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Britain Sikh Taxi Drivers: ब्रिटेन में सिख टैक्सी और ट्रक ड्राइवर का योगदान, पढ़ें एक ...

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Britain Sikh Taxi Drivers: ब्रिटेन में सिख समुदाय का इतिहास गहराई से जुड़ा हुआ है और यह समुदाय न केवल धार्मिक बल्कि सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक रूप से भी ब्रिटेन की विविधता में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। इस विस्तृत रिपोर्ट में हम ब्रिटेन में सिखों के इतिहास, उनकी प्रवासन की कहानियों, उनके सामाजिक संघर्षों, आर्थिक योगदान और धार्मिक पहचान से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करेंगे।

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ब्रिटेन में सिख धर्म का प्रारंभिक इतिहास- Britain Sikh Taxi Drivers

ब्रिटेन में सिखों का पहला उल्लेखनीय आगमन महाराजा दलीप सिंह के रूप में हुआ, जो पंजाब के अंतिम सिख शासक थे। 1849 में, अंग्रेजों के साथ हुए आंग्ल-सिख युद्धों के बाद उन्हें शासन से हटा दिया गया और 14 वर्ष की आयु में उन्हें ब्रिटेन निर्वासित कर दिया गया। महाराजा दलीप सिंह नॉरफ़ोक के थेटफोर्ड के निकट एल्वेडेन एस्टेट में रहने लगे। उनकी ब्रिटेन में एक प्रतिमा है, जिसका अनावरण 1999 में प्रिंस ऑफ वेल्स ने किया था। हालांकि उनके आगमन के बावजूद, ब्रिटेन में पहला सिख गुरुद्वारा 1911 में लंदन के पुटनी में स्थापित हुआ।

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मुख्य प्रवासन: पंजाब से ब्रिटेन

1950 और 1960 के दशक में पंजाब से ब्रिटेन मुख्य रूप से पुरुष श्रमिकों का प्रवासन हुआ। ब्रिटेन की औद्योगिक इकाइयों में कम कुशल श्रमिकों की भारी कमी थी, जिसके चलते पंजाब के कई लोग काम की तलाश में ब्रिटेन आए। वे मुख्य रूप से फाउंड्री, वस्त्र उद्योग, टैक्सी और ट्रक ड्राइविंग जैसे क्षेत्रों में काम करने लगे। आरंभिक समय में कई प्रवासियों ने नस्लवाद और रोजगार की बाधाओं के कारण अपने धार्मिक प्रतीकों जैसे पगड़ी, बाल और दाढ़ी को छुपाया या हटा दिया।

पंजाब से पलायन के पीछे कई कारण थे, जिनमें 1947 में भारत-पाकिस्तान का विभाजन और उससे उत्पन्न हिंसा प्रमुख था। पंजाब का वह हिस्सा जो अब पाकिस्तान में है, वहां सिखों और अन्य धार्मिक समुदायों के बीच हिंसा हुई और विस्थापन हुआ। इसके बाद 1966 में भारत ने पंजाब को तीन हिस्सों में विभाजित कर पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश बनाया। इस कारण भी सामाजिक और आर्थिक अस्थिरता बढ़ी, जिससे कई सिखों ने स्थायी रोजगार और बेहतर जीवन के लिए विदेश जाना बेहतर समझा।

पूर्वी अफ्रीका से सिखों का ब्रिटेन आगमन

पूर्वी अफ्रीका से आने वाले सिख समुदाय ने भी ब्रिटेन में अपनी मजबूत पहचान बनाई। तंज़ानिया, युगांडा और केन्या जैसे देशों में अफ्रीकीकरण की नीतियों के चलते कई एशियाई, विशेषकर सिख, अपने रोजगार और समुदाय से वंचित होकर ब्रिटेन आए। अफ्रीकी सिख अपने धार्मिक प्रतीकों के प्रति अधिक गर्व करते थे और इन्हें खुले तौर पर स्वीकार करते थे। वे आम तौर पर अधिक शिक्षित और कुशल थे, जिससे ब्रिटेन में उनकी स्थिति मजबूत बनी। उनकी मौजूदगी ने ब्रिटेन के सिख समुदाय को अधिक दृढ़ और संगठित बनाया।

ब्रिटेन में सिखों की आबादी और सामाजिक स्थिति

2021 के ब्रिटिश जनगणना के अनुसार ब्रिटेन में लगभग 5,35,000 सिख रहते हैं, जो कुल जनसंख्या का लगभग 0.8 प्रतिशत है। अकेले लंदन में सिखों की संख्या 1,44,543 है, जिसमें साउथ हॉल क्षेत्र में 20,843 सिख निवास करते हैं। साउथ हॉल को ‘मिनी पंजाब’ कहा जाता है क्योंकि यहां सिखों की संख्या अधिक होने के कारण भारतीय संस्कृति का दबदबा है। यहां स्थित गुरुद्वारा गुरु सिंह सभा भारत के बाहर सबसे बड़ा गुरुद्वारा माना जाता है।

सिखों का आर्थिक योगदान और ट्रक ड्राइवरों की भूमिका

ब्रिटेन में सिख समुदाय ने ट्रक ड्राइविंग और व्यवसाय में खासा योगदान दिया है। 2017 की रिपोर्ट के अनुसार, लगभग 20,000 पंजीकृत ट्रक ड्राइवर सिख समुदाय से हैं। ब्रिटेन में ट्रक ड्राइवरों की भारी कमी के कारण, बड़ी कंपनियां जैसे टेस्को और सेन्सबरी उच्च वेतन और बोनस देकर ड्राइवरों को आकर्षित कर रही हैं। वार्षिक वेतन 70,000 पाउंड तक पहुंच सकता है, इसके अलावा 2,000 पाउंड का बोनस भी दिया जा रहा है। 17 वर्षों से ट्रक ड्राइविंग कर रहे एक ड्राइवर बैरी के अनुसार यह वेतन बहुत आकर्षक है और कंपनियां अपनी स्टॉक की व्यवस्था बनाए रखने के लिए वीकेंड ड्यूटी पर भी ज्यादा भुगतान कर रही हैं।

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सिख समुदाय के धार्मिक संघर्ष: वूल्वरहैम्प्टन बस ड्राइवरों का केस

