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SC News: 37 साल बाद मिला इंसाफ, 50 रुपये की रिश्वत के झूठे आरोप में फंसे TTE को सुप्र...

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SC News: न्याय में देरी भले हो जाए, लेकिन सच की जीत जरूर होती है सुप्रीम कोर्ट का हालिया फैसला इस बात का जीता-जागता उदाहरण है। देश की सर्वोच्च अदालत ने तीन दशक पुराने उस मामले में न्याय दिया है, जिसमें एक रेलवे टिकट परीक्षक (TTE) पर मात्र 50 रुपये की रिश्वत लेने का आरोप लगाया गया था। अदालत ने कहा कि दिवंगत अधिकारी वी.एम. सौदागर निर्दोष थे, और उनके परिवार को तीन महीने के भीतर पेंशन और अन्य सभी सेवा लाभ दिए जाएं।

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1988 में लगा था रिश्वत का आरोप- SC News

मामला मई 1988 का है, जब वी.एम. सौदागर दादर–नागपुर एक्सप्रेस में बतौर टिकट परीक्षक (TTE) ड्यूटी पर थे। रेलवे की सतर्कता टीम ने आरोप लगाया कि उन्होंने तीन यात्रियों से सीट आवंटन के लिए 50 रुपये की रिश्वत मांगी। इस आरोप के बाद विभागीय जांच शुरू हुई, और 1996 में सौदागर को नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया।
यह वह क्षण था, जिसने एक ईमानदार अधिकारी की पूरी जिंदगी बदल दी।

CAT से हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट तक लंबा संघर्ष

अपनी बर्खास्तगी के बाद सौदागर ने मामला केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (CAT) में चुनौती दी। 2002 में ट्रिब्यूनल ने उनके पक्ष में फैसला देते हुए कहा कि रिश्वत के आरोप साबित करने के लिए कोई ठोस सबूत नहीं हैं और सौदागर की सेवा बहाल की जानी चाहिए।
लेकिन रेलवे विभाग ने यह आदेश मानने के बजाय बॉम्बे हाईकोर्ट में अपील दायर कर दी। यह मुकदमा कई वर्षों तक वहीं लंबित रहा और इसी बीच वी.एम. सौदागर का निधन हो गया। इसके बावजूद उनके परिवार ने हार नहीं मानी और सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

सुप्रीम कोर्ट का सख्त रुख: बिना सबूत के सजा नहीं

सुप्रीम कोर्ट की दो सदस्यीय पीठ ने पूरे रिकॉर्ड की बारीकी से जांच की और पाया कि विभागीय जांच अधूरी और त्रुटिपूर्ण थी।
अदालत ने कहा कि यात्रियों के बयान पर भरोसा नहीं किया जा सकता, क्योंकि उनमें से एक यात्री की गवाही ली ही नहीं गई थी, और बाकी दो ने भी रिश्वत देने की बात से इनकार किया था।
न्यायालय ने यह भी कहा कि सौदागर द्वारा यात्रियों से यह कहना कि “वह बाकी कोचों की जांच के बाद उनकी राशि लौटा देंगे”, रेलवे की सामान्य प्रक्रिया का हिस्सा है, रिश्वत नहीं।

‘संदेह पर नहीं दी जा सकती सजा’

अदालत ने अपने फैसले में कहा कि “जब किसी कर्मचारी के खिलाफ ठोस और विश्वसनीय सबूत न हों, तो केवल संदेह के आधार पर की गई कार्रवाई न्याय नहीं बल्कि अन्याय है।”
सुप्रीम कोर्ट ने सौदागर की बर्खास्तगी को अनुचित और अवैधानिक बताते हुए उसे रद्द कर दिया।

परिवार को मिलेगा पूरा हक

फैसले के तहत कोर्ट ने आदेश दिया कि सौदागर के परिवार को तीन महीने के भीतर सभी लंबित पेंशन, ग्रेच्युटी और सेवा लाभ दिए जाएं।
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को न सिर्फ न्याय की जीत बल्कि उन सभी कर्मचारियों के लिए उम्मीद की किरण माना जा रहा है, जो झूठे आरोपों में सालों तक न्याय की प्रतीक्षा करते हैं।

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Baghpat News: बागपत के सिसाना गांव में मिली महाभारत कालीन मानव बस्ती, एएसआई ने शुरू क...

Baghpat News: उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के सिसाना गांव में इतिहास के पन्नों को झकझोर देने वाली खोज सामने आई है। खंडवारी वन क्षेत्र में हाल ही में खुदाई के दौरान चार से पांच हजार साल पुराने अवशेष और कलाकृतियां मिली हैं। इस खोज ने इतिहासकारों और पुरातत्वविदों में उत्साह की लहर दौड़ा दी है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की मेरठ टीम के चार सदस्य साइट पर पहुंच चुके हैं और आगे की जांच करने की तैयारी में हैं।

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यमुना किनारे प्राचीन टीले से मिली कलाकृतियां- Baghpat News

जानकारी के मुताबिक, यमुना नदी के किनारे स्थित प्राचीन टीले की खुदाई के दौरान कई ईंटों से बने ढांचे और आकृतियां मिली हैं। इन अवशेषों में बर्तन, चूल्हे और निर्माण ढांचे शामिल हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि खुदाई की प्रक्रिया देखकर गांव में उत्साह और जिज्ञासा की लहर दौड़ गई है।

महाभारत कालीन बस्ती होने के संकेत

शहजाद राय शोध संस्थान के निदेशक और इतिहासकार डॉ. अमित राय जैन ने बताया कि यह स्थल महाभारत कालीन मानव बस्ती का हिस्सा हो सकता है। उन्होंने कहा कि खुदाई में निकले अवशेष “Painted Grey Ware Culture” से संबंधित हैं, जो उस समय की सभ्यता का प्रतीक हैं। डॉ. जैन ने स्पष्ट किया कि यह कोई मंदिर नहीं है, बल्कि उस समय की मानव बस्ती का प्राचीन स्थापत्य नमूना है।

