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FSSAI: मिठाई बेचने वाली दुकानों के लिए सरकार ने पेश किया ये नियम, अब 1 जून से जरूरी ह...

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“हलवाई की दुकान” यहां से गुजरने पर एक पल के लिए कदम तो आपके भी ठहरते होंगे. यहां से आने वाले तरह-तरह के पकवानों की खुशबू आपको रोक ही लेती होगी, लेकिन अगर ये दुकान घर के पास होती है तो यहां से खान-पान का सामान लेने में आप शायद थोड़ा डरते भी होंगे कि इसकी क्वालिटी सही होगी भी या नहीं. वहीं, अब आपको किसी भी स्थानीय मिठाई की दुकानों या पड़ोस वाली हलवाई की दुकान (sweet shop) से सामाने लेने के लिए ज्यादा सोचना नहीं पड़ेगा, क्योंकि इन दुकानों के सामानों को लेकर सरकार ने इनकी क्वालिटी में सुधार लाने के लिए नए नियम लागू करने का फैसला लिया है.

जी हां, 1 जून 2020 के बाद से सभी स्थानीय मिठाई की दुकानों के लिए एक नया नियम लागू हो जाएगा, जिसके तहत उन्हें अपने परातों एवं डब्बों में बिक्री के लिए रखी गई मिठाईयों के “निर्माण की तारीख” (Date of manufacture) और “उपयोग की उपयुक्त अवधि” (Suitable duration of use) जैसी जानकारी को जरूर लिखना होगा. हालांकि अभी भी इन जानकारियों को पहले से बंद डिब्बाबंद मिठाई के डिब्बे पर लिखना जरूरी है.

इसलिए उठाया गया ये कदम

आम लोगों के स्वास्थ्य खतरों को ध्यान में रखते हुए भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण यानी (FSSAI-Food Safety and Standards Authority of India) ने ये कदम उठाया है. ये निर्देश उसके बाद जारी की गए जब सूचना मिली कि उपभोक्ताओं को बासी या खाने की अवधि खत्म होने के बाद भी मिठाइयों की बिक्री की गई.

FSSAI ने दिया आदेश

FSSAI द्वारा आदेश देते हुए कहा गया कि “सार्वजनिक हित में और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए, ये तय किया गया है कि खुली बिक्री वाली मिठाइयों के मामले में, बिक्री के लिए रखी मिठाई के कंटेनर या ट्रे पर ‘निर्माण की तारीख’ और ‘उपयोग की अवधि’ जैसी जानकारियों को प्रदर्शित करना होगा.”

इस दिन से ये नियम हो जाएगा लागू

आदेश के मुताबिक 1 जून, 2020 से ये प्रभावी होगा. राज्यों के खाद्य सुरक्षा आयुक्तों (Food safety commissioners) को इन निर्देशों का पालन सुनिश्चित करना होगा. जिसके चलते कोई भी हलवाई की दुकान में अब मिठाई ‘निर्माण की तारीख’ और ‘उपयोग की अवधि’ जैसी जानकारी के बिना नहीं बेचा जा सकेगा.

एक दूसरे से कितने अलग हैं मोदी-ट्रंप के विशेष विमान, खासियतें ऐसीं कि बाल भी नहीं हो ...

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत आने की ख़बरों के बीच उनका विशेष विमान भी सुर्ख़ियों में है. किसी ताकतवर देश का नेता जब दूसरे देश के दौरे पर होता है, तब उड़ान के दौरान आसमान में सुरक्षा के कड़े इंतजामात होते हैं. ट्रंप का विमान ‘एयर फोर्स वन’ के नाम से जाना जाता है, जिसमें वो सारे सुरक्षा तंत्र लगे होते हैं जो किसी भी हमले को नाकाम कर सके. जबकि पीएम मोदी के विशेष विमान का नाम एयर इंडिया वन है. ये बोईंग 747-400 विमान है. इस विमान का इस्तेमाल राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री की हवाई यात्रा में इस्तेमाल किया जाता है. आइये जानें क्या है इन दोनों सुप्रीम नेताओं के विशेष विमान में विशेष अंतर.

अमेरिकी राष्ट्रपति का विमान

 

अमेरिकी राष्ट्रपति का विमान एयरफोर्स वन खास तरीके से निर्मित बोइंग 747-200B सीरीज के विमानों में से एक है. इनके विमान को भी उड़ता वाईट हाउस माना जाता है. इस विमान की खासियत ये है कि विमान में होने के बाद भी अमेरिकी राष्ट्रपति किसी से भी कनेक्ट रह सकते हैं. साथ ही अगर अमेरिका पर हमला हो जाए, तो इस विमान को मोबाइल कमांड सेंटर की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है.

भारतीय पीएम का विमान

पीएम मोदी का विमान एयर इंडिया वन भी किसी से कम नहीं है. ये एक ‘उड़ता हुआ किला’ है जिसमें आधुनिक संचार उपकरण लगे हैं. इसका डिप्लॉयमेंट नई दिल्ली के इंदिरा गांधी एयरपोर्ट स्थित द एयर हेडक्वार्टरस कम्युनिकेशन स्क्वाड्रन के अधीन होता है. पीएम की यात्रा के वक़्त ये एक मिनी प्रधानमंत्री कार्यालय में तब्दील होता है. इसमें बेहद आधुनिक और सुरक्षित कम्युनिकेशन सिस्टम लगे होते हैं.

