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Siddhivinayak Temple Expansion: सिद्धि विनायक मंदिर का होगा विस्तार, 100 करोड़ की लाग...

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Siddhivinayak Temple Expansion: मुंबई के प्रसिद्ध सिद्धि विनायक मंदिर से जुड़ी एक बड़ी खबर सामने आई है। करोड़ों लोगों की आस्था का केंद्र माने जाने वाले इस मंदिर का अब विस्तार होने जा रहा है। इसके लिए मंदिर ट्रस्ट ने 100 करोड़ रुपए का बजट तय किया है, जिससे ना सिर्फ मंदिर का दायरा बढ़ेगा, बल्कि श्रद्धालुओं की सुविधाएं भी पहले से बेहतर की जाएंगी।

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मंदिर के पास की इमारत खरीदेगा ट्रस्ट– Siddhivinayak Temple Expansion

खबरों की मानें तो, मंदिर के ठीक बगल में स्थित राम मैंसन नाम की एक तीन मंजिला इमारत, जो करीब 708 वर्ग मीटर में फैली है, उसे खरीदने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इसके अलावा, मंदिर के ही परिसर में मौजूद सिद्धि विनायक कोऑपरेटिव हाउसिंग सोसाइटी से भी जमीन ली जाएगी। इन दोनों प्लॉट्स को मिलाकर करीब 1800 वर्ग मीटर जगह का इंतजाम होगा।

इस पूरे विस्तार प्लान की जानकारी मंदिर ट्रस्ट के प्रमुख और पूर्व विधायक सदा सरवनकर ने दी है। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में इस जगह का उपयोग भक्तों के लिए कतार, प्रसाद वितरण केंद्र (प्रसादालय), टॉयलेट और चेंजिंग रूम जैसी बुनियादी सुविधाओं के निर्माण के लिए किया जाएगा।

भक्तों को होगी बड़ी राहत

सरवनकर ने बताया कि फिलहाल मंदिर में भक्तों के लिए लाइन में खड़े होने की उचित व्यवस्था नहीं है। श्रद्धालु अक्सर सड़क पर खड़े होकर दर्शन का इंतजार करते हैं, जो न केवल असुविधाजनक है, बल्कि सुरक्षा के लिहाज से भी सही नहीं।

उन्होंने कहा, “हमें बहुत दुख होता है जब लोग दर्शन के लिए धूप में, सड़क पर लाइन में लगते हैं। मंदिर में टॉयलेट तक नहीं हैं। लोग पास के पेट्रोल पंप पर बने टॉयलेट का उपयोग करते हैं।”

इसके अलावा, पूजा या अनुष्ठान में शामिल होने आए लोगों को कपड़े बदलने की भी जरूरत होती है, लेकिन मंदिर परिसर में चेंजिंग रूम जैसी कोई सुविधा नहीं है। इन सब समस्याओं का हल इस नए विस्तार के जरिए किया जाएगा।

ट्रस्ट स्टाफ को मिलेगा आवास

फिलहाल मंदिर ट्रस्ट के पास करीब 225 स्टाफ मेंबर्स हैं, लेकिन इनके रहने के लिए कोई स्थायी व्यवस्था नहीं है। ट्रस्ट की योजना है कि इस नई जमीन पर स्टाफ के लिए भी आवास बनाए जाएं, जिससे उन्हें भी राहत मिल सके।

सरकार से मिली हरी झंडी

राम मैंसन में रहने वाले लोगों को ट्रस्ट की ओर से 100 करोड़ रुपए का मुआवजा दिया जाएगा ताकि वहां की जमीन हासिल की जा सके। यह प्रस्ताव महाराष्ट्र के कानून मंत्रालय के पास भेजा गया था, जिसे अब मंजूरी मिल चुकी है।

धार्मिक आस्था के साथ आधुनिक सुविधा का मेल

बता दें कि 1801 में बना सिद्धि विनायक मंदिर न सिर्फ मुंबई, बल्कि देश के सबसे प्रमुख और लोकप्रिय मंदिरों में से एक है। आम लोग हों या बॉलीवुड से लेकर राजनीति की बड़ी हस्तियां हर कोई यहां गणपति बप्पा का आशीर्वाद लेने आता है। ऐसे में मंदिर का यह विस्तार भक्तों के अनुभव को और भी बेहतर बना देगा।

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Bihar Election 2025: ‘B से बीड़ी, B से बिहार’: केरल कांग्रेस के ट्वीट से ...

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Bihar Election 2025: केंद्र सरकार की ओर से जीएसटी सुधार को लेकर हाल ही में बड़ा फैसला लिया गया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने घोषणा की कि आम आदमी को राहत देने के लिए रोजमर्रा के कई ज़रूरी सामानों पर जीएसटी या तो शून्य कर दिया गया है या केवल 5 प्रतिशत टैक्स वसूला जाएगा। दूध, दही जैसे खाने-पीने के सामानों से लेकर दोपहिया और कार जैसी चीज़ें अब पहले से सस्ती हो सकती हैं। इस नई व्यवस्था की शुरुआत नवरात्रि के पहले दिन से की जाएगी।

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हालांकि इस फैसले के बाद जहां आम जनता को राहत मिली है, वहीं सियासी गलियारों में बवाल मच गया है। कांग्रेस पार्टी, खासतौर पर केरल कांग्रेस, इस मुद्दे पर सरकार पर निशाना साधते हुए एक ऐसे मोड़ पर पहुंच गई जहां विवाद खड़ा हो गया।

