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UP airports shutting down: यूपी में हवाई सपने ठप! उद्घाटन के बाद बंद पड़े सात एयरपोर्...

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UP airports shutting down: उत्तर प्रदेश में पिछले कुछ सालों में हवाई अड्डों की बाढ़ सी आ गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य को ‘हवाई कनेक्टिविटी का हब’ बनाने का सपना दिखाया था। लेकिन आज तस्वीर कुछ और ही दिखती है। दर्जनों एयरपोर्ट बनकर तैयार हो चुके हैं, करोड़ों रुपये खर्च हो चुके हैं, सैकड़ों कर्मचारी रोज ड्यूटी पर पहुंचते हैं लेकिन वहां से एक भी विमान नहीं उड़ता।

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लोकसभा चुनाव से पहले 10 मार्च 2024 को पीएम मोदी ने बुंदेलखंड के पहले एयरपोर्ट चित्रकूट एयरपोर्ट का वर्चुअल उद्घाटन किया था। लेकिन उद्घाटन के महज चार महीने बाद ही यहां से उड़ानें बंद हो गईं। करीब एक साल से कोई यात्री विमान यहां से उड़ान नहीं भर सका। यही हाल पूर्वांचल के कुशीनगर इंटरनेशनल एयरपोर्ट का है, जिसे पीएम मोदी ने 20 अक्टूबर 2021 को बड़े धूमधाम से शुरू किया था, लेकिन अब तक वहां से एक भी अंतरराष्ट्रीय फ्लाइट नहीं उड़ी।

चित्रकूट एयरपोर्ट: चार महीने में बंद हो गया बुंदेलखंड का सपना- UP airports shutting down

146 करोड़ रुपये की लागत से बना चित्रकूट एयरपोर्ट 10 मार्च 2024 को देशभर में लॉन्च हुए 12 नए टर्मिनलों में से एक था। उद्घाटन के दो दिन बाद यानी 12 मार्च को यहां से पहली 19 सीटर फ्लाइट लखनऊ के लिए उड़ी थी। ‘एयरबिग’ कंपनी ने 250 किलोमीटर की इस दूरी को महज 55 मिनट में पूरा किया। शुरू में हफ्ते में दो दिन उड़ानें थीं, फिर चार दिन तक बढ़ाई गईं। लेकिन 16 दिसंबर 2024 से फ्लाइट पूरी तरह बंद कर दी गईं।

एयरपोर्ट डायरेक्टर आलोक सिंह बताते हैं कि 26 अक्टूबर 2025 से उड़ानें फिर शुरू होनी थीं, एयरबिग कंपनी ने तैयारी भी कर ली थी, लेकिन आखिर समय में उन्होंने उड़ान रोकने का फैसला किया। कारण पूछने पर उन्होंने कहा कि “ऑपरेशनल इश्यू” और “विजिबिलिटी की दिक्कतें” सामने आईं। हालांकि उन्होंने यह भी माना कि यात्रियों की संख्या बहुत कम थी।

इस वक्त चित्रकूट एयरपोर्ट पर करीब 70 कर्मचारी काम कर रहे हैं, जिनमें 40 सीआईएसएफ के जवान भी शामिल हैं। सभी रोज ड्यूटी पर आते हैं, लेकिन रनवे पर कोई विमान नहीं उतरता।

कुशीनगर इंटरनेशनल एयरपोर्ट: चार साल में एक भी विदेशी उड़ान नहीं

कुशीनगर एयरपोर्ट का उद्घाटन अक्टूबर 2021 में पीएम मोदी ने किया था। इस मौके पर श्रीलंका से 125 लोगों का प्रतिनिधिमंडल विशेष विमान से पहुंचा था। उस वक्त लगा था कि जल्द ही कुशीनगर से विदेशों के लिए सीधी उड़ानें शुरू होंगी। लेकिन 47 महीने गुजर गए, अब तक यहां से कोई अंतरराष्ट्रीय फ्लाइट नहीं उड़ी।

स्पाइसजेट ने नवंबर 2021 में दिल्ली-कुशीनगर रूट पर उड़ानें शुरू की थीं, पर यात्रियों की कमी के चलते उन्हें भी बंद करना पड़ा। मार्च 2022 में वियतनाम से एक विमान जरूर आया था, लेकिन इसके बाद सब ठप हो गया।

एयरपोर्ट डायरेक्टर प्रणेश कुमार रॉय बताते हैं कि “यहां ILS (इंस्ट्रूमेंट लैंडिंग सिस्टम) नहीं लग पाया था। छह घरों के कारण इसका काम अटक गया था। अब वो तोड़ दिए गए हैं, जल्द सिस्टम लग जाएगा। इसके बाद ही कंपनियां उड़ानें शुरू कर पाएंगी।”

फिलहाल 170 कर्मचारी, जिनमें 150 सीआईएसएफ जवान शामिल हैं, यहां ड्यूटी करते हैं।

आजमगढ़, अलीगढ़, मुरादाबाद और श्रावस्ती: एक जैसे हालात, यात्रियों की कमी से बंद उड़ानें

10 मार्च 2024 को जिन 12 हवाई अड्डों का उद्घाटन हुआ, उनमें यूपी के आजमगढ़, अलीगढ़, श्रावस्ती और मुरादाबाद भी शामिल थे। लेकिन इनका हाल भी चित्रकूट जैसा ही रहा।

  • आजमगढ़ एयरपोर्ट से लखनऊ के लिए नवंबर 2024 तक उड़ानें चलीं, लेकिन यात्री कम मिलने के कारण फ्लाई बिग कंपनी ने उड़ानें स्थगित कर दीं।
  • अलीगढ़ एयरपोर्ट से लखनऊ की उड़ान एक महीने बाद ही बंद कर दी गई।
  • मुरादाबाद एयरपोर्ट से भी चार दिन की फ्लाइट शेड्यूल के बावजूद सेवा बंद कर दी गई।
  • श्रावस्ती एयरपोर्ट का मामला तो और दिलचस्प है। यहां रेलवे स्टेशन तक नहीं है, फिर भी एयरपोर्ट बना। लेकिन लखनऊ से सिर्फ 153 किलोमीटर दूर होने और यात्रियों की कमी के चलते यह भी बंद हो गया। लोग कहते हैं — “तीन घंटे में तो सड़क से लखनऊ पहुंच जाते हैं, फ्लाइट के लिए डेढ़-दो घंटे पहले एयरपोर्ट पहुंचना झंझट लगता है।”

सहारनपुर एयरपोर्ट: उद्घाटन हुआ, उड़ान आज तक नहीं

20 अक्टूबर 2024 को पीएम मोदी ने सहारनपुर एयरपोर्ट का वर्चुअल उद्घाटन किया था। 55 करोड़ रुपये की लागत से बने इस एयरपोर्ट से अभी तक एक भी फ्लाइट नहीं उड़ी। सहारनपुर के व्यापारी कहते हैं, “हमें उम्मीद थी कि सूरत या मुंबई की फ्लाइट मिलेगी, लेकिन एक साल बाद भी कुछ नहीं हुआ। यह तो हमारे साथ धोखा है।”