अमेरिकी राष्ट्रपति के बेड़े में दो विमान

अमेरिकी राष्ट्रपति के विशेष विमान एयर फोर्स वन के बेड़े में दो विमान हैं. एक के उड़ान भरने पर दूसरा स्टैंड बाय मोड में रहता है. स्टैंड बाय मोड वाला विमान चंद मिनटों के नोटिस पर उड़ने के लिए हमेशा तैयार रहता है. ये विमान पूरी तरह से अमेरिकी राष्ट्रपति के लिए समर्पित है.

यात्री सेवा में लगा दिया जाता है पीएम मोदी का विमान

अगर पीएम मोदी के विमान एयर इंडिया वन का VVIP यूज़ नहीं होता है तो ये सामान्य यात्री सेवा में लगा दिया जाता है. लेकिन इस व्यवस्था को जल्द ही ख़त्म किया जा सकता है. खबरें है कि पीएम मोदी के लिए लाया जा रहा विशेष विमान कभी यात्री सेवा में नहीं यूज़ किया जायेगा.

26 साल बाद बदलने वाला है पीएम मोदी का विमान

एयर इंडिया वन 26 साल से भारतीय पीएम के लिए विशेष विमान के तौर पर काम कर रहा है. लेकिन अब इसकी जगह जल्द ही बोइंग 700-300ER इस वर्ष जुलाई के महीने में लेने वाला है. पिछले साल जनवरी में बोइंग ने दो 700-300ER विमानों की डिलीवरी कर दी थी. जिसके बाद इस दोनों विमानों को एडवांस्ड सुरक्षा कवर देने के लिए अमेरिका भेज दिया गया था. विमान में मिसाइल सिस्टम और काउंटर-मेजर डिस्पेंसिंग सिस्टम्स (CMDS) लगे होंगे. साथ ही लार्ज एयरक्राफ्ट इन्फ्रारेड काउंटर मेजर्स (LAIRCM) सेल्फ प्रॉटेक्शन सूट्स (SPS) भी होंगे.

कौन थे “दारा शिकोह” जिनकी कब्र को तलाश रही है केंद्र सरकार की बनाई एएसआई टीम, जानिए…

हाल ही में केंद्र सरकार के संस्कृति मंत्रालय द्वारा एक टीम का गठन किया गया. जिसे भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (Archaeological Survey of India) के 7 लोगों को मिलाकर बनाया गया है. मंत्रालय द्वारा इस टीम को जो काम सौंपा गया है वो अपने आपमें काफी दिलचस्प है क्योंकि इस टीम को दारा शिकोह की कब्र (dara Shikoh Grave) को ढूंढना है.

टीए अलोन (निदेशक, स्मारक, एएसआई) द्वारा इस टीम की अध्यक्षता की जा रही है. इस टीम में वरिष्ठ पुरातत्व विशेषज्ञ आरएस बिष्ट, केएन दीक्षित, बीआर मणि, सतीश चंद्र, सईद जमाल हसन, बीएम पांडे और केके मोहम्मद सदस्य हैं. दारा शिकोह की कब्र की तलाश करने के लिए टीम के पास तीन महीने तक का समय है.

वहीं, अब सवाल ये खड़ा होता है कि जिनकी कब्र की तलाश के लिए भारत सरकार द्वारा एक टीम तक गठन कर दिया गया वो आखिर हैं कौन? दारा शिकोह का इतना ज्यादा महत्व क्यों है और कैसे एएसआई की टीम दारा शिकोह की कब्र की तलाश कर पाएगी? आइए आपको इन सभी सवालों के जवाब देते हैं…

कौन थे दारा शिकोह?

आपको बता दें कि दारा शिकोह मुगल बादशाह शाह जहां के सबसे बड़े बेटे थे. इनका जन्म आज से तकरीबन 405 वर्ष पूर्व 1615 ई. में हुआ था. वहीं, 1659 ई. में अपने ही छोटे भाई औरंगजेब के साथ युद्ध के दौरान उनकी मृत्यु हो गई थी.

“आजाद ख्याल के थे मुसलमान” 

इतिहासकारों की माने तो उनके मुताबिक दारा शिकोह अपने वक्त के बहुत आजाद ख्याल के मुसलमान थे. यहां तक उन्होंने इस्लाम और हिन्दू की परंपराओं में समानताएं तलाशने का भी प्रयास किया था. दारा शिकोह ने भागवत गीता और अन्य 52 उपनिषदों का पारसी भाषा में अनुवाद किया था.

विशेषज्ञ का कहना है कि 17वीं सदी के दारा शिकोह काफी आजाद सोच रखने वाले एक महान विचारक थे. कुछ इतिहासकारों का तो ये भी कहना है कि औरंगजेब के स्थान पर दारा शिकोह मुगल शासक बनते, तो धार्मिक लड़ाइयों के दौरान जाने वाली कई हजार जानें बच सकती थीं. बता दें कि एक किताब “द मैन हू वुड बी किंग” मे लिखा हुआ है कि दारा शिकोह बहुत दयालु, उदार और हर किसी को साथ लेकर चलने वाले शख्स थे. हालांकि वो युद्ध के मैदान में अधिक प्रभावी नहीं थे.

दारा शिकोह को बताया “सच्चा हिंदुस्तानी”

देश की राजधानी दिल्ली में हाल ही में हुए एक कॉन्क्लेव में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सदस्य के अलावा अन्य वक्ताओं ने दारा शिकोह को “सच्चा हिंदुस्तानी” कहा था. बता दें कि पिछले वर्ष यानी 2019 में अलीगढ़ मुस्लिम विवि में दारा शिकोह के नाम से रिसर्च चेयर की स्थापना भी की गई थी.

