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UP Sikhs  Conversion News: पीलीभीत से पंजाब तक, सिखों के धर्मांतरण की साजिश और देश की...

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UP Sikhs  Conversion News: भारत में एक तरफ व्हाइट हाउस की तरह ‘ब्लैक वर्सेज व्हाइट’ की लड़ाई की बातें हो रही हैं, तो दूसरी ओर यूपी के पीलीभीत में सिख समुदाय के खिलाफ एक खतरनाक साजिश परत-दर-परत सामने आ रही है। सिख धर्म, जिसे गुरु नानक देव जी ने “एक ईश्वर और सीधे जुड़ाव” का मार्ग बताया था, आज उसी पंथ के अनुयायी धर्म परिवर्तन के दबाव और प्रलोभन का शिकार बन रहे हैं।

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बॉर्डर पर मिशनरियों का गुप्त खेल- UP Sikhs  Conversion News

भारत-नेपाल सीमा से सटे यूपी के पीलीभीत जिले में 2020 से कन्वर्जन माफिया सक्रिय हैं। बताया जा रहा है कि यहां करीब 3,000 से अधिक सिखों का धर्म परिवर्तन कर उन्हें ईसाई बना दिया गया है। यह केवल धार्मिक मुद्दा नहीं, बल्कि भारत की आंतरिक सुरक्षा से जुड़ा गंभीर मामला बन गया है।

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पीलीभीत में लगभग 20 से 30 हजार सिखों की आबादी है, जो कृषि और छोटे व्यापार से जुड़ी है। लेकिन अब इन इलाकों में ईसाई मिशनरियों की घुसपैठ गहरी हो चुकी है। नेपाल सीमा से आए कुछ लोगों ने करीब 160 सिख परिवारों को धर्म बदलवाया। इन लोगों को कथित रूप से चमत्कार, इलाज और आर्थिक लाभ का लालच दिया गया।

दबाव, प्रलोभन और पहचान की रणनीति

जी मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, पीलीभीत के कई गांवों में ज़ी मीडिया की टीम जब पहुंची तो खुलासा हुआ कि धर्म परिवर्तन के बाद भी इन लोगों को पगड़ी और कड़ा जैसे सिख प्रतीक पहनने को कहा गया, ताकि उनके नए धर्म की पहचान न हो सके। मिशनरी खुलेआम सिखों से कहते हैं कि वे अपने पारंपरिक नाम और वेशभूषा बनाए रखें, जिससे धर्म परिवर्तन को छिपाया जा सके।

मंजीत कौर की शिकायत से खुली परत

13 मई को मंजीत कौर नाम की महिला ने थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई कि उनके पति को बहला-फुसलाकर ईसाई बनाया गया और अब उन पर और बच्चों पर भी दबाव बनाया जा रहा है। उन्हें दो लाख रुपये और सरकारी योजनाओं का लाभ देने का वादा किया गया, लेकिन बाद में न तो कोई मदद मिली, न ही वादा निभाया गया। पुलिस ने इस मामले में 8 नामजद और 12 अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है।

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पंजाब में भी गहराता संकट

धर्मांतरण की यह लहर केवल यूपी तक सीमित नहीं है। पंजाब में भी हालात चिंताजनक हैं। आंकड़े बताते हैं कि पिछले दो वर्षों में 3.5 लाख से ज्यादा लोगों ने ईसाई धर्म अपनाया। तरनतारन जैसे जिलों में ईसाई आबादी में 102% की वृद्धि हुई है। गुरदासपुर में पिछले पांच सालों में चार लाख से ज्यादा धर्म परिवर्तन हुए हैं।

ऐतिहासिक संदर्भ और आज की चुनौती

ध्यान देने वाली बात यह है कि धर्मांतरण का यह प्रयास आज का नहीं है। 18वीं सदी में ब्रिटिश शासन के दौरान मिशनरियों को धर्म प्रचार की छूट दी गई थी, जिसका सीधा असर दलित सिखों पर पड़ा। तब आर्य समाज ने शुद्धि आंदोलन चलाया था, जिससे यह लहर कुछ समय के लिए धीमी पड़ी। लेकिन अब यह फिर से तेज होती दिख रही है।

सुरक्षा से जुड़ा खतरा

बॉर्डर क्षेत्र में इस तरह के सुनियोजित धर्म परिवर्तन केवल धार्मिक समीकरण नहीं बदलते, बल्कि सुरक्षा पर भी असर डालते हैं। सिख समुदाय, जिसने इतिहास में अत्याचारों के खिलाफ मोर्चा लिया, वह आज लालच और धोखे का शिकार बन रहा है। यह आने वाले समय में राष्ट्र विरोधी शक्तियों को बढ़ावा दे सकता है।

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RAW Agent Salary: गोपनीयता के साये में राष्ट्र रक्षा, कैसे काम करते हैं रॉ एजेंट्स और...

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RAW Agent Salary: भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच एक बार फिर जासूसी का मामला सुर्खियों में है। हाल ही में यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा समेत कई लोगों को पाकिस्तानी एजेंट होने के संदेह में गिरफ्तार किया गया है। उन पर आरोप है कि वे भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल थे और पाकिस्तान के लिए संवेदनशील जानकारी साझा कर रहे थे। इन गिरफ्तारियों ने एक बार फिर खुफिया एजेंसियों के कार्य और एजेंट्स की भूमिका को चर्चा में ला दिया है। खासकर भारत की प्रमुख खुफिया एजेंसी रॉ (Research and Analysis Wing), जिसे देश के अंदर और बाहर रणनीतिक मिशनों की जिम्मेदारी सौंपी जाती है। लेकिन रॉ एजेंट्स के काम और उनकी पहचान हमेशा रहस्य से घिरी रहती है।

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रॉ एजेंट्स: देश की सुरक्षा के गुप्त प्रहरी- RAW Agent Salary

