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Sanjay Dutt Love Affairs: माधुरी से रेखा तक: संजय दत्त के पांच ऐसे अफेयर जो आज भी लोग...

Sanjay Dutt Love Affairs: संजय दत्त, बॉलीवुड के एक ऐसे नाम जिनका फिल्मी सफर उतना ही दिलचस्प रहा है जितना उनकी पर्सनल लाइफ। सुनील दत्त और नरगिस दत्त के बेटे संजय ने 1980 के दशक में अपने अभिनय करियर की शुरुआत की और धीरे-धीरे खुद को इंडस्ट्री में एक दमदार कलाकार के रूप में स्थापित कर लिया। मगर उनकी जिंदगी सिर्फ़ फिल्मी सफलता तक ही सीमित नहीं रही, बल्कि उनकी लव लाइफ भी हमेशा चर्चा में रही। आइए, आज संजय दत्त की जिंदगी के उन पहलुओं पर नजर डालते हैं, जो फिल्मों की तरह उतने ही ड्रामेटिक और रंगीन रहे हैं।

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संजय दत्त के रिश्तों का बड़ा सच: 308 गर्लफ्रेंड्स!  (Sanjay Dutt Love Affairs)

आपकी जानकारी के लिए बता दें, 2018 में आई बायोपिक ‘संजू’ में रणबीर कपूर ने संजय के जीवन के कई पहलू दिखाए थे। फिल्म में बताया गया कि संजय दत्त ने अपनी जिंदगी में 300 से भी ज्यादा लड़कियों को डेट किया है।
खुद संजय ने एक टीवी शो में भी माना था कि उनकी करीब 308 गर्लफ्रेंड्स रही हैं, जो किसी बॉलीवुड स्टार के लिए कोई मामूली बात नहीं। तो चलिए आपको उनकी लव लाइफ के बारे में विस्तार से बताते हैं।

स्टारडम की शुरुआत और पहला अफेयर टीना मुनीम

संजय दत्त ने 1981 में आई फिल्म ‘रॉकी’ से अपने करियर की शुरुआत की। ये फिल्म बॉक्स ऑफिस पर हिट रही और संजय रातोंरात स्टार बन गए, खासकर महिलाओं के दिलों में। इसी दौरान, उनकी मुलाकात टीना मुनीम से हुई, जो उनकी बचपन की दोस्त भी थीं।
टीना और संजय की दोस्ती जल्द ही प्यार में बदल गई। दोनों के रिश्ते की शुरुआत ‘रॉकी’ की शूटिंग के दौरान हुई और खबरें थीं कि दोनों के बीच काफी नजदीकियां बढ़ी थीं। हालांकि, यह रिश्ता ज्यादा लंबा नहीं चला क्योंकि टीना को संजय की शराब पीने की आदत बुरी लगने लगी और उन्होंने यह रिश्ता खत्म कर दिया।

रेखा के साथ प्रेम कहानी

इंडस्ट्री में संजय दत्त और रेखा का नाम भी एक दूसरे के साथ जोड़ा जाता है। दोनों ने फिल्म ‘ज़मीन आसमान’ में साथ काम किया था, जहां से उनकी नजदीकियां शुरू हुईं। कई रिपोर्ट्स के अनुसार, रेखा ने संजय के साथ एक मंदिर में जाकर शादी भी की थी, हालांकि यह शादी कभी सार्वजनिक नहीं हुई। ये भी कहा जाता है कि संजय के पिता सुनील दत्त इस रिश्ते के खिलाफ थे और उन्होंने संजय की शादी ऋचा शर्मा से करवा दी। रेखा से उनकी उम्र में भी पांच साल का फर्क था, लेकिन दोनों के बीच गहरा रिश्ता था। कहा जाता है कि रेखा आज भी संजय के नाम का सिंदूर मांग में भरती हैं।

माधुरी दीक्षित से शुरू हुआ चर्चित प्यार

संजय और माधुरी की लव स्टोरी किसी से छुपी नहीं है। 1991 में आई फिल्म ‘साजन’ की शूटिंग के दौरान संजय और माधुरी दीक्षित एक-दूसरे के करीब आए थे। दोनों की जोड़ी को दर्शकों ने खूब पसंद किया। कहा जाता है कि इस दौरान दोनों एक-दूसरे के प्यार में पड़ गए थे और शादी का भी मन बनाया था।
लेकिन, संजय दत्त के लिए मुश्किल वक्त आ चुका था। 1993 में हथियार रखने के आरोप में उनकी गिरफ्तारी हुई, जिसके कारण उनका रिश्ता माधुरी से टूट गया। इस घटना ने उनके करियर और पर्सनल लाइफ दोनों पर गहरा असर डाला।

नादिया दुर्रानी और लीजा रे के साथ रिश्ते

संजय दत्त की लव लाइफ में नादिया दुर्रानी का नाम भी आता है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, संजय और रिया से शादी से पहले नादिया साथ थीं। खासकर यूएस में फिल्म ‘कांटेन’ की शूटिंग के दौरान नादिया सेट पर भी पहुंची थीं।
इसके अलावा, संजय के मुश्किल वक्त में लीजा रे ने उनका साथ दिया। हालांकि यह रिश्ता ज्यादा लंबा नहीं चला, लेकिन लीजा ने संजय के जीवन में एक सहारा बनने की कोशिश की।

पहली शादी ऋचा शर्मा

1987 में संजय ने अभिनेत्री ऋचा शर्मा से शादी की। दोनों एक दूसरे के साथ बहुत खुश थे और उनकी एक बेटी त्रिशाला दत्त भी है, जो आज न्यूयॉर्क में रहती हैं। लेकिन खुशियों के बीच, ऋचा को कैंसर हो गया। अमेरिका में इलाज के बाद भी उनकी तबीयत बिगड़ती गई और 10 दिसंबर 1996 को 32 साल की उम्र में ऋचा शर्मा ने दुनिया को अलविदा कह दिया। ऋचा ने ‘हम नौजवान’, ‘अनुभव’, ‘सड़क छाप’ जैसी फिल्मों में काम किया था और अपने अभिनय से नाम कमाया था।