ASI को भेजी रिपोर्ट, मिली अनुमति की प्रतीक्षा

डॉ. अमित राय जैन ने कहा कि अवशेषों की रिपोर्ट भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को भेज दी गई है और संस्कृति मंत्रालय से विस्तृत उत्खनन की अनुमति की मांग की गई है। उनका मानना है कि अगर पूरी तरह से खुदाई और अध्ययन किया गया तो यह खोज भारत की प्राचीन सभ्यता के इतिहास में नया अध्याय जोड़ सकती है।

स्थानीय लोगों में उत्साह

खबर फैलते ही आसपास के गांवों से हजारों लोग सिसाना पहुंचे और खुदाई स्थल पर जमा हो गए। लोगों ने अवशेषों को बड़े उत्साह के साथ देखा और विशेषज्ञों से जानकारी हासिल करने की कोशिश की।

भविष्य में अध्ययन और खुदाई

प्रारंभिक जांच से पता चला है कि यह अवशेष महाभारत कालीन मानव बस्ती के संकेत देते हैं। इतिहासकारों का मानना है कि यह स्थल यमुना के किनारे बसे प्राचीन निवासियों के जीवन, खान-पान और स्थापत्य कला के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दे सकता है। एएसआई की टीम ने कहा है कि जल्द ही साइट का विस्तृत सर्वेक्षण किया जाएगा और भविष्य में उत्खनन के लिए सभी कदम उठाए जाएंगे।

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Alien Attack on Earth: क्या धरती खतरे में है? हार्वर्ड ने दी एलियन हमले की चेतावनी!

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Alien Attack on Earth: धरती के खत्म होने की भविष्यवाणी नई नहीं है, कभी किसी विशाल क्षुद्रग्रह (asteroid) से टकराने की आशंका, कभी किसी भयंकर सौर तूफान या सुनामी से पृथ्वी के नष्ट होने के दावे अक्सर सामने आते रहे हैं। लेकिन इस बार मामला थोड़ा अलग और हैरान करने वाला है। वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि मैनहैटन के आकार का एक रहस्यमयी अंतरिक्ष पिंड (space object) तेजी से पृथ्वी की ओर बढ़ रहा है। इसे वैज्ञानिकों ने फिलहाल 31/ATLAS नाम दिया है, और दावा किया जा रहा है कि यह सिर्फ एक धूमकेतु (comet) नहीं, बल्कि किसी एलियन क्राफ्ट जैसा ऑब्जेक्ट भी हो सकता है।

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हार्वर्ड के वैज्ञानिकों की चौंकाने वाली खोज- Alien Attack on Earth

यह रहस्यमयी वस्तु पहली बार हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के प्रसिद्ध एस्ट्रोफिजिसिस्ट एवी लोएब (Avi Loeb) की टीम ने नोटिस की। लोएब, जो पहले भी “ओउमुआमुआ” नामक एक इंटरस्टेलर ऑब्जेक्ट को लेकर चर्चा में रह चुके हैं, ने इस बार अपनी रिसर्च में बताया कि यह नया ऑब्जेक्ट असामान्य तरीके से पृथ्वी की दिशा में बढ़ रहा है। उनके अनुसार, 31/ATLAS नामक यह स्पेस ऑब्जेक्ट नवंबर के अंत तक सूरज के बेहद करीब पहुंच सकता है, जिसके बाद इसका रुख सीधा पृथ्वी की ओर हो सकता है।

लोएब की टीम में लंदन की Initiative for Interstellar Studies के दो प्रमुख शोधकर्ता — एडम हिबर्ड और एडम क्राउल भी शामिल हैं। इस टीम का कहना है कि यह ऑब्जेक्ट आकार में बहुत बड़ा है और इसकी रफ्तार लगभग 60 किलोमीटर प्रति सेकंड मापी गई है। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि इसका डायमीटर 10 से 20 किलोमीटर के बीच हो सकता है।

कहां और कैसे हुआ इसका पता?

इस रहस्यमयी ऑब्जेक्ट को पहली बार एस्टेरॉयड टेरेस्ट्रियल इंपैक्ट लास्ट अलर्ट सिस्टम (ATLAS) नामक टेलीस्कोप सर्वे के ज़रिए देखा गया था। यह टेलीस्कोप चिली के रियो हर्टाडो (Rio Hurtado) में स्थित है। ऑब्जर्वेशन के दौरान वैज्ञानिकों ने पाया कि ऑब्जेक्ट का ट्रैजेक्टरी और स्पीड किसी साधारण धूमकेतु जैसी नहीं है, जिससे यह शक और गहरा हो गया कि कहीं यह किसी कृत्रिम (artificial) ऑब्जेक्ट — यानी एलियन स्पेसक्राफ्ट तो नहीं है।

क्या सच में खतरे में है धरती?

हालांकि इस अध्ययन में यह भी साफ किया गया है कि यह दावा अभी पूरी तरह हाइपोथेटिकल (hypothetical) यानी कल्पनात्मक है। शोधकर्ताओं ने कहा कि अभी इस बात के कोई ठोस वैज्ञानिक प्रमाण नहीं हैं कि यह वस्तु एलियन क्राफ्ट है या धरती के लिए वास्तविक खतरा बन सकती है। रिसर्च पेपर पूरी तरह ऑब्जर्वेशन और संभावनाओं पर आधारित है।

फिर भी वैज्ञानिकों ने यह चेतावनी दी है कि अगर यह अनुमान सही साबित होता है, तो यह इंसानियत के लिए बेहद गंभीर खतरा बन सकता है। इतनी तेज रफ्तार और विशालकाय ऑब्जेक्ट अगर पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करता है, तो यह एक बड़े ग्लोबल कैटास्ट्रॉफी (global catastrophe) का कारण बन सकता है।

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Maharajganj Crime News: महराजगंज में इंसानियत शर्मसार! श्मशान में तंत्र पूजा कर रही म...