पांच और एयरपोर्ट निर्माणाधीन — लेकिन सवाल वही

यूपी सरकार के मुताबिक मेरठ, ललितपुर, सोनभद्र, लखीमपुर खीरी और नोएडा (जेवर) में नए एयरपोर्ट पर काम चल रहा है।

  • मेरठ एयरपोर्ट पर रनवे चौड़ा करने और आसपास की इमारतें हटाने की तैयारी है।
  • जेवर एयरपोर्ट एशिया का सबसे बड़ा एयरपोर्ट बताया जा रहा है। इसका पहला चरण लगभग पूरा हो चुका है और 30 अक्टूबर 2025 को इसके उद्घाटन की योजना है।
  • लखीमपुर खीरी के पलिया एयरपोर्ट से दिसंबर 2024 में ट्रायल फ्लाइट चली, लेकिन उसमें सिर्फ चालक दल के सदस्य और एक यात्री थे।
  • ललितपुर एयरपोर्ट डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर के लिए अहम बताया जा रहा है।
  • सोनभद्र के म्योरपुर एयरपोर्ट का काम कोर्ट केस के चलते अटका रहा, अब अप्रैल 2025 से फिर शुरू हुआ है।

सरकार का कहना है कि हर मंडल में एक एयरपोर्ट बनाने की योजना है, ताकि क्षेत्रीय कनेक्टिविटी बढ़ सके। लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि पहले से बने कई एयरपोर्टों से कोई उड़ान नहीं है।

क्यों बंद हो रहीं उड़ानें? असली वजहें क्या हैं?

अधिकारियों और विमानन कंपनियों से बातचीत में तीन प्रमुख कारण सामने आते हैं —

  1. यात्रियों की कमी:
    जिन छोटे शहरों से उड़ानें शुरू हुईं, वहां के लोग अब भी ट्रेन या बस को ही सुविधाजनक मानते हैं। जैसे श्रावस्ती से लखनऊ सड़क से तीन घंटे में पहुंचा जा सकता है, जबकि फ्लाइट के लिए दो घंटे पहले पहुंचना और बाद में निकलने में लगने वाला वक्त जोड़ें, तो समय बचत नहीं होती।
  2. पास-पास बने एयरपोर्ट:
    कई नए एयरपोर्ट पहले से सक्रिय हवाई अड्डों के बेहद करीब हैं।

    • प्रयागराज से चित्रकूट सिर्फ 101 किमी,
    • गोरखपुर से कुशीनगर 51 किमी,
    • अयोध्या से श्रावस्ती 110 किमी,
    • लखनऊ से पलिया 160 किमी,
    • आगरा से अलीगढ़ 90 किमी।
      ऐसे में एक रूट पर यात्रियों का वितरण हो जाता है और उड़ानें घाटे में चली जाती हैं।
  3. ऑपरेशनल और तकनीकी दिक्कतें:
    कई जगह रनवे की लंबाई कम है, विजिबिलिटी या नेविगेशन सिस्टम अधूरे हैं। कुशीनगर में ILS न होने के कारण कई उड़ानें रद्द करनी पड़ीं।

“लोग हवाई यात्रा के आदि नहीं हैं” – अधिकारी

लखनऊ एयरपोर्ट के एक वरिष्ठ अधिकारी बताते हैं, “जहां-जहां फ्लाइट बंद हुईं, वहां से सिर्फ एक रूट, लखनऊ के लिए उड़ान थी। यात्रियों की संख्या स्वाभाविक रूप से कम रही। छोटे शहरों के लोग अभी हवाई यात्रा के आदी नहीं हैं। उन्हें लगता है कि इतने में तो सड़क से पहुंच जाएंगे।”

वे आगे कहते हैं, “फ्लाइट किराया भी एक फैक्टर है। लोग ट्रेन या बस की तुलना में दोगुना किराया देने में हिचकते हैं। कई यात्रियों के लिए हवाई यात्रा सिर्फ ‘पहली बार उड़ने का अनुभव’ भर रह गई।”

उद्योग जगत की नाराजगी

सहारनपुर के रायवाला कपड़ा मार्केट के कारोबारी राधेश्याम नारंग कहते हैं, “जब एयरपोर्ट का उद्घाटन हुआ, हमें लगा अब व्यापारिक यात्राएं आसान हो जाएंगी। दिल्ली या देहरादून जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। लेकिन आज तक यहां एक भी विमान नहीं आया। यह हमारे साथ धोखा है।”

फिलहाल कौन से एयरपोर्ट चल रहे हैं?

यूपी में इस वक्त 3 अंतरराष्ट्रीय और 5 घरेलू एयरपोर्ट नियमित रूप से चल रहे हैं —

  • अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट: लखनऊ, वाराणसी और अयोध्या।
  • घरेलू एयरपोर्ट: प्रयागराज, कानपुर, गोरखपुर, गाजियाबाद और बरेली।

बाकी कई एयरपोर्ट या तो बंद हैं या फिर निर्माणाधीन।

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Satish Shah passes away: ‘साराभाई वर्सेज साराभाई’ के इंद्रवदन नहीं रहे, 74 साल की उम्...

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Satish Shah passes away: टीवी और फिल्म जगत के मशहूर अभिनेता सतीश शाह अब इस दुनिया में नहीं  रहे। शनिवार दोपहर करीब 1:30 बजे उनका मुंबई के हिंदुजा अस्पताल में निधन हो गया। 74 वर्षीय सतीश पिछले कुछ समय से किडनी से जुड़ी बीमारी से जूझ रहे थे। हाल ही में उनका किडनी ट्रांसप्लांट कोलकाता में हुआ था और वे धीरे-धीरे स्वस्थ हो रहे थे। लेकिन अचानक शनिवार दोपहर उनकी तबीयत बिगड़ी और उन्होंने दम तोड़ दिया। उनके मैनेजर ने बताया कि फिलहाल उनका पार्थिव शरीर अस्पताल में रखा गया है और अंतिम संस्कार रविवार को किया जाएगा।

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कॉमेडी के उस्ताद, ‘साराभाई वर्सेज साराभाई’ से घर-घर में बने पॉपुलर- Satish Shah passes away

सतीश शाह का नाम भारतीय कॉमेडी के इतिहास में हमेशा याद किया जाएगा। टीवी शो ‘साराभाई वर्सेज साराभाई’ में उनके निभाए किरदार इंद्रवदन साराभाई ने उन्हें घर-घर में पहचान दिलाई। उनकी नैचुरल कॉमिक टाइमिंग, शरारती अंदाज और सीधी-सादी बातों में छिपी गहराई ने दर्शकों को खूब हंसाया।

 

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उन्होंने सिर्फ टीवी पर नहीं, बल्कि फिल्मों में भी अपनी अलग पहचान बनाई। ‘कल हो ना हो’ (2003), ‘मैं हूं ना’ (2004), ‘फना’ (2006) और ‘ओम शांति ओम’ (2007) जैसी सुपरहिट फिल्मों में उनके किरदार आज भी लोगों की यादों में ताजा हैं। 2008 में उन्होंने अर्चना पूरन सिंह के साथ ‘कॉमेडी सर्कस’ में बतौर जज काम किया था।