यहां भेजा गया था दारा शिकोह का सिर

‘शाहजहांनामा’ के मुताबिक “औरंगजेब समेत युद्ध में हार होने के बाद दारा शिकोह को जंजीर से बांधकर दिल्ली लाया गया था और फिर दारा शिकोह का सिर काटकर आगरा किले में भेजा था, जबकि बाकी के शरीर को दिल्ली के निजामुद्दीन स्थित हुमांयू के मकबरे के परिसर में ही दफना दिया था.”

ASI की टीम कैसे खोजेगी दारा शिकोह की कब्र

संस्कृति मंत्रालय ने जिस टीम का गठन किया है उनका कहना है कि “हुमायूं के मकबरे के परिसर में उस परिवार के बहुत से लोगों की कब्र है. सबसे बड़ी परेशानी ये है कि ज्यादातर कब्रों पर तो किसी तरह का कोई नाम ही अंकित नहीं है. अभी तक टीम ने इसके लिए किसी तरह की कोई कार्य प्रणाली निर्धारित नहीं की है. ये पूरी तरह से नहीं कहा जा सकता कि कब्र वहीं है, हालांकि ये एक संभावना जरूर है, जैसा कि शाहजहांनामा में कहा गया है. वो बात अलग है कि किसी ने भी कब्र की सही स्थान का जिक्र नहीं किया है.”

इंस्टाग्राम पर सबसे ज्यादा फॉलो किए जाने वाले भारतीय बने विराट कोहली, इन एक्ट्रेस को ...

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टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली करोड़ो लोगों के दिलों में बसते है. दुनिया भर में करोड़ो लोग उनको चाहते हैं. मैदान पर तो विराट अक्सर अपने बल्ले से कई रिकॉर्ड तोड़ते हुए नजर आए है, लेकिन अब मैदान से बाहर भी कप्तान कोहली ने एक बड़ा रिकॉर्ड बना लिया है. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म इंस्टाग्राम पर विराट कोहली सबसे ज्यादा फॉलो करने वाले इंडियन बन गए है.

इंस्टाग्राम पर हुए 50 मिलियन फॉलोअर्स

जी हां, हाल ही में विराट कोहली के इंस्टाग्राम पर 50 मिलियन यानि 5 करोड़ फॉलोअर्स पूरे हो चुके हैं. तमाम दिग्गजों को पछाड़कर विराट इंस्टाग्राम पर सबसे ज्यादा फॉलो किए जाने वाले भारतीय बन गए है. सोशल मीडिया पर विराट कोहली अक्सर ही एक्टिव रहते है. वो अक्सर ही क्रिकेट, अपने काम और निजी जिंदगी से जुड़ी चीजें फैन्स के साथ शेयर करते रहते हैं.

इंस्टाग्राम पर विराट अब तक 932 पोस्ट कर चुके है और साथ ही वो 480 लोगों को फॉलो कर रहे है. 5 करोड़ फॉलोअर्स पूरे होने पर विराट कोहली ने एक वीडियो भी पोस्ट की. जिसमें उन्होनें प्यार और साथ देने के लिए फैन्स को धन्यवाद कहा.

दूसरे नंबर पर प्रियंका चोपड़ा

बता दें कि विराट कोहली एक्ट्रेस प्रियंका चोपड़ा को पछाड़कर इंस्टाग्राम सबसे ज्यादा फॉलो किए जाने वाले पहले भारतीय बने. प्रियंका के इंस्टाग्राम पर 4.99 करोड़ फॉलोअर्स है, जबकि तीसरे नंबर पर दीपिका पादुकोण हैं, जिनके फॉलोअर्स 4.41 करोड़ है. वहीं इंस्टाग्राम पर सबसे ज्यादा फॉलो किए जाने वाले इंडियन की लिस्ट में चौथे नंबर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम है, उनको इस सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर 3.45 करोड़ लोग फॉलो कर रहे है.

सोशल मीडिया पर 100 से ज्यादा मिलियन फॉलोअर्स

वहीं अगर तीनों बड़े सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक, इंस्टाग्राम और ट्विटर पर विराट कोहली के फॉलोअर्स देखें तो ये 100 मिलियन से ज्यादा पहुंच चुके है. जहां इंस्टाग्राम पर विराट कोहली को 50 मिलियन लोग फॉलो कर रहे हैं, तो वहीं फेसबुक पर उनको 37 मिलियन लोग फॉलो करते हैं. इसके अलावा ट्विटर पर विराट कोहली के 33.7 मिलियन फॉलोअर्स है. इन तीनों प्लेटफॉर्म को मिलाकर विराट कोहली के कुल फॉलोअर्स 120 मिलियन यानि 12 करोड़ के करीब पहुंच गए है.

नंबर-1 पर रोनाल्डो

बात अगर दुनिया की करें तो इंस्टाग्राम पर सबसे ज्यादा फॉलो करने वाली लिस्ट में सबसे टॉप पर फुटबॉल खिलाड़ी क्रिस्टियान रोनाल्डो है. उनके इंस्टाग्राम पर कुल 20 करोड़ फॉलोअर है. वहीं इसके बाद इस लिस्ट में दूसरे नंबर पर अमेरिकन सिंगर एरियाना ग्रांडे है, जिनको 175 मिलियन लोग इंस्टाग्राम पर फॉलो कर रहे है. तीसरे नंबर पर हॉलीवुड स्टार ड्वेन जॉनसन के 1.72 करोड़ फॉलोअर्स है.

आतंकियों से लड़ते लड़ते देश के लिए कुर्बान हुआ था ये मेजर, अब पत्नी ने लिखी साहस की नई ...

