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Alwar News: “जब डेढ़ लाख के ई-रिक्शा ने 15 लाख की टाटा नेक्सन ईवी को घर पहुंचाया” – अ...

Alwar News: राजस्थान के अलवर से एक ऐसा वीडियो सामने आया है, जिसने सोशल मीडिया पर खूब हलचल मचा दी है। यहां एक व्यापारी की टाटा नेक्सन ईवी कार बीच सड़क पर बंद हो गई, जिसके बाद ट्रैफिक जाम लग गया। हैरानी की बात यह रही कि कार को अंत में एक ई-रिक्शा ने रस्सी से बांधकर घर तक खींचकर पहुंचाया। यह नजारा देखने वाले लोगों ने मोबाइल में कैद कर लिया और देखते ही देखते वीडियो वायरल हो गया।

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बीच सड़क बंद हुई कार, लगा ट्रैफिक जाम- Alwar News

जानकारी के मुताबिक, यह घटना अलवर के काला कुआं क्षेत्र की है। यहां रहने वाले व्यापारी सुभाष अग्रवाल ने कुछ दिन पहले ही टाटा नेक्सन ईवी खरीदी थी। शुक्रवार को जब वह अपनी कार से बाहर निकले, तो रास्ते में ज्योति राव फूले सर्किल के पास अचानक कार बंद हो गई। बताया जा रहा है कि कार की बैटरी डिस्चार्ज हो गई थी और चार्ज खत्म होने की वजह से वह आगे नहीं बढ़ सकी।
कार के बीच सड़क पर रुक जाने से ट्रैफिक रुक गया और आसपास के वाहन चालकों को भी भारी परेशानी का सामना करना पड़ा।

ई-रिक्शा बना ‘मसीहा’, खींचकर पहुंचाया घर

स्थिति बिगड़ती देख सुभाष अग्रवाल ने किसी तरह एक ई-रिक्शा चालक को मदद के लिए बुलाया। फिर जो हुआ, उसने सबको हैरान कर दिया। डेढ़ लाख रुपए के ई-रिक्शा ने रस्सी से कार को बांधा और धीरे-धीरे खींचते हुए सुभाष अग्रवाल के घर तक पहुंचा दिया।
रास्ते में यह अनोखा नजारा देखकर लोग रुक-रुककर वीडियो बनाने लगे। कुछ लोगों ने इसे मजाकिया अंदाज में लिया, तो कुछ ने इसे इलेक्ट्रिक व्हीकल्स की “ग्राउंड रियलिटी” बताया।

सोशल मीडिया पर वायरल हुआ वीडियो

ई-रिक्शा द्वारा ईवी कार को खींचने का यह वीडियो अब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। कई यूजर्स ने इस घटना को ईवी टेक्नोलॉजी की कमियों से जोड़कर देखा। कुछ ने लिखा कि सरकार जहां एक तरफ इलेक्ट्रिक गाड़ियों को बढ़ावा दे रही है, वहीं चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की हालत अब भी कमजोर है।
एक यूजर ने तंज कसते हुए लिखा, “ई-रिक्शा ही असली इलेक्ट्रिक व्हीकल है, जिसने ईवी कार को घर तक पहुंचाया।”

चार्जिंग स्टेशनों की कमी बनी बड़ी समस्या

सरकार लगातार इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने की बात कर रही है और कंपनियां भी तेजी से नई ईवी कारें लॉन्च कर रही हैं। लेकिन हकीकत यह है कि देश में चार्जिंग स्टेशनों की कमी अब भी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है।
कई छोटे शहरों और कस्बों में आज भी पर्याप्त चार्जिंग सुविधाएं नहीं हैं। ऊपर से, जिन जगहों पर चार्जिंग पॉइंट हैं, वहां भी बिजली कटौती या तकनीकी दिक्कतों के कारण लोग अक्सर परेशान हो जाते हैं। इस वजह से कई बार ऐसी घटनाएं देखने को मिल रही हैं, जब इलेक्ट्रिक वाहन सड़क पर ही बंद हो जाते हैं।

वहीं, अलवर की यह घटना एक मजेदार लेकिन सोचने पर मजबूर करने वाली है। इससे साफ है कि ईवी गाड़ियों को लेकर लोगों का उत्साह तो बढ़ा है, लेकिन सुविधाएं अभी भी अधूरी हैं।

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Mokama Murder Case: मोकामा हिंसा के बाद सख्त हुआ चुनाव आयोग, बिहार में अवैध हथियारों ...

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Mokama Murder Case: मोकामा में चुनावी हिंसा और दुलारचंद यादव की हत्या के बाद बिहार की सियासत में उबाल आ गया है। बढ़ते तनाव के बीच अब चुनाव आयोग एक्शन मोड में नजर आ रहा है। आयोग ने राज्य प्रशासन को सख्त निर्देश देते हुए कहा है कि प्रदेश में शांति बनाए रखने के लिए अवैध हथियारों की बरामदगी अभियान को तेज किया जाए और जिनके पास लाइसेंसी हथियार हैं, उन्हें भी तत्काल जमा कराया जाए। आयोग का कहना है कि हिंसा रोकने और शांतिपूर्ण मतदान सुनिश्चित करने के लिए हर स्तर पर कड़ी निगरानी जरूरी है।

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CEC ने की बिहार की कानून-व्यवस्था की समीक्षा (Mokama Murder Case)

मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) ने शुक्रवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बिहार की कानून-व्यवस्था की विस्तृत समीक्षा की। इस बैठक में राज्य के वरिष्ठ अधिकारी, पुलिस प्रशासन और जिला चुनाव अधिकारी शामिल हुए।
बैठक के दौरान मोकामा में हाल ही में हुई चुनावी हिंसा और दुलारचंद यादव हत्याकांड पर विस्तार से चर्चा की गई। CEC ने अधिकारियों को सख्त लहजे में चेतावनी दी कि “किसी भी कीमत पर चुनावी हिंसा बर्दाश्त नहीं की जाएगी।” आयोग ने कहा कि सुरक्षा एजेंसियां हर संवेदनशील इलाके में पैनी नजर रखें और किसी भी उपद्रवी तत्व को बख्शा न जाए।

मोकामा हिंसा में लगातार बढ़ रही हैं FIR

दुलारचंद यादव की हत्या के बाद मोकामा में तनाव लगातार बढ़ता जा रहा है। इस घटना ने इलाके में कानून-व्यवस्था की स्थिति को और जटिल बना दिया है। अब तक इस मामले से जुड़ी चार एफआईआर दर्ज की जा चुकी हैं।
ताजा मामला पंडारक थाने का है, जहां आरजेडी प्रत्याशी वीणा देवी के समर्थकों की ओर से एक नई FIR दर्ज की गई है। आरोप है कि शुक्रवार को दुलारचंद यादव की शव यात्रा के दौरान पंडारक में हंगामा हुआ था, जिसमें वीणा देवी के काफिले की गाड़ी में तोड़फोड़ की गई। इस मामले में सुमित, सोनू और गोलू नाम के तीन लोगों को आरोपी बनाया गया है।

पहले से दर्ज हैं तीन अन्य एफआईआर

इससे पहले मोकामा हत्याकांड से जुड़ी तीन एफआईआर दर्ज हो चुकी हैं।
पहली FIR दुलारचंद यादव के पोते नीरज कुमार की शिकायत पर दर्ज की गई थी, जिसमें पूर्व विधायक अनंत सिंह, उनके भतीजे राजवीर और कर्मवीर, साथ ही छोटन सिंह और कंजय सिंह को नामजद किया गया है।
दूसरी FIR अनंत सिंह के समर्थक जितेंद्र कुमार की ओर से दर्ज कराई गई, जिसमें जनसुराज प्रत्याशी प्रियदर्शी पीयूष, लखन महतो, बाजो महतो, नीतीश महतो, ईश्वर महतो और अजय महतो को आरोपी बनाया गया है।
तीसरी FIR पुलिस ने खुद दर्ज की है, जबकि चौथी FIR पंडारक थाने में वीणा देवी के समर्थकों द्वारा दर्ज कराई गई।
कुल मिलाकर अब तक मोकामा हिंसा से जुड़ी चार एफआईआर सामने आ चुकी हैं—तीन भदौर थाने में और एक पंडारक थाने में।

चुनाव आयोग की सख्ती और आगे की रणनीति

चुनाव आयोग ने राज्य प्रशासन को दो टूक निर्देश दिए हैं कि मोकामा जैसी घटनाएं दोबारा न हों। आयोग ने कहा है कि इलाके में पुलिस गश्त बढ़ाई जाए, अवैध हथियार रखने वालों पर कड़ी कार्रवाई हो और राजनीतिक रंजिश को भड़काने वालों पर सख्त नजर रखी जाए।
इसके साथ ही, आयोग ने साफ कर दिया है कि शांति भंग करने या चुनाव प्रक्रिया में बाधा डालने की किसी भी कोशिश पर तुरंत कार्रवाई होगी।

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Budhi Diwali 2025: देवभूमि में अनूठी परंपरा! 1 नवंबर को मनेगी बूढ़ी दिवाली

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Budhi Diwali 2025: ‘बूढ़ी दिवाली’ का पर्व भारत के कुछ पहाड़ी क्षेत्रों में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह मुख्य रूप से हिमाचल प्रदेश के सिरमौर और कुल्लू के निरमंड क्षेत्र में, साथ ही उत्तराखंड (Uttarakhand) के ग्रामीण इलाकों में, जहां इसे ‘इगास बग्वाल’ (Igas Bagwal) के नाम से भी जाना जाता है, प्रचलित है। ये त्यौहार दिवाली के 11 दिन बाद मनाया जाता है। कहाँ जाता है बुराई पर अच्छाई की जीत को लेकर ये पर्व मनाया जाता हैं। लेकिन उत्तराखंड के पर्वतीय इलाकों में इसका एक अलग ही रूप देखने को मिलता है। तो चलिए इस लेख में जानते हैं इस साल बूढ़ी दिवाली पहाड़ी इलाको में कब और किस दिन मनाई जाएगी।

कब और किस दिन मनाई जाएगी बूढ़ी दिवाली

बूढ़ी दिवाली, जिसे इगास बग्वाल भी कहा जाता है, यह साल 2025 में 1 नवंबर, शनिवार को मनाई जाएगी। यह तिथि उन स्थानों के लिए है जहां यह उत्सव मुख्य दिवाली के लगभग 11 दिन बाद, कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाने की परंपरा है, जैसे कि उत्तराखंड में। वही कुछ पहाड़ी इलाको में 15 दिन मनाई जाती हैं। वही मैदानी इलाकों में दिवाली कार्तिक मास की अमावस्या को मनाई जाती है, जबकि उत्तराखंड में यह त्यौहार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी या देव प्रबोधिनी एकादशी को मनाया जाता है। “इगास” का अर्थ है “ग्यारह”, यानी एकादशी का दिन, और “बग्वाल” का अर्थ है “रोशनी का त्योहार”।

बूढ़ी दिवाली 11 दिन बाद क्यों मनाई गई?

