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Dinesh Sharma Martyr: पाकिस्तान के सीजफायर उल्लंघन में शहीद हुए हरियाणा के लांस नायक ...

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Dinesh Sharma Martyr: पाकिस्तान द्वारा सीजफायर उल्लंघन के लगातार प्रयासों और भारत की एयर स्ट्राइक के बाद पाकिस्तान में आतंकवादी ठिकानों पर तनाव बढ़ गया है। भारतीय सेना ने पाकिस्तान के इन प्रयासों का हर बार सशक्त तरीके से जवाब दिया है। इसी बीच, हरियाणा के पलवल जिले के मोहम्मदपुर गांव के लांस नायक दिनेश शर्मा शहीद हो गए। पाकिस्तान द्वारा किए गए इस सीजफायर उल्लंघन के दौरान शहीद हुए दिनेश की शहादत की खबर उनके घर पहुंचने पर पूरे गांव में शोक की लहर दौड़ गई, और उनके परिजनों का दिल दहला देने वाला दुख सामने आया।

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दिनेश शर्मा की शहादत की खबर से गांव में गहरी शोक लहर- Dinesh Sharma Martyr

लांस नायक दिनेश शर्मा का जन्म पलवल जिले के मोहम्मदपुर गांव में हुआ था। उनकी शहादत की खबर जैसे ही गांव पहुंची, पूरे इलाके में गहरी शोक की लहर फैल गई। हर कोई दिनेश के परिवार को सांत्वना देने के लिए जुटने लगा। आजतक ने शहीद के पिता दयाचंद शर्मा से संपर्क किया, जिन्होंने भावुक होकर कहा कि उनके पास पांच बेटे थे, जिनमें से तीन अभी भी सेना में सेवा दे रहे थे। दिनेश उनके सबसे बड़े बेटे थे, जो देश की सेवा करते हुए शहीद हो गए।

 

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ऑपरेशन सिंदूर और पाकिस्तान का सीजफायर उल्लंघन

22 अप्रैल को पहलगाम आतंकी हमले के बाद, भारतीय सेना ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में स्थित आतंकवादी ठिकानों पर सटीक हमले किए थे। भारतीय सेना की इस कार्रवाई ने पाकिस्तान को और अधिक बौखला दिया, और उसने सीजफायर उल्लंघन शुरू कर दिया। इसी दौरान भारतीय सेना ने पाकिस्तान के इस उल्लंघन का मुंहतोड़ जवाब दिया। इस कार्रवाई में हरियाणा के मोहम्मदपुर गांव के लांस नायक दिनेश शर्मा शहीद हो गए।

शहीद के परिवार का दुख और बलिदान

दयाचंद शर्मा ने बताया कि उनके पांच बेटे थे, जिनमें से तीन अभी भी सेना में हैं। दिनेश शर्मा सबसे बड़े बेटे थे, जिन्होंने देश की रक्षा करते हुए अपनी जान की आहुति दी। उनके दो छोटे भाई भी सेना में सेवा दे रहे हैं, और उनका चचेरा भाई मुकेश, जो सेना के मेडिकल विंग में है, भी शहीद की खबर सुनकर अपने गांव पहुंचे। दिनेश शर्मा के चचेरे भाई ने बताया कि वह आर्टिलरी डिवीजन 5 मीडियम में तैनात थे और दुश्मन की गोलाबारी से गंभीर रूप से घायल हो गए थे, जिसके बाद इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई।

दिनेश शर्मा के अंतिम लम्हे और दोस्तों की यादें

दिनेश के छोटे भाई पुष्पेंद्र ने बताया कि दो दिन पहले उनसे बात हुई थी, और उन्होंने परिवार के हाल-चाल पूछे थे। प्रदीप, जो दिनेश के करीबी दोस्त थे, ने बताया कि बीती रात जब दिनेश ऑपरेशन पर जा रहे थे, तब रात 10:30 बजे उनकी बात हुई थी। दिनेश ने कहा था कि वह ऑपरेशन के लिए जा रहे हैं और ऑपरेशन के दौरान फोन की लाइट से दिक्कत हो सकती है, इसलिए बाद में बात करेंगे। इसके बाद रात 3 बजे दिनेश का कॉल आया, लेकिन प्रदीप फोन नहीं उठा पाए। सुबह 7 बजे जब प्रदीप ने दिनेश को कॉल किया, तो उनके साथी ने बताया कि दिनेश को धमाके में चोट लगी है और उन्हें इलाज के लिए लाया गया है। इसके बाद उन्हें शहीद होने की खबर मिली।

लांस नायक दिनेश शर्मा का बलिदान

लांस नायक दिनेश शर्मा की शहादत ने उनके परिवार को गहरे दुख में डाल दिया, लेकिन उनकी वीरता और बलिदान का देश के लिए बहुत बड़ा महत्व है। दिनेश शर्मा के परिवार को कभी नहीं भूलने वाली शहादत का गहरा दर्द है, लेकिन उनके बलिदान की प्रेरणा भारत की रक्षा में लगी सेना के लिए हमेशा जीवित रहेगी। दिनेश जैसे शहीदों की कुर्बानी हमेशा हमारे दिलों में रहेगी, और उनका नाम भारतीय सेना की वीरता की कहानियों में हमेशा याद किया जाएगा।

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Who is Yalda Hakim: पाकिस्तान के प्रोपेगेंडा की पोल खोलते हुए स्काई न्यूज के अफगान पत...

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Who is Yalda Hakim: पाकिस्तान हमेशा अपने प्रोपेगेंडा फैलाने में माहिर रहा है, लेकिन हाल ही में स्काई न्यूज की अफगान पत्रकार याल्दा हकीम ने पाकिस्तान के सूचना और प्रसारण मंत्री अत्ताउल्लाह तारार को लाइव टीवी पर बेइज्जत कर दिया है। इस घटना ने पाकिस्तान के प्रोपेगेंडा की पोल खोल दी और उसकी सच्चाई उजागर कर दी। पाकिस्तान के नेताओं द्वारा अक्सर विदेशी न्यूज चैनलों पर बैठकर भारत और आतंकवाद के खिलाफ किए गए कदमों को नकारने की कोशिश की जाती है, लेकिन इस बार उनका यह प्रयास उल्टा पड़ गया।

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भारत का ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और पाकिस्तान का झूठा दावा- Who is Yalda Hakim

भारत द्वारा “ऑपरेशन सिंदूर” के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में आतंकी ठिकानों पर मिसाइल हमले किए गए थे। इन हमलों के बाद, पाकिस्तान के सूचना मंत्री अत्ताउल्लाह तारार ने स्काई न्यूज की एंकर याल्दा हकीम के साथ एक लाइव इंटरव्यू में दावा किया कि पाकिस्तान में कोई आतंकी कैंप नहीं हैं और पाकिस्तान खुद आतंकवाद का शिकार है। पाकिस्तान का यह बयान पूरी तरह से झूठा साबित हो गया, जब याल्दा हकीम ने इसका जवाब दिया।

