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बेहद शर्मनाक! बेज़ुबान बिल्ली की हत्या, हैवानियत का वीडियो वायरल

Cat brutally killed: हाल ही में केरल से एक दिल दहला देने वाली खबर सामने आई है। जहाँ एक 32 साल के शख्स ने न सिर्फ़ एक मासूम बिल्ली की बेरहमी से हत्या कर दी, बल्कि उसका वीडियो बनाकर इंस्टाग्राम पर शेयर भी कर दिया। कहा जा रहा है कि आरोपी ने सोशल मीडिया पर मशहूर होने के लिए ऐसा किया। तो चलिए आपको इस लेख में पूरे मामले के बारे में विस्तार से बताते है।

फेमस होने के लिए मासूम बिल्ली हत्या 

आज के दौर में लोगों में सोशल मीडिया का क्रेज काफी बढ़ गया है। यह सिर्फ़ एक-दूसरे से जुड़ने का ज़रिया नहीं, बल्कि लोगों की ज़िंदगी का अहम हिस्सा बन गया है। सुबह उठने से लेकर रात को सोने तक लोग अपने फ़ोन और कंप्यूटर पर फ़ेसबुक, इंस्टाग्राम, ट्विटर और यूट्यूब जैसे सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर समय बिताते हैं। खैर, ये सब तो ठीक है, लेकिन सोशल मीडिया पर मशहूर होने के लिए लोग कोई भी हद पार कर रहे हैं। जी हाँ, ऐसा ही एक वीडियो सोशल मीडिया पर काफ़ी वायरल हो रहा है। जिसमें साफ़ देखा जा सकता है कि कैसे एक शख़्स एक बिल्ली को बेरहमी से मार डालता है।

दरअसल, ये बेहद चौंकाने वाला मामला है। केरल (Kerala) के पलक्कड़ ज़िले (Palakkad district) के चेरपुलस्सेरी (Cherpulassery) निवासी 32 वर्षीय शजीर इंटरनेट सेंसेशन बनने की चाहत में एक मासूम बिल्ली का हत्यारा बन बैठा। उसने न सिर्फ़ बेज़ुबान जानवर को बेरहमी से मार डाला, बल्कि इस घिनौनी हरकत का वीडियो बनाकर सोशल मीडिया (Social Media) पर शेयर भी कर दिया।

पुलिस ने किया शॉकिंग खुलासा

सोशल मीडिया पर यह वीडियो वायरल होते ही लोगों का गुस्सा फूट पड़ा। शजीर के इस अमानवीय कृत्य की हर तरफ से आलोचना होने लगी। वहीं, मामले की गंभीरता को देखते हुए एक पशु अधिकार कार्यकर्ता ने तुरंत पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पुलिस जांच में और भी चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है। पता चला है कि बिल्ली के साथ यह क्रूरता केरल में नहीं, बल्कि तमिलनाडु के कोयंबटूर में की गई थी।

वही पुलिस ने बताया कि आरोपी शजीर ने पहले बिल्ली को बड़े प्यार से खाना खिलाया, फिर उसे बेरहमी से मार डाला। इसके बाद उसने मरी हुई बिल्ली के कुछ अंगों का वीडियो बनाकर अपनी इंस्टाग्राम स्टोरी पर शेयर कर दिया। मीडिया रिपोर्ट्स से मिली जानकारी के अनुसार आरोपी ने सोशल मीडिया पर लाइक्स और फॉलोअर्स बढ़ाने के जुनून में यह घिनौना कृत्य किया था।

आरोपी पुलिस हिरासत में

फिलहाल, आरोपी पुलिस हिरासत में है और उससे पूछताछ जारी है। उसके खिलाफ भारतीय दंड संहिता (बीएनएस) की धारा 325 और पशु क्रूरता निवारण अधिनियम की धारा 11(1) के तहत मामला दर्ज किया गया है। इसके अलावा पुलिस उसके सोशल मीडिया अकाउंट्स की भी जांच कर रही है।

Rahul Gandhi vs ECI Row: राहुल के 5 तीखे सवाल और EC का जवाब: “273 साल लगेंगे CCTV देख...

Rahul Gandhi vs ECI Row: कांग्रेस सांसद और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने चुनाव आयोग (ECI) को लेकर एक बार फिर सियासी माहौल गरमा दिया है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर चुनाव आयोग पर गंभीर सवाल उठाए, जिसे आयोग ने “फर्जी और बेबुनियाद” बताया है। इस तीखी नोकझोंक ने भारतीय लोकतंत्र और चुनावी प्रक्रियाओं को लेकर बहस को फिर से हवा दे दी है।

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राहुल गांधी के पांच सीधे सवाल- Rahul Gandhi vs ECI Row

राहुल गांधी ने अपने पोस्ट में चुनाव आयोग से पांच तीखे सवाल पूछे और लिखा: “भारत का लोकतंत्र बेशकीमती है – इसकी चोरी का अंजाम बहुत भयानक होगा। अब जनता बोल रही है – बहुत हुआ!”

उन्होंने जो पांच सवाल उठाए, वे सीधे तौर पर चुनाव आयोग की पारदर्शिता, निष्पक्षता और जवाबदेही पर सवाल खड़े करते हैं:

  1. विपक्ष को डिजिटल वोटर लिस्ट क्यों नहीं दी जा रही? क्या छिपा रहे हो?
  2. CCTV और वीडियो सबूत मिटाए जा रहे हैं – क्यों? किसके कहने पर?
  3. फर्जी वोटिंग और वोटर लिस्ट में गड़बड़ी क्यों हुई?
  4. विपक्षी नेताओं को डराने-धमकाने की कोशिश क्यों हो रही है?
  5. क्या चुनाव आयोग अब BJP का एजेंट बन चुका है? साफ-साफ बताओ।

चुनाव आयोग का सख्त जवाब

इन सवालों पर चुनाव आयोग ने विस्तृत प्रतिक्रिया जारी करते हुए सभी आरोपों को खारिज कर दिया। आयोग ने कहा कि राहुल गांधी के आरोप न केवल गलत हैं बल्कि जनता को गुमराह करने की कोशिश भी हैं।

पहला सवाल: आयोग ने कहा कि डिजिटल वोटर लिस्ट की मांग को पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने कमलनाथ बनाम ECI (2019) केस में खारिज कर दिया था। इसका मतलब है कि यह मांग कानूनी तौर पर स्वीकार्य नहीं है।

दूसरा सवाल: CCTV फुटेज मिटाने के आरोप पर आयोग ने स्पष्ट किया कि यदि कोई उम्मीदवार परिणामों को चुनौती देता है, तो हाई कोर्ट में याचिका दायर की जा सकती है, और ऐसे मामलों में CCTV फुटेज को सबूत के तौर पर सुरक्षित रखा जाता है। लेकिन अगर कोई याचिका ही नहीं दी गई तो फुटेज रखने का कोई औचित्य नहीं बनता।

273 साल का तर्क?

