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पश्चिम बंगाल का ‘Land Rover Village’: जहां हर घर में दौड़ती है 70 साल पुरानी जीप

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Land Rover Village: पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग से करीब 23 किलोमीटर दूर बसा माने भंजांग भारत-नेपाल की सीमा पर स्थित एक छोटा लेकिन बेहद खास गांव है। इस गांव की पहचान उसके खूबसूरत पहाड़ी नज़ारों या बादलों से घिरी वादियों से ही नहीं, बल्कि वहां चलने वाली पुरानी विंटेज लैंड रोवर जीपों से है। यहां लगभग हर घर के बाहर एक लैंड रोवर खड़ी नजर आती है, कुछ तो 1950 के दशक की हैं। इसी वजह से माने भंजांग को अब लोग प्यार से “द लैंड रोवर विलेज” कहते हैं।

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कैसे पहुंचीं ये लैंड रोवर गाड़ियां इस गांव तक? Land Rover Village

इस गांव और इन गाड़ियों की कहानी अंग्रेजों के ज़माने से जुड़ी है। कहा जाता है कि आज़ादी से पहले यहां रहने वाले ब्रिटिश अधिकारी अपने साथ ये लैंड रोवर जीपें लेकर आए थे, ताकि वे पहाड़ी इलाकों में आसानी से यात्रा कर सकें। जब वे भारत छोड़कर गए, तो उन्होंने ये गाड़ियां स्थानीय लोगों को सौंप दीं। तब से लेकर आज तक ये गाड़ियां यहां की सड़कों पर दौड़ रही हैं कभी सैलानियों को लेकर, तो कभी सामान पहुंचाने के लिए।

 

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पुरानी, लेकिन ताकत में किसी से कम नहीं

इन गाड़ियों की उम्र भले ही सत्तर साल से ज़्यादा हो चुकी है, लेकिन ताकत और मजबूती में ये आज की मॉडर्न एसयूवी को भी टक्कर देती हैं। इनका इंजन पुराना है, मगर दमदार। ये बिना रुके हिमालय की ऊबड़-खाबड़, पतली और खतरनाक सड़कों पर दौड़ती हैं। स्थानीय ड्राइवर इन्हें अपना गर्व मानते हैं और कहते हैं, “लैंड रोवर सिर्फ गाड़ी नहीं, हमारी पहचान है।”

पर्यटन की रफ्तार बढ़ा रही हैं पुरानी जीपें

माने भंजांग, सन्दकफू ट्रेक का शुरुआती बिंदु है — जो दुनिया भर के ट्रेकर्स का सपना माना जाता है। यही वजह है कि यहां की लैंड रोवर जीपें सैलानियों के लिए एक आकर्षण बन चुकी हैं। ये विंटेज टैक्सियां यात्रियों को सन्दकफू तक ले जाती हैं, जहां से लोग माउंट एवरेस्ट और कंचनजंघा जैसी चोटियों का शानदार दृश्य देख सकते हैं। इन गाड़ियों की वजह से न सिर्फ गांव का पर्यटन बढ़ा है, बल्कि स्थानीय लोगों की आजीविका भी इन्हीं पर निर्भर करती है।

सोशल मीडिया पर छाया ‘लैंड रोवर विलेज’

हाल ही में माने भंजांग का एक वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ। उसमें दिखा कि कैसे पूरा गांव विंटेज गाड़ियों से भरा पड़ा है और लोग अब भी इन्हें गर्व से चला रहे हैं। एक यूजर ने लिखा, “ये जगह विरासत और एडवेंचर का संगम है।” दूसरे ने कमेंट किया, “मेरे पिता के पास भी ऐसी ही लैंड रोवर थी, देखकर पुरानी यादें ताजा हो गईं।” इस वीडियो के बाद लोग इस गांव को “भारत की चलती-फिरती म्यूज़ियम” कहने लगे हैं।

सिर्फ एक गांव नहीं, एक जिंदा इतिहास

माने भंजांग सिर्फ एक पर्यटन स्थल नहीं, बल्कि एक जीवित विरासत है। यहां इतिहास संग्रहालयों में बंद नहीं, बल्कि सड़कों पर दौड़ता है। इन पुरानी जीपों ने न सिर्फ गांव को पहचान दी है बल्कि लोगों को आत्मनिर्भर भी बनाया है। यह गांव इस बात की मिसाल है कि कैसे पुरानी चीजें भी नई पहचान गढ़ सकती हैं।

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Satara Doctor Suicide: सतारा में महिला डॉक्टर की आत्महत्या, कॉल रिकॉर्ड ने खोली सुसाइ...

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Satara Doctor Suicide: महाराष्ट्र के सतारा जिले में 28 वर्षीय महिला डॉक्टर ने गुरुवार रात फलटण के एक हॉस्टल कमरे में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। शुरुआती रिपोर्ट्स और पोस्टमार्टम में इसे फांसी लगाकर की गई आत्महत्या माना गया है। महिला डॉक्टर ने अपने हाथ में सुसाइड नोट लिखा था, जिसमें उन्होंने मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना के आरोप लगाए।

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आरोपी कौन हैं और आरोप क्या है- Satara Doctor Suicide

महिला आयोग की अध्यक्ष रूपाली चाकनकर ने बताया कि इस मामले में निलंबित पुलिस उप-निरीक्षक गोपाल बदाने और सॉफ्टवेयर इंजीनियर प्रशांत बनकर मुख्य आरोपियों के रूप में गिरफ्तार किए गए हैं। सुसाइड नोट में महिला डॉक्टर ने दावा किया कि गोपाल बदाने ने कई बार उनके साथ बलात्कार किया और प्रशांत बनकर ने उन्हें मानसिक रूप से प्रताड़ित किया।

