्यान रखें

  • कसरत शुरू करने से पहले और बाद में ब्लड शुगर की जांच जरूर करें
  • पर्याप्त पानी पिएं
  • खाली पेट कसरत न करें, हल्का-फुल्का नाश्ता करें
  • अगर आप इंसुलिन या दवाइयां लेते हैं तो डॉक्टर की सलाह जरूर लें
  • कसरत की intensity धीरे-धीरे बढ़ाएं, एकदम से ज्यादा जोर न लगाएं

क्या डायबिटीज रिवर्स हो सकती है?

आपको बता दें, अगर आप रोज़ाना एक्सरसाइज करते हैं, संतुलित भोजन लेते हैं और तनाव से दूर रहते हैं, तो ब्लड शुगर को न सिर्फ कंट्रोल किया जा सकता है बल्कि कुछ मामलों में डायबिटीज को रिवर्स करने की दिशा में भी आगे बढ़ा जा सकता है।

डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। किसी भी एक्सरसाइज रूटीन को शुरू करने से पहले डॉक्टर या स्वास्थ्य विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

और पढ़ें: इम्युनिटी बूस्ट करें नैचुरल तरीके से, इन 5 सब्जियों को बनाएं अपनी थाली का हिस्सा

Land Measurement Tips| जमीन की माप: एकड़, हेक्टेयर और डिसमिल में क्या फर्क है? जानिए ...

0

Measurement Tips: अक्सर जब जमीन खरीदने या बेचने की बात आती है, तो लोग एक बात को लेकर काफी कंफ्यूज रहते हैं – एकड़ बड़ा होता है या हेक्टेयर? और डिसमिल का इसमें क्या रोल है? ये सवाल आम हैं, खासकर गांवों और कस्बों में जहां जमीन की माप के कई अलग-अलग तरीके अपनाए जाते हैं। दरअसल, भारत में जमीन मापने की यूनिट्स अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग होती हैं और यही वजह है कि कंफ्यूजन भी बना रहता है।

और पढ़ें: Badri cow Farming: 4 लीटर दूध, लेकिन घी ₹5500 किलो! पहाड़ों की ये देसी गाय कर रही कमाल

तो चलिए, इस रिपोर्ट में आपको सरल भाषा में बताते हैं कि आखिर एकड़, हेक्टेयर और डिसमिल क्या होते हैं, इनमें कितना फर्क है और विंध्य क्षेत्र जैसे इलाकों में जमीन कैसे मापी जाती है।

 एकड़ क्या होता है? Land Measurement Tips

एकड़ एक पारंपरिक यूनिट है, जिसका इस्तेमाल जमीन की माप के लिए किया जाता है। यह यूनिट भारत समेत कई देशों में इस्तेमाल होती है।
1 एकड़ में:

  • 4840 वर्ग गज
  • 4046.8 वर्ग मीटर
  • 43560 वर्ग फुट
  • 0.4047 हेक्टेयर

मतलब अगर आपके पास एक एकड़ जमीन है, तो वो लगभग 4047 वर्ग मीटर के बराबर होती है।

हेक्टेयर क्या होता है?

हेक्टेयर एक मीट्रिक यूनिट है, जिसे बड़े भूखंडों की माप के लिए इस्तेमाल किया जाता है। यह इंटरनेशनल सिस्टम (SI) की यूनिट है।

1 हेक्टेयर में:

  • 10,000 वर्ग मीटर
  • 2.4711 एकड़
  • 100 डिसमिल

यानी हेक्टेयर, एकड़ से बड़ा होता है। जमीन की जब सरकारी रिकॉर्डिंग या बड़े कृषि प्रोजेक्ट्स की बात होती है, तो आमतौर पर हेक्टेयर में ही माप की जाती है।

डिसमिल क्या होता है?

डिसमिल भारत में इस्तेमाल होने वाली पारंपरिक यूनिट है, जो खासतौर पर बिहार, झारखंड, ओडिशा और मध्य प्रदेश के कुछ इलाकों में काफी प्रचलित है।

  • 1 एकड़ = 100 डिसमिल
  • 1 डिसमिल = 0.004047 हेक्टेयर

डिसमिल का इस्तेमाल ज़्यादातर छोटे भूखंडों को मापने में किया जाता है। ग्रामीण क्षेत्रों में लोग जमीन को एकड़ और डिसमिल दोनों में मापते हैं।

विंध्य क्षेत्र में कैसे मापी जाती है जमीन?