खाना खाने के बाद अचानक गिरे, 40 साल पुराने दोस्त जॉनी लीवर ने सुनाया दर्द

कॉमेडियन जॉनी लीवर, जो सतीश शाह के बहुत करीबी दोस्त थे, ने बताया कि दोनों की दोस्ती को 40 साल से ज्यादा हो गए थे। जॉनी ने कहा, “सतीश भाई किडनी की बीमारी से जूझ रहे थे। ट्रांसप्लांट के बाद वे पूरी तरह ठीक हो गए थे। आज उन्होंने खाना खाया और अचानक गिर पड़े… और सब खत्म हो गया। विश्वास नहीं होता कि वो अब हमारे बीच नहीं हैं।”

साथियों का टूट गया दिल – “ऐसा लग रहा जैसे पिता को खो दिया हो”

‘साराभाई वर्सेज साराभाई’ में उनके को-स्टार राजेश कुमार ने बेहद भावुक होकर कहा, “मेरे लिए ये किसी व्यक्तिगत नुकसान से कम नहीं। ऐसा लग रहा जैसे मैंने अपने पिता को खो दिया हो। सतीश जी जिंदगी से भरे हुए इंसान थे। उन्होंने हर मुश्किल को मुस्कुराकर झेला और अपनी छाप छोड़ गए।”

वहीं, फिल्ममेकर विवेक शर्मा ने बताया कि शनिवार सुबह तक उनकी सतीश शाह से बात हो रही थी। “उन्होंने सुबह मुझे अपनी एक सेल्फी भेजी और बोले – ‘देखो, मैंने 20 किलो वजन घटा लिया है, अब मैं कितना हैंडसम लग रहा हूं।’ उन्होंने कहा था कि नवंबर से हम नया काम शुरू करेंगे। कौन जानता था, वो आखिरी बातचीत होगी,” विवेक ने बताया।

पीएम मोदी ने जताया शोक

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सतीश शाह के निधन पर दुख जताया। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा,

“सतीश शाह जी के निधन से अत्यंत दुखी हूं। वे भारतीय मनोरंजन जगत के सच्चे दिग्गज थे। उनकी सहज हास्य प्रतिभा और यादगार अभिनय ने अनगिनत लोगों के जीवन में मुस्कान बिखेरी। उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति मेरी संवेदनाएं।”

FTII से पढ़ाई की, 55 किरदारों से किया टीवी डेब्यू

बता दें, सतीश शाह का जन्म मुंबई के मांडवी में हुआ था। उन्होंने जेवियर कॉलेज से पढ़ाई करने के बाद FTII पुणे (फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया) से अभिनय की शिक्षा ली। साल 1972 में उन्होंने डिजाइनर मधु शाह से शादी की थी।

उनका फिल्मी करियर 1970 की फिल्म ‘भगवान परशुराम’ से शुरू हुआ था। वहीं टीवी पर उन्होंने 1984 में ‘ये जो है जिंदगी’ से डेब्यू किया, जिसमें उन्होंने 55 एपिसोड में 55 अलग-अलग किरदार निभाए। इसके बाद वे ‘फिल्मी चक्कर’, ‘घर जमाई’, ‘टॉप 10’ और ‘कॉमेडी सर्कस’ जैसे शो में भी नजर आए।

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बड़े पर्दे का मज़ा अब हर घर में! Redmi ने लॉन्च किया किफायती सस्ता प्रोजेक्टर 4 Pro

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Redmi Projector 4 Pro: से संबंधित है, जिसे हाल ही में चीन में लॉन्च किया गया है। यह प्रोजेक्टर 120-इंच तक की बड़ी स्क्रीन बना सकता है, जिससे घर की दीवार ही एक बड़ी टीवी में बदल सकती है। यह मीडियाटेक MT9660 प्रोसेसर द्वारा संचालित है। ये डिवाइस 2GB रैम और 32GB स्टोरेज के साथ आता है। यह ToF ऑटोफोकस और मैनुअल फोकस को सपोर्ट करता है। तो चलिए आपको इस लेख में प्रोजेक्टर प्रोजेक्टर के फीचर के बारे में विस्तार से बताते हैं।

रेडमी प्रोजेक्टर 4 प्रो के फीचर्स – Redmi Projector 4 Pro features

  • स्क्रीन साइज: 45-इंच से लेकर 120-इंच तक प्रोजेक्ट कर सकता है।
  • रिजॉल्यूशन: Full HD (1080p)
  • ब्राइटनेस: 600 CVIA Lumens
  • अन्य फीचर्स:
  • MediaTek MT9660 प्रोसेसर
  • 2GB रैम और 32GB स्टोरेज
  • ToF ऑटो फोकस और कीस्टोन करेक्शन (तेज़ और हैंड्स-फ्री सेटअप के लिए)
  • MEMC मोशन कंपनसेशन (तेज़ गति वाले दृश्यों में स्पष्टता के लिए)
  • डुअल 8W स्पीकर
  • कनेक्टिविटी: USB 2.0, HDMI (ARC), 3.5mm जैक, ब्लूटूथ 5.1

Redmi प्रोजेक्टर की कीमत

आपको बता दें, चीन (China) में इसकी कीमत 1499 युआन (Yuan) है, जो भारतीय मुद्रा में लगभग ₹18,470 (कीमतें बदल सकती हैं) के आस-पास बैठती है। फिलहाल यह प्रोजेक्टर चीन (China) में लॉन्च हुआ है। भारत या अन्य वैश्विक बाजारों में इसकी लॉन्चिंग के बारे में अभी कोई आधिकारिक जानकारी नहीं है। अगर आप Redmi Projector 4 Pro या किसी अन्य Redmi/Xiaomi प्रोजेक्टर के भारत में लॉन्च होने या उसकी कीमत के बारे में कोई और जानकारी चाहते हैं, तो पूछ सकते हैं।

इसके अलवा इसमें USB 2.0, HDMI (ARC), 3.5mm जैक और DC IN मिलेगा। वायरलेस कनेक्टिविटी (Wireless Connectivity) के लिए कंपनी ने ब्लूटूथ (Bluetooth) 5.1 दिया है। इसमें वॉइस कंट्रोल भी है। इसे रिमोट से चलाया जा सकता है। इसका वज़न लगभग 3 किलोग्राम है और यह ग्रे रंग में उपलब्ध है।

Pak spy Sejal Kapoor: जब एक पाकिस्तानी जासूस ने 98 भारतीय अफसरों को बना लिया निशाना