दिवाली वाले दिन हुई बहस

रूपाली चाकनकर ने बताया कि दिवाली के दिन महिला डॉक्टर बनकर के घर गई थीं। वहां उनके बीच बहस हुई और इसके बाद डॉक्टर वहां से चली गईं। कॉल रिकॉर्ड और सीडीआर (कॉल डिटेल रिकॉर्ड) से यह सामने आया कि मार्च तक महिला डॉक्टर बदाने के संपर्क में थीं, लेकिन बाद में बातचीत खत्म हो गई। बनकर के साथ लक्ष्मी पूजन वाले दिन हुई बहस के दौरान तस्वीरें खींचने को लेकर झगड़ा हुआ, जिससे महिला डॉक्टर घर छोड़कर चली गईं।

संदेश और संकेत

बहस के बाद डॉक्टर ने बनकर को संदेश भेजे, जिनमें संकेत दिए कि वह कोई बड़ा कदम उठाने वाली हैं। प्रारंभिक पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने पुष्टि की कि यह फांसी लगाकर की गई आत्महत्या है। महिला आयोग की अध्यक्ष ने कहा कि पुलिस यह जांच कर रही है कि कहीं इस मामले में कोई और व्यक्ति शामिल तो नहीं था।

अजीब समय पर मेडिकल जांच

महिला आयोग ने यह भी बताया कि मेडिकल जांच को लेकर विवाद हुआ था। जुलाई 2025 में अस्पताल की आंतरिक समिति ने इस मामले का निपटारा किया था, लेकिन पुलिस का कहना था कि डॉक्टर ने देर रात और अजीब समय पर आरोपियों की मेडिकल जांच में सहयोग नहीं किया।

पुलिस अधीक्षक की प्रतिक्रिया

सतारा के पुलिस अधीक्षक तुषार दोशी ने पुष्टि की कि घटना से पहले डॉक्टर बनकर के संपर्क में थीं और उनके बीच संदेशों का आदान-प्रदान हुआ था। साथ ही पीएसआई बदाने के खिलाफ बलात्कार के आरोपों की जांच भी जारी है। पुलिस आरोपियों के ठिकानों और चैट की तकनीकी जांच कर रही है।

परिजनों की मांग: SIT और फास्ट-ट्रैक अदालत

महिला डॉक्टर के परिवार ने सरकार से विशेष जांच दल (SIT) बनाने की मांग की है। परिवार चाहता है कि मामला बीड की फास्ट-ट्रैक अदालत में चले ताकि न्याय जल्दी मिल सके। एक रिश्तेदार ने कहा कि कॉल डिटेल रिकॉर्ड (CDR) की जांच के जरिए आरोपों की पुष्टि होनी चाहिए और परिवार को फलटण जाकर बयान दर्ज कराने की जरूरत नहीं हो।

यह मामला केवल एक आत्महत्या का नहीं है, बल्कि इसमें मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना, पुलिस और नागरिक के बीच जटिल संबंध, और न्याय के लिए परिवार की तेज़ प्रतिक्रिया शामिल है। अब सबकी निगाहें SIT जांच और अदालत की कार्रवाई पर लगी हैं।

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Big Update Shreyas Iyer: भारत के स्टार बल्लेबाज ICU से लौटे, जानिए श्रेयस अय्यर के इल...

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Big Update Shreyas Iyer: भारतीय टीम के स्टार बल्लेबाज श्रेयस अय्यर को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ तीसरे वनडे में कैच पकड़ते समय चोट लग गई थी। यह घटना 26 अक्टूबर 2025 को हुई थी, जिसके बाद उन्हें मैदान से बाहर ले जाया गया। चोट की गंभीरता का कारण इंटरनल ब्लीडिंग बताया गया, जिससे उनकी हालत बिगड़ गई और उन्हें सिडनी के अस्पताल में ICU में भर्ती करना पड़ा। इस खबर ने भारतीय क्रिकेट फैंस में चिंता की लहर दौड़ा दी थी।

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ICU से बाहर, हालत में सुधार- Big Update Shreyas Iyer

क्रिकबज की रिपोर्ट के अनुसार, अब श्रेयस अय्यर ICU से बाहर आ चुके हैं। इसका मतलब है कि उनकी जान अब खतरे में नहीं है और वे धीरे-धीरे रिकवर कर रहे हैं। BCCI ने भी पुष्टि की है कि अय्यर की हालत अब पहले से बेहतर है और डॉक्टर्स उनकी लगातार निगरानी कर रहे हैं। इसके साथ ही बोर्ड ने अय्यर के माता-पिता को उनके पास जाने की सुविधा भी दी है।

अस्पताल में अभी भी चल रहा है इलाज

हालांकि ICU से बाहर आने के बाद भी अय्यर अभी पूरी तरह से स्वस्थ नहीं हैं और अस्पताल से छुट्टी अभी नहीं मिली। उन्हें कुछ और दिनों तक अस्पताल में रहकर डॉक्टर्स की निगरानी में रहना होगा। उनकी रिकवरी का पूरी तरह से ट्रैक रखा जा रहा है।

आगामी सीरीज में खेलना मुश्किल

अगली महत्वपूर्ण जानकारी यह है कि भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच 30 नवंबर से 6 दिसंबर तक होने वाली वनडे सीरीज में अय्यर की भागीदारी फिलहाल मुश्किल लग रही है। वहीं, जनवरी में भारत और न्यूजीलैंड के बीच होने वाली तीन वनडे मैचों की श्रृंखला तक उनकी वापसी की संभावना है।

चोट का खर्च BCCI उठाती है

कई लोग यह सवाल करते हैं कि चोटिल खिलाड़ी का इलाज कौन उठाता है। बीसीसीआई के नियमों के अनुसार, विदेशी टूर पर चोटिल होने वाले खिलाड़ियों का पूरा मेडिकल खर्च BCCI उठाती है।

  • सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट लिस्ट में आने वाले खिलाड़ियों की मेडिकल जांच, इलाज और रिहैबिलिटेशन का खर्चा पूरी तरह बोर्ड द्वारा उठाया जाता है।
  • खिलाड़ी मैच फीस नहीं पा रहे हों, तो उन्हें मुआवजा भी दिया जाता है।
  • सेंट्रल लिस्ट में न होने वाले खिलाड़ियों के लिए भी इंश्योरेंस पॉलिसी मौजूद होती है, लेकिन सुविधाएं सीमित होती हैं।

इलाज और रिहैबिलिटेशन

श्रेयस अय्यर के इलाज के लिए BCCI की मेडिकल टीम ने ऑस्ट्रेलिया में उपलब्ध स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की मदद ली। चोट से रिकवर करने के लिए उन्हें नेशनल क्रिकेट अकादमी (NCA), बेंगलुरु में रिहैबिलिटेशन की सुविधा भी दी जाएगी। इस पूरी प्रक्रिया में खिलाड़ी को कोई खर्च नहीं उठाना पड़ता।

फैंस के लिए राहत की खबर

श्रेयस अय्यर की ICU से बाहर आने की खबर ने फैंस के लिए चिंता को कम कर दिया है। उनका धीरे-धीरे रिकवर होना यह संकेत देता है कि जल्द ही वह मैदान पर वापसी कर सकते हैं। BCCI की पूरी टीम उनकी रिकवरी पर नजर रख रही है और हर जरूरी सुविधा उपलब्ध करा रही है।

रिकवरी के बाद वापसी की संभावना

अनुमान है कि यदि उनकी रिकवरी सुचारू रूप से होती है, तो जनवरी 2026 में भारत-न्यूजीलैंड वनडे सीरीज में अय्यर मैदान पर लौट सकते हैं। फैंस को उम्मीद है कि वह जल्द ही स्वस्थ होकर भारतीय टीम के लिए अपनी शानदार बल्लेबाजी जारी रखेंगे।

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Delhi Gandhi Vihar Murder: जब फॉरेंसिक छात्रा ने रचा ‘परफेक्ट मर्डर’,  पर इस गलती से ...

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Delhi Gandhi Vihar Murder: दिल्ली के गांधी विहार में कुछ हफ्ते पहले लगी आग को लोग एक हादसा मान रहे थे, लेकिन जब पुलिस ने परतें खोलीं, तो सामने आई एक साइंटिफिक मर्डर की साजिश, जिसने हर किसी को चौंका दिया। यह कोई सामान्य हत्या नहीं थी, बल्कि एक ठंडे दिमाग से रचा गया परफेक्ट क्राइम था, ऐसा अपराध जिसमें विज्ञान और बदले का ज़हर साथ-साथ चले। इस कहानी की मुख्य किरदार है अमृता चौहान, 21 साल की फॉरेंसिक साइंस की छात्रा, जिसने अपराध को किताबों में नहीं, हकीकत में अंजाम दिया।

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आग नहीं, मर्डर का धुआं था- Delhi Gandhi Vihar Murder

6 अक्टूबर 2025 की सुबह गांधी विहार की एक चार मंज़िला इमारत के चौथे माले से धुआं उठता देखा गया। लोगों ने सोचा गैस लीक या शॉर्ट सर्किट की वजह से आग लगी है। दमकल की गाड़ियाँ पहुंचीं, आग बुझाई गई, और अंदर से एक झुलसा हुआ शव बरामद हुआ।
मृतक की पहचान 32 वर्षीय रामकेश मीना के रूप में हुई, जो दिल्ली में रहकर UPSC की तैयारी कर रहा था। लेकिन कमरे की हालत देखकर पुलिस को शक हुआ कि यह कोई साधारण हादसा नहीं है। बिखरा सामान, टूटा फर्नीचर और जलने की स्थिति से साफ था कि मामला कुछ और है।

सीसीटीवी ने खोली ‘परफेक्ट मर्डर’ की पटकथा

जांच के दौरान पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज खंगाले। 5 अक्टूबर की रात दो नकाबपोश लोग उस इमारत में दाखिल होते दिखे, लेकिन कुछ देर बाद सिर्फ एक लड़की बाहर निकलती दिखाई दी। रात के 2:57 बजे, वही लड़की थी अमृता चौहान, जिसके साथ उसका साथी सुमित कश्यप भी बाहर निकलता दिखा। कुछ ही मिनटों बाद कमरे में आग भड़क उठी।
जब पुलिस ने अमृता का मोबाइल डेटा और लोकेशन ट्रैक की, तो पता चला कि वह उसी रात गांधी विहार में मौजूद थी। यहीं से इस ‘परफेक्ट क्राइम’ की परतें खुलने लगीं।

फॉरेंसिक की छात्रा बनी क्राइम मास्टर

अमृता चौहान, जो फॉरेंसिक साइंस की छात्रा थी, उसने विज्ञान को हत्या के औज़ार में बदल दिया। पूछताछ में उसने कबूला कि उसने अपने एक्स-बॉयफ्रेंड सुमित कश्यप (एलपीजी डिस्ट्रीब्यूटर) और दोस्त संदीप कुमार (एसएससी अभ्यर्थी) के साथ मिलकर रामकेश की हत्या की थी।
हत्या की वजह थी बदला। दरअसल, रामकेश ने अमृता के प्राइवेट फोटो और वीडियो डिलीट करने से इनकार कर दिया था। गुस्से में उसने अपने साथियों के साथ एक ऐसी योजना बनाई जिससे मौत एक हादसे की तरह दिखे।