है। ब्रिटेन में सिख ड्राइवरों ने अपनी सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान बनाए रखने के लिए कई संघर्ष भी किए हैं। 1960 के दशक में वूल्वरहैम्प्टन के सिख बस ड्राइवरों का एक महत्वपूर्ण संघर्ष हुआ। उस समय बस ड्राइवरों को साफ़ सुथरे और बिना दाढ़ी के काम पर आने का नियम था, जो सिख धर्म के धार्मिक आचार के खिलाफ था। टर्सेम सिंह संधू ने पगड़ी पहनने और बाल न काटने की अपनी धार्मिक आज़ादी के लिए आवाज़ उठाई। इस आंदोलन ने ब्रिटेन में धार्मिक पहचान और अधिकारों के लिए बड़ी लड़ाई छेड़ी। 1969 में यह अधिकार मिला कि सिख ड्राइवर पगड़ी पहन सकते हैं। इस संघर्ष के दौरान सामाजिक और नस्लीय तनाव भी बढ़े, जिसमें प्रसिद्ध सांसद इनोच पॉवेल ने भी पगड़ी विवाद पर विवादास्पद बयान दिया था।

ब्रिटेन में सिखों के लिए धार्मिक और सामाजिक सुधार

इतना ही नहीं, ब्रिटेन में सिख समुदाय ने पारिवारिक और नागरिक विवादों को हल करने के लिए ‘सिख कोर्ट’ स्थापित की है, जो सिख सिद्धांतों के अनुसार न्याय प्रदान करती है। यह धार्मिक न्यायाधिकरण नहीं है, बल्कि समुदाय के भीतर सामाजिक और पारिवारिक विवादों का समाधान करती है।

इसके अलावा, 2019 में ब्रिटेन ने सिखों को धार्मिक कारणों से कृपाण (धार्मिक तलवार) रखने का अधिकार दिया। यह ब्रिटिश गृह विभाग के साथ सिख समुदाय के परामर्श का परिणाम था, जिससे धार्मिक स्वतंत्रता और सांस्कृतिक पहचान का सम्मान सुनिश्चित हुआ।

सिख सैनिकों के लिए भी ब्रिटिश सेना ने विशेष प्रार्थना पुस्तकें ‘नितनेम गुटका’ जारी की हैं, जो सैन्य जीवन में उनकी धार्मिक आवश्यकताओं को पूरा करती हैं। यह पहल सिखों के लिए सम्मान और समावेश का प्रतीक है।

ब्रिटेन में ट्रक ड्राइवरों की कमी और उससे जुड़ी समस्याएं

हालांकि, ब्रिटेन में भारी वाहन चालक (एचजीवी) की कमी लंबे समय से एक गंभीर समस्या रही है। औसत उम्र 55 से ऊपर होने के कारण कई ड्राइवर सेवानिवृत्त हो रहे हैं, लेकिन युवाओं का आकर्षण कम है। खराब वेतन, कठिन कार्य परिस्थितियां, और लंबे अनिश्चित घंटों के कारण युवा इस पेशे में आना कम पसंद करते हैं। कोविड-19 महामारी और ब्रेक्सिट के कारण विदेशी ड्राइवरों की संख्या भी घट गई, जिससे समस्या और गहरी हो गई। सरकार ने अस्थायी वीजा योजना शुरू की, जिसके तहत 5,000 विदेशी ड्राइवरों को कार्य अनुमति दी गई।

वहीं, यह कहना भी गलत नहीं होगा कि ब्रिटेन में सिख समुदाय की यात्रा संघर्षपूर्ण और गौरवपूर्ण रही है। उनकी धार्मिक पहचान, सामाजिक संघर्ष, और आर्थिक योगदान ब्रिटेन की विविधता और समृद्धि का अभिन्न हिस्सा हैं।

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Andhra Pradesh Tirupati News: 25,000 रुपये के कर्ज के लिए बेटे को रखा गिरवी, वापस लेन...

Andhra Pradesh Tirupati News: आंध्र प्रदेश के तिरुपति में एक दुखद और गंभीर मामला सामने आया है, जहां पुलिस ने एक बत्तख पालक और उसके परिवार को गिरफ्तार किया है। आरोप है कि उन्होंने यानाडी आदिवासी समुदाय की एक महिला अनकम्मा और उसके तीन बच्चों को 25,000 रुपये के कर्ज के बदले बंधुआ मजदूर के रूप में रखा। महिला के एक बेटे को जमानत पर गिरवी रखा गया, जबकि बाकी बच्चों को छोड़ दिया गया। जब महिला ने कर्ज समेत ब्याज की रकम जमा कर अपने बेटे को वापस लेने गई तो आरोपियों ने कहा कि बच्चा भाग गया है। लेकिन पुलिस जांच में खुलासा हुआ कि लड़का मृत था और उसे तमिलनाडु के कांचीपुरम में गुप्त रूप से दफनाया गया था।

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कर्ज की मजबूरी में बंधुआ मजदूर बनाए गए अनकम्मा और बच्चे- Andhra Pradesh Tirupati News

जानकारी के अनुसार, अनकम्मा, उनके पति चेन्चैया और तीन बच्चे यानाडी आदिवासी समुदाय से संबंधित हैं। ये लोग तिरुपति में बत्तख पालन के लिए करीब एक साल तक काम करते रहे। चेन्चैया की मौत के बाद भी नियोक्ता ने अनकम्मा और उसके बच्चों को काम पर रखने को मजबूर किया। उसने बताया कि पति ने 25,000 रुपये का कर्ज लिया था, इसलिए वे काम छोड़ नहीं सकते।

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बेटे को जमानत पर रखा, भारी ब्याज पर कर्ज चुकाने को कहा गया

अनकम्मा ने मजदूरी बढ़ाने की मांग की, लेकिन नियोक्ता ने इनकार कर दिया। जब महिला ने काम छोड़ने की जिद की तो कर्ज की रकम 45,000 रुपये (जिसमें 20,000 रुपये ब्याज शामिल था) चुकाने के लिए कहा गया। पैसे जुटाने के लिए 10 दिन मांगे गए, लेकिन इस दौरान महिला को बताया गया कि उसे अपने एक बेटे को जमानत के रूप में गिरवी रखना होगा। मजबूरी में अनकम्मा ने यह स्वीकार कर लिया।

बेटे की आखिरी बातचीत और लौटाने की गुहार

अप्रैल में अनकम्मा ने अपने बेटे से आखिरी बार फोन पर बात की, जिसमें वह अपने मां से मिलने की बार-बार विनती कर रहा था। अप्रैल के आखिरी सप्ताह में जब महिला ने पैसे इकट्ठा कर बेटे को लेने गई, तो नियोक्ता ने पहले कहा कि बच्चा कहीं और भेज दिया गया है। दबाव डालने पर कहा कि वह अस्पताल में भर्ती है, बाद में यह भी कहा कि वह भाग गया है। डर के मारे अनकम्मा ने स्थानीय आदिवासी नेताओं से मदद लेकर पुलिस को सूचना दी।