उत्तराखंड में इस दिन ढोल-दमाऊं धुन और पारम्परिक पकवान (आरसे और पूए) के साथ ये त्यौहार बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। साथ ही ये भी कहाँ जाता है कि जब भगवान राम रावण का वध करके अयोध्या लौटे और दिवाली मनाई गई, तब पहाड़ों के दूर-दराज के क्षेत्रों में संचार के साधनों की कमी के कारण यह शुभ सूचना 11 दिन बाद पहुँची। जिस कारण उत्तराखंड में ‘इगास बग्वाल’ इसलिए दिवाली के 11 दिन बाद (एकादशी को) मनाई जाती है। वही हिमाचल के कुछ क्षेत्रों में यह खबर एक महीने बाद पहुँची, इसलिए वहाँ एक महीने बाद दिवाली मनाई जाती है।

पारंपरिक वेशभूषा में लोकगीत

आपको बता दें, बूढ़ी दिवाली के दौरान उत्तराखंड के लोग पारंपरिक वेशभूषा में लोकगीत गाते हैं, फोक डांस करते हैं और युवा चीड के पेड़ के टहनियों की मशालें जलाकर नाच करते हैं (जिसे पहाड़ी भाषा में ‘भैलो’ भी कहते हैं) इतना ही नहीं पहाड़ी परम्परा के अनुसार लोग अपने घरो के चौक पर ऐपन (चावल के घोल से बनाए पारंपरिक डिजाईन) बनाते हैं और घर के चारो और दीप जलाते हैं।

Boman Irani films: प्लेट्स उठाने से लेकर सुपरहिट फिल्मों तक, इस दिग्गज सुपरस्टार की ज...

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Boman Irani films: इंडस्ट्री में ऐसे कई कलाकार हैं, जिन्होंने अपनी मेहनत और लगन से सफलता की वो ऊंचाइयां हासिल की हैं, जिनका सपना हर स्ट्रगलर देखता है। इन्हीं में से एक नाम है बोमन ईरानी का, वो शख्स जिसने कभी ताजमहल पैलेस होटल में वेटर का काम किया था, और आज बॉलीवुड की बड़ी-बड़ी फिल्मों का अहम हिस्सा हैं। बोमन की कहानी सिर्फ संघर्ष की नहीं, बल्कि उम्मीद और हौसले की मिसाल है।

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होटल में प्लेट्स उठाने से शुरू हुआ सफर- Boman Irani films

बोमन ईरानी के करियर की शुरुआत किसी फिल्म सेट से नहीं, बल्कि मुंबई के मशहूर ताजमहल पैलेस होटल से हुई थी। 10वीं क्लास पास करने के बाद उन्हें पढ़ाई में खास दिलचस्पी नहीं रही, इसलिए उन्होंने होटल मैनेजमेंट की ट्रेनिंग ली। फिर उन्हें अपनी पहली नौकरी मिली ताज होटल में वेटर के तौर पर।
उस वक्त उनकी सैलरी थी सिर्फ 105 रुपये महीना। वो रूम सर्विस में काम करते थे, फिर बार सेक्शन में ट्राय किया। मेहमानों को मुस्कुराकर ‘नमस्कार’ कहना, ट्रे संभालना और सर्विस के दौरान कॉन्फिडेंट रहना – यही उनकी डेली रूटीन थी।

परिवार की जिम्मेदारी और संघर्ष भरे दिन

बोमन की जिंदगी में मुश्किलें तब बढ़ीं जब उनके पिता का निधन हुआ। अचानक घर की सारी जिम्मेदारी उनके कंधों पर आ गई। उन्होंने अपने पिता की गुजराती स्नैक्स की छोटी दुकान संभाल ली।
सुबह से शाम तक वो दुकान पर चाय और नाश्ता बेचते थे ताकि परिवार का खर्च चल सके। लेकिन इन सबके बीच भी उन्होंने अपने सपने को मरने नहीं दिया। बोमन कहते हैं कि उस दौर में उन्होंने “धैर्य और मेहनत की असली कीमत” सीखी।

फोटोग्राफी और थिएटर ने बदली दिशा

दुकान चलाते हुए ही बोमन ने फोटोग्राफी सीखनी शुरू की। कैमरे के पीछे से काम करते-करते उनका झुकाव थिएटर की तरफ हुआ। उन्होंने छोटे-छोटे नाटकों में काम किया, जिससे उनका आत्मविश्वास बढ़ा।
31 साल की उम्र में उन्होंने ठान लिया कि अब एक्टिंग को ही अपना करियर बनाएंगे। शुरुआत में उन्हें छोटे रोल मिले, लेकिन पहचान नहीं बन पाई। इसी बीच उनकी फोटोग्राफी ने उन्हें एक शॉर्ट फिल्म बनाने का आइडिया दिया, जो उनकी जिंदगी की टर्निंग पॉइंट साबित हुई।