मौत को हादसा दिखाने की चाल

5 अक्टूबर की रात तीनों गांधी विहार पहुंचे। वहां उन्होंने पहले रामकेश का गला दबाकर हत्या की, फिर उसके शव पर घी, तेल और वाइन डाली ताकि आग तेजी से फैले।
सुमित ने सिलेंडर का नॉब खोला, गैस फैलाई और फिर आग लगा दी। अमृता ने चालाकी से दरवाजे की जाली हटाकर अंदर से ताला लगाया, ताकि बाहर वालों को लगे कि यह गैस ब्लास्ट का मामला है। कुछ देर बाद धमाका हुआ, और लोगों को लगा कि यह महज़ एक हादसा था।

पुलिस की सूझबूझ से टूटी चालाकी

लेकिन दिल्ली पुलिस की तिमारपुर टीम ने हकीकत सामने ला दी। तकनीकी सर्विलांस, सीसीटीवी फुटेज और मोबाइल डेटा के आधार पर 18 अक्टूबर को अमृता को मुरादाबाद से गिरफ्तार किया गया।
उसके बाद 23 अक्टूबर तक सुमित और संदीप भी पकड़े गए। पुलिस को अमृता के कमरे से हार्ड डिस्क, ट्रॉली बैग और मृतक की शर्ट बरामद हुई, जो उसके अपराध के सबूत थे।

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Cyclone Montha: तूफान ‘मोंथा’ की दस्तक! 110 किमी रफ्तार से काकीनाडा की ओर बढ़ा खतरा, ...

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Cyclone Montha: बंगाल की खाड़ी में बना चक्रवाती तूफान ‘मोंथा’ अब और ज्यादा ताकतवर हो गया है। मौसम विभाग (IMD) के अनुसार, यह तूफान अब एक गंभीर चक्रवाती तूफान में बदल चुका है और इसके मंगलवार (28 अक्टूबर 2025) की देर रात तक आंध्र प्रदेश के काकीनाडा तट से टकराने की संभावना है। इस दौरान हवा की रफ्तार 110 किलोमीटर प्रति घंटा तक पहुँच सकती है, जिससे बड़े पैमाने पर नुकसान की आशंका जताई जा रही है।

तूफान के बढ़ते खतरे को देखते हुए आंध्र प्रदेश और ओडिशा में हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है। दोनों राज्यों में राहत और बचाव कार्यों की तैयारियाँ तेज़ कर दी गई हैं। वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आंध्र प्रदेश सरकार को केंद्र की ओर से हर संभव मदद का भरोसा दिया है।

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चक्रवात की स्थिति और लैंडफॉल का अनुमान- Cyclone Montha

मौसम विभाग के अनुसार, सोमवार (27 अक्टूबर) सुबह तक ‘मोंथा’ मछलीपट्टनम से करीब 190 किमी दक्षिण-दक्षिणपूर्व और विशाखापत्तनम से लगभग 340 किमी दक्षिण में था। अनुमान है कि यह तूफान मंगलवार शाम या देर रात मछलीपट्टनम और कलिंगपट्टनम के बीच तट को पार करेगा।
सबसे ज्यादा संभावना है कि इसका लैंडफॉल काकीनाडा के पास होगा, जहाँ हवा की गति 90 से 100 किमी प्रति घंटा तक पहुँच सकती है।

आंध्र प्रदेश में भारी बारिश और तबाही

तूफान के बाहरी प्रभाव से आंध्र प्रदेश के कई जिलों में तेज बारिश और हवाएँ शुरू हो गई हैं। चित्तूर, तिरुपति और काकीनाडा में हालात बिगड़ते जा रहे हैं।
चित्तूर जिले में लगातार चार दिनों से जोरदार बारिश हो रही है, जिससे कुशास्थली नदी में बाढ़ आ गई है और नागरी व आसपास के इलाकों के रास्ते कट गए हैं। पुलिस ने नदी किनारों पर जाने पर रोक लगा दी है।
काकीनाडा में ऊँची लहरें तटों से टकरा रही हैं, जिससे तटीय कटाव बढ़ गया है। उप्पदा और सुब्बामपेट जैसे इलाकों से लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है।


तिरुपति जिले के पाँच तटीय मंडलों में भी भारी बारिश और तेज हवाओं की चेतावनी दी गई है। राहत टीमें और आपदा प्रबंधन विभाग (NDRF) की टीमें पूरी तरह तैयार हैं।

ओडिशा में रेड अलर्ट और बड़े स्तर पर तैयारी

हालाँकि तूफान का मुख्य असर आंध्र प्रदेश पर होगा, लेकिन ओडिशा पर भी इसका व्यापक प्रभाव पड़ सकता है। राज्य सरकार ने आठ दक्षिणी जिलों में रेड अलर्ट जारी कर दिया है।
यहाँ मंगलवार से भारी बारिश और तूफानी हवाओं की संभावना है। प्रशासन ने ‘शून्य जनहानि’ का लक्ष्य तय किया है और अब तक करीब 32,000 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाया जा चुका है।
राज्य में 1,445 चक्रवात आश्रय स्थल (शेल्टर्स) खोले गए हैं, जबकि NDRF, ODRAF और फायर सर्विस की 140 टीमें तैनात हैं। गजपति जिले के पहाड़ी इलाकों में भूस्खलन की आशंका को देखते हुए विशेष सतर्कता बरती जा रही है।

पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु पर असर

मौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि दक्षिण बंगाल के जिलों कोलकाता, हावड़ा और हुगली में मंगलवार से भारी बारिश और 80–90 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से हवाएँ चल सकती हैं। मछुआरों को समुद्र में न जाने की सलाह दी गई है।
वहीं चेन्नई और आसपास के इलाकों में सोमवार को भारी बारिश हुई। उप मुख्यमंत्री उदयनिधि स्टालिन ने बाढ़ संभावित क्षेत्रों का दौरा किया और कहा कि अगले 10 दिनों तक बहुत भारी बारिश की संभावना नहीं है, लेकिन सरकार पूरी तरह तैयार है।

