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Christian Countries: ईसाई बहुल देशों में गिरावट, हिंदू आबादी दो देशों तक सीमित – बदल ...

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Christian Countries: सोचिए, वो देश जो कभी गिरजाघरों की घंटियों से गूंजते थे, अब वहां की गलियों में धर्म से ज्यादा खामोशी पसरी है। वो लोग जो कभी हर रविवार चर्च जाते थे, अब खुद को किसी भी धर्म से जुड़ा हुआ नहीं मानते। और दूसरी तरफ, हिंदू धर्म, जिसकी जड़ें हजारों साल पुरानी हैं, आज भी दो देशों—भारत और नेपाल—में ही बहुमत में है, लेकिन उसकी पकड़ धीरे-धीरे ढीली पड़ रही है। दरअसल प्यू रिसर्च सेंटर ने हाल ही में एक रिपोर्ट जारी की है जो  बताती है कि पिछले दस सालों में न सिर्फ धार्मिक जनसंख्या का अनुपात बदला है, बल्कि दुनिया के कई हिस्सों में धर्म को देखने का नजरिया भी पूरी तरह बदल गया है। कुछ देशों ने तो धर्म को पूरी तरह छोड़ दिया है, वहीं कुछ जगहों पर आबादी का संतुलन चिंता की वजह बनता जा रहा है।

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ईसाई देश घटे, नास्तिकता बढ़ी- Christian Countries

खबरों के मुताबिक, 2010 में दुनिया के 201 मान्यता प्राप्त देशों में 124 देश ऐसे थे, जहां ईसाई जनसंख्या बहुसंख्यक थी। लेकिन 2020 तक यह संख्या घटकर 120 रह गई। यानी 10 सालों में चार देश अब ईसाई बहुल नहीं रहे। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि पश्चिमी देशों में लोग तेजी से धर्म से दूर हो रहे हैं। यूनाइटेड किंगडम, फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया और उरुग्वे जैसे देशों में अब ईसाई आबादी बहुमत में नहीं रही।

उदाहरण के तौर पर, यूके में अब केवल 49 फीसदी लोग ही ईसाई हैं। ऑस्ट्रेलिया में यह आंकड़ा 47%, फ्रांस में 46% और उरुग्वे में 44% तक सिमट गया है। उरुग्वे में तो अब 52 फीसदी लोग किसी भी धर्म को नहीं मानते। नीदरलैंड में यह आंकड़ा 54% और न्यूजीलैंड में 51% है, यानी वहां भी अब धार्मिक मान्यताएं तेजी से घट रही हैं।

हिंदू आबादी स्थिर, लेकिन सीमित

वहीं हिंदू धर्म की बात करें, तो आज भी यह दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा धर्म है, लेकिन इसके अनुयायी केवल दो देशों में ही बहुसंख्यक हैं—भारत और नेपाल। खास बात यह है कि दुनिया की 95% हिंदू आबादी भारत में ही रहती है, जबकि बाकी 5% लोग अन्य देशों में फैले हैं।

2010 से 2020 के बीच हिंदू आबादी 1.1 अरब से बढ़कर 1.2 अरब हो गई है, लेकिन इसकी वैश्विक हिस्सेदारी 14.9% पर स्थिर रही। इसका एक बड़ा कारण यह है कि हिंदू धर्म में धर्मांतरण की दर बेहद कम है।

भारत के भीतर भी बदले आंकड़े

वहीं, भारत में भी पिछले दशक में धार्मिक जनसंख्या के आंकड़ों में हल्का बदलाव देखा गया है। 2010 में जहां हिंदू आबादी 80% थी, वहीं 2020 में यह घटकर 79% रह गई। दूसरी ओर मुस्लिम आबादी 14.3% से बढ़कर 15.2% हो गई। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने हाल ही में कहा कि अगर यही रफ्तार रही तो 2041 तक असम में हिंदू अल्पसंख्यक हो सकते हैं। इसी तरह तमिलनाडु के राज्यपाल एन. रवि ने यूपी, बिहार और बंगाल के सीमावर्ती इलाकों में जनसंख्या संतुलन को लेकर चिंता जताई।

कई देशों में हिंदू आबादी घटी

पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान जैसे पड़ोसी देशों में भी हिंदू आबादी में भारी गिरावट आई है। कई रिपोर्ट्स बताती हैं कि इन देशों में धार्मिक उत्पीड़न, पलायन और सामाजिक दबाव की वजह से हिंदू जनसंख्या सिकुड़ती जा रही है।

आगे क्या?

प्यू रिसर्च के अनुमान के मुताबिक, 2050 तक भारत में हिंदुओं की आबादी घटकर 77% और मुस्लिम आबादी बढ़कर 18% तक पहुंच सकती है। यह बदलाव पूरी तरह प्रजनन दर, प्रवासन और सामाजिक बदलावों पर निर्भर करेगा।

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America Impose Tariffs On India: पहले टैरिफ का झटका, अब 6 कंपनियों पर बैन – ट्रंप का ...

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America Impose Tariffs On India: भारत और अमेरिका के रिश्तों में एक बार फिर खटास आ गई है। अमेरिकी पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन ने भारत के खिलाफ दोतरफा कार्रवाई की है। एक तरफ भारत से अमेरिका को होने वाले कई अहम निर्यात पर 25 फीसदी का भारी टैरिफ लगाया गया है, तो वहीं दूसरी ओर ईरान और रूस के साथ व्यापार करने वाली छह भारतीय कंपनियों पर कड़े प्रतिबंध भी लगा दिए गए हैं। इन कदमों को भारत के आर्थिक हितों पर सीधा हमला माना जा रहा है।

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रूस-ईरान से कारोबार बना अमेरिका को नागवार– America Impose Tariffs On India

दरअसल, ट्रंप प्रशासन का आरोप है कि कुछ भारतीय कंपनियां ईरान के पेट्रोलियम और पेट्रोकेमिकल प्रोडक्ट्स का व्यापार कर रही हैं, जो अमेरिका के प्रतिबंधों का उल्लंघन है। अमेरिकी विदेश मंत्रालय के मुताबिक, कार्यकारी आदेश E.O. 13846 के तहत छह भारतीय कंपनियों पर बैन लगाया गया है। इनमें एलकेमिकल सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड, ग्लोबल इंडस्ट्रियल केमिकल्स लिमिटेड, जुपिटर डाई केम प्राइवेट लिमिटेड, कंचन पॉलीमर्स, रामनिकलाल एस गोसालिया एंड कंपनी और परसिस्टेंट पेट्रोकेम प्राइवेट लिमिटेड के नाम शामिल हैं।

इन कंपनियों पर क्यों लगा बैन?

