Home Blog Page 10

US War Against Drugs: अमेरिका के ड्रग तस्करी के नाम पर हमले, 13 हवाई हमलों में 60 से ...

0

US War Against Drugs: अमेरिका ने सितंबर से अब तक वेनेज़ुएला तट और पूर्वी प्रशांत महासागर में कथित मादक पदार्थ तस्करी से जुड़ी नौकाओं पर 13 हवाई हमले किए हैं। इन हमलों में कम से कम 60 लोगों की मौत हुई है। अमेरिकी रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ का दावा है कि ये हमले मादक पदार्थ तस्करी के खिलाफ अभियान का हिस्सा हैं। अमेरिका ने कहा कि हमले केवल उन नौकाओं को निशाना बनाकर किए गए, जो अंतरराष्ट्रीय जल क्षेत्र में अवैध गतिविधियों में संलिप्त थीं।

और पढ़ें: Pak Army Chief Asim Munir: पाकिस्तान में बड़ा राजनीतिक बदलाव, फौज बनेगी असली सरकार, असीम मुनीर होंगे ‘सुपर पीएम’

संयुक्त राष्ट्र और वेनेज़ुएला का विरोध- US War Against Drugs

हालांकि, संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख ने इन हमलों को अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानून का उल्लंघन बताया है और इसे “गैरकानूनी हत्या” करार दिया है। वेनेज़ुएला के राष्ट्रपति निकोलस मादुरो ने भी अमेरिका पर संप्रभु देश के खिलाफ आक्रामकता और राजनीतिक हस्तक्षेप का आरोप लगाया। मादुरो ने कहा कि यह अभियान उनके देश में अस्थिरता फैलाने और सत्ता परिवर्तन की कोशिश का हिस्सा है।

अमेरिका का मादक पदार्थ विरोधी तर्क

अमेरिका ने इन हमलों को ड्रग विरोधी मिशन बताया है। ट्रंप प्रशासन का दावा है कि जिन नौकाओं पर हमला हुआ, वे कोकीन और अन्य नशीले पदार्थ अमेरिका ले जा रही थीं। हालांकि, अमेरिकी पक्ष ने अभी तक इन आरोपों के ठोस सबूत सार्वजनिक नहीं किए हैं।

पड़ोसी देशों की प्रतिक्रिया

कोलंबिया, मैक्सिको और त्रिनिदाद एंड टोबैगो जैसी पड़ोसी सरकारों ने इस हमले पर चिंता जताई है। कोलंबिया के राष्ट्रपति गुस्तावो पेत्रो ने कहा कि अमेरिकी दावा भ्रामक है, क्योंकि मारे गए लोगों में कोलंबियाई नागरिक भी शामिल थे और उनका किसी विद्रोही संगठन से कोई संबंध नहीं था। त्रिनिदाद के नागरिकों ने भी अमेरिका से स्पष्ट सबूत मांगे हैं कि उनके परिजन ड्रग तस्कर थे।

सितंबर में कैरेबियाई सैन्य तैनाती

सितंबर में अमेरिका ने कैरेबियाई सागर में विशाल सैन्य तैनाती की थी। इसमें परमाणु पनडुब्बी, युद्धपोत और दुनिया का सबसे बड़ा विमानवाहक पोत शामिल था। इस कदम के बाद मादुरो सरकार ने सुरक्षा बलों को उच्च सतर्कता पर रखा और देशभर में दसियों हज़ार सैनिक तैनात किए।

हमलों की समय-सारणी

  • 2 सितंबर: वेनेज़ुएला से कथित ड्रग नौका पर हमला; 11 लोग मारे गए।
  • 15 सितंबर: अंतरराष्ट्रीय जल क्षेत्र में हमला; 3 लोग मारे गए।
  • 19 सितंबर: एक और कथित ड्रग नौका पर हमला; 3 लोग मारे गए।
  • 3 अक्टूबर: वेनेज़ुएला तट के पास हमला; 4 लोग मारे गए।
  • 14 अक्टूबर: तट से दूर हमला; 6 लोग मारे गए।
  • 16 अक्टूबर: कैरेबियाई सागर में हमला; 2 मारे गए, 2 बचे।
  • 17 अक्टूबर: 3 मारे गए; कोलंबियाई राष्ट्रपति ने अमेरिकी दावा खारिज किया।
  • 21 अक्टूबर: पूर्वी प्रशांत महासागर में दो नौकाओं पर हमला; 5 मारे गए।
  • 24 अक्टूबर: कैरेबियाई क्षेत्र में हमला; 6 मारे गए।
  • 27 अक्टूबर: पूर्वी प्रशांत में तीन हमले; 14 मारे गए।
  • 29 अक्टूबर: पूर्वी प्रशांत महासागर में हमला; 4 मारे गए।
  • 1 नवंबर: कैरेबियाई क्षेत्र में हमला; 3 मारे गए।
  • 4 नवंबर: पूर्वी प्रशांत अंतरराष्ट्रीय जल क्षेत्र में हमला; 2 मारे गए।

अंतरराष्ट्रीय कानून विशेषज्ञों की राय

अंतरराष्ट्रीय विधि विशेषज्ञों ने कहा है कि अगर अमेरिका ने इन हमलों में ठोस साक्ष्य नहीं पेश किए, तो यह संयुक्त राष्ट्र चार्टर और अंतरराष्ट्रीय समुद्री कानून का उल्लंघन माना जाएगा। बिना अंतरराष्ट्रीय अनुमति के किसी अन्य देश के नागरिकों पर हमला “राज्य प्रायोजित हत्या” की श्रेणी में आ सकता है।

और पढ़ें: who is Zohran Mamdani: ट्रंप के विरोध और विवादों के बीच जोहरान ममदानी की चमकदार जीत, न्यूयॉर्क में रचा इतिहास

रिकॉर्ड तोड़ बिक्री! ऑटो सेक्टर में बंपर ग्रोथ, फेस्टिव सीजन में 40.24 लाख वाहनों का ...