मध्य प्रदेश के विंध्य क्षेत्र में जमीन मापने के लिए मुख्य रूप से हेक्टेयर, एकड़ और डिसमिल का ही इस्तेमाल होता है।
यहां की माप के अनुसार:

  • 1 हेक्टेयर = 2.47 एकड़
  • 1 हेक्टेयर = 100 डिसमिल
  • 1 एकड़ = 100 डिसमिल
  • 1 एकड़ = 0.4047 हेक्टेयर

यानी अगर आपके पास 1 हेक्टेयर जमीन है, तो वो 2.47 एकड़ के बराबर है। वहीं, 1 एकड़ में 100 डिसमिल होते हैं, जिससे आप छोटे भूखंड को और भी बारीकी से माप सकते हैं।

शहरों में अलग होता है तरीका

जहां गांवों और खेती वाले इलाकों में एकड़, हेक्टेयर और डिसमिल का चलन है, वहीं शहरों में जमीन गज, स्क्वायर फुट या स्क्वायर मीटर में मापी जाती है। फ्लैट, प्लॉट या बिल्डिंग की खरीद-फरोख्त स्क्वायर फुट के हिसाब से होती है, जबकि प्लॉट या खेत की बात आते ही एकड़ और हेक्टेयर चर्चा में आ जाते हैं।

और किन-किन यूनिट्स का होता है इस्तेमाल?

भारत के अलग-अलग हिस्सों में जमीन मापने के लिए कई स्थानीय यूनिट्स भी प्रचलित हैं, जैसे:

  • बीघा, बिस्वा (उत्तर भारत)
  • गुंठा, गुंटा (महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश)
  • कनाल, मरला (पंजाब, हरियाणा)
  • सेंट, पर्च, कोटा (दक्षिण भारत)

लेकिन पूरे देश में एकड़ और हेक्टेयर को सबसे ज्यादा मान्यता प्राप्त माप की इकाइयों के रूप में माना जाता है।

तो अब जब भी आपके सामने जमीन की माप को लेकर सवाल आए, तो आप आसानी से समझ सकते हैं कि एकड़, हेक्टेयर और डिसमिल में क्या फर्क है। खेती की जमीन हो या प्लॉट का सौदा – सही माप जानना जरूरी है ताकि किसी तरह की धोखाधड़ी से बचा जा सके।

ध्यान रखें:

  • 1 हेक्टेयर = 2.47 एकड़
  • 1 एकड़ = 100 डिसमिल
  • 1 हेक्टेयर = 100 डिसमिल

अब अगली बार जब कोई कहे कि “मेरे पास 5 डिसमिल जमीन है”, तो आप तुरंत अंदाज़ा लगा पाएंगे कि वो कितनी है!

और पढ़ें: North Sea asteroi: समुद्र के नीचे छिपा था रहस्य, अब हुआ खुलासा, यॉर्कशायर के पास मिला 4.3 करोड़ साल पुराना उल्का पिंड का क्रेटर

Shilpi Jain Murder Case: कौन थी शिल्पी जैन? क्यों PK आज भी सम्राट चौधरी को मानते हैं ...

0

Shilpi Jain Murder Case: बिहार की राजनीति एक बार फिर गरमा गई है। चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने राज्य के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने साल 1999 में हुए चर्चित शिल्पी जैन रेप और मर्डर केस को लेकर कई सवाल खड़े किए हैं और सीधे तौर पर सम्राट चौधरी का नाम इसमें घसीटा है। प्रशांत किशोर ने पूछा है – क्या सम्राट चौधरी उस वक्त आरोपी के तौर पर संदिग्ध थे? क्या सीबीआई ने उनसे पूछताछ की थी? क्या उनका डीएनए सैंपल लिया गया था या नहीं? उन्होंने दावा किया कि इस मामले में आज भी कई सवाल अनसुलझे हैं और सच्चाई सामने आनी चाहिए। आईए आपको बताते हैं हैं क्या है पूरा मामला:

और पढ़ें: P Chidambaram ने 2008 मुंबई हमलों पर किया बड़ा खुलासा, बीजेपी ने किया तीखा पलटवार 

शिल्पी जैन केस: वो खौफनाक कहानी, जिसने बिहार को हिला दिया था

यह मामला 3 जुलाई 1999 का है, जब पटना के गांधी मैदान इलाके में एक सरकारी क्वार्टर के गैराज में खड़ी मारुति जेन कार से दो लाशें मिली थीं। एक लड़की और एक लड़का – दोनों अर्धनग्न अवस्था में थे। लड़की की पहचान 23 साल की शिल्पी जैन के तौर पर हुई, जो पटना वीमेंस कॉलेज की होनहार छात्रा थीं और मिस पटना का खिताब जीत चुकी थीं। लड़के का नाम था गौतम सिंह, जो एक एनआरआई परिवार से ताल्लुक रखते थे और उस समय आरजेडी की युवा इकाई से जुड़े थे।

शिल्पी और गौतम एक-दूसरे को पसंद करते थे, दोस्ती प्यार में बदल चुकी थी। लेकिन किसी ने सोचा भी नहीं था कि यह रिश्ता ऐसी खौफनाक मौत में तब्दील हो जाएगा।

