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Land Bridge Project: सऊदी अरब का ‘लैंड ब्रिज’ हाई-स्पीड रेल प्रोजेक्ट, 20...

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Land Bridge Project: सऊदी अरब अब दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचने वाले एक महत्वाकांक्षी हाई-स्पीड रेल प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है। इसे क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के ‘विजन 2030’ का अहम हिस्सा माना जा रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस परियोजना पर सऊदी अरब लगभग 7 अरब डॉलर यानी करीब 58,000 करोड़ रुपये खर्च करने जा रहा है।

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‘लैंड ब्रिज’ प्रोजेक्ट क्या है? Land Bridge Project 

इस परियोजना की लंबाई 1,500 किलोमीटर है और यह लाल सागर के जेद्दा शहर को रियाद होते हुए अरब की खाड़ी के पास स्थित दम्माम शहर से जोड़ेगा। यह प्रोजेक्ट ना केवल यात्री यात्रा को आसान बनाएगा, बल्कि व्यापार और लॉजिस्टिक्स के क्षेत्र में भी नई दिशा देगा। क्राउन प्रिंस MBS के लिए यह उनका ड्रीम प्रोजेक्ट है और विजन 2030 की आधारशिला माना जा रहा है। यह रेल नेटवर्क देश के प्रमुख जनसंख्या केंद्रों और औद्योगिक शहरों को जोड़कर सऊदी अरब को एक वैश्विक ट्रांसपोर्ट हब बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।

12 घंटे का सफर सिर्फ 4 घंटे में

‘लैंड ब्रिज’ हाई-स्पीड रेल प्रोजेक्ट की सबसे बड़ी खासियत इसकी रफ्तार है। वर्तमान में जेद्दा से दम्माम का सफर लगभग 12 घंटे का है, लेकिन हाई-स्पीड रेल इसे चार घंटे से भी कम समय में पूरा कर देगी। तेज रफ्तार और आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर के कारण यह परियोजना यात्रियों के लिए सुविधाजनक होने के साथ-साथ माल ढुलाई को भी तेज और सुरक्षित बनाएगी। प्रमुख बंदरगाहों और औद्योगिक शहरों से जुड़े होने के कारण व्यापार और लॉजिस्टिक्स क्षेत्र को भी इसका बड़ा फायदा होगा।

Desert Dream: लग्जरी ट्रेन की नई पहचान

सऊदी अरब ने इस प्रोजेक्ट के तहत सिर्फ रफ्तार पर ही ध्यान नहीं दिया है, बल्कि लक्ज़री और आराम को भी खास महत्व दिया है। रेगिस्तान में दौड़ने वाली ‘Desert Dream’ नामक लग्जरी ट्रेन को चलाने की घोषणा की गई है। यह ट्रेन यात्रियों को ना केवल तेज़ यात्रा का अनुभव देगी, बल्कि उसकी शान-ओ-शौकत भी अद्वितीय होगी। इस पहल को सऊदी अरब की अर्थव्यवस्था बदलने वाली योजना माना जा रहा है।

रेल नेटवर्क का विस्तार और नई तकनीक

विजन 2030 के तहत सऊदी अरब का लक्ष्य अपने मौजूदा रेलवे नेटवर्क को 5,300 किलोमीटर से बढ़ाकर 8,000 किलोमीटर करना है। सऊदी रेलवे कंपनी ने 200 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाली 15 नई ट्रेनों का ऑर्डर भी दिया है। यह कदम देश में यात्री और माल परिवहन की क्षमता बढ़ाने के साथ-साथ सऊदी अरब को आधुनिक रेलवे नेटवर्क वाले देशों की श्रेणी में लाने की दिशा में अहम साबित होगा।

भविष्य की दिशा

‘लैंड ब्रिज’ प्रोजेक्ट केवल एक रेल प्रोजेक्ट नहीं है, बल्कि यह सऊदी अरब की वैश्विक महत्वाकांक्षाओं का प्रतीक है। देश की यात्रा, व्यापार और लॉजिस्टिक्स व्यवस्था को पूरी तरह से बदलने वाला यह प्रोजेक्ट 2030 तक पूरा होने की उम्मीद है। इसके पूरा होने के बाद न केवल समय की बचत होगी, बल्कि यह सऊदी अरब को क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर एक मजबूत आर्थिक और लॉजिस्टिक्स हब बनाने में भी मदद करेगा।

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Chhath Puja 2025: कल से छठ पूजा का शुभारंभ, जानें नहाय-खाय से ऊषा अर्घ्य तक हर दिन का...

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Chhath Puja 2025: हिंदू धर्म में छठ पूजा को विशेष और अत्यंत पवित्र माना जाता है। इस त्योहार पर सूर्यदेव और छठी मैय्या की आराधना की जाती है। उत्तर भारत के कई राज्यों जैसे बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल में इसे बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। छठ पूजा को प्रतिहार, डाला छठ, छठी और सूर्य षष्ठी जैसे नामों से भी जाना जाता है।

छठ पूजा का व्रत मुख्य रूप से महिलाएं अपने परिवार और बच्चों की लंबी उम्र व कल्याण के लिए करती हैं। इस बार छठ पूजा 2025 की शुरुआत 25 अक्टूबर, शनिवार से होगी और इसका समापन 28 अक्टूबर, मंगलवार को होगा। यह पर्व चार दिवसीय होता है, जिनके नाम हैं: नहाय-खाय, खरना, संध्या अर्घ्य और ऊषा अर्घ्य।

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छठ पूजा 2025 का कैलेंडर- Chhath Puja 2025

  • पहला दिन – नहाय खाय: 25 अक्टूबर 2025
  • दूसरा दिन – खरना: 26 अक्टूबर 2025
  • तीसरा दिन – संध्या अर्घ्य: 27 अक्टूबर 2025
  • चौथा दिन – ऊषा अर्घ्य: 28 अक्टूबर 2025

चार दिनों का महत्व

नहाय-खाय (Nahay Khay)

