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Lucknow viral news: प्रधानाचार्य ने बीएसए को बेल्ट से पीटा, महिला शिक्षा से नजदीरी बन...

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Principal attack on BSA by belt: सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ है जिसमें एक शख्स दूसरे शख्स को बेल्ट से पीटते नजर आ रहे है। हालांकि सोशल मीडिया पर बेहद आम है इस वीडियो के वायरल होने के पीछे की वजह है बेल्ट से पिटने वाले शख्स।

दरअसल वीडियो में पिटने वाले शख्स का नाम अखिलेश प्रताप सिंह है और वो पेशे से बेसिक शिक्षा अधिकारी(BSA)है। और जो उन्हें बेल्ट से पीट रहे हैं वो उत्तर प्रदेश के सीतापुर में प्राथमिक विद्यालय के प्रधानाचार्य(Principal) बृजेंद्र वर्मा है। प्रधानाचार्य ने बेसिक शिक्षा अधिकारी को जान से मारने की धमकी भी दी थी। विदाई के सामने आने के बाद प्रथम दृष्टया में तो ऐसा लगता है कि प्रधानाचार्य बीएसए पर अपने पद का इस्तेमाल करके उन्हें टॉर्चर कर रहे है, शहर कोतवाली पुलिस ने विदाई के आधार पर प्रिंसीपल को गिरफ्तार भी कर लिया लेकिन जब सच्चाई सामने आई सबके आंखे फटी की फटी रह गई।

क्या है इस मामले की सच्चाई

दरअसल गिरफ्तारी के बाद जब प्रधानाचार्य से पूछताछ शुरु हुई तो बेहद ही हैरान करने वाला सच सामने निकल कर आया। प्रधानाचार्य ने बताया कि बीएसए अखिलेश प्रताप सिंह अक्सर उन्हें फोन करके परेशान करता था, वो   उनके स्कूल के कामों में दखल अंदाजी करता था, और ये सब केवल स्कूल की एक शिक्षिका अवंतिका गुप्ता( Avantika gupta) को बचाने के लिए किया जा रहा था। अवंतिका गुप्ता और बीएसए काफी करीबी है, जिसका फायदा उठाकर अवंतिका अक्सर स्कूल से गायब रहती थी, इस बात की पुष्टि खुद स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों ने भी की है।

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कैसे आया महिला शिक्षिका का एंगल

दरअसल इस वायरल वीडियो के बाद एक ऑडियो भी वायरल हो रहा है..हालांकि हम इस ऑडियो की सत्यता की पुष्टि नहीं करते है, लेकिन ऑडियो में आप प्रधानाचार्य बृजेद्र वर्मा और बीएसए अखिलेश प्रताप सिंह के बीच की बातचीत सुनी जा सकती है जो कि महिला शिक्षिका अवंतिका गुप्ता को लेकर थी। बृजेश वर्मा लगातार कह रहे है कि अवतिंका गुप्ता स्कूल नहीं आती है, गांव वाले उनके बारे पूछते है, वो रोज प्रधान के घर से होकर जाती है, लेकिन स्कूल नहीं आती है। इस पर अधिकारी ने कहा कि वो केवल अवंतिका गुप्ता की अनुपस्थिति में भी उनकी हाजिरी लगाये। प्रींसीपल के लाख कहने पर भी जब अधिकारी नहीं मानते मजबूरी में वो हाजिरी लगा रहे थे, लेकिन पिछले कुछ समय से दोनो के बीच तनाव ज्यादा बढ़ गया जिसे देखते हुए बीएसए ने प्रींसीपल को अपने ऑफिस बुलाया था। जहां पहले तो दोनों के बीच मामूली बातचीत हो रही थी, तभी जब अवंतिका गुप्ता के बारे में बात हुई तो बीएसए अधिकारी भड़क गए और बृजेश वर्मा को नौकरी से निकालने की धमकी तक दे डाली, जिससे गुस्साए बृजेश गुप्ता ने अपनी बेल्ट निकाल कर बीएसए को अच्छा खासा पीटा।

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महिला शिक्षक का पत्ता कटा

प्रधानाध्यापक के इस खुलासे के बाद एक तरफ पूरे डिपार्टमेंट में बीएसए की जगहसाई शुरु हो गई तो वहीं काफी लंबे समय से ड्यूटी के नाम पर छुट्टी मना रही महिला शिक्षिका की हमेशा के लिए छुट्टी करते हुए उसे खुद बीएसए ने ही सस्पेंड कर दिया गया है। तो वहीं ऑडियो के वायरल होने के बाद शिक्षा मंत्रालय ने बीएसए को भी सस्पेंड कर दिया है।  फिलहाल इस मामसे की आगे की जांच जारी है, अगर बृजेश वर्मा के आरोपो में सच्चाई हुई तो वो दिन भी दूर नहीं जब बीएसए अधिकारी भी संस्पेंड होने के साथ साथ सलाखो के पीछे नजर आयेंगें।     

 

इस नवरात्रि बनाएं मखाना खीर और शकरकंदी हलवा, व्रत का मज़ा हो जाएगा दोगुना।

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Makhana kheer: अगर आप भी अलग-अलग रेसिपी बनाने के शौकीन हैं और इस नवरात्रि आप भी एक जैसा फास्ट फूड खाकर थक गए हैं तो आप मखाना खीर (Makhana Kheer) और शकरकंद (Sweet Potato) की खीर बना सकते हैं, ये कुछ ही समय में तैयार हो जाती हैं। तो चलिए आपको इस लेख में मखाना खीर और शकरकंद का हलवा बनाने की विधि के बारे में विस्तार से बताते हैं।

मखाना खीर बनाने की ingredients

  • मखाना – 2 कप
  • दूध (फुल क्रीम या अपनी पसंद का) – 2 कप
  • चीनी (या गुड़ पाउडर/शहद) – 1/4 कप (स्वादानुसार)
  • इलायची पाउडर – 1/4 छोटा चम्मच
  • घी – 1 बड़ा चम्मच
  • कटे हुए मेवे (बादाम, पिस्ता) – 1 बड़ा चम्मच
  • किशमिश – 1 छोटा चम्मच
  • केसर के धागे

मखाना खीर बनाने की रेस्पी

सबसे पहले एक कड़ाही में घी गरम करें। उसमे मखाने डालें और मध्यम-धीमी आँच पर हल्का सुनहरा और कुरकुरा होने तक भूनें। फिर भुने हुए मखानों को ठंडा होने दें और उन्हें मिक्सर में डालकर दरदरा पीस लें।

इसके बाद एक गहरे बर्तन में दूध उबालें। दूध में उबाल आने पर, पिसे हुए मखाने डालें और आँच धीमी कर दें और खीर को गाढ़ा होने तक पकाएँ। बीच-बीच में चलाते रहें ताकि वह तले में न चिपके और जले नहीं। वही खीर के गाढ़ा होने पर, चीनी (या गुड़/शहद), इलायची पाउडर और मेवे डालें 2-3 मिनट और पकाएँ। और बाद में किशमिश और केसर के रेशों से सजाएँ और गरमागरम या ठंडा परोसें।