याल्दा हकीम ने पाकिस्तान के मंत्री को दिया करारा जवाब

याल्दा हकीम ने पाकिस्तान के मंत्री के इस दावे को तुरंत लाइव शो में चुनौती दी। उन्होंने पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ के हालिया बयान का हवाला दिया, जिसमें उन्होंने खुद माना था कि पाकिस्तान ने दशकों तक आतंकी समूहों को समर्थन और प्रशिक्षण दिया है। इसके अलावा, याल्दा हकीम ने पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ और पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो के बयानों का भी जिक्र किया, जिन्होंने पाकिस्तान की आतंकवाद से संबंधित नीतियों पर सवाल उठाए थे।

इसके बाद, पाकिस्तानी मंत्री ने फिर से झूठी दलीलें देते हुए अपनी प्रोपेगेंडा को फैलाने की कोशिश की और कहा कि “पाकिस्तान विश्व शांति का संरक्षक है,” और हकीम को पाकिस्तान आने का न्योता तक दे दिया। याल्दा हकीम ने इस पर तीखा पलटवार करते हुए कहा, “मैं पहले ही पाकिस्तान जा चुकी हूं और हम जानते हैं कि ओसामा बिन लादेन को एबटाबाद में मारा गया था।” इस जवाब ने पाकिस्तान के मंत्री को पूरी तरह से चुप कर दिया।

पाकिस्तानी मंत्री की शर्मिंदगी और बेकद्री

पाकिस्तानी मंत्री ने इस जवाब के बाद यह महसूस किया कि उनका झूठ पकड़ा जा चुका है, और उन्हें लाइव शो में शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा। ऐसा लग रहा था कि मंत्री किसी भी हालत में शो से भागने की कोशिश कर रहे थे। पाकिस्तान के मंत्री का यह पलटवार इस तथ्य का प्रमाण था कि उनका दावा और प्रोपेगेंडा पूरी तरह से बेबुनियाद था।

ऑपरेशन सिंदूर का असर

यह घटना भारतीय सेना द्वारा 22 अप्रैल को पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में किए गए हमलों से जुड़ी है। भारतीय सेना ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत नौ ठिकानों पर सीमा पार हमले किए। इन हमलों में आतंकी संगठनों जैश-ए-मोहम्मद (JeM), लश्कर-ए-तैयबा (LeT) और हिजबुल मुजाहिदीन से जुड़े आतंकी ठिकानों को नष्ट कर दिया गया। यह कार्रवाई भारत के आतंकवाद के खिलाफ कठोर कदम को दर्शाती है, जिसे पाकिस्तान अपनी प्रोपेगेंडा रणनीतियों के जरिए नकारने की कोशिश कर रहा था।

याल्दा हकीम का परिचय

याल्दा हकीम अफगानिस्तान मूल की एक प्रमुख अंतरराष्ट्रीय पत्रकार हैं, जो अपने तेज-तर्रार इंटरव्यू और ग्राउंड रिपोर्टिंग के लिए जानी जाती हैं। उनका जन्म 1983 में काबुल, अफगानिस्तान में हुआ था, लेकिन युद्ध की स्थिति के कारण उनका परिवार ऑस्ट्रेलिया में शरण लेने को मजबूर हुआ। उनका बचपन ऑस्ट्रेलिया में बीता और उन्होंने बीबीसी जैसे बड़े मीडिया संस्थानों में काम किया है।

याल्दा हकीम ने दुनिया भर के कई संघर्ष क्षेत्रों, जैसे अफगानिस्तान, सीरिया, इराक, यमन, यूक्रेन, और पाकिस्तान से रिपोर्टिंग की है। उन्होंने तालिबान, ISIS और अन्य आतंकी संगठनों के प्रमुखों से भी इंटरव्यू किए हैं। उनकी सख्त पत्रकारिता ने उन्हें अंतरराष्ट्रीय मंचों पर एक प्रमुख चेहरा बना दिया है।

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Perplexity AI: क्या है और यह कैसे काम करता है?

Perplexity AI: Perplexity AI एक AI-संचालित वेब सर्च इंजन और संवादी AI सहायक है जिसका उद्देश्य उपयोगकर्ता के प्रश्नों के लिए सीधे और व्यापक उत्तर प्रदान करना है, इसके स्रोतों के उद्धरणों के साथ। दिसंबर 2022 में स्थापित, यह केवल लिंक की एक सूची प्रदान करने के बजाय जानकारी को एक स्पष्ट, संक्षिप्त प्रतिक्रिया में संश्लेषित करके पारंपरिक खोज इंजनों से खुद को अलग करता है। तो चलिए इस लेख में हम आपको Perplexity AI के बारे में विस्तार से बताते हैं।

पेरप्लेक्सिटी AI कैसे काम करता है

क्वेरी समझना: जब कोई उपयोगकर्ता कोई प्रश्न पूछता है, तो पेरप्लेक्सिटी AI क्वेरी के इरादे, संदर्भ और मुख्य विवरणों को समझने के लिए प्राकृतिक भाषा प्रसंस्करण (NLP) का उपयोग करता है। यह प्रश्न की बारीकियों को समझने के लिए सरल कीवर्ड मिलान से परे जाता है।

रीयल-टाइम वेब सर्च: पेरप्लेक्सिटी AI मुख्य रूप से Microsoft Bing का उपयोग करके, लेख, वेबसाइट, अकादमिक पेपर, समाचार आउटलेट और पत्रिकाओं जैसे विभिन्न आधिकारिक स्रोतों से अप-टू-डेट जानकारी एकत्र करने के लिए वास्तविक समय में इंटरनेट से जुड़ता है।

सूचना प्रसंस्करण: AI एल्गोरिदम पुनर्प्राप्त जानकारी का विश्लेषण करते हैं, प्रासंगिक अंतर्दृष्टि निकालते हैं, और अनावश्यक या भ्रामक डेटा को फ़िल्टर करते हैं। यह उपयोगकर्ता के प्रश्न का व्यापक रूप से उत्तर देने के लिए आवश्यक जानकारी के प्रमुख टुकड़ों की पहचान करता है।

उत्तर निर्माण: संसाधित जानकारी और GPT-3.5 (निःशुल्क संस्करण में) या GPT-4 ओमनी और क्लाउड 3 (प्रो संस्करण में) जैसे अधिक उन्नत मॉडल जैसे LLM की क्षमताओं का उपयोग करके, Perplexity AI उपयोगकर्ता की क्वेरी के लिए एक स्पष्ट, संक्षिप्त और संवादात्मक उत्तर संश्लेषित करता है। यह केवल स्रोतों को सारांशित करने के बजाय एक सीधा उत्तर प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित करता है।

स्रोत उद्धरण: Perplexity AI की एक प्रमुख विशेषता इसकी पारदर्शिता है। प्रत्येक उत्तर के साथ क्रमांकित फ़ुटनोट होते हैं जो सीधे प्रतिक्रिया उत्पन्न करने के लिए उपयोग किए गए मूल स्रोतों से जुड़ते हैं। यह उपयोगकर्ताओं को आसानी से जानकारी को सत्यापित करने और अधिक विवरण के लिए स्रोतों का पता लगाने की अनुमति देता है।

संवादात्मक बातचीत: Perplexity AI को संवादात्मक होने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह थ्रेड में पिछले प्रश्नों के संदर्भ को याद रखता है, जिससे उपयोगकर्ता प्रारंभिक संदर्भ को दोहराए बिना अनुवर्ती प्रश्न पूछ सकते हैं।

विभिन्न खोज मोड: Perplexity AI विभिन्न आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए विभिन्न खोज मोड प्रदान करता है:
त्वरित खोज: अनुक्रमित स्रोतों से जानकारी को जल्दी से सारांशित करके तेज़, सीधे उत्तरों के लिए डिज़ाइन किया गया।
प्रो सर्च: प्रश्न की बारीकियों में गहराई से जाता है, तथा खोज को परिष्कृत करने और अधिक अनुकूलित तथा विस्तृत उत्तर देने के लिए संभावित रूप से अनुवर्ती प्रश्न पूछता है।

Operation Sindur Trademark Controversy: सेना की शहादत पर मुकेश अंबानी का ट्रेडमार्क ह...

