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पुलिस की पाठशाला: IPS अधिकारी ने ऑफिस में खोला निशुल्क पुस्कालय, कुछ ऐसे की इस खास मु...

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छत्तीसगढ़ के गौरेला पेंड्रा मरवाही (GPM) जिले के SP सूरज सिंह परिहार अपने नेक कामों के लिए अक्सर सुर्खियों में बने रहते हैं। वो समाज के लिए कई अच्छे काम करते आए हैं। कुछ महीनों पहले सूरज सिंह परिहार ने एक बुक बैंक शुरू करने की बात कही थी, जिसमें उन्होनें लोगों से अपनी पुरानी और नई किताबें दान करने की अपील की थीं। परिहार की इस मुहिम में लोगों ने उन्हें खूब सपोर्ट किया और किताबें दान भी कीं। मुहिम को सफल बनाने में सोशल मीडिया की ताकत काम आई।

अब IPS सूरज सिंह परिहार ने एक निशुल्क ‘पुलिस की पाठशाला’ पुस्कालय की शुरुआत की। बिलासपुर के IG आइजी रतनलाल डांगी ने ‘पुलिस की पाठशाला’ का लोकार्पण किया, जिसका नाम शहीद शिव नारायण बघेल के नाम पर रखा गया। सूरज सिंह परिहार का कहना है कि इस पुस्तकालय में लगभग सभी कोर्स और सारे करियर एंट्रेस एग्जाम की लेटेस्ट किताबें उपलब्ध हैं।

इस वजह से की पुस्कालय की शुरुआत

IPS सूरज सिंह परिहार ने इस पुस्कालय की शुरुआत करने की पीछे की वजह बताई। उन्होनें कहा कि प्रतियोगिता परीक्षाओं की किताबे काफी महंगी होती है, छात्राओं की पढ़ाई में वित्तीय बाधा ना आए इसलिए इसकी शुरुआत की गई।

सूरज सिंह परिहार ने अपनी फेसबुक पोस्ट में इसके बारे में बताया। उन्होनें कहा कि पुलिस समाज की डॉक्टर होती है। समाज की बीमारियों को ठीक करने की जिम्मेदारियों पुलिस की होती है। पुस्तकालयर में उच्च गुणवत्ता की किताबें उपलब्ध कराकर शिक्षा और रोजगार का प्रसार ही वो दवाव है, जिससे समाज की बुरी बीमारियों को ठीक किया जा सकता है। इसलिए उन्होनें पुस्कालय की शुरुआत करने का फैसला लिया।

सूरज सिंह परिहार ने आगे ये बताया कि क्यों उन्होनें इसके लिए GPM जिले को ही चुना? उन्होनें कहा कि GPM जिला एक दूरस्थ अंचल में स्थित आदिवासी बाहुल्य जिला है। उन्होनें बताया कि अक्सर छात्र यहां पर उचित गुणवत्ता की किताबें की कमी के बारे में बात करते थे। जिले में कई बार अप टू डेट पुस्कालय की मांग की गई।

कहां से आया इसके लिए विचार?

IPS ने बताया कि इस पुस्कालय को खोलने का विचार उनके मन में कहां से आया? उन्होनें कहा कि मेरे और मेरी पत्नी के पास ऐसी कई किताबें थीं, जिसका हम सदुपयोग करना चाहते थे। लेकिन हमारे पास इतनी भी किताबें नहीं थी कि लाइब्रेरी खोल सकें। जब दंतेवाड़ा में पोस्टिंग के दौरान भटके हुए युवाओं को करीब से देखने का मौका मिला, तो इसको लेकर विचार और मजबूत हुआ। उन्होनें बताया कि कोरोना काल के दौरान उनका ये प्लान बैक सीट पर चला गया। फिर सितंबर में लोगों के आह्वान पर ट्वीट किया और सोशल मीडिया की शक्ति और समार्थ्य का फायदा उठाकर इसकी शुरुआत की।

परिहार ने अपनी फेसबुक पोस्ट में बताया कि ये निशुल्क पुस्कालय एसपी ऑफिस के आगे के दो कमरों में है, जिसमें पहले कक्ष में रिसेप्शन और इश्यू रूम है, जबकि दूसरे में सीमित संख्या में बैठकर पढ़ सकते हैं। उन्होनें कहा कि इस पुस्कालय में करीब-करीब हर कोर्स और करियर एंट्रेंस एग्जाम की सभी किताबें उपलब्ध है।

जानिए कौन हैं IPS सूरज सिंह परिहार?

ऐसा पहली बार नहीं जब IPS सूरज सिंह परिहार इस तरह का नेक काम कर रहे हो। इससे पहली भी वो कई बार अपने अच्छे कामों को लेकर सुर्खियों में आ चुके हैं। खुद सूरज सिंह परिहार ने काफी मेहनत करने के बाद अपने IPS बनने को पूरा किया। उनका ये सफर संघर्षों से भरा रहा। साल 2000 में उन्हें भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति के.आर.नारायणन के हाथों क्रिएटिव राइटिंग और कविता के लिए बाल श्री अवार्ड से नावाजा गया था।