जब शिल्पी को जबरदस्ती ले जाया गया- Shilpi Jain Murder Case

घटना वाले दिन शिल्पी रोज की तरह कंप्यूटर कोचिंग के लिए निकली थीं। रास्ते में उन्हें गौतम के एक जानने वाले ने रोका और कहा कि गौतम इंतजार कर रहे हैं। शिल्पी, जो उस लड़के को पहचानती थीं, उसके साथ कार में बैठ गईं। लेकिन कोचिंग सेंटर की बजाय कार उन्हें ‘वाल्मी गेस्ट हाउस’ ले गई। वहां क्या हुआ, इसकी पुष्टि तो कभी नहीं हो पाई, लेकिन कुछ गवाहों के मुताबिक, शिल्पी वहां मदद के लिए चिल्ला रही थीं। गौतम जब वहां पहुंचे, तो उन्होंने देखा कि कुछ लोग शिल्पी पर हमला कर रहे हैं। उन्होंने बचाने की कोशिश की, लेकिन उन्हें भी पीट-पीटकर मार दिया गया।

मारुति कार में मिले शव, शक की सुई गई नेताओं की ओर

उसी रात पुलिस को सूचना मिली कि फ्रेजर रोड के क्वार्टर नंबर 12 के गैराज में दो शव एक कार में पड़े हैं। यह क्वार्टर बाहुबली नेता साधु यादव का था, जो राबड़ी देवी के रिश्तेदार थे। शवों की स्थिति देखकर साफ था कि यह हत्या का मामला था। शिल्पी के शरीर पर सिर्फ गौतम की टी-शर्ट थी और गौतम के कपड़े गायब थे। पुलिस वहां पहुंची, लेकिन उससे पहले ही बड़ी संख्या में समर्थक और नेता पहुंच गए थे, जिससे सबूतों के साथ छेड़छाड़ की आशंका जताई गई। कार को टो करने के बजाय चलाकर थाने ले जाया गया, जिससे फिंगरप्रिंट और बाकी सबूत मिट गए।

पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में चौंकाने वाली बातें

फॉरेंसिक रिपोर्ट में सामने आया कि शिल्पी के साथ गैंगरेप हुआ था। वहीं गौतम के शरीर पर भी गंभीर चोटों के निशान थे। इसके बावजूद पुलिस ने शुरू में इसे आत्महत्या करार दिया, जिससे शिल्पी का परिवार टूट गया। भारी जनदबाव के बाद केस सीबीआई को सौंपा गया।

सीबीआई जांच और विवाद

सीबीआई ने जांच की, और बलात्कार की पुष्टि की। कई नामचीन लोगों से पूछताछ भी हुई, लेकिन डीएनए सैंपल देने से साधु यादव ने इनकार कर दिया। जांच के दौरान सम्राट चौधरी का नाम संदिग्धों में आया या नहीं, इस पर आधिकारिक रूप से कभी कुछ नहीं कहा गया, लेकिन अब प्रशांत किशोर ने इस पर सवाल उठाए हैं, जिससे मामले ने नया मोड़ ले लिया है।

सीबीआई ने 2003 में केस को आत्महत्या बताकर बंद कर दिया। शिल्पी के परिवार ने इसका विरोध किया। उनके भाई प्रशांत जैन ने केस को दोबारा खोलने की मांग की, लेकिन 2006 में उनका अपहरण हो गया। हालांकि बाद में उन्हें छुड़ा लिया गया।

अब क्यों उठा मामला?

प्रशांत किशोर ने हाल ही में एक जनसभा में इस केस का जिक्र करते हुए सीधे तौर पर सम्राट चौधरी की भूमिका पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि जनता को यह जानने का अधिकार है कि उस वक्त किन-किन नेताओं के नाम इस केस से जुड़े थे। उन्होंने यह भी मांग की कि अगर सम्राट चौधरी निर्दोष हैं, तो वे खुद सामने आकर सफाई दें और सच सामने लाएं।

बिहार की राजनीति में भूचाल

प्रशांत किशोर के इस बयान ने बिहार की सियासत में हलचल मचा दी है। एक ओर एनडीए गठबंधन बचाव की मुद्रा में आ गया है, तो वहीं विपक्ष इस बयान को हथियार बनाकर सम्राट चौधरी पर हमला बोल रहा है। अब देखना यह है कि क्या यह मामला फिर से कानूनी मोड़ लेता है या सिर्फ चुनावी सियासत तक ही सीमित रहता है।

और पढ़ें: Bihar Assembly Elections: जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती बिहार विधानसभा में उतारेंगे गोरक्षक प्रतिभागी

