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ममता बनर्जी ने किया गलत मंत्र का जाप! सुवेंदु अधिकारी ने उठाए सवाल, कहा: बार-बार करती...

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पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव (West Bengal Election 2021) को लेकर राजनीतिक पार्टियों ने अपनी तैयारियां तेज कर दी है। प्रदेश में इस चुनाव में टीएमसी और बीजेपी में कड़ी टक्कर मानी जा रही है। हालांकि, प्रदेश के विधानसभा चुनावों के इतिहास में टीएमसी, बीजेपी की अपेक्षा हमेशा से अव्वल रही है। पश्चिम बंगाल चुनाव 2021 में नंदीग्राम विधानसभा सीट (Nandi gram Assembly seat) सबसे ज्यादा चर्चे में है। 

प्रदेश की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) और टीएमसी से बीजेपी में शामिल हुए सुवेंदु अधिकारी (Suvendu Adhikari) इस सीट पर आमने-सामने हैं। नंदीग्राम में ममता बनर्जी ने एक सभा में चंडीपाठ किया। जिसपर अब सुवेंदु अधिकारी ने प्रतिक्रिया देते हुए ममता बनर्जी पर बंगाल की संस्कृति का अपमान करने का आरोप लगाया है।

‘जनसभा में किया गलत मंत्र का जाप’

बीजेपी नेता सुवेंदु अधिकारी ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट करते हुए कहा, ‘इससे पहले, मुख्यमंत्री ने भगवान राम का कई बार अपमान किया था। गलत सरस्वती मंत्र का पाठ किया। उन्होंने फिर से जनसभा में गलत मंत्र का जाप किया। इस तरह उन्होंने बंगाल की संस्कृति का बार-बार अपमान किया है। बंगाल के लोग उसे नहीं चाहते जो बंगाल का अपमान करे।‘

दरअसल, ममता बनर्जी ने बीते दिन मंगलवार को नंदीग्राम में रैली की थी। जिसमें उन्होंने मंत्रोच्चार किया था। इस दौरान उन्होंने कहा था कि वह नंदीग्राम को कभी नहीं भूल सकती है। सीएम बनर्जी ने कहा था कि सब कुछ भूल सकती हूं लेकिन नंदीग्राम नहीं भूल सकती। अपना नाम भूल सकती हूं लेकिन नंदीग्राम नहीं भूल सकती।  

इस दौरान उन्होंने कहा था कि नंदीग्राम ने मुझे स्वीकारा, इसलिए मैं यहां आई हूं। लोग फूट डालने की कोशिश कर रहे हैं। मैं गांव की बेटी हूं। नंदीग्राम के आंदोलन को मैं पूरे देश में लाने में कामयाब रही थी।

आज नंदीग्राम से पर्चा दाखिल करेंगी ममता

बता दें, आज बुधवार को ममता बनर्जी नंदीग्राम से पर्चा दाखिल करने वाली है। शुभेंदु अधिकारी भी आने वाले कुछ ही दिनों में इस सीट से पर्चा दाखिल करेंगे। प्रदेश की 294 विधानसभा सीटों पर इस बार कांटे की टक्कर है। बीजेपी इस चुनाव में 200 से ज्यादा सीटें जीतने का दावा कर रही है। वहीं, ममता बनर्जी के नेतृत्व में टीएमसी एक बार फिर से पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने की कोशिशों में लगी है। 

लेफ्ट और कांग्रेस को इस चुनाव में कम सीटें मिलने की उम्मीद जताई जा रही है। लेकिन पश्चिम बंगाल में लेफ्ट का काफी पहले से ही वर्चस्व रहा है। पिछले चुनाव में लेफ्ट ने 27 तो कांग्रेस पार्टी ने 33 सीटों पर जीत हासिल की थी। टीएमसी 211 सीटों पर जीत के साथ सबसे अव्वल रही थी। वहीं, बीजेपी को मात्र 3 सीटों पर जीत मिली थी।

कई नामों पर थीं चर्चा, लेकिन आखिरी वक्त में बीजेपी लाई बड़ा ट्विस्ट…और तीरथ सिं...

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तीरथ सिंह रावत उत्तराखंड के नए मुख्यमंत्री होंगे। देहरादून में बीजेपी विधायक दल की हुई बैठक में उनके नाम पर सहमति बनी। तीरथ सिंह रावत आज ही उत्तराखंड के नए सीएम के तौर पर शपथ ले सकते हैं। उनको अगले एक साल तक मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी संभालनी होगी। क्योंकि अगले साल की शुरुआत में उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव होंगे। तब तक वो राज्य के सीएम रहेंगे। 


रेस में नहीं था इनका नाम

त्रिवेंद्र सिंह रावत के इस्तीफे के बाद नए सीएम की रेस में कई नाम शामिल बताए जा रहे थे। लेकिन इसमें तीरथ सिंह रावत का नाम शामिल नहीं था। यानि एक बार फिर से बीजेपी ने सभी को चौेंकाने वाला फैसला लिया। वैसे बताते दें कि नए सीएम की रेस में जो चेहरे शामिल थे, उनके नाम धन सिंह रावत, अनिल बलूनी, सतपाल महाराज, अजय भट्ट और रमेश पोखरियाल निशंक थे। लेकिन अब एक नए नाम तीरथ सिंह रावत को ही बीजेपी ने सीएम बना दिया। 

त्रिवेंद्र सिंह रावत ने दिया इस्तीफा

गौरतलब है कि बीते कुछ दिनों से उत्तराखंड की राजनीति में हलचल मची हुई थीं। बीजेपी के ही कई विधायक और मंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से नाराज चल रहे थे। जिसके चलते रावत को बीजेपी आलाकमान ने दिल्ली भी बुलाया। इसके बाद मंगलवार को उन्होनें राज्यपाल से मुलाकात कर अपने सीएम पद से इस्तीफा दे दिया। 

कौन हैं तीरथ सिंह रावत?