0

Automobiles sales: हाल ही में, फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन (FADA) ने डेटा साझा किया, जो दर्शाता है कि बीते फेस्टिव सीजन के दौरान ऑटो सेक्टर में रिकॉर्ड तोड़ बिक्री देखी गई, 42-दिनों के दौरान 40.24 लाख वाहन बेचे गए।जिसमे लोगों ने खरीद डाली 32 लाख से ज्यादा बाइक यह आँकड़ा अक्टूबर महीने के लिए फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशंस (FADA) द्वारा जारी किया गया है।

खुदरा बिक्री में 21 फीसदी की ग्रोथ 

अक्टूबर 2025 तक खुदरा वाहनों की बिक्री तेज़ी से बढ़कर लगभग 4.024 मिलियन यूनिट (4,023,923 यूनिट) हो गई, जो पिछले वर्ष की तुलना में 40.5% की वृद्धि है। यह यात्री वाहनों और 2 व्हीलर्स वाहनों, दोनों के लिए अब तक का सबसे अधिक मासिक बिक्री आँकड़ा है।

दरअसल इसका एक बड़ा कारण जीएसटी (GST) भी है। (जीएसटी 2.0) दरों में कमी के कारण त्योहारी सीज़न के दौरान कीमतें कम हुईं और उपभोक्ता माँग बढ़ी।

सेगमेंट बिक्री (यूनिट्स) पिछले वर्ष की तुलना में वृद्धि
टू-व्हीलर 40,52,503 22%
पैसेंजर व्हीकल 7,66,918 23%
कमर्शियल व्हीकल 1,39,586 15%
थ्री-व्हीलर 1,74,189 9%
ट्रैक्टर 97,314 14%

कम जीएसटी दरों से लाखों लोगों का फायदा

दरअसल, वाहन डीलरों के संगठन फाडा के अध्यक्ष सीएस विग्नेश्वर (Chairman CS Vigneshwar) ने बताया कि किफायती कीमतों में वृद्धि और मध्यम वर्ग की खपत को बढ़ावा देने वाले जीएसटी 2.0 का प्रभाव स्पष्ट रूप से देखने को मिला है। कॉम्पैक्ट और सब-4 मीटर कारों की बिक्री में काफी बढ़ोतरी दर्ज की गई है, क्योंकि टैक्स की दरों में कमी से खरीदारी का आधार व्यापक हुआ है।

वही कई डीलरों ने उल्लेख किया कि कुछ मॉडलों में खुदरा बिक्री की गति उनकी आपूर्ति से भी अधिक रही है। इसका अर्थ यह है कि बाज़ार में वाहनों की मांग उस सप्लाई से अधिक थी जो डिमांड उपलब्ध कराई गई।

3 व्हीलर्स वाहनों की भी बंपर डिमांड

FADA की रिपोर्ट के अनुसार, अक्टूबर में 3 व्हीलर्स वाहनों की खुदरा बिक्री साल-दर-साल 5 प्रतिशत बढ़कर 1,29,517 इकाई हो गई, जबकि वाणिज्यिक वाहनों (commercial vehicles) की बिक्री पिछले महीने की इसी अवधि की तुलना में 18 प्रतिशत बढ़ी। वही तामम मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार ऑटो डीलरों के संगठन ने कहा कि जीएसटी 2.0 के निरंतर प्रभाव, स्थिर ग्रामीण आय और शादियों व फसलों की मौसमी माँग के कारण भारत का ऑटोमोटिव (Automotive) खुदरा परिदृश्य अगले तीन महीनों के लिए postive बना हुआ है।

Chhattisgarh News: रायगढ़ में अंबुजा-अडानी परियोजना के विरोध ने पकड़ी रफ्तार, ग्रामीण...

0

Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले में धरमजयगढ़ क्षेत्र में अंबुजा-अडानी की प्रस्तावित परियोजना को लेकर विरोध की आग शांत होने का नाम नहीं ले रही। पिछले दो दिनों से ग्रामीण रायगढ़ कलेक्ट्रेट के बाहर खुले आसमान के नीचे धरने पर बैठे रहे। महिलाएं, पुरुष और बच्चे सभी ने मिलकर अपनी आवाज बुलंद की। ग्रामीणों ने साफ चेतावनी दी है कि वे पुरुंगा में होने वाली जनसुनवाई को किसी भी कीमत पर होने नहीं देंगे।

और पढ़ें: What is GPS Spoofing: दिल्ली एयरपोर्ट पर तकनीकी गड़बड़ी और GPS स्पूफिंग से मचा हड़कंप, यात्रियों को घंटों फंसा रहना पड़ा

विधायक भी धरनास्थल पर मौजूद- Chhattisgarh News

धरनास्थल पर स्थानीय विधायक उमेश पटेल और लालजीत राठिया भी पूरी रात ग्रामीणों के साथ रहे। शुक्रवार सुबह ग्रामीण अपने गांव लौट गए, लेकिन उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि धरमजयगढ़ की जमीन, जंगल और जलस्रोत की सुरक्षा के लिए वे किसी भी हाल में जनसुनवाई को नहीं होने देंगे। महिलाओं ने कहा, “हमारे गांव, हमारे जंगल और पहाड़ बचेंगे तभी हमारे बच्चे बचेंगे।”

प्रशासन पर आरोप, आंदोलन को मिली मजबूती

विधायक उमेश पटेल और लालजीत राठिया ने प्रशासन पर ग्रामीणों की बात न सुनने का आरोप लगाया। लालजीत राठिया ने कहा, “दो दिन तक ग्रामीण भूखे-प्यासे बैठे रहे, लेकिन कलेक्टर मिलने तक नहीं आए। अब हम अपनी जमीन और जंगल बचाने गांव लौट रहे हैं और जनसुनवाई को किसी भी कीमत पर होने नहीं देंगे।” उनके रुख ने आंदोलन को और ताकत दी है और माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में विरोध और तीखा हो सकता है।

प्रशासन की प्रतिक्रिया

उधर, अपर कलेक्टर और एसडीएम महेश शर्मा लगातार स्थिति पर नजर रखे हुए थे। उन्होंने बताया, “ग्रामीणों ने 24 घंटे धरना देने के बाद गांव लौटने का फैसला लिया है, जिसका प्रशासन स्वागत करता है। जनसुनवाई का उद्देश्य ही लोगों की बात सुनना है, इसलिए सभी से अपील है कि वे अपनी बातें शांतिपूर्वक वहां रखें।”

पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का समर्थन

इस विरोध पर राज्य के पूर्व सीएम भूपेश बघेल ने सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने लिखा, “भाजपा सरकार लगातार छत्तीसगढ़ की संपदा को अडानी पर लुटाने का काम कर रही है। क्षेत्रवासियों के भयंकर विरोध के बावजूद भाजपा सरकार ने धरमजयगढ़ की पुरंगा कोयला खदान अडानी समूह के स्वामित्व वाली अंबुजा सीमेंट को आवंटित कर दी है। लगभग 2150 एकड़ में फैला यह खदान क्षेत्र पेसा कानून के तहत संरक्षित है, लेकिन आदिवासी विरोधी भाजपा सरकार पेसा कानून को ठेंगा दिखाते हुए जनसुनवाई पर अड़ी हुई है।”

