Home Blog Page 15

Loan Agreement: लोन एग्रीमेंट पढ़ा नहीं, तो समझो अपनी जेब में छेद होना तय

0

Loan Agreement: लोन लेने के समय ज्यादातर लोग केवल ब्याज दर और EMI पर ध्यान देते हैं। लेकिन असली खेल तो लोन एग्रीमेंट में छुपी शर्तों और नियमों का है। यही दस्तावेज आपके वित्तीय भविष्य को सीधा प्रभावित कर सकता है। बिना इसे पूरी तरह समझे हस्ताक्षर करना कभी-कभी भारी पड़ सकता है।

और पढ़ें: Apple Sales Market Cap: एप्पल बना दुनिया की तीसरी 4 ट्रिलियन डॉलर कंपनी, iPhone 17 की धूम ने बढ़ाया मार्केट कैप

ब्याज दर और चार्जिंग की प्रक्रिया- Loan Agreement

लोन एग्रीमेंट में ब्याज दर फिक्स्ड या फ्लोटिंग हो सकती है। फिक्स्ड दर तय समय तक स्थिर रहती है, जबकि फ्लोटिंग दर बाजार की स्थिति के हिसाब से बदलती रहती है। इसके अलावा ब्याज की गणना रोज, महीने या सालाना आधार पर हो सकती है। यह आपके EMI की राशि और भुगतान योजना को सीधे प्रभावित करती है। इसलिए इसे समझना बेहद जरूरी है।

प्रीपेमेंट और फोरक्लोजर नियम

अधिकांश बैंक लोन की जल्दी चुकौती पर शुल्क लगाते हैं। एग्रीमेंट में स्पष्ट रूप से बताया जाता है कि प्रीपेमेंट करने पर आपको कितना फायदा या नुकसान होगा। अगर यह नियम समझ नहीं आए, तो जल्दी चुकौती पर अप्रत्याशित शुल्क आपके लिए बोझ बन सकता है।

छिपे हुए चार्ज और फीस

लोन एग्रीमेंट में प्रोसेसिंग फीस, डॉक्यूमेंटेशन चार्ज, लेट पेमेंट पेनल्टी, चेक बाउंस चार्ज जैसी कई छिपी लागतें होती हैं। इन पर ध्यान न देने से बाद में आपकी जेब पर अनजाने में बोझ पड़ सकता है। इसलिए एग्रीमेंट की हर फीस और चार्ज का ध्यानपूर्वक अध्ययन करना जरूरी है।

सिक्योर्ड लोन और डिफॉल्ट क्लॉज

होम लोन, कार लोन जैसी सिक्योर्ड लोन में अगर डिफॉल्ट होता है, तो बैंक आपके संपत्ति पर दावा कर सकता है। एग्रीमेंट में ‘डिफॉल्ट’ की परिभाषा, नतीजे और पेनल्टी का विस्तार होता है। इसे समझे बिना लोन लेना खतरनाक हो सकता है।

लोन की फ्लेक्सिबिलिटी और उधारकर्ता के अधिकार

कुछ लोन में EMI हॉलिडे, स्टेप-अप/स्टेप-डाउन EMI या बैलेंस ट्रांसफर जैसी सुविधा होती है। वहीं कुछ लोन में ये सुविधाएं नहीं मिलती। इसके अलावा विवाद की स्थिति में सेटलमेंट प्रक्रिया, ऋणदाता और उधारकर्ता के अधिकारों का विवरण भी एग्रीमेंट में लिखा होता है।

लोन एग्रीमेंट सिर्फ एक औपचारिक दस्तावेज नहीं है, बल्कि यह आपका वित्तीय भविष्य तय करने वाला महत्वपूर्ण कागज है। इसे बिना पढ़े या समझे साइन करना जोखिम भरा हो सकता है। इसलिए ब्याज दर, शुल्क, प्रीपेमेंट नियम, डिफॉल्ट क्लॉज और अन्य शर्तों को ध्यान से पढ़ें। यही आपके आर्थिक सुरक्षा का असली आधार है।

इस तरह, सही जानकारी और समझ के साथ लोन लेना न सिर्फ वित्तीय बोझ कम करता है, बल्कि आपको भविष्य में अनावश्यक परेशानियों से बचाता है।

और पढ़ें: WhatsApp New Feature: अब बिना मोबाइल नंबर के भी कर सकेंगे चैट, व्हाट्सएप ला रहा है यूजरनेम फीचर

RBI Update: 2000 रुपये के नोटों की पूरी वापसी अब तक नहीं, RBI ने बताया कितने गुलाबी न...

0

RBI Update: साल 2023 में सर्कुलेशन से बाहर किए गए 2000 रुपये के गुलाबी नोटों की वापसी का काम अब लगभग पूरा हो चुका है, लेकिन पूरी तरह नहीं। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने ताजा जानकारी देते हुए बताया है कि अभी भी 5,817 करोड़ रुपये मूल्य के नोट लोगों के पास बचे हुए हैं। इसका मतलब यह है कि करीब ढाई साल बीत जाने के बाद भी कुछ लोग इन नोटों को वापस नहीं कर पाए हैं।

और पढ़ें: India Most Expensive Lawyers: भारत के सबसे महंगे वकील, एक सुनवाई की फीस लाखों में, जानिए किसकी कितनी कीमत है

98.37% नोट लौटे, अब सिर्फ 1.63% बचे -RBI Update

आरबीआई के अनुसार, जब 19 मई 2023 को 2000 रुपये के नोटों को सर्कुलेशन से बाहर करने का ऐलान हुआ था, तब बाजार में 3.56 लाख करोड़ रुपये मूल्य के नोट प्रचलन में थे। अब इनमें से 98.37% नोट वापस आ चुके हैं, जबकि 1.63%, यानी लगभग 5,817 करोड़ रुपये के नोट अभी भी बाजार में या लोगों के पास हैं। यह आंकड़ा 31 अक्टूबर 2025 तक का है।

हालांकि, आरबीआई ने यह भी साफ किया है कि जब तक सभी नोट वापस नहीं आ जाते, तब तक ये लीगल टेंडर बने रहेंगे। यानी अगर किसी के पास अभी भी 2000 रुपये का नोट है, तो वह इसे बदलवा सकता है या बैंक खाते में जमा करा सकता है।

क्यों बंद किए गए थे 2000 रुपये के नोट

इन बड़े नोटों को आरबीआई ने “क्लीन नोट पॉलिसी” के तहत बंद किया था। यह पॉलिसी उस वक्त लागू की गई थी जब बाजार में छोटे मूल्य के नोटों की पर्याप्त उपलब्धता हो गई थी।
दरअसल, साल 2016 में नोटबंदी के दौरान जब 500 और 1000 रुपये के पुराने नोट बंद हुए थे, तब सरकार ने तेजी से नकदी संकट को दूर करने के लिए 2000 रुपये के नोट जारी किए थे। लेकिन समय के साथ 500 और 200 रुपये के नोटों की पर्याप्त सप्लाई होने के बाद 2000 रुपये के नोट की जरूरत खत्म मानी गई और 19 मई 2023 को इन्हें वापस लेने का फैसला लिया गया।