केरल कांग्रेस का ट्वीट और मचा हंगामा- Bihar Election 2025

केरल कांग्रेस ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर एक स्क्रीनशॉट शेयर किया, जिसमें सिगरेट, सिगार, तंबाकू और बीड़ी पर लगने वाले जीएसटी की तुलना की गई थी। स्क्रीनशॉट में बताया गया कि सरकार ने सिगरेट और सिगार पर जीएसटी बढ़ाकर 40 प्रतिशत कर दिया है, जो पहले 28 प्रतिशत था। तंबाकू पर भी टैक्स 28 से 40 प्रतिशत कर दिया गया है। लेकिन बीड़ी पर टैक्स कम कर दिया गया है, पहले जहां इस पर 28 प्रतिशत जीएसटी था, अब सिर्फ 18 प्रतिशत लिया जाएगा।

इस चार्ट के साथ केरल कांग्रेस ने जो लाइन लिखी, उसी ने विवाद को जन्म दे दिया। पोस्ट में लिखा गया—”बीड़ी और बिहार दोनों B से शुरू होते हैं। अब इन्हें पाप नहीं माना जा सकता।”

बस, फिर क्या था। इस ट्वीट ने राजनीतिक भूचाल ला दिया।

जेडीयू और बीजेपी का तीखा हमला

जेडीयू के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा ने इस पोस्ट को लेकर फेसबुक पर लंबी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, “B से सिर्फ बीड़ी नहीं, बुद्धि भी होती है, जो कांग्रेस के पास नहीं है। बिहार का मज़ाक बनाकर कांग्रेस ने न सिर्फ बिहारवासियों का अपमान किया, बल्कि देश की गरिमा और इतिहास का भी अपमान किया है।”

उन्होंने बिहार के गौरव का जिक्र करते हुए बताया कि यही वो धरती है जहां मां जानकी का जन्म, बुद्ध को ज्ञान, संविधान का पहला मसौदा, और देश का पहला राष्ट्रपति मिला। उन्होंने चेतावनी दी कि “बिहार की जनता कांग्रेस को बीड़ी के धुएं से नहीं, वोट की चोट से जवाब देगी।”

बीजेपी प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने भी कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा कि ये पार्टी बार-बार बिहार और उत्तर भारतीयों का अपमान करती रही है। उन्होंने कहा, “C से कांग्रेस है, C से करप्शन और चाटुकारिता भी है।”

उन्होंने कांग्रेस नेताओं के पुराने बयानों की याद दिलाई, जैसे डीएमके नेताओं द्वारा बिहारियों को टॉयलेट क्लीनर कहे जाने की बात या रेवंत रेड्डी द्वारा बिहारियों के डीएनए पर सवाल उठाना। उन्होंने कहा कि ये अपमान सिर्फ बिहार का नहीं, पूरे उत्तर भारत का है।

कांग्रेस का जवाब

जब मामला तूल पकड़ने लगा, तो कांग्रेस की तरफ से सफाई आई। उन्होंने कहा कि बिहार में चुनाव नज़दीक हैं और इसी को देखते हुए बीड़ी पर टैक्स घटाया गया है। हालांकि पार्टी ने केरल कांग्रेस के उस ट्वीट से दूरी नहीं बनाई, जिससे ये स्पष्ट है कि पार्टी के भीतर भी इस बयान को लेकर दो राय हो सकती है।

जेडीयू की चेतावनी: गेंद तेजस्वी के पाले में

जेडीयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने इस बयान को महागठबंधन के सहयोगियों की आदत बताया और कहा कि बिहार को बार-बार अपमानित किया जा रहा है। उन्होंने सीधा निशाना तेजस्वी यादव पर साधते हुए कहा, “अब गेंद आपके पाले में है। सिर्फ उम्मीदवार बनने के लिए चरण पादुका मत धोइए। जनता अपमान नहीं भूलेगी।”

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White House Dinner: व्हाइट हाउस में ‘हाई IQ डिनर’: सुंदर, सत्या, जुकरबर्ग से ट्रंप ने...

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White House Dinner: अमेरिकी राजनीति और टेक इंडस्ट्री का एक दिलचस्प मेल देखने को मिला व्हाइट हाउस में, जब राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनकी पत्नी मेलेनिया ट्रंप ने दुनिया की सबसे बड़ी टेक कंपनियों के सीईओज़ को एक खास डिनर पर बुलाया। ये सिर्फ एक साधारण दावत नहीं थी, बल्कि इसे ट्रंप ने खुद “हाई आईक्यू लोगों का जमावड़ा” बताया।

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स्टेट डाइनिंग रूम में हुई इस मीटिंग में खाने के साथ-साथ गंभीर मुद्दों पर भी बातचीत हुई  जैसे अमेरिका में निवेश, नौकरियों का निर्माण, टेक्नोलॉजी की दिशा और पॉलिटिक्स। ट्रंप ने इस मौके को अमेरिका की आर्थिक तरक्की के लिहाज से भी एक बड़ा कदम बताया।

अमेरिका में कितना निवेश करेंगे टेक दिग्गज? White House Dinner

डिनर के दौरान ट्रंप ने एक-एक करके सभी बड़े सीईओ से सवाल पूछा — “आप अमेरिका में कितना निवेश करने जा रहे हैं?”

सबसे पहले बारी आई मेटा (Facebook) के सीईओ मार्क जुकरबर्ग की। ट्रंप के दाईं ओर बैठे जुकरबर्ग ने बताया कि मेटा आने वाले समय में 600 बिलियन डॉलर (60 खरब डॉलर) अमेरिका में निवेश करने जा रहा है।

इसके बाद ट्रंप ने ऐपल के सीईओ टिम कुक से पूछा, “और टिम… ऐपल कितना लगाएगा? क्योंकि मुझे पता है, आप फिर से बड़े स्तर पर अमेरिका लौट रहे हैं।”
टिम कुक ने भी वही आंकड़ा दोहराया — 600 बिलियन डॉलर का निवेश।

ट्रंप ने दोनों की तारीफ करते हुए कहा,

“यह जबरदस्त है। इससे लाखों नौकरियां आएंगी। हमें आप पर गर्व है।”

फिर उन्होंने गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई की तरफ रुख किया और पूछा कि गूगल क्या प्लान कर रहा है?
पिचाई ने जवाब दिया कि,