शकरकंद का हलवा

  • उबले हुए शकरकंद (मध्यम आकार के) – 2
  • घी – 4 से 6 बड़े चम्मच
  • गुड़ पाउडर (या चीनी/शहद) – 60 ग्राम (स्वादानुसार)
  • इलायची पाउडर – 1/2 छोटा चम्मच
  • कटे हुए सूखे मेवे (काजू, बादाम) और किशमिश – 2 से 3 बड़े चम्मच

शकरकंद का हलवा विधि

सबसे पहले बिना धागे वाली शकरकंद को उबालें (या भाप में पकाएँ)। ठंडा होने पर, इन्हें छीलकर मसल लें या कद्दूकस कर लें। इसके बाद एक भारी तले वाले पैन में घी गरम करें और मसले हुए शकरकंद पैन में डालें और मध्यम आँच पर 5-7 मिनट तक या हलवे के पैन के किनारों से अलग होने तक भूनें।

इसके बाद मीठा करने के लिए गुड़ पाउडर (या चीनी/शहद) डालें और मिठास घुलने तक अच्छी तरह मिलाएँ। शकरकंद स्वाभाविक रूप से मीठे होते हैं, इसलिए अपनी पसंद के अनुसार मिठास कम-ज़्यादा करें। इसके अलवा आप उसमें सूखे मेवे और स्वाद के इलायची पाउडर, किशमिश डालें और 1-2 मिनट तक पकाएँ। शकरकंद के हलवे को गरमागरम परोसें। इसे कटे हुए मेवों या भुने हुए मखानों से सजाएँ।

आपको बता दें, इन दो व्यंजनों को बनाकर, आप अपने नवरात्रि व्रत को स्वादिष्ट और ताज़ा बना सकते हैं! ये आसानी से आर कम समय में बनकर तैयार हो जाती है।

इम्युनिटी बूस्ट करें नैचुरल तरीके से, इन 5 सब्जियों को बनाएं अपनी थाली का हिस्सा

Immunity boosting Vegetable: अगर आपको भी आपकी बॉडी अक्सर कमजोर फील होती है। तो फिर आप अपनी डाइट में कुछ खास सब्ज़ियों को शामिल करके कई बीमारियों से बच सकते हैं। ये सब्ज़ियाँ पोषक तत्वों और एंटीऑक्सीडेंट (Antioxidants) से भरपूर होती हैं, जो आपकी इम्यूनिटी (Immunity) को मज़बूत बनाती हैं और शरीर को स्वस्थ रखती हैं। तो चलिए आपको इस लेख में उन सब्जियों के बारे में विस्तार से बताते हैं।

हरी पत्तेदार सब्ज़ियां

हरी पत्तेदार सब्ज़ियों में पालक, केल, और पत्ता गोभी (Spinach, kale, and cabbage) शामिल हैं। इनमें विटामिन A, C, K, फोलेट, और आयरन (Iron) जैसे पोषक तत्व भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। ये सब्ज़ियां शरीर में सूजन को कम करती हैं और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों से लड़ने में मदद करती हैं।

इम्यूनिटी के लिए लहसुन और प्याज

लहसुन और प्याज में एलिसिन नामक एक पदार्थ होता है। यह पदार्थ संक्रमण से लड़ता है, कोलेस्ट्रॉल (Cholesterol) कम करता है और रक्तचाप को नियंत्रित रखने में मदद करता है। इसे अपने आहार में शामिल करने से आपका स्वास्थ्य बेहतर हो सकता है।

एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर ब्रोकली

दूसरी ओर, ब्रोकली (Broccoli) में विटामिन सी (Vitamin C), के और अन्य एंटीऑक्सीडेंट (Antioxidants) होते हैं। यह कैंसर और हृदय रोग जैसी बीमारियों के खिलाफ बहुत प्रभावी है। आप इसे पकाकर या सब्जी के रूप में खा सकते हैं।

शकरकंद – शकरकंद (Sweet Potato) बीटा-कैरोटीन (Beta carotene) का एक बेहतरीन स्रोत है, जो शरीर में विटामिन ए में परिवर्तित हो जाता है। यह आँखों के लिए बहुत फायदेमंद है और रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है। शकरकंद में मौजूद फाइबर (Fiber) पाचन तंत्र को भी स्वस्थ रखता है।

आँखों की रोशनी के लिए गाजर जरुरी 

गाजर – गाजर (Carrot) बीटा-कैरोटीन से भी भरपूर होता है, जो आँखों की रोशनी के लिए ज़रूरी है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट आपकी त्वचा को स्वस्थ रखते हैं और कई बीमारियों से बचाते हैं। इसका सेवन आप कई तरह से कर सकते है आप इसे सलाद की तरह भी खा सकते या फिर आप गाजर का जूस भी पी सकते है।

आपको बता दें, इन सब्ज़ियों को नियमित रूप से अपने आहार में शामिल करके आप अपने स्वास्थ्य को बेहतर बना सकते हैं और कई बीमारियों से खुद को बचा सकते हैं। जो आपके शारीर के लिए काफी फायदेमंद रहेगा।

Chandra Shekhar Aazad Controversy: ‘आज तेरे नाम का ज़हर खाऊंगी’, सांसद चंद्रशेखर के ख...

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Chandra Shekhar Aazad Controversy: उत्तर प्रदेश की नगीना लोकसभा सीट से सांसद और आज़ाद समाज पार्टी के अध्यक्ष चंद्रशेखर आज़ाद एक बार फिर सुर्खियों में हैं, लेकिन इस बार वजह राजनीतिक नहीं बल्कि व्यक्तिगत आरोप हैं। मध्यप्रदेश के इंदौर की रहने वाली और फिलहाल स्विट्ज़रलैंड में रिसर्च कर रहीं डॉ. रोहिणी घावरी ने चंद्रशेखर पर गंभीर निजी आरोप लगाते हुए सोशल मीडिया पर खुदकुशी करने की धमकी दी है।

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बुधवार को एक्स (पहले ट्विटर) पर किए गए उनके कई पोस्ट्स ने देशभर में राजनीतिक और सामाजिक हलकों को हिला दिया। उन्होंने एक पोस्ट में लिखा, “आप सबको मेरा अंतिम अलविदा, आज ही तेरे नाम का ज़हर खाऊंगी।” इसके साथ ही उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी और प्रधानमंत्री कार्यालय को भी टैग करते हुए लिखा कि उनकी बात किसी ने नहीं सुनी।

भावुक पोस्ट्स में छलका दर्दChandra Shekhar Aazad Controversy

डॉ. रोहिणी ने एक के बाद एक कई भावुक और आक्रोशित पोस्ट्स किए। उन्होंने आरोप लगाया कि चंद्रशेखर ने उनका जीवन बर्बाद कर दिया और अब वही सोशल मीडिया पर खुशियां मना रहे हैं। एक पोस्ट में उन्होंने लिखा, “यह फोटो पहले क्यों नहीं डाले? मेरा जीवन बर्बाद कर के अब आनंद ले रहा है। आज ही तेरे नाम का ज़हर खाऊंगी, तूने मुझे खत्म कर दिया।”

