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IND W vs AUS W: सेमीफाइनल जीत के बाद जेमिमा रोड्रिगेज का इमोशनल विडिओ जारी, पिता को ल...

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IND W vs AUS W: नवी मुंबई में खेले गए वीमेंस वर्ल्ड कप सेमीफाइनल मुकाबले में टीम इंडिया ने ऑस्ट्रेलिया को 5 विकेट से हराकर फाइनल में जगह बनाई। इस रोमांचक जीत की सबसे बड़ी हीरो रही जेमिमा रोड्रिगेज, जिन्होंने नाबाद 127 रनों की धमाकेदार पारी खेलकर अपनी टीम को नॉक आउट मैच में जीत दिलाई।

जेमिमा उस समय मैदान में उतरी थीं जब भारत ने सिर्फ 13 रन पर अपना पहला विकेट गंवा दिया था। उनके इस संघर्ष और शानदार खेल ने पूरे भारतीय क्रिकेट फैंस का दिल जीत लिया। उनकी पारी ने साबित कर दिया कि दबाव की घड़ी में भी एक खिलाड़ी कितनी बड़ी भूमिका निभा सकता है।

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पिता से गले मिलकर रो पड़ीं जेमिमा- IND W vs AUS W

भारत की जीत के बाद जेमिमा रोड्रिगेज ने अपने पिता से मिलने पर अपने भावनाओं को पूरी तरह जाहिर किया। उन्होंने अपने पिता को गले लगाकर खुशी और भावनाओं के साथ रोते हुए हर किसी का दिल छू लिया। इस भावुक पल ने यह दिखा दिया कि खेल में जीत केवल व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं, बल्कि परिवार और देश के लिए गर्व का क्षण होती है।

 

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जेमिमा के भाई ने भी इस मौके पर उनके पैर छूकर सम्मान और प्यार दिखाया। यह दृश्य दर्शकों और सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया, और हर भारतीय को गर्व का अहसास कराया।

जेमिमा का इमोशनल पोस्ट

भारत की इस स्टार खिलाड़ी ने जीत के बाद अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर एक इमोशनल पोस्ट भी शेयर किया। इस पोस्ट में उन्होंने पांच खास तस्वीरें साझा कीं। पहली फोटो में जेमिमा अपने पिता के साथ भावुक रूप से गले मिलती नजर आ रही हैं। दूसरी फोटो में वे अपनी मां को गले लगा रही हैं।

इसके अलावा, जेमिमा ने अपनी साथी खिलाड़ी अरुंधति रेड्डी और स्मृति मंधाना के साथ खुशी में गले मिलते हुए तस्वीरें शेयर की। पोस्ट की पांचवीं फोटो में जेमिमा अपनी पूरी फैमिली के साथ नजर आ रही हैं।

जेमिमा ने इस पोस्ट में लिखा, “इन लोगों ने मुझ पर तब विश्वास किया, जब मैंने भी खुद पर नहीं किया था। मुझे खुशी है कि ये लोग मेरे जीवन में हैं।” इस पोस्ट ने यह साबित कर दिया कि जेमिमा की सफलता केवल उनकी मेहनत नहीं, बल्कि परिवार और टीम के विश्वास की भी जीत है।

होम ग्राउंड पर शानदार जीत

यह मैच खासतौर पर नवी मुंबई में खेला गया, जो जेमिमा का होम ग्राउंड है। उनकी पूरी फैमिली इस मैच को देखने के लिए मैदान पर मौजूद थी। भारत की जीत के बाद सेलिब्रेशन में जेमिमा अपने परिवार से मिलने पहुंचीं और यह पल बेहद भावुक और यादगार बन गया।

जेमिमा रोड्रिगेज की यह पारी न केवल टीम इंडिया के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए गर्व का क्षण साबित हुई।

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Prakash Mehra Blockbuster Movies: दिहाड़ी मजदूर से बने निर्देशक… जानें कैसे प्रक...

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Prakash Mehra Blockbuster Movies: बॉलीवुड के मशहूर फिल्ममेकर प्रकाश मेहरा का जीवन संघर्ष और हौसले की कहानी है। उनका जन्म 13 जुलाई 1939 को उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले में हुआ। बचपन में ही उनकी मां का निधन हो गया और पिता वैराग्य अपनाकर हरिद्वार चले गए। ऐसे में छोटे प्रकाश का पालन-पोषण उनकी मौसी ने दिल्ली में किया।

प्रकाश मेहरा ने अपने इंटरव्यू में बताया कि दिल्ली में उनके मौसी का केमिकल का बड़ा कारोबार था। उनका बड़ा बेटा उन्हें अपने कारोबार में शामिल करना चाहता था, लेकिन मेहरा ने फिल्मों के प्रति अपनी लगन और सपना जताते हुए इस राह को चुना। 10वीं पास प्रकाश मेहरा ने सिर्फ 13 रुपये लेकर मुंबई की राह ली।

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मुंबई में संघर्ष और शुरुआती कदम- Prakash Mehra Blockbuster Movies

मुंबई में मामा के घर में रहने के दौरान जब पता चला कि वे घर से भागकर आए हैं, तो उन्हें घर से निकाल दिया गया। इसके बावजूद प्रकाश ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। उनका धुन और हौसला उन्हें फिल्म इंडस्ट्री की ओर ले गया।

 

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शुरुआत में उन्होंने फिल्म डिवीजन ऑफ इंडिया में काम किया। वहां प्रोडक्शन मैनेजर मिस्टर विपिन मौर्या ने उन्हें एक रुपये रोजाना दिहाड़ी पर रखा। शुरुआती काम कैमरा उठाना, फोकसिंग करना और सेट पर छोटे-मोटे काम करना था। बाद में यह दिहाड़ी तीन रुपये हो गई। उन्होंने यहां अपने मकसद को स्पष्ट किया कि वह हीरो नहीं बनना चाहते, बल्कि फिल्म बनाने का अनुभव लेना चाहते हैं।