अब बात करते हैं कि तीरथ सिंह रावत की। कौन है तीरथ सिंह रावत, जो उत्तराखंड की सत्ता संभालने जा रहे हैं। 9 अप्रैल 1964 को तीरथ सिंह का जन्म पौड़ी गढ़वाल में हुआ। श्रीनगर गढ़वाल के बिरला कॉलेज से इन्होनें समाजशास्त्र में पोस्ट ग्रेजुएशन की। तीरथ सिंह ने पत्रकारिता में डिप्लोमा भी लिया है। अपनी पढ़ाई को पूरी करने के बाद वो RSS में बतौर सामाजिक कार्यकर्ता जुड़ गए थे। 

 उत्तराखंड के गढ़वाल लोकसभा क्षेत्र से तीरथ सिंह सांसद हैं। वो उत्तराखंड बीजेपी के अध्यक्ष भी रहे हैं। फिलहाल वो बीजेपी के राष्ट्रीय सचिव हैं। साल 2012 से 2017 में चौबट्टाखाल विधानसभा क्षेत्र से विधायक रह चुके हैं।  

जब साल 2000 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के दौरान उत्तराखंड को उत्तर प्रदेश से अलग कर किया गया और अलग राज्य बनाया गया, तो इस दौरान तीरथ सिंह राज्य के पहले शिक्षा मंत्री चुने गए थे। 2007 में उत्तराखण्ड के प्रदेश महामंत्री चुने गए।

हरियाणा में खट्टर सरकार की बढ़ेगी मुश्किलें? अविश्वास प्रस्ताव पर मंथन…आंकड़ों ...

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केंद्र सरकार द्वारा लाए गए नए कृषि कानूनों को लेकर आंदोलन तेज है। हरियाणा, पंजाब और यूपी समेत देश के कई राज्यों के किसान इस कानून के विरोध में लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं। आंदोलन को 100 दिन से ज्यादा हो गए हैं और अभी तक लगभग 300 किसानों के मौत की खबर सामने आई है। 

हरियाणा में मौजूदा समय में BJP गठबंधन की सरकार है। ऐसे में प्रदेश की प्रमुख विपक्षी पार्टी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) खट्टर सरकार को घेरने का पूरा प्रयास कर रही है। राज्य के विधान परिषद में आज कांग्रेस के अविश्वास प्रस्ताव (No confidence Motion) पर बहस होनी है। सत्तारुढ़ पार्टी और विपक्षी पार्टियों ने अपने-अपने सदस्यों को सदन में उपस्थित रहने के लिए व्हिप जारी कर दिया है।

जेजेपी खुद को बताती है किसानों ही हितैषी

सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को लेकर कांग्रेस पार्टी का कहना है कि उनका मकसद BJP और JJP को बेनकाब करना है। अविश्वास प्रस्ताव पेश करने के बाद इस पर बहस होगी और फिर काउंटिंग होगी। बताया जा रहा है कि सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस कृषि कानून और किसानों के आंदोलन के मुद्दे पर दिया गया है।

दरअसल, बीजेपी को समर्थन देने वाली जेजेपी शुरु से ही खुद को किसानों की हितैषी बताते आ रही है। हरियाणा विधानसभा चुनाव में जेजेपी को किसानों का जोरदार समर्थन मिला था। ऐसे में आज सदन में किसान आंदोलन के मुद्दे पर जेजेपी का रुख किस ओर होगा, इस पर सबकी नजर टिकी हुई है।

‘जनता हमसे खुश नहीं…गांव में घुसने नहीं देती’

बता दें, हरियाणा में मनोहर लाल खट्टर (Manohar lal Khattar) के नेतृत्व में चल रही सरकार को 10 JJP विधायकों का समर्थन प्राप्त है। साथ ही जेजेपी के कई विधायक सार्वजनिक तौर पर किसानों के आंदोलन का समर्थन कर चुके हैं। 

सोशल मीडिया पर इन दिनों JJP विधायक की एक वीडियो वायरल हो रही है जिसमें जेजेपी विधायक कह रहे हैं कि ‘जनता हमसे खुश नहीं…गांव में घुसने नहीं देती…उनके बीच गए तो पीटे जाएंगे। हेलमेट लोहे के और गारमेंट-अंडरगारमेंट सब लोहे के पहनने पड़ेगें।‘ उन्होंने स्पष्ट रुप से कहा है कि जेजेपी को गठबंधन से अलग हो जाना चाहिए।

गौरतलब है कि हरियाणा विधानसभा चुनाव 2019 में बीजेपी को 40 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। वहीं, कांग्रेस पार्टी ने 30 और जेजेपी ने 10 सीटों पर जीत हासिल की थी। दूसरी ओर 7 सीटों पर निर्दलीय और 1 सीट पर लोकहित पार्टी ने जीत हासिल की थी। मौजूदा समय में बीजेपी सरकार को 5 निर्दलीय विधायकों का समर्थन प्राप्त है।

उत्तराखंड की सियासत पर बगावत भारी: 5 साल तक नहीं टिक पाते सीएम, ये हैं इकलौते मुख्यमं...