कहां और कैसे बदले जा सकते हैं ये नोट

शुरुआत में आरबीआई ने लोगों को 7 अक्टूबर 2023 तक देशभर के सभी बैंकों में नोट बदलवाने या खाते में जमा कराने की सुविधा दी थी। लेकिन जब सर्कुलेशन में मौजूद नोटों की संख्या बहुत कम रह गई, तो केंद्रीय बैंक ने यह प्रक्रिया अब सिर्फ अपने 19 क्षेत्रीय कार्यालयों तक सीमित कर दी।

अब जिनके पास 2000 रुपये के नोट बचे हैं, वे इन्हें आरबीआई के अहमदाबाद, बेंगलुरु, बेलापुर, भोपाल, भुवनेश्वर, चंडीगढ़, चेन्नई, गुवाहाटी, हैदराबाद, जयपुर, जम्मू, कानपुर, कोलकाता, लखनऊ, मुंबई, नागपुर, नई दिल्ली, पटना और तिरुवनंतपुरम कार्यालयों में जाकर बदल सकते हैं।

डाकघर से भी जमा करने की सुविधा

आरबीआई ने लोगों की सुविधा के लिए यह विकल्प भी दिया है कि जिनके पास नोट हैं, वे इन्हें इंडिया पोस्ट (India Post) के जरिए अपने बैंक खातों में जमा करा सकते हैं। इसके तहत व्यक्ति अपने नजदीकी डाकघर से नोट आरबीआई के किसी जारीकर्ता कार्यालय को भेज सकता है, और रकम सीधे उसके खाते में क्रेडिट हो जाएगी।

और पढ़ें: Uttarakhand Gold restriction: शादी में महिलाएं अब केवल पहन सकेंगी तीन सोने के आभूषण, उल्लंघन पर 50 हजार का जुर्माना

Anant Singh Arrested: मोकामा से गिरफ्तार हुए अनंत सिंह, क्या अब जेल से ही लड़ पाएंगे ...

0

Anant Singh Arrested: बिहार की सियासत एक बार फिर उबाल पर है। मोकामा के बाहुबली और पांच बार के विधायक अनंत सिंह की गिरफ्तारी ने विधानसभा चुनाव 2025 से ठीक पहले राजनीतिक हलचल बढ़ा दी है। सवाल अब यही है कि क्या उनकी गिरफ्तारी के बाद उनका नामांकन रद्द हो जाएगा, या फिर वे जेल से ही चुनावी मैदान में उतर पाएंगे? जवाब कानून की उन्हीं धाराओं में छिपा है जो किसी उम्मीदवार की पात्रता तय करती हैं।

और पढ़ें: Anant Singh Arrested: जन सुराज समर्थक की हत्या में JDU उम्मीदवार अनंत सिंह गिरफ्तार, बिहार की राजनीति में मचा बवाल

चुनावी माहौल में मोकामा फिर चर्चा में- Anant Singh Arrested

बिहार में 6 नवंबर को पहले चरण का मतदान होना है और सभी राजनीतिक दल अपने उम्मीदवारों को लेकर तैयारी में जुटे हैं। इस बीच मोकामा सीट सुर्खियों में आ गई है क्योंकि दुलारचंद यादव हत्या कांड में अनंत सिंह की गिरफ्तारी ने पूरे चुनावी माहौल को बदल कर रख दिया है। पुलिस का कहना है कि अनंत सिंह घटनास्थल पर मौजूद थे, जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया। यह मामला न सिर्फ कानूनी बल्कि राजनीतिक रूप से भी बेहद अहम बन गया है, क्योंकि अनंत सिंह इस बार जेडीयू के टिकट पर चुनावी मैदान में थे।

क्या जेल में रहकर चुनाव लड़ सकते हैं?

अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या अनंत सिंह जेल में रहते हुए चुनाव लड़ पाएंगे? इसके लिए हमें देखना होगा जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 (Representation of the People Act – RPA) को, जो भारत में चुनाव लड़ने की योग्यता और अयोग्यता तय करता है।

इस कानून की धारा कहती है कि अगर किसी व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया है, लेकिन उस पर अदालत ने अभी तक सजा नहीं सुनाई है, तो वह चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य नहीं माना जाएगा। यानी अगर मामला विचाराधीन है और अदालत का फैसला नहीं आया है, तो उम्मीदवार जेल में रहते हुए भी नामांकन दाखिल कर सकता है। ऐसे में सिर्फ गिरफ्तारी के आधार पर उसका नामांकन रद्द नहीं किया जा सकता।

कब नहीं मिलती चुनाव लड़ने की अनुमति

हालांकि, जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 8(3) में यह भी साफ कहा गया है कि अगर किसी व्यक्ति को दो साल या उससे ज्यादा की सजा सुनाई जाती है, तो वह चुनाव नहीं लड़ सकता। और यह अयोग्यता सजा पूरी होने के बाद भी कुछ समय तक बनी रहती है।
अनंत सिंह के मामले में अब तक अदालत ने कोई सजा नहीं सुनाई है, केवल गिरफ्तारी हुई है। इसलिए कानूनी रूप से वे चुनाव लड़ने से वंचित नहीं हैं। लेकिन यह भी सच है कि मामला गंभीर आरोपों से जुड़ा है, और अदालत के फैसले या चुनाव आयोग के किसी विशेष निर्देश पर आगे की स्थिति बदल सकती है।

कानूनी और राजनीतिक असर

कानूनी तौर पर अनंत सिंह का नामांकन रद्द नहीं होगा, लेकिन राजनीतिक रूप से यह गिरफ्तारी उनके लिए बड़ी चुनौती है। एक तरफ मोकामा में उनकी मजबूत पकड़ है, वहीं विरोधी दल इस घटना को मुद्दा बनाकर हमला बोल रहे हैं।
जेडीयू के लिए भी यह स्थिति असहज है, क्योंकि पार्टी पहले ही “साफ छवि” की राजनीति पर जोर दे रही थी।

नतीजा क्या होगा?