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Maharajganj Crime News: उत्तर प्रदेश के महराजगंज जिले से एक ऐसी घटना सामने आई है जिसने पूरे प्रदेश को झकझोर कर रख दिया है। यहां एक महिला के साथ ग्रामीणों ने ऐसी बर्बरता की, जिसे सुनकर किसी का भी सिर शर्म से झुक जाए। महिला श्मशान घाट में तंत्र साधना कर रही थी, तभी कुछ ग्रामीणों ने उसे देख लिया और उसके बाद जो हुआ, उसने इंसानियत की सारी हदें पार कर दीं।

मामला महराजगंज के पनियरा थाना क्षेत्र के एक गांव का है। जानकारी के मुताबिक, दीपावली से एक दिन पहले महिला गांव के बाहर स्थित श्मशान घाट पर किसी तांत्रिक पूजा के लिए गई थी। बताया जा रहा है कि वह तंत्र सिद्धि के लिए निर्वस्त्र होकर पूजा कर रही थी। इसी दौरान कुछ ग्रामीणों की नजर उस पर पड़ गई। देखते ही देखते वहां भीड़ जमा हो गई और गुस्साई भीड़ ने महिला को पकड़ लिया।

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ग्रामीणों ने पहले महिला की जमकर पिटाई की और फिर उसे निर्वस्त्र कर पूरे गांव में घुमाया। इस दौरान किसी ने घटना का वीडियो बना लिया, जो अब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। वीडियो सामने आते ही पुलिस और प्रशासन में हड़कंप मच गया और जांच के आदेश दे दिए गए हैं।

अपमान और डर से की आत्महत्या की कोशिश- Maharajganj Crime News

स्थानीय लोगों के मुताबिक, इस घटना के बाद महिला पूरी तरह टूट गई थी। उसने लोकलाज और अपमान के डर से आत्महत्या करने की कोशिश भी की, लेकिन परिवारवालों ने समय रहते उसे बचा लिया। इसके बाद वह अपने पति के साथ गांव छोड़कर कहीं और चली गई। फिलहाल, दोनों का कोई पता नहीं चल पाया है।

पुलिस ने शुरू की जांच, पहचान में जुटी टीम

पनियरा थाने के इंस्पेक्टर आशीष सिंह ने बताया कि घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस टीम को मौके पर भेजा गया। उन्होंने कहा कि वायरल वीडियो के आधार पर आरोपियों की पहचान की जा रही है और जल्द ही गिरफ्तारी की जाएगी। हालांकि, अभी तक पीड़िता या उसके परिवार की ओर से कोई लिखित शिकायत नहीं आई है, लेकिन पुलिस ने खुद से संज्ञान लेकर जांच शुरू कर दी है।

“अंधविश्वास नहीं, महिला की गरिमा पर हमला”

पुलिस अधिकारियों का कहना है कि यह सिर्फ तंत्र पूजा या अंधविश्वास का मामला नहीं है, बल्कि एक महिला की गरिमा को कुचलने की शर्मनाक घटना है। ग्रामीणों ने जिस तरह कानून को अपने हाथ में लिया और महिला को सरेआम अपमानित किया, वह गंभीर अपराध है।

प्रशासन की सख्ती, गिरफ्तारी जल्द

अधिकारियों ने कहा है कि घटना में शामिल लोगों की पहचान करने के प्रयास जारी हैं और आगे की कार्रवाई की जा रही है।

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Ayni Airbase India withdrawal: ताजिकिस्तान के आयनी एयरबेस से भारत ने पूरी तरह हटाई सै...

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Ayni Airbase India withdrawal: भारत ने ताजिकिस्तान में स्थित रणनीतिक रूप से बेहद अहम आयनी एयरबेस से अपनी सैन्य मौजूदगी पूरी तरह खत्म कर दी है। यह वही एयरबेस है, जहां लगभग बीस साल पहले भारत ने पहली बार अपने सैनिक और वायुसेना कर्मियों को तैनात किया था। उस समय भारत अफगानिस्तान में तालिबान विरोधी नॉर्दर्न अलायंस का समर्थन कर रहा था। सूत्रों के अनुसार, यह कदम भारत और ताजिकिस्तान के बीच हुए द्विपक्षीय समझौते की समाप्ति के बाद उठाया गया है।

जानकारी के मुताबिक, दोनों देशों के बीच इस एयरबेस के विकास और संयुक्त संचालन को लेकर हुआ समझौता करीब चार साल पहले खत्म हो गया था। समझौता आगे नहीं बढ़ाया गया, जिसके बाद भारत ने चरणबद्ध तरीके से अपने सैन्य कर्मियों की वापसी शुरू की। यह प्रक्रिया 2022 तक पूरी हो गई थी। ताजिकिस्तान की राजधानी दुशांबे से करीब 10 किलोमीटर पश्चिम में स्थित यह एयरबेस, मध्य एशिया में भारत की उपस्थिति का एक महत्वपूर्ण केंद्र माना जाता था।

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100 मिलियन डॉलर की लागत से बनाया था आधुनिक एयरबेस- Ayni Airbase India withdrawal

पूर्व सोवियत काल में बने इस एयरबेस को भारत ने 2000 के दशक में आधुनिक स्वरूप दिया था। सूत्र बताते हैं कि भारत ने इसके विकास पर लगभग 100 मिलियन डॉलर यानी करीब 830 करोड़ रुपये खर्च किए थे। भारत ने यहां रनवे को मजबूत और लंबा कराया ताकि भारी परिवहन विमान और कॉम्बैट जेट्स उतर सकें। इसके अलावा, एयरबेस पर फ्यूल डिपो, एयर ट्रैफिक कंट्रोल टॉवर, हैंगर और हार्डनड शेल्टर जैसी आधुनिक सुविधाएं भी बनाई गई थीं।

वायुसेना और थलसेना के अधिकारी रहे तैनात

इस एयरबेस पर भारत की वायुसेना और थलसेना के करीब 200 अधिकारी तैनात रहते थे। 2014 के आसपास भारत ने यहां अपने Su-30MKI फाइटर जेट्स भी कुछ समय के लिए तैनात किए थे। इसका इस्तेमाल निगरानी और हवाई समर्थन मिशनों के लिए किया जाता था।