फिल्मों में कदम और शुरुआती सफलता

प्रकाश मेहरा ने अपने करियर की शुरुआत में कई संघर्ष किए। फोटोकॉपी मशीन नहीं होने की वजह से उन्हें स्क्रिप्ट की चार कॉपियां बनानी पड़ती थीं, लेकिन उन्होंने यह काम लेने से मना कर दिया। इसके बाद विपिन मौर्या ने उन्हें रवि देसाई के समधी धीरू भाई देसाई से मिलवाया। यहां उन्होंने ‘नागदेवता’ जैसी फिल्मों में काम किया और फिर एमडी शर्मा के मार्गदर्शन में बॉम्बे एयरपोर्ट जैसी जगहों पर काम करते हुए धीरे-धीरे फिल्म इंडस्ट्री की बारीकियों को समझा।

अमिताभ बच्चन से पहले, प्रकाश मेहरा ने चार हिट फिल्में बनाई – हसीना मान जाएगी, मेला, समाधि और हाथ की सफाई। इसके बाद उन्होंने अपनी प्रोडक्शन कंपनी खोली और पीछे मुड़कर नहीं देखा।

अमिताभ बच्चन और जंजीर का सफर

1973 में प्रकाश मेहरा ने अमिताभ बच्चन को फिल्म ‘जंजीर’ में लिया। उस समय अमिताभ लगातार 11 फ्लॉप फिल्में दे चुके थे। जंजीर ने अमिताभ को बॉलीवुड में ‘एंग्री यंग मैन’ के रूप में स्थापित किया और उनका करियर बदल दिया।

खबरों की मानें तो, जंजीर की कहानी को शुरू में धर्मेंद्र, देव आनंद और राजकुमार के पास ले जाया गया था, लेकिन किसी ने इसे स्वीकार नहीं किया। सलीम-जावेद के सुझाव पर अमिताभ को लिया गया। मुमताज ने फिल्म में काम नहीं किया और जया भादुरी को अमिताभ के कहने पर चुना गया।

प्रकाश मेहरा ने बताया कि धर्मेंद्र ने फीस लेने से मना कर दिया और इसके बदले प्रॉफिट को आधा-आधा तय किया गया। जंजीर फिल्म के निर्माण में कई बदलाव हुए, लेकिन अंततः यह फिल्म इतिहास रचने में सफल रही।

ब्लॉकबस्टर फिल्मों की श्रृंखला

प्रकाश मेहरा ने अमिताभ बच्चन के साथ मिलकर कई ब्लॉकबस्टर फिल्में बनाई, जिन्होंने बॉलीवुड के इतिहास में खास जगह बनाई। इन फिल्मों में शामिल हैं:

  • मुकद्दर का सिकंदर (1978)
  • लावारिस (1981)
  • नमक हलाल (1982)
  • शराबी (1984)

इन फिल्मों के ज़रिए अमिताभ की पहचान और लोकप्रियता को नई ऊँचाई मिली। प्रकाश मेहरा ने इन फिल्मों को डायरेक्ट और प्रोड्यूस दोनों किया।

प्रकाश मेहरा की फिल्मी सोच और योगदान

प्रकाश मेहरा की कहानी यह दिखाती है कि संघर्ष और धैर्य से किसी भी मंज़िल को पाया जा सकता है। उन्होंने न केवल अमिताभ बच्चन को बॉलीवुड सुपरस्टार बनाया, बल्कि अपने स्टाइल और निर्देशन से इंडस्ट्री में नई पहचान भी बनाई।

उनकी फिल्में सिर्फ मनोरंजन नहीं करतीं, बल्कि दर्शकों में संवेदनाएँ और कहानी के प्रति आकर्षण भी जगाती हैं। ‘जंजीर’ ने अमिताभ की छवि बदल दी, जबकि ‘मुकद्दर का सिकंदर’, ‘नमक हलाल’ और ‘शराबी’ जैसी फिल्में आज भी याद की जाती हैं।

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Bihar Elections 2025: विकास या वादा? एनडीए ने पेश किया 2025 का संकल्प पत्र, युवाओं और...

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Bihar Elections 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की सरगर्मियों के बीच राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने शुक्रवार को पटना में अपना ‘संकल्प पत्र’ जारी कर दिया। इस घोषणा के साथ एनडीए ने चुनावी जंग की औपचारिक शुरुआत कर दी है। इस मौके पर केंद्रीय मंत्री और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, जीतन राम मांझी, चिराग पासवान और उपेंद्र कुशवाहा समेत गठबंधन के सभी प्रमुख नेता मौजूद रहे। घोषणापत्र में गठबंधन ने बिहार के विकास, रोजगार, महिला सशक्तिकरण और सुशासन की निरंतरता पर ज़ोर दिया।

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युवाओं के लिए एक करोड़ रोजगार- Bihar Elections 2025

एनडीए ने अपने संकल्प पत्र में राज्य के युवाओं को सबसे बड़ा वादा दिया है, एक करोड़ से अधिक रोजगार और नौकरी के अवसर। ये नौकरियां सरकारी और निजी दोनों क्षेत्रों में दी जाएंगी। इसके लिए हर जिले में मेगा स्किल सेंटर बनाए जाएंगे, जहां युवाओं को उद्योगों की जरूरतों के हिसाब से प्रशिक्षण मिलेगा।

राज्य सरकार एक “कौशल जनगणना” भी कराएगी ताकि युवाओं की प्रतिभा और रुचि के आधार पर उन्हें सही प्रशिक्षण दिया जा सके। एनडीए का लक्ष्य है कि बिहार को आने वाले समय में एक ‘ग्लोबल स्किलिंग हब’ के रूप में विकसित किया जाए, जो देश और विदेश दोनों के लिए कुशल कार्यबल तैयार करे।

महिला सशक्तिकरण पर बड़ा फोकस

घोषणापत्र में महिलाओं को सशक्त बनाने पर खास ध्यान दिया गया है। ‘मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना’ के तहत महिलाओं को अपना व्यवसाय शुरू करने के लिए 2 लाख रुपये तक की आर्थिक सहायता दी जाएगी। एनडीए का लक्ष्य एक करोड़ महिलाओं को ‘लखपति दीदी’ बनाना है — यानी ऐसी महिलाएं जिनकी सालाना आय 1 लाख रुपये से ज्यादा हो।