रॉ एजेंट्स देश की सुरक्षा, आतंकवाद का मुकाबला और भारत के रणनीतिक हितों की रक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खुफिया जानकारी इकट्ठा करते हैं। इनका हर मिशन गोपनीय होता है और इसके बारे में आम लोगों को कोई जानकारी नहीं होती। एजेंट्स को कई महीनों तक बेहद कठिन ट्रेनिंग दी जाती है जिसमें मानसिक मजबूती, विश्लेषणात्मक क्षमता, जासूसी तकनीकों की समझ और दूसरे देशों की संस्कृति में घुलने-मिलने की क्षमता विकसित की जाती है।

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पहचान बनी रहनी चाहिए गुप्त

रॉ एजेंट्स का सबसे बड़ा हथियार होता है उनकी छिपी हुई पहचान। चाहे वे भारत में रह रहे हों या किसी अन्य देश में मिशन पर हों, उनकी असली पहचान को छिपाकर रखना जरूरी होता है। अक्सर वे अलग नाम, पेशा और जीवनशैली अपनाते हैं ताकि उनके असली मकसद का पता न चले। यह जरूरी है क्योंकि एक बार अगर उनकी असल पहचान उजागर हो जाती है, तो ना केवल उनका जीवन खतरे में पड़ता है, बल्कि मिशन भी विफल हो सकता है।

सैलरी का सिस्टम कैसे चलता है?

अब सवाल उठता है कि इतनी गोपनीयता के बावजूद, रॉ एजेंट्स को सैलरी कैसे दी जाती है? चूंकि रॉ का काम पूरी तरह गोपनीय होता है, इसलिए इसके एजेंट्स की सैलरी से जुड़ा कोई आधिकारिक डाटा सार्वजनिक नहीं किया जाता। लेकिन जानकारों के मुताबिक, एजेंट्स की पहचान भले ही आम लोगों से छिपाई जाती हो, परंतु सरकारी रिकॉर्ड्स में उनका असली नाम होता है। उसी नाम से उनका बैंक अकाउंट चलता है और वहीं पर उनकी सैलरी ट्रांसफर की जाती है।

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हालांकि यह भी माना जाता है कि विदेश में तैनाती के दौरान रॉ एजेंट्स को स्थानीय पहचान के अनुरूप नकद भत्ते या छद्म नाम से व्यवस्थाएं दी जाती हैं ताकि उनकी पहचान उजागर न हो। वहीं, भारत में रहते हुए वे अपने असली नाम से रहते हैं और सामान्य नागरिक की तरह जीवन व्यतीत करते हैं, लेकिन उनके असली काम की जानकारी केवल उच्च स्तर के अधिकारियों को ही होती है।

क्यों आई चर्चा में रॉ एजेंसी?

यूट्यूबर समेत कई लोगों की गिरफ्तारी के बाद यह चर्चा तेज हो गई है कि पाकिस्तान भी भारत की तरह एजेंट्स भेजकर खुफिया जानकारी जुटाने की कोशिश करता है। फर्क सिर्फ इतना है कि रॉ के एजेंट्स गहन ट्रेनिंग से गुजरते हैं और उनका चयन बेहद कठोर प्रक्रिया से होता है। उन्हें देशभक्ति, गोपनीयता और जोखिम उठाने के लिए तैयार रहना होता है।

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Bareilly News: बरेली में सफाई के नाम पर लापरवाही, नगर निगम की गलती से मजदूर की दर्दना...

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Bareilly News: उत्तर प्रदेश के बरेली शहर से एक दिल दहला देने वाली खबर सामने आई है, जहां नगर निगम की लापरवाही ने एक मेहनतकश मजदूर की जान ले ली। नालों की सफाई के दौरान हुई इस दुर्घटना ने नगर निगम के कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। आईए जानते हैं क्या है ये पूरा ममाला।

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कैसे हुआ हादसा? (Bareilly News)

पूरा मामला बरेली के बारादरी क्षेत्र के सतीपुर इलाके का है। जानकारी के अनुसार, इन दिनों नगर निगम द्वारा शहर भर में नालों की सफाई कराई जा रही है। नालों से निकाले गए गंदे कीचड़ को ट्राली में भरकर शहर के बाहर फेंका जाता है। इसी प्रक्रिया के दौरान शुक्रवार को एक बेहद दुर्भाग्यपूर्ण हादसा हुआ।

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स्थानीय निवासी और 45 वर्षीय मजदूर सुनील कुमार दोपहर के समय अपने घर के पास एक पेड़ के नीचे बैठकर आराम कर रहे थे। उसी दौरान नगर निगम की ट्राली आई और कीचड़ को पलटने लगी। कर्मचारियों ने बिना आसपास देखे ट्राली पलट दी, जिससे पूरा कीचड़ सीधा सुनील कुमार के ऊपर जा गिरा।

मौके पर ही मौत, परिवार पर टूटा दुख का पहाड़

घटना होते ही वहां मौजूद लोगों में अफरा-तफरी मच गई। आसपास के लोगों ने सुनील को तुरंत बाहर निकाला और अस्पताल ले जाने की कोशिश की, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।

सुनील कुमार का परिवार इस हादसे से गहरे सदमे में है। वे घर की आर्थिक रीढ़ थे और सब्जी बेचकर अपने परिवार का पेट पालते थे। उनकी असामयिक मौत से पत्नी, बच्चे और बाकी परिजन पूरी तरह टूट चुके हैं। परिवार का रो-रोकर बुरा हाल है।

नगर निगम पर सवाल, प्रशासन की लीपा-पोती

घटना के बाद स्थानीय लोगों में गुस्सा है। लोगों का कहना है कि अगर कर्मचारी थोड़ी सावधानी बरतते और आस-पास देख लेते, तो ये हादसा टाला जा सकता था। यह साफ लापरवाही का मामला है, जिसकी कीमत एक निर्दोष व्यक्ति को अपनी जान देकर चुकानी पड़ी।

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नगर निगम के अधिकारियों ने मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच शुरू कर दी है। एक अधिकारी ने बताया कि संबंधित ठेकेदार और जिम्मेदार कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। साथ ही भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचने के लिए कार्यस्थल पर सुरक्षा के इंतजाम भी सुनिश्चित किए जाएंगे।

क्या बदलेगी नगर निगम की कार्यशैली?

