INS Brahmaputra: भारतीय नौसेना का स्वदेशी गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट आईएनएस ब्रह्मपुत्र जुलाई 2024 में मुंबई स्थित नौसेना डॉकयार्ड में हुए एक गंभीर हादसे के बाद बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया था। उस हादसे ने नौसेना और देशवासियों को झकझोर कर रख दिया था, लेकिन अब इस युद्धपोत के फिर से सेवा में लौटने की उम्मीद जगी है। वरिष्ठ नौसैनिक अधिकारियों के अनुसार, इसके ‘फ्लोट और मूव’ यानी तैरने और चलने की क्षमताओं को इस साल के अंत तक या 2026 की शुरुआत तक बहाल कर लिया जाएगा, जबकि ‘फाइट’ यानी युद्धक क्षमता जून-जुलाई 2026 तक फिर से सक्रिय हो सकती है।
21 जुलाई 2024 को मुंबई के नौसेना डॉकयार्ड में खड़े आईएनएस ब्रह्मपुत्र में आग लग गई थी। 3,850 टन वजनी इस युद्धपोत पर लगी आग बुझाने के लिए पानी की भारी मात्रा में बौछार की गई, जिससे जहाज झुक गया और पलट गया। इस दुर्घटना में लीडिंग सीमैन सितेंद्र सिंह की शहादत हुई, जो मरम्मत कार्यों में लगे थे। जबकि अधिकांश क्रू मेंबर्स सुरक्षित बाहर निकले, कुछ ने समुद्र में छलांग लगाकर अपनी जान बचाई। इसके बाद नवंबर 2024 में जहाज को ड्राई डॉक में ले जाकर नुकसान का पूरा आकलन किया गया और मरम्मत के लिए योजना बनाई गई।
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मरम्मत का विस्तृत कार्य
नौसेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि मरम्मत कार्य चरणबद्ध तरीके से प्रगति पर है। सबसे पहले जहाज के ढांचे, प्रणोदन प्रणाली और बिजली उत्पादन की मरम्मत पर जोर दिया जा रहा है ताकि इसे फिर से समुद्र में चलने योग्य बनाया जा सके। इसके साथ ही हथियार प्रणालियों और सेंसर को पुनः सक्रिय करने का काम भी जारी है। क्षतिग्रस्त उपकरणों को हटाकर डॉकयार्ड की वर्कशॉप में मरम्मत या प्रतिस्थापन किया जा रहा है। युद्धपोत के अनुभवी क्रू सदस्य भी इस मरम्मत प्रक्रिया में तकनीकी सहयोग प्रदान कर रहे हैं।
सुरक्षा मानकों की समीक्षा और सुधार
आग लगने के बाद नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी ने मुंबई दौरा कर स्थिति का निरीक्षण किया और पश्चिमी नौसेना कमान को युद्धपोत को जल्द पुनः चालू करने के निर्देश दिए। इसके साथ ही एक विशेष कार्यबल (STF) का गठन किया गया, जिसका नेतृत्व एक रियर एडमिरल कर रहे हैं। इस टीम ने नौसेना के सभी जहाजों से जुड़े सुरक्षा और संचालन मानकों की जांच कर एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की। इस रिपोर्ट में सुझाए गए सुरक्षा उपायों को देश की सभी नौसेना इकाइयों में लागू करने के निर्देश जारी किए गए।
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अप्रैल 2025 में हुई नौसेना कमांडर्स की चार दिवसीय कांफ्रेंस में भी इस सुरक्षा मुद्दे पर विशेष चर्चा हुई। हालांकि रिपोर्ट के बाद भी नौसेना में दो अन्य दुर्घटनाएं हुईं, लेकिन सुरक्षा सुधारों को तेजी से लागू करने की प्रक्रिया जारी है।
भविष्य की दिशा
आईएनएस ब्रह्मपुत्र की मरम्मत नौसेना के लिए एक बड़ी प्राथमिकता है क्योंकि यह युद्धपोत 2000 से सेवा में है और भारतीय नौसेना की क्षमताओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसके पुनः सेवा में आने से नौसेना की ताकत और मजबूती दोनों में वृद्धि होगी। नौसेना के अधिकारी यह भी मानते हैं कि इस प्रक्रिया से भविष्य में ऐसी दुर्घटनाओं को रोकने के लिए जरूरी सबक भी मिलेंगे।
यह पहली बार है जब आईएनएस ब्रह्मपुत्र की सेवा में वापसी के बारे में आधिकारिक जानकारी सामने आई है। नौसेना डॉकयार्ड में मरम्मत कार्य तेजी से जारी है और उम्मीद है कि आने वाले वर्ष में यह युद्धपोत फिर से भारतीय जलसैन्य बलों की गरिमा बढ़ाएगा।
Tharoor vs John Brittas: भारत की “ऑपरेशन सिंदूर” के तहत वैश्विक कूटनीतिक पहल के दौरान केरल सरकार द्वारा 2023 में भूकंप से प्रभावित तुर्की को ₹10 करोड़ की वित्तीय मदद देने पर राजनीतिक विवाद गरमाया हुआ है। कांग्रेस सांसद और लोकसभा की विदेश मामलों की स्थायी समिति के अध्यक्ष शशि थरूर ने इस कदम को गलत प्राथमिकता की उदारता करार दिया, जबकि सीपीआई (एम) के राज्यसभा सांसद जॉन ब्रिटास ने उन्हें “चुनिंदा स्मृति” का शिकार बताया। दोनों नेता फिलहाल “ऑपरेशन सिंदूर” के बहु-दलीय प्रतिनिधिमंडलों का हिस्सा हैं, जो पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के खिलाफ भारत की स्थिति को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर मजबूत करना चाहते हैं।
थरूर का आरोप: केरल सरकार की प्राथमिकताएं गलत- Tharoor vs John Brittas
थरूर “ऑपरेशन सिंदूर” के तहत अमेरिका, पनामा, गयाना, ब्राजील और कोलंबिया के दौरे पर हैं। उन्होंने केरल सरकार की 2023 में तुर्की को दी गई सहायता पर सवाल उठाए। उनका कहना था कि जब केरल के वायनाड जैसे जिले में जुलाई 2024 में भीषण भूस्खलन हुआ, जिसमें लगभग 300 लोग मारे गए और कई गांव तबाह हो गए, तब वहां के लोगों को मदद की ज्यादा जरूरत थी। उन्होंने कहा, “उम्मीद है कि केरल सरकार अब दो साल बाद तुर्की के व्यवहार को देखकर अपनी गलत उदारता पर पुनर्विचार करेगी।”
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जॉन ब्रिटास का पलटवार: थरूर के बयान को केरल विरोधी करार
दूसरी ओर, सीपीआई (एम) के राज्यसभा सांसद जॉन ब्रिटास ने थरूर के आरोपों को एकतरफा और पक्षपाती बताया। वे “ऑपरेशन सिंदूर” के तहत जापान, दक्षिण कोरिया, सिंगापुर, मलेशिया और इंडोनेशिया की यात्रा कर रहे हैं। ब्रिटास ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म “एक्स” पर लिखा, “थरूर के लिए मेरा सम्मान है, लेकिन यह टिप्पणी एकतरफा याददाश्त की निशानी है। क्या उन्हें नहीं पता कि केंद्र सरकार ने भी 2023 में ‘ऑपरेशन दोस्त’ के तहत तुर्की और सीरिया को राहत सामग्री और एनडीआरएफ की टीमें भेजी थीं?”