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Pak spy Sejal Kapoor: भारत के इतिहास में कई बार पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई (ISI) की जासूसी कोशिशों का खुलासा हुआ है, लेकिन कुछ ऑपरेशन इतने शातिर और हाई-टेक रहे कि आज भी लोगों के रोंगटे खड़े हो जाते हैं। ऐसा ही एक मामला था ‘हनीट्रैप कांड’, जिसमें एक पाकिस्तानी महिला जासूस ने अपने डिजिटल हुस्न के जाल में भारत के 98 बड़े अधिकारियों को फंसा लिया था। यह महिला खुद को भारतीय लड़की “सेजल कपूर” बताती थी, लेकिन असल में वह पाकिस्तान में बैठी एक प्रशिक्षित साइबर स्पाई थी।

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फेसबुक से शुरू होता था खेल- Pak spy Sejal Kapoor

यह मामला साल 2015 से 2018 के बीच का है। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी से जुड़ी इस महिला ने ‘सेजल कपूर’ नाम से फर्जी फेसबुक आईडी बनाई थी। तस्वीरें भारतीय मॉडल्स की होती थीं और प्रोफाइल देखकर कोई भी कह देता कि यह कोई आम लड़की है। सेजल खुद को डिफेंस रिसर्च या मीडिया सेक्टर से जुड़ी बताकर भारतीय रक्षा विभाग के अधिकारियों से दोस्ती बढ़ाती थी।

धीरे-धीरे बातचीत बढ़ती, फिर चैटिंग का सिलसिला शुरू होता। सेजल अपने शिकार को एक खास मोबाइल ऐप ‘विस्पर’ (Whisper) डाउनलोड करने को कहती थी। दिखने में यह एक नॉर्मल चैटिंग ऐप था, लेकिन हकीकत में यह एक मैलवेयर था, जो डाउनलोड होते ही यूजर के फोन और कंप्यूटर का डेटा हैक कर लेता था।

तीन साल तक चला जासूसी मिशन

तीन सालों तक इस जासूस ने भारत के कई अहम विभागों में काम कर रहे लोगों को फंसाया। आर्मी, नेवी, एयरफोर्स, पुलिस और यहां तक कि डिफेंस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन के कुछ कर्मचारियों से भी वह जुड़ चुकी थी। इस दौरान उसने कई अहम फाइल्स, डिफेंस प्रोजेक्ट्स और संवेदनशील कम्युनिकेशन डेटा चुरा लिया था।

सब कुछ इतनी सफाई से होता था कि किसी को शक तक नहीं होता। सेजल की चैटिंग इतनी प्रोफेशनल और इमोशनल होती थी कि कई अधिकारी उसकी बातों में आकर उसे अपनी पर्सनल और ऑफिस डिटेल्स तक भेज देते थे।

जब खुला ‘मिसाइल कांड’ का राज

2018 में यह पूरा मामला तब सामने आया जब ब्रह्मोस मिसाइल प्रोजेक्ट से जुड़ी कुछ गोपनीय जानकारी लीक हो गई। जांच में पाया गया कि डेटा लीक की कड़ी ब्रह्मोस एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड के सीनियर सिस्टम इंजीनियर निशांत अग्रवाल तक पहुंचती है।

निशांत के फोन और कंप्यूटर की जांच में एक नाम बार-बार सामने आया सेजल कपूर। जांच एजेंसियों ने जब सेजल की फेसबुक आईडी और उससे जुड़ी गतिविधियों को खंगाला, तो पूरी सच्चाई सामने आ गई। यह आईडी पाकिस्तान से ऑपरेट की जा रही थी और इसके जरिए भारतीय डिफेंस से जुड़ी कई अहम जानकारियां लीक की गई थीं।

भारत में हड़कंप, एजेंसियों ने बढ़ाई सतर्कता

इस खुलासे के बाद भारतीय खुफिया एजेंसियों में हड़कंप मच गया। आईबी, रॉ और मिलिट्री इंटेलिजेंस ने इस पूरे नेटवर्क को पकड़ने के लिए जॉइंट ऑपरेशन शुरू किया। कई फर्जी सोशल मीडिया प्रोफाइल्स की पहचान की गई और डिफेंस सेक्टर के कर्मचारियों को ऑनलाइन जासूसी के नए तौर-तरीकों के बारे में चेताया गया।

सबक जो भारत ने सीखा

इस पूरे कांड ने सुरक्षा एजेंसियों को सोशल मीडिया पर सक्रिय रहने वाले अफसरों के लिए सख्त दिशानिर्देश बनाने पर मजबूर कर दिया। अब डिफेंस पर्सनेल्स को फेसबुक, इंस्टाग्राम या मैसेंजर पर किसी अनजान व्यक्ति से संपर्क करने पर निगरानी रखी जाती है।

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Dev Anand black suit ban: जब देव आनंद के ब्लैक कोट पर लगा बैन, लड़कियों की दीवानगी से...

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Dev Anand black suit ban: भारतीय सिनेमा के स्वर्ण युग यानी 50 और 60 के दशक में अगर किसी एक्टर की बात सबसे पहले होती थी, तो वो थे देव आनंद। उनका अंदाज़, उनकी मुस्कान और उनका स्टाइल सब कुछ लोगों के दिलों पर राज करता था। देव आनंद सिर्फ एक अभिनेता नहीं, बल्कि उस दौर के फैशन ट्रेंडसेटर थे। उन्हें देखकर लोग बोलते थे “अगर कोई आदमी स्मार्ट लग सकता है, तो वो देव आनंद की तरह।” लेकिन दिलचस्प बात ये है कि उनके इसी स्टाइल की वजह से एक वक्त ऐसा भी आया जब कोर्ट को उनके कपड़ों पर बैन लगाना पड़ा।

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ब्लैक कोट बना पहचान और फिर मुसीबत- Dev Anand black suit ban

देव साहब अपने समय के सबसे स्टाइलिश हीरो माने जाते थे। उनके बालों की लहर, उनकी चाल, उनका डायलॉग बोलने का अंदाज़ सब कुछ अलग था। लेकिन जो चीज़ सबसे ज़्यादा चर्चाओं में रही, वो था उनका ब्लैक कोट-पैंट।
उनकी फिल्मों में ये ड्रेस इतनी पॉपुलर हुई कि हर नौजवान उनके जैसा दिखना चाहता था। कॉलेजों में, ऑफिसों में हर जगह लड़के देव आनंद स्टाइल में ब्लैक कोट पहनकर घूमने लगे। लेकिन इस दीवानगी का एक अंधेरा पहलू भी था क्योंकि कहा जाता है कि कुछ लड़कियों ने देव आनंद को देखकर आत्महत्या तक कर ली।

कोर्ट ने लगाया ब्लैक कोट पहनने पर बैन

देव आनंद की लोकप्रियता ऐसी थी कि जब भी वो अपने काले कोट में निकलते, सड़कों पर भीड़ उमड़ पड़ती। रिपोर्ट्स के मुताबिक, कई बार लड़कियों ने उनकी झलक पाने के लिए खतरनाक कदम उठाए। कुछ तो छतों से कूद पड़ीं, कुछ बेहोश हो गईं।
हालात इतने बेकाबू हो गए कि अदालत को इस मामले में दखल देना पड़ा। कोर्ट ने देव आनंद को सार्वजनिक जगहों पर ब्लैक कोट पहनने पर रोक लगा दी।
ये बॉलीवुड के इतिहास की उन अनोखी घटनाओं में से एक थी, जब किसी एक्टर के कपड़ों को लेकर कोर्ट का आदेश आया हो।

