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Mp Devendra Singh Dispute: “मुझसे बड़ा गुंडा कोई नहीं”… हाथापाई पर उतरे BJP सांसद और ...

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Mp Devendra Singh Dispute: उत्तर प्रदेश का कानपुर देहात जिला इन दिनों किसी राजनीतिक रैली से नहीं, बल्कि सत्ताधारी पार्टी बीजेपी के दो नेताओं की भिड़ंत से सुर्खियों में है। मौजूदा सांसद देवेंद्र सिंह भोले और पूर्व सांसद अनिल शुक्ला वारसी के बीच दिशा (जिला विकास समन्वय एवं निगरानी समिति) बैठक के दौरान ऐसा बवाल मचा कि मामला हाथापाई तक पहुंच गया। अफसरों के सामने दोनों नेताओं ने एक-दूसरे पर आरोपों की बौछार कर दी। किसी तरह डीएम कपिल सिंह और एसपी श्रद्धा नरेंद्र पांडेय ने बीच-बचाव कर माहौल शांत कराया।

जानकारी के मुताबिक, झगड़े की शुरुआत अवैध खनन और फैक्ट्री जांच से जुड़ी बहस से हुई, लेकिन बात जल्द ही निजी आरोपों तक जा पहुंची। भाजपा के इन दोनों बड़े नेताओं के बीच टकराव नया नहीं है — यह विवाद महीनों से धीरे-धीरे सुलग रहा था।

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जुलाई की घटना से शुरू हुआ था तनाव- Mp Devendra Singh Dispute

दरअसल, पूर्व सांसद अनिल शुक्ला वारसी की पत्नी प्रतिभा शुक्ला प्रदेश सरकार में राज्यमंत्री हैं। 24 जुलाई को अकबरपुर नगर पंचायत के एक सभासद ने प्रतिभा शुक्ला के समर्थक पर मारपीट का आरोप लगाया था। इस पर कार्रवाई न होने के विरोध में प्रतिभा शुक्ला खुद धरने पर बैठ गईं। उस समय भी अनिल वारसी ने नगर पंचायत अध्यक्ष और सांसद भोले पर पक्षपात का आरोप लगाया था। तभी से दोनों के रिश्ते बिगड़ गए थे और मंगलवार की बैठक में यह टकराव खुलकर सामने आ गया।

बैठक में वारसी और भोले अपने-अपने समर्थकों के साथ पहुंचे थे। देवेंद्र भोले ने वारसी से कहा कि जुलाई की घटना पर उन्होंने जो फोन किया था, वह अब पार्टी के शीर्ष नेतृत्व— अमित शाह और जेपी नड्डा— के सामने रखा जाएगा। इस पर वारसी ने पलटकर कहा कि फोन उन्होंने विवाद सुलझाने के लिए किया था, न कि बढ़ाने के लिए। बस फिर क्या था, दोनों के बीच तीखी बहस शुरू हो गई।

“मुझसे बड़ा गुंडा कोई नहीं” – सांसद भोले

मामला तब और बिगड़ गया जब वारसी ने खुद को “गुंडा” कहे जाने पर विरोध जताया। इस पर सांसद देवेंद्र भोले भड़क गए और बोले,

“मुझसे बड़ा गुंडा कोई नहीं है। मैं कानपुर देहात का सबसे बड़ा हिस्ट्रीशीटर हूं। पुलिस ने मेरे खिलाफ कई मुकदमे लिखे, पर सारे गलत निकले, इसलिए खत्म हो गए।”

इस बयान ने वहां मौजूद लोगों को हैरान कर दिया। भोले के समर्थक भी आक्रामक हो गए और माहौल तनावपूर्ण बन गया। वारसी लगातार कहते रहे — “मुझे मारोगे क्या? मार डालोगे क्या?” अंततः अफसरों के दखल के बाद मामला किसी तरह शांत हुआ, लेकिन बैठक स्थगित करनी पड़ी।

अखिलेश यादव का तंज — “पूर्व के हाथ में कटोरा, वर्तमान के हिस्से मलाई”

इस पूरे घटनाक्रम का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होते ही विपक्ष को बड़ा मुद्दा मिल गया। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने अपने X (पूर्व ट्विटर) अकाउंट पर वीडियो शेयर करते हुए लिखा —

“पूर्व के हाथ में कटोरा, वर्तमान के हिस्से मलाई है। ये झगड़ा और कुछ नहीं, बस बंटवारे की लड़ाई है। भाजपा जाए तो विकास आए।”

सपा मीडिया सेल ने भी भाजपा पर निशाना साधते हुए लिखा कि “यही है भाजपा का असली चरित्र — लात-घूंसे, गालियां और मंच पर जूतम-पैजार।”

भोले और वारसी — अलग रास्ते, एक मंच पर टकराव

देवेंद्र सिंह भोले अकबरपुर लोकसभा सीट से लगातार तीसरी बार बीजेपी सांसद हैं। 2014 में पहली बार टिकट मिलने के बाद उन्होंने 2019 और 2024 में भी जीत दर्ज की। पार्टी के पुराने चेहरों में गिने जाने वाले भोले की इलाके में मजबूत पकड़ मानी जाती है।

वहीं, अनिल शुक्ला वारसी की राजनीतिक यात्रा काफी दिलचस्प रही है। वे 2007 में बसपा के टिकट पर बिल्हौर उपचुनाव से सांसद बने थे। 2014 में उन्होंने अकबरपुर से बसपा प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा, लेकिन भोले से हार गए। बाद में 2015 में वारसी बीजेपी में शामिल हो गए। इससे पहले वे सपा से भी जुड़े रहे थे। उनकी पत्नी प्रतिभा शुक्ला दो बार से बीजेपी विधायक हैं और योगी सरकार में राज्य मंत्री हैं।

जातिगत राजनीति की गर्मी और प्रशासन की खामोशी

इस विवाद ने न केवल पार्टी में खींचतान को उजागर किया है, बल्कि जिले में जातिगत राजनीति को भी फिर से हवा दी है। सत्तारूढ़ दल के दो बड़े चेहरों के आमने-सामने आने से प्रशासन पूरी तरह असहज दिखा। अधिकारी पूरे घटनाक्रम में मूकदर्शक बने रहे क्योंकि मामला सीधे सत्ता से जुड़ा था।

कानपुर देहात की यह “बीजेपी बनाम बीजेपी” लड़ाई अब केवल जिले तक सीमित नहीं रही। राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा तेज है कि यह विवाद अब लखनऊ से लेकर दिल्ली तक पहुंचेगा।

फिलहाल, दिशा बैठक तो रद्द कर दी गई, लेकिन इस टकराव ने यह साफ कर दिया है कि बीजेपी के भीतर भी सबकुछ उतना शांत नहीं है जितना दिखाया जाता है। पार्टी नेतृत्व के लिए यह घटना केवल शर्मिंदगी नहीं, बल्कि आने वाले चुनावों से पहले एक बड़ी चेतावनी भी है।

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who is Zohran Mamdani: ट्रंप के विरोध और विवादों के बीच जोहरान ममदानी की चमकदार जीत, ...

