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Stephen Hawking warning about aliens: क्या दिसंबर में धरती से टकराएगा एलियन खतरा? वैज...

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Stephen Hawking warning about aliens: दुनिया के महानतम वैज्ञानिकों में गिने जाने वाले स्टीफन हॉकिंग भले ही अब इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उनकी बातें आज भी वैज्ञानिक समुदाय और आम लोगों के लिए चेतावनी की तरह गूंजती हैं। खासकर वो भविष्यवाणी, जो उन्होंने एलियंस को लेकर की थी, अब लगता है कि वो सच के करीब पहुंच रही है।

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एलियन से संपर्क हो सकता है ‘इंटेलिजेंस ट्रैप’ (Stephen Hawking warning about aliens)

हाल ही में एक अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक टीम ने “इंटेलिजेंस ट्रैप” की थ्योरी पर फिर से विचार किया है। इस अवधारणा के मुताबिक, अगर इंसान एलियंस से संपर्क करने में सफल भी हो जाता है, तो यह संपर्क हमारे लिए विनाशकारी हो सकता है। यानी, यह समझदारी नहीं बल्कि अति आत्मविश्वास का नतीजा होगा जो इंसानियत के लिए खतरे की घंटी साबित हो सकता है।

वैज्ञानिकों की चिंता इस वजह से और भी गहरी हो गई है क्योंकि हाल ही में हमारे सौरमंडल की तरफ एक रहस्यमयी वस्तु 3I/ATLAS बढ़ रही है, जो दिसंबर 2025 में पृथ्वी के बेहद करीब से गुजरेगी।

क्या 3I/ATLAS सिर्फ धूमकेतु है?

कुछ वैज्ञानिकों ने इसे एक विशाल धूमकेतु माना है, लेकिन हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर एवी लोएब का मानना है कि इसके रास्ते और संरचना में कुछ ऐसा है जो इसे एक कृत्रिम यान या यूएफओ भी साबित कर सकता है। उन्होंने इसे ‘इंटेलिजेंस ट्रैप’ कहा है यानी ऐसा जाल जिसमें फंसकर हम खुद को किसी शत्रु एलियन सभ्यता के सामने उजागर कर सकते हैं।

यह ऑब्जेक्ट शुक्र, मंगल और बृहस्पति के बेहद करीब से गुजरेगा, और इसका मार्ग इतना असामान्य है कि यह सवाल खड़ा करता है कि क्या यह केवल एक अंतरिक्षीय घटना है, या कुछ और?

स्टीफन हॉकिंग की चेतावनी: सिर झुकाकर चलो

2004 में स्टीफन हॉकिंग ने पहली बार खुलकर कहा था कि एलियन सभ्यता संभवतः हमसे कहीं ज्यादा विकसित होगी और अगर हमने उनसे संपर्क किया, तो हमारे साथ वही हो सकता है जो अतीत में तकनीकी रूप से उन्नत सभ्यताओं ने पिछड़ी सभ्यताओं के साथ किया था उन्हें मिटा दिया।

उन्होंने कहा था कि इंसानों को एलियंस को सिग्नल भेजने से बचना चाहिए और ब्रह्मांड में अपनी मौजूदगी का जोर-शोर से प्रचार नहीं करना चाहिए। उन्होंने साफ कहा था कि हमारा इतिहास हमें यही सिखाता है कि ऐसी मुठभेड़ें हमेशा कमजोर पक्ष के लिए खतरे से भरी रही हैं।

पहले भी दे चुके हैं चेतावनी

2016 में, हॉकिंग ने कहा था कि 16 प्रकाश वर्ष दूर स्थित ग्रह ग्लीज 832सी पर बुद्धिमान जीवन हो सकता है। लेकिन उन्होंने ये भी जोड़ा था कि अगर वहां से कोई संकेत आता है, तो हमें जवाब देने में बेहद सतर्कता बरतनी चाहिए। उन्होंने क्रिस्टोफर कोलंबस के अमेरिका पहुंचने का उदाहरण दिया था जिसके बाद वहां की मूल आबादी का विनाश हुआ।

अब क्या करें?

वैज्ञानिकों के बीच बहस जारी है—क्या हमें बाहरी जीवन से संपर्क की कोशिशें जारी रखनी चाहिए, या सतर्क रहना चाहिए? एलियंस की खोज में रेडियो सिग्नल भेजना, ब्रह्मांड में हमारी लोकेशन उजागर करना, कहीं हमारी सबसे बड़ी भूल न बन जाए?

प्रोफेसर लोएब और उनकी टीम का मानना है कि भविष्य में एलियंस से मुठभेड़ की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। और अगर वो मुठभेड़ शत्रुतापूर्ण हुई, तो हमें पछताने का मौका भी नहीं मिलेगा।

अब जब वैज्ञानिक खुद यह मानने लगे हैं कि स्टीफन हॉकिंग की भविष्यवाणी में दम था, तो सवाल उठता है कि क्या हम उनके सुझावों को गंभीरता से ले रहे हैं? या फिर अति उत्साह में हम अपनी ही विनाश की पटकथा लिख रहे हैं?

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Anil Ambani ED News: 17,000 करोड़ के लोन घोटाले में फंसे अनिल अंबानी, ED के सामने पेश...

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Anil Ambani ED News: 17,000 करोड़ रुपये के कथित बैंक लोन घोटाले को लेकर रिलायंस ग्रुप के चेयरमैन अनिल अंबानी की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। मंगलवार को वह प्रवर्तन निदेशालय (ED) के सामने पेश हुए, जहां उनसे प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत पूछताछ की गई। इस बड़े आर्थिक घोटाले की तह में कई कंपनियां, बैंक अधिकारी और फर्जी ट्रांजैक्शन का जाल बिछा हुआ है, जिसे ईडी अब परत-दर-परत खोलने में जुटी है।

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कैसे शुरू हुई जांच? (Anil Ambani ED News)

दरअसल, पिछले महीने ईडी ने रिलायंस ग्रुप से जुड़ी 35 जगहों पर छापेमारी की थी। जांच का फोकस रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर और उसकी सहयोगी कंपनियां हैं, जिन पर आरोप है कि उन्होंने बैंकों से लिए गए भारी-भरकम लोन को इंटर-कॉरपोरेट डिपॉजिट (ICD) के नाम पर दूसरी कंपनियों में डायवर्ट कर दिया।

सूत्रों के मुताबिक, इस फ्रॉड में एक अहम भूमिका CLE नामक कंपनी की रही, जिसे रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर ने अपनी ‘रिलेटेड पार्टी’ घोषित नहीं किया था। इसका मतलब यह हुआ कि इस ट्रांजैक्शन को शेयरधारकों और ऑडिट कमेटी की मंजूरी के बिना ही अंजाम दिया गया, जो कि कंपनियों के संचालन के नियमों के खिलाफ है।

बैंकों की बड़ी लापरवाही?

