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India Operation Sindoor: भारत ने आतंकवाद के खिलाफ बड़ा कदम उठाया! ‘ऑपरेशन सिंदू...

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India Operation Sindoor: भारत ने मंगलवार रात करीब डेढ़ बजे पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में आतंकवादियों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की। इस ऑपरेशन को “ऑपरेशन सिंदूर” का नाम दिया गया, जो भारतीय सेना, वायुसेना और नौसेना का संयुक्त प्रयास था। भारतीय खुफिया एजेंसी RAW की जानकारी के आधार पर, लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकवादी समूहों के ठिकानों पर हमला किया गया।

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निशाने पर कौन-कौन से ठिकाने थे? (India Operation Sindoor)

भारत ने पाकिस्तान और पीओके में कुल 9 आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया। इन ठिकानों को भारतीय खुफिया जानकारी के आधार पर चुना गया था और ये पाकिस्तान के अंतरराष्ट्रीय सीमा (IB) और नियंत्रण रेखा (LoC) के निकट स्थित थे। इन ठिकानों को ध्यान में रखते हुए भारतीय सेना ने कार्रवाई की और आतंकवादियों के नेटवर्क को नष्ट करने का लक्ष्य रखा।

 

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  1. बहावलपुर – इंटरनेशनल बॉर्डर से लगभग 100 किमी दूर, जहां जैश-ए-मोहम्मद का मुख्यालय स्थित था, जिसे भारतीय वायुसेना ने ध्वस्त कर दिया।
  2. मुरीदके – लश्कर-ए-तैयबा का शिविर, जो इंटरनेशनल बॉर्डर से 30 किमी दूर था, और 26/11 मुंबई हमले से जुड़ा था।
  3. गुलपुर – यह आतंकी ठिकाना पुंछ-राजौरी सेक्टर से 35 किमी दूर स्थित था।
  4. लश्कर कैंप सवाई – पीओके के तंगधार सेक्टर में 30 किमी दूर स्थित लश्कर का शिविर।
  5. बिलाल कैंप – जैश-ए-मोहम्मद का लॉन्चपैड, जो आतंकियों को सीमा पार भेजने के लिए इस्तेमाल किया जाता था।
  6. कोटली – एलओसी से 15 किमी दूर लश्कर का शिविर, जिसमें 50 से ज्यादा आतंकियों की संभावना थी।
  7. बरनाला कैंप – एलओसी से 10 किमी दूर स्थित एक और आतंकवादी ठिकाना।
  8. सरजाल कैंप – सांबा-कठुआ सेक्टर के सामने स्थित जैश का प्रशिक्षण केंद्र, जो इंटरनेशनल बॉर्डर से 8 किमी दूर था।
  9. मेहमूना कैंप – यह हिज्बुल मुजाहिदीन का प्रशिक्षण शिविर था और सियालकोट के पास स्थित था, इंटरनेशनल बॉर्डर से 15 किमी दूर।

भारत सरकार का बयान

भारतीय रक्षा मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया, “भारत के सशस्त्र बलों ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान और पीओके में स्थित उन आतंकवादी ठिकानों को निशाना बनाया, जो भारत के खिलाफ आतंकवादी हमलों की योजना बनाते थे।” मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया कि इस कार्रवाई में भारत ने किसी भी पाकिस्तानी सैन्य ठिकाने को निशाना नहीं बनाया। उन्होंने यह भी कहा कि इस ऑपरेशन के दौरान भारत ने संयम बरतते हुए केवल आतंकवादियों को ही निशाना बनाया।

पाकिस्तानी सेना की प्रतिक्रिया

पाकिस्तानी सेना ने इस कार्रवाई के बाद अपने बयान में दावा किया कि भारतीय वायुसेना ने 6 स्थानों पर कुल 24 हमले किए, जिनमें 8 लोग मारे गए और 33 लोग घायल हुए। इसके अलावा, पाकिस्तान ने आरोप लगाया कि भारतीय सेना ने नियंत्रण रेखा (LoC) पर गोलीबारी की, जिससे तीन नागरिकों की मौत हो गई। इसके जवाब में भारतीय सेना ने पाकिस्तान की गोलाबारी का मुंहतोड़ जवाब दिया और पाकिस्तान की ओर से किए जा रहे सीजफायर उल्लंघन का कड़ा विरोध किया।

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India air-strike on Pakistan: भारत की जबरदस्त एयर स्ट्राइक! 2016 और 2019 से कहीं ज्या...

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India air-strike on Pakistan: पिछले दो हफ्तों से जिस खबर का इंतजार देशवासियों को था, वह बुधवार सुबह आखिरकार सामने आ गई। जम्मू और कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के बाद, भारतीय सेना ने एक बड़ी कार्रवाई की। मंगलवार रात को भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में आतंकी ठिकानों पर हवाई हमले किए, जिससे पाकिस्तान और उसके आतंकी संगठनों के खिलाफ भारत ने अपनी प्रतिक्रिया दी।

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प्रधानमंत्री मोदी की कड़ी चेतावनी पूरी हुई- India air-strike on Pakistan

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहलगाम हमले के बाद कहा था कि पाकिस्तान में बैठे आतंकियों को इतनी बड़ी सजा दी जाएगी, जिसकी उन्होंने कल्पना भी नहीं की होगी। मंगलवार रात हुई वायुसेना की कार्रवाई में यही संदेश दिया गया कि भारत अपने जवानों पर हुए हमलों को बर्दाश्त नहीं करेगा। भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में भी कार्रवाई की, जो भारतीय सेना के पिछले हमलों से कहीं बड़ा कदम था।

भारत के एक्शन पर अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों की प्रतिक्रिया