Zoho का Arattai ऐप: 3 दिन में 100 गुना बढ़ी पॉपुलैरिटी, डाउनलोड्स 10 लाख के पार

0

Arattai App: Zoho के मैसेजिंग ऐप Arattai ने कुछ ही दिनों में शानदार पॉपुलैरिटी हासिल कर ली है। नए आंकड़ों के मुताबिक, इस ऐप के साइन-अप्स तीन दिनों के अंदर 100 गुना बढ़ चुके हैं। साथ ही, प्ले स्टोर पर इसके डाउनलोड्स भी 10 लाख के आंकड़े को पार कर चुके हैं। यह ऐप खासतौर पर तब सुर्खियों में आया, जब केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने इसे लेकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (जिसे पहले Twitter कहा जाता था) पर पोस्ट किया। इसके बाद Arattai को लेकर सोशल मीडिया पर एक जबरदस्त बज क्रिएट हो गया, और लोगों ने इसे इंस्टॉल करना शुरू कर दिया।

और पढ़ें: Sonam Wangchuk Arrest: लद्दाख हिंसा के पीछे साजिश? DGP ने सोनम वांगचुक पर पाकिस्तान से जुड़े होने का लगाया आरोप

क्या है Arattai की सफलता का राज? Arattai App

Arattai की बढ़ती पॉपुलैरिटी के पीछे कई कारण हैं। सबसे बड़ा कारण यह है कि सरकार स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा दे रही है और भारतीय यूजर्स अब ज्यादा से ज्यादा स्वदेशी ऐप्स की ओर रुख कर रहे हैं। Arattai के साथ ही Zoho ने एक ऐसा मैसेजिंग ऐप पेश किया है, जो व्हाट्सऐप जैसी सुविधाओं के साथ यूजर्स को एक बेहतर और सुरक्षित अनुभव देने का दावा करता है। इसके फीचर्स और यूजर्स की प्राइवेसी को लेकर कंपनी की प्रतिबद्धता ने इसे एक मजबूत विकल्प बना दिया है।

Arattai ऐप के फीचर्स

Arattai ऐप में व्हाट्सऐप जैसे कई फीचर्स दिए गए हैं, जो यूजर्स को एक सशक्त चैटिंग अनुभव प्रदान करते हैं। इनमें से कुछ प्रमुख फीचर्स हैं:

  1. पर्सनल और ग्रुप चैट्स: यूजर्स अपनी निजी चैट्स के साथ-साथ ग्रुप चैट्स भी कर सकते हैं।
  2. टेक्स्ट, मीडिया और फाइल शेयरिंग: Arattai ऐप में आप टेक्स्ट, फोटो, वीडियो और अन्य फाइल्स को आसानी से शेयर कर सकते हैं।
  3. ऑडियो और वीडियो कॉल्स: इस ऐप में एंड-टू-एंड एनक्रिप्शन के साथ ऑडियो और वीडियो कॉल्स की सुविधा भी दी गई है, जिससे यूजर्स का डेटा सुरक्षित रहता है।
  4. मल्टी डिवाइस सपोर्ट: इस ऐप को डेस्कटॉप और मोबाइल दोनों पर इस्तेमाल किया जा सकता है।
  5. क्रिएटर्स के लिए स्टोरीज और चैनल्स: कंटेंट क्रिएटर्स के लिए स्टोरीज और चैनल्स की भी सुविधा दी गई है, जिससे वे आसानी से अपनी सामग्री साझा कर सकते हैं।

इसके अलावा, Zoho ने साफ किया है कि Arattai यूजर्स का व्यक्तिगत डेटा कभी भी मॉनिटाइज नहीं करेगा। यही वजह है कि भारतीय यूजर्स इस ऐप को काफी पसंद कर रहे हैं, क्योंकि वे प्राइवेसी को लेकर ज्यादा जागरूक हो चुके हैं।

Arattai ने पोस्ट किया, बना नंबर-1

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (Twitter) पर Arattai ने एक पोस्ट किया, जिसमें बताया गया कि अब वह ऐप स्टोर पर सोशल नेटवर्किंग प्लेटफॉर्म के तौर पर नंबर-1 ऐप बन गया है। यह उपलब्धि इस ऐप की तेजी से बढ़ती पॉपुलैरिटी को दर्शाती है, खासकर ऐसे वक्त में जब भारतीय यूजर्स विदेशी ऐप्स के बजाय स्वदेशी विकल्पों को ज्यादा पसंद कर रहे हैं।

OTP में आई दिक्कत, लेकिन जल्दी ही समाधान

जहां एक ओर Arattai ऐप की पॉपुलैरिटी बढ़ी है, वहीं कुछ यूजर्स ने OTP (वन टाइम पासवर्ड) के मिलने में देरी की समस्या भी उठाई। यह समस्या इतनी बढ़ गई कि कंपनी को खुद इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहना पड़ा कि वह इस समस्या का समाधान जल्द ही करेगी। इसके बाद, कंपनी ने इसे ठीक भी कर दिया और अब यह समस्या यूजर्स के लिए हल हो चुकी है।