एक अन्य पोस्ट में उन्होंने अपनी तीन साल की रिलेशनशिप की पीड़ा बयां करते हुए कहा, “रात 3 बजे तक रो-रोकर मुझे इस रिश्ते में बांधे रखता था। जब मैं कहती कि ये रिश्ता सही नहीं है, तो जान देने की धमकी देता था। अगर उस दिन मर गया होता, तो अच्छा होता।”

पहले भी लगाए थे गंभीर आरोप

रोहिणी पहले भी चंद्रशेखर पर कई गंभीर आरोप लगा चुकी हैं। उन्होंने दावा किया कि चंद्रशेखर ने उनसे शादी का वादा किया, भावनात्मक और मानसिक शोषण किया और जब वो इस रिश्ते से बाहर निकलना चाहती थीं, तो निजी तस्वीरों और वीडियो को लीक करने की धमकी दी गई।

इतना ही नहीं, रोहिणी ने यह भी आरोप लगाया कि चंद्रशेखर ने उन्हें यह कहकर धोखा दिया कि वह अविवाहित हैं, जबकि बाद में सच्चाई कुछ और निकली। उनके मुताबिक, राजनीतिक रैलियों और अभियानों में भी उनका इस्तेमाल किया गया।

कौन हैं डॉ. रोहिणी घावरी?

डॉ. रोहिणी घावरी वाल्मीकि समुदाय से ताल्लुक रखती हैं और इस वक्त स्विट्ज़रलैंड में पीएचडी कर रही हैं। साल 2019 में उन्हें मध्यप्रदेश सरकार से एक करोड़ रुपये की स्कॉलरशिप मिली थी। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र में भारत का प्रतिनिधित्व किया है और जय श्री राम के उद्घोष को लेकर काफी चर्चाओं में रही थीं।

वो “जनपावर फाउंडेशन” नाम की संस्था चला रही हैं, जो दलित समाज के हक के लिए काम करती है। साल 2020 में उनकी मुलाकात चंद्रशेखर आज़ाद से हुई और फिर दोनों के बीच नज़दीकियां बढ़ीं।

महिला आयोग और पुलिस को दी शिकायत

बता दें, रोहिणी ने अपनी शिकायत राष्ट्रीय महिला आयोग को दी है, जिसमें उन्होंने कहा है कि 2021 से उनका और चंद्रशेखर का रिश्ता था। लेकिन 2024 में चंद्रशेखर के लोकसभा चुनाव जीतने के बाद उनका रवैया पूरी तरह बदल गया।

उनका कहना है कि चंद्रशेखर ने उन्हें “कॉन्ट्रैक्ट मैरिज” का झांसा दिया और जब उन्होंने विरोध किया तो उन्हें भावनात्मक और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया। डॉ. रोहिणी ने यह भी कहा कि इस रिश्ते की वजह से वो डिप्रेशन में चली गई थीं और दो बार आत्महत्या करने की कोशिश भी कर चुकी हैं।

उन्होंने दिल्ली पुलिस, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और महिला आयोग को पत्र भेजकर न्याय की मांग की है।

विवाद को मिला राजनीतिक रंग

अब इस पूरे मामले ने राजनीतिक तूल पकड़ लिया है। डॉ. रोहिणी ने यह भी आरोप लगाया है कि भाजपा चंद्रशेखर को बचाने की कोशिश कर रही है। इससे मामला और भी अधिक संवेदनशील हो गया है। सोशल मीडिया पर भी लोग दो धड़ों में बंट गए हैं कुछ लोग डॉ. रोहिणी के समर्थन में खड़े हैं तो कुछ इसे निजी मामला बताकर चुप्पी साधे हुए हैं।

चंद्रशेखर की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं

इस पूरे घटनाक्रम पर अब तक चंद्रशेखर आज़ाद की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। लेकिन सोशल मीडिया पर मामला तेजी से तूल पकड़ता जा रहा है।

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Raipur Jageshwar Awadhiya: 100 रुपए की रिश्वत का इल्ज़ाम… 39 साल तक लड़ा इंसाफ ...

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Raipur Jageshwar Awadhiya: रायपुर के 83 साल के जागेश्वर प्रसाद अवधिया को आखिरकार वो इंसाफ मिल गया, जिसका उन्होंने तकरीबन चार दशक तक इंतजार किया। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने उन्हें 100 रुपये की रिश्वत के एक झूठे केस से बरी कर दिया है। लेकिन सवाल ये है कि अब इस फैसले का क्या मतलब है, जब एक ज़िंदगी पूरी तरह से टूट चुकी है?

जागेश्वर अवधिया कभी मध्यप्रदेश स्टेट रोड ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन (MPSRTC) में बिल सहायक के पद पर कार्यरत थे। लेकिन साल 1986 में लगे एक बेबुनियाद आरोप ने उन्हें कहीं का नहीं छोड़ा। कोर्ट-कचहरी, सस्पेंशन, ट्रांसफर, आधी तनख्वाह, बच्चों की पढ़ाई अधूरी, पत्नी का दुख में निधन और खुद चौकीदारी तक करने की नौबत… ये सब उन्होंने सिर्फ इसलिए झेला, क्योंकि उन्होंने रिश्वत नहीं ली थी।

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कैसे शुरू हुआ सबकुछ? Raipur Jageshwar Awadhiya

साल 1986 में, रायपुर डिपो में जागेश्वर प्रसाद अपनी ड्यूटी पर तैनात थे। एक कर्मचारी अशोक कुमार वर्मा ने अपने बिल पास करवाने का दबाव बनाया, लेकिन जागेश्वर ने नियम के तहत कहा कि जब तक उच्च अधिकारियों से ऑर्डर नहीं मिलेगा, बिल पास नहीं कर सकता।

अगले ही दिन वर्मा 20 रुपए लेकर आया, जिसे जागेश्वर ने फटकार के साथ लौटा दिया। लेकिन वर्मा पीछे नहीं हटा। 24 अक्टूबर की सुबह जब जागेश्वर घर से ऑफिस निकल रहे थे, तो पास की किराने की दुकान पर वही कर्मचारी फिर आ धमका और जबरन ₹100 (दो 50 के नोट) उनकी जेब में डाल दिए।

जागेश्वर ने जेब से पैसे निकालने की कोशिश ही की थी कि लोकायुक्त की विजिलेंस टीम वहां पहुंच गई। वहां मौजूद भीड़ ने मान लिया कि जागेश्वर रिश्वत लेते पकड़े गए हैं।

इज्जत गई, नौकरी डूबी, परिवार बिखर गया

उसी दिन से उनकी ज़िंदगी पलट गई। लोग फुसफुसाने लगे कि सरकारी बाबू पकड़ा गया है। उनसे हाथ धुलवाए गए, नोटों पर कैमिकल टेस्ट कर दिखाया गया और मीडिया में खबर बनी। बावजूद इसके, वे बार-बार कहते रहे कि वे निर्दोष हैं।