  • कंचन पॉलीमर्स पर आरोप है कि उसने तानाइस ट्रेडिंग से पॉलीइथिलीन समेत 3 मिलियन डॉलर से ज्यादा मूल्य के ईरानी प्रोडक्ट्स का आयात किया।
  • एलकेमिकल सॉल्यूशंस ने जनवरी से दिसंबर 2024 के बीच ईरान से करीब 84 मिलियन डॉलर के पेट्रोकेमिकल्स खरीदे।
  • रामनिकलाल एस गोसालिया एंड कंपनी ने 22 मिलियन डॉलर से ज्यादा के मेथनॉल और टोल्यूनि जैसे ईरानी उत्पादों का आयात किया।
  • जुपिटर डाई केम प्राइवेट लिमिटेड ने करीब 49 मिलियन डॉलर मूल्य के टोल्यूनि सहित अन्य ईरानी केमिकल्स खरीदे।
  • ग्लोबल इंडस्ट्रियल केमिकल्स लिमिटेड पर जुलाई 2024 से जनवरी 2025 के बीच 51 मिलियन डॉलर से अधिक के मेथनॉल आयात का आरोप है।
  • परसिस्टेंट पेट्रोकेम ने अक्टूबर से दिसंबर 2024 के बीच लगभग 14 मिलियन डॉलर के ईरानी केमिकल्स मंगवाए।

इन सभी कंपनियों पर आरोप है कि इन्होंने जानबूझकर ईरानी कंपनियों से व्यापार किया, जो अमेरिकी कानूनों का उल्लंघन है। ट्रंप प्रशासन का कहना है कि ये कदम ईरान के पेट्रोलियम सेक्टर को कमजोर करने के लिए उठाए गए हैं।

अब भारत को टैरिफ झेलना होगा

इतना ही नहीं, अमेरिका ने भारत के खिलाफ टैरिफ का नया बम भी फोड़ा है। ट्रंप की ओर से ऐलान किया गया है कि 1 अगस्त 2025 से भारत से आने वाले कुछ प्रमुख उत्पादों पर 25% का भारी-भरकम आयात शुल्क लगाया जाएगा। ये टैरिफ खासतौर पर ऑटोमोबाइल, ऑटो पार्ट्स, स्टील, एल्युमीनियम, स्मार्टफोन, सोलर पैनल, समुद्री उत्पाद, आभूषण और खाद्य व कृषि उत्पादों पर लागू होगा।

हालांकि कुछ सेक्टर जैसे फार्मा, सेमीकंडक्टर और जरूरी खनिज को इस टैरिफ से बाहर रखा गया है, लेकिन बाकी क्षेत्रों में काम करने वाली कंपनियों को इसका सीधा नुकसान झेलना पड़ेगा। इससे भारतीय निर्यातकों की प्रतिस्पर्धा अमेरिका में घट सकती है और उनके मुनाफे पर असर पड़ सकता है।

इन दोनों फैसलों से भारत और अमेरिका के कारोबारी रिश्तों में तल्खी बढ़ने की आशंका है। अमेरिका ने साफ कर दिया है कि उसे ईरान और रूस के साथ भारत के कारोबारी रिश्ते मंजूर नहीं हैं।

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Air India DGCA Audit: एयर इंडिया में 100 बड़ी खामियां! DGCA के ऑडिट में सामने आई चौंक...

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Air India DGCA Audit: अगर आप अक्सर एयर इंडिया की फ्लाइट से सफर करते हैं, तो यह खबर आपके लिए थोड़ी चिंता बढ़ाने वाली हो सकती है। भारत की एविएशन निगरानी संस्था DGCA यानी डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन ने एयर इंडिया में गंभीर कमियां पाई हैं। हाल ही में हुए एक ऑडिट में DGCA ने एयर इंडिया की व्यवस्थाओं में करीब 100 गड़बड़ियों का खुलासा किया है। इनमें से सात खामियां तो इतनी गंभीर थीं कि उन्हें ‘लेवल-1’ कैटेगरी में रखा गया है। इसका मतलब है कि ये समस्याएं सीधा यात्रियों की सुरक्षा से जुड़ी हैं और इन्हें तुरंत सुधारने की जरूरत है।

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ऑडिट में किन बातों पर उठे सवाल? (Air India DGCA Audit)

यह ऑडिट 1 से 4 जुलाई के बीच गुरुग्राम स्थित एयर इंडिया के हेडक्वार्टर में किया गया था। जांच में DGCA ने एयरलाइन के कई अहम ऑपरेशन से जुड़े पहलुओं की गहराई से समीक्षा की। इनमें सबसे ज़्यादा चिंताजनक बातें थीं

  • क्रू मेंबर्स की ट्रेनिंग का स्तर
  • उनके काम और आराम का सही तालमेल न होना
  • स्टाफ की भारी कमी
  • एयरपोर्ट्स पर जरूरी योग्यता मानकों का पालन न करना
  • ड्यूटी शेड्यूलिंग और फ्लाइट रोस्टर तैयार करने में गड़बड़ी

ये सभी खामियां सीधे-सीधे एयरलाइन के रोजमर्रा के ऑपरेशन और यात्रियों की सुरक्षा को प्रभावित करती हैं।

अहमदाबाद हादसे के बाद बढ़ी सख्ती

DGCA का यह सख्त रुख दरअसल 12 जून को हुए एक बड़े हादसे के बाद आया है। एयर इंडिया की फ्लाइट AI171, जो अहमदाबाद से लंदन जा रही थी, टेकऑफ के कुछ ही सेकेंड बाद क्रैश हो गई थी। यह हादसा बोइंग 787 ड्रीमलाइनर विमान के साथ हुआ था। इस दुखद घटना में 241 यात्री और 19 ग्राउंड स्टाफ की जान चली गई थी। हादसे की जांच कर रहे एयरक्राफ्ट एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो (AAIB) ने अपनी शुरुआती रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा किया था — विमान के दोनों इंजनों में फ्यूल की सप्लाई अचानक बंद हो गई थी, क्योंकि फ्यूल स्विच ‘RUN’ से ‘CUTOFF’ हो गए थे।

DGCA ने दिए कड़े निर्देश

इस हादसे के बाद DGCA लगातार एयर इंडिया की गतिविधियों पर नजर बनाए हुए है। 23 जुलाई को एयरलाइन को चार कारण बताओ नोटिस भेजे गए, जिनमें क्रू की ट्रेनिंग, उनके आराम का समय, और अन्य ऑपरेशनल नियमों के उल्लंघन का जिक्र था। इससे पहले 21 जून को DGCA ने क्रू शेड्यूलिंग की ज़िम्मेदारी संभाल रहे तीन अधिकारियों को हटाने का भी आदेश दिया था।

एयर इंडिया का जवाब

इस पूरे मामले पर एयर इंडिया ने सफाई देते हुए कहा है कि DGCA की जांच में वे पूरी तरह पारदर्शी रहे हैं। एयरलाइन ने माना कि DGCA द्वारा उठाए गए मुद्दे सही हैं और सुधार की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। एयर इंडिया का कहना है कि “हम बाकी एयरलाइनों की तरह ही नियमित ऑडिट से गुजरते हैं ताकि अपनी सेवाओं को और बेहतर बना सकें। हम DGCA के बताए गए सभी बिंदुओं पर जवाब देंगे और हर जरूरी सुधार तुरंत करेंगे।”

क्या यात्रियों को चिंता करनी चाहिए?