और पढ़ें: Bareilly Violence News Update: “भूल गए सत्ता में कौन है?”… योगी के सख्त तेवर के बीच मौलाना तौकीर रजा समेत 39 की गिरफ्तारी

P Chidambaram ने 2008 मुंबई हमलों पर किया बड़ा खुलासा, बीजेपी ने किया तीखा पलटवार

0

P Chidambaram: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री पी चिदंबरम ने हाल ही में एक चौंकाने वाला बयान दिया है, जिसमें उन्होंने 2008 के मुंबई आतंकी हमलों के बाद पाकिस्तान पर सैन्य कार्रवाई न करने के फैसले के पीछे के कारणों का खुलासा किया। चिदंबरम का कहना है कि तत्कालीन यूपीए सरकार ने भारी अंतरराष्ट्रीय दबाव और विशेष रूप से अमेरिका की विदेश मंत्री कोंडोलीजा राइस के रुख को ध्यान में रखते हुए पाकिस्तान पर जवाबी कार्रवाई न करने का निर्णय लिया था।

और पढ़ें: Bihar Assembly Elections: जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती बिहार विधानसभा में उतारेंगे गोरक्षक प्रतिभागी

चिदंबरम ने एक प्रमुख समाचार चैनल से बातचीत करते हुए कहा, “जब हमला हुआ, तो मेरे मन में बदला लेने का विचार आया था, लेकिन सरकार ने सैन्य कार्रवाई न करने का निर्णय लिया।” उन्होंने बताया कि जब वह केंद्रीय गृह मंत्री के पद पर नियुक्त हुए, तो कोंडोलीजा राइस दो-तीन दिन बाद उनसे और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मिलने आईं थीं और स्पष्ट तौर पर युद्ध शुरू करने से मना किया था। चिदंबरम ने यह भी कहा कि यह एक गंभीर राजनीतिक निर्णय था, और उनकी बातों का बड़ा असर था।

अमेरिका के दबाव का खुलासा– P Chidambaram

चिदंबरम ने यह भी बताया कि कोंडोलीजा राइस ने उनसे और प्रधानमंत्री से कहा था कि वे पाकिस्तान के खिलाफ सैन्य कार्रवाई न करें। उन्होंने इस दौरान यह स्पष्ट किया कि उनके मन में बदले की भावना थी, लेकिन विदेश मंत्रालय और भारतीय विदेश सेवा (IFS) के प्रभाव के कारण सरकार ने पाकिस्तान के खिलाफ कोई शारीरिक कार्रवाई नहीं की। चिदंबरम ने स्वीकार किया कि पीएम और अन्य वरिष्ठ नेताओं के साथ इस पर चर्चा की गई, लेकिन अंततः यही निष्कर्ष निकला कि सैन्य कार्रवाई से परहेज किया जाए।

2008 में लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े दस पाकिस्तानी आतंकवादियों ने मुंबई में आतंक का तांडव मचाया था। इन हमलों में कुल 175 लोग मारे गए थे, और भारतीय सुरक्षा बलों ने अजमल कसाब सहित कुछ आतंकवादियों को पकड़ने में सफलता पाई थी। कसाब को बाद में 2012 में फांसी दे दी गई थी।

बीजेपी का तीखा पलटवार

चिदंबरम के इस बयान पर बीजेपी नेताओं ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि यह कुबूलनामा “बहुत कम और बहुत देर से” आया है। उन्होंने आरोप लगाया कि देश पहले से ही जानता था कि मुंबई हमलों को “विदेशी ताकतों के दबाव के कारण गलत तरीके से संभाला गया था।”

बीजेपी प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने इस मामले में सवाल उठाए और कहा कि चिदंबरम और उनकी सरकार ने पाकिस्तान के खिलाफ सैन्य कार्रवाई से क्यों बचने का फैसला किया। उन्होंने यह भी पूछा कि क्या तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने चिदंबरम पर दबाव डाला था। पूनावाला ने यह आरोप भी लगाया कि यूपीए सरकार अमेरिका के दबाव में आकर पाकिस्तान को ज्यादा सहानुभूति दे रही थी, जबकि भारत को अपनी सुरक्षा के लिए कड़े कदम उठाने चाहिए थे।

कांग्रेस पर आरोप

बीजेपी ने कांग्रेस पर और भी गंभीर आरोप लगाए। शहजाद पूनावाला ने दावा किया कि यूपीए सरकार ने न केवल पाकिस्तान को “क्लीन चिट” दी थी, बल्कि मुंबई हमलों और 2007 के समझौता एक्सप्रेस बम धमाकों पर भी उसे बिना सजा दिए छोड़ दिया था। इसके अलावा, उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि कांग्रेस ने “हिंदू आतंकवाद” की कहानी को बढ़ावा दिया और पाकिस्तान के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं की।