छोटे से परिवार में जन्मे सूरज सिंह परिहार देश की सेवा करना चाहते थे। उनका सपना IPS बनने का था। आर्थिक स्थिति के चलते उन्होनें कॉल सेंटर में भी जॉब की। उन्होनें इस जॉब को छोड़कर सिविल सर्विस की तैयारी शुरू कर दी। लेकिन 6 महीनों में ही उनकी सारी सेविंग खत्म हो गई। जिसके बाद सूरज सिंह परिहार ने बैंक में भी जॉब की। 2012 में एसएससी सीजीएल की परीक्षा में उनका सेलेक्शन हो गया। जिसके बाद उन्होंने कस्टम और एक्साइज इंस्पेक्टर की नौकरी ज्वाइन कर ली।

इसके साथ ही वो सिविल सर्विस की तैयारी में भी जी जान से जुटे रहे। तीसरे प्रयास में वो अपने सपने को पूरा करने में कामयाब हुए। ट्रेनिंग के बाद उनको रायपुर में एसपी सिटी नियुक्त किया गया। वहां अच्छे कामों को देखते हुए प्रमोट किया और फिर पोस्टिंग नक्सली प्रभावित इलाके दंतेवाड़ा में हुईं। वहां उन्होनें युवाओं को जागरूक करने के लिए एक शॉर्ट फिल्म भी बनाई, जिसका नाम था ‘नई सुबह का सूरज’। वो अक्सर ही समाज के लिए अच्छे काम करने के लिए जान जाते हैं।

जानिए कैसा रहेगा 09 फरवरी को आपका दिन

जैसा कि हम सभी जानते हैं ग्रहों का प्रभाव हमारे जीवन में पड़ता है, जिसके चलते हमें कभी अच्छे तो कभी बुरे दिनों का सामना करना पड़ता। वहीं आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि आज का राशिफल आपके जीवन में क्या-क्या परिवर्तन लेकर आ सकता है। तो आइए आपको बताते हैं आज के दिन के बारे में आपके सितारे क्या कहते हैं और 09 फरवरी का दिन आपके लिए कैसा रहेगा…

मेष राशि- आपका दिन मिला जुला बीतेगा। नए कामों की शुरुआत के लिए दिन अच्छा है। विदेश से शुभ समाचार मिलने के आसार है। स्वास्थ्य डामाडोल रहेगा।

वृषभ राशि- आपका दिन अच्छा बीतेगा। कामों में आ रही बाधाएं कम होगी। जल्दबाजी में कोई भी काम करना भारी पड़ सकता है। पैसों से जुड़ा लेन-देन ना करें।

मिथुन राशि- आपका दिन सामान्य रहेगा। घर में सुख शांति का माहौल रहेगा। आज के दिन जीवनसाथी के साथ थोड़ी अनबन होने के आसार है। आर्थिक स्थिति में सुधार आएगा।

कर्क राशि- आज का दिन आपका ठीक ठाक रहेगा। दोस्तों के साथ अच्छा समय बिताएंगे। कार्यक्षेत्र में बढ़िया वक्त बिताएंगे। आर्थिक स्थिति थोड़ी डामाडोल रहेगी।

सिंह राशि- आपका दिन ठीक रहेगा। कामों में आ रही रुकावटें दूर होगी। आज आप एक नई ऊर्जा के साथ सभी काम करेंगे। आत्मविश्वास से भरपूर रहेंगे।

कन्या राशि- आपका दिन अच्छा रहेगा। घर में हर्षोल्लास का माहौल रहेगा। आज आपको थोड़ी भाग-दौड़ करनी पड़ सकती है। मेहनत के नतीजे मिलेंगे।

तुला राशि- आपका दिन ठीक ठाक बीतेगा। घर में सुख शांति का माहौल रहेगा। आज के दिन आपका स्वास्थ्य थोड़ा खराब रहेगा। किसी भी काम में मन नहीं लगेगा।

वृश्चिक राशि- आपका दिन तनाव से भरा हुआ बीतेगा। कार्यक्षेत्र में आज किसी के साथ टकराव हो सकता है। आपका मन उदास रहेगा। हर परिस्थति में कुछ खास करीबियों का साथ जरूर मिलेगा।

धनु राशि- आपके दिन की शुरुआत बहुत अच्छी होगी। सुबह सुबह संतान की तरफ से अच्छी खबर मिलने के आसार है। आपका मन प्रसन्न रहेगा। आज किस्मत का भी भरपूर सहयोग मिलेगा।

मकर राशि- आपका दिन सामान्य बीतेगा। कार्यों में आ रही बाधाएं कम होगी। आज के दिन आपका मन धार्मिक कार्यों में लगेगा। जरूरतमंद की मदद जरूर करें।

कुंभ राशि- दिन आपका मिला जुला बीतेगा। पारिवारिक जीवन में तनाव रहने के आसार है। किसी करीबी का स्वास्थ्य आपकी चिंता बढ़ाएगा। कोई भी बड़ा फैसला आज के दिन सोच-समझकर ही लें।

मीन राशि- आपका दिन शानदार बीतेगा। आर्थिक स्थिति मजबूत होगी। रुका हुआ पैसा मिलने की उम्मीद है। घर का माहौल आज हर्षोल्लास से भरा रहेगा।

IND vs ENG Day 4 updates: अश्विन के आगे इंग्लैंड ने किया सरेंडर, जीत के लिए 420 का लक...