ईडी ने इस मामले में 39 बैंकों को नोटिस भेजा है। उनसे पूछा गया है कि जब कंपनियां डिफॉल्ट कर रही थीं, तो बैंकों ने समय पर अलर्ट क्यों नहीं जारी किया? लोन मॉनिटरिंग सिस्टम में ऐसी बड़ी चूक कैसे हो गई? जांच एजेंसी अब बैंक अधिकारियों को भी पूछताछ के लिए बुला सकती है। मुख्य सवाल ये है कि लोन देने से पहले आखिर क्रेडिट असेसमेंट किस आधार पर किया गया था, और जब किस्तें डिफॉल्ट होने लगीं तो कोई कार्रवाई क्यों नहीं हुई?

पहली गिरफ्तारी और शेल कंपनियों का खुलासा

इस केस में ईडी ने पहली गिरफ्तारी 1 अगस्त को की, जब बिस्वाल ट्रेडलिंक प्राइवेट लिमिटेड के एमडी पार्थ सारथी बिस्वाल को गिरफ्तार किया गया। उन पर रिलायंस पावर के लिए 68.2 करोड़ रुपये की फर्जी बैंक गारंटी तैयार करने का आरोप है। बिस्वाल की कंपनी ने तीन अलग-अलग रिलायंस कंपनियों को गारंटी दी थी, जबकि उसकी खुद की वित्तीय स्थिति कमजोर थी।

ईडी की जांच में सामने आया है कि बैंकों से मिले लोन को रिलायंस ग्रुप की कई शेल कंपनियों में ट्रांसफर किया गया। इन कंपनियों के दस्तावेज, पते और डायरेक्टर तक मेल नहीं खाते। कई मामलों में तो लोन मंजूर होने से पहले ही रकम ट्रांसफर कर दी गई थी, और YES बैंक से मिले 3,000 करोड़ रुपये का लोन इसका बड़ा उदाहरण है।

रिलायंस कम्युनिकेशंस भी घेरे में

अनिल अंबानी पर दूसरा बड़ा आरोप रिलायंस कम्युनिकेशंस से जुड़ा है, जहां 14,000 करोड़ रुपये के लोन फ्रॉड की बात सामने आई है। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने इस कंपनी को पहले ही फ्रॉड घोषित कर दिया है और CBI जांच की सिफारिश की गई है। ये मामला अलग से एजेंसियों की निगरानी में है।

विदेशों में संपत्तियां और लुक आउट सर्कुलर

ईडी ने इस मामले को गंभीर मानते हुए अनिल अंबानी के खिलाफ लुक आउट सर्कुलर जारी कर दिया है, जिससे वह देश छोड़कर न जा सकें। एजेंसी ने उनकी कंपनियों के विदेशों में बैंक अकाउंट्स और प्रॉपर्टीज की भी जांच शुरू कर दी है। इसके अलावा रिलायंस ग्रुप के 6 टॉप एग्जीक्यूटिव्स को समन भेजा गया है।

आगे क्या?

जांच अभी शुरुआती चरण में है, लेकिन जो बातें सामने आ रही हैं, वे भारतीय बैंकिंग सिस्टम और नियामकों के लिए बड़े सवाल खड़े करती हैं। ED को यह भी देखना है कि क्या यह घोटाला सिर्फ लोन की धोखाधड़ी तक सीमित है या इसके जरिए मनी लॉन्ड्रिंग और विदेशी निवेश के नाम पर बड़ा खेल खेला गया है।

अनिल अंबानी, जो कभी भारत के सबसे अमीर उद्योगपतियों में गिने जाते थे, अब एक के बाद एक कानूनी शिकंजे में फंसते जा रहे हैं। इस मामले में उनके बयान और दस्तावेजी सबूत बहुत अहम होंगे, जिससे साफ होगा कि ये पूरा घोटाला एक सोची-समझी साजिश थी या कॉर्पोरेट गलती का नतीजा।

इस पूरे मामले पर नज़र बनाए रखें, क्योंकि आने वाले दिनों में और भी बड़े खुलासे हो सकते हैं।

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Uttarakhand Cloudburst: उत्तरकाशी में ‘भागो रे, भागो’ की चीखों के बीच बह ...

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Uttarakhand Cloudburst: उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में धराली गांव मंगलवार को बादल फटने की भयंकर घटना से सदमे में है। ये सिर्फ एक प्राकृतिक आपदा नहीं थी बल्कि ऐसा खौफनाक नज़ारा था, जिसे देख पत्थर दिल भी कांप उठा। चंद सैकंडों में गेस्ट हाउस, होटल, दुकानें और घरों को तेज पानी और मलबे ने बहा लिया। लोगों की चीखें, मायूस चेहरों की डरावनी तस्वीर सब कुछ कैमरे में कैद हो गया।

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“भागो रे! भागो!” की चीखें- Uttarakhand Cloudburst

जो वीडियो सामने आया है, उसमें रिकॉर्डर आवाज देता है, “भागो रे… भागो!” लेकिन तब तक कई लोग पानी के तेज बहाव में फंसे होते हैं। कीचड़ और मलबा गली-गली फैल चुका है। होटल और गेस्टहाउस की दीवारें टूट कर गिरती हैं, लोग समझ ही नहीं पाते कि किस तरफ भागें और कैसे बचें।

कितनी चोटः उसने तबाही मचाई?

