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Irfan Pathan vs Dhoni: इरफान पठान का ‘हुक्का’ बयान फिर चर्चा में, बोले – ...

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Irfan Pathan vs Dhoni: पूर्व भारतीय ऑलराउंडर इरफान पठान एक बार फिर चर्चा में हैं। वजह है उनका करीब 5 साल पुराना एक इंटरव्यू क्लिप, जो इन दिनों सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है। इस वीडियो में इरफान टीम इंडिया के उस दौर की बात कर रहे थे, जब एमएस धोनी टीम के कप्तान थे। इरफान ने इस बातचीत में मजाकिया अंदाज में यह कहा था कि टीम में उन्हीं खिलाड़ियों को ज्यादा मौके मिलते थे, जो धोनी के साथ हुक्का सेशन में शामिल होते थे। अब यह वीडियो फिर से इंटरनेट पर वायरल हो गया है और इसने क्रिकेट फैंस के बीच बहस छेड़ दी है।

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क्या है पूरा मामला? Irfan Pathan vs Dhoni

यह वायरल वीडियो इरफान पठान के एक पुराने इंटरव्यू का हिस्सा है जिसमें उन्होंने टीम सिलेक्शन को लेकर अपनी राय दी थी। उन्होंने बताया कि कैसे उन्हें 2008 की CB सीरीज के बाद टीम में सीमित मौके मिले। उन्होंने यह भी कहा कि मीडिया में उस वक्त खबरें आई थीं कि कप्तान धोनी उनकी गेंदबाजी से संतुष्ट नहीं थे।

इसी बातचीत के दौरान इरफान ने मजाक में कहा था कि “टीम में वही खिलाड़ी फिट बैठते थे जो हुक्का सेशन में शामिल होते थे।” हालांकि उस समय यह एक हल्की-फुल्की बात थी, लेकिन अब इसे सोशल मीडिया पर एक अलग संदर्भ में देखा जा रहा है।

धोनी के फैंस ने किया पलटवार

जैसे ही यह वीडियो फिर से वायरल हुआ, एमएस धोनी के फैंस भड़क गए। उन्होंने इरफान पठान पर आरोप लगाया कि वह धोनी की छवि को खराब करने की कोशिश कर रहे हैं। कुछ लोगों ने इसे सीधे तौर पर टीम चयन में पक्षपात का आरोप बताया, जबकि कईयों ने इरफान पर व्यक्तिगत हमला भी शुरू कर दिया।

पठान ने दी मजेदार सफाई

इस पूरे विवाद पर इरफान पठान ने भी सोशल मीडिया के जरिए अपनी चुप्पी तोड़ी। जब एक फैन ने मोहम्मद शमी के बर्थडे पोस्ट पर मजाक करते हुए पूछा – “पठान भाई, हुक्का का क्या हुआ?” तो इरफान ने हंसते हुए जवाब दिया – “मैं और एमएस धोनी साथ बैठकर पिएंगे।” उनका ये जवाब सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो गया और इसे एक तरह की हाजिरजवाबी और विनम्र सफाई के रूप में देखा गया।

बाद में X (पूर्व में ट्विटर) पर इरफान ने लिखा –

“ये इंटरव्यू आधे दशक पुराना है। इसे अब तोड़-मरोड़कर पेश किया जा रहा है। फैन वॉर? पीआर लॉबी?”

पठान का करियर और धोनी से तुलना

बता दें, इरफान पठान ने 2003 में भारत के लिए डेब्यू किया था और 2007 के T20 वर्ल्ड कप में फाइनल में पाकिस्तान के खिलाफ मैन ऑफ द मैच बने थे। उन्हें कपिल देव के बाद भारत का अगला तेज गेंदबाज ऑलराउंडर माना गया था, लेकिन लगातार चोटें और सीमित मौके उनके करियर के आड़े आ गए। उन्होंने 2012 में आखिरी इंटरनेशनल मैच खेला और 2020 में संन्यास ले लिया।

फैन बेस में बंटवारा

वहीं, इस वीडियो के दोबारा वायरल होने के बाद क्रिकेट फैंस दो धड़ों में बंट गए हैं एक वर्ग इरफान का समर्थन कर रहा है, जबकि दूसरा इसे धोनी के खिलाफ एजेंडा बता रहा है।

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GST Reform: GST का धमाका ऑफर: Creta, Punch और Dzire पर भारी कटौती, बाइक्स भी सस्ती

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GST Reform: कार और बाइक खरीदने की सोच रहे हैं तो ये खबर आपके लिए बहुत फायदेमंद साबित हो सकती है। GST काउंसिल की ताजा बैठक में वाहन सेक्टर को लेकर बड़ा फैसला लिया गया है, जिससे खासतौर पर आम लोगों को राहत मिलेगी। सरकार ने छोटी कारों और 350cc तक की बाइक्स पर टैक्स दर घटाकर 28% से 18% कर दी है। वहीं दूसरी ओर, लग्जरी SUV और बड़ी बाइक्स पर टैक्स दर बढ़ाकर 40% कर दी गई है।

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छोटी कारें अब होंगी और किफायती- GST Reform

अगर आप मारुति ऑल्टो, स्विफ्ट, वैगनआर या टाटा टियागो जैसी गाड़ियों के बारे में सोच रहे थे, तो अब आपका बजट थोड़ा और आसानी से बनेगा। क्योंकि 1200cc तक की पेट्रोल, CNG और हाइब्रिड कारों पर टैक्स में भारी कटौती की गई है।

आपको बता दें, डिजल गाड़ियों के लिए भी राहत दी गई है 1500cc तक की डीजल कारें जिनकी लंबाई 4 मीटर से कम है, उन पर भी अब सिर्फ 18% GST लगेगा। इसका सीधा फायदा मिडिल क्लास को होगा।