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Operation Sindur Trademark Controversy: भारत की ‘ऑपरेशन सिंदूर’ नामक सैन्य कार्रवाई, जो 6-7 मई की रात को पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में स्थित आतंकी ठिकानों को निशाना बनाकर की गई, अब एक अप्रत्याशित विवाद का केंद्र बन गई है। इस ऑपरेशन के नाम को ट्रेडमार्क के रूप में रजिस्टर करने की होड़ में रिलायंस इंडस्ट्रीज भी शामिल है। रिलायंस ने 7 मई को ट्रेडमार्क रजिस्ट्री में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को वर्क मार्क के तौर पर रजिस्टर करने के लिए आवेदन किया है। इस रजिस्ट्रेशन के तहत, रिलायंस ने क्लास 41 के तहत आवेदन किया है, जो मुख्य रूप से शिक्षा और मनोरंजन सेवाओं से संबंधित है।

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अन्य आवेदकों की भी मांग- Operation Sindur Trademark Controversy

रिलायंस के अलावा, मुकेश चेतराम अग्रवाल, ग्रुप कैप्टन (रि.) कमल सिंह ओबेरह, और आलोक कोठारी जैसे तीन अन्य व्यक्तियों ने भी इस शब्द के ट्रेडमार्क रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन किया है। यह तब हुआ जब देश पहलगाम आतंकी हमले के दर्द से उबरने की कोशिश कर रहा था, जिसमें 25 भारतीयों की जान चली गई थी। इस हमले के जवाब में भारतीय सशस्त्र बलों ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठनों जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के ठिकानों पर हमला किया था।

ट्रेडमार्क का क्या उपयोग होगा?

सभी चार दावेदारों ने नाइस वर्गीकरण की श्रेणी 41 के तहत आवेदन किया है, जिसमें शामिल हैं:

  • शिक्षा और प्रशिक्षण सेवाएं
  • फ़िल्म और मीडिया उत्पादन
  • लाइव प्रदर्शन और कार्यक्रम
  • डिजिटल सामग्री वितरण
  • सांस्कृतिक और खेल गतिविधियाँ

यह श्रेणी OTT प्लेटफॉर्म, प्रोडक्शन हाउस, ब्रॉडकास्टर्स, और इवेंट कंपनियों द्वारा सामान्यत: इस्तेमाल की जाती है, जिससे संभावना जताई जा रही है कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को फ़िल्म, वेब सीरीज़ या डॉक्यूमेंट्री के रूप में उपयोग किया जा सकता है। यह एक संकेत है कि इसे व्यावसायिक परियोजनाओं में रूपांतरित किया जा सकता है।

सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रिया

‘ऑपरेशन सिंदूर’ के नाम को ट्रेडमार्क के रूप में रजिस्टर करने के प्रयास ने सोशल मीडिया पर नाराजगी और निंद की लहर पैदा कर दी है। कई सोशल मीडिया यूजर्स ने इसे सेना के बलिदान और शहादत का व्यावसायीकरण करार दिया है। एक पोस्ट में कहा गया, “रिलायंस का मुकेश अंबानी, जो सेना के जवानों और आम नागरिकों की मौत पर कमाई कर रहा है। देश की आधी जनता को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की खबर भी नहीं थी, और मुकेश अंबानी इस नाम को ट्रेडमार्क कराने के लिए दौड़ पड़ा।” वहीं एक अन्य यूजर ने इसे ‘शर्मनाक’ बताया और सेना से इस कदम का विरोध करने की अपील की।

क्या यह सही कदम है?

हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि रिलायंस और अन्य दावेदार इस ट्रेडमार्क का क्या उपयोग करने वाले हैं। क्लास 41 के तहत रजिस्ट्रेशन आमतौर पर मनोरंजन, शिक्षा, और सांस्कृतिक गतिविधियों से जुड़ा होता है, जिससे संभावना जताई जा रही है कि यह फ़िल्म, वृत्तचित्र, या अन्य मीडिया प्रोजेक्ट्स के लिए उपयोग किया जा सकता है। यह कदम यह सवाल खड़ा करता है कि क्या सैन्य ऑपरेशन के नाम को, जो देश की सुरक्षा और शहादत से जुड़ा है, व्यावसायिक लाभ के लिए इस्तेमाल करना उचित है।

नैतिक और भावनात्मक विवाद

‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने एक ओर जहां भारत की आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई को दर्शाया, वहीं इसके नाम को ट्रेडमार्क बनाने की कोशिश ने नैतिक और भावनात्मक बहस छेड़ दी है। कई लोग इसे व्यावसायिकता की ओर एक कदम मानते हैं, जबकि दूसरों का मानना है कि यह हमारे सैनिकों की शहादत और बलिदान का अनादर करने जैसा है। अब यह सवाल खड़ा होता है कि क्या सरकार या सेना इस मुद्दे पर कोई कदम उठाएगी।

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Gurudwara Guru Singh Sabha Sahib: गोलियों की बारिश में भी नहीं रुकी आस्था! पुंछ में ग...