‘मुन्ना भाई एम.बी.बी.एस.’ से मिली पहचान

इस शॉर्ट फिल्म ने जाने-माने फिल्ममेकर विधु विनोद चोपड़ा का ध्यान खींचा। उन्होंने बोमन को ‘मुन्ना भाई एम.बी.बी.एस.’ में डॉक्टर जे. अस्ताना का रोल ऑफर किया। राजकुमार हिरानी के निर्देशन में बनी इस फिल्म ने न सिर्फ बॉक्स ऑफिस पर धूम मचाई, बल्कि बोमन ईरानी को एक नई पहचान दी।
उनकी एक्टिंग और एक्सप्रेशन ने दर्शकों के दिल जीत लिए। इसके बाद तो बोमन ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।

सफलता की सीढ़ियां और सुपरहिट फिल्में

‘मुन्ना भाई’ के बाद बोमन एक के बाद एक हिट फिल्मों का हिस्सा बने। ‘वीर-जारा’, ‘डॉन’, ‘मैं हूं ना’, ‘3 इडियट्स’, ‘हाउसफुल’ और ‘हैप्पी न्यू ईयर’ जैसी ब्लॉकबस्टर फिल्मों में उन्होंने अपनी एक्टिंग का लोहा मनवाया।
उनकी खासियत है कि वह हर किरदार में जान डाल देना, चाहे वो कॉमेडी हो, इमोशनल रोल हो या निगेटिव कैरेक्टर।

फिर लौटा ताज होटल से जुड़ा वो पल

24 साल के लंबे फिल्मी सफर के बाद जब बोमन एक बार फिर ताजमहल पैलेस होटल पहुंचे, तो उनके चेहरे पर गर्व और आंखों में इमोशन्स झलक रहे थे। उन्होंने अपने सोशल मीडिया पर लिखा —
“Life comes full circle at the iconic Taj Palace Hotel.”
जिस जगह कभी वो ट्रे उठाते थे, आज उसी होटल में गेस्ट ऑफ ऑनर बनकर पहुंचे थे।

करोड़ों की नेटवर्थ और लाखों फैंस

आज बोमन ईरानी इंडस्ट्री के सबसे सम्मानित और सफल एक्टर्स में से एक हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक उनकी नेटवर्थ 107 करोड़ से 225 करोड़ रुपये के बीच है। वो सिर्फ फिल्मों में नहीं, बल्कि कई ब्रांड्स और सोशल इनिशिएटिव्स से भी जुड़े हुए हैं।

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Epstein scandal: महाराज चार्ल्स ने प्रिंस एंड्र्यू से छीनी राजकुमार की उपाधि, शाही घर...

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Epstein scandal: ब्रिटेन में शाही परिवार ने एक बड़ा और ऐतिहासिक कदम उठाया है। किंग चार्ल्स तृतीय ने अपने छोटे भाई प्रिंस एंड्र्यू से उनकी राजकुमार की उपाधि छीन ली है। अब उनके नाम के साथ ‘प्रिंस’ नहीं जुड़ा रहेगा। इतना ही नहीं, उन्हें विंडसर एस्टेट स्थित अपने रॉयल लॉज से बाहर निकालने का नोटिस भी दे दिया गया है। बकिंघम पैलेस ने गुरुवार को इसकी आधिकारिक पुष्टि की।

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एंड्र्यू और शाही परिवार पर दबाव- Epstein scandal

किंग चार्ल्स ने यह कदम ऐसे समय में उठाया है जब एंड्र्यू के जेफरी एपस्टीन के साथ संबंधों को लेकर शाही परिवार पर काफी दबाव बढ़ा हुआ था। एपस्टीन पर बच्चों के यौन शोषण के गंभीर आरोप हैं, और एंड्र्यू के उनके साथ जुड़े होने की खबरों ने शाही परिवार की छवि को नुकसान पहुंचाया।

हाल ही में एक कार्यक्रम में किंग चार्ल्स को सार्वजनिक रूप से एंड्र्यू को लेकर विरोध का सामना भी करना पड़ा था। इस घटनाक्रम ने शाही परिवार के भीतर गंभीर चर्चा और कड़े कदम की जरूरत को और अधिक मजबूती दी।

वर्जीनिया ग्रिफे केस का प्रभाव

एंड्र्यू लंबे समय से विवादों में रहे हैं। इस साल अप्रैल में वर्जीनिया ग्रिफे का निधन और उनके संस्मरण ने इस विवाद को और तेज कर दिया। ग्रिफे ने अपनी किताब में आरोप लगाया था कि एंड्र्यू ने किशोरावस्था में उनका यौन उत्पीड़न किया था। हालांकि एंड्र्यू ने बार-बार इन आरोपों का खंडन किया।

वर्जीनिया ग्रिफे के परिवार ने गुरुवार को बयान जारी कर कहा, “आज एक साधारण अमेरिकी परिवार की साधारण अमेरिकी लड़की ने अपनी सच्चाई और असाधारण साहस से एक ब्रिटिश राजकुमार को हरा दिया।”

शाही घर छोड़ने का नोटिस और नई पहचान

इस महीने की शुरुआत में प्रिंस एंड्र्यू को ड्यूक ऑफ यॉर्क की उपाधि छोड़ने के लिए मजबूर किया गया था। अब किंग चार्ल्स ने अपनी कार्रवाई को और कड़ा करते हुए एंड्र्यू से सभी उपाधियां छीन ली हैं। उन्हें अब एंड्र्यू माउंटबेटन विंडसर के नाम से जाना जाएगा।

बकिंघम पैलेस ने कहा कि उन्हें विंडसर एस्टेट स्थित रॉयल लॉज की लीज छोड़ने का औपचारिक नोटिस दे दिया गया है। भविष्य में एंड्र्यू को पूर्वी इंग्लैंड के सैंड्रिंघम एस्टेट में निजी निवास में स्थानांतरित होना होगा।