1988 में उन्हें नौकरी से सस्पेंड कर दिया गया। छह साल तक नौकरी से बाहर रहे। फिर रीवा ट्रांसफर किया गया, लेकिन आधी तनख्वाह पर। प्रमोशन और इंक्रीमेंट बंद हो गए।

चार बच्चों की पढ़ाई बीच में छूट गई। घर चलाना मुश्किल हो गया। पत्नी मानसिक तनाव से बीमार पड़ गईं और समय से पहले इस दुनिया से चली गईं। जागेश्वर कहते हैं, “ढाई हजार रुपए की तनख्वाह में घर चलाना नामुमकिन था। बच्चों की फीस तक नहीं भर पाया।”

रिटायरमेंट के बाद भी राहत नहीं

नौकरी से रिटायर होने के बाद पेंशन भी अटक गई। आर्थिक हालत इतनी खराब हो गई कि उन्हें स्कूल में चौकीदारी करनी पड़ी। कई बार दूसरों के घरों में छोटे-मोटे काम भी किए।

कोर्ट-कचहरी के चक्कर लगाते-लगाते उम्र निकल गई। आज 83 साल की उम्र में वे ठीक से सीढ़ियाँ भी नहीं चढ़-उतर सकते। उनकी अलमारी में कपड़ों से ज्यादा केस की फाइलें और दस्तावेज़ भरे हुए हैं।

उनका बेटा नीरज बताता है, “हमारा बचपन कोर्ट के बाहर खड़े रहकर बीता है। हमनें अपने पापा को कभी चैन से बैठे नहीं देखा। जो इंसान कभी ईमानदारी के लिए जाना जाता था, वो एक झूठे आरोप से बदनाम हो गया।”

अब मिला इंसाफ, पर बहुत देर हो गई

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने जागेश्वर प्रसाद को दोषमुक्त कर दिया है। कोर्ट ने माना कि उन पर लगाया गया रिश्वत का केस झूठा था। लेकिन अब जब सब कुछ लुट चुका है, तो ये फैसला उनके लिए एक औपचारिकता भर है।

वे खुद कहते हैं, “इंसाफ में इतनी देर हो जाए, तो वो इंसाफ जैसा महसूस नहीं होता।” उनका सवाल भी जायज है अब ये फैसला उन्हें क्या लौटा पाएगा? पत्नी का प्यार, बच्चों का भविष्य, उनकी खोई इज्जत?

अब सिर्फ एक आखिरी उम्मीद

अब जागेश्वर चाहते हैं कि सरकार कम से कम उनकी पेंशन और बकाया राशि जल्द दिलाए, ताकि बचे हुए दिन थोड़े सम्मान से जी सकें। वे कहते हैं, “मेरे पास अब ताकत नहीं बची कि मैं फिर से कोर्ट के चक्कर काटूं। बस इतना चाहता हूं कि किसी के सामने हाथ न फैलाना पड़े।”

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दिल्ली के आश्रम में छेड़छाड़ का सनसनीखेज मामला, 17 छात्राओं ने Swami Chaitanyananda S...

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Swami Chaitanyananda Saraswati: दिल्ली के वसंत कुंज स्थित एक नामी आश्रम में चल रहे काले कारनामों का सच अब सबके सामने आ गया है। आश्रम में पढ़ाई कर रही 17 छात्राओं ने आश्रम संचालक स्वामी चैतन्यानंद पर यौन उत्पीड़न और छेड़छाड़ के गंभीर आरोप लगाए हैं। इन आरोपों के सामने आते ही पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है, जबकि आरोपी स्वामी चैतन्यानंद फरार हो गया है। पुलिस उसकी तलाश में कई राज्यों में छापेमारी कर रही है, लेकिन अभी तक उसका कोई सुराग नहीं मिला है।

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आश्रम की चुप्पी टूटे और सामने आई काली हकीकत- Swami Chaitanyananda Saraswati

यह मामला दिल्ली के वसंत कुंज के एक प्रतिष्ठित आश्रम का है, जहां मैनेजमेंट कोर्स की पढ़ाई करने वाली छात्राएं रह रही थीं। 17 छात्राओं ने पुलिस को बताया कि स्वामी चैतन्यानंद ने उनके साथ छेड़छाड़ की, उनका यौन शोषण किया और अश्लील मैसेज भेजे। वह लड़कियों को वॉट्सऐप पर अपने कमरे में बुलाता था और विदेश ले जाने का लालच देता था। इसके साथ ही अगर छात्राएं उसकी बात नहीं मानतीं, तो वह उनकी परीक्षा में नंबर काटने और फेल करने की धमकी देता था।

आश्रम में कैसे चल रही थी डर की दास्तान?

छात्राओं का कहना है कि आश्रम में तीन महिला वॉर्डन भी आरोपी के साथ मिली हुई थीं। ये महिलाएं छात्राओं को धमकाती थीं और उनकी चैट डिलीट करवाती थीं ताकि कोई सबूत न बच पाए। पुलिस ने इन तीनों वॉर्डन के बयान भी दर्ज कर लिए हैं। बताया गया है कि घटना के वक्त आरोपी स्वामी लंदन में था, लेकिन आश्रम का प्रबंधन उसकी गैरमौजूदगी में भी उसके बनाए नियमों से चलता था।

पुलिस की सख्त कार्रवाई, कई केस दर्ज

पुलिस ने स्वामी चैतन्यानंद के खिलाफ अब तक पांच मुकदमे दर्ज किए हैं। इनमें यौन उत्पीड़न के अलावा धोखाधड़ी और धमकाने के भी मामले शामिल हैं। स्वामी पर मठ के साथ धोखाधड़ी करने का भी आरोप है, जिसकी जांच चल रही है। पुलिस उसकी तलाश में राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड समेत कई राज्यों में छापेमारी कर रही है। आरोपी की आखिरी लोकेशन आगरा मिली है।

आश्रम संचालक की कार पर मिला फर्जी यूनाइटेड नेशंस नंबर

जांच में यह भी पता चला है कि आरोपी ने अपनी महंगी वॉल्वो कार पर फर्जी यूएन नंबर प्लेट लगाई थी। कार पर लिखा हुआ नंबर “39 UN 1” था, जिसे पुलिस ने जब्त कर लिया है। जब पुलिस ने इसे यूनाइटेड नेशंस से जांचा, तो पता चला कि ऐसा कोई नंबर जारी नहीं हुआ है। यह सब आरोपी की शह पर हो रहा था, जिससे वह अपनी शान में निखार ला रहा था।

छात्राओं ने अदालत में भी दिए बयान

आश्रम में पढ़ रही लगभग 35 छात्राओं में से 17 ने पुलिस को बयान दिया है। सभी ने धारा 164 CrPC के तहत अदालत में भी बयान दर्ज कराए हैं। पीड़ित छात्राओं का आरोप है कि आश्रम के कुछ महिला स्टाफ ने भी आरोपी स्वामी का साथ दिया और छात्राओं को उसकी मांगें मानने के लिए दबाव डाला। इसके अलावा, आश्रम में चल रहे इस काले खेल के खुलासे के बाद प्रशासन ने स्वामी को पद से हटा दिया है।

आश्रम प्रशासन का बयान और छात्रों के लिए आश्वासन

दक्षिणामन्या श्री शारदा पीठम, शृंगेरी आश्रम ने इस मामले में स्पष्ट बयान जारी किया है। उन्होंने कहा कि स्वामी चैतन्यानंद सरस्वती गैरकानूनी गतिविधियों में लिप्त था, जिसके कारण पीठ ने उससे सभी संबंध समाप्त कर दिए हैं। पीठ ने कहा कि उसके आचरण ने संस्था की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाई है। साथ ही आश्रम ने यह भी भरोसा दिया है कि छात्रों के हितों की पूरी सुरक्षा की जाएगी और उनकी पढ़ाई तथा अन्य कार्यक्रमों में कोई बाधा नहीं आने दी जाएगी।

मामला क्यों बना खास?