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who is Zohran Mamdani: न्यूयॉर्क की राजनीति में इतिहास रचते हुए भारतीय मूल के जोहरान ममदानी ने मेयर चुनाव में शानदार जीत दर्ज की है। 34 वर्षीय ममदानी ने पूर्व गवर्नर एंड्रयू कुओमो को हराकर न केवल जीत हासिल की, बल्कि न्यूयॉर्क के पहले भारतीय-अमेरिकी मुस्लिम मेयर बनने का गौरव भी पाया। इस चुनाव में रिपब्लिकन उम्मीदवार कर्टिस स्लिवा भी मैदान में थे, लेकिन वे मुकाबले से बहुत पीछे रह गए।

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, जोहरान ममदानी 1 जनवरी को आधिकारिक तौर पर शपथ ग्रहण करेंगे। इसके साथ ही वे बीते सौ सालों में न्यूयॉर्क के सबसे युवा मेयर बन जाएंगे। चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, इस बार शहर में 20 लाख से ज्यादा वोट डाले गए, जो 1969 के बाद से सबसे अधिक मतदान है। इनमें से 10 लाख से ज्यादा वोट ममदानी के पक्ष में पड़े, जिससे उन्हें 50 फीसदी से अधिक वोट शेयर मिला।

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ट्रंप के निशाने पर रहे ममदानी- who is Zohran Mamdani

पूरे चुनाव अभियान के दौरान ममदानी लगातार रिपब्लिकन नेताओं के निशाने पर रहे। अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने तो यहां तक कहा था कि अगर ममदानी जीत गए, तो वे न्यूयॉर्क की फेडरल फंडिंग रोक देंगे। ट्रंप ने उन्हें “कम्युनिस्ट” तक कहा और उनकी अमेरिकी नागरिकता पर सवाल उठाया। हालांकि ममदानी 2018 से अमेरिकी नागरिक हैं और उन्होंने इन हमलों का जवाब अपने शांत और सधे हुए अंदाज़ में दिया।

कौन हैं जोहरान ममदानी?

जोहरान ममदानी का नाम भारतीय सिनेमा से भी जुड़ा है। वे मशहूर फिल्म डायरेक्टर मीरा नायर के बेटे हैं, जिन्होंने मॉनसून वेडिंग और द नेमसेक जैसी चर्चित फिल्में बनाई हैं। ममदानी का जन्म युगांडा के कंपाला में हुआ था, लेकिन जब वे सात साल के थे, तो उनका परिवार न्यूयॉर्क आ गया। उनके पिता महमूद ममदानी एक प्रसिद्ध युगांडाई लेखक और भारतीय मूल के मार्क्सवादी विचारक हैं।

जोहरान की पढ़ाई न्यूयॉर्क में हुई। उन्होंने ब्रोंक्स हाई स्कूल ऑफ साइंस से पढ़ाई की और फिर बोडोइन कॉलेज से अफ्रीकाना स्टडीज में डिग्री हासिल की। राजनीति में आने से पहले वे हाउसिंग काउंसलर के रूप में काम करते थे, जहां वे आम लोगों को घर खरीदने, किराए पर लेने और आवास से जुड़ी समस्याओं पर मदद करते थे।

राजनीति की शुरुआत और जनता से जुड़ाव

जोहरान ममदानी ने 2017 में डेमोक्रेटिक पार्टी के साथ राजनीति में कदम रखा। 2020 में वे न्यूयॉर्क स्टेट असेंबली के लिए चुने गए और लगातार दो बार (2022 व 2024) निर्विरोध जीत दर्ज की।
उनकी लोकप्रियता का कारण सिर्फ उनका बैकग्राउंड नहीं, बल्कि उनका कामकाजी अंदाज़ भी रहा। उन्होंने किफायती आवास, मुफ्त पब्लिक ट्रांसपोर्ट और न्यूनतम वेतन को 30 डॉलर प्रति घंटा करने जैसी जनहित नीतियों की खुलकर वकालत की। असेंबली में वे अब तक 20 से अधिक विधेयकों का समर्थन कर चुके हैं, जिनमें से तीन को कानून का रूप दिया जा चुका है।

विवादों से भी रहा नाता

जोहरान ममदानी का सफर केवल उपलब्धियों तक सीमित नहीं रहा। उनके कुछ बयानों ने राजनीतिक हलचल भी पैदा की। एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि वे इजरायल को एक “यहूदी राज्य” के रूप में नहीं देखना चाहते, क्योंकि उनका मानना है कि किसी भी देश में धर्म के आधार पर नागरिकता तय नहीं होनी चाहिए। इस बयान के बाद उन पर यहूदी-विरोधी रुख अपनाने के आरोप लगे।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर दिए उनके बयान ने भी विवाद खड़ा किया था। जब उनसे पूछा गया कि अगर पीएम मोदी न्यूयॉर्क आएं तो क्या वे उनके साथ संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे, तो ममदानी ने साफ कहा कि वे ऐसा नहीं करेंगे। उन्होंने मोदी और इजरायल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू, दोनों को “वॉर क्रिमिनल” कहा था। इतना ही नहीं, एक और कार्यक्रम में वे यह कहते सुने गए कि अगर नेतन्याहू न्यूयॉर्क आएं, तो वे उन्हें गिरफ्तार करने से नहीं हिचकिचाएंगे।

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हेयर ग्रोथ के लिए वरदान, आंवला और एलोवेरा का सही इस्तेमाल!

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Amla aloe vera hair mask: आजकल, चाहे जवान हो या बूढ़ा, हर कोई बालों की समस्याओं से परेशान है। इसके कई मुख्य कारण हैं, लेकिन इन सबके बावजूद, हम अक्सर अपने बालों की सही देखभाल नहीं कर पाते, जिससे बालों का झड़ना, रूसी और दोमुंहे बाल जैसी समस्याएं होने लगती हैं, जिससे हमारे बाल बेजान और कमज़ोर हो जाते हैं। लेकिन आपको इस लेख में हम बताएँगे कि कैसे आंवला और एलोवेरा का मिश्रण बालों के चमत्कारी साबित हो सकता हैं और बालो को झड़ने से रोक सकता हैं।

आंवला और एलोवेरा के फायदे – Benefits of Amla and Aloe Vera

आंवला (Amla) विटामिन-सी और एंटीऑक्सीडेंट्स (Antioxidants) युक्त होता है, जो बालों की जड़ों को मजबूत बनाता है, झड़ने से रोकता है और नई वृद्धि को प्रोत्साहित करता है। यह समय से पहले बाल सफेद होने के जोखिम को कम करने और डैंड्रफ (रूसी) को नियंत्रित करने में सहायक है।

इसी तरह, एलोवेरा एक बेहतरीन कंडीशनर की तरह कार्य करता है, जो बालों को नमी प्रदान करता है और उन्हें चमक और मुलायमता से भर देता है। इसके एंटीफंगल (Antifungal) तत्व डैंड्रफ और सिर में खुजली को खत्म करते हैं, साथ ही स्कैल्प को स्वस्थ रखकर बालों के ग्रोथ के लिए अनुकूल वातावरण उत्पन्न करते हैं।