पिछले साल आज के ही दिन पुलवामा में आतंकियों से लड़ते लड़ते मेजर विभूति शंकर ढौंडियाल देश के लिए अपनी जान कुर्बान कर बैठे थे. उनकी पत्नी निकिता कौल के मेजर विभूति के साथ उन आखिरी लम्हों ने सभी की आंखों में पानी ला दिया था. लेकिन ठीक एक साल बाद साहस की नई इबारत उनकी पत्नी ने लिखी है. उन्होंने सेना में जाने के सारे परीक्षाएं और इंटरव्यू पास कर लिए हैं और अब वो बस मेरिट लिस्ट का इंतजार कर रहीं हैं.

पति को खोने के बाद लिया फैसला

निकिता ने शादी के 10 महीने बाद ही पति को खो दिया था. जिसके बाद उन्होने भी सेना में जाने का मन बनाया था. निकिता ने 10 अप्रैल 2018 में पति के साथ सात फेरे लिए थे. और 18 फरवरी 2019 को पुलवामा के पिंग्लिना गांव में आतंकियों से हुए एनकाउंटर में मेजर विभूति ढौंडियाल शहीद हो गए थे. उस दौरान देहरादून निवासी मेजर विभूति की शादी को मात्र 10 महीने ही हुए थे. पुलवामा हमले के बाद ही सेना ने जैश ए आतंकवादियों के खात्मे के लिए सैन्य ऑपरेशन चलाया था.

ऐसे आखिरी बार पति को किया था विदा

उनकी पति से अंतिम विदाई ने पूरे देश वासियों की रूह को झकझोर कर रख दिया था. उन्होंने उस दौरान कहा था, ‘आपके जैसा पति मुझे मिला, मैं बहुत सम्मानित हूं. मैं हमेशा तुमको प्यार करती रहूंगी विभू. तुम हमेशा जिंदा रहोगे. आई लव यू विभू.’ बता दें मेजर विभूति न सिर्फ निकिता के पति बल्कि उनके बेस्ट फ्रेंड भी थे. उसी दौरान निकिता ने सेना में शामिल करने की इच्छा जताई थी.

पिछले साल दी थी परीक्षा

अपने पति के सपने को पूरा करने की राह पर चल पड़ी निकिता ने पिछले साल नवंबर महीने में एसएससी एग्जाम दिया था. अभी वो मेरिट लिस्ट के इंतजार में हैं. गौरतलब है कि मेजर विभूति तीन बहनों में इकलौते भाई थे. उनको सेना में शामिल होने का जूनून था. उनके अदम्य साहस को देखते हुए मरणोपरांत उन्हें शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया था. टीम का नेतृत्व कर रहे विभूति ढौंडियाल के सीने और गले में गोली लग गई थी. मेजर विभूति की टीम ने दो आतंकी मार गिराए थे.

Bigg Boss: कमाई के मामले में इन कंटेस्टेंट ने विजेताओं को भी पछाड़ा, जानिए किसको मिली...

बिग बॉस के इतिहास का सबसे लंबा और सफल सीजन आखिरकार खत्म हो गया. सिद्धार्थ शुक्ला ने ट्रॉफी जीतकर बिग बॉस 13 के खिताब को अपने नाम कर लिया. फाइनल में आसिम रियाज को मात देकर सिद्धार्थ सबसे सफल सीजन के विनर बने. भले ही सिद्धार्थ ने शो के टाइटल को अपने नाम कर लिया हो, लेकिन अगर कमाई के मामले में देखें तो कोई और कंटेस्टेंट उनसे आगे निकल गया.

ये कंटस्टेंट कई और नहीं टीवी का पॉपुलर चेहरा रश्मि देसाई है. जी हां, रश्मि देसाई बिग बॉस सीजन 13 की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली कंटेस्टेंट बनीं है. रश्मि देसाई के अलावा बिग बॉस के सीजन में कई और भी ऐसे कंटेस्टेंट रहे है, जो भले ही शो के विजेता नहीं बन पाए है लेकिन उन्होनें कमाई के मामले में विनर को भी पीछे छोड़ दिया. आज हम आपको इन्ही कंटेस्टेंट के बारे में बताने जा रहे हैं…

रश्मि ने सिद्धार्थ को छोड़ा पीछे

शुरूआत हाल ही में खत्म हुए बिग बॉस सीजन 13 से करते हैं. जैसा हमने आपको बताया कि शो के विनर भले ही सिद्धार्थ शुक्ला बने हो लेकिन रश्मि देसाई उनसे कमाई के मामले में आगे निकलीं है. जहां सिद्धार्थ शुक्ला को शो में रहने के लिए 2.10 करोड़ रुपये दिए गए, तो वहीं रश्मि को पूरे सीजन में उनसे ज्यादा 2.50 करोड़ मिले.

श्रीसंत ने की थी ज्यादा कमाई

बात अब हम बिग बॉस सीजन 12 की करते हैं. इस सीजन की विजेता दीपिका कक्कड़ बनी थी. लेकिन इस सीजन में उन्हें कमाई के मामले में श्रीसंत ने पछाड़ दिया था. बिग बॉस 12 के फर्स्ट रनरअप रहे श्रीसंत को एक हफ्ते के लिए 50 लाख रुपये मिले थे, जबकि दीपिका को 15 लाख रुपये दिए गए थे.

हिना को मिली शिल्पा से ज्यादा रकम

बिग बॉस का सीजन 11 भी काफी पॉपुलर रहा था. इस सीजन में शिल्पा शिंदे ने हिना खान को हराकर खिताब पर कब्जा जमाया था. लेकिन हिना ने सीजन 11 की विनर को कमाई के मामले में पीछे छोड़ दिया था. हिना खान को पूरे सीजन के लिए मेकर्स ने 1.25 करोड़ रुपये दिए थे, जबकि शिल्पा को इसके मुकाबले काफी कम रकम मिली थी. शिल्पा शिंदे को सीजन-11 में एक हफ्ते के सिर्फ 6 लाख रुपये ही मिले थे.