यह कोई पहला मामला नहीं है जब नगर निगम की लापरवाही से जानमाल का नुकसान हुआ हो। लेकिन सवाल यह है कि क्या सुनील कुमार की मौत के बाद नगर निगम अपनी कार्यशैली में बदलाव लाएगा? या फिर एक और निर्दोष की जान यूं ही अनदेखी की भेंट चढ़ जाएगी?

फिलहाल, पूरे इलाके में शोक का माहौल है। लोग सुनील कुमार की अंतिम यात्रा में शामिल होकर न्याय की मांग कर रहे हैं।

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Bangladesh Bloody corridor: बांग्लादेश में सियासी तूफान! ‘ब्लडी कॉरिडोर’ ने मोहम्मद य...

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Bangladesh Bloody corridor: बांग्लादेश की राजनीति इन दिनों तीव्र उथल-पुथल के दौर से गुजर रही है। हाल ही में अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस ने अपने पद से इस्तीफा देने की पेशकश की, जो इस पूरे विवाद की जटिलता को उजागर करती है। उनकी यह पेशकश न केवल सत्ता संघर्ष की कहानी बताती है, बल्कि बांग्लादेश की सेना के इस मामले में सख्त रुख को भी सामने लाती है।

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सेना के तीन कड़े संदेश और ब्लडी कॉरिडोरका मुद्दा- Bangladesh Bloody corridor

सेना प्रमुख जनरल वकार उज जमान ने मोहम्मद यूनुस को तीन अहम संदेश दिए हैं, जिन्हें राजनीतिक गलियारों में गंभीर चेतावनी माना गया है। उन्होंने कहा कि दिसंबर तक देश में चुनाव कराए जाएं, सैन्य मामलों में सरकार दखल न दे और सबसे महत्वपूर्ण, म्यांमार के साथ ब्लडी कॉरिडोरको बंद किया जाए।

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ब्लडी कॉरिडोरका तात्पर्य चटगांव-राखिन गलियारे से है, जो बांग्लादेश से म्यांमार के राखिन क्षेत्र को जोड़ता है। यह गलियारा रोहिंग्या शरणार्थियों के लिए मानवीय सहायता पहुंचाने के लिए प्रस्तावित किया गया था। लेकिन इस गलियारे को लेकर सेना ने अपनी संप्रभुता पर खतरा महसूस किया और इसे रेड लाइनपार करने जैसा माना।

मोहम्मद यूनुस पर बढ़ते दबाव

अर्थशास्त्री से राजनेता बने मोहम्मद यूनुस पिछले नौ महीने से राजनीतिक अड़चनों का सामना कर रहे हैं। सेना की चेतावनी के साथ-साथ छात्रों के नए राजनीतिक दल ने भी उनके खिलाफ प्रदर्शन किए, जिससे उनका तनाव और बढ़ गया। यूनुस ने खुले तौर पर यह माना है कि राजनीतिक दलों के साथ मिलकर काम करना उनके लिए मुश्किल होता जा रहा है।

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उनके विदेशी मामलों के सलाहकार तौहीद हुसैन ने बिना सेना की सहमति के राखिन गलियारे पर संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया था, जिसने सेना को असंतुष्ट कर दिया। इस कदम को सेना ने अपनी संप्रभुता के लिए खतरा माना।

सेना और राजनीतिक अस्थिरता के बीच रोहिंग्या संकट

सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि राखिन गलियारा म्यांमार के गृहयुद्ध और अराकान विद्रोही समूहों की गतिविधियों के कारण बांग्लादेश के लिए खतरा बन सकता है। रोहिंग्या शरणार्थियों की संख्या पहले से ही दस लाख से अधिक है, और गलियारे के खुलने से यह संख्या और बढ़ सकती है, जिससे सामाजिक और राजनीतिक तनाव पैदा होगा।

अमेरिकी हितों से जुड़े इस प्रोजेक्ट को लेकर भी चर्चा है कि अमेरिका बांग्लादेश की संप्रभुता के खिलाफ इसे आगे बढ़ा रहा है। सेना ने इस परियोजना का स्पष्ट विरोध करते हुए कहा है कि वे किसी भी ऐसी गतिविधि में शामिल नहीं होंगे जो देश की संप्रभुता को प्रभावित करे।

यूनुस का राजनीति से हटने का निर्णय

सेना के कड़े रुख और राजनीतिक दबाव के बीच मोहम्मद यूनुस ने इस्तीफा देने का विचार व्यक्त किया है। उन्होंने कहा है कि वे इस स्थिति में और काम नहीं कर पा रहे हैं और बंधक जैसा महसूस कर रहे हैं। एनसीपी जैसे राजनीतिक दल भी उनकी इस्तीफे की खबरों को लेकर सक्रिय हैं।

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार खलीलुर रहमान ने स्पष्ट किया कि सरकार ने राखिन गलियारे पर किसी भी पक्ष से बातचीत नहीं की है और आगे भी ऐसा नहीं करेगी।

राखिन कॉरिडोर का उद्देश्य और विवाद

राखिन कॉरिडोर का मूल उद्देश्य म्यांमार के गृहयुद्ध से प्रभावित क्षेत्र में मानवीय सहायता पहुंचाना है, जहां लाखों लोग अकाल और हिंसा का सामना कर रहे हैं। लेकिन इस गलियारे को लेकर सुरक्षा और संप्रभुता के मसले ने इसे विवादित बना दिया है।

क्या नौ महीने में खत्म हो गया मोहम्मद यूनुस का राजनीतिक सफर?

नोबेल पुरस्कार विजेता और बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस ने अगस्त 2024 में सत्ता संभाली थी। वे लोकतांत्रिक सुधार और आर्थिक स्थिरता का वादा लेकर आए थे। लेकिन नौ महीनों के भीतर उनकी सरकार को कड़े राजनीतिक और सैन्य दबावों का सामना करना पड़ा। चुनाव स्थगित करने और कट्टरपंथी समूहों के सामने झुकने के कारण उनकी विश्वसनीयता पर सवाल उठे हैं।

यूनुस की सरकार ने आवामी लीग को प्रतिबंधित किया, जिससे राजनीतिक अस्थिरता और बढ़ी। साथ ही भारत के साथ अनावश्यक तनाव ने देश की अर्थव्यवस्था को भी प्रभावित किया। इन सभी कारकों के चलते सेना ने उन्हें स्पष्ट संदेश भेजा और ब्लडी कॉरिडोरको बंद करने का आदेश दिया।

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Sant Kabir Nagar News: सीएचसी अधीक्षक पर पोर्न वीडियो आरोप, पत्नी ने सबूतों के साथ की...

