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Tamil Actor S Srinivasan Arrested: 7 साल तक खेलता रहा भागमभाग, अब पकड़ में आया ‘...

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Tamil Actor S Srinivasan Arrested: तमिल फिल्मों में अपनी कॉमिक टाइमिंग और अतरंगी किरदारों के लिए पहचाने जाने वाले अभिनेता एस. श्रीनिवासन, जिन्हें लोग ‘पावरस्टार’ के नाम से जानते हैं, अब विवादों में बुरी तरह फंस चुके हैं। दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने उन्हें एक बड़े लोन फ्रॉड मामले में गिरफ्तार किया है। पुलिस ने उन्हें चेन्नई के वानगरम इलाके से पकड़ा।

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1000 करोड़ का झांसा, 5 करोड़ की ठगी- Tamil Actor S Srinivasan Arrested

पूरा मामला साल 2010 में शुरू हुआ, जब ब्लू कोस्ट इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट लिमिटेड नाम की कंपनी को कुछ लोगों ने 1000 करोड़ रुपये का लोन दिलाने का भरोसा दिलाया। इसमें चार सलाहकार – हेनरी लालरेमसांगा, दीपक बंगा, अनिल वर्श्नेय और रामानुज मुव्वला शामिल थे। इन लोगों ने कंपनी को बताया कि अगर लोन नहीं दिलवा पाए तो 30 दिन में पूरे पैसे लौटा दिए जाएंगे।

बाद में इन सलाहकारों ने कंपनी की मुलाकात एस. श्रीनिवासन से करवाई, जिन्होंने खुद को बाबा ट्रेडिंग कंपनी का मालिक बताया और कहा कि वे लोन दिलवा सकते हैं। इस विश्वास के आधार पर कंपनी ने 5 करोड़ रुपये उन्हें दे दिए, वो भी सिर्फ स्टैंप पेपर खरीदने के नाम पर। लेकिन ना लोन मिला और ना ही पैसे वापस आए।

पैसा हड़पने की पूरी प्लानिंग थी

जांच में साफ हुआ कि यह कोई सामान्य धोखाधड़ी नहीं थी, बल्कि एक सुनियोजित साजिश थी। 5 करोड़ रुपये पहले बाबा ट्रेडिंग कंपनी के खाते में गए, फिर वहां से सीधे श्रीनिवासन और उनकी पत्नी के खातों में ट्रांसफर हुए। 50 लाख रुपये उन्होंने नकद निकाल लिए, जबकि बाकी रकम फिक्स्ड डिपॉजिट में डाल दी।

पुलिस जब सबूत मांगने पहुंची, तो श्रीनिवासन कोई भी ऐसा दस्तावेज नहीं दिखा पाए जिससे यह साबित हो सके कि स्टैंप खरीदे गए थे।

पहले भी घोषित हो चुके हैं ‘अपराधी’

यह पहली बार नहीं है जब श्रीनिवासन पर इस तरह के आरोप लगे हैं। 2013 में उन्हें इस मामले में अंतरिम ज़मानत मिली थी, जिसमें उन्होंने 10 करोड़ रुपये लौटाने का वादा किया था। लेकिन उन्होंने केवल 3.5 लाख रुपये ही लौटाए। इसके बाद वे फरार हो गए।

इसके बाद, 2016 में उन्हें पहली बार अदालत ने ‘अपराधी’ घोषित किया। फिर 2017 में गिरफ्तार हुए और 2018 में दोबारा ज़मानत के बाद फिर से लापता हो गए। पुलिस का कहना है कि चेन्नई में उनके खिलाफ ऐसी ही धोखाधड़ी से जुड़े 6 और केस दर्ज हैं।

फिल्मी दुनिया से लेकर जेल तक का सफर

एस. श्रीनिवासन ने अब तक 10 से ज्यादा तमिल फिल्मों में काम किया है। वे कॉमेडी और सैटायर रोल्स के लिए खासे मशहूर रहे हैं। फिल्मी दुनिया में ‘पावरस्टार’ के नाम से पहचान बनाई, लेकिन अब उनका नाम आर्थिक अपराधों में शामिल हो गया है।

उनकी गिरफ्तारी के बाद सोशल मीडिया पर लोग हैरानी जता रहे हैं कि एक अभिनेता जो हंसी और मनोरंजन के लिए जाना जाता था, वो इस तरह के गंभीर अपराध में शामिल हो सकता है।

फिलहाल पुलिस की गिरफ्त में, आगे की पूछताछ जारी

दिल्ली पुलिस अब इस पूरे मामले की और भी गहराई से जांच कर रही है। इस बात की भी पड़ताल हो रही है कि क्या इस धोखाधड़ी में और लोग भी शामिल हैं या नहीं। साथ ही श्रीनिवासन की पत्नी की भूमिका की भी जांच हो रही है क्योंकि पैसों का एक बड़ा हिस्सा उनके खाते में भी गया था।

अभी के लिए श्रीनिवासन पुलिस रिमांड में हैं और आगे की पूछताछ में कई और खुलासे होने की उम्मीद है।

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Curd Eating Rule: रात में दही खाना पड़ सकता है भारी, हेल्थ एक्सपर्ट्स और आयुर्वेद दोन...