दूसरी शादी रिया पिल्लई से

ऋचा की मौत के बाद संजय की जिंदगी में मॉडल रिया पिल्लई आईं। दोनों एक-दूसरे को पहले से जानते थे और संजय के जेल के मुश्किल दौर में भी रिया ने उनका साथ नहीं छोड़ा। जेल से बाहर आने के बाद, संजय ने 14 फरवरी 1998 को रिया से शादी कर ली। शुरुआत में सब ठीक चल रहा था, लेकिन संजय की बिजी फिल्मी जिंदगी और समय की कमी ने उनकी शादी पर असर डाला। दस साल बाद 2008 में दोनों का तलाक हो गया। मीडिया ने रिश्ते के टूटने के लिए संजय को ज़िम्मेदार ठहराया, जबकि कुछ जानकारों का मानना है कि रिया का टेनिस खिलाड़ी लिएंडर पेस को डेट करना भी रिश्ते के टूटने की एक वजह थी।

तलाक के बाद की कहानी

तलाक के बाद संजय ने रिया को दो फ्लैट, अपने बिजनेस की कंपनियों के शेयर और काफी कुछ दिया। यासिर उस्मान की किताब ‘द क्रेजी अनटोल्ड स्टोरी ऑफ बॉलीवुड बैड बॉय संजय दत्त’ में यह खुलासा हुआ कि संजय ने अपने तलाक के वक्त रिया के लिए बहुत कुछ किया।

तीसरी शादी मान्यता संग

2008 में संजय ने गोवा में मान्यता से शादी की। मान्यता दिलनवाज़ शेख हैं और मुस्लिम परिवार से हैं। शादी के दो साल बाद यानी 2010 में, संजय और मान्यता ने जुड़वां बच्चों शाहरान और इकरा का दुनिया में स्वागत किया। आज ये जोड़ी अपनी खुशहाल जिंदगी एंजॉय कर रही है और संजय ने कहा भी है कि मान्यता उनके लिए जिंदगी का सबसे बड़ा सहारा हैं।

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 US India Tariff Hike: भारत पर टैरिफ की तलवार चलाने वाले ट्रंप, खुद डेयरी-तंबाकू पर च...

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US India Tariff Hike: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत से आयात होने वाले सामानों पर 1 अगस्त से 25% टैरिफ लगाने का ऐलान कर दिया है। साथ ही, रूस से तेल और रक्षा उपकरण खरीदने को लेकर भारत पर अलग से जुर्माना लगाने की चेतावनी भी दी है। ट्रंप का कहना है कि भारत दुनिया में सबसे ज्यादा टैरिफ लगाने वाला देश है, लेकिन आंकड़े और अंतरराष्ट्रीय रिपोर्टें इस दावे से मेल नहीं खातीं। आईए आपको विस्तार से बताते हैं।

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WTO की रिपोर्ट से हुआ ट्रंप के दावे का पर्दाफाश- US India Tariff Hike

विश्व व्यापार संगठन (WTO) की रिपोर्ट के अनुसार, असल में अमेरिका कई अहम उत्पादों पर दुनिया में सबसे ज्यादा टैरिफ वसूलता है। मसलन, तंबाकू पर 350%, डेयरी पर 200% और अनाज, फल-सब्जियों पर 130% से ज्यादा शुल्क। भारत का औसत टैरिफ दर 17% है, जबकि भारत को अमेरिकी निर्यात पर लगने वाला शुल्क औसतन 5% से भी कम है।

भारत पर लगाए गए “टैरिफ किंग” जैसे टैग महज राजनीतिक बयानबाज़ी लगते हैं। उदाहरण के लिए, भारत व्हिस्की और वाइन पर 150% तक टैरिफ लगाता है और कुछ गाड़ियों पर 125%, लेकिन जापान और कोरिया जैसे देश इससे भी कहीं ज्यादा शुल्क वसूलते हैं। जापान चावल पर 400% और कोरिया कुछ उत्पादों पर 887% तक शुल्क वसूलता है।

अमेरिका-भारत के बीच ट्रेड डेटा में भी उलझन

इतना ही नहीं, दोनों देशों के व्यापार आंकड़ों में बड़ा अंतर देखने को मिला है। 2024 में अमेरिका ने कहा कि उसने भारत से 87.4 अरब डॉलर का आयात किया, जबकि भारत के अपने आंकड़े केवल 80.7 अरब डॉलर के थे। यानि 6.7 अरब डॉलर का फर्क। 2023 में भी यही अंतर 8 अरब डॉलर तक रहा।

इस असमानता को लेकर भारत के वाणिज्य और राजस्व विभाग कोशिश कर रहे हैं कि इन आंकड़ों को बराबर किया जा सके। अधिकारियों के मुताबिक, ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि भारत के टैरिफ डेटा को ज्यादातर खुद रिपोर्ट किया जाता है जबकि अमेरिका के आंकड़े WTO जैसी संस्थाओं के रिकॉर्ड से लिए जाते हैं, जिससे भ्रम पैदा होता है।

ट्रेड डील की राह में सबसे बड़ा रोड़ा – कृषि आयात

भारत और अमेरिका के बीच ट्रेड डील को लेकर भी टकराव जारी है। भारत ने साफ कर दिया है कि वह अपने किसानों के हित में मक्का, सोयाबीन, डेयरी और बादाम जैसे कृषि उत्पादों के लिए बाज़ार नहीं खोलेगा। यही वजह है कि बातचीत में लगातार रुकावटें आ रही हैं।

ट्रंप का टैरिफ हथियार

डोनाल्ड ट्रंप जिस आक्रामक टैरिफ नीति को अपना हथियार बना रहे हैं, वो न केवल भारत बल्कि कई देशों के लिए चिंता का विषय बन चुकी है। हालांकि, भारत के पास इस वक्त आंकड़ों और तथ्यों की शक्ल में मजबूत जवाब है।

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Trump Tariff On India: भारत की सरकारी तेल कंपनियों ने रूस से बनाई दूरी, अमेरिका के टै...