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Sant Kabir Nagar News: सीएचसी खलीलाबाद के अधीक्षक डॉ. वरुणेश दुबे पर उनकी पत्नी ने अश्लील वीडियो बनाने और उसे पेड वेबसाइट पर अपलोड करने के गंभीर आरोप लगाए हैं। मामला तब उजागर हुआ जब पत्नी ने इंटरनेट पर उनके कई अश्लील वीडियो पाए, जिन्हें उन्होंने पुलिस को सबूत के रूप में सौंप दिया है। मामले की जांच के लिए पुलिस ने डॉ. दुबे का मेडिकल कराया है और तीन सदस्यीय जांच कमेटी गठित की गई है।

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पत्नी के आरोप: जुर्म कबूल कर बदनामी से बचें – Sant Kabir Nagar News

डॉ. दुबे की पत्नी ने आरोप लगाया है कि उनके पति ने कई अश्लील वीडियो “मीना राय” नाम से एक फर्जी फेसबुक आईडी से पेड साइट पर अपलोड किए हैं। उन्होंने दावा किया कि वीडियो उनके ही सरकारी क्वार्टर में बनाए गए हैं क्योंकि वीडियो में दिख रहे वॉलपेपर, फर्नीचर और सजावट उन्होंने खुद लगवाए थे। पत्नी ने पुलिस को पेन ड्राइव में वीडियो और फुटेज सौंपे हैं और मेडिकल परीक्षण भी कराया है। उन्होंने अपने पति से अपील की है कि वे सबके सामने आकर जुर्म कबूल करें ताकि उनकी और उनकी पत्नी की बदनामी से बचा जा सके।

जायदाद विवाद से इनकार, मांग न्याय की

पत्नी ने स्पष्ट किया कि यह मामला प्रॉपर्टी विवाद से जुड़ा नहीं है। उन्होंने बताया कि शादी के बाद भी उनके पति के कई महिलाओं से संबंध रहे, लेकिन उन्होंने इसका विरोध किया। जायदाद हड़पने का कोई सवाल ही नहीं है क्योंकि उनके पति के भाई-बहन नहीं हैं और संपत्ति परिवार में उन्हें ही मिलेगी। पत्नी ने कहा कि उनका उद्देश्य केवल न्याय पाना है और दोषी को सजा मिलनी चाहिए।

डॉ. वरुणेश दुबे ने लगाए साजिश के आरोप

वहीं, डॉ. वरुणेश दुबे ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में अपनी सफाई देते हुए बताया कि वायरल हो रहे वीडियो डीपफेक तकनीक से बनाए गए हैं और उनकी छवि को खराब करने के लिए यह साजिश रची गई है। उन्होंने अपनी पत्नी पर अवैध संबंधों और मानसिक प्रताड़ना के गंभीर आरोप लगाए। डॉ. दुबे ने बताया कि उनकी पत्नी ने कई बार उनके खिलाफ झूठे आरोप लगाए और परिवार के अन्य सदस्यों पर भी हमला किया।

गृह कांड और पुलिस कार्रवाई

पत्नी ने अपने मायकेवालों को घटना की जानकारी दी, जिसके बाद पति के सरकारी आवास का ताला खोलवाया गया। आवास की तलाशी के दौरान पुलिस को कई सबूत मिले। पुलिस ने केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है और सरकारी आवास को सीज कर दिया गया है। इस बीच, पति-पत्नी दोनों पक्षों के बीच पुरानी बहसें और आरोप-प्रत्यारोप भी सामने आए हैं, जिनमें मारपीट, मानसिक प्रताड़ना और संपत्ति विवाद के दावे शामिल हैं।

तीन सदस्यीय जांच समिति गठित

जांच के लिए जिला प्रशासन ने तीन सदस्यीय समिति का गठन किया है, जिसमें वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. महेन्द्र प्रसाद, डॉ. रामरतन और डॉ. शैलेन्द्र शामिल हैं। समिति को एक सप्ताह में रिपोर्ट सौंपनी है। पुलिस विभाग की जांच में यदि ठोस साक्ष्य मिलते हैं, तो आगे की कार्रवाई की जाएगी।

डॉ. वरुणेश दुबे और उनकी पत्नी के बीच चल रहे इस विवाद ने पुलिस और प्रशासन को सक्रिय कर दिया है। मामले की निष्पक्ष और समयबद्ध जांच की मांग की जा रही है। साथ ही, पति-पत्नी दोनों से सार्वजनिक रूप से सच बताने और विवाद को सुलझाने की अपेक्षा की जा रही है ताकि परिवार और समाज दोनों को न्याय मिल सके।

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आप भी दिन भर थका थका महसूस करते हैं? ब्रेकफास्ट में जरूर खाएं ये 3 फूड्स, दिन भर रहेग...

Healthy foods for breakfast: अगर आप भी दिनभर थका हुआ महसूस करते हैं तो इसका एक बड़ा कारण सुबह की डाइट में पोषण की कमी हो सकती है। सुबह की डाइट ही हमारे पूरे दिन की ऊर्जा का आधार होती है। अगर आप अपनी डाइट में सही एनर्जी शामिल करते हैं तो आप दिनभर ऊर्जावान महसूस करेंगे। इसलिए इस लेख में आपको विस्तार से बताया गया है कि सुबह के समय कौन-सा खाना आपके लिए सही रहेगा जो आपको दिनभर राहत देगा।

नाश्ते में लें ये 3 फ़ूड

  1. ओट्स (Oats)

सुबह नाश्ते में ओट्स (Oats) खाना एक बेहतरीन विकल्प है। ओट्स (Oats) जटिल कार्बोहाइड्रेट का एक बेहतरीन स्रोत है, जो धीरे-धीरे ऊर्जा जारी करता है। इसका मतलब है कि यह आपको लंबे समय तक ऊर्जावान बनाए रखता है और रक्त शर्करा में अचानक वृद्धि या गिरावट का कारण नहीं बनता है।