चुनाव आयोग ने तर्क दिया कि अगर देश भर के एक लाख पोलिंग स्टेशनों की CCTV फुटेज देखनी हो, तो यह लगभग 1 लाख दिन, यानी 273 साल का काम होगा। आयोग ने इसे व्यावहारिक और कानूनी रूप से अव्यवहारिक बताया।

राहुल ने खुद नहीं दी कोई शिकायत?

चुनाव आयोग ने ये भी बताया कि 2024 लोकसभा चुनाव के दौरान, कांग्रेस ने कुछ गिनी-चुनी आपत्तियाँ दर्ज कराई थीं, लेकिन राहुल गांधी की तरफ से कोई व्यक्तिगत शिकायत नहीं आई।

या तो दस्तखत करो, नहीं तो माफी मांगो

सबसे तीखी बात ये रही कि आयोग ने राहुल से कहा कि या तो वह अपने आरोपों पर नियम 20(3)(B) के तहत विधिवत घोषणापत्र पर हस्ताक्षर करें, यानी औपचारिक रूप से अपना दावा दर्ज कराएं, या फिर देश से माफी मांगें।

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Independence Day 2025: आज़ाद भारत को सबसे पहले किसने अपनाया? जानिए आज़ादी के बाद की प...

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Independence Day 2025: 15 अगस्त 2025 को भारत अपनी आज़ादी की 79वीं वर्षगांठ मनाने जा रहा है। हर साल की तरह इस बार भी देशभर में जश्न का माहौल होगा, तिरंगा लहराएगा, राष्ट्रगान गूंजेगा और उन शहीदों को याद किया जाएगा जिनकी कुर्बानी से हम आज आज़ाद हैं। लेकिन आज़ादी सिर्फ अंग्रेज़ों की गुलामी से निकलना नहीं था, असली परीक्षा तब शुरू हुई जब भारत को खुद को एक स्वतंत्र और संप्रभु राष्ट्र के तौर पर पूरी दुनिया में पहचान दिलानी थी।

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क्या सिर्फ आज़ादी काफी थी? (Independence Day 2025)

15 अगस्त 1947 को भारत ने ब्रिटिश राज से आज़ादी तो पा ली, लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान तभी मिलती है जब बाकी देश उस आज़ाद मुल्क को राजनीतिक मान्यता दें। यानी बाकी देश मानें कि “हां, भारत अब एक स्वतंत्र राष्ट्र है, जिससे हम राजनयिक संबंध बना सकते हैं”।

सबसे पहले भारत को किसने मान्यता दी?

शायद बहुत से लोगों को यह नहीं पता होगा कि आज़ाद भारत को सबसे पहले किस देश ने मान्यता दी थी। इस पर इतिहास में एकदम साफ जानकारी नहीं है। लेकिन कई रिपोर्ट्स और विश्लेषण के अनुसार, भारत को सबसे पहले मान्यता देने वाले देशों में अमेरिका का नाम सबसे ऊपर आता है।

बताया जाता है कि अमेरिका ने भारत की आज़ादी से पहले ही यहां दूतावास (Embassy) खोल दिया था। ये इस बात का संकेत था कि वह भारत के साथ रिश्ते बनाने को तैयार था और भारत को एक स्वतंत्र राष्ट्र की तरह देख रहा था।

अन्य देशों का समर्थन

आज़ादी के बाद सोवियत संघ (USSR), इंग्लैंड और फ्रांस जैसे देशों ने भी भारत को मान्यता दी और राजनयिक रिश्ते कायम किए। भारत धीरे-धीरे वैश्विक मंच पर अपनी जगह बनाता चला गया।

पाकिस्तान को किसने दी थी सबसे पहले मान्यता?

अगर बात भारत के पड़ोसी पाकिस्तान की करें, तो ईरान वह पहला देश था जिसने पाकिस्तान को मान्यता दी थी। उस समय ईरान को “इम्पीरियल स्टेट ऑफ ईरान” कहा जाता था। भारत और पाकिस्तान, दोनों ही नए राष्ट्र थे और दोनों को अंतरराष्ट्रीय पहचान पाने के लिए ऐसे सहयोग की ज़रूरत थी।

जिन देशों को भारत आज भी मान्यता नहीं देता

आज भारत खुद एक वैश्विक ताकत बन चुका है, लेकिन फिर भी कुछ ऐसे देश हैं जिन्हें भारत स्वतंत्र राष्ट्र के तौर पर मान्यता नहीं देता। इनमें प्रमुख नाम हैं:

  • अब्काजिया: जिसे कई देश अब भी जॉर्जिया का हिस्सा मानते हैं।
  • कोसोवो: जो कि संयुक्त राष्ट्र का सदस्य नहीं है, लेकिन कई देशों ने उसे स्वतंत्र देश के रूप में स्वीकार किया है।
  • ताइवान: भारत, “एक चीन नीति” के तहत ताइवान को अलग देश नहीं मानता।
  • सोमालीलैंड: जो खुद को आज़ाद घोषित कर चुका है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उसे मान्यता नहीं मिली।

क्यों ज़रूरी है मान्यता?

किसी देश को मान्यता मिलना सिर्फ औपचारिकता नहीं, बल्कि उसके अंतरराष्ट्रीय अस्तित्व की नींव होती है। यह कूटनीतिक, आर्थिक और सामरिक संबंधों की शुरुआत का पहला कदम होता है।

एक लंबा सफर

भारत का ये सफर, अंग्रेज़ों की गुलामी से निकलकर दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र बनने तक, आसान नहीं रहा। लेकिन हर मान्यता, हर नए दोस्त देश और हर राजनयिक रिश्ते ने भारत को वहां पहुंचाया है जहां आज हम खड़े हैं गर्व, आत्मसम्मान और मजबूती के साथ।

15 अगस्त सिर्फ आज़ादी की तारीख नहीं, बल्कि हमारी पहचान बनने की कहानी का प्रतीक है — एक कहानी जो आज भी जारी है।

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Raksha Bandhan 2025: स्टारडम नहीं, साथ जरूरी है: जानिए बॉलीवुड के उन भाई-बहनों को जो ...