DGCA की रिपोर्ट ने भले ही एयर इंडिया की कार्यशैली पर सवाल उठाए हों, लेकिन ये ऑडिट इसीलिए किए जाते हैं ताकि समस्याएं समय रहते सामने आएं और उनका समाधान हो सके। एयर इंडिया एक बड़ी और पुरानी एयरलाइन है, और फिलहाल वह DGCA के साथ मिलकर सुधार की दिशा में कदम बढ़ा रही है।

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India-US Trade Deal: अमेरिका ने भारत पर 25% टैरिफ लगाने का ऐलान, ट्रम्प ने किया बड़ा ...

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India-US Trade Deal: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने बुधवार को एक बड़ा ऐलान करते हुए भारत से आने वाले सामानों पर 25% टैरिफ लगाने की घोषणा की है, जो 1 अगस्त से लागू होगा। यह कदम भारत के खिलाफ व्यापारिक संघर्ष की ओर बढ़ता हुआ एक और कदम माना जा रहा है, और इसके पीछे अमेरिकी सरकार के कई दावे हैं। ट्रम्प ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करके यह जानकारी दी कि भारत अमेरिका का मित्र है, लेकिन व्यापारिक दृष्टि से वह भारतीय नीतियों से नाराज हैं, जो अमेरिकी कंपनियों के लिए भारत में व्यापार करना मुश्किल बना देती हैं।

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भारत का रूस से हथियार खरीदना और तेल खरीदने पर उठे सवाल- India-US Trade Deal

ट्रम्प ने यह आरोप भी लगाया कि भारत अभी भी रूस से हथियार खरीद रहा है और रूस से तेल व गैस भी बड़ी मात्रा में खरीदता है, जबकि पूरी दुनिया रूस से यूक्रेन पर हमले को रोकने की अपील कर रही है। यह बात अमेरिका के लिए एक बड़ा मुद्दा बन गई है, क्योंकि ट्रम्प का कहना है कि भारत को अपनी नीतियों में बदलाव करना होगा और रूस के साथ व्यापारिक रिश्तों पर ध्यान देना होगा।

India-US Trade Deal
source: Google

भारत पर टैरिफ का कदम, अमेरिकी व्यापार नीति में कड़ी प्रतिक्रिया

ट्रम्प का यह कदम अमेरिकी व्यापार नीति में कड़ी प्रतिक्रिया के रूप में देखा जा रहा है। उन्होंने कहा कि भारत से आने वाले सामानों पर 25% टैरिफ लगाए जाएंगे और इसके साथ ही कुछ पेनल्टी भी लगाई जाएगी। यह फैसला भारत और अमेरिका के व्यापारिक रिश्तों पर असर डाल सकता है, क्योंकि भारतीय सामानों पर यह टैरिफ अमेरिकी बाजार में प्रतिस्पर्धा को प्रभावित कर सकता है।

पहले ट्रम्प ने कहा था- भारत को व्यापार के लिए बढ़ावा मिलेगा

हालांकि, ट्रम्प ने इससे पहले 17 जुलाई को कहा था कि भारत में अमेरिकी उत्पादों को लेकर नई उम्मीदें हैं और वहां अमेरिकी सामानों पर कोई टैरिफ नहीं लगेगा। ट्रम्प ने इसे लेकर उत्साह व्यक्त किया था और कहा था कि अमेरिका और भारत के बीच एक समझौता होने वाला है। लेकिन अब यह कदम ट्रम्प के पहले के बयान से विपरीत दिख रहा है, क्योंकि अब वह भारत के खिलाफ व्यापारिक दबाव बना रहे हैं।

अमेरिकी टीम भारत में होगी व्यापार समझौते के लिए

इस बीच, अमेरिका और भारत के बीच बाइलेटरल ट्रेड एग्रीमेंट (BTA) को लेकर बातचीत जारी है। अमेरिकी अधिकारी 25 अगस्त को भारत आएंगे और इस समझौते पर चर्चा करेंगे। दोनों देश सितंबर-अक्टूबर तक इस समझौते के पहले चरण को पूरा करने के लिए काम कर रहे हैं। इसके अलावा, एक अंतरिम व्यापार समझौते की संभावना भी तलाशी जा रही है।

भारत के लिए यह क्या मायने रखता है?

भारत के लिए यह एक चुनौतीपूर्ण समय है। अमेरिका से व्यापारिक रिश्तों में तनाव का असर भारतीय व्यापारियों पर पड़ सकता है, क्योंकि अमेरिका विश्व के सबसे बड़े बाजारों में से एक है। हालांकि, भारतीय अधिकारियों को उम्मीद है कि दोनों देशों के बीच बातचीत से यह विवाद सुलझ सकता है और व्यापारिक रिश्तों में सुधार हो सकता है।

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SC slams Tamil Nadu govt: तमिलनाडु सरकार पर सुप्रीम कोर्ट का गुस्सा, पूर्व मंत्री को ...