नॉर्दर्न अलायंस को मिला था भारत का सहयोग

भारत की मौजूदगी का मुख्य उद्देश्य तालिबान विरोधी नॉर्दर्न अलायंस को रसद और उपकरणों की आपूर्ति में सहायता देना था। साथ ही, भारत ने ताजिकिस्तान के फरखोर इलाके में एक सैन्य अस्पताल भी स्थापित किया था, जहां घायल नॉर्दर्न अलायंस के लड़ाकों का इलाज किया जाता था। यही वह अस्पताल था, जहां 9/11 हमलों से दो दिन पहले नॉर्दर्न अलायंस के प्रमुख नेता अहमद शाह मसूद को गंभीर रूप से घायल होने के बाद लाया गया था। वहीं उन्होंने दम तोड़ दिया था।

रणनीतिक रूप से बेहद अहम रहा यह ठिकाना

2001 में तालिबान शासन के पतन और नई अफगान सरकार के गठन के बाद भी भारत ने आयनी एयरबेस पर अपनी उपस्थिति बनाए रखी थी। यह कदम भारत की मध्य एशिया नीति का अहम हिस्सा था, जिससे क्षेत्र में उसका प्रभाव बढ़े और पाकिस्तान पर सामरिक दबाव भी बना रहे। इस एयरबेस की खासियत यह है कि यह अफगानिस्तान के वाखान कॉरिडोर से केवल 20 किलोमीटर की दूरी पर है — वही क्षेत्र जो पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) से सटा हुआ है।

अफगानिस्तान संकट में साबित हुआ सहायक

2021 में जब तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया, तब भारत ने अपने नागरिकों और राजनयिकों को सुरक्षित निकालने के लिए इसी एयरबेस का इस्तेमाल किया था। उस दौरान भारतीय सेना, वायुसेना और नागरिक विमानों ने मिलकर राहत अभियान चलाया था।

भारत की मौजूदगी का हुआ अंत, नई नीति की शुरुआत

सूत्रों ने बताया कि भारत की सभी सैन्य और तकनीकी संपत्तियां, साथ ही तैनात कर्मी, 2022 तक वापस बुला लिए गए थे। अब यह एयरबेस पूरी तरह ताजिकिस्तान सरकार के नियंत्रण में है। रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि भारत का यह कदम उसकी मध्य एशिया नीति में एक नए अध्याय की शुरुआत है। आने वाले समय में भारत इस क्षेत्र में अपनी मौजूदगी को सैन्य ताकत की बजाय कूटनीतिक और आर्थिक साझेदारी के ज़रिए मजबूत करने की दिशा में आगे बढ़ेगा।

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UP Raebareli Serial Killer: खून की बूंदें देखकर मिलती थी नींद — वो सीरियल किलर जिसने ...

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UP Raebareli Serial Killer: 9 जून 2001 की रात फुरसतगंज ब्लॉक के सैमसी गांव में सन्नाटा पसरा था। लोग अपने घरों और आंगनों में सो चुके थे। उसी रात गांव के एक कोने में स्थित आटा चक्की से अचानक बंदूक चलने की आवाज आई—“धांय!”
कुछ ही पलों में सन्नाटा फिर लौट आया, लेकिन अगले दिन जब सूरज उगा, तो सैमसी गांव में मातम छा गया। चक्की के अंदर जगदीश प्रसाद की लाश पड़ी थी। पीछे से गोली मारी गई थी। खून से चारपाई भीग चुकी थी और मक्खियाँ भिनभिना रही थीं। किसी ने दरवाजा खटखटाया, भीतर देखा और चिल्ला उठा—“जगदीश मर गया!”

लोग जुटे, अफरा-तफरी मच गई। पुलिस आई, छानबीन हुई, लेकिन न कोई गवाह, न कोई सुराग। बस एक दर्ज केस और रहस्यमय खामोशी। किसी को पता नहीं था कि यह हत्या किसी बड़ी और भयावह कहानी की शुरुआत है।

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हर रात ‘धांय’ की आवाज और एक नई लाश- UP Raebareli Serial Killer

अगले कुछ महीनों में आसपास के गांवों सरवन, बाबू का पुरवा, ब्रह्मनी, हिंदू का पुरवा, नहरकोठी, तरौना और किशुनपुर केवई में एक-एक कर लोगों की हत्याएं होने लगीं।
पैटर्न एक जैसा था: रात के अंधेरे में, घर के बाहर सोते किसी बुजुर्ग पर नजदीक से गोली चलती, और हत्यारा गायब। गवाहों ने कहा, “हर बार दो परछाइयां दिखती थीं, एक लंबी, एक छोटी… चेहरा हमेशा ढंका हुआ।”

गांवों में डर का माहौल था। लोग अंधेरा ढलते ही घरों में बंद हो जाते। खेतों की रखवाली बंद, रात की चौपालें थम गईं। बुजुर्ग छत पर ही शौच जाने लगे, बच्चे मां के पल्लू से चिपककर सोते थे।

हर दो-तीन महीने में एक नया मर्डर। पुलिस आती, जांच करती, फाइल में तारीख और वक्त लिखती, और लौट जाती। धीरे-धीरे ये हत्याएं किसी लोककथा की तरह फैल गईं, “रात में गोली चलती है और दो साये खेतों की ओर भागते हैं…”

सीरियल किलर की तलाश और एक साहसी अफसर की एंट्री

2003 में इन लगातार हत्याओं की जांच की जिम्मेदारी ASP वी.पी. श्रीवास्तव को सौंपी गई। उन्होंने पुरानी फाइलें निकालीं—धूल में दबी तारीखें, फोटो, बयान और पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट्स।
कड़ियां जोड़ते-जोड़ते उन्हें एक पैटर्न दिखा—

  • सभी हत्याएं रात में,
  • टारगेट 50 से 70 साल के पुरुष,
  • सिर पर नजदीक से भरवा बंदूक की गोली,
  • और ज्यादातर घटनाएं शनिवार, रविवार या सोमवार की रात।

वीपी श्रीवास्तव ने कहा—“यह कोई सामान्य अपराध नहीं, बल्कि सीरियल किलर का काम है।”