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Trump Tariff On India: अमेरिका की ओर से बढ़ते टैरिफ दबाव और डोनाल्ड ट्रंप की धमकियों के बीच भारत ने रूस से कच्चे तेल की खरीद पर फिलहाल ब्रेक लगा दी है। देश की बड़ी सरकारी तेल कंपनियां इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (IOC), भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन (BPCL), हिंदुस्तान पेट्रोलियम (HPCL) और मैंगलोर रिफाइनरी  ने रूस से तेल मंगाना अस्थायी रूप से बंद कर दिया है। अब ये कंपनियां तेल खरीद के लिए मिडिल ईस्ट और अफ्रीका की ओर रुख कर रही हैं।

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सूत्रों के हवाले से खुलासा- Trump Tariff On India

खबरों के मुताबिक बीते एक हफ्ते से इन कंपनियों ने रूस से कोई नया कच्चा तेल आयात नहीं किया है। अभी तक ना तो इन कंपनियों ने और ना ही सरकार ने इस फैसले पर कोई आधिकारिक बयान दिया है। लेकिन अंदरखाने में यह माना जा रहा है कि यह कदम अमेरिका के ताजा फैसलों के मद्देनज़र उठाया गया है।

निजी कंपनियां अब भी रूस से खरीद रही तेल

जहां सरकारी कंपनियों ने कदम पीछे खींच लिए हैं, वहीं रिलायंस इंडस्ट्रीज और नायरा एनर्जी जैसी निजी तेल रिफाइनरियां अब भी रूस से तेल मंगा रही हैं। वजह यह है कि इन कंपनियों के पास पहले से तय सालाना कॉन्ट्रैक्ट हैं। हालांकि जानकारों का कहना है कि अगर अमेरिका का दबाव और बढ़ा, तो निजी क्षेत्र पर भी असर पड़ सकता है।

ट्रंप का टैरिफ कार्ड

आपकी जानकारी के लिए बता दें, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में ऐलान किया कि 1 अगस्त से भारत से आने वाले सभी सामानों पर 25% टैरिफ लगाया जाएगा। इसके अलावा, उन्होंने रूस से तेल और रक्षा उपकरणों की खरीद को लेकर भारत पर अलग से पेनाल्टी लगाने की भी बात कही है। ट्रंप ने करीब 90 देशों पर रेसिप्रोकल टैरिफ लागू कर दिया है और भारत को लेकर उनका रुख काफी सख्त हो गया है।

ट्रेड डील में अड़चन और नाराजगी

वहीं, भारत और अमेरिका के बीच ट्रेड डील को लेकर लंबे समय से बातचीत चल रही थी। पीएम नरेंद्र मोदी की ट्रंप से मुलाकात भी इसी सिलसिले में हुई थी। लेकिन बातचीत में सबसे बड़ा रोड़ा बनकर सामने आया – कृषि क्षेत्र। भारत मक्का, सोयाबीन, डेयरी और बादाम जैसे उत्पादों के आयात पर छूट देने को तैयार नहीं है। सरकार का साफ कहना है कि ये फैसला देश के किसानों को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। किसान संगठन पहले ही सरकार को ऐसे किसी समझौते के खिलाफ चेतावनी दे चुके हैं।

अमेरिकी मंत्रियों की तीखी टिप्पणियां

अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेन्ट ने एक इंटरव्यू में कहा कि भारत ने ट्रेड बातचीत की शुरुआत की थी, लेकिन बाद में चीजें खिंचती चली गईं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि भारत रूस से प्रतिबंधित तेल खरीद कर उसे रिफाइन कर दुनिया को बेच रहा है, जिससे वैश्विक नियमों का उल्लंघन हो रहा है। वहीं अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने कहा कि भारत की रूस से तेल खरीद यूक्रेन में चल रहे युद्ध को अप्रत्यक्ष रूप से समर्थन देती है। हालांकि उन्होंने यह भी माना कि भारत की ऊर्जा ज़रूरतें बहुत बड़ी हैं और सस्ते विकल्पों की तलाश उसकी मजबूरी है।

अब आगे क्या?

फिलहाल भारत की सरकारी कंपनियों का यह कदम अमेरिका के साथ तनावपूर्ण रिश्तों को संभालने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है। यह अस्थायी रोक भविष्य में स्थायी भी बन सकती है, अगर टैरिफ और कूटनीतिक दबाव ऐसे ही बढ़ते रहे। भारत को अब अपनी ऊर्जा जरूरतों और वैश्विक दबावों के बीच संतुलन बिठाना होगा – और यह संतुलन आसान नहीं होगा।

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Pixel 6a Blast: चार्जिंग के दौरान फटा फोन, यूजर की जान बाल-बाल बची – जानिए स्मार्टफोन...

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Pixel 6a Blast: अगर आप भी रात को सोते वक्त अपना फोन चार्जिंग पर छोड़ देते हैं, तो ये खबर आपके लिए एक जरूरी चेतावनी है। हाल ही में Google Pixel 6a के ब्लास्ट का मामला सामने आया है, जिसने एक बार फिर स्मार्टफोन सेफ्टी को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। दरअसल, Reddit पर एक यूजर ने दावा किया है कि उनका Pixel 6a फोन चार्जिंग के दौरान अचानक ब्लास्ट हो गया। यूजर ने बताया कि हादसा उस वक्त हुआ जब वह गहरी नींद में सो रहा था और फोन उसके सिर के बेहद पास रखा था।

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 “तेज धमाका और जलने की बदबू से नींद खुल गई” (Pixel 6a Blast)

यूजर ने लिखा, “मैं अचानक तेज धमाके और जलने की गंध से उठा। देखा तो Pixel 6a में आग लगी थी। जैसे-तैसे केबल पकड़कर फोन को फर्श पर फेंका, लेकिन तब तक मेरी बेडशीट जल चुकी थी।”

इस घटना के बाद Reddit और सोशल मीडिया पर “Pixel 6a blast” ट्रेंड कर रहा है, और लोग चार्जिंग से जुड़ी आदतों को लेकर चिंतित हैं। आईए आपको इसके बारे में विस्तार से बताते हैं।

ये 5 गलतियां फोन को बना सकती हैं टाइम बम

अगर आप स्मार्टफोन को चार्ज करते समय ये सामान्य सी दिखने वाली गलतियां कर रहे हैं, तो आप भी उसी खतरे में हैं:

तकिए या गद्दे पर रखकर फोन चार्ज करना

फोन को नरम सतह पर चार्ज करने से वह जरूरत से ज्यादा गर्म हो जाता है। हीट बाहर नहीं निकल पाती, जिससे बैटरी ओवरहीट होकर फटने का खतरा बढ़ जाता है।

लोकल या नकली चार्जर का इस्तेमाल

सस्ते और डुप्लीकेट चार्जर अक्सर वोल्टेज कंट्रोल नहीं कर पाते, जिससे शॉर्ट सर्किट या चार्जिंग के दौरान मोबाइल ब्लास्ट जैसी घटनाएं हो सकती हैं। इसलिए हमेशा ऑरिजनल चार्जर का ही इस्तेमाल करें।