बालों का झड़ना रोकने के लिए इस्तेमाल के तरीके

आज के समय में  बाज़ार में केमिकल युक्त हेयर मस्क आ रहे हैं। लेकिन आप आंवला और एलोवेरा का हेयर मास्क (Amla aloe vera hair mask) घर पर भी बना सकते हैं जो की केमिकल फ्री होता हैं और बालो को साईन और स्मूथ बनता हैं। आंवला और एलोवेरा का हेयर मास्क कई तरीकों से उपयोग किया जा सकता है। इस मास्क को बनाने के लिए आपको चाहिए…

– 2 चम्मच आंवला पाउडर (या आंवले का गूदा/रस)
– 2 चम्मच एलोवेरा जेल
– 1 चम्मच नारियल तेल (अगर आपके बाल सूखे हैं)

इसे उपयोग करने के लिए सभी सामग्रियों को मिलाकर एक गाढ़ा पेस्ट तैयार करें। इस पेस्ट को बालों की जड़ों (स्कैल्प) और सम्पूर्ण बालों पर अच्छे से लगायें। फिर, हल्के हाथों से 5 मिनट तक मालिश करें। इसके बाद, इसे 30 से 45 मिनट तक लगा रहने दें। अंत में, हल्के (माइल्ड) शैम्पू और गुनगुने पानी से बाल धो लें।

आंवला और एलोवेरा का तेल – Amla and Aloe Vera Oil

कई लोग हेयर मास्क के झंझट से बचना चाहते है तो वो आंवला और एलोवेरा जेल मिलकर उसका तेल भी बना सकते हैं। इसके लिए 1 कप नारियल तेल, 2 चम्मच आंवला पाउडर या सूखे आंवले के टुकड़े, 2 चम्मच एलोवेरा जेल चाहिए होता है जिसे आप घर पर ही बना सकते हैं। इसे बनाने कि विधि कुछ इस तरह से है….

1. सबसे पहले, एक कढ़ाई में नारियल तेल को धीमी आंच पर गर्म करें।
2. जब तेल थोड़ा गर्म हो जाए, उसमें आंवला पाउडर डालें और इसे अच्छे से मिलाएं।
3. इसके बाद, कुछ मिनटों तक पकाने के बाद एलोवेरा जेल डालें और फिर से 2-3 मिनट तक पकाएं।
4. मिश्रण को ठंडा होने दें, फिर उसे छान लें और एक साफ बोतल में भर दें।

ध्यान दें, इस तेल का उपयोग सप्ताह में 2-3 बार रात में बालों की मालिश के लिए करें, और सुबह बालों को धो लें।

आंवला और एलोवेरा का जूस – Amla and Aloe Vera Juice

वही अगर आप उपर बताये गए किसी भी विधि को नहीं कर पा रहे है तो आप सिंपल आंवला और एलोवेरा का रस मिलाकर भी पी सकते हैं। यह शरीर को अंदर से डिटॉक्स करता है, जिससे बालों को नेचुरल मजबूती मिलती है और झड़ना कम होता है। इसके अलवा आपको बता दें, आवंला आँखों के और एलोवेरा स्किन के लिए काफी अच्छा होता हैं।

Aaj Ka Love Rashifal 6 Nov 2025: आज इन राशियों की लाइफ में आएगा बड़ा ट्विस्ट, जानिए क...

Love Rashifal Today, Aaj Ka Love Rashifal 6 Nov 2025: दुनिया में और आपके साथ जो भी घटित हो रहा है, उसके पीछे ग्रह नक्षत्रों की दशा और दिशा छिपी हुई है. आपकी सफलता, असफलता, प्यार और टकराव जैसी चीजें भी इन्हीं पर निर्भर करती है. आपके जीवन में कब समृद्धि आएगी, आपकी लव-लाईफ कैसी रहेगी, आपको प्यार करने वाला कैसा होगा, ये सारी चीजें हमें हमारे ग्रह नक्षत्र ही बताते हैं. चलिए अब हम आपको बिना किसी देरी के आज यानी  6 नवंबर 2025 का लव राशिफल बताते हैं, और जानतें हैं कि आज के लव राशिफल में किन राशियों की जिंदगी बदलने वाली है. किसके ऊपर आज प्यार की बरसात होगी और किन राशियों को अपने पर संयम बरतना होगा…चलिए जानते हैं.

मेष राशि Aries Love Rashifal 6 Nov

मेष राशि के जातकों के लिए आज का दिन प्रेम संबंधों की शुरुआत के लिए अनुकूल है. आपकी भावनाओं को समझने वाला कोई खास व्यक्ति आपके जीवन में आ सकता है. पुराने संबंध मजबूत होंगे और नये रिश्तों की नींव रखी जा सकती है. मेष राशि के जातकों के लिए आज का लव टिप यह है कि अपने किसी भी फैसले में जल्दीबाजी नहीं करें.

वृषभ राशि Taurus Love Rashifal Today

वृषभ राशि वाले जातक आज अपनी लव लाइफ में थोड़ी उथल-पुथल और अस्थिरता महसूस कर सकते हैं. रिश्तों में गलतफहमी को दूर करने के लिए पार्टनर से खुलकर बातचीत करें लेकिन ध्यान रखें कि कोई बात उनके दिल को ठेस न पहुंचाए. धैर्य और समझ का परिचय दें. वृषभ राशि के जातकों के लिए आज का लव टिप यह है कि आज आप अपने पार्टनर को उनका पसंदीदा खाना खिलाने का प्रयास करें.

मिथुन राशि Aaj Ka Love Rashifal 6 Nov 2025

मिथुन राशि के जातकों के प्रेम संबंधों में आज रोमांटिक और गहरा जुड़ाव होने की संभावना है. भावना और समझ का संतुलन रहेगा और आप अपने पार्टनर के साथ विशेष पल बिता सकते हैं. आज के दिन आपका कोई राज उजागर हो सकता है पर आप स्थिति सम्भालने में सक्षम रहेंगे. मिथुन राशि के जातकों के लिए आज का लव टिप यह है कि आज आप गुस्से पर कंट्रोल रखें और अपना आपा न खोए.

कर्क राशि Cancer Love Rashifal Today

कर्क राशि के जातकों को आज अपने प्रेम संबंधों में सावधानी बरतनी चाहिए. अपने पार्टनर के सामने बातों को सौम्यता से रखें, ऊंची आवाज और तकरार से बचें, जिससे रिश्ते में मधुरता बनी रहे. कर्क राशि के अविवाहित जातकों के लिए आज का दिन शुभ है लेकिन कोई भी फैसला सोच-समझकर लें. कर्क राशि के जातकों के लिए आज का लव टिप यह है कि आंख मूंदकर आज के दिन किसी पर भरोसा नहीं करें. आपको नुकसान उठाना पड़ सकता है.