उदाहरण के लिए, अगर आप कोई 7 लाख रुपये की कार खरीदते हैं, तो करीब 60-70 हजार रुपये तक की बचत हो सकती है। मिड-साइज सेडान जैसे होंडा सिटी, हुंडई वरना, टोयोटा यारिस जैसी गाड़ियों पर भी 3% से 5% की राहत मिलेगी, जिससे 15 लाख की कार पर 45,000 से लेकर 75,000 रुपये तक का फर्क पड़ेगा।

बाइक चलाने वालों के लिए भी अच्छी खबर

छोटे बजट की बाइक्स जैसे होंडा शाइन, बजाज पल्सर, टीवीएस अपाचे, स्प्लेंडर प्लस आदि पर भी अब 10% तक कम टैक्स लगेगा। यानी 1 लाख की बाइक पर सीधा 10 हजार रुपये तक की राहत मिल सकती है।

यहां तक कि रॉयल एनफील्ड क्लासिक 350 भी इस रेंज में आती है, जिसकी कीमत करीब 20,000 रुपये तक कम हो सकती है। जो लोग पहली बार बाइक लेने की सोच रहे हैं या पुरानी बाइक बदलना चाहते हैं, उनके लिए यह सही मौका हो सकता है।

लग्जरी गाड़ियों पर बढ़ा बोझ

लेकिन अगर आप बड़ी SUV या प्रीमियम बाइक्स खरीदने का प्लान बना रहे हैं, तो अब जेब थोड़ी ज्यादा ढीली करनी पड़ेगी। क्योंकि सरकार ने इन पर टैक्स दर सीधे 40% तक पहुंचा दी है।

टोयोटा फॉर्च्यूनर, महिंद्रा XUV700 (हाई एंड वेरिएंट), एमजी ग्लॉस्टर और जीप कम्पास जैसी गाड़ियां अब 10% से 12% तक महंगी हो सकती हैं।

बाइक्स की बात करें तो KTM 390, Harley Davidson, Triumph और Royal Enfield 650cc जैसी प्रीमियम बाइक्स अब और ज्यादा महंगी होंगी। उदाहरण के तौर पर 3.6 लाख की रॉयल एनफील्ड 650 अब 4 लाख रुपये के पार जा सकती है।

सरकार का मकसद क्या है?

सरकार का फोकस साफ है आम आदमी के लिए गाड़ी खरीदना आसान बनाना, और लग्जरी गाड़ियों से ज्यादा टैक्स लेकर राजस्व में बढ़ोतरी करना। इससे मिडिल क्लास को तो राहत मिलेगी ही, साथ ही इकोनॉमिकल और पर्यावरण के अनुकूल गाड़ियों को भी बढ़ावा मिलेगा।

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Mitesh Khapra Success story: कौन हैं मितेश खापरा? टाइम मैग्जीन ने AI के क्षेत्र में ट...

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Mitesh Khapra Success story: हर साल वर्ल्ड फेमस अमेरिकी मैग्जीन टाइम (Time Magazine) मैग्जीन दुनिया के 100 सबसे ज्यादा प्रतिभाशाली(100 most influential people) लोगों की लिस्ट निकालती है। इन मैगजीन में राजनीति, कला, तकनीक के साथ साथ अन्य क्षेत्रों से जुड़े लोगों को भी शामिल किया जाता है। टाइम मैग्जीन ने साल 2025 के लिए भी टॉप 100 सबसे प्रतिभाशाली व्यक्ति की लिस्ट जारी की है। जिसमे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump), बिजनेसमैन एलन मस्क(Elon musk), सैम ऑल्टमैन(Sam Altman),  बांग्लादेश के अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनिस(mohammad yunis) इस सभी को जगह दी गई। लेकिन उन नामों में सबसे ज्यादा जो जाम हैरान करता है वो है भारत के मितेश खपरा( Who is mitesh khapra)।

मितेश खपरा एक प्रतिभाशाली व्यक्ति है लेकिन उन्हें वो पहचान हासिल नहीं हुई थी लेकिन इस लिस्ट के सामने आने से मितेश खपरा की चर्चा पूरी दुनिया में हो रही है। सोशल मीडिया पर केवल वहीं छाए हुए है। ऐसे में सवाल ये उतना है कि कौन है मितेश खपरा, जिन्हें टाइम मैग्जीन ने भी दे दी गई जगह।

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कौन है मितेश खपरा Who is mitesh khapra

मितेश खापरा भारतीय कंप्यूटर साइंस और आईआईटी मद्रास(Indian Computer Science and IIT Madras) में बतौर एसोसिएट प्रोफेसर कार्यरत हैं। आईआईटी बॉम्बे से पीएचडी और एमटेक किया है। मितेश को उनकी रिसर्च के लिए आईबीएम पीएचडी फेलोशिप, माइक्रोसॉफ्ट राइजिंग स्टार अवार्ड और गूगल फैकल्टी रिसर्च अवार्ड से नवाजा गया है। मितेश को इस लिस्ट में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में भारतीय भाषाओं को नैचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग (NATURAL LANGUAGE PROCESSING) में कार्य करने के लिए शामिल किया गया है। उन्होंने भारतीय भाषाओं के लिए AI आधारित टूल्स और चैटबॉट बनाया है। मितेश ने आईबीएम रिसर्च इंडिया में मशीन ट्रांसलेशन(Machine Translation) और डीप लर्निंग पर शोध किया। मितेश ने भारतीय भाषाओं को इंग्लिश भाषा के बराबर खड़ा करने के लिए 22 भाषाओं पर मुख्यतः काम किया और करीब 500 जिलों में घूम घूम कर घंटो तक भाषा को रिकॉर्ड करके उन पर शोध किया और 22 भाषाओं को एआई भाषा में जगह दिलाने का काम किया है।