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यहाँ “ऑपरेशन दोस्त” भारत सरकार की वह पहल थी, जिसके तहत 2023 के भूकंप के बाद तुर्की और सीरिया को तत्काल राहत पहुंचाई गई।
केरल सरकार का पक्ष
केरल के वित्त मंत्री के एन बालगोपाल ने थरूर की आलोचना को अनुचित करार दिया। उन्होंने कहा, “2023 में जब तुर्की में विनाशकारी भूकंप आया, तब हमने मानवीय आधार पर सहायता भेजी थी। यह राशि विदेश मंत्रालय के माध्यम से दी गई थी। अब दो साल बाद इसे 2025 के सीमा विवाद से जोड़ना सही नहीं होगा।”
वायनाड की मांग और केंद्र सरकार पर आरोप
केरल सरकार ने वायनाड भूस्खलन के बाद केंद्र सरकार से ₹2,000 करोड़ की विशेष सहायता की मांग की थी, लेकिन उनका आरोप है कि भाजपा नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने कोई खास पैकेज नहीं दिया। इस मामले को लेकर सीपीआई (एम) वायनाड जिले में मार्च निकाल रही है और केंद्र सरकार को क्षेत्र की उपेक्षा का आरोप लगा रही है।
Bangladesh News: बांग्लादेश में राजनीतिक और आर्थिक दोनों स्तरों पर तनाव बढ़ता जा रहा है। मोहम्मद यूनुस की अगुवाई वाली अंतरिम सरकार की नीतियों के खिलाफ व्यापारिक और सरकारी क्षेत्रों में विरोध जारी है, जिससे देश की स्थिति बेहद अस्थिर बनी हुई है। राजधानी ढाका समेत कई जगहों पर अनिश्चितता की भावना छाई हुई है, और लोग भविष्य को लेकर चिंता में हैं।
व्यापारियों का आक्रोश और बेरोजगारी का खतरा- Bangladesh News
बांग्लादेश टेक्सटाइल्स मिल्स एसोसिएशन (BTMA) के अध्यक्ष शौकत अजीज रसेल ने व्यापार समुदाय की चिंताएं व्यक्त की हैं। रसेल ने कहा है कि वर्तमान हालात में व्यापारियों को 1971 के मुक्ति संग्राम के दौरान बुद्धिजीवियों पर हुए अत्याचार जैसी स्थिति का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने देश में अकाल जैसी आपदा का खतरा जताया है, क्योंकि लगातार बढ़ती बेरोजगारी ने आर्थिक स्थिरता को नुकसान पहुंचाया है।
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रसेल ने बताया कि ईद-उल-अजहा से पहले श्रमिकों को बोनस और वेतन देने के लिए भी संसाधनों का अभाव है। उन्होंने सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि निवेशकों को बुलाने की बात तो होती है, लेकिन विदेशी निवेशक वियतनाम जैसे अन्य देशों को ज्यादा लाभकारी मानते हैं।
सरकारी कर्मचारियों का विरोध और काम बंदी
राजनीतिक उथल-पुथल के बीच, सरकारी क्षेत्र भी अस्थिरता की चपेट में है। रविवार को बांग्लादेश सचिवालय में सरकारी कर्मचारी लगातार दूसरे दिन विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। वे प्रस्तावित सरकारी सेवा (संशोधन) अध्यादेश, 2025 के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं, जिसे वे दंडात्मक और कर्मचारियों के अधिकारों के खिलाफ मानते हैं।
साथ ही, राष्ट्रीय राजस्व बोर्ड (एनबीआर) के अधिकारी भी नए अध्यादेश को रद्द करने की मांग को लेकर हड़ताल पर हैं। उन्होंने सोमवार से आयात-निर्यात गतिविधियों को अनिश्चितकाल के लिए रोकने की चेतावनी दी है, जिससे देश के व्यापारिक कारोबार पर भारी असर पड़ने की संभावना है।
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सरकारी प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक भी अपनी तीन सूत्री मांगों के समर्थन में सोमवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने वाले हैं, जिसमें प्रारंभिक वेतन को राष्ट्रीय वेतनमान के 11वें ग्रेड के बराबर करने की मांग शामिल है।
मोहम्मद यूनुस की मुश्किलें और युद्ध जैसी स्थिति का बयान
अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस ने हाल ही में देश की राजनीतिक स्थिति को ‘युद्ध जैसी’ बताया है। उन्होंने कहा है कि अवामी लीग की गतिविधियों पर प्रतिबंध लगने के बाद से देश में अस्थिरता और संघर्ष की स्थिति पैदा हो गई है।
उनके मुख्य सलाहकार के प्रेस सचिव शफीकुल आलम ने कहा, “देश के अंदर और बाहर युद्ध जैसी स्थिति बन गई है, जिससे हम अपने विकास के रास्ते पर नहीं बढ़ पा रहे हैं। सब कुछ ध्वस्त हो गया है और हम फिर से गुलामी के दौर में लौट रहे हैं।”