“हम 100 बिलियन डॉलर से ऊपर पहुंच चुके हैं और अगले दो सालों में यह बढ़कर 250 बिलियन डॉलर हो जाएगा।”

इस पर ट्रंप ने उत्साहित होकर कहा — “शानदार! ढेर सारी नौकरियां, हमें आप पर गर्व है।”

इसके बाद, माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ सत्या नडेला ने बताया कि कंपनी इस साल अमेरिका में 75 से 80 बिलियन डॉलर निवेश करने जा रही है। ट्रंप ने नडेला को भी धन्यवाद कहा और उनकी सराहना की।

भारतीय मूल के सीईओ का दबदबा

इस डिनर में भारतीय मूल के सीईओ छाए रहे। सत्या नडेला (माइक्रोसॉफ्ट), सुंदर पिचाई (गूगल), संजय मेहरोत्रा (माइक्रोन टेक्नोलॉजीज), श्याम शंकर (पैलंटिर) और टीआईबीसीओ के चेयरमैन की मौजूदगी ने भारतवंशियों की प्रतिभा का झंडा फिर से ऊंचा किया।

एलन मस्क की गैरमौजूदगी और सैम अल्टमैन की मौजूदगी

इस हाई-प्रोफाइल डिनर में एक चेहरा बहुत मिस किया गया वो था एलन मस्क। कभी ट्रंप के करीबी माने जाने वाले मस्क अब उनसे दूरी बना चुके हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, दोनों के रिश्ते अब कड़वे हो चुके हैं और अब वे एक-दूसरे से बातचीत तक नहीं करते।

मस्क की गैरहाजिरी में ट्रंप ने OpenAI के सीईओ सैम अल्टमैन को खास तौर पर बुलाया और उन्हें भरपूर अहमियत भी दी। टेक वर्ल्ड में यह संकेत माना जा रहा है कि ट्रंप अब AI और ऑटोमैशन को लेकर नई दिशा में सोच रहे हैं, जिसमें मस्क की जगह अल्टमैन को प्राथमिकता मिल रही है।

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ओणम कब और कैसे मनाया जाता है, जानिए इसके पीछे का इतिहास

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History About Onam: ओणम, जिसे मलयालम में ‘थिरुवोनम’ भी कहा जाता है, केरल (Kerala) का सबसे महत्वपूर्ण और लोकप्रिय त्योहार है। यह दस दिनों तक चलने वाला फसल उत्सव है जो राजा महाबली के स्वागत में मनाया जाता है, जिनके बारे में माना जाता है कि वे हर साल पाताल लोक से अपनी प्रजा से मिलने पृथ्वी पर आते हैं। यह त्योहार न केवल केरल की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को दर्शाता है, बल्कि सद्भाव, समृद्धि और सामुदायिक एकता का भी प्रतीक है। तो चलिए आपको इस लेख में ओणम के बारे में विस्तार से बताते हैं।

ओणम का इतिहास और महत्व

ओणम (Onam) का त्यौहार राजा महाबली (King Mahabali) के पाताल लोक से पृथ्वी पर अपनी प्रजा से मिलने के लिए लौटने की याद में मनाया जाता है। यह मलयालम (Malayalam) कैलेंडर के चिंगम महीने में मनाया जाने वाला दस दिवसीय फसल उत्सव भी है। यह त्यौहार अच्छी फसल के लिए प्रकृति के प्रति कृतज्ञता का भी प्रतीक है। ओणम उत्सव केरल में नई फसलों के आगमन का समय होता है। धान की बालियाँ पकने लगती हैं और प्रकृति हरियाली से आच्छादित हो जाती है। इसलिए इसे फसल उत्सव भी कहा जाता है।

ओणम वह समय है जब केरल की कला और परंपराएँ अपनी संपूर्णता में प्रतिबिम्बित होती हैं। फूलों की सजावट, नाव दौड़, ओणम सद्या (भव्य भोज), पुलिकली (बाघ नृत्य), कथकली और तिरुवथिरा जैसे लोक नृत्य इस उत्सव को और भी भव्य बनाते हैं।

राजा महाबली और वामन अवतार 

राजा महाबली एक अत्यंत न्यायप्रिय और दानशील राक्षस राजा थे, जिनकी प्रसिद्धि से देवता ईर्ष्या करते थे। देवताओं की सहायता के लिए, भगवान विष्णु ने वामन (एक बौने ब्राह्मण) का रूप धारण किया। उन्होंने राजा महाबली से दान में केवल तीन पग भूमि माँगी। वामन का छोटा कद देखकर राजा ने तुरंत दान देने की हामी भर दी।

अपने गुरु शुक्राचार्य की चेतावनी के बावजूद, राजा महाबली अपने वचन से नहीं हटे। दान देने का वचन देते ही, वामन ने अपना विशाल त्रिविक्रम रूप धारण कर लिया। उन्होंने एक पग में पृथ्वी और दूसरे पग में आकाश नाप लिया। जब तीसरे पग के लिए कोई स्थान नहीं बचा, तो राजा महाबली ने अपना सिर झुका लिया।

राजा महाबली की उदारता

राजा की उदारता और प्रतिबद्धता से प्रसन्न होकर, भगवान विष्णु ने उन्हें पाताल लोक भेजा और उन्हें वरदान दिया कि वे वर्ष में एक बार अपनी प्रजा से मिलने पृथ्वी पर आ सकते हैं। इस दिन को ओणम के रूप में मनाया जाता है, जहाँ लोग अपने प्रिय राजा महाबली का स्वागत करते हैं।

Punjab Flood News: 1902 गांव पानी में, 4 लाख लोग बेहाल, 23 जिले चपेट में और 43 मौतें…...