देव आनंद ने तोड़ी चुप्पी

हालांकि, बाद में देव आनंद ने एक इंटरव्यू में इन घटनाओं को बढ़ा-चढ़ाकर बताए जाने की बात कही थी। उन्होंने कहा था कि “ये बातें पूरी तरह सच नहीं हैं, लेकिन ये सच है कि लोग मुझे लेकर बहुत जुनूनी थे।”
देव साहब के चाहने वालों की दीवानगी किसी सुपरस्टार फैन कल्चर से कम नहीं थी। उनके लिए लड़कियों का दीवाना होना उस दौर की एक आम बात थी।

स्टाइल और सिनेमा — दोनों पर था देव साहब का जादू

देव आनंद सिर्फ फैशन के नहीं, बल्कि अभिनय के भी उस्ताद थे। 1948 में फिल्म ‘हम एक हैं’ से उन्होंने बॉलीवुड में कदम रखा।
इसके तुरंत बाद ‘जिद्दी’ (1948) आई और इस फिल्म ने उन्हें रातोंरात स्टार बना दिया।
इसके बाद ‘गाइड’, ‘जॉनी मेरा नाम’, ‘तेरे घर के सामने’, ‘हम दोनों’, ‘पेइंग गेस्ट’ जैसी सुपरहिट फिल्मों ने उन्हें हिंदी सिनेमा के इतिहास में अमर कर दिया।

उनका क्लासिक डायलॉग डिलीवरी और कैमरे से खेलने का अंदाज़ उनके समकालीन कलाकारों से उन्हें अलग बनाता था। जिस तरह दिलीप कुमार ट्रेजडी के राजा थे और राज कपूर मास एंटरटेनमेंट के, उसी तरह देव आनंद रोमांस और स्टाइल के बादशाह थे।

देव साहब की विरासत आज भी ज़िंदा है

देव आनंद सिर्फ फिल्मों में नहीं, बल्कि लोगों की सोच में आज भी ज़िंदा हैं। उन्होंने सिनेमा को रोमांस, आत्मविश्वास और फैशन की नई परिभाषा दी।
यहां तक कि उनके पहनावे और बात करने के अंदाज़ को आज भी युवा अभिनेता फॉलो करते हैं।

बता दें, साल 2011 में देव साहब ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया, लेकिन उनके स्टाइल और उनके ब्लैक कोट की कहानी आज भी उतनी ही मशहूर है जितनी तब थी।

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Delhi Air Pollution: दिल्ली में जहां सब सांस के लिए तरस रहे, वहां इस घर में हवा है बि...

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Delhi Air Pollution: दिल्ली में इन दिनों हवा इतनी जहरीली हो चुकी है कि सांस लेना भी सजा जैसा महसूस हो रहा है। कई इलाकों में एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 400 से ऊपर पहुंच गया है, जो बेहद खतरनाक स्तर माना जाता है। ऐसे प्रदूषित माहौल में रहना ऐसा है जैसे कोई हर दिन 20-25 सिगरेट पी रहा हो। लेकिन इसी दमघोंटू दिल्ली में एक ऐसा घर है, जहां की हवा न सिर्फ बिल्कुल साफ है बल्कि तापमान भी सामान्य से कहीं ज्यादा सुहावना रहता है।

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साउथ दिल्ली के सैनिक फार्म्स में स्थित यह घर किसी चमत्कार से कम नहीं। यहां का AQI सिर्फ 10 से 15 के बीच रहता है, जबकि तापमान दिल्ली के बाकी हिस्सों की तुलना में लगभग 20 डिग्री कम होता है। जब पूरी दिल्ली में पारा 45 डिग्री सेल्सियस पर पहुंचता है, तब इस घर में तापमान 25 डिग्री से ज्यादा नहीं जाता।

पीटर सिंह और नीनो कौर का ‘ग्रीन रेवोल्यूशन’- Delhi Air Pollution

यह अनोखा घर बनाया है पीटर सिंह और उनकी पत्नी नीनो कौर ने। करीब 27 साल पहले नीनो को ब्लड कैंसर हुआ था। डॉक्टरों ने उम्मीद छोड़ दी थी, लेकिन देहरादून के एक वैद्य ने उन्हें ‘सात्विक जीवनशैली’ अपनाने की सलाह दी यानी पूरी तरह ऑर्गेनिक खाना और प्राकृतिक वातावरण। उसी पल से पीटर सिंह ने ठान लिया कि वे अपने घर को प्रदूषण और केमिकल से पूरी तरह मुक्त बनाएंगे।

500 गज में 15,000 पौधों का जंगल

पीटर सिंह का घर 500 गज के प्लॉट में बना है और इसे उन्होंने हरा-भरा स्वर्ग बना दिया है। घर के हर हिस्से में आंगन, दीवारों और छत तक 15,000 पौधे लगाए गए हैं। ये पौधे 24 घंटे ऑक्सीजन छोड़ते हैं और पूरे घर का माहौल प्राकृतिक बनाए रखते हैं।
घर में सिर्फ एक ही खिड़की है, जिससे नियंत्रित रूप से हवा का आवागमन होता है। इसी वजह से घर के अंदर का AQI हमेशा 5 से 15 के बीच बना रहता है। उन्होंने खुद एयर क्वालिटी मापने के लिए मॉनिटर भी लगाया है, जो उनके इस दावे की पुष्टि करता है।

ईंट, पत्थर और चूने से बना घर

इस घर में कहीं भी सीमेंट या केमिकल पेंट का इस्तेमाल नहीं किया गया। दीवारें लाल ईंट और पत्थर से बनी हैं, जबकि पुताई के लिए केवल चूने का प्रयोग किया गया है। पीटर सिंह कहते हैं, “केमिकल वाले पेंट से जहरीली गैसें निकलती हैं, जो सेहत के लिए खतरनाक होती हैं। हमने अपने घर को पूरी तरह नेचर-फ्रेंडली रखा है, ताकि नीनो को किसी तरह का संक्रमण न हो।”

एक्वापोनिक्स तकनीक से बना ग्रीन हाउस

पीटर सिंह के घर की सबसे बड़ी खासियत है उनकी एक्वापोनिक्स तकनीक। इसमें बिना मिट्टी के पौधे उगाए जाते हैं और खाद के लिए मछलियों का पानी इस्तेमाल किया जाता है। मछलियों के मल से जो जैविक पोषक तत्व निकलते हैं, वही पौधों के लिए खाद का काम करते हैं।
इससे न सिर्फ पौधे तेजी से बढ़ते हैं बल्कि पूरी तरह ऑर्गेनिक भी रहते हैं। पीटर के घर में लगभग 50 किलो मछलियां हैं, जिनका इस्तेमाल इसी प्रक्रिया में होता है।

बिजली का बिल भी ‘जीरो’