AI4Bharat के संस्थापक Founder of AI4Bharat 

मितेश ने 2019 में AI4Bharat की स्थापना की थी। AI4Bharat सरकार की Bhashini परियोजना में करीब 80 प्रतिशत तक डाटा मुहैया कराती है। इसके जरिए भारतीय भाषा में डिजीटल सेवाए आसानी से उपलब्ध हो सकती है। मितेश के शोध के कारण सुप्रीम कोर्ट में दस्तावेज अनुवाद(document translation) और किसानों के लिए वॉइस बॉट जो किसानों को मिलने वाली सभी तरह की सब्सिडी से जुड़ी जानकारी उनकी ही भाषा में मुहैया कराती है।

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रितेश खापरा का लक्ष्य

रितेश खापरा के अनुसार उन्होंने करीब 15 साल पहले ये पाया था कि पहले जब भी पीएचडी या अन्य तकनीक के क्षेत्रों में पढ़ाई होती थी तो वो केवल इंग्लिश में होती थी, या फिर उसका डाटाबेस भी इंग्लिश में ही मुहैया होता था, रितेश ये समझ चुके थे कि अगर हिंदी को आगे बढ़ाना है तो उन्हें ऐसे टूल पर काम करना होगा, जो भारतीय भाषाओं में जानकारी मुहैया कराये। और एआई के आने के बाद उनकी शोध को नए पंख मिले। उन्होंने गांव गांव जाकर 22 मुख्य भाषाओं पर शोध किया और उसका डाटाबेस तैयार किया, जो आज लगभग सभी के काम आ रहा है। उनका ये शोध वाकई में एआई की दुनिया में खासकर भारत में एक क्रांति के समान है।

 

Punjab Flood: रावी ने डुबोया पंजाब, सतलुज-घग्गर भी हुई बेकाबू, पंजाब पर टूटा बाढ़ का ...

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Punjab Flood: पंजाब इस वक्त बाढ़ की भयानक मार झेल रहा है। राज्य के सभी 23 जिले पानी-पानी हो चुके हैं और हालात दिन-ब-दिन गंभीर होते जा रहे हैं। बाढ़ की चपेट में अब तक 1655 गांव आ चुके हैं, जबकि करीब 3.55 लाख लोग सीधे तौर पर प्रभावित हुए हैं। हालात को देखते हुए सरकार ने राज्य को आपदा प्रभावित क्षेत्र घोषित कर दिया है।

वहीं बाढ़ के कारण अब तक 37 लोगों की जान जा चुकी है और सैकड़ों परिवारों को घर छोड़कर राहत शिविरों में शरण लेनी पड़ी है। बाढ़ की वजह से रोजमर्रा की जिंदगी पूरी तरह से अस्त-व्यस्त हो गई है।

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स्कूल-कॉलेज बंद, प्रशासन अलर्ट- Punjab Flood

लोगों की सुरक्षा और स्थिति को नियंत्रण में लाने के मकसद से राज्य सरकार ने ऐहतियात के तौर पर पंजाब के सभी सरकारी, सहायता प्राप्त, निजी और मान्यता प्राप्त स्कूल, कॉलेज, यूनिवर्सिटी और पॉलिटेक्निक संस्थानों को 7 सितंबर 2025 तक बंद रखने का आदेश जारी किया है।

बर्बाद हुई किसानों की मेहनत

इस बाढ़ का सबसे बड़ा असर कृषि पर पड़ा है। करीब 1.75 लाख हेक्टेयर जमीन पर खड़ी फसल बर्बाद हो चुकी है। इससे किसानों को बड़ा आर्थिक झटका लगा है। कई जगह तो खेतों में इतना पानी भर गया है कि अगले कुछ हफ्तों तक वहां दोबारा खेती की संभावना भी मुश्किल लग रही है।

राहत और बचाव का काम जारी

प्रशासन, एनडीआरएफ और लोकल वॉलंटियर टीमें लगातार राहत और बचाव कार्य में जुटी हैं। अब तक 19,474 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा चुका है। लेकिन बहुत से इलाके अभी भी पानी से घिरे हुए हैं, जहां राहत पहुंचाने में दिक्कत आ रही है।

फरीदकोट में मकान गिरने की घटनाएं

फरीदकोट जिले के कई गांवों में हालात और भी खराब हैं। पिछले कुछ दिनों की लगातार बारिश ने कई घरों को गिरा दिया है। छह मकानों की छतें गिर चुकी हैं, जिसमें लोगों की जान तो बच गई लेकिन घरों का सामान पूरी तरह तबाह हो गया।

कोटकपूरा के जैतो रोड पर एक गरीब मजदूर के घर की छत गिरने की घटना सामने आई है। परिवार ने किसी तरह जान बचाई, लेकिन नुकसान के बाद सरकार से मुआवजे की मांग कर रहे हैं।

रावी दरिया ने मचाई सबसे ज्यादा तबाही

आपको बता दें, पंजाब के गवर्नर ने पठानकोट का दौरा किया और बाढ़ से सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों का जायजा लिया। उन्होंने बताया कि पठानकोट, गुरदासपुर और अमृतसर सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। इनमें से पठानकोट के कुछ गांवों में पूरी की पूरी आबादी बेघर हो चुकी है।

रावी नदी में अचानक जलस्तर बढ़ने से हालात और बिगड़े हैं। गवर्नर ने यह भी कहा कि प्रभावित जिलों की पूरी रिपोर्ट केंद्र सरकार को भेज दी गई है।

नुकसान का आकलन होगा जलस्तर घटने के बाद

पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा है कि जैसे ही पानी का स्तर घटेगा, सरकार नुकसान का आंकलन करेगी और जरूरतमंदों को हरसंभव मदद दी जाएगी। अधिकारियों का मानना है कि इन्फ्रास्ट्रक्चर और आर्थिक नुकसान का सही अंदाजा तभी लगाया जा सकता है जब पानी उतरने लगेगा।

फिलहाल हजारों करोड़ रुपये के नुकसान की बात सामने आ रही है।

नदियों का उफान जारी

हालांकि, सतलुज और घग्गर नदी अब भी उफान पर हैं। वहीं, माधोपुर हैडवर्क से पानी छोड़े जाने के कारण रावी का जलस्तर दोबारा बढ़ गया है, जिससे आस-पास के इलाकों में और खतरा बढ़ गया है।

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GST में बड़ा बदलाव: रोजमर्रा की 100+ चीजें सस्ती, तंबाकू-लक्ज़री पर टैक्स बढ़ा, देखें...