भूपेश बघेल ने आगे लिखा, “आज एक बार फिर इस खदान से प्रभावित क्षेत्रवासियों ने जनसुनवाई निरस्त करने की मांग को लेकर रायगढ़ जिला मुख्यालय में विरोध प्रदर्शन किया। अडानी की इस खदान से पुरंगा, तेंदुमुडा, कोकधार और समरसिंघा गांव बुरी तरह प्रभावित होंगे और क्षेत्र का इकोसिस्टम तबाह हो जाएगा। पेसा कानून को धता बताकर जनसुनवाई का ढोंग रचकर छत्तीसगढ़ की संपदा को अडानी के हवाले करने का यह खेल अब नहीं चलेगा। हम पुरंगा क्षेत्र के इन ग्रामीणों की मांग का समर्थन करते हैं।”

आगे की संभावना

इस पूरे घटनाक्रम से साफ है कि धरमजयगढ़ में अंबुजा-अडानी परियोजना को लेकर स्थानीय लोगों का विरोध तेज है। प्रशासन और राज्य सरकार के सामने चुनौती यह है कि वे ग्रामीणों की चिंताओं को नजरअंदाज किए बिना समाधान निकालें। ग्रामीणों का कहना है कि जब तक उनके जंगल, जमीन और जलस्रोत सुरक्षित नहीं होंगे, वे किसी भी जनसुनवाई को स्वीकार नहीं करेंगे।

और पढ़ें: Vande Mataram History: वंदे मातरम गीत पूरे हुए 150 साल, जानें इसे लिखने के पीछे का इतिहास 

 ‘ये कैसे स्टार्स हैं?’ Suresh Raina और Shikhar Dhawan पर भड़के पुलिस कमिश्नर, ED ने 1...

0

Suresh Raina Shikhar Dhawan: भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व स्टार खिलाड़ी शिखर धवन और सुरेश रैना एक बड़े विवाद में घिर गए हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने दोनों क्रिकेटर्स के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में बड़ी कार्रवाई करते हुए कुल 11.14 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त कर ली है। इसमें रैना की 6.64 करोड़ रुपये और धवन की 4.5 करोड़ रुपये की संपत्ति शामिल है।

यह कार्रवाई एक ऐसे ऑनलाइन सट्टेबाजी रैकेट से जुड़ी जांच के तहत हुई है, जो भारत में अवैध रूप से काम कर रहा था। ईडी को शक है कि इन खिलाड़ियों ने जिन कंपनियों के साथ प्रमोशनल डील की, उनका कनेक्शन 1xBet, 1xBat, और Sporting Lines जैसे सट्टेबाजी प्लेटफॉर्म्स से था।

और पढ़ें: Mohammed Shami IND vs SA: साउथ अफ्रीका सीरीज से बाहर 5 दिग्गज! मोहम्मद शमी तक हुए बाहर,  क्या यहीं खत्म हो गया इनका करियर?

मामला आखिर शुरू कैसे हुआ? (Suresh Raina Shikhar Dhawan)

यह पूरी कहानी तब शुरू हुई जब देश के कई राज्यों की पुलिस ने अवैध ऑनलाइन बेटिंग ऐप्स के खिलाफ केस दर्ज किए। इन ऐप्स पर आरोप था कि ये फर्जी लेनदेन और विदेशी खातों के जरिए मनी लॉन्ड्रिंग कर रहे हैं। जांच के शुरुआती दौर में ही करोड़ों रुपये के संदिग्ध ट्रांजैक्शन और विदेशों से जुड़े दस्तावेज सामने आए।

इसके बाद ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत केस दर्ज कर जांच शुरू की। इस जांच में सामने आया कि कुछ भारतीय क्रिकेटर और सेलिब्रिटीज ने इन सट्टेबाजी प्लेटफॉर्म्स से जुड़ी कंपनियों के साथ एंडोर्समेंट डील्स की थीं, जिसके जरिए उन्हें करोड़ों रुपये मिले।

धवन और रैना कैसे आए शिकंजे में?

जांच के दौरान ईडी को पता चला कि शिखर धवन और सुरेश रैना ने विदेशी कंपनियों के साथ विज्ञापन अनुबंध किए थे, जिनका सीधा संबंध 1xBet से था। रिपोर्ट्स के अनुसार, उन्हें इन डील्स के बदले जो रकम मिली, वह विदेशी रास्तों से भेजी गई ताकि यह वैध प्रमोशनल इनकम लगे।

लेकिन जब इस रकम के स्रोत का पता लगाया गया, तो यह सामने आया कि यह पैसा अवैध सट्टेबाजी से कमाया गया था। ऐसे में ईडी ने यह मान लिया कि खिलाड़ियों ने जानबूझकर ऐसे ब्रांड्स को प्रमोट किया जो मनी लॉन्ड्रिंग के तहत जांच में थे।

नतीजतन, ईडी ने दोनों खिलाड़ियों की संपत्तियों को अटैच करते हुए आगे की जांच शुरू कर दी है।

पुलिस कमिश्नर ने लगाई फटकार

इस पूरे मामले पर हैदराबाद पुलिस कमिश्नर वी.सी. सज्जनार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (ट्विटर) पर दोनों खिलाड़ियों को फटकार लगाई। उन्होंने लिखा —

“ये लोग कैसे स्टार्स हैं? सट्टेबाजी के कारण लाखों लोग बर्बाद हो रहे हैं। कई लोग तो आत्महत्या तक कर लेते हैं। क्या ये क्रिकेटर जिम्मेदार नहीं हैं, जो बेटिंग ऐप्स को प्रमोट करते हैं? समाज के भले के लिए प्रेरक बातें करें, युवाओं को गलत दिशा में मत ले जाएं।”

आगे क्या होगा?

ईडी अब इस मामले से जुड़े विदेशी ट्रांजैक्शनों और कॉन्ट्रैक्ट डिटेल्स की जांच कर रही है। एजेंसी यह पता लगाने की कोशिश में है कि क्या इस रैकेट में और बड़े नाम भी शामिल हैं।

और पढ़ें: T20 World Cup win: BCCI का बड़ा ऐलान, वर्ल्ड चैम्पियन टीम इंडिया को मिलेंगे ₹51 करोड़

What is GPS Spoofing: दिल्ली एयरपोर्ट पर तकनीकी गड़बड़ी और GPS स्पूफिंग से मचा हड़कंप...