इतना ही नहीं, पीटर सिंह ने अपने घर की छत पर सोलर पैनल भी लगाए हैं, जिससे उन्हें बिजली का कोई बिल नहीं देना पड़ता। वह बताते हैं कि उनका घर पूरी तरह से सेल्फ-सस्टेनेबल सिस्टम पर चलता है — न बिजली का खर्च, न पानी की बर्बादी और न ही किसी बाहरी प्रदूषण का असर।

खुद उगाते हैं सब्जियां, सालाना 7 लाख की कमाई

पीटर सिंह बाजार से सब्जियां नहीं खरीदते, क्योंकि उनका मानना है कि “बाजार की सब्जियों में केमिकल जहर है।”
वह अपने घर पर ही लौकी, करेला, टमाटर, मेथी, बैंगन, शिमला मिर्च और गोभी जैसी सब्जियां उगाते हैं। इन ऑर्गेनिक सब्जियों को वह खुद खाते हैं और कुछ को बेचकर हर महीने लगभग 30 हजार रुपये कमाते हैं।
सालभर में उनकी कमाई करीब 7 लाख रुपये तक पहुंच जाती है। उन्होंने बताया कि पूरे सेटअप को बनाने में उन्हें 6 लाख रुपये का खर्च आया था।

विदेशों तक पहुंची चर्चा

पीटर सिंह और नीनो कौर का यह इको-फ्रेंडली घर अब दुनिया के लिए प्रेरणा बन गया है। जर्मनी, जापान और ऑस्ट्रेलिया जैसी जगहों से लोग उनके घर को देखने और इस तकनीक को समझने आते हैं। विदेशी रिसर्च टीमों ने उनके इस घर को “सस्टेनेबल लिविंग का मॉडल” बताया है।

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Satara Suicide Case: सुसाइड से पहले महिला डॉक्टर ने हथेली पर लिखा नोट— ‘पुलिस निरीक्ष...

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Satara Suicide Case: महाराष्ट्र के सातारा जिले से एक दर्दनाक और चौंकाने वाली खबर सामने आई है। फलटण उपजिला अस्पताल में कार्यरत एक महिला डॉक्टर ने गुरुवार रात आत्महत्या कर ली। इस घटना ने पूरे प्रदेश को हिला कर रख दिया है। लेकिन जो बात इस केस को और भी गंभीर बना रही है, वह है डॉक्टर के हाथ पर लिखा गया सुसाइड नोट, जिसमें उन्होंने दो पुलिस अधिकारियों पर बलात्कार और मानसिक प्रताड़ना के आरोप लगाए हैं।

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होटल में मिली लाश, हथेली पर लिखा था आखिरी संदेश- Satara Suicide Case

पुलिस के मुताबिक, महिला डॉक्टर ने फलटण के एक होटल में आत्महत्या की। देर रात जब उन्होंने दरवाजा नहीं खोला तो होटल स्टाफ ने पुलिस को सूचना दी। मौके पर पहुंची पुलिस ने जब दरवाजा तोड़ा तो डॉक्टर का शव मिला। हाथ पर पेन से लिखा गया सुसाइड नोट देखकर पुलिस भी हैरान रह गई।
डॉक्टर ने अपने हाथ पर लिखा था –
“मेरी मौत का जिम्मेदार पुलिस इंस्पेक्टर गोपाल बदने है। उसने मेरे साथ चार बार रेप किया। पुलिसकर्मी प्रशांत बनकर ने भी मुझे चार महीने तक शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया।”

जांच के दबाव में थीं डॉक्टर

जानकारी के मुताबिक, डॉक्टर पिछले कुछ महीनों से भारी मानसिक तनाव में थीं। बताया जा रहा है कि वह पुलिस और स्वास्थ्य विभाग के बीच चल रहे एक मामले में जांच के घेरे में थीं। मेडिकल रिपोर्ट को लेकर पुलिस से उनका विवाद हुआ था, जिसके बाद उनके खिलाफ आंतरिक जांच शुरू कर दी गई थी।

Satara Suicide Case
Source: Google

सूत्रों का कहना है कि इसी तनाव के चलते डॉक्टर ने यह चरम कदम उठाया।

पहले ही दी थी चेतावनी

मामले को और भी गंभीर बनाता है डॉक्टर का पुराना पत्र। कुछ दिन पहले ही उन्होंने वरिष्ठ अधिकारियों को लिखित शिकायत दी थी। उस शिकायत में उन्होंने साफ लिखा था, “मुझ पर अन्याय हो रहा है। अगर न्याय नहीं मिला तो मैं आत्महत्या कर लूंगी।”
दुर्भाग्य से उनकी यह चेतावनी नजरअंदाज कर दी गई और आखिरकार उन्होंने खुदकुशी कर ली।

सरकार की सख्त प्रतिक्रिया – दो पुलिसकर्मी निलंबित

घटना के सामने आने के बाद मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने तुरंत कार्रवाई के आदेश दिए। उन्होंने पुलिस निरीक्षक गोपाल बदने और पुलिसकर्मी प्रशांत बनकर को निलंबित करने का आदेश जारी किया। सीएम ने सातारा के एसपी से बात कर पूरे मामले की जानकारी ली और कहा कि दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
राज्य के संरक्षक मंत्री शंभूराज देसाई ने भी बयान जारी किया है। उन्होंने कहा, “घटना बेहद गंभीर है। मैंने एसपी को मौके पर जाने और हर पहलू से जांच करने का निर्देश दिया है। अगर सुसाइड नोट या अन्य सबूत मिले हैं तो उनकी बारीकी से जांच होगी और कोई भी दोषी बच नहीं पाएगा।”

परिवार का आरोप – पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट बदलने का दबाव

डॉक्टर के परिवार ने भी प्रशासन पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि अधिकारियों ने महिला डॉक्टर पर पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट बदलने का दबाव बनाया था। जब उन्होंने ऐसा करने से इनकार किया, तो उन्हें परेशान किया जाने लगा।
परिवार का कहना है कि यह सिर्फ आत्महत्या नहीं बल्कि लगातार मानसिक प्रताड़ना और दबाव का नतीजा है। उन्होंने मांग की है कि मामले की निष्पक्ष जांच हो और दोषियों को जल्द से जल्द सजा दी जाए।

पुलिस जांच जारी

सातारा के एसपी तुषार दोशी ने बताया कि इस मामले में एफआईआर दर्ज करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। पुलिस डॉक्टर के हाथ पर लिखे सुसाइड नोट को एक अहम सबूत मान रही है। इसे फॉरेंसिक जांच के लिए भेजा गया है ताकि यह पता लगाया जा सके कि नोट वास्तव में डॉक्टर ने ही लिखा था या नहीं।

पूरे महाराष्ट्र में गुस्सा

इस घटना ने पूरे राज्य में गुस्से की लहर पैदा कर दी है। सोशल मीडिया पर लोग सवाल उठा रहे हैं कि जब डॉक्टर ने पहले ही अपनी शिकायत में आत्महत्या की चेतावनी दी थी, तो फिर कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई?