फिलहाल साफ है कि जब तक अदालत कोई सजा नहीं सुनाती, अनंत सिंह चुनाव लड़ सकते हैं, चाहे वे जेल में ही क्यों न हों। लेकिन अगर अदालत में मामला तेजी से आगे बढ़ा और दोष सिद्ध हुआ, तो उनकी उम्मीदवारी रद्द भी हो सकती है।

और पढ़ें: Mokama Murder Case: मोकामा हिंसा के बाद सख्त हुआ चुनाव आयोग, बिहार में अवैध हथियारों पर कसी जा रही है लगाम

IND vs SA CWC25 Final: नवी मुंबई में इतिहास रचने को तैयार टीम इंडिया, पहली बार बिना ऑ...

0

IND vs SA CWC25 Final: नवी मुंबई के डीवाई पाटिल स्टेडियम में रविवार, 2 नवंबर को महिला वनडे वर्ल्ड कप 2025 का फाइनल खेला जाएगा। इस बार मुकाबला खास है, क्योंकि ODI वर्ल्ड कप के इतिहास में पहली बार फाइनल में न ऑस्ट्रेलिया होगी और न ही इंग्लैंड। यानी क्रिकेट दुनिया को नया चैंपियन मिलने वाला है। एक तरफ है हरमनप्रीत कौर की अगुवाई वाली भारतीय टीम, जो तीसरी बार वर्ल्ड कप खिताब के बेहद करीब पहुंची है, तो दूसरी ओर साउथ अफ्रीका, जो पहली बार इस मंच पर उतरने जा रही है।

और पढ़ें: Rohan Bopanna Retirement: रोहन बोपन्ना ने टेनिस को कहा अलविदा, 20 साल के सफर का भावुक अंत

भारत के पास तीसरी बार मौका, अब इतिहास बदलने का वक्त – IND vs SA CWC25 Final

भारतीय महिला टीम अब तक दो बार (2005 और 2017) वनडे वर्ल्ड कप के फाइनल में पहुंच चुकी है, लेकिन दोनों बार खिताब हाथ से फिसल गया।

साल 2005 में मिताली राज की कप्तानी में भारत ने पहली बार फाइनल खेला था, जहां ऑस्ट्रेलिया ने 98 रन से हराया था।
फिर 2017 में भारतीय टीम ने इंग्लैंड के खिलाफ शानदार खेल दिखाया, लेकिन 9 रनों से हार का सामना करना पड़ा।
इस बार टीम इंडिया तीसरी कोशिश में ट्रॉफी घर लाने को पूरी तरह तैयार दिख रही है।

घरेलू मैदान और फॉर्म का फायदा भारत के पास

भारत के लिए सबसे बड़ी ताकत है कि यह फाइनल घरेलू मैदान पर खेला जा रहा है। डीवाई पाटिल स्टेडियम में टीम इंडिया लगातार चौथा मैच खेलने उतरेगी, और खास बात ये है कि पिछले तीनों मुकाबलों में उसने जीत हासिल की है।
इस मैदान का माहौल, पिच का मिजाज और हजारों भारतीय फैंस की आवाज  तीनों भारत के पक्ष में जा सकते हैं।
दूसरी ओर, साउथ अफ्रीका की टीम ने इस मैदान पर एक भी मैच नहीं खेला, जो उनके लिए चुनौती साबित हो सकता है।

सेमीफाइनल में मिला परफेक्ट कॉम्बिनेशन

भारतीय टीम ने सेमीफाइनल में शायद अपना सबसे संतुलित कॉम्बिनेशन खोज लिया है। अब टीम के पास नंबर 8 तक बल्लेबाजी और छह गेंदबाजी विकल्प हैं, जो फाइनल जैसे हाई-प्रेशर मुकाबले में अहम साबित होंगे।
हालांकि, राधा यादव पिछले मैच में थोड़ी महंगी साबित हुई थीं, फिर भी उन्हें बरकरार रखा जा सकता है क्योंकि साउथ अफ्रीका की बल्लेबाजी लाइनअप ज्यादातर दाएं हाथ की है। ऐसे में लेफ्ट-आर्म स्पिनर राधा यादव भारत के लिए उपयोगी साबित हो सकती हैं, जबकि ऑफ-स्पिनर स्नेह राणा को फिर से बेंच पर रहना पड़ सकता है।

अफ्रीका की मुश्किलें और रणनीति

दूसरी ओर, साउथ अफ्रीका के लिए फाइनल से पहले कुछ सिरदर्द जरूर हैं। उनकी ओपनर ताजमिन ब्रिट्स को गुवाहाटी में प्रैक्टिस के दौरान कंधे में चोट लगी थी। हालांकि उन्होंने स्पष्ट कर दिया है कि वो फाइनल खेलेंगी।
टीम को अब प्लेइंग-11 में संतुलन बनाना होगा। इंग्लैंड के खिलाफ उन्होंने नंबर 9 तक बल्लेबाजी रखी थी, लेकिन भारत जैसी मजबूत टीम के खिलाफ वे अतिरिक्त गेंदबाज मासाबाटा क्लास को शामिल कर सकती हैं ताकि बॉलिंग डेप्थ बढ़ाई जा सके।

अब तक महिला वनडे वर्ल्ड कप के विजेता

महिला वनडे वर्ल्ड कप का इतिहास देखें तो 1973 से अब तक ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड ने दबदबा बनाए रखा है।

  • 1973: इंग्लैंड
  • 1978, 1982, 1988, 1997, 2005, 2013, 2022: ऑस्ट्रेलिया
  • 1993, 2009, 2017: इंग्लैंड
  • 2000: न्यूजीलैंड

यानी अब तक सिर्फ तीन देशों ने खिताब जीता है। लेकिन इस बार कोई नया नाम जुड़ने वाला है — भारत या साउथ अफ्रीका।

दोनों टीमों की संभावित प्लेइंग-11

भारत: शेफाली वर्मा, स्मृति मंधाना, जेमिमा रोड्रिग्स, हरमनप्रीत कौर (कप्तान), दीप्ति शर्मा, ऋचा घोष (विकेटकीपर), अमनजोत कौर, स्नेह राणा/राधा यादव, क्रांति गौड़, श्री चरणी, रेणुका सिंह ठाकुर।

साउथ अफ्रीका: लौरा वोलवॉर्ड (कप्तान), ताजमिन ब्रिट्स, सुने लुस, एनेरी डर्कसेन, एनेके बॉश, मारिजाने कैप, सिनालो जाफ्ता (विकेटकीपर), क्लो ट्रायोन, नादिन डिक्लर्क, अयाबोंगा खाका, नॉनकुलुलेको म्लाबा।

क्या भारत का इंतजार खत्म होगा?