ओट्स (Oats) को आप कई तरह से बना सकते हैं, जैसे आप दूध या पानी के साथ ओट्स बना सकते हैं। इसे और भी हेल्दी बनाने के लिए इसमें केला, बेरी या सेब जैसे ताजे फल मिलाएँ। इसके अलावा नट्स और सीड्स (जैसे बादाम, अखरोट, चिया सीड्स) मिलाने से पोषण और फाइबर बढ़ जाता है। आप इसमें थोड़ा शहद या मेपल सिरप भी मिला सकते हैं, लेकिन बहुत ज़्यादा चीनी डालने से बचें।

प्रोटीन का बेहतर सोर्स अंडे (EGG)

अंडे प्रोटीन (Eggs Protein) का एक पावरहाउस हैं। जो की सुबह नाश्ते में बेहद ही फायदेमंद है अंडे में प्रोटीन की मात्रा काफी होती है जो की शरीर की मांसपेशियों के निर्माण और मरम्मत के लिए ज़रूरी होता है, और यह आपको लंबे समय तक पेट भरा हुआ महसूस कराता है, जिससे अनावश्यक स्नैकिंग से बचा जा सकता है।

 उबले अंडे (boiled eggs) खाने के कई तरीके हैं और उबले अंडे सबसे आसान और सेहतमंद विकल्पों में से एक हैं। आप ऑमलेट (scrambled eggs) या तले हुए अंडे भी बना सकते हैं, जिसमें आप अपनी पसंद की सब्ज़ियाँ जैसे पालक, शिमला मिर्च या प्याज़ डाल सकते हैं। या अंडे का सैंडविच या रैप भी एक अच्छा विकल्प है।

दही या ग्रीक योगर्ट (फल और नट्स के साथ)

दही प्रोबायोटिक्स (Yogurt) का एक बेहतरीन स्रोत है, जो आंत के स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है। स्वस्थ आंत ऊर्जा के स्तर को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। ग्रीक दही (Greek Yogurt) में नियमित दही की तुलना में अधिक प्रोटीन होता है, जो इसे और भी अधिक फायदेमंद बनाता है। सादे दही या ग्रीक दही के साथ ताजे फल (जैसे जामुन, अनार या सेब) और मेवे (बादाम, अखरोट) मिलाएं। आप इसमें थोड़ा शहद या चिया बीज भी मिला सकते हैं। इसका उपयोग स्मूदी में भी किया जा सकता है।

इसके अलावा, पर्याप्त पानी पिए…सुबह उठते ही और पूरे दिन पर्याप्त पानी पीना भी ऊर्जा के स्तर को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है। वही नाश्ते के लिए पैकेज्ड जूस, मीठे अनाज और प्रोसेस्ड स्नैक्स से बचें, क्योंकि इनमें चीनी की मात्रा अधिक होती है जो आपको तुरंत ऊर्जा दे सकती है लेकिन बाद में आपको थका हुआ महसूस करा सकती है। बता दें, हर दिन नाश्ता करने की आदत डालें, भले ही आपके पास कम समय हो।

Famous Sikh women abroad: विदेशों में सिख महिलाओं की सफलता की मिसाल! शिक्षा, नेतृत्व ...

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Famous Sikh women abroad: सिख महिलाओं ने दुनिया भर में अपनी मेहनत, प्रतिभा और दृढ़ संकल्प से शिक्षा और नेतृत्व के क्षेत्र में नई ऊंचाइयां हासिल की हैं। उनकी कहानियां न केवल प्रेरणादायक हैं, बल्कि ये सामाजिक व सांस्कृतिक बाधाओं को पार करने का अद्भुत उदाहरण भी पेश करती हैं। यहां हम पांच ऐसी सिख महिलाओं की बात करेंगे, जिन्होंने वैश्विक मंच पर सिख समुदाय का नाम रोशन किया है।

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हरनाम कौर: आत्मविश्वास और बॉडी पॉजिटिविटी की प्रतीक- Famous Sikh women abroad

ब्रिटेन की हरनाम कौर एक मॉडल, एक्टिविस्ट और मोटिवेशनल स्पीकर हैं, जिन्होंने अपने चेहरे पर उगी दाढ़ी को गर्व के साथ अपनाकर विश्वभर में पहचान बनाई। पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS) की वजह से उन्हें यह चुनौती मिली, लेकिन हरनाम ने इसे अपनी ताकत बनाया। उन्होंने लंदन फैशन वीक में रैंप वॉक कर इतिहास रचा और गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में सबसे कम उम्र की दाढ़ी वाली महिला के रूप में दर्ज हुईं। हरनाम शिक्षा के क्षेत्र में भी सक्रिय हैं और बॉडी पॉजिटिविटी को बढ़ावा देने के लिए स्कूलों व कॉलेजों में जागरूकता फैलाती हैं। उनकी किताब Bearded Lady महिलाओं को सामाजिक मानदंडों से ऊपर उठने की प्रेरणा देती है।

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मनप्रीत मोनिका सिंह: अमेरिका की पहली महिला सिख न्यायाधीश

भारतीय मूल की मनप्रीत मोनिका सिंह ने जनवरी 2023 में टेक्सास के हैरिस काउंटी सिविल कोर्ट में न्यायाधीश के पद की शपथ ली। वे अमेरिका में पहली महिला सिख न्यायाधीश हैं। ह्यूस्टन में पली बढ़ी मनप्रीत ने 20 वर्षों तक निचली अदालत की वकील के रूप में काम किया और कई नागरिक अधिकार संगठनों से जुड़ी रहीं। शपथ ग्रहण समारोह में उन्होंने कहा कि यह उनके लिए गर्व की बात है कि वे अपने समुदाय का प्रतिनिधित्व कर रही हैं। उनकी नियुक्ति सिख समुदाय के लिए एक बड़ी उपलब्धि मानी गई।

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राजी बराड़: कैलिफोर्निया स्टेट यूनिवर्सिटी बोर्ड की प्रभावशाली सदस्य