बानी जे और राहुल देव को मिले ज्यादा पैसे

सीजन-10 के खिताब को मनवीर गुर्जर ने जीता था. लेकिन कॉमनर होने की वजह से मनवीर को घर में रहने के लिए बहुत कम पैसे मिले थे. वहीं उनके मुकाबले इस सीजन में फाइलिस्ट बानी जे और राहुल देव को ज्यादा रकम मिली थी. बिग बॉस-10 में राहुल देव को पूरे सीजन के लिए 2 करोड़ रुपये तो वहीं बानी जे को 1.55 करोड़ रुपये की मोटी रकम मिली थी, जो विनर मनवीर से कई ज्यादा थी.

रिमी सेन ने की प्रिंस से ज्यादा कमाई

बिग बॉस सीजन 9 में रिमी सेन कंटेस्टेंट बनकर आईं थी. माना जा रहा था कि रिमी बिग बॉस के घर में तूफान मचा सकती है, लेकिन ऐसा कुछ हुआ नहीं. फिर भी रिमी को सीजन 9 में काफी तगड़ी रकम मिली थी, जो शो के विजेता प्रिंस नरूला से कई ज्यादा थी. रिमी को बिग बॉस सीजन 9 में घर में रहने के लिए 2 करोड़ रुपये दिए गए थे, जबकि प्रिंस को एक हफ्ते के लिए सिर्फ 10 लाख रुपये ही मिला करते थे.

करिश्मा तन्ना ने गौतम को पछाड़ा

सीजन-8 भी बिग बॉस के फेमस सीजन में से एक रहा. गौतम गुलाटी ने बिग बॉस सीजन 8 में जीत हासिल की थी. भले ही सीजन के विनर गौतम बने थे, लेकिन करिश्मा तन्ना ने उस सीजन में उनसे ज्यादा पैसे कमाए. जहां गौतम को एक हफ्ते घर में रहने के लिए 8 लाख रुपये दिए जाते थे, तो वहीं करिश्मा को 10 लाख रुपये मिले थे.

तनीषा निकलीं आगे

बिग बॉस सीजन-7 की विनर गौहर खान रही थी. लेकिन इस सीजन में उनसे ज्यादा पैसे तनीषा को मिले थे. तनीषा को एक हफ्ते घर में रहने के 9.5 लाख रुपये मिलते थे, तो वहीं गौहर को 6 लाख रुपये दिए जाते थे.

उर्वशी से ज्यादा सिद्धू ने की कमाई

इसके अलावा बिग बॉस सीजन 6 में पूर्व क्रिकेटर और पॉलिटिशियन नवजोत सिंह सिद्धू ने विनर से ज्यादा पैसे लिए. सीजन 6 की विजेता उर्वशी ढोलकिया को एक हफ्ते के 2.5 मिला करते थे, जबकि सिद्धू हर हफ्ते 6 लाख की रकम लिया करते थे.

श्वेता ने ज्यादा इन दोनों ने की कमाई

बिग बॉस सीजन 4 की विजेता श्वेता तिवारी बनी थी. इस सीजन में कमाई के मामले में पामेला और खली उनसे कई ज्यादा आगे निकल गई. हॉलीवुड स्टार पामेला बिग बॉस सीजन 4 में सिर्फ तीन दिन तक ही टिकी थी, लेकिन इस दौरान उन्हें 2.5 करोड़ रुपये की बड़ी रकम मिली थी. वहीं इसके अलावा खली भी कमाई के मामले में श्वेता तिवारी से आगे थे. खली को एक हफ्ते घर में रहने के लिए 50 लाख रुपये मिला करते थे, जबकि श्वेता को एक हफ्ते के लिए सिर्फ 2.5 ही मिलते थे.

Treeman syndrome: एक मासूम का पेड़ में धीर-धीरे बदलने लगा शरीर, वजह जानकर हो जाएंगे द...

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स्कूल या किसी अन्य कार्यक्रम में जब पेड़ (Tree) बनने का रोल मिला करता है तो कैसे बच्चे खुश हो जाते हैं और वो हरे रंग के झाड़ीदार कपड़े पहनकर खड़े हो जाते हैं, लेकिन अगर कोई असलियत में ही पेड़ (Treeman) बन जाए तो? अगर उसका शरीर पेड़ की तरह हो जाए तो? यकीनन इस बारे में मात्र सोचकर ही आप शायद जितना हैरान और परेशान हुए होंगे, उससे ज्यादा आप तब हैरत में पड़ जाएंगे जब हम आपको इस तरह की अजीबोगरीब बीमारी से जूझ रही 8 वर्षीय लड़की के बारे में बताएंगे.

जी हां, ऐसा ही एक मामला छत्तीसगढ़ (Chattisgarh) से सामने आया है. यहां के नक्सल प्रभावित बस्तर (Bastar) जिले की रहने वाली 8 वर्षीय लड़की एक आनुवांशिक रोग (Genetic Disease) से जूझ रही है. जिसके चलते इस लड़की के हाथ और पैर, पेड़ की छाल के जैसे दिख रहे हैं. पूजा (बदला हुआ नाम) के परिजनों के मुताबिक पहले पूजा के बायें पैर के ऊपर एक मस्सा बनने की शुरुआत हुई, वो धीरे धीरे बढ़ता गया और फिर उसी तरह का मस्सा उसके दूसरे पैर पर भी हुआ, दोनों पैरों पर हुआ ये मस्सा विकसित हो गया और कुछ दिनों में ये बांहों से होते हुए उसकी गर्दन तक पहुंच गया. इस तरह की बीमारी को ट्री मैन सिंड्रोम (Treeman syndrome) भी कहा जाता है.