भारत ने इस टूर्नामेंट में लगातार शानदार प्रदर्शन किया है — टॉप ऑर्डर ने रन बनाए, गेंदबाजों ने नियंत्रण रखा और हरमनप्रीत की कप्तानी में टीम का आत्मविश्वास अलग स्तर पर दिखा।
अब सवाल यही है कि क्या रविवार को भारत 20 साल पुराना इंतजार खत्म कर पाएगा और पहली बार महिला वनडे वर्ल्ड कप का खिताब जीतकर इतिहास रचेगा?
नवी मुंबई का डीवाई पाटिल स्टेडियम इस ऐतिहासिक पल का गवाह बनने के लिए पूरी तरह तैयार है — और करोड़ों भारतीय फैंस को बस एक ही उम्मीद है, “अबकी बार, कप हमारा!”

और पढ़ें: IND W vs AUS W: सेमीफाइनल जीत के बाद जेमिमा रोड्रिगेज का इमोशनल विडिओ जारी, पिता को लगाया गले, भाई ने छुए पैर

Anant Singh Arrested: जन सुराज समर्थक की हत्या में JDU उम्मीदवार अनंत सिंह गिरफ्तार, ...

0

Anant Singh Arrested: बिहार की राजनीति एक बार फिर सुर्खियों में है। मोकामा से जनता दल यूनाइटेड (JDU) के उम्मीदवार और पूर्व विधायक अनंत सिंह को शनिवार देर रात पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तारी जन सुराज समर्थक दुलारचंद यादव की हत्या के मामले में हुई है। अनंत सिंह इस बार भी मोकामा सीट से जेडीयू के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं, लेकिन अब उन पर भारतीय न्याय संहिता (BNS) की गंभीर धाराएं और शस्त्र अधिनियम (Arms Act) के तहत कार्रवाई की गई है।

और पढ़ें: Mokama Murder Case: मोकामा हिंसा के बाद सख्त हुआ चुनाव आयोग, बिहार में अवैध हथियारों पर कसी जा रही है लगाम

पुलिस ने बताया कि अनंत सिंह को पटना से करीब 200 किलोमीटर दूर बाढ़ स्थित उनके घर से गिरफ्तार किया गया। उनके साथ मणिकांत ठाकुर और रंजीत राम नाम के दो अन्य व्यक्तियों को भी हिरासत में लिया गया है। तीनों को पटना लाया गया है और जल्द ही मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया जाएगा।

देर रात हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में पुलिस की पुष्टि- Anant Singh Arrested

पटना के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक कार्तिकेय शर्मा और जिलाधिकारी त्यागराजन एस.एम. ने देर रात संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में गिरफ्तारी की पुष्टि की। एसएसपी शर्मा ने बताया कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार, दुलारचंद यादव की मौत “कठोर और कुंद वस्तु से चोट लगने के कारण हृदय गति रुकने” से हुई है। उन्होंने कहा कि प्रारंभिक जांच में यह बात सामने आई है कि घटना के वक्त अनंत सिंह और उनके दोनों साथी मौके पर मौजूद थे, जिससे उनकी संलिप्तता के संकेत मिले हैं।

80 से ज्यादा गिरफ्तारियां, DGP ने दी जानकारी

राज्य के पुलिस महानिदेशक विनय कुमार ने बताया कि इस हत्या के साथ-साथ मोकामा में हुई झड़प और पत्थरबाजी के मामलों में अब तक 80 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। उन्होंने कहा, “दोनों उम्मीदवारों के समर्थक आपस में भिड़ गए थे। इस दौरान झड़प और पत्थरबाजी हुई, जिसके बाद दुलारचंद यादव की मौत हो गई। सभी गिरफ्तारियां सबूतों के आधार पर की गई हैं।”
DGP ने यह भी बताया कि घटनास्थल से हथियार अभी बरामद नहीं हुआ है, लेकिन पुलिस उसकी तलाश कर रही है। फॉरेंसिक जांच के लिए हथियार बरामद करना प्राथमिकता में है।

JDU और RJD आमने-सामने

अनंत सिंह की गिरफ्तारी के बाद राजनीतिक माहौल भी गर्म हो गया है। जेडीयू ने विपक्ष पर सीधा हमला बोलते हुए तेजस्वी यादव को घेरा।
JDU प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा, “हम किसी की जाति या परिवार नहीं देखते, कानून सबके लिए समान है। लेकिन तेजस्वी यादव को यह बताना चाहिए कि उन्होंने ऐसे खूंखार अपराधियों का साथ क्यों दिया? आपने रितलाल यादव को टिकट क्यों दिया जबकि हाई कोर्ट ने उन्हें चुनाव लड़ने से रोका था?”

किन धाराओं में हुई कार्रवाई, क्या है सजा का प्रावधान?

आपको बता दें, अनंत सिंह पर भारतीय न्याय संहिता की धारा 103(1), धारा 3(5) और शस्त्र अधिनियम के तहत केस दर्ज किया गया है। ये धाराएं बेहद गंभीर मानी जाती हैं।

  • धारा 103(1) – यह धारा हत्या से संबंधित है। इसके तहत दोषी पाए जाने पर मृत्युदंड या आजीवन कारावास की सजा हो सकती है। यह पुरानी IPC की धारा 302 के समान है।
  • धारा 3(5) – यह “समान अभिप्राय” यानी common intention से जुड़ी है। अगर किसी अपराध में कई लोग एक साथ शामिल हों, तो सभी को समान रूप से दोषी माना जाता है। यह धारा IPC की धारा 34 का नया रूप है।
  • शस्त्र अधिनियम – बिना लाइसेंस हथियार रखने या अवैध हथियारों के इस्तेमाल पर 3 से 7 साल तक की सजा, और हत्या जैसी गंभीर वारदात में इस्तेमाल होने पर आजीवन कारावास या मृत्युदंड का प्रावधान है।

कानूनी विशेषज्ञों की राय

कानूनी जानकारों का कहना है कि इन धाराओं का संयुक्त प्रभाव बेहद कठोर है। अगर अदालत में हत्या और समान अभिप्राय दोनों सिद्ध हो जाते हैं, तो आरोपी को आजीवन कारावास या फांसी की सजा मिल सकती है। ऐसे मामलों में अदालत अपराध की गंभीरता और परिस्थितियों को देखते हुए फैसला सुनाती है।

आगे की कार्रवाई

फिलहाल पुलिस ने तीनों आरोपियों से पूछताछ शुरू कर दी है और मामले की जांच तेज कर दी गई है। यह मामला चुनावी माहौल में बिहार की राजनीति को हिला देने वाला साबित हो रहा है

और पढ़ें: Mokama Murder Case: मोकामा में दुलारचंद यादव की हत्या, पोते ने लगाए अनंत सिंह पर गंभीर आरोप; इलाके में तनाव बढ़ा

BlackRock Loan Fraud: फर्जी मेल, नकली क्लाइंट और लोन का जाल… अमेरिका में भारतीय उद्यो...