छठ पूजा का पहला दिन नहाय-खाय होता है। इस दिन व्रती पवित्र नदी में स्नान करके व्रत की शुरुआत करती हैं। स्नान के बाद शुद्ध और सरल भोजन ग्रहण किया जाता है। इस दिन सूर्योदय सुबह 6:28 बजे और सूर्यास्त शाम 5:42 बजे होगा।

खरना (Kharna)

छठ का दूसरा दिन खरना या लोहंडा कहलाता है। इस दिन व्रती पूरे दिन निर्जला उपवास रखती हैं। शाम को मिट्टी के चूल्हे पर आम की लकड़ी से गुड़ की खीर और घी से बनी रोटी तैयार की जाती है। सूर्य देव की पूजा के बाद यही प्रसाद ग्रहण किया जाता है। इसके बाद व्रती अगले दिन संध्या अर्घ्य तक अन्न और जल का त्याग करती हैं।

संध्या अर्घ्य (Sandhya Arghya)

तीसरा दिन संध्या अर्घ्य का होता है। व्रती दिनभर निर्जला व्रत रखते हैं। शाम को ढलते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के लिए नदी में डुबकी लगाई जाती है। इस दिन सूर्यास्त समय शाम 5:40 बजे है।

ऊषा अर्घ्य (Usha Arghya)

अंतिम दिन ऊषा अर्घ्य होता है। इस दिन व्रती और भक्त उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देते हैं। सूर्योदय सुबह 6:30 बजे होगा। अर्घ्य देने के बाद 36 घंटे के व्रत का पारण किया जाता है, जिसमें प्रसाद और जल ग्रहण किया जाता है।

छठ पूजा का महत्व

छठ पूजा सूर्य देव और छठी मैय्या की उपासना का प्रतीक है। यह पर्व आस्था, शुद्धता और अनुशासन का संदेश देता है। व्रती पूरे विश्वास और संयम के साथ सूर्य देव को अर्घ्य देकर अपने जीवन में सुख, समृद्धि और संतानों की रक्षा की कामना करते हैं। यह पर्व प्रकृति, जल और सूर्य की उपासना से जुड़ा है और मानव जीवन में ऊर्जा व सकारात्मकता का महत्व दर्शाता है।

छठ पूजा 2025 की चार दिवसीय पवित्र यात्रा न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह समाज में संयम, शुद्धता और परिवार के कल्याण का संदेश भी देती है।

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China Warns America: ट्रंप ने रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच चीन पर रूसी तेल आयात रोकने के ...

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China Warns America: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच रूस से तेल खरीदने वाले देशों पर दबाव तेज कर दिया है। भारत पर पहले ही 50% टैरिफ लगा चुके ट्रंप अब चीन को भी अपने निशाने पर लेने की तैयारी में हैं। व्हाइट हाउस से जारी एक्जीक्यूटिव ऑर्डर के तहत चीन के रूसी तेल आयात पर अगले हफ्ते से अतिरिक्त 25% टैरिफ लगाया जा सकता है।

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चीन को चेतावनी- China Warns America

ट्रंप ने हाल ही में प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “भारत ने रूस से तेल खरीदना लगभग बंद कर दिया है, लेकिन चीन अभी भी भारी मात्रा में खरीद रहा है। इससे रूस को युद्ध के लिए वित्तीय मदद मिल रही है। हम सेकेंडरी टैरिफ लगाकर इसे रोकेंगे।”
यह चेतावनी अगस्त में भारत पर लगाए गए 50% टैरिफ के कुछ महीनों बाद आई है। उस समय अमेरिका ने भारत पर 25% बेसिक टैरिफ और 25% पेनल्टी टैरिफ लगाया था, जिसका असर भारतीय निर्यात पर भी पड़ा।

चीन पर फोकस क्यों?

चीन दुनिया का सबसे बड़ा रूसी तेल आयातक देश है। 2025 की पहली छमाही में चीन ने रूस से रोजाना औसतन 2.2 मिलियन बैरल तेल खरीदा। ट्रंप प्रशासन का कहना है कि यह आय रूस को यूक्रेन पर आक्रामक नीतियों के लिए फाइनेंशियल मदद दे रही है।
एक्जीक्यूटिव ऑर्डर में साफ कहा गया है कि चीन जैसे देशों पर अतिरिक्त टैरिफ लगाकर रूसी अर्थव्यवस्था को चोट पहुंचाई जाएगी। यदि यह लागू होता है, तो इसका असर चीनी इलेक्ट्रॉनिक्स, मैन्युफैक्चरिंग और अन्य निर्यातों पर भी पड़ेगा, जिससे अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध और गहरा सकता है।

भारत की प्रतिक्रिया

अमेरिका के इस फैसले के बाद भारत ने विरोध जताया। विदेश मंत्रालय ने इसे “अनुचित और अविवेकपूर्ण” बताया। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा, “हमारी ऊर्जा जरूरतें राष्ट्रीय हित से जुड़ी हैं। कई यूरोपीय देश भी रूस से व्यापार कर रहे हैं, तो सिर्फ भारत को क्यों निशाना बनाया जा रहा है?”
हाल के महीनों में भारत ने रूसी तेल आयात में कमी की है, लेकिन पूरी तरह बंद नहीं किया। ट्रंप ने चेतावनी दी थी कि अगर भारत ने आयात नहीं रोका, तो टैरिफ 100% तक बढ़ सकता है।

वैश्विक असर और विशेषज्ञों की राय

विश्लेषकों के अनुसार, ट्रंप की यह रणनीति रूस पर निर्भर देशों को दबाने और चीन व भारत जैसे बड़े देशों पर दबाव बनाने की पुरानी नीति का हिस्सा है। यदि चीन पर यह टैरिफ लागू हुआ, तो इसके जवाब में बीजिंग भी कदम उठा सकता है। इससे वैश्विक व्यापार और तेल बाजार पर असर पड़ सकता है।

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Devuthani Ekadashi 2025: नोट करें सही तारीख, शुभ मुहूर्त और व्रत-पूजन की संपूर्ण विधि