0

What is GPS Spoofing: दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे (आईजीआई) पर शुक्रवार सुबह अचानक एयर ट्रैफिक कंट्रोल (एटीसी) सिस्टम में आई तकनीकी खराबी ने उड़ान संचालन को बुरी तरह प्रभावित कर दिया। इस वजह से दर्जनों फ्लाइट्स में देरी हुई और यात्रियों को कई घंटे तक एयरपोर्ट पर इंतजार करना पड़ा। लेकिन यह परेशानी सिर्फ एक तकनीकी गलती तक सीमित नहीं है — पिछले एक हफ्ते से दिल्ली के आसमान में विमानों के जीपीएस सिस्टम में आ रहे “फेक अलर्ट” ने एयरलाइंस और पायलटों की नींद उड़ा दी है।

और पढ़ें: Vande Mataram History: वंदे मातरम गीत पूरे हुए 150 साल, जानें इसे लिखने के पीछे का इतिहास

जीपीएस स्पूफिंग से बिगड़ी स्थिति- What is GPS Spoofing

एयर ट्रैफिक कंट्रोल के सूत्रों के मुताबिक, दिल्ली के करीब 100 किलोमीटर के दायरे में ऐसी घटनाएं लगातार दर्ज की जा रही हैं, जिन्हें तकनीकी भाषा में GPS Spoofing कहा जाता है। इसमें विमान के नेविगेशन सिस्टम को नकली सैटेलाइट सिग्नल भेजकर भ्रमित किया जाता है, जिससे पायलट को गलत लोकेशन या रूट की जानकारी मिलने लगती है। कई बार सिस्टम अचानक चेतावनी देता है कि आगे खतरा है, जबकि वास्तव में ऐसा कुछ नहीं होता।

एक पायलट ने बताया कि पिछले हफ्ते उन्होंने लगातार छह दिन उड़ानें भरीं और हर बार जीपीएस स्पूफिंग का सामना करना पड़ा। उन्होंने बताया कि एक बार दिल्ली एयरपोर्ट पर लैंडिंग के वक्त कॉकपिट में अचानक अलर्ट आया कि आगे के रास्ते में खतरा है, लेकिन जांच करने पर पता चला कि सब कुछ सामान्य था। ऐसी गलत चेतावनियों की वजह से कई फ्लाइट्स को देरी का सामना करना पड़ा और यात्रियों की परेशानी बढ़ गई।

साइबर अटैक की संभावना

दिल्ली पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों ने इसे एक प्रकार का साइबर अटैक बताया है। स्पूफिंग दरअसल वो प्रक्रिया है जिसमें नेविगेशन सिस्टम को गुमराह करने के लिए जमीन से नकली जीपीएस सिग्नल भेजे जाते हैं। ज्यादातर ऐसा वॉर ज़ोन में किया जाता है ताकि दुश्मन देशों के ड्रोन या विमान अपने रास्ते से भटक जाएं या नष्ट हो जाएं। खुफिया सूत्रों के अनुसार, भारत-पाकिस्तान बॉर्डर के पास इस तरह की घटनाएं कभी-कभी होती रही हैं, लेकिन दिल्ली के ऊपर ऐसा होना बहुत असामान्य है और यह सुरक्षा एजेंसियों के लिए बड़ा अलर्ट है।

DGCA और ICAO को दी गई जानकारी

एयर ट्रैफिक कंट्रोल विभाग ने डायरेक्टरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (डीजीसीए) को इन घटनाओं की पूरी जानकारी दे दी है। डीजीसीए ने पहले ही नवंबर 2023 में सभी एयरलाइनों को इस तरह की घटनाओं से निपटने के लिए स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOP) का पालन करने का आदेश दिया था। उस समय यह भी निर्देश दिया गया था कि एयरलाइंस हर दो महीने में GPS स्पूफिंग से जुड़ी रिपोर्ट जमा करें। भारत ने यह मुद्दा अंतरराष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन (ICAO) के सामने भी उठाया था ताकि इसे वैश्विक स्तर पर गंभीरता से लिया जा सके।

एटीसी सिस्टम की भूमिका और चुनौती

एटीसी सिस्टम हवाई यात्रा का दिमाग माना जाता है। यह रडार, ट्रांसपोंडर, मौसम सेंसर और उड़ान योजनाओं से मिलने वाले डेटा को एकत्रित कर वास्तविक समय में उसकी मॉनिटरिंग करता है। इसका काम आकाश में उड़ रहे सैकड़ों विमानों के बीच सुरक्षित दूरी बनाए रखना, रूट तय करना और किसी भी संभावित टकराव से पहले चेतावनी जारी करना है।

जब जीपीएस स्पूफिंग होती है, तो यह सटीक नेविगेशनल मार्गदर्शन बिगाड़ देती है। ऐसे में एटीसी कंट्रोलर्स को मैन्युअली विमानों के बीच दूरी बनाए रखनी पड़ती है। रेडियो पर बातचीत बढ़ जाती है और कंट्रोलर्स का काम कई गुना कठिन हो जाता है। दिल्ली जैसे व्यस्त हवाई क्षेत्र में यह स्थिति बेहद चुनौतीपूर्ण हो सकती है।

बार-बार तकनीकी दिक्कतें

दिल्ली एयरपोर्ट पर यह कोई पहली बार नहीं है जब ऑपरेशंस तकनीकी गड़बड़ी के कारण प्रभावित हुए हों। हाल के महीनों में कई बार नेविगेशन और सिस्टम फेल्योर की घटनाएं सामने आई हैं। शुक्रवार की घटना से पहले भी हवाई अड्डे को संदिग्ध GPS स्पूफिंग के कारण ऑपरेशनल दिक्कतों से जूझना पड़ा था। पिछले महीने वियना से दिल्ली आ रही एक फ्लाइट को रास्ते में सिग्नल गड़बड़ होने के कारण दुबई की ओर मोड़ना पड़ा था।

फ्लाइटरडार के आंकड़ों के मुताबिक, मंगलवार को उड़ान व्यवधान के मामले में दिल्ली का आईजीआई एयरपोर्ट दुनिया में काठमांडू के बाद दूसरे स्थान पर रहा। यह साफ दिखाता है कि तकनीकी दिक्कतें अब बार-बार सामने आ रही हैं और इनका सीधा असर यात्रियों की यात्रा योजनाओं पर पड़ रहा है।

जीपीएस स्पूफिंग कैसे होती है?