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मंगलवार का दिन त्रिवेंद्र सिंह
रावत के लिए मंगल नहीं रहा। अपने ही मंत्री और विधायकों की नाराजगी रावत को भारी
पड़ी और उनको उत्तराखंड के सीएम पद से इस्तीफा देना पड़ा। त्रिवेंद्र सिंह रावत
सीएम के तौर पर
 4 साल का कार्यकाल भी पूरा नहीं कर पाए। इसमें भी कुछ दिन
बचे थे। इससे पहले ही उनको मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़नी पड़ी।
 

 

किसी बीजेपी नेता ने नहीं पूरा किया कार्यकाल

लेकिन ऐसा नहीं है कि
त्रिवेंद्र सिंह रावत ऐसे पहले सीएम रहे
जिन्होनें
उत्तराखंड के सीएम के तौर पर अपना कार्यकाल पूरा नहीं किया। बल्कि उत्तराखंड का
सियासी इतिहास ही कुछ ऐसा रहा है। यहां अब तक बीजेपी का कोई भी नेता सीएम के तौर
पर अपने
 साल के कार्यकाल को पूरा नहीं कर पाया। बल्कि अब तक कांग्रेस के एनडी
तिवारी ही ऐसे इकलौते मुख्यमंत्री रहे हैं
जिन्होनें
उत्तराखंड के सीएम के तौर पर अपना कार्यकाल पूरा किया। आइए आज हम आपको उत्तराखंड
के उतार चढ़ाव वाले सियासी सफर के
  बारे में बताते हैं…

 

उत्तराखंड को उत्तर
प्रदेश से अलग करने के लिए दशकों तक आंदोलन चले। जिसमें आखिरकार सफलता साल
 2000 में मिलीं। अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के दौरान 2000 में उत्तराखंड को अलग कर
राज्य का दर्जा मिला। उत्तराखंड को अलग किए जाने के बाद लोग इस राज्य के विकास और
राजनीति को देखने के लिए उत्सुक थे। लेकिन जैसा सोचा वैसा हुआ नहीं।
 

 

हर बार उत्तराखंड की जनता
एक सीएम चुनती थीं
लेकिन उन 5 सालों में पार्टियां ही इसमें बदलाव करती रहतीं थीं। 2000 में जब उत्तराखंड अलग राज्य बन गयातो यहां सबसे पहले अंतरिम सरकार बीजेपी ने बनाई। लेकिन राज्य की नींव
पड़ते ही
यहां पर राजनीतिक अस्थिरता भी शुरू हो गई। 


नित्यानंद
स्वामी बने थे पहले सीएम

उत्तराखंड के पहले
मुख्यमंत्री के तौर पर
 नित्यानंद
स्वामी ने
  ली। उनके शपथ लेने के बाद से ही बीजेपी में हलचल बढ़ी और गुटबाजी
शुरू होने लगी। जिसके नतीजन
 2001 के अक्टूबर में उनको अपने पद से इस्तीफा देना
पड़ा। फिर भगत सिंह कोश्यारी को उत्तराखंड का अगला सीएम बनाया गया। कोश्यारी का
कार्यकाल शांतिपूर्ण तो रहा
लेकिन इसके कुछ महीनों बाद ही उत्तराखंड में विधानसभा के चुनाव होने
थे।
 

 

एनडी तिवारी 5 साल रहे सीएम 

2002  में उत्तराखंड में विधानसभा के चुनाव हुएजिसमें बीजेपी सत्ता हासिल करने में कामयाब नहीं
हो पाई। उत्तराखंड की जनता ने इस दौरान कांग्रेस के हाथों में राज्य की सत्ता
सौंपी। कांग्रेस ने नारायण दत्ता तिवारी को मुख्यमंत्री बनाया। उनके कार्यकाल के
दौरान भी ऐसा कई बार हुआ जब कांग्रेस में विरोधी सुर उठाए गए
लेकिन बात इस्तीफे तक नहीं आई। एनडी तिवारी ऐसा
इकलौते सीएम रहे
जिन्होनें साल अपना कार्यकाल पूरा किया। 

 

5 साल में बदले 3 बार सीएम

2007 में
अगले विधानसभा के चुनाव हुए
जिस दौरान जनता ने दोबारा से सत्ता में बदलाव किया और एक बार फिर
बीजेपी को चुना। फिर राज्य में बीजेपी की सरकार बनी और फिर वहीं हुआ। इस
 साल में बीजेपी ने 3 बार सीएम बदल दिए। साफ सुधरी और ईमानदार छवि वाले रिटायर्ड मेजर जनरल भुवन
चंद्र खंडूरी को बीजेपी ने मुख्यमंत्री बनाया। लेकिन उनकी सख्ती और अनुशासन नेताओं
को पसंद नहीं आई और उनके खिलाफ भी पार्टी में विरोधी सुर उठने लगे। जिसके चलते
उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। इसके बाद
 2009 में रमेश पोखरियाल निशंक को पार्टी ने सीएम बनाया।

 

निशंक के कार्यकाल में भ्रष्टाचार
के आरोप लगे। जिसके चलते बीजेपी को अगले चुनावों में अपनी हार दिखने लगी थीं। इसके
चलते चुनाव से एक साल पहले दोबारा से
 भुवन चंद्र खंडूरी को मुख्यमंत्री बना दिया गया।
बीजेपी का यूं बार बार मुख्यमंत्री में बदलाव करना जनता को पसंद नहीं आया और अगले
चुनाव में पार्टी को हार का सामना करना पड़ा।
 