इसके अलावा, सफल महिला उद्यमियों को आगे बढ़ाने के लिए ‘मिशन करोड़पति’ नामक नई पहल शुरू की जाएगी, ताकि वे अपने व्यवसाय को विस्तार दे सकें और अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणा बनें।

अति पिछड़ा वर्ग के लिए नई पहल

एनडीए ने बिहार के अति पिछड़ा वर्ग (EBC) समुदाय के लिए भी कई नई योजनाओं की घोषणा की है। घोषणापत्र में कहा गया है कि इन वर्गों के व्यवसायिक परिवारों को 10 लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी जाएगी। साथ ही, उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति की समीक्षा के लिए सुप्रीम कोर्ट के एक रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में एक हाई-लेवल कमेटी बनाई जाएगी, जो उनके सशक्तिकरण के लिए ठोस सुझाव देगी।

किसानों के लिए कर्पूरी ठाकुर किसान सम्मान निधि

किसानों को साधने के लिए एनडीए ने अपने घोषणापत्र में ‘कर्पूरी ठाकुर किसान सम्मान निधि’ की घोषणा की है। इसके तहत हर किसान को प्रति फसल सीजन 3,000 रुपये, यानी सालाना 9,000 रुपये की आर्थिक मदद दी जाएगी।

इसके साथ ही सरकार ने कहा है कि हर पंचायत में MSP खरीद केंद्र खोले जाएंगे ताकि किसानों को फसलों का उचित मूल्य मिले। एनडीए ने सिंचाई, गोदाम और फूड प्रोसेसिंग यूनिट जैसी कृषि अवसंरचना में 1 लाख करोड़ रुपये के निवेश का भी वादा किया है।

दूध और मछली मिशन से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को ताकत

ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए घोषणापत्र में ‘बिहार दुग्ध मिशन’ और ‘मत्स्य मिशन’ की घोषणा की गई है। हर ब्लॉक में दूध चिलिंग और प्रोसेसिंग सेंटर खोले जाएंगे। वहीं, मछली पालन के लिए नए फिशरी क्लस्टर और कोल्ड स्टोरेज सुविधाएं तैयार की जाएंगी ताकि किसानों और मछुआरों की आमदनी बढ़ सके और उन्हें बाजारों तक सीधी पहुंच मिले।

सड़क, रेल और हवाई कनेक्टिविटी का बड़ा वादा

एनडीए ने राज्य में बुनियादी ढांचे को नया रूप देने का वादा किया है। इसके तहत बिहार में सात नए एक्सप्रेसवे बनाए जाएंगे और ‘बिहार गति शक्ति मास्टर प्लान’ के तहत 3,600 किमी रेलवे ट्रैक का आधुनिकीकरण किया जाएगा।

चार नए शहरों में मेट्रो सेवा शुरू की जाएगी, जबकि अमृत भारत एक्सप्रेस और नमो रैपिड रेल सेवाओं का विस्तार पूरे राज्य में होगा।

हवाई कनेक्टिविटी को मजबूत करने के लिए पटना के पास एक नया ग्रीनफील्ड अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट बनाया जाएगा। साथ ही दरभंगा, पूर्णिया और भागलपुर एयरपोर्ट को अंतरराष्ट्रीय मानकों पर अपग्रेड किया जाएगा और 10 नए शहरों तक घरेलू हवाई सेवाएं शुरू होंगी।

औद्योगिक विकास और शिक्षा सुधार

एनडीए ने हर जिले में आधुनिक फैक्ट्री और विनिर्माण इकाइयां स्थापित करने का वादा किया है। साथ ही 10 नए औद्योगिक पार्क भी बनाए जाएंगे, ताकि स्थानीय स्तर पर उद्योग और रोजगार दोनों बढ़ें।

शिक्षा के क्षेत्र में गठबंधन ने गरीब परिवारों के बच्चों को KG से PG तक मुफ्त और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने की घोषणा की है। स्कूलों में स्किल लैब स्थापित की जाएंगी, और छात्रों को पौष्टिक नाश्ता व मिड-डे मील दोनों दिए जाएंगे।

गरीबों के लिए पंचामृत गारंटी

एनडीए के घोषणापत्र का आखिरी लेकिन सबसे बड़ा हिस्सा गरीब तबके के लिए है। इसके तहत ‘पंचामृत गारंटी’ की घोषणा की गई है, जिसमें पांच बड़े वादे शामिल हैं —

  1. मुफ्त राशन,
  2. 125 यूनिट मुफ्त बिजली,
  3. 5 लाख रुपये तक मुफ्त इलाज,
  4. 50 लाख पक्के मकानों का निर्माण,
  5. और सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना।

एनडीए नेताओं ने कहा कि यह संकल्प पत्र सिर्फ घोषणाओं का दस्तावेज नहीं, बल्कि आने वाले पांच सालों में बिहार के विकास की दिशा तय करने वाला रोडमैप है।

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Dularchand Yadav Mokama: मोकामा बना मौत का मैदान, दुलारचंद यादव की हत्या से उबल पड़ी ...

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Dularchand Yadav Mokama: बिहार विधानसभा चुनाव अब तेजी से दिलचस्प मोड़ लेता दिख  रहा है, लेकिन इस बार चुनावी हलचल के बीच गोलियों की आवाज़ ने पूरे राज्य को झकझोर दिया है। आदर्श आचार संहिता लागू है, मगर गुरुवार को मोकामा के घोसवरी इलाके में जो हुआ, उसने बिहार की राजनीति में तनाव बढ़ा दिया। जन सुराज पार्टी के उम्मीदवार पीयूष प्रियदर्शी के काफिले पर हमला हुआ, जिसमें उनके समर्थक और रिश्तेदार दुलारचंद यादव की गोली मारकर हत्या कर दी गई।