कमर्शियल पायलट सुजीत ओझा ने बताया कि GPS स्पूफिंग तब होती है जब जिस फ्रीक्वेंसी पर जीपीएस काम करता है, उसी पर जमीन से नकली सिग्नल भेजे जाते हैं। इस वजह से विमान का सिस्टम गलत लोकेशन को सही मान लेता है। उदाहरण के तौर पर, पायलट को लगता है कि विमान पॉइंट A पर है, जबकि वास्तव में वह पॉइंट B पर होता है। ऐसी स्थिति में कभी-कभी विमान गलत दिशा में चला जाता है या खतरनाक रूप से किसी दूसरे रूट के करीब पहुंच सकता है।

सुजीत ने बताया कि पायलटों को ऐसे हालात से निपटने की ट्रेनिंग दी जाती है। हालांकि, आम तौर पर GPS के अलावा विमानों में INS (Inertial Navigation System) जैसे बैकअप सिस्टम होते हैं। लेकिन हाल ही में इस सिस्टम में भी मेंटेनेंस चल रहा था, इसलिए यह विकल्प भी कई विमानों के पास उपलब्ध नहीं था। उन्होंने कहा कि भारत से अमेरिका के लिए उड़ानों के दौरान यूक्रेन के पास ऐसे GPS भ्रम अक्सर देखने को मिलते हैं, लेकिन तब पायलट INS सिस्टम का सहारा ले लेते हैं।

खतरे की गंभीरता और आगे की राह

खुफिया एजेंसियों का कहना है कि इस तरह की तकनीकी छेड़छाड़ केवल एक टेक्निकल खराबी नहीं बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से भी बेहद गंभीर मामला है। दिल्ली जैसे हाई-सिक्योरिटी जोन में अगर कोई लगातार जीपीएस स्पूफिंग कर पा रहा है, तो यह चिंता का विषय है। फिलहाल डीजीसीए, एयरपोर्ट अथॉरिटी और सुरक्षा एजेंसियां मिलकर इस मामले की जांच कर रही हैं।

यात्रियों की परेशानी और सुरक्षा चिंता

शुक्रवार सुबह की एटीसी गड़बड़ी और पिछले दिनों की GPS स्पूफिंग ने यात्रियों को काफी परेशानी में डाल दिया। कई उड़ानें देरी से चलीं, कुछ रद्द करनी पड़ीं और कई यात्रियों को एयरपोर्ट पर घंटों इंतजार करना पड़ा। पायलटों और क्रू मेंबर्स को अतिरिक्त सावधानी बरतनी पड़ी ताकि किसी तरह की सुरक्षा चूक न हो।

और पढ़ें: India arms global dominance: भारत का हथियारों में ग्लोबल कब्ज़ा! 85 देशों को बेचे 2.5 अरब डॉलर के डिफेंस सिस्टम

French Man Found Gold: बगीचे में खुदाई करते वक्त मिला 7 करोड़ का खजाना, सरकार ने कहा-...

0

French Man Found Gold: कभी आपने सोचा है कि अपने बगीचे में खुदाई करते वक्त आपको सोने की ईंटें मिलें? यह सुनने में जितना फिल्मी लगता है, उतना ही असल में हुआ है। हाल ही में फ्रांस में एक आदमी ने अपने घर के बगीचे में स्विमिंग पूल बनाने के लिए खुदाई शुरू की और जो उसने पाया, वह न केवल चौंकाने वाला था, बल्कि उसकी किस्मत भी बदल गई। जमीन के नीचे छिपा था सोने का खजाना, जिसकी कीमत करीब 8 लाख डॉलर (लगभग 7.09 करोड़ रुपये) आंकी जा रही है। सबसे दिलचस्प बात यह है कि सरकारी जांच के बाद उसे यह सोना रखने की अनुमति भी मिल गई है।

और पढ़ें: पश्चिम बंगाल का ‘Land Rover Village’: जहां हर घर में दौड़ती है 70 साल पुरानी जीप

कैसे मिला सोना? (French Man Found Gold)

यह घटना मई 2023 की है, जब फ्रांस के न्यूविल-सुर-साॅने इलाके में एक व्यक्ति अपने बगीचे में स्विमिंग पूल बनाने के लिए मिट्टी खुदवाने गया था। खुदाई के दौरान जब उसका फावड़ा किसी सख्त चीज़ से टकराया, तो उसे महसूस हुआ कि कुछ अजीब है। उसने और गहरी खुदाई की और पाया कि जमीन में दबे हुए प्लास्टिक बैग निकले थे। बैग खोलते ही अंदर से सोने की 5 ईंटें और कई सोने के सिक्के निकले। यह सब देखकर वह हैरान रह गया और तुरंत अधिकारियों को इसकी सूचना दी।

सरकार की जांच और रहस्य

जांच के दौरान यह पता चला कि यह सोना किसी पुरातात्विक स्थल से नहीं था। इसके अलावा, यह भी पुष्टि की गई कि सोने को कानूनी रूप से खरीदा गया था और 15-20 साल पहले इसे एक स्थानीय रिफाइनरी में प्रोसेस किया गया था। सबसे दिलचस्प बात यह थी कि इस घर के पहले मालिक की मृत्यु हो चुकी थी, और अब तक यह रहस्य बना हुआ है कि सोना किसने और क्यों छिपाया था।

फ्रांसीसी अधिकारियों के अनुसार, हालांकि यह सोना कानूनी रूप से खरीदा गया था, लेकिन इस बारे में पूरी जानकारी सामने नहीं आई कि इसे किस कारण से वहां छिपाया गया। बहरहाल, जैसे ही यह खजाना सामने आया, यह पूरी घटना न केवल स्थानीय मीडिया में, बल्कि दुनिया भर में चर्चा का विषय बन गई।

फ्रांस में पहले भी हुई हैं ऐसी घटनाएं

यह पहली बार नहीं है जब फ्रांस में किसी को सोना मिला है। इस साल की शुरुआत में, फ्रांस के औवेर्ग्ने-रोन-आल्प्स क्षेत्र में एक किसान, मिशेल डुपोंट, ने अपने खेत में करीब 150 टन सोना खोज लिया था। उसकी अनुमानित कीमत लगभग 36,000 करोड़ रुपये बताई गई। डुपोंट ने खेत में खुदाई करते वक्त चमकदार चीज देखी और जैसे ही उसने खोदा, उसके सामने बड़े-बड़े सोने के टुकड़े निकल आए। इस घटना के बाद पूरे फ्रांस में चर्चा शुरू हो गई और सरकारी अधिकारी, वकील, और मीडिया मौके पर पहुंच गए। हालांकि, फ्रांस के कानून के अनुसार, निजी जमीन के नीचे छिपे सभी खनिज संसाधन राज्य के होते हैं, इस वजह से डुपोंट को इस खजाने में से सिर्फ 0.5% हिस्सा मिलेगा।

क्या है फ्रांस का कानून?

फ्रांस में खनिजों का मालिकाना हक राज्य के पास होता है, और यही कारण है कि किसान डुपोंट को अपनी खोज से बहुत कम हिस्सा मिलेगा। इसके साथ ही, इस तरह के खजाने की खोज से पर्यावरण पर भी असर पड़ सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि सोने को निकालने से जंगलों की कटाई, प्रदूषण और आसपास के गांवों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

और पढ़ें: Himachal Pradesh Unique Marriage: सिरमौर में दो भाइयों ने सात फेरों की जगह ली संविधान की शपथ, कार्ड पर छपी अंबेडकर की तस्वीर

Pune Land Deal: 1800 करोड़ की सरकारी ज़मीन महज 300 करोड़ में बेची, अजित पवार के बेटे ...