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Rashmika Mandanna की चमक: पांच स्टार्स के करियर की टॉप ओपनिंग, अब ‘थामा’ ने मचाया तहल...

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Rashmika Mandanna: हॉरर यूनिवर्स की नई फिल्म ‘थामा’ रिलीज होते ही बॉक्स ऑफिस पर धमाका कर रही है। ‘स्त्री 2’ के बाद यह यूनिवर्स की दूसरी सबसे बड़ी ओपनिंग वाली फिल्म बन चुकी है। केवल दो दिन में ही फिल्म ने दर्शकों का ध्यान अपनी ओर खींच लिया है और लग रहा है कि यह हिट साबित होगी। फिल्म के हीरो आयुष्मान खुराना के लिए यह राहत की खबर है। पिछले पांच सालों में उनके करियर में केवल एक बड़ी हिट फिल्म रही थी, जबकि चार फ्लॉप फिल्में उनके खाते में थीं। वहीं रश्मिका मंदाना के लिए ‘थामा’ की सफलता कोई नई बात नहीं है। उनके करियर की कहानी लगातार दर्शकों को प्रभावित करने वाली रही है।

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रश्मिका की अनोखी कामयाबी- Rashmika Mandanna

रश्मिका मंदाना इस समय कामयाबी के चरम पर हैं। ‘थामा’ ने आयुष्मान के करियर की अब तक की सबसे बड़ी शुरुआत की है, जबकि रश्मिका की पिछली तीन साल की बॉलीवुड फिल्मों की शुरुआत थोड़ी कम रही। लेकिन यह भी सच है कि रश्मिका का प्रभाव पर्दे पर बहुत बड़ा है। उनके साथ काम करने वाले कई हीरो उनके करियर की सबसे बड़ी फिल्में कर चुके हैं।

हीरो के करियर में बूम लाने वाली रश्मिका

रश्मिका के साथ कई बड़े नामों ने ब्लॉकबस्टर फिल्में दी हैं। उदाहरण के तौर पर, अल्लू अर्जुन पहले तेलुगू फिल्मों में ही बड़े स्टार थे, लेकिन 2021 में उनकी पहली पैन-इंडिया फिल्म ‘पुष्पा’ रिलीज हुई। रश्मिका ने इस फिल्म में लीड एक्ट्रेस के तौर पर श्रीवल्ली का रोल निभाया, जो दर्शकों के दिलों में बस गया। फिल्म ने 365 करोड़ रुपये का वर्ल्डवाइड कलेक्शन किया और अल्लू अर्जुन के करियर की सबसे बड़ी फिल्म बन गई।

2022 में दुलकर सलमान ने अपनी पहली पैन-इंडिया फिल्म ‘सीता रामम’ में अहम किरदार निभाया। रश्मिका का रोल फिल्म की कहानी में महत्वपूर्ण था। फिल्म ने 98 करोड़ रुपये का वर्ल्डवाइड कलेक्शन किया और दुलकर के करियर की सबसे बड़ी हिट साबित हुई।

2023 में रश्मिका का करियर नया मुकाम

2023 में रश्मिका का करियर अलग ही लेवल पर पहुंच गया। रणबीर कपूर, जिन्हें बॉलीवुड का अगला सुपरस्टार माना जा रहा था, उनकी फिल्म ‘एनिमल’ में रश्मिका ने पत्नी का रोल निभाया। फिल्म ने 900 करोड़ रुपये का वर्ल्डवाइड कलेक्शन किया और यह बॉलीवुड की ऑल-टाइम ब्लॉकबस्टर फिल्मों में शामिल हो गई।

2024 में फिर से सफलता

2024 में रश्मिका और अल्लू अर्जुन की जोड़ी ‘पुष्पा 2’ के लिए लौट आई। बिना चीन में रिलीज या री-रिलीज के, फिल्म ने लगभग 1900 करोड़ रुपये का वर्ल्डवाइड कलेक्शन किया और यह भारत की सबसे बड़ी फिल्मों में से एक बन गई। इसके अलावा, इस साल की शुरुआत में ही रश्मिका विक्की कौशल स्टारर ‘छावा’ में फीमेल लीड थीं। फिल्म ने 800 करोड़ रुपये से ज्यादा का वर्ल्डवाइड कलेक्शन किया और इस साल की सबसे बड़ी इंडियन फिल्म बनी।

‘थामा’ में आयुष्मान के साथ धमाका

अब रश्मिका के साथ आयुष्मान खुराना की फिल्म ‘थामा’ तीन दिन में 50 करोड़ रुपये से ज्यादा की कमाई कर चुकी है। पहले ही हफ्ते में यह 90-100 करोड़ रुपये कमाने के लिए तैयार है। आयुष्मान की पिछली सबसे बड़ी फिल्म 2019 की ‘ड्रीम गर्ल’ थी, जिसका नेट कलेक्शन 142 करोड़ रुपये था। लेकिन ‘थामा’ की गति देखकर लगता है कि यह आयुष्मान के करियर की अब तक की सबसे बड़ी फिल्म बन सकती है।

रश्मिका सिर्फ ‘गुड लक फैक्टर’ नहीं

इस बात का मतलब यह नहीं कि आयुष्मान, अल्लू अर्जुन, रणबीर कपूर, दुलकर सलमान या विक्की कौशल दमदार एक्टर्स नहीं हैं। बल्कि यह बताता है कि रश्मिका पर्दे पर जिस तरह का इम्प्रेशन छोड़ती हैं, वह फिल्म की सफलता में अहम योगदान देता है। ‘थामा’ में उनके अभिनय की तारीफें हो रही हैं। मेनस्ट्रीम कमर्शियल फिल्मों में हर तत्व की अपनी भूमिका होती है और रश्मिका इस मशीनरी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।

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Land Bridge Project: सऊदी अरब का ‘लैंड ब्रिज’ हाई-स्पीड रेल प्रोजेक्ट, 20...

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Land Bridge Project: सऊदी अरब अब दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचने वाले एक महत्वाकांक्षी हाई-स्पीड रेल प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है। इसे क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के ‘विजन 2030’ का अहम हिस्सा माना जा रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस परियोजना पर सऊदी अरब लगभग 7 अरब डॉलर यानी करीब 58,000 करोड़ रुपये खर्च करने जा रहा है।

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‘लैंड ब्रिज’ प्रोजेक्ट क्या है? Land Bridge Project 

इस परियोजना की लंबाई 1,500 किलोमीटर है और यह लाल सागर के जेद्दा शहर को रियाद होते हुए अरब की खाड़ी के पास स्थित दम्माम शहर से जोड़ेगा। यह प्रोजेक्ट ना केवल यात्री यात्रा को आसान बनाएगा, बल्कि व्यापार और लॉजिस्टिक्स के क्षेत्र में भी नई दिशा देगा। क्राउन प्रिंस MBS के लिए यह उनका ड्रीम प्रोजेक्ट है और विजन 2030 की आधारशिला माना जा रहा है। यह रेल नेटवर्क देश के प्रमुख जनसंख्या केंद्रों और औद्योगिक शहरों को जोड़कर सऊदी अरब को एक वैश्विक ट्रांसपोर्ट हब बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।