फोन को सिर के पास चार्ज करना

रात भर सिर के पास फोन चार्जिंग करना बेहद खतरनाक हो सकता है। अगर फोन फट जाए तो जानलेवा चोट लग सकती है।

फोन के ओवरहीट को नजरअंदाज करना

अगर आपका फोन बार-बार गर्म हो रहा है या बैटरी फूल रही है, तो उसे नजरअंदाज न करें। ये शुरुआती संकेत हैं कि कुछ गड़बड़ है। ऐसी स्थिति में फोन को सर्विस सेंटर जरूर ले जाएं।

रात भर चार्जिंग पर छोड़ना (Overnight Charging)

फोन को पूरी रात चार्जिंग पर छोड़ना बैटरी को कमजोर करता है और चार्जिंग के दौरान फोन फटने जैसी घटनाओं का खतरा बढ़ाता है। चार्जिंग पूरी होते ही प्लग निकाल दें।

ऐसे हादसों से कैसे बचें?

  • फोन को सख्त और सपाट सतह पर चार्ज करें
  • चार्जिंग के वक्त गर्मी महसूस हो तो तुरंत हटा लें
  • सोते वक्त फोन को सिर से दूर रखें
  • हमेशा ऑरिजनल चार्जर का ही इस्तेमाल करें
  • बैटरी या फोन में कोई भी दिक्कत हो तो जल्द से जल्द जांच कराएं

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Justice Verma Case: आपका आचरण भरोसेमंद नहीं, फिर जांच समिति के सामने पेश क्यों हुए? स...

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Justice Verma Case: देश की सबसे बड़ी अदालत में बुधवार को एक अलग ही तस्वीर देखने को मिली। आमतौर पर जहां अदालतें दूसरों के आचरण की जांच करती हैं, वहीं इस बार खुद एक न्यायाधीश को कटघरे में खड़ा किया गया। इलाहाबाद हाईकोर्ट में पदस्थ न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा से सुप्रीम कोर्ट ने तीखे और बेहद गंभीर सवाल पूछे, जो न्यायपालिका में पारदर्शिता और जवाबदेही को लेकर अब एक बड़ी बहस छेड़ रहे हैं। मामला सीधे तौर पर नकदी बरामदगी और आगजनी से जुड़ा है, लेकिन इसके केंद्र में है एक बड़ा सवाल — क्या न्याय के मंदिर में बैठे लोगों पर भी वही नियम लागू होते हैं जो आम जनता पर होते हैं?

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दरअसल, जस्टिस वर्मा ने एक याचिका दायर कर आंतरिक जांच समिति की उस रिपोर्ट को रद्द करने की मांग की है जिसमें उन्हें “कदाचार का दोषी” बताया गया है। यह वही रिपोर्ट है जो उनके सरकारी आवास में संदिग्ध परिस्थितियों में लगी आग और वहां अधजली हालत में बरामद नकदी के मामले की जांच के बाद तैयार की गई थी। समिति की रिपोर्ट में साफ कहा गया था कि जस्टिस वर्मा और उनके परिवार का उस कमरे पर गुप्त या सक्रिय नियंत्रण था, जहां से रकम मिली। पैनल ने उन्हें हटाने लायक गंभीर दोषी करार दिया।

सुप्रीम कोर्ट का सख्त रुख- Justice Verma Case

बुधवार को जब सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई, तो बेंच ने यशवंत वर्मा से सीधा सवाल किया कि जब वे जांच समिति की कार्यवाही में शामिल हुए थे, तो फिर अब उसे चुनौती क्यों दे रहे हैं? कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर उन्हें समिति की प्रक्रिया पर ऐतराज था तो उन्हें उसी वक्त कोर्ट आना चाहिए था, न कि तब जब रिपोर्ट उनके खिलाफ आई।

न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति एजी मसीह की पीठ ने कहा, “अगर भारत के मुख्य न्यायाधीश के पास यह मानने लायक तथ्य हों कि किसी जज ने गलत किया है, तो वे राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को सूचित कर सकते हैं। आगे की कार्रवाई भले ही राजनीतिक हो, लेकिन न्यायपालिका को समाज के सामने यह दिखाना ही होगा कि नियमों का पालन किया गया है।”

कपिल सिब्बल की दलील

न्यायमूर्ति वर्मा की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने दलील दी कि पूरी जांच प्रक्रिया असंवैधानिक थी और इससे न्यायिक स्वतंत्रता को नुकसान पहुंचता है। उन्होंने कहा कि टेप पहले ही लीक हो चुके थे, जिससे जस्टिस वर्मा की प्रतिष्ठा को पहले ही ठेस पहुंच चुकी थी, इसलिए उन्होंने शुरू में कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।

नेदुम्परा पर भी फटकार

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने अधिवक्ता मैथ्यूज जे. नेदुम्परा की भी खिंचाई की, जिन्होंने जस्टिस वर्मा के खिलाफ FIR दर्ज करने की मांग की थी। कोर्ट ने पूछा कि क्या उन्होंने पुलिस को कोई औपचारिक शिकायत की थी? यानी बिना किसी आधार के याचिका दाखिल करना कोर्ट को पसंद नहीं आया।

फैसला सुरक्षित, लेकिन बहस जारी

सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस वर्मा की याचिका और अधिवक्ता नेदुम्परा की FIR वाली याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। लेकिन इस पूरे मामले ने यह जरूर दिखा दिया कि अब न्यायपालिका के भीतर भी सवाल उठाने और पारदर्शिता की मांग को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता।

जांच रिपोर्ट में क्या कहा गया था?

तीन सदस्यीय जांच समिति — जिसकी अध्यक्षता पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस शील नागू कर रहे थे,  ने 10 दिन की गहन जांच में 55 गवाहों से पूछताछ की थी। समिति ने 14 मार्च की रात जस्टिस वर्मा के सरकारी आवास का निरीक्षण भी किया, जहां नकदी बरामद हुई थी। रिपोर्ट के मुताबिक, मामला इतना गंभीर था कि तत्कालीन CJI संजीव खन्ना ने 8 मई को राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग चलाने की सिफारिश की थी।

अब आगे क्या?