और पढ़ें: Chandra Shekhar Aazad Controversy: ‘आज तेरे नाम का ज़हर खाऊंगी’, सांसद चंद्रशेखर के खिलाफ डॉ. रोहिणी की पोस्ट से गरमाई सियासत

किडनी के लिए रामबाण हैं ये हर्ब्स, किडनी फेलियर का रिस्क होगा कम

0

Herbs beneficial for the kidneys: आज के समय मे लोगों का खान-पान इतना ख़राब हो चूका है कि हर किसी को किडनी से जुड़ी बीमारी हो रही है। लोग इसके लिए लोग कई तरह के उपचार करते है। लेकिन आयुर्वेद और पारंपरिक चिकित्सा में कई प्राकृतिक जड़ी-बूटियों को किडनी के स्वास्थ्य को बनाए रखने और गुर्दे की विफलता के जोखिम को कम करने के लिए उपयोगी माना जाता है। हालांकि, किसी भी हर्बल दवा को शुरू करने से पहले किसी योग्य चिकित्सक या आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श लेना बेहद ज़रूरी है। तो चलिए आपको इस लेख में किडनी को ठीक रखने के लिए आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी के बारे में विस्तार से बताते हैं।

जड़ी-बूटियाँ जो किडनी के लिए फायदेमंद

पुनर्नवा – इसे गुर्दे के लिए एक उत्कृष्ट कायाकल्पक माना जाता है। इसमें मूत्रवर्धक और सूजनरोधी गुण होते हैं, जो मूत्र प्रवाह को बढ़ाकर शरीर से अतिरिक्त तरल पदार्थ और विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करते हैं, जिससे किडनी पर दबाव कम होता है।

गोक्षुरा – माना जाता है कि यह मूत्र मार्ग के संक्रमण और गुर्दे की पथरी को रोकने में मददगार है। यह पेशाब के दौरान जलन को कम करने और गुर्दे के निस्पंदन में सुधार करने में मदद कर सकता है।

वरुण – यह एक प्राकृतिक मूत्रवर्धक जड़ी-बूटी भी है। जो कि मुख्य रूप से गुर्दे की पथरी को तोड़ने और बाहर निकालने में मदद करने के लिए जानी जाती है। वही तुलसी के पत्तों में एंटीऑक्सीडेंट होते हैं जो किडनी को ऑक्सीडेटिव तनाव से बचाने में मदद कर सकते हैं। यह किडनी स्टोन बनने के खतरे को रोकने में भी मददगार हो सकता है।

हल्दी में सक्रिय यौगिक करक्यूमिन होता है, जिसमें शक्तिशाली सूजनरोधी और एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं। यह सूजन को कम करने और किडनी को सुरक्षा प्रदान करने में मददगार हो सकता है। वही गिलोय भी किडनी के लिए फायदेमंद होती है इसमें एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं और इसे किडनी रोगों के इलाज में फायदेमंद माना जाता है।

किडनी के स्वास्थ्य के लिए सामान्य सुझाव

इन जड़ी-बूटियों के अलावा, किडनी के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए इन बातों का ध्यान रखना भी ज़रूरी है…जैसे पर्याप्त पानी पिएं खुद को हाइड्रेटेड रखना किडनी के लिए ज़रूरी है। पर्याप्त पानी पीने से किडनी विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में बेहतर काम करती है।

वही संतुलित खाना खाए ज़्यादा नमक, कम चीनी और प्रोसेस्ड फ़ूड वाले खाद्य पदार्थों से बचें। अपने आहार में फल, सब्ज़ियाँ और साबुत अनाज शामिल करें।

रक्तचाप और शर्करा के स्तर को नियंत्रित करें: उच्च रक्तचाप और अनियंत्रित मधुमेह गुर्दे की विफलता के मुख्य कारण हैं। इन्हें नियंत्रण में रखना अत्यंत आवश्यक है।

आपको बता दें, यदि आपको किडनी की बीमारी के कोई भी लक्षण दिखाई दें, तो तुरंत डॉक्टर से कंसल्ट करे। क्योंकि  प्राकृतिक उपचार केवल लाभकारी हो सकते हैं और इन्हें एलोपैथिक या अन्य चिकित्सा उपचारों के विकल्प के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए।

क्या Journalist Rajiv Pratap की मौत सच में हादसा थी या कुछ और? भ्रष्टाचार के खिलाफ आव...