12 घंटे का सफर सिर्फ 4 घंटे में

‘लैंड ब्रिज’ हाई-स्पीड रेल प्रोजेक्ट की सबसे बड़ी खासियत इसकी रफ्तार है। वर्तमान में जेद्दा से दम्माम का सफर लगभग 12 घंटे का है, लेकिन हाई-स्पीड रेल इसे चार घंटे से भी कम समय में पूरा कर देगी। तेज रफ्तार और आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर के कारण यह परियोजना यात्रियों के लिए सुविधाजनक होने के साथ-साथ माल ढुलाई को भी तेज और सुरक्षित बनाएगी। प्रमुख बंदरगाहों और औद्योगिक शहरों से जुड़े होने के कारण व्यापार और लॉजिस्टिक्स क्षेत्र को भी इसका बड़ा फायदा होगा।

Desert Dream: लग्जरी ट्रेन की नई पहचान

सऊदी अरब ने इस प्रोजेक्ट के तहत सिर्फ रफ्तार पर ही ध्यान नहीं दिया है, बल्कि लक्ज़री और आराम को भी खास महत्व दिया है। रेगिस्तान में दौड़ने वाली ‘Desert Dream’ नामक लग्जरी ट्रेन को चलाने की घोषणा की गई है। यह ट्रेन यात्रियों को ना केवल तेज़ यात्रा का अनुभव देगी, बल्कि उसकी शान-ओ-शौकत भी अद्वितीय होगी। इस पहल को सऊदी अरब की अर्थव्यवस्था बदलने वाली योजना माना जा रहा है।

रेल नेटवर्क का विस्तार और नई तकनीक

विजन 2030 के तहत सऊदी अरब का लक्ष्य अपने मौजूदा रेलवे नेटवर्क को 5,300 किलोमीटर से बढ़ाकर 8,000 किलोमीटर करना है। सऊदी रेलवे कंपनी ने 200 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाली 15 नई ट्रेनों का ऑर्डर भी दिया है। यह कदम देश में यात्री और माल परिवहन की क्षमता बढ़ाने के साथ-साथ सऊदी अरब को आधुनिक रेलवे नेटवर्क वाले देशों की श्रेणी में लाने की दिशा में अहम साबित होगा।

भविष्य की दिशा

‘लैंड ब्रिज’ प्रोजेक्ट केवल एक रेल प्रोजेक्ट नहीं है, बल्कि यह सऊदी अरब की वैश्विक महत्वाकांक्षाओं का प्रतीक है। देश की यात्रा, व्यापार और लॉजिस्टिक्स व्यवस्था को पूरी तरह से बदलने वाला यह प्रोजेक्ट 2030 तक पूरा होने की उम्मीद है। इसके पूरा होने के बाद न केवल समय की बचत होगी, बल्कि यह सऊदी अरब को क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर एक मजबूत आर्थिक और लॉजिस्टिक्स हब बनाने में भी मदद करेगा।

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Chhath Puja 2025: कल से छठ पूजा का शुभारंभ, जानें नहाय-खाय से ऊषा अर्घ्य तक हर दिन का...

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Chhath Puja 2025: हिंदू धर्म में छठ पूजा को विशेष और अत्यंत पवित्र माना जाता है। इस त्योहार पर सूर्यदेव और छठी मैय्या की आराधना की जाती है। उत्तर भारत के कई राज्यों जैसे बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल में इसे बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। छठ पूजा को प्रतिहार, डाला छठ, छठी और सूर्य षष्ठी जैसे नामों से भी जाना जाता है।

छठ पूजा का व्रत मुख्य रूप से महिलाएं अपने परिवार और बच्चों की लंबी उम्र व कल्याण के लिए करती हैं। इस बार छठ पूजा 2025 की शुरुआत 25 अक्टूबर, शनिवार से होगी और इसका समापन 28 अक्टूबर, मंगलवार को होगा। यह पर्व चार दिवसीय होता है, जिनके नाम हैं: नहाय-खाय, खरना, संध्या अर्घ्य और ऊषा अर्घ्य।

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छठ पूजा 2025 का कैलेंडर- Chhath Puja 2025

  • पहला दिन – नहाय खाय: 25 अक्टूबर 2025
  • दूसरा दिन – खरना: 26 अक्टूबर 2025
  • तीसरा दिन – संध्या अर्घ्य: 27 अक्टूबर 2025
  • चौथा दिन – ऊषा अर्घ्य: 28 अक्टूबर 2025

चार दिनों का महत्व

नहाय-खाय (Nahay Khay)

छठ पूजा का पहला दिन नहाय-खाय होता है। इस दिन व्रती पवित्र नदी में स्नान करके व्रत की शुरुआत करती हैं। स्नान के बाद शुद्ध और सरल भोजन ग्रहण किया जाता है। इस दिन सूर्योदय सुबह 6:28 बजे और सूर्यास्त शाम 5:42 बजे होगा।

खरना (Kharna)

छठ का दूसरा दिन खरना या लोहंडा कहलाता है। इस दिन व्रती पूरे दिन निर्जला उपवास रखती हैं। शाम को मिट्टी के चूल्हे पर आम की लकड़ी से गुड़ की खीर और घी से बनी रोटी तैयार की जाती है। सूर्य देव की पूजा के बाद यही प्रसाद ग्रहण किया जाता है। इसके बाद व्रती अगले दिन संध्या अर्घ्य तक अन्न और जल का त्याग करती हैं।

संध्या अर्घ्य (Sandhya Arghya)

तीसरा दिन संध्या अर्घ्य का होता है। व्रती दिनभर निर्जला व्रत रखते हैं। शाम को ढलते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के लिए नदी में डुबकी लगाई जाती है। इस दिन सूर्यास्त समय शाम 5:40 बजे है।

ऊषा अर्घ्य (Usha Arghya)

अंतिम दिन ऊषा अर्घ्य होता है। इस दिन व्रती और भक्त उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देते हैं। सूर्योदय सुबह 6:30 बजे होगा। अर्घ्य देने के बाद 36 घंटे के व्रत का पारण किया जाता है, जिसमें प्रसाद और जल ग्रहण किया जाता है।

छठ पूजा का महत्व

छठ पूजा सूर्य देव और छठी मैय्या की उपासना का प्रतीक है। यह पर्व आस्था, शुद्धता और अनुशासन का संदेश देता है। व्रती पूरे विश्वास और संयम के साथ सूर्य देव को अर्घ्य देकर अपने जीवन में सुख, समृद्धि और संतानों की रक्षा की कामना करते हैं। यह पर्व प्रकृति, जल और सूर्य की उपासना से जुड़ा है और मानव जीवन में ऊर्जा व सकारात्मकता का महत्व दर्शाता है।

छठ पूजा 2025 की चार दिवसीय पवित्र यात्रा न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह समाज में संयम, शुद्धता और परिवार के कल्याण का संदेश भी देती है।

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