उत्तराधिकार और शाही दावेदारी

हालांकि उपाधि और रियल एस्टेट से हटाए जाने के बावजूद, एंड्र्यू अभी भी ब्रिटिश क्राउन के आठवें उत्तराधिकारी बने हुए हैं। इस दर्जे को हटाने के लिए विशेष कानून और राष्ट्रमंडल देशों की सहमति की आवश्यकता होगी, जिसमें समय लगेगा। पिछली बार ऐसा प्रोटोकॉल 1936 में एडवर्ड अष्टम के राजगद्दी त्यागने के समय इस्तेमाल हुआ था।

किंग चार्ल्स का यह कदम आधुनिक ब्रिटिश इतिहास में शाही परिवार के किसी सदस्य के खिलाफ सबसे नाटकीय और ऐतिहासिक कदमों में से एक माना जा रहा है। यह न केवल शाही परिवार की छवि को संभालने की कोशिश है, बल्कि बच्चों के यौन शोषण से जुड़े विवादों के प्रति सार्वजनिक जवाबदेही की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण संकेत है।

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Army Colonel court martial: होटल में साथी अफसर की पत्नी के साथ पकड़े गए कर्नल को कोर्...

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Army Colonel court martial: भारतीय सेना की अनुशासन व्यवस्था के तहत एक बड़ा फैसला सामने आया है। इलेक्ट्रॉनिक्स एंड मैकेनिकल इंजीनियर्स (EME) कोर के एक कर्नल को सेना की जनरल कोर्ट मार्शल (GCM) ने दोषी पाते हुए सेवा से बर्खास्त करने का आदेश दिया है। अधिकारी पर अपने साथी अफसर की पत्नी के साथ अवैध संबंध रखने का आरोप साबित हुआ। यह मामला मई 2024 में चंडीगढ़ स्थित ‘एन’ एरिया में शुरू हुआ था, और बुधवार को अदालत ने चार में से तीन आरोपों में कर्नल को दोषी करार दिया।

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क्या थे आरोप? Army Colonel court martial

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, कर्नल के खिलाफ पहला आरोप सेना अधिनियम की धारा 45 के तहत था, जो “अधिकारी द्वारा अपने पद की गरिमा के अनुरूप न होने वाले आचरण” से संबंधित है। आरोप था कि सितंबर 2021 से अगस्त 2022 के बीच आरोपी कर्नल ने अपने साथी अधिकारी की पत्नी से देर रात, रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक लगातार फोन पर बात की। हालांकि, इस आरोप में कोर्ट मार्शल ने पर्याप्त सबूत न होने के कारण कर्नल को बरी कर दिया।

महिला के पति ने अदालत को बताया कि उसे अपनी पत्नी के कॉल डिटेल्स एक अज्ञात व्यक्ति द्वारा भेजे गए पैकेट में प्राप्त हुए थे, जिसके बाद उसने शिकायत दर्ज कराई।

दूसरा और तीसरा आरोप भी धारा 45 के तहत थे। इनमें कहा गया था कि आरोपी कर्नल सितंबर 2021 में हरिद्वार के होटल रेडिसन ब्लू और अप्रैल 2022 में देहरादून के होटल एनजे पोर्टिको में उसी महिला के साथ ठहरा था। इन दोनों मामलों में अदालत ने कर्नल को दोषी ठहराया।

जाली ‘डिपेंडेंट कार्ड’ का इस्तेमाल

चौथा आरोप सेना अधिनियम की धारा 69 के तहत था। इसमें कहा गया कि आरोपी कर्नल ने उस महिला का ‘डिपेंडेंट कार्ड’ धोखाधड़ी से इस्तेमाल किया, जबकि वह जानता था कि वह जाली है। इस आरोप में भी कोर्ट मार्शल ने अधिकारी को दोषी पाया।

गवाही में क्या कहा गया?

शिकायतकर्ता कर्नल ने बताया कि दिसंबर 2006 में उनका विवाह हुआ था और वे सुखी वैवाहिक जीवन जी रहे थे। लेकिन हरिद्वार की छुट्टी से लौटने और लेह यात्रा के बाद उनकी पत्नी के व्यवहार में बदलाव आने लगा। दिलचस्प बात यह है कि लेह यात्रा के दौरान महिला उसी आवास में ठहरी थी जिसकी व्यवस्था आरोपी कर्नल ने की थी।

महिला ने दी सफाई

दूसरी ओर, महिला ने अदालत में दावा किया कि वह 16 साल से मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना झेल रही थी। उसने कहा कि आरोपी कर्नल उसका बचपन का दोस्त है और एक 42 वर्षीय महिला के तौर पर यह उसका अधिकार है कि वह किससे बात करे या न करे। उसने किसी भी होटल में आरोपी के साथ ठहरने के आरोपों को सिरे से खारिज किया।

कोर्ट मार्शल की प्रक्रिया

इस पूरे मामले की सुनवाई ब्रिगेडियर जगमिंदर सिंह गिल की अध्यक्षता में हुई, जिसमें छह कर्नल सदस्य के रूप में शामिल थे। यह कार्रवाई 8 माउंटेन डिवीजन के जनरल ऑफिसर कमांडिंग मेजर जनरल के. महेश के आदेश पर शुरू की गई थी।

कोर्ट मार्शल द्वारा दी गई सजा अब कन्वीनिंग अथॉरिटी की मंजूरी के बाद अंतिम मानी जाएगी। सेना के नियमों के अनुसार, किसी भी अधिकारी को बर्खास्तगी से पहले अपील का अधिकार दिया जाता है।

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Operation Kashmir: 1947 की वो रात जब कश्मीर पर टूट पड़े दुश्मन, भारतीय जवानों ने पलटव...