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भारत और इंग्लैंड (IND vs ENG Day 4) के बीच चेन्नई के एमए चिदंबरम स्टेडियम में टेस्ट सीरीज का पहला मैच खेला जा रहा है। इंग्लैंड ने पहली पारी में 578 रनों का विशाल स्कोर खड़ा किया। जिसके जवाब में भारतीय टीम पहली पारी में 357 रनों पर सिमट गई। डॉम बेस ने भारत को कम स्कोर पर रोकने में बड़ी भूमिका निभाई।

उन्होंने 4 भारतीय बल्लेबाजों को चलता किया। उनके अलावा जेम्स एंडरसन, जोफ्रा आर्चर और लीच ने 2-2 विकेट चटकाए। इंग्लैंड की दूसरी पारी 178 रनों पर सिमट गई है। अब भारत को जीत के लिए 420 रनों की जरुरत है।  चौथे दिन का खेल खत्म होने तक भारत ने 1 विकेट के नुकसान पर 39 रन बना लिए है।

अश्विन ने दूसरी पारी में चटकाए 6 विकेट

इंग्लैंड की दूसरी पारी कुछ खास नहीं रही। पारी के पहले ही गेंद पर अनुभवी स्पीनर आर अश्विन ने रॉरी बर्न्स को चलता किया। बर्न्स शून्य पर चलते बने। जिसके बाद डॉमनिक सिब्ले और डेनियल लॉरेंस ने पारी को संभालने की कोशिश की। लेकिन अश्विन ने सिब्ले को पुजारा के हाथों कैच कराकर इंग्लैंड को दूसरा झटका दिया। डेनियल लॉरेंस के रुप में इंग्लैंड को तीसरा झटका लगा।

इशांत शर्मा ने लॉरेंस को आउट कर टेस्ट क्रिकेट में अपना 300 विकेट पूरा किया। जिसके बाद बल्लेबाजी करने आए बेन स्टोक्स के साथ इंग्लिश कप्तान जो रुट ने पारी को आगे बढ़ाया। लेकिन दूसरी पारी में स्टोक्स भी सस्ते में चलते बने। बेन स्टोक्स ने 7 रनों की पारी खेली और अश्विन के शिकार बने। दूसरे छोर पर जो रुट मजबूती के साथ अड़े हुए थे और एक बार फिर बड़े स्कोर की ओर बढ़ते जा रहे थे।

लेकिन यॉर्कर किंग जसप्रीत बुमराह ने रुट को एलबीडबल्यू कर इंग्लैंड को 5 वां झटका दिया और साथ ही इंग्लैंड की उम्मीदों पर पानी भी फेर दिया। पहली पारी में 19 चौके और 1 छक्के की मदद से दोहरा शतक जड़ने वाले इंग्लैंड के कप्तान जो रुट दूसरी पारी में भी टीम की ओर से टॉप स्कोरर है। उन्होंने दूसरी पारी में 40 रनों की पारी खेली। उनके बाद पोप और बटलर अपना दूसरा टेस्ट मैच खेल रहे शाहबाज नदीम के शिकार बने।

पुच्छले बल्लेबाजों को अश्विन ने चलता किया। अश्विन ने बेस, आर्चर और एंडरसन के विकेट झटके, जिसके साथ ही उन्होंने दूसरी पारी में कुल 6 विकेट चटका लिए हैं। जबकि पहली पारी में अश्विन ने 3 बल्लेबाजों को आउट किया था। यानी इंग्लैंड के खिलाफ अश्विन ने पहले टेस्ट मैच में 9 विकेट चटकाए हैं।

जीत के लिए 420 रन

भारत को जीत के लिए 420 रनों का दारोमदार है। (IND vs ENG Day 4) ओपनर बल्लेबाज रोहित शर्मा, इंग्लैंड के स्पीनर गेंदबाज जैक लीच के शिकार बन चुके हैं। चेतेश्वर पुजारा (12) और शुभमन गिल (15) पीच पर टिके हुए हैं। किसी भी टीम के लिए चौथी पारी में इतना बड़ा स्कोर हासिल करना आसान नहीं है। ऐसे में भारतीय टीम को अगर अच्छी साझेदारियां मिलती हैं तो वे जरुर जीतने का प्रयास करेंगे। लेकिन अगर मध्यक्रम की बल्लेबाजी में उतार चढ़ाव आया तो निश्चित तौर पर भारतीय टीम इस मैच को ड्रॉ कराने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी।

Uttarakhand Tradegy: 1991 भूकंप से लेकर चमोली त्रासदी तक…जानिए कब-कब देवभूमि पर...

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देवभूमि उत्तराखंड को एक बार फिर से भयंकर प्राकृतिक आपदा का सामना करना पड़ रहा है। चमोली में ग्लेशियर फटने की वजह से बड़ी तबाही का मंजर देखने को मिल रहा है। अब तक 19 लोगों के शव बरामद किए जा चुके हैं। वहीं बड़ी संख्या में लोग अभी भी लापता बताए जा रहे हैं। 30 घंटों से भी ज्यादा समय से रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है।

उत्तराखंड में घटी इस घटना ने पूरे देश को हिला कर रख दिया। देशभर में इस त्रासदी की चपेट में आए लोगों की सलामती के लिए दुआएं मांगी जा रही है। वैसे ऐसा पहली बार नहीं जब देवभूमि पर प्राकृतिक आपदा ने इस कदम कहर बरपाया हो। पहले भी ऐसा कई बार हो चुका है। आइए आपको आज हम बताते हैं कि आखिर कब कब उत्तराखंड ने भयंकर प्राकृतिक आपदाओं का सामना किया…