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Devuthani Ekadashi: दिवाली के 11 दिन आने वाली देवउठनी एकादशी, जिसे तुलसी विवाह के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म में इस त्यौहार की काफी मान्यता है। यह वह दिन है जब भगवान विष्णु अपनी चार महीने की योग निद्रा से जागते हैं और चातुर्मास के अंत का प्रतीक है। यह विवाह सहित सभी शुभ और मांगलिक कार्यों की शुरुआत का भी प्रतीक है। लेकिन अगर आप भी ये सोच रहे है कि इस साल ये त्यौहार कब है और इस शुभ मुहूर्त क्या है? तो चलिए आपको इस लेख में देवउठनी एकादशी के बारे में विस्तार से बताते हैं।

देवउठनी एकादशी 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त

हर साल की तरह इस साल भी देवउठनी एकादशी का पर्व मनाया जायेगा पर इस साल ये पर्व 1 नवंबर 2025, शनिवार को मनाया जाएगा। वही यह व्रत गृहस्थ लोगों के लिए 1 नवंबर को मान्य होगा। तो वैष्णव संप्रदाय के लोग 2 नवंबर को भी व्रत रख सकते हैं।

विवरण समय
एकादशी तिथि प्रारंभ 1 नवंबर 2025, सुबह 09 बजकर 11 मिनट पर
एकादशी तिथि समाप्त 2 नवंबर 2025, सुबह 07 बजकर 31 मिनट पर
देवउठनी एकादशी व्रत 1 नवंबर 2025, शनिवार (उदया तिथि के अनुसार)
पूजा का शुभ मुहूर्त 1 नवंबर 2025, सुबह 06:00 बजे से दोपहर 12:00 बजे तक (लगभग)
व्रत पारण का समय 2 नवंबर 2025, दोपहर 01 बजकर 11 मिनट से दोपहर 03 बजकर 23 मिनट तक

पूजन विधि और धार्मिक महत्व और पूजा विधि 

देवउठनी एकादशी को प्रबोधिनी एकादशी या देवोत्थान एकादशी भी कहा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है और विधि-विधान के साथ विष्णु भगवान को जगाया जाता है। इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और साफ़ कपड़े पहनें। व्रत (आमतौर पर फलाहारी व्रत) रखने का संकल्प लें। घर की सफ़ाई करें और आँगन में भगवान विष्णु के चरणों की आकृति बनाएँ। एक चौकाली में भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।

पूजा के दौरान गन्ना, सिंघाड़े, मिठाई, फल और नए वस्त्र अर्पित करें। इसके बाद, रात में घर के बाहर और पूजा स्थल पर दीपक जलाएँ। वही रात्रि में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करें। “उठो देव, जागो देव” कहकर भगवान को जगाने का आह्वान करें। इसके अलवा शंख, घंटा, और जयकारों के साथ भगवान विष्णु को योगनिद्रा से जगाएं।

देवउठनी के दिन तुलसी विवाह

देवउठनी एकादशी के दिन तुलसी विवाह भी मनाया जाता है। तुलसी के पौधे और भगवान शालिग्राम का विवाह संपन्न कराया जाता है। शाम को तुलसी के पौधे के पास दीपक भी जलाया जाता है। यह एकादशी चातुर्मास (भगवान विष्णु के चार महीने के शयन काल) के अंत का प्रतीक है। विवाह, मुंडन और गृहप्रवेश जैसे सभी शुभ और मांगलिक कार्य इसी दिन से शुरू होते हैं।

आपको बता दें, हिन्दू मान्यता के अनुसार कहा जाता है कि इस दिन विधि-विधान से व्रत और पूजा करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है और व्यक्ति को जीवन में सुख-शांति प्राप्त होती है।

European Union vs India: रूस पर दबाव के खेल में अब भारत की तीन कंपनियां भी निशाने पर,...

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European Union vs India: रूस पर आर्थिक दबाव बढ़ाने की कोशिशों के बीच यूरोपीय यूनियन (EU) ने अब भारत की तीन कंपनियों पर भी शिकंजा कस दिया है। EU ने इन कंपनियों पर रूसी सेना के साथ कथित संबंध रखने और प्रतिबंधों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है। गुरुवार को जारी प्रतिबंधों के 19वें पैकेज में कुल 45 वैश्विक संस्थाओं को ब्लैकलिस्ट किया गया, जिनमें से तीन भारत की हैं।

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किन भारतीय कंपनियों पर लगा प्रतिबंध? European Union vs India

जिन भारतीय कंपनियों पर यूरोपियन यूनियन ने कार्रवाई की है, उनके नाम हैं —

  1. Aerotrust Aviation Private Limited
  2. Ascend Aviation India Private Limited
  3. Shree Enterprises

यूरोपीय संघ का दावा है कि ये कंपनियां रूस की रक्षा इंडस्ट्री को सीधे या अप्रत्यक्ष रूप से मदद पहुंचा रही थीं।

  • Aerotrust Aviation विमानन क्षेत्र से जुड़ी कंपनी है, जिस पर रूसी सेना को तकनीकी सहायता देने का आरोप है।
  • Ascend Aviation India पर आरोप है कि उसने EU के निर्यात प्रतिबंधों का उल्लंघन किया और प्रतिबंधित तकनीकी उपकरणों का व्यापार किया।
  • वहीं Shree Enterprises, जो एक सामान्य ट्रेडिंग कंपनी है, उस पर रूस की सैन्य इकाइयों से कारोबारी रिश्ते रखने का आरोप लगा है।

EU का बड़ा कदम: 45 कंपनियों पर एक साथ कार्रवाई

यूरोपियन यूनियन ने यह प्रतिबंध अपने 19वें सैंक्शन पैकेज के तहत लगाए हैं। EU ने कहा कि इन 45 नई संस्थाओं की पहचान की गई है जो रूस के लिए उन वस्तुओं की आपूर्ति में शामिल हैं, जिनका इस्तेमाल सैन्य या तकनीकी विकास में हो सकता है।