यूनुस ने राजधानी ढाका के जमुना राजकीय अतिथि गृह में राजनीतिक दलों और संगठनों के लगभग 20 नेताओं से मुलाकात की। ये बैठकें ऐसे समय में हुईं जब यह खबरें आ रही थीं कि वे पद छोड़ने की इच्छा जता चुके हैं।
चुनाव की नई समयसीमा और सैन्य मतभेद
पूर्व में मोहम्मद यूनुस ने दिसंबर 2025 तक चुनाव कराने की बात कही थी, लेकिन अब उन्होंने छह महीने और समय की मांग की है। उनका कहना है कि चुनाव दिसंबर 2025 से जून 2026 के बीच होंगे और वे जून 30, 2026 के बाद पद पर नहीं रहेंगे।
इस बीच, बांग्लादेश की सेना ने चुनाव जल्दी कराने की मांग की है। सेना प्रमुख जनरल वाकर-उज-जमान ने नौसेना और वायुसेना प्रमुखों के साथ मिलकर दिसंबर 2025 तक चुनाव करवाने का दबाव बनाया है ताकि निर्वाचित सरकार समय पर सत्ता संभाल सके। सेना और सरकार के बीच म्यांमार के रखाइन राज्य में प्रस्तावित गलियारे को लेकर भी मतभेद हैं।
Who is Qadir: उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में एक कुख्यात अपराधी को पकड़ने गई नोएडा पुलिस की टीम पर शनिवार देर रात एक संगीन हमला हुआ। इस हमले में पुलिस का एक सिपाही सौरभ शहीद हो गया, जबकि 2 से 3 अन्य पुलिसकर्मी घायल बताए जा रहे हैं। पुलिस ने घायल सिपाही को तुरंत यशोदा अस्पताल में भर्ती कराया जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। बदमाश कादिर उर्फ मंटा को पुलिस ने एनकाउंटर में गिरफ्तार कर लिया है। वहीं, पुलिस मामले में अन्य आरोपियों की तलाश कर रही है।
बदमाश कादिर की गिरफ्तारी के लिए पुलिस ने मारा छापा- Who is Qadir
गाजियाबाद के मसूरी थाना क्षेत्र के नाहल गांव में छिपे कादिर को पकड़ने के लिए नोएडा के फेस-3 थाना पुलिस टीम रविवार (25 मई) की आधी रात के बाद साढ़े 12 बजे वहां पहुंची। कादिर पर लूट, रंगदारी, हथियार तस्करी और अन्य संगीन अपराधों के 16 मुकदमे दर्ज हैं। पुलिस के अनुसार, कादिर एक हिस्ट्रीशीटर है और काफी समय से फरार था।
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पुलिस ने दबिश देकर कादिर को उसके घर से दबोच लिया। लेकिन जैसे ही पुलिस कादिर को लेकर गांव से बाहर निकल रही थी, उसका परिवार और कुछ समर्थक पुलिस टीम पर हमलावर हो गए। पंचायत भवन के पास छिपे बदमाशों ने पथराव शुरू कर दिया और फिर गोलीबारी भी की।
पुलिस पर फायरिंग, सिपाही सौरभ शहीद
पुलिस की तरफ से भी जवाबी फायरिंग हुई, लेकिन इस बीच गोली सिपाही सौरभ के सिर में लगी, जिससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई। सौरभ शामली जिले के रहने वाले थे और नोएडा पुलिस में तैनात थे। इस हमले में 2-3 अन्य पुलिसकर्मी भी घायल हुए हैं, जिनकी हालत फिलहाल खतरे से बाहर बताई जा रही है।
बदमाश को एनकाउंटर में गिरफ्तार किया गया
पुलिस ने बदमाश कादिर को गिरफ्तार कर लिया है। हालांकि, उसके साथियों की अभी भी तलाश जारी है। पुलिस ने बताया कि कादिर की उम्र लगभग 23 साल है और वह इलाके का एक कुख्यात अपराधी रहा है। पुलिस पूरे मामले की गंभीरता से जांच कर रही है और पुलिस टीम पर हमला करने वालों की पहचान और गिरफ्तारी के लिए अभियान चला रखा है।
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कादिर पर दर्ज हैं कई आपराधिक मामले
कादिर के खिलाफ लूट, रंगदारी, हथियारों की तस्करी, चोरी समेत 16 संगीन आपराधिक मामले दर्ज हैं। वह लंबे समय से फरार था और पुलिस लगातार उसकी तलाश में थी। इस घटना से इलाके में कानून व्यवस्था पर सवाल उठ रहे हैं, वहीं पुलिस ने भरोसा दिलाया है कि जल्द ही सभी आरोपियों को गिरफ्तार किया जाएगा और इस तरह की घटनाओं को दोबारा नहीं होने दिया जाएगा।
Miss England 2024: दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित सौंदर्य प्रतियोगिताओं में से एक, मिस वर्ल्ड 2025, इस बार हैदराबाद, भारत में आयोजित किया जा रहा है। विश्व के कई देशों से प्रतिभागी इस खिताब को जीतने के लिए यहां पहुंच चुके हैं और कड़ी मेहनत में जुटे हैं। प्रतियोगिता के दौरान ली गई तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहे हैं, जिससे इस इवेंट को काफी ध्यान मिल रहा है।
मिस इंग्लैंड 2024 का अचानक वापसी और आरोप- Miss England 2024