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SC slams Tamil Nadu govt: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को तमिलनाडु सरकार के उस कदम पर कड़ी नाराजगी जताई, जिसमें नौकरी के बदले नकदी घोटाले में 2,000 से अधिक लोगों को आरोपी बना दिया गया। कोर्ट ने इसे ‘न्यायिक प्रणाली के साथ पूर्ण धोखाधड़ी’ करार दिया। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ ने इस पूरे प्रयास को गंभीरता से लिया और राज्य सरकार के इस कदम पर सवाल उठाए। उनका कहना था कि राज्य सरकार यह सब इसलिए कर रही है ताकि पूर्व मंत्री वी सेंथिल बालाजी से जुड़े मुकदमों की सुनवाई में देरी हो सके।

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पूर्व मंत्री के जीवनकाल में मामले न खत्म हो, यही है राज्य सरकार का प्रयास- SC slams Tamil Nadu govt

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि राज्य सरकार की ओर से यह प्रयास किया जा रहा है कि बालाजी से जुड़े मामलों की सुनवाई उनके जीवनकाल के दौरान पूरी न हो पाए। न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने इस पर सवाल उठाते हुए कहा, “हम जानना चाहते हैं कि इस मामले में मंत्री के अलावा कथित बिचौलिये कौन थे? मंत्री की सिफारिशों पर काम करने वाले अधिकारी कौन थे? और चयन समिति के सदस्य कौन थे?” कोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए कहा कि ऐसा लगता है कि राज्य सरकार किसी भी कीमत पर यह सुनिश्चित करना चाहती है कि मामलों की सुनवाई उनके जीवनकाल में न हो पाए।

गरीबों को फंसाया जा रहा है घोटाले में

पीठ ने आगे कहा कि सरकार गरीब लोगों को, जिन्हें पूर्व मंत्री या उनके गुर्गों ने नौकरी के लिए पैसे देने के लिए मजबूर किया था, उन्हें ही घोटाले के आरोपी बना रही है। कोर्ट ने इसे “घोटाले में फंसाना” और न्यायिक प्रक्रिया से खिलवाड़ करने की तरह बताया। यह कथित घोटाला सिर्फ एक आरोप नहीं, बल्कि एक सुनियोजित प्रयास था, ताकि सरकारी कार्रवाई को सिर्फ फंसा कर रखा जाए और समय बर्बाद किया जाए।

‘फोरम शॉपिंग’ का आरोप

तमिलनाडु सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी और अमित आनंद तिवारी ने इस मामले में ‘फोरम शॉपिंग’ का आरोप लगाया। उनका कहना था कि याचिकाकर्ता, वाई बालाजी, मामले को सीधे शीर्ष अदालत में लेकर आए हैं, जबकि उन्हें उच्च न्यायालय में जाना चाहिए था। ‘फोरम शॉपिंग’ का मतलब है कि वादी जानबूझकर अपनी याचिका उस अदालत में ले जाता है, जहां उसे अधिक अनुकूल फैसला मिल सके। यह एक प्रकार का कानूनी जाल है, जिसका उद्देश्य न्यायिक प्रक्रिया को धोखा देना होता है।

याचिकाकर्ता का आरोप

वाई बालाजी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने तमिलनाडु सरकार पर आरोप लगाया कि वह जानबूझकर मुकदमे की सुनवाई को लटकाने की कोशिश कर रही है। उनका कहना था कि राज्य सरकार की मिलीभगत के कारण ही यह पूरे मामले को सुनवाई के लिए लटका दिया गया है। शंकरनारायणन ने यह भी कहा कि सरकार का उद्देश्य पूर्व मंत्री वी सेंथिल बालाजी को बचाना है।

सुप्रीम कोर्ट ने दी सख्त चेतावनी

पूर्व मंत्री वी सेंथिल बालाजी को लेकर मामला और भी गंभीर हो गया, जब उन्होंने अप्रैल में शीर्ष अदालत की फटकार के बाद राज्य मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया। 23 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने बालाजी से कहा था कि वह ‘पद और आज़ादी’ में से एक को चुनें। कोर्ट ने चेतावनी दी थी कि यदि उन्होंने मंत्री पद से इस्तीफा नहीं दिया, तो उनकी जमानत रद्द कर दी जाएगी। इसके बाद, 27 अप्रैल को बालाजी ने मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के नेतृत्व वाले राज्य मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया।

क्या है नौकरी के बदले नकदी घोटाला?

यह घोटाला तब सामने आया था जब तमिलनाडु में कथित तौर पर कुछ सरकारी नौकरियों के बदले पैसे लिए जा रहे थे। राज्य सरकार के पूर्व मंत्री वी सेंथिल बालाजी पर आरोप है कि उन्होंने इन नौकरियों के लिए धन लिया और बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया। इसके कारण 2,000 से अधिक लोग इस मामले में आरोपी बने हैं, जिनमें से अधिकांश गरीब और बेरोजगार लोग हैं, जिनको नौकरी पाने के लिए धोखा दिया गया।

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Russia Earthquake: 1952 के बाद आया सबसे शक्तिशाली भूकंप, समझिए ‘Rings of Fire&#...

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Russia Earthquake: रूस के सुदूर पूर्वी क्षेत्र कामचटका में आज एक शक्तिशाली भूकंप ने धरती को हिलाकर रख दिया। यह भूकंप रिक्टर स्केल पर 8.8 की तीव्रता से मापा गया, जो 1952 के बाद से इस क्षेत्र में आया सबसे शक्तिशाली भूकंप था। इस भूकंप ने न सिर्फ रूस के कामचटका प्रायद्वीप को हिलाया, बल्कि आसपास के देशों में भी सुनामी के खतरे को बढ़ा दिया। भूकंप के बाद समुद्र में सुनामी की लहरें उठने लगीं, और जापान से लेकर कैलिफोर्निया तक तटीय इलाकों में अलर्ट जारी कर दिया गया।

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कभी नहीं देखी गई ताकत से हिली धरती- Russia Earthquake

रूसी विज्ञान अकादमी की भूभौतिकीय सेवा की कामचटका शाखा के अनुसार, बुधवार को आया यह भूकंप प्रायद्वीप में 1952 के बाद से सबसे शक्तिशाली था और इसने तटों पर सुनामी लहरें पैदा कीं। इसके बाद भूभौतिकीय सेवा ने एक चेतावनी जारी की, जिसमें कहा गया कि भूकंप के बाद 7.5 तक के आफ्टरशॉक्स (झटके) आ सकते हैं, जो अगले महीने तक जारी रह सकते हैं। यह एक प्रकार से भविष्य में और भी तबाही का संकेत है, जिससे पूरी दुनिया की नजरें इस क्षेत्र पर टिकी हैं।

रिंग ऑफ फायर: धरती का असली ‘विलेन’

आपकी जानकारी के लिए बता दें, यह भूकंप रिंग ऑफ फायर के अंतर्गत आया। रिंग ऑफ फायर पृथ्वी का वह क्षेत्र है जहां सक्रिय ज्वालामुखी और भूकंप की घटनाएं सबसे अधिक होती हैं। यह क्षेत्र प्रशांत महासागर के चारों ओर फैला हुआ है और इसमें 40,000 किलोमीटर से ज्यादा का इलाका शामिल है। यहां पृथ्वी की लिथोस्फेरिक प्लेट्स की टकराहट और हलचल के कारण भूकंप और ज्वालामुखी विस्फोट होते रहते हैं। यहां से होने वाली घटनाओं को ‘नेचर का असली विलेन’ भी कहा जाता है, क्योंकि ये न केवल भूकंप, बल्कि सुनामी और ज्वालामुखी के रूप में विनाशकारी प्रभाव डालते हैं।