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Curd Eating Rule: दही भारतीय खानपान का अहम हिस्सा है, खासतौर पर गर्मियों में लोग इसे रोज़ाना खाते हैं। स्वाद के साथ-साथ इसमें मौजूद प्रोबायोटिक्स और पोषक तत्व इसे सेहत के लिए फायदेमंद बनाते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि रात को दही खाना नुकसानदायक हो सकता है? जी हां, आयुर्वेद और हेल्थ एक्सपर्ट्स दोनों का मानना है कि रात के समय दही का सेवन आपके शरीर में कई तरह की समस्याएं पैदा कर सकता है।

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पाचन तंत्र पर पड़ता है सीधा असर- Curd Eating Rule

रात में शरीर की पाचन क्रिया धीमी हो जाती है। ऐसे में अगर आप दही खाते हैं, तो यह पेट में सही से नहीं पचता। दही की तासीर ठंडी होती है, और इसका असर सीधे आपके पेट पर पड़ता है। इससे गैस, अपच, पेट फूलना और भारीपन जैसी समस्याएं हो सकती हैं। जो लोग पहले से ही पाचन से जुड़ी समस्याओं से परेशान हैं, उनके लिए ये आदत और भी ज्यादा नुकसानदायक हो सकती है।

ठंड, खांसी और गले की दिक्कतें

दही की तासीर ठंडी होने के चलते यह गले की समस्याओं को बढ़ा सकता है। रात को इसे खाने से खराश, सर्दी-खांसी, बलगम जमना और सांस लेने में परेशानी जैसी तकलीफें हो सकती हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक, दही सांस संबंधी बीमारियों जैसे साइनस और अस्थमा के लक्षणों को भी ट्रिगर कर सकता है।

जोड़ों के दर्द में इज़ाफा

जिन लोगों को गठिया या जॉइंट पेन की शिकायत होती है, उनके लिए भी रात का दही नुकसानदायक साबित हो सकता है। ठंडी तासीर वाली चीज़ें शरीर में सूजन और दर्द को बढ़ावा देती हैं। खासकर बुज़ुर्गों को रात में दही से पूरी तरह परहेज करने की सलाह दी जाती है।

गट हेल्थ पर नकारात्मक असर

हालांकि दही को प्रोबायोटिक माना जाता है, लेकिन रात में इसका सेवन गट हेल्थ (आंतों के स्वास्थ्य) पर विपरीत असर डाल सकता है। रात के समय शरीर की क्रियाशीलता कम हो जाती है, जिससे दही में मौजूद बैक्टीरिया पाचन में मदद करने की बजाय उसे बिगाड़ सकते हैं।

क्या है बेहतर विकल्प?

अगर आप दही खाना नहीं छोड़ सकते, तो इसे दोपहर के भोजन में शामिल करें। रात में इसकी जगह आप छाछ या हल्का गुनगुना दूध ले सकते हैं – लेकिन ये भी आपकी सेहत और मौसम पर निर्भर करता है। जिन लोगों को बार-बार सर्दी-जुकाम, गले की समस्या या सांस लेने में तकलीफ होती है, उन्हें रात के समय दही से दूरी बनाए रखनी चाहिए।

आदतें बदलें, सेहत बनाएं

दही एक हेल्दी फूड है, इसमें कोई शक नहीं। लेकिन किसी भी चीज़ को गलत समय पर खाना उसके फायदों को नुकसान में बदल सकता है। अगर आप भी रोज़ रात को दही खाते हैं, तो अब वक्त है इस आदत को सुधारने का। छोटी-छोटी बदलावों से ही बड़ी बीमारियों से बचाव मुमकिन है।

डिस्क्लेमर: इस खबर में दी गई जानकारी सामान्य स्वास्थ्य सलाह के आधार पर है। किसी भी तरह की दवा या डाइट बदलने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर सलाह लें।

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Agra News: आगरा में बिल्ली बनी चर्चा की वजह, नाइट ड्यूटी पर लगे होमगार्ड्स ने जताई ना...

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Agra News: आगरा में इन दिनों एक बिल्ली चर्चा का केंद्र बनी हुई है। मामला जितना अजीब लगता है, उतना ही हैरान करने वाला भी है। दरअसल, यहां पुलिस लाइन में तैनात चार होमगार्ड्स को रातभर एक बिल्ली की निगरानी में ड्यूटी दे दी गई। उन्हें बाकायदा यह हिदायत भी दी गई कि ये कोई मामूली बिल्ली नहीं है, बल्कि एसपी ट्रैफिक की है, इसलिए खास ख्याल रखा जाए कि उसे कोई जानवर नुकसान न पहुंचा दे।

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30 जुलाई की रात पुलिस लाइन में होमगार्ड पवन पाराशर, निजाम खान, सत्यपाल और पीआरडी जवान एदल सिंह को ड्यूटी पर तैनात किया गया था। उद्देश्य बताया गया था गाड़ियों की सुरक्षा, लेकिन मौके पर पहुंचने पर कॉन्स्टेबल योगेश कुमार ने बिल्ली की ओर इशारा करते हुए कहा, “यह साहब की बिल्ली है, इसकी हिफाजत करना तुम लोगों की ज़िम्मेदारी है। दूध-पानी देना, और अगर कोई दिक्कत हुई तो जवाबदेह भी तुम ही रहोगे।”

नाराज जवान, वायरल हुआ बिल्ली का किस्सा- Agra News

12 घंटे की शिफ्ट खत्म होने के बाद एक जवान का सब्र टूटा और उसने अपनी नाराजगी विभागीय वॉट्सऐप ग्रुप में जाहिर कर दी। उसने लिखा, “हमारी ड्यूटी अब बिल्लियों की सेवा के लिए लगाई जा रही है। अगर बिल्ली को कुछ हो गया तो हम पर कार्रवाई होगी। क्या हमें इसी काम के लिए भर्ती किया गया है?”

साथ ही बिल्ली की एक तस्वीर भी शेयर की गई, जो कुछ ही देर में सोशल मीडिया पर वायरल हो गई। पोस्ट पर कमेंट्स की बाढ़ आ गई और मीम्स की लाइन लग गई। कुछ यूज़र्स ने तो पुलिस को ‘कैट सिक्योरिटी फोर्स’ तक कह दिया।

पुलिस ने दी सफाई, बताया झूठा प्रचार

जब मामला तूल पकड़ने लगा और सवाल उठने लगे कि पुलिस बल को आखिर किस काम में लगाया जा रहा है, तो आगरा ट्रैफिक पुलिस को सामने आकर सफाई देनी पड़ी। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पहले ट्विटर) पर जारी बयान में कहा गया, “यह बिल्ली किसी अधिकारी की नहीं है, बल्कि लावारिस है। कांस्टेबल अनिल ने सिर्फ इतना कहा था कि कोई जानवर उसे नुकसान न पहुंचा दे, इसलिए कॉन्स्टेबल योगेश ने निगरानी की जिम्मेदारी दी थी। सोशल मीडिया पर फैल रही बातें पूरी तरह गलत हैं।”

अब भी बना है सवाल — क्या वर्दी सिर्फ जानवरों के लिए?