0

BlackRock Loan Fraud: भारत के भगोड़े उद्योगपतियों नीरव मोदी और विजय माल्या की तरह अब अमेरिका में भी एक बड़ा लोन फ्रॉड केस सामने आया है। इस बार आरोप है भारतीय मूल के उद्योगपति बंकिम ब्रह्मभट्ट पर, जिन पर लगभग 500 मिलियन डॉलर (करीब 4,000 करोड़ रुपये) का लोन घोटाला करने का गंभीर आरोप लगा है। यह खुलासा प्रतिष्ठित अमेरिकी अखबार वॉल स्ट्रीट जर्नल (WSJ) की एक रिपोर्ट में किया गया है।

रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया की दिग्गज इन्वेस्टमेंट कंपनी ब्लैकरॉक (BlackRock) की प्राइवेट क्रेडिट शाखा एचपीएस इन्वेस्टमेंट पार्टनर्स (HPS Investment Partners) और कई अन्य अमेरिकी ऋणदाताओं ने दावा किया है कि वे इस “बड़ी धोखाधड़ी” के शिकार हुए हैं। अब ये सभी संस्थान अदालत के जरिए अपनी रकम की वसूली की कोशिश कर रहे हैं।

और पढ़ें: US Strike On Venezuela: अमेरिका और वेनेजुएला के बीच जंग की आहट, किसी भी वक्त शुरू हो सकता है हमला

कैसे रचा गया 500 मिलियन डॉलर का खेल- BlackRock Loan Fraud

बंकिम ब्रह्मभट्ट अमेरिका स्थित ब्रॉडबैंड टेलिकॉम और ब्रिजवॉयस नाम की कंपनियों के मालिक हैं। उन पर आरोप है कि उन्होंने अपने व्यापारिक खातों में फर्जी ग्राहकों और नकली इनवॉइस दिखाकर करोड़ों डॉलर के लोन हासिल किए। इन फर्जी आंकड़ों को उन्होंने लोन कोलैटरल (गिरवी संपत्ति) के तौर पर इस्तेमाल किया, जिससे बैंकों और इन्वेस्टमेंट फर्मों को लगा कि उनके पास मजबूत क्लाइंट बेस है।

रिपोर्ट बताती है कि ब्रह्मभट्ट ने फर्जी ग्राहक अकाउंट्स और वेबसाइट्स तैयार करवाईं और उसी के आधार पर लोन की राशि हासिल की। बाद में ये रकम भारत और मॉरिशस जैसे देशों में ट्रांसफर की गई।

ब्लैकरॉक समेत कई कंपनियां फंसीं

ब्लैकरॉक और उसके साझेदार बैंकों ने अगस्त 2025 में अदालत में मुकदमा दायर किया। उनका कहना है कि ब्रह्मभट्ट की कंपनियों पर अब भी 500 मिलियन डॉलर से ज्यादा की बकाया राशि है। उसी महीने, यानी 12 अगस्त 2025, ब्रह्मभट्ट ने खुद को दिवालिया (Bankrupt) घोषित कर दिया और उनकी कंपनियों ने Chapter 11 के तहत पुनर्गठन की प्रक्रिया शुरू कर दी।

फ्रांसीसी बैंक बीएनपी परिबास (BNP Paribas) ने भी इस लोन का लगभग आधा हिस्सा फाइनेंस किया था। जानकारी के अनुसार, एचपीएस ने सितंबर 2020 में पहली बार लोन दिया था और अगस्त 2024 तक इसकी कुल राशि बढ़कर 430 मिलियन डॉलर हो गई थी।

ऑडिट और ईमेल से खुली पोल

मामले का खुलासा तब हुआ जब एचपीएस के एक कर्मचारी को कुछ संदिग्ध ईमेल आईडी मिलीं, जो कथित तौर पर ग्राहकों से जुड़ी थीं। जांच में पता चला कि ये ईमेल फर्जी डोमेन से बनाए गए थे, जो असली टेलीकॉम कंपनियों की नकल कर रहे थे। जब यह जानकारी ब्रह्मभट्ट को दी गई, तो उन्होंने इसे पहले “सामान्य गलती” बताया, लेकिन बाद में उन्होंने फोन कॉल्स का जवाब देना बंद कर दिया।

बाद में ऑडिट फर्म CBIZ और डेलॉयट की रिपोर्ट में भी कई वित्तीय गड़बड़ियां सामने आईं। जब एचपीएस के अधिकारी न्यूयॉर्क के गार्डन सिटी ऑफिस पहुंचे, तो वहां ऑफिस बंद मिला और स्टाफ महीनों से गायब था।

30 साल पुराना बिजनेस, अब विवादों में

बंकिम ब्रह्मभट्ट Bankai Group के संस्थापक हैं और 30 सालों से टेलीकॉम इंडस्ट्री में सक्रिय रहे हैं। उनकी कंपनी दुनिया भर में टेलीकॉम इंफ्रास्ट्रक्चर और नेटवर्क सर्विसेज देती है। लेकिन अब यह पूरी प्रतिष्ठा सवालों के घेरे में है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, धोखाधड़ी के खुलासे के बाद ब्रह्मभट्ट ने अपना LinkedIn प्रोफाइल डिलीट कर दिया है। फिलहाल यह मामला अमेरिकी अदालत में विचाराधीन है और जांच एजेंसियां यह पता लगाने की कोशिश कर रही हैं कि लोन की रकम कहां और कैसे ट्रांसफर की गई।

नीरव मोदी से लेकर बंकिम ब्रह्मभट्ट तक – एक जैसी कहानी

बंकिम ब्रह्मभट्ट का मामला भारत में हुए नीरव मोदी और विजय माल्या जैसे हाई-प्रोफाइल लोन घोटालों की याद दिलाता है। फर्क बस इतना है कि इस बार ठगी का मैदान भारत नहीं बल्कि अमेरिका की धरती बनी है।

जहां कभी उन्होंने दुनिया के टेलीकॉम सेक्टर में अपनी जगह बनाई थी, वहीं अब बंकिम ब्रह्मभट्ट का नाम एक अंतरराष्ट्रीय वित्तीय धोखाधड़ी के रूप में दर्ज हो रहा है।

और पढ़ें: Epstein scandal: महाराज चार्ल्स ने प्रिंस एंड्र्यू से छीनी राजकुमार की उपाधि, शाही घर छोड़ने का नोटिस जारी

KashiBugga Temple Stampede: श्रीकाकुलम के वेंकटेश्वर मंदिर में भगदड़ से 10 की मौत, 15...