प्रत्यक्षदर्शी बताते हैं कि धराली गांव में करीब 20 से 25 होटल और होमस्टे पूरी तरह बह गए। न सिर्फ इमारतें, बल्कि होटल से जुड़े वाहन, दुकानें और निर्माणाधीन ढांचे भी मलबे में समा गए। सब कुछ मिनटों में खत्म हो गया।

चार की मौत, दर्जनों लापता

उत्तरकाशी के जिलाधिकारी प्रशांत आर्य ने बताया कि अब तक चार लोगों की मौत दर्ज की गई है। अनुमान है कि 10–12 लोग मलबे में दबे हुए हो सकते हैं। मोबाइल नेटवर्क ठप होने की वजह से राहत कार्यों में दिक्कत आ रही है।

बचाव के लिए ITBP, SDRF, NDRF और आर्मी की टीम तत्काल पहुंचे। नDRf की तीन और टीमें मनैरा, बड़कोट और देहरादून से रवाना की गई हैं।

हेल्पलाइन नंबर जारी, सरकार सक्रिय

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस आपदा पर दुःख जताया और प्रभावितों के प्रति संवेदना दी। जिला प्रशासन ने आपातकालीन हेल्पलाइन नंबर जारी किए — 01374222126, 01374222722 और 9456556431 — जिससे लोग सहायता प्राप्त कर सकते हैं। साथ ही जिला आपातकालीन संचालन केंद्र (DEOC) बचाव कार्यों का समन्वय कर रहा है।

प्रत्यक्षदर्शी ने बताया भयावह मंजर

एक स्थानीय निवासी ने बताया कि दोपहर डेढ़ बजे अचानक आई फ्लड ने धराली में तबाही मचा दी। 60–70 लोग अभी लापता हैं और उनसे संपर्क नहीं हो पाया है। उन्होंने याद दिलाया कि साल 1978 (5 अगस्त) को भी कंजोडिया में बाढ़ आई थी, लेकिन धराली की तबाही उससे कहीं ज्यादा भयावह रही।

किस तरह हुआ इतना बुरा हाल?

बादल का अचानक फटना, तेज पानी और मलबा ये तीनों मिलकर लाखों की जिंदगी मुश्किल में डाल गए। जिस गांव में लोग सामान्य रखा-ठेका जैसे जिंदगी जी रहे थे, उसी गांव में सब कुछ एक क्षण में बह गया। खेत, दुकान, घर, मानव सब कुछ।

इंसानी जुड़ाव और इंसानी दर्द

धराली की यह घटना सिर्फ नुकसान नहीं है, बल्कि इंसानी पीड़ा का प्रतीक भी है। बहुत से घायल बुरी तरह डर के मारे फोन तक नहीं कर पा रहे। बचाव दल पानी-पानी कल तक राहत सामग्री बांटने की कोशिश कर रहे हैं।

क्या रही है राहत कार्य की दिशा?

  • प्रभावित इलाकों के लोगों को सुरक्षित ठिकानों पर पहुँचाया जा रहा है।
  • खाने, पीने की सामग्री और मेडिकल किट पहुंचाई जा रही है।
  • लापता व्यक्तियों की खोज जारी है—वैसे लोग भी आशंका जताते हैं कि उनमें बच्चे, दुकानदार और होटल कर्मचारी शामिल हो सकते हैं।

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UP-Bihar Flood Update: गंगा-यमुना ने बरपाया कहर: यूपी-बिहार में बाढ़ से गांव डूबे, हन...

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UP-Bihar Flood Update: उत्तर भारत में इस बार मानसून ने कुछ ज्यादा ही कहर ढा दिया है। लगातार हो रही बारिश से गंगा और यमुना नदियां इस कदर उफान पर हैं कि यूपी और बिहार के कई जिले बाढ़ की चपेट में आ गए हैं। खेत से लेकर घर तक, सड़क से लेकर स्कूल तक सबकुछ पानी में डूब चुका है। हजारों लोग अपने घर छोड़कर सुरक्षित जगहों की ओर पलायन करने को मजबूर हैं। प्रशासन राहत और बचाव में जुटा है, लेकिन हालात सुधरने के फिलहाल कोई आसार नहीं दिख रहे।

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यूपी के 17 जिलों में बाढ़ का कहर- UP-Bihar Flood Update

उत्तर प्रदेश के 17 जिले बाढ़ से प्रभावित हैं। इनमें प्रयागराज, वाराणसी, मिर्जापुर, चंदौली, बलिया जैसे गंगा किनारे बसे इलाके सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। प्रयागराज का हाल तो ऐसा है कि गंगा और यमुना का संगम अब समंदर जैसा दिख रहा है। सलोरी, दारागंज, बघाड़ा, तेलियरगंज, राजापुर जैसे इलाके पूरी तरह जलमग्न हो चुके हैं। यहां के मकानों में घुटनों से ऊपर तक पानी भर चुका है।

प्रयागराज में गंगा के तराई वाले क्षेत्रों की हालत बेहद खराब है। संगम पर स्थित बड़े हनुमानजी की मूर्ति पूरी तरह जल समाधि ले चुकी है। अब बस मंदिर की पताका नजर आ रही है। वहीं शंकर विमान मंडप और घाटों के मंदिर भी डूब चुके हैं।

NDRF की टीमें कर रही बचाव कार्य

एनडीआरएफ की टीमें बाढ़ प्रभावित इलाकों में घर-घर जाकर लोगों को सुरक्षित जगहों पर पहुंचाने में जुटी हैं। खाने-पीने का सामान, दवाइयां और जरूरी चीजें नावों के जरिए पहुंचाई जा रही हैं। कई ऐसे दृश्य सामने आए हैं जहां लोग अपने नवजात बच्चों को कमर तक पानी में लेकर सुरक्षित स्थानों की ओर जा रहे हैं।

बिहार में भी हालात खराब, गंगा का जलस्तर खतरे के पार

यूपी के साथ-साथ बिहार में भी बाढ़ ने तबाही मचाई है। भागलपुर, नवगछिया, कहलगांव, सनोखर, और अजगैवीनाथ धाम समेत कई इलाके पानी में डूब चुके हैं। भागलपुर में गंगा का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर चल रहा है। 3 अगस्त को सुबह 8 बजे गंगा का जलस्तर 32.97 मीटर रिकॉर्ड किया गया, जो डेंजर लेवल 33.68 मीटर से महज कुछ सेंटीमीटर ही नीचे है।

नवगछिया के इस्माईलपुर और बिंद टोली में गंगा का जलस्तर खतरे के निशान से 57 सेंटीमीटर ऊपर है। कोसी और घोघा जैसी सहायक नदियां भी उफान पर हैं, जिससे गांवों में कटाव और बाढ़ का खतरा बढ़ गया है। तटबंधों और स्पर पर दबाव बढ़ता जा रहा है। स्पर संख्या नौ का एक हिस्सा टूटने के बाद स्पर संख्या आठ पर विशेष निगरानी रखी जा रही है।