पुलिस की सफाई भले ही सामने आ गई हो, लेकिन सवाल अब भी कायम है कि क्या सरकारी ड्यूटी पर तैनात जवानों से इस तरह की सेवाएं कराना सही है? जहां पुलिस फोर्स पर अपराध रोकने और सुरक्षा जैसे बड़े कामों की जिम्मेदारी होती है, वहां इस तरह की ड्यूटी कहीं न कहीं उनकी भूमिका पर सवाल खड़े करती है।

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Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के सरकारी स्कूल में मिड-डे मील में गिरी लापरवाही की थाली...

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Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के बलौदाबाजार जिले से एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जहां एक सरकारी स्कूल में मिड-डे मील की सब्जी को आवारा कुत्ते ने दूषित कर दिया और फिर भी वह खाना बच्चों को परोस दिया गया। मामला उजागर होते ही गांव में हड़कंप मच गया और परिजनों ने हंगामा खड़ा कर दिया। प्रशासन ने इस घटना की जांच शुरू कर दी है और 78 बच्चों को एहतियातन एंटी-रेबीज वैक्सीन दी गई है।

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29 जुलाई को घटी घटना, मिडिल स्कूल लच्छनपुर बना केंद्र- Chhattisgarh News

यह मामला बलौदाबाजार जिले के पलारी ब्लॉक के अंतर्गत आने वाले शासकीय मिडिल स्कूल लच्छनपुर का है। 29 जुलाई को स्कूल में मिड-डे मील के लिए जो सब्जी तैयार की गई थी, उसे आवारा कुत्ते ने दूषित कर दिया। कुछ बच्चों ने यह बात तुरंत शिक्षकों को बताई, तो शिक्षकों ने खाना न परोसने की सलाह दी।

लेकिन मिड-डे मील तैयार करने वाले स्व-सहायता समूह ने इस चेतावनी को नजरअंदाज करते हुए वही दूषित भोजन बच्चों को परोस दिया।

84 बच्चों ने खाया खाना, परिजन और ग्रामीण पहुंचे स्कूल

करीब 84 बच्चों ने वह खाना खा लिया। जब बच्चों ने इस बारे में अपने घर जाकर बताया तो परिजन और गांव वाले गुस्से में स्कूल पहुंच गए। स्कूल प्रबंधन समिति के अध्यक्ष झलेन्द्र साहू समेत कई स्थानीय लोग मौके पर पहुंचे और पूरे मामले की जानकारी ली।

परिजनों ने बच्चों को तुरंत लच्छनपुर स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाया, जहां डॉक्टरों ने सावधानी बरतते हुए 78 बच्चों को एंटी-रेबीज वैक्सीन की पहली डोज दी।

डॉक्टर बोले- संक्रमण की पुष्टि नहीं, वैक्सीन सिर्फ एहतियातन

स्वास्थ्य केंद्र प्रभारी डॉ. वीणा वर्मा ने बताया कि किसी भी बच्चे में संक्रमण का कोई लक्षण नहीं मिला है, लेकिन परिजनों, ग्रामीणों और स्कूल प्रबंधन समिति की मांग पर यह कदम उठाया गया। उन्होंने यह भी कहा कि वैक्सीन की पहली डोज से कोई साइड इफेक्ट नहीं होता, इसलिए घबराने की जरूरत नहीं है।

प्रशासन हरकत में, जांच शुरू, स्व-सहायता समूह गायब

घटना के बाद एसडीएम दीपक निकुंज, ब्लॉक शिक्षा अधिकारी नरेश वर्मा और अन्य अफसरों ने स्कूल का दौरा किया। उन्होंने बच्चों, अभिभावकों, शिक्षकों और प्रबंधन समिति के बयान लिए।

हालांकि, जब जांच टीम पहुंची तो मिड-डे मील तैयार करने वाला स्व-सहायता समूह मौके से नदारद था। इससे मामला और संदिग्ध हो गया है।

विधायक ने सीएम को लिखा पत्र, उच्चस्तरीय जांच की मांग

इस घटना को लेकर क्षेत्रीय विधायक संदीप साहू ने मुख्यमंत्री विष्णु देव साय को पत्र लिखकर नाराज़गी जताई है। उन्होंने पूछा कि बच्चों को एंटी-रेबीज वैक्सीन देने का आदेश किस स्तर से दिया गया और इसके पीछे क्या वैज्ञानिक आधार था। साथ ही विधायक ने उच्चस्तरीय जांच और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।

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UP Crime News: देवरिया में नरबलि का दिल दहला देने वाला खुलासा: सगे फूफा ने तंत्र-मंत्...

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UP Crime News: उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले से एक ऐसा सनसनीखेज मामला सामने आया है जिसने इंसानियत को झकझोर कर रख दिया है। यहां तंत्र-मंत्र के अंधविश्वास में फंसे एक पुलिस सिपाही ने अपने ही साले के 9 साल के बेटे की बलि दे दी। हत्या को अंजाम देने में उसके तीन और रिश्तेदार शामिल थे। पुलिस ने चारों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है और इनकी निशानदेही पर हत्या में इस्तेमाल हथियार, गाड़ी, बाइक और फावड़ा बरामद कर लिया है।

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मासूम आरुष को ले गई तंत्र की हवस- UP Crime News

यह पूरी वारदात भलुअनी थाना क्षेत्र के ग्राम पटखौली की है। गांव के रहने वाले योगेश कुमार गौड़ नाइजीरिया में नौकरी करते हैं। घर पर उनकी पत्नी और 9 साल का बेटा आरुष रहते थे। 16 अप्रैल की शाम आरुष घर से बाहर खेलने निकला, लेकिन वापस नहीं लौटा। 17 अप्रैल को आरुष के चाचा सोमनाथ गौड़ ने थाने में उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई।