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Gurudwara Guru Singh Sabha Sahib:भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव और युद्ध की गूंज के बीच, एक पवित्र स्थल की आस्था ने यह साबित कर दिया कि कोई भी ताकत श्रद्धा को कमजोर नहीं कर सकती। पुंछ जिले में स्थित श्री गुरु सिंह सभा गुरुद्वारा, जो भारत-पाक सीमा के पास स्थित है, पाकिस्तान की ओर से किए गए एक जघन्य हमले का शिकार हुआ। लेकिन इस हमले ने न केवल गुरुद्वारे को नुकसान पहुँचाया, बल्कि पूरी सिख समुदाय को एकजुट कर दिया। दरअसल, पाकिस्तान के हमले में बुरी तरह क्षतिग्रस्त हुए गुरुद्वारे को फिर से खोलने का निर्णय लिया गया। गुरुवार को गुरुद्वारे में अरदास शुरू हुई, और श्रद्धालु फिर से पूजा अर्चना करने के लिए एकत्रित हुए। इस ऐतिहासिक गुरुद्वारे को सिख समुदाय ने दोबारा खोलकर यह संदेश दिया है कि आतंक और डर के आगे श्रद्धा कभी नहीं झुकती।

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गोलियों की बौछार में जली आस्था की लौ- Gurudwara Guru Singh Sabha Sahib

गुरुवार को जिस गुरुद्वारे में फिर से अरदास शुरू हुई, वह पुंछ जिले में स्थित गुरु सिंह सभा साहिब, जिसे नंगली साहिब भी कहा जाता है, एक ऐतिहासिक और पवित्र स्थल है। यह गुरुद्वारा पाकिस्तान की ओर से की गई बेमकसद गोलाबारी में क्षतिग्रस्त हो गया था। दीवारों पर गोलियों और धमाकों के निशान आज भी हमले की गवाही दे रहे हैं। इस हमले में भजन-कीर्तन करने वाले भाई अमरीक सिंह जी, भारतीय सेना के जवान भाई अमरजीत सिंह और व्यवसायी भाई रणजीत सिंह ने अपने प्राणों की आहुति दी। लेकिन सिख संगत ने डर के आगे हार नहीं मानी और गुरुवार को श्रद्धालुओं के लिए फिर से इसके दरवाज़े खोल दिए।

 

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तीन गुरसिखों की शहादत पर बोला शिरोमणि अकाली दल

शिरोमणि अकाली दल ने इस हमले की कड़ी निंदा करते हुए शहीदों को राष्ट्र का सम्मान देने की मांग की। सुखबीर सिंह बादल ने इस अमानवीय हमले को मानवता पर आघात बताया और कहा कि शहीदों के परिवारों को उचित मुआवजा मिलना चाहिए। वहीं, श्री अकाल तख्त साहिब के कार्यकारी जत्थेदार ज्ञानी कुलदीप सिंह गर्गज ने भी इस हमले की कड़ी निंदा की और भारत-पाक दोनों से संयम बरतने की अपील की, साथ ही कहा कि “शांति कमजोरी नहीं, बल्कि सबसे बड़ी ताकत होती है।”

ऑपरेशन सिंदूर के बाद बौखलाया पाकिस्तान

पाकिस्तान की ओर से यह हमला ऐसे समय में हुआ जब भारत ने 22 अप्रैल को पहलगाम आतंकी हमले का करारा जवाब देते हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को अंजाम दिया था। इस हमले में 26 निर्दोष लोग, जिनमें अधिकतर पर्यटक थे, मारे गए थे। जवाबी कार्रवाई में भारतीय सेना, वायुसेना और नौसेना ने मिलकर पाकिस्तान के बहावलपुर, मुरीदके और मुजफ्फराबाद स्थित कुल 9 आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया, जिनमें जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकी संगठनों के मुख्यालय शामिल थे। इस कार्रवाई में 90 से अधिक आतंकियों के मारे जाने की सूचना है।

Gurudwara Guru Singh Sabha Sahib
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ऐतिहासिक गुरुद्वारा जो बना श्रद्धा का प्रतीक

आइये अब बात करते हैं इस गुरुद्वारे के बारे में। पुंछ में सिख समुदाय के 25 से 30 हजार लोग रहते हैं। इस शहर से करीब छह किलोमीटर दूर एक शांत पहाड़ी की तलहटी में स्थित नंगली साहिब गुरुद्वारा की स्थापना 1803 में ठाकुर भाई मेला सिंह जी ने की थी। यह उत्तरी भारत के सबसे प्राचीन सिख तीर्थस्थलों में से एक माना जाता है। गुरुद्वारा परिसर में लगभग 70 कमरे, एक विशाल लंगर हॉल, और धार्मिक भवन हैं। यहां हर धर्म और जाति के लोग दर्शन के लिए आते हैं, जिससे यह स्थान सांप्रदायिक सौहार्द का प्रतीक बन गया है।

इतिहास गवाह है कि 1947 में जब पाकिस्तान समर्थित कबायली हमलावरों ने इस क्षेत्र पर हमला किया था, तब गुरुद्वारे की मूल इमारत को जला दिया गया था। लेकिन संगत के सहयोग से इसे महंत बचितर सिंह जी ने फिर से खड़ा किया। इसके बाद यह गुरुद्वारा न केवल धार्मिक गतिविधियों का केंद्र बना, बल्कि सामाजिक सेवा का भी बड़ा माध्यम बना।

बैसाखी पर लगता है विशाल मेला

हर साल बैसाखी के पर्व पर गुरुद्वारा नंगली साहिब में एक विशाल समारोह होता है, जिसमें हज़ारों श्रद्धालु जम्मू-कश्मीर ही नहीं, बल्कि पूरे देश से हिस्सा लेते हैं। यह आयोजन न केवल खालसा पंथ के जन्म दिवस की याद दिलाता है, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक एकता को भी मजबूत करता है।

हर विपत्ति में खड़ी रही संगत

हालिया हमले के बावजूद, सिख समुदाय ने डर को अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया। जब गुरुद्वारे को दोबारा खोला गया, तो श्रद्धालुओं की आंखों में न केवल राहत थी, बल्कि गर्व और आत्मविश्वास की झलक भी थी। यह एक प्रतीक है उस जज़्बे का जो न केवल पूजा-पाठ में बल्कि देशभक्ति और मानवता में भी दिखता है।

श्रद्धा पर न गोलियां असर करती हैं, न बारूद

गोलियों और बमों से इमारतों को तो नुकसान पहुंचाया जा सकता है, लेकिन आस्था और विश्वास को कभी पराजित नहीं किया जा सकता। पुंछ में सिख संगत द्वारा गुरुद्वारा फिर से खोलकर यही संदेश दिया गया है—धर्म और देशभक्ति किसी भी हमले से कमजोर नहीं पड़ती।

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IPS Rajeev Narain Mishra: आईपीएस राजीव नारायण मिश्र को नोएडा का अपर पुलिस आयुक्त नियु...

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IPS Rajeev Narain Mishra: उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पूरी तरह सख्त दिख रहे हैं। सोमवार देर रात राज्य सरकार ने 2010 बैच के तेजतर्रार आईपीएस अधिकारी राजीव नारायण मिश्र को नोएडा का अपर पुलिस आयुक्त नियुक्त किया। यह कदम मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की नीति के तहत किए गए प्रशासनिक फेरबदल का हिस्सा है, जिसमें आईपीएस और आईएएस अधिकारियों के स्थानांतरण किए गए हैं।

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आईपीएस राजीव नारायण मिश्र को पहले पीएसी ईस्ट जोन, प्रयागराज में तैनाती थी। अब उन्हें नोएडा में अपर पुलिस आयुक्त के पद की जिम्मेदारी सौंपी गई है। उनकी कड़ी मेहनत और शानदार प्रशासनिक कार्यशैली ने उन्हें उत्तर प्रदेश के सबसे काबिल आईपीएस अधिकारियों में से एक बना दिया है।

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आईपीएस राजीव नारायण मिश्र की जीवनी- IPS Rajeev Narain Mishra