उत्तरकाशी में आया 1991 में भूकंप

अविभाजित उत्तर प्रदेश में 1991 के अक्टूबर महीने में भूकंप ने तबाही मचाई थीं। भूकंप की तीव्रता 6.8 मापी गई थी। इस आपदा में 768 लोगों की जान गई थी, जबकि हजारों घर तबाह हुए। भूकंप में उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र समेत पश्चिमी यूपी के कई इलाके भी प्रभावित हुए थे।

लैंडस्लाइड ने तबाह किया ये गांव

18 अगस्त 1998 में भूस्खलन की वजह से पिथौरागढ़ जिले का एक छोटा सा गांव माल्पा बर्बाद हो गया था। इस हादसे में करीबन 255 लोगों की मौत हुई थी, जिसमें 55 ऐसे भी लोग शामिल थे, जो कैलाश मानसरोवर यात्रा का हिस्सा थे।

1999 में चमोली को भूकंप ने हिलाया

इससे पहले चमोली में 1999 में एक 6.8 की तीव्रता से भूकंप भी आया था, जिसमें 100 से अधिक जानें चली गई थीं। इस भूकंप की वजह से पड़ोसी जिले रुद्रप्रयाग को भी भारी नुकसान पहुंचा था। चमोली में आए इस भूकंप की वजह से सड़कों और जमीनों में दरारें आई थीं।

केदारनाथ में आई भयंकर आपदा

साल 2013 में केदारनाथ में आई आपदा को कभी भूलाया नहीं जा सकता। 2013 के जून महीने में केदारनाथ में हुई मूसलाधार बारिश की वजह से वहां पर बाढ़ जैसे हालात पैदा हो गए। इसी दौरान उत्तरकाशी में बादल फटने की वजह से केदारनाथ में जल स्तर और तेजी से बढ़ने गया। कई जगहों पर लैंडस्लाइट की घटनाएं हुई। सैकड़ों घर उजड़े। सबसे ज्यादा तबाही मची केदारनाथ में। केदारनाथ मंदिर को भारी नुकसान पहुंचा। रामबाड़ा मलबे में तब्दील हो गया। इस घटना में हजारों की संख्या में लोगों की मौत हुई थी, जबकि काफी बड़ी संख्या में लोग घायल हुए। अब 2013 के बाद उत्तराखंड एक और बड़ी आपदा का सामना कर रहा है।

महाराष्ट्र सरकार का बड़ा फैसला, क्रिकेटर, बॉलीवुड हस्तियों के ट्वीट्स की होगी जांच

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किसान आंदोलन की गूंज अब देश के साथ विदेशों तक पहुंच चुकी है। विदेश के कई सेलिब्रिटी किसान आंदोलन को लेकर लगातार ट्वीट कर रहे हैं। पिछले दिनों पॉप सिंगर रेहाना ने किसान आंदोलन को लेकर ट्वीट किया था और कहा था हम इस मुद्दे पर बात क्यों नहीं कर रहें?

रेहाना के ट्वीट करने के बाद कुछ अन्य विदेशी सेलिब्रिटियों ने भी ट्वीट किया था। जिसके बाद भारतीय विदेश मंत्रालय की ओर से कहा गया था कि जल्दीबाजी में कमेंट करने से पहले तथ्यों की जांच की जानी चाहिए। उसके बाद भारत के कई बड़े अभिनेता, सिंगर और क्रिकेटरों ने भारत के आंतरिक मामलों में बोलने वालों पर जबरदस्त पलटवार किया था और प्रतिक्रिया दी थी।

खबरों के मुताबिक अब बॉलीवुड-खेल से जुड़ीं विभिन्न हस्तियों द्वारा ट्वीट्स किए जाने के मामले में उद्धव सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। महाराष्ट्र सरकार ने इन सेलिब्रिटीज द्वारा ट्वीट्स किए जाने को लेकर जांच के आदेश दिए हैं।

जानें क्या है पूरा मामला?

दरअसल, इस मामले पर विदेश मंत्रालय द्वारा प्रतिक्रिया देने के बाद बॉलीवुड अभिनेता अक्षय कुमार, अजय देवगन, लता मंगेशकर, पूर्व क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर, भारतीय कप्तान विराट कोहली समेत कई हस्तियों ने ट्वीट्स किए थे। इन ट्वीट्स में उन्होंने इंडिया टुगेदर और इंडिया अगेंस्ट प्रोपेगैंडा के हैशटैग भी लगाए थे। इन ट्वीट्स की शिकायत कांग्रेस ने की थी और आरोप लगाया था कि ज्यादातर ट्वीट्स का एक ही पैटर्न था।

मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने भी सितारों के ट्वीट्स को लेकर केंद्र सरकार पर सवाल उठाए थे। उन्होंने कहा था कि केंद्र सरकार को लता मंगेशकर और सचिन तेंदुलकर को उसके रुख के समर्थन में ट्वीट करने के लिए नहीं कहना चाहिए था और उनकी प्रतिष्ठा को दांव पर नहीं लगाना चाहिए था। अब उन्हें सोशल मीडिया पर ट्रॉलिंग का सामना करना पड़ेगा।