Operation Kashmir: 30 अक्टूबर 1947 की ठंडी रात कश्मीर घाटी के लिए बेहद निर्णायक साबित हुई। माहौल में सन्नाटा जरूर था, लेकिन श्रीनगर से करीब 25 किलोमीटर दूर पट्टन इलाके में खतरे की आहट महसूस की जा रही थी। इंटेलिजेंस रिपोर्ट के मुताबिक, करीब 200 ट्रक और 1500 से 2000 के बीच हथियारों से लैस पाकिस्तानी कबायली उस इलाके में पहुंच चुके थे। ये वही कबायली थे जो श्रीनगर पर कब्जा करने के इरादे से बढ़ रहे थे।

29 और 30 अक्टूबर की रात दुश्मन की तरफ से हल्की फायरिंग जरूर हुई, लेकिन कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ। भारतीय सेना पूरी तरह सतर्क थी, लेकिन शाम ढलते ही हालात अचानक बिगड़ने लगे।

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भारतीय सेना के काफिले पर घात लगाकर हमला- Operation Kashmir

30 अक्टूबर की शाम 7 बजे भारतीय सेना के तीन ट्रक पट्टन के पास एक ब्रिज पार कर रहे थे, तभी दुश्मनों ने घात लगाकर हमला कर दिया। गोलियों की बौछार से इलाका दहल उठा।
पहले ट्रक का ड्राइवर गोली लगने से घायल हुआ, जबकि दूसरे ट्रक में मौजूद कुमाऊं रेजिमेंट के तीन जवान शहीद हो गए और दो गंभीर रूप से जख्मी हुए। तीसरे ट्रक पर भी फायरिंग हुई, लेकिन वहां कोई हताहत नहीं हुआ।
हमले की खबर मिलते ही 1 (पैरा) कुमाऊं की एक फाइटिंग पेट्रोल टीम तुरंत मौके के लिए रवाना की गई, लेकिन तब तक दुश्मन पीछे हट चुका था। वहां बस टूटे ट्रक, खाली कारतूस और गोलियों के निशान बचे थे।

रात में बड़ा हमला और भारतीय जवाबी कार्रवाई

रात करीब 8 बजे लगभग 1000 कबायली लड़ाके पट्टन के मुख्य मोर्चे पर टूट पड़े। वे भारतीय पोजीशन से सिर्फ 55 मीटर की दूरी तक पहुंच गए थे। लेकिन भारतीय जवानों ने डटकर मुकाबला किया।
दुश्मन के पास मशीन गन और मोर्टार थे, तो वहीं भारतीय सेना ने मीडियम मशीन गन से जोरदार पलटवार किया। गोलियों की आवाज़ से पूरा इलाका गूंज उठा। कुछ देर बाद दुश्मन बुरी तरह हिल गया और अपने घायल साथियों को छोड़कर भागने लगा।

एयरलिफ्ट से पहुंचे सैकड़ों जवान और हॉविट्जर तोपें

इसी दिन 161 ब्रिगेड का हेडक्वार्टर श्रीनगर पहुंचा, जहां ब्रिगेडियर जेसी कटोच ने कमान संभाली। उसी शाम 394 जवानों को एयरलिफ्ट कर घाटी में उतारा गया, जिनमें 1 सिख, 1 (पैरा) कुमाऊं और 1 महार रेजिमेंट के सैनिक शामिल थे।
इनके साथ 3.7 इंच हॉविट्जर तोपें भी भेजी गईं, जिससे भारतीय सेना की ताकत कई गुना बढ़ गई।

31 अक्टूबर की सुबह घाटी में कुछ शांति जरूर थी, लेकिन रिपोर्ट्स के मुताबिक 300 से ज्यादा कबायली दो दिशाओं से भारतीय पोजीशन को घेरने की कोशिश कर रहे थे। तभी निरीक्षण के दौरान ब्रिगेडियर कटोच के पैर में गोली लगी, हालांकि यह जख्म मामूली था।

एयरफोर्स आई एक्शन में, दुश्मन हुआ तबाह

31 अक्टूबर की सुबह इंडियन एयरफोर्स भी पूरी ताकत के साथ मैदान में उतर गई। अंबाला से उड़ान भरते हुए तीन टेम्पेस्ट फाइटर प्लेन ने पट्टन और बारामूला के बीच दुश्मनों पर जबरदस्त हमला किया। चार स्पिटफायर और दो हार्वर्ड विमान भी श्रीनगर एयरफील्ड पर तैनात कर दिए गए।
उस दिन 485 सैनिकों और 46,000 किलो से ज्यादा सप्लाई को हवाई रास्ते से घाटी में पहुंचाया गया।

अक्टूबर के अंत तक भारतीय सेना ने घाटी में न केवल अपनी पकड़ मजबूत कर ली थी, बल्कि दुश्मनों के हौसले भी पस्त कर दिए थे। यही वो मोड़ था, जहां से कश्मीर की लड़ाई ने नया रुख लिया और भारतीय सैनिकों की बहादुरी ने इतिहास में अपना नाम दर्ज करा लिया।

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India vs US: भारत-अमेरिका रिश्ते में तुफान! एक्सपर्ट बोले- अब कुछ भी नहीं बचेगा