सिंह राशि Leo Love Rashifal 6 Nov

सिंह राशि के जातकों के प्रेम संबंधों में आज के दिन गहराई आने के योग हैं. आज आप अपने पार्टनर को सरप्राइज देकर खुश कर सकते हैं लेकिन सावधानी बरतें कि किसी भी तरह की कोई गलतफहमी ना हो. पार्टनर के प्रति संवेदनशील रहें और उनसे संवाद में संतुलन रखें. सिंह राशि के जातकों के लिए आज का लव टिप यह है कि ज्यादा उत्साहित न हों और संतुलन बनाए रखें.

कन्या राशि Virgo Love Rashifal

आज कन्या राशि के जातकों को अपने पार्टनर के साथ तीखी बातचीत करने से बचना चाहिए. कन्या राशि के जातक अपनी वाणी पर संयम रखकर चलें अन्यथा रिश्तों में कड़वाहट आ सकती है और आप परेशानी में पड़ सकते हैं. लव लाइफ से जुड़ी चीजों में धैर्य और सहानुभूति से काम लें, जिससे संबंधों में सुधार हो. कन्या राशि के लिए आज का लव टिप यह है कि गुस्सा पर कंट्रोल रखने से आपका काम हल हो सकता है.

तुला राशि Libra Love Horoscope Today

तुला राशि के जातकों के लिए लिए आज का दिन प्रेम संबंधों में स्थिरता और संतुलन प्रदान करेगा. पार्टनर के साथ लंबे समय से चली आ रही दुविधाओं पर खुलकर बातचीत करें और छोटे-मोटे झगड़ों को समझदारी से सुलझाएं. आज का दिन आपकी जिंदगी में एक नया मोड़ ला सकता है. तुला राशि के जातकों के लिए आज का लव टिप यह है कि पार्टनर के लिए डिनर प्लान करना, आपके बीच के रिश्ते को और खुशनुमा कर सकता है.

वृश्चिक राशि Scorpio Horoscope

वृश्चिक राशि के जातकों के लव लाइफ में आज सहयोग और सामंजस्य देखने को मिलेगा. आज आपका आत्मविश्वास बढ़ा रहेगा और प्रेम संबंधों में नयापन और सकारात्मक शुरुआत संभव है. सिंगल लोगों के लिए संभव है कि आज आपसे जुड़े पुराने लोग आज आपसे कॉन्टैक्ट करें और अपने दिल की बात बताएं. वृश्चिक राशि के जातकों के लिए आज का लव टिप यह है कि आप ओवर एक्साइटेड होने से बचें.

धनु राशि Sagittarius Dhanu Love Horoscope

धनु राशि के जातकों के लिए आज का दिन रचनात्मकता और आकर्षण से भरा रहेगा. पार्टनर के साथ अच्छा समय बिताएं. सांस्कृतिक गतिविधियों में हिस्सा लेना आपके संबंधों को रोमांचक बनाएगा. धनु राशि के जातकों के लिए आज का लव टिप यह है कि आज के दिन आप अपने पार्टनर की तारीफ करना बिल्कुल न भूलें. Aaj Ka Love Rashifal 6 Nov 2025

मकर राशि Capricorn Love Horoscope

मकर राशि के जातकों को आज अपनी लव लाइफ में आत्मविश्वास महसूस होगा. सरकारी कार्यों या सामाजिक चर्चा के दौरान प्रेम संबंधों में सकारात्मकता आ सकती है. मकर राशि के जातकों के लिए आज का लव टिप यह है कि आप ज्यादा उत्साहित न हों, संतुलन बनाए रखें और पार्टनर से बातचीत के दौरान सौम्य बने रहें.

कुंभ राशि Aquarius Love Rashifal 6 Nov

आज के दिन कुंभ राशि के जातकों का प्रेम जीवन सकारात्मक रहेगा. आत्मविश्वास और ऊर्जा बनी रहेगी, पुराने रिश्ते मजबूत होंगे और पार्टनर की भावनाओं को सम्मान मिल सकता है. आज के दिन आप अपने पार्टनर के साथ कहीं बाहर भी जा सकते हैं. कुंभ राशि के जातकों के लिए आज का लव टिप यह है कि आप अपने पार्टनर की सारी बातें ध्यान पूर्वक सुनें और जल्दीबाजी में फैसला न लें.

मीन राशि Aaj Ka Love Rashifal 6 November

मीन राशि के जातकों के प्रेम संबंधों में आज सम्मान, प्रेम और सामंजस्य देखने को मिलेगा. आज आपके संबंधों में अपनापन बढ़ेगा और भावनात्मक स्तर पर गहरा जुड़ाव महसूस होगा. आज के दिन  संवेदनशीलता आपकी ताकत होगी. ऐसे में उग्र होने से बचें और पार्टनर के साथ अच्छा समय बिताएं.

आज, 6 नवंबर के प्रेम राशिफल के मुताबिक प्यार में बातचीत और विश्वास सबसे बड़ा समाधान है. संयम, समझ और भावनात्मक जुड़ाव आपके रिश्तों को मजबूत बना सकते हैं.

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Shaktimaan fame Nupur Alankar: शक्तिमान फेम एक्ट्रेस ने छोड़ी लाइमलाइट की दुनिया, साध...

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Shaktimaan fame Nupur Alankar: मनोरंजन जगत में कुछ ऐसे कलाकार भी हैं, जिन्होंने स्टारडम और फेम पाने के बाद अचानक लाइमलाइट और एक्टिंग से दूरी बना ली। ऐसे ही एक नाम है ‘शक्तिमान’ फेम नुपुर अलंकार का। नुपुर ने अपने करियर में कई हिट शोज़ जैसे ‘अगले जन्म मोहे बिटिया ही कीजो’ और ‘घर की लक्ष्मी बेटियां’ में काम किया। लेकिन 2022 में उन्होंने अचानक अपनी सारी लग्जरी जिंदगी को छोड़कर आध्यात्म का रास्ता चुना और अब पीताम्बरा मां के नाम से जानी जाती हैं।

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आध्यात्मिक राह की ओर मोड़- Shaktimaan fame Nupur Alankar

नुपुर ने टेली टॉक इंडिया से बातचीत में बताया कि कैसे जिंदगी में कुछ घटनाओं ने उनके विचार पूरी तरह बदल दिए। उन्होंने कहा कि एक्टिंग के दिनों में भी उन्होंने हमेशा अनुशासित जीवनशैली अपनाई थी और आध्यात्म उनके जीवन का हिस्सा रहा। लेकिन जीवन की व्यक्तिगत और आर्थिक चुनौतियों ने उन्हें वैराग्य और भक्ति की राह चुनने पर मजबूर कर दिया।

पीएमसी बैंक घोटाला और जिंदगी की हकीकत

नुपुर ने अपनी जिंदगी का सबसे बड़ा मोड़ पीएमसी बैंक घोटाले को बताया। इस घोटाले ने कई अकाउंट होल्डर्स को आर्थिक संकट में डाल दिया। नुपुर ने कहा, “मेरी जिंदगी में जो कुछ हुआ, वो सब आपको गूगल पर मिल जाएगा। ये सब पीएमसी बैंक स्कैम के बाद शुरू हुआ, जिसने मुझे जिंदगी की कठोर सच्चाई से रूबरू कराया।”