महाराष्ट्र सरकार ने इंटेलिजेंस विभाग को काम पर लगाया

अब महाराष्ट्र सरकार ने इन ट्वीट्स की जांच के लिए इंटेलिजेंस विभाग की टीम को लगा दिया है। खबरों के मुताबिक विभाग इस बात की जांच करेंगा कि क्या इन सितारों ने किसी के दबाव में आकर ट्वीट किए थे? बता दें, दिल्ली की बॉर्डरों पर किसान पिछले 74 दिन से आंदोलन कर रहे हैं और केंद्र सरकार से नए कृषि कानूनों को वापस करने की मांग कर रहे हैं।

केंद्र सरकार और किसान नेताओं के बीच 11 दौरे की बातचीत भी हो चुकी है। उम्मीद लगाई जा रही है कि आने वाले कुछ ही दिनों में किसान नेता और सरकार के बीच में बैठक हो सकती है और इस मामले का समाधान निकालने का प्रयास भी किया जा सकता है।

इस रहस्यमयी कुंड के कई अनसुलझे राज का वैज्ञानिक भी नहीं लगा सके पता, नहाने से ये रोग ...

दुनियाभर में कई एक से बढ़कर एक नजारें हैं, जिन्हें कई बार आंखे केवल निहारना ही चाहती हैं और कई तो ऐसे भी नजारे होते हैं जो काफी हैरान कर देने वाले होते हैं. कई इमारते, किले, कोई प्राचीन मंदिर या फिर जलकुंड ये भी उन में से एक ही हैं. जो देखने में जीतने अनोखे होते हैं उतने ही रहस्यमय से भरे हुए होते हैं, अगर बात करें जलकुंड की तो दुनिया में कई ऐसे भी जलकुंड हैं जिनके रहस्य जानकर हैरान होने में कोई दोहराए की बात नहीं है.

वहीं, आज हम आपको भारत के ही एक ऐसे जलकुंड के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसके रहस्य और अनसुलझे राज के बारे में जानकर आप हैरत में पड़ सकते हैं. तो आइए आपको इस रहस्यमय जलकुंड के बारे में विस्तार से बताते हैं…

ताली बजाते ही कुंड से पानी ऊपर

दरअसल, हम जिस रहस्यमय जलकुंड की बात कर रहे हैं वो झारखंड के बोकारो जिल में स्थित है. ऐसा कहा जाता है कि यहां के जलकुंड के सामने अगर ताली बजाई जाती है तो पानी अपने आप ऊपर उठने लगता है. जिसे देखकर आपको ऐसा लगेगा मानों किसी बर्तन में पानी का उबाल आ रहा हो. आज तक इस रहस्य का पता कोई भू-वैज्ञानिक भी नहीं लगा पाया है.

कुंड का एक और रहस्य अनसुलझा

आपको बता दें कि इस जलकुंड को दलाही कुंड(dalahi kund) के नाम से भी जाना जाता है. ये कुंड कंक्रीट की दीवारों से घिरा हुआ है. ताली बजाकर पानी ऊपर आने के अलावा इस कुंड का एक और रहस्य ये है कि कुंड का जल गर्मियों में ठंडा और सर्दियों में गर्म निकलता है, इसके बारे में भी अभी तक कोई वैज्ञानिक पता नहीं लगा सका है.

कुंड को लेकर लोगों में मान्यता

दलाही कुंड को लेकर लोगों की ये मान्यता है कि इस कुंड में नहाने वाले चर्म रोगियों का ये रोग दूर हो जाता है. जिसके चलते इस कुंड में नहाने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं. वहीं, भू-वैज्ञानिकों के अनुसार इस कुंड में नहाने से अगर चर्म रोग दूर होता है तो इसका मतलब ये है कि इस कुंड के पानी में गंधक और हीलियम गैस मिली हुई है.

मकर संक्रांति पर लगता है मेला

हर साल मकर संक्रांति के मौक पर यहां मेला लगता है. इस दौरान दूर-दूर से लोग कुंड में नहाने आते हैं. इस कुंड के पास ही दलाही गोसाईं नामक देवता का स्थान है और हर रविवार को पूजा करने के लिए श्रद्धालु आते हैं.

भारत में दोषियों को मौत की ‘फांसी’ ही क्यों? जानें दुनियाभर में कैसे दिया जाता है मृत...

देखा जाए तो भारत में हर साल कई लोगों को फांसी की सजा सुनाई जाती है लेकिन आंकड़े तो कुछ और ही गवाही देते हैं. क्योंकि सजा सुनाई तो जाती है लेकिन अमल उस पर बहुत ही कम हो पाता है. बता दें साल 1991 से लेकर अभी तक सिर्फ 16 लोग ऐसे हैं जिनको फांसी पर लटकाया गया है. लेकिन भारत के अलावा ऐसे कई देश हैं जिनको अलग अलग तरीके से मौत की सजा सुनाई जाती है. आइये जाने भारत में मौत के लिए क्यों निर्धारित की गई है फांसी की सजा और दुनिया के बाकी देश कौन सा तरीका अपनाते हैं?

भारत में क्यों होती है फांसी ?