 

कांग्रेस ने भी
वहीं किया

कांग्रेस ने चुनाव में
जीत हासिल करने के बाद
 विजय बहुगुणा को सीएम पद सौंपा।
विजय बहुगुणा के कुर्सी संभालने के बाद केदारनाथ में आपदा आई। इस दौरान राहत बचाव
कार्यों
  समेत व्यवस्थाओं को लेकर उनकी काफी आलोचना हुईं। कांग्रेस
के कई मंत्री और विधायक उनके खिलाफ हो गए थे। जिसके चलते
 2014 में विजय बहुगुणा को हटाकर हरीश रावत को मुख्यमंत्री
बनाया गया।

 

कांग्रेस का हरीश रावत को सीएम बनाना पार्टी को काफी भारी
पड़ा। कांग्रेस के ही कई बड़े नेताओं ने ही इसके खिलाफ विद्रोह शुरू कर दिया।
जिसमें विजय बहुगुणा
सतपाल महाराजहरक सिंह रावत और सुबोध उनियाल
जैसे नेताओं
  शामिल थे। इसके चलते इन्होनें कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का
दामन थाम लिया। इसके कुछ दिन बाद ही राज्य में राष्ट्रपति शासन लग गया। लेकिन
कोर्ट से रावत को
 राहत मिली और वो 2017 तक सीएम रहे। 

फिर 2017 में हुए विधानसभा चुनावों के दौरान कांग्रेस को बड़ी हार
का सामना उत्तराखंड में करना पड़ा। पार्टी केवल
 11 सीटों पर ही
सिमटकर रह गई। राज्य में एक बार फिर से बीजेपी को मौका मिला और त्रिवेंद्र सिंह
रावत मुख्यमंत्री बनाए गए। लेकिन अब वो भी अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए।
 

त्रिवेंद्र सिंह रावत भी चूके

2022 की शुरुआत में उत्तराखंड में विधानसभा के चुनाव होने हैं। इस वजह से
बीजेपी कोई खतरा नहीं उठाना चाहती थी। इसलिए चुनाव से एक साल पहले त्रिवेंद्र सिंह
रावत को सीएम पद से अपना इस्तीफा देना पड़ा। अब अगले एक साल के लिए उत्तराखंड को
अपना नया सीएम मिलेगा। आज यानी बुधवार को बीजेपी विधायक दल की बैठक है
जिसमें सीएम के नाम पर मुहर लग सकती है। देखना होगा कि अगले एक साल
के लिए किसे राज्य का सीएम पद सौंपा जाता है…
?

जानिए कैसा रहेगा 10 मार्च को आपका दिन

जैसा कि हम सभी जानते
हैं ग्रहों का प्रभाव हमारे जीवन में पड़ता है
, जिसके चलते हमें कभी अच्छे तो कभी बुरे
दिनों का सामना करना पड़ता। वहीं आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि आज का राशिफल
आपके जीवन में क्या-क्या परिवर्तन लेकर आ सकता है। तो आइए आपको बताते हैं आज के
दिन के बारे में आपके सितारे क्या कहते हैं और
10 मार्च का दिन आपके लिए कैसा रहेगा

मेष राशि- आपका दिन मिला जुल रहने वाला है। आर्थिक समस्याओं में कमी आएगी। जीवनसाथी का सहयोग मिलेगा। आज के दिन पैसों का लेन देन करने से आपको बचने की जरूरत है। 

वृषभ राशि-  दिन की शुरुआत परेशानियों से होगी। सुबह सुबह परेशान करने वाली खबर मिलेगा। मन अशांत रहेगा। दोस्तों के साथ दिल की हर बात को शेयर करें। 

मिथुन राशि- दिन आपका बढ़िया बीतेगा। संतान की तरफ  से अच्छी खबर मिलेगी। नए शुरुआत के लिए दिन अच्छा है। छात्रों को आज मेहनत के नतीजे मिलेंगे।  

कर्क राशि- आपका दिन सामान्य रहने वाला है। आज के दिन किसी करीबी के साथ आपकी अनबन हो सकती है। किसी भी काम में जल्दबाजी ना दिखाएं।  स्वास्थ्य के लिहाज से दिन बढ़िया बीतेगा। 

सिंह राशि- दिन आपका ठीक ठाक रहेगा। नौकरी तलाश रहे लोगों को अच्छे अवसर हाथ लगेंगे। जीवनसाथी के साथ रिश्ते में उतार चढ़ाव का सामना करना पड़ेगा।  गुस्से पर कंट्रोल रखें।  

कन्या राशि-  दिन आपका अच्छा बीतेगा। लंबे समय से रुके काम पूरे होने की संभावना है। आज के दिन कुछ भी सोच समझकर बोलें। आपकी बातें किसी को ठेंस पहुंचा सकती है। 

तुला राशि- आपका दिन शानदार बीतेगा।  परिवार का माहौल बढ़िया रहेगा। कार्यक्षेत्र में खुद की काबिलियत को साबित करने से अवसर मिलेंगे। स्वास्थ्य में थोड़ा उतार चढ़ाव बना रहेगा। 

वृश्चिक राशि- किस्मत का सहयोग मिलेगा। लंबे वक्त से जिस चीज को चाह रहे हैं वो आपको मिल सकती है। दिन आपका अच्छा बीतने वाला है। आज के दिन किसी को पैसे उधार देने से बचें। 