0

KashiBugga Temple Stampede: आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम जिले में स्थित काशीबुग्गा के वेंकटेश्वर मंदिर में शनिवार सुबह बड़ा हादसा हो गया। एकादशी के मौके पर दर्शन के लिए उमड़ी भारी भीड़ के बीच भगदड़ मचने से कम से कम 10 श्रद्धालुओं की मौत हो गई, जबकि दर्जनों लोग घायल हो गए। हादसे के बाद मंदिर परिसर में अफरा-तफरी का माहौल फैल गया और चारों ओर चीख-पुकार मच गई।

और पढ़ें: Uttarakhand Gold restriction: शादी में महिलाएं अब केवल पहन सकेंगी तीन सोने के आभूषण, उल्लंघन पर 50 हजार का जुर्माना

कैसे हुआ हादसा- KashiBugga Temple Stampede

सुबह करीब 8 बजे के आसपास श्रद्धालुओं की भीड़ अचानक बढ़ने लगी। एकादशी होने की वजह से मंदिर में हजारों की संख्या में भक्त पहुंच रहे थे। मंदिर प्रशासन ने करीब 3,000 श्रद्धालुओं के दर्शन की व्यवस्था की थी, लेकिन वास्तविक संख्या 15,000 से ज्यादा पहुंच गई।
इतनी भीड़ में जब श्रद्धालुओं को आगे बढ़ने में दिक्कत हुई, तो कुछ लोग रेलिंग तोड़कर अंदर जाने लगे। तभी एक हिस्सा टूट गया और कई लोग नीचे गिर पड़े। गिरते ही भगदड़ मच गई लोग खुद को बचाने के लिए भागने लगे, लेकिन इस अफरातफरी में कई लोग कुचल गए।

स्थानीय पुलिस के अनुसार, मौके पर राहत कार्य शुरू करने में कुछ देर हुई क्योंकि मंदिर परिसर में प्रवेश और निकास दोनों ही रास्ते बहुत संकरे थे। पुलिस ने बताया कि घायलों को नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां कुछ की हालत गंभीर बताई जा रही है।

मंदिर प्रशासन की लापरवाही उजागर

जांच में सामने आया है कि मंदिर में भीड़ नियंत्रण के लिए पर्याप्त सुरक्षा इंतजाम नहीं किए गए थे। न तो प्रवेश पर बैरिकेडिंग थी और न ही भीड़ को चरणबद्ध तरीके से आगे बढ़ाने की कोई व्यवस्था। सूत्रों के मुताबिक, कई श्रद्धालु पिछले रात से ही लाइन में लगे हुए थे, जिससे सुबह भीड़ का दबाव अचानक बढ़ गया।

स्थानीय लोगों का कहना है कि वेंकटेश्वर मंदिर में त्योहारों और खास मौकों पर हमेशा बड़ी भीड़ रहती है, लेकिन इस बार प्रशासन पूरी तरह तैयार नहीं था। मंदिर ट्रस्ट के सदस्यों और जिला प्रशासन के बीच समन्वय की कमी को हादसे की बड़ी वजह माना जा रहा है।

‘छोटा तिरुपति’ कहे जाने वाले मंदिर का इतिहास

काशीबुग्गा वेंकटेश्वर मंदिर को स्थानीय लोग ‘छोटा तिरुपति’ भी कहते हैं। यह मंदिर करीब 5 एकड़ में फैला हुआ है और इसका निर्माण भक्त हरि मुकुंद पांडा ने कराया था। उन्होंने इस मंदिर की प्रेरणा तिरुमाला वेंकटेश्वर मंदिर से ली थी। आम दिनों में भी यहां बड़ी संख्या में भक्त आते हैं, लेकिन एकादशी और विशेष पर्वों पर यह संख्या कई गुना बढ़ जाती है।

प्रधानमंत्री और सीएम ने जताया दुख

इस हादसे को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने गहरा शोक जताया है। प्रधानमंत्री मोदी ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट कर मृतकों के परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त की और घायलों के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना की।

पीएम मोदी ने प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष से मृतकों के परिजनों को 2-2 लाख रुपये और घायलों को 50-50 हजार रुपये की सहायता राशि देने की घोषणा की है। मुख्यमंत्री नायडू ने भी राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त मुआवजे और पीड़ित परिवारों को हरसंभव मदद देने का आश्वासन दिया।

और पढ़ें: SC News: 37 साल बाद मिला इंसाफ, 50 रुपये की रिश्वत के झूठे आरोप में फंसे TTE को सुप्रीम कोर्ट ने किया बरी

Rohan Bopanna Retirement: रोहन बोपन्ना ने टेनिस को कहा अलविदा, 20 साल के सफर का भावुक...

0

Rohan Bopanna Retirement: भारत के अनुभवी टेनिस खिलाड़ी रोहन बोपन्ना ने आखिरकार टेनिस कोर्ट को अलविदा कह दिया। 45 वर्षीय बोपन्ना ने 1 नवंबर (शनिवार) को एक भावुक सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए अपने रिटायरमेंट की घोषणा की। दो दशकों से ज्यादा लंबे इस शानदार सफर का अंत उन्होंने पेरिस मास्टर्स 2025 के साथ किया, जो उनके करियर का आखिरी टूर्नामेंट रहा।

इस टूर्नामेंट में बोपन्ना ने कजाकिस्तान के खिलाड़ी अलेक्जेंडर बुब्लिक के साथ जोड़ी बनाई थी। हालांकि, उनका सफर ज्यादा लंबा नहीं चला और राउंड ऑफ 32 में जॉन पीयर्स और जेम्स ट्रेसी की जोड़ी ने उन्हें 5-7, 6-2, 10-8 से हरा दिया। इस हार के साथ ही भारतीय टेनिस का एक सुनहरा अध्याय शांत हो गया।

और पढ़ें: IND W vs AUS W: सेमीफाइनल जीत के बाद जेमिमा रोड्रिगेज का इमोशनल विडिओ जारी, पिता को लगाया गले, भाई ने छुए पैर

‘एक अलविदा, लेकिन अंत नहीं’ — बोपन्ना का भावुक संदेश (Rohan Bopanna Retirement)

अपने इंस्टाग्राम पोस्ट में बोपन्ना ने लिखा,

“एक अलविदा, लेकिन अंत नहीं। ऐसी चीज को अलविदा कहना बहुत मुश्किल होता है जिसने आपकी जिंदगी को अर्थ दिया हो। 20 अविस्मरणीय सालों के बाद अब वक्त आ गया है। मैं आधिकारिक तौर पर अपना रैकेट टांग रहा हूं।”

उन्होंने अपनी पोस्ट में लिखा कि यह फैसला आसान नहीं था, लेकिन वक्त के साथ यह स्वीकार करना जरूरी है कि हर सफर का एक अंत होता है। उन्होंने याद किया कि कैसे कूर्ग जैसे छोटे से शहर से उन्होंने अपना करियर शुरू किया था लकड़ी के ब्लॉक काटकर अपनी सर्विस मजबूत की, कॉफी के बागानों में दौड़कर स्टैमिना बनाई और टूटे कोर्ट्स पर सपने देखते हुए विश्व मंच तक पहुंचे।