EU की आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया है कि ये संस्थाएं “कंप्यूटर न्यूमेरिकल कंट्रोल (CNC) मशीन टूल्स, माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक्स, मानवरहित हवाई वाहनों (UAVs)” और अन्य उन्नत तकनीकी उत्पादों से जुड़े प्रतिबंधों को दरकिनार कर रही थीं।

इन कंपनियों पर अब दोहरे उपयोग वाली वस्तुओं (dual-use goods) के निर्यात पर भी कड़े प्रतिबंध लागू होंगे यानी ऐसी वस्तुएं जो नागरिक और सैन्य दोनों उपयोगों में आती हैं।

17 विदेशी कंपनियां भी फंसीं, चीन सबसे आगे

EU के अनुसार, जिन 45 कंपनियों पर कार्रवाई की गई है, उनमें से 17 रूस के बाहर की हैं। इनमें

  • 12 चीन और हांगकांग की कंपनियां,
  • 3 भारत की, और
  • 2 थाईलैंड की कंपनियां शामिल हैं।

चीन की कंपनियों पर आरोप है कि उन्होंने रूस को तेल, रसायन और दोहरे उपयोग वाली वस्तुएं सप्लाई कर प्रतिबंधों का उल्लंघन किया।

रूस पर आर्थिक दबाव बढ़ाने की रणनीति

यूरोपियन यूनियन ने स्पष्ट किया कि यह कार्रवाई यूक्रेन पर रूस के हमले के खिलाफ की जा रही है। EU रूस की अर्थव्यवस्था को कमजोर करने के लिए लगातार उसकी तेल बिक्री और सैन्य आपूर्ति नेटवर्क पर प्रहार कर रहा है।

EU का कहना है कि रूस की “युद्ध अर्थव्यवस्था” का सबसे बड़ा सहारा तेल निर्यात और तकनीकी आयात है। इसी को रोकने के लिए अब तीसरे देशों में मौजूद उन कंपनियों को भी निशाने पर लिया जा रहा है, जो रूस की मदद कर रही हैं।

इन नए प्रतिबंधों में शामिल हैं

  • संपत्ति फ्रीज करना,
  • वित्तीय लेनदेन पर रोक, और
  • यात्रा प्रतिबंध (travel bans)

भारत की ओर से अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं

अब तक भारत सरकार या प्रभावित कंपनियों की ओर से इस मामले पर कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। हालांकि, यह कदम भारत और यूरोपियन यूनियन के बीच कूटनीतिक संबंधों पर असर डाल सकता है, क्योंकि भारत अब तक रूस से तेल और रक्षा सौदों में अपना कारोबार जारी रखे हुए है।

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Afghanistan stop Pakistan water: भारत के बाद अब अफगानिस्तान भी रोकेगा पाकिस्तान का पा...

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Afghanistan stop Pakistan water: अफगानिस्तान ने अपने जल संसाधनों को लेकर बड़ा फैसला लेते हुए कुनार नदी पर नए बांध बनाने की योजना का ऐलान किया है। तालिबान सरकार का कहना है कि देश को अब अपने पानी का उपयोग खुद के विकास के लिए करना चाहिए। इस घोषणा से पाकिस्तान में पानी के प्रवाह पर असर पड़ सकता है, जिससे पड़ोसी देश में गंभीर जल संकट की स्थिति बन सकती है।

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तालिबान सरकार ने दी बांध निर्माण की हरी झंडी- Afghanistan stop Pakistan water

तालिबान के सूचना उप मंत्री मुजाहिद फराही ने बताया कि अफगानिस्तान के जल एवं ऊर्जा मंत्रालय को सर्वोच्च नेता शेख हिबतुल्लाह अखुंदजादा से निर्देश मिले हैं कि कुनार नदी पर बिना किसी देरी के बांधों का निर्माण शुरू किया जाए।

फराही ने कहा, “अमीर अल-मुमिनीन ने आदेश दिया है कि मंत्रालय घरेलू कंपनियों के साथ अनुबंध करे और विदेशी कंपनियों का इंतजार न करे।” वहीं, ऊर्जा और जल मंत्रालय के प्रमुख मुल्ला अब्दुल लतीफ मंसूर ने कहा, “अफगानों को अपने पानी का प्रबंधन करने और उसका उपयोग करने का पूरा अधिकार है।”

कुनार नदी का महत्व और पाकिस्तान की चिंता

कुनार नदी पाकिस्तान और अफगानिस्तान दोनों के लिए बेहद अहम है। यह नदी पाकिस्तान के चित्राल क्षेत्र से निकलती है, लगभग 300 मील तक अफगानिस्तान से होकर बहती है और फिर दोबारा पाकिस्तान लौटकर काबुल नदी में मिल जाती है। पाकिस्तान इस नदी के पानी का उपयोग खैबर पख्तूनख्वा में सिंचाई और बिजली उत्पादन के लिए करता है।

अगर अफगानिस्तान बांधों का निर्माण शुरू करता है तो पाकिस्तान के कई इलाकों में पानी की उपलब्धता घट सकती है। इससे न सिर्फ खेती पर असर पड़ेगा, बल्कि हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट्स भी प्रभावित हो सकते हैं।

पाकिस्तान पहले से भारत के कदमों से परेशान

तालिबान का यह ऐलान ऐसे वक्त आया है जब पाकिस्तान पहले ही भारत के साथ सिंधु नदी जल समझौते को लेकर विवाद झेल रहा है। भारत द्वारा जल प्रवाह में कटौती की संभावना के बीच अब अफगानिस्तान का यह कदम पाकिस्तान की मुश्किलें और बढ़ा देगा।

भारत ने पहले ही अफगानिस्तान में सलमा डैम (अफगान-इंडिया फ्रेंडशिप डैम) और शहतूत बांध जैसे प्रोजेक्ट्स में मदद की है। पाकिस्तान इन योजनाओं को भारत-अफगानिस्तान की “साझी साजिश” बताता रहा है, जो उसके जल हितों को नुकसान पहुंचा सकती है।