घटना के बाद इलाके में अफरातफरी मच गई। स्थानीय लोगों ने बताया कि जब पीयूष प्रियदर्शी का काफिला घोसवरी से गुजर रहा था, तभी अचानक 15-20 लोग वहां पहुंच गए। कुछ सरकारी और कुछ निजी गनर भी उनके साथ थे। देखते ही देखते लाठी-डंडों से हमला शुरू हो गया, गाड़ियों के शीशे तोड़े गए और कार्यकर्ताओं के साथ मारपीट हुई। इसी दौरान गोलियां चलीं और दुलारचंद यादव को गोली लग गई। अस्पताल ले जाने से पहले ही उन्होंने दम तोड़ दिया।

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पीयूष प्रियदर्शी का बयान– Dularchand Yadav Mokama

जन सुराज उम्मीदवार पीयूष प्रियदर्शी ने बताया, “हमारा काफिला अनंत सिंह की गाड़ी के पीछे था। अचानक उनके समर्थकों ने हमला कर दिया। हमारे साथियों पर लाठी-डंडों से वार हुआ, गाड़ियों में तोड़फोड़ की गई और हमारे रिश्तेदार दुलारचंद यादव को गोली मार दी गई।”

उन्होंने कहा कि यह सिर्फ एक राजनीतिक हमला नहीं है, बल्कि लोकतंत्र की हत्या है।

तेजस्वी यादव ने साधा सरकार पर निशाना

घटना के बाद महागठबंधन के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार तेजस्वी यादव ने राज्य सरकार और एनडीए पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा, “लोकतंत्र में विचारों की लड़ाई होती है, बम और गोली की नहीं। आज बिहार में सत्ता संरक्षित अपराधी खुलेआम घूम रहे हैं। मोकामा में एक सामाजिक कार्यकर्ता दुलारचंद यादव की हत्या कर दी गई, वहीं दरोगा अनिरुद्ध पासवान की भी निर्मम हत्या हुई। ये सब दिखाता है कि राज्य में कानून व्यवस्था नाम की कोई चीज नहीं बची।”

तेजस्वी ने आगे कहा कि एनडीए उम्मीदवारों के समर्थक लगातार धमकी दे रहे हैं, पत्रकारों को मारने की बात करते हैं और जिन पर पहले से ही गंभीर आरोप हैं, उन्हें टिकट दिया जा रहा है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी हमला बोलते हुए कहा, “प्रधानमंत्री जी को बिहार का महाजंगलराज नहीं दिखता। जो लोग अपराधियों को संरक्षण दे रहे हैं, वही आज बिहार को बदनाम कर रहे हैं। जनता अब डबल इंजन सरकार को उखाड़ फेंकेगी।”

प्रशांत किशोर का बयान

जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर (PK) ने भी मोकामा गोलीकांड पर गहरी नाराजगी जताई। उन्होंने कहा, “हमारे कार्यकर्ता दुलारचंद यादव को गोली मारने की खबर मिली है। पार्टी के नेता मौके पर रवाना हो गए हैं। जनता अब बदलाव का मन बना चुकी है और इस तरह की हिंसा उस सोच को नहीं रोक पाएगी।”

रोहिणी आचार्य का पलटवार

लालू प्रसाद यादव की बेटी रोहिणी आचार्य ने भी इस घटना को लेकर सोशल मीडिया पर कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने एक्स (Twitter) पर लिखा, “मारने-मरवाने और काटने-कटवाने वालों ने बिहार में डेरा डाल दिया है। जंगलराज का झूठा नैरेटिव फैलाने वालों का असली चेहरा अब सबके सामने है। ये बिहार में राक्षसराज की शुरुआत है।”

पुलिस की कार्रवाई

घटना के बाद प्रशासन हरकत में आ गया है। बाढ़-2 एसडीपीओ अभिषेक सिंह ने बताया कि पुलिस को सूचना मिली थी कि टाल क्षेत्र में दो राजनीतिक पार्टियों के काफिले जा रहे थे। किसी बात को लेकर दोनों पक्षों में झड़प हो गई। एक पक्ष ने दूसरे पर गोली चलाने और गाड़ी चढ़ाने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि एफआईआर दर्ज कर ली गई है, फॉरेंसिक टीम को जांच के लिए बुलाया गया है और जो भी दोषी होगा, उस पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।

अनंत सिंह की सफाई

दूसरी तरफ, इस पूरे मामले में आरोप झेल रहे एनडीए उम्मीदवार अनंत सिंह ने अपनी सफाई दी। उन्होंने कहा, “हम टाल क्षेत्र में वोट मांग रहे थे। रास्ते में देखा कि कई गाड़ियां खड़ी हैं। लगा कि वो लोग भी प्रचार कर रहे हैं, तो हम रुक गए। तभी वो लोग मुर्दाबाद-मुर्दाबाद करने लगे। मैंने अपने लोगों से कहा कि किसी से कुछ मत कहना और हम आगे बढ़ गए। लेकिन हमारे पीछे कुछ गाड़ियां रह गईं और वहीं झगड़ा हो गया।”

अनंत सिंह ने आरोप लगाया कि “ये सब सूरजभान सिंह का खेल है। उन्होंने ही माहौल बिगाड़ने की कोशिश की ताकि चुनावी फायदा मिल सके। दुलारचंद यादव पूरे दिन गाली-गलौज कर रहे थे और वही सबसे पहले हाथापाई पर उतर आए।”

कौन थे दुलारचंद यादव?

मोकामा और आसपास के इलाकों में दुलारचंद यादव किसी पहचान के मोहताज नहीं थे। वे कभी लालू प्रसाद यादव के बेहद करीबी हुआ करते थे और 90 के दशक में आरजेडी के मजबूत कार्यकर्ता माने जाते थे। उस वक्त इस इलाके में उनकी पकड़ काफी गहरी थी। कहा जाता है कि वे पार्टी के जमीनी संगठन को खड़ा करने वालों में से एक थे।

पिछले कुछ सालों में दुलारचंद यादव प्रशांत किशोर के जन सुराज आंदोलन से जुड़ गए थे और जन सुराज के उम्मीदवार पीयूष प्रियदर्शी के खास समर्थक बन गए थे। हाल ही में उन्होंने लल्लू मुखिया के समर्थन में एक चुनावी गीत भी गाया था, जो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। वे न सिर्फ राजनीतिक रूप से सक्रिय थे, बल्कि सामाजिक कामों में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते थे।

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Amla Navami 2025: क्यों करते हैं आंवले के पेड़ की पूजा? पढ़े अक्षय नवमी की पौराणिक व्...