उन्होंने नक्शे पर पिन लगाए रायबरेली-सुल्तानपुर रोड के आसपास के पांच-छह गांव सबसे ज्यादा प्रभावित थे। 35 से ज्यादा हत्याएं दर्ज थीं।

फुरसतगंज में खौफ, पुलिस चौकियां और गांवों में पहरा

जांच के बाद पुलिस ने नई रणनीति बनाई।
शनिवार से सोमवार तक विशेष पेट्रोलिंग शुरू हुई। गांवों में अस्थायी चौकियां बनाई गईं। सिपाही ड्रैगन लाइट लेकर रातभर मेड़ों पर घूमते। ग्रामीणों ने भाले और बल्लम उठाकर पहरेदारी शुरू की।
एक महीने तक शांति रही, जैसे किसी ने अंधेरे पर ताला जड़ दिया हो।

लेकिन अपराधी ज्यादा देर नहीं रुका।

8 नवंबर 2004 – जब शिकारी खुद फंस गया

शाम के सात बजे थे। गांव में अलाव जल रहा था। विश्राम साहू अपने घर के बाहर बैठे थे कि अचानक वही पुरानी आवाज गूंजी—“धांय!”
इस बार गोली चूकी नहीं। विश्राम वहीं गिर पड़े। लोग भागे, किसी ने देखा, “वो सफेद कपड़े वाला भाग रहा है!”

गांववाले पीछा करते हुए नहर तक पहुंचे। पानी में छलांग की आवाज आई, “छपाक!”
थोड़ी देर बाद सन्नाटा छा गया। पुलिस पहुंची और पहली बार एक सुराग मिला, नहर किनारे एक जूता।
ASP श्रीवास्तव बोले, “यह उसी का है। अब वो ज्यादा दूर नहीं।”

सदाशिव साहू – ‘भला आदमी’ जो बन गया ‘कातिल’

पूछताछ में एक नाम सामने आया सदाशिव साहू (57), जो फुरसतगंज मार्केट में कपड़े की दुकान चलाता था। लोगों ने कहा, “शांत, पूजा-पाठ करने वाला, किसी से बैर नहीं।”
लेकिन एक बात अजीब थी—कुछ साल पहले उसकी पत्नी अचानक लापता हो गई थी और उसने कभी बताया नहीं कि क्या हुआ।

सदाशिव को थाने बुलाया गया। उसके घर की तलाशी ली गई।
अलमारी से नकली दाढ़ी-मूंछें, नाट्य कपड़े, और एक पुरानी लाइसेंसी बंदूक मिली, जिसकी नली अब भी गीली थी।

ASP श्रीवास्तव ने आंखों में आंखें डालकर पूछा—“कितनों को मारा?”
सदाशिव पहले चुप रहा, फिर बोला—“हम… हमें खून देखने की हूक उठती थी… महीने-दो महीने में किसी को न मारें तो नींद नहीं आती। खून की बूंदें देख लेते, तभी सुकून मिलता।”

उसने बताया कि 22 लोगों की हत्या उसने खुद की थी।

पूछताछ में एक और सच निकला—उसका बेटा जयकरन भी कुछ हत्याओं में साथ था। उसने कहा, “बाबू जब बाहर जाते थे, उसी रात कोई मारा जाता। हमें डराकर साथ ले जाने लगे।”

प्रेस कॉन्फ्रेंस, कुबूलनामा और अदालत की जंग

पुलिस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाकर सबूत पेश किए बंदूक, कपड़े, नकली दाढ़ी और गवाहों के बयान।
ASP श्रीवास्तव ने आठ पन्नों का कबूलनामा पढ़ा, लेकिन तभी सदाशिव चीख पड़ा,“सब झूठ है! पुलिस ने जबरन बयान दिलाया है!”

फिर भी, हत्याएं थम गईं। लोग कहने लगे,“कातिल पकड़ा गया।”
पुलिस ने चार्जशीट दायर की, केस अदालत पहुंचा।

साल दर साल बीतते गए। गवाह मुकरते गए, सबूत कमजोर हुए। कुछ मामलों में वह बरी हुआ, कुछ में सजा मिली।

आखिरकार 22 अप्रैल 2022 को जिला अदालत ने दो मामलों में उम्रकैद की सजा सुनाई।

लेकिन किस्मत ने अलग मोड़ लिया। 2023 में अमेठी जेल में सदाशिव की मौत हो गई। बेटे जयकरन को सबूतों की कमी के कारण बरी कर दिया गया।

एक अंत, जो राहत भी था और सवाल भी

सदाशिव की मौत की खबर एक लाइन में आई और चली गई—“अमेठी जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहे कैदी सदाशिव साहू की मृत्यु।”
बस इतना ही। न कोई चर्चा, न सनसनी।

पर गांव वालों के लिए यह खबर राहत थी।
अब फुरसतगंज की रातें फिर शांत थीं, लोग आंगनों में चारपाई डालकर सोने लगे थे।

लेकिन कई बुजुर्ग अब भी कहते हैं—“कभी-कभी रात के सन्नाटे में वो ‘धांय’ की गूंज आज भी सुनाई देती है…”

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China Politics in Tibet: तिब्बत में चीन की ‘आस्था पर राजनीति’, बौद्ध धर्म को नियंत्रण...