‘टेनिस ने मुझे जिंदगी जीना सिखाया’

बोपन्ना ने अपनी पोस्ट में लिखा,

“टेनिस मेरे लिए सिर्फ एक खेल नहीं रहा, इसने मुझे जीवन का उद्देश्य दिया। जब मैं टूटा हुआ था, तब इस खेल ने मुझे दोबारा उठना सिखाया। हर बार जब मैं कोर्ट पर उतरा, इस खेल ने मुझे धैर्य, जज्बा और विश्वास दिया।”

उन्होंने आगे कहा कि टेनिस ने उन्हें यह भी सिखाया कि हार सिर्फ अस्थायी होती है और जीत हमेशा मेहनत की कीमत समझने वालों को मिलती है।

‘आप मेरे असली हीरो हैं’ — परिवार को समर्पित शब्द

बोपन्ना ने अपने संदेश में अपने परिवार का भी आभार जताया। उन्होंने लिखा,

“आपने मुझे वो सब दिया जिसकी मदद से मैं अपना सपना पूरा कर सका। आपके त्याग, आपकी निःशब्द ताकत और आपके अटूट विश्वास के कारण ही मैं यहां तक पहुंचा।”

उन्होंने अपनी बहन रश्मि, पत्नी सुप्रिया और बेटी त्रिधा को धन्यवाद दिया, जो हमेशा उनके साथ खड़ी रहीं। साथ ही, अपने कोच, दोस्तों, साथी खिलाड़ियों और फैंस का भी शुक्रिया अदा किया, जिन्होंने उनके सफर को यादगार बनाया।

एक युग का अंत, लेकिन प्रेरणा कायम

रोहन बोपन्ना ने भारतीय टेनिस को कई अविस्मरणीय पल दिए चाहे ग्रैंड स्लैम डबल्स में शानदार प्रदर्शन हो या डेविस कप में देश का नाम ऊंचा करना। उन्होंने साबित किया कि उम्र सिर्फ एक संख्या है और जुनून ही असली ताकत।

और पढ़ें: Big Update Shreyas Iyer: भारत के स्टार बल्लेबाज ICU से लौटे, जानिए श्रेयस अय्यर के इलाज का खर्च कौन उठा रहा है?

Mumbai Hostage Case: 2 लाख के विवाद ने रचा डरावना ड्रामा, रोहित आर्या केस में नया खुल...

0

Mumbai Hostage Case: मुंबई के पोवई इलाके में गुरुवार को एक दिल दहला देने वाली घटना ने पूरे शहर को हिला दिया। रोहित आर्या नाम के व्यक्ति ने “वेब सीरीज़ ऑडिशन” के बहाने 17 बच्चों समेत 19 लोगों को बंधक बना लिया। करीब तीन घंटे तक चले इस ड्रामे के बाद पुलिस ने स्थिति पर काबू पाया। जैसे ही आरोपी ने एक बंधक पर निशाना साधने की कोशिश की, एक पुलिसकर्मी ने उसे गोली मार दी, जिससे मौके पर ही उसकी मौत हो गई।

और पढ़ें: Mumbai Crime News: मुंबई में ऑडिशन के बहाने बच्चों को बंधक बनाने वाला रोहित आर्या गिरफ्तार, वीडियो में बोला— “मुझे उकसाओ मत”

वेब सीरीज़ के बहाने बुलाया, फिर बंद कर दिया दरवाज़ा- Mumbai Hostage Case

पुलिस के मुताबिक, आरोपी रोहित आर्या ने लोगों को एक ऑडिशन कॉल के जरिए स्टूडियो में बुलाया था। उसने दावा किया था कि वह एक नई वेब सीरीज़ बना रहा है और बच्चों को रोल देने वाला है।
लेकिन जैसे ही सभी लोग स्टूडियो पहुंचे, उसने दरवाज़ा बंद कर दिया और खुद को एयरगन से लैस बताया। इसके बाद उसने सभी को कमरे के अंदर बंधक बना लिया।
करीब तीन घंटे तक चली इस भयावह घटना के दौरान पुलिस लगातार बातचीत कर रही थी, लेकिन आर्या किसी भी समझाने-बुझाने की कोशिश पर राजी नहीं हुआ।

पुलिस ने की सूझबूझ से कार्रवाई

जैसे-जैसे वक्त बीतता गया, पुलिस ने स्टूडियो को चारों ओर से घेर लिया। अधिकारियों ने पहले आरोपी से शांतिपूर्ण तरीके से सरेंडर की अपील की, लेकिन जब उसने एक बच्चे पर निशाना साधा, तो मौके पर मौजूद एक पुलिसकर्मी ने फायरिंग कर दी।
पुलिस की गोली लगते ही आर्या गिर पड़ा और बंधकों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया। सभी बच्चे और वयस्क फिलहाल सुरक्षित हैं, हालांकि कुछ लोग इस घटना के बाद सदमे में हैं।

आरोपी की पृष्ठभूमि – पुणे से शुरू हुआ विवाद

पुलिस जांच में सामने आया है कि रोहित आर्या और उसकी पत्नी अंजलि आर्या मूल रूप से पुणे के कोथरुड इलाके के शिवतीर्थ नगर में किराये के मकान में रहते थे। उन्होंने 28 अक्टूबर 2024 को मकान मालिक देशपांडे के साथ 36 महीने का रेंट एग्रीमेंट किया था।
लेकिन जल्द ही उनके अनुचित व्यवहार और पड़ोसियों की शिकायतों के चलते मकान मालिक ने उन्हें घर खाली करने का नोटिस भेजा।

मामला यहीं खत्म नहीं हुआ। मार्च 2025 में आर्या ने किराया देना बंद कर दिया और उल्टा देशपांडे को 2 लाख रुपये मुआवजे की मांग का नोटिस भेज दिया। कई दौर की बातचीत और समझौते के बावजूद वह घर खाली नहीं कर रहा था। अंततः पुलिस के हस्तक्षेप के बाद मई 2025 में उन्हें घर से निकाल दिया गया।

मानसिक तनाव से ग्रस्त था आर्या

पुलिस सूत्रों के अनुसार, घर खाली कराने की घटना के बाद से ही रोहित आर्या मानसिक रूप से अस्थिर हो गया था। आर्थिक तंगी और गुस्से में वह अपने रिश्तेदारों के यहां रह रहा था।
जांच में यह भी सामने आया है कि उसने बदले की भावना में आकर बंधक बनाने की योजना पहले से तैयार की थी। पुलिस का मानना है कि आर्या अपने जीवन की असफलताओं और सामाजिक अपमान से गहराई तक आहत था।

जांच जारी, पत्नी से भी पूछताछ

फिलहाल मुंबई पुलिस ने आरोपी की पत्नी अंजलि आर्या से पूछताछ शुरू कर दी है। पुलिस यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि क्या वह इस साजिश में किसी तरह शामिल थी या नहीं।
इसके अलावा, पुलिस ने मकान मालिक देशपांडे द्वारा दिए गए सभी दस्तावेज और नोटिस भी अपने कब्जे में ले लिए हैं।

और पढ़ें: Army Colonel court martial: होटल में साथी अफसर की पत्नी के साथ पकड़े गए कर्नल को कोर्ट मार्शल ने किया बर्खास्त

US Strike On Venezuela: अमेरिका और वेनेजुएला के बीच जंग की आहट, किसी भी वक्त शुरू हो ...