चीन की कंपनी ने दिखाई थी रुचि 

‘द डिप्लोमेट’ की एक रिपोर्ट के अनुसार, अगस्त में अफगानिस्तान के जल एवं ऊर्जा मंत्रालय ने कहा था कि चीन की एक कंपनी कुनार नदी पर तीन बड़े बांधों में निवेश करने की इच्छा जता चुकी है। इन परियोजनाओं से 2,000 मेगावाट तक बिजली उत्पादन संभव होगा।

चीन की भागीदारी ने इस मुद्दे को और संवेदनशील बना दिया है, क्योंकि चीन पाकिस्तान का पारंपरिक सहयोगी माना जाता है। ऐसे में अगर चीन तालिबान के इस प्रोजेक्ट में शामिल होता है, तो पाकिस्तान के लिए विरोध दर्ज कराना भी आसान नहीं होगा।

तालिबान-पाकिस्तान संबंधों में बढ़ती तल्खी

जनवरी में जब तालिबान ने पहली बार कुनार नदी पर बांध बनाने का ऐलान किया था, तब पाकिस्तान ने इसे “शत्रुतापूर्ण कदम” बताया था। हाल के महीनों में दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ गया है।

काबुल पर पाकिस्तानी एयरस्ट्राइक के बाद तालिबान ने जवाबी कार्रवाई करते हुए 58 पाकिस्तानी सैनिकों को मार गिराया था। इस संघर्ष के बाद कतर ने दोनों के बीच मध्यस्थता की, लेकिन रिश्तों में आई खटास अब भी खत्म नहीं हुई है।

तालिबान की जल नीति और अन्य प्रोजेक्ट्स

कुनार नदी के अलावा अफगानिस्तान की तालिबान सरकार हेरात प्रांत में पशदान डैम और अमू दरिया पर कोश टेप नहर परियोजना पर भी काम कर रही है।

  • पशदान डैम में 45 मिलियन घन मीटर पानी संग्रहित करने की क्षमता होगी।
  • इससे लगभग 13,000 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई संभव होगी।

इन परियोजनाओं का उद्देश्य देश की कृषि उत्पादकता बढ़ाना और बिजली उत्पादन को मजबूत करना है।

पाकिस्तान के सामने नई कूटनीतिक मुश्किलें

अफगानिस्तान के साथ पाकिस्तान का अब तक कोई औपचारिक जल समझौता नहीं है। ऐसे में अगर अफगानिस्तान ने बांधों का निर्माण शुरू किया तो पाकिस्तान के सामने पानी की कमी के साथ-साथ एक नया कूटनीतिक संकट खड़ा हो सकता है।

विशेषज्ञों का मानना है कि तालिबान की यह पहल न सिर्फ अफगानिस्तान की आत्मनिर्भरता का संकेत है, बल्कि दक्षिण एशिया की जल राजनीति में भी बड़ा बदलाव ला सकती है।

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Ayodhya Deepotsav: अयोध्या में रिकॉर्ड तोड़ रोशनी, पर कुम्हारों की जिंदगी में अंधेरा!...

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Ayodhya Deepotsav: अयोध्या इन दिनों दीपोत्सव की जगमगाहट में नहाई हुई है। सरयू नदी के किनारे राम की पैड़ी पर लाखों दीयों को बिछाया गया। इस बार दीपोत्सव में 29 लाख दीये जलाने की तैयारी थी, जिनमें से 26 लाख 11 हजार 101 दीये एक साथ जलाकर अयोध्या अपना पिछला रिकॉर्ड तोड़ने जा रही है। डॉ. राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के 30 हजार से ज्यादा वॉलंटियर्स “जय श्रीराम” का उद्घोष करते हुए पैड़ी के 56 घाटों पर दीये सजाए गए।
19 अक्टूबर को इन दीयों में तेल और बाती डाली जाएगी, और दीपोत्सव की रात अयोध्या सोने सी दमक उठेगी।

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लेकिन इस भव्य रोशनी के बीच एक गांव ऐसा भी है, जहां अंधेरा पहले से ज्यादा गहरा महसूस हो रहा है। ये है जयसिंहपुर गांव, जो राम की पैड़ी से महज 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। वही गांव, जहां के कुम्हारों के हाथों से हर साल अयोध्या दीपोत्सव के दीये तैयार होते थे। मगर इस बार पहली बार ऐसा हुआ है कि उन्हें यह ऑर्डर नहीं मिला।

लखनऊ की कंपनी को मिला टेंडर, कुम्हारों की उम्मीदें टूटीं- Ayodhya Deepotsav

इस साल दीपोत्सव के लिए अयोध्या प्रशासन ने जुलाई 2025 में टेंडर जारी किया। दीयों की सप्लाई का ठेका लखनऊ की प्रतिभा प्रेस को मिला। नगर आयुक्त जयंत कुमार के मुताबिक, “प्रतिभा प्रेस ने हमें 10 गांवों की लिस्ट दी है, जिनसे उन्होंने दीये खरीदे हैं। ये गांव अयोध्या के आसपास ही हैं सालारपुर, सोहावल, दर्शननगर, जयसिंहपुर, बड़ा गांव, मटरीनगर, सनेथू, कुम्हारन का पुरवा, रूदौली और भरतकुंड।”

कागजों में तो जयसिंहपुर का नाम भी इस सूची में शामिल है, लेकिन हकीकत इससे बिल्कुल अलग है। जब दैनिक भास्कर टीम जयसिंहपुर पहुंची, तो वहां सन्नाटा था। चाक, जो पिछले साल दिन-रात घूमते थे, इस बार धूल खा रहे हैं।

“पिछले साल 50 हजार दीये दिए थे, इस बार कोई पूछने नहीं आया”