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China Politics in Tibet: तिब्बत में बौद्ध धर्म को लेकर चीन की नीति अब सिर्फ धर्म या संस्कृति का विषय नहीं रही, बल्कि यह उसके राजनीतिक एजेंडे का अहम हिस्सा बन गई है। श्रीलंका के सीलोन वायर न्यूज़ में प्रकाशित एक विस्तृत रिपोर्ट के मुताबिक, बीजिंग की पूरी रणनीति तीन स्तंभों पर टिकी है धार्मिक संस्थाओं पर पकड़, राज्य-केंद्रित नैरेटिव का निर्माण, और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रभाव जमाना।
इन तीनों का उद्देश्य एक ही है तिब्बती बौद्ध धर्म को चीन के राजनीतिक ढांचे के अधीन लाना और उसे नियंत्रित रखना।

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धर्म पर पार्टी का शिकंजा- China Politics in Tibet

रिपोर्ट के अनुसार, 1990 के दशक के आखिर में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) ने तिब्बती बौद्ध धर्म की निगरानी को संस्थागत रूप से लागू करना शुरू किया।
वर्तमान में तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र में करीब 1,700 पंजीकृत मठ और लगभग 46,000 भिक्षु व भिक्षुणियाँ हैं और इन सभी की गतिविधियों पर सरकार की नजर रहती है।

हर मठ की देखरेख के लिए एक “सरकारी प्रबंधन समिति” होती है, और किसी भी वरिष्ठ भिक्षु या मठ प्रमुख की नियुक्ति पार्टी की मंज़ूरी के बिना नहीं की जा सकती।
2008 के बाद से ल्हासा और आसपास के मठों में “देशभक्ति शिक्षा सत्र” लगातार बढ़ाए गए हैं। इनमें भिक्षुओं को दलाई लामा की आलोचना करने और चीन के प्रति वफादारी की शपथ लेने के लिए मजबूर किया जाता है।

दलाई लामा के पुनर्जन्म पर भी नियंत्रण

चीन के हस्तक्षेप का सबसे स्पष्ट उदाहरण दलाई लामा के पुनर्जन्म पर ‘अधिकार’ जताना है।
जहां यह प्रक्रिया सदियों से तिब्बती धार्मिक परंपरा का हिस्सा रही है, वहीं अब बीजिंग इसे सरकारी स्वीकृति से जोड़ना चाहता है।
रिपोर्ट कहती है — “बीजिंग का यह कदम इस सोच को दर्शाता है कि अगर वह उत्तराधिकार को नियंत्रित करेगा, तो तिब्बती पहचान के प्रतीक दलाई लामा को बेअसर किया जा सकता है।”

‘शांतिपूर्ण मुक्ति’ की कहानी और सरकारी प्रचार

चीनी सरकार 1951 में तिब्बत के अपने साथ विलय को “शांतिपूर्ण मुक्ति” बताती है।
सरकारी मीडिया, स्कूल की किताबें और संग्रहालयों में यही कथानक दोहराया जाता है कि चीन ने तिब्बत को “सामंती धर्मतंत्र” से मुक्त कराया।
रिपोर्ट में बताया गया है कि बीजिंग मठों के जीर्णोद्धार और विकास में किए जा रहे खर्च को भी अपनी “उदारता” के रूप में प्रस्तुत करता है।

यहां तक कि कई सरकारी अभियानों में भिक्षुओं के नाचते हुए दृश्य दिखाए जाते हैं, जहां वे पार्टी के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते नजर आते हैं ताकि यह संदेश फैले कि तिब्बती अब खुशहाल और चीन के आभारी हैं।

एशिया में फैलाया जा रहा चीन का ‘राज्य संस्करण’ बौद्ध धर्म

रिपोर्ट में कहा गया है कि बीजिंग अब सिर्फ तिब्बत तक सीमित नहीं रहना चाहता।
वह बौद्ध धर्म के अपने “राज्य समर्थित संस्करण” को श्रीलंका, थाईलैंड और नेपाल जैसे देशों तक फैलाने की कोशिश कर रहा है।
चीन इन देशों में अंतरराष्ट्रीय बौद्ध सम्मेलनों को वित्तीय मदद देता है और उन विश्वविद्यालयों को सहयोग करता है जो उसके विचारों के अनुरूप शोध कार्य करते हैं।

इसका बड़ा उद्देश्य है चीन को बौद्ध विचारधारा का नया वैश्विक केंद्र दिखाना, और दलाई लामा जैसे नेताओं के अंतरराष्ट्रीय प्रभाव को कमजोर करना।

राजनीति बनाम आस्था का संघर्ष

रिपोर्ट स्पष्ट करती है कि तिब्बत का संघर्ष अब धार्मिक नहीं, बल्कि राजनीतिक वैधता का सवाल बन गया है।
CCP का असली उद्देश्य है धर्म को “चीनी विशेषताओं” के साथ ढालना, ताकि किसी भी धार्मिक संस्था की निष्ठा पार्टी से ऊपर न जा सके।

रिपोर्ट के शब्दों में, “जितना अधिक CCP तिब्बती बौद्ध धर्म को नियंत्रित करने की कोशिश करती है, उतना ही वह उसके आत्मिक लचीलेपन को उजागर करती है।”
यह संघर्ष केवल तिब्बत तक सीमित नहीं, बल्कि यह सवाल है कि चीन के सीमावर्ती इलाकों में नैतिक अधिकार किसके पास होगा, सत्ता का या आध्यात्मिकता का।

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Apple Sales Market Cap: एप्पल बना दुनिया की तीसरी 4 ट्रिलियन डॉलर कंपनी, iPhone 17 की...

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Apple Sales Market Cap: टेक दिग्गज Apple ने एक और ऐतिहासिक मुकाम हासिल कर लिया है। कंपनी का मार्केट कैप पहली बार 4 ट्रिलियन डॉलर (करीब 353 लाख करोड़ रुपये) के पार पहुंच गया है यानी लगभग भारत की GDP के बराबर। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के अनुसार, भारत की मौजूदा GDP 4.13 ट्रिलियन डॉलर (364 लाख करोड़ रुपये) है। इस उपलब्धि के साथ Apple अब Nvidia और Microsoft के बाद दुनिया की तीसरी ऐसी कंपनी बन गई है जिसने 4 ट्रिलियन डॉलर की वैल्यू पार की है।

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Nvidia और Microsoft के बाद तीसरा नाम Apple का