यह मामला इसलिए भी चर्चा में है क्योंकि आश्रम में पढ़ाई कर रही अधिकांश छात्राएं EWS (आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग) श्रेणी की हैं। ये छात्राएं जीवन में बेहतर अवसर पाने के लिए यहां आई थीं, लेकिन उनके साथ हुई इस घटना ने उनके सपनों को झकझोर दिया है। 4 अगस्त 2025 को दर्ज शिकायत में बताया गया कि ये छात्राएं पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा (PGDM) कर रही थीं, जिनके साथ स्वामी ने ऐसी हरकतें कीं।

पुलिस की सक्रियता और आगे की कार्रवाई

पुलिस ने आश्रम की सीसीटीवी फुटेज, हार्ड डिस्क सहित अन्य सबूत जब्त कर जांच के लिए भेज दिए हैं। दिल्ली के दक्षिण-पश्चिमी जिला पुलिस उपायुक्त अमित गोयल ने कहा है कि इस मामले की जांच पूरी गंभीरता से की जा रही है। आरोपी की तलाश में पुलिस ने कई जगह छापेमारी की है और जल्द ही उसे गिरफ्तार कर लिया जाएगा।

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Delhi-NCR New Expressway: दिल्ली से जेवर एयरपोर्ट तक बनेगा नया एक्सप्रेसवे, ट्रैफिक ज...

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Delhi-NCR New Expressway: दिल्ली-एनसीआर के लाखों यात्रियों के लिए एक बड़ी राहत की खबर आई है। केंद्र सरकार ने दिल्ली, नोएडा, ग्रेटर नोएडा और जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट को जोड़ने वाले एक नए 30 किलोमीटर लंबे एक्सप्रेसवे को मंजूरी दे दी है। इस सड़क के बनने से जहां एक ओर दिल्ली से जेवर एयरपोर्ट की दूरी कम होगी, वहीं दूसरी ओर नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे पर ट्रैफिक का दबाव भी कम हो सकेगा।

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यमुना किनारे बनेगा नया एक्सप्रेसवे- Delhi-NCR New Expressway

यह नया एक्सप्रेसवे नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे के समानांतर बनेगा और यमुना नदी के किनारे-किनारे चलता हुआ पुश्ता रोड को नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे और यमुना एक्सप्रेसवे से जोड़ेगा। इस प्रस्ताव को सबसे पहले गौतम बुद्ध नगर के सांसद डॉ. महेश शर्मा ने सामने रखा था, जिसे अब केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी का भी समर्थन मिल गया है।

नितिन गडकरी ने हाल ही में जेवर एयरपोर्ट साइट पर ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान के तहत पौधारोपण के दौरान इस परियोजना को नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) के तहत करवाने की बात कही और भरोसा दिया कि फंड की कोई कमी नहीं आने दी जाएगी।

1.2 लाख करोड़ के विकास प्रोजेक्ट्स का हिस्सा

यह एक्सप्रेसवे सिर्फ एक सड़क नहीं, बल्कि दिल्ली-एनसीआर के इन्फ्रास्ट्रक्चर सुधार की एक बड़ी कड़ी है। गडकरी ने बताया कि इस क्षेत्र में 1.2 लाख करोड़ रुपये के विकास प्रोजेक्ट्स पर काम चल रहा है, जिनमें से करीब 50% काम पूरा हो चुका है। आने वाले समय में सरकार और 40,000 से 50,000 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट्स पर निवेश करने को तैयार है।

मार्च 2025 में नोएडा अथॉरिटी ने इस रिवरसाइड एक्सप्रेसवे को इन-प्रिंसिपल मंजूरी दे दी थी, लेकिन इसे लागू करने की जिम्मेदारी यूपी एक्सप्रेसवे इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी (UPEIDA) को सौंपी गई थी। हालांकि, नोएडा अथॉरिटी ने सुझाव दिया कि इसे NHAI को सौंपा जाए ताकि बेहतर क्रियान्वयन और फंडिंग सुनिश्चित हो सके। अब जब केंद्र सरकार की हरी झंडी मिल चुकी है, तो ये योजना अब आगे बढ़ने के लिए तैयार है।

ट्रैफिक जाम से मिलेगी राहत

फिलहाल नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे पर हर दिन करीब 5 लाख वाहन चलते हैं। इनमें से 2 लाख वाहन सिर्फ दिल्ली के DND फ्लाईवे से आते हैं, जबकि अन्य वाहन चिल्ला बॉर्डर, कालिंदी कुंज और सेक्टर 15, 16, 18 और 37 से नोएडा में दाखिल होते हैं। ऐसे में जरा सी चूक से पूरा रूट जाम हो जाता है।

डॉ. महेश शर्मा ने बताया कि यह नया एक्सप्रेसवे एक बायपास की तरह काम करेगा, जिससे दिल्ली से आने वाले वाहन बिना नोएडा की भीड़ में फंसे सीधे जेवर एयरपोर्ट पहुंच सकेंगे। उन्होंने कहा, “जेवर एयरपोर्ट की पूरी क्षमता का लाभ तभी मिलेगा, जब वहां तक सीधा और सुगम रास्ता तैयार होगा।”

पहले बनी सड़क का बुरा हाल

गौरतलब है कि 2014 में यमुना पुश्ता रोड का 11 किमी का हिस्सा खोला गया था, लेकिन सिर्फ एक साल में उसमें गड्ढे पड़ने लगे और सुरक्षा कारणों के चलते वह लगभग बंद हो गया। इस बार प्रशासन सतर्क है और NHAI की देखरेख में इस प्रोजेक्ट को बेहतर डिजाइन और टिकाऊ निर्माण के साथ पूरा किया जाएगा।

जेवर एयरपोर्ट की टाइमलाइन

यह प्रोजेक्ट ऐसे समय में आया है जब नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट (जेवर एयरपोर्ट) की शुरुआत अब दूर नहीं है। यूपी सरकार के औद्योगिक विकास मंत्री नंद गोपाल गुप्ता ‘नंदी’ ने कहा है कि सितंबर 2025 में घरेलू और कार्गो उड़ानें, जबकि नवंबर 2025 से अंतरराष्ट्रीय उड़ानें शुरू हो जाएंगी।

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Bhilwara News: होंठ फेवीक्विक से सिले, मुंह में पत्थर ठूंस दिए…राजस्थान में नवज...