दरअसल ये पृथा ब्रिटिश काल से चली आ रही है. इसकी शुरुआत ब्रिटेन के विलियम मारवुड ने 1872 से की थी. इसमें जब तक दोषी की गर्दन न टूट जाए तब तक उसे फंदे से लटका कर रखा जाता है. भारत में स्वतंत्रता के बाद सबसे पहले फांसी की सजा महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे और नारायण आप्टे को दी गई थी. आंकड़ों की मानें तो कि साल 2018 में दुनिया के 20 देशों में कम से कम 690 लोगों को मौत की सजा दी गई. इसमें चीन सबसे पहले नंबर पर आता है.

दुनियाभर में फांसी देने के तरीके

फांसी – फांसी की सजा दोषी को मौत देने का सबसे आम तरीका है. साल 2014 तक का रिकॉर्ड देखें तो ईरान में 369 लोगों को फांसी की सजा दी जा चुकी थी. 26 अप्रैल 2014 को एक ईरानी कैदी को बलात्कार का दोषी पाए जाने के बाद सार्वजनिक रूप से फांसी पर लटका दिया गया था. एक अन्य ईरानी ने 2007 में सड़क पर लड़ाई में एक युवक की चाकू से गोदकर हत्या करने का दोषी मानते हुए 15 अप्रैल को फांसी दे दी थी. 2013 में फांसी देने वाले अन्य देशों में अफगानिस्तान, बांग्लादेश, बोत्सवाना, भारत, इराक, जापान, कुवैत, मलेशिया, नाइजीरिया, गाजा में फिलिस्तीनी प्राधिकरण, दक्षिण सूडान और सूडान शामिल हैं.

फायरिंग स्क्वाड – इंडोनेशिया में फायरिंग स्क्वाड मौत की सजा के लिए सबसे ज्यादा अपनाया जाता है. इसमें बारह सशस्त्र जल्लाद कैदी को सीने में गोली मारते हैं. अगर कैदी अभी भी मृत नहीं है, तो कमांडर अंतिम गोली जारी सिर में शूट करता है. एक बहुप्रचारित मामले में, जनवरी 2013 में इंडोनेशिया ने 56 वर्षीय ब्रिटिश महिला लिंडसे सैंडिफ़ोर्ड को बाली के नगुराह राय अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे में कोकीन की तस्करी के आरोप में फायरिंग स्क्वाड द्वारा मौत की सजा सुनाई थी. 2013 में फायरिंग स्क्वाड द्वारा अंजाम देने वाले अन्य देशों में चीन, उत्तर कोरिया, सऊदी अरब, सोमालिया, ताइवान और यमन शामिल हैं. इसको यूनाइटेड अरब एमिरेट्स भी ज्यादातर अपनाता है.

सिर काटना– सऊदी अरब दुनिया का एकमात्र ऐसा देश है, जहां पर मृत्युदंड में सिर काटा जाता है. साल 2013 में, सऊदी अरब ने पांच यमनी पुरुषों और एक सऊदी को मार दिया था. यमनी पुरुषों को एक सशस्त्र गिरोह बनाने, सशस्त्र डकैती और हत्या का दोषी ठहराया गया था. सऊदी को हत्या का भी दोषी ठहराया गया था. इस सजा में सार्वजनिक जगह पर दोषियों का सिर तलवार से काट दिया जाता है.

जानलेवा इंजेक्शन –  वैसे तो मृत्यु का अंतिम परिणाम मृत्युदंड के सभी तरीकों में समान है, लेकिन इसके बावजूद जहरीले इंजेक्शन को अक्सर सबसे कम क्रूर के रूप में देखा जाता है. इन सब में कैदी में ड्रग्स की घातक खुराक को इंजेक्ट करना यूएस में मृत्यु दंड का प्राथमिक तरीका बन गया है. हालांकि, घातक दवाओं के साथ आपूर्ति करने वाले राज्यों से जुड़े विवाद के परिणामस्वरूप, दवा कंपनियों ने घातक उपयोग के लिए अपनी दवाओं की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया है.

बिजली से मौत – संयुक्त राज्य अमेरिका 2013 में इलेक्ट्रोक्यूशन का उपयोग करते हुए मृत्युदंड की सजा देने वाला एकमात्र देश है. 42 साल के दो कैदियों की हत्या के दोषी 42 साल के रॉबर्ट ग्लिसन जूनियर को 16 जनवरी, 2013 को वर्जीनिया में इलेक्ट्रिक चेयर का इस्तेमाल करके मार डाला गया था.

2019 के बाद शतक नहीं लगा पाए हैं कोहली, गावस्कर ने कहा- वह जल्द खेलेंगे बड़ी पारी

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भारत और इंग्लैंड के बीच टेस्ट सीरीज का पहला मैच खेला जा रहा है। इंग्लैंड की टीम ने कप्तान जो रुट के दोहरे शतक की मदद से पहली पारी में 578 रन बनाए थे। जिसके जवाब में भारतीय टीम (IND vs AUS Chennai Test) पहली पारी में 337 रनों पर ढ़ेर हो गई। चेतेश्वर पुजार को छोड़कर शीर्ष क्रम का अन्य कोई भी बल्लेबाज अच्छी पारी नहीं खेल पाया।