वर्तमान में Nvidia 4.71 ट्रिलियन डॉलर (415 लाख करोड़ रुपये) के मार्केट कैप के साथ दुनिया की सबसे वैल्यूएबल कंपनी बनी हुई है। वहीं Microsoft का मार्केट कैप 4.06 ट्रिलियन डॉलर (358 लाख करोड़ रुपये) है। अब Apple भी उनके ठीक पीछे खड़ी है, जिसने 28 अक्टूबर को यह ऐतिहासिक रिकॉर्ड बनाया। शुरुआती ट्रेडिंग में कंपनी का स्टॉक 0.2% बढ़कर 269.2 डॉलर तक पहुंच गया, जो अब तक का इसका सबसे ऊंचा स्तर है।

iPhone 17 की बिक्री बनी गेमचेंजर- Apple Sales Market Cap

ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, यह जबरदस्त उछाल Apple की iPhone 17 सीरीज़ की अभूतपूर्व डिमांड के कारण आया है। काउंटरपॉइंट रिसर्च के डेटा से पता चला कि iPhone 17 ने लॉन्च के शुरुआती 10 दिनों में ही iPhone 16 सीरीज़ की तुलना में 14% ज्यादा बिक्री दर्ज की है। खास बात यह है कि चीन और अमेरिका जैसे प्रमुख बाजारों में इस फोन की मांग उम्मीद से कहीं अधिक रही। भारत में भी iPhone 17 को लेकर उत्साह चरम पर है।

नए प्रोडक्ट्स और हॉलिडे सीजन से बढ़ी उम्मीदें

कंपनी ने हाल ही में iPhone 17 सीरीज के अलावा M5 चिप वाले iPad Pro, Vision Pro हेडसेट और MacBook Pro के नए वर्जन लॉन्च किए हैं। माना जा रहा है कि आने वाले हॉलिडे सीजन में ये प्रोडक्ट्स Apple की बिक्री को नई ऊंचाइयों पर ले जाएंगे। रॉयटर्स के मुताबिक, सितंबर में नए लॉन्च के बाद से कंपनी के शेयरों में लगभग 13% की बढ़ोतरी हुई है।

एनालिस्ट्स बोले—दिसंबर तिमाही भी दमदार रहेगी

LSEG के आंकड़ों के अनुसार, Apple के शेयर फिलहाल अगले 12 महीनों की अनुमानित कमाई के 33.2 गुना पर ट्रेड हो रहे हैं, जो Nasdaq 100 के औसत (27.42 गुना) से काफी ऊपर है। एवरकोर ISI समेत कई ब्रोकरेज फर्म्स का मानना है कि सितंबर तिमाही के नतीजे उम्मीद से बेहतर आएंगे और दिसंबर क्वार्टर भी रिकॉर्ड प्रदर्शन कर सकता है।

अप्रैल से अब तक 56% बढ़े शेयर

रिपोर्ट के मुताबिक, अप्रैल 2024 से अब तक Apple के शेयरों में 56% से अधिक की बढ़ोतरी देखी गई है। इसकी वजह से कंपनी की मार्केट वैल्यू में करीब 1.4 ट्रिलियन डॉलर का इज़ाफ़ा हुआ है। एनालिस्ट्स का कहना है कि भले ही Apple आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की रेस में थोड़ी पीछे रह गई हो, लेकिन उपभोक्ताओं के भरोसे और iPhone 17 की मजबूत डिमांड ने इसे फिर से शीर्ष पर पहुंचा दिया है।

AI रेस में पीछे, पर ग्राहकों ने संभाली स्थिति

हालांकि, Apple की AI रणनीति अभी धीमी है। कंपनी ने हाल ही में “Apple Intelligence Suite” और ChatGPT इंटीग्रेशन पेश किया, लेकिन Siri का AI अपग्रेड अब अगले साल तक टल गया है। कुछ सीनियर AI एक्जीक्यूटिव्स Meta में जा चुके हैं, जबकि Apple अब Alphabet के Gemini, Anthropic और OpenAI के साथ पार्टनरशिप पर विचार कर रही है।

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Human Trafficking News: विदेशों में बिक रहे भारतीय युवा! 3500 डॉलर की ‘कीमत’, बेरोजगा...

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Human Trafficking News: वियतनाम, कंबोडिया और लाओस में बैठे चीनी साइबर अपराधियों ने भारतीय युवाओं को नौकरी का झांसा देकर ठगी के लिए इस्तेमाल किया। इन अपराधियों ने डिजिटल अरेस्ट, शेयर ट्रेडिंग और हनी ट्रैप जैसी चालों से युवाओं को फंसाया। युवाओं को मल्टीनेशनल कंपनी में अच्छे पैकेज की नौकरी का वादा करके बुलाया जाता और पासपोर्ट-वीजा जब्त कर उन्हें ठगी में लगा दिया जाता।

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आगरा पुलिस की बड़ी कार्रवाई- Human Trafficking News

विदेश और गृह मंत्रालय के इनपुट के बाद आगरा पुलिस ने इस गिरोह के तीन एजेंटों को गिरफ्तार किया। दो एजेंटों को आगरा लाकर कोर्ट में पेश किया गया, जबकि तीसरे आरोपी को ट्रांजिट रिमांड पर लाया जा रहा है। आरोप है कि पिछले 5-6 सालों में इन एजेंटों ने कई युवाओं को विदेश भेजकर लगभग 500 करोड़ रुपये की ठगी कराई।

युवाओं को नौकरी का झांसा देकर फंसाया गया

अपर पुलिस उपायुक्त आदित्य सिंह ने बताया कि विदेश मंत्रालय को कुछ महीने पहले शिकायत मिली थी कि भारतीय युवाओं को वियतनाम में अच्छे पैकेज पर नौकरी का झांसा देकर बुलाया जा रहा था। विरोध करने पर उन्हें बंधक बनाकर रखा जाता, खाना-पानी तक नहीं दिया जाता और भारत वापस आने के लिए पैसे की मांग की जाती थी। इसके बाद गृह मंत्रालय को भी जानकारी दी गई और युवाओं को सुरक्षित वापस लाया गया।