पुलिस ने मामला गंभीर समझते हुए एसपी विक्रांत वीर के निर्देश पर सीओ अंशुमन श्रीवास्तव के नेतृत्व में कई टीमें बनाई गईं। शुरुआती जांच में कोई ठोस सुराग नहीं मिला, लेकिन धीरे-धीरे शक की सुई घर के ही लोगों पर टिकने लगी।

तंत्र-मंत्र में फंसा फूफा, मामा ने दी नरबलि की सलाह

पुलिस जांच में सामने आया कि आरुष का सगा फूफा इंद्रजीत गौड़, जो यूपी पुलिस में सिपाही है, तंत्र-मंत्र में गहराई से लिप्त था। शादी के बाद जब वह ससुराल आया तो झाड़फूंक में उलझ गया। ससुराल के लोग भी उसकी हरकतों से परेशान थे। इस बीच वह अपने मामा जय प्रकाश के पास गया, जिसने उसे नरबलि देने की सलाह दे डाली।

इंद्रजीत ने अपने साढ़ू शंकर गौड़ से संपर्क किया और 50 हजार रुपये में किसी बच्चे की “व्यवस्था” करने को कहा। शंकर, जो खुद आरुष का मझला फूफा है, ने उसी मासूम को अगवा कर लिया जिसे वह भतीजे की तरह जानता था।

जंगल में हुई बलि, फिर लाश को नदी में फेंका

19 अप्रैल की रात इंद्रजीत, उसका मामा जय प्रकाश और मौसी का बेटा भीम, ग्राम पिपरा के एक बगीचे में पहुंचे। वहां आरुष के हाथ-पैर पकड़े गए और इंद्रजीत ने उसका गला रेतकर हत्या कर दी। हत्या के बाद शव को जमीन में दबा दिया गया।

20 अप्रैल को भीम, जो मैजिक वाहन चलाता है, ने गाड़ी लेकर शव निकाला और पॉलीबैग में लपेटकर उसे बरहज नदी के बीचों-बीच फेंक दिया।

हत्या के बाद आरोपी बना ‘खोजकर्ता’

हैरानी की बात यह है कि आरुष की हत्या करने के बाद इंद्रजीत ससुराल लौट आया और मासूम की तलाश करने का ढोंग रचने लगा। लेकिन पुलिस को उस पर शक हो चुका था। जब उसके मामा जय प्रकाश को हिरासत में लिया गया तो वह टूट गया और सारा राज़ खोल दिया।

पुलिस ने इसके बाद एक-एक कर बाकी तीनों आरोपियों को गिरफ्तार किया और उनकी निशानदेही पर हत्या में इस्तेमाल चाकू, फावड़ा, मैजिक वाहन और दो बाइक बरामद की।

चार रिश्तेदारों ने रची खौफनाक साजिश

इस हत्याकांड में आरोपी सभी लोग आपस में रिश्तेदार हैं:

  • इंद्रजीत गौड़ – आरुष का सगा फूफा, यूपी पुलिस में सिपाही, देवरिया का रहने वाला
  • शंकर गौड़ उर्फ रमाशंकर – आरुष का मझला फूफा, गोरखपुर निवासी
  • जय प्रकाश गौड़ – इंद्रजीत का मामा, डुमरी मदनपुर, देवरिया
  • भीम गौड़ – मौसी का बेटा, परसिया मिसकारी, देवरिया

एसपी विक्रांत वीर ने बताया कि सभी आरोपियों ने अपना जुर्म कबूल कर लिया है। यह मामला केवल अपराध नहीं, बल्कि रिश्तों और भरोसे को तार-तार करने वाली घटना बन चुकी है। पुलिस ने चारों को न्यायिक हिरासत में भेज दिया है और केस की गहन जांच जारी है।

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Prajwal Revanna Sex Scandal Case: वीडियो वायरल से उम्रकैद तक: कब-कैसे उजागर हुआ प्रज्...

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Prajwal Revanna Sex Scandal Case: एक वायरल वीडियो, सत्ता के गलियारों में मची हलचल और फिर कानून का सीधा प्रहार—कर्नाटक की राजनीति में पिछले एक साल में जो हुआ, वो किसी सस्पेंस थ्रिलर से कम नहीं था। पूर्व सांसद और जेडीएस नेता प्रज्वल रेवन्ना अब बलात्कार के मामले में दोषी साबित हो चुके हैं। स्पेशल एनआईए कोर्ट ने उन्हें दोहरी उम्रकैद की सजा सुनाई है, साथ ही 11 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है, जो पीड़िता को मुआवजे के रूप में मिलेगा।

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अश्लील वीडियो वायरल होते ही मचा था बवाल- Prajwal Revanna Sex Scandal Case

पूरा मामला अप्रैल 2024 में उस वक्त सामने आया जब सोशल मीडिया पर एक अश्लील वीडियो वायरल हुआ, जिसमें रेवन्ना को एक महिला के साथ आपत्तिजनक स्थिति में देखा गया। बाद में पता चला कि पीड़िता उनके घर काम करने वाली घरेलू सहायिका थी। उसने पुलिस को बताया कि उसके साथ दो अलग-अलग स्थानों पर — एक बार फार्महाउस और दूसरी बार बेंगलुरु स्थित बसवनगुडी घर में — जबरन संबंध बनाए गए।

SIT की जांच और कोर्ट की कार्यवाही

वीडियो के सामने आने के बाद मामला गंभीर होता गया और कर्नाटक सरकार ने विशेष जांच दल (SIT) का गठन कर जांच शुरू कराई। SIT ने आरोपी के खिलाफ IPC की कई धाराओं के तहत मामला दर्ज किया और जांच के बाद करीब कोर्ट में दाखिल की गई।

फॉरेंसिक जांच में भी यह स्पष्ट हो गया कि पीड़िता की साड़ी पर रेवन्ना का डीएनए मौजूद था, जिससे मामला और मजबूत हो गया।