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India vs US: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में चीन पर लगे टैरिफ में 10 प्रतिशत की कटौती करने की घोषणा की है। अब इस फैसले को लेकर भारत में अलग-अलग कयास लगाए जा रहे हैं। व्यापार और रणनीतिक मामलों के विशेषज्ञ सुशांत सरीन ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी है और कहा है कि भारत-अमेरिका का रणनीतिक रिश्ता अब खत्म हो चुका है। उनका कहना है कि ट्रंप ने जानबूझकर या सोच-समझकर यह कदम उठाया है।

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एक्सपर्ट का दावा: भारत-अमेरिका का रिश्ता खत्म

सुशांत सरीन ने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा कि ट्रंप की तारीफों और अतिशयोक्ति में भारतीय भ्रमित हो रहे हैं। उनका मानना है कि लोग यह भूल रहे हैं कि अब भारत और अमेरिका के बीच कोई वास्तविक रणनीतिक संबंध नहीं बचा है। उन्होंने स्पष्ट किया कि आर्थिक संबंधों के कुछ हिस्से को तो बचाया जा सकता है, लेकिन यही अब सबसे बेहतर स्थिति है।
सरीन ने कहा, “अगर हम सोचते हैं कि यह रिश्ता एक साल पहले जैसा हो जाएगा, तो हम खुद को धोखा दे रहे हैं। अमेरिका-भारत की कहानी खत्म हो चुकी है। ट्रंप ने जानबूझकर इसे समाप्त कर दिया है। हमें अब अपनी दिशा बदलनी होगी और आगे बढ़ना चाहिए।”

चीन पर टैरिफ में कटौती- India vs US

ट्रंप का यह फैसला अमेरिकी और चीनी नेताओं के बीच बुसान में हुई मुलाकात के बाद आया। इस बैठक में व्यापार तनाव कम करने और दुर्लभ मृदा तत्वों (Rare Minerals) के निर्यात को सुनिश्चित करने पर चर्चा हुई। इसके तहत चीन से आने वाली वस्तुओं पर अमेरिकी टैरिफ दर 57 प्रतिशत से घटाकर 47 प्रतिशत कर दी गई। ट्रंप ने कहा कि कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए हैं और कुछ मुद्दों पर जल्द ही निष्कर्ष आने की उम्मीद है।

ट्रंप ने चीन से डील पर क्या कहा?

ट्रंप ने स्पष्ट किया कि सभी मुद्दों पर चर्चा नहीं हुई, लेकिन फेंटेनाइल के नियंत्रण, सोयाबीन की खरीद और दुर्लभ मृदा तत्वों के निर्यात जैसे बड़े परिणामों पर ध्यान केंद्रित किया गया। उन्होंने कहा, “हमने तय किया कि राष्ट्रपति शी फेंटेनाइल को रोकने में पूरी मेहनत करेंगे, सोयाबीन की खरीद तुरंत शुरू होगी और चीन पर टैरिफ 57% से घटाकर 47% कर दिया गया है।”

दुर्लभ मृदा तत्वों से जुड़े तनाव को खत्म करने की कोशिश

विशेष रूप से अमेरिकी प्रौद्योगिकी और रक्षा कंपनियों के लिए दुर्लभ मृदा तत्वों की आपूर्ति एक बड़ा मुद्दा रहा है। ट्रंप ने घोषणा की कि अब चीन से इस क्षेत्र में कोई बाधा नहीं आएगी। इससे अमेरिकी कंपनियों को राहत मिली है और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में स्थिरता बनी रहेगी।

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Mokama Murder Case: मोकामा में दुलारचंद यादव की हत्या, पोते ने लगाए अनंत सिंह पर गंभी...

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Mokama Murder Case: मोकामा विधानसभा क्षेत्र में जनसुराज पार्टी के समर्थक और इलाके के प्रभावशाली नेता दुलारचंद यादव की हत्या ने पूरे इलाके में भारी तनाव पैदा कर दिया है। बुधवार को हुई इस हत्या के बाद पुलिस ने परिजनों की शिकायत पर मामला दर्ज कर लिया है और इस मामले में मोकामा से चुनाव लड़ रहे जेडीयू नेता अनंत सिंह को भी आरोपी बनाया गया है।

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पोते रविरंजन का आरोप: “मेरे दादा की हत्या करवाई गई” Mokama Murder Case

दुलारचंद यादव के पोते रविरंजन ने मीडिया से बातचीत में कहा, “मेरे दादा की हत्या कर दी गई है और मुझे डर है कि मेरी भी जान को खतरा हो सकता है। पुलिस और प्रशासन अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठा रहे हैं। हमें न्याय चाहिए।” रविरंजन ने आगे कहा कि उनके दादा हमेशा लोकतांत्रिक तरीके से संघर्ष करते थे और जनता की आवाज उठाते थे। उन्होंने कहा, “हम लोग पढ़े-लिखे हैं, हथियारबंद नहीं। मेरे दादा हमेशा सही काम करते थे, लेकिन अब प्रशासन मौन है और असली अपराधियों को बचाया जा रहा है।”

दुलारचंद यादव के घर की महिलाओं ने भी पुलिस और प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। परिवार का कहना है कि जेडीयू प्रत्याशी और बाहुबली नेता अनंत सिंह ने ही हत्या करवाई क्योंकि दुलारचंद यादव चुनाव में जनसुराज पार्टी का समर्थन कर रहे थे। परिवार का मानना है कि राजनीतिक कारणों से उन्हें रास्ते से हटाने के लिए यह हमला किया गया।