राजीव नारायण मिश्र का जन्म 30 अक्टूबर को कानपुर नगर में हुआ था। विजयादशमी के दिन जन्मे राजीव नारायण मिश्र के पिता उत्तर प्रदेश सरकार में एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी थे। उनकी मां, मनोरमा मिश्रा एक शिक्षित गृहिणी थीं और साहित्य रत्न की उपाधि प्राप्त थीं। राजीव की प्रारंभिक शिक्षा उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में हुई, क्योंकि उनके पिता का तबादला अक्सर होता रहता था। बाद में उन्होंने कानपुर में अपनी माध्यमिक और उच्च शिक्षा पूरी की।

 

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राजीव नारायण मिश्र ने बीकॉम और एमकॉम की डिग्री क्राइस्टचर्च कॉलेज, कानपुर से हासिल की। इसके बाद उन्होंने शासकीय सेवाओं के साथ-साथ, रुहेलखंड विश्वविद्यालय, बरेली से पीएचडी की उपाधि भी प्राप्त की। उन्होंने कानपुर की एक निजी कंपनी में मैनेजमेंट ट्रेनी के रूप में भी काम किया और बाद में पीपीएन डिग्री कॉलेज कानपुर में प्रवक्ता के तौर पर अपना योगदान दिया।

प्रारंभिक करियर और सरकारी सेवाओं में प्रवेश

आईपीएस राजीव नारायण मिश्र का करियर (IPS Rajeev Narain Mishra Career) प्रारंभिक दिनों में ही काफी विविधतापूर्ण था। पुलिस सेवा में आने से पहले उन्होंने मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग के माध्यम से पीसीएस (पब्लिक सर्विस) संवर्ग में चयनित होकर खंडवा जिले में अपनी सेवाएं दी थीं। इसके बाद भारतीय पुलिस सेवा में चयन के बाद, उन्होंने वाराणसी, अयोध्या, बरेली, मेरठ, नोएडा, कुशीनगर, और लखनऊ जैसे महत्वपूर्ण शहरों में कार्य किया।

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सिंगापुर पुलिस की कार्यप्रणाली को समझने का अवसर भी उन्हें मिला, जो उनके प्रशिक्षण का एक अहम हिस्सा था। आईपीएस राजीव नारायण मिश्र की कार्यशैली और साहसिक निर्णयों ने उन्हें एक जांबाज पुलिस अधिकारी के रूप में स्थापित किया है।

परिवार और व्यक्तिगत जीवन

आईपीएस राजीव नारायण मिश्र (IPS Rajeev Narain Mishra lifestyle) की पत्नी, दीपिका मिश्रा भी कानपुर की रहने वाली हैं और धर्म तथा अध्यात्म में विशेष रुचि रखती हैं। वह सोशल मीडिया के माध्यम से समाज को लाभान्वित करती रहती हैं। उनके बेटे अंशुमान मिश्र, जो दिल्ली विश्वविद्यालय से एमबीए की डिग्री हासिल कर चुके हैं, वर्तमान में एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में काम कर रहे हैं। उनकी बेटी उर्वी मिश्रा एमबीबीएस की अंतिम वर्ष की छात्रा हैं।

राजीव नारायण मिश्र का परिवार उनके जीवन का अहम हिस्सा है और उनके व्यक्तिगत जीवन में भी उनके परिवार का समर्थन उन्हें हमेशा प्रेरित करता रहा है।

राजीव नारायण मिश्र की कार्यशैली और उपलब्धियां

आईपीएस राजीव नारायण मिश्र की कार्यशैली उन्हें एक साहसी और निर्णायक अधिकारी बनाती है। उनके द्वारा किए गए कई साहसिक निर्णयों ने पुलिस सेवा में उनकी छवि को मजबूत किया है। उनका पहला कार्यकाल वाराणसी जनपद में था, जहां उन्होंने बेहतर कानून व्यवस्था स्थापित करने में अहम भूमिका निभाई। इसके बाद अयोध्या, बरेली, मेरठ और नोएडा में भी उनकी कार्यशैली ने उन्हें पुलिस विभाग में एक मिसाल बना दिया।

उनकी बहादुरी और कार्यक्षमता के कारण उन्हें कई अहम जिम्मेदारियां दी गईं, जिनमें प्रमुख कार्यक्षेत्र थे- जनपद कुशीनगर और लखनऊ में पुलिस की जिम्मेदारी निभाना। उनका अनुभव और दृष्टिकोण पुलिस विभाग में सुधार लाने में महत्वपूर्ण रहा है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कानून व्यवस्था पर सख्त नीति

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए एक मजबूत और सख्त कदम उठाया है। उन्होंने प्रदेश के प्रशासन में समय-समय पर फेरबदल किए हैं और काबिल अधिकारियों को जिम्मेदारियां सौंपकर राज्य की सुरक्षा और विकास को प्राथमिकता दी है।

राजीव नारायण मिश्र को गौतमबुद्ध नगर का अपर पुलिस आयुक्त नियुक्त करने का निर्णय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की इसी नीति का हिस्सा है, जहां सुरक्षा और प्रशासन को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जा रही है।

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जब UP STF में ऑफिसर थें IPS राजीव नारायण मिश्र. यहां देखिए पूरा इंटरव्यू!

Operation Sindoor News: सिंदूर की कहानी! सुहाग का प्रतीक, जो बन गया आतंकवादियों के खि...

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Operation Sindoor News:22 अप्रैल 2025 को जम्मू और कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने आतंकवाद के खिलाफ एक कड़ा कदम उठाया। इस हमले में 26 निर्दोष हिंदू पुरुषों की बेरहमी से हत्या कर दी गई थी, जबकि महिलाओं को छोड़ दिया गया था, ताकि वे सरकार को आतंकवादियों के संदेश दे सकें। यह हमला न केवल भयानक था, बल्कि इसमें आतंकवादियों ने एक घृणित उद्देश्य को पूरा किया – समाज में आतंक और भय फैलाना। इस हमले के बाद भारतीय सेना ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ नामक सैन्य कार्रवाई शुरू की, जिसे केवल एक सैन्य अभियान नहीं, बल्कि एक करारा जवाब माना जा रहा है।

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ऑपरेशन सिंदूर का नामकरण और उसकी महिमा- Operation Sindoor News

‘ऑपरेशन सिंदूर’ को इस कायराना हमले का प्रतिकार माना जा सकता है, क्योंकि इस हमले में मारे गए पुरुषों के साथ-साथ उनकी पत्नियों के माथे से सिंदूर भी हटा दिया गया था। यह सिंदूर, जो भारतीय समाज में विवाहित महिलाओं का प्रतीक होता है, उनके सुहाग और पति की लंबी उम्र का आशीर्वाद है, इस हमले में आतंकवादियों ने इसे छल से और बेरहमी से उजाड़ दिया था। इसे देखते हुए ऑपरेशन का नाम ‘ऑपरेशन सिंदूर’ रखा गया, ताकि यह संदेश दिया जा सके कि जो आतंकवादी सिंदूर उजाड़ते हैं, उनका जवाब भारत जरूर देगा।

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धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व