जानिए कैसे आगे बढ़ा केस – मुख्य घटनाक्रम

  • 20 अप्रैल, 2024: प्रज्वल के चुनाव एजेंट ने विपक्षी दलों पर बदनाम करने की साजिश का आरोप लगाते हुए FIR दर्ज कराई।
  • 26 अप्रैल: वोटिंग के अगले ही दिन रेवन्ना कूटनीतिक पासपोर्ट के जरिए विदेश चले गए।
  • 28 अप्रैल: पीड़िता ने आधिकारिक तौर पर बलात्कार और धमकी की शिकायत दर्ज कराई।
  • 29 अप्रैल: पीड़िता संदिग्ध परिस्थितियों में लापता हो गई, बाद में पुलिस ने उसे सुरक्षित बरामद किया।
  • 30 अप्रैल: जेडीएस ने रेवन्ना को पार्टी से निलंबित कर दिया।
  • 31 मई: रेवन्ना की गिरफ्तारी एयरपोर्ट से हुई, जैसे ही वो विदेश से लौटे।

अदालत में चली लंबी सुनवाई

इस केस की सुनवाई 2 मई, 2025 को शुरू हुई। कई बार जमानत अर्जी लगाई गई लेकिन हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट दोनों ने ही उन्हें राहत देने से इनकार कर दिया।

  • 2 नवंबर, 2024: फॉरेंसिक रिपोर्ट में डीएनए मैच की पुष्टि हुई।
  • 1 अगस्त, 2025: अदालत ने उन्हें दोषी ठहराया।
  • 2 अगस्त, 2025: कोर्ट ने सजा का ऐलान किया — दोहरी उम्रकैद और 11 लाख का जुर्माना।

क्या बोले प्रशासनिक और राजनीतिक हलके?

अदालत के इस फैसले को कानूनी प्रक्रिया की जीत माना जा रहा है। साथ ही यह केस भी एक मिसाल बन गया है कि राजनीतिक रसूख और सत्ता की ताकत के बावजूद कोई आरोपी कानून से बच नहीं सकता।

वहीं जेडीएस पार्टी ने पहले ही प्रज्वल को निलंबित कर लिया था, और अब पार्टी की छवि को बचाने के लिए वो उनसे सार्वजनिक तौर पर दूरी बना रही है।

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Rahul Gandhi Controversy: बयान दर बयान विवादों में राहुल गांधी: जेटली से ट्रंप तक, ना...

Rahul Gandhi Controversy: राहुल गांधी इस वक्त चर्चा में हैं, लेकिन उस वजह से नहीं, जिससे कोई नेता चर्चित होना चाहे। बीते कुछ दिनों में उन्होंने कई तीखे बयान दिए हैं, जिनमें चुनाव आयोग से लेकर अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और दिवंगत नेता अरुण जेटली तक का ज़िक्र शामिल है। लेकिन हर बार उनका वार उल्टा पड़ता दिखा है। सवाल अब ये है कि क्या राहुल की रणनीति गड़बड़ा गई है या उन्हें सलाह देने वाला कोई नहीं बचा?

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जेटली को लेकर बयान, जो आंकड़ों से मेल ही नहीं खा रहा- Rahul Gandhi Controversy

राहुल गांधी का ताज़ा विवाद उस वक्त शुरू हुआ जब उन्होंने दावा किया कि दिवंगत अरुण जेटली ने उन्हें कृषि कानूनों पर धमकाया था। लेकिन यहां बड़ी चूक हो गई, क्योंकि जेटली का निधन अगस्त 2019 में हुआ था, जबकि कृषि कानून तो 2020 में लाए गए। अब ये सवाल उठ रहे हैं कि क्या राहुल को तारीखें याद नहीं रहीं?

वहीं, बीजेपी और जेटली के परिवार ने इस पर सख्त आपत्ति जताई। बीजेपी ने इसे “शर्मनाक” करार दिया कि राहुल उन लोगों पर आरोप लगा रहे हैं जो अब इस दुनिया में नहीं हैं। याद रहे, 2019 में भी राहुल ने मनोहर पर्रिकर के साथ राफेल डील पर बातचीत का दावा किया था, जिसे पर्रिकर ने खुद खारिज कर दिया था।

ट्रंप से शुरू हुई बात, कांग्रेस के अंदर ही बवाल

राहुल गांधी ने संसद में कहा कि भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ अमेरिका के दबाव में रोका और ट्रंप को झूठा करार देने की मांग की। उन्होंने ट्रंप के उस बयान का समर्थन किया जिसमें भारत को ‘डेड इकॉनमी’ बताया गया था। इसके बाद मामला और उलझ गया।

कांग्रेस के ही नेता शशि थरूर और राजीव शुक्ला ने राहुल की इस सोच से खुलकर असहमति जताई। यानी राहुल के बयान अब पार्टी के भीतर भी असहजता पैदा कर रहे हैं।

चुनाव आयोग पर भी गंभीर आरोप, लेकिन पीछे हटे

राहुल गांधी ने चुनाव आयोग पर पक्षपात के आरोप लगाए, खासतौर पर महाराष्ट्र और हरियाणा चुनावों को लेकर। लेकिन जब आयोग ने बातचीत के लिए बुलाया, तो वे मिलने नहीं पहुंचे। बीजेपी ने इसे “गंभीर आरोप और गैर-जिम्मेदार व्यवहार” बताया। वे यह भी याद दिलाते हैं कि कर्नाटक और हिमाचल में कांग्रेस को जीत उसी आयोग ने दिलाई, जिसे राहुल पक्षपाती बता रहे हैं।

पार्टी के अंदर से भी मिल रहा है विरोध

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में हार के बाद कांग्रेस नेता आशीष दुआ ने साफ कहा कि हार की वजह चुनाव आयोग नहीं, बल्कि कांग्रेस की कमजोर रणनीति थी। यानी राहुल के आरोपों पर उनकी ही पार्टी भरोसा नहीं दिखा रही।

‘बोलो और निकल लो’ वाली राजनीति अब भारी पड़ रही है

राहुल गांधी की राजनीति अब ‘शूट एंड स्कूट’ यानी बयान दो और आगे बढ़ जाओ, जैसी हो गई है। लेकिन अब यही स्टाइल उनके खिलाफ जाने लगा है। बीजेपी हर बयान को पकड़कर उन्हें घेर रही है, और जनता अब सतर्क हो चुकी है।

2024 के चुनाव में राहुल गांधी का ‘संविधान खतरे में है’ कैंपेन जरूर चला, लेकिन उसके बाद वे एक के बाद एक बयान विवाद में फंसे हैं। जो छवि उन्होंने ईमानदार और निडर नेता की बनाई थी, वह अब गलत दावों और बिना फैक्ट चेक किए गए बयानों से कमजोर पड़ रही है।

क्या अब राहुल सोचेंगे दोबारा?