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Amla Navami: आंवला नवमी, जिसे अक्षय नवमी भी ा जाता है, हिंदू धर्म एक महत्वपूर्ण है। हर कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता है। लेकिन क्या आप जानते है इस साल ये कब है और इसके पीछे की क्या कहानी हैं। अगर नहीं तो चलिए आपको इस लेख में आंवला नवमी के बारे में विस्तार से बताते हैं।

जानें कब हैं आंवला नवमी?

आंवला नवमी का पर्व भगवान विष्णु की आराधना के लिए समर्पित है। इस दिन आंवले के पेड़ की पूजा करने से अक्षय पुण्य, स्वास्थ्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है। पंचांग के अनुसार, इस वर्ष आंवला नवमी 31 अक्टूबर को मनाई जाएगी।आंवला नवमी के दिन आंवले के वृक्ष की पूजा के पीछे एक अत्यंत मनोहारी पौराणिक कथा है, जिसका संबंध माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु व शिव दोनों से है।

क्यों होती हैं आंवले के पेड़ की पूजा

पौराणिक कथा के अनुसार, धन और समृद्धि की देवी, देवी लक्ष्मी एक बार पृथ्वी पर भ्रमण पर आईं। वहाँ पहुँचकर, उनके मन में अपने पति भगवान विष्णु और अपने प्रिय भगवान शिव, दोनों की एक साथ पूजा करने की तीव्र इच्छा हुई। लक्ष्मी उस स्थान या वृक्ष के बारे में सोचने लगीं जहाँ दोनों देवता एक साथ निवास करते हैं। तब उन्हें पता चला कि आंवले का वृक्ष ही एकमात्र ऐसा वृक्ष है जिसके तने और शाखाओं में भगवान विष्णु और पत्तों और फलों में भगवान शिव निवास करते हैं।

यह जानकर, देवी लक्ष्मी ने तुरंत आंवले के पेड़ की पूजा शुरू कर दी, और पेड़ को मन ही मन भगवान विष्णु और शिव का प्रतीक माना। पूजा के बाद, उन्होंने उसी वृक्ष के नीचे अपने हाथों से भोजन तैयार किया और दोनों देवताओं को भोग लगाया। देवी लक्ष्मी की इस भक्तिपूर्ण पूजा से प्रसन्न होकर, भगवान विष्णु और भगवान शिव, दोनों साक्षात् प्रकट हुए और देवी लक्ष्मी को अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद दिया। इसके बाद, देवी लक्ष्मी ने स्वयं देवताओं से प्रसाद के रूप में भोजन ग्रहण किया।

आंवला नवमी का महत्व 

आपको बता दें, हिंदू धर्म के अनुसार, आंवला नवमी का व्रत विधि-विधान से करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। इस दिन आंवला का सेवन अमृत के समान माना जाता है। यह व्रत वैवाहिक सुख, बच्चो की सलामती और लम्बी आयु की कामना के लिए भी किया जाता है। उत्तर भारत के कई हिस्सों में इसे आंवला एकादशी या आंवला पर्व के नाम से भी जाना जाता है।

Uttarakhand Gold restriction: शादी में महिलाएं अब केवल पहन सकेंगी तीन सोने के आभूषण, ...

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Uttarakhand Gold restriction: उत्तराखंड के जौनसार क्षेत्र की एक पंचायत ने महिलाओं के आभूषण पहनने को लेकर नया नियम जारी किया है। कंदाड़ और इद्रोली गांव की संयुक्त पंचायत ने शादी और अन्य सामाजिक समारोहों में महिलाओं को तीन से अधिक आभूषण पहनने से रोक लगाने का फैसला किया है। इस नियम के तहत महिलाओं को केवल झुमके, नाक की नथ और मंगलसूत्र पहनने की अनुमति दी गई है। नियम तोड़ने पर 50 हजार रुपये का जुर्माना वसूलने का प्रावधान भी रखा गया है।

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सोने की बढ़ती कीमतें बनी वजह- Uttarakhand Gold restriction

पंचायत ने इस फैसले के पीछे बढ़ती सोने की कीमतों और पारिवारिक विवाद को कारण बताया है। कंदाड़ निवासी अर्जुन सिंह ने पीटीआई को बताया कि कई बार महिलाएं सोने के आभूषण खरीदने का दबाव बनाती हैं, जिससे घर में तनाव और झगड़े बढ़ जाते हैं। उन्होंने कहा कि सोने की बढ़ती कीमतों के कारण यह कदम आवश्यक हो गया। अर्जुन ने यह भी संकेत दिया कि भविष्य में महिलाओं की शराब और फिजूलखर्ची पर भी रोक लगाने पर विचार किया जा सकता है।

महिलाओं की प्रतिक्रिया मिली-जुली

इस फैसले पर महिलाओं की प्रतिक्रिया मिली-जुली रही। जौनसार की निवासी अमला चौहान ने कहा कि अगर उद्देश्य समानता लाना है, तो केवल महिलाओं के आभूषणों पर ही क्यों रोक लगाई जाए। उन्होंने पुरुषों की ब्रांडेड शराब और फिजूलखर्ची पर भी प्रतिबंध लगाने की मांग की। अमला ने कहा कि सोना एक निवेश का जरिया है, जो मुश्किल समय में काम आता है, लेकिन शराब और अन्य खर्चों पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए।

निशा रावत ने भी शादियों में बढ़ते महंगे उपहारों और दिखावे के ट्रेंड पर चिंता जताई। उनका कहना था कि पहले घर की बनी शराब परोसी जाती थी, लेकिन अब ब्रांडेड शराब और मांस, महंगे उपहार जैसी चीजें आम हो गई हैं। उनका सुझाव था कि अगर खर्च कम करना है, तो इन पर भी रोक लगाई जानी चाहिए।

स्थानीय पुरुषों का भी समर्थन

स्थानीय भीम सिंह ने कहा कि आभूषणों पर यह नियम स्वागत योग्य है, लेकिन महिलाओं की शराब और फिजूलखर्ची को लेकर उठाई गई मांग भी जायज है। उन्होंने पंचायत से कहा कि इस दिशा में भी विचार किया जाना चाहिए।

पंचायत का महत्व और सामाजिक प्रभाव

बता दें, जौनसार का इलाका अनुसूचित जनजाति बहुलता वाला क्षेत्र है, जहां पंचायत का सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व बहुत अधिक है। यहां के लोग पंचायत के फैसलों को गंभीरता से लेते हैं और उनका पालन करते हैं। इस नए नियम को भी गांववासियों ने बड़े ध्यान से देखा है और अधिकांश लोग इसे पारिवारिक और सामाजिक स्थिरता के लिए जरूरी मान रहे हैं।

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Amla juice benefits: सर्दियों में हेल्थ और स्किन दोनों को बूस्ट करें, सुबह पीएं आंवला...