धनु राशि-  दिन आपका सामान्य रहने वाला है। आसपास हो रही गतिविधियों पर नजर बनाएं रखें। आंख बंद करके हर किसी पर भरोसा करने से बचें।  परिवार का माहौल बढ़िया रहेगा। 

मकर राशि- दिन आपका मिला जुला रहेगा। आज आपको बिजनेस से जुड़े कामों में यात्रा करनी पड़ सकती  है। स्वास्थ्य में उतार चढ़ाव का सामना करना पड़ेगा। आर्थिक स्थिति मजबूत होगीं।  

कुंभ राशि- आपका दिन ठीक ठाक रहेगा। पार्टनर के साथ रोमांटिक दिन बिताएंगे। जल्दबाजी में कोई काम करना भारी पड़ सकता है। भाई बहन हर परिस्थिति में सहयोग करेंगे। 

मीन राशि- दिन की शुरुआत बहुत अच्छी होगीं। कार्यक्षेत्र से अच्छी खबर मिलने की संभावना है। परिवार का माहौल बढ़िया बना रहेगा। नए काम शुरू करने से आज  बचें। 

West Bengal Election 2021: अपना नाम भूल सकती हूं लेकिन नंदीग्राम नहीं भूल सकती…...

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पश्चिम बंगाल की राजनीतिक गलियारों में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर तैयारियां काफी तेज हो गई है। राजनीतिक पार्टियां अपनी तैयारियों को अंतिम स्वरुप देने में लगी है। प्रदेश की सत्तारुढ़ पार्टी टीएमसी ममता बनर्जी के चेहरे पर चुनावी मैदान में है। 

तो वहीं, दूसरी ओर अन्य राजनीतिक पार्टियों ने अभी तक सीएम फेस का ऐलान नहीं किया है। पश्चिम बंगाल का नंदीग्राम विधानसभा सीट (Nandigram Seat) इस चुनाव में काफी चर्चे में है। क्योंकि इस सीट से प्रदेश की मौजूदा मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) और TMC से BJP में शामिल हुए नेता शुवेंदु अधिकारी (Suvendu Adhikari) चुनाव लड़ने वाले हैं। 

दोनों के नामों की घोषणा हो गई है। शुवेंदु अधिकारी (Suvendu Adhikari) इस सीट से ममता बनर्जी को 50 हजार से ज्यादा वोटों से हराने का दावा करते आ रहे हैं। नंदीग्राम (Nandigram Seat) से चुनाव लड़ने का बाद आज ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) पहली बार नंदीग्राम पहुंची है।

‘अपना नाम भूल सकती हूं नंदीग्राम नहीं…’

आज मंगलवार को उन्होंने कहा, सब कुछ भूल सकती हूं लेकिन नंदीग्राम नहीं भूल सकती। अपना नाम भूल सकती हूं लेकिन नंदीग्राम नहीं भूल सकती। ममता बनर्जी के साथ मंच पर सुब्रत बक्शी और मंत्री पुर्णेंदु बसु उपस्थित थे। इस अवसर पर 10 हजार बूथ कमेटी के सदस्य उपस्थित थे, उन्होंने कहा कि यदि वह समझेंगे कि वह नंदीग्राम से चुनाव लड़ें, तो लड़ूंगी। यदि नहीं बोलेंगे, तो नामांकन नहीं करूंगी।

इस दौरान ममता बनर्जी ने कहा कि जमीन आंदोलन में सिंगुर और नंदीग्राम को एक साथ जोड़ दिया गया था। मेरे दिमाग में था कि वह नंदीग्राम या सिंगुर से चुनाव लड़ेंगी। उन्होंने कहा, नंदीग्राम में मेरी गाड़ी पर पेट्रोल बम मारा गया था। उस समय कोई नहीं था, वह रास्ते पर थी। सीएम बनर्जी ने बताया…राज्यपाल ने कहा था कि उन्हें मारने की कोशिश की गई थी, मैं स्कूटर से आई थी।

‘नंदीग्राम पूरे विश्व में पहुंच गया है’

ममता बनर्जी ने कहा, लोगों में भेद नहीं होता है। कोई 70 और 30 की बात करेंगे लेकिन कहेंगे कि हम 100 हैं। नंदीग्राम पूरे विश्व में पहुंच गया है। उन्होंने कहा, नंदीग्राम से क्यों खड़े हुए, वह घर का केंद्र था। वहां से आते-जाते थे। 

उन्होंने कहा, जब अंतिम बार आई थी तब एमएलए ने इस्तीफा दे दिया था। नंदीग्राम सीट खाली था…उस समय बोला था कि नंदीग्राम से चुनाव लडूंगी। सीएम ने कहा, आपलोगों के साहस, छात्र-युवा का उत्साह, अल्पसंख्यकों का प्यार देख कर गए थे, यही नंदीग्राम की दो आंखें हैं।

11 मार्च को जारी होगी घोषणापत्र

बता दें, ममता बनर्जी के करीबी रह चुके शुभेंदु अधिकारी इस बार नंदीग्राम से ममता बनर्जी को ही टक्कर देने वाले हैं। नंदीग्राम की सीट अधिकारी परिवार की गढ़ रही है। ऐसे में यह मुकाबला काफी शानदार होने वाला है। खबरों के मुताबिक कल 10 मार्च को हल्दिया में अपना नामांकन दाखिल करेंगी। बताया जा रहा है कि 11 मार्च को ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव 2021 के लिए टीएमसी की चुनावी घोषणा पत्र जारी करेंगी।

हाथ में आला और बीपी नापने की मशीन लेकर विधान परिषद पहुंचे RJD विधायक, जानें क्या है म...