कई गांवों में घुसा बाढ़ का पानी

कहलगांव के पकड़तल्ला, आमापुर, मार्कण्डेय टोला, पन्नुचक, कुशहा जैसे गांव बाढ़ से पूरी तरह घिर चुके हैं। बहियार में खड़ी फसलें – धान, मक्का, अरहर – सब बर्बाद हो गई हैं। ग्रामीणों को न राशन मिल पा रहा है, न चारा। बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे और पशुओं के लिए चारे का संकट भी गहरा गया है।

अजगैवीनाथ धाम के आसपास के गांवों में लोग घर छोड़कर ऊंचे स्थानों की ओर जा रहे हैं। कच्ची सड़कें पानी में समा चुकी हैं, लोग टीन की नाव से अपनी जान जोखिम में डालकर आ-जा रहे हैं।

दर्दनाक हादसे भी सामने आए

बाढ़ के बीच दुखद खबरें भी आ रही हैं। भागलपुर के सनोखर थाना क्षेत्र के दो गांवों में पानी में डूबने से दो बच्चों की मौत हो गई। कुशहा गांव में 15 साल का शमीम और बड़ी नाकी गांव में 5 साल का मुस्ताक अंसारी बाढ़ के पानी में डूब गए। दोनों बच्चों के परिवारों को स्थानीय प्रशासन ने सांत्वना दी और आर्थिक मदद दी गई।

मुख्यमंत्री ने बनाई राहत निगरानी टीम

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हालात को देखते हुए 11 मंत्रियों की एक टीम बनाई है जो अपने-अपने जिलों में जाकर राहत कार्यों की निगरानी कर रही है। प्रयागराज और मिर्जापुर की जिम्मेदारी नंद गोपाल नंदी को दी गई है। प्रशासन लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने, राहत कैंप लगाने और जरूरी सामान मुहैया कराने में जुटा है।

क्या आगे सुधरेंगे हालात?

फिलहाल गंगा और यमुना के जलस्तर में लगातार वृद्धि हो रही है। मौसम विभाग ने आने वाले कुछ दिनों में और बारिश की संभावना जताई है, जिससे हालात और बिगड़ सकते हैं। प्रशासन और बचाव दल पूरी तरह अलर्ट पर हैं, लेकिन चुनौती बड़ी है।

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IndusInd Bank को मिला नया कप्तान: राजीव आनंद को सौंपी गई कमान, क्या संकट से उबर पाएगा...

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IndusInd Bank CEO Rajeev Anand: इस साल मिडिल ईस्ट के तनाव से लेकर अमेरिका की टैरिफ धमकियों तक दुनियाभर की सुर्खियां बनीं, लेकिन अगर बात भारत की करें, तो फाइनेंस सेक्टर की सबसे बड़ी हलचल IndusInd Bank में देखने को मिली। एक वक्त पर मजबूती से खड़ा दिख रहा ये बैंक अचानक वित्तीय संकट में फंस गया। गलत ट्रेडिंग, बड़े पैमाने पर घाटा, टॉप लेवल पर इस्तीफे और फिर शेयर क्रैश, सबकुछ जैसे एक के बाद एक गिरता गया। अब जब ये बैंक बुरे दौर से गुजर रहा है, ऐसे वक्त में एक अच्छी खबर आई है।

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बैंक को मिला नया CEO, उम्मीद की नई किरण- IndusInd Bank CEO Rajeev Anand

इंडसइंड बैंक ने अब अपनी डूबती नैया को पार लगाने के लिए नया कप्तान चुन लिया है। बैंक ने राजीव आनंद को अपना नया सीईओ नियुक्त किया है। उनकी नियुक्ति 25 अगस्त 2025 से 24 अगस्त 2028 तक यानी तीन साल के लिए की गई है। ये नियुक्ति RBI की मंजूरी के बाद हुई है। अब सबकी नजरें इस बात पर हैं कि क्या राजीव आनंद बैंक को वापस पटरी पर ला पाएंगे?

राजीव आनंद कौन हैं?

59 वर्षीय राजीव आनंद फाइनेंस और बैंकिंग सेक्टर का जाना-माना नाम हैं। उन्होंने हाल ही में एक्सिस बैंक के डिप्टी एमडी पद से रिटायरमेंट लिया है। उनके पास एसेट मैनेजमेंट, रिटेल और थोक बैंकिंग में 35 साल से भी ज्यादा का अनुभव है। साल 2009 में वे Axis ग्रुप से जुड़े और फिर 2013 में रिटेल बैंकिंग की कमान संभाली। 2018 से वे थोक बैंकिंग डिविजन भी लीड कर रहे थे। ऐसे में अब इंडसइंड बैंक को उनसे बड़ी उम्मीदें हैं।

सीईओ का इस्तीफा बना था टर्निंग पॉइंट

दरअसल, बैंक बीते चार महीनों से बिना फुल टाइम सीईओ के काम चला रहा था। अप्रैल में उस वक्त के सीईओ सुमंत कठपालिया ने करीब 1,960 करोड़ रुपये के नुकसान की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दे दिया था। ये नुकसान बैंक के इंटरनल डेरिवेटिव ट्रेड में गड़बड़ियों की वजह से हुआ था। इसके बाद सिर्फ सीईओ ही नहीं, बल्कि डिप्टी सीईओ अरुण खुराना और कई अन्य सीनियर अधिकारियों ने भी अपने पद छोड़ दिए।

मार्च में हुआ था बड़ा खुलासा

10 मार्च को बैंक ने पहली बार यह कबूल किया था कि उसकी डेरिवेटिव बुक में भारी ‘मार्क-टू-मार्केट’ (MTM) घाटा हुआ है, जिससे बैंक की नेटवर्थ पर 2.35% तक का असर पड़ सकता है। उस वक्त इसका अनुमानित आंकड़ा 1,600 करोड़ रुपये बताया गया था। कहा गया कि ये सब इंटरनल ट्रेड की गलत अकाउंटिंग की वजह से हुआ, जिसे जानबूझकर छिपाया गया ताकि शेयर की कीमत पर असर न पड़े।

अब शेयर मार्केट की नजरें इस पर टिकी हैं

अब जबकि राजीव आनंद को CEO नियुक्त किया गया है, इसका असर मंगलवार को शेयर बाजार में देखने को मिल सकता है। सोमवार को IndusInd Bank का शेयर करीब 2.46% की बढ़त के साथ ₹802.95 पर बंद हुआ। हालांकि, जबसे ये गड़बड़ियां सामने आई हैं, तब से शेयर में लगातार गिरावट देखी जा रही थी। फिलहाल कंपनी का मार्केट कैप करीब ₹62,550 करोड़ है।

 (नोट-निवेश से पहले वित्तीय सलाह जरूर लें)

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Satyapal Malik Passed Away: किडनी फेलियर से जंग हार गए सत्यपाल मलिक, राजनीति की मजबूत...