नहीं है ऐसी बीमारी का कोई इलाज

इस बीमारी की वजह से इस लड़की की हालात इतनी गंभीर हो गई कि उसका चलना-फिरना तक करीबन बंद हो गया. ऐसा कहा जाता है कि इस लड़की के शरीर में लगातार दर्द रहता है. जानकारों की मानें तो अभी तक मेडिकल साइंस (Medical Science) में ऐसी बीमारी का कोई इलाज नहीं है.

सरकार करा रही है इलाज

मीडियो रिपोर्टस के जरिए इसकी जानकारी प्रदेश सरकार और प्रशासनिक अधिकारियों को मिली. जिसके बाद प्रदेश के हेल्थ मिनिस्टर टीएस सिंह देव (Health Minister TS Singh Dev) ने लड़की के इलाज के लिए जरूरी खर्च और समुचित प्रबंध करने का ऐलान किया है.

वहीं, अब पूजा का इलाज रायपुर (Raipur) के मेकाहारा हॉस्पिटल (Mekahara Hospital) में चल रहा है. डॉ. मृत्युंजय सिंह की मानें तो वो और उनकी टीम इस दुर्लभ बीमारी से पीड़ित लड़की की समस्या को कम करने हेत हर तरह से पूरा प्रयास कर रही है. इस तरह की बीमारी को मेडिकल साइंस में ट्रीमैन सिंड्रोम (Treeman Syndrome) भी कहा जाता है.

जन्म लेने के 1 साल बाद शुरू हुई समस्या

पूजा के परिजनों के मुताबिक इस तरह की समस्या उसे 1 साल की उम्र से ही शुरू हो गई थी. उसके पिता का कहना है कि सबसे पहले उनकी बेटी के बायें पैर पर मस्सा होना शुरू हुआ और फिर वो काफी ज्यादा बढ़ गया. इस बीमारी की वजह से उनकी बेटी को लगातार दर्द भी रहता है.

स्किन कैंसर होने का है खतरा

बता दें कि मेडिकल साइंस की भाषा में इस बीमारी को एपिडर्मोडिसप्लासिया वर्चुफॉर्मिस (Epidermodysplasia verruciformis) भी कहा जाता है. मेडिकल जर्नल की मानें तो ये रोग बहुत दुर्लभ वंशानुगत त्वचा विकार माना जाता है और इसके वजह से स्किन कैंसर (Skin Cancer) होने की संभावना बहुत ज्यादा होती है. इस बीमारी की स्थिति को लेवांडोस्की-लुत्ज़ डिस्प्लासिया (Lewandowsky Lutz Dysplasia) भी कहा जाता है.

आपको जानकारी के लिए बता दें कि ये दुर्लभ बीमारी आमतौर पर 1 से 20 वर्ष के लोगों में होती हैं. एक अनुमान के मुताबिक इस बीमारी से दुनिया भर में करीब 200 लोग पीड़ित हैं. हालांकि अभी तक मेडिकल साइंस में इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है.

कॉमन सिविल कोड लाने की तैयारी में केंद्र सरकार? जानें क्या है ये कानून और इससे जुड़ी ...

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दोबारा से सत्ता में आने के बाद केंद्र सरकार कई ऐतिहासिक फैसले ले चुकी है. वो चाहे तीन तलाक कानून हो या फिर जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल-370 को निष्प्रभावी करने का फैसला हो. इतना ही नहीं मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में राम मंदिर पर भी बड़ा फैसला आया है. इसके अलावा अब इन दिनों यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर एक बहस छिड़ी हुई है. ऐसा कहा जा रहा है कि मोदी सरकार अब जल्द ही यूनिफॉर्म सिविल कोड को भी लाने जा रही है. तो ऐसे में आपको बताते हैं कि आखिर ये कानून क्या है?…

क्या है कॉमन सिविल कोड?

यूनिफॉर्म सिविल कोड या यूनिफॉर्म सिविल कोड का मतलब ये है कि देश में हर व्यक्ति, हर नागरिक के लिए एक समान कानून हो. चाहे उसका नाता किसी भी धर्म, जाति या फिर समुदाय से हो. वैसे अभी देश में हर अलग धर्म के अलग पर्सनल लॉ हैं, लेकिन अगर ये कानून लागू हो जाता है तो हर धर्म के लोगों के लिए एक कानून का पालन करना होगा. फिर चाहे वो हिंदू, मुसलमान, सिख या ईसाई हो. सबके लिए शादी, तलाक, पैृतक संपत्ति जैसे मामलों पर एक कानून लागू हो जाएगा.

ये है कानून के विरोध का कारण…

हालांकि जब भी इस तरह के कानून की बात होती है, तो इसका विरोध जरूर होता है. वहीं इस कानून का विरोध होना भी हो सकता है. भारत के आजाद होने के बाद 1951 में तत्कालीन कानून मंत्री डॉ. बीआर अंबेडकर ने हिंदू समाज के लिए एक बिल लाने की कोशिश की थी. उन्होनें हिंदू कोड बिल लाने का प्रयास किया था, लेकिन उस समय इसका बहुत विरोध हुआ और एक धर्म के लोगों ने इस कानून पर सवाल भी खड़े किए थे. विरोध के बाद बिल को चार हिस्सों में बांटा गया.