जस्टिस वर्मा की याचिका में यह तर्क दिया गया है कि जांच का पूरा तरीका पहले से तय ‘कहानी’ पर आधारित था, और उन्हें अपना पक्ष सही ढंग से रखने का मौका नहीं दिया गया। अब मामला सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर टिक गया है, जो तय करेगा कि क्या जांच प्रक्रिया उचित थी या वाकई संविधान के खिलाफ गई।

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Earthquake vs Nuclear Bomb: क्या 8.8 तीव्रता का भूकंप हजारों परमाणु बमों से ज्यादा ता...

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Earthquake vs Nuclear Bomb: भूकंप धरती की सबसे खतरनाक प्राकृतिक आपदाओं में से एक है। जब इसकी तीव्रता 8.0 या उससे ऊपर होती है, तो इसकी ताकत इंसानी समझ से बाहर लगने लगती है। हाल ही में रूस के कामचटका प्रायद्वीप के पास 8.8 तीव्रता का भूकंप आया, जिसने दुनियाभर में लोगों को फिर से सोचने पर मजबूर कर दिया कि क्या कोई भूकंप परमाणु बम से ज्यादा शक्तिशाली हो सकता है? अगर आपके मन में भी ऐसे सवाल हैं तो इसका जवाब है—हां। और यह कोई कल्पना नहीं, बल्कि वैज्ञानिक डेटा पर आधारित है।

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8.8 तीव्रता का भूकंप = 14,300 परमाणु बम (Earthquake vs Nuclear Bomb)

दरअसल जब कोई भूकंप आता है, तो उसकी ऊर्जा को मापने के लिए रिक्टर स्केल का इस्तेमाल होता है। यह एक लॉगरिदमिक स्केल है, जिसका मतलब है कि हर एक अंक की बढ़ोतरी के साथ भूकंप की ताकत करीब 32 गुना बढ़ जाती है। यानी 7.0 से 8.0 के बीच का अंतर मामूली नहीं, बल्कि बहुत बड़ा होता है।

8.8 तीव्रता का भूकंप करीब 9 x 10¹⁷ जूल्स ऊर्जा छोड़ता है। इसकी तुलना अगर 1945 में हिरोशिमा पर गिराए गए परमाणु बम “लिटिल बॉय” से की जाए, तो फर्क चौंकाने वाला है।

  • हिरोशिमा बम की ऊर्जा: 3 x 10¹³ जूल्स
  • 8 भूकंप की ऊर्जा: 9 x 10¹⁷ जूल्स
  • दोनों की तुलना:
    (9 x 10¹) ÷ (6.3 x 10¹³) = 14,300 बम

यानी, ऐसा भूकंप एक साथ 14,300 हिरोशिमा बम फटने जितनी ताकत रखता है।

भूकंप की इतनी ताकत कैसे होती है?

आपकी जानकारी के लिए बता दें, भूकंप धरती के भीतर प्लेटों के टकराव से पैदा होते हैं। जब लंबे समय तक जमा हुई ऊर्जा अचानक बाहर निकलती है, तो वह धरती को हिला देती है। वहीं, 8.8 तीव्रता का भूकंप इतना शक्तिशाली होता है कि यह पूरे शहर, सड़कें, पुल, और बिल्डिंग्स को चंद सेकंड में जमींदोज कर सकता है। एक स्टडी के मुताबिक, इस तरह के भूकंप से 6.27 मिलियन टन TNT के बराबर ऊर्जा निकलती है। यानी सिर्फ कंपन नहीं होता, बल्कि पूरी धरती थोड़ी देर के लिए हिल जाती है।

जापान और रिंग ऑफ फायर: हमेशा खतरे में

कामचटका प्रायद्वीप जापान के करीब है और यह इलाका Pacific Ring of Fire में आता है। यह वो क्षेत्र है जहां दुनिया के सबसे ज्यादा ज्वालामुखी और भूकंप आते हैं।

2011 में जापान में 9.0 तीव्रता का भूकंप आया था, जिसने सुनामी को जन्म दिया और फुकुशिमा न्यूक्लियर प्लांट को भी बर्बाद कर दिया। उस तबाही में 28,000 से ज्यादा लोगों की जान गई और करीब 360 अरब डॉलर का नुकसान हुआ।

इतिहास गवाह है: चिली का भूकंप

वहीं, 2010 में चिली में आए 8.8 तीव्रता के भूकंप ने न सिर्फ हज़ारों जानें लीं बल्कि पृथ्वी की धुरी को भी कुछ मिलीसेकंड के लिए हिला दिया। वैज्ञानिकों ने बताया कि इस वजह से पृथ्वी के घूमने की रफ्तार में बहुत ही छोटा सा फर्क पड़ा, जिसकी वजह से एक दिन की लंबाई कुछ माइक्रोसेकंड यानी बेहद कम समय के लिए घट गई।

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Woman Judge Resigned: न्याय के लिए लड़ी, लेकिन तंत्र ने साथ छोड़ा: शहडोल की महिला जज ...

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Woman Judge Resigned: शहडोल जिले में पदस्थ सिविल जज अदिति कुमार शर्मा ने न्यायिक सेवा से इस्तीफा दे दिया है। उनका यह इस्तीफा सिर्फ एक पद छोड़ने का फैसला नहीं है, बल्कि सिस्टम की चुप्पी और न्यायिक व्यवस्था की उदासीनता के खिलाफ एक तीखा सवाल है। अदिति ने अपने इस्तीफे में उन तकलीफों और उस निराशा को शब्दों में पिरोया है, जो उन्होंने एक महिला जज के तौर पर महसूस की।

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इस पूरे मामले की शुरुआत उस वक्त हुई जब अदिति कुमार शर्मा ने एक वरिष्ठ न्यायिक अधिकारी पर यौन उत्पीड़न के गंभीर आरोप लगाए थे। अब उसी अधिकारी को हाईकोर्ट में जज पद पर पदोन्नत किया जा रहा है। इस कदम का विरोध करते हुए अदिति ने कहा कि जब तक शिकायतों पर निष्पक्ष जांच नहीं होती, तब तक किसी भी आरोपित को इतनी बड़ी ज़िम्मेदारी सौंपना न्याय की मूल भावना के खिलाफ है।

‘यह इस्तीफा मेरे दर्द की नहीं, सिस्टम की नाकामी की कहानी है’ (Woman Judge Resigned)