पुलिस जांच में खुलासा, शव तमिलनाडु में गुप्त रूप से दफन

तिरुपति कलेक्टर वेंकटेश्वर ने बताया कि पुलिस ने तुरंत एक टीम गठित कर जांच शुरू की। पूछताछ में आरोपी बत्तख पालक ने बच्चे की मौत स्वीकार कर ली और कहा कि उन्होंने शव को कांचीपुरम में अपने ससुराल के पास छुपाकर दफना दिया। आरोपी परिवार के तीन सदस्यों को गिरफ्तार कर बंधुआ मजदूरी, बाल श्रम, किशोर न्याय, एससी/एसटी अत्याचार अधिनियम सहित कई धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया। मंगलवार को बच्चे का शव पुलिस ने बाहर निकाला और पोस्टमार्टम के लिए भेजा।

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आरोपी परिवार का पक्ष और सामाजिक कार्यकर्ताओं की चिंता

आरोपी परिवार ने कहा कि बच्चे की मौत पीलिया से हुई, इसलिए उसे गुप्त रूप से दफनाया गया। लेकिन अनकम्मा का कहना है कि सीसीटीवी फुटेज में दिखाया गया है कि लड़के को अस्पताल ले जाया गया था। सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस घटना को आदिवासी समुदाय के लिए एक गंभीर चेतावनी बताया। यानाडी जनजाति के कई सदस्य बंधुआ मजदूरी के शिकार होते हैं, और हाल ही में 50 से अधिक पीड़ितों को मुक्त कराया गया है। एक कार्यकर्ता ने कहा कि पीड़ितों को फंसाने के लिए अक्सर अग्रिम राशि ली जाती है, जिससे वे कर्ज में फंस जाते हैं।

प्रशासन की कड़ी प्रतिक्रिया और आगे की कार्रवाई

तिरुपति प्रशासन ने इस घटना को गंभीरता से लेते हुए दोषियों को जल्द से जल्द सजा दिलाने का आश्वासन दिया है। कलेक्टर वेंकटेश्वर ने कहा कि बंधुआ मजदूरी, बाल श्रम और अन्य अपराधों के खिलाफ सख्त कार्रवाई जारी रहेगी। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर और कानूनी कदम उठाए जाएंगे। प्रशासन ने कहा है कि ऐसे मामलों को रोकने के लिए सतर्कता बढ़ाई जाएगी और समुदाय में जागरूकता फैलाने का कार्य किया जाएगा।

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Lalu Yadav on Tej Pratap: लालू प्रसाद यादव ने तेज प्रताप यादव को पार्टी और परिवार से ...

Lalu Yadav on Tej Pratap: राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) ने रविवार को बड़ा और ऐतिहासिक फैसला लेते हुए अपने बड़े बेटे तेज प्रताप यादव (Tej Pratap Yadav) को पार्टी से छह साल के लिए निष्कासित कर दिया है। यह कदम तेज प्रताप के हालिया निजी जीवन को लेकर सोशल मीडिया पर हुए विवाद के बाद उठाया गया है, जिसने परिवार और पार्टी दोनों में खलबली मचा दी थी।

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तेज प्रताप यादव की निजी जिंदगी से जुड़ा विवाद- Lalu Yadav on Tej Pratap

शनिवार को तेज प्रताप यादव के ऑफिसियल फेसबुक अकाउंट से एक पोस्ट वायरल हुआ, जिसमें वे एक लड़की अनुष्का यादव के साथ नजर आए। पोस्ट में लिखा गया था कि तेज प्रताप और अनुष्का पिछले 12 वर्षों से एक-दूसरे को जानते हैं और प्यार भी करते हैं। दोनों पिछले 12 सालों से रिलेशनशिप में हैं। इस पोस्ट ने तेज प्रताप की निजी जिंदगी को लेकर कयासों और चर्चाओं को जन्म दिया।

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हालांकि देर रात तेज प्रताप ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ (पूर्व ट्विटर) पर यह दावा किया कि उनका फेसबुक अकाउंट हैक हो गया था और उनकी तस्वीरें गलत तरीके से एडिट कर उन्हें बदनाम करने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने अपने फॉलोअर्स से अपील की कि वे अफवाहों पर ध्यान न दें। लेकिन तब तक तेज प्रताप और अनुष्का की कई तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो चुकी थीं, जिनमें दोनों की नजदीकी साफ दिख रही थी।

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लालू प्रसाद यादव ने पार्टी और परिवार से बाहर किया तेज प्रताप को

इसी बीच, रविवार को लालू प्रसाद यादव ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट के जरिए तेज प्रताप को पार्टी और परिवार से बाहर करने की घोषणा की। उन्होंने लिखा, “निजी जीवन में नैतिक मूल्यों की अवहेलना हमारे सामाजिक न्याय के लिए संघर्ष को कमजोर करती है। ज्येष्ठ पुत्र के लोक आचरण और गैर जिम्मेदाराना व्यवहार हमारे पारिवारिक संस्कारों के अनुरूप नहीं है। इसलिए मैं उसे पार्टी और परिवार से निष्कासित करता हूं। अब उसकी पार्टी और परिवार में कोई भूमिका नहीं रहेगी।”

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उन्होंने आगे कहा कि तेज प्रताप को पार्टी से छह साल के लिए बाहर किया जाता है। साथ ही उन्होंने कहा कि जो लोग तेज प्रताप से जुड़े हैं, वे स्वविवेक से निर्णय लें। उन्होंने परिवार के सदस्यों द्वारा अपनाए गए लोकलाज के मूल्य की भी तारीफ की।

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तेजस्वी यादव ने जताई अलग राय

राजद के दूसरे प्रमुख नेता और तेज प्रताप के छोटे भाई तेजस्वी यादव ने इस विवाद पर अपनी राय दी। उन्होंने कहा कि राजनीतिक जीवन और व्यक्तिगत जीवन को अलग देखा जाना चाहिए। उन्होंने जोर दिया कि तेज प्रताप को अपने निजी फैसले लेने का पूरा अधिकार है। तेजस्वी ने कहा कि पार्टी अध्यक्ष ने अपनी भावना स्पष्ट कर दी है, जो उनकी निजी राय है। उन्होंने कहा कि किसी की निजी जिंदगी पर सवाल उठाना सही नहीं है और इस मामले में उन्हें मीडिया से ही जानकारी मिली है।

तेज प्रताप की शादी और तलाक का मामला भी चर्चा में

यह भी ज्ञात हो कि तेज प्रताप यादव पहले से शादीशुदा हैं। उनकी शादी मई 2018 में पूर्व मुख्यमंत्री दरोगा राय की पोती ऐश्वर्या राय से हुई थी। हालांकि, उनके वैवाहिक जीवन में कई विवाद सामने आए हैं और तलाक का मामला कोर्ट में लंबित है। इस निजी जीवन की उलझनों ने उनके सार्वजनिक और राजनीतिक जीवन को भी प्रभावित किया है।

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Hera Pheri 3 controversy: ‘हेरा फेरी 3’ से परेश रावल की अचानक एग्जिट पर अक्षय कुमार न...