अमेरिकी विदेश नीति विशेषज्ञ और दक्षिण एशियाई मामलों के जानकार माइकल कुगेलमैन ने भारतीय वायुसेना की इस कार्रवाई को 2016 और 2019 में हुए हमलों से अलग बताया। उन्होंने ट्वीट किया, “भारत ने पाकिस्तान में स्थित आतंकी ठिकानों पर हमला किया है और इसे किसी सैन्य ठिकाने को निशाना बनाने के रूप में नहीं देखा जा सकता। यह कार्रवाई पाकिस्तान को कड़ी चेतावनी देने के लिए की गई है।”

India air-strike on Pakistan
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साथ ही, अमेरिकी पत्रकार और विशेषज्ञ सदानंद धुमे ने भी इस हमले को 2019 में किए गए बालाकोट एयर स्ट्राइक से काफी बड़ा और प्रभावशाली बताया। उन्होंने लिखा कि इस बार का हमला केवल पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में नहीं, बल्कि पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में भी हुआ, जो पाकिस्तान के सामाजिक और राजनीतिक केंद्र के रूप में जाना जाता है। भारत ने इस बार नौ ठिकानों पर हमला किया, जो दर्शाता है कि इस कार्रवाई का पैमाना पहले से कहीं ज्यादा बड़ा था।

India air-strike on Pakistan
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भारत ने दिखाई संयम और आतंकियों को दी कड़ी सजा

सदानंद धुमे ने इस कार्रवाई में संयम की भी सराहना की और कहा कि भारत ने अपनी प्रतिक्रिया में संयम दिखाया है, लेकिन यह कार्रवाई आतंकवादियों के खिलाफ एक स्पष्ट संदेश है। उन्होंने यह भी संकेत दिया कि पाकिस्तान की प्रतिक्रिया का असर पूरी दुनिया पर पड़ सकता है, और अगर पाकिस्तान कोई जवाबी कार्रवाई करता है, तो यह स्थिति 2019 से भी ज्यादा गंभीर हो सकती है।

पिछले वर्षों में भारतीय सेना की प्रतिक्रिया

यह पहली बार नहीं है कि भारतीय सेना ने पाकिस्तान में आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई की है। 2016 में उरी हमले के बाद भारत ने सर्जिकल स्ट्राइक की थी, जबकि 2019 में पुलवामा हमले के बाद भारत ने बालाकोट में एयर स्ट्राइक की थी। हर बार भारत ने पाकिस्तान को यह संदेश दिया कि आतंकवादियों के खिलाफ उसकी कार्रवाई सीमित नहीं होगी, और जब भी जरूरत पड़ी, वह कड़ी प्रतिक्रिया देगा।

इस बार भी पाकिस्तान ने पहलगाम में हमला किया, लेकिन भारत ने 15 दिन तक इंतजार किया और फिर पाकिस्तान के आतंकवादियों को उनकी नापाक हरकतों का एक बड़ा जवाब दिया। पाकिस्तान को अब यह समझ में आ गया होगा कि भारतीय सेना हर बार जवाब देने के लिए तैयार रहती है, और अब भारत का कदम पहले से कहीं ज्यादा मजबूत है।

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Operation Sindoor: भारत का बदला शुरू! POK में सटीक कार्रवाई से आतंक के कई अड्डे तबाह,...

7 मई 2025 की रात, भारतीय सशस्त्र बलों ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में आतंकवादी ठिकानों पर सटीक मिसाइल हमले किए। यह कार्रवाई 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में की गई, जिसमें 26 नागरिकों की मौत हुई थी।

Operation Sindoor – सटीक और संयमित कार्रवाई

भारतीय वायुसेना, थलसेना और नौसेना की संयुक्त कार्रवाई में, रात 1:30 बजे से 3:00 बजे के बीच, नौ आतंकवादी ठिकानों को निशाना बनाया गया। इनमें मुज़फ्फराबाद, कोटली, बहावलपुर और मुरिदके जैसे स्थान शामिल थे, जहां जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकी संगठनों के शिविर स्थित थे। सरकार ने स्पष्ट किया कि यह कार्रवाई केवल आतंकवादी ढांचों पर केंद्रित थी और पाकिस्तानी सैन्य प्रतिष्ठानों को नुकसान नहीं पहुंचाया गया।

पाकिस्तान की प्रतिक्रिया और दावे

पाकिस्तान ने इन हमलों को “युद्ध की कार्यवाही” करार दिया और दावा किया कि हमलों में कम से कम आठ नागरिकों की मौत हुई, जिनमें एक बच्चा भी शामिल है, और 35 लोग घायल हुए। पाकिस्तानी अधिकारियों ने यह भी कहा कि दो मस्जिदों को नुकसान पहुंचा। इसके अलावा, पाकिस्तान ने दावा किया कि उन्होंने भारतीय वायुसेना के दो जेट विमानों को मार गिराया और एक ब्रिगेड मुख्यालय को नष्ट किया।

Operation Sindoor पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस और अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने दोनों देशों से संयम बरतने की अपील की और कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच सैन्य टकराव का जोखिम वैश्विक शांति के लिए गंभीर खतरा है। अमेरिका और संयुक्त अरब अमीरात सहित अन्य देशों ने भी तनाव कम करने का आह्वान किया है।

भारत में आत्मरक्षा में उठाया कदम

‘ऑपरेशन सिंदूर’ भारत की आतंकवाद के खिलाफ सख्त नीति का प्रतीक है। हालांकि इस कार्रवाई ने क्षेत्रीय तनाव को बढ़ा दिया है, लेकिन भारत ने इसे आत्मरक्षा में उठाया गया कदम बताया है। अब अंतरराष्ट्रीय समुदाय की नजरें दोनों देशों पर हैं, ताकि आगे किसी भी प्रकार की सैन्य टकराव से बचा जा सके।

Humsafar Train Scandal Expose: हमसफर ट्रेन में सीट के बदले 1700 रुपये की वसूली, शराब ...