हाल ही में इस प्रतिष्ठित प्रतियोगिता से जुड़ी एक बड़ी खबर सामने आई है। प्रतियोगिता में भाग लेने आईं मिस इंग्लैंड 2024, मिला मैगी (Milla Magee) ने 7 मई को भारत आकर केवल 9 दिन बाद, 16 मई को ही इंग्लैंड वापस लौटने का फैसला लिया। उन्होंने प्रतियोगिता छोड़ने का कारण गंभीर आरोप लगाकर स्पष्ट किया है।
मिला मैगी ने इंटरव्यू में कहा कि उन्हें पूरे दिन जबरदस्ती मेकअप करवाया जाता रहा और बॉल गाउन पहनने को मजबूर किया गया। इसके साथ ही प्रतियोगिता के आयोजकों ने सभी कंटेस्टेंट को फाइनेंशियल सपोर्ट करने वाले मिडल-एड स्पॉन्सर्स के साथ घुलने-मिलने और उनकी खुशी का ध्यान रखने के लिए कहा गया।
मिला ने आगे बताया कि वे इस प्रतियोगिता में कुछ अलग करने आई थीं, लेकिन वहां उन्हें ‘मदारी के बंदरों’ की तरह बिठा दिया गया। उन्हें बार-बार ऐसा व्यवहार किया गया जैसे वे सिर्फ मेहमानों का मनोरंजन करें। उनका यह अनुभव बेहद निराशाजनक था और उन्होंने इसे ‘वेश्या जैसा महसूस’ करार दिया। उनका यह बयान सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है और इस पर लोगों की अलग-अलग प्रतिक्रियाएं आ रही हैं।
विवाद के असर और प्रतिक्रिया
मिला मैगी के आरोपों के बाद इस प्रतियोगिता की विश्वसनीयता पर सवाल उठने लगे हैं। कई लोग प्रतियोगिता के आयोजनों और व्यवस्थाओं को लेकर आलोचना कर रहे हैं, तो कुछ लोग इस मामले की गहराई से जांच की मांग कर रहे हैं। प्रतियोगिता में शामिल अन्य प्रतिभागियों और आयोजकों की ओर से फिलहाल इस विवाद पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है।
इसी बीच, मिस इंडिया 2024, नंदिनी गुप्ता, इस प्रतियोगिता में भारत का प्रतिनिधित्व कर रही हैं। नंदिनी गुप्ता राजस्थान के कोटा की रहने वाली हैं और वे अपने देश के लिए इस प्रतिष्ठित खिताब को जीतने की पूरी कोशिश कर रही हैं।
मिस वर्ल्ड 2025 के परिणाम 31 मई को घोषित किए जाएंगे, जब पता चलेगा कि नंदिनी गुप्ता भारत के लिए यह मुकाम हासिल कर पाती हैं या नहीं। देशभर की निगाहें नंदिनी पर टिकी हुई हैं, जो पूरे गर्व के साथ भारत का नाम रौशन करने के लिए मैदान में हैं।
मिस वर्ल्ड 2025 प्रतियोगिता जहां ग्लैमर और सौंदर्य का उत्सव है, वहीं मिला मैगी के आरोपों ने इस आयोजन पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। प्रतिभागियों के अनुभवों को सम्मान और सुरक्षा मिलना बेहद आवश्यक है। इस विवाद के बीच, भारत की नंदिनी गुप्ता का प्रदर्शन देशवासियों की उम्मीदों को बंधाए हुए है।
Mohak Mangal vs ANI: देश के तेजी से लोकप्रिय होते यूट्यूब क्रिएटर मोहक मंगल ने हाल ही में एक वीडियो जारी किया है, जिसमें उन्होंने भारत की प्रमुख समाचार एजेंसी ANI (एशियन न्यूज़ इंटरनेशनल) पर कॉपीराइट कानूनों का दुरुपयोग करने और जबरन बड़ी रकम वसूलने का आरोप लगाया है। मोहक के इस आरोप ने यूट्यूब समुदाय में चर्चा की आग लगा दी है।
मामला: कॉपीराइट स्ट्राइक और लाखों की मांग- Mohak Mangal vs ANI
मोहक ने बताया कि ANI ने उनके चैनल पर दो बार कॉपीराइट स्ट्राइक भेजी है। पहली स्ट्राइक उनके कोलकाता रेप केस पर आधारित 16 मिनट के वीडियो में ANI के 11 सेकंड के फुटेज के इस्तेमाल को लेकर आई। दूसरी स्ट्राइक “ऑपरेशन सिंदूर” पर बने 38 मिनट के वीडियो में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह की 9 सेकंड की क्लिप के इस्तेमाल पर मिली।
यूट्यूब की नीति के मुताबिक, तीन कॉपीराइट स्ट्राइक मिलने पर चैनल को स्थायी रूप से डिलीट कर दिया जाता है। इस मामले में ANI ने मोहक से 45 से 50 लाख रुपये की मांग की, जिसे मोहक ने “डिजिटल फिरौती” बताया।
ANI की ओर से धनवसूली का आरोप
मोहक के अनुसार, ANI के एक कर्मचारी ने उनकी टीम को ईमेल के जरिए प्रस्ताव दिया कि 45 लाख रुपये + GST देने पर वे सभी स्ट्राइक हटा देंगे और ANI की एक साल की सब्सक्रिप्शन सेवा भी प्रदान करेंगे। बातचीत में ANI ने कई बार रकम घटाने और बढ़ाने के प्रस्ताव भी दिए, जैसे 30 लाख + GST एक साल के लिए और 40 लाख + GST दो साल के लिए।
ANI पर यह भी आरोप लगाया गया है कि वे अन्य यूट्यूबर्स से भी 15 से 50 लाख रुपये तक की वसूली करते हैं और चैनल डिलीट करने की धमकी देते हैं। मोहक ने दावा किया कि एक बड़े क्रिएटर ने हाल ही में 50 लाख देकर अपना चैनल बचाया है।
क्या था मामला “फेयर यूज” के तहत?