उड़ानें और ट्रेनें भी प्रभावित

‘मोंथा’ का असर अब परिवहन पर भी दिखने लगा है। विशाखापत्तनम और चेन्नई के बीच छह फ्लाइट्स रद्द कर दी गई हैं। एयरलाइन कंपनियों ने यात्रियों को एयरपोर्ट जाने से पहले फ्लाइट स्टेटस जांचने की सलाह दी है।
रेलवे ने भी कुछ ट्रेनों को रद्द या डायवर्ट किया है। हावड़ा-जगदलपुर समलेश्वरी एक्सप्रेस को अब रायगड़ा में ही समाप्त किया जा रहा है।

फिलहाल, मौसम विभाग ने कहा है कि अगले 24 घंटों में ‘मोंथा’ और ताकतवर हो सकता है। प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि वे सतर्क रहें, अफवाहों से बचें और आधिकारिक निर्देशों का पालन करें।

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जस्टिस सूर्यकांत होंगे देश के अगले CJI! प्रधान न्यायाधीश बी आर गवई ने की सिफारिश

Next CJI Suryakant: हाल ही में, केंद्र सरकार ने देश के अगले मुख्य न्यायाधीश के चयन की प्रक्रिया शुरू कर दी है। जिसके चलते भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) बी.आर. गवई ( B R Gavai) (ने केंद्र सरकार से न्यायमूर्ति सूर्यकांत (Justice Suryakant) को अपना उत्तराधिकारी नामित करने का अनुरोध किया है। क्योंकि वह आने वाली 23 नवंबर 2025 को रिटायर होंगे। लेकिन क्या आप जानते है न्यायमूर्ति सूर्यकांत कौन है? अगर नहीं तो चलिए आपको इस लेख में न्यायमूर्ति सूर्यकांत के बारे में विस्तार से बताते हैं।

कौन है जस्टिस सूर्यकांत? Who is Justice Suryakant

न्यायमूर्ति सूर्यकांत वर्तमान में भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश हैं। उनका भारत के अगले मुख्य न्यायाधीश (CJI) बनना तय है। वही हालिय कार्यभार सभाल रहे सीजेआई बी.आर. गवई (CJI B.R. Gavai) ने केंद्र सरकार को उनके नाम की सिफारिश की है। दूसरी और मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय (Supreme Court and High Courts) के न्यायाधीशों की नियुक्ति, ट्रान्सफर और प्रमोशन की प्रक्रिया और नियमों को नियंत्रित करने वाले दस्तावेज़ों में कहा गया है कि सर्वोच्च न्यायालय में भारत के सीजेआई (CJI)  के पद पर नियुक्ति उस न्यायालय के सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश द्वारा की जानी चाहिए, जो उस पद के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता हो। इसलिए, केंद्रीय कानून मंत्री अपने उत्तराधिकारी के लिए वर्तमान सीजेआई की सिफारिश लेंगे।

मिडल क्लास परिवार में जन्मे सूर्यकांत

दरअसल, हरियाणा के हिसार जिले के पेटवार गाँव में 10 फ़रवरी, 1962 को एक मिडल क्लास परिवार में जन्मे, उन्होंने 1981 में हिसार के राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय से स्नातक की उपाधि प्राप्त की। जिसके बाद उन्होंने 1984 में महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय, रोहतक (Maharshi Dayanand University, Rohtak) से विधि स्नातक (LLB) की उपाधि प्राप्त की।

सूर्यकांत के करियर की शुरुआत 

उन्होंने 1984 में हिसार जिला न्यायालय (Hisar District Court) में वकालत शुरू की। 1985 में, वे पंजाब (Punjab) एवं हरियाणा उच्च न्यायालय (Haryana High Court) में वकालत करने के लिए चंडीगढ़ (Chandigarh) चले गए। इसके बाद, 7 जुलाई, 2000 को उन्हें हरियाणा का सबसे युवा महाधिवक्ता (Advocate General) नियुक्त किया गया। 9 जनवरी, 2004 को वे पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय (Punjab and Haryana High Court) के स्थायी न्यायाधीश बने।

5 अक्टूबर, 2018 को उन्होंने हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय (Himachal Pradesh High Court) के मुख्य न्यायाधीश के रूप में पदभार ग्रहण किया। इसके बाद उन्होंने 24 मई, 2019 को उन्हें भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया। इसके अलवा आपको बता दें, आने वाले 24 नवंबर, 2025 को उनके भारत के 53वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में पदभार ग्रहण करने की उम्मीद है।

Science News: धरती की रक्षा पहले ही कर चुका था बृहस्पति, वैज्ञानिकों ने बताया कैसे इस...

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Science News: बृहस्पति (Jupiter) हमारे सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह, जिसे अब वैज्ञानिक “धरती का रक्षक” कह रहे हैं। राइस यूनिवर्सिटी (Rice University) के शोधकर्ताओं ने हाल ही में एक ऐसा अध्ययन किया है जिसने इस दानव ग्रह की भूमिका पर नई रोशनी डाली है। उनका कहना है कि बृहस्पति न केवल सूर्य से चौथा ग्रह बनने की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण था, बल्कि यह धरती, शुक्र और मंगल जैसे ग्रहों के जन्म और स्थिरता का कारण भी है।

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बृहस्पति बना धरती का ‘ढाल’- Science News

शोध के मुताबिक, बृहस्पति का शुरुआती तेज विकास सूर्य की ओर बहने वाली गैस और धूल के प्रवाह को रोकने का कारण बना। अगर ऐसा नहीं होता, तो वही गैस और धूल सूर्य में समा जाती और पृथ्वी, शुक्र और मंगल के बनने के लिए पर्याप्त सामग्री बचती ही नहीं। इस तरह से बृहस्पति ने अनजाने में ही हमारे ग्रहों के बनने का रास्ता साफ किया।

राइस यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर आंद्रे इजिडोरो कहते हैं,

“बृहस्पति सिर्फ सबसे बड़ा ग्रह नहीं बना, बल्कि इसने अंदरूनी सौरमंडल का पूरा ढांचा तय किया। अगर यह ग्रह नहीं होता, तो शायद धरती वैसी नहीं होती जैसी आज हम जानते हैं।”

बृहस्पति के बिना सौरमंडल कैसा होता?