सिंदूर भारतीय संस्कृति और परंपरा का महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह न केवल एक महिला के विवाहित जीवन का प्रतीक है, बल्कि यह धार्मिक और पौराणिक दृष्टिकोण से भी अत्यधिक महत्व रखता है। भारतीय समाज में सिंदूर का मतलब केवल एक शृंगारिक वस्तु नहीं है, बल्कि यह भगवान राम के लिए सीता माता की श्रद्धा का प्रतीक है। रामायण में सीता माता का सिंदूर लगाना एक महत्वपूर्ण धार्मिक घटना मानी जाती है। इसी तरह से, देवी पार्वती की पूजा में भी सिंदूर का स्थान महत्वपूर्ण है।

ऑपरेशन सिंदूर: आतंकवादियों के खिलाफ कड़ा कदम

ऑपरेशन सिंदूर का उद्देश्य केवल एक सैन्य जवाब नहीं था, बल्कि यह उन 26 निर्दोष लोगों को श्रद्धांजलि देने की कोशिश थी, जिन्होंने अपनी जानें गंवाईं। यह उन महिलाओं के लिए भी था जिनकी मांग आतंकवादियों ने सूनी कर दी थी। ऑपरेशन के तहत भारतीय सेना ने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में स्थित आतंकवादी ठिकानों पर हमला किया। इस ऑपरेशन में कुल नौ आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया गया, जिनमें लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के ठिकाने शामिल थे।

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भारत सरकार ने इस कार्रवाई को आतंकवाद के खिलाफ एक निर्णायक कदम के रूप में प्रस्तुत किया। सरकार ने इसे स्पष्ट रूप से एक संदेश के रूप में देखा कि जो लोग आतंकवाद के नाम पर निर्दोष लोगों की हत्या करते हैं, उन्हें इसका जवाब मिलेगा। भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के माध्यम से यह साबित किया कि वह आतंकवाद को लेकर अपने रुख में किसी भी प्रकार का समझौता नहीं करेगा।

भारतीय समाज में सिंदूर का स्थान

भारतीय समाज में सिंदूर का एक गहरा सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व है। यह केवल एक महिला के दांपत्य जीवन का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह भगवान के आशीर्वाद और सुख-शांति का संकेत भी है। विशेषकर हिंदू विवाहों में, सिंदूर का भरना एक अत्यंत महत्वपूर्ण और पवित्र रस्म होती है। विवाह के बाद महिला का सिंदूर लगाना उसकी शादीशुदा जिंदगी की शुरुआत और सुहाग की निशानी मानी जाती है।

इतिहास में सिंदूर का उल्लेख कई पौराणिक कथाओं में मिलता है। रामायण में सीता माता द्वारा सिंदूर लगाने का महत्व दर्शाया गया है, जिससे यह प्रतीत होता है कि यह किसी भी विवाहित महिला के जीवन का अभिन्न हिस्सा है।

सिंदूर का प्राचीन महत्व

यह परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है, और इसका इतिहास हड़प्पा सभ्यता तक जाता है, जहां महिला मूर्तियों पर सिंदूर के निशान पाए गए हैं। इसका मतलब यह है कि सिंदूर का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व न केवल आज के दौर में, बल्कि प्राचीन समय से ही था।

रामायण, महाभारत और सिंदूर

रामायण में सीता माता और महाभारत में द्रौपदी के सिंदूर के साथ जुड़े पवित्र घटनाक्रम इस बात को प्रमाणित करते हैं कि सिंदूर का धार्मिक महत्व बहुत गहरा है। सीता माता अपनी मांग में सिंदूर भरती थीं, जिससे यह प्रतीक होता है कि यह उनके पति भगवान राम के प्रति प्रेम और समर्पण का प्रतीक है। वहीं, महाभारत में द्रौपदी ने दुशासन का लहू से अपने बाल धोने के बाद सिंदूर भरा था, जिससे यह दर्शाता है कि सिंदूर सिर्फ एक शृंगार नहीं, बल्कि नारी शक्ति और प्रतिशोध का भी प्रतीक है।

ऑपरेशन सिंदूर का उद्देश्य और प्रभाव

ऑपरेशन सिंदूर ने न केवल एक सैन्य जवाब दिया बल्कि यह एक सांस्कृतिक और धार्मिक संदेश भी था। यह उन लोगों के लिए एक करारा जवाब था जिन्होंने आतंक के नाम पर महिलाओं के सुहाग और उनके पति की लंबी उम्र का प्रतीक सिंदूर उजाड़ा था। भारत ने यह साबित किया कि उसकी सेना और सरकार आतंकवादियों से लड़ने के लिए किसी भी हद तक जा सकती है।

यह ऑपरेशन उन 26 लोगों को सच्ची श्रद्धांजलि देने का एक प्रयास था, जिन्होंने इस नृशंसा का शिकार हो कर अपनी जान गंवाई। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ न केवल एक सैन्य कार्रवाई थी, बल्कि यह एक बड़ा संदेश था कि आतंकवादियों को उनकी हरकतों का कड़ा जवाब दिया जाएगा।

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Operation Sindoor China Statement: भारत के एयरस्ट्राइक पर चीन और तुर्की की मीडिया में...

Operation Sindoor China Statement: भारत ने मंगलवार रात को पाकिस्तान और पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर (PoK) में स्थित आतंकवादी संगठनों लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के ठिकानों पर एयर स्ट्राइक्स कीं। यह ऑपरेशन ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के नाम से जाना गया, जिसे तीनों सेनाओं के संयुक्त मिशन के तहत अंजाम दिया गया। भारत की इस कड़ी कार्रवाई पर न केवल भारतीय मीडिया में चर्चा है, बल्कि वैश्विक मीडिया में भी यह खबर तेजी से फैल रही है। पाकिस्तान के मित्र समझे जाने वाले देशों जैसे चीन और तुर्की के मीडिया में भी भारत की इस एयर स्ट्राइक की खबरें प्रमुखता से प्रकाशित हुई हैं।

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चीन की प्रतिक्रिया– Operation Sindoor China Statement

चीन की सरकारी समाचार एजेंसी सिन्हुआ ने बुधवार को भारत द्वारा किए गए एयर स्ट्राइक्स की पुष्टि की। सिन्हुआ ने रिपोर्ट किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने व्यक्तिगत रूप से इस ऑपरेशन की निगरानी की थी। चीनी मीडिया ने लिखा, “भारत ने पाकिस्तान के नौ आतंकी ट्रेनिंग कैंप्स पर एयरस्ट्राइक की पुष्टि की, जो 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए हमले का प्रतिकार था। यह हमला उन महिलाओं के सम्मान में किया गया था, जिनके पति इस हमले में मारे गए थे।”

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चीन के प्रमुख अखबार ग्लोबल टाइम्स ने भी इस घटना को प्रमुखता से कवर किया, जिसमें बताया गया कि भारत के मिसाइल हमले में 8 लोग मारे गए, 35 घायल हुए और 2 लोग लापता हो गए। ग्लोबल टाइम्स ने पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के रावलपिंडी से मिली जानकारी का हवाला देते हुए लिखा, “चश्मदीदों ने हवा में मिसाइलें देखी और यह पुष्टि की कि भारत ने पाकिस्तान और PoK में आतंकवादियों के ठिकानों पर हमला किया।”