Satyapal Malik Passed Away: देश ने एक ऐसे नेता को खो दिया है, जिन्होंने राजनीति के कई महत्वपूर्ण मोर्चों पर आवाज़ उठाई और अपने सिद्धांतों से कभी समझौता नहीं किया। जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक अब हमारे बीच नहीं रहे। वे लंबे समय से किडनी की बीमारी और यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन (यूटीआई) से जूझ रहे थे और हाल ही में दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में भर्ती थे। उनकी बीमारी और संघर्ष की कहानी भी उनकी राजनीतिक जीवन की तरह गहरी और प्रेरणादायक थी।

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स्वास्थ्य से जुड़ी जटिलताएं और अंतिम दिनSatyapal Malik Passed Away

मलिक के निधन की जानकारी उनके आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर दी गई है। 78 वर्षीय मलिक ने 5 अगस्त को आरएमएल अस्पताल में अंतिम सांस ली। वे मई 2025 से दिल्ली के डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल में भर्ती थे।

वहीं, कुछ महीनों पहले सत्यपाल मलिक ने खुद सोशल मीडिया पर अपनी सेहत के बारे में जानकारी दी थी। उन्हें पेशाब में कठिनाई हो रही थी, जिसके कारण उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया। डॉक्टरों के मुताबिक, उनके यूरिनरी ट्रैक्ट में संक्रमण (यूटीआई) की वजह से किडनी में फेलियर की स्थिति उत्पन्न हो गई। यूटीआई समय पर ठीक न होने पर किडनी की कार्यक्षमता पर गंभीर असर डाल सकता है और मलिक के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। संक्रमण से होने वाली सेप्सिस जैसी जटिलता ने उनके शरीर के कई अंगों को नुकसान पहुंचाया।

पिछले कुछ महीनों से उनका किडनी डायलिसिस चल रहा था, लेकिन उनकी हालत लगातार खराब होती गई। 78 वर्ष के इस अनुभवी नेता का निधन देश के लिए एक बड़ा नुकसान है। वे न केवल जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल रहे, बल्कि अपनी मुखरता और समाज के लिए लड़ाई के लिए भी जाने जाते थे।

राजनीतिक सफर: संघर्ष से शिखर तक

सत्यपाल मलिक का राजनीतिक जीवन करीब 1968-69 में छात्र नेता के तौर पर शुरू हुआ था। 1974 में उन्होंने पहली बार विधायक का चुनाव जीता और फिर लोक दल के महासचिव बने। 1980 में राज्यसभा पहुंचे, फिर 1984 में कांग्रेस में शामिल होकर 1986 में दोबारा राज्यसभा का सदस्य बने।

Satyapal Malik Passed Away
Source-Google

राजीव गांधी के कार्यकाल के दौरान बोफोर्स मामले के बाद वे कांग्रेस से बाहर आए और वीपी सिंह की जनता दल में शामिल हो गए। 1989 में अलीगढ़ से लोकसभा सदस्य चुने गए और केंद्रीय राज्यमंत्री बने। 2004 में भाजपा में शामिल होने के बाद भी उनके राजनीतिक सफर में उतार-चढ़ाव आते रहे।

राज्यपाल के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका

2017 में उन्हें बिहार का राज्यपाल बनाया गया, जहां उन्होंने राजनीतिक दलों पर खुलकर आरोप लगाए। अगस्त 2018 में जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल नियुक्त किए गए। उनके कार्यकाल के दौरान अनुच्छेद 370 को हटाया गया, जो भारत के इतिहास की एक महत्वपूर्ण घटना थी। बाद में गोवा और मेघालय के राज्यपाल भी रहे।

उनकी मुखरता ने कई बार बीजेपी और केंद्र सरकार को असहज कर दिया। उन्होंने कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के पक्ष में आवाज उठाई और कई संवेदनशील मुद्दों पर सरकार की आलोचना की। उनके इन बयानों ने राजनीति में एक अलग पहचान बनाई।

किसानों के लिए आवाज़ उठाई

मलिक ने नवंबर 2020 से चल रहे कृषि कानून विरोध प्रदर्शन के दौरान केंद्र सरकार की नीति की कड़ी आलोचना की। उन्होंने कहा कि किसानों को अपमानित नहीं किया जा सकता और उनके साथ बातचीत जरूरी है। उनकी यह राय सरकार के लिए चुनौती थी, जो किसानों के समर्थन में खुलकर आवाज़ उठाने वाले नेताओं में से एक थे।

अंतिम विदाई और विरासत

सत्यपाल मलिक का निधन न केवल उनके परिवार और समर्थकों के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए एक बड़ा क्षति है। उनके द्वारा उठाए गए मुद्दे और उनके संघर्ष को याद रखा जाएगा।

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Apple की नई तैयारी: iPhone 17 में मिलेगा खुद का AI टूल, Siri से भी होगा स्मार्ट

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Apple iPhone 17: एप्पल एक बार फिर बड़ा धमाका करने की तैयारी में है। जहां सबकी नजरें iPhone 17 सीरीज की लॉन्चिंग पर टिकी हैं, वहीं कंपनी ने पर्दे के पीछे एक और अहम काम शुरू कर दिया है। जी हां, Apple अब खुद का ChatGPT जैसा AI टूल बना रहा है, जो आने वाले वक्त में Google और OpenAI जैसे दिग्गजों के लिए सीधी चुनौती बन सकता है।

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AKI टीम की हुई एंट्री, Apple की AI दुनिया में नई शुरुआत- Apple iPhone 17

ब्लूमबर्ग के जाने-माने टेक रिपोर्टर मार्क गुरमन की रिपोर्ट के मुताबिक, Apple ने इस प्रोजेक्ट के लिए एक इंटरनल टीम बनाई है, जिसे AKI (Answers, Knowledge & Information) नाम दिया गया है। जैसा कि नाम से समझ आता है, यह AI टूल यूजर्स को न सिर्फ सवालों के जवाब देगा, बल्कि जानकारी और नॉलेज भी देगा, ठीक ChatGPT की तरह।