अपने इस्तीफे में अदिति कुमार शर्मा ने लिखा है, “मैंने न्याय से भरोसा नहीं खोया है, लेकिन उस प्रणाली से टूट चुकी हूं जो खुद को न्याय का संरक्षक कहती है।” उन्होंने यह भी कहा कि उनका इस्तीफा इस बात की गवाही रहेगा कि मध्य प्रदेश में एक महिला जज थी जो न्याय के लिए पूरी ईमानदारी से लड़ी, लेकिन संस्था ने उसका साथ नहीं दिया।

शिकायतों पर कोई सुनवाई नहीं हुई

जज शर्मा का कहना है कि उन्होंने लगातार कई बार शिकायतें दर्ज कराईं, लेकिन न तो कोई जांच बैठाई गई और न ही किसी स्तर पर गंभीरता दिखाई गई। इससे भी चौंकाने वाली बात ये है कि जिन पर आरोप थे, उन्हें पदोन्नति मिल गई। शर्मा ने कहा कि यह सिर्फ उनका निजी मामला नहीं है, बल्कि यह पूरे न्यायिक तंत्र की जवाबदेही का सवाल है।

पहले भी बर्खास्त हो चुकी हैं अदिति कुमार

गौर करने वाली बात ये भी है कि अदिति कुमार शर्मा पहले उन छह महिला जजों में शामिल थीं जिन्हें जून 2023 में “असंतोषजनक प्रदर्शन” के आधार पर सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था। हालांकि, बाद में सुप्रीम कोर्ट ने दखल देते हुए उन्हें बहाल कर दिया था। मार्च 2024 से उन्होंने शहडोल में दोबारा सेवा शुरू की थी।

जुलाई में राष्ट्रपति और सुप्रीम कोर्ट को लिखा था पत्र

इस्तीफे से पहले जुलाई 2025 में जज अदिति ने भारत के राष्ट्रपति और सुप्रीम कोर्ट को कॉलेजियम के फैसले पर पुनर्विचार के लिए पत्र लिखा था। उन्होंने कहा था कि आरोपी अधिकारी की पदोन्नति बिना जांच के करना न सिर्फ गलत संदेश देता है, बल्कि यह पीड़िता के साथ अन्याय भी है।

सिर्फ अदिति नहीं, दो और शिकायतें भी दर्ज

अदिति कुमार शर्मा अकेली नहीं हैं जिन्होंने शिकायत की। दो और न्यायिक अधिकारियों ने भी उसी अधिकारी पर आरोप लगाए थे। इसके बावजूद, अधिकारी को क्लीन चिट देते हुए पदोन्नति दी गई। वहीं, संबंधित अधिकारी ने सभी आरोपों से इनकार किया है और कहा है कि उन्हें कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी गई थी।

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Malegaon Blast Case: अदालत ने 17 साल बाद सभी आरोपियों को बरी किया, जांच में खुलासा—सभ...

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Malegaon Blast Case: मुंबई की एनआईए (राष्ट्रीय जांच एजेंसी) कोर्ट ने 2008 के मालेगांव बम ब्लास्ट मामले में अहम फैसला सुनाते हुए सभी आरोपियों को बरी कर दिया। अदालत ने कहा कि इस मामले में पर्याप्त साक्ष्य नहीं हैं, जिससे आरोपियों के खिलाफ दोष साबित किया जा सके। इस फैसले से मामले में सात आरोपियों की न्यायिक यात्रा समाप्त हो गई है, जिनमें पूर्व बीजेपी सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर, लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित, रिटायर्ड मेजर रमेश उपाध्याय, सुधाकर चतुर्वेदी, अजय राहिरकर, सुधाकरधर द्विवेदी और समीर कुलकर्णी शामिल हैं। इस बीच, दो आरोपी अभी भी फरार हैं, जिनके खिलाफ अदालत ने कहा कि उनके खिलाफ नए सिरे से चार्जशीट दाखिल की जाए।

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अदालत का फैसला और उसकी वजह- Malegaon Blast Case

एनआईए कोर्ट के जज एके लाहोटी ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि इस मामले में जो सबूत पेश किए गए हैं, वे आरोपियों के खिलाफ पर्याप्त नहीं हैं। विशेष रूप से, कर्नल पुरोहित के खिलाफ आरडीएक्स लाने या बम बनाने का कोई ठोस सबूत नहीं मिला। इसके अलावा, इस मामले में बहुत से आरोप खारिज कर दिए गए हैं। अदालत ने कहा कि बम विस्फोट की घटना के समय बाइक किसने पार्क की थी, पत्थरबाजी किसने की, और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान किसने पहुंचाया, इन सभी आरोपों के बारे में कोई पुख्ता सबूत नहीं मिले हैं।

जांच में खामियां

कोर्ट ने मामले की जांच में कई खामियां भी उजागर कीं। अदालत ने कहा कि घटनास्थल का पंचनामा ठीक से नहीं किया गया और घटनास्थल पर बैरिकेडिंग भी नहीं की गई थी, जिससे पूरी प्रक्रिया में नाकामियां सामने आईं। फॉरेंसिक रिपोर्ट भी संदिग्ध थी, और इसी कारण से अदालत ने आरोपियों के खिलाफ कोई निष्कर्ष नहीं निकाला।

साध्वी प्रज्ञा और उनकी भूमिका पर संदेह

साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर की भूमिका पर भी सवाल उठाए गए थे। अभियोजन पक्ष ने दावा किया था कि धमाके में इस्तेमाल हुई बाइक साध्वी के नाम पर रजिस्टर्ड थी, लेकिन उनकी ओर से यह दावा किया गया था कि उन्होंने अपनी बाइक पहले ही बेच दी थी। इस बात को लेकर जांचकर्ताओं को कोई पुख्ता प्रमाण नहीं मिल पाया। इसके साथ ही, कोर्ट ने यह भी माना कि साध्वी ने धमाके से दो साल पहले संन्यास ले लिया था, जिससे उनके खिलाफ कोई ठोस साजिश का दावा करना मुश्किल हो गया।

कॉल इंटरसेप्शन और साक्ष्यों की कमी

मुकदमे के दौरान, अभियोजन पक्ष ने आरोपियों के कॉल डेटा रिकॉर्ड और कॉल इंटरसेप्शन का हवाला दिया था, जो एटीएस द्वारा अक्टूबर 2008 में रिकॉर्ड किए गए थे। हालांकि, अदालत ने यह भी माना कि कॉल इंटरसेप्ट करने की प्रक्रिया में खामियां थीं, और कई गवाह भी मुकर गए थे। अदालत ने कहा कि साक्ष्य और गवाहों की कमी के कारण अभियोजन पक्ष आरोपियों के खिलाफ साजिश का मामला साबित करने में असफल रहा।