अब बड़ा सवाल यही है कि क्या राहुल गांधी अपनी रणनीति पर फिर से सोचेंगे? या फिर ऐसे ही बयान देते रहेंगे, जिनका फायदा विरोधी उठाते रहेंगे?

राजनीति में विरोध जरूरी है, लेकिन तथ्यों के साथ। वरना होता वही है जो इस हफ्ते हुआ – बहुत शोर, पर भरोसे की कमी।

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GATR Missile System: 10 KM रेंज, 200 MM कंक्रीट को चीर दे! जानें इजरायल को क्यों भाया...

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GATR Missile System: भारत की डिफेंस इंडस्ट्री को एक और बड़ी कामयाबी मिली है। पुणे की प्रमुख डिफेंस टेक्नोलॉजी कंपनी NIBE Limited ने इजरायल की नामी डिफेंस कंपनी Elbit Systems के साथ एक अहम सौदा किया है। इस सौदे के तहत NIBE, इजरायल को 70 मिमी क्लास की GATR (Guided Advanced Tactical Rocket) सप्लाई करेगी। इस समझौते की आधिकारिक घोषणा शनिवार को की गई, जिसकी कुल कीमत 6.12 करोड़ रुपये है। पूरा प्रोजेक्ट सितंबर 2026 तक पूरा किया जाएगा।

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यह सौदा सिर्फ एक व्यापारिक लेन-देन नहीं है, बल्कि यह भारत की ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ जैसी पहल को मजबूती देने वाला कदम भी है।

GATR: जबरदस्त सटीकता वाला सस्ता और असरदार रॉकेट- GATR Missile System

अब ये सवाल उठना लाजमी है कि आखिर ये GATR मिसाइल है क्या, और इसमें ऐसा क्या खास है जो इजरायल जैसी उन्नत डिफेंस टेक्नोलॉजी वाला देश इसे भारत से खरीदना चाहता है? दरअसल, GATR एक किफायती लेकिन बेहद सटीक रॉकेट है, जिसे खासतौर पर मध्यम दूरी के हवाई अभियानों के लिए तैयार किया गया है। इसकी रेंज 10 किलोमीटर तक की है और यह 100 किमी/घंटा की रफ्तार से चल रहे टारगेट को भी सटीकता से निशाना बना सकता है।

इसमें लगे सेमी-एक्टिव लेजर गाइडेंस सिस्टम की वजह से इसकी सटीकता बेमिसाल है। इतना ही नहीं, यह 16 किलोग्राम का वारहेड ले जा सकता है जो 200 मिमी तक की मजबूत कंक्रीट को भेद सकता है। इसका इस्तेमाल AH-64 अपाचे और भारत के HAL रुद्र जैसे हमलावर हेलीकॉप्टरों के साथ किया जा सकता है, जो इसे बेहद लचीला और बहु-उपयोगी हथियार बनाता है।

इजरायल को क्यों चाहिए भारत से बना GATR?

इजरायल के लिए GATR इसलिए अहम है क्योंकि यह देश लगातार गाजा और लेबनान जैसे इलाकों में हमास और हिजबुल्लाह जैसे संगठनों से लड़ रहा है। ये संगठन अक्सर सस्ते लेकिन घातक मिसाइलों से सैचुरेशन अटैक करते हैं, जिनसे निपटना एक बड़ी चुनौती होता है।

GATR की कम कीमत, सटीक गाइडेंस और शहरी इलाकों में कारगर होने की वजह से इजरायल इसे अपनी डिफेंस स्ट्रैटजी में शामिल करना चाहता है। खास बात यह है कि यह भारत में बना रॉकेट, इजरायल की जरूरतों के मुताबिक बिलकुल फिट बैठता है।

NIBE की कामयाबी, भारत के लिए गर्व की बात

NIBE Limited, जो पुणे में स्थित है, पिछले कुछ वर्षों से डिफेंस टेक्नोलॉजी में लगातार इनोवेशन और स्वदेशी निर्माण पर फोकस कर रही है। अब Elbit Systems जैसी बड़ी कंपनी के साथ साझेदारी से यह साफ हो गया है कि भारत अब सिर्फ रक्षा उपकरणों का उपभोक्ता नहीं, बल्कि विश्वसनीय आपूर्तिकर्ता भी बन चुका है।

NIBE इस करार के तहत GATR के जरूरी पुर्जों का निर्माण और उनकी आपूर्ति करेगा। इससे ना सिर्फ भारत की रक्षा ताकत बढ़ेगी, बल्कि भविष्य में भारत को और भी अंतरराष्ट्रीय डिफेंस प्रोजेक्ट्स मिल सकते हैं।

भारत की बढ़ती डिफेंस ताकत और निर्यात क्षमता

इस सौदे के जरिए एक और बात साबित होती है—भारत की डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग और एक्सपोर्ट क्षमता तेजी से बढ़ रही है। इससे पुणे जैसे शहरों में रोजगार के नए मौके पैदा होंगे और तकनीकी उन्नति को बढ़ावा मिलेगा।

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Formar JDS MP Prajwal Revanna case: पूर्व सांसद प्रज्वल रेवन्ना को रेप केस में उम्रकै...