इस पूरी टीम की कमान रॉबी वॉकर संभाल रहे हैं, जो पहले Siri प्रोजेक्ट में भी लीड रोल निभा चुके हैं। वॉकर सीधे Apple के AI हेड जॉन गियानैंड्रा को रिपोर्ट कर रहे हैं। खास बात ये है कि Siri को पहले ही ChatGPT से इंटीग्रेट किया जा चुका है, लेकिन अब Apple का मकसद है कि वो पूरी तरह से अपने खुद के दम पर एक स्मार्ट AI टूल बनाए।

iOS 26 में मिलेगा AI पावर्ड सर्च फीचर

रिपोर्ट्स के मुताबिक, Apple इस नए सर्च टूल को iOS 26 में शामिल करने की योजना बना रहा है। यह टूल ChatGPT या Perplexity AI जैसा दिख सकता है, जिसमें यूजर को सवाल पूछने पर सीधे और स्मार्ट जवाब मिलेंगे। इसका टेस्टिंग फेज iPhone 17 Pro सीरीज में चल रहा है ताकि असली दुनिया में इसका एक्सपीरियंस चेक किया जा सके।

AI एक्सपीरियंस को मिलेगा नया आयाम

Apple के टॉप लेवल एग्जीक्यूटिव्स ने पहले ही ये संकेत दे दिए थे कि कंपनी को अब एक चैटबॉट स्टाइल AI की जरूरत महसूस हो रही है। इसी सोच के साथ कंपनी Genmoji जैसे फीचर्स भी ला सकती है, जो यूजर्स को नोटिफिकेशन, टेक्स्ट समरी और राइटिंग सजेशन जैसे स्मार्ट सुझाव देंगे। Siri को भी अपग्रेड करने की तैयारी चल रही है, जिसे अगले साल तक रोल आउट किया जा सकता है।

iPhone 17 Pro में आएगा सुपर-डिस्प्ले

अब बात iPhone 17 Pro मॉडल्स की करें तो उनके डिजाइन और डिस्प्ले को लेकर भी बड़ी अपडेट आई है। रिपोर्ट्स की मानें तो नए मॉडल्स में एंटी-रिफ्लेक्टिव और स्क्रैच-रेजिस्टेंट डिस्प्ले लेयर दी जाएगी। इससे न सिर्फ स्क्रीन की सुरक्षा बेहतर होगी, बल्कि रिफ्लेक्शन भी कम होगा खासकर धूप में इस्तेमाल के दौरान। ProMotion 120Hz डिस्प्ले के साथ यह और भी शानदार हो जाएगा।

कैमरा होगा और भी पावरफुल

कैमरा सेक्शन में भी iPhone 17 Pro एक बड़ा अपग्रेड लेकर आएगा। 8x ऑप्टिकल जूम के साथ नया टेलीफोटो लेंस देखने को मिल सकता है, जो अभी के 5x ऑप्टिकल जूम से बेहतर होगा। साथ ही एक नया Pro Camera ऐप भी आ सकता है, जो प्रोफेशनल फोटोग्राफर्स को ध्यान में रखकर बनाया जाएगा। इसके अलावा iPhone में एक नया कैमरा कंट्रोल बटन भी दिए जाने की चर्चा है, जो यूजर्स को फटाफट कैमरा एक्सेस देगा।

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India-US News: टैरिफ की धमकी पर भारत ने दिखाया आईना, विदेश मंत्रालय ने 6 प्वाइंट में ...

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India-US News: अमेरिका खुद को दुनिया का चौधरी समझता है। मौका मिले नहीं कि टैरिफ की धमकी देने से पीछे नहीं हटता। लेकिन अब भारत पहले वाला शांत रहने वाला देश नहीं है। आज का भारत पलटकर जवाब देना जानता है, और ये बात एक बार फिर दुनिया ने देख ली, जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ वाली धमकी पर भारत ने ठोस और तीखा जवाब दिया।

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विदेश मंत्रालय ने जिस तरीके से अमेरिका और यूरोपीय यूनियन की दोहरी नीति की पोल खोली, वो काबिल-ए-गौर है। मंत्रालय ने साफ कर दिया कि जब खुद अमेरिका और यूरोप रूस से अरबों डॉलर का कारोबार कर रहे हैं, तो भारत को नैतिकता का पाठ पढ़ाने का कोई हक उन्हें नहीं है।

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भी बिना लागलपेट के कहा कि अब वो वक्त गया जब कोई भी देश दबदबे की राजनीति करता था। भारत अब किसी की दादागिरी नहीं मानेगा। यही नहीं, रूस की तरफ से भी अमेरिका को आड़े हाथों लिया गया। रूसी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया ज़खारोवा ने कहा कि अमेरिका अब अपने घटते प्रभाव को स्वीकार नहीं कर पा रहा है। कोई भी टैरिफ वॉर या पाबंदियां इस बदलाव को रोक नहीं सकतीं।

अब आइए समझते हैं कि भारत ने कैसे 6 ठोस प्वाइंट्स में अमेरिका और यूरोपीय देशों की पोल खोली:

तेल आयात को लेकर दोहरा रवैया- India-US News

यूक्रेन युद्ध के बाद भारत ने रूस से तेल खरीदना शुरू किया। इसकी वजह थी कि पारंपरिक आपूर्ति यूरोप की तरफ मोड़ दी गई थी। हैरानी की बात ये है कि तब खुद अमेरिका ने भारत को ऐसा करने के लिए सपोर्ट किया था। अब उसी बात पर सवाल उठाना दोहरा रवैया नहीं तो और क्या?

भारत की प्राथमिकता – उपभोक्ता

भारत का मकसद अपने नागरिकों के लिए ऊर्जा को सस्ता और उपलब्ध बनाए रखना है। ये कोई ऐश का फैसला नहीं, बल्कि ज़रूरत है। जबकि जो देश आज आलोचना कर रहे हैं, वो खुद भी रूस से व्यापार कर रहे हैं वो भी बिना किसी ज़रूरत के!