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Punjab Flood News: पंजाब इस समय एक बड़ी प्राकृतिक आपदा से जूझ रहा है। प्रदेश के 23 जिलों में फैली भीषण बाढ़ ने जनजीवन को पूरी तरह से अस्त-व्यस्त कर दिया है। अब तक 43 लोगों की जान जा चुकी है और करीब 3.84 लाख लोग इस आपदा से प्रभावित हुए हैं। हालात इतने गंभीर हैं कि 1902 गांव पानी में पूरी तरह डूब चुके हैं, वहीं 1.71 लाख हेक्टेयर में खड़ी फसलें तबाह हो चुकी हैं।

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पंजाब सरकार ने उठाए जरूरी कदम- Punjab Flood News

राज्य के राजस्व, पुनर्वास और आपदा प्रबंधन मंत्री हरदीप सिंह मुंडियन ने बाढ़ की स्थिति को “अभूतपूर्व” बताया। उन्होंने बताया कि अब तक करीब 20,972 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है, लेकिन हालात अभी भी बेहद नाजुक बने हुए हैं। 1 अगस्त से 4 सितंबर के बीच 14 जिलों में मौतों की पुष्टि हुई है।

मृतकों की बात करें तो होशियारपुर में 7, पठानकोट में 6, बरनाला और अमृतसर में 5-5, लुधियाना और बठिंडा में 4-4, मनसा में 3 जबकि गुरदासपुर, एसएएस नगर में 2-2 और पटियाला, रूपनगर, संगरूर, फाजिल्का और फिरोजपुर में 1-1 लोगों की जान गई है। इसके अलावा पठानकोट में तीन लोग अभी भी लापता हैं।

कृषि को तगड़ा झटका

राज्य में बाढ़ का सबसे गहरा असर खेती पर पड़ा है। गुरदासपुर, अमृतसर, फाजिल्का, फिरोजपुर, कपूरथला और मानसा जिलों में सबसे ज्यादा फसलें बर्बाद हुई हैं। खेतों में पानी भर जाने से खरीफ की फसलें पूरी तरह से खराब हो चुकी हैं, जिससे किसानों की मेहनत और उम्मीदें दोनों डूब गई हैं।

केजरीवाल ने की केंद्र से मदद की अपील

दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने पंजाब के लिए केंद्र सरकार से मदद की गुहार लगाई है। उन्होंने कहा,

“मैंने देखा कि जब अफगानिस्तान में भूकंप आया, तो भारत सरकार ने तुरंत मदद भेजी। ये अच्छी बात है, लेकिन अपने देश में भी संकट है। पंजाब इस वक्त बहुत बुरे हालात से गुजर रहा है, ऐसे में केंद्र को भी पंजाब की तरफ हाथ बढ़ाना चाहिए।”

शिवराज सिंह ने किया हालात का जायज़ा

केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गुरुवार को अमृतसर, गुरदासपुर और कपूरथला के बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा किया। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार पूरी तरह से राज्य के साथ खड़ी है। दो केंद्रीय टीमें पंजाब का दौरा कर रही हैं जो जल्द ही नुकसान का आकलन कर अपनी रिपोर्ट सौंपेंगी।

राज्यपाल ने सौंपी रिपोर्ट

पंजाब के राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया ने अमृतसर एयरपोर्ट पर केंद्रीय मंत्री को एक रिपोर्ट सौंपी, जिसमें जान-माल और फसलों के नुकसान का पूरा ब्यौरा था।

भगवंत मान सरकार ने किए प्रशासनिक प्रबंध

मुख्यमंत्री भगवंत मान ने निर्देश दिए हैं कि बाढ़ प्रभावित हर गांव में एक गजटेड अधिकारी तैनात किया जाए, ताकि लोगों की समस्याएं सीधे प्रशासन तक पहुंच सकें। साथ ही उन्होंने विशेष गिरदावरी कराने का भी आदेश दिया है, ताकि नुकसान का सटीक अंदाज़ा लगाया जा सके।

भाखड़ा बांध और सतलुज नदी की स्थिति

रूपनगर के डिप्टी कमिश्नर वरजीत सिंह वालिया ने जानकारी दी कि भाखड़ा बांध से गुरुवार को करीब 85,000 क्यूसेक पानी छोड़ा गया। हालांकि फिलहाल बांध का जलस्तर स्थिर है। लोगों से अपील की गई है कि वे सुरक्षित स्थानों पर चले जाएं या प्रशासन द्वारा बनाए गए राहत शिविरों में शरण लें।

पटियाला में अलर्ट जारी

घग्गर नदी के जलग्रहण क्षेत्र में भारी बारिश के चलते पटियाला जिला प्रशासन ने नदी किनारे बसे गांवों के लिए अलर्ट जारी किया है।

बाढ़ का कारण और भविष्य की चुनौतियां

बता दें, बाढ़ का मुख्य कारण हिमाचल और जम्मू-कश्मीर के जलग्रहण क्षेत्रों में लगातार भारी बारिश रहा, जिससे सतलुज, रावी, व्यास और कई छोटे नाले उफान पर आ गए। इसके साथ-साथ पंजाब में भी कई जगहों पर भारी वर्षा हुई, जिससे हालात और बिगड़ गए।

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Ajit Pawar Viral Audio: ‘इतनी डेरिंग है तुम में?’: अजित पवार और महिला अफसर के बीच गरम...