Hera Pheri 3 controversy: कल्ट कॉमेडी फिल्म ‘हेरा फेरी’ के तीसरे पार्ट का इंतजार लंबे समय से फैंस को था। जब इस फिल्म के बनने की घोषणा हुई तो सभी ने खुशी जताई। लेकिन जैसे ही खबर आई कि इस फिल्म से परेश रावल अचानक बाहर हो गए हैं, तब यह खुशखबरी फैंस के लिए एक बड़ा झटका बन गई। इसके बाद खबरें आईं कि अक्षय कुमार ने भी परेश रावल के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की है। अब इस पूरे मामले में परेश रावल ने अपनी प्रतिक्रिया दी है।

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अक्षय कुमार ने क्यों किया परेश रावल पर केस? (Hera Pheri 3 controversy)

कुछ समय पहले यह खबर आई थी कि अक्षय कुमार ने परेश रावल पर 25 करोड़ रुपये का केस किया है। अक्षय के पास फिल्म ‘हेरा फेरी 3’ के अधिकार (राइट्स) हैं और परेश की अचानक फिल्म छोड़ने से उन्हें भारी आर्थिक नुकसान हुआ। इसी वजह से अक्षय ने कानूनी कार्रवाई करने का फैसला लिया। परेश रावल ने शुरू में इस पूरे मामले पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी थी, लेकिन अब उन्होंने खुद सोशल मीडिया के जरिए अपने वकील के माध्यम से जवाब भेजे जाने की जानकारी दी है।

परेश ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर लिखा, “मेरे वकील अमीत नाइक ने मेरी फिल्म से बाहर निकलने के बारे में उचित जवाब भेजा है। जैसे ही अक्षय कुमार इसका जवाब पढ़ेंगे, उम्मीद है कि मामले का समाधान हो जाएगा।”

प्रियदर्शन का बयान और अक्षय का समर्थन

फिल्म के निर्देशक प्रियदर्शन ने भी इस विवाद पर अपनी राय जाहिर की थी। उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा था कि वे पूरी तरह अक्षय कुमार के साथ हैं। उनके मुताबिक, परेश रावल ने बिना किसी सूचना के फिल्म छोड़ दी, जिससे प्रोजेक्ट को नुकसान पहुंचा है और अक्षय को मानसिक कष्ट भी हुआ है। प्रियदर्शन ने बताया कि अक्षय ने इस फिल्म में अपनी मेहनत और पैसे लगाए हैं, इसलिए उनका नाराज होना स्वाभाविक है। उन्होंने साफ किया कि परेश ने फिल्म छोड़ने की कोई जानकारी उन्हें नहीं दी।

क्या सच में क्रिएटिव डिफरेंसेज थे?

परेश रावल के अचानक बाहर निकलने के बाद यह अफवाह उड़ी कि उन्होंने फिल्म छोड़ने का फैसला क्रिएटिव डिफरेंसेज के कारण लिया है। हालांकि परेश ने खुद इस बात से इनकार किया और सोशल मीडिया पर इसे गलत बताया। उन्होंने कहा कि वह फिल्म के साथ जुड़े अन्य कारणों की वजह से बाहर हुए हैं, न कि किसी क्रिएटिव मतभेद के कारण।

परेश रावल ने अपने किरदार बाबू राव को लेकर क्या कहा?

हाल ही में एक बातचीत में परेश ने ‘हेरा फेरी’ के अपने लोकप्रिय किरदार बाबू राव पर बात की। उन्होंने कहा कि इस किरदार से उन्हें अब मुक्ति चाहिए क्योंकि इसे निभाते-निभाते उनका दम घुटने लगा है। इसके साथ ही मीडिया रिपोर्ट्स में यह भी कहा गया कि फीस को लेकर भी परेश का फिल्म छोड़ने का एक बड़ा कारण हो सकता है। बताया गया है कि उन्होंने अपनी साइनिंग फीस 11 लाख रुपये, जो उन्हें दी जानी थी, 15% ब्याज के साथ वापस कर दी है।

असली वजह क्या है?

फिलहाल यह साफ नहीं है कि परेश रावल ने ‘हेरा फेरी 3’ से बाहर निकलने का असली कारण क्या बताया है। एक्टर ने विवाद पर खुलकर कुछ नहीं कहा है। वहीं, अक्षय कुमार ने कानूनी कदम उठाकर अपनी नाराजगी जाहिर कर दी है। प्रियदर्शन का भी साफ कहना है कि परेश ने बिना किसी सूचना के फिल्म छोड़ दी, जिससे फिल्म की योजना प्रभावित हुई।

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India Fourth Largest Economy: भारत बना दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था, जापान क...

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India Fourth Largest Economy: भारत की आर्थिक प्रगति ने एक नया मील का पत्थर छू लिया है। अब भारत दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। इस बड़ी उपलब्धि की जानकारी नीति आयोग के सीईओ बीवीआर सुब्रमण्यम ने नीति आयोग की 10वीं गवर्निंग काउंसिल की बैठक के बाद दी। उन्होंने बताया कि भारत ने जापान को पीछे छोड़ते हुए यह स्थान हासिल किया है। अब भारत से आगे सिर्फ अमेरिका, चीन और जर्मनी है।

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सुब्रमण्यम ने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था अब 4 ट्रिलियन डॉलर यानी करीब 4,000 अरब डॉलर तक पहुंच चुकी है। उन्होंने कहा कि यह भारत के लिए गौरव का क्षण है क्योंकि अब सिर्फ अमेरिका, चीन और जर्मनी ही भारत से आगे हैं।

अनुकूल माहौल और मजबूत आर्थिक स्थिति- India Fourth Largest Economy

नीति आयोग प्रमुख ने इस बात पर जोर दिया कि फिलहाल भारत के लिए वैश्विक आर्थिक माहौल अनुकूल है। देश की आर्थिक स्थिति मजबूत है और सरकार द्वारा की जा रही नीतिगत पहलों का असर जमीन पर दिखने लगा है। उन्होंने कहा कि अगर भारत अपनी योजनाओं और रणनीतियों पर कायम रहा, तो अगले 2.5 से 3 साल में हम जर्मनी को भी पीछे छोड़ सकते हैं और तीसरी सबसे बड़ी वैश्विक अर्थव्यवस्था बन सकते हैं।