0

Pune Land Deal: महाराष्ट्र की राजनीति में एक बार फिर से हलचल मच गई है, और इस बार ये हलचल उपमुख्यमंत्री अजित पवार के परिवार से जुड़ी है। उनके बेटे पार्थ पवार पर पुणे पुलिस ने एक बड़ा आरोप लगाया है। पार्थ पवार के खिलाफ एक ज़मीन घोटाले में एफआईआर दर्ज की गई है, जिससे राज्य में राजनीतिक माहौल गर्मा गया है। ये मामला सरकारी ज़मीन को अवैध रूप से सस्ते दामों में बेचने से जुड़ा है, और अब विपक्षी पार्टियां इस मामले को लेकर प्रदेश सरकार को घेरने में जुट गई हैं।

और पढ़ें: Bihar Assembly Elections 2025: बिहार चुनाव में बढ़ी वोटिंग, क्या 8% वोटिंग का इजाफा सरकार की सीटों को हिला देगा?

क्या है पूरा मामला? (Pune Land Deal)

जानकारी के अनुसार, पार्थ पवार की कंपनी Amadea Enterprises ने पुणे के मंडावा इलाके में स्थित 16.19 हेक्टेयर सरकारी ज़मीन को महज ₹300 करोड़ में खरीद लिया, जबकि इस ज़मीन का असली बाजार मूल्य ₹1600 से ₹1800 करोड़ के बीच था। यह डील तब और संदिग्ध बन गई, जब यह सामने आया कि इस ज़मीन की बिक्री पर ₹21 करोड़ की स्टांप ड्यूटी के बजाय केवल ₹500 की स्टांप ड्यूटी ली गई। इस घोटाले में पार्थ पवार के अलावा उनकी कंपनी के अन्य दो साझेदार भी शामिल हैं।

पुलिस ने दर्ज की FIR

पुणे पुलिस ने इस मामले में तीन लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। आरोपियों में पार्थ पवार के साथ उनके अन्य साझेदार भी शामिल हैं। पुलिस का कहना है कि यह डील पूरी तरह से नियमों का उल्लंघन करते हुए की गई थी, और सरकारी संपत्ति को कौड़ियों के भाव बेचा गया। इस मामले में अब पुलिस जांच शुरू कर चुकी है, और पार्थ पवार की मुश्किलें बढ़ सकती हैं, क्योंकि यह मामला हाईप्रोफाइल होने के साथ-साथ सीधे तौर पर एक बड़े राजनेता के परिवार से जुड़ा है।

जांच के आदेश और अधिकारियों पर कार्रवाई

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए तुरंत कार्रवाई की दिशा में कदम उठाए। उन्होंने राज्य के राजस्व और भूमि रिकॉर्ड विभाग से पूरी जानकारी मांगी और मामले की जांच के आदेश दिए हैं। मुख्यमंत्री का कहना था, “प्रथम दृष्टया मामला गंभीर प्रतीत हो रहा है, और अगर किसी भी स्तर पर अनियमितताएं पाई गईं तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी।”

इसके अलावा, इस मामले में सरकारी अधिकारियों पर भी गाज गिरी है। तहसीलदार सूर्यकांत येवले और सब-रजिस्ट्रार आरबी तारु को निलंबित कर दिया गया है। यह कार्रवाई भी मुख्यमंत्री के आदेश पर की गई है, जिन्होंने यह सुनिश्चित किया कि कोई भी जिम्मेदार अधिकारी बख्शा न जाए।

पार्थ पवार के खिलाफ एफआईआर दर्ज होने के बाद, यह सवाल भी उठ रहा है कि क्या इस मामले में अजित पवार भी शामिल हैं या फिर उनका परिवार किसी गलत कार्य में लिप्त नहीं है।

और पढ़ें: Rahul Gandhi Brazil Model Girl: राहुल गांधी बोले– ब्राजील की मॉडल ने डाले 22 वोट! लारिसा ने कहा– ‘मैं तो भारत आई ही नहीं’

Haryana SI Murder: हुड़दंग का विरोध करने पर हरियाणा में पुलिस सब इंस्पेक्टर की ईंटों ...

0

Haryana SI Murder: हरियाणा के हिसार में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जहां एक पुलिस सब इंस्पेक्टर की ईंट और डंडों से पीट-पीटकर हत्या कर दी गई। यह घटना गुरुवार रात करीब 11:30 बजे की है, जब 57 वर्षीय सब इंस्पेक्टर रमेश कुमार ने कुछ युवकों द्वारा इलाके में किए जा रहे हुड़दंग और गाली-गलौज का विरोध किया। वारदात के बाद हमलावर मौके से भागने में सफल हो गए, लेकिन पुलिस ने बाद में उनकी गिरफ्तारी के लिए छापेमारी शुरू कर दी और पांच आरोपियों को पकड़ लिया।

और पढ़ें: UP Crime News: सुहागरात पर हुआ बड़ा खेल! घूंघट हटते ही दूल्हे से लूटी गई जिंदगी, जानिए क्या था पूरा मामला

क्या हुआ था घटना के समय? (Haryana SI Murder)

रमेश कुमार हिसार के एडीजीपी ऑफिस में शिकायत शाखा में तैनात थे। गुरुवार रात जब वह अपने घर में थे, तभी गली में कुछ युवक हुड़दंग कर रहे थे और शोर मचा रहे थे। रमेश कुमार ने उन्हें बाहर आकर शोर शराबा करने से रोका, और इस पर युवक असहमति जताते हुए वहां से चले गए। हालांकि, एक घंटे बाद वही युवक फिर से गाड़ियों और दोपहिया वाहनों से वापस आए और रमेश के घर के सामने गाली-गलौज करना शुरू कर दिया।

रमेश कुमार ने एक बार फिर इन युवकों को शांति बनाए रखने की अपील की, लेकिन युवकों ने इस बार हिंसक प्रतिक्रिया दी। उन्होंने डंडों और ईंटों से हमला कर दिया, जिससे रमेश कुमार गंभीर रूप से घायल हो गए। यह देखकर उनकी पत्नी और अन्य परिवार के लोग दौड़े, लेकिन हमलावर वहां से भागने में सफल हो गए। भागते समय आरोपियों ने अपनी कार और दो दोपहिया वाहनों को मौके पर छोड़ दिया।