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Amla juice benefits: सर्दियों का मौसम आते ही शरीर और त्वचा दोनों सुस्त पड़ने लगते हैं। ठंडी हवाओं और कम धूप के कारण लोगों की एनर्जी कम हो जाती है और त्वचा में रूखापन आने लगता है। इस दौरान लोग शरीर को एनर्जेटिक रखने और त्वचा को हेल्दी बनाए रखने के लिए अलग-अलग उपाय अपनाते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि सुबह खाली पेट आंवला और हल्दी का पानी पीने से शरीर और स्किन दोनों को फायदा होता है।

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आंवला-हल्दी ड्रिंक का महत्व- Amla juice benefits

न्यूज 18 की रिपोर्ट के मुताबिक, भाग-दौड़ भरी जिंदगी में लोग सुबह से लेकर शाम तक व्यस्त रहते हैं और अक्सर खाना-पीना भूल जाते हैं। इसका असर उनके शरीर और चेहरे पर तुरंत दिखता है। कई लोग एनर्जी बढ़ाने के लिए दवाइयां या टॉनिक लेते हैं, वहीं स्किन चमकाने के लिए महंगी क्रीम्स का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन खास असर नहीं दिखता।

आयुर्वेद के अनुसार सुबह किसी हेल्दी ड्रिंक के साथ दिन की शुरुआत करना बहुत जरूरी है। इससे शरीर एनर्जेटिक रहता है और तनाव भी कम होता है। आंवला और हल्दी का मिश्रण शरीर को अंदर से मजबूत बनाता है, इम्यूनिटी बढ़ाता है और डाइजेशन को सुधारता है।

कैसे बनाएं और पीएं

इस ड्रिंक को तैयार करना बेहद आसान है। सुबह खाली पेट एक गिलास पानी में ताजा आंवला का रस और आधा चम्मच हल्दी मिलाकर पीना चाहिए। हल्दी में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो शरीर को अंदर से मजबूत बनाते हैं और ब्लड फ्लो सुधारते हैं। आंवला विटामिन सी का अच्छा स्रोत है, जो इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है और शरीर को बीमारियों से बचाता है।

स्वास्थ्य पर असर

यह ड्रिंक शरीर को डिटॉक्स करने में मदद करती है। पेट की समस्या जैसे एसिडिटी, गैस या सूजन को कम करती है। लीवर को हेल्दी रखती है और पूरे दिन शरीर को फ्रेश और एनर्जेटिक बनाए रखती है। जब पेट हेल्दी रहता है तो मूड भी बेहतर रहता है और त्वचा में नेचुरल ग्लो आती है।

स्किन को चमकदार बनाए

आंवला-हल्दी ड्रिंक न केवल शरीर के लिए फायदेमंद है, बल्कि स्किन को भी अंदर से साफ और चमकदार बनाता है। हल्दी की एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुण त्वचा को नेचुरली ग्लोइंग बनाते हैं। यह ड्रिंक रोजाना पीने से स्किन की खोई नमी और चमक वापस आती है।

सर्दियों में शरीर और त्वचा दोनों को स्वस्थ रखने के लिए सुबह खाली पेट आंवला-हल्दी ड्रिंक पीना बेहद फायदेमंद है। यह सिर्फ एक सिंपल ड्रिंक लगती है, लेकिन इसके पोषक तत्व आपकी इम्यूनिटी, डाइजेशन, मूड और स्किन सभी को हेल्दी बनाए रखते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इसे नियमित रूप से लेने से आप पूरे दिन एनर्जेटिक महसूस करेंगे और सर्दियों में स्वस्थ रहेंगे।

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Mumbai Crime News: मुंबई में ऑडिशन के बहाने बच्चों को बंधक बनाने वाला रोहित आर्या गिर...

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Mumbai Crime News: मुंबई में एक अजीब और तनावपूर्ण मामला सामने आया है, जहां ऑडिशन देने पहुंचे कुछ बच्चों को रोहित आर्या नाम के व्यक्ति ने बंधक बना लिया। हालांकि, मुंबई पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए सभी बच्चों को सुरक्षित छुड़ा लिया है और आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है। फिलहाल पुलिस यह पता लगाने में जुटी है कि आखिर रोहित ने ऐसा कदम क्यों उठाया।

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 “मुझे उकसाओ मत”, वीडियो में बोला रोहित- Mumbai Crime News

इस घटना के बाद रोहित आर्या का एक वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आया है, जिसमें वह कहता है कि उसने कोई आतंकी या लालच भरा काम नहीं किया है। वीडियो में रोहित कहता है, “सुसाइड करने की जगह मैंने एक प्लान बनाया और कुछ बच्चों को बंधक बना लिया। मेरे कोई बड़ी डिमांड नहीं हैं, बस कुछ सवाल हैं जिनके जवाब चाहिए। ये सब मैंने सोच-समझकर किया है।”

वह आगे कहता है, “मुझे मत उकसाओ। अगर मैं जिंदा रहा तो मैं ये काम करूंगा, अगर मर गया तो कोई और करेगा। आपकी एक गलती मुझे इस जगह को आग लगाने पर मजबूर कर सकती है।”

वीडियो में रोहित खुद को “नैतिक और मोरल इंसान” बताता है और यह भी कहता है कि उसकी मांगें बहुत साधारण हैं वह सिर्फ “बात करना” चाहता है।

कौन है रोहित आर्या?