गांव के कुम्हार रविंद्र कुमार पिछले कई सालों से दीपोत्सव के लिए दीये बनाते आ रहे हैं। वे बताते हैं,
“पिछले साल हमने 50 हजार दीये दिए थे। पूरा गांव काम में लगा था महिलाएं दीये सुखा रही थीं, बच्चे पैक कर रहे थे। उस वक्त मुख्यमंत्री ने हमें सम्मानित किया था, ई-चाक दिए थे। लेकिन इस बार हमें कोई ऑर्डर ही नहीं मिला। दो महीने से तैयारी कर रहे थे, मिट्टी और तेल भी खरीद लिया था, अब समझ नहीं आ रहा दिवाली कैसे मनाएंगे।”

रविंद्र के घर में अब भी दीयों के गत्ते पड़े हैं, जो जलने से पहले ही ठंडे पड़ गए।

“दो दिन पहले आया सिर्फ 10 हजार दीयों का ऑर्डर”

थोड़ा आगे जाने पर बृज किशोर मिले, जो कहते हैं, “हमसे सिर्फ 10 हजार दीये खरीदे गए हैं। पहले हर साल 40-50 हजार दीयों का ऑर्डर मिलता था। इस बार भी हमने पहले से ज्यादा बना लिए थे, पर सिर्फ कुछ हजार ही उठाए गए। बच्चे और महिलाएं अब भी उम्मीद में हैं कि शायद कुछ और काम मिल जाए।”

“मिट्टी एडवांस में खरीदी थी, पर कोई पूछने नहीं आया”

गांव की महिला कुम्हार शकुंतला देवी की आंखों में उदासी साफ झलकती है। वो कहती हैं,
“हर साल दीपोत्सव से पहले हम मिट्टी खरीदते हैं, चाक ठीक करवाते हैं। इस बार भी सब किया, सोचा कि काम मिलेगा, पर कोई पूछने नहीं आया। फिर भी मिट्टी तैयार रखी है, क्या पता आखिरी वक्त पर कोई बुला ले।”

उनकी बातें बताते हैं कि इन दीयों में सिर्फ मिट्टी नहीं, बल्कि उम्मीद और आत्मसम्मान भी गढ़ा जाता है।

“एक आयोजन से निकलता था पूरे साल का खर्च”

गांव के बुजुर्ग कुम्हार राम आसरे बताते हैं, “दीपोत्सव हमारे लिए सिर्फ त्योहार नहीं, जिंदगी का सहारा है। इससे पूरे साल का खर्च निकल आता था। घर की मरम्मत, बच्चों की पढ़ाई—सब कुछ इसी से चलता था। इस बार कोई काम नहीं मिला, तो नुकसान बहुत बड़ा है।”

वो आगे जोड़ते हैं,
“लोग सोचते हैं दीये बनाना आसान है, पर इसमें बहुत मेहनत है। पहले मिट्टी खेत या नदी किनारे से लाते हैं, फिर उसे गूंथते हैं, चाक पर आकार देते हैं, धूप में सुखाते हैं और भट्टी में पकाते हैं। दो दिन का काम है, और अगर मौसम खराब हो जाए तो सारा माल खराब हो जाता है।”

“हमने 50 हजार दीये बना लिए, लेकिन कोई लेने नहीं आया”

कुम्हार राम किशोर के घर पर करीब 50 हजार तैयार दीये पड़े हैं। वे कहते हैं,
“दीपोत्सव के लिए जो दीये बनते हैं, वो खास होते हैं इनमें करीब 30 ML तेल आता है। ये बड़े साइज के होते हैं और प्रशासन की अनुमति से ही बनाए जाते हैं। इस बार किसी ने ऑर्डर नहीं दिया, तो अब ये बड़े दीये बाजार में बिक भी नहीं रहे हैं।”

अधिकारी बोले—“कंपनी ने गांवों से ही खरीदे हैं दीये”

जब प्रशासन से इस बारे में पूछा गया, तो नगर आयुक्त जयंत कुमार ने बताया,
“इस बार दीयों की जिम्मेदारी लखनऊ की प्रतिभा प्रेस को दी गई थी। उन्होंने 10 गांवों के कुम्हारों से मीटिंग की थी और वही सप्लाई कर रहे हैं। हमने उनसे जो लिस्ट मांगी थी, उसमें जयसिंहपुर सहित कई गांव शामिल हैं।”

हालांकि, कुम्हारों का कहना है कि उनसे सिर्फ कुछ औपचारिक दीये लिए गए हैं, जबकि बाकी गांवों से पहले जैसा ऑर्डर नहीं मिला।

गांव के बुजुर्ग कहते हैं,
“हमारे हाथों के बनाए दीये रामजी के नाम जलते थे, यही गर्व था। अब जब वो दीये किसी कंपनी से आ रहे हैं, तो लगता है जैसे हमारी पहचान भी मिट रही है।”

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Ajab Gajab: दुनिया के अनोखे जीव-जंतु जिनकी होती हैं दो से ज्यादा आंखें

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Ajab Gajab: दुनिया में जानवरों की दुनिया उतनी ही दिलचस्प है जितनी रहस्यमय। हर जीव अपनी बनावट, आदतों और जीवनशैली में एक-दूसरे से बिल्कुल अलग है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि कुछ जीव ऐसे भी हैं, जिनकी दो नहीं बल्कि कई-कई आंखें होती हैं? जी हां, प्रकृति ने इन्हें ऐसी खासियत दी है जिससे ये अपने आसपास की चीजों को और भी बेहतर तरीके से देख और समझ पाते हैं। चलिए, जानते हैं कुछ ऐसे ही रोचक जीवों के बारे में जो अपनी “एक्स्ट्रा आंखों” की वजह से मशहूर हैं

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मकड़ी – 6 से 8 आंखों वाली छोटी शिकारी – Ajab Gajab

मकड़ी को तो हर किसी ने देखा होगा, लेकिन क्या कभी उसकी आंखों पर ध्यान दिया है? दरअसल, ज्यादातर मकड़ियों की 6 से 8 आंखें होती हैं। ये आंखें उनके सिर के ऊपरी हिस्से में अलग-अलग जगहों पर होती हैं। इस वजह से वो लगभग चारों तरफ देख सकती हैं। यही वजह है कि मकड़ी अपने शिकार पर फुर्ती से झपटती है और खतरे को दूर से भांप लेती है।
हालांकि, सभी आंखें एक जैसी नहीं होतीं कुछ दूर की चीजें देखने के लिए होती हैं और कुछ पास की। यानी प्रकृति ने मकड़ी को एक परफेक्ट निगरानी सिस्टम दिया है।