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टैरिफ वॉर और सीमा तनाव का असर नहीं

भारत ने यह आर्थिक मुकाम ऐसे समय में हासिल किया है जब वह अमेरिका से टैरिफ वॉर जैसी चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों का सामना कर रहा है। इसके अलावा, हाल ही में हुए पहलगाम आतंकी हमले के बाद शुरू हुए ऑपरेशन सिंदूर के चलते भारत के पड़ोसी देशों के साथ संबंधों में तनाव की स्थिति है। लेकिन इन सबके बावजूद भारत की आर्थिक रफ्तार में कोई कमी नहीं आई।

भारत मैन्युफैक्चरिंग का नया केंद्र

सुब्रमण्यम ने मैन्युफैक्चरिंग को लेकर भी भारत की स्थिति को मजबूत बताया। उन्होंने कहा कि बदलते वैश्विक परिदृश्य में भारत मैन्युफैक्चरिंग के लिए एक सस्ती और आकर्षक जगह बनता जा रहा है। आईफोन निर्माता कंपनी एपल को लेकर पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा कि भले ही अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप चाहते हैं कि आईफोन का निर्माण अमेरिका में हो, लेकिन भारत इसके लिए एक व्यवहारिक विकल्प बन रहा है।

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एसेट मोनेटाइजेशन का अगला चरण

नीति आयोग के सीईओ ने यह भी जानकारी दी कि सरकार एसेट मोनेटाइजेशन की दिशा में एक और बड़ा कदम उठाने जा रही है। इसका दूसरा राउंड तैयार किया जा रहा है और इसकी घोषणा अगस्त में की जाएगी। इससे देश की वित्तीय स्थिति को और बल मिलने की उम्मीद है।

GDP ग्रोथ रेट बनी मजबूत

देश की आर्थिक प्रगति को लेकर केयरएज रेटिंग्स की रिपोर्ट में यह सामने आया है कि वित्त वर्ष 2025 की चौथी तिमाही में भारत की GDP ग्रोथ रेट 6.8% रहने का अनुमान है। रिपोर्ट के अनुसार, कृषि, होटल, ट्रांसपोर्ट और कंस्ट्रक्शन जैसे क्षेत्रों ने इस वृद्धि में अहम भूमिका निभाई है।

ग्रामीण इलाकों में लोगों की खरीदारी क्षमता में वृद्धि देखी गई है, जिससे घरेलू खपत बढ़ी है। हालांकि शहरी इलाकों में यह रुझान थोड़ा मिश्रित रहा, लेकिन कुल मिलाकर उपभोग में तेजी आई है, जो आर्थिक मजबूती का संकेत है।

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Covid-19 Cases in India: देश में कोरोना की फिर एंट्री, नए वेरिएंट NB.1.8.1 और LF.7 से...

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Covid-19 Cases in India: देश में एक बार फिर कोरोना वायरस को लेकर चिंता बढ़ने लगी है। INSACOG (इंडियन सार्स-कोव-2 जीनोमिक्स कंसोर्टियम) के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, कोविड-19 के दो नए सबवेरिएंट्स NB.1.8.1 और LF.7 भारत में सामने आए हैं। अप्रैल में तमिलनाडु में NB.1.8.1 का एक मामला मिला, जबकि मई में गुजरात में LF.7 के चार केस दर्ज किए गए हैं। इन नए वेरिएंट्स की मौजूदगी ने केंद्र और राज्यों की सरकारों को एक बार फिर अलर्ट मोड पर ला दिया है।

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WHO ने दोनों वेरिएंट्स को अंडर मॉनिटरिंगश्रेणी में रखा– Covid-19 Cases in India

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने NB.1.8 और LF.7 को फिलहाल ‘Variants Under Monitoring’ की कैटेगरी में रखा है। यानी इन पर नजर रखी जा रही है, लेकिन इन्हें ‘Variants of Concern’ या ‘Variants of Interest’ में अभी नहीं रखा गया है। हालांकि एशिया के कुछ देशों जैसे चीन, सिंगापुर और हांगकांग में कोविड मामलों में तेजी के पीछे इन वेरिएंट्स की भूमिका मानी जा रही है।

Covid-19 Cases in India
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भारत में JN.1 अभी भी सबसे प्रमुख वेरिएंट

INSACOG के अनुसार, भारत में इस समय सबसे ज्यादा पाया जाने वाला वेरिएंट JN.1 है, जो कुल सैंपलों में 53% हिस्सेदारी रखता है। इसके बाद BA.2 (26%) और अन्य ओमिक्रॉन सबवेरिएंट्स (20%) आते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि NB.1.8.1 में पाए गए A435S, V445H और T478I जैसे म्यूटेशन इसे ज्यादा तेजी से फैलने और प्रतिरक्षा प्रणाली को चकमा देने में सक्षम बना सकते हैं।

सरकार की नजर, विशेषज्ञों की बैठक

देश में स्थिति की गंभीरता को देखते हुए स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक (DGHS) की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक की गई। इसमें ICMR, NCDC और अन्य स्वास्थ्य संस्थानों के विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया। बैठक में बताया गया कि फिलहाल स्थिति नियंत्रण में है, लेकिन सावधानी और निगरानी जारी रहनी चाहिए।

राज्यों से मामले: महाराष्ट्र, दिल्ली, केरल में हल्की बढ़त

स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, 19 मई 2025 तक देश में 257 एक्टिव केस हैं। दिल्ली में बीते 24 घंटे में 23 नए मामले सामने आए हैं। केरल में मई महीने में 273 केस दर्ज किए गए। महाराष्ट्र के ठाणे में गंभीर रूप से बीमार एक व्यक्ति की कोरोना से मौत हुई, जबकि मुंबई, पुणे और नागपुर में भी नए मामले मिले हैं।

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तेलंगाना, उत्तराखंड और एमपी से भी केस रिपोर्ट

तेलंगाना में हैदराबाद के एक पल्मोनोलॉजिस्ट संक्रमित पाए गए थे, जो अब स्वस्थ हैं। उत्तराखंड के ऋषिकेश में गुजरात से आए एक पर्यटक और एम्स ऋषिकेश की डॉक्टर कोरोना पॉजिटिव पाए गए। इंदौर (म.प्र.) में भी दो मरीजों की पुष्टि हुई है।

स्थिति पर नियंत्रण, लेकिन सतर्कता जरूरी

स्वास्थ्य मंत्रालय और राज्य सरकारें हालात पर करीबी नजर रखे हुए हैं। IDSP और ICMR के सेंटिनल नेटवर्क के जरिए पूरे देश में निगरानी की जा रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि घबराने की जरूरत नहीं है, लेकिन मास्क, हाथ धोना और लक्षण दिखने पर टेस्ट करवाना जैसे कोविड अनुरूप व्यवहार फिर से अपनाना आवश्यक हो गया है।

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Uttarakhand Mini Punjab Rudrapur: मिनी पंजाब रुद्रपुर, उत्तराखंड में पंजाबी संस्कृति ...