इस संकट के दौरान नुपुर की मां बीमार पड़ गईं, और आर्थिक परेशानियों के बीच उनकी मां और बहन का निधन हो गया। नुपुर ने बताया कि यह उनके लिए सबसे कठिन समय था और इसने उनके जीवन में आध्यात्मिक परिवर्तन की नींव रखी।

दुनिया से मोह भंग और संन्यास का निर्णय

मां और बहन के निधन के बाद नुपुर ने दुनिया से मोह भंग कर लिया। उन्होंने कहा, “इससे पहले ही मैंने खुद को सांसारिक जीवन से अलग करना शुरू कर दिया था। मुझे इस जीवन में कोई खास दिलचस्पी नहीं रही, इसलिए मैंने जो भी लोग मेरे करीब थे, उनसे अनुमति ली और फिर पूरी तरह से आध्यात्मिक मार्ग अपनाया।”

पीताम्बरा मां बनकर जीवन का नया अध्याय

आज नुपुर अलंकार पूरी तरह से साध्वी जीवन जी रही हैं। वह कुटिया में रहती हैं, सात्विक भोजन करती हैं और अपने जीवन को भक्ति और साधना के लिए समर्पित कर चुकी हैं। उन्होंने लाइमलाइट, ग्लैमर और तमाम लग्जरी को छोड़कर एक शांत और अनुशासित जीवन चुना है।
नुपुर अलंकार का यह सफर यह दिखाता है कि जीवन में कितनी भी चमक-दमक क्यों न हो, कभी-कभी परिस्थितियां और व्यक्तिगत अनुभव हमें पूरी तरह बदल सकते हैं। उनका उदाहरण उन लोगों के लिए प्रेरणादायक है, जो जीवन में संतुलन, शांति और आध्यात्मिकता की तलाश में हैं।

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Water & Oil Mix On Titan: जहां तेल-पानी बने साथी! टाइटन पर मिला ब्रह्मांड का अनो...

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Water & Oil Mix On Titan: पृथ्वी से करीब 120 करोड़ किलोमीटर दूर, सौरमंडल के सबसे रहस्यमयी चांद टाइटन (Titan) पर वैज्ञानिकों ने ऐसी खोज की है जिसने विज्ञान की अब तक की समझ को चुनौती दे दी है। NASA के Jet Propulsion Laboratory (JPL) और स्वीडन की Chalmers University के वैज्ञानिकों ने पाया है कि टाइटन की बर्फीली सतह पर दो ऐसे पदार्थ एक साथ स्थिर क्रिस्टल (co-crystal) बना रहे हैं, जो धरती पर कभी नहीं मिल सकते, कुछ वैसा ही जैसे तेल और पानी।

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टाइटन: बर्फ, गैस और रहस्य से ढका चांद – Water & Oil Mix On Titan

शनि का सबसे बड़ा चांद टाइटन पृथ्वी से बिल्कुल अलग दुनिया है। यहां तापमान माइनस 183 डिग्री सेल्सियस तक गिर जाता है। इसकी सतह पर मीथेन (Methane) और एथेन (Ethane) जैसी हाइड्रोकार्बन झीलें हैं यानी यहां तरल के रूप में गैसें बहती हैं।
जब वैज्ञानिकों ने इन गैसों में हाइड्रोजन सायनाइड (Hydrogen Cyanide – HCN) मिलाकर प्रयोग किया, तो परिणाम ने सबको हैरान कर दिया। ये तीनों मिलकर एक स्थिर ठोस संरचना बना रहे थे एक “को-क्रिस्टल” (Co-crystal), जो धरती पर बनना लगभग असंभव है।

धरती की केमिस्ट्री को हिला देने वाली खोज

Chalmers University के प्रोफेसर मार्टिन रहम कहते हैं, “यह खोज केमिस्ट्री के उस बेसिक रूल को चुनौती देती है, जिसमें कहा गया है कि ‘पोलर और नॉन-पोलर पदार्थ आपस में नहीं घुलते’। लेकिन टाइटन पर हम देख रहे हैं कि ये न सिर्फ साथ मौजूद हैं बल्कि एक साथ स्थिर संरचना भी बना रहे हैं।”

NASA की टीम ने लैब में टाइटन जैसी ठंडी परिस्थितियां तैयार कीं और तीनों गैसों को मिलाया।
इसके बाद स्पेक्ट्रोस्कोपी (Spectroscopy) तकनीक से मापा गया कि अणु आपस में कैसे प्रतिक्रिया कर रहे हैं। नतीजे में पाया गया कि मिथेन और एथेन जैसे नॉन-पोलर अणु, हाइड्रोजन सायनाइड के ठोस क्रिस्टल ढांचे में जाकर फिट हो रहे थे इस प्रक्रिया को “इंटरकलेशन” (Intercalation) कहा जाता है।

यानी एक पदार्थ के ठोस ढांचे में दूसरा पदार्थ इस तरह समा गया कि दोनों मिलकर बिल्कुल नई संरचना बन गए। यह घटना अब तक विज्ञान में दर्ज नहीं थी।

टाइटन: जीवन से पहले की केमिस्ट्री का खज़ाना?

वैज्ञानिकों ने कंप्यूटर मॉडलिंग से सैकड़ों संभावित को-क्रिस्टल संरचनाओं का विश्लेषण किया।
परिणाम चौंकाने वाले थे  टाइटन की परिस्थितियों में ये अजीबोगरीब मिश्रण न सिर्फ स्थिर हैं बल्कि इनके स्पेक्ट्रम NASA के डेटा से पूरी तरह मेल खाते हैं।
इसका मतलब है कि जो लैब में हुआ, वह वास्तव में टाइटन की सतह पर हो रहा है।

फ्रांस की पेरिस-मेउडन ऑब्जर्वेटरी की वैज्ञानिक एथेना कूसटेनेस का कहना है —

“NASA का Dragonfly मिशन, जो 2034 में टाइटन पहुंचेगा, इस खोज की पुष्टि कर सकता है। अगर टाइटन की सतह पर इन को-क्रिस्टल्स के निशान मिले, तो यह न सिर्फ भूगर्भीय बल्कि जीवन की उत्पत्ति से जुड़ी केमिस्ट्री को समझने में मील का पत्थर साबित होगा।”

टाइटन: संभावित ‘प्रिबायोटिक लैब’

टाइटन पर यह खोज बताती है कि जहां धरती के केमिकल नियम फेल हो जाते हैं, वहां भी प्रकृति नए रास्ते खोज लेती है।
यहां का अत्यधिक ठंडा तापमान और हाइड्रोकार्बन की झीलें एक ऐसी “प्रिबायोटिक लैब” बना रही हैं, जहां तेल और पानी जैसे विपरीत पदार्थ एक साथ मौजूद रह सकते हैं।
ऐसे में यह संभावना बढ़ जाती है कि टाइटन जैसे चांद पर जीवन के शुरुआती बीज किसी न किसी रूप में पनप रहे हों।

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Mahatma Buddha को ज्ञान कहाँ मिला? गया का बोधिवृक्ष बन गया इतिहास का गवाह