इस क्षेत्र में 90% भूकंप होते हैं और 75% सक्रिय ज्वालामुखी भी इसी क्षेत्र में स्थित हैं। रिंग ऑफ फायर पर बसे देशों में जापान, रूस, अमेरिका, चिली, फिलीपींस, न्यूजीलैंड, और अन्य प्रशांत तटीय देश शामिल हैं। इन देशों के लिए यह क्षेत्र हमेशा एक बड़ा खतरा बना रहता है, क्योंकि यहां हर समय भूकंप और ज्वालामुखी विस्फोट होने की संभावना रहती है।

आफ्टरशॉक्स का खतरा, पूरी दुनिया को सतर्क रहने की जरूरत

भूकंप के बाद के आफ्टरशॉक्स के खतरे को लेकर रूसी साइंस एकेडमी की जियोफिजिक्स सर्विस ने चेतावनी दी है कि इन झटकों से इमारतों को नुकसान पहुंच सकता है और लोगों में भय भी उत्पन्न हो सकता है। यह आफ्टरशॉक्स कभी भी हो सकते हैं और यह एक महीने तक जारी रह सकते हैं, जिससे चिंता की स्थिति बनी हुई है। विशेषज्ञों ने सभी नागरिकों से सतर्क रहने की अपील की है और जरूरी कदम उठाने की सलाह दी है।

आगे क्या होगा?

भूकंप के बाद, रूस और जापान सहित अन्य प्रभावित देशों को अभी भी सतर्क रहने की जरूरत है। सुनामी और आफ्टरशॉक्स के खतरे के बीच, विशेषज्ञों और आपातकालीन सेवाओं को पूरी तरह से सक्रिय रहना होगा, ताकि किसी भी प्रकार की आकस्मिक स्थिति से निपटा जा सके। साथ ही, यह घटना हमें प्राकृतिक आपदाओं के प्रति अपनी तैयारियों और प्रतिक्रिया योजनाओं को फिर से जांचने की जरूरत का अहसास भी दिलाती है।

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Justin Trudeau Dating Katy Perry: क्या जस्टिन ट्रूडो और केटी पैरी का रोमांस शुरू हो च...

Justin Trudeau Dating Katy Perry: कनाडा के पूर्व प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो और ग्लोबल पॉप स्टार केटी पैरी की एक साथ डिनर डेट ने सोशल मीडिया पर तहलका मचा दिया है। जब ये दोनों सितारे एक-दूसरे के साथ मॉन्ट्रियल के एक हाई-एंड रेस्टोरेंट में डिनर करते हुए देखे गए, तो फैंस के मन में सवाल उठने लगे – क्या यह महज एक दोस्ती है या दोनों के बीच कुछ और पक रहा है? दरअसल दोनों को पार्क में टहलते हुए और फिर रेस्टोरेंट में एक-दूसरे के साथ लंच करते हुए देखा गया, जिससे उनके बीच रोमांस की अटकलें और भी तेज हो गईं।

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कैसे शुरू हुई यह मुलाकात? (Justin Trudeau Dating Katy Perry)

केटी पैरी इन दिनों अपने ‘लाइफटाइम्स टूर’ के लिए कनाडा में हैं और इस दौरान उनका रुकना मॉन्ट्रियल में था। यहां उन्होंने ट्रूडो के साथ अपनी मुलाकात से सभी को चौंका दिया। 9 मई की रात को दोनों को एक शानदार रेस्टोरेंट में देखा गया, जहां वे आराम से एक साथ डिनर कर रहे थे। रेस्टोरेंट के कर्मचारियों का कहना है कि दोनों की केमिस्ट्री बिल्कुल शानदार थी और वे एक-दूसरे की कंपनी का पूरा आनंद ले रहे थे। सोशल मीडिया पर उनका एक वीडियो भी वायरल हो रहा है, जिसमें वे दोनों हंसते-मजाक करते नजर आ रहे हैं।

क्या दोनों के बीच सिर्फ दोस्ती है?

हालांकि दोनों को एक साथ काफी सहज और कंफर्टेबल बैठते देखा गया, लेकिन रेस्टोरेंट के शेफ डैनी स्माइल्स ने कहा कि उन्होंने दोनों के बीच कोई भी पब्लिक डिस्प्ले ऑफ अफेक्शन नहीं देखा। इसलिए शायद हो सकता है कि यह सिर्फ एक दोस्ताना मुलाकात रही हो, लेकिन सोशल मीडिया पर लोग इसे कुछ और ही मानने लगे हैं।

मॉन्ट्रियाल में बिताया दिन

वहीं, जस्टिन ट्रूडो और केटी पैरी को पहले माउंट रॉयल पार्क में टहलते हुए देखा गया। इस दौरान दोनों के साथ ट्रूडो का पालतू कुत्ता भी था, और दोनों कैजुअल लुक में अपनी वॉक का मजा ले रहे थे। ट्रूडो ने जीन्स और टी-शर्ट पहनी थी, जबकि केटी पैरी भी सिंपल लुक में नजर आईं। पार्क में उनके बीच एक हल्की सी बातचीत होती रही, और उनके चेहरे पर मुस्कान साफ देखी जा सकती थी।

साथ में डिनर किया और खुशी का इज़हार

दिन के समय पार्क में टहलने के बाद, दोनों ने शाम को एक हाई-एंड रेस्टोरेंट में डिनर किया। जहां पर उन्होंने कुछ खास डिशेज जैसे कि लॉबस्टर, एपिटाइजर और कॉकटेल का आनंद लिया। दोनों एक-दूसरे के साथ मेन्यू चेक करते हुए और खुशी से बातचीत करते हुए दिखे। वहीं, रेस्टोरेंट के कर्मचारियों का कहना है कि वे दोनों एक-दूसरे के साथ सहज थे और उनके बीच अच्छे तालमेल की झलक साफ दिख रही थी।

केटी पैरी और जस्टिन ट्रूडो की पर्सनल लाइफ

केटी पैरी और जस्टिन ट्रूडो दोनों की पर्सनल लाइफ में हाल ही में कुछ बड़े बदलाव हुए हैं। जहां केटी पैरी का ऑरलैंडो ब्लूम से करीब 10 साल का रिश्ता टूट चुका है, वहीं ट्रूडो ने अपनी पत्नी सोफी ग्रेगॉयर से 18 साल की शादी के बाद अलग होने की घोषणा की थी। दोनों के तीन बच्चे हैं, जिनके साथ वे अब को-पेरेंटिंग कर रहे हैं।

क्या यह एक नया रोमांस है?