Raksha Bandhan 2025: 9 अगस्त को पूरे देश में रक्षाबंधन का त्योहार बड़े प्यार और धूमधाम से मनाया जा रहा है। मिठाइयों की खुशबू, राखियों की रंगत और रिश्तों की गहराई इस दिन को खास बना देती है। भाई-बहन का ये रिश्ता सिर्फ खून का नहीं होता, ये भरोसे, भावनाओं और नटखट नोक-झोंक का खूबसूरत मेल होता है। जहां आम लोगों के लिए ये दिन खास होता है, वहीं बॉलीवुड के भाई-बहनों के रिश्ते भी कुछ कम इमोशनल नहीं होते। लेकिन आज हम बात उन स्टार्स की नहीं कर रहे जो हर वक्त कैमरे के सामने रहते हैं, बल्कि उन भाई-बहनों की बात कर रहे हैं जो बॉलीवुड से तो जुड़े हैं लेकिन लाइमलाइट से दूर रहना पसंद करते हैं। फिर चाहे वजह निजी हो या प्रोफेशनल, इनका बंधन बेहद खास है।

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सैफ अली खान और सबा अली खान- Raksha Bandhan 2025

पटौदी खानदान के नवाब सैफ अली खान को कौन नहीं जानता। उनकी दो बहनें हैं – सोहा और सबा अली खान। जहां सोहा फिल्मों में एक्टिंग कर चुकी हैं और पब्लिक फिगर हैं, वहीं सबा अली खान ने लाइमलाइट से हमेशा दूरी बनाए रखी है। वो पेशे से ज्वेलरी डिज़ाइनर हैं और एक प्राइवेट लेकिन लग्जरी लाइफ जीती हैं। सबा सोशल मीडिया पर भी बहुत कम एक्टिव रहती हैं लेकिन फैमिली इवेंट्स में उनकी मौजूदगी हमेशा महसूस होती है।

शाहरुख खान और शहनाज

बॉलीवुड के बादशाह शाहरुख खान की ज़िंदगी में उनकी बहन शहनाज का एक खास स्थान है। बहुत कम लोग जानते हैं कि शहनाज एक बेहद निजी जिंदगी जीती हैं और कैमरों से दूर रहना पसंद करती हैं। 1960 में जब उनके माता-पिता का देहांत हुआ था, तब शहनाज बुरी तरह टूट गई थीं और डिप्रेशन में चली गई थीं। उस वक्त शाहरुख ने सिर्फ एक भाई नहीं, बल्कि एक अभिभावक बनकर उनका साथ दिया। आज भी शाहरुख अपनी बहन का हर तरह से ख्याल रखते हैं।

अक्षय कुमार और अल्का भाटिया

अक्षय कुमार की बहन अल्का भाटिया बॉलीवुड में फिल्म प्रोड्यूसर हैं। उन्होंने फगली और सिंह इज़ ब्लिंग जैसी फिल्में बनाई हैं, लेकिन मीडिया से दूरी बनाकर रखी है। अल्का एक मजबूत और शांत स्वभाव की महिला हैं, और अक्षय खुद मानते हैं कि उनकी बहन उनका सबसे बड़ा इमोशनल सपोर्ट हैं। त्योहारों और फैमिली फंक्शन में दोनों की बॉन्डिंग अक्सर देखने को मिलती है।

अजय देवगन की बहनें – नीलम और कविता

अजय देवगन की दो बहनें हैं, नीलम और कविता, जो ग्लैमर वर्ल्ड से कोसों दूर हैं। ये दोनों अपनी फैमिली और निजी जिंदगी को तवज्जो देती हैं। हालांकि देवगन परिवार में होने वाले हर कार्यक्रम में उनकी मौजूदगी रहती है। अजय और काजोल के साथ उनका रिश्ता बेहद करीबी है, जो इस बात का सबूत है कि स्टारडम से ऊपर रिश्ते होते हैं।

दीपिका पादुकोण और अनीषा पादुकोण

दीपिका जहां बॉलीवुड की टॉप एक्ट्रेस हैं, वहीं उनकी छोटी बहन अनीषा पेशे से गोल्फर हैं और ‘Live Love Laugh Foundation’ की CEO भी हैं। अनीषा ने हमेशा खुद को कैमरों से दूर रखा है और एक शांत, फोकस्ड और आत्मनिर्भर जिंदगी जीती हैं। दीपिका कई बार बता चुकी हैं कि उनकी बहन उनका सबसे बड़ा सपोर्ट सिस्टम हैं।

 

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कार्तिक आर्यन और कृतिका

यंग स्टार कार्तिक आर्यन की बहन कृतिका डॉक्टर हैं। दोनों सोशल मीडिया पर एक-दूसरे के साथ मस्ती भरे वीडियोज़ शेयर करते रहते हैं। उनके बीच का रिश्ता दोस्ती और प्यार का एक प्यारा मिश्रण है।

 

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दिशा पटानी की बहन खुशबू

खुशबू पटानी ने एक समय भारतीय सेना में मेजर के तौर पर काम किया है और अब फिटनेस कोच और उद्यमी के रूप में अपनी अलग पहचान बनाई है। वह मीडिया से दूर रहना पसंद करती हैं लेकिन अपने काम और अनुशासन के लिए जानी जाती हैं।

कियारा आडवाणी और मिशाल

कियारा जहां फिल्म ‘वॉर 2’ जैसी बड़ी फिल्मों का हिस्सा हैं, वहीं उनके छोटे भाई मिशाल म्यूजिक इंडस्ट्री में नाम कमा रहे हैं। 2022 में उन्होंने यूट्यूब पर अपना पहला गाना “नो माई नेम” रिलीज़ किया था। वो रैपर और म्यूजिक प्रोड्यूसर हैं और कैमरे से दूरी बनाए रखते हैं।

रणवीर सिंह और रितिका भवनानी

रणवीर सिंह भले ही अपने एनर्जी और दमदार एक्टिंग के लिए जाने जाते हैं, लेकिन उनकी बहन रितिका भवनानी एकदम उलट हैं। रितिका लाइमलाइट से बहुत दूर रहती हैं। उन्हें पब्लिक अपीयरेंस पसंद नहीं है, और वो अपने सुकून भरे जीवन में ही खुश रहती हैं। हालांकि रणवीर अपनी बहन से बेहद करीब हैं। रक्षाबंधन हो या बर्थडे, रणवीर हमेशा रितिका के साथ अपने बॉन्ड को खास अंदाज़ में सेलिब्रेट करते हैं। रितिका एक पशु-प्रेमी हैं और उनकी सादगी, रणवीर की शोहरत से भी अलग एक खास पहचान बनाती है।