यूरोपीय देशों का खुद का रिकॉर्ड

सिर्फ 2024 में यूरोपीय यूनियन ने रूस से 67.5 अरब यूरो का सामान मंगवाया। ऊपर से 17.2 अरब यूरो की सेवाएं भी लीं। वहीं एलएनजी का आयात 1.65 करोड़ टन तक पहुंच गया जो अपने आप में रिकॉर्ड है।

सिर्फ ऊर्जा नहीं, और भी बहुत कुछ

यूरोप और रूस के बीच सिर्फ तेल-गैस का नहीं, बल्कि उर्वरक, माइनिंग प्रोडक्ट्स, स्टील, मशीनरी और ट्रांसपोर्ट इक्विपमेंट का भी बड़ा व्यापार है।

अमेरिका भी पीछे नहीं

अमेरिका खुद रूस से यूरेनियम, पैलेडियम, उर्वरक और केमिकल्स जैसे अहम सामान मंगा रहा है। फिर भारत को क्यों निशाना बनाया जा रहा है?

भारत का साफ संदेश

भारत ने दो टूक कहा है कि वो भी अब एक बड़ी अर्थव्यवस्था है और अपने हितों की सुरक्षा के लिए हर ज़रूरी कदम उठाएगा। किसी का डर नहीं मानने वाला।

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हफ्तों तक ताजा रहेगा अदरक-लहसुन का पेस्ट, अपनाएं ये 5 आसान टिप्स

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Ginger-garlic paste: अपने घरों में खाना बनाते समय आपने देखा होगा कि किसी भी तरह का खाना बनता है, तो उसमें अदरक-लहसुन का पेस्ट ज़रूर डाला जाता है। कई बार इसका पेस्ट तुरंत बन जाता है, लेकिन कई बार इस पेस्ट को बनाने के बाद रख भी लिया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि घर पर बने अदरक-लहसुन के पेस्ट को हफ्तों तक आसानी से ताज़ा रखा जा सकता है और यह खराब भी नहीं होता। तो चलिए इस लेख में हम आपको अदरक-लहसुन के पेस्ट को खराब होने से बचाने के पांच आसान तरीकों के बारे में विस्तार से बताते हैं।

तेल का इस्तेमाल करें – Use oil

अदरक-लहसुन के (Ginger-garlic paste) पेस्ट बनाते समय उसमें थोड़ा सा सरसों का तेल या रिफाइंड तेल मिलाएँ। तेल एक प्राकृतिक संरक्षक के रूप में कार्य करता है। यह पेस्ट की ऊपरी सतह पर एक परत बना देता है, जिससे यह हवा के संपर्क में नहीं आता और जल्दी काला नहीं पड़ता।

नमक और सिरका मिलाएँ: पेस्ट बनाते समय नमक और सफेद सिरका मिलाना भी बहुत फायदेमंद होता है। नमक और सिरका दोनों ही बैक्टीरिया को पनपने से रोकते हैं और पेस्ट की शेल्फ लाइफ बढ़ाते हैं। इससे पेस्ट का रंग और स्वाद भी बरकरार रहता है।

पानी की जगह तेल या सिरका

अदरक-लहसुन के (Ginger-garlic paste) पेस्ट बनाते समय पेस्ट पीसते समय पानी का इस्तेमाल न करें, क्योंकि पानी बैक्टीरिया को जल्दी बढ़ाता है। अगर आपको पेस्ट पीसने के लिए किसी तरल पदार्थ की ज़रूरत है, तो पानी की जगह थोड़ा सा तेल या सिरका मिलाएँ।

एयरटाइट कंटेनर: पेस्ट को हमेशा एयरटाइट कांच या अच्छे प्लास्टिक के कंटेनर में रखें। इससे हवा अंदर नहीं जा पाती और पेस्ट ऑक्सीकृत नहीं होता। हर बार पेस्ट निकालते समय साफ और सूखे चम्मच का इस्तेमाल करें। गीला चम्मच पेस्ट में नमी ला सकता है, जिससे यह जल्दी खराब हो सकता है।

आइस क्यूब ट्रे में जमाएँ: अगर आप इसे कई महीनों तक स्टोर करना चाहते हैं, तो पेस्ट को आइस क्यूब ट्रे में डालकर जमाएँ। जमने पर, क्यूब्स निकालकर ज़िप-लॉक बैग में भरकर फ्रीज़र में रख दें। ज़रूरत पड़ने पर एक क्यूब निकालकर इस्तेमाल करें। इससे कंटेनर को बार-बार खोलने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी और बचा हुआ पेस्ट भी सुरक्षित रहेगा।

इन तरीकों को अपनाकर आप अपने अदरक-लहसुन के पेस्ट को लंबे समय तक ताज़ा रख सकते हैं और जब चाहें इस्तेमाल कर सकते हैं।

Sikhism in Alaska: जहां बर्फ गिरती है, वहां गुरबानी गूंजती है: अलास्का में सिख जीवन क...

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Sikhism in Alaska: कल्पना कीजिए, आप अमेरिका के अलास्का के बर्फीले पहाड़ों और सर्द हवाओं के बीच एक सड़क पर चल रहे हों, जहां चारों ओर बर्फ़ की सफेद चादर फैली हो। यहां का ठंडा वातावरण और शांति इतनी गहरी है कि मन करता है बस इसे महसूस करते जाएं। लेकिन अचानक, बीच सड़क पर एक रंग-बिरंगी दुनिया नजर आती है। यह दुनिया है अलास्का में बसे सिख समुदाय की, जिन्होंने इस ठंडे और दूर-दराज के राज्य में अपनी संस्कृति और धर्म को न सिर्फ संजोकर रखा है, बल्कि यहां अपने सपनों को भी साकार किया है।

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क्या आप जानना चाहेंगे कि यह छोटा सा समुदाय यहां कैसे पला-बढ़ा? कैसे उन्होंने बर्फ़ की इस दुनिया में अपनी सांस्कृतिक धरोहर को जिंदा रखा? चलिए, हम आपको इस अद्भुत यात्रा पर ले चलते हैं।

अलास्का में सिख समुदाय- Sikhism in Alaska

अमेरिका में सिखों की संख्या काफी है, लेकिन अलास्का में सिखों की संख्या बहुत बड़ी नहीं है, लेकिन उनका योगदान निश्चित रूप से उल्लेखनीय है। यह सिख समुदाय मुख्य रूप से पंजाबी प्रवासियों का है, जिन्होंने अपने जीवन को बेहतर बनाने के लिए इस ठंडे और दूर-दराज के राज्य का रुख किया। जब से सिख परिवारों ने अलास्का में कदम रखा, उनका सपना था कि वे यहां न केवल अपने लिए एक बेहतर जीवन बनाएंगे, बल्कि अपनी सांस्कृतिक पहचान भी बनाए रखेंगे।