हालांकि दोनों के बीच की दोस्ती को लेकर अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन सोशल मीडिया और उनके व्यवहार से यह कयास लगाए जा रहे हैं कि कुछ और भी हो सकता है। लोगों का मानना है कि इस बार जस्टिन और केटी के बीच एक नई शुरुआत हो सकती है। क्या यह सिर्फ एक दोस्ती है या कुछ और, यह सवाल अब भी हवा में लटका हुआ है।

अफवाहों का माहौल

हालांकि दोनों की मुलाकातों से रोमांस की अफवाहें तेज हो गई हैं, लेकिन सच क्या है, यह तो समय ही बताएगा। लोग सोशल मीडिया पर अपनी राय बना रहे हैं, और दोनों के फैन्स इस बारे में तरह-तरह की बातें कर रहे हैं। लोग कयास लगा रहे हैं कि क्या यह सिर्फ एक डेटिंग अफेयर है या फिर कुछ और गहरा संबंध बन सकता है।

कनाडा की राजनीति और पॉप म्यूजिक की दुनिया में हलचल

चाहे ये मुलाकात केवल दोस्ती तक सीमित रहे या फिर कुछ और, इसने कनाडा की राजनीति और हॉलीवुड की पॉप म्यूजिक की दुनिया में हलचल पैदा कर दी है। जस्टिन ट्रूडो, जिनकी छवि एक प्रमुख राजनेता के रूप में रही है, अब केटी पैरी जैसे ग्लोबल स्टार के साथ जुड़े हुए हैं, जिसने इसे और भी दिलचस्प बना दिया है।

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PM Modi Parliament Speech: 9 मई की रात अमेरिकी उपराष्ट्रपति से क्या हुई थी बातचीत? पी...

PM Modi Parliament Speech: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद में ऑपरेशन सिंदूर पर विपक्ष के हमलों का जोरदार जवाब दिया और पाकिस्तान के खिलाफ भारत की रणनीति को सही ठहराया। मोदी ने अपने बयान में साफ किया कि पाकिस्तान के किसी भी हमले का भारत तगड़ा जवाब देने के लिए तैयार था और ऑपरेशन के दौरान पाकिस्तान को अपनी सीमा में घुसकर सटीक प्रहार किया गया। वहीं, विपक्ष ने इस ऑपरेशन और सरकार की नीति पर कई सवाल उठाए, जिन्हें पीएम मोदी ने अपनी बेबाकी से जवाब दिया।

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9 मई की रात अमेरिकी उपराष्ट्रपति से क्या हुआ था? (PM Modi Parliament Speech)

प्रधानमंत्री मोदी ने 9 मई की रात अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस से हुई बातचीत का जिक्र करते हुए कहा, “वह एक घंटे तक मुझसे बात करने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन उस समय मैं अपनी सेना के साथ बैठक कर रहा था और फोन नहीं उठा पाया। जब मैंने उन्हें वापस कॉल किया, तो उन्होंने बताया कि पाकिस्तान बड़ा हमला करने वाला है।” प्रधानमंत्री ने कहा, “मेरा जवाब था, अगर पाकिस्तान का यह इरादा है तो उसे बहुत महंगा पड़ेगा। हम गोली का जवाब गोले से देंगे।” यह स्पष्ट करते हुए उन्होंने कहा कि भारत किसी भी हमले का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए तैयार था।

ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान को जवाब दिया

प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि 10 मई को ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारत ने पाकिस्तान की सैन्य ताकत को पूरी तरह से तहस-नहस कर दिया। उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ इस कार्रवाई को एक “यादगार वार” बताया और कहा कि इस बार भारतीय सेना ने अपने शत-प्रतिशत लक्ष्यों को पूरा किया। पीएम मोदी ने कहा, “हमने पाकिस्तान की नाभि पर हमला किया और उन्हें यह बताया कि अगर पाकिस्तान ने हमें उकसाया, तो हम उसका जवाब बहुत बड़ी ताकत से देंगे।”

पाकिस्तान के खिलाफ भारत की सैन्य रणनीति

प्रधानमंत्री मोदी ने पाकिस्तान के खिलाफ की गई कार्रवाई को पूरी तरह से सफल बताते हुए कहा, “हमारे लक्ष्य स्पष्ट थे और हमने उन्हें हासिल किया। हमने पाकिस्तान को यह बता दिया कि अगर उन्होंने आतंकवादियों का साथ दिया तो हमें उन्हें उनके घर में घुसकर जवाब देने का तरीका मालूम है। पाकिस्तान के झूठे प्रचार और सीमा पार से फैलाए गए प्रोपेगैंडा को बर्बाद करने के लिए भारत की सेना ने शानदार कार्यवाही की।” उन्होंने यह भी कहा कि भारत ने अपनी सैन्य रणनीति में पूरी सावधानी बरती और यह सुनिश्चित किया कि किसी भी आतंकवादी ठिकाने को जिंदा न छोड़ें।

ऑपरेशन सिंदूर का असर

प्रधानमंत्री ने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर ने पाकिस्तान को यह साफ संदेश दिया कि अब भारत किसी भी स्थिति में पीछे नहीं हटेगा। “पाकिस्तान के लिए यह एक बड़ा चेतावनी था। हमारी मिसाइलों ने उनके हर कोने में प्रचंड प्रहार किया और पाकिस्तान ने इसके बारे में कभी सोचा नहीं था,” मोदी ने कहा। उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान के आतंकवादियों और सैन्य ठिकानों को निशाना बना कर भारत ने अपनी शक्ति का प्रदर्शन किया।

भारत की सैन्य ताकत और पाकिस्तान के खिलाफ संदेश

प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी कहा कि भारत की सैन्य शक्ति को अब दुनिया ने पूरी तरह से पहचाना है। उन्होंने कहा, “हमारी सेना को पूरी छूट दी गई थी कि वह अपनी मर्जी से कार्रवाई करे। पाकिस्तान के खिलाफ हमारी ताकत अब पहले से कहीं ज्यादा प्रभावी और सटीक हो चुकी है। ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान को कोई छूट नहीं दी गई और हम पूरी तरह से आतंकवादियों के ठिकानों तक पहुंच गए।”