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Uttarakhand Mini Punjab Rudrapur: उत्तराखंड के उधम सिंह नगर जिले का रुद्रपुर, जिसे अक्सर ‘मिनी पंजाब’ कहा जाता है, अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विविधता और सिख समुदाय की मजबूत उपस्थिति के लिए जाना जाता है। यह शहर न केवल कुमाऊँ क्षेत्र का एक प्रमुख औद्योगिक और शैक्षिक केंद्र है, बल्कि सिख संस्कृति और परंपराओं का भी एक महत्वपूर्ण गढ़ है। रुद्रपुर को ‘मिनी पंजाब’ की संज्ञा इसके सिख समुदाय की बड़ी आबादी, उनकी खेती-बाड़ी की परंपरा और पंजाबी संस्कृति के प्रभाव के कारण मिली है। आइए, इसकी वजहों, सिख आबादी और गुरुद्वारों की जानकारी पर एक नजर डालें।

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‘मिनी पंजाब’ क्यों? (Uttarakhand Mini Punjab Rudrapur)

रुद्रपुर को ‘मिनी पंजाब’ कहने की प्रमुख वजह 1947 में भारत-पाकिस्तान विभाजन के बाद हुई सिख समुदाय की बसावट है। विभाजन के दौरान पंजाब और पाकिस्तान के कुछ हिस्सों से विस्थापित सिख परिवारों ने उत्तराखंड के तराई क्षेत्र, खासकर उधम सिंह नगर जिले में शरण ली, जिससे यहाँ सिख आबादी का एक मजबूत आधार बना। ये परिवार पंजाब-हरियाणा की तरह गेहूं और धान जैसी फसलों की खेती में माहिर थे, जिसने क्षेत्र की कृषि अर्थव्यवस्था को और मजबूत किया। इसके अलावा, सिख समुदाय की मेहनत, उद्यमशीलता और सामुदायिक भावना ने रुद्रपुर को पंजाबी संस्कृति का एक छोटा-सा प्रतिबिंब बना दिया। पंजाबी भोजन, त्योहार जैसे बैसाखी, और गुरुद्वारों में होने वाले कीर्तन और लंगर इस क्षेत्र में पंजाबी प्रभाव को और गहरा करते हैं।

सिख आबादी

2011 की जनगणना के अनुसार, उत्तराखंड की कुल आबादी में सिख समुदाय का हिस्सा लगभग 3.17% है, जो राज्य की कुल जनसंख्या (1,00,86,292) का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। उधम सिंह नगर जिला, जिसमें रुद्रपुर शामिल है, सिखों की सबसे बड़ी आबादी वाला जिला है। उधम सिंह नगर में सिख आबादी काफी अधिक है, जो जिले की कुल आबादी का एक बड़ा हिस्सा है। रुद्रपुर शहर में ही सिख समुदाय की जनसंख्या लगभग 30,000-40,000 के बीच मानी जाती है, हालांकि यह आंकड़ा अनौपचारिक है और नवीनतम जनगणना डेटा के अभाव में अनुमानित है। यहाँ के सिख समुदाय ने न केवल खेती, बल्कि व्यापार, उद्योग और शिक्षा के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

गुरुद्वारे: सिख संस्कृति का केंद्र

रुद्रपुर में कई गुरुद्वारे हैं जो सिख समुदाय के धार्मिक और सामाजिक जीवन का केंद्र हैं। इनमें से प्रमुख हैं:

  1. गुरुद्वारा श्री गुरु सिंह सभा, रुद्रपुर: यह शहर का सबसे प्रसिद्ध गुरुद्वारा है, जो सिख समुदाय के लिए पूजा और सामुदायिक गतिविधियों का केंद्र है। यहाँ नियमित रूप से कीर्तन, पाठ और लंगर का आयोजन होता है। गुरुद्वारा सभी धर्मों के लोगों के लिए खुला है और यहाँ का लंगर समानता और सेवा के सिख सिद्धांतों को दर्शाता है। यह गुरुद्वारा स्थानीय सिख समुदाय के लिए एक सांस्कृतिक और आध्यात्मिक केंद्र के रूप में कार्य करता है।
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2. गुरुद्वारा नानकमत्ता साहिब: रुद्रपुर से लगभग 50 किलोमीटर दूर नानकमत्ता में स्थित यह गुरुद्वारा सिख धर्म के लिए ऐतिहासिक महत्व रखता है। गुरु नानक देव जी से संबंधित इस गुरुद्वारे में हर साल हजारों श्रद्धालु आते हैं। यहाँ नानक सागर डैम भी एक आकर्षण है, जो पर्यटकों और तीर्थयात्रियों को आकर्षित करता है।

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सांस्कृतिक और आर्थिक योगदान

रुद्रपुर के सिख समुदाय ने क्षेत्र की सांस्कृतिक और आर्थिक समृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। सिडकुल औद्योगिक क्षेत्र की स्थापना के बाद रुद्रपुर एक प्रमुख औद्योगिक केंद्र बन गया, जिसमें सिख समुदाय के व्यापारियों और उद्यमियों की बड़ी भागीदारी रही। इसके अलावा, सिखों की मेहनत और सामुदायिक भावना ने रुद्रपुर को एक जीवंत और समावेशी शहर बनाया है। यहाँ के गुरुद्वारों में आयोजित लंगर और सामुदायिक सेवा के कार्यक्रम सभी धर्मों के लोगों को एकजुट करते हैं।

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Health Tips for Summer: गर्मियों में किन सब्जियों से रहें सावधान! जानिए सेहत के लिए ह...