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GST 2.0: नई दिल्ली में बुधवार को जीएसटी काउंसिल की 56वीं बैठक में एक बड़ा फैसला लिया गया है, जो आम आदमी से लेकर किसान, दुकानदार और छोटे उद्यमियों तक सभी के लिए राहत लेकर आया है। त्योहारों से पहले सरकार ने देशवासियों को ‘प्री-दिवाली गिफ्ट’ देते हुए 100 से ज्यादा चीजों पर जीएसटी घटा दिया है। इसका सीधा फायदा उपभोक्ताओं को मिलेगा और रोजमर्रा की जिंदगी में इस्तेमाल होने वाली कई चीजें अब सस्ती हो जाएंगी।

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इन बदलावों का असर 22 सितंबर 2025 से दिखने लगेगा, जब ये नए टैक्स स्लैब लागू होंगे। आईए जानते हैं क्या हुआ सस्ता-महंगा:

खाने-पीने की चीजें हुईं सस्ती- GST 2.0

इस बार खाने-पीने के सामान पर सबसे ज्यादा राहत दी गई है। वनस्पति तेल, घी, मक्खन, मांस-मछली जैसे जरूरी फूड आइटम्स पर टैक्स घटाया गया है। पनीर और छेना जैसे डेयरी प्रोडक्ट्स अब पूरी तरह टैक्स फ्री होंगे। चॉकलेट, पास्ता, बिस्कुट, नूडल्स, मिठाइयां, फलों का रस, नारियल पानी जैसी चीजों पर भी टैक्स 12%-18% से घटाकर 5% कर दिया गया है।

वहीं, पैक्ड रोटी, चपाती, खाखरा, पिज्जा ब्रेड पर अब कोई टैक्स नहीं लगेगा। ये उन लोगों के लिए राहत है जो रेडी-टू-ईट फूड पर निर्भर रहते हैं।

घरेलू सामान और पर्सनल केयर प्रोडक्ट्स पर राहत

इसके अलावा, शैंपू, टूथपेस्ट, हेयर ऑयल, शेविंग क्रीम, टैल्कम पाउडर जैसे रोजमर्रा के उपयोग के उत्पाद अब 18% की जगह सिर्फ 5% टैक्स स्लैब में आ गए हैं। टूथब्रश, इरेज़र, सिलाई मशीन, सिलाई सुई, टॉयलेट साबुन जैसी चीजें भी अब सस्ती होंगी।

बच्चों के नैपकिन, डायपर और स्टूडेंट्स की नोटबुक, प्रैक्टिस बुक, पेंसिल, शार्पनर, चॉक जैसी शैक्षिक वस्तुओं को भी टैक्स फ्री कर दिया गया है।

इलेक्ट्रॉनिक्स और किचन अप्लायंसेज पर राहत

एसी, वॉशिंग मशीन, टीवी, प्रोजेक्टर जैसे इलेक्ट्रॉनिक प्रोडक्ट्स पर टैक्स 28% से घटाकर 18% कर दिया गया है। इससे मिडल क्लास के लिए ये चीजें खरीदना थोड़ा आसान हो जाएगा।

किसानों को भी फायदा

किसानों को बड़ी राहत देते हुए सरकार ने खेती-किसानी में इस्तेमाल होने वाली मशीनें, स्प्रिंकलर, बायो-फर्टिलाइजर, ट्रैक्टर के टायर और पंप, ड्रिप इरिगेशन जैसी कृषि उपकरणों पर टैक्स कम करके 5% कर दिया गया है। इससे खेती की लागत घटेगी और किसानों को सीधा फायदा मिलेगा।

हेल्थकेयर पर भी राहत

आपको बता दें, सरकार ने स्वास्थ्य क्षेत्र में भी बड़ा कदम उठाया है। अब हेल्थ और टर्म इंश्योरेंस पर कोई टैक्स नहीं लगेगा। मेडिकल डिवाइसेज जैसे थर्मामीटर, डायग्नोस्टिक किट, ग्लूकोमीटर, मेडिकल ऑक्सीजन, दस्ताने जैसी चीजों पर टैक्स घटाकर 5% कर दिया गया है।

कुछ दवाओं और दुर्लभ बीमारियों की खास दवाओं को पूरी तरह से टैक्स फ्री कर दिया गया है।

क्या हुआ महंगा?

हालांकि जहां आम चीजें सस्ती की गई हैं, वहीं कुछ लग्जरी और हानिकारक चीजों पर टैक्स बढ़ा दिया गया है।

खबरों की मानें तो, सिगरेट, तंबाकू, सिगार पर टैक्स 28% से बढ़ाकर 40% कर दिया गया है। कैफीन युक्त और फ्लेवर्ड ड्रिंक भी अब महंगे हो जाएंगे।

इसके अलावा, बड़ी एसयूवी, रेसिंग कारें, लक्जरी गाड़ियां अब 40% टैक्स स्लैब में चली गई हैं। इसी तरह क्रिकेट मैच के टिकट पर भी टैक्स बढ़कर 18% हो गया है।

कैसीनो, रेस क्लब और सट्टेबाजी पर भी टैक्स अब 40% हो गया है।

कपड़े और फैशन आइटम्स पर क्या असर पड़ा?

