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Kharge Attack On PM Modi: कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने मोदी सरकार की विदेश न...

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Kharge Attack On PM Modi: कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विदेश नीति को लेकर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी की 72 देशों की 151 विदेश यात्राओं, जिनमें 10 बार अमेरिका के दौरे भी शामिल हैं, के बावजूद भारत के वैश्विक मंच पर अलग-थलग पड़ने का आरोप लगाया। खरगे ने कहा कि मोदी सरकार की विदेश नीति केवल दिखावटी है और इसमें कूटनीतिक सफलता का अभाव है।

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विदेश यात्राओं पर सवाल– Kharge Attack On PM Modi

खरगे ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व ट्विटर) पर लिखा, “प्रधानमंत्री मोदी पिछले 11 वर्षों से लगातार विदेश दौरे कर रहे हैं, लेकिन हमारा देश अब अकेला पड़ गया है। 151 यात्राओं के बावजूद भारत वैश्विक मंच पर कमजोर नजर आ रहा है। क्या प्रधानमंत्री का काम केवल विदेश यात्राएं करना और फोटो खिंचवाना है?” उनका यह बयान मोदी सरकार की विदेश नीति पर गहरी असंतोष को दर्शाता है।

Kharge Attack On PM Modi
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भारत के घटते वैश्विक प्रभाव पर चिंता

खरगे ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) द्वारा पाकिस्तान को 1.4 अरब डॉलर का ऋण देने और आतंकवाद विरोधी अभियानों के बीच अचानक युद्ध विराम की घोषणा को भारत के घटते प्रभाव का संकेत बताया। उन्होंने कहा, “जब हमारी बहादुर सेना आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई कर रही थी, तब युद्ध विराम की घोषणा की गई, जो भारत की कूटनीति की कमजोरी को दर्शाता है।”

अमेरिकी राष्ट्रपति के बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया

खरगे ने अमेरिकी राष्ट्रपति के उस बयान की भी कड़ी आलोचना की जिसमें उन्होंने दावा किया कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच लगभग सात बार संघर्ष विराम करवाया है। कांग्रेस अध्यक्ष ने इसे देश के अपमान के रूप में बताया। उन्होंने कहा, “पूरा देश आतंकवादियों के खिलाफ एकजुट था, लेकिन मोदी सरकार इस मामले पर देश को स्पष्ट जानकारी नहीं दे रही है और इसे छुपाने की कोशिश कर रही है।”

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कांग्रेस का मोदी सरकार पर हमला

मल्लिकार्जुन खरगे के इस बयान से साफ है कि कांग्रेस मोदी सरकार की विदेश नीति से पूरी तरह असंतुष्ट है। पार्टी का मानना है कि प्रधानमंत्री के विदेश दौरे केवल दिखावटी हैं और भारत की कूटनीतिक स्थिति को मजबूत करने में विफल रहे हैं। इसके अलावा, पड़ोसी देशों के साथ संबंधों में आई खटास और भारत के घटते वैश्विक प्रभाव ने सरकार की विदेश नीति की कमज़ोरी को उजागर किया है।

मल्लिकार्जुन खरगे की आलोचना ने मोदी सरकार की विदेश नीति पर नई बहस छेड़ दी है। जहां मोदी सरकार विदेश यात्राओं को अपनी उपलब्धि मानती है, वहीं कांग्रेस का कहना है कि ये यात्राएं केवल दिखावा हैं और भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि को सुधारने में नाकाम रही हैं।

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Golden Dome for America: ‘गोल्डन डोम’ क्या है? अमेरिका को क्यों जरूरी है यह मिसाइल रक...

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Golden Dome for America: अमेरिका ने मिसाइल सुरक्षा के क्षेत्र में एक नया युग शुरू करने का एलान किया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ‘गोल्डन डोम’ नामक अत्याधुनिक मिसाइल डिफेंस सिस्टम परियोजना की घोषणा की है, जिसकी अनुमानित लागत लगभग 175 बिलियन डॉलर बताई जा रही है। यह परियोजना अमेरिका की रक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है, जिसका उद्देश्य देश को हवाई हमलों और बैलिस्टिक मिसाइलों से पूरी तरह सुरक्षित बनाना है।

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गोल्डन डोम सिस्टम क्या है? (Golden Dome for America)

गोल्डन डोम एक अत्याधुनिक और प्रस्तावित मिसाइल डिफेंस नेटवर्क है, जिसे विशेष रूप से बैलिस्टिक मिसाइलों, ड्रोन और अन्य हवाई हमलों को रोकने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसे इस तरह विकसित किया जाएगा कि यह अमेरिका के चारों ओर एक अदृश्य सुरक्षा कवच बनाकर दुश्मनों के हमलों को भेदने नहीं देगा। तकनीकी तौर पर यह सिस्टम अंतरिक्ष आधारित सेंसर, लॉन्ग-रेंज रडार, ग्राउंड-बेस्ड मिडकोर्स डिफेंस (GMD) और स्पेस-बेस्ड इन्फ्रारेड सिस्टम (SBIRS) जैसे अत्याधुनिक उपकरणों से लैस होगा।

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परियोजना की समयसीमा और महत्व

राष्ट्रपति ट्रंप ने स्पष्ट किया है कि उनका लक्ष्य है कि यह सिस्टम उनके कार्यकाल समाप्त होने से पहले यानी 2029 तक पूरी तरह से चालू हो जाए। उन्होंने कहा कि इस प्रोजेक्ट की शुरुआत से ही यह उम्मीद जताई जा रही है कि यह सिस्टम अमेरिका को बाहरी मिसाइल हमलों से एक नई सुरक्षा देगा। ट्रंप ने यह भी कहा कि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन ने भी इस तरह का सिस्टम बनाना चाहा था, लेकिन उस समय तकनीकी सीमाओं के कारण यह संभव नहीं हो पाया था। आज की तकनीक और संसाधनों की मदद से यह सपना साकार होने जा रहा है।