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Health Tips for Summer: गर्मी का मौसम आते ही सेहत का खास ख्याल रखना जरूरी हो जाता है। बढ़ती गर्मी के कारण शरीर में पानी की कमी होने लगती है, जिससे कई बीमारियां घर कर सकती हैं। इस दौरान अक्सर फल और हरी सब्जियों का सेवन बढ़ा दिया जाता है ताकि शरीर को ठंडक मिले और पोषण भी मिले। लेकिन क्या आप जानते हैं कि हर हरी सब्जी गर्मियों के लिए फायदेमंद नहीं होती? कुछ सब्जियां गर्म मौसम में खाने से नुकसान भी पहुंचा सकती हैं और सेहत को नुकसान पहुंचा सकती हैं। इस लेख में हम आपको बताने जा रहे हैं उन सब्जियों के बारे में जिनसे गर्मियों में परहेज करना चाहिए।

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आलू: गर्मियों में न करें ज्यादा सेवन- Health Tips for Summer

आलू भारतीय घरों की पसंदीदा सब्जी है, लेकिन गर्मियों में इसका ज्यादा सेवन आपके लिए नुकसानदेह हो सकता है। आलू में स्टार्च की मात्रा अधिक होती है, जिसे पचाने में गर्मी के मौसम में पेट को दिक्कत हो सकती है। यह पेट में गर्मी बढ़ाता है और पाचन तंत्र को प्रभावित करता है। अगर आप वजन घटाने की कोशिश कर रहे हैं तो गर्मी में आलू से पूरी तरह बचना चाहिए क्योंकि यह वजन बढ़ाने में सहायक हो सकता है।

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पालक: पाचन संबंधी समस्याओं का कारण

गर्मियों में पालक खाने से भी बचना चाहिए। इस मौसम में पालक के पत्तों में कीड़े लग सकते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकते हैं। साथ ही पालक में हिस्तामिन नामक पदार्थ होता है जो कुछ लोगों में एलर्जी और पाचन से जुड़ी समस्याएं पैदा कर सकता है। त्वचा पर खुजली और एलर्जी के लक्षण भी देखने को मिल सकते हैं, इसलिए गर्मी में पालक के सेवन से बचना ही बेहतर होता है।

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लहसुन: गर्मी बढ़ाता है शरीर का तापमान

लहसुन अपनी गर्म तासीर के लिए जाना जाता है। गर्मी के मौसम में लहसुन का सेवन शरीर के तापमान को बढ़ा सकता है जिससे आपको त्वचा से जुड़ी परेशानियां हो सकती हैं। गर्मी में लहसुन का सेवन सीमित मात्रा में ही करें ताकि आपके शरीर को अतिरिक्त गर्मी न मिले और त्वचा संबंधी दिक्कतें न हों।

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फूलगोभी: पाचन में बाधा डालती है

फूलगोभी की तासीर भी गर्म होती है और यह सर्दियों में ज्यादा खाई जाती है। गर्मी के मौसम में इसका सेवन पाचन तंत्र के लिए नुकसानदेह हो सकता है। फूलगोभी खाने से आपको पेट में गैस, एसिडिटी या अपच जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इसलिए गर्मियों में फूलगोभी का सेवन कम से कम करना चाहिए।

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स्वस्थ रहने के लिए गर्मियों में क्या खाएं?

गर्मी के मौसम में खीरा, लौकी, तुरई, परवल, भिंडी जैसी सब्जियां ज्यादा खाना चाहिए क्योंकि ये शरीर को ठंडक देती हैं और पाचन में मदद करती हैं। साथ ही संतरे, तरबूज, आम, नींबू जैसे रसीले फल शरीर में पानी की कमी नहीं होने देते और शरीर को हाइड्रेटेड रखते हैं।

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First Period Celebration: भारत के अलग-अलग राज्यों में पीरियड्स का जश्न, अछूत से त्योह...

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First Period Celebration: पीरियड्स, जिसे मासिक धर्म के नाम से भी जाना जाता है, महिलाओं के जीवन में एक प्राकृतिक और महत्वपूर्ण प्रक्रिया है। यह शारीरिक परिपक्वता और युवावस्था का संकेत होता है। जहां भारत के कई हिस्सों में आज भी पीरियड्स को सामाजिक अछूत मानकर कई तरह की बंदिशें लगाई जाती हैं, वहीं कुछ राज्यों में इसे उत्सव के रूप में मनाया जाता है। ऐसे त्योहारों और रीति-रिवाजों का मकसद लड़की के महिला बनने के सफर को सम्मान देना और उसे समाज में स्वीकार्य बनाना है। आइए, जानते हैं भारत के विभिन्न राज्यों में पीरियड्स से जुड़े खास रीति-रिवाज।

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कर्नाटक: ऋतुशुद्धि या ऋतु कला संस्कार- First Period Celebration

कर्नाटक में लड़की के पहली बार पीरियड्स होने पर ‘ऋतुशुद्धि’ नामक समारोह का आयोजन किया जाता है। इसे ‘ऋतु कला संस्कार’ भी कहा जाता है। इस अवसर पर लड़की पहली बार हाफ-साड़ी पहनती है, जो उसकी युवावस्था में प्रवेश को दर्शाता है। इस समारोह के दौरान परिवार और रिश्तेदार इकट्ठा होते हैं, और लड़की को पीरियड्स से जुड़ी जानकारियां दी जाती हैं ताकि वह मानसिक और शारीरिक रूप से इस नई अवस्था के लिए तैयार हो सके। यह परंपरा यह सुनिश्चित करती है कि लड़की को इस दौरान किसी प्रकार की समस्या न हो।

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असम: तुलोनिया बिया का त्योहार

असम में ‘तुलोनिया बिया’ नामक एक भव्य त्योहार मनाया जाता है जो लड़की के पहली बार मासिक धर्म शुरू होने पर आयोजित होता है। इस त्योहार में लड़की को सात दिनों तक अलग रखा जाता है और उसे कई काम करने से मना किया जाता है। साथ ही, इस दौरान उसे सूर्य, चंद्रमा और तारों को देखना भी अशुभ माना जाता है। सातवें दिन के बाद, लड़की की एक विशेष रस्म होती है जिसमें केले के पौधे से उसकी शादी की जाती है। इस अवसर पर रिश्तेदार आते हैं और लड़की को उपहार देते हैं, जिससे उसे महिला बनने का अहसास होता है।

तमिलनाडु: मंजल निरातु विज़ा समारोह

तमिलनाडु में पीरियड्स को ‘मंजल निरातु विज़ा’ के नाम से मनाया जाता है। यह एक बड़ा पारिवारिक उत्सव होता है जिसमें सभी रिश्तेदारों को कार्ड भेजकर बुलाया जाता है। लड़की को हल्दी के पानी से स्नान कराया जाता है और उसे नारियल, आम और नीम के पत्तों से बनी झोपड़ी (कुदिसाई) में रखा जाता है। इस झोपड़ी में स्वादिष्ट व्यंजन और झाड़ू रखे जाते हैं। नहाने के बाद लड़की को रेशमी साड़ी और आभूषण पहनाए जाते हैं। इस समारोह का समापन ‘पुण्य धनम’ से होता है, जिसके बाद झोपड़ी हटाई जाती है और पंडित घर को पवित्र करता है।