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Ajit Pawar Viral Audio: महाराष्ट्र की सियासत इन दिनों एक वायरल वीडियो और उससे जुड़ी बहस को लेकर गरमा गई है। राज्य के डिप्टी सीएम अजित पवार और एक तेजतर्रार महिला आईपीएस अधिकारी अंजना कृष्णा के बीच फोन और वीडियो कॉल पर हुई तीखी नोकझोंक ने न सिर्फ प्रशासनिक हलकों में हलचल मचा दी है, बल्कि सोशल मीडिया पर भी लोगों के बीच जबरदस्त चर्चा का विषय बन गई है।

दरअसल मामला सोलापुर जिले के करमाला तहसील के कुरडू गांव का है। यहां सड़क निर्माण के लिए अवैध मुरुम (बजरी) उत्खनन की शिकायत मिली थी, जिसके बाद करमाला की डीएसपी अंजना कृष्णा मौके पर कार्रवाई के लिए पहुंचीं। कार्रवाई के दौरान स्थानीय ग्रामीणों और पुलिस के बीच बहस हुई, माहौल काफी तनावपूर्ण हो गया।

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इसी बीच एनसीपी के एक स्थानीय कार्यकर्ता बाबा जगताप ने उपमुख्यमंत्री अजित पवार को कॉल किया और फोन सीधे डीएसपी अंजना कृष्णा को थमा दिया। बात करते हुए अंजना कृष्णा ने शुरुआत में अजित पवार की आवाज नहीं पहचानी और उनसे कहा कि वो अपने नंबर से कॉल करें। इसी बात पर अजित पवार का पारा चढ़ गया और उन्होंने सख्त लहजे में कहा, “मैं डिप्टी चीफ़ मिनिस्टर बोल रहा हूँ, एक्शन रोको, तुम पर एक्शन लूं क्या?, इतनी डेरिंग है तुम में?”

इसके बाद अजित पवार ने वीडियो कॉल किया और डीएसपी से कहा कि वे कार्रवाई फिलहाल रोक दें, क्योंकि राज्य में मराठा आंदोलन चल रहा है और माहौल संवेदनशील है। साथ ही उन्होंने कहा कि इस मामले में तहसीलदार से बात की जाए।

अधिकारी की सख्ती या राजनीतिक दबाव? Ajit Pawar Viral Audio

इस पूरे मामले को लेकर दो पक्ष सामने आए हैं। एक तरफ अजित पवार की भाषा और उनके तेवर को लेकर सवाल उठ रहे हैं, तो वहीं दूसरी तरफ उनकी पार्टी के प्रवक्ता आनंद परांजपे ने सफाई देते हुए कहा कि अजित पवार सिर्फ किसानों की बात सुनने की अपील कर रहे थे। उन्होंने कहा कि उस वक्त गांव में भारी संख्या में किसान इकट्ठा थे और तहसीलदार की कार्रवाई से नाराज़ थे।

प्रवक्ता ने यह भी कहा कि अगर कोई अधिकारी ये नहीं पहचान पा रहा कि राज्य का डिप्टी सीएम कौन है, तो यह भी चिंता का विषय है। उन्होंने दावा किया कि अजित पवार ने सिर्फ कार्रवाई रोकने की बात की थी, किसी को डांटने या डराने का इरादा नहीं था।

वीडियो वायरल, बहस तेज

आपको बता दें, 31 अगस्त को हुई इस घटना का वीडियो अब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। इसमें साफ देखा जा सकता है कि अजित पवार और डीएसपी अंजना कृष्णा के बीच फोन पर गर्मागर्म बहस हो रही है। वीडियो में अजित पवार काफी गुस्से में दिखते हैं और बार-बार अफसर से कार्रवाई रोकने की बात कहते हैं।

वहीं दूसरी ओर अंजना कृष्णा भी डटी रहीं और उन्होंने अपनी ड्यूटी को प्राथमिकता दी। ग्रामीणों से मिली जानकारी के अनुसार उत्खनन ग्राम पंचायत की अनुमति से हो रहा था, लेकिन जब डीएसपी ने दस्तावेज मांगे तो कोई ठोस सबूत पेश नहीं किया गया। ऐसे में उन्होंने कार्रवाई शुरू कर दी।

कौन हैं आईपीएस अंजना कृष्णा?

आईपीएस अधिकारी अंजना कृष्णा वीएस, जिनके साथ यह पूरा मामला जुड़ा है, मूल रूप से केरल की रहने वाली हैं। उन्होंने UPSC 2022-23 में ऑल इंडिया रैंक 355 हासिल कर आईपीएस सेवा जॉइन की थी। फिलहाल उनकी तैनाती सोलापुर जिले के करमाला में बतौर डीएसपी है। ईमानदार और सख्त छवि के कारण वो स्थानीय पुलिस महकमे में काफी चर्चा में रहती हैं।

उनकी प्रारंभिक शिक्षा तिरुवनंतपुरम के सेंट मैरीज सेंट्रल स्कूल में हुई और बाद में एनएसएस कॉलेज से गणित में ग्रेजुएशन किया। उनके पिता कपड़े का व्यवसाय करते हैं और मां कोर्ट में टाइपिस्ट हैं।

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Ahmedabad Land Sinking: गुजरात में धीरे-धीरे धंस रही है ज़मीन: अहमदाबाद-सूरत में सबसे...

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Ahmedabad Land Sinking: आप सोचिए, अगर किसी दिन आपको लगे कि आपके घर की नींव खिसक रही है। दीवारों में दरारें आने लगी हैं, और जमीन कुछ मिलीमीटर नहीं, बल्कि सेंटीमीटर दर से नीचे जा रही है। यह कोई फिल्मी कल्पना नहीं, बल्कि हकीकत बन चुकी है और वो भी देश के सबसे विकसित माने जाने वाले राज्य गुजरात में।

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कुछ साल पहले उत्तराखंड के जोशीमठ और उत्तरकाशी में जो संकट आया था, वह अब गुजरात के मैदानी इलाकों में पाँव पसार रहा है। देहरादून की यूनिवर्सिटी ऑफ पेट्रोलियम एंड एनर्जी स्टडीज (UPES) के रिसर्चर्स ने इस बारे में चौंकाने वाले आंकड़े पेश किए हैं, जिनमें कहा गया है कि अहमदाबाद, सूरत और कच्छ जैसे शहर धीरे-धीरे धंस रहे हैं और यह संकट अब नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