0

Journalist Rajiv Pratap: उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के जाने-माने स्वतंत्र पत्रकार राजीव प्रताप का शव रविवार को जोशियाड़ा बैराज से बरामद कर लिया गया। राजीव पिछले दस दिनों से लापता थे। उनके लापता होने के बाद से कहा जा रहा था कि भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने पर उन्हें लगातार धमकियां मिल रही थीं। पुलिस और बचाव दल ने मिलकर उनकी तलाश में कई दिनों तक कड़ी मेहनत की। अब उनके शव मिलने के बाद परिवार और प्रशासन दोनों इस मौत की गहराई से जांच करने पर जोर दे रहे हैं।

और पढ़ें: Swami Chaitanyananda Saraswati की गिरफ्तारी के बाद खुला पाखंड का काला चिट्ठा, पासपोर्ट भी डबल, अपराध भी डबल!

लापता होने का रहस्य: 18 सितंबर की रात का सच- Journalist Rajiv Pratap

खबरों की मानें तो, राजीव प्रताप 18 सितंबर की रात अपने एक दोस्त सोबन सिंह की कार लेकर ज्ञानसू से गंगोरी की तरफ निकले थे। उनकी आखिरी बार कार में स्यूणा गांव के पास भागीरथी नदी के पास देखा गया था। अगली सुबह जब वे घर वापस नहीं लौटे, तो परिजनों ने पुलिस को सूचना दी। 19 सितंबर को पुलिस को सोबन सिंह की कार नदी के बीच क्षतिग्रस्त हालत में मिली, लेकिन कार के अंदर राजीव का कोई सुराग नहीं था। इस घटना ने परिवार के साथ-साथ पुलिस को भी चिंतित कर दिया और गुमशुदगी की तहरीर दर्ज कराई गई।

खोजबीन में जुटी पुलिस और बचाव दल

राजीव की तलाश में एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, क्यूआरटी, और स्थानीय पुलिस टीम ने गंगोरी से लेकर चिन्यालीसौड़ तक भागीरथी नदी में सर्च अभियान चलाया। साथ ही, आसपास के CCTV फुटेज भी खंगाले गए, लेकिन कोई ठोस जानकारी नहीं मिली। परिवार ने अधिकारियों से गुहार लगाई कि राजीव के खिलाफ इस इलाके में दुश्मनी रखने वाले कई लोग हैं, इसलिए उनकी सुरक्षा और खोजबीन में तेजी लाने की जरूरत है।

शव बरामदगी और पोस्टमार्टम

10 दिन की खोजबीन के बाद, रविवार की सुबह जोशियाड़ा बैराज के पास एक शव मिला। बचाव टीम ने नदी से शव को बाहर निकालकर पुलिस को सौंप दिया। शव की पहचान जिला अस्पताल में परिजनों ने की। इसके बाद सोमवार को केदार घाट पर राजीव का अंतिम संस्कार किया गया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार शव की पहचान हो चुकी है, लेकिन मौत के कारणों का पता लगाना अभी बाकी है।

मौत के पीछे क्या था सच?

राजीव की पत्नी मुस्कान ने बताया कि 16 सितंबर की रात लगभग 11 बजे उनकी आखिरी बातचीत हुई थी। उस दिन राजीव अस्पताल और एक स्कूल से जुड़ी रिपोर्टें अपलोड कर रहे थे, जिनसे जुड़ी अनियमितताओं की उन्होंने जानकारी साझा की थी। मुस्कान ने यह भी बताया कि वीडियो न हटाने पर उन्हें जान से मारने की धमकी मिली थी। उनका आखिरी मैसेज 11:50 बजे तक डिलीवर नहीं हुआ, जो इस मामले को और ज्यादा पेचीदा बनाता है।

पुलिस की प्रतिक्रिया और जांच जारी

पुलिस का कहना है कि यह घटना एक सड़क हादसा हो सकता है, क्योंकि कार नदी में मिली और शव भी उसी इलाके से बरामद हुआ। हालांकि, परिवार अभी भी हत्या और अपहरण की आशंका जताए हुए है। स्थानीय प्रशासन ने बताया है कि मामले की गहन और निष्पक्ष जांच जारी है और सभी पहलुओं को ध्यान में रखा जा रहा है।

मुख्यमंत्री और अन्य अधिकारियों की प्रतिक्रिया

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस घटना पर गहरा शोक जताया है और कहा है कि राजीव प्रताप की मौत की पूरी, पारदर्शी और निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। सूचना महानिदेशक बंशीधर तिवारी ने भी अपने संदेश में संवेदनाएं व्यक्त की हैं।

राजीव प्रताप कौन थे?

राजीव प्रताप उत्तराखंड के एक प्रतिष्ठित डिजिटल पत्रकार थे और उन्होंने IIMC दिल्ली से पत्रकारिता की शिक्षा प्राप्त की थी। वे “Delhi Uttarakhand Live” नामक डिजिटल चैनल के संस्थापक थे। वे स्थानीय स्तर पर अस्पतालों और सरकारी संस्थानों में चल रही अनियमितताओं की खबरें उजागर करते थे। उनके निधन से पत्रकारिता जगत में शोक की लहर दौड़ गई है।

और पढ़ें: Delhi Vasant Kunj Crime: वसंत कुंज के फर्जी बाबा चैतन्यानंद की करतूतें आईं सामने, यौन शोषण और वित्तीय घोटालों में घिरा, दिल्ली पुलिस के लिए बना सिरदर्द

Shardiya Navratri 2025: महाअष्टमी और महानवमी पर कन्या पूजन का खास महत्व, जानिए तारीखे...