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ओड़िशा: राजा प्रभा का तीन दिन का उत्सव

ओड़िशा में मासिक धर्म को तीन दिनों तक मनाया जाता है, जिसे ‘राजा प्रभा’ कहा जाता है। राजा शब्द संस्कृत के ‘राज’ से लिया गया है, जिसका अर्थ मासिक धर्म होता है। इस दौरान यह माना जाता है कि धरती माता को भी मासिक धर्म होता है। पीरियड्स के चौथे दिन लड़की को स्नान कराया जाता है। यह समारोह मानसून के दौरान ‘मिथुन संक्रांति’ से जुड़ा होता है, जो बारिश और मिट्टी की उर्वरता का प्रतीक है। इसके अंतर्गत महिलाएं और लड़कियां नए कपड़े पहन कर और मिठाइयों के साथ जश्न मनाती हैं।

आंध्र प्रदेश: पेडमनिषी पंडगा

आंध्र प्रदेश में ‘पेडमनिषी पंडगा’ नामक समारोह मनाया जाता है जो पीरियड्स के पहले, पांचवें और आखिरी दिन होता है। पहले दिन लड़की का ‘मंगल स्नान’ किया जाता है, जिसमें पांच महिलाएं उसे नहलाती हैं, लेकिन उसकी मां इसमें शामिल नहीं होती। पीरियड्स के दौरान लड़की को अलग कमरे में रखा जाता है और उसे बाहर जाने की अनुमति नहीं होती। खाने-पीने से लेकर बिस्तर तक सभी चीजें अलग रखी जाती हैं। समारोह के आखिरी दिन लड़की को चंदन का लेप लगाया जाता है और उसके चाचा उसे साड़ी व आभूषण भेंट करते हैं।

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Trending GK Quiz: वो कौन सा जानवर है जिसे पानी पीना मना है, वरना होती है मौत? जानिए 1...

Trending GK Quiz: सामान्य ज्ञान, जिसे जनरल नॉलेज भी कहा जाता है, हर व्यक्ति के लिए बेहद आवश्यक होता है। यह न केवल हमारे सोचने-समझने की क्षमता को बढ़ाता है, बल्कि जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में सफलता हासिल करने में भी मदद करता है। कहा जाता है कि ज्ञान ही वह शक्ति है, जिसके बल पर व्यक्ति दुनिया में अपना दबदबा बना सकता है, भले ही वह अकेला ही क्यों न हो। इसलिए, हर उम्र के लोगों के लिए यह जरूरी है कि वे रोजाना कुछ नया सीखते रहें, खासकर वे जो प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं, उन्हें अपना सामान्य ज्ञान मजबूत बनाए रखना चाहिए।

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आज हम आपके लिए लेकर आए हैं सामान्य ज्ञान से जुड़े 10 ऐसे अनोखे सवाल, जिनके जवाब जानकर आप भी हैरान रह जाएंगे। इन सवालों को आप नोट भी कर सकते हैं और अपने दोस्तों के साथ भी शेयर कर सकते हैं।

सवाल 1: दुनिया का सबसे ऊंचा पर्वत कौन सा है? (Trending GK Quiz)

जवाब: माउंट एवरेस्ट।
यह पर्वत पृथ्वी की सबसे ऊंची चोटी है, जिसकी ऊंचाई लगभग 8,848.86 मीटर है।

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सवाल 2: कौन सा ग्रह सूर्य के सबसे नजदीक है?

जवाब: बुध।
सौरमंडल का सबसे छोटा और सूर्य के सबसे पास स्थित ग्रह बुध है।

सवाल 3: विश्व का सबसे बड़ा महासागर कौन सा है?

जवाब: प्रशांत महासागर।
यह महासागर क्षेत्रफल के हिसाब से दुनिया का सबसे बड़ा महासागर है।

सवाल 4: ताजमहल किस नदी के किनारे स्थित है?

जवाब: यमुना नदी।
आगरा में स्थित ताजमहल यमुना नदी के तट पर बना हुआ है।

सवाल 5: शरीर का सबसे कमजोर अंग कौन सा है?

जवाब: क्लैविकल या कॉलर बोन।
यह हड्डी शरीर की सबसे कमजोर हड्डियों में गिनी जाती है।

सवाल 6: सबसे तेजी से बढ़ने वाला पौधा कौन सा है?

जवाब: बांस (Bamboo)।
बांस एक ऐसा पौधा है जो सबसे तेज गति से बढ़ता है और यह कुछ प्रकार के बांस के पौधे एक दिन में कई फीट तक बढ़ सकते हैं।

सवाल 7: सूर्य चंद्रमा से कितना गुना बड़ा है?

जवाब: सूर्य, चंद्रमा से लगभग 400 गुना बड़ा है।
हालांकि दोनों का आकार आकाश में लगभग समान दिखाई देता है, क्योंकि सूर्य चंद्रमा से बहुत दूर है।

सवाल 8: शरीर का सबसे गंदा अंग कौन सा होता है?

जवाब: नाभी।
नाभी में त्वचा के अंदर गंदगी और जीवाणु जमा हो जाते हैं, इसलिए यह शरीर का सबसे गंदा हिस्सा माना जाता है।

सवाल 9: भारत के किस राज्य को ‘देश का अन्न भंडार’ कहा जाता है?

जवाब: पंजाब।
पंजाब को इसकी उपजाऊ जमीन और कृषि उत्पादन के कारण ‘देश का अन्न भंडार’ कहा जाता है।

सवाल 10: कौन सा जानवर पानी पीने के बाद मर जाता है?

जवाब: कंगारू चूहा।
यह जानवर विशेष परिस्थितियों में पानी पीने से मर सकता है, क्योंकि यह बहुत ही खास जल संतुलन में रहता है।

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इन सवालों से न केवल आपका सामान्य ज्ञान बढ़ेगा, बल्कि ये आपकी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में भी सहायक होंगे। रोजाना थोड़ा-थोड़ा ज्ञान बढ़ाने की आदत बनाएं, क्योंकि ज्ञान ही सफलता की कुंजी है। ऐसे रोचक और उपयोगी सामान्य ज्ञान के सवाल और जवाब समय-समय पर सीखते रहना आपकी सोच और समझ को तेज करेगा और आपको हर स्थिति में बेहतर निर्णय लेने में मदद करेगा।

तो आज ही इन सवालों को अपने दोस्तों और परिवार के साथ शेयर करें और सभी का ज्ञान बढ़ाएं!

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