मृतक पुलिस सब इंस्पेक्टर की पारिवारिक स्थिति

57 वर्षीय रमेश कुमार का जनवरी 2026 में रिटायरमेंट होने वाला था। वह अपने परिवार के साथ ढाणी श्यामलाल की गली नंबर-3 में रहते थे। उनके परिवार में दो बेटियां और एक बेटा है। बेटा हिमाचल प्रदेश में मेडिकल की पढ़ाई कर रहा है, जबकि एक बेटी गुरुग्राम में काम करती है और सबसे बड़ी बेटी की शादी हो चुकी है। परिवार के अन्य सदस्य भी पुलिस विभाग में कार्यरत हैं।

पुलिस की कार्रवाई और गिरफ्तारी

रमेश कुमार के शरीर पर ईंटों से किए गए वारों के बाद उनकी हालत गंभीर हो गई। चीख पुकार सुनकर पड़ोसियों ने उन्हें अस्पताल पहुंचाया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। पुलिस ने घटनास्थल से एक कार और दो दोपहिया वाहन बरामद किए हैं।

पुलिस के आला अधिकारी मामले की जांच में जुट गए और उन्होंने आरोपियों की तलाश के लिए कई टीमों का गठन किया। एसपी शशांक कुमार सावन ने मीडिया से बातचीत में बताया कि प्रारंभिक जांच के मुताबिक, आरोपियों में से कुछ रमेश कुमार के ही दूर के रिश्तेदार थे। पुलिस ने पांच युवकों को गिरफ्तार कर लिया है। गिरफ्तार किए गए आरोपियों में महेंद्र उर्फ गब्बर (54), उसका बेटा सुभाष (20), प्रवीण (33), जतिन (33) और नरेंद्र (28) शामिल हैं।

हमलावरों ने ईंटों का किया इस्तेमाल

एसपी ने यह भी बताया कि घटना में लगभग 15 युवकों ने एक साथ मिलकर सब इंस्पेक्टर पर हमला किया। हमलावरों ने मौके पर पड़ी ईंटों का इस्तेमाल हथियार की तरह किया, और इनसे रमेश कुमार के सिर पर वार किए। पुलिस ने मृतक के भतीजे अमित कुमार के बयान के आधार पर 10 लोगों के खिलाफ नामजद एफआईआर दर्ज की है, जबकि बाकी के आरोपियों के खिलाफ अज्ञात के रूप में केस दर्ज किया गया है।

आरोपियों की गिरफ्तारी

हिसार पुलिस ने हमलावरों की गिरफ्तारी के लिए सघन कार्रवाई शुरू की है। तीन आरोपियों के हाथ-पैर में फ्रेक्चर भी आए हैं, जब वे पुलिस से बचने के लिए भागे थे। पुलिस ने आरोपियों के वाहनों को कब्जे में ले लिया है और गिरफ्तारी के लिए दबिश जारी है।

और पढ़ें: Surat Crime News: सूरत में एमपी के युवक को चाकू की नोंक पर तलवे चटवाए, वीडियो वायरल होने के बाद लापता, नेत्रहीन मां का रो-रोकर बुरा हाल

Bihar Assembly Elections 2025: बिहार चुनाव में बढ़ी वोटिंग, क्या 8% वोटिंग का इजाफा स...

0

Bihar Assembly Elections 2025: बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण की 121 सीटों पर मतदान 28 अक्टूबर को हुआ, और मतदाताओं की उत्साही भागीदारी ने पूरे राज्य को हैरान कर दिया। इस बार मतदान प्रतिशत में एक उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई, जो पिछली बार के मुकाबले 8.5% अधिक है। चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक, इस चरण में 64.69% मतदान हुआ, जबकि 2020 में इसी चरण में 56% मतदान हुआ था। यह वृद्धि बिहार की सियासत में काफी महत्व रखती है, और इसे विभिन्न राजनीतिक दलों के लिए चेतावनी और उम्मीद दोनों के रूप में देखा जा रहा है।

और पढ़ें: Bihar 1st Phase Voting: तेजस्वी की साख, तेज प्रताप की वापसी और खेसारी का स्टार पावर – किस पर भारी पड़ेगा जनता का वोट?

पहले चरण में किसे मिली बढ़ी हुई वोटिंग? (Bihar Assembly Elections 2025)

बिहार के पहले चरण में 18 ज़िलों की 121 विधानसभा सीटों पर चुनाव हुआ। इन क्षेत्रों में इस बार के मतदान प्रतिशत में बढ़ोतरी देखी गई है। जहां मुज़फ़्फ़रपुर और समस्तीपुर जैसे जिलों में 70% से अधिक मतदान हुआ, वहीं पटना में यह आंकड़ा सबसे कम 57.93% रहा। यह आंकड़े बिहार के चुनावी इतिहास में महत्वपूर्ण माने जा रहे हैं, क्योंकि पहले चरण में 64.69% वोटिंग ने राज्य के राजनीतिक भविष्य को लेकर अटकलों को जन्म दिया है।

साल 2020 में पहले चरण में कुल 3.70 करोड़ वोटर्स में से 2.06 करोड़ ने मतदान किया था, लेकिन इस बार कुल 3.75 करोड़ वोटर्स में से बड़ी संख्या में लोगों ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया। इस प्रकार, पिछले चुनाव से 5 लाख अधिक वोटर्स होने के बावजूद, मतदान प्रतिशत में करीब 8% की बढ़ोतरी हुई है।

बिहार का ऐतिहासिक वोटिंग पैटर्न

बिहार का चुनावी इतिहास वोटिंग पैटर्न के लिहाज से काफी दिलचस्प है। 1951-52 से लेकर 2020 तक हुए चुनावों में इस राज्य में कभी भी इतनी बड़ी वोटिंग नहीं हुई थी। 2000 के विधानसभा चुनावों में 62.57% और 1998 के लोकसभा चुनाव में 64.60% मतदान के रिकॉर्ड को इस बार के पहले चरण ने चुनौती दी है। 2020 में पहले चरण में जहां 56.1% वोटिंग हुई थी, वहीं इस बार 64.69% वोटिंग ने नए रिकॉर्ड की ओर इशारा किया है।

बिहार में जब भी वोटिंग प्रतिशत बढ़ा है, इसके सियासी असर भी दिखे हैं। आमतौर पर यह माना जाता है कि जब अधिक मतदान होता है, तो इसका मतलब यह हो सकता है कि जनता सत्ता के खिलाफ बदलाव चाहती है (एंटी-इंकंबेंसी)। हालांकि, कभी-कभी ज्यादा मतदान का मतलब सरकार के प्रति समर्थन (प्रो-इंकंबेंसी) भी हो सकता है, और यह चुनावी नतीजों के बारे में अभी कोई सटीक अनुमान नहीं लगाया जा सकता है।