अहमदाबाद में जमीन धंसने की रफ्तार 4.2 सेमी प्रति साल! Ahmedabad Land Sinking

शहरों में लगातार हो रहे जमीन धंसाव को लेकर InSAR सैटेलाइट तकनीक से निगरानी की गई, जिससे मिलीमीटर के स्तर पर भी जमीन में आए बदलाव का पता चल सकता है। रिपोर्ट में बताया गया कि:

  • पिपलाज (अहमदाबाद) में साल 2014 से 2020 के बीच जमीन 4.2 सेंटीमीटर/साल की रफ्तार से नीचे गई।
  • वटवा और बापल इलाके में 2020 से 2023 के बीच यह दर 3.5 सेंटीमीटर/साल रही।
  • 2017 से 2020 के बीच तीन बड़े सब्सिडेंस ज़ोन पहचाने गए जहाँ सालाना 2.5 सेमी तक जमीन धंसी।

सूरत और कच्छ में भी हालात डरावने

सिर्फ अहमदाबाद ही नहीं, सूरत में भी जमीन के नीचे जाने का सिलसिला जारी है। 2014 से 2020 के बीच वहां 0.01 से 6.7 सेंटीमीटर/साल तक धंसाव दर्ज हुआ। करंज क्षेत्र यहां सबसे ज्यादा प्रभावित है।

वहीं कच्छ और सौराष्ट्र में जमीन धंसाव की दर 4.3 मिलीमीटर/साल औसतन रही है। लेकिन कुछ इलाकों में यह 2.2 सेंटीमीटर/साल तक भी पहुंच गया। कच्छ के कट्रोल हिल फॉल्ट लाइन पर भी चिंताजनक गतिविधियां दर्ज की गई हैं।

वजह क्या है?

विशेषज्ञों के मुताबिक, इस संकट की सबसे बड़ी वजह है भूजल का अत्यधिक दोहन। जब ज़मीन के नीचे के जलस्तर को जरूरत से ज्यादा खींचा जाता है, तो वहां की मिट्टी और चट्टानें सघन हो जाती हैं और धीरे-धीरे बैठने लगती हैं। यही प्रक्रिया जमीन को नीचे खिसकाने लगती है।

इसके अलावा भूगर्भीय हलचलों (Tectonic Movements) का भी असर पड़ता है, जिससे धीरे-धीरे जमीन खिसकती है। परिणामस्वरूप घरों की दीवारों में दरारें, छतों में क्रैक और सड़कों पर भी गड्ढे बनने जैसी समस्याएं दिखाई देती हैं।

खतरे की घंटी

शोधकर्ताओं ने चेतावनी दी है कि अगर अभी भी इसे हल्के में लिया गया, तो आने वाले सालों में शहरी इन्फ्रास्ट्रक्चर, जल आपूर्ति, कृषि और लोगों के जीवन पर गंभीर असर पड़ सकता है। खासतौर पर अहमदाबाद और सूरत जैसे घनी आबादी वाले इलाकों में यह संकट भविष्य की बड़ी आपदा का संकेत बन सकता है।

अब क्या करना होगा?

इस तरह की गतिविधियों की स्थायी निगरानी, स्मार्ट वाटर मैनेजमेंट, और शहरी नियोजन में भू-गर्भीय पहलुओं को शामिल करना अब वक्त की जरूरत बन गई है। वरना, जोशीमठ जैसी तस्वीरें अब समतल इलाकों में भी आम होती चली जाएंगी।

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Maharashtra News: ‘बाबू घूस भ्रष्टाचार करेंगे और 8 घंटे बैठेंगे’ लेकिन रा...

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Maharashtra News: महाराष्ट्र सरकार ने एक ऐसा फैसला लिया है, जिससे सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई है। अब प्राइवेट कंपनियों में काम करने वाले कर्मचारियों को रोज़ 9 घंटे नहीं बल्कि पूरे 10 घंटे काम करना होगा। वहीं सरकारी बाबू अब भी 8 घंटे की आरामदायक नौकरी में व्यस्त रहेंगे  कुछ ‘फाइल घसीटते’ हुए, तो कुछ ‘चाय की चुस्की’ लेते हुए।

दरअसल मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट मीटिंग में यह बदलाव पास किया गया है। सरकार का दावा है कि इस कदम से राज्य में निवेश बढ़ेगा, रोजगार के नए मौके बनेंगे और औद्योगिक विकास को रफ्तार मिलेगी।

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इस फैसले के तहत राज्य के दो प्रमुख कानूनों में संशोधन किया जाएगा ‘फैक्ट्रीज एक्ट, 1948’ और ‘महाराष्ट्र शॉप्स एंड एस्टैब्लिशमेंट एक्ट, 2017’। सरकार ने कहा कि यह बदलाव उन प्रतिष्ठानों पर लागू होगा जहां 20 या उससे अधिक कर्मचारी काम करते हैं।

क्या बदलेगा इस फैसले के बाद? Maharashtra News

सबसे बड़ा बदलाव तो काम के घंटों को लेकर है। अब तक प्राइवेट सेक्टर में कर्मचारियों को 9 घंटे काम करना होता था, जो अब बढ़ाकर 10 घंटे कर दिया गया है। वहीं, ओवरटाइम की सीमा भी बढ़ा दी गई है। पहले कर्मचारी हर तिमाही में अधिकतम 115 घंटे का ओवरटाइम कर सकते थे, जो अब बढ़कर 144 घंटे हो गया है लेकिन इसके लिए कर्मचारी की लिखित सहमति अनिवार्य होगी।

 

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इसके अलावा, पहले ब्रेक का समय 5 घंटे के बाद मिलता था, अब यह समय 6 घंटे कर दिया गया है। यानी अब कर्मचारी 6 घंटे लगातार काम करने के बाद ही ब्रेक ले पाएंगे।