भारत में “फेयर यूज” की स्पष्ट व्याख्या नहीं है, लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि समाचार और विश्लेषणात्मक वीडियो में कुछ सेकंड का फुटेज न्यायसंगत उपयोग (Fair Use) के दायरे में आता है। मोहक ने कहा कि उन्होंने ANI का कोई फुटेज डाउनलोड नहीं किया, केवल न्यूज क्लिपिंग कुछ सेकंड के लिए दिखाई, जो फेयर यूज में आता है।
देश में ANI एक बड़ी न्यूज़ एजेंसी हैं। यह लोग डायरेक्ट ख़बर वीडियो फॉर्मेट में लाते हैं और सभी तक पहुंचाते हैं,
YouTube का एक नियम है कि यदि आपके चैनल पर 3 स्ट्राइक आ गईं तो आपका चैनल Delete हो जायेगा,
मोहक ने अपने वीडियो में ANI के कर्मचारी की कथित बातचीत के अंश भी साझा किए, जिसमें कहा गया:
“अब तक सिर्फ दो स्ट्राइक हैं, लेकिन आठ वीडियो पर स्ट्राइक फाइल की जा चुकी हैं।”
“अगर आज पैसे नहीं दिए गए, तो कल चैनल डिलीट कर दिया जाएगा।”
“हमारी एक बड़ी टीम है, जो केवल स्ट्राइक भेजने का काम करती है।”
यह बातचीत एक डिजिटल धमकी या कॉल सेंटर स्कैम जैसी प्रतीत होती है, जहां धमकी देकर भारी रकम वसूलने की कोशिश होती है।
सरकार को भेजी शिकायत
मोहक मंगल ने इस मामले को लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को शिकायत भेजी है। उन्होंने कहा कि उन्होंने सरकार को सभी सबूत प्रदान कर दिए हैं और अब यह सरकार पर निर्भर है कि वे इस विवाद में न्यायसंगत निर्णय लें।
ANI की ओर से अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं
इस मामले पर ANI ने अभी तक कोई आधिकारिक बयान या स्पष्टीकरण जारी नहीं किया है। यदि मोहक के आरोप सत्य हैं, तो यह मामला कॉपीराइट कानूनों के दुरुपयोग और डिजिटल धमकी की गंभीर मिसाल बन सकता है।
Britain Sikh Taxi Drivers: ब्रिटेन में सिख समुदाय का इतिहास गहराई से जुड़ा हुआ है और यह समुदाय न केवल धार्मिक बल्कि सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक रूप से भी ब्रिटेन की विविधता में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। इस विस्तृत रिपोर्ट में हम ब्रिटेन में सिखों के इतिहास, उनकी प्रवासन की कहानियों, उनके सामाजिक संघर्षों, आर्थिक योगदान और धार्मिक पहचान से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करेंगे।
ब्रिटेन में सिख धर्म का प्रारंभिक इतिहास- Britain Sikh Taxi Drivers
ब्रिटेन में सिखों का पहला उल्लेखनीय आगमन महाराजा दलीप सिंह के रूप में हुआ, जो पंजाब के अंतिम सिख शासक थे। 1849 में, अंग्रेजों के साथ हुए आंग्ल-सिख युद्धों के बाद उन्हें शासन से हटा दिया गया और 14 वर्ष की आयु में उन्हें ब्रिटेन निर्वासित कर दिया गया। महाराजा दलीप सिंह नॉरफ़ोक के थेटफोर्ड के निकट एल्वेडेन एस्टेट में रहने लगे। उनकी ब्रिटेन में एक प्रतिमा है, जिसका अनावरण 1999 में प्रिंस ऑफ वेल्स ने किया था। हालांकि उनके आगमन के बावजूद, ब्रिटेन में पहला सिख गुरुद्वारा 1911 में लंदन के पुटनी में स्थापित हुआ।
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मुख्य प्रवासन: पंजाब से ब्रिटेन
1950 और 1960 के दशक में पंजाब से ब्रिटेन मुख्य रूप से पुरुष श्रमिकों का प्रवासन हुआ। ब्रिटेन की औद्योगिक इकाइयों में कम कुशल श्रमिकों की भारी कमी थी, जिसके चलते पंजाब के कई लोग काम की तलाश में ब्रिटेन आए। वे मुख्य रूप से फाउंड्री, वस्त्र उद्योग, टैक्सी और ट्रक ड्राइविंग जैसे क्षेत्रों में काम करने लगे। आरंभिक समय में कई प्रवासियों ने नस्लवाद और रोजगार की बाधाओं के कारण अपने धार्मिक प्रतीकों जैसे पगड़ी, बाल और दाढ़ी को छुपाया या हटा दिया।
पंजाब से पलायन के पीछे कई कारण थे, जिनमें 1947 में भारत-पाकिस्तान का विभाजन और उससे उत्पन्न हिंसा प्रमुख था। पंजाब का वह हिस्सा जो अब पाकिस्तान में है, वहां सिखों और अन्य धार्मिक समुदायों के बीच हिंसा हुई और विस्थापन हुआ। इसके बाद 1966 में भारत ने पंजाब को तीन हिस्सों में विभाजित कर पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश बनाया। इस कारण भी सामाजिक और आर्थिक अस्थिरता बढ़ी, जिससे कई सिखों ने स्थायी रोजगार और बेहतर जीवन के लिए विदेश जाना बेहतर समझा।
पूर्वी अफ्रीका से सिखों का ब्रिटेन आगमन
पूर्वी अफ्रीका से आने वाले सिख समुदाय ने भी ब्रिटेन में अपनी मजबूत पहचान बनाई। तंज़ानिया, युगांडा और केन्या जैसे देशों में अफ्रीकीकरण की नीतियों के चलते कई एशियाई, विशेषकर सिख, अपने रोजगार और समुदाय से वंचित होकर ब्रिटेन आए। अफ्रीकी सिख अपने धार्मिक प्रतीकों के प्रति अधिक गर्व करते थे और इन्हें खुले तौर पर स्वीकार करते थे। वे आम तौर पर अधिक शिक्षित और कुशल थे, जिससे ब्रिटेन में उनकी स्थिति मजबूत बनी। उनकी मौजूदगी ने ब्रिटेन के सिख समुदाय को अधिक दृढ़ और संगठित बनाया।
ब्रिटेन में सिखों की आबादी और सामाजिक स्थिति