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Bhilwara News: राजस्थान के भीलवाड़ा जिले के सीताकुंड जंगल में जो मंजर सामने आया, उसने इंसानियत को शर्मसार कर दिया। घने पेड़ों के बीच पसरी खामोशी उस वक्त टूट गई, जब एक चरवाहे ने पत्थरों के नीचे किसी मासूम की हलचल महसूस की। पास जाकर देखा तो रूह कांप गई…. 15 दिन का एक नवजात बच्चा, जिसके मुंह में पत्थर ठूंस दिया गया था और होंठ फेवीक्विक से सिले हुए थे। किसी ने उसकी चीख को हमेशा के लिए दबाने की कोशिश की थी, लेकिन कुदरत को शायद कुछ और ही मंजूर था। मौत के मुंह से वापस आई इस नन्ही सी जान की कहानी आपको भीतर तक हिला देगी।

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जिंदगी और मौत के बीच लटका था 15 दिन का जीवन- Bhilwara News

जिस हाल में वो बच्चा मिला, वो किसी के भी रोंगटे खड़े कर देने के लिए काफी था। मुंह पर जबरन चिपकाया गया पत्थर, दाईं जांघ पर जलने के निशान और पत्थरों के नीचे दबी एक नन्ही सी जान ये मंजर दिल दहला देने वाला था।

चरवाहे ने बिना वक्त गंवाए उसे बाहर निकाला, धीरे-धीरे उसके मुंह से पत्थर हटाया और तुरंत पुलिस और अस्पताल को सूचना दी। बच्चा अब सरकारी अस्पताल में इलाज के बाद सुरक्षित है। डॉक्टरों का कहना है कि समय पर इलाज मिल गया, वरना जान बचाना मुश्किल होता।

 डॉक्टर बोले: जिंदा हैं पर जख्म गहरे हैं

बिजौलिया अस्पताल के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. मुकेश धाकड़ ने जानकारी दी कि बच्चा करीब 15 से 20 दिन का है। उसके मुंह पर फेवीक्विक लगाया गया था और शरीर पर जलाने के निशान भी मिले हैं। उसे दूध पिलाया गया, और अब उसकी हालत स्थिर है, लेकिन ज़्यादा अच्छे इलाज के लिए उसे भीलवाड़ा हायर सेंटर भेज दिया गया है।

पुलिस की जांच शुरू, दरिंदे की तलाश जारी

पुलिस ने इस पूरे मामले को गंभीरता से लिया है। जांच तेजी से चल रही है। आसपास के अस्पतालों के डिलीवरी रिकॉर्ड खंगाले जा रहे हैं, ताकि पता लगाया जा सके कि ये बच्चा किसका है और किसने उसे इस हालत में छोड़ दिया।

मांडलगढ़ और बिजौलिया क्षेत्र के गांवों में पूछताछ हो रही है। पुलिस का कहना है कि ऐसे अपराध को अंजाम देने वाला कोई और नहीं, शायद माता-पिता या उनके जानने वाले ही हो सकते हैं।

सवाल जो रह गए हैं…

  • कोई कैसे एक नन्हे से बच्चे के मुंह में पत्थर चिपका सकता है?
  • क्या ये बच्चा किसी गैरकानूनी रिश्ते का नतीजा था?
  • क्या कोई परिवार का दबाव, समाज का डर या मानसिक बीमारी इस क्रूरता के पीछे है?

इन सवालों का जवाब अभी बाकी है, लेकिन एक बात साफ है इंसानियत ने यहां हार मान ली, लेकिन कुदरत ने उस मासूम को हारने नहीं दिया।

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Sikhism in British Columbia: जब ब्रिटिश कोलंबिया में सफेद जहाज़ से उतरे कुछ पगड़ीधारी...

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Sikhism in British Columbia: पंजाब की मिट्टी में पले-बढ़े कुछ जांबाज सिख फौजी पहली बार कनाडा की धरती पर कदम रखते हैं। साल था 1897, जब महारानी विक्टोरिया की डायमंड जुबली के मौके पर ब्रिटिश आर्मी के हिस्से के रूप में कुछ पंजाबी सैनिक ब्रिटिश कोलंबिया आए। ये एक आधिकारिक दौरा था, बस कुछ दिनों का ठहराव था, लेकिन इस छोटी सी यात्रा ने बहुत बड़ी कहानी की नींव रख दी।

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इन फौजियों ने जब ब्रिटिश कोलंबिया की हरी-भरी वादियों और खेतों को देखा, तो उन्हें पंजाब की याद आ गई। वही मिट्टी की खुशबू, वही खेतों का फैला हुआ विस्तार मानो कोई छोटा पंजाब हो। लोकल लोगों ने भी इन सिख फौजियों को बड़े सम्मान से देखा। उस वक़्त वैंकूवर के अख़बारों में हेडलाइन छपी: “Turbaned Men Excite Interest: Awe-Inspiring Men from India Held the Crowds.”

फिर शुरू हुआ असली सफर- Sikhism in British Columbia

पहली यात्रा के बाद, 1902 में फिर एक दूसरी टुकड़ी आई, किंग एडवर्ड VII की ताजपोशी के मौके पर। और फिर तो जैसे दरवाज़ा खुल गया। 1904 से 1908 के बीच करीब 5,000 पंजाबी पुरुष ब्रिटिश कोलंबिया में आकर बस गए। उस वक़्त महिलाएं और बच्चे कम ही आ पाते थे, इसलिए ये सभी पुरुष अकेले रहते थे वो भी छोटे-छोटे ग्रुप्स में, किसी फैक्ट्री में, किसी खेत में काम करते, और एक-दूसरे को परिवार की तरह मानकर रहते।

लेकिन ये ज़िंदगी आसान नहीं थी। परिवार दूर, संस्कृति अलग, भाषा नई सब कुछ अलग। फिर भी, इन सिखों ने हार नहीं मानी। दिन में मेहनत करते और रात में एक-दूसरे के साथ बैठकर घर की बातें करते, गाना-बजाना करते। धीरे-धीरे इन्होंने एक मजबूत कम्युनिटी बनानी शुरू की।

खालसा दीवान सोसाइटी और पहला गुरुद्वारा

1906 में Khalsa Diwan Society का गठन हुआ यह कनाडा की पहली सिख संस्था थी। फिर 1908 में वैंकूवर में बना पहला गुरुद्वारा, Second Avenue Gurdwara। ये सिर्फ एक धार्मिक जगह नहीं थी, बल्कि एक सहारा था। यहां लंगर चलता, कीर्तन होता और सबसे बड़ी बात कोई नया आता, तो उसे वहीं से मदद मिलती।

खालसा दीवान सोसाइटी ने बाद में विक्टोरिया, एबॉट्सफोर्ड और न्यू वेस्टमिंस्टर में भी गुरुद्वारे बनवाए। यही वो जगहें थीं, जहां सिखों की पहचान रची जा रही थी एक नई ज़मीन पर, नए सपनों के साथ।