महत्वपूर्ण सीडी का गायब होना

मुकदमे के दौरान एक महत्वपूर्ण घटना घटी जब उन सीडी का नुकसान हुआ, जिनमें ठाकुर, पुरोहित और अन्य आरोपी व्यक्तियों की कथित साजिश के दौरान की गई बैठकों के वीडियो थे। यह सीडी को स्वयंभू धर्मगुरु और आरोपी सुधाकरधर द्विवेदी ने गुप्त रूप से रिकॉर्ड किया था, लेकिन अदालत में पेश किए जाने से पहले ही ये सीडी टूटी हुई पाई गईं। इससे पूरे मामले में महत्वपूर्ण साक्ष्य का नुकसान हुआ।

एनआईए की जांच पर सवाल

एनआईए ने पहले एटीएस की जांच पर भरोसा किया था, लेकिन बाद में अदालत ने इस पर भी सवाल उठाए। अभियोजन पक्ष ने दावा किया कि कर्नल पुरोहित और अन्य आरोपियों के बीच की बातचीत को लेकर कॉल डेटा रिकॉर्ड का हवाला दिया था, लेकिन इन साक्ष्यों को अदालत में स्वीकार नहीं किया गया क्योंकि उनके पास जरूरी प्रमाणपत्र नहीं थे।

मालेगांव ब्लास्ट की त्रासदी

मालेगांव बम विस्फोट की घटना 29 सितंबर 2008 को घटी थी, जब एक बाइक पर बम रखा गया और वह मालेगांव के भीड़-भाड़ वाले इलाके में फटा। इस धमाके में छह लोगों की मौत हो गई और लगभग 100 लोग घायल हो गए। धमाके का शक आतंकवादी गतिविधियों से जोड़ा गया था और ‘अभिनव भारत’ नामक एक कथित हिंदू आतंकवादी संगठन का नाम सामने आया था।

एटीएस ने इस मामले में कई लोगों को आरोपी बनाया था, जिसमें साध्वी प्रज्ञा ठाकुर और कर्नल पुरोहित भी शामिल थे। एटीएस ने आरोप लगाया था कि पुरोहित ने आरडीएक्स की आपूर्ति की थी, जबकि प्रज्ञा ठाकुर का नाम धमाके में इस्तेमाल हुई बाइक से जोड़ा गया था। हालांकि, अदालत ने यह साबित नहीं होने दिया कि इन आरोपों के पीछे कोई ठोस साक्ष्य हैं।

अंतिम फैसला और अदालत की टिप्पणी

अदालत ने इस मामले में अपने फैसले में यह भी कहा कि आतंकवाद निरोधक अधिनियम (UAPA) के तहत आरोप नहीं लगाए जा सकते क्योंकि आरोप बिना किसी ठोस आधार के लगाए गए थे। अदालत ने यह भी माना कि अभियोजन पक्ष ने बिना साक्ष्यों के एक मजबूत कहानी गढ़ी थी और केवल संदेह के आधार पर कार्रवाई की थी।

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Moradabad Bulldozer action: मुरादाबाद की मझोला मंडी में सोमवार को प्रशासन की अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई के बाद एक व्यापारी ने आत्महत्या कर ली। मृतक की पहचान 32 वर्षीय चेतन सैनी के रूप में हुई है। वह मंडी में फलों का व्यापार करता था। चेतन के छोटे भाई विजेंद्र भाजपा से जुड़े हैं। मिली जानकारी के अनुसार, प्रशासन द्वारा उसकी दुकान तोड़े जाने से आहत होकर उसने घर की छत से कूदकर आत्महत्या कर ली। इस घटना से शहर में हड़कंप मच गया है और व्यापारियों में गहरा आक्रोश है।

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आतिक्रमण हटाने के दौरान हुआ विवादMoradabad Bulldozer action

सोमवार को मंडी में प्रशासन ने अतिक्रमण हटाने के लिए बुलडोजर चलवाया। इस दौरान सौ से ज्यादा दुकानों का अतिक्रमण तोड़ दिया गया। कई व्यापारियों ने इस कार्रवाई का विरोध किया, लेकिन पुलिस की सख्ती ने उन्हें पीछे हटने पर मजबूर कर दिया। चेतन की दुकान भी प्रशासन की कार्रवाई का शिकार बनी, जिसमें लाखों रुपये का सामान बर्बाद हो गया।

चेतन ने इससे पहले अपनी फेसबुक वॉल पर एक पोस्ट लिखा था, जिसमें उसने प्रशासन की कार्रवाई को लेकर सवाल उठाए थे। उसने लिखा, “मुरादाबाद मंडी में प्रशासन का आक्रमण, सारा बर्बाद कर दिया… सब आढ़ती बर्बाद हो गए और भगवान की दुआ से माल पर बारिश भी हो गई… प्रशासन मजे ले रहा था, बताइये क्या करें, इस बर्बादी का जिम्मेदार कौन?”

चेतन की आत्महत्या: परिवार और व्यापारियों में गुस्से का माहौल

चेतन की आत्महत्या के बाद से उसके परिवार में शोक की लहर दौड़ गई है। उसके छोटे भाई, भाजपा नेता विजेंद्र सैनी ने आरोप लगाया कि प्रशासन के अधिकारियों ने उनकी मदद की कोई कोशिश नहीं की और न ही उन्हें अपना सामान हटाने का समय दिया। विजेंद्र ने बताया कि उन्होंने अधिकारियों से मिन्नतें कीं, लेकिन फिर भी उन्हें कोई राहत नहीं मिली।

चेतन के बड़े भाई उमेश का कहना है कि प्रशासन की इस कार्रवाई ने उनके परिवार को भारी नुकसान पहुँचाया है। उमेश ने बताया कि उसकी दुकान में करीब आठ लाख रुपये का सामान बर्बाद हो गया।

डिप्टी सीएम ने किया परिवार को ढांढस बंधाना

चेतन की आत्महत्या के बाद डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने पोस्टमार्टम हाउस पहुँचकर पीड़ित परिवार से मुलाकात की और उन्हें ढांढस बंधाया। उन्होंने कहा कि पीड़ित परिवार की हर संभव मदद की जाएगी और प्रशासन इस मामले में पूरी संवेदनशीलता से काम करेगा।