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Humsafar Train Scandal Expose: भारतीय रेलवे की प्रीमियम ट्रेनों में वीआईपी सर्विस देने और टिकट वसूली का काला धंधा चलता है, यह एक नई रिपोर्ट में सामने आया है। भास्कर के दो रिपोर्टरों ने 2 महीने तक 6 ट्रेनों में 1904 किलोमीटर सफर किया और इस दौरान रेलवे के स्टाफ की वसूली और बिना टिकट यात्रा कराने की सच्चाई का पर्दाफाश किया। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि यह घटनाएं हमसफर और वंदे भारत जैसी प्रीमियम ट्रेनों में हो रही हैं, जहां यात्रियों को बिना टिकट सफर करने की सुविधा दी जा रही है।

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टीटीई की वसूली और बिना टिकट यात्रा- Humsafar Train Scandal Expose

रिपोर्ट के अनुसार, भास्कर टीम ने श्रीगंगानगर से तिरुचिरापल्ली तक चलने वाली हमसफर एक्सप्रेस में यात्रा की, जिसमें ट्रेन के ऑनलाइन स्टेटस के अनुसार सभी कोच फुल थे, लेकिन टीटीई ने 1700 रुपये लेकर कोच नंबर B-14 में सीट दे दी। टीटीई की मशीन में 668 सीटें बुक होने के बावजूद ट्रेन में ज्यादा यात्री बैठे हुए थे। इसके बाद जोधपुर से साबरमती चलने वाली ट्रेन में भी यही स्थिति देखने को मिली, जहां स्टाफ ने टिकट की रेट में ही बिना टिकट सीट उपलब्ध कराई।

Humsafar Train Scandal Expose
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इसके अलावा, साबरमती-ग्वालियर सुपरफास्ट एक्सप्रेस और अन्य ट्रेनों में भी यही गड़बड़ी पाई गई। इन ट्रेनों में स्टाफ ने यात्रियों से वसूली की और उन्हें बिना टिकट यात्रा करने की अनुमति दी। नागौर से मेड़ता यात्रा करते वक्त भी पाली मारवाड़ स्टेशन के बाद लड़की की व्यवस्था करने का ऑफर दिया गया। यही नहीं, आबू से नागौर अटेंडर ने 1250 रुपये लेकर बिना टिकट यात्रा करवाई और टीटीई चेकिंग के लिए भी नहीं आया।

प्रीमियम ट्रेनों में वीआईपी सुविधाएं और शराब व ऑफर

रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि प्रीमियम ट्रेनों में कर्मचारियों द्वारा वीआईपी सर्विसेज दी जा रही हैं, जिनमें शराब और अन्य सुविधाओं का ऑफर दिया जा रहा है। नागौर से हमसफर ट्रेन में टीटीई ने 800 रुपये लेकर बिना टिकट यात्रा करने का मौका दिया और बाद में अटेंडर ने 400 रुपये लेकर पानी की बोतल में शराब भरकर दी। इसके बाद कॉलगर्ल का ऑफर भी दिया गया, जो पाली मारवाड़ से आगे उपलब्ध कराई जाएगी।

Humsafar Train Scandal Expose
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जब रिपोर्टर ने इन सुविधाओं के बारे में सवाल किया, तो अटेंडर ने रम और मैजिक मोमेंट ब्रांड की शराब का प्रस्ताव दिया। रम की कीमत 400 रुपये थी और मैजिक मोमेंट और इंपीरियल ब्लू की कीमत 600 रुपये थी। अटेंडर ने शराब की बोतल को कंबल और चद्दर में लिफाफे में छिपा कर दी, ताकि वह किसी को दिख न सके।

सुरक्षा और कार्रवाई की आवश्यकता

इस रिपोर्ट से यह साफ होता है कि भारतीय रेलवे के कुछ स्टाफ सदस्यों द्वारा यात्रियों से पैसे की वसूली, बिना टिकट यात्रा कराने और गैरकानूनी गतिविधियों को बढ़ावा दिया जा रहा है। रेलवे की यह व्यवस्था यात्रियों की सुरक्षा और सुविधा के लिए एक बड़ा खतरा बन सकती है। इस मामले में रेलवे को गंभीर कार्रवाई करने की आवश्यकता है, ताकि इस तरह के भ्रष्टाचार को रोका जा सके और यात्रियों को सुरक्षित यात्रा का अनुभव मिल सके।

रेलवे के इस काले धंधे का पर्दाफाश करने वाली भास्कर रिपोर्ट ने रेलवे विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं। बिना टिकट यात्रा कराने और वीआईपी सर्विसेज देने के मामले गंभीर हैं, और इस पर कड़ी कार्रवाई की जरूरत है। रेलवे को इस पर संज्ञान लेना चाहिए और स्टाफ की सख्त निगरानी करनी चाहिए, ताकि यात्रियों को सुरक्षित और बेहतर यात्रा का अनुभव मिल सके।

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Sikhism in Nepal: नेपाल में सिख धर्म की गहरी जड़ें! गुरु नानक से लेकर मठों तक की अनसु...

Sikhism in Nepal: नेपाल में सिख धर्म की शुरुआत 18वीं शताब्दी में हुई थी। आज भी नेपाल में सिखों का एक छोटा सा समुदाय मौजूद है, जिसका सही आंकड़ा 2011 की जनगणना के अनुसार करीब 609 बताया जाता है, जबकि कुछ अन्य अनुमानों के अनुसार, यह संख्या लगभग 7,000 तक हो सकती है। सिख धर्म का नेपाल से गहरा इतिहास जुड़ा हुआ है, और नेपाल में सिखों के धार्मिक और सांस्कृतिक योगदान को नकारा नहीं जा सकता।

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गुरु नानक का नेपाल से जुड़ाव- Sikhism in Nepal

सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी ने नेपाल में महत्वपूर्ण समय बिताया था। कहा जाता है कि गुरु नानक ने अपनी तीसरी उदासी (यात्रा) के दौरान काठमांडू में एक लंबा समय बिताया था। उन्होंने यहां के तपस्वियों के साथ धार्मिक और आध्यात्मिक प्रवचन किए थे। काठमांडू के पास स्थित पहाड़ी पर गुरु नानक ने ध्यान लगाया था, और यह स्थान अब गुरु नानक मठके नाम से जाना जाता है। यह स्थान, पशुपतिनाथ मंदिर के पास स्थित है और यहां एक पेपुल का पेड़ भी है, जिसके नीचे गुरु नानक ने ध्यान लगाया था। आज भी इस पेड़ के नीचे उकेरे गए पैरों के निशान को पूजा जाता है। गुरु नानक की उपस्थिति ने नेपाल में सिख धर्म के प्रति सम्मान और श्रद्धा को बढ़ाया।

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सिख साम्राज्य और नेपाल में शरण

सिख साम्राज्य के समय नेपाल का सिख धर्म से गहरा जुड़ाव हुआ। 1849 में, महाराजा रणजीत सिंह की पत्नी महारानी जिंद कौर ने ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी से बचने के लिए नेपाल की शरण ली। उन्होंने नेपालगंज के रास्ते नेपाल में शरण ली, जहां नेपाल सरकार ने उन्हें शरण दी। इस घटना के बाद, नेपाल में रहने वाले सिखों ने अपनी नई ज़िंदगी शुरू की और नेपाल में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। नेपालगंज के आसपास के क्षेत्रों को आज भी शिखनपुरवा, जमुनहा और बैंकटवा जैसे नामों से जाना जाता है।

तिब्बत में सिख युद्ध बंदियों की रिहाई

नेपाल और तिब्बत के बीच 1856 में एक संधि हुई, जिसे थापथली संधिकहा जाता है। इस संधि का एक महत्वपूर्ण प्रावधान यह था कि तिब्बत में 1841 में पकड़े गए सिख युद्ध बंदियों को रिहा किया जाए। यह क्लॉज गुलाब सिंह, जम्मू-कश्मीर के राजा के कहने पर डाला गया था, जिन्होंने इन युद्ध बंदियों की रिहाई के लिए प्रयास किया था।

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गुरु नानक मठ का महत्व और सिख समुदाय

काठमांडू के थमेल जिले से कुछ दूरी पर स्थित गुरु नानक मठ, आज भी सिख समुदाय के लिए एक धार्मिक स्थल के रूप में महत्वपूर्ण है। यह मठ एक शांति का केंद्र है, जहां स्थानीय लोग पूजा अर्चना करने के लिए आते हैं। यह मठ नेपाली वास्तुकला में बना है और यहां कई हिंदू देवताओं और तपस्वियों की पूजा भी की जाती है। मठ के प्रभारी नीम मुनि, जो नेपाली जातीयता से ताल्लुक रखते हैं, मठ के धार्मिक कर्तव्यों को निभाते हैं। वे कहते हैं, “हम सिख धर्म के सबसे पुराने रूपों में से एक का पालन करते हैं, जिसका प्रचार नानक जी के बेटे बाबा श्रीचंद जी ने किया था।”

नीम मुनि के पास एक पुरानी हस्तलिखित पवित्र पुस्तक भी है, जो लगभग 300 साल पुरानी मानी जाती है। यह पुस्तक नेपाल में ग्रंथ साहिब की शायद सबसे पुरानी प्रति है। मठ में यह पुस्तक एक कपड़े में लपेटकर रखी जाती है और इसे केवल उन लोगों को दिखाया जाता है जो इसमें रुचि रखते हैं।

सिख धर्म के योगदान और नेपाल में सिख समाज

नेपाल में सिखों का समुदाय भले ही छोटा हो, लेकिन इसका योगदान महत्वपूर्ण रहा है। नेपाल में सिख धर्म के प्रति आस्था की एक लंबी परंपरा रही है, और यहां के मठों में सिख धर्म की शिक्षाओं का प्रचार होता रहा है। नेपाल में गुरुद्वारों और मठों के अलावा, कुछ महत्वपूर्ण सिख शख्सियतें भी जुड़ी हुई हैं, जैसे कि नेपाल के राजा जंग बहादुर राणा ने महारानी जिंद कौर को शरण दी थी।

गुरु नानक की 550वीं जयंती पर नेपाल में सिक्कों का विमोचन

इतना ही नहीं, नेपाल ने गुरु नानक की 550वीं जयंती के उपलक्ष्य में तीन स्मारक सिक्के जारी किए थे। इनमें दो चांदी के सिक्के हैं, जिनकी कीमत 2,500 और 1,000 नेपाली रुपए है, और एक 100 रुपए का क्यूप्रोनिकेल सिक्का भी जारी किया गया है। यह सिक्के नेपाल में सिख धर्म की महत्वपूर्ण उपस्थिति और गुरु नानक के योगदान को सम्मानित करने के लिए जारी किए गए हैं।

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Google New Update: गूगल का नया अपडेट एंड्रॉयड यूजर्स के लिए खतरे की घंटी, पुराने फोन ...

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Google New Update: गूगल के नए अपडेट से दुनियाभर में एंड्रॉयड फोन इस्तेमाल करने वाले करोड़ों लोग प्रभावित हो सकते हैं। अगर आपका फोन Android 12 या इससे पुराना ऑपरेटिंग सिस्टम इस्तेमाल कर रहा है, तो यह खबर खास आपके लिए है। गूगल का नया अपडेट एंड्रॉयड ऐप्स के काम करने के तरीके में महत्वपूर्ण बदलाव ला रहा है, जिससे लाखों यूजर्स को सिक्योरिटी ब्रीच और ऐप्स के फेल होने का खतरा हो सकता है।

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क्या है गूगल का नया अपडेट? (Google New Update)

गूगल अब एंड्रॉयड ऐप्स को ज्यादा सुरक्षित और प्रभावी बनाने के लिए एक नई तकनीक, Google Play Integrity API, की ओर शिफ्ट हो रहा है। इस टूल की मदद से डेवलपर्स को बॉट्स और फ्रॉड जैसी समस्याओं को पहचानने में मदद मिलेगी। गूगल का दावा है कि इस अपडेट के बाद, जो ऐप्स इस नए सिस्टम का इस्तेमाल करेंगे, उन्हें अनधिकृत उपयोग से छुटकारा मिलेगा, जिससे ऐप्स को सुरक्षित बनाया जा सकेगा।