केकड़ा – 360° नजर वाला समुद्री जीव

समंदर की गहराइयों में रहने वाला केकड़ा भी कम दिलचस्प नहीं है। उसकी आंखें डंठल जैसी संरचना पर होती हैं, जो उसे 360 डिग्री तक देखने की क्षमता देती हैं। यानी केकड़े को यह देखने के लिए मुड़ने की जरूरत ही नहीं पड़ती कि उसके पीछे क्या हो रहा है।
अजीब बात यह है कि कुछ प्रजातियों में आंखों के पास छोटे-छोटे प्रकाश-संवेदनशील अंग भी होते हैं, जो उसे रोशनी और हलचल को महसूस करने में मदद करते हैं। इसी कारण केकड़ा अपने शिकार को तुरंत पकड़ लेता है और दुश्मन से बच निकलता है।

स्टारफिश – हर हाथ पर होती है एक आंख

समंदर में मिलने वाली स्टारफिश अपनी खूबसूरती और आकृति के लिए तो जानी जाती है, लेकिन इसकी आंखों का सिस्टम और भी दिलचस्प है। स्टारफिश के हर हाथ के सिरे पर एक आंख होती है। यानी अगर उसके पाँच हाथ हैं, तो उसकी पाँच आंखें भी होंगी।
इन आंखों से वह इंसानों की तरह साफ नहीं देख सकती, लेकिन रोशनी और अंधेरे में फर्क जरूर समझ सकती है। इससे उसे दिशा का पता चलता है और अपने आसपास के माहौल में नेविगेट करने में आसानी होती है।

दो से ज्यादा आंखें क्यों होती हैं?

अब सवाल ये उठता है कि आखिर इन जीवों को इतनी सारी आंखों की जरूरत क्यों पड़ती है? असल में, इनके रहने का वातावरण और जीवनशैली इसके पीछे की वजह है।
जिन जीवों को शिकार पकड़ना या खुद को बचाना होता है, उनके लिए चारों तरफ नजर रखना बेहद जरूरी है। मकड़ी हो या केकड़ा दोनों ही अपने पर्यावरण में हर पल सतर्क रहने के लिए बनी हैं। यही वजह है कि प्रकृति ने उन्हें अतिरिक्त आंखों से नवाज़ा है।

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WhatsApp New Feature: अब बिना मोबाइल नंबर के भी कर सकेंगे चैट, व्हाट्सएप ला रहा है यू...

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WhatsApp New Feature: व्हाट्सएप अपने यूजर्स के लिए एक बड़ा बदलाव लाने की तैयारी में है। अब जल्द ही आपको हर किसी के साथ चैट करने के लिए अपना मोबाइल नंबर शेयर करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। कंपनी एक ऐसा फीचर लेकर आ रही है, जिससे आप सिर्फ यूजरनेम के जरिए भी किसी से बात कर सकेंगे।
फिलहाल यह फीचर व्हाट्सएप के एंड्रॉयड बीटा वर्जन में टेस्टिंग के दौर में है, लेकिन उम्मीद की जा रही है कि आने वाले महीनों में इसे सभी यूजर्स के लिए रोलआउट कर दिया जाएगा।

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अब तक मोबाइल नंबर था जरूरी- WhatsApp New Feature

जब से व्हाट्सएप ने साल 2009 में अपनी शुरुआत की, तब से हर यूजर को अकाउंट बनाने और चैट करने के लिए मोबाइल नंबर देना अनिवार्य था। यानी अगर आपको किसी से बात करनी है, तो पहले उसे अपना नंबर देना पड़ता था।
लेकिन कई बार ऐसा होता है कि यूजर्स किसी अनजान व्यक्ति या ग्रुप में चैट करते समय अपना नंबर शेयर नहीं करना चाहते। इसी प्राइवेसी की जरूरत को देखते हुए मेटा ने अब यूजरनेम फीचर पर काम शुरू किया है, ताकि यूजर्स अपनी पहचान सुरक्षित रखते हुए बातचीत कर सकें।

टेलीग्राम जैसा अनुभव देगा नया फीचर

रिपोर्ट के मुताबिक, नया फीचर कुछ हद तक टेलीग्राम की तरह काम करेगा। यूजर्स अपने मोबाइल नंबर की जगह एक यूजरनेम बनाकर लॉगिन कर सकेंगे और उसी नाम से चैट शुरू कर पाएंगे।
टेक वेबसाइट WABetaInfo ने खुलासा किया है कि व्हाट्सएप ने इसे अपने बीटा वर्जन में टेस्ट करना शुरू कर दिया है। फिलहाल बीटा यूजर्स सिर्फ अपना यूजरनेम रिजर्व या लॉक कर सकते हैं, लेकिन उससे मैसेजिंग की सुविधा अभी सक्रिय नहीं की गई है।

ऐसे बनाना होगा यूजरनेम – कंपनी ने रखे सख्त नियम

व्हाट्सएप ने सिक्योरिटी और फेक अकाउंट्स की दिक्कतों से बचने के लिए यूजरनेम बनाने के कुछ खास नियम तय किए हैं:

  • यूजरनेम में कम से कम एक अक्षर होना जरूरी होगा।
  • नाम की लंबाई 3 से 30 कैरेक्टर के बीच रखी जाएगी।
  • केवल लोअरकेस अक्षर (a-z), नंबर (0-9), पीरियड (.) और अंडरस्कोर (_)‌ का इस्तेमाल किया जा सकेगा।
  • शुरुआत या अंत में पीरियड नहीं होगा और लगातार दो पीरियड भी नहीं लगाए जा सकेंगे।
  • “**www.**” से शुरू होने वाले या “.com” जैसे डोमेन नामों की अनुमति नहीं होगी।
  • और सबसे अहम बात — डुप्लिकेट यूजरनेम नहीं होंगे। यानी जो नाम किसी के पास पहले से है, उसे दोबारा कोई नहीं चुन सकेगा।