पुजारा, ऋषभ पंत और निचले क्रम में बल्लेबाजी करने आए वाशिंगटन सुंदर की पारियों ने भारत को संभाला और भारत 337 रन बनाने में कामयाब रहा। इंग्लैंड के कप्तान जो रुट ने अपनी टीम को आगे से लीड किया और पहली पारी में भारतीय गेंदबाजों की जमकर खबर ली। रुट ने 19 चौके और 1 छक्के की मदद से 218 रनों की शानदार पारी खेली थी।

जिसके बाद भारतीय टीम के फैंस उम्मीद जता रहे थे कि इंग्लैंड के खिलाफ वापसी करने वाले भारतीय कप्तान विराट कोहली (Virat Kohli) भी टीम को फ्रंट से लीड करेंगे और बड़ी पारी खेलेंगे। लेकिन विराट कोहली पहली पारी में मात्र 11 रन ही बना पाए। इसी बीच पूर्व भारतीय कप्तान सुनील गावस्कर ने विराट कोहली के परफॉरमेंस को लेकर प्रतिक्रिया दी है।

दबाव में बेहतर खेलते हैं कोहली

सुनील गावस्कर (Sunil Gavaskar) ने कहा है कि दबाव में कोहली (Virat Kohli) का प्रदर्शन काफी बेहतर होता है और वह जल्द ही कोई बड़ी पारी खेलेंगे। गावस्कर ने स्टार नेटवर्क से कहा, ‘जब आप नंबर चार पर बल्लेबाजी करने उतरे हैं तो स्कोर 200/2 रहता है। ऐसे में आप सोचते हैं कि बल्लेबाजी करना आसान है, वह अब जानते हैं कि बल्लेबाजी करना आसान नहीं है और उन्हें इस पर ध्यान लगाना होगा।‘

बड़ी पारी खेलने के करीब है कोहली

पूर्व भारतीय बल्लेबाज (Sunil Gavaskar) ने कहा, ‘मैं समझता हूं कि वह एक बड़ी पारी खेलने के करीब हैं। पिछले साल ऐसा पहली बार हुआ था, जब उनके बल्ले से किसी भी फॉर्मेट में शतक नहीं आया था। इससे पहले लगातार 7-8 सालों से कोहली के बल्ले से पांच-छह शतक देखने को मिलते थे। मुझे पता है कि पिछले साल कोरोना महामारी से क्रिकेट प्रभावित हुआ था, लेकिन कोहली के बल्ले से शतक नहीं आना काफी दुर्लभ संयोग था। मुझे उम्मीद है कि वह 2021 में इसे बदलना चाहेंगे।‘

कोहली ने 2019 में लगाया था शतक

बता दें, भारतीय कप्तान विराट कोहली ने अपना अंतिम शतक 2019 में बांग्लादेश के खिलाफ कोलकाता के इडेन गार्डन में खेले गए डे-नाइट टेस्ट मैच के दौरान लगाया था। उसके बाद से ही क्रिकेट के किसी भी फॉरमेट में वह शतक लगाने में नाकाम रहे हैं। जिसे लेकर लगातार सवाल भी उठ रहे हैं। पिछले एक साल से विराट कोहली टेस्ट, वनडे और टी-20 में कुल 853 रन ही बना पाए हैं। कोहली ने टेस्ट की पिछली 7 पारियों में एक अर्धशतक समेत सिर्फ 127 रन बनाए हैं।

अब क्या है ड्रैगन की मंशा? जिनपिंग ने सेना को ‘जंग की तैयारी’ का दिया मैसेज, बढ़ा रहा...

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भारत और चीन के बीच बीते कुछ महीनों में रिश्ते काफी खराब हुए। LAC पर लगातार तनातनी का माहौल बना हुआ है। दोनों देशों के बीच 9 दौर की बातचीत भी हो चुकी है, लेकिन विवाद का हल कुछ नहीं निकल पा रहा। लेकिन बातचीत की टेबल पर जो चीन इस पूरे मसले को सुलझाने की बात कहता है, वहीं वो जमीनी स्तर पर इसे लागू नहीं करता। चीन कई बार पीठ में छुरा घोंपने का काम कर चुका है।

एक बार फिर से ड्रैगन की मंशा पर शक गहराने लगा है। दरअसल, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अपनी PLA को युद्ध के लिए तैयार रहने के निर्देश दिए। चीन की मीडिया का ये कहना है कि चीनी राष्ट्रपति का ये बयान भारत और ताइवान के साथ चल रहे तनावपूर्ण रिश्ते के लिए दिया गया।

वहीं चीन द्वारा पैंगोंग झील वाले क्षेत्र में नए सिरे से बड़ी संख्या में सैनिकों की तैनाती, मिसाइल और हथियार इकट्ठे करने की खबरें भी आ रही हैं। इंडियन नेशनल सिक्योरिटी प्लानर्स के मुताबिक तीनों सेक्टरों में PLA नई तैनाती कर रहा है। सैनिकों और भारी सैन्य उपकरणों को एक जगह से दूसरी जगह भेजा जा रही है। साथ में चीन पैंगोंग त्सो के फिंगर क्षेत्रों में नया निर्माण कर भारत को उकसाने की कोशिश की जा रही है।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पूर्वी लद्दाख के चुमार में LAC से केवल 82 किलोमीटर की दूरी पर स्थित शिंकाने पीएलए कैंप के आसपास चीन ने 35 भारी सैन्य वाहन, चार 155 एमएम पीएलजेड, 83 सेल्फ प्रोपेल्ड होवित्जर तैनात किए।