Google New Update Android phone
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हालांकि, इस तकनीक के फायदे तो हैं, लेकिन इसका एक बड़ा नुकसान भी है। पुराने वर्जन (Android 12 और उससे पहले) पर काम कर रहे स्मार्टफोन्स में ऐप्स की कार्यक्षमता पर असर पड़ सकता है। यानी कि, इन फोन में ऐप्स या तो काम करना बंद कर सकते हैं या फिर उनमें गड़बड़ी आ सकती है। गूगल का यह कदम सिक्योरिटी को बेहतर बनाने के लिए उठाया गया है, लेकिन पुराने वर्जन के उपयोगकर्ताओं के लिए यह एक चेतावनी बन गया है।

मई से अनिवार्य होगा Google Play Integrity API

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मई 2025 से Google Play Integrity API को सभी डेवलपर्स के लिए अनिवार्य कर दिया गया है। इसका मतलब है कि डेवलपर्स अब देख सकेंगे कि उनके ऐप्स विभिन्न एंड्रॉयड वर्जन पर कैसे परफॉर्म कर रहे हैं। इस नए सिस्टम के चलते, ऐप्स में और भी तेज़, भरोसेमंद और प्राइवेट एक्सपीरियंस मिलेगा, जिससे यूजर्स की सुरक्षा और बेहतर होगी। लेकिन, Android 12 और उससे पुराने वर्जन पर काम कर रहे फोन में ऐप्स के फेल होने का खतरा बढ़ सकता है, क्योंकि इन वर्जन्स को इस नए सिस्टम का समर्थन नहीं मिलेगा।

20 करोड़ यूजर्स होंगे प्रभावित

आज भी लगभग 20 करोड़ एंड्रॉयड यूजर्स Android 12 या Android 12L वर्जन का इस्तेमाल कर रहे हैं। यह संख्या काफी बड़ी है, और इन यूजर्स के लिए यह गूगल का अपडेट एक बड़ी समस्या बन सकता है। गूगल ने इन पुराने वर्जन्स को अब सिक्योरिटी पैच देना भी बंद कर दिया है, जिसका मतलब है कि इन वर्जन्स पर चलने वाले फोन अब “अनसेफ जोन” में आ चुके हैं। जब फोन सिक्योरिटी पैच से वंचित होता है, तो इसका मतलब है कि वह फोन साइबर हमलों के लिए ज्यादा संवेदनशील हो जाता है।

Google New Update Android phone
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इसका सीधा असर यह होगा कि इन पुराने वर्जन पर चलने वाले फोन के यूजर्स को अब साइबर अटैक का खतरा बढ़ जाएगा। इसके अलावा, इन फोन में ऐप्स काम करना बंद कर सकते हैं या उनकी कार्यक्षमता में गड़बड़ी हो सकती है।

क्या करना चाहिए?

यदि आपके पास भी Android 12 या उससे पुराना वर्जन का फोन है, तो गूगल का नया अपडेट आपको जल्द ही फोन बदलने की सलाह दे सकता है। पुराने फोन पर अब सिक्योरिटी पैच नहीं मिलेंगे, जिससे आपके फोन की सुरक्षा में कमी आ जाएगी। इस स्थिति से बचने के लिए, सबसे बेहतर कदम यही है कि आप अपने फोन को अपडेट करें या फिर नया फोन खरीदें, जो नए वर्जन को सपोर्ट करता हो। यह न केवल आपके डिवाइस की सुरक्षा को बढ़ाएगा, बल्कि आपको ऐप्स के बेहतर एक्सपीरियंस का भी लाभ मिलेगा।

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Nawazuddin Siddiqui Bollywood Controversy: नवाजुद्दीन सिद्दीकी का बॉलीवुड पर बड़ा आरो...

Nawazuddin Siddiqui Bollywood Controversy: बॉलीवुड अभिनेता नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने हाल ही में इंडस्ट्री में हो रहे रीमेक और सीक्वल्स पर अपनी नाराजगी जाहिर की है। उनका मानना है कि बॉलीवुड में लंबे समय से चुराई गई कहानियों पर फिल्में बनाई जा रही हैं और यहां क्रिएटिविटी की कमी हो गई है। उन्होंने यह भी कहा कि बॉलीवुड में जो कल्ट फिल्में हैं, वे भी असल में चोरी की गई हैं। उनका कहना है कि इंडस्ट्री में असली रचनात्मकता की बहुत कमी है, जिससे फिल्में अक्सर बोरिंग और बिना नई सोच के बनती हैं।

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चोरी की फिल्मों पर नवाजुद्दीन की प्रतिक्रिया- Nawazuddin Siddiqui Bollywood Controversy

हाल ही में नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने एक इंटरव्यू के दौरान फिल्ममेकरों को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा, “इंडस्ट्री में हमेशा से चोरी की कहानियां बनाई जाती रही हैं। चाहे वह गाने हों या फिर पूरी की पूरी फिल्म की कहानी, सब कुछ चुराया जाता है। हमारी इंडस्ट्री शुरू से ही चोरी करती रही है, तो फिर उस इंडस्ट्री से हम क्रिएटिविटी की उम्मीद कैसे कर सकते हैं?” नवाजुद्दीन ने यह भी कहा कि जब हम बात करते हैं बॉलीवुड की उन हिट फिल्मों की, जिन्हें हम कल्ट फिल्में कहते हैं, तो वे भी असल में चुराई हुई कहानियों पर आधारित होती हैं। उनका यह कहना था कि इन फिल्मों के सीन भी अन्य फिल्मों से चुराए गए होते हैं। इस तरह की फिल्मों को देखकर यह सोचने की बजाय कि वे कुछ नया पेश कर रहे हैं, हमें यह समझना चाहिए कि इनकी असलियत क्या है।