0

US Strike On Venezuela: दुनिया एक बार फिर बड़े भू-राजनीतिक संकट की ओर बढ़ती नजर आ रही है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अमेरिका अब किसी भी पल वेनेजुएला पर सैन्य हमला कर सकता है। प्यूर्टो रिको के पास अमेरिकी प्रशासन ने अचानक एयरस्पेस बंद कर दिया है और वहां “हॉट पिट रिफ्यूलिंग” प्रक्रिया शुरू कर दी गई है यानी फाइटर जेट्स को इंजन चालू रखते हुए ही फ्यूल भरकर तुरंत टेकऑफ के लिए तैयार रखा गया है।
सैन्य विश्लेषकों का कहना है कि यह कदम सीधे तौर पर हमले की तैयारी को दर्शाता है। अमेरिकी रक्षा सूत्रों के अनुसार, ट्रंप प्रशासन ने वेनेजुएला के सैन्य ठिकानों, बंदरगाहों और एयरबेस को निशाना बनाने की योजना तैयार कर ली है।

और पढ़ें: Epstein scandal: महाराज चार्ल्स ने प्रिंस एंड्र्यू से छीनी राजकुमार की उपाधि, शाही घर छोड़ने का नोटिस जारी

अमेरिका की तैयारी पूरी, रात हो सकती है लंबी और खतरनाक- US Strike On Venezuela

‘वॉल स्ट्रीट जर्नल’ की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिकी सेना वेनेजुएला के उन इलाकों पर प्रहार कर सकती है जो निकोलस मादुरो शासन के नियंत्रण में हैं और जिन पर ड्रग तस्करी के इस्तेमाल का आरोप लगाया गया है।
वहीं ‘मियामी हेराल्ड’ ने दावा किया है कि हमला अब केवल एक “विकल्प” नहीं रहा, बल्कि यह “निर्णय” बन चुका है। मतलब आदेश कभी भी जारी हो सकता है। रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिका की यह कार्रवाई न केवल वेनेजुएला बल्कि पूरे लैटिन अमेरिका की स्थिरता को हिला सकती है।

वेनेजुएला हाई अलर्ट पर, मादुरो ने उड़ाए फाइटर जेट

अमेरिकी खतरे को भांपते हुए वेनेजुएला ने भी अपनी एयर डिफेंस फोर्स को हाई अलर्ट पर रख दिया है। कराकस से मिली जानकारी के अनुसार, मादुरो सरकार ने SU-30 फाइटर जेट्स को देश की तटीय सीमाओं पर तैनात कर दिया है।
खुफिया सूत्रों का कहना है कि मादुरो प्रशासन में घबराहट का माहौल है। एक अमेरिकी अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, “मादुरो अब किसी पर भरोसा नहीं कर पा रहा। उसके अपने कई जनरल उसे पकड़कर सौंपने को तैयार बैठे हैं। अब वह खुद को घिरा हुआ महसूस कर रहा है।”

रूस, चीन और ईरान से मांगी मदद

संभावित अमेरिकी हमले को देखते हुए निकोलस मादुरो ने रूस से तत्काल मदद की गुहार लगाई है। सूत्रों के मुताबिक, कराकस ने मॉस्को से मिसाइल सिस्टम, रडार अपग्रेड और फाइटर जेट्स की मरम्मत में सहयोग मांगा है।
इतना ही नहीं, मादुरो ने चीन और ईरान से भी आधुनिक तकनीक जैसे ड्रोन, डिटेक्शन सिस्टम और GPS जैमर्स उपलब्ध कराने की अपील की है। मादुरो सरकार का कहना है कि अमेरिकी नेवी के जहाज और फाइटर जेट्स पहले से ही वेनेजुएला की सीमा के बेहद करीब पहुंच चुके हैं।

‘ड्रग वॉर’ या सत्ता पलटने की साजिश?

अमेरिका लगातार मादुरो पर ‘कार्टेल दे लॉस सोल्स’ नाम के ड्रग सिंडिकेट चलाने का आरोप लगाता रहा है, लेकिन अब तक इसके कोई ठोस सबूत सामने नहीं आए हैं।
इंटरनेशनल क्राइसिस ग्रुप के विश्लेषक फिल गनसन का कहना है कि यह “ड्रग वॉर” दरअसल राजनीतिक हस्तक्षेप का बहाना है। यहां तक कि अमेरिकी खुफिया एजेंसियों ने भी स्वीकार किया है कि वेनेजुएला का किसी बड़े ड्रग नेटवर्क में अहम रोल साबित नहीं हुआ है।

लैटिन अमेरिका में डर का माहौल

लैटिन अमेरिका के 20 से ज्यादा राजनीतिक नेताओं ने चेतावनी दी है कि अगर अमेरिका ने हमला किया, तो यह क्षेत्र फिर से तानाशाही और हिंसा के दौर में लौट सकता है। उन्होंने कहा, “हम पहले भी यह इतिहास झेल चुके हैं — अमेरिकी हस्तक्षेप ने हमें दशकों की हिंसा, गुमशुदा लोगों और दर्द दिया। अब हम यह दोबारा नहीं होने देंगे।”

तेल की राजनीति के पीछे की जंग

‘कोडपिंक’ नामक एंटी-वॉर ग्रुप की को-फाउंडर मेडिया बेंजामिन का कहना है कि यह लड़ाई “ड्रग्स की नहीं, तेल की है।”
उनके मुताबिक, “वेनेजुएला के पास दुनिया के सबसे बड़े तेल भंडार हैं, और ट्रंप प्रशासन इस हमले के जरिए उस पर नियंत्रण पाना चाहता है।”

और पढ़ें: India vs US: भारत-अमेरिका रिश्ते में तुफान! एक्सपर्ट बोले- अब कुछ भी नहीं बचेगा