राहुल गांधी की चुनौती का जवाब

संसद में मोदी ने राहुल गांधी द्वारा दिए गए एक बयान का भी जवाब दिया। राहुल गांधी ने दावा किया था कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पाकिस्तान के खिलाफ सीज़फ़ायर कराने का श्रेय लिया था, और मोदी सरकार को यह नहीं कहना चाहिए था कि ट्रंप ने झूठ बोला। इस पर पीएम मोदी ने राहुल गांधी से कहा कि पाकिस्तान अब समझ चुका है कि भारत का हर जवाब पहले से ज्यादा तगड़ा होगा। उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान के खिलाफ भारत की नीति अब पूरी तरह से स्पष्ट हो चुकी है और अब पाकिस्तान किसी भी तरह के आतंकवाद का समर्थन करने से पहले सौ बार सोचेगा।

ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत का संदेश

प्रधानमंत्री ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर ने पाकिस्तान को यह सिखा दिया है कि अगर भविष्य में उसने कोई गलत हरकत की, तो भारत उससे भी कड़ा जवाब देने के लिए तैयार है। उन्होंने बताया कि इस ऑपरेशन के दौरान भारतीय सेना ने पाकिस्तान के आतंकवादी अड्डों को ध्वस्त कर दिया और कई प्रमुख स्थानों को नष्ट किया। “सिंदूर से सिंधु तक भारत ने पाकिस्तान को यह संदेश दिया कि अब आतंकवाद का कोई भी प्रायोजक हमसे बच नहीं सकता,” पीएम मोदी ने कहा।

विपक्ष का हमला और मोदी का पलटवार

विपक्ष ने इस ऑपरेशन और सरकार की विदेश नीति पर कई सवाल उठाए। कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने पहलगाम हमले में सुरक्षा चूक को लेकर सरकार को घेरा। उन्होंने पूछा, “बैसरन वैली में सुरक्षा व्यवस्था क्यों नहीं थी? वहां एक भी सैनिक क्यों नहीं था?” प्रियंका गांधी ने सरकार से पूछा कि पहलगाम हमले के बाद क्यों कोई इस्तीफा नहीं हुआ और क्यों सुरक्षा में लापरवाही बरती गई।

पीएम मोदी ने इस पर भी प्रतिक्रिया दी और कहा कि कांग्रेस सिर्फ पाकिस्तान और चीन के मुद्दे पर राजनीति कर रही है। उन्होंने कहा, “कांग्रेस अब पाकिस्तान के साथ सहानुभूति रख रही है, और हमें समझने की जरूरत है कि यह भारत की सुरक्षा से जुड़ा मामला है, न कि राजनीति का।”

राहुल गांधी और पीएम मोदी के बीच तकरार

राहुल गांधी ने यह भी कहा कि ऑपरेशन सिंदूर को लेकर सरकार की राजनीतिक इच्छा शक्ति पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि 1971 के युद्ध में इंदिरा गांधी ने पाकिस्तान को करारा जवाब दिया था, लेकिन मोदी सरकार की नीति पाकिस्तान के खिलाफ लड़ाई को रोकने की रही है। उन्होंने दावा किया कि सरकार के भीतर यह इच्छा शक्ति नहीं थी, और यही कारण था कि ट्रंप ने सीज़फ़ायर की बात की।

पीएम मोदी ने राहुल गांधी के इस आरोप का जवाब देते हुए कहा, “भारत के वीरों ने जो साहस दिखाया है, वह पूरी दुनिया ने देखा। 22 अप्रैल के बदले को हमने 22 मिनट में पूरा किया और पाकिस्तान को अपनी ताकत का अहसास कराया। अब पाकिस्तान जानता है कि अगर उसने आतंकवाद का समर्थन किया तो भारत उसके खिलाफ कोई भी कार्रवाई करने से पीछे नहीं हटेगा।”

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Russia Earthquake: रूस में 8.8 तीव्रता का भूकंप, सुनामी का खतरा; जापान से लेकर कैलिफो...

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Russia Earthquake: रूस के सुदूर पूर्वी क्षेत्र कामचटका (Kamchatka) में बुधवार आया 8.8 तीव्रता का भूकंप ने एक बार फिर धरती को हिला दिया। इस शक्तिशाली भूकंप ने न सिर्फ रूस, बल्कि जापान, कैलिफोर्निया, हवाई और अन्य प्रशांत देशों में भी सुनामी की चेतावनी का अलर्ट जारी कर दिया। इस भूकंप के कारण जापान के तटीय इलाकों में 16 जगहों पर सुनामी लहरें उठ चुकी हैं, और वहां समुद्र में 4 मीटर तक ऊंची लहरें देखने को मिल रही हैं। इस भयावह घटना के बाद से लोग डर के साये में हैं और कई देशों में तटीय क्षेत्रों से लोगों को हटाने का काम चल रहा है।

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रूस के कामचटका में भूकंप का केंद्र और सुनामी का खतरा- Russia Earthquake

खबरों के मुताबिक, रूस के सुदूर पूर्व में स्थित कामचटका प्रायद्वीप पर भूकंप के केंद्र के आसपास के इलाकों में नुकसान की सूचना मिली है। स्थानीय गवर्नर ने बताया कि पहली सुनामी लहर रूस के कुरील द्वीप समूह में सेवेरो-कुरील्स्क नामक बस्ती में आई, जिसके बाद वहां बाढ़ आ गई। हालांकि, किसी बड़े नुकसान या जान-माल के नुकसान की खबर नहीं आई है, लेकिन कामचटका में कुछ लोग चिकित्सा सहायता के लिए सामने आए हैं।

जापान में सुनामी का खौ़फ

रूस में आए इस भूकंप ने जापान के लिए गंभीर खतरे की घंटी बजा दी है। जापान की मौसम विज्ञान एजेंसी के अनुसार, 16 स्थानों पर सुनामी लहरें देखी गई हैं, और समुंदर की लहरें 40 सेंटीमीटर (1.3 फीट) तक ऊंची हो गई हैं। जापान के तटीय क्षेत्रों में स्थित 900,000 से ज्यादा लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाने की सलाह दी गई है। खासकर फुकुशिमा परमाणु संयंत्र को लेकर सरकार ने एहतियात बरतते हुए वहां के कर्मचारियों को बाहर निकाल लिया है। अब तक सुनामी के कारण किसी भी बड़े नुकसान की खबर नहीं है, लेकिन जापान की आपदा प्रबंधन एजेंसी ने आगाह किया है कि अभी और बड़ी लहरें आ सकती हैं।