प्रियंका चोपड़ा और सिद्धार्थ चोपड़ा

ग्लोबल आइकन प्रियंका चोपड़ा के छोटे भाई सिद्धार्थ चोपड़ा लाइमलाइट से दूर रहकर अपने पैशन को जी रहे हैं। सिद्धार्थ एक पेशेवर शेफ हैं और होटल मैनेजमेंट की पढ़ाई लंदन से की है। इसके अलावा, उन्होंने म्यूजिक और फिल्म प्रोडक्शन में भी रुचि ली है। प्रियंका और सिद्धार्थ के बीच का रिश्ता बेहद मजबूत है। दोनों कई इंटरव्यू में एक-दूसरे के लिए प्यार और सम्मान जाहिर कर चुके हैं। सिद्धार्थ भले ही बॉलीवुड का हिस्सा नहीं बने, लेकिन बहन के लिए उनका सपोर्ट हमेशा अडिग रहा है।

ऐश्वर्या राय और आदित्य राय

मिस वर्ल्ड और बॉलीवुड की खूबसूरत अदाकारा ऐश्वर्या राय बच्चन के भाई आदित्य राय एकदम लो-प्रोफाइल इंसान हैं। वो इंडियन मर्चेंट नेवी में इंजीनियर हैं और फिल्मों से दूर अपने प्रोफेशनल और फैमिली लाइफ में बिजी रहते हैं। आदित्य ने एक फिल्म दिल का रिश्ता को प्रोड्यूस भी किया था, लेकिन बाद में उन्होंने फिल्मी दुनिया से दूरी बना ली। ऐश्वर्या कई बार बता चुकी हैं कि उनका भाई हमेशा उनकी प्रेरणा और सहारा रहा है।

सनी देओल और उनकी बहनें अजीता व विजेता देओल

धर्मेंद्र के बेटे सनी देओल और बॉबी देओल ने बॉलीवुड में खूब नाम कमाया, लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि उनकी दो बहनें भी हैं अजीता और विजेता देओल। ये दोनों बहनें हमेशा मीडिया और शोहरत से दूर रही हैं। वो सोशल मीडिया पर भी कम ही नजर आती हैं, लेकिन फैमिली इवेंट्स में उनकी मौजूदगी दिखती है। देओल परिवार के बीच इन बहनों का एक खास स्थान है। सनी और बॉबी, दोनों अपने परिवार से बेहद जुड़े हुए हैं और बहनों के साथ उनका रिश्ता भी बेहद भावनात्मक और करीबी है।

 

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Ajit Doval Russia Visit: अजीत डोभाल की पुतिन से मुलाकात, भारत-रूस रिश्तों में आई नई ग...

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Ajit Doval Russia Visit: जब दुनिया की बड़ी ताकतें आपसी खींचतान में उलझी हों और कूटनीतिक समीकरण तेजी से बदल रहे हों, ऐसे समय में भारत ने एक बार फिर अपना संतुलित लेकिन साफ संदेश दिया है। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल इस वक्त रूस के दौरे पर हैं, जहां उन्होंने राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात कर रिश्तों की मजबूती पर चर्चा की है। और सबसे अहम बात – पुतिन के भारत दौरे की तारीखें अब लगभग तय मानी जा रही हैं।

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डोभाल की ये यात्रा ऐसे समय हो रही है जब अमेरिका, भारत और रूस की बढ़ती नजदीकियों से असहज नजर आ रहा है। खासकर उस वक्त, जब अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूसी तेल खरीदने पर भारत पर 50% टैरिफ लगाने की बात कही है। लेकिन भारत साफ कर चुका है कि उसकी विदेश नीति पूरी तरह स्वतंत्र है और राष्ट्रीय हित सबसे ऊपर हैं।

पुतिन से मुलाकात: रिश्तों में भरोसे की गर्मी- Ajit Doval Russia Visit

गुरुवार को मॉस्को में एनएसए डोभाल की रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से अहम मुलाकात हुई। बातचीत के बाद डोभाल ने कहा कि पुतिन भारत यात्रा को लेकर बेहद उत्साहित हैं और दौरे की तारीखें लगभग तय हो चुकी हैं। उन्होंने यह भी दोहराया कि भारत-रूस संबंध “खास, पुराने और भरोसेमंद” हैं, और हालिया हाई-लेवल बैठकों ने इस साझेदारी को और मजबूत किया है।

डोभाल की ताबड़तोड़ बैठकों का मकसद

पुतिन से मुलाकात के अलावा, डोभाल ने रूस के पहले उपप्रधानमंत्री डेनिस मंटुरोव से भी बातचीत की। दोनों देशों के बीच रक्षा, सैन्य-तकनीकी सहयोग, नागरिक विमान निर्माण, मेटल इंडस्ट्री और केमिकल सेक्टर जैसे मुद्दों पर विस्तार से चर्चा हुई।

इसके बाद रूसी सुरक्षा परिषद के सचिव सर्गेई शोइगू से भी डोभाल मिले। शोइगू ने भारत-रूस दोस्ती को “समय की कसौटी पर खरी” बताया और ज़ोर दिया कि पुतिन और पीएम मोदी की अगली मुलाकात की तारीख जल्द से जल्द तय होनी चाहिए।

पीएम मोदी और पुतिन की फोन पर बात

इससे कुछ दिन पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और व्लादिमीर पुतिन के बीच फोन पर लंबी बातचीत भी हो चुकी है। मोदी ने खुद सोशल मीडिया पर इसकी जानकारी दी और लिखा,

“आज मेरी दोस्त व्लादिमीर पुतिन से बहुत अच्छी बातचीत हुई। उन्होंने यूक्रेन मुद्दे पर ताज़ा जानकारी दी, जिसका मैंने स्वागत किया। हमने भारत-रूस के द्विपक्षीय रिश्तों की प्रगति की समीक्षा की और इस साझेदारी को और मजबूत करने पर सहमति जताई।”

मोदी ने साथ ही पुतिन को साल के अंत में भारत आने का न्योता भी दिया है।

अमेरिका को क्या संदेश?