Nawazuddin Siddiqui Bollywood Controversy
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उन्होंने कहा, “यहां तक कि फिल्म बनाने के लिए बहुत बार वीडियो की वीडियो दी जाती थी और उसी को चिपका दिया जाता था। इस तरह से काम करने वाले लोग कैसे क्रिएटिव हो सकते हैं?” उन्होंने आगे कहा कि इस वजह से बॉलीवुड में अच्छे और क्रिएटिव कलाकारों का आना भी मुश्किल हो गया है। नवाज ने यह आरोप लगाया कि फिल्म इंडस्ट्री में एक ऐसी मानसिकता बन गई है जहां चोरी करना कोई बड़ी बात नहीं मानी जाती।

अनुराग कश्यप पर भी दी प्रतिक्रिया

नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने फिल्म इंडस्ट्री के मशहूर डायरेक्टर अनुराग कश्यप के बारे में भी टिप्पणी की। उन्होंने कहा, “आप अनुराग कश्यप को देखिए, जिन्होंने हमेशा ऑरिजिनल चीजें लाने की कोशिश की, लेकिन वह भी अब इंडस्ट्री छोड़ चुके हैं।” नवाज ने आगे कहा, “बहुत सारे ऐसे इंडिपेंडेंट डायरेक्टर हैं, जो कुछ नया करना चाहते हैं, लेकिन उन्हें फिल्म इंडस्ट्री में कोई सपोर्ट नहीं मिल रहा है। अंत में वह भी उस दबाव में आकर वही करते हैं जो इंडस्ट्री में चल रहा है।”

Nawazuddin Siddiqui Bollywood Controversy
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नवाजुद्दीन ने यह माना कि इंडस्ट्री में असली और स्वतंत्र रचनात्मकता को बढ़ावा देने के लिए एक मजबूत सपोर्ट सिस्टम की आवश्यकता है, ताकि नए और इनोवेटिव विचार सामने आ सकें। उन्होंने यह भी कहा कि जिन डायरेक्टर्स और एक्टरों ने इस इंडस्ट्री में कुछ अलग करने की कोशिश की, उन्हें या तो हतोत्साहित किया गया या फिर उन्हें छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया गया।

नवाजुद्दीन की हालिया फिल्म ‘कास्टाओ’

नवाजुद्दीन सिद्दीकी की फिल्म ‘कास्टाओ’ हाल ही में 1 मई को जी 5 पर रिलीज हुई है। इस फिल्म में उन्होंने कस्टम ऑफिसर कास्टाओ फर्नांडिस की भूमिका निभाई है, जो एक गोल्ड स्मगलिंग ऑपरेशन में शामिल था। नवाजुद्दीन ने इस फिल्म में अपने अभिनय से दर्शकों का ध्यान आकर्षित किया है। उनका कहना है कि इस फिल्म के माध्यम से उन्होंने एक नई कहानी को प्रस्तुत किया, जो एकदम अलग और वास्तविक है। इस फिल्म के साथ, नवाजुद्दीन ने एक बार फिर साबित किया है कि वह किसी भी भूमिका में अपनी कला का बेहतरीन प्रदर्शन कर सकते हैं।

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Inspirational Investor Story: विजय केडिया की प्रेरणादायक निवेशक कहानी, मुश्किलों से स...

Inspirational Investor Story: जीवन में हर किसी के सामने कठिनाइयां आती हैं, लेकिन कुछ लोग इन कठिनाईयों को अवसर में बदलने की क्षमता रखते हैं। विजय केडिया की कहानी इसी का उदाहरण है। वह एक मिडल क्लास परिवार से ताल्लुक रखते थे, लेकिन आज उनकी संपत्ति 1,400 करोड़ रुपये के आसपास है। उनकी सफलता की यह यात्रा आसान नहीं थी, बल्कि उन्होंने अपने संघर्षों को अपनी ताकत बनाया और शेयर बाजार में निवेश करके खुद को एक सफल निवेशक के रूप में स्थापित किया।

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विजय केडिया के संघर्ष की शुरुआत- Inspirational Investor Story

विजय केडिया का जन्म एक मिडल क्लास परिवार में हुआ था। उनके पिता स्टॉक ब्रोकर थे, और विजय का पालन-पोषण एक सामान्य जीवनशैली में हुआ। लेकिन जब वह 10वीं क्लास में थे, तो उनके जीवन में एक बड़ा संकट आया – उनके पिता का अचानक निधन हो गया। इसके बाद घर में कोई आय का स्रोत नहीं बचा। इस कठिन दौर में, विजय ने अपनी पढ़ाई पूरी की, लेकिन उनके परिवार की स्थिति को सुधारने के लिए उन्हें कुछ नया करने की आवश्यकता महसूस हुई।

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शेयर बाजार में निवेश का कदम

विजय के पास उस समय कुछ ही विकल्प थे, और उन्होंने शेयर बाजार में अपनी किस्मत आजमाने का निर्णय लिया। हालांकि, शुरुआती दिनों में उन्हें बहुत सी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव और जोखिमों के बीच विजय ने हार नहीं मानी और लगातार मेहनत की। धीरे-धीरे उन्होंने शेयर ट्रेडिंग में सफलता हासिल की, और उनकी ज़िंदगी में सकारात्मक बदलाव आने लगा।

14 रुपये के लिए तरसने वाली घटना

विजय के जीवन में एक समय ऐसा भी आया, जब उनके पास दूध का पैकेट खरीदने के लिए भी पैसे नहीं थे। एक दिन उनकी पत्नी ने उनसे दूध लाने को कहा, लेकिन विजय के पास सिर्फ 14 रुपये थे, जो दूध खरीदने के लिए भी पर्याप्त नहीं थे। उनका बच्चा भूख से तड़प रहा था, और विजय की यह स्थिति उन्हें गहरे तक झकझोर गई। हालांकि, उन्होंने इसे अपनी कमजोरी नहीं बनने दिया और फिर से मेहनत करना शुरू किया। इस घटना ने उन्हें जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा दी।