₹2,500 तक के रेडीमेड कपड़े अब 5% टैक्स स्लैब में आ गए हैं, जबकि इससे ऊपर के रेडीमेड पर टैक्स 18% होगा। सिंथेटिक धागा, सिलाई फाइबर, स्टेपल फाइबर जैसी चीजें अब 5% टैक्स के दायरे में हैं।

अन्य चीजें जो सस्ती हुईं

  • सोलर कुकर, सौर पैनल, बायोगैस यूनिट्स – 12% से 5%
  • हैंडक्राफ्ट आइटम्स, मूर्तियां, पेपरबोर्ड, आर्ट पीस – 12% से 5%
  • सिनेमा टिकट (₹100 से कम), होटल रूम (₹7,500/दिन से कम) – अब सिर्फ 5% टैक्स

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पितृ पक्ष में चंद्रग्रहण का दुर्लभ संयोग, विशेष पूजा से मिलेगा पितरों का आशीर्वाद

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Pitru Paksha 2025: पितृ पक्ष, जिसे श्राद्ध पक्ष भी कहा जाता है, हिंदू धर्म में पूर्वजों को समर्पित पंद्रह दिनों का एक महत्वपूर्ण काल ​​है। यह भाद्रपद पूर्णिमा से शुरू होकर आश्विन अमावस्या तक चलता है, जिसे ‘सर्वपितृ अमावस्या’ या ‘महालय’ भी कहा जाता है। इस दौरान लोग अपने दिवंगत पूर्वजों की आत्मा की शांति और मोक्ष के लिए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान जैसे अनुष्ठान करते हैं। लेकिन क्या आप जानते है इस साल पितृ पक्ष कब से शुरू है अगर नहीं तो चलिए आपको इस लेख में विस्तार से बताते हैं।

पितृ पक्ष 2025: तिथि और श्राद्ध

पितृ पक्ष हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से शुरू होकर आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तक चलता है। यह 15 दिवसीय अवधि भाद्रपद पूर्णिमा से आश्विन अमावस्या तक चलती है, जिसमें लोग अपने पूर्वजों के प्रति श्रद्धा और सम्मान व्यक्त करते हैं। यह समय विशेष रूप से उन लोगों के लिए आरक्षित है जिनके पूर्वज इस दुनिया से विदा हो चुके हैं।

चंद्र ग्रहण का दुर्लभ संयोग

  • पितृ पक्ष 7 सितंबर 2025 को भाद्रपद पूर्णिमा के दिन से शुरू हो रहा है और उसी दिन पूर्ण चंद्र ग्रहण भी लग रहा है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, चंद्र ग्रहण और पितृ पक्ष का एक साथ होना एक विशेष योग है, जिसे पितृ पूजन के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।
  • यह चंद्र ग्रहण भारत में दिखाई देगा, इसलिए इसका सूतक काल भी मान्य होगा। सूतक काल 7 सितंबर को दोपहर लगभग 12:57 बजे से शुरू होगा और ग्रहण के साथ ही समाप्त होगा।
  • ग्रहण काल ​​में श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान जैसे कर्मकांड वर्जित होते हैं। इसलिए जिन लोगों का श्राद्ध पूर्णिमा तिथि पर पड़ता है, उन्हें सूतक काल शुरू होने से पहले, यानी दोपहर 12:57 बजे से पहले अपने सभी पितृ कार्य संपन्न कर लेने चाहिए।

पितृ पूजन के लिए यह सबसे शुभ समय क्यों है?

आपको बता दें, धार्मिक और ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार, ग्रहण के समय किए गए पूजा-पाठ, जप, तप और दान का महत्व कई गुना बढ़ जाता है। साथ ही पितृ पक्ष जैसे पवित्र काल में ग्रहण लगने पर पितरों की आत्मा की शांति के लिए किए गए कर्मों का फल भी कई गुना बढ़ जाता है।

मान्यता है कि इस दुर्लभ संयोग में पितरों की पूजा और उनके निमित्त दान-पुण्य करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है और पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इसके अलावा, इस वर्ष पितृ पक्ष के समापन दिवस, 21 सितंबर को सूर्य ग्रहण भी लगेगा। इस प्रकार, पितृ पक्ष का आरंभ और अंत दोनों ही ग्रहण के संयोग में हो रहे हैं, जो इस काल को और भी विशेष बनाता है।

तीर्थस्थल या नदी के तट पर श्राद्ध करें 

साथ ही किसी दूसरे की ज़मीन पर श्राद्ध कर्म नहीं करना चाहिए। यदि यह संभव न हो, तो किसी मंदिर, तीर्थस्थल या नदी के तट पर श्राद्ध कर्म किया जा सकता है। हालाँकि पितृ पक्ष के दौरान पितरों के नाम पर गरीबों और ज़रूरतमंदों को दान देना अत्यंत पुण्यकारी माना जाता है। इसके घर में सुख शांति बनी रहती है साथ पितृ देवताओ का भी आशीर्वाद प्रप्ता होता है।

Abhishek Bachchan को दामाद बनाना चाहती थीं हेमा, Esha Deol ने ठुकराया था मां का सपना

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Hema Malini old video: ईशा देओल और भरत तख्तानी की शादी को लोग बॉलीवुड की परफेक्ट फैमिली माने बैठे थे, लेकिन 12 साल बाद ये रिश्ता टूट गया। अब जब सब कुछ शांत लगने लगा था, भरत तख्तानी की एक इंस्टाग्राम स्टोरी ने पुराने ज़ख्म फिर से ताज़ा कर दिए।

उन्होंने मेघा लखानी के साथ एक प्यारी सी तस्वीर शेयर की। इस तस्वीर के साथ उन्होंने एक दिल वाला इमोजी भी शेयर किया और लिखा, ‘मेरे परिवार में आपका स्वागत है’। बस फिर क्या था, सोशल मीडिया पर गॉसिप का तड़का लग गया। लोग कहने लगे, क्या भरत अब अपनी जिंदगी में किसी नए चैप्टर की शुरुआत कर चुके हैं?