राजी कौर बराड़ भारतीय मूल की सिख महिला हैं जो अमेरिका में बिजनेस और शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी हैं। उन्हें कैलिफोर्निया स्टेट यूनिवर्सिटी बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज में नियुक्त किया गया है, जो अमेरिका की सार्वजनिक उच्च शिक्षा प्रणाली में एक महत्वपूर्ण पद है। राजी बराड़ के माता-पिता 1970 के दशक में पंजाब से अमेरिका आए थे। वह बेकर्सफील्ड में रहती हैं और बेकर्सफील्ड सिख विमेंस एसोसिएशन की को-फाउंडर भी हैं। उनकी कहानी मेहनत और संघर्ष की मिसाल है।

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सुखमनी कौर रयात: ब्रिटेन की युवा तबला वादक

ब्रिटेन की सुखमनी कौर ने पारंपरिक संगीत की दुनिया में अपनी खास पहचान बनाई है। वे ब्रिटिश एशियाई पारंपरिक संगीत में उभरती हुई एकमात्र महिला तबला वादकों में से हैं। संगीत क्षेत्र में महिलाओं के प्रति बने रूढ़िवादी नजरिये को तोड़ते हुए सुखमनी ने अपनी प्रतिभा से सभी का दिल जीता है। उनका यह सफर महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है कि वे किसी भी क्षेत्र में सफल हो सकती हैं।

Famous Sikh women abroad
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हरलीन कौर और फिटनेस कौर: खेल और फिटनेस में सिख महिलाओं की ताकत

ब्रिटेन की हरलीन कौर किकबॉक्सिंग में विश्व रजत पदक विजेता हैं और एशियाई खेल फाउंडेशन की प्रतिनिधि हैं। वे खेलों में लैंगिक समानता और महिला एथलीटों के अधिकारों के लिए काम करती हैं।

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वहीं, फिटनेस कौर (गुरप्रीत कौर) इंस्टाग्राम पर पगड़ी पहनकर कसरत करती हैं और फिटनेस प्रेरणा के रूप में जानी जाती हैं। उन्होंने बॉडीवेट ट्रेनिंग में विशेषज्ञता हासिल की है और अपने अनुभवों को साझा कर सिख समुदाय में फिटनेस की अहमियत पर प्रकाश डाला है।

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विदेशों में ये सिख महिलाएं न केवल अपने क्षेत्र की विशेषज्ञ हैं, बल्कि वे सामाजिक और सांस्कृतिक बाधाओं को पार कर एक नई मिसाल कायम कर रही हैं। उनकी सफलताएं यह दर्शाती हैं कि मेहनत, आत्मविश्वास और दृढ़ संकल्प से कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। ये महिलाएं न केवल सिख समुदाय के लिए गर्व की बात हैं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। उनके संघर्ष और उपलब्धियों की कहानियां युवाओं को आगे बढ़ने और सपनों को साकार करने के लिए प्रोत्साहित करती हैं।

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The Bodhisattva Ideal: बोधिसत्त्व मार्ग- खुद को पीछे छोड़कर दूसरों के लिए जीने का अनम...

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The Bodhisattva Ideal: बोधिसत्त्व मार्ग महायान बौद्ध धर्म की एक प्रमुख शिक्षा है, जो केवल अपने लिए ही नहीं बल्कि सभी जीवों के कल्याण के लिए बोधि—प्रबुद्धता—की प्राप्ति का लक्ष्य रखता है। बोधिसत्त्व वे व्यक्ति होते हैं जिन्होंने अपने अंतिम निर्वाण (मुक्ति) को स्थगित कर दिया है ताकि वे सभी जीवों को जागरण की यात्रा में सहायता कर सकें। यह मार्ग स्वार्थहीन समर्पण और करुणा का एक प्रेरणादायक आध्यात्मिक आदर्श है।

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बोधिसत्त्व प्रतिज्ञाएं: दूसरों की भलाई को प्राथमिकता- The Bodhisattva Ideal

बोधिसत्त्व मार्ग के केंद्र में बोधिसत्त्व प्रतिज्ञाएं होती हैं, जो दूसरों की मुक्ति और भलाई को अपने व्यक्तिगत लक्ष्य से ऊपर रखने की प्रतिबद्धता को दर्शाती हैं। ये प्रतिज्ञाएं सामान्यत: चार मुख्य उद्देश्य रखती हैं:

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  • सभी प्राणियों को दुःख से मुक्ति दिलाना।
  • अवांछित मानसिक अवस्थाओं और अज्ञान को समाप्त करना।
  • सद्गुणों और योग्यताओं को विकसित करना।
  • सभी प्राणियों के कल्याण के लिए बोधि की प्राप्ति।

यह प्रतिज्ञाएं नैतिक आचरण, सजगता और करुणा के मार्गदर्शन के रूप में काम करती हैं। जब कोई व्यक्ति जीवन में कठिन परिस्थिति का सामना करता है, तो ये प्रतिज्ञाएं उसे धैर्य और सहानुभूति से स्थिति को संभालने की प्रेरणा देती हैं।

करुणा की पूर्णता (करुणा)

करुणा या करुणाभाव बोधिसत्त्व मार्ग की नींव है। इसका अर्थ है सभी प्राणियों के दुःख को कम करने की गहरी इच्छा, जिसे कार्यों के माध्यम से पूरा किया जाता है। महायान बौद्ध धर्म में करुणा केवल भावनात्मक प्रतिक्रिया नहीं, बल्कि एक सक्रिय और संकल्पित अभ्यास है जो हमारे व्यवहार और दृष्टिकोण को बदलता है।

करुणा का अभ्यास दूसरों की भावनाओं को समझने और स्वार्थविहीन रूप से उनके कल्याण के लिए काम करने में है। उदाहरण के तौर पर, बोधिसत्त्व सामुदायिक सेवा में सक्रिय रूप से भाग ले सकता है, दूसरों को भावनात्मक सहायता दे सकता है, और सामाजिक अन्याय को कम करने के लिए प्रयास कर सकता है। प्रेम और करुणा के ध्यान (लविंग-काइंडनेस मेडिटेशन) से भी इस भाव को बढ़ावा मिलता है।