इसके अलावा, चीन के एक अन्य प्रमुख अखबार चाइना डेली ने भी भारत के एयर स्ट्राइक पर रिपोर्ट छापी, जिसमें पाकिस्तान की निंदा करते हुए उसे भारत की आक्रामकता और संप्रभुता का उल्लंघन बताया। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने भारत के हमले को ‘बिना वजह की आक्रामकता’ करार दिया और इसे संयुक्त राष्ट्र चार्टर और अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन बताया।

तुर्की की मीडिया: पाकिस्तान के बयान और अमेरिका की प्रतिक्रिया

तुर्की के सरकारी ब्रॉडकास्टर टीआरटी वर्ल्ड ने पाकिस्तान के सूचना मंत्री अताउल्लाह तरार से बात की, जिन्होंने भारतीय मिसाइलों को निशाना बनाने का दावा किया। तरार ने कहा, “पाकिस्तान की सेना उन भारतीय मिसाइलों को निशाना बना रही है जिनका टार्गेट आम लोग हैं।” इस दौरान, तुर्की के मीडिया में भारत-पाकिस्तान तनाव के संदर्भ में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बयान को भी शामिल किया गया।

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव को “शर्मनाक” बताते हुए, उन्होंने उम्मीद जताई कि यह तनाव जल्द समाप्त हो जाएगा। ट्रंप ने कहा, “मुझे लगता है कि पहले से ही लोगों को यह अंदाजा था कि कुछ होनेवाला है, लेकिन मैं उम्मीद करता हूं कि यह जल्द ही खत्म हो जाएगा।”

तुर्की के एक अन्य प्रमुख अखबार Daily Sabah ने भी भारत के एयर स्ट्राइक की रिपोर्ट प्रकाशित की, जिसमें लिखा गया, “भारत ने पाकिस्तान पर एयरस्ट्राइक किया, जिसके बाद पाकिस्तान ने जवाबी कार्रवाई की कसम खाई।” इस अखबार ने भी रिपोर्ट में उल्लेख किया कि भारत का कहना है कि इस हमले का तार पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा है, जिसे संयुक्त राष्ट्र ने आतंकवादी संगठन घोषित किया है।

भारत की एयर स्ट्राइक पर वैश्विक दृष्टिकोण

भारत के इस ऑपरेशन को लेकर विश्व भर में मिश्रित प्रतिक्रियाएं आई हैं। जहां भारत ने इसे आतंकवाद के खिलाफ अपनी मजबूत नीति का हिस्सा बताया है, वहीं पाकिस्तान ने इसे एक घोर उल्लंघन करार दिया है। चीन और तुर्की जैसे देशों का आरोप है कि भारत की यह कार्रवाई आक्रामक है, जबकि भारत ने इसे आतंकवादियों के खिलाफ जवाबी कार्रवाई बताते हुए इसका सही ठहराया है।

भारतीय मीडिया ने इस एयर स्ट्राइक को सही कदम बताया और कहा कि यह उन आतंकी संगठनों के खिलाफ एक मजबूत संदेश है, जो भारत के खिलाफ आतंकवाद फैलाने की कोशिश कर रहे हैं। वहीं, पाकिस्तान की ओर से यह आरोप लगाया गया कि भारत ने बिना किसी उकसावे के इस कार्रवाई को अंजाम दिया, जिससे क्षेत्रीय स्थिति और भी जटिल हो गई है।

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Operation Sindoor Opposition Statement: भारतीय सेना के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर...

Operation Sindoor Opposition Statement: भारत ने मंगलवार देर रात ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में स्थित आतंकी ठिकानों पर जोरदार हमला किया। यह कार्रवाई पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के जवाब में की गई, जिसमें 26 निर्दोष लोग मारे गए थे। भारत सरकार ने इस एयर स्ट्राइक को आतंकवादियों के खिलाफ अपनी दृढ़ नीति का हिस्सा बताया है। वहीं, इस ऑपरेशन के बाद विभिन्न राजनीतिक दलों से प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं। आइए जानते हैं, पक्ष और विपक्ष से आई प्रतिक्रियाओं को।

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ऑपरेशन सिंदूर पर पक्ष की प्रतिक्रियाएं- Operation Sindoor Opposition Statement 

भारतीय सेना और सरकार की ओर से किए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर सत्तारूढ़ दलों के नेताओं ने अपनी प्रतिक्रियाएं दी हैं। भारतीय जनता पार्टी (BJP) और उसकी सहयोगी पार्टियों के नेताओं ने इस ऑपरेशन की तारीफ की है, और इसे आतंकवाद के खिलाफ भारत की निर्णायक लड़ाई के रूप में देखा।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भारतीय सेना के इस ऑपरेशन पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “जय हिंद! जय हिंद की सेना!” वहीं, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी सोशल मीडिया पर “भारत माता की जय!” लिखकर अपने समर्थन का इजहार किया।

केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी इस ऑपरेशन की सराहना की, और भारतीय सेना को बधाई दी। उन्होंने लिखा, “भारत माता की जय! जय हिंद की सेना!” जम्मू कश्मीर के बीजेपी नेता अल्ताफ ठाकुर ने इस ऑपरेशन को सही दिशा में उठाया गया कदम बताया और कहा कि इससे पाकिस्तान के आतंकवादी ढांचे को खत्म करने का संकल्प और मजबूत होगा।

महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे ने भी ऑपरेशन सिंदूर की सराहना की और इसे सही समय पर लिया गया फैसला करार दिया। उन्होंने कहा, “इस ऑपरेशन से पहलगाम हमले में मारे गए लोगों के परिवारों को न्याय मिल चुका है।”

ऑपरेशन सिंदूर पर विपक्षी प्रतिक्रियाएं

विपक्षी दलों ने इस ऑपरेशन पर  प्रतिक्रियाएं दी हैं। कांग्रेस के नेताओं ने इस ऑपरेशन का समर्थन किया। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, “पाकिस्तान और PoK से पैदा होने वाले आतंकवाद के हर स्वरूप के लिए भारत की एक दृढ़ राष्ट्रीय नीति है। हम पाकिस्तान और PoK में आतंकी ठिकानों पर सेना के हमले पर गर्व करते हैं।”

कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने भी भारतीय सेना की कार्रवाई का समर्थन किया और लिखा, “हम अपनी सेना पर गर्व करते हैं। जय हिंद!” उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर भारतीय सशस्त्र बलों की सराहना करते हुए इसे सकारात्मक कदम बताया।

कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने इस कार्रवाई की सराहना करते हुए कहा, “भारत की यह अडिग नीति होनी चाहिए कि पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में आतंकवाद के सभी स्रोतों का पूरी तरह से सफाया किया जाए।” उन्होंने साथ ही यह भी कहा कि यह समय एकता और एकजुटता का है और कांग्रेस पार्टी हमारे सशस्त्र बलों के साथ पूरी मज़बूती से खड़ी है।

कांग्रेस नेता शशि थरूर ने इस ऑपरेशन की सराहना करते हुए इसे “कड़ा और चतुर प्रहार” बताया। उन्होंने कहा, “हमने अपनी सुरक्षा के लिए कदम उठाए हैं, और इस समय सभी संबंधित व्यक्तियों को चतुराई से काम करना होगा ताकि यह संघर्ष नियंत्रण से बाहर न हो सके।”

हालांकि, कुछ कांग्रेस नेताओं ने परिणामों पर सवाल भी उठाए। कांग्रेस नेता राशिद अल्वी ने इस कार्रवाई की सराहना करते हुए कहा, “यह जवाब देना जरूरी था, लेकिन सवाल यह है कि क्या हर आतंकवादी मारा गया है?”