इधर ईशा तो चुप रहीं, लेकिन उनकी मां हेमा मालिनी का एक पुराना वीडियो फिर से वायरल हो गया जिसमें वो कह रही हैं, “मैं तो चाहती थी कि ईशा की शादी अभिषेक बच्चन से हो!” आईए जानते हैं इस पूरे किस्से के बारे में विस्तार से।

और पढ़ें: Mrunal Thakur Controversy: मृणाल ठाकुर की जुबान फिर फिसली? अनुष्का शर्मा के फैंस ने सोशल मीडिया पर लगाई क्लास

हेमा मालिनी चाहती थीं कि ईशा करें अभिषेक से शादी- Hema Malini old video

दरअसल हेमा मालिनी ने सालों पहले एक टॉक शो में यह बात कही थी कि वह चाहती थीं कि ईशा की शादी अभिषेक बच्चन से हो। उनका मानना था कि अभिषेक अच्छे इंसान हैं और एक परफेक्ट लाइफ पार्टनर हो सकते हैं। शो में हेमा ने कहा था कि उन्होंने और धर्मेंद्र ने अमिताभ और जया बच्चन के साथ फिल्में की हैं और दोनों परिवारों के बीच अच्छी बॉन्डिंग है, इसलिए उन्हें अभिषेक पसंद थे।

 

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ईशा ने क्यों ठुकराया मां का सुझाव?

इस बारे में जब ईशा से पूछा गया तो उन्होंने एक इंटरव्यू में बहुत सहजता से जवाब दिया। ईशा ने कहा, “मेरी मां बहुत प्यारी हैं। उन्होंने अभिषेक का नाम इसलिए लिया क्योंकि वो उस समय सबसे एलिजिबल बैचलर थे। लेकिन मैं अभिषेक को कभी उस नजर से देख ही नहीं सकी। मेरे लिए वो बड़े भाई जैसे हैं।” ईशा ने हंसते हुए कहा, “सॉरी मॉम, लेकिन ये रिश्ता मुमकिन नहीं था।”

 

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विवेक ओबेरॉय की चर्चा भी आई थी सामने

खबरें ये भी थीं कि हेमा मालिनी कभी विवेक ओबेरॉय को भी दामाद बनाने की सोच रही थीं। लेकिन ईशा ने इस बात को साफ नकारते हुए कहा, “मां के मन में कई ख्याल आते थे, लेकिन विवेक तो बिल्कुल भी नहीं। वो मेरे टाइप के नहीं हैं।”

12 साल की शादी का अंत

आपको बता दें, ईशा और भरत की शादी साल 2012 में धूमधाम से हुई थी। दोनों ने करीब 12 साल साथ बिताए और इस रिश्ते से दो बेटियां राध्या और मिराया हुईं। 2024 में जब दोनों ने अलग होने का फैसला लिया तो उन्होंने एक जॉइंट स्टेटमेंट में कहा, “हम आपसी सहमति से अलग हो रहे हैं। लेकिन हमारे बच्चों की भलाई और परवरिश हमारे लिए सबसे ज़रूरी है। कृपया हमारी प्राइवेसी का सम्मान करें।”

क्या अब दोनों अपनी-अपनी राह पर हैं?

वहीं, भरत की हालिया पोस्ट देखकर तो यही लगता है कि वह अपनी जिंदगी में आगे बढ़ चुके हैं और अब शायद किसी नए रिश्ते की शुरुआत कर रहे हैं। वहीं ईशा अब तक इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन उनका ध्यान अब अपनी बेटियों और करियर पर केंद्रित है।

सोशल मीडिया पर यूज़र्स की प्रतिक्रिया

सोशल मीडिया पर जहां कुछ लोगों ने भरत को ट्रोल किया, वहीं कुछ ने उन्हें सपोर्ट भी किया कि तलाक के बाद दोनों को अपनी-अपनी जिंदगी जीने का पूरा हक है।

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BRS MLC Kavitha Suspended: राजनीति में रिश्तों की बलि,  केसीआर ने बेटी कविता को पार्ट...

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BRS MLC Kavitha Suspended: तेलंगाना की राजनीति में उस वक्त भूचाल आ गया जब बीआरएस (भारत राष्ट्र समिति) के संस्थापक और पूर्व मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव (केसीआर) ने अपनी ही बेटी के कविता को पार्टी से निलंबित कर दिया। लंबे समय से चल रहा पारिवारिक झगड़ा अब खुलकर सामने आ गया है और यह मुद्दा सिर्फ एक पारिवारिक विवाद नहीं, बल्कि एक राजनीतिक संकट बनता जा रहा है। आईए समझते हैं पूरा मामला विस्तार से।

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कविता पर क्यों गिरी गाज? BRS MLC Kavitha Suspended

पार्टी महासचिवों टी. अरविंद राव और सोमू भारत कुमार ने आधिकारिक बयान में कहा कि पार्टी विरोधी गतिविधियों और अनुशासनहीनता के चलते केसीआर ने यह फैसला लिया। उन्होंने साफ कहा कि कविता के हालिया बयानों और आरोपों से पार्टी की साख को नुकसान हो रहा है और बीआरएस इस तरह की हरकतों को बर्दाश्त नहीं करेगा।

कविता पर सबसे ताजा आरोप उनके चचेरे भाइयों टी. हरीश राव (पूर्व मंत्री) और संतोष कुमार (राज्यसभा सांसद) के खिलाफ बयानबाज़ी का है। कविता ने इन्हें और पूर्व राज्यसभा सदस्य मेघा कृष्ण रेड्डी को केसीआर की छवि खराब करने की साजिश में शामिल बताया और आरोप लगाया कि ये सभी मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी की मौन सहमति से काम कर रहे हैं।