महायान बौद्ध धर्म में बोधिसत्त्व आदर्श

महायान बौद्ध धर्म में बोधिसत्त्व को स्वार्थरहितता और असीम करुणा का प्रतीक माना जाता है। जहां पहले के बौद्ध धर्मों में मुख्य लक्ष्य व्यक्तिगत मुक्ति होती थी, वहीं महायान में सामूहिक जागरण को प्राथमिकता दी जाती है। बोधिसत्त्व को आध्यात्मिक नायक के रूप में देखा जाता है, जो ज्ञान, दान, धैर्य, उत्साह और साधना जैसे सद्गुणों का आदर्श प्रस्तुत करता है।

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बोधिसत्त्व मार्ग का एक खास पहलू इसकी सुलभता है। कोई भी व्यक्ति इस मार्ग को अपना सकता है, यदि वह छह परमिताओं (परोपकार के छह गुणों) का अभ्यास करता है:

  1. दान (उदारता)
  2. शील (नैतिकता)
  3. क्षांति (धैर्य)
  4. वीर्य (परिश्रम)
  5. ध्यान (साधना)
  6. प्रज्ञा (बुद्धिमत्ता)

इन गुणों के विकास से व्यक्ति अपने स्वार्थ को पार कर दूसरों की सेवा में तत्पर होता है।

प्रसिद्ध बोधिसत्त्व और उनकी शिक्षाएं

महायान परंपरा में कई प्रमुख बोधिसत्त्वों की पूजा और आदर होता है, जिनके जीवन और शिक्षाएं करुणा और ज्ञान का उदाहरण हैं।

  • अवलोकितेश्वर: अनंत करुणा के प्रतीक, जिनके कई हाथ हैं जो सभी प्राणियों की सहायता करते हैं। उनका मंत्र “ओं मणि पद्मे हूं” करुणा की भावना जगाने के लिए प्रसिद्ध है।
  • मञ्जुश्री: बुद्धिमत्ता के बोधिसत्त्व, जो अपने तेजस्वी तलवार से अज्ञान को काटते हैं और गहरी समझ प्रदान करते हैं।
  • क्षितिगर्भ: प्रतिज्ञा के बोधिसत्त्व, जो नरक में फंसे जीवों की सहायता के लिए समर्पित हैं, जो धैर्य और समर्पण का उत्कृष्ट उदाहरण हैं।

दैनिक जीवन में बोधिसत्त्व मार्ग का पालन

हालांकि बोधिसत्त्व मार्ग ऊँचा लगता है, इसके सिद्धांतों को रोजमर्रा की जिंदगी में अपनाया जा सकता है। कुछ सरल उपाय हैं:

  • उदारता का अभ्यास करें: ज़रूरतमंदों की मदद करें, चाहे समय हो, संसाधन या कोई अच्छा शब्द।
  • नीयत पर ध्यान दें: सोचें कि आपके कर्म दूसरों को कैसे प्रभावित करते हैं और करुणा से काम करें।
  • सेवा में लगें: उन कार्यों में हिस्सा लें जो सामाजिक कल्याण के लिए हों।
  • ज्ञान प्राप्त करें: ध्यान और चिंतन से अपनी समझ को बढ़ाएं।

इस प्रकार कोई भी व्यक्ति बोधिसत्त्व आदर्श को अपनाकर समाज में करुणा और सहानुभूति की लहर पैदा कर सकता है।

बोधिसत्त्व मार्ग स्वार्थहीन करुणा और बुद्धिमत्ता का गहरा मॉडल प्रस्तुत करता है। दूसरों की सेवा करते हुए स्वयं की मुक्ति की ओर बढ़ने का यह मार्ग महायान बौद्ध धर्म के उच्चतम आदर्शों को दर्शाता है। चाहे बड़े कार्य हों या छोटे, यह मार्ग हमें याद दिलाता है कि हर क्रिया से हम एक अधिक करुणामय और जागरूक विश्व की रचना कर सकते हैं।

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Desi Jugaad Viral Video: जब बाइक बनी लकड़ी ले जाने की अनोखी गाड़ी, देसी जुगाड़ ने सोश...

Desi Jugaad Viral Video: आजकल सोशल मीडिया पर ऐसे कई वीडियो वायरल होते हैं जो देखकर लोगों के होश उड़ जाते हैं। उनमें से एक वीडियो खासतौर पर चर्चा में है, जिसमें एक व्यक्ति ने बाइक पर लकड़ी ले जाने का ऐसा अनोखा और खतरनाक जुगाड़ किया है कि लोग देखते ही रह गए। यह वीडियो यूट्यूब, इंस्टाग्राम, फेसबुक और ट्विटर जैसे सभी प्लेटफॉर्म्स पर तेजी से वायरल हो रहा है।

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जुगाड़ का अनोखा तरीका, बाइक पर लगे दो अतिरिक्त पहिए- Desi Jugaad Viral Video

वीडियो में देखा जा सकता है कि एक शख्स ने अपनी बाइक पर पीछे की ओर दो अतिरिक्त पहिए लगाकर लकड़ी को सुरक्षित और बड़े आराम से ले जाने का तरीका निकाला है। यह बंबू की लकड़ी इतनी लंबी और भारी दिख रही थी कि इसे बाइक पर सीधे ले जाना नामुमकिन था, लेकिन इस अनोखे जुगाड़ ने इस समस्या का ऐसा समाधान निकाला कि देखने वाले दंग रह गए।

 

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इस तरह के दो अतिरिक्त पहिए बाइक के पिछले हिस्से में ऐसे लगाए गए हैं कि बाइक के संतुलन में कोई दिक्कत नहीं आ रही। इस कारण चालक आसानी से लकड़ी को साथ लेकर निकल सकता है। यह देसी जुगाड़ एक तरफ मजाक जैसा दिखता है, तो दूसरी तरफ इसकी क्रिएटिविटी की जमकर तारीफ हो रही है।

सोशल मीडिया पर मिली जबरदस्त प्रतिक्रिया

वीडियो देखने के बाद सोशल मीडिया यूजर्स ने अपनी प्रतिक्रियाएं दीं। कई लोगों ने इसे “भयंकर जुगाड़” करार दिया और इसके दिमाग की तारीफ की। एक यूजर ने कमेंट किया, “इसे कहते हैं भयंकर जुगाड़।” वहीं कुछ ने बिहार की लोकल क्रिएटिविटी पर भी मज़ाक उड़ाया। एक अन्य ने लिखा, “Bihar is not even for expert।”