वहीं चीन की हर हरकत पर पैनी नजर बनाए रखने के लिए भारत भी उत्तरी सीमाओं पर अपनी सर्विलांस क्षमता बढ़ाने जा रहा है। वहां पर बड़ी संख्या में ड्रोन, सेंसर, सैनिक सर्वेक्षण और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध उपकरण तैनात किए जाएंगे, जिससे चीनी सेना की गतिविधियों पर नजर रखी जा सके।

गौरतलब है कि चीन और भारत के बीच तनातनी का माहौल बीते साल अप्रैल-मई के महीने से चला आ रहा है। ये टकराव तब और गहरा गया था, जब जून के महीने में गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों में हिंसक झड़प हुई और भारतीय सेना 20 जवान शहीद हो गए। चीन ने झड़प के दौरान मारे गए अपने सैनिकों के सच को आज तक छिपा कर  रखा हुआ है। हालांकि बताया जाता रहा है कि चीन को भी इस दौरान काफी नुकसान पहुंचा। इसके बाद से कई बार भारत और चीन आमने-सामने आ चुके है।

जब दोनों देशों के बीच बातचीत होती है, तब तो चीन विवाद को बातचीत के जरिए सुलझाने की बात कहता हुआ नजर आता है। लेकिन जमीनी स्तर पर वो इसे लागू नहीं करता। चीन की हर हरकत से भारत काफी वाकिफ है, इसलिए पहले से ज्यादा कई सतर्क भी।

कोरोना का विश्व में खौफनाक साया, जानें इससे पहले किन खतरनाक वायरसों ने दुनिया को डराय...

वैश्विक महामारी कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया को डराया. चीन के वुहान से फैले इस वायरस ने धीरे धीरे दुनियाभर में अपने पैर पसारे और करोड़ों लोगों को मौत की नींद सुला दिया. सुपरपॉवर अमेरिका में इस वायरस ने सबसे ज्यादा कहर बरपाया. कोरोना ऐसा पहला वायरस नहीं, जिसने इतनी तबाही मचाई. इससे पहले भी ऐसे कई खतरनाक वायरस आए हैं जिन्होंने दुनिया में दहशत का माहौल पैदा कर दिया था. आइये जानते हैं कौन से थे वो वायरस.

इबोला वायरस

इबोला वायरस की खोज सबसे पहले 1976 में इबोला नदी के पास हुई थी जो अब कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य है. तब से, वायरस समय-समय पर लोगों को संक्रमित करता आया है. 2014 में पश्चिमी अफ्रीका में इसके फैलने से बड़ी संख्या में लोगों की मौत हुई थी. इसमें करीब 74 प्रतिशत संक्रमण परिवार के सदस्यों से हुआ था. इबोला एक दुर्लभ लेकिन घातक वायरस है जो बुखार, शरीर में दर्द और दस्त का कारण बनता है. इससे कभी-कभी शरीर के अंदर और बाहर ब्लीडिंग होती है. जैसे ही वायरस शरीर में फैलता है, यह प्रतिरक्षा प्रणाली और अंगों को नुकसान पहुंचाता है. इससे संक्रमित मरीजों के मरने के स्थिति 90 प्रतिशत होती है.

मारबर्ग वायरस

मारबर्ग वायरस की सबसे पहले पहचान 1967 में की गयी थी. ये बीमारी युगांडा के कुछ बंदरों में पायी गयी जिससे जर्मनी में लैब में काम करने वाले लोग इसका शिकार हो गए थे. दरअसल इन बंदरों को जर्मनी में इम्पोर्ट किया गया था. इसके लक्षण इबोला से काफी मिलते जुलते थे. इससे संक्रमित व्यक्ति को तेज बुखार और ब्लीडिंग जिसके बाद शरीर के अंग निष्क्रिय होते चले जाते थे. और फिर उस व्यक्ति की मौत हो जाती थी. 1998-2000 में फैली इस बीमारी से 80 फीसद से ज्यादा मौत हुई थी.

एचआईवी

ये माना जाता है कि HIV कांगो के लोकतांत्रिक गणराज्य में किंशासा से 1920 में उत्पन्न हुआ था. ये चिंपांज़ी से इंसानों में आया है. 1980 से पहले किसी को सही रूप से इस बीमारी की जानकारी भी नहीं थी. 1980 तक, एचआईवी पहले से ही पांच महाद्वीपों (उत्तरी अमेरिका, दक्षिण अमेरिका, यूरोप, अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया) में फैल गया होगा. इस अवधि में, 100,000 से 300,000 लोगों का पहले ही संक्रमित होने का अनुमान है. ये वायरस इतना खतरनाक है कि अभी तक इस ये बीमारी लाइलाज है. अगर सही समय पर बीमारी का पता चल जाए तो पीड़ित की जान बचाई जा सकती है.

​स्मॉलपॉक्स या चेचक

1980 में दुनिया को चेचक मुक्त घोषित किया गया. उससे पहले इंसान हजारों साल तक चेचक से जूझते रहे हैं. बड़ी संख्या में चेचक से लोगों की मौत हुई. अकेले 20वीं सदी में करीब 30 करोड़ लोग इसकी वजह से मारे गए थे.