आढ़ती समाज में गुस्सा

चेतन के परिवार में कुल चार भाई और एक बहन थी। उसकी मौत के बाद पूरा परिवार शोक में डूबा हुआ है। उमेश ने बताया कि उनका परिवार 20 साल से मंडी में व्यापार कर रहा था और उनके पिता हुकुम सिंह के नाम पर आढ़त की लाइसेंस भी थी। लेकिन अब चेतन के जाने के बाद उनका परिवार सिर्फ आर्थ‍िक ही नहीं, बल्कि मानसिक रूप से भी टूट चुका है।

मंडी में व्यापारियों के बीच गुस्से का माहौल है। आढ़ती इसे प्रशासन की गलत कार्रवाई मान रहे हैं और उन्होंने प्रशासन से न्याय की मांग की है।

मंडी में कार्रवाई का असर

मंडी में अतिक्रमण हटाने के दौरान कई व्यापारियों का सामान बर्बाद हो गया, जिससे उनमें गुस्सा और निराशा है। व्यापारी आरोप लगा रहे हैं कि प्रशासन को उनके नुकसान की कोई चिंता नहीं थी। इस घटना ने व्यापारियों के बीच प्रशासन की नीतियों को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं।

क्या प्रशासन ने मानवता को ध्यान में रखा?

इस घटना के बाद सवाल उठ रहे हैं कि क्या प्रशासन को अपनी कार्रवाई करने से पहले व्यापारियों के साथ बातचीत करनी चाहिए थी? क्या किसी भी कार्रवाई को लागू करते वक्त मानवीय पहलू को ध्यान में रखना जरूरी नहीं था?

मंडी सचिव और अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग

चेतन के परिवार के लोग और व्यापारियों ने मंडी सचिव और अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। वे चाहते हैं कि जो भी जिम्मेदार लोग हैं, उन्हें कड़ी सजा दी जाए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।

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China Dam Controversy: डैम बन रहा है तिब्बत में, डर फैल रहा है पूर्वोत्तर में… क्या य...

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China Dam Controversy: अब ज़रा सोचिए, एक ऐसा डैम जो दुनिया का सबसे बड़ा हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट होगा, वो भी उस ब्रह्मपुत्र नदी पर, जो भारत के असम और अरुणाचल से लेकर बांग्लादेश और म्यांमार तक लाखों जिंदगियों की जीवनरेखा है। और ये डैम कोई और नहीं, बल्कि चीन तिब्बत के उस हिस्से में बना रहा है जो भूकंप के लिहाज से बेहद संवेदनशील है। जाहिर है, ये सिर्फ ऊर्जा परियोजना नहीं, बल्कि एक बड़ा भू-राजनीतिक और मानवीय खतरा बन सकता है।

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डैम का साइज, चिंता का स्केल तीन गुना बड़ा- China Dam Controversy

चीन का ये डैम “थ्री गोरजेस” से भी तीन गुना बड़ा होगा और इसकी योजना 60,000 मेगावाट बिजली उत्पादन की है। लेकिन असल मुद्दा बिजली नहीं, बल्कि इसके नीचे बहने वाली ज़िंदगियां हैं। जिस इलाके में ये डैम बन रहा है, वहां भारतीय और यूरेशियाई टेक्टोनिक प्लेटें टकराती हैं, मतलब यह इलाका भूकंप का केंद्र है। अगर कभी ज़रा भी तकनीकी गड़बड़ी या प्राकृतिक आपदा हुई, तो इसकी तबाही सिर्फ चीन में नहीं रुकेगी बल्कि भारत, भूटान, बांग्लादेश और म्यांमार तक इसका असर पहुंचेगा।

अरुणाचल के सीएम बोले—ये ‘वॉटर बम’ है

अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू पहले ही इस प्रोजेक्ट को “वॉटर बम” कह चुके हैं। उनका कहना है कि सियांग बेल्ट में इससे भारी तबाही हो सकती है। उनकी चिंता यह भी है कि चीन जो कर रहा है, उसका इरादा क्या है, ये कोई नहीं जानता। और उनकी बात पूरी तरह बेबुनियाद नहीं है—क्योंकि चीन का रिकॉर्ड और रवैया दोनों सवाल उठाते हैं।

भारत शांत है, पर अंदर से परेशान

भारत ने अब तक इस डैम को लेकर कोई सख्त कदम नहीं उठाया है। कूटनीतिक तौर पर बस इतना कहा गया है कि चीन को निचले इलाकों के हितों का ध्यान रखना चाहिए। दूसरी तरफ चीन कहता है कि यह प्रोजेक्ट उनके अधिकार क्षेत्र में है, लेकिन भारत और बांग्लादेश के साथ बातचीत के लिए वह ‘तैयार’ है। हालांकि, अब तक किसी भरोसेमंद डेटा या चेतावनी साझा करने की पहल नहीं हुई है।

पड़ोसियों से मिलकर रास्ता निकलेगा

कुछ जानकार मानते हैं कि भारत को अब खुलकर बोलना चाहिए और चीन से हाइड्रोलॉजिकल व ऑपरेशनल डेटा मांगना चाहिए। इसके अलावा भारत को भूटान, बांग्लादेश और म्यांमार जैसे पड़ोसी देशों के साथ मिलकर साझा रणनीति बनानी चाहिए। अगर ये देश एकजुट होकर चीन से ज़िम्मेदार रवैया मांगें, तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चीन पर दबाव बन सकता है।

इसके अलावा, भारत के पास लॉन्ग टर्म उपाय भी हैं। जैसे, अपनी नदियों को आपस में जोड़ना, जिससे अचानक पानी आने की स्थिति में बाढ़ का असर कम किया जा सके। इससे सिर्फ जल प्रबंधन ही नहीं, चीन जैसी स्थितियों से निपटने में भी देश को ताकत मिल सकती है।

असम की चेतावनी: आम दिनों में नुकसान नहीं, लेकिन…

असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने भरोसा जताया है कि सामान्य हालात में भारत को इससे बड़ा नुकसान नहीं होगा, क्योंकि ब्रह्मपुत्र का लगभग 70% पानी भारत के भीतर की नदियों से आता है। लेकिन डर इस बात का है कि अगर कभी चीन ने जानबूझकर पानी छोड़ा या कोई भूकंप आया, तो तबाही की कल्पना करना भी मुश्किल होगा।

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