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Formar JDS MP Prajwal Revanna case: 2 अगस्त को कर्नाटक हाईकोर्ट में एक ऐतिहासिक फैसला हुआ। बैंगलुरु के हासन से सांसद रहे प्रज्वल रेवन्ना को कर्नाटक हाईकोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई। साथ ही 11 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया है। प्रज्वल रेवन्ना पर एक नहीं, दो नहीं बल्कि तीन तीन महिलाओं ने बलात्कार करने का आरोप लगाया है। कोर्ट के फैसले के वक्त प्रज्वल रेवन्ना फूट फूट कर रो रहा था, वो लगातार दया की भीख मांग रहा था लेकिन कोर्ट ने अपना फैसला कड़े शब्दों में सुना दिया। अब सवाल यह है कि आखिर कौन है प्रज्वल रेवन्ना और क्यों दी गई उसे सजा। इसके लिए आपको आज से करीब 15 महीने पीछे अप्रैल 2024 में जाना होगा।

क्या है प्रज्वल रेवन्ना के गुनाहों की कहानी

गुनाहों के भंडाफोड़ का खेल शुरू हुआ 21 अप्रैल 2024 को, जब कर्नाटक के हासन इलाके में संसद प्रज्वल रेवन्ना के ऑफ़िस के बाहर कुछ लोगों को एक पैन ड्राइव मिली। लोगों को इस ड्राइव के अंदर मौजूद क्या है देखने की इच्छा हुई और इसे खंगाला शुरू किया गया। लेकिन जो इस ड्राइव में मिला उसने सबके पैसे तले से जमीन सरका दी थी। इसमें अलग अलग 250 अश्लील वीडियो थे। जिसमें से कुछ वीडियो हासन में लोगों के भगवान स्वरूप माने जाने वाले सांसद प्रज्वल रेवन्ना के भी थे। वीडियो के आते ही ये वायरल हो गया। सबके लिए ये बेहद ही शॉकिंग था, लेकिन 23 अप्रैल की शाम को एक महिला ने हासन पुलिस थाने में एफआईआर दर्ज कराई, जो की प्रज्वल रेवन्ना के खिलाफ की गई थी। महिला ने बताया कि वो हासन संसद के यहां घरेलू सहायिका के तौर पर काम करती थी, लेकिन काम के दौरान उन्होंने अपनी नौकरानी का एक नहीं बल्कि दो दो बार बलात्कार किया था।

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इन वायरल वीडियो में नौकरानी का भी वीडियो मौजूद था। नौकरानी ने खुलासा किया कि प्रज्वल रेवन्ना को अश्लील वीडियो बनाने का शौक है। सबूत के तौर महिला ने वीडियो और वो साड़ी दिखाई जो उसने रेप के वक्त पहनी थी। उस साड़ी पर प्रज्वल के सीमन मौजूद थे। फिर क्या था, पुलिस के भी कान खड़े हो गए। लेकिन अपने पॉलिटिकल पावर के कारण गिरफ्तारी वारंट से पहले ही 27 अप्रैल को प्रज्वल बंगलूरू से जर्मनी भाग गया। लेकिन अब प्रज्वल के गुनाहों का कच्चा चिट्ठा खुलने लगा था। सीएम सिद्धारमैया ने एक एसआईटी टीम का गठन करके  इस मामले की जांच करने के आदेश दिए थे, जिसके बाद प्रज्वल और उसके पिता दोनों को आरोपी बनाया गया था। 29 अप्रैल को पीड़िता ने अपना बयान धारा 164 के तहत कोर्ट के सामने दिया और 30 अप्रैल को प्रज्वल को 24 घंटे के अंदर कोर्ट में पेश होने के आदेश दिया गया।

कई बड़े खुलासे हुए

लेकिन अभी तो और खुलासे होने बाकी थे। 1 मई को फिर से एक कैसे दर्ज किया गया और 7 मई को जेडीएस की महिला कार्यकर्ता ने भी प्रज्वल रेवन्ना पर बलात्कार करने के संगीन आरोप में मामला दर्ज कराया। 18 मई को उसकी गिरफ्तारी का वारंट जारी हुआ। 24 मई को प्रज्वल का डिप्लोमेटिक पासपोर्ट खारिज कर दिया। जिसके बाद 27 मई को प्रज्वल ने जर्मनी से वीडियो जारी करके खुद को बेकसूर बताया था। जिसके बाद 31 मई को वो वापिस बैंगलुरु लौटा और पहले से तैयार एसआईटी की टीम ने उसे धर दबोचा। जब उसके गुनाहों का पर्दाफाश हो रहा था तो एक 60 साल की महिला भी जून महीने में सामने आई जिसने उसपर बलात्कार का आरोप लगाया।

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मुकदमा शुरू होने में लगे 6 महीने

एसआईटी ने इस मामले में 2000 पन्नो की चार्जशीट तैयार की थी। उनके पास 123 सबूत है और 23 गवाहों की गंवाही भी दर्ज की गई, जिसे कोर्ट में दायर किया गया और 31 दिसंबर 2024 को कोर्ट में इस मामले  लेकर को सुनवाई शुरू हुई। इस बीच प्रज्वल ने जमानत के लिए भी याचिका दायर की थी, लेकिन कर्नाटक हाईकोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया था। जिसके बाद करीब 7 महीने तक मामले की सुनवाई चली और 1 अगस्त को सुनवाई पूरी हुई और 2 अगस्त को प्रज्वल को कर्नाटक हाईकोर्ट के विशेष न्यायाधीश संतोष गजानन भट्ट ने 2 मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई है। उसे 8 मामलों में सजा और जुर्माना लगाया गया है।

आपको बता दें कि प्रज्वल रेवन्ना भारत के पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवगौड़ा के पोते है, और हासन से सांसद थे। कोर्ट का फैसला बताता है कि भले ही राजनीति पावर देती हो, लेकिन आज भी कानून की ताकत राजनीतिक पावर से ज्यादा है। न्याय भले ही देर से मिले लेकिन मिलता जरूर है।।

Delhi Police Inspector Bribe Scandal: 30 लाख की रिश्वत के साथ दिल्ली पुलिस का गुर्गा ...