जब भी देश में कॉमन सिविल कोड लाने की बात हुई है, तो इसको लेकर विरोधियों का तर्क रहा है कि ये कानून सभी धर्मों पर हिंदू धर्म को थोपने जैसा है. भारत विविधताओं वाला देश है, जहां पर ना सिर्फ अलग धर्म के लोग रहते हैं, बल्कि कई समुदाय, जनजातियां की अपनी अलग-अलग सामाजिक व्यवस्था होती है. उन पर एक समान कानून लागू करना उनकी परंपरा को खत्म करना जैसा है.

समर्थकों के ये हैं तर्क

यूनिफॉर्म सिविल कोड का मतलब एक ऐसा निष्पक्ष कानून है जो किसी भी धर्म से नाता नहीं रखता. इस कानून का समर्थन करने वाले लोगों का कहना है कि यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होने से हर धर्म के पर्सनल लॉ में समानता आएगी. इस कानून से धर्म, जाति, लिंग, वर्ग से भेदभाव खत्म होने का दावा किया जाता है. समर्थकों के अनुसार अलग धर्मों के अलग कानून से न्यायपालिका पर दबाव पड़ता है.

अगर ये कानून आता है तो न्यायपालिका पर से बोझ कम होगा और सालों से अटके हुए मामलों का निपटारा जल्द होगा. देश के हर नागरिक के लिए कानून में एक समानता से एकता को बढ़ावा मिलेगा और देश के विकास में भी तेजी आएगी.

इस कानून से ऐसा नहीं होगा कि लोगों से उनकी धार्मिक मान्यताएं मानने के हक को छिन लिया जाएगा. हर नागरिक के बाकी सभी धार्मिक अधिकार रहेंगे, लेकिन शादी, तलाक, प्रॉपटी, संतान जैसे कुछ मामलों पर हर किसी को एक नियम का पालन करना पड़ेगा. गोवा में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू है. वैसे संविधान के अनुच्छेद 44 में इसका पक्ष लिया गया है. हालांकि कानून को लागू करना या फिर नहीं करना पूरी तरह से सरकार पर निर्भर है.

पानी पर तैरते होटल में ठहरने के लिए एक दिन का लगता है इतना किराया, यहां का खूबसूरत नज...

‘होटल’ ये वो जगह मानी जाती है जहां हम सुकून के दो पल बीतए जा सकते हैं. अगर शहर या देश से बाहर कहीं घूमने जाना हो तो सबसे पहले हम एक अच्छे होटल की तलाश करते हैं, ऐसे में हम वहां की लोकेशन कैसा है और वहां कितनी शांति है इस पर तो जरूर ही ध्यान देते हैं. इसके अलावा अगर होटल को देखकर ही मन खुश और दिल बाग बाग हो जाता है तो बस फिर क्या उस होटल में रुकने में कोई बुराई ही नहीं. वहीं, आपने एक से बढ़कर एक होटल के बारे सुना व देखा होगा जो पहाड़ों पर होंगे या फिर कई मंजिलों में बने होंगे लेकिन आज हम आपको पानी पर तैरते होटल के बारे में बताने जा रहे हैं जिसके बारे में शायद ही आप जानते हो, आइए आपको बताते हैं…

पानी पर तैरता होटल और स्पा

दरअसल, हम पानी पर तैरते जिस होटल के बारे में बताने जा रहे हैं उसे स्वीडन (Sweden) के लैपलैंड क्षेत्र (Lapland) में ल्यूल नदी (Lule river) पर बनाया गया है. जिसका नाम द आर्कटिक बाथ (The Arctic Bath) है ये अपनी खूबसूरती के लिए सबसे अलग माना जाता है. इस होटल और स्पा में ठहरने के लिए एक वर्ष पहले से ही एडवांस बुकिंग शुरू हो जाती है.

द आर्कटिक बाथ की ये है खासियत

द आर्कटिक बाथ की खासियत है कि गर्मी के मौसम (Summer Season) के दौरान ये होटल नदी (River) पर तैरता रहता है, जबकि सर्दी के मौसम (Winter Season) के दौरान नदी जम जाती है और फिर ये होटल भी जम जाता है.

लकड़ी के रास्ते से पहुंचा जाता है इस होटल

इतना ही नहीं होटल तक पहुंचने के लिए लकड़ी का रास्ता और बोट (Boat) का प्रयोग किया जाता है. अगर आप होटल तक पहुंचने के लिए एयरपोर्ट (Airport) से कार (Car) या हेलिकॉप्टर (Helicopter) का प्रयोग करना चाहते हैं तो कर सकते हैं.

एक दिन ठहरने का इतना किराया

पानी पर तैरता होटल द आर्कटिक बाथ में 12 कमरे हैं. इसको बनाने का कार्य साल 2018 में शुरू हुआ था. इस होटल की डिजाइनिंग आर्किटेक्ट बर्टिल हैरस्ट्रॉम और जोहान कोप्पी ने की है. यहां एक दिन रुकने के लिए आपको 815 पाउंड यानी की लगभग 75 हजार रुपए खर्च करने होंगे.

होटल के पास देखने को मिलेगा गजब का नाजारा

इस जगह आप भालू देख सकते है. इसके अलावा ये जगह होर्स राइडिंग और नेचुरल फोटोग्राफी के लिए बहुत अच्छी मानी जाती है. आप चाहें तो यहां से नॉर्दर्न लाइट्स (Northern Lights ) का नजारा भी देख सकते हैं. बता दें कि जब गैस के कणों पर आधी रात के दौरान सूर्य की रोशनी पड़ती है तो आसमान में रंगबिरंगी रोशनियां चमचमाने लगती है, जिन्हें नॉर्दर्न लाइट्स कहा जाता है. जिनका आकार 20 से 640 किमी तक होता है. ऐसी जगह पर 6 महीनों का दिन और 6 महीनों की रात होती है.