डोभाल की रूस यात्रा और पुतिन के संभावित भारत दौरे को कूटनीतिक नजरिए से बेहद अहम माना जा रहा है, खासकर ऐसे समय में जब अमेरिका, भारत की स्वतंत्र विदेश नीति पर नज़र बनाए हुए है।

इसके साथ ही पीएम मोदी का आगामी चीन दौरा, ब्राजील के राष्ट्रपति लूला दा सिल्वा से फोन पर बातचीत, और रूस के साथ रणनीतिक संवाद ये सब अमेरिका को एक ही बात साफ-साफ कह रहे हैं

भारत अब ‘तटस्थ’ नहीं, बल्कि ‘स्वतंत्र और संतुलित’ कूटनीति का मजबूत चेहरा बन चुका है।

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Operation Sindoor: ऑपरेशन सिंदूर में भारत की बड़ी कामयाबी: S-400 ने गिराए पाकिस्तान क...

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Operation Sindoor: भारतीय वायुसेना ने अपनी ताकत का ऐसा प्रदर्शन किया है, जो न सिर्फ पाकिस्तान के लिए बड़ा झटका है, बल्कि पूरी दुनिया के लिए भारत की सैन्य क्षमता का साफ संकेत भी है। भारतीय वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने हाल ही में दावा किया है कि “ऑपरेशन सिंदूर” के दौरान भारत के अत्याधुनिक S-400 मिसाइल सिस्टम ने पाकिस्तान के पांच लड़ाकू विमानों को हवा में ही मार गिराया।

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इतना ही नहीं, उन्होंने बताया कि पाकिस्तान के एक AEW&C/ELINT (एयरबोर्न अर्ली वॉर्निंग एंड कंट्रोल / इलेक्ट्रॉनिक इंटेलिजेंस) विमान को भी 300 किलोमीटर दूर से निशाना बनाकर तबाह किया गया। ये सिर्फ एक तकनीकी उपलब्धि नहीं, बल्कि पाकिस्तान की निगरानी और रणनीतिक योजना को झटका देने वाला हमला था।

जेकबाबाद और भोलारी एयरबेस भी बने निशाना- Operation Sindoor

एयर चीफ ने यह भी बताया कि पाकिस्तान के जेकबाबाद एयरबेस पर खड़े F-16 लड़ाकू विमान भी इस ऑपरेशन में भारत की कार्रवाई का शिकार बने। ये विमान उस समय रनवे पर नहीं बल्कि पार्किंग में थे, फिर भी सटीक खुफिया जानकारी के आधार पर उन्हें सफलतापूर्वक नष्ट किया गया।

इसके अलावा, भोलारी एयरबेस पर खड़े AEW&C विमान को भी टारगेट किया गया। यह दिखाता है कि भारतीय सेना के पास न केवल तकनीकी क्षमता है, बल्कि दुश्मन की हर गतिविधि पर पैनी नजर भी है।

ऑपरेशन सिंदूर: एक जवाब, एक संदेश

ऑपरेशन सिंदूर, मई 2025 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुई एक छोटी लेकिन बेहद गंभीर सैन्य झड़प का हिस्सा था। इस दौरान भारत ने अपनी हवाई श्रेष्ठता (Air Superiority) साबित करने के लिए S-400 के साथ-साथ ब्रह्मोस जैसे अत्याधुनिक हथियारों का इस्तेमाल किया।

इस ऑपरेशन ने ये साफ कर दिया कि भारत न सिर्फ अपनी सुरक्षा में सक्षम है, बल्कि जरूरत पड़ने पर दुश्मन को उसके घर में घुसकर जवाब देने की ताकत भी रखता है।

क्या है S-400 और क्यों है इतना खास?

S-400 रूस से खरीदा गया एक आधुनिक सतह से हवा में मार करने वाला मिसाइल सिस्टम है, जिसकी रेंज करीब 400 किलोमीटर तक है। भारत ने इसे 5.4 बिलियन डॉलर में खरीदा था। ये एक साथ 80 लक्ष्यों को ट्रैक और निशाना बना सकता है।

S-400 की इसी ताकत ने ऑपरेशन सिंदूर में भारत को वो बढ़त दी, जिससे दुश्मन को कुछ समझ में आने से पहले ही उसकी रणनीति धराशायी हो गई।

पाकिस्तान के लिए बड़ा झटका

F-16 जैसे लड़ाकू विमान और AEW&C जैसे हाई-टेक निगरानी संसाधनों का नुकसान पाकिस्तान की वायुसेना के लिए काफी गंभीर है। AEW&C विमान उनकी हवाई रणनीति की रीढ़ माने जाते हैं – उनका खत्म होना पाकिस्तान को अपनी पूरी रणनीति पर दोबारा सोचने के लिए मजबूर कर सकता है।

क्या बढ़ेगा तनाव?

हालांकि एयर चीफ एपी सिंह के इन दावों की स्वतंत्र पुष्टि अभी नहीं हुई है, लेकिन अगर ये दावे सच साबित होते हैं, तो यह भारत की हवाई शक्ति की एक बड़ी छलांग है। दूसरी तरफ, इससे भारत-पाकिस्तान के बीच पहले से तनावपूर्ण रिश्ते और भी नाजुक हो सकते हैं।

आगे की योजना?

सूत्रों की मानें तो भारत अब S-400 की और यूनिट्स खरीदने पर विचार कर रहा है। इसके अलावा S-500 जैसे अगली पीढ़ी के सिस्टम को भी लाने की योजना है, जिसकी रेंज 600 किलोमीटर तक होगी।

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Uttarakhand Cloudburst: उत्तराखंड में इस बार मानसून नहीं, मुसीबत बनकर बरसा – चार सालो...