बुल रन और बदलती किस्मत

1990 के दशक के शुरुआत में विजय ने कोलकाता छोड़कर मुंबई का रुख किया। यहीं उनकी किस्मत ने उनका साथ दिया। 1992 में जब शेयर बाजार में बुल रन (बुल मार्केट) आया, तो विजय ने इसका पूरा लाभ उठाया। उन्होंने कोलकाता से पंजाब ट्रैक्टर्स के शेयर खरीदे थे, जिनकी कीमत 35,000 रुपये थी। बुल रन के दौरान इन शेयरों की कीमत पांच गुना बढ़ गई। विजय ने इन शेयरों को बेचकर ACC के शेयर खरीदे, और यह निवेश भी उनके लिए बहुत मुनाफा देने वाला साबित हुआ। इसने उनकी वित्तीय स्थिति को पूरी तरह से बदल दिया और उनके आत्मविश्वास को भी बढ़ाया।

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विजय केडिया का पोर्टफोलियो

विजय केडिया का पोर्टफोलियो अब बहुत मजबूत हो चुका है। 2009 में, उन्होंने अपनी पत्नी को एक दूध की कंपनी के शेयर गिफ्ट किए, और यह उन 14 रुपये का जवाब था जो उन्होंने पहले कभी नहीं खर्च कर पाए थे। आज, विजय केडिया को भारतीय निवेशकों में एक प्रमुख नाम माना जाता है। वह केडिया सिक्योरिटीज के संस्थापक भी हैं। दिसंबर 2024 तक, उनका नेट वर्थ लगभग ₹1,396.9 करोड़ (1,400 करोड़ रुपये) था। उनके पोर्टफोलियो में तेजस नेटवर्क्स और अतुल ऑटो जैसी कंपनियों के शेयर शामिल हैं, जो उन्हें बेहतरीन निवेश लाभ दे रही हैं।

डिस्क्लेमर: किसी भी तरह के निवेश से पहले अपने मार्केट एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें।

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SC judges Assets disclosed: सुप्रीम कोर्ट के जजों की संपत्ति का खुलासा! वेबसाइट पर दी...

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SC judges Assets disclosed: सुप्रीम कोर्ट के जजों की संपत्ति की जानकारी अब सार्वजनिक रूप से उपलब्ध है। शीर्ष अदालत ने अपनी वेबसाइट पर इन जजों की संपत्ति से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी प्रकाशित की है, जिससे यह पता चलता है कि देश के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायधीशों के पास कितनी संपत्ति है और उनके पास क्या-क्या निवेश और संपत्तियाँ हैं।

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मुख्य न्यायाधीश और अन्य जजों की संपत्ति- SC judges Assets disclosed

भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) संजीव खन्ना के पास कुल संपत्ति में एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। उनके पास सावधि जमा (FD) और बैंक खातों में कुल 55.75 लाख रुपये हैं, जबकि सार्वजनिक भविष्य निधि (PPF) में उनका निवेश 1.06 करोड़ रुपये के आसपास है। इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट के अन्य जजों की संपत्तियों की जानकारी भी सार्वजनिक की गई है।

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14 मई को मुख्य न्यायाधीश बनने जा रहे जस्टिस बी आर गवई की संपत्ति भी प्रकाशित की गई है। जस्टिस गवई के पास 19.63 लाख रुपये बैंक खातों में और 6.59 लाख रुपये का निवेश PPF खाते में है। उनके पास दक्षिण दिल्ली में दो बेडरूम का डीडीए फ्लैट और कॉमनवेल्थ गेम्स विलेज में चार बेडरूम का फ्लैट है। इसके अलावा, गुरुग्राम में चार बेडरूम के फ्लैट में उनकी 56 प्रतिशत हिस्सेदारी है, जबकि उनकी बेटी के पास बाकी 44 प्रतिशत हिस्सा है। जस्टिस गवई ने यह भी जानकारी दी है कि हिमाचल प्रदेश में उनके पास एक पुश्तैनी घर है, जिसमें उनकी हिस्सेदारी है।

नए सीजेआई के पास संपत्ति की जानकारी

जस्टिस गवई के 14 मई को सीजेआई बनने से पहले, उनकी संपत्ति का विवरण सार्वजनिक किया गया है। जस्टिस गवई के पास महाराष्ट्र के अमरावती में एक घर और मुंबई तथा दिल्ली में आवासीय अपार्टमेंट हैं। इसके अतिरिक्त, उन्हें अमरावती और नागपुर में कृषि भूमि भी विरासत में मिली है। उन्होंने 1.3 करोड़ रुपये की देनदारी भी घोषित की है।

संपत्ति के विवरण में जीवनसाथी और आश्रितों की संपत्ति भी शामिल

सुप्रीम कोर्ट द्वारा दी गई जानकारी में केवल जजों की संपत्ति ही नहीं, बल्कि उनके जीवनसाथी और आश्रितों की संपत्ति भी शामिल की गई है। जस्टिस ए एस ओका, जो 24 मई को रिटायर हो रहे हैं, उनकी संपत्ति में पीपीएफ में 92.35 लाख रुपये, एफडी में 21.76 लाख रुपये, और 2022 मॉडल की मारुति बलेनो कार के साथ-साथ 5.1 लाख रुपये का कार लोन भी शामिल है।

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जजों की संपत्ति की घोषणा पर सुप्रीम कोर्ट का निर्णय

सुप्रीम कोर्ट के जजों ने 1 अप्रैल को एक बैठक में यह निर्णय लिया था कि अपनी संपत्ति का विवरण सार्वजनिक किया जाए और इसे कोर्ट की वेबसाइट पर प्रकाशित किया जाए। इसके तहत, अब तक 33 जजों में से 21 की संपत्ति की जानकारी वेबसाइट पर उपलब्ध कराई गई है।