U19 World Cup: कभी पानी पूरी बेच कर बुझाता था पेट की आग, अब वर्ल्डकप में रच दिया इतिह...

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दक्षिण अफ्रीका में चल रहे आईसीसी अंडर 19 वर्ल्डकप में भारतीय टीम शानदार प्रदर्शन कर रही है। बीते 4 फरवरी को भारतीय टीम ने सेमीफाइनल में पाकिस्तान को 10 विकेट से मात दे दी और फाइनल का टिकट कटा लिया। इस मैच के हीरो रहे भारत के अंडर-19 टीम के ओपनर बल्लेबाज यशस्वी जयसवाल। उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ सेमीफाइनल में शानदार शतक बनाया और भारत की जीत पक्की कर दी। टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने उतरी पाकिस्तानी टीम 43.1 ओवर में मात्र 172 रनों पर ऑलआउट हो गई। 173 रनों का पीछा करने उतरी भारतीय टीम ने यशस्वी जयसवाल के शतक और दिव्यांश सक्सेना के अर्द्धशतक की मदद से 35.2 ओवर में 176 रन बना कर जीत हासिल कर ली।

पानी पूरी बेचकर तय किया क्रिकेट का सफर

अपने शानदार प्रदर्शन की बदौलत दुनिया की नजरों में आए यशस्वी जयसवाल अंडर-19 वर्ल्डकप में टॉप स्कोरर के रुप में भारत का मान बढ़ा रहे है। यशस्वी जयसवाल आज अंडर-19 क्रिकेट के सबसे बेहतर और प्रतिभाशाली क्रिकेटरो में गिने जाते हैं लेकिन आपको जानकर आश्चर्य होगा कि उनकी यहां तक पहुंचने की राह थोड़ी भी आसान नहीं रही। जब बच्चों की उम्र खेलने-कूदने की होती है, परिवार में रहकर बड़ों से मार्गदर्शन प्राप्त करने की होती है। उस उम्र में ही यशस्वी ने घर छोड़ दिया था।

अपने सपनों को साकार करने के लिए यशस्वी ने मात्र 11 साल के उम्र में अपना घर छोड़ दिया और मुंबई चले गए थे। वहां उन्हें किसी तरह मुस्लिम यूनाइटेड क्लब में एडमिशन मिल गया। बाद में क्लब ने ही उनके रहने की व्यवस्था कर दी। मुंबई जैसे बड़े शहर में घर से भेजे पैसों से काम चलाना काफी मुश्किल हो गया था, ऐसे में यशस्वी ने पानी पूरी बेच कर अपने पेट की आग बुझाई। और अब यशस्वी जयसवाल का यश पूरी दुनिया में फैल रहा है।

शोएब अख्तर ने की तारीफ

पाकिस्तान के खिलाफ यशस्वी के शतक की बदौलत भारतीय टीम ने मैच को एकतरफा कर लिया और आसानी से जीत हासिल कर ली। अंडर-19 वर्ल्डकप के सेमीफाइनल में पाकिस्तान के खिलाफ शानदार शतक बनाने वाले बल्लेबाज यशस्वी शर्मा की बातें चारो ओर हो रही है। तमाम बड़े क्रिकेटर्स उन्हें बधाई दे रहे है। रावलपिंडी एक्सप्रेस के नाम से मशहूर पूर्व पाकिस्तानी खिलाड़ी शोएब अख्तर ने भी यशस्वी जयसवाल की तारीफ में कसीदे पढ़े हैं। उन्होंने कहा कि ‘यशस्वी ने संघर्ष करके क्रिकेट की दुनिया में अपना मुकाम बनाया है और आप लिखकर ले लीजिए, वो भविष्य में भारत की सीनियर टीम में भी स्थान बनाएंगे और शोहरत हासिल करेंगे।’

ICC U19 वर्ल्डकप में टॉप स्कोरर हैं यशस्वी जयसवाल

यशस्वी जयसवाल अंडर-19 वर्ल्डकप के 5 मैचों में अब तक कुल 312 रन के साथ टॉप स्कोरर की सूची में शीर्ष पर है। उन्होंने 19 जनवरी को पहले मैच में श्रीलंका के खिलाफ 59 रनों की पारी खेली। उस मैच में भारत ने 90 रनों के बड़े अंतर से जीत हासिल की थी। 21 जनवरी को जापान के खिलाफ अंडर-19 वर्ल्डकप के दूसरे मैच में यशस्वी ने नाबाद 29 रनों की पारी खेली और भारत ने इस मैच में 10 विकेट से जीत हासिल की।

न्यूजीलैंड के खिलाफ 24 जनवरी को हुए तीसरे मैच में यशस्वी ने नाबाद 57 रनों की पारी खेली। भारतीय टीम इस मैच को 44 रनों से जीतने में कामयाब रही। भारत ने वर्ल्डकप के चौथे मैच में आस्ट्रेलिया को 74 रनों से मात दी और यशस्वी 62 रनों के साथ भारत की ओर से टॉप स्कोरर रहे। वहीं, सेमीफाइनल में पाकिस्तान के खिलाफ यशस्वी ने शतक लगा कर भारतीय टीम को फाइनल का टिकट दिला दिया। भारतीय टीम आगामी 9 फरवरी को फाइनल मैच खेलेगी।