लेकिन रास्ता आसान नहीं था…

इसी बीच, 1908 में सिखों का वोट देने का अधिकार छीन लिया गया। ‘हिंदू’ कहकर उन्हें बाकी समाज से अलग किया गया (तब सभी भारतीयों को ‘हिंदू’ कह दिया जाता था)। अकेले रह रहे इन पुरुषों की हालत और मुश्किल हो गई। लेकिन फिर भी, उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। कुछ सिख 1914 में भारत लौटे, ग़दर मूवमेंट से जुड़े, भारत की आज़ादी के लिए लड़े।

फिर 1920 के दशक में हालात थोड़े बदले। नियमों में ढील दी गई और महिलाएं-बच्चे भी आना शुरू हुए। परिवार बनने लगे, सिख आबादी फिर से बढ़ने लगी। धीरे-धीरे लोग “कनाडियनाइज़” होने लगे। कपड़े बदले, बच्चों को स्कूल भेजा, लेकिन दिल अब भी पंजाब में ही धड़कता था।

British Columbia में बढ़ता सिख समुदाय

आज अगर ब्रिटिश कोलंबिया की बात करें, तो यहां सिखों की मौजूदगी हर जगह महसूस होती है खासकर लोअर मेनलैंड, वैंकूवर, सरे, एबॉट्सफोर्ड और डेल्टा जैसे इलाकों में।

2021 की जनगणना के मुताबिक:

  • Surrey में सिख आबादी 27.5% है — यानी हर चार में से एक व्यक्ति सिख है। न्यूटन और व्हाली जैसे इलाकों में तो सिख बहुमत में हैं।
  • Abbotsford में ये आंकड़ा 25.5% है। यहां के क्लियरब्रुक और टाउनलाइन हिल जैसे इलाकों में तो सिख 60% से भी ज्यादा हैं।
  • Delta, Mission, Squamish, Oliver और New Westminster जैसे इलाकों में भी सिख समुदाय की अच्छी खासी संख्या है।

यह आंकड़े सिर्फ संख्या नहीं दिखाते ये इस बात की गवाही हैं कि कैसे एक छोटी सी शुरुआत आज इतने बड़े स्तर पर पहुंच चुकी है।

गुरुद्वारों का नेटवर्क एक कम्युनिटी की रीढ़

इतना ही नहीं, आज ब्रिटिश कोलंबिया में दर्जनों गुरुद्वारे हैं। कुछ मुख्य गुरुद्वारों के नाम देखिए:

  • खालसा दीवान सोसाइटी – एबॉट्सफोर्ड
  • गुरु नानक सिख मंदिर – फोर्ट सेंट जॉन
  • गोल्डन सिख सांस्कृतिक सोसाइटी – गोल्डन
  • गुरुद्वारा साहिब – 100 माइल हाउस
  • गुरुद्वारा सिख संगत – न्यू वेस्टमिंस्टर
  • मेरिट सिख सोसाइटी – मेरिट
  • सिख सांस्कृतिक सोसाइटी – कैमलूप्स
  • ओकानागन सिख मंदिर – केलोना

ये गुरुद्वारे सिर्फ पूजा स्थल नहीं हैं, बल्कि एक पूरी कम्युनिटी सेंटर की तरह काम करते हैं। बच्चों को पंजाबी पढ़ाई जाती है, युवाओं को इतिहास बताया जाता है, लंगर चलता है, और जरूरतमंदों की हर तरह से मदद की जाती है।

पंजाबी भाषा और शिक्षा में योगदान

आपको बता दें, ब्रिटिश कोलंबिया में पंजाबी सिर्फ घरों में बोली जाने वाली भाषा नहीं रही। अब ये स्कूलों में पढ़ाई जाती है खासकर सरे और एबॉट्सफोर्ड में। सरे में पंजाबी भाषा को पांचवीं क्लास से कोर्स में शामिल किया गया है। हालांकि एबॉट्सफोर्ड में इसे लेकर विवाद भी हुआ, कुछ लोगों ने कहा कि सिर्फ अंग्रेज़ी और फ्रेंच पढ़ाई जानी चाहिए, लेकिन सिख समुदाय ने इसे अपनी पहचान और सम्मान से जोड़ा और आज पंजाबी को वहां भी स्वीकार किया जा चुका है।

सांस्कृतिक त्योहार और समुदाय का रंग

वसाखी, नगर कीर्तन, गुरु पर्व पर ब्रिटिश कोलंबिया में इन त्योहारों का जोश देखने लायक होता है। खासकर सरे और वैंकूवर का नगर कीर्तन, जिसमें लाखों की संख्या में लोग शामिल होते हैं। एबॉट्सफोर्ड में Labor Day Weekend पर होने वाला नगर कीर्तन भी बेहद प्रसिद्ध है।

वसाखी पर न केवल कीर्तन और लंगर होता है, बल्कि झांकियां निकलती हैं, पंजाबी स्कूल और एकेडेमियां भी इसमें हिस्सा लेती हैं। ये त्योहार अब सिर्फ सिख समुदाय तक सीमित नहीं हैं, बल्कि कनाडा की मुख्यधारा में शामिल हो चुके हैं।

धार्मिक पहचान और चुनौतियां

जहां एक तरफ सिखों ने समाज में सम्मान पाया, वहीं कई बार अपनी धार्मिक पहचान को लेकर विवादों में भी घिरे। जैसे किरपान (सिखों का पवित्र कृपाण) को लेकर कई कोर्ट केस हुए खासकर Québec में। लेकिन 2006 में सुप्रीम कोर्ट ऑफ कनाडा ने साफ किया कि किरपान पर बैन कनाडा के संविधान का उल्लंघन है। बाद में RCMP (कनाडा की पुलिस) ने भी टर्बन पहनने की अनुमति दी, जो पहले नहीं दी जाती थी।

इन फैसलों से सिखों को न केवल कानूनी हक मिले, बल्कि उनकी पहचान को भी सम्मान मिला।

सिख आबादी का घर कनाडा

आपको जानकार हैरानी होगी कि कनाडा में सिख धर्म को चौथा सबसे बड़ा धर्म माना जाता है, जिसकी 2021 की जनगणना के अनुसार लगभग 8,00,000 अनुयायी हैं, यानी कनाडा की कुल जनसंख्या का लगभग 2.1 प्रतिशत। कनाडा में सिख समुदाय सबसे अधिक ओंटारियो, ब्रिटिश कोलंबिया और अल्बर्टा में केंद्रित है, और यह भारत के बाहर सबसे बड़ी सिख आबादी का घर है।

वहीं, आज ब्रिटिश कोलंबिया का सिख समुदाय न केवल अपनी संस्कृति और पहचान को संजोए हुए है, बल्कि कनाडा की विविधता, सहिष्णुता और बहुलता का एक शानदार उदाहरण बन चुका है।

और ये सब एक सफेद जहाज से आए कुछ “पगड़ीधारी फौजियों” से शुरू हुआ था… जो यहां की मिट्टी को देखकर बोले थे — “यह तो बिलकुल पंजाब जैसा है!”