जानकारी के अनुसार, रोहित आर्या पुणे का रहने वाला है और उसे महाराष्ट्र सरकार की ‘माझी शाला सुंदर शाला योजना’ के तहत एक स्कूल के निर्माण कार्य का टेंडर मिला हुआ था। वह दावा करता है कि उसने अपना काम पूरा कर लिया, लेकिन भुगतान अभी तक नहीं मिला।

रोहित के मुताबिक, सरकार पर उसका करीब 2 करोड़ रुपये बकाया है। इस मुद्दे को लेकर वह पहले भी कई बार आंदोलन कर चुका है, लेकिन समाधान नहीं हुआ। इसी निराशा में उसने यह कदम उठाया बताया जा रहा है।

पूर्व मंत्री ने दी सफाई

महाराष्ट्र के पूर्व शिक्षण मंत्री दीपक केसरकर ने इस मामले पर बयान देते हुए कहा कि रोहित को पहले ही भुगतान किया जा चुका है। उन्होंने दावा किया कि पैसे चेक से दिए गए थे और रोहित “माझी शाला सुंदर शाला” परियोजना का ही हिस्सा था।

पुलिस की त्वरित कार्रवाई

मुंबई पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए तत्काल एक्शन लिया और बिना किसी नुकसान के सभी बच्चों को सुरक्षित निकाल लिया। आरोपी रोहित आर्या को मौके से गिरफ्तार कर लिया गया है। पुलिस अब उससे पूछताछ कर यह जानने की कोशिश कर रही है कि उसने इतनी खतरनाक हरकत की असली वजह क्या थी।

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Hindutva in America: रटगर्स यूनिवर्सिटी में ‘हिंदुत्व’ पर बहस, पर हिंदू स्टूडेंट्स को...

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Hindutva in America: अमेरिका के न्यू जर्सी स्थित रटगर्स यूनिवर्सिटी इन दिनों एक विवाद के केंद्र में है। विश्वविद्यालय के सेंटर फॉर सिक्योरिटी, रेस एंड राइट्स (CSRR) द्वारा आयोजित एक पैनल चर्चा ‘Hindutva in America: A Threat to Equality and Religious Pluralism’ ने हिंदू समुदाय और कई अमेरिकी सांसदों के बीच गहरी नाराज़गी पैदा कर दी है। इस कार्यक्रम में हिंदुत्व को एक ऐसी विचारधारा बताया गया जो अमेरिका में मुसलमानों, सिखों और अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ नफरत फैलाती है।

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हालांकि, आलोचकों का कहना है कि यह आयोजन एकतरफा था और इसमें किसी सक्रिय हिंदू प्रतिनिधि को शामिल नहीं किया गया। उनका मानना है कि इस तरह की चर्चा हिंदू छात्रों को असुरक्षित महसूस करवाती है और कैंपस के माहौल को और विभाजित कर सकती है।

सांसदों ने लिखा विरोध पत्र- Hindutva in America

इस कार्यक्रम से पहले ही अमेरिकी कांग्रेस के चार सांसदों ने रटगर्स प्रशासन को पत्र लिखकर गहरी चिंता जताई थी। इन सांसदों में स्टैनफोर्ड बिशप, सुहास सुब्रमण्यम, रिच मैककॉर्मिक और श्री थानेदार शामिल थे जिनमें से दो भारतीय मूल के हैं।
24 अक्टूबर को भेजे गए इस पत्र में सांसदों ने कहा कि यह कार्यक्रम “राजनीतिक रूप से प्रेरित” है और हिंदू छात्रों को अनुचित तरीके से निशाना बना सकता है। उन्होंने विश्वविद्यालय प्रशासन से अपील की कि वह ऐसे आयोजनों के जरिए छात्रों में भय का माहौल न बनने दे।

10 हजार से अधिक ईमेल के जरिए विरोध

विरोध सिर्फ पत्र तक सीमित नहीं रहा। एक हिंदू वकालत समूह ने खुलासा किया कि 10,000 से ज्यादा छात्रों, अभिभावकों और समुदाय के लोगों ने विश्वविद्यालय को ईमेल भेजकर कार्यक्रम को “हिंदू-विरोधी” बताते हुए उससे दूरी बनाए रखने की मांग की।
समूह ने यह भी कहा कि पैनल में अमेरिका में हाल ही में बढ़ रहे हिंदू मंदिरों पर हमलों और घृणा अपराधों की अनदेखी की गई। केवल दिसंबर 2023 से अब तक सात हिंदू मंदिरों में तोड़फोड़ की घटनाएं दर्ज की गई हैं। रिपोर्टों के मुताबिक, कैलिफोर्निया जैसे राज्यों में हिंदू-विरोधी घटनाएं अब यहूदी-विरोधी हमलों के बाद दूसरे स्थान पर हैं।

‘झूठे दावे’ और प्रतीकों को लेकर विवाद

विरोध करने वाले समूहों ने पैनल के दौरान किए गए कुछ बयानों को “तथ्यों से परे और भ्रामक” बताया।
विशेष रूप से, कुछ वक्ताओं ने दावा किया कि नाज़ी हेकेनक्रूज़ (Hakenkreuz) और हिंदू स्वस्तिक एक जैसे प्रतीक हैं। इस पर कोहना (CoHNA) संगठन ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि ऐतिहासिक प्रमाण बताते हैं कि हिटलर ने अपने प्रतीक को कभी “स्वस्तिक” नहीं कहा, बल्कि “हेकेनक्रूज़” कहा था — इसलिए इस तुलना को बढ़ावा देना अनुचित है।