इन नियमों का मकसद है यूजर्स को स्कैम, फेक प्रोफाइल्स और पहचान की चोरी जैसी दिक्कतों से बचाना।

अभी टेस्टिंग फेज में है फीचर

कंपनी फिलहाल इस फीचर को सीमित यूजर्स के बीच टेस्टिंग फेज में चला रही है। इसकी मदद से डेवलपर्स यह जांच रहे हैं कि कहीं प्राइवेसी, सिक्योरिटी या तकनीकी दिक्कतें तो नहीं आ रहीं। जब सब कुछ स्थिर हो जाएगा, तभी इसे सार्वजनिक तौर पर जारी किया जाएगा।

कब मिलेगा नया फीचर?

व्हाट्सएप की ओर से इसकी लॉन्च डेट की अभी आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है। लेकिन टेक विशेषज्ञों का मानना है कि अगर बीटा टेस्टिंग सफल रही, तो आने वाले कुछ महीनों में यह फीचर सभी यूजर्स के लिए उपलब्ध करा दिया जाएगा।

इसके आने से यूजर्स को अपनी प्राइवेसी पर और ज्यादा नियंत्रण मिलेगा और व्हाट्सएप का अनुभव पहले से कहीं ज्यादा सुरक्षित और सुविधाजनक बन जाएगा।
अब यूजर्स न केवल नंबर छिपाकर चैट कर पाएंगे, बल्कि अपनी पहचान को लेकर भी बेफिक्र रहेंगे — यानी व्हाट्सएप पर बातचीत और भी ज्यादा प्राइवेट और पर्सनल हो जाएगी।

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Amitabh Bachchan Coolie Incident: ‘कुली’ हादसे का किस्सा सुनाकर भावुक हुए अमिताभ बच्च...

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Amitabh Bachchan Coolie Incident: बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन अक्सर अपने जीवन के अनुभवों को बड़े ही सादगी भरे अंदाज में साझा करते हैं। हाल ही में ‘कौन बनेगा करोड़पति’ के मंच पर उन्होंने ऐसा ही एक पुराना और भावनात्मक किस्सा सुनाया, जिसने वहां मौजूद हर शख्स का दिल छू लिया। ये घटना साल 1982 की है, जब फिल्म ‘कुली’ की शूटिंग के दौरान एक भयानक हादसे में अमिताभ गंभीर रूप से घायल हो गए थे।

उन्होंने बताया कि फिल्म के एक एक्शन सीन के दौरान उनके सह-कलाकार पुनीत इस्सर के साथ फाइट सीक्वेंस शूट हो रहा था। सीन में एक पंच ऐसा लगा जो वास्तविक हो गया और सीधे उनके पेट पर जा लगा। चोट इतनी गहरी थी कि उन्हें तुरंत बेंगलुरु के अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। कई दिनों तक उनकी हालत बेहद नाजुक रही, यहां तक कि डॉक्टरों को भी उनकी जान बचाने की उम्मीद बहुत कम थी।

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डॉ. राजकुमार ने की थी अमिताभ के लिए विशेष पूजा- Amitabh Bachchan Coolie Incident

अमिताभ बच्चन ने इस बातचीत में बताया कि जब उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया, तो पूरे देश में उनके लिए दुआएं मांगी जा रही थीं। उनके फैंस मंदिरों और गुरुद्वारों में प्रार्थना कर रहे थे, वहीं कन्नड़ सिनेमा के दिग्गज सुपरस्टार डॉ. राजकुमार ने भी उनके लिए एक खास मन्नत मांगी थी।

बिग बी ने बताया कि डॉ. राजकुमार न सिर्फ एक महान कलाकार थे, बल्कि बेहद विनम्र और आध्यात्मिक इंसान भी थे। जब उन्हें पता चला कि अमिताभ की हालत गंभीर है, तो वे अपने प्रिय मंदिर पहुंचे और वहां उन्होंने एक कठिन ‘शरीर लेटाकर परिक्रमा करने वाली पूजा’ की। इस पूजा की परंपरा में व्यक्ति गीले कपड़े जमीन पर बिछाकर लेट जाता है और पूरे मंदिर की परिक्रमा इसी तरह करता है।

अमिताभ ने कहा कि यह सुनकर वे आज भी भावुक हो जाते हैं कि किसी इंसान ने उनके लिए इतनी सच्ची भावना से प्रार्थना की थी। उन्होंने बताया, “डॉ. राजकुमार ने जो मेरे लिए किया, उसे मैं कभी भूल नहीं सकता। शायद उनकी उस मन्नत की वजह से ही आज मैं जिंदा हूं।”

 आज भी कायम है दोनों परिवारों का रिश्ता

बिग बी ने यह भी बताया कि डॉ. राजकुमार के परिवार से उनका रिश्ता आज भी उतना ही गहरा है जितना उस दौर में था। 2006 में डॉ. राजकुमार का निधन हो गया, जबकि उनके बेटे पुनीत राजकुमार ने भी 2021 में दुनिया को अलविदा कह दिया। अमिताभ ने कहा कि वे अक्सर शिवराजकुमार और पुनीत को याद करते हैं और उन्हें परिवार की तरह मानते हैं।

उन्होंने कहा, “राजकुमार जी के परिवार ने हमेशा मुझे अपना माना है। उनके घर की गर्मजोशी और सादगी आज भी वैसी ही है। मुझे लगता है कि उनका आशीर्वाद हमेशा मेरे साथ है।”

 “उनका आशीर्वाद हमेशा मेरे साथ रहेगा”

अमिताभ बच्चन ने अंत में कहा कि राजकुमार जी का आशीर्वाद सदैव मेरे साथ है और वे सदैव उनके आभारी रहेंगे।

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