इस अध्ययन में वैज्ञानिकों ने बताया कि बृहस्पति ने अपने बनने के दौरान गैस और धूल के बीच छल्ले (Rings) और खाली स्थान (Gaps) बनाए, जिससे सौरमंडल का ढांचा तय हुआ। इन गैप्स ने यह तय किया कि पत्थरीले ग्रह कहाँ और कैसे बनेंगे। यानी, अगर बृहस्पति नहीं होता, तो सौरमंडल में ग्रहों का गठन एकदम अलग ढंग से होता शायद धरती भी अस्तित्व में न आती।

कंप्यूटर सिमुलेशन से खुला राज़

वैज्ञानिकों ने कंप्यूटर सिमुलेशन के जरिए यह पता लगाया कि जब बृहस्पति तेजी से बढ़ रहा था, तो उसने सूर्य के चारों ओर मौजूद गैस और धूल की डिस्क पर क्या असर डाला। परिणाम चौंकाने वाले थे — बृहस्पति की ग्रैविटी ने डिस्क में बड़ी लहरें पैदा कीं, जिससे वह अस्त-व्यस्त हो गई। यह स्थिति कुछ वैसी थी जैसे ब्रह्मांड में ट्रैफिक जाम (Cosmic Traffic Jam) लग गया हो।

उल्कापिंडों के रहस्य से भी जुड़ा है बृहस्पति

राइस यूनिवर्सिटी के छात्र वैभव श्रीवास्तव ने बताया कि यह अध्ययन दो पुराने रहस्यों को एक साथ जोड़ता है —

  1. उल्कापिंडों में पाए जाने वाले दो अलग-अलग आइसोटोप फिंगरप्रिंट्स, और
  2. ग्रहों के बनने की गति (Formation Timeline)।

पहले यह समझना मुश्किल था कि कुछ उल्कापिंड पहले ठोस पिंडों के बनने के 20-30 लाख साल बाद क्यों बने। लेकिन अब वैज्ञानिकों का मानना है कि यह देरी बृहस्पति की वजह से हुई, जिसने गैस और धूल के बहाव को नियंत्रित कर नए उल्कापिंड बनने के हालात तैयार किए।

बृहस्पति — सौरमंडल का असली आर्किटेक्ट

इस शोध से यह साफ हो गया है कि बृहस्पति सिर्फ एक विशाल गैस ग्रह नहीं है, बल्कि उसने हमारे सौरमंडल के जन्म और विकास की दिशा तय की। इसकी ग्रैविटी ने न केवल दूसरे ग्रहों के रास्ते बनाए बल्कि उन्हें स्थिर भी रखा।

वैज्ञानिकों का मानना है कि अगर बृहस्पति अपने समय पर न बनता, तो धरती का अस्तित्व, जीवन की संभावना और हमारा पूरा ब्रह्मांडीय संतुलन कुछ और ही होता।

संक्षेप में कहें तो — हम जिस धरती पर खड़े हैं, उसका श्रेय किसी हद तक बृहस्पति को ही जाता है।

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4500 Year Underground Complex: मिस्र का छिपा रहस्य, पिरामिडों के नीचे 100 फुट गहराई म...

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4500 Year Underground Complex: मिस्र के गीजा पिरामिड दुनिया के सबसे बड़े रहस्यों में से एक हैं, लेकिन अब उनसे महज तीन मील की दूरी पर एक और हैरान करने वाली खोज ने इतिहासकारों और वैज्ञानिकों को सोचने पर मजबूर कर दिया है। इस जगह का नाम है जावेयत अल आर्यन (Zawyat Al Aryan) एक ऐसा भूमिगत कॉम्प्लेक्स जो करीब 4500 साल पुराना बताया जा रहा है और कई दशकों तक मिस्र की सेना के नियंत्रण में रहा है।

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गहराई में छिपा रहस्य- 4500 Year Underground Complex

इस जगह के बीचों-बीच चूना पत्थर की एक विशाल चट्टान को काटकर बनाया गया T-आकार का गड्ढा है। इसकी गहराई करीब 100 फुट बताई जाती है। सिर्फ इतना ही नहीं, इस संरचना में ग्रेनाइट के कई विशाल पत्थर लगे हैं, जिनमें से हर एक का वजन करीब 8,000 किलो तक है। इन विशाल पत्थरों को जिस तरह से काटा और जोड़ा गया है, उसने पुरातत्वविदों को भी चौंका दिया है।

सबसे रहस्यमय खोज: ग्रेनाइट का अंडाकार कंटेनर

इस कॉम्प्लेक्स के अंदर एक विशेष कमरा है जिसमें पूरी तरह ग्रेनाइट से बना अंडाकार कंटेनर रखा गया है। यह लगभग 10 फुट लंबा, 7 फुट चौड़ा और 5 फुट गहरा है। माना जाता है कि कभी इसमें कोई अज्ञात पदार्थ मौजूद था, जो अब लापता है। यही वजह है कि कई विशेषज्ञों का मानना है कि यह जगह सिर्फ किसी राजा की कब्र नहीं थी, बल्कि शायद धार्मिक अनुष्ठानों या वैज्ञानिक प्रयोगों के लिए इस्तेमाल होती रही हो। कुछ लोग तो इसे एलियंस से जुड़ी जगह भी मानते हैं।