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Uttarakhand Cloudburst: उत्तराखंड इस बार ऐसा मानसून झेल रहा है, जो न सिर्फ रिकॉर्ड तोड़ रहा है, बल्कि लोगों की जान और जीवन दोनों को भारी नुकसान पहुंचा रहा है। 1 जून से 5 अगस्त 2025 तक, यानी महज 66 दिनों में से 43 दिन एक्सट्रीम वेदर वाले रहे मतलब या तो तेज बारिश, बाढ़, या भूस्खलन। ये आंकड़ा पिछले चार सालों में सबसे खराब है।

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दिल्ली के सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (CSE) और डाउन टू अर्थ की रिपोर्ट बताती है कि 2022 में पूरे मॉनसून सीजन में 44 दिन ऐसे थे, और इस बार सिर्फ आधे मानसून में ही ये आंकड़ा छू लिया गया है। ये हालात डराते हैं, क्योंकि अगर यही सिलसिला अगले दो महीनों तक चला, तो ये साल उत्तराखंड के लिए सबसे खतरनाक मॉनसून साबित हो सकता है।

लगातार बढ़ रहा है खतरा- Uttarakhand Cloudburst

साफ दिख रहा है कि हर साल स्थिति बिगड़ती जा रही है। 2022 में जहां 33% मॉनसून के दिन अति-मौसम वाले थे, 2023 में ये 47% हो गए, 2024 में 59% और अब 2025 में अब तक 65% ऐसे दिन दर्ज हो चुके हैं। अगर यही चलता रहा, तो इस बार कुल 83 से 86 दिन तक एक्सट्रीम वेदर हो सकता है यानी साल का सबसे खराब मानसून।

जान भी गई और घर भी

अब तक कम से कम 48 लोगों की मौत इन आपदाओं में हो चुकी है। ये आंकड़ा 2022 की कुल मौतों (56) का 86% और 2023 की 104 मौतों का लगभग आधा है और अभी तो आधा मानसून बाकी है।

सबसे ताजा घटना 5 अगस्त को उत्तरकाशी जिले के धराली गांव में सामने आई, जहां बाढ़ में 4 लोगों की मौत हुई और 100 से ज्यादा लोग लापता हैं। ये बाढ़ अचानक आई, लोगों को भागने का मौका तक नहीं मिला।

क्लाउडबर्स्ट या कुछ और?

उत्तराखंड सरकार ने इसे “क्लाउडबर्स्ट” कहा, लेकिन मौसम विभाग (IMD) ने इससे इनकार किया। क्लाउडबर्स्ट तब माना जाता है जब एक घंटे में 10 सेमी से ज्यादा बारिश हो, लेकिन यहां बारिश कई घंटों तक लगातार हुई। रिसर्चर अक्षय देओरस के मुताबिक, उत्तरकाशी में 5-6 अगस्त के बीच औसत से 421% ज्यादा बारिश हुई, कहीं-कहीं तो 400 मिमी से भी ज्यादा।

जलवायु परिवर्तन और तैयारी की कमी

वैज्ञानिक मान रहे हैं कि जलवायु परिवर्तन इस संकट की सबसे बड़ी वजह है। इस साल मानसून सीजन उत्तराखंड में 1901 के बाद का सबसे गर्म रहा। जून में अधिकतम तापमान सामान्य से 3.8°C और न्यूनतम 1.8°C ज्यादा रहा। गर्म हवा ज्यादा नमी सोखती है, जिससे बारिश ज्यादा और खतरनाक होती है।

लेकिन सिर्फ मौसम को दोष देना ठीक नहीं। तैयारी की कमी, कमजोर चेतावनी तंत्र और बेतरतीब निर्माण ने हालात और बिगाड़ दिए हैं। 2014 के बाद से विकास की दौड़ में पहाड़ों में सड़कों और इन्फ्रास्ट्रक्चर का तेजी से निर्माण हुआ है, जिससे जल निकासी बिगड़ी और जंगल कटे।

हिमालयी विशेषज्ञ शेखर पाठक कहते हैं कि पिछले दशक में पर्यावरण को नजरअंदाज कर जो विकास किया गया, उसी का नतीजा आज के आपदा बनकर सामने आ रहा है।

धराली की बाढ़ – हिमालय की चेतावनी

धराली की बाढ़ सिर्फ एक गांव की त्रासदी नहीं, ये पूरे हिमालय क्षेत्र के लिए चेतावनी है। रिपोर्ट बताती है कि पिछले तीन सालों में 13 हिमालयी राज्यों में 70% मॉनसून दिन एक्सट्रीम वेदर वाले रहे हैं। मतलब खतरा अब स्थानीय नहीं, क्षेत्रीय है।

सेना की राहत में कोशिश

भारतीय सेना, NDRF और स्थानीय प्रशासन लगातार राहत और बचाव कार्यों में जुटे हुए हैं। हेलिकॉप्टर से फंसे लोगों को निकाला जा रहा है, लेकिन लगातार बारिश और टूटे रास्ते राहत कार्यों में बड़ी चुनौती बन रहे हैं।

अब क्या करना होगा?

अब वक्त आ गया है कि सरकार और समाज दोनों मिलकर इस संकट को गंभीरता से लें।

  • मौसम निगरानी सिस्टम को मजबूत करना
  • समय पर चेतावनी पहुंचाना
  • अवैज्ञानिक निर्माणों पर रोक
  • जंगल बचाना और जल संरक्षण को बढ़ावा देना

इन सब पर फौरन काम करना जरूरी है। क्योंकि अगर अभी नहीं चेते, तो आने वाले सालों में उत्तराखंड की हर बरसात और भी डरावनी हो सकती है।

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Delhi-NCR Heavy Rain: दिल्ली-एनसीआर में रक्षाबंधन की सुबह बारिश ने रोका त्योहार का जश...

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Delhi-NCR Heavy Rain: आज रक्षाबंधन का पावन पर्व है, लेकिन दिल्ली-एनसीआर के लोगों की सुबह एक खूबसूरत त्योहार की शुरुआत नहीं, बल्कि भारी बारिश और परेशानियों के साथ हुई। सुबह-सुबह हुई मूसलधार बारिश ने राजधानी दिल्ली, नोएडा और गुरुग्राम समेत पूरे एनसीआर की रफ्तार थाम दी। कई इलाकों में घुटनों तक पानी भर गया है, जिससे लोगों का घर से निकलना मुश्किल हो गया है।

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बारिश इतनी तेज थी कि दिल्ली के कई इलाकों में सड़कें तालाब बन गईं। बीडी मार्ग, जहां सांसदों के फ्लैट हैं, वहां नर्मदा अपार्टमेंट के सामने जलभराव की स्थिति गंभीर हो गई। स्थानीय लोग कह रहे हैं कि बारिश होते ही इस इलाके में पानी भरना आम बात हो गई है और निकासी के लिए नालियां खोलनी पड़ती हैं।

आईएमडी ने जारी किया रेड अलर्ट– Delhi-NCR Heavy Rain

भारतीय मौसम विभाग ने दिल्ली-एनसीआर के लिए रेड अलर्ट जारी कर दिया है। आज दिनभर मध्यम से भारी बारिश और गरज-चमक के साथ बौछारों की संभावना जताई गई है। खासतौर पर पूर्वी और सेंट्रल दिल्ली में हालात और बिगड़ सकते हैं।

