UK Lord Mayor: ब्रिटेन में सिख समुदाय ने अपनी समृद्ध संस्कृति, मजबूत परंपराओं और अथक मेहनत के जरिए देश की सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक जीवन में एक खास मुकाम हासिल किया है। चाहे वह व्यवसाय में हो, समाज सेवा में या राजनीति में, सिखों ने ब्रिटेन की विविधता को समृद्ध करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसी धारा में, जसवंत सिंह विरदी का नाम खास पहचान के साथ उभरता है, जिन्होंने ब्रिटेन के कोवेंट्री शहर के पहले पगड़ीधारी सिख लॉर्ड मेयर बनकर इस समुदाय के योगदान को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है। उनकी कहानी सिर्फ एक व्यक्ति की सफलता नहीं, बल्कि ब्रिटेन में सिख समुदाय के दृढ़ संकल्प और सांस्कृतिक समावेश का भी उदाहरण है।
जसवंत सिंह विरदी का प्रारंभिक जीवन और पृष्ठभूमि- UK Lord Mayor
जसवंत सिंह विरदी का जन्म पंजाब में हुआ था। उनका बचपन कोलकाता में बीता, जहां उन्होंने प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा प्राप्त की। 1960 के दशक में करीब 60 साल पहले उनका परिवार कोवेंट्री, ब्रिटेन में आकर बस गया। इससे पहले उनका परिवार केन्या में रहता था। ब्रिटेन में बसने के बाद जसवंत सिंह ने समाज सेवा के क्षेत्र में सक्रिय होकर अपनी पहचान बनाई। साल 2023 में उन्होंने लॉर्ड मेयर के रूप में अपनी जिम्मेदारी संभाली है, वहीं उनकी पत्नी कृष्णा ने लॉर्ड मेयरेस का पद ग्रहण किया।

कोवेंट्री में 17 साल की सेवा
लॉर्ड मेयर बनने से पहले, जसवंत सिंह ने कोवेंट्री के स्थानीय निकाय में 17 साल तक काउंसलर के रूप में काम किया। वे पिछले नौ साल से बाबलेक वार्ड के प्रतिनिधि थे। लॉर्ड मेयर की भूमिका में उन्होंने मेयर केविन मैटन का स्थान लिया, जबकि मल मटन को डिप्टी लॉर्ड मेयर बनाया गया है। इससे पहले जसवंत सिंह पिछले 12 महीनों तक डिप्टी लॉर्ड मेयर के पद पर कार्यरत थे।
पगड़ीधारी सिख लॉर्ड मेयर के तौर पर गर्व
जसवंत सिंह ने अपने पद ग्रहण के मौके पर कहा, “मैं अपने अपनाए हुए गृह नगर का लॉर्ड मेयर बनकर बेहद गर्व महसूस कर रहा हूं। इस शहर ने मुझे और मेरे परिवार को वर्षों तक बहुत कुछ दिया है। अब मुझे इसका प्यार दिखाने में खुशी होगी।” उन्होंने यह भी बताया कि एक सिख के रूप में ‘चेन्स ऑफ ऑफिस’ के साथ पगड़ी पहनना उनके लिए खास महत्व रखता है। उन्होंने कहा, “यह हमारे बहुसांस्कृतिक शहर को दर्शाएगा और शायद दूसरों को भी प्रेरित करेगा।”

ब्रिटेन में सिख समुदाय की भूमिका
ब्रिटेन में सिख समुदाय की उपस्थिति और योगदान कई दशकों से महत्वपूर्ण रहे हैं। ब्रिटेन में सिखों की संख्या लगभग 5,35,000 है, जो कुल आबादी का 0.8 प्रतिशत है। लंदन के साउथ हॉल क्षेत्र को ‘मिनी पंजाब’ कहा जाता है, जहां भारत से जुड़े सांस्कृतिक प्रभाव गहराई से दिखते हैं। यहां गुरुद्वारा गुरु सिंह सभा स्थित है, जो भारत के बाहर सबसे बड़ा गुरुद्वारा माना जाता है।
सिख धर्म और सामाजिक सुधार
इतना ही नहीं, ब्रिटेन में सिख समुदाय ने ‘सिख कोर्ट’ जैसी संस्थाएं भी बनाई हैं, जो पारिवारिक और सामाजिक विवादों को सिख धर्म के सिद्धांतों के अनुरूप हल करती हैं। 2019 में ब्रिटिश गृह विभाग ने धार्मिक कारणों से सिखों को कृपाण रखने का अधिकार दिया, जो उनके सांस्कृतिक पहचान के सम्मान की बड़ी पहल थी।
सिख सैनिकों के लिए ब्रिटिश सेना ने ‘नितनेम गुटका’ जैसी धार्मिक प्रार्थना पुस्तिकाएं जारी की हैं, जो सैन्य जीवन में उनकी धार्मिक आवश्यकताओं को पूरा करती हैं और सिखों के लिए सम्मान एवं समावेश का प्रतीक हैं।
महाराजा दलीप सिंह से आधुनिक सिख समुदाय तक
ब्रिटेन में सिखों का पहला उल्लेखनीय आगमन महाराजा दलीप सिंह के रूप में हुआ था, जो पंजाब के अंतिम सिख शासक थे। 1849 में ब्रिटिश शासन के बाद उन्हें ब्रिटेन निर्वासित कर दिया गया था। 1911 में लंदन के पुटनी में पहला सिख गुरुद्वारा स्थापित हुआ। तब से लेकर आज तक ब्रिटेन में सिखों ने धार्मिक, सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
वहीं, जसवंत सिंह विरदी की कोवेंट्री में लॉर्ड मेयर के रूप में नियुक्ति न केवल उनके व्यक्तिगत संघर्ष और सफलता का प्रतीक है, बल्कि ब्रिटेन के बहुसांस्कृतिक समाज में सिख समुदाय की बढ़ती भूमिका और स्वीकार्यता का भी संदेश है। यह उनके लिए एक गौरवशाली पल है, जो आने वाले समय में और भी प्रेरणादायक साबित होगा।
और पढ़ें: Uttarakhand Mini Punjab Rudrapur: मिनी पंजाब रुद्रपुर, उत्तराखंड में पंजाबी संस्कृति की अनमोल छाप