2021 के ब्रिटिश जनगणना के अनुसार ब्रिटेन में लगभग 5,35,000 सिख रहते हैं, जो कुल जनसंख्या का लगभग 0.8 प्रतिशत है। अकेले लंदन में सिखों की संख्या 1,44,543 है, जिसमें साउथ हॉल क्षेत्र में 20,843 सिख निवास करते हैं। साउथ हॉल को ‘मिनी पंजाब’ कहा जाता है क्योंकि यहां सिखों की संख्या अधिक होने के कारण भारतीय संस्कृति का दबदबा है। यहां स्थित गुरुद्वारा गुरु सिंह सभा भारत के बाहर सबसे बड़ा गुरुद्वारा माना जाता है।
सिखों का आर्थिक योगदान और ट्रक ड्राइवरों की भूमिका
ब्रिटेन में सिख समुदाय ने ट्रक ड्राइविंग और व्यवसाय में खासा योगदान दिया है। 2017 की रिपोर्ट के अनुसार, लगभग 20,000 पंजीकृत ट्रक ड्राइवर सिख समुदाय से हैं। ब्रिटेन में ट्रक ड्राइवरों की भारी कमी के कारण, बड़ी कंपनियां जैसे टेस्को और सेन्सबरी उच्च वेतन और बोनस देकर ड्राइवरों को आकर्षित कर रही हैं। वार्षिक वेतन 70,000 पाउंड तक पहुंच सकता है, इसके अलावा 2,000 पाउंड का बोनस भी दिया जा रहा है। 17 वर्षों से ट्रक ड्राइविंग कर रहे एक ड्राइवर बैरी के अनुसार यह वेतन बहुत आकर्षक है और कंपनियां अपनी स्टॉक की व्यवस्था बनाए रखने के लिए वीकेंड ड्यूटी पर भी ज्यादा भुगतान कर रही हैं।
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सिख समुदाय के धार्मिक संघर्ष: वूल्वरहैम्प्टन बस ड्राइवरों का केस
है। ब्रिटेन में सिख ड्राइवरों ने अपनी सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान बनाए रखने के लिए कई संघर्ष भी किए हैं। 1960 के दशक में वूल्वरहैम्प्टन के सिख बस ड्राइवरों का एक महत्वपूर्ण संघर्ष हुआ। उस समय बस ड्राइवरों को साफ़ सुथरे और बिना दाढ़ी के काम पर आने का नियम था, जो सिख धर्म के धार्मिक आचार के खिलाफ था। टर्सेम सिंह संधू ने पगड़ी पहनने और बाल न काटने की अपनी धार्मिक आज़ादी के लिए आवाज़ उठाई। इस आंदोलन ने ब्रिटेन में धार्मिक पहचान और अधिकारों के लिए बड़ी लड़ाई छेड़ी। 1969 में यह अधिकार मिला कि सिख ड्राइवर पगड़ी पहन सकते हैं। इस संघर्ष के दौरान सामाजिक और नस्लीय तनाव भी बढ़े, जिसमें प्रसिद्ध सांसद इनोच पॉवेल ने भी पगड़ी विवाद पर विवादास्पद बयान दिया था।
ब्रिटेन में सिखों के लिए धार्मिक और सामाजिक सुधार
इतना ही नहीं, ब्रिटेन में सिख समुदाय ने पारिवारिक और नागरिक विवादों को हल करने के लिए ‘सिख कोर्ट’ स्थापित की है, जो सिख सिद्धांतों के अनुसार न्याय प्रदान करती है। यह धार्मिक न्यायाधिकरण नहीं है, बल्कि समुदाय के भीतर सामाजिक और पारिवारिक विवादों का समाधान करती है।
इसके अलावा, 2019 में ब्रिटेन ने सिखों को धार्मिक कारणों से कृपाण (धार्मिक तलवार) रखने का अधिकार दिया। यह ब्रिटिश गृह विभाग के साथ सिख समुदाय के परामर्श का परिणाम था, जिससे धार्मिक स्वतंत्रता और सांस्कृतिक पहचान का सम्मान सुनिश्चित हुआ।
सिख सैनिकों के लिए भी ब्रिटिश सेना ने विशेष प्रार्थना पुस्तकें ‘नितनेम गुटका’ जारी की हैं, जो सैन्य जीवन में उनकी धार्मिक आवश्यकताओं को पूरा करती हैं। यह पहल सिखों के लिए सम्मान और समावेश का प्रतीक है।
ब्रिटेन में ट्रक ड्राइवरों की कमी और उससे जुड़ी समस्याएं
हालांकि, ब्रिटेन में भारी वाहन चालक (एचजीवी) की कमी लंबे समय से एक गंभीर समस्या रही है। औसत उम्र 55 से ऊपर होने के कारण कई ड्राइवर सेवानिवृत्त हो रहे हैं, लेकिन युवाओं का आकर्षण कम है। खराब वेतन, कठिन कार्य परिस्थितियां, और लंबे अनिश्चित घंटों के कारण युवा इस पेशे में आना कम पसंद करते हैं। कोविड-19 महामारी और ब्रेक्सिट के कारण विदेशी ड्राइवरों की संख्या भी घट गई, जिससे समस्या और गहरी हो गई। सरकार ने अस्थायी वीजा योजना शुरू की, जिसके तहत 5,000 विदेशी ड्राइवरों को कार्य अनुमति दी गई।
वहीं, यह कहना भी गलत नहीं होगा कि ब्रिटेन में सिख समुदाय की यात्रा संघर्षपूर्ण और गौरवपूर्ण रही है। उनकी धार्मिक पहचान, सामाजिक संघर्ष, और आर्थिक योगदान ब्रिटेन की विविधता और समृद्धि का अभिन्न हिस्सा हैं।
Andhra Pradesh Tirupati News: आंध्र प्रदेश के तिरुपति में एक दुखद और गंभीर मामला सामने आया है, जहां पुलिस ने एक बत्तख पालक और उसके परिवार को गिरफ्तार किया है। आरोप है कि उन्होंने यानाडी आदिवासी समुदाय की एक महिला अनकम्मा और उसके तीन बच्चों को 25,000 रुपये के कर्ज के बदले बंधुआ मजदूर के रूप में रखा। महिला के एक बेटे को जमानत पर गिरवी रखा गया, जबकि बाकी बच्चों को छोड़ दिया गया। जब महिला ने कर्ज समेत ब्याज की रकम जमा कर अपने बेटे को वापस लेने गई तो आरोपियों ने कहा कि बच्चा भाग गया है। लेकिन पुलिस जांच में खुलासा हुआ कि लड़का मृत था और उसे तमिलनाडु के कांचीपुरम में गुप्त रूप से दफनाया गया था।
कर्ज की मजबूरी में बंधुआ मजदूर बनाए गए अनकम्मा और बच्चे- Andhra Pradesh Tirupati News
जानकारी के अनुसार, अनकम्मा, उनके पति चेन्चैया और तीन बच्चे यानाडी आदिवासी समुदाय से संबंधित हैं। ये लोग तिरुपति में बत्तख पालन के लिए करीब एक साल तक काम करते रहे। चेन्चैया की मौत के बाद भी नियोक्ता ने अनकम्मा और उसके बच्चों को काम पर रखने को मजबूर किया। उसने बताया कि पति ने 25,000 रुपये का कर्ज लिया था, इसलिए वे काम छोड़ नहीं सकते।
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बेटे को जमानत पर रखा, भारी ब्याज पर कर्ज चुकाने को कहा गया