अमेरिका में सुनामी का अलर्ट

जापान के अलावा रूस में आए इस भूकंप के बाद अमेरिका के हवाई, ओरेगॉन और कैलिफोर्निया जैसे राज्यों में भी सुनामी की चेतावनी जारी की गई है। हवाई के गवर्नर जोश ग्रीन ने तटीय क्षेत्रों में निवासियों से तुरंत ऊंची जगहों पर शरण लेने की अपील की है। हवाई के बिग आइलैंड पर एक क्रूज जहाज ने अपने यात्रियों को वापस बुला लिया है और समुद्र तट से दूर रहने की सलाह दी है। वहीं, अमेरिकी समोआ और अन्य प्रशांत देशों के लिए भी सुनामी की चेतावनी जारी की गई है।

वहीं, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस में भूकंप के बाद सुनामी को लेकर अलर्ट किया है। उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट भी शेयर की है।

न्यूजीलैंड और फिलीपींस में भी सुनामी का खतरा

वहीं, न्यूजीलैंड के अधिकारियों ने अपने देश के समुद्र तटों पर तेज धाराओं और अप्रत्याशित उछाल का अलर्ट जारी किया है। फिलीपींस में भी तटीय इलाकों को सतर्क कर दिया गया है और लोगों को समुद्र तट से दूर रहने की सलाह दी गई है।

चीन, इक्वाडोर और अन्य देशों में भी अलर्ट

चीन के सुनामी चेतावनी केंद्र ने भी अपने तटीय क्षेत्रों में 30 सेंटीमीटर से लेकर एक मीटर तक ऊंची लहरों के उठने की संभावना जताई है। इक्वाडोर में भी गैलापागोस द्वीप समूह के निचले इलाकों को खाली करने के आदेश दिए गए हैं।

रूस में भूकंप की इतिहास से जुड़ी बातें

आपको बता दें, कामचटका क्षेत्र में भूकंपों का इतिहास बहुत पुराना है। इससे पहले जुलाई महीने में कामचटका में पांच शक्तिशाली भूकंप आए थे, जिनमें से सबसे बड़ा भूकंप 7.4 तीव्रता का था। 1952 में कामचटका में 9.0 तीव्रता का भूकंप आया था, जिससे भारी तबाही मची थी, लेकिन इसके बावजूद किसी की जान नहीं गई थी।

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Train Food Order: भारतीय रेलवे में खाने की गुणवत्ता पर मचा हंगामा, 6,645 शिकायतें और ...

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Train Food Order: भारतीय रेल में यात्रा करना हमेशा किसी न किसी कारण चर्चा में रहता है। कभी ट्रेन की देरी, तो कभी पेंट्री कार के खाने की गुणवत्ता पर सवाल उठते हैं। हाल ही में भारतीय रेलवे को लेकर एक और दिलचस्प रिपोर्ट सामने आई है। साल 2024-25 के दौरान रेलवे को खाने-पीने की गुणवत्ता को लेकर 6,645 शिकायतें मिलीं। यह आंकड़ा भारतीय रेल के लिए एक चेतावनी के रूप में सामने आया है।

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खराब भोजन की शिकायतों का आंकड़ा- Train Food Order

रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने राज्यसभा में इस बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि पिछले साल कुल 6,645 शिकायतें आईं। इनमें से 1,341 मामलों में खाने की सप्लाई करने वाले ठेकेदारों पर जुर्माना भी लगाया गया। रेल मंत्री ने यह भी बताया कि पिछले साल 2023-24 में 7,026 शिकायतें आई थीं, जबकि 2022-23 में यह आंकड़ा 4,421 था। 2021-22 में खाने की गुणवत्ता को लेकर कुल 1,082 शिकायतें दर्ज की गई थीं। इस बढ़ती शिकायतों की संख्या ने रेलवे प्रशासन को गंभीर चिंता में डाल दिया है।

शिकायतों पर की गई कार्रवाई

सीपीआई (M) के सांसद जॉन ब्रिटास ने सवाल किया था कि ट्रेनों में खाने की गुणवत्ता पर कार्रवाई कैसे की जाती है और कंपनियों को ठेके देने में पारदर्शिता बरती जाती है या नहीं। इस सवाल का जवाब देते हुए रेल मंत्री ने बताया कि शिकायतों पर रेलवे प्रशासन ने कई कदम उठाए। इनमें से 2,995 मामलों में कैटरिंग ठेकेदारों को चेतावनी दी गई, जबकि 547 मामलों में उन्हें उचित सलाह दी गई। बाकी बचे 762 मामलों में दूसरी कार्रवाई की गई। इसके अलावा, अनहाइजेनिक तरीके से तैयार किए गए भोजन को जब्त किया गया था।

क्या अस्वच्छ भोजन के खिलाफ सख्त कार्रवाई हुई?

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के सांसद जॉन ब्रिटास ने यह सवाल भी पूछा था कि क्या रेलवे ने अनहाइजेनिक तरीके से तैयार किए गए भोजन को जब्त किया है। इस सवाल के जवाब में रेल मंत्री ने कहा, “अगर खाने में मिलावट या अस्वच्छता पाई जाती है या यात्री शिकायत करते हैं, तो तुरंत कार्रवाई की जाती है। इसमें जुर्माना लगाना, अनुशासनात्मक कार्रवाई करना, काउंसलिंग करना और चेतावनी देना शामिल है।”

क्या एक ही ठेकेदार को कई ट्रेन रूट्स का ठेका मिला है?

ब्रिटास ने यह भी सवाल किया था कि क्या IRCTC (इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कॉरपोरेशन) ने वंदे भारत और लंबी दूरी की ट्रेनों के लिए एक ही ठेकेदार को अलग-अलग नामों से ठेके दिए हैं। रेल मंत्री ने इस पर जवाब देते हुए कहा कि IRCTC ने सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी के तौर पर सभी ठेके पारदर्शी प्रक्रिया के तहत दिए हैं। जो ठेकेदार सबसे ऊंची बोली लगाता है, उसे ही टेंडर दिया जाता है।

भोजन की गुणवत्ता पर पूरी नजर

रेल मंत्री ने यह भी बताया कि रेलवे प्रशासन ने भोजन की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए कई कदम उठाए हैं। खासकर अब ट्रेनों में भोजन तैयार नहीं किया जाता, बल्कि उसे बेस किचन में तैयार किया जाता है और फिर ट्रेन में सप्लाई किया जाता है। इस दौरान ठेकेदारों के बेस किचन को आधुनिक बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं। इसके अलावा, बेस किचन में CCTV कैमरे लगाए गए हैं ताकि किसी भी प्रकार की लापरवाही न हो। फूड सेफ्टी सुपरवाइजर यह सुनिश्चित करते हैं कि खाना साफ-सफाई से तैयार किया जाए और अच्छी गुणवत्ता की सामग्री का ही इस्तेमाल हो।

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