0

Shardiya Navratri 2025: शारदीय नवरात्र का पर्व पूरे भारत में बड़े श्रद्धा और आस्था से मनाया जाता है। ये नौ दिन मां दुर्गा के अलग-अलग रूपों की पूजा के लिए समर्पित होते हैं, लेकिन महाअष्टमी और महानवमी के दिन विशेष माने जाते हैं। इस बार महाअष्टमी 30 सितंबर (मंगलवार) को और महानवमी 1 अक्टूबर (बुधवार) को पड़ रही है।

इन दोनों खास दिनों पर कन्या पूजन का महत्व सबसे ज़्यादा होता है। मान्यता है कि इस दिन छोटी कन्याओं में मां दुर्गा के नौ रूपों का वास माना जाता है। उन्हें आदरपूर्वक पूजने से जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है।

और पढ़ें: Dussehra 2025: इस बार गांधी जयंती पर जलेगा रावण! जानिए दशहरा 2025 की तारीख, मुहूर्त और परंपराएं

महाअष्टमी 2025: तिथि और कन्या पूजन मुहूर्त- Shardiya Navratri 2025

  • अष्टमी तिथि शुरू: 29 सितंबर को शाम 4:31 बजे
  • अष्टमी तिथि समाप्त: 30 सितंबर को शाम 6:06 बजे

महाअष्टमी के दिन कन्या पूजन के लिए कई शुभ मुहूर्त उपलब्ध हैं:

  • पहला मुहूर्त: सुबह 5:01 से 6:13 बजे तक
  • दूसरा मुहूर्त: सुबह 10:41 से दोपहर 12:11 बजे तक
  • अभिजीत मुहूर्त (सबसे खास): सुबह 11:47 से दोपहर 12:35 बजे तक

इस दिन की पूजा खासतौर पर मां महागौरी को समर्पित होती है। माना जाता है कि महागौरी देवी उज्ज्वलता, सौंदर्य और पवित्रता की प्रतीक हैं। जो भी भक्त सच्चे मन से इनकी आराधना करता है, उसके जीवन से दुख और परेशानियां दूर हो जाती हैं।

महानवमी 2025: तिथि और कन्या पूजन मुहूर्त

महानवमी का पर्व इस बार 1 अक्टूबर (बुधवार) को मनाया जाएगा। नवरात्रि का समापन भी इसी दिन कन्या पूजन के साथ होता है।

  • पहला मुहूर्त: सुबह 5:01 से 6:14 बजे तक
  • दूसरा मुहूर्त: दोपहर 2:09 से 2:57 बजे तक

महानवमी के दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। यह देवी दुर्गा का नौवां और अंतिम स्वरूप है। ‘सिद्धिदात्री’ यानी जो भक्तों को सिद्धियां, शक्तियां और मनचाही इच्छाएं पूरी करने का वरदान देती हैं। माना जाता है कि इनकी उपासना से साधक को आध्यात्मिक और सांसारिक दोनों तरह की सिद्धियां प्राप्त होती हैं।

ऐसे करें कन्या पूजन

महाअष्टमी और महानवमी दोनों दिन कन्या पूजन करने की परंपरा है। इसमें 2 साल से लेकर 10 साल तक की 9 कन्याओं को मां दुर्गा के 9 रूप मानकर पूजा की जाती है। साथ ही, एक बालक को भी भैरव रूप में आमंत्रित किया जाता है।

पूजन की विधि:

  1. कन्याओं को साफ-सुथरे तरीके से आमंत्रित करें और आसन पर बैठाएं।
  2. उनके पैर धोएं, माथे पर कुमकुम-चंदन लगाएं।
  3. उन्हें हलवा, पूरी, चने का भोग लगाएं और प्रेम से भोजन कराएं।
  4. भोजन के बाद दक्षिणा और उपहार दें।
  5. अंत में उनके पैर छूकर आशीर्वाद लें।

महाअष्टमी और महानवमी केवल देवी की आराधना के दिन नहीं हैं, बल्कि ये हमें नारी शक्ति की महत्ता, सम्मान और सेवा का भी संदेश देते हैं। कन्या पूजन न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि यह समाज को यह भी याद दिलाता है कि नारी में ही सृष्टि की शक्ति बसती है।

और पढ़ें: Navratri baby girl names: नवरात्रि के मौके पर अपनी नन्ही परी के लिए रखें देवी से प्रेरित ये नाम, यहां देखें लिस्ट