अनकम्मा ने मजदूरी बढ़ाने की मांग की, लेकिन नियोक्ता ने इनकार कर दिया। जब महिला ने काम छोड़ने की जिद की तो कर्ज की रकम 45,000 रुपये (जिसमें 20,000 रुपये ब्याज शामिल था) चुकाने के लिए कहा गया। पैसे जुटाने के लिए 10 दिन मांगे गए, लेकिन इस दौरान महिला को बताया गया कि उसे अपने एक बेटे को जमानत के रूप में गिरवी रखना होगा। मजबूरी में अनकम्मा ने यह स्वीकार कर लिया।
बेटे की आखिरी बातचीत और लौटाने की गुहार
अप्रैल में अनकम्मा ने अपने बेटे से आखिरी बार फोन पर बात की, जिसमें वह अपने मां से मिलने की बार-बार विनती कर रहा था। अप्रैल के आखिरी सप्ताह में जब महिला ने पैसे इकट्ठा कर बेटे को लेने गई, तो नियोक्ता ने पहले कहा कि बच्चा कहीं और भेज दिया गया है। दबाव डालने पर कहा कि वह अस्पताल में भर्ती है, बाद में यह भी कहा कि वह भाग गया है। डर के मारे अनकम्मा ने स्थानीय आदिवासी नेताओं से मदद लेकर पुलिस को सूचना दी।
पुलिस जांच में खुलासा, शव तमिलनाडु में गुप्त रूप से दफन
तिरुपति कलेक्टर वेंकटेश्वर ने बताया कि पुलिस ने तुरंत एक टीम गठित कर जांच शुरू की। पूछताछ में आरोपी बत्तख पालक ने बच्चे की मौत स्वीकार कर ली और कहा कि उन्होंने शव को कांचीपुरम में अपने ससुराल के पास छुपाकर दफना दिया। आरोपी परिवार के तीन सदस्यों को गिरफ्तार कर बंधुआ मजदूरी, बाल श्रम, किशोर न्याय, एससी/एसटी अत्याचार अधिनियम सहित कई धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया। मंगलवार को बच्चे का शव पुलिस ने बाहर निकाला और पोस्टमार्टम के लिए भेजा।
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आरोपी परिवार का पक्ष और सामाजिक कार्यकर्ताओं की चिंता
आरोपी परिवार ने कहा कि बच्चे की मौत पीलिया से हुई, इसलिए उसे गुप्त रूप से दफनाया गया। लेकिन अनकम्मा का कहना है कि सीसीटीवी फुटेज में दिखाया गया है कि लड़के को अस्पताल ले जाया गया था। सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस घटना को आदिवासी समुदाय के लिए एक गंभीर चेतावनी बताया। यानाडी जनजाति के कई सदस्य बंधुआ मजदूरी के शिकार होते हैं, और हाल ही में 50 से अधिक पीड़ितों को मुक्त कराया गया है। एक कार्यकर्ता ने कहा कि पीड़ितों को फंसाने के लिए अक्सर अग्रिम राशि ली जाती है, जिससे वे कर्ज में फंस जाते हैं।
प्रशासन की कड़ी प्रतिक्रिया और आगे की कार्रवाई
तिरुपति प्रशासन ने इस घटना को गंभीरता से लेते हुए दोषियों को जल्द से जल्द सजा दिलाने का आश्वासन दिया है। कलेक्टर वेंकटेश्वर ने कहा कि बंधुआ मजदूरी, बाल श्रम और अन्य अपराधों के खिलाफ सख्त कार्रवाई जारी रहेगी। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर और कानूनी कदम उठाए जाएंगे। प्रशासन ने कहा है कि ऐसे मामलों को रोकने के लिए सतर्कता बढ़ाई जाएगी और समुदाय में जागरूकता फैलाने का कार्य किया जाएगा।
Lalu Yadav on Tej Pratap: राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) ने रविवार को बड़ा और ऐतिहासिक फैसला लेते हुए अपने बड़े बेटे तेज प्रताप यादव (Tej Pratap Yadav) को पार्टी से छह साल के लिए निष्कासित कर दिया है। यह कदम तेज प्रताप के हालिया निजी जीवन को लेकर सोशल मीडिया पर हुए विवाद के बाद उठाया गया है, जिसने परिवार और पार्टी दोनों में खलबली मचा दी थी।
तेज प्रताप यादव की निजी जिंदगी से जुड़ा विवाद- Lalu Yadav on Tej Pratap
शनिवार को तेज प्रताप यादव के ऑफिसियल फेसबुक अकाउंट से एक पोस्ट वायरल हुआ, जिसमें वे एक लड़की अनुष्का यादव के साथ नजर आए। पोस्ट में लिखा गया था कि तेज प्रताप और अनुष्का पिछले 12 वर्षों से एक-दूसरे को जानते हैं और प्यार भी करते हैं। दोनों पिछले 12 सालों से रिलेशनशिप में हैं। इस पोस्ट ने तेज प्रताप की निजी जिंदगी को लेकर कयासों और चर्चाओं को जन्म दिया।
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हालांकि देर रात तेज प्रताप ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ (पूर्व ट्विटर) पर यह दावा किया कि उनका फेसबुक अकाउंट हैक हो गया था और उनकी तस्वीरें गलत तरीके से एडिट कर उन्हें बदनाम करने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने अपने फॉलोअर्स से अपील की कि वे अफवाहों पर ध्यान न दें। लेकिन तब तक तेज प्रताप और अनुष्का की कई तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो चुकी थीं, जिनमें दोनों की नजदीकी साफ दिख रही थी।
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लालू प्रसाद यादव ने पार्टी और परिवार से बाहर किया तेज प्रताप को
इसी बीच, रविवार को लालू प्रसाद यादव ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट के जरिए तेज प्रताप को पार्टी और परिवार से बाहर करने की घोषणा की। उन्होंने लिखा, “निजी जीवन में नैतिक मूल्यों की अवहेलना हमारे सामाजिक न्याय के लिए संघर्ष को कमजोर करती है। ज्येष्ठ पुत्र के लोक आचरण और गैर जिम्मेदाराना व्यवहार हमारे पारिवारिक संस्कारों के अनुरूप नहीं है। इसलिए मैं उसे पार्टी और परिवार से निष्कासित करता हूं। अब उसकी पार्टी और परिवार में कोई भूमिका नहीं रहेगी।”