ओवरटाइम पर दोगुनी पगार

सरकार ने ये भी स्पष्ट किया है कि अगर कोई कर्मचारी ओवरटाइम करता है तो उसे उसके बदले दोगुनी पगार दी जाएगी। इससे कर्मचारियों को आर्थिक रूप से फायदा मिलेगा, लेकिन शारीरिक और मानसिक थकान भी एक बड़ी चिंता है।

छोटे प्रतिष्ठानों को राहत

जहां इस बदलाव का असर बड़े प्रतिष्ठानों पर ज्यादा पड़ेगा, वहीं 20 से कम कर्मचारियों वाले प्रतिष्ठानों को पंजीकरण सर्टिफिकेट की आवश्यकता नहीं होगी। हालांकि, उन्हें काम की जानकारी संबंधित अधिकारियों को देनी होगी।

महाराष्ट्र भी शामिल हुआ इन राज्यों में

आपको बता दें, महाराष्ट्र अब उन राज्यों की लिस्ट में शामिल हो गया है जहां पहले से ही 10 घंटे काम का नियम लागू है जैसे कर्नाटक, तेलंगाना, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और त्रिपुरा।

सरकार का पक्ष

मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की अगुवाई में यह फैसला इसलिए लिया गया ताकि ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ को बढ़ावा मिल सके। सरकार का मानना है कि इससे निवेश आएगा, रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे और राज्य की अर्थव्यवस्था को फायदा पहुंचेगा।

कर्मचारियों की चिंता भी अहम

हालांकि सरकार का इरादा निवेश और रोजगार बढ़ाने का है, लेकिन कर्मचारी वर्ग में इस फैसले को लेकर मिली-जुली प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं। कुछ लोगों का मानना है कि लंबे समय तक काम करने से हेल्थ और वर्क-लाइफ बैलेंस पर असर पड़ेगा।

क्या सिर्फ निजी क्षेत्र की ज़िम्मेदारी है?

अब सवाल ये उठता है कि सरकार ने जो बदलाव किए हैं, वो कागज़ पर काफी प्रोग्रेसिव लगते हैं। लेकिन असली चिंता ये है कि क्या सिर्फ प्राइवेट सेक्टर के लोग ही सुधार की जिम्मेदारी उठाएंगे? सरकारी कर्मचारियों पर कोई जवाबदेही क्यों नहीं? क्या सुधार की शुरुआत ‘ऊपर’ से नहीं होनी चाहिए?

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China YJ-21 Missile Details: चीन ने दिखाई ‘किलर मिसाइल’ YJ-21 की ताकत, भा...

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China YJ-21 Missile Details: चीन ने अपने ‘विजय दिवस’ (V-Day) के मौके पर जो सैन्य शक्ति दिखाई, उसमें सबसे ज़्यादा चर्चा YJ-21 मिसाइल को लेकर हो रही है। इसे चीन की ‘कैरियर किलर’ या ‘किलर मिसाइल’ कहा जा रहा है। वजह है इसकी रफ्तार, टारगेट को भेदने की क्षमता और उसका हमला इतना तेज़ होता है कि आधुनिक एयर डिफेंस सिस्टम भी इसे रोक पाने में मुश्किल महसूस करें।

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YJ-21 नेवी और एयरफोर्स दोनों के लिए एक खतरनाक हथियार के रूप में सामने आई है। ये मिसाइल करीब मैक 6 से मैक 10 (यानी आवाज की गति से 6 से 10 गुना तेज़) की रफ्तार से वार करती है। इस स्पीड पर आने वाला कोई भी हथियार दुश्मन के रडार से बचना तो दूर, सीधे टारगेट पर फट पड़ता है। चीन की इस परेड में YJ-21 के साथ-साथ DF-17 और DF-26D मिसाइलें भी नजर आईं जो मिलकर चीन की हाइपरसोनिक स्ट्राइक कैपेबिलिटी को दुनिया के सामने रखने का संकेत हैं।

हवा से समुद्र तक – हर दिशा में घातक China YJ-21 Missile Details

YJ-21 की एक और खास बात ये है कि इसे हवा और पानी दोनों जगहों से लॉन्च किया जा सकता है। मिसाइल पारंपरिक हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइलों की तरह नहीं है। बल्कि ये पहले वायुमंडल से बाहर जाती है और फिर बैलिस्टिक पाथ पर चलते हुए दुश्मन पर टारगेट करती है। इसका टर्मिनल स्पीड (अंतिम चरण की रफ्तार) इतनी तेज होती है कि दुनिया के सबसे एडवांस एयर डिफेंस सिस्टम भी इससे पार नहीं पा सकते।

इसे PLA नेवी के टाइप 055 डेस्ट्रॉयर, टाइप 054B फ्रिगेट, और एयरफोर्स के H-6K और H-6N बमवर्षकों पर तैनात किया गया है। यानी ये समुद्र में चल रहे दुश्मन के एयरक्राफ्ट कैरियर्स, बड़े जहाज़ और बेस पर हमला करने में सक्षम है।

DF-21D से YJ-21 तक का सफर

विशेषज्ञों का मानना है कि YJ-21, चीन की पुरानी ‘एंटी-शिप बैलिस्टिक मिसाइल’ DF-21D पर आधारित है। 2010 में DF-21D को “कैरियर किलर” का नाम मिला था और अब YJ-21 ने उस तकनीक को और भी आधुनिक बना दिया है। इसमें हाइपरसोनिक फ्लाइट और एडवांस गाइडेंस सिस्टम जोड़े गए हैं।

चीन इसे अपनी Anti-Access/Area Denial (A2/AD) रणनीति का हिस्सा मानता है, जिसका मकसद ये है कि अमेरिका जैसे देशों की नेवी को चीन की समुद्री सीमा के आसपास न आने दिया जाए।