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Mahatma Buddha: वैशाख मास की पूर्णिमा का दिन सिर्फ कैलेंडर में एक तारीख नहीं, बल्कि बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए अत्यंत पावन और महत्वपूर्ण अवसर है। इसे बुद्ध पूर्णिमा या बुद्ध जयंती के नाम से भी जाना जाता है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, इस दिन गौतम बुद्ध का जन्म हुआ और उन्हें जीवन का सर्वोच्च ज्ञान प्राप्त हुआ। उनके जीवन की तीन महान घटनाएं—जन्म, ज्ञान और मोक्ष—सभी एक ही तिथि पर हुईं। यही कारण है कि वैशाख पूर्णिमा को बौद्ध धर्म में अत्यधिक महत्व दिया जाता है।

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तीन महत्वपूर्ण घटनाओं का अद्भुत संगम- Mahatma Buddha

वैशाख पूर्णिमा का दिन इसलिए भी खास है क्योंकि किसी भी व्यक्ति के जीवन में जन्म, ज्ञान और मोक्ष एक ही दिन घटित होना दुर्लभ है। बौद्ध धर्म के अनुयायियों के अनुसार, यही कारण है कि इस दिन विशेष पूजा- अर्चना और व्रत रखने से मोक्ष की प्राप्ति संभव मानी जाती है। साथ ही, दान-पुण्य करने और बरगद के वृक्ष की पूजा करने की भी परंपरा है।

बोधिवृक्ष और महात्मा बुद्ध का अद्भुत संबंध

आपको बता दें कि, गया के बोधिवृक्ष के नीचे ही महात्मा बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ। इसे देखकर लगता है कि यह पीपल का वृक्ष मात्र नहीं, बल्कि ज्ञान और चेतना का प्रतीक है। बुद्ध ने इसी वृक्ष की छांव में ध्यान लगाकर जीवन और संसार का सर्वोच्च सत्य जाना। इसके बाद उन्होंने अपना पहला उपदेश सारनाथ में दिया, जो उनके अनुयायियों के लिए मार्गदर्शन का स्रोत बना।

विश्वभर में बुद्ध धर्म का प्रभाव

बौद्ध धर्म के अनुयायी मुख्यतः चीन, कोरिया, जापान, श्रीलंका और भारत में रहते हैं। बुद्ध पूर्णिमा के दिन ये अनुयायी बोधिवृक्ष की पूजा करते हैं, ध्यान करते हैं और महात्मा बुद्ध के उपदेश सुनते हैं। इस दिन का महत्व सिर्फ धार्मिक नहीं, बल्कि आध्यात्मिक भी है। यह दिन शांति, अहिंसा और ज्ञान का संदेश फैलाने का प्रतीक माना जाता है।

हिंदू धर्म में भी विशेष महत्व

बुद्ध पूर्णिमा केवल बौद्ध धर्म के लिए ही नहीं, बल्कि हिंदू धर्म में भी महत्त्वपूर्ण है। इस दिन हिंदू श्रद्धालु गंगा नदी में स्नान करते हैं, भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करते हैं और रात्रि में चंद्रमा को अर्घ्य अर्पित करते हैं। यह त्योहार जीवन में पुण्य और आध्यात्मिक जागरूकता लाने का अवसर है।

इस प्रकार वैशाख पूर्णिमा का दिन न केवल महात्मा बुद्ध की जयंती है, बल्कि ज्ञान, शांति और मोक्ष का संदेश फैलाने वाला दिन भी है। बोधिवृक्ष के नीचे ज्ञान प्राप्त करना और उसके उपदेशों का पालन करना आज भी लाखों लोगों के लिए मार्गदर्शन का स्रोत है। यह दिन हमें जीवन के मूल्यों, अहिंसा और आध्यात्मिक चेतना की याद दिलाता है और सभी धर्मों के अनुयायियों के लिए एक पावन संदेश लेकर आता है।

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India Richest District: तेलंगाना का रंगारेड्डी जिला बना देश का सबसे अमीर जिला, जीडीपी...

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India Richest District: इकनॉमिक सर्वे के ताज़ा आंकड़ों के अनुसार तेलंगाना का रंगारेड्डी जिला देश के सबसे समृद्ध जिलों की सूची में सबसे ऊपर आया है। जीडीपी पर कैपिटा के अनुसार यहाँ की औसत आमदनी 11.46 लाख रुपये है, जो इसे देश का नंबर एक समृद्ध जिला बनाती है। जानकारी के अनुसार, इस जिले की अर्थव्यवस्था का आधार टेक्नोलॉजी, बायोटेक और फार्मा सेक्टर पर आधारित है।

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शीर्ष जिलों की लिस्ट में कौन-कौन शामिल

रंगारेड्डी के बाद दूसरे नंबर पर हरियाणा का गुरुग्राम जिला है, जहाँ जीडीपी पर कैपिटा 9.05 लाख रुपये है। तीसरे स्थान पर कर्नाटक की बेंगलुरु शहर और चौथे स्थान पर उत्तर प्रदेश का गौतमबुद्ध नगर यानी नोएडा है। इसके अलावा टॉप 10 में हिमाचल प्रदेश का सोलन, उत्तर और दक्षिण गोवा, सिक्किम के गैंगटोक, नामची, मैंगनन और ग्यालसिंह, महाराष्ट्र का मुंबई और गुजरात का अहमदाबाद जिले शामिल हैं।

रंगारेड्डी जिले के सफल होने के कारण (India Richest District)

विशेषज्ञों के अनुसार, रंगारेड्डी जिले की सफलता का मुख्य कारण यहाँ मौजूद टेक्नोलॉजी पार्क, बायोटेक और फार्मा कंपनियां हैं। इसके अलावा जिले की बेहतरीन कनेक्टिविटी, रोजगार के अवसर और आधुनिक व परंपरागत जीवन का संतुलन इसे अन्य जिलों से अलग बनाता है। एक जानकार का कहना है, “रंगारेड्डी जिला देश के लिए उदाहरण है क्योंकि यहाँ परंपरा और आधुनिकता का संगम देखने को मिलता है।”

गुरुग्राम और एनसीआर के अन्य जिले

रैंकिंग में गुरुग्राम दूसरे स्थान पर है। यह जिला एनसीआर का हिस्सा है और यहाँ टेक पार्क, लग्जरी मॉल और विभिन्न सुविधाएं मौजूद हैं। सुल्तानपुर नेशनल पार्क भी यहाँ का प्रमुख आकर्षण है, जहाँ सर्दियों में देशभर से पक्षी प्रेमी आते हैं। गौर करने वाली बात यह है कि एनसीआर के दो जिले इस लिस्ट में शामिल हैं, लेकिन दिल्ली का कोई जिला इसमें शामिल नहीं हुआ।

गौतमबुद्ध नगर और अन्य बड़े शहर

उत्तर प्रदेश का गौतमबुद्ध नगर यानी नोएडा चौथे स्थान पर है। यहाँ उद्योग और कंपनियों के अलावा कई बड़े मीडिया संस्थान भी स्थित हैं। इसके अलावा ओखाल बर्ड सैंक्चुअरी, बड़े शॉपिंग मॉल और मार्केट इसे विशेष बनाते हैं। मुंबई, जिसे बॉलिवुड सिटी के नाम से जाना जाता है, व्यापार और पर्यटन के लिहाज से भी प्रसिद्ध है और इसे टॉप 10 में शामिल किया गया है।