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बिहार की राजनीतिक गलियारों में इन दिनों हलचलें काफी तेज है। प्रदेश में बजट सत्र चल रहा है। सत्तारुढ़ एनडीए गठबंधन और विपक्षी पार्टियों के बीच जमकर बयानबाजी हो रही है। बीते दिन सोमवार को प्रदेश के सीएम नीतीश कुमार सदन में विपक्ष के एक नेता पर भड़क उठे। वह इतने नाराज हुए कि उन्होंने विपक्षी पार्टी के उस नेता से सख्त लहजे में कहा कि पहले नियम सीखिए, उसके बाद बोलिए। 

सीएम के इस बर्ताव के बाद प्रदेश की सियासत में हडकंप मचा हुआ है। विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने ट्वीट कर सीएम को घेरा है। वहीं, आज मंगलवार को विधानसभा सत्र के दौरान आरजेडी विधायक मुकेश रौशन (Mukesh Raushan RJD) ब्लड प्रेशर नापने की मशीन और आला लेकर विधानसभा पहुंच गए।

‘जब से 43 सीट पर सिमटे हैं तब से…’

आरजेडी विधायक मुकेश रौशन (Mukesh Raushan RJD) पेशे से एक डॉक्टर भी है। आज मंगलवार को जब वह बीपी नापने की मशीन और आला लेकर सदन में पहुंचे तो हर कोई सोचने लगा आखिर माजरा क्या है। मीडिया ने उनसे इस बारे में सवाल किया, जिस पर आरजेडी विधायक ने प्रतिक्रिया देते हुए बिहार के सीएम नीतीश कुमार को निशाने पर लिया है। उन्होंने कहा, ‘मुख्यमंत्री आजकल ज्यादा ही गुस्सा हो रहे हैं इसलिये उनका बीपी नापने की जरूरत है। ऐसे में हम ये बीपी मशीन लेकर आए हैं।‘

मुकेश रौशन ने आगे कहा, ‘मुख्यमंत्री कल विधान परिषद सदस्य सुबोध कुमार पर गुस्साए हुए थे। जब बिहार का आईना या हकीकत दिखाने की कोशिश करते हैं तो वो भड़क जाते हैं। उन्होंने कहा, इसलिए हम बीपी नापने की मशीन लेकर आए हैं, जिससे उनका ब्लड प्रेशर सामान्य रहे और वह स्वस्थ रहें। आरजेडी नेता ने कहा, जब से उनकी पार्टी 43 सीट पर सिमट गई है तब से उनका गुस्सा चरम पर रहता है।‘

जानें क्या है मामला?

बता दें, बीते दिन सोमवार को विधान परिषद में कार्यवाही चल रही थी। एक सवाल पर नीतीश सरकार की तरफ से मंत्री ने जवाब दिया और फिर सवाल पूछने वाले सदस्य ने दूसरा सवाल किया। लेकिन पूरक प्रश्न पूछने के साथ ही विधान पार्षद सुबोध कुमार भी उठ खड़े हुए और उन्होंने अपनी तरफ से दूसरा प्रश्न पूछ डाला। जिसके बाद नीतीश कुमार ने खड़े होकर आरजेडी एमएलसी सुबोध राय को सीखने की नसीहत दे दी।

'नाराजगी' पड़ी त्रिवेंद्र रावत को भारी, नहीं बचा पाए मुख्यमंत्री की कुर्सी...

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इस वक्त की बड़ी खबर उत्तराखंड से सामने आ रही हैं। उत्तराखंड के सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। रावत ने अब से थोड़ी देर पहले ही उत्तराखंड की राज्यपाल बेबी रानी मौर्या  से मुलाकात की थीं और उनको अपना इस्तीफा सौंपा। 

इस्तीफा देने के बाद रावत ने उत्तराखंड की जनता का धन्यवाद किया। वो बोले कि उत्तराखंड के सीएम पद पर रहना मेरा सौभाग्य था। मैं छोटे से गांव से लेकर इस पद तक पहुंचा। ये कभी नहीं सोचा था कि यहां तक पहुंच पाऊंगा। अब किसी और को मौका दिया जाना चाहिए। जब उसने पत्रकारों ने इस्तीफा देने की वजह पूछी तो इसके जवाब में त्रिवेंद्र सिंह रावत बोले कि इसके लिए आपको दिल्ली जाना पड़ेगा। इस सवाल का जवाब आपको पार्टी आलाकमान से पूछना होगा।

उत्तराखंड की सियासत में मची थी हलचल

बीते कुछ दिनों से उत्तराखंड की राजनीति में सियासी बवाल मचा हुआ था। दरअसल, त्रिवेंद्र सिंह रावत को अपने ही पार्टी के नेताओं के विरोध का सामना करना पड़ रहा था। कई मंत्री और विधायक उनसे नाराज चल रहे थे। जिसकी वजह से उत्तराखंड में नेतृत्व परिवर्तन की संभावनाएं जताई जाने लगी थीं। 
बीते दिन हलचल तब और बढ़ गई, जब बीजेपी आलाकमान ने त्रिवेंद्र सिंह रावत को दिल्ली तलब किया।

इसके बाद से ही ऐसी संभावना जताई जा रही थीं कि रावत के हाथों से मुख्यमंत्री की कुर्सी जाएगी।