आगरा पुलिस की जांच और गिरफ्तारी

आगरा पुलिस को विदेश से लौटे 22 युवकों की सूची मिली। इनमें से मलपुरा के नगला वारे निवासी सौरभ और अभिज्ञान को एजेंट अजय शुक्ला ने 16 जून को नौकरी का झांसा देकर बैंकाक होते हुए कंबोडिया भेजा। वहां से युवाओं को साइबर ठगी के काम में लगाया गया। विरोध करने पर उत्पीड़न किया गया और अंततः तीन-तीन लाख रुपये लेकर उन्हें वापस भारत लाया गया। ठगी के पैसे क्रिप्टोकरेंसी में बदलकर एजेंट अपने खातों में ट्रांसफर कर लेते थे।

गिरफ्तार एजेंटों का मामला

गिरफ्तार किए गए आरोपी अजय कुमार शुक्ला (मध्य प्रदेश, सीधी) और मोहम्मद आतिफ खान (उत्तर प्रदेश, उन्नाव) हैं। तीसरे आरोपी आमिर को महाराष्ट्र के रत्नागिरी से पकड़ा गया है और उसे भी आगरा लाया जा रहा है। पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

मर्चेंट नेवी से साइबर ठगों तक

पुलिस की पूछताछ में आतिफ ने बताया कि वह स्नातक पास है और मर्चेंट नेवी का कोर्स करने के बाद 2022 में कंबोडिया गया। वहां उसे चीनी साइबर ठगों से संपर्क मिला और उसे युवाओं को फंसा कर पैसे कमाने का काम सौंपा गया। उसने अब तक 50 से अधिक युवाओं को विदेश भेजा और उन्हें बंधक बनाकर साइबर ठगी कराई।

साइबर स्लेवरी और पाकिस्तानी कनेक्शन

आतिफ के फोन में कई चैट मिली हैं, जिनमें साइबर स्लेवरी से जुड़े संवाद हैं। जांच में यह भी सामने आया कि आरोपी पाकिस्तानी ठगों के संपर्क में हैं। पुलिस के अनुसार, जल्द ही सभी आरोपी गिरफ्तार कर पूरे गिरोह का पर्दाफाश किया जाएगा।

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Guna News: गुना में जमीन विवाद, बीजेपी नेता ने किसान को थार से कुचला, पत्नी व बेटियों...

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Guna News: मध्य प्रदेश के गुना जिले से एक दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है। यहां फतेहगढ़ थाना क्षेत्र के गणेशपुरा गांव में जमीनी विवाद इतना बढ़ गया कि बात जानलेवा हमले तक पहुंच गई। आरोप है कि एक पक्ष ने दूसरे पक्ष पर हमला करते हुए एक व्यक्ति को थार गाड़ी से कुचल दिया, जिससे उसकी मौत हो गई। इस दौरान मृतक की दो नाबालिग बेटियों के साथ मारपीट और अभद्रता की गई।

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कैसे हुई घटना- Guna News

यह घटना रविवार दोपहर करीब डेढ़ से दो बजे के बीच की बताई जा रही है। मृतक रामस्वरूप नागर (40) अपनी पत्नी विनोद बाई (38) और दोनों बेटियों तनीषा (17) व कृष्णा (17) के साथ खेत जा रहा था। तभी गांव के ही करीब 10 से 15 लोग वहां पहुंचे और पुराने जमीन विवाद को लेकर रामस्वरूप के परिवार पर लाठी-डंडों से हमला कर दिया।

विवाद इतना भड़क गया कि आरोपियों ने रामस्वरूप पर थार गाड़ी चढ़ा दी, जिससे उसके दोनों हाथ और पैर टूट गए। इस दौरान बीच-बचाव करने आई उसकी दोनों बेटियों को भी नहीं छोड़ा गया। उनके साथ मारपीट की गई और कपड़े फाड़ दिए।

घटना के बाद ग्रामीणों ने किसी तरह घायलों को फतेहगढ़ स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाया। वहां से सभी को गुना जिला अस्पताल रेफर किया गया। डॉक्टरों ने रामस्वरूप की हालत गंभीर बताई और उसे भोपाल रेफर करने की तैयारी चल रही थी, लेकिन इलाज से पहले ही उसने दम तोड़ दिया।

6 बीघा जमीन को लेकर विवाद

पुलिस जांच में सामने आया कि यह विवाद करीब छह बीघा जमीन को लेकर चल रहा था। रामस्वरूप का झगड़ा राजस्थान के पचलावड़ा गांव के निवासी कन्हैया लाल नागर से चल रहा था। बताया जा रहा है कि इसी विवाद को लेकर आरोपियों ने हमला किया। घटना के वक्त आरोपियों के पास फरसा, गंडासी और अन्य धारदार हथियार भी थे।

बीजेपी नेता पर गंभीर आरोप

इस पूरे मामले में सबसे बड़ा आरोप महेंद्र नागर पर लगा है, जो बताया जा रहा है कि स्थानीय बीजेपी नेता है। ग्रामीणों का आरोप है कि महेंद्र नागर छोटे किसानों और गरीब परिवारों को धमकाकर उनकी जमीन कब्जे में लेता है।
पुलिस ने इस मामले में महेंद्र नागर, उसके परिवार की तीन महिलाओं और अन्य 14 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। सभी आरोपी फिलहाल फरार हैं और पुलिस उनकी तलाश में लगातार छापेमारी कर रही है।

पुलिस का क्या कहना है

इस घटना के बाद फतेहगढ़ थाना पुलिस मौके पर पहुंची और जांच शुरू कर दी। एसडीओपी विवेक अष्ठाना ने बताया कि यह दो परिवारों के बीच पुराना जमीनी विवाद था, जो हिंसक रूप ले लिया। उन्होंने कहा,

“रामस्वरूप पर गाड़ी चढ़ाने और उसकी नाबालिग बेटियों के साथ मारपीट एवं अभद्रता करने का मामला दर्ज किया गया है। सभी आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए टीमों का गठन कर दिया गया है। जल्द ही सभी पुलिस की गिरफ्त में होंगे।”

गांव में तनाव, लोगों में आक्रोश

घटना के बाद गणेशपुरा गांव में तनाव का माहौल है। ग्रामीणों का कहना है कि मृतक परिवार को सुरक्षा दी जानी चाहिए और आरोपियों को जल्द से जल्द गिरफ्तार किया जाए।

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