कालेश्वरम प्रोजेक्ट और सीबीआई जांच

तेलंगाना की मौजूदा सरकार ने बीआरएस शासनकाल की महत्वाकांक्षी कालेश्वरम सिंचाई परियोजना में कथित भ्रष्टाचार की सीबीआई से जांच कराने का फैसला लिया है। कविता का कहना है कि उनके पिता के खिलाफ जो आरोप लग रहे हैं, वो उन्हीं लोगों के कारण हैं जिन्होंने उनका नाम लेकर अपने फायदे के लिए सिस्टम का दुरुपयोग किया। उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं से पूछा कि उन्हें सोचना चाहिए, आखिर केसीआर पर भ्रष्टाचार के आरोप क्यों लगे?

कविता का आरोप है कि हरीश राव, जो उस प्रोजेक्ट के दौरान सिंचाई मंत्री थे, और संतोष कुमार, दोनों ने केसीआर की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाया। उनका कहना है कि अगर ऐसे लोगों को पार्टी में जगह मिलती रही, तो बीआरएस का भविष्य अंधकारमय है।

लगातार हो रही दूरी

ये विवाद एक दिन में नहीं उभरा। बीते कुछ महीनों में कविता और पार्टी नेतृत्व के बीच की दूरी साफ देखी जा सकती थी। अगस्त में कविता को तेलंगाना बोग्गू गनी कार्मिक संघम के मानद अध्यक्ष पद से भी हटा दिया गया था। उन्होंने इसे राजनीतिक साजिश बताया और तब से वह पार्टी नेतृत्व के खिलाफ खुलकर बोलने लगीं।

रक्षाबंधन जैसे पारिवारिक त्योहार पर भी इस दूरी की झलक मिली। खबरें थीं कि कविता इस साल अपने भाई केटीआर को राखी नहीं बांध पाईं। जब मीडिया ने सवाल किया तो पहले उन्होंने हामी भरी, लेकिन फिर बताया कि केटीआर शहर में नहीं थे।

बीते विवाद और कविता की नाराज़गी

मई 2025 में कविता ने अपने पिता केसीआर को छह पन्नों का एक लंबा पत्र लिखा था, जो लीक हो गया। इसमें उन्होंने केटीआर पर पार्टी को बीजेपी में मिलाने की कोशिश करने और खुद को बाहर करने की साजिश का आरोप लगाया था। उन्होंने केसीआर को “शैतानों से घिरा भगवान” कहा और अपनी 2019 की चुनावी हार के लिए पार्टी के नेताओं को जिम्मेदार ठहराया।

शराब घोटाले से लेकर राजनीतिक सक्रियता तक

आपको बता दें, मार्च 2024 में कविता को दिल्ली शराब घोटाले में ईडी ने गिरफ्तार किया था। उन पर आरोप है कि उन्होंने अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया के साथ मिलकर ₹100 करोड़ की रिश्वत के लेनदेन में भूमिका निभाई थी। अगस्त 2024 में उन्हें जमानत मिल गई, जिसके बाद से वह दोबारा सक्रिय हो गईं।

कविता का राजनीतिक सफर

करीमनगर में जन्मी कविता ने अमेरिका से पढ़ाई की है और विदेश से लौटकर तेलंगाना आंदोलन में हिस्सा लिया। 2014 में वह निजामाबाद से सांसद बनीं और राज्य की प्रमुख महिला नेताओं में शामिल हो गईं। 2019 में चुनाव हारने के बाद वह एमएलसी बनीं।

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India-Trump relations: भड़के हुए हैं भारतीय, ट्रंप को देश में ही झेलनी पड़ रही फजीहत

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India-Trump relations: भारत पर भारी-भरकम टैरिफ लगाने के बाद अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप चौतरफा आलोचनाओं से घिर गए हैं। जानकारों ने उनके इस कदम को “रणनीतिक गलती” बताया है और साफ कहा है कि इस तरह के फैसले भारत जैसी उभरती हुई वैश्विक शक्ति पर कोई खास असर नहीं डालने वाले।

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मामला रूस से तेल खरीद को लेकर है, जिसके चलते ट्रंप प्रशासन ने भारत पर कुल 50 प्रतिशत टैरिफ (25% + 25%) लगा दिया था। साथ ही भारत पर रूसी तेल खरीदने के लिए जुर्माना भी लगाया गया। लेकिन यह दांव अब उल्टा पड़ता नजर आ रहा है।

“यह हमारी बड़ी भूल थी” – जॉन मेरशीमर: India-Trump relations

अंतरराष्ट्रीय मामलों के जाने-माने विशेषज्ञ और शिकागो यूनिवर्सिटी में पॉलिटिकल साइंस के प्रोफेसर जॉन मेरशीमर ने ट्रंप के इस कदम पर दो टूक टिप्पणी की है। उन्होंने कहा:

“यह हमारी तरफ से बड़ी भूल है। भारत पर लगाए गए प्रतिबंध बेअसर साबित होंगे। भारतीयों ने साफ कर दिया है कि वे रूस से तेल खरीदना बंद नहीं करेंगे। भारतीय झुकने वाले नहीं हैं।”

मेरशीमर ने यह भी याद दिलाया कि जब जनवरी में ट्रंप दोबारा व्हाइट हाउस पहुंचे, उस वक्त भारत-अमेरिका के रिश्ते बहुत मजबूत थे। अमेरिका की विदेश नीति में भी भारत को चीन के मुकाबले रणनीतिक साझेदार के रूप में देखा जा रहा था। लेकिन ट्रंप के फैसलों ने दोनों देशों के रिश्तों में खटास ला दी है।