वैज्ञानिकों की राय और ऐतिहासिक संदर्भ

इतिहासकारों का कहना है कि यह कॉम्प्लेक्स चौथे राजवंश के समय का हो सकता है। पास में मिली एक टूटी हुई पट्टी (इंसक्रिप्शन) से लगता है कि यह राजा जेडेफ्रे (Djedefre) से जुड़ा हो सकता है — वही राजा जो खुफू (Khufu) का पुत्र था। लेकिन बाकी पिरामिडों की तरह यहां ऊपर की कोई इमारत नहीं मिली, जिससे यह अंदाजा लगाया जा रहा है कि यह साइट शायद कभी पूरी नहीं हो पाई या फिर किसी प्रयोगात्मक परियोजना (Experimental Site) के रूप में बनाई गई थी।

क्यों कहा जाता है इसे मिस्र का “Area 51”

1960 के दशक के बाद मिस्र की सेना ने इस पूरे क्षेत्र को सील कर दिया, और तब से यहां आम लोगों या शोधकर्ताओं का प्रवेश वर्जित है। पिछले छह दशकों में यहां कोई नई खुदाई या आधिकारिक सर्वे नहीं हुआ। यही वजह है कि इसे अब “मिस्र का Area 51” कहा जाने लगा है क्योंकि यहां जो भी है, वो पूरी तरह रहस्य में लिपटा हुआ है।

एलियंस और खोई हुई तकनीक की थ्योरी

Daily Mail की रिपोर्ट के मुताबिक, इस जगह की गुप्तता ने लोगों की जिज्ञासा और बढ़ा दी है। कुछ लोग मानते हैं कि यह साइट प्राचीन सभ्यताओं की खोई हुई तकनीक से जुड़ी है, जबकि कुछ इसे एलियन बेस कहकर चर्चाएं चला रहे हैं।

अब भी अनसुलझा है यह रहस्य

इस रहस्यमय जगह के शुरुआती रिकॉर्ड्स पुरातत्वविद एलेसेंड्रो बार्सांती ने 1900 के दशक की शुरुआत में बनाए थे। तब से लेकर अब तक इस जगह को लेकर कोई नया वैज्ञानिक अध्ययन नहीं हुआ। इतने वर्षों बाद जब इन पुरानी तस्वीरों को फिर से सार्वजनिक किया गया, तो एक बार फिर यह सवाल उठ खड़ा हुआ —
क्या यह अधूरी छोड़ी गई मिस्र की परियोजना है, या 4500 साल पुराना कोई ऐसा रहस्य जो आज तक दुनिया से छिपा हुआ है?

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Chhath Puja 2025: अर्घ्य देने का सही तरीका क्या है? बांस या पीतल का सूपा, शास्त्र क्य...

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Chhath Puja 2025: बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड और नेपाल के कुछ हिस्सों में मनाया जाने वाला छठ महापर्व, भारतीय परंपराओं में अपनी अनूठी जगह रखता है। यह पर्व खासकर उगते और डूबते सूर्य के प्रति आस्था और श्रद्धा को दर्शाता है। इस पर्व में व्रति लगभग 36 घंटे का कड़ा उपवास रखते हैं, जिसमें नहाय-खाय, खरना, अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य और अंत में उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत पूरा किया जाता है।

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छठ पूजा में इस्तेमाल की जाने वाली हर चीज का विशेष महत्व होता है। इनमें सबसे महत्वपूर्ण है सूपा, जिसका प्रयोग अर्घ्य देने के लिए किया जाता है। सूपा बांस या पीतल का बनाया जाता है, और दोनों का अपना-अपना महत्व है।

बांस का सूपा- Chhath Puja 2025

बांस के सूपा को प्राकृतिक रूप से शुद्ध माना जाता है। इसे शुभ और पवित्र माना गया है। बांस आयु और समृद्धि का प्रतीक है। मान्यता है कि बांस के सूपा से अर्घ्य देने से संतान की आयु लंबी होती है और घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है।

पीतल का सूपा

पीतल का सूपा भी पूजा में महत्वपूर्ण होता है। इसका पीला रंग सूर्य देव का प्रतीक माना जाता है। पीतल के सूपा में रखे गए फल और मिठाईयों को सूर्य देव को अर्पित करने से विशेष आशीर्वाद मिलता है। यह समृद्धि, सुख और धन की प्राप्ति का प्रतीक है।

कौन सा सूपा शुभ है?

बांस का सूपा शुद्धता, नैतिकता और स्थिरता का प्रतीक माना जाता है, इसलिए यह अधिकतर व्रतियों द्वारा शुभ माना जाता है। वहीं पीतल का सूपा घर में सुख और समृद्धि लाने का प्रतीक है। दोनों ही प्रकार के सूपा अपनी जगह महत्वपूर्ण हैं।

छठ महापर्व का इतिहास और महत्व

छठ महापर्व की शुरुआत प्राचीन काल से मानी जाती है। इसे सूर्य देवता की आराधना से जोड़कर देखा जाता है। उगते सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा दानवीर कर्ण से जुड़ी हुई है। कथा अनुसार कर्ण भगवान सूर्य देव के परम भक्त थे और उन्होंने लंबे समय तक बिना कुछ खाए-पिए और पानी में खड़े रहकर सूर्य देव की उपासना की थी। इसी परंपरा का पालन आज भी व्रति करते हैं।

लोककथाओं के अनुसार, छठ पूजा का संबंध सप्त ऋषियों और उनकी पत्नियों से भी है, जिन्होंने सूर्य देव से आशीर्वाद प्राप्त किया था। इसके अलावा कहा जाता है कि भगवान राम और माता सीता ने भी सूर्य देव की आराधना के लिए छठ पूजा का आयोजन किया था।

छठ महापर्व का महत्व

इस पर्व में सूर्य पूजा का प्रमुख स्थान है। सूर्य को जीवन का स्रोत माना जाता है, और उनकी उपासना से स्वास्थ्य, सुख और समृद्धि मिलती है। व्रति सूर्य देव से लंबी और स्वस्थ जीवन की कामना करते हैं। इसके साथ ही 36 घंटे का उपवास शारीरिक और मानसिक शुद्धता का प्रतीक है। व्रति इस दौरान केवल आहार का परहेज ही नहीं करते, बल्कि अपने विचारों को भी शुद्ध रखने का प्रयास करते हैं।

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Bangladesh Teesta Water Protest: तीस्ता नदी विवाद में चीन की एंट्री से बढ़ी भारत की च...

