UP Sikhs Conversion News: भारत में एक तरफ व्हाइट हाउस की तरह ‘ब्लैक वर्सेज व्हाइट’ की लड़ाई की बातें हो रही हैं, तो दूसरी ओर यूपी के पीलीभीत में सिख समुदाय के खिलाफ एक खतरनाक साजिश परत-दर-परत सामने आ रही है। सिख धर्म, जिसे गुरु नानक देव जी ने “एक ईश्वर और सीधे जुड़ाव” का मार्ग बताया था, आज उसी पंथ के अनुयायी धर्म परिवर्तन के दबाव और प्रलोभन का शिकार बन रहे हैं।
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बॉर्डर पर मिशनरियों का गुप्त खेल- UP Sikhs Conversion News
भारत-नेपाल सीमा से सटे यूपी के पीलीभीत जिले में 2020 से कन्वर्जन माफिया सक्रिय हैं। बताया जा रहा है कि यहां करीब 3,000 से अधिक सिखों का धर्म परिवर्तन कर उन्हें ईसाई बना दिया गया है। यह केवल धार्मिक मुद्दा नहीं, बल्कि भारत की आंतरिक सुरक्षा से जुड़ा गंभीर मामला बन गया है।

पीलीभीत में लगभग 20 से 30 हजार सिखों की आबादी है, जो कृषि और छोटे व्यापार से जुड़ी है। लेकिन अब इन इलाकों में ईसाई मिशनरियों की घुसपैठ गहरी हो चुकी है। नेपाल सीमा से आए कुछ लोगों ने करीब 160 सिख परिवारों को धर्म बदलवाया। इन लोगों को कथित रूप से चमत्कार, इलाज और आर्थिक लाभ का लालच दिया गया।
दबाव, प्रलोभन और पहचान की रणनीति
जी मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, पीलीभीत के कई गांवों में ज़ी मीडिया की टीम जब पहुंची तो खुलासा हुआ कि धर्म परिवर्तन के बाद भी इन लोगों को पगड़ी और कड़ा जैसे सिख प्रतीक पहनने को कहा गया, ताकि उनके नए धर्म की पहचान न हो सके। मिशनरी खुलेआम सिखों से कहते हैं कि वे अपने पारंपरिक नाम और वेशभूषा बनाए रखें, जिससे धर्म परिवर्तन को छिपाया जा सके।
मंजीत कौर की शिकायत से खुली परत
13 मई को मंजीत कौर नाम की महिला ने थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई कि उनके पति को बहला-फुसलाकर ईसाई बनाया गया और अब उन पर और बच्चों पर भी दबाव बनाया जा रहा है। उन्हें दो लाख रुपये और सरकारी योजनाओं का लाभ देने का वादा किया गया, लेकिन बाद में न तो कोई मदद मिली, न ही वादा निभाया गया। पुलिस ने इस मामले में 8 नामजद और 12 अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है।

पंजाब में भी गहराता संकट
धर्मांतरण की यह लहर केवल यूपी तक सीमित नहीं है। पंजाब में भी हालात चिंताजनक हैं। आंकड़े बताते हैं कि पिछले दो वर्षों में 3.5 लाख से ज्यादा लोगों ने ईसाई धर्म अपनाया। तरनतारन जैसे जिलों में ईसाई आबादी में 102% की वृद्धि हुई है। गुरदासपुर में पिछले पांच सालों में चार लाख से ज्यादा धर्म परिवर्तन हुए हैं।
ऐतिहासिक संदर्भ और आज की चुनौती
ध्यान देने वाली बात यह है कि धर्मांतरण का यह प्रयास आज का नहीं है। 18वीं सदी में ब्रिटिश शासन के दौरान मिशनरियों को धर्म प्रचार की छूट दी गई थी, जिसका सीधा असर दलित सिखों पर पड़ा। तब आर्य समाज ने शुद्धि आंदोलन चलाया था, जिससे यह लहर कुछ समय के लिए धीमी पड़ी। लेकिन अब यह फिर से तेज होती दिख रही है।
सुरक्षा से जुड़ा खतरा
बॉर्डर क्षेत्र में इस तरह के सुनियोजित धर्म परिवर्तन केवल धार्मिक समीकरण नहीं बदलते, बल्कि सुरक्षा पर भी असर डालते हैं। सिख समुदाय, जिसने इतिहास में अत्याचारों के खिलाफ मोर्चा लिया, वह आज लालच और धोखे का शिकार बन रहा है। यह आने वाले समय में राष्ट्र विरोधी शक्तियों को बढ़ावा दे सकता है।