गांव में तनाव, भारी पुलिस बल तैनात

घटना के बाद तारतार गांव में भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है। स्थानीय लोगों के अनुसार, पांच घंटे तक शव को गांव से नहीं उठाया गया। परिजन आरोप लगा रहे हैं कि पहले दुलारचंद यादव के पैर में गोली मारी गई और फिर उन्हें गाड़ी से कुचल दिया गया।

वहीं, अनंत सिंह के समर्थकों ने इस आरोप को पूरी तरह खारिज किया है। उनका कहना है कि दरअसल, जनसुराज समर्थकों ने पहले उनके काफिले पर हमला किया था और पथराव में कई गाड़ियां क्षतिग्रस्त हुई थीं।

राजनीतिक माहौल और सुरक्षा पर सवाल

मोकामा हत्याकांड ने न केवल राजनीतिक तापमान बढ़ाया है, बल्कि बिहार चुनाव के पहले चरण से पहले सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल भी खड़े कर दिए हैं। क्षेत्र में लोगों में डर का माहौल बन गया है और प्रशासन से अब यह उम्मीद की जा रही है कि दोषियों को जल्द से जल्द गिरफ्तार किया जाएगा।

पुलिस फिलहाल मामले की जांच में जुटी है और आरोपियों की पहचान और गिरफ्तारी के प्रयास जारी हैं। वहीं, परिवार न्याय की मांग करते हुए लगातार प्रशासन से मिलने की कोशिश कर रहा है। मोकामा हत्याकांड ने न केवल स्थानीय स्तर पर, बल्कि राज्य की राजनीति में भी हलचल पैदा कर दी है।

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IND W vs AUS W: सेमीफाइनल जीत के बाद जेमिमा रोड्रिगेज का इमोशनल विडिओ जारी, पिता को ल...

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IND W vs AUS W: नवी मुंबई में खेले गए वीमेंस वर्ल्ड कप सेमीफाइनल मुकाबले में टीम इंडिया ने ऑस्ट्रेलिया को 5 विकेट से हराकर फाइनल में जगह बनाई। इस रोमांचक जीत की सबसे बड़ी हीरो रही जेमिमा रोड्रिगेज, जिन्होंने नाबाद 127 रनों की धमाकेदार पारी खेलकर अपनी टीम को नॉक आउट मैच में जीत दिलाई।

जेमिमा उस समय मैदान में उतरी थीं जब भारत ने सिर्फ 13 रन पर अपना पहला विकेट गंवा दिया था। उनके इस संघर्ष और शानदार खेल ने पूरे भारतीय क्रिकेट फैंस का दिल जीत लिया। उनकी पारी ने साबित कर दिया कि दबाव की घड़ी में भी एक खिलाड़ी कितनी बड़ी भूमिका निभा सकता है।

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पिता से गले मिलकर रो पड़ीं जेमिमा- IND W vs AUS W

भारत की जीत के बाद जेमिमा रोड्रिगेज ने अपने पिता से मिलने पर अपने भावनाओं को पूरी तरह जाहिर किया। उन्होंने अपने पिता को गले लगाकर खुशी और भावनाओं के साथ रोते हुए हर किसी का दिल छू लिया। इस भावुक पल ने यह दिखा दिया कि खेल में जीत केवल व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं, बल्कि परिवार और देश के लिए गर्व का क्षण होती है।

 

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जेमिमा के भाई ने भी इस मौके पर उनके पैर छूकर सम्मान और प्यार दिखाया। यह दृश्य दर्शकों और सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया, और हर भारतीय को गर्व का अहसास कराया।

जेमिमा का इमोशनल पोस्ट

भारत की इस स्टार खिलाड़ी ने जीत के बाद अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर एक इमोशनल पोस्ट भी शेयर किया। इस पोस्ट में उन्होंने पांच खास तस्वीरें साझा कीं। पहली फोटो में जेमिमा अपने पिता के साथ भावुक रूप से गले मिलती नजर आ रही हैं। दूसरी फोटो में वे अपनी मां को गले लगा रही हैं।

इसके अलावा, जेमिमा ने अपनी साथी खिलाड़ी अरुंधति रेड्डी और स्मृति मंधाना के साथ खुशी में गले मिलते हुए तस्वीरें शेयर की। पोस्ट की पांचवीं फोटो में जेमिमा अपनी पूरी फैमिली के साथ नजर आ रही हैं।

जेमिमा ने इस पोस्ट में लिखा, “इन लोगों ने मुझ पर तब विश्वास किया, जब मैंने भी खुद पर नहीं किया था। मुझे खुशी है कि ये लोग मेरे जीवन में हैं।” इस पोस्ट ने यह साबित कर दिया कि जेमिमा की सफलता केवल उनकी मेहनत नहीं, बल्कि परिवार और टीम के विश्वास की भी जीत है।

होम ग्राउंड पर शानदार जीत

यह मैच खासतौर पर नवी मुंबई में खेला गया, जो जेमिमा का होम ग्राउंड है। उनकी पूरी फैमिली इस मैच को देखने के लिए मैदान पर मौजूद थी। भारत की जीत के बाद सेलिब्रेशन में जेमिमा अपने परिवार से मिलने पहुंचीं और यह पल बेहद भावुक और यादगार बन गया।

जेमिमा रोड्रिगेज की यह पारी न केवल टीम इंडिया के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए गर्व का क्षण साबित हुई।

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