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Bangladesh Teesta Water Protest: भारत और बांग्लादेश के बीच दशकों पुराना तीस्ता नदी विवाद एक बार फिर सुर्खियों में है। लेकिन इस बार हालात पहले से कहीं ज्यादा जटिल हैं, क्योंकि अब इस विवाद में चीन की एंट्री हो गई है। बांग्लादेश के उत्तरी इलाकों में लोग सड़कों पर उतर आए हैं  छात्र, किसान और स्थानीय नागरिक ‘वॉटर जस्टिस फॉर तीस्ता’ के नारे लगा रहे हैं। इन प्रदर्शनों में चीन के समर्थन वाला “तीस्ता मास्टर प्लान” अब चर्चा का नया केंद्र बन गया है।

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प्रदर्शनकारियों का कहना है कि यह योजना खेती, सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण के लिए जरूरी है, क्योंकि उत्तरी बांग्लादेश के कई इलाके लंबे समय से सूखे और बेरोजगारी की मार झेल रहे हैं। लेकिन भारत को डर है कि इस योजना के पीछे चीन की रणनीतिक चाल छिपी है, जो सीधे उसकी सुरक्षा पर असर डाल सकती है।

तीस्ता नदी: दोनों देशों की जीवनरेखा- Bangladesh Teesta Water Protest

तीस्ता नदी लगभग 414 किलोमीटर लंबी है। यह सिक्किम से निकलकर पश्चिम बंगाल से होती हुई बांग्लादेश के रंगपुर डिवीजन में प्रवेश करती है। दोनों देशों के लाखों किसान इसी नदी के पानी पर निर्भर हैं।

1983 में भारत और बांग्लादेश के बीच नदी के पानी के बंटवारे पर एक अस्थायी समझौता हुआ था, लेकिन वह कभी लागू नहीं हुआ। बाद में 2011 में एक नया समझौता लगभग तैयार था, लेकिन पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के विरोध के बाद मामला ठंडे बस्ते में चला गया।

तब से बांग्लादेश का आरोप है कि भारत सूखे के मौसम में पर्याप्त पानी नहीं छोड़ता, जबकि मानसून में ज्यादा पानी छोड़े जाने से उनके इलाके में बाढ़ आ जाती है। यही असंतुलन अब वहां के लोगों के गुस्से और आंदोलन की वजह बन गया है।

चीन का तीस्ता मास्टर प्लान — भारत की रणनीतिक ‘गर्दन’ के करीब

मार्च 2025 में बांग्लादेश के चीफ एडवाइजर मुहम्मद यूनुस ने बीजिंग जाकर चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की थी। इसी दौरान चीन ने 2.1 अरब डॉलर के निवेश के साथ “तीस्ता मास्टर प्लान” पर काम करने का प्रस्ताव दिया।

इस योजना के तहत नदी की खुदाई, बांध और तटबंध (एंबैंकमेंट) बनाना, बाढ़ नियंत्रण और आसपास नए टाउनशिप विकसित करने की योजना है। ये सब चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) का हिस्सा हैं।

भारत की चिंता की असली वजह यह है कि यह पूरा इलाका लालमनीरहाट जिले के पास है, जो भारत के सिलीगुड़ी कॉरिडोर — जिसे “चिकन नेक” कहा जाता है — से बेहद करीब है। यही संकरा इलाका भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ता है और इसकी चौड़ाई मात्र 20–22 किलोमीटर है। अगर चीन यहां अपनी मौजूदगी बढ़ाता है, तो भारत के लिए यह सैन्य और खुफिया दोनों दृष्टि से खतरा बन सकता है।

बांग्लादेश में बढ़ता ‘वॉटर जस्टिस’ आंदोलन

19 अक्टूबर को चिटगांव यूनिवर्सिटी के छात्रों ने मशाल जुलूस निकालकर ‘वॉटर जस्टिस फॉर तीस्ता’ के नारे लगाए। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि चीन समर्थित परियोजना उत्तरी बांग्लादेश के लिए जीवनरेखा साबित होगी। इस आंदोलन को विपक्षी पार्टी BNP (बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी) का भी खुला समर्थन मिला है। BNP ने कहा है कि अगर वह सत्ता में आई, तो तीस्ता मास्टर प्लान को हर हाल में लागू करेगी।

भारत की चुप्पी और बढ़ती रणनीतिक चुनौती

भारत सरकार ने अब तक इस मुद्दे पर कोई औपचारिक बयान नहीं दिया है। हालांकि रणनीतिक विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर चीन इस क्षेत्र में इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करता है, तो वह भारत की सुरक्षा और निगरानी प्रणाली पर असर डाल सकता है।

भारत पहले से ही चीन के तिब्बत में बन रहे हाइड्रो प्रोजेक्ट्स को लेकर चिंतित है, जो ब्रह्मपुत्र नदी के प्रवाह को प्रभावित कर सकते हैं। अब जब गंगा जल समझौता (1996) भी 2026 में समाप्त होने वाला है, तो भारत और बांग्लादेश के बीच जल साझेदारी पर नए संवाद की जरूरत और बढ़ गई है।

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