भारत और अमेरिका के लिए नई चिंता

YJ-21 सिर्फ एक मिसाइल नहीं है, बल्कि चीन की समुद्री रणनीति का अहम हथियार बन चुकी है। इसका खुलासा भारत और अमेरिका दोनों के लिए रणनीतिक चिंता की बात है। भारत अभी ब्रह्मोस-II जैसे हाइपरसोनिक मिसाइलों पर रिसर्च कर रहा है, लेकिन चीन इन्हें पहले ही तैनात कर चुका है।

अगर चीन इसे हिंद-प्रशांत क्षेत्र में तैनात करता है, तो भारतीय नौसेना के एयरक्राफ्ट कैरियर, डिस्ट्रॉयर और बड़े जहाज़ों को सीधा खतरा होगा। वहीं अमेरिका के लिए भी यह बड़ा सिरदर्द है क्योंकि YJ-21 को खासतौर पर अमेरिकी कैरियर स्ट्राइक ग्रुप्स को टारगेट करने के लिए डिजाइन किया गया है। अमेरिकी SM-6 जैसे डिफेंस सिस्टम्स भी इतनी तेज़ गति से आने वाली मिसाइलों को रोकने में सक्षम नहीं हैं।

तकनीकी आंकड़े (अनुमानित):

  • स्पीड: मैक 6 से मैक 10
  • रेंज: 1200–1500 किमी
  • वारहेड: हाई-एक्सप्लोसिव (न्यूक्लियर कैपेबिलिटी अस्पष्ट)
  • गाइडेंस सिस्टम: INS + एक्टिव रडार या इन्फ्रारेड सीकर
  • लॉन्च प्लेटफॉर्म: टाइप 055 डेस्ट्रॉयर, H-6N बमवर्षक

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Trump Tariffs on India: ‘माफी मांगिए और टैरिफ ज़ीरो करिए’.. अमेरिका में ट्रंप के भारत...

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Trump Tariffs on India: भारत और रूस के बीच मजबूत होते ऊर्जा संबंधों पर अमेरिका की नाराज़गी अब खुलकर सामने आ चुकी है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत से आयात होने वाले उत्पादों पर 50 फीसदी टैरिफ लगा दिया है। ये फैसला तब आया जब भारत ने रूस से कच्चा तेल आयात बढ़ाया है। लेकिन ट्रंप का यह फैसला अमेरिका के भीतर ही विवादों में घिर गया है। अमेरिकी एक्सपर्ट्स, थिंक टैंक और शिक्षाविद इस कदम को अव्यावहारिक और रणनीतिक रूप से नुकसानदायक बता रहे हैं।

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विशेषज्ञों ने ट्रंप के फैसले पर उठाए सवाल- Trump Tariffs on India

न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी में इंटरनेशनल रिलेशन पढ़ाने वाले एडवर्ड प्राइस ने इस मुद्दे पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने साफ कहा है कि भारत और अमेरिका की साझेदारी इस सदी की सबसे अहम रणनीतिक साझेदारी है, और ऐसे में भारत पर भारी-भरकम टैरिफ लगाना एक गंभीर भूल है।

प्राइस ने समाचार एजेंसी ANI से बात करते हुए कहा,

“मैं भारत और अमेरिका के रिश्तों को 21वीं सदी की सबसे अहम साझेदारी मानता हूं। ये साझेदारी तय करेगी कि दुनिया चीन और रूस की तरफ झुकेगी या नहीं। भारत का इसमें निर्णायक वोट है। ऐसे में ट्रंप का भारत पर 50% टैरिफ लगाना, वो भी तब जब रूस और चीन के बीच युद्ध जैसे हालात हैं, यह बेहद चौंकाने वाला कदम है।”

“भारत से माफी मांगें और टैरिफ जीरो करें”: एडवर्ड प्राइस

प्राइस ने आगे कहा कि ट्रंप को अपने इस फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए। उन्होंने सुझाव देते हुए कहा कि अमेरिका को भारत पर लगाए गए टैरिफ को न सिर्फ खत्म करना चाहिए, बल्कि भारत से माफी भी मांगनी चाहिए। उनका कहना है कि भारत जैसे उभरते रणनीतिक साझेदार के साथ इस तरह का व्यवहार अमेरिका की अपनी विदेश नीति को नुकसान पहुंचा सकता है।

“मुझे लगता है कि अमेरिका को टैरिफ 50% से घटाकर शून्य कर देना चाहिए और भारत से इस फैसले के लिए माफी मांगनी चाहिए,” प्राइस ने कहा।

“भारत को चाहिए विकल्प, लेकिन चीन-रूस से दूरी बनाए रखी है”

एडवर्ड प्राइस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रणनीति की तारीफ करते हुए कहा कि भारत अपनी स्वतंत्र विदेश नीति पर काम करता है और किसी के दबाव में नहीं आता। उन्होंने कहा कि भारत के पास विकल्प हैं, चाहे वो रूस हो या चीन  लेकिन फिर भी भारत ने अब तक रूस-चीन की सैन्य परेड जैसी गतिविधियों में हिस्सा नहीं लिया है, जो यह दर्शाता है कि भारत अपने फैसले खुद लेता है।

“प्रधानमंत्री मोदी बहुत समझदारी से कदम बढ़ा रहे हैं। उन्होंने अमेरिका को साफ तौर पर संकेत दे दिया है कि भारत के पास विकल्प हैं, लेकिन वो अभी भी चीन और रूस के साथ पूरी तरह नहीं जुड़ा है।”

क्या है भारत के लिए मतलब?

भारत पर 50% टैरिफ लगाने का असर सिर्फ व्यापार तक सीमित नहीं है। ये कदम भारत-अमेरिका रणनीतिक रिश्तों में दरार डाल सकता है, खासकर ऐसे समय में जब दुनिया चीन की आक्रामकता और रूस के युद्ध रवैये से जूझ रही है। भारत को अमेरिका का साथ चाहिए, लेकिन वो अपनी संप्रभुता और हितों से समझौता नहीं करेगा यह बात प्रधानमंत्री मोदी की विदेश नीति में साफ झलकती है।

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