समृद्ध जिलों की अहमियत

विशेषज्ञों का कहना है कि इन जिलों की सफलता सिर्फ आर्थिक मापदंड से ही नहीं बल्कि रोजगार, निवेश और जीवन स्तर के लिए भी महत्वपूर्ण है। टेक्नोलॉजी, स्वास्थ्य, शिक्षा और पर्यटन जैसे क्षेत्र इन जिलों की आर्थिक मजबूती का आधार बने हुए हैं।

रंगारेड्डी जिले की यह उपलब्धि यह दिखाती है कि सही योजना, उद्योग और आधुनिक सुविधाओं के मेल से किसी भी जिले को समृद्ध बनाना संभव है।

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Tata Sierra 2025: 90 के दशक की लेजेंड लौट आई, नई टेक्नोलॉजी और स्टाइल के साथ SUVs की ...

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Tata Sierra 2025: क्लासिक चीजें कभी पुरानी नहीं होतीं, बस वक्त के साथ और बेहतर होती हैं। इसी सोच के साथ टाटा मोटर्स अपनी लेजेंडरी SUV Sierra को 2025 में नए अवतार में पेश करने जा रही है। नई Sierra में पेट्रोल, डीजल और इलेक्ट्रिक तीनों इंजन विकल्प होंगे, साथ ही इसमें ADAS, पैनोरमिक सनरूफ और तीन-स्क्रीन वाला डैशबोर्ड जैसी एडवांस तकनीक भी मिलेगी। लॉन्च के बाद यह Hyundai Creta और Maruti Grand Vitara जैसी SUVs को कड़ी टक्कर देगी।

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90 के दशक की यादें फिर ताजा होंगी- Tata Sierra 2025

90 के दशक में टाटा Sierra भारतीय सड़कों पर एक खास पहचान रखती थी। सिर्फ़ एक गाड़ी नहीं, बल्कि स्टेटस सिंबल के रूप में भी इसे देखा जाता था। अब टाटा मोटर्स उसी SUV को नए जमाने के अनुसार तैयार कर रहा है। पुरानी यादें बरकरार रखते हुए नई Sierra पहले से अधिक स्टाइलिश, फीचर-फुल और पावरफुल होगी।

 

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भारत की पहली स्वदेशी SUV

Sierra को पहली बार 1991 में लॉन्च किया गया था और इसे तकनीकी रूप से भारत की पहली स्वदेशी SUV माना जाता है। उस समय इसकी सबसे खासियत थी इसका 3-डोर डिजाइन और पीछे झुकी बड़ी ग्लास विंडो, जो इसे बाकी SUVs से अलग बनाती थी। साथ ही पावर विंडो, पावर स्टीयरिंग और एयर कंडीशनिंग जैसे फीचर्स उस समय लग्जरी गाड़ियों में मिलते थे। 4×4 वर्जन ऑफ-रोड ड्राइविंग के शौकीनों के लिए भी खास आकर्षण था। हालांकि, 2003 में इसका प्रोडक्शन बंद कर दिया गया था।

नई Sierra: पुरानी आत्मा, मॉडर्न टच

नई Sierra अब 5-डोर SUV होगी। डिजाइन में पुरानी Sierra की आत्मा बरकरार रखते हुए इसे आधुनिक बॉक्सी लुक और नए फीचर्स से लैस किया गया है। इसमें LED लाइटिंग, कनेक्टेड DRLs और फ्लश डोर हैंडल जैसे फीचर्स शामिल होंगे, जो इसे प्रीमियम फील देंगे।

इंजन विकल्प और वेरिएंट

नई Sierra में तीन प्रकार के पावरट्रेन विकल्प मिलेंगे:

  • पेट्रोल इंजन: 1.5-लीटर टर्बो-पेट्रोल, स्मूथ और पावरफुल ड्राइविंग के लिए।
  • डीजल इंजन: लंबी दूरी तय करने वाले ग्राहकों के लिए बेहतर माइलेज और परफॉर्मेंस।
  • इलेक्ट्रिक वर्जन (Sierra EV): पूरी तरह इलेक्ट्रिक मॉडल, टाटा की EV रेंज को और मजबूत बनाने वाला।

फीचर्स जो बनाते हैं इसे खास

नई Sierra को टेक-ड्रिवन और लग्जरी SUV के रूप में पेश किया जा रहा है। इसमें तीन-स्क्रीन वाला डैशबोर्ड मिलेगा – ड्राइवर, इंफोटेनमेंट और को-पैसेंजर के लिए अलग-अलग। इसके अलावा ADAS (एडवांस ड्राइवर असिस्ट सिस्टम), 360 डिग्री कैमरा, मल्टीपल एयरबैग और इलेक्ट्रॉनिक स्टेबिलिटी कंट्रोल जैसी सेफ्टी तकनीकें शामिल होंगी। पैनोरमिक सनरूफ, वेंटिलेटेड सीटें और प्रीमियम इंटीरियर इसे और आकर्षक बनाएंगे।

लॉन्च डेट और मुकाबला

रिपोर्ट्स के अनुसार, टाटा Sierra 25 नवंबर 2025 को लॉन्च होगी। इसके मुकाबले में Hyundai Creta, Maruti Grand Vitara और Toyota Urban Cruiser Hyryder जैसी लोकप्रिय SUVs शामिल होंगी। Sierra की वापसी मिड-साइज SUV सेगमेंट में एक नई प्रतिस्पर्धा पैदा करेगी।

कीमत का अंदाजा

नई Sierra की एक्स-शोरूम कीमत लगभग ₹15 लाख से ₹25 लाख के बीच रहने की उम्मीद है। सटीक कीमत वेरिएंट और इंजन विकल्प पर निर्भर करेगी।

क्लासिक बनाम मॉडर्न

Tata Sierra 2025 पुरानी यादों और आधुनिक टेक्नोलॉजी का सही मिश्रण है। यह SUV सिर्फ़ गाड़ी नहीं, बल्कि भारतीय ऑटोमोबाइल इतिहास की एक नई कहानी पेश करती है। स्टाइल, फीचर्स और परफॉर्मेंस के दम पर यह मिड-साइज SUV सेगमेंट में एक नया ट्रेंड सेट करेगी।

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Lalu Yadav Vs Nitish Kumar: लालू या नीतीश? किसके राज में ज्यादा अपराध, आंकड़ों से खुल...

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Lalu Yadav Vs Nitish Kumar: बिहार में एक बार फिर ‘जंगलराज’ चुनावी मैदान का सबसे गरम मुद्दा बन चुका है। रोज़ हो रही हत्याओं, जातीय हिंसा और कानून-व्यवस्था पर उठ रहे सवालों ने राजनीतिक बहस को और भी तेज़ कर दिया है। पुलिस अधिकारी हों, कारोबारी या नेता कोई भी सुरक्षित नहीं दिख रहा। हर रैली में, हर भाषण में और हर डिबेट में यही सवाल उठ रहा है — लालू यादव का राज ज्यादा अपराधी था या नीतीश कुमार का?