भारत नाराज़, मोदी ने ट्रंप के कॉल्स का जवाब नहीं दिया

जॉन मेरशीमर ने जर्मनी के एक अखबार का हवाला देते हुए बताया कि भारत, खासकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, इस पूरे घटनाक्रम से बेहद नाराज़ हैं। उन्होंने कहा:

“ट्रंप ने मोदी को चार बार फोन किया, लेकिन उन्होंने बात करने से इनकार कर दिया। इसके बाद मोदी अब चीन और रूस के ज्यादा करीब नजर आ रहे हैं।”

यह बयान भारत-अमेरिका संबंधों के बदलते समीकरण की गंभीर तस्वीर पेश करता है।

ट्रंप के सलाहकार भी आलोचना के घेरे में

मेरशीमर ने इस पूरे घटनाक्रम के लिए ट्रंप के सलाहकार पीटर नवारो को भी जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि नवारो जैसे कुछ ही लोग हैं जो इस कदम का समर्थन कर रहे हैं।

“क्या ट्रंप ये मानते हैं कि भारत उनके आगे झुक जाएगा? क्या अमेरिका की ताकत इतनी है कि वह भारत को घुटनों पर ले आएगा? मुझे नहीं लगता कोई समझदार व्यक्ति इस पर यकीन करेगा।”

ट्रंप का भारत पर टैरिफ लगाने का फैसला

ट्रंप ने पहले भारत पर 25% टैरिफ लगाया, जिसे बाद में और 25% बढ़ा दिया गया, जिससे यह कुल 50% हो गया। साथ ही रूस से तेल खरीदने को लेकर भारत पर जुर्माना भी लगाया गया।

दिलचस्प बात यह है कि भारत और ब्राजील दो ही ऐसे देश हैं, जिन पर अमेरिका ने इतना भारी टैक्स लगाया है। जबकि भारत ने साफ कर दिया है कि अमेरिका और यूरोपीय यूनियन भी रूस से व्यापार कर रहे हैं, फिर सिर्फ भारत को निशाना क्यों बनाया जा रहा है?

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UP News: रोजगार के नाम पर रूस भेजा, यूपी के दो मजदूरों से 4.5 लाख की ठगी, भूखे-प्यासे...

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UP News: उत्तर प्रदेश के दो मजदूरों के साथ रूस में नौकरी दिलाने के नाम पर लाखों की ठगी का मामला सामने आया है। रोजगार की उम्मीद में विदेश गए ये दोनों लोग न सिर्फ ठगे गए, बल्कि रूस में कई दिनों तक बिना खाना-पानी और ठिकाने के बेसहारा हालत में जीने को मजबूर रहे। पुलिस ने मंगलवार को इस मामले की जानकारी दी है और फिलहाल धोखाधड़ी के आरोप में केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है।

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क्या है पूरा मामला? UP News

खबरों की मानें तो, पीड़ितों की पहचान उत्तर प्रदेश के महाराजगंज जिले के रहने वाले प्रमोद चौहान और उनके पड़ोसी गौतम साहनी के रूप में हुई है। 45 वर्षीय प्रमोद एक राजमिस्त्री हैं और करीब 18 साल तक सऊदी अरब में काम कर चुके हैं। वहीं, गौतम साहनी भी मेहनत-मजदूरी कर अपना घर चलाते हैं। विदेश में पहले काम कर चुके प्रमोद को दिल्ली के बदरपुर निवासी निजामुद्दीन से संपर्क में आए थे, जिसने उन्हें रूस की एक कंपनी में बेहतर सैलरी वाली नौकरी का ऑफर दिया।

प्रमोद ने इस ऑफर पर भरोसा कर लिया और 30 जून को उन्हें एक जॉब एग्रीमेंट और फर्जी अप्वाइंटमेंट लेटर भी सौंपा गया। प्रमोद ने अपने पड़ोसी गौतम को भी इस बारे में बताया, जो उनके साथ जाने के लिए तैयार हो गया।

कैसे हुई ठगी?

जांच में सामने आया है कि आरोपियों ने दोनों से कुल 4.5 लाख रुपये की रकम वसूली। इसमें से 50 हजार रुपये नकद में और बाकी 4.05 लाख रुपये ऑनलाइन ट्रांसफर के जरिए लिए गए। आरोपियों ने दावा किया कि वे रूस में एक प्रतिष्ठित कंपनी में काम दिलवा रहे हैं, लेकिन असलियत कुछ और ही निकली।

1 जुलाई को दोनों को सबसे पहले कज़ाकिस्तान भेजा गया और वहां से रूस के ओम्स्क शहर ले जाया गया। लेकिन जब दोनों वहां पहुंचे तो पाया कि न कोई नौकरी थी, न ठहरने की कोई जगह। उनके पास खाने के लिए भी कुछ नहीं था। कुछ दिन उन्होंने किसी तरह से जैसे-तैसे गुज़ारे, फिर अपने परिवार वालों से संपर्क किया।

परिजनों ने टिकट के पैसे भेजे, तब जाकर दोनों 17 जुलाई को भारत लौट पाए। जब उन्हें ये पता चला कि उन्हें जो वीज़ा दिया गया था, वो वर्क वीज़ा नहीं बल्कि पर्यटक वीज़ा था, तो उनके होश उड़ गए।

पुलिस ने क्या किया?

मामला सामने आने के बाद पीड़ितों ने दिल्ली पुलिस से संपर्क किया। उनकी शिकायत पर दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने निजामुद्दीन और उसके साथी प्रेमचंद के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है। आरोपियों ने रूस की एक फर्जी कंपनी का हवाला देकर लोगों को ठगने की साजिश रची थी।

फिलहाल, जांच जारी है और पुलिस इस गिरोह से जुड़े अन्य लोगों का भी पता लगा रही है।

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