इस वीडियो के जरिए साफ़ दिख रहा है कि जहां संसाधन कम होते हैं, वहां लोगों की सूझबूझ और नवाचार की कोई कमी नहीं होती। देसी जुगाड़ की यह मिसाल यह साबित करती है कि भारत के छोटे शहर और गांवों में लोग कठिन परिस्थितियों में भी समाधान खोजने में पीछे नहीं रहते।

खतरे के बावजूद हँसी और हैरानी का मिला मेल

हालांकि यह जुगाड़ देखने में मजेदार और क्रिएटिव लगता है, पर इसके साथ सुरक्षा की चिंता भी जुड़ी है। बाइक पर अतिरिक्त पहिए लगाना और भारी लकड़ी को लेकर चलना कभी भी खतरनाक हो सकता है। ऐसे में इस वीडियो ने लोगों के दिल में हँसी के साथ-साथ चिंता भी पैदा की है।

लेकिन फिर भी, इस जुगाड़ के पीछे की मेहनत, समझदारी और परिस्थितियों से लड़ने की भावना को नकारा नहीं जा सकता। यही वजह है कि यह वीडियो सोशल मीडिया पर इतना वायरल हो रहा है।

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Jiah Khan Death News: जिया खान की मौत के पीछे की कहानी, जरीना वहाब ने सूरज पंचोली और ...

Jiah Khan Death News: बॉलीवुड की चमक-दमक से भरी दुनिया में कई ऐसी घटनाएं होती हैं जो सालों तक चर्चा में बनी रहती हैं। ऐसी ही एक कहानी है जिया खान की, जिनकी मृत्यु आज से 12 साल पहले मुंबई के अपने घर में संदिग्ध परिस्थितियों में हुई थी। जिया ने कम समय में ही अपनी अभिनय कला से लोगों के दिलों में खास जगह बना ली थी। लेकिन उनकी मौत ने बॉलीवुड को हिला दिया था और उस समय अभिनेता सूरज पंचोली पर उनके सुसाइड के लिए उकसाने के गंभीर आरोप लगे थे। हालांकि, साल 2023 में मुंबई की सीबीआई कोर्ट ने सूरज को सभी आरोपों से बरी कर दिया। अब सूरज की मां और अनुभवी अभिनेत्री जरीना वहाब ने इस दर्दनाक मामले में पहली बार अपने विचार साझा किए हैं।

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सूरज पंचोली और जिया के रिश्ते की सच्चाई- Jiah Khan Death News

जरीना वहाब ने एक इंटरव्यू में बताया कि जब जिया का निधन हुआ, उस वक्त जिया और सूरज का रिश्ता खत्म हो चुका था। जरीना ने साफ़ किया, “बहुत लोग सूरज के बारे में गलतफहमियां रखते हैं। जब वे दोस्त थे, तब सलमान खान ने सूरज को लॉन्च किया था। मैंने सूरज से कहा था कि क्योंकि सलमान तुम्हें लॉन्च कर रहे हैं, इसलिए तुम अपनी दोस्ती को सीमित कर दो। सूरज ने जिया से कहा था कि उसके माता-पिता और मेरी भी यह रिश्ता नहीं चाहते। फिर उन्होंने ब्रेकअप कर लिया।”

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जरीना ने आगे बताया कि ब्रेकअप के बाद भी जिया ने सूरज से कहा था, “क्या मैं तुमसे कभी-कभी मिल सकती हूं?” जवाब मिला, “तुम मुझसे दोस्त की तरह मिल सकती हो, लेकिन गर्लफ्रेंड की तरह नहीं।” यह सब बातें ब्रेकअप से पहले हुई थीं, और उस समय जिया एक फिल्म के लिए दक्षिण भारत जाने वाली थी, लेकिन आखिरी समय में उसे फिल्म से बाहर कर दिया गया, जिससे वह काफी परेशान हो गई थी।

मौत के दिन की दर्दभरी घटना

जरीना वहाब ने बताया कि जिया सुसाइड करने वाले दिन सूरज से संपर्क करने की कोशिश कर रही थी। “वो उस समय बहुत डिप्रेस्ड थी और सूरज को कॉल करने की कोशिश कर रही थी। लेकिन सूरज शूटिंग में व्यस्त था, इसलिए बात नहीं हो पाई। जब सूरज फ्री हुआ, तब उसने जिया को मैसेज किया कि अब मैं फ्री हूं, अगर तुम मुझे कॉल करना चाहती हो तो कर लो। लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।”

जरीना ने कहा कि लोगों ने सूरज पर बहुत कुछ आरोप लगाए, जो सही नहीं था। उन्होंने जिया को “बहुत प्यारी” बताया और कहा कि केवल भगवान ही जानते हैं कि उसके साथ क्या हुआ।

जिया की मौत और बॉलीवुड का असर

जिया खान ने अपने अभिनय से इंडस्ट्री में अपनी एक अलग पहचान बनाई थी। उनकी मौत ने न सिर्फ उनके परिवार और दोस्तों को झकझोर दिया, बल्कि बॉलीवुड में भी कई सवाल खड़े कर दिए। उस वक्त सुराज पंचोली पर आरोप लगे कि उन्होंने जिया को मानसिक तौर पर प्रताड़ित किया, जिससे जिया ने खुदकुशी की। लेकिन सीबीआई कोर्ट ने बाद में सूरज को इस मामले से मुक्त कर दिया।

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जरीना वहाब की भावुक प्रतिक्रिया

अभिनेत्री जरीना वहाब ने इस मामले पर खुलकर अपनी बात रखी और बताया कि अक्सर मीडिया और लोगों ने सूरज पंचोली के खिलाफ गलतफहमियां फैलाईं। उन्होंने जिया की मौत को एक दर्दनाक और व्यक्तिगत त्रासदी बताया, जिसमें सच केवल परिवार के लिए ही ज्ञात था।

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