अन्य जजों की संपत्तियों का विवरण

जस्टिस सूर्यकांत के पास चंडीगढ़, गुरुग्राम और दिल्ली में अपनी पत्नी के साथ संयुक्त रूप से आवासीय संपत्तियां हैं। उनके निवेश में 31 एफडी रसीदें भी शामिल हैं, जिनकी कुल कीमत 6.03 करोड़ रुपये है। वहीं, जस्टिस बेला एम त्रिवेदी के पास अहमदाबाद के गुलबाई टेकरा स्थित दीप्ति बैंक ऑफ इंडिया सोसाइटी में एक घर है। इसके अतिरिक्त, अहमदाबाद के नीतिबाग जजेज कोऑपरेटिव सोसाइटी में भी एक घर बन रहा है। उनके पास म्यूचुअल फंड में 60 लाख रुपये, PPF में 20 लाख रुपये और 50 लाख रुपये की जूलरी भी है। साथ ही, उनके पास 2015 मॉडल की मारुति स्विफ्ट कार भी है।

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Chenab History: ऋग्वेद से लेकर सोहनी-महिवाल तक… जिस चिनाब में बहता था इश्क, अब ...

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Chenab History: कश्मीर की घाटियों से बहती चिनाब नदी, जिसे कभी चंद्रभागा के नाम से जाना जाता था, न केवल अपनी भव्यता के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यह प्रेम और बलिदान की अनगिनत कहानियों का भी हिस्सा रही है। सोहनी और महिवाल की अमर प्रेम कथा से लेकर पाकिस्तान द्वारा इस नदी का इस्तेमाल आतंकवाद के साधन के रूप में करने तक, चिनाब की कहानी वाकई दिलचस्प और कष्टकारी रही है।

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सोहनी और महिवाल का अमर प्रेम- Chenab History

सोहनी, कश्मीर के एक छोटे से गांव की कुम्हार की बेटी थी, जिसकी खूबसूरती और मेहनत ने एक नौजवान महिवाल को अपना दीवाना बना लिया। महिवाल, जो कश्मीर में भैंसें चराने का काम करता था, सोहनी के प्यार में इस कदर खो गया कि उसने अपना जीवन उसी के साथ बिताने की कसमें खाईं। लेकिन जैसे ही दोनों का प्यार खुलकर सामने आया, सोहनी के घरवालों ने महिवाल को भगा दिया और सोहनी की शादी कहीं और कर दी।

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सोहनी ने अपनी मोहब्बत को खोने के बजाय चिनाब नदी के पार महिवाल के पास जाने का साहस दिखाया। उसने पके हुए घड़ों की नाव बनाई और उस पर सवार होकर नदी पार की। लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। सोहनी की भाभी ने घड़ा बदल दिया और सोहनी का घड़ा नदी में गलकर टूट गया। नदी की धारा में बहते हुए महिवाल ने उसे देखा और अपनी प्रेमिका को खोने के बाद खुद को भी नदी में गिरा दिया। इस तरह, प्रेम की दास्तान का अंत एक ट्रैजिक मोड़ पर हुआ, और दोनों एक-दूसरे के गले में लिपटे हुए चिनाब के पानी में तैरते हुए सदा के लिए एक हो गए।

चिनाब नदी: प्रेम और आतंक का संगम

चिनाब नदी न केवल प्रेम की प्रतीक रही है, बल्कि इसका वर्तमान एक और स्याह पहलू भी है। कश्मीर और पाकिस्तान के बीच बहने वाली इस नदी का पानी अब एक नए उद्देश्य के लिए इस्तेमाल हो रहा है – आतंकवाद और नफरत। पिछले कुछ वर्षों से पाकिस्तान इस नदी के पानी को अपनी नापाक योजनाओं का हिस्सा बना रहा है, जबकि भारत ने इसके प्रवाह को रोकने के कदम उठाए हैं।

भारत ने चिनाब नदी के पानी को नियंत्रित करने के लिए बांधों के गेट बंद कर दिए हैं, जिससे पाकिस्तान में पानी की कमी हो गई है और नदी के प्रवाह मार्ग पर पत्थरों के सिवा कुछ नहीं बचा है। यह नदी न केवल भूगोल के लिहाज से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह सांस्कृतिक और धार्मिक दृष्टिकोण से भी अत्यधिक महत्व रखती है।

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प्राचीन इतिहास और धार्मिक महत्व

चिनाब नदी का प्राचीन नाम चंद्रभागा था, जिसका उल्लेख महाभारत और स्कंद पुराण जैसे ग्रंथों में मिलता है। यह नदी भारतीय और पाकिस्तानी धार्मिक परंपराओं से जुड़ी हुई है, और इसके किनारे कई पवित्र स्थल स्थित हैं। महाभारत में चंद्रभागा नदी का उल्लेख किया गया है, और इसे भारतीय संस्कृति में गंगा और यमुना जैसी अन्य पवित्र नदियों के समान सम्मानित किया गया है।

चंद्रभागा का नाम अब पाकिस्तान के किनारे से लेकर भारत के जम्मू कश्मीर क्षेत्र तक फैला हुआ है। इसके साथ ही, यह नदी भारतीय वैदिक और पौराणिक कथाओं में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। चंद्रभागा का नाम कई स्थानों पर देखा जा सकता है, जैसे कि राजस्थान के भीलवाड़ा जिले और ओडिशा के कोणार्क तट पर।

नफरत और आतंकवाद का साया

हालांकि चिनाब नदी का इतिहास प्रेम और बलिदान की अमर कहानियों से भरा हुआ है, लेकिन इस समय यह नफरत और आतंकवाद के अंधकारमय साये में डूब चुकी है। पाकिस्तान ने हमेशा इस नदी के किनारे से आतंकवादियों की गतिविधियों को बढ़ावा दिया है, और अब भारत ने चिनाब नदी का पानी रोकने का फैसला लिया है। यह कदम भारतीय सुरक्षा के लिहाज से जरूरी था, लेकिन इसके साथ ही यह नदी अब प्रेम की धारा की बजाय नफरत और आतंकवाद की नदियों में बदल चुकी है।

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