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Delhi Police Inspector Bribe Scandal: 27 अप्रैल 2025 को विपिन नाम के एक शख्स ने दिल्ली की डिविजनल इंटेलीजेंस यूनिट में तैनात इंस्पेक्टर सुनील जैन के खिलाफ एक एफआईआर दर्ज कराई थी। विपिन ने एफआईआर में कहा था कि विपिन के एक रिश्तेदार प्रवीन लाकड़ा, जो कि पेशे से प्रॉपर्टी डीलर है और दिल्ली के नरेला में रहते है। उन्हें बीते 1 साल से परेशान किया जा रहा है। इतना ही नहीं उन पर एक नहीं बल्कि दो दो फर्जी मुकादमा दर्ज करके उन्हें लगातार इन मुकदमों को खारिज करने के लिए करोड़ो रूपय की रिश्वत की मांग की जा रही है।

कैसे हुआ पर्दाफाश

दिल्ली पुलिस के इस मामले में शामिल होने के कारण एंटी करप्शन ब्यूरो के भी कान खड़े हो गए। लगातार नजर बनाए रखने के बाद एसीबी रोहतक की टीम ने सोनीपत के ज्ञान गंगा स्कूल पर छापेमारी की और उसी स्कूल में क्लर्क के रूप में काम कर रहे संदीप शर्मा नाम के शख्स को 30 लाख रूपय रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया। संदीप शर्मा सुनील जैन का रिश्तेदार है। गौरतरब है कि इंस्पेक्टर सुनील जैन जिसके नाम पर रिश्वत ली जा रही थी, और छापेमारी की जगह ज्ञान गंगा स्कूल के मालिक सुधीर जैन का भाई है। इसलिए इस जगह पर रिश्वत लेना ज्यादा आसान था।

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क्यों मांगी जा रही थी रिश्वत

शिकायतकर्ता विपिन ने बताया कि उसके रिश्तेदार प्रवीन लाकड़ा पर दिल्ली के अलीपुर थाना में 2024 में नरेला के ही प्रवीन गुप्ता ने केस दर्ज किया था कि प्रवीन लाकड़ा ने उससे जबरन रुपये मांगे तो वहीं 2025 में मामला दर्ज किया मारपीट का। इस मामले में 5 लोगो पर मामला दर्ज किया गया था जिसमें केवल प्रवीण लाकड़ा ही एंटीसिपेट्री बेल पर फिलहाल बाहर है। इन दोनों मामलों की जांच की जिम्मेदारी अलीपुर थाना से दिल्ली की डिविजनल इंटेलीजेंस यूनिट में तैनात इंस्पेक्टर सुनील जैन के पास थी। शिकायतकर्ता ने कहा कि उसने सुनील जैन से मामले को निरस्त करने की अपील की थी, लेकिन उन्होंने उसके बदले 1 करोड़ रूपय की रिश्वत की मांग की थी, लेकिन दोनों के बीत 70 लाख रूपय की रिश्वत में बात बनी। जिसकी पहली किश्त 30 लाख रूपय के लिए सोनीपत में मौजूद अपने भाई का स्कूल चुना..और स्कूल के क्लर्क पर रिश्वत के पैसे लेने की जिम्मेदारी थी। लेकिन घात लगा कर बैठे एंटी करप्शन ब्यूरो ने वहां मौके पर छापेमारी की और सुनील जैन की इस भ्रष्टाचार के खेल का पर्दाफाश हो गया।

गिरफ्तार हुए सुनील जैन

इस गिरफ्तारी के बाद एंटी करप्शन ब्यूरो की एक और टीम तुरंत दिल्ली पहुंची और इंस्पेक्टर सुनील जैन को गिरफ्तार कर लिया। प्रवीण लाकड़ा के वकील के मुताबिक प्रवीण लाकड़ा को जानबूझ कर फंसाया गया जिसके बाद इस मामले से उनके नाम को साफ करने के लिए उनसे सवा करोड़ रुपए की रिश्वत की मांग की गई। इस मामले में कई और पुलिस अधिकारियो के शामिल होने की बात कहीं जा रही है जिसमें रविंद्र यादव, डीसीपी नॉर्थ वेस्ट बिशम सिंह भी रिश्वतखोरी के इस खेल में शामिल है। दरअसल रविंद्र यादव ने ही सुनील जैन से ये मैसेज भिजवाया था कि मामले को रफा दफा करने के लिए सवा करोड़ की रिश्वत देनी होगी। लेकिन प्रवीण लाकड़ा बेगुनाह होते हुए इतने पैसे नहीं देना चाहते थे, पीड़ित के वकील के मुताबिक पिछले तीन महीनों से वो लगातार इस मामले में कोर्ट के चक्कर लगा रहे है,,, तो वहीं आरोपी पुलिस वालों की तरफ से उन्हें लगातार रिश्वत देने के लिए प्रताड़ित किया जा रहा था।

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फोन से होगा और गुनाहों का पर्दाफाश

वकील ने बताया कि आरोपो को सिद्ध करने के लिए अगर सुनील जैन के फोन को खंगाला जाये…तो केवल प्रवीण लाकड़ा के साथ ही नहीं बल्कि उससे पहले भी कई भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी के मामले सामने आयेंगे..आपको बताते चले कि सुनील जैन पर पहले भी इस तरह के आरोप लगे है, जब 2014 में दिल्ली के एसीबी ने एक भ्रष्टाचार-विरोधी केस दर्ज किया था जिसमें narcotics case को बंद करने के मामले में रिश्वत मांगने का आरोप लगा था। जिसमें ये केस बाद में सबूतो के अभाव में खारिज कर दिया गया था। जिसके ध्यान में रख कर एंटी करप्शन ब्यूरो ने इस बार उन्हें रंगे हाथों पकड़ने का फैसला किया। फिलहाल सुनील जैन एसीबी की गिरफ्त में है..लेकिन जल्द ही और भी कई बड़े नामों से पर्दा उठ सकता है।