उन्होनें दिल्ली में बीजेपी के अध्यक्ष जेपी नड्डा, गृह मंत्री अमित शाह समेत कई नेताओं से मुलाकात की थीं। अब मंगलवार को गवर्नर से मिलकर त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अपना इस्तीफा उनको सौंप दिया। 

नए सीएम के लिए ये नाम आए सामने 

त्रिवेंद्र सिंह रावत के इस्तीफा देने के बाद अब राज्य का सीएम किसको बनाया जाएगा? इसको लेकर खूब चर्चाएं हो रही हैं। कई नाम सामने आ रहे हैं, जिसमें धन सिंह रावत, अनिल बलूनी, सतपाल महाराज, अजय भट्ट और रमेश पोखरियाल निशंक के नाम शामिल हैं। 
बुधवार को बीजेपी ने उत्तराखंड के सभी विधायकों की बैठक बुलाई है, जिसमें नई मुख्यमंत्री के नाम को लेकर मुहर लगने की संभावनाएं है। कल सुबह 11 बजे देहरादून में ये बैठक होगी। पार्टी की तरफ से रमन सिंह और दुष्यंत गौतम को पर्यवेक्षक के तौर पर देहरादून भेजा जाएगा। 

क्यों रावत से नाराज थे विधायक और मंत्री?

दरअसल, त्रिवेंद्र सिंह रावत के नेतृत्व को लेकर पार्टी के अंदर ही विरोध शुरू हो गया था। कई मंत्री और विधायकों ने त्रिवेंद्र सिंह रावत के खिलाफ मोर्चा खोला हुआ है। उत्तराखंड में पार्टी का एक गुट लंबे वक्त से सीएम बदलने की मांग कर रहा है। उन पर ये आरोप लग रहे थे कि मुख्यमंत्री ना तो उनकी समस्याओं के समाधान पर ध्यान देते हैं और ना ही उनके अधिकारी उनको गंभीरता से लेते हैं। मुख्यमंत्री की कार्यशैली को लेकर असंतुष्ट विधायक और मंत्री पार्टी आलाकमान से लगातार शिकायतें करते रहे हैं।

संजय लीला भंसाली की एक और फिल्म विवादों में… आलिया की 'गंगूबाई काठियावाड़ी&...

संजय लीला भंसाली की फिल्म आए और उसको लेकर विवाद ना हो…ऐसा कम ही देखने को मिलता हैं। चाहे वो बाजीराव मस्तानी हो या फिर पद्मावत भंसाली की अधिकतर फिल्म रिलीज से पहले ही विवादों में घिर जाती है। ऐसा ही कुछ अब उनकी एक और फिल्म के साथ हो रहा है। हम बात कर रहे है अपकमिंग फिल्म गंगूबाई काठियावाड़ी कीं, जिसमें लीड रोल में आलिया भट्ट नजर आने वाली है। 

कांग्रेस विधायक ने नाम पर जताई आपत्ति

संजय लीला भंसाली की ये फिल्म 30 जुलाई को रिलीज होगीं। रिलीज से महीनों पहले ही मूवी विवादों में घिर गई। मूवी को लेकर पहले भी कुछ विवाद हो चुके है, लेकिन अब इसके नाम पर हंगामा शुरू होने लगा है। दरअसल, कांग्रेस के एक विधायक ने फिल्म के नाम पर आपत्ति जताई और इसे बदलने की मांग कीं। 
दरअसल, महाराष्ट्र कांग्रेस के विधायक अमीन पटेल ने गंगूबाई काठियावाड़ी फिल्म का नाम बदलने की मांग कीं। उनका ये कहना है कि इसकी वजह से काठियावाड़ शहर की छवि खराब होगीं। महाराष्ट्र विधानसभा में बजट सत्र के दौरान उन्होनें इस मुद्दे को उठाया। 
अमीन पटेल ने कहा कि काठियावाड़ 1950 के दशक जैसा नहीं रहा। वहां की महिलाएं अब अलग अलग कामों में काफी आगे बढ़ रही। इस वजह से फिल्म के नाम को बदला जाना चाहिए।कांग्रेस विधायक ने इस मामले को लेकर राज्य सरकार से भी हस्तक्षेप करने की मांग कीं। 

वहीं इससे पहले कमाठीपुरा के लोगों ने फिल्म पर नाराजगी जाहिर की। हाल ही में यहां के लोगों ने फिल्म के खिलाफ प्रदर्शन भी किया था। उनका कहना है कि फिल्म में हमारी बस्ती को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है। अगर भंसाली फिल्म बनानी थीं, तो उनको कमाठीपुरा की आज की अच्छी छवि भी दिखाने की जरूरत थीं।

भंसाली हुए कोरोना पॉजिटिव
बता दें कि गंगूबाई काठियावाड़ी फिल्म की शूटिंग चल रही थीं। अजय देवगन भी फिल्म में कैमियो के लिए शूट कर रहे थे। लेकिन इसी बीच मूवी की शूटिंग रोक दी गई। दरअसल, रणबीर कपूर के बाद अब संजय लीला भंसाली भी कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए। जिसकी वजह  से फिल्म की शूटिंग रुकी। डायरेक्टर फिलहाल सेल्फ क्वारंटाइन में है। 

किस पर आधारित है फिल्म की कहानी?