सुबह 5:30 से 8:30 बजे के बीच सफदरजंग में 49.6 मिमी, पूसा में 47 मिमी, मयूर विहार में 42 मिमी और प्रगति मैदान में 40.6 मिमी बारिश दर्ज की गई।

एयरपोर्ट पर भी असर, ट्रैफिक बना मुसीबत

इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट ने यात्रियों को सलाह दी है कि वे अपनी फ्लाइट की जानकारी के लिए संबंधित एयरलाइन से संपर्क करें क्योंकि मौसम खराब है। हालांकि एयरपोर्ट का संचालन सामान्य बताया जा रहा है, लेकिन उड़ानों में देरी हो रही है।

एक यात्री ने आजतक से बातचीत में बताया कि उसकी फ्लाइट त्रिवेंद्रम से रात 11:45 बजे लैंड हुई, लेकिन मयूर विहार स्थित घर पहुंचने में तीन घंटे से ज्यादा का वक्त लग गया। “सिर्फ 25 किलोमीटर का रास्ता था लेकिन सराय काले खां पर एक घंटे जाम में फंसे रहे, चार जगह तो पानी इतना था कि गाड़ी निकालना मुश्किल हो गया।”

दिल्ली के कई इलाके जलमग्न

आईटीओ, मोती बाग, मुनीरका मेट्रो स्टेशन, एपीएस कॉलोनी, अकबर रोड, मंडी हाउस, मिंटो रोड, संगम विहार, आरके पुरम, कनॉट प्लेस और पंचकुइयां मार्ग जैसे इलाकों में हालात बदतर हैं।

नोएडा, गाजियाबाद और गुरुग्राम में भी बुरा हाल

नोएडा के सूरजपुर कस्बे में तो हालात ऐसे हैं कि सड़कों पर घुटनों तक पानी भर गया है। गाजियाबाद के एनएच-9, विजय नगर अंडरपास और रेलवे स्टेशन की सड़कें जलभराव से बुरी तरह प्रभावित हैं। गुरुग्राम की ओर से भी ट्रैफिक और जलभराव की खबरें लगातार आ रही हैं।

यमुना का जलस्तर भी बढ़ा

सुबह 8 बजे यमुना का जलस्तर 204.4 मीटर दर्ज किया गया, जो चेतावनी स्तर 204.5 मीटर से सिर्फ 10 सेमी नीचे है। हालांकि खतरे के स्तर 205.33 मीटर से अभी 93 सेमी नीचे है, लेकिन स्थिति लगातार नजर रखने वाली है।

हिमाचल में भी बारिश का कहर

दिल्ली से सटे राज्य हिमाचल प्रदेश में भी हालात चिंताजनक हैं। 11 और 12 अगस्त के लिए 3 जिलों में ऑरेंज अलर्ट और बाकी में येलो अलर्ट जारी किया गया है। 20 जून से अब तक बारिश संबंधी घटनाओं में 202 लोगों की मौत हो चुकी है। अगस्त में अब तक औसत से 35% ज्यादा बारिश हो चुकी है, शिमला और मंडी में तो ये आंकड़ा 65% तक पहुंच गया है।

त्योहार की खुशियों में खलल

रक्षाबंधन जैसे त्योहारी दिन पर लोग बहनों से मिलने, राखी बांधने, मिठाई लेकर जाने की तैयारी में थे, लेकिन मौसम ने सब कुछ अस्त-व्यस्त कर दिया। लोगों की गाड़ियां जाम में फंसी रहीं, कई बहनों की फ्लाइट्स लेट हो गईं और कहीं भाई समय पर घर नहीं पहुंच पाए।

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Chinki Minki News: जन्म के बाद अलग कर दी गईं बहनें… अब ‘चिंकी-मिंकी’...

Chinki Minki News: शोहरत की दुनिया में चमकती हर रौशनी के पीछे एक अंधेरे का दौर भी होता है, और यही कहानी है समृद्धि और सुरभि मेहरा यानी ‘चिंकी-मिंकी’ की। सोशल मीडिया और टीवी पर लाखों दिलों पर राज करने वाली इस जुड़वां जोड़ी की जिंदगी की शुरुआत बेहद दर्दभरी रही। हाल ही में ज़ी टीवी के शो ‘छोरियां चली गांव’ के दौरान समृद्धि मेहरा ने एक ऐसा सच साझा किया जिसने फैंस को भी भावुक कर दिया। इन दोनों जुड़वां बहनों को समाज की छोटी सोच ने जन्म के साथ ही अलग कर दिया। लेकिन आज वही बहनें मिलकर इंडस्ट्री में झंडे गाड़ रही हैं।

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जन्म के बाद बहन से कर दी गईं अलग- Chinki Minki News

नोएडा में जन्मीं ये जुड़वां बहनें एक मिडल क्लास परिवार से हैं। समृद्धि ने बताया कि उनका जन्म एक रूढ़िवादी परिवार में हुआ था। जब उनके घर दो जुड़वां बेटियों ने जन्म लिया तो परिवार वालों ने इसे स्वीकार नहीं किया। नतीजा ये हुआ कि समृद्धि को तो घर में रखा गया लेकिन उनकी जुड़वां बहन सुरभि को उनसे अलग कर दिया गया। समृद्धि बताती हैं, “मुझे पांच साल तक पता ही नहीं था कि मेरी कोई जुड़वां बहन भी है।” उनकी मां भी तब उस माहौल में मजबूर थीं लेकिन धीरे-धीरे उन्होंने हिम्मत दिखाई और दोनों बेटियों को एक साथ लाने का फैसला किया।

मां ने लिया बड़ा फैसला

समृद्धि बताती हैं कि उनके लिए उनकी मां ही असली हीरो हैं। उन्होंने सामाजिक दबाव और परिवार की नाराज़गी को नजरअंदाज करते हुए अपनी दोनों बेटियों को एक साथ पाला। समृद्धि ने कहा, “जब मेरी बहन पहली बार घर आई, तो मुझे यकीन नहीं हुआ कि कोई बिल्कुल मेरी तरह दिखती है।” उस दिन के बाद दोनों बहनों के बीच ऐसा रिश्ता बना जिसे आज तक कोई नहीं तोड़ सका।