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उन्होंने आगे कहा कि तेज प्रताप को पार्टी से छह साल के लिए बाहर किया जाता है। साथ ही उन्होंने कहा कि जो लोग तेज प्रताप से जुड़े हैं, वे स्वविवेक से निर्णय लें। उन्होंने परिवार के सदस्यों द्वारा अपनाए गए लोकलाज के मूल्य की भी तारीफ की।
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तेजस्वी यादव ने जताई अलग राय
राजद के दूसरे प्रमुख नेता और तेज प्रताप के छोटे भाई तेजस्वी यादव ने इस विवाद पर अपनी राय दी। उन्होंने कहा कि राजनीतिक जीवन और व्यक्तिगत जीवन को अलग देखा जाना चाहिए। उन्होंने जोर दिया कि तेज प्रताप को अपने निजी फैसले लेने का पूरा अधिकार है। तेजस्वी ने कहा कि पार्टी अध्यक्ष ने अपनी भावना स्पष्ट कर दी है, जो उनकी निजी राय है। उन्होंने कहा कि किसी की निजी जिंदगी पर सवाल उठाना सही नहीं है और इस मामले में उन्हें मीडिया से ही जानकारी मिली है।
तेज प्रताप की शादी और तलाक का मामला भी चर्चा में
यह भी ज्ञात हो कि तेज प्रताप यादव पहले से शादीशुदा हैं। उनकी शादी मई 2018 में पूर्व मुख्यमंत्री दरोगा राय की पोती ऐश्वर्या राय से हुई थी। हालांकि, उनके वैवाहिक जीवन में कई विवाद सामने आए हैं और तलाक का मामला कोर्ट में लंबित है। इस निजी जीवन की उलझनों ने उनके सार्वजनिक और राजनीतिक जीवन को भी प्रभावित किया है।
Hera Pheri 3 controversy: कल्ट कॉमेडी फिल्म ‘हेरा फेरी’ के तीसरे पार्ट का इंतजार लंबे समय से फैंस को था। जब इस फिल्म के बनने की घोषणा हुई तो सभी ने खुशी जताई। लेकिन जैसे ही खबर आई कि इस फिल्म से परेश रावल अचानक बाहर हो गए हैं, तब यह खुशखबरी फैंस के लिए एक बड़ा झटका बन गई। इसके बाद खबरें आईं कि अक्षय कुमार ने भी परेश रावल के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की है। अब इस पूरे मामले में परेश रावल ने अपनी प्रतिक्रिया दी है।
अक्षय कुमार ने क्यों किया परेश रावल पर केस? (Hera Pheri 3 controversy)
कुछ समय पहले यह खबर आई थी कि अक्षय कुमार ने परेश रावल पर 25 करोड़ रुपये का केस किया है। अक्षय के पास फिल्म ‘हेरा फेरी 3’ के अधिकार (राइट्स) हैं और परेश की अचानक फिल्म छोड़ने से उन्हें भारी आर्थिक नुकसान हुआ। इसी वजह से अक्षय ने कानूनी कार्रवाई करने का फैसला लिया। परेश रावल ने शुरू में इस पूरे मामले पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी थी, लेकिन अब उन्होंने खुद सोशल मीडिया के जरिए अपने वकील के माध्यम से जवाब भेजे जाने की जानकारी दी है।
परेश ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर लिखा, “मेरे वकील अमीत नाइक ने मेरी फिल्म से बाहर निकलने के बारे में उचित जवाब भेजा है। जैसे ही अक्षय कुमार इसका जवाब पढ़ेंगे, उम्मीद है कि मामले का समाधान हो जाएगा।”
My lawyer, Ameet Naik, has sent an appropriate response regarding my rightful termination and exit. Once they read my response all issues will be laid to rest.
फिल्म के निर्देशक प्रियदर्शन ने भी इस विवाद पर अपनी राय जाहिर की थी। उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा था कि वे पूरी तरह अक्षय कुमार के साथ हैं। उनके मुताबिक, परेश रावल ने बिना किसी सूचना के फिल्म छोड़ दी, जिससे प्रोजेक्ट को नुकसान पहुंचा है और अक्षय को मानसिक कष्ट भी हुआ है। प्रियदर्शन ने बताया कि अक्षय ने इस फिल्म में अपनी मेहनत और पैसे लगाए हैं, इसलिए उनका नाराज होना स्वाभाविक है। उन्होंने साफ किया कि परेश ने फिल्म छोड़ने की कोई जानकारी उन्हें नहीं दी।
क्या सच में क्रिएटिव डिफरेंसेज थे?
परेश रावल के अचानक बाहर निकलने के बाद यह अफवाह उड़ी कि उन्होंने फिल्म छोड़ने का फैसला क्रिएटिव डिफरेंसेज के कारण लिया है। हालांकि परेश ने खुद इस बात से इनकार किया और सोशल मीडिया पर इसे गलत बताया। उन्होंने कहा कि वह फिल्म के साथ जुड़े अन्य कारणों की वजह से बाहर हुए हैं, न कि किसी क्रिएटिव मतभेद के कारण।
परेश रावल ने अपने किरदार बाबू राव को लेकर क्या कहा?
हाल ही में एक बातचीत में परेश ने ‘हेरा फेरी’ के अपने लोकप्रिय किरदार बाबू राव पर बात की। उन्होंने कहा कि इस किरदार से उन्हें अब मुक्ति चाहिए क्योंकि इसे निभाते-निभाते उनका दम घुटने लगा है। इसके साथ ही मीडिया रिपोर्ट्स में यह भी कहा गया कि फीस को लेकर भी परेश का फिल्म छोड़ने का एक बड़ा कारण हो सकता है। बताया गया है कि उन्होंने अपनी साइनिंग फीस 11 लाख रुपये, जो उन्हें दी जानी थी, 15% ब्याज के साथ वापस कर दी है।
असली वजह क्या है?
फिलहाल यह साफ नहीं है कि परेश रावल ने ‘हेरा फेरी 3’ से बाहर निकलने का असली कारण क्या बताया है। एक्टर ने विवाद पर खुलकर कुछ नहीं कहा है। वहीं, अक्षय कुमार ने कानूनी कदम उठाकर अपनी नाराजगी जाहिर कर दी है। प्रियदर्शन का भी साफ कहना है कि परेश ने बिना किसी सूचना के फिल्म छोड़ दी, जिससे फिल्म की योजना प्रभावित हुई।