आपको यह जानकर हैरानी होगी कि 2000 के दशक में एंकरेज जैसे शहरों में सिख परिवारों की संख्या बढ़ी, लेकिन समय के साथ बहुत से परिवार सिएटल जैसे बड़े शहरों की ओर चले गए। इसके बावजूद, अलास्का में कुछ पंजाबी परिवार आज भी अपनी सांस्कृतिक धरोहर को जीवित रखते हुए जीवन जी रहे हैं। इन परिवारों ने न सिर्फ अपने धर्म को बनाए रखा, बल्कि यह भी दिखाया कि अगर कोई ठान ले तो किसी भी परिस्थिति में अपनी पहचान बनाई जा सकती है।

गुरुद्वारा: सिख धर्म का केंद्र

अब, हम आपको एक खास जगह के बारे में बताते हैं, जो इस समुदाय के लिए धर्म और संस्कृति का केंद्र है। यह जगह है “द सिख सोसाइटी ऑफ अलास्का”, जो एंकरेज में स्थित है। यह गुरुद्वारा न केवल पूजा और कीर्तन का स्थान है, बल्कि यहां पर लंगर भी चलता है, जो सिख धर्म का महत्वपूर्ण हिस्सा है। लंगर में, न केवल सिख समुदाय के लोग भोजन करते हैं, बल्कि यहाँ पर सभी को, चाहे वो किसी भी धर्म, जाति या संस्कृति से हो, मुफ्त खाना मिलता है। यह सेवा और समानता की भावना को दर्शाता है, जो सिख धर्म का मूलमंत्र है।

अलास्का में सिख धर्म का यह केंद्र न सिर्फ धार्मिक गतिविधियों का स्थान है, बल्कि यह समुदाय को जोड़ने और उनकी सांस्कृतिक पहचान को बनाए रखने का माध्यम भी है। इस गुरुद्वारे में हर रोज़ धार्मिक आयोजन होते हैं, और यहाँ सिखों के साथ-साथ अन्य लोग भी आते हैं।

पंजाबी ट्रक ड्राइवर और होटल व्यवसाय: मेहनत और संघर्ष की कहानी

अब बात करते हैं उन सिखों के बारे में जो अलास्का में ट्रक ड्राइविंग और होटल उद्योग में सक्रिय हैं। अमेरिका के अन्य हिस्सों की तरह, अलास्का में भी सिख समुदाय ने ट्रक ड्राइविंग का व्यवसाय अपनाया है। आपको बता दें, अमेरिका में लगभग 150,000 सिख ट्रक ड्राइवर हैं, जिनमें से अधिकतर कैलिफोर्निया और टेक्सास जैसे राज्यों में काम करते हैं। हालांकि, अलास्का के मौसम और कठिन सड़कों को देखते हुए, यहाँ भी कुछ सिख ट्रक ड्राइवर काम कर रहे होंगे। ट्रक ड्राइविंग सिख धर्म के सिद्धांतों के अनुकूल है, क्योंकि इसमें ईमानदारी से काम करना और अपनी मेहनत से जीवन यापन करना पड़ता है।

इसके अलावा, सिख समुदाय होटल और मोटल व्यवसाय में भी सक्रिय है। एंकरेज और फेयरबैंक्स जैसे इलाकों में सिख परिवार होटल व्यवसाय चला रहे हैं, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी लाभ हो रहा है। इस व्यवसाय में सिखों का योगदान अलास्का के पर्यटन उद्योग के लिए भी महत्वपूर्ण है।

सांस्कृतिक योगदान और त्योहार: एक रंगीन दुनिया

जब हम बात करते हैं सिख समुदाय के सांस्कृतिक योगदान की, तो सबसे पहले जिन बातों का ध्यान आता है, वह हैं वैसाखी और गुरु नानक जयंती जैसे बड़े त्योहार। इन त्योहारों को बड़े धूमधाम से मनाया जाता है, और इनका खास हिस्सा है लंगर। इन त्योहारों के दौरान, सिख समुदाय लंगर का आयोजन करता है, जिसमें सभी के लिए मुफ्त भोजन की व्यवस्था होती है। यह सिख धर्म की सेवा और समानता की भावना को जीवित रखने का एक तरीका है।

सिख समुदाय ने हमेशा अपने आसपास के लोगों की मदद करने के लिए स्वयंसेवी कार्य किए हैं। उदाहरण के तौर पर, मुख्या कौर और हरी देव सिंह खालसा जैसे सिख जोड़े, जो जूनो में रहते हैं, बेघर लोगों की मदद करते हैं। यह सिख धर्म के सेवा के सिद्धांत का एक आदर्श उदाहरण है।

भेदभाव और एकीकरण की चुनौती

अलास्का में सिख समुदाय के लिए सबसे बड़ी चुनौती थी 9/11 के बाद का दौर, जब सिखों को उनकी पगड़ी और दाढ़ी के कारण गलत पहचान का सामना करना पड़ा। कई बार उन्हें मुसलमानों या अरबी समुदाय से जोड़ा गया, जिसके कारण भेदभाव और हिंसा का शिकार होना पड़ा। लेकिन इस मुश्किल दौर में, सिख समुदाय ने अपना सिर ऊंचा रखा और समाज में अपनी पहचान बनाई।

सिखों ने यह साबित किया कि वे किसी भी स्थिति में अपने धर्म और संस्कृति को नहीं छोड़ेंगे। यही कारण है कि आज भी अलास्का के सिख समाज ने अपनी पहचान बनाए रखी है, चाहे उन्हें समाज में एकीकरण के लिए संघर्ष करना पड़ा हो।

सिख धर्म की बढ़ती पहचान अमेरिका में

अब, आपको यह जानकर खुशी होगी कि सिख धर्म की पहचान अमेरिका में बढ़ती जा रही है। हाल ही में, वर्जीनिया राज्य के स्कूलों में सिख धर्म की पढ़ाई शुरू की गई है, और इस तरह, अमेरिका के कई राज्यों ने अपने पाठ्यक्रम में सिख धर्म को शामिल किया है। इसके साथ ही, अमेरिका में सिख धर्म का महत्व अब किसी से छिपा नहीं है।

सिखों ने अमेरिका में नागरिक अधिकारों, राजनीति, कृषि, इंजीनियरिंग और चिकित्सा जैसे क्षेत्रों में अपना योगदान दिया है। इस बढ़ती पहचान का हिस्सा अलास्का के सिख समुदाय ने भी निभाया है।

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