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West Bengal Flood: 252 मिमी बारिश में थमा कोलकाता, 10 की मौत, 90 फ्लाइट्स रद्द, हालात...

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West Bengal Flood: कोलकाता में बीते 48 घंटे की बारिश ने शहर को पूरी तरह से थाम दिया है। 252 मिमी से ज्यादा बारिश ने कोलकाता की सड़कों को दरिया बना दिया, मेट्रो स्टेशन पानी में डूब गए और एयरपोर्ट पर फ्लाइट्स की कतारें रद्द होती चली गईं। गरिया, जोधपुर पार्क और कालीघाट जैसे इलाके जलमग्न हैं। बारिश की ये मात्रा शहर की सालाना बारिश का करीब 20% है और सबसे चौंकाने वाली बात ये है कि खतरा अभी टला नहीं है। मौसम विभाग ने नए निम्न दबाव के कारण और तेज बारिश की चेतावनी दी है। हालात ऐसे हैं कि 1978 की भयावह बाढ़ की यादें ताजा हो गई हैं।

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गरिया में सबसे ज़्यादा पानी बरसा- West Bengal Flood

बारिश की सबसे ज्यादा मार गरिया क्षेत्र ने झेली, जहां 332 मिमी तक पानी बरस चुका है। इसके अलावा जोधपुर पार्क (285 मिमी), कालीघाट (280 मिमी), तोस्पिया (275 मिमी), बल्लीगंज (264 मिमी), चेतला (262 मिमी), मोमिनपुर (234 मिमी), बेलेघाटा (217 मिमी), धापा (212 मिमी), उल्टाडांगा (207 मिमी), थंथनिया (195 मिमी), बेलगछिया (178 मिमी) और मानिकतला (169 मिमी) जैसे इलाकों में भी हालात बेहद खराब हैं। सड़कों पर गाड़ियों की लंबी कतारें, दुकानें बंद और निचले इलाकों में घरों के अंदर तक पानी घुस चुका है।

खतरा अभी टला नहीं, नया सिस्टम बना रहा है दबाव

हालात को देखते हुए मौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि ये बस शुरुआत हो सकती है। 25 सितंबर को बंगाल की खाड़ी के उत्तर-पश्चिम में एक और निम्न दबाव बनने वाला है, जो ओडिशा और आंध्र प्रदेश की ओर बढ़ सकता है। क्षेत्रीय मौसम विज्ञान केंद्र के डिप्टी डायरेक्टर HR बिस्वास ने कहा कि यह सिस्टम धीरे-धीरे और मजबूत होगा और इसका असर पूरे दक्षिण बंगाल में पड़ेगा। विशेषकर पूजा की शुरुआत तक मध्यम से भारी बारिश की संभावना बनी हुई है।

बारिश बनी जानलेवा, 10 मौतें, ज्यादातर करंट से

इस मूसलधार बारिश ने जान भी ली है। कम से कम 10 लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें से 9 लोग करंट लगने से मारे गए। कई जगह खुले तारों और पानी के संपर्क में आने से खतरा और भी बढ़ गया है। प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि जलभराव वाले इलाकों में बिजली उपकरणों से दूरी बनाकर रखें।

फ्लाइट्स-ट्रेन्स पर भी पड़ा असर, सफर हुआ मुश्किल

कोलकाता एयरपोर्ट भी इस बारिश की चपेट में आ गया। 90 से ज्यादा फ्लाइट्स प्रभावित हुईं, जिनमें 42 इनबाउंड और 49 आउटबाउंड उड़ानें रद्द करनी पड़ीं। इसके अलावा 33 आने वाली और 62 जाने वाली फ्लाइट्स को देरी का सामना करना पड़ा। एक फ्लाइट को डायवर्ट भी किया गया।

रेलवे का हाल भी कुछ ऐसा ही रहा। कोलकाता मेट्रो के कई स्टेशनों में पानी भर गया, जिसके चलते शहीद खुदीराम से मेडन स्टेशन तक सेवा बंद करनी पड़ी। हावड़ा और सियालदह के यार्ड में भी भारी जलभराव के कारण कई ट्रेनों को रद्द या री-शिड्यूल किया गया।

रद्द की गई प्रमुख ट्रेनें:

  • कोलकाता-हल्दीबाड़ी एक्सप्रेस (12363)
  • हाजारदुआरी एक्सप्रेस (13113)
  • सियालदह-जंगीपुर एक्सप्रेस (13177)

री-शिड्यूल की गई ट्रेनों में शामिल हैं:

  • हावड़ा-न्यू जलपाईगुड़ी वंदे भारत एक्सप्रेस
  • हावड़ा के अन्य इंटरसिटी रूट्स

अल नीनो का भी असर, बारिश की तीव्रता बढ़ी

CEEW के जलवायु विशेषज्ञ विश्वास चितले का कहना है कि इस बारिश की तीव्रता अल नीनो प्रभाव से भी जुड़ी है। उन्होंने बताया कि पिछले 10 वर्षों में दक्षिण बंगाल में भारी बारिश वाले दिनों की संख्या लगातार बढ़ी है। कोलकाता को अब जल्द से जल्द शहरी बाढ़ से निपटने के लिए योजना बनानी होगी, ताकि भविष्य में ऐसे हालात से निपटा जा सके।

साइंस जर्नल में प्रकाशित न्यूयॉर्क के सिटी कॉलेज के प्रोफेसर स्पेंसर हिल के शोध के मुताबिक, अल नीनो अब केवल सूखे की वजह नहीं है, बल्कि ये अत्यधिक दैनिक बारिश को भी बढ़ाता है। उनका कहना है कि यह ट्रेंड वैज्ञानिकों के लिए भी चौंकाने वाला है, क्योंकि लंबे समय से अल नीनो को सिर्फ मानसून में कमी से जोड़ा जाता रहा है।

मेट्रो स्टेशन के अंदर तक पानी, पंप लगाने के बाद भी काबू नहीं

कोलकाता के उत्तम कुमार और रवींद्र सरोवर मेट्रो स्टेशनों के बीच का हिस्सा पूरी तरह जलमग्न हो गया। रेलवे यार्ड और कार शेड्स में पानी भरने से ट्रेनों की आवाजाही बुरी तरह प्रभावित हुई है। कई जगहों पर वाटर पंप लगाए गए हैं, लेकिन बारिश के लगातार जारी रहने और आसपास के इलाकों से वापस पानी आने के कारण हालात में सुधार नहीं हो पा रहा।

1978 और 1986 की बाढ़ की आई यादें

यह हालात 1978 की उस भयानक बाढ़ की याद दिला रहे हैं, जब दुर्गा पूजा से ठीक पहले कोलकाता पूरी तरह डूब गया था। उस साल एक दिन में 280 मिमी बारिश हुई थी। 1986 में भी 259.5 मिमी बारिश ने पूजा की तैयारियों को बुरी तरह प्रभावित किया था। इस बार फिर वैसा ही संकट मंडरा रहा है।

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