एआईएमआईएम और अन्य नेताओं की प्रतिक्रियाएं

एआईएमआईएम के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने भी इस ऑपरेशन का स्वागत किया और कहा कि पाकिस्तान के आतंकवादियों के खिलाफ यह एक सही कदम था। उन्होंने कहा, “पाकिस्तान के डीप स्टेट को ऐसी सख्त सीख दी जानी चाहिए कि फिर कभी दूसरा पहलगाम न हो। पाकिस्तान के आतंक ढांचे को पूरी तरह नष्ट कर देना चाहिए।”

जम्मू कश्मीर में जनता दल यूनाइटेड (JDU) के अध्यक्ष जीएम शाहीन ने कहा कि यह एक सही फैसला था, और हमले सही निशाने पर किए गए। वहीं, बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने भी इस ऑपरेशन का समर्थन करते हुए लिखा, “हम अपने वीर जवानों और भारतीय सेना पर गर्व करते हैं।”

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Operation Sindoor Briefing: ऑपरेशन सिंदूर पर प्रेस कॉन्फ्रेंस! पाकिस्तान और पीओके में...

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Operation Sindoor Briefing: भारत ने मंगलवार रात पाकिस्तान और पाकिस्तान के अवैध कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में आतंकवादियों के खिलाफ एक बड़ी सैन्य कार्रवाई की। इस ऑपरेशन को “ऑपरेशन सिंदूर” का नाम दिया गया, जो भारतीय सेना, वायुसेना और नौसेना के संयुक्त प्रयास से सफलतापूर्वक पूरा हुआ। इस ऑपरेशन के दौरान भारतीय सशस्त्र बलों ने पाकिस्तान और पीओके में स्थित नौ आतंकवादी ठिकानों को निशाना बनाया और उन्हें पूरी तरह से नष्ट कर दिया। यह कार्रवाई 22 अप्रैल 2025 को कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में की गई, जिसमें भारतीय और विदेशी नागरिकों की जान गई थी।

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‘ऑपरेशन सिंदूर’ का विवरण- Operation Sindoor Briefing

इस ऑपरेशन को मंगलवार रात एक बजकर पांच मिनट से एक बजकर 30 मिनट के बीच अंजाम दिया गया। भारतीय सेना के मुताबिक, इस स्ट्राइक में पाकिस्तान के 100 किलोमीटर अंदर और पीओके में पांच, जबकि पाकिस्तान में चार आतंकवादी ठिकानों को निशाना बनाया गया। कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस ऑपरेशन के बारे में विस्तार से जानकारी दी। कर्नल सोफिया ने बताया कि मुजफ्फराबाद में लश्कर-ए-तैयबा का शवाई नाला कैंप, जो कि पिछले हमलों से जुड़ा हुआ था, को सफलतापूर्वक नष्ट कर दिया गया। इसके अलावा, पीओके के सैयदना बिलाल कैंप, जो जैश-ए-मोहम्मद का प्रशिक्षण केंद्र था, को भी ध्वस्त किया गया।

 

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प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह भी बताया गया कि नियंत्रण रेखा (LoC) के करीब स्थित अन्य महत्वपूर्ण आतंकवादी ठिकानों को भी निशाना बनाया गया। इनमें कोटली और गुलपुर जैसे इलाके शामिल थे, जहां लश्कर और जैश के आतंकवादी सक्रिय थे। इन ठिकानों को लक्ष्य बनाते हुए भारतीय सेना ने पाकिस्तान और पीओके के आतंकी नेटवर्क को नष्ट करने का लक्ष्य रखा था।

आतंकी हमलों की न्यायसंगत प्रतिक्रिया

इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह भी स्पष्ट किया गया कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुए वीभत्स आतंकी हमले के जवाब में चलाया गया। इस हमले में 25 भारतीयों और एक विदेशी नागरिक की मौत हो गई थी, जो आतंकवादियों द्वारा पर्यटकों पर की गई बर्बरता का परिणाम था। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने इस हमले की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि यह हमला आतंकवादियों के लंबे समय से चले आ रहे पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंकवाद के ट्रैक रिकॉर्ड से जुड़ा हुआ है। उन्होंने यह भी बताया कि इस हमले का उद्देश्य कश्मीर में सामान्य स्थिति को बिगाड़ना और भारत की शांति-प्रयासों को नष्ट करना था।

पाकिस्तान की निंदा और भारत का अधिकार

विक्रम मिस्री ने आगे कहा, “यह हमला पाकिस्तान के उन आतंकवादी समूहों की योजना का हिस्सा था जो भारत में आतंक फैलाने के लिए काम कर रहे हैं। पाकिस्तान दुनियाभर में आतंकियों का आश्रय देने वाले देश के रूप में पहचाना जाता है, और वहां आतंकियों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जाती।” उन्होंने उदाहरण के तौर पर साजिद मीर का उल्लेख किया, जो पाकिस्तान में मृत घोषित होने के बावजूद अंतरराष्ट्रीय दबाव के बाद जीवित पाया गया।

भारत ने अपने अधिकारों का उपयोग करते हुए यह कार्रवाई की, ताकि सीमा पार से आतंकियों को भेजे जाने वाले हमलों को रोका जा सके। विदेश सचिव ने यह भी बताया कि भारत ने इस कार्रवाई को बिना उकसावे के और पूरी रणनीति के तहत किया है, ताकि नागरिकों और रिहाइशी क्षेत्रों को नुकसान न पहुंचे। यह सुनिश्चित किया गया कि आतंकवादियों के प्रशिक्षण केंद्रों को निशाना बनाया जाए, जिससे आतंकवादियों की क्षमता को नष्ट किया जा सके।

संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान का आतंकवाद को बढ़ावा देने का मुद्दा

भारत ने अपनी कार्रवाइयों को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के दृष्टिकोण में भी रखा, जिसने पाकिस्तान के प्रायोजित आतंकवाद को बंद करने की आवश्यकता पर जोर दिया था। भारत के इस ऑपरेशन को सुरक्षा परिषद द्वारा दिया गया समर्थन बताया गया। प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह भी कहा गया कि भारत की कार्रवाई आतंकवाद के खिलाफ कड़े कदम उठाने का संकेत है और इसे आतंकवादियों और उनके संरक्षकों के खिलाफ एक कड़ा संदेश माना जाना चाहिए।

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