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ताज़ा हत्याओं से गरमाई सियासत- Lalu Yadav Vs Nitish Kumar

हाल के दिनों की बात करें तो 29 अक्टूबर की रात सीवान में इंस्पेक्टर अनिरुद्ध कुमार की गला रेतकर हत्या कर दी गई थी।अगले दिन, यानी 30 अक्टूबर को, मोकामा में जनसुराज समर्थक दुलारचंद यादव को दिनदहाड़े गोलियों से छलनी कर दिया गया। और फिर 31 अक्टूबर की सुबह आरा में कारोबारी प्रमोद महतो और उनके बेटे प्रियांशु महतो की हत्या कर दी गई।

तीन दिन में चार हत्याएं — वो भी बिहार चुनाव 2025 के पहले चरण की वोटिंग से ठीक पहले। विपक्ष को यह मौका मिल गया कि वह नीतीश सरकार पर कानून-व्यवस्था को लेकर हमला बोले। वहीं, जेडीयू ने पलटवार करते हुए लालू-राबड़ी के दौर को याद दिलाया, जब बिहार का नाम सुनते ही लोग डर जाते थे।

35 साल का ‘लालू बनाम नीतीश’ दौर

पिछले 35 सालों से बिहार की सत्ता सिर्फ दो चेहरों के इर्द-गिर्द घूमती रही है — लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार।

  • 1990 से 2005 तक लालू और फिर उनकी पत्नी राबड़ी देवी ने बिहार पर राज किया।
  • 2005 के बाद से अब तक नीतीश कुमार मुख्यमंत्री की कुर्सी पर हैं, चाहे गठबंधन बदलते रहे हों।

इन दोनों नेताओं ने एक-दूसरे पर “जंगलराज” का ठप्पा लगाया है। लेकिन सवाल अब भी वही है — आखिर सच में किसके राज में अपराध ज्यादा हुए?

 आंकड़ों की जुबानी ‘जंगलराज’ की हकीकत

अगर NCRB (नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो) के आंकड़े देखें, तो तस्वीर साफ होती है कि अपराध तो हर दौर में रहे, लेकिन उनकी प्रकृति और रफ्तार दोनों बदली हैं।

लालू यादव का दौर (1990-2005)

  • 1992 में कुल अपराध: 1,31,000
  • हत्याएं: 5,743
  • रेप के मामले: 1,120
  • अपहरण के मामले: 2,700+

राबड़ी देवी के कार्यकाल (2000-2004) तक आते-आते अपराध थोड़ा घटा, लेकिन अब भी स्थिति गंभीर थी।

  • 2004 में कुल अपराध: 1,15,000
  • हत्याएं: 3,800
  • रेप केस: 1,000+
  • अपहरण: 2,500+

इस दौर को आम जनता ने “जंगलराज” का नाम दिया था। सड़क पर गुंडागर्दी, अपहरण उद्योग और प्रशासनिक ढीलापन आम बात थी।

नीतीश कुमार का दौर (2005 से अब तक)

नीतीश कुमार जब सत्ता में आए तो उनका नारा था — “जंगलराज खत्म, सुशासन की शुरुआत।”

  • 2022 में कुल अपराध: लगभग 5 लाख
  • हत्याएं: करीब 3,000
  • रेप केस: 900 के आसपास
  • अपहरण: करीब 12,000

संख्या के हिसाब से कुल अपराध बढ़े हैं, लेकिन इसका एक कारण यह भी है कि अब रिपोर्टिंग ज्यादा होती है और पुलिस में केस दर्ज करने की प्रवृत्ति बढ़ी है।

अगर तुलना की जाए, तो हत्याओं की संख्या 42% तक घटी है, लेकिन अपहरण और अन्य अपराधों में बढ़ोतरी देखी गई है।

अपराध की प्रकृति बदली, डर अब भी वही

लालू-राबड़ी के समय में अपराध संगठित था — अपहरण उद्योग चलता था, सड़कों पर गुंडों का बोलबाला था।
नीतीश कुमार के दौर में अपराध की प्रकृति बदली — अब जातीय हिंसा, आपसी रंजिश और व्यक्तिगत दुश्मनी से जुड़े केस बढ़े हैं। अपराधी बदल गए, लेकिन आम जनता की असुरक्षा की भावना अब भी कायम है।

मोकामा, सीवान, आरा जैसे इलाकों में आज भी बंदूक की आवाजें सियासत की गूंज से ज़्यादा सुनाई देती हैं।

“जंगलराज” किसका — जनता का फैसला बाकी

नीतीश कुमार खुद को “सुशासन बाबू” के तौर पर पेश करते हैं, जबकि विपक्ष उन्हें “नया जंगलराज” कहकर घेरता है।
वहीं, आरजेडी अब यह तर्क देती है कि नीतीश राज में अपराध पहले से भी ज्यादा संगठित और राजनीतिक हो चुका है।

दोनों तरफ से आरोप हैं, लेकिन जनता के लिए फर्क बस इतना है कि चाहे राज किसी का भी रहा हो —

  • गोली अब भी चलती है,
  • अपराधी अब भी पकड़ से दूर रहते हैं,
  • और कानून अब भी कमजोर दिखता है।

बिहार की अर्थव्यवस्था का असर भी जुड़ा है अपराध से

आर्थिक रूप से देखें तो लालू-राबड़ी के दौर में बिहार पिछड़ता गया। उद्योग ठप हो गए, निवेशक भागे और नौजवानों में बेरोजगारी बढ़ी।
नीतीश कुमार के कार्यकाल में सड़कें बनीं, शिक्षा पर फोकस हुआ और ग्रोथ रेट कुछ सालों तक 11% तक पहुंची।
लेकिन बेरोजगारी और गरीबी अब भी बिहार की बड़ी समस्या है, और यही अपराध की सबसे बड़ी जड़ भी मानी जाती है।

मोकामा बना जंगलराज की बहस का एपिसेंटर

वहीं, हाल की घटनाओं में मोकामा का नाम बार-बार आ रहा है। जनसुराज समर्थक दुलारचंद यादव की हत्या ने पूरे राज्य में सनसनी फैला दी। वारदात का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिसमें गाड़ियां रुकती और लोग भागते नज़र आए। इस केस में अनंत सिंह समेत कई लोगों पर FIR दर्ज हुई।
मोकामा वही इलाका है, जहां से बाहुबली राजनीति की जड़ें मजबूत हुईं और आज भी अपराध और राजनीति का रिश्ता टूटा नहीं।

अपराध कम हुआ या चेहरा बदला?

अगर आंकड़ों पर भरोसा करें, तो नीतीश कुमार के दौर में हत्या और रेप के केस घटे हैं, लेकिन कुल अपराध बढ़े हैं। वहीं, लालू यादव के समय में अपराध कम रिपोर्ट होते थे, लेकिन जनता के डर ने उसे “जंगलराज” बना दिया।

यानी, अपराध की कहानी वही है, बस उसका चेहरा बदल गया है।

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