हिंदू छात्रों का शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन

रटगर्स यूनिवर्सिटी में हिंदू छात्रों ने पैनल स्थल के बाहर शांतिपूर्ण प्रदर्शन किया।
विश्वविद्यालय की छात्र वेबसाइट ‘द डेली टार्गम’ के अनुसार, कई फैकल्टी सदस्य भी छात्रों के समर्थन में शामिल हुए।
एक छात्र ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, “हमें लगा जैसे कोई हमें भड़काने की कोशिश कर रहा है। कई साथी डर के कारण रैली में शामिल नहीं हो पाए, क्योंकि प्रशासन ने सुरक्षा की गारंटी नहीं दी।”
रटगर्स के हिंदू पुजारी हितेश त्रिवेदी ने भी कहा, “हम इस कार्यक्रम को रद्द करने की मांग नहीं कर रहे थे। हमारी बस यह अपील थी कि विश्वविद्यालय का नाम किसी हिंदू-विरोधी बयानबाजी से न जोड़ा जाए।”

पैनल की मेजबानी और प्रमुख वक्ता

इस चर्चा का संचालन रटगर्स लॉ स्कूल की प्रोफेसर और सामाजिक न्याय की विद्वान सहर अज़ीज़ ने किया, जबकि मुख्य वक्ता ऑड्रे ट्रुश्के, जो विश्वविद्यालय में इतिहास और एशियाई अध्ययन की प्रोफेसर हैं, ने हिंदुत्व के प्रभाव पर अपने विचार रखे।

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Health Tips: क्या रोज़ सुबह 3 बजे नींद खुल जाना सामान्य है? जानिए आपका शरीर क्या कहना...

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Health Tips: क्या आपने कभी गौर किया है कि अलार्म बजने से पहले ही आंख खुल जाती है — न कोई आवाज़, न कोई हलचल, बस अचानक दिमाग का बेचैन हो उठना। अगर ऐसा बार-बार होता है, तो इसे इग्नोर करना गलती हो सकती है। नींद के बीच अचानक जागना सिर्फ थकान या बुरे सपने का नतीजा नहीं होता, बल्कि आपका शरीर शायद आपको कोई अहम संदेश देने की कोशिश कर रहा है।

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आपकी बॉडी क्लॉक क्या कहती है? Health Tips

रात के करीब 3:30 या 3:47 बजे अचानक आंख खुलना भले संयोग लगे, लेकिन ऐसा अक्सर एक खास वजह से होता है। दरअसल, हमारे शरीर में एक बेहद सटीक 24 घंटे की बायोलॉजिकल क्लॉक होती है, जिसे सर्कैडियन रिदम कहा जाता है। यह सिस्टम हमारे सोने-जागने के पैटर्न, हार्मोन रिलीज और शरीर के तापमान को नियंत्रित करता है।
रात 2 से 5 बजे के बीच यह चक्र बहुत संवेदनशील होता है। इसी समय कोर्टिसोल हार्मोन (जो हमें जगाने में मदद करता है) धीरे-धीरे बढ़ने लगता है। लेकिन जब तनाव बढ़ जाता है, तो यह हार्मोन अचानक सक्रिय हो जाता है और आपको झटका देकर नींद से बाहर निकाल देता है।

तनाव: नींद का सबसे बड़ा दुश्मन

लगातार तनाव या बेचैनी सिर्फ आपके मूड को नहीं बिगाड़ती, बल्कि नींद के पूरे ढांचे को हिला देती है। सामान्यतः शरीर गहरी नींद के अलग-अलग चरणों से गुजरता है, लेकिन तनाव के कारण दिमाग “हाई अलर्ट मोड” में चला जाता है।
इसका असर सबसे ज्यादा REM नींद पर होता है यही वह स्टेज है जब हमारा दिमाग सपनों, यादों और भावनाओं को प्रोसेस करता है। यही वजह है कि तनावग्रस्त लोग अक्सर सुबह 3 से 5 बजे के बीच जाग जाते हैं और उन्हें यह पल साफ-साफ याद भी रहता है।

आपका नींद पैटर्न आपके व्यक्तित्व से जुड़ा है

अगर आप रोज़ 3 से 5 बजे के बीच उठते हैं, तो यह आपके क्रोनोटाइप यानी प्राकृतिक नींद-जागने की घड़ी का संकेत हो सकता है।
कुछ लोग सूरज के साथ उठने के लिए बने होते हैं (मॉर्निंग टाइप), जबकि कुछ लोग देर रात तक सक्रिय रहते हैं (नाइट आउल्स)। लेकिन हमारी 9 से 5 की दिनचर्या अक्सर इन प्राकृतिक लयों से टकरा जाती है इसे ही विशेषज्ञ “सोशल जेट लैग” कहते हैं।
खासकर रात में काम करने वालों के लिए जबरन सुबह उठना शरीर के लिए तनाव और असंतुलन की वजह बन सकता है।

कैसे करें इस स्थिति पर काबू?

अगर रोज़ सुबह जल्दी नींद खुल रही है, तो इसका हल छोटे बदलावों में छिपा है —

  • अपनी नींद का पैटर्न डायरी या ऐप में रिकॉर्ड करें।
  • सोने से पहले स्क्रीन टाइम घटाएं, ताकि बॉडी क्लॉक भ्रमित न हो।
  • रात में कैफीन और शराब से दूरी बनाएं — ये REM नींद को बिगाड़ते हैं।
  • दिनभर के तनाव को मैनेज करें — गहरी सांस, टहलना या जर्नल लिखना मददगार है।
  • अपने क्रोनोटाइप के अनुसार दिनचर्या बनाएं, ताकि शरीर अपने नैचुरल पैटर्न में काम कर सके।

आख़िरकार… शरीर हमेशा संकेत देता है

अगर आप लगातार सुबह 3 से 5 बजे के बीच उठ रहे हैं, तो यह सिर्फ नींद का मामला नहीं है। यह आपके शरीर का तरीका है यह बताने का कि कहीं कुछ ठीक नहीं चल रहा।
तनाव, असंतुलित रूटीन या नींद का दबाव — कोई न कोई कारण जरूर होता है। इन संकेतों को समझना और समय रहते सुधारना ही बेहतर नींद और अच्छे मानसिक स्वास्थ्य की कुंजी है।

Disclaimer: यह जानकारी विभिन्न शोधों और नींद विशेषज्ञों की राय पर आधारित है। इसे मेडिकल सलाह का विकल्प न मानें। किसी भी नई आदत या उपचार को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर या स्लीप एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें।

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