वोटिंग में बढ़ोतरी के सियासी संकेत

बिहार में 5% से ज्यादा वोटिंग बढ़ने से चुनाव परिणामों में बदलाव आने की संभावना काफी बढ़ जाती है। ऐतिहासिक रूप से जब भी वोटिंग में इस तरह का इजाफा हुआ है, बिहार में सरकार बदल गई है। उदाहरण के तौर पर, 1967 के चुनाव में वोटिंग प्रतिशत 44.5% से बढ़कर 51.5% हो गया था, जिसके परिणामस्वरूप कांग्रेस की सरकार गिर गई और पहली बार गैर-कांग्रेसी दलों ने सरकार बनाई। इसी तरह, 1980 और 1990 में भी जब मतदान में वृद्धि हुई, तो सरकारें बदल गईं।

ऐसे में सवाल यह उठता है कि इस बार बढ़ी हुई वोटिंग का असर किस ओर जाएगा। क्या यह बढ़ी हुई वोटिंग नीतीश कुमार की अगुवाई वाली महागठबंधन सरकार के खिलाफ जाएगी या फिर सत्ता पक्ष के समर्थन में होगी? यह भविष्यवाणी करना जल्दबाजी होगी, लेकिन राज्य के सियासी माहौल में यह बदलाव निश्चित तौर पर महत्तवपूर्ण माना जा रहा है।

बिहार के सियासी समीकरण

बिहार के पहले चरण के चुनावी आंकड़ों को देखा जाए तो महागठबंधन और एनडीए के बीच कांटे की टक्कर रही थी। 2020 के चुनाव में महागठबंधन ने 61 सीटों पर जीत हासिल की थी, जबकि एनडीए को 59 सीटें मिलीं थीं। हालांकि, इस बार समीकरण थोड़ा बदल गए हैं। 2020 में एनडीए से अलग चुनाव लड़ने वाले चिराग पासवान और उपेंद्र कुशवाहा इस बार एनडीए का हिस्सा हैं, जबकि मुकेश सहनी महागठबंधन में शामिल हुए हैं। इस बार चुनाव में 104 सीटों पर सीधा मुकाबला है, जबकि 17 सीटों पर त्रिकोणीय लड़ाई देखने को मिल रही है।

वोटिंग में इस तरह की बढ़ोतरी को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि पहले चरण के परिणाम राज्य की राजनीतिक दिशा तय कर सकते हैं। खासकर मिथिलांचल, कोसी, मुंगेर और भोजपुर बेल्ट के परिणामों का असर सियासी समीकरण पर पड़ेगा।

आखिरी चरण और चुनावी परिणाम

पहले चरण की 121 सीटों पर कुल 1314 उम्मीदवार मैदान में थे, जिनकी किस्मत ईवीएम में कैद हो गई। चुनाव के अगले चरण में 122 सीटों पर मतदान होना है, और यह जानना दिलचस्प होगा कि क्या इन सीटों पर भी मतदाता इसी तरह का उत्साह दिखाएंगे। इस बढ़ी हुई वोटिंग के साथ यह माना जा सकता है कि इस बार बिहार के चुनाव परिणामों में कुछ न कुछ बदलाव जरूर आएगा, और इससे सत्ता में किसी बड़े बदलाव की संभावना भी बनती है।

और पढ़ें: Rahul Gandhi Brazil Model Girl: राहुल गांधी बोले– ब्राजील की मॉडल ने डाले 22 वोट! लारिसा ने कहा– ‘मैं तो भारत आई ही नहीं’

Aloe Vera: गंजेपन से परेशान हैं? जानिए क्या वाकई एलोवेरा कर सकता है कमाल

0

Aloe Vera Hair treatment: आज एलोवेरा (Aloe Vera) का इस्तेमाल कई बीमारियों के लिए किया जाता है। कोई इसे त्वचा के लिए इस्तेमाल करता है, कोई पेट की समस्याओं के लिए, और इसे बालों के लिए भी बहुत अच्छा माना जाता है। लेकिन क्या एलोवेरा गंजेपन का इलाज कर सकता है?

एलोवेरा (Aloe Vera) को आमतौर पर गंजेपन का सीधा और एकमात्र इलाज नहीं माना जाता है, खासकर जब गंजापन आनुवंशिक (genetic) कारणों या किसी गंभीर चिकित्सीय स्थिति के कारण हो। लेकिन, यह बालों और सिर की त्वचा (Scalp) इन्फेक्शन को सुधारने में बहुत मदद कर सकता है, जो अप्रत्यक्ष रूप से बालों के झड़ने को कम करने और स्वस्थ बालों के विकास को बढ़ावा देने में मदद कर सकता है।

एलोवेरा और गंजापन वैज्ञानिक सच्चाई

  • सिर की त्वचा का स्वास्थ्य – इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी (Anti-inflammatory) (सूजन कम करने वाले) गुण होते हैं जो सिर की त्वचा की जलन और खुजली को शांत करने में मदद करते हैं। यह डैंड्रफ (Seborrheic Dermatitis) को नियंत्रित करने में भी सहायक हो सकता है, जो अक्सर बालों के झड़ने का कारण बनता है।
  • बालों के रोम (Follicles) को साफ करना – एलोवेरा में प्रोटियोलिटिक एंजाइम (Proteolytic enzymes) होते हैं जो सिर की त्वचा पर जमा dead skin cells को हटाने में मदद करते हैं। इससे बालों के रोम खुल जाते हैं, जिससे बालों की ग्रोथ बेहतर हो सकता है।
  • बालों का टूटना कम करना – एलोवेरा बालों को नमी प्रदान करता है और कंडीशन करता है, जिससे बाल मजबूत होते हैं और उनका टूटना (breakage) कम हो जाता है।
  • ब्लड सर्कुलेशन में सुधार – कुछ रिसर्च से पता चलता है कि यह सिर की स्किन में रक्त संचार को बेहतर बना सकता है, जिससे बालों के रोमों को अधिक पोषक तत्व और ऑक्सीजन मिलती है।

गंजेपन पर सीधा असर

गंजेपन (जैसे मेल पैटर्न बाल्डनेस) के पीछे अक्सर आनुवंशिकी और हार्मोनल असंतुलन जैसे कारण होते हैं। एलोवेरा में अकेले इन मुख्य कारणों को बदलने की क्षमता का कोई पुख्ता वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।

एलोवेरा गंजेपन को जड़ से खत्म करने का कोई चमत्कारिक इलाज नहीं है, लेकिन यह स्वस्थ सिर की त्वचा को बढ़ावा देकर, बालों का झड़ना (Hair Fall) कम करके, और बालों के विकास के लिए एक बेहतर वातावरण बनाकर लाभदायक हो सकता है।