365 ऑडिशन के बाद मिला ‘कपिल शर्मा शो’

चिंकी-मिंकी को आज सोशल मीडिया स्टार कहा जाता है, लेकिन उनकी सफलता की राह भी आसान नहीं रही। अपने एक्टिंग करियर के शुरुआती दौर में वे एक प्राइवेट फर्म में भी काम कर चुकी हैं। वहीं, 365 से ज्यादा ऑडिशन देने के बाद उन्हें ‘द कपिल शर्मा शो’ में ब्रेक मिला और फिर लोगों ने इस जुड़वां जोड़ी को खूब पसंद किया। उनकी एक्टिंग, एनर्जी और परफॉर्मेंस ने उन्हें हर घर में पॉपुलर बना दिया।

3 जुलाई 2025 को किया अलग होने का ऐलान

हाल ही में दोनों बहनों ने इंस्टाग्राम पर एक इमोशनल पोस्ट के जरिए अपने फैंस को बताया कि वे अब एक-दूसरे से प्रोफेशनल रूप से अलग हो रही हैं। यानी ‘चिंकी-मिंकी’ की जोड़ी अब साथ में काम नहीं करेगी। इस खबर ने कई फैंस को चौंका दिया। हालांकि, दोनों ने साफ किया कि वे सिर्फ करियर के लिहाज़ से अलग हो रही हैं, दिल से नहीं।

कुल संपत्ति और लोकप्रियता

आज दोनों बहनों की नेटवर्थ लगभग 12-25 करोड़ रुपये के बीच है। इंस्टाग्राम पर उनकी 12 मिलियन से ज्यादा फैन फॉलोइंग है और उन्होंने ‘कॉलेज रोमांस’ और ‘हीरो: गायब मोड ऑन’ जैसे शोज में भी काम किया है। 2024 में उन्होंने ‘सुकून’ नाम से एक नया घर भी खरीदा।

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Padma Shri Jamuna Tudu: पहले बचाए हजारों पेड़, फिर मिला पद्मश्री… अब राष्ट्रपति...

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Padma Shri Jamuna Tudu: पर्यावरण संरक्षण की एक सच्ची मिसाल और ‘लेडी टार्जन’ के नाम से मशहूर पद्मश्री जमुना टुडू एक बार फिर से सुर्खियों में हैं। इस बार वजह है 15 अगस्त 2025 को राष्ट्रपति भवन में आयोजित होने वाला रात्रि भोज, जिसके लिए उन्हें खुद महामहिम राष्ट्रपति की ओर से आमंत्रण मिला है। इस निमंत्रण को खास तरीके से भारतीय डाक विभाग ने नई दिल्ली से चाकुलिया (जमशेदपुर) तक पहुंचाया, पूरे सम्मान और सुरक्षा के साथ।

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इस विशेष पत्र में साफ लिखा गया है कि जमुना टुडू को 15 अगस्त की शाम 6 बजे राष्ट्रपति भवन में होने वाले रात्रि भोज में शामिल होना है। ये सम्मान सिर्फ एक व्यक्ति के लिए नहीं, बल्कि उस पूरे संघर्ष और समर्पण का प्रतीक है जो उन्होंने पिछले दो दशकों से झेला है।

कौन हैं जमुना टुडू? (Padma Shri Jamuna Tudu)

जमुना टुडू का जन्म 1980 में ओडिशा के मयूरभंज जिले में हुआ था। उनके पिता किसान थे और बचपन से ही उनका लगाव जंगलों से रहा। शादी के बाद जब वो झारखंड के पूर्वी सिंहभूम के चाकुलिया आईं, तो उन्होंने देखा कि कैसे पेड़ों की अवैध कटाई हो रही है और जंगल धीरे-धीरे खत्म हो रहे हैं।

यही वो पल था जब उन्होंने ठान लिया कि चाहे कुछ भी हो, जंगल को बचाना है। उन्होंने अकेले शुरुआत की, लेकिन धीरे-धीरे गांव की 10,000 से ज़्यादा महिलाओं को साथ जोड़ा और बनाई वन सुरक्षा समिति। आज ये महिलाएं जंगलों की रक्षक हैं और जमुना उनका नेतृत्व कर रही हैं।

‘लेडी टार्जन’ क्यों कहा जाता है?

एक वक्त था जब जमुना टुडू और उनके पति दिहाड़ी मजदूरी किया करते थे। लेकिन जब बात पेड़ों की आई, तो उन्होंने जीवन का मकसद ही बदल दिया। वो जंगलों में जाकर लकड़ी माफियाओं का सामना करतीं, उन्हें समझातीं, और कई बार सीधा विरोध भी करतीं। इस संघर्ष में उन पर कई जानलेवा हमले हुए, लेकिन वो नहीं रुकीं।

उनकी इस हिम्मत, निडरता और पेड़ों के लिए समर्पण को देखते हुए लोग उन्हें ‘लेडी टार्जन’ कहने लगे। और यही नहीं, साल 2017 में उन्हें उनके काम के लिए पद्मश्री सम्मान से भी नवाज़ा गया।

जमुना की प्रतिक्रिया: भावुक कर देने वाला पल

वहीं अब उन्हें राष्ट्रपति भवन से निमंत्रण मिला है जिसे पाकर जमुना की आंखों में आंसू आ गए। उन्होंने कहा,

“ये सिर्फ मेरा सम्मान नहीं है। ये उस हर महिला का सम्मान है जो पर्यावरण के लिए लड़ रही है। मैं राष्ट्रपति जी और भारतीय डाक विभाग का दिल से धन्यवाद देती हूं, जिन्होंने इस सम्मान को मेरे घर तक पहुंचाया।”

एक महिला, एक मिशन

जमुना टुडू की कहानी सिर्फ एक महिला की नहीं है, ये उस जज़्बे की कहानी है जो दिखाता है कि अगर इरादा मजबूत हो, तो बदलाव मुमकिन है। जंगल, पेड़, जानवर — सबकी आवाज़ बन चुकी हैं जमुना। आज वो जिस मुकाम पर हैं, वहां तक पहुंचने में उन्हें सिर्फ संघर्ष ही नहीं, कई बार जान की बाज़ी भी लगानी पड़ी है।

लेकिन अब जब राष्ट्रपति भवन से उन्हें देश के सबसे बड़े मंच पर आमंत्रण मिला है, तो साफ है कि जमुना टुडू सिर्फ झारखंड की नहीं, पूरे देश की शान बन चुकी हैं।

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