अब आपको बताते हैं कि आखिर कौन थीं गंगूबाई काठियावाड़ी, जिन पर ये फिल्म बनी हैं। गूंगबाई का असली नाम हीगंगा हरजीवनदास काठियावाड़ी था। उनका नाता गुजरात के काठियावाड़ से था। गंगा गुजरात के बहुत अच्छे परिवार से थीं। गंगा का सपना मुंबई जाकर हीरोइन बनने का था। 16 साल की छोटी उम्र में ही उन्हें अपने पिता के अकाउंटेंट से प्यार हो गया और वो उसके झांसे में फंस गई। गंगा ने उससे शादी कर ली। उसके पति ने उसे मुंबई में हीरोइन बनने के सपने दिखाए, लेकिन बाद में सिर्फ 500 रुपये में कोठे पर बेच दिया।

इसके बाद गंगा के जीवन में कई उतार-चढ़ाव आए और संघर्षों से लड़ते-लड़ते वो धीरे-धीरे कोठेवाली गूंगबाई बन गईं। गंगूबाई हमेशा ही सेक्सवर्कस के लिए अपनी आवाज उठाया करती थी और साथ ही उन्होनें अनाथ बच्चों के लिए भी कई अच्छे काम किए हैं। बता दें कि भंसाली की इस फिल्म की कहानी एस हुसैनी जैदी की किताब माफिया क्वीन्स ऑफ मुंबई के एक अध्याय पर बनीं है।

साउथैंप्टन में खराब रहा है भारत का रिकार्ड, अब इसी मैदान पर होगा टेस्ट चैंपियनशिप का ...

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विश्व टेस्ट चैंपियनशिप का फाइनल मुकाबला भारत और न्यूजीलैंड के बीच खेला जाने वाला है। इस मुकाबले के लिए इंग्लैंड के लार्ड्स को चुना गया था लेकिन कोरोनावायरस के हालातों के कारण अब लार्ड्स में मैच होने की संभावना लगभग खत्म हो चुकी है। उम्मीद जताई जा रही है कि ICC वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप (World Test Championship) का फाइनल मुकाबला साउथैंप्टन में खेला जाएगा। 

भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) के अध्यक्ष सौरव गांगुली इस बात की पुष्टि भी कर चुके हैं लेकिन ICC की ओर से इस मामले पर अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। अगर साउथैंप्टन के मैदान पर भारत के रिकार्ड की बात करें तो इस मैदान पर भारत का प्रदर्शन कुछ खास नहीं रहा है।

साउथैंप्टन में भारत का रिकार्ड

साउथैंप्टन का एजियास बॉल (The Ageas Bowl) मैदान ज्यादा पुराना नहीं है। इस पर पहला टेस्ट मैच 2011 में खेला गया था। भारत ने इस मैदान पर अभी तक सिर्फ 2 टेस्ट मैच खेले हैं। लेकिन दोनों ही मैचों में भारत को करारी हार मिली है। पहला मैच एम एस धोनी की कप्तानी में 2014 में खेला गया था, जिसमें इंग्लैंड ने भारत को 266 रनों से मात दी थी। जबकि दूसरा टेस्ट विराट कोहली की कप्तानी में साल 2018 में खेला गया था। जिसमें दूसरी पारी में भारत की बैटिंग डंवाडोल रही और टीम 60 रनों से मैच हार गई।

बड़ी पारी नहीं खेल पाए हैं भारतीय बल्लेबाज

कोई भी भारतीय बल्लेबाज इस मैदान पर कोई बड़ी पारी नहीं खेल पाया है। भारतीय कप्तान विराट कोहली ने भारत की ओर से इस मैदान पर सबसे ज्यादा 171 रन बनाए है। उन्होंने 4 पारियों में 42 की औसत से 171 रन बनाएं, जिसमें एक अर्धशतक शामिल है। 

कोहली के बाद इस मैदान पर सबसे ज्यादा रन आजिक्य रहाणे (168) ने बनाए हैं। रहाणे के बल्ले से इस मैदान पर 4 पारियों में 3 अर्धशतक निकले है। उनका औसत 56 का रहा है।

भारत के अनुभवी टेस्ट बल्लेबाज चेतेश्वर पुजारा इस मैदान पर शतक लगाने वाले इकलौते भारतीय बल्लेबाज हैं। 2018 के दौरे पर उन्होंने 132 रनों की पारी खेली थी। इस मैदान पर पुजारा ने 4 पारियों में 54 की औसत से 163 रन बनाए हैं।

10 वीं बार ICC टूर्नामेंट के फाइनल में टीम इंडिया

इस मैदान पर भारतीय बल्लेबाजों के अलावा भारतीय गेंदबाजों का रिकार्ड भी बेहतर नहीं रहा है। भारत की ओर से सबसे ज्यादा विकेट तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी ने चटकाए हैं। 2018 के इंग्लैंड दौरे पर 4 पारियों में उन्होंने 7 विकेट चटकाए थे। स्पीनर्स में रवींद्र जडेजा ने सबसे ज्यादा 5 विकेट चटकाए हैं। जबकि आर अश्विन को मात्र 3 विकेट मिले थे।

बता दें, टीम इंडिया 10 वीं बार ICC  टूर्नामेंट के फाइनल में पहुंची है। भारतीय टीम तीन बार वनडे वर्ल्ड कप, दो बार टी20 वर्ल्ड कप, 4 बार चैंपियंस ट्रॉफी और अब वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल में पहुंची है। टीम ने दो बार वर्ल्ड कप, दो बार चैंपियंस ट्रॉफी और एक बार टी20 वर्ल्ड कप जीता है।