गोल्डन डोम का कार्यप्रणाली

गोल्डन डोम एक जटिल नेटवर्क होगा, जो सैटेलाइट्स के एक बड़े समूह द्वारा संचालित होगा। ये सैटेलाइट्स आसमान में उठने वाली हर खतरे की पहचान करेंगे, उनकी गति और दिशा को ट्रैक करेंगे और तुरंत कमांड पोस्ट को अलर्ट भेजेंगे। इसके बाद इंटरसेप्टर मिसाइलें लॉन्च की जाएंगी जो हवा में ही दुश्मन की मिसाइलों को नष्ट कर देंगी। इस प्रणाली में हाइपरसोनिक, सुपरसोनिक और एडवांस क्रूज मिसाइलों को भी निशाना बनाया जाएगा। खास बात यह है कि इस प्रणाली के विकास के लिए एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स को महत्वपूर्ण ठेका दिया गया है।

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अंतरिक्ष आधारित सेंसर और तकनीक की भूमिका

गोल्डन डोम सिस्टम अंतरिक्ष से मिसाइल हमलों की निगरानी करने में सक्षम होगा। अंतरिक्ष में लगे सेंसर दुश्मन की मिसाइलों की पहचान कर उनकी रीयल टाइम ट्रैकिंग करेंगे। सेंसर मिसाइल की गति, दिशा और खतरे के स्तर को भांपने का काम करेंगे, जिससे कमांड सेंटर को तेजी से सही निर्णय लेने में मदद मिलेगी। इसके बाद लॉन्चर को सिग्नल भेजकर इंटरसेप्टर मिसाइलें दागी जाएंगी, जो आसमान में दुश्मन की मिसाइलों को नष्ट कर देंगी।

गोल्डन डोम की जरूरत क्यों?

दुनिया भर में बढ़ते तनाव और सैन्य संघर्ष के बीच मिसाइल हमलों का खतरा भी लगातार बढ़ रहा है। अमेरिका के करीबी सहयोगी इजरायल ने हाल के वर्षों में कई बार हमास और तेहरान पर हवाई हमले किए हैं, वहीं हूती विद्रोहियों के हमले भी चिंता का विषय हैं। मौजूदा मिसाइल डिफेंस सिस्टम पर्याप्त प्रभावी नहीं हैं, इसीलिए ट्रंप का मानना है कि गोल्डन डोम जैसी उच्च तकनीक वाली प्रणाली की जरूरत है जो हर तरह की मिसाइलों को हवा में ही खत्म कर दे। यह अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा ढांचे को मजबूती प्रदान करेगा और दुश्मनों के मंसूबों को विफल कर देगा।

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Sikhism in Scotland: स्कॉटलैंड में सिख धर्म की यात्रा, 1855 में महाराजा दलीप सिंह से ...

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Sikhism in Scotland: स्कॉटलैंड में सिख धर्म का इतिहास एक सदी से भी अधिक पुराना है। सिखों ने स्कॉटलैंड में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई थी और धीरे-धीरे वे इस देश के सामाजिक और सांस्कृतिक परिदृश्य का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गए हैं। सिखों की स्कॉटलैंड में पहली दस्तावेजीकृत उपस्थिति महाराजा दलीप सिंह के रूप में 1855 में हुई थी, जब वे पर्थशायर में बसे थे। इसके बाद, 1920 के दशक में बठ/भटरा समुदाय के प्रमुख सिखों ने ग्लासगो और एडिनबर्ग में अपने घर बसाए थे। हालांकि, स्कॉटलैंड में सिखों की बड़ी संख्या उन परिवारों से आती है जो 20वीं सदी के अंत में यहां आकर बसे।

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इतिहास की शुरुआत: महाराजा दलीप सिंह का योगदान- Sikhism in Scotland

1855 में महाराजा दलीप सिंह के स्कॉटलैंड में आने के साथ ही सिखों की उपस्थिति की शुरुआत हुई। महाराजा दलीप सिंह ने पर्थशायर के ग्रैंडटुली एस्टेट में निवास किया, और यही उनके जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बना। उनका यहां आना न केवल सिखों के इतिहास में महत्वपूर्ण घटना थी, बल्कि इसने स्कॉटलैंड और भारत के बीच सांस्कृतिक और धार्मिक संबंधों को भी मजबूत किया।

1920 के दशक में सिखों का स्थायी बसना

1920 के दशक में सिखों की दूसरी लहर स्कॉटलैंड में आई, जब बठ/भटरा समुदाय के प्रमुख सिखों ने ग्लासगो और एडिनबर्ग में अपने कदम जमाए। इस दौरान, सिखों ने अपने धर्म को बढ़ावा देने के लिए कई गुरुद्वारों की स्थापना की। ग्लासगो में दक्षिण पोर्टलैंड स्ट्रीट में पहला गुरुद्वारा स्थापित हुआ था, जो स्कॉटलैंड में सिख धर्म का एक प्रमुख केंद्र बना।

20वीं सदी के अंत में सिखों की बढ़ती संख्या

स्कॉटलैंड में सिखों की सबसे बड़ी संख्या उन परिवारों से आती है जिन्होंने 20वीं सदी के अंत में इस देश में आव्रजन किया। इन परिवारों ने यहाँ अपनी जीवनशैली को अपनाया और सिख धर्म के सिद्धांतों को फैलाने का काम किया। 2022 में हुए जनगणना के अनुसार, स्कॉटलैंड की कुल जनसंख्या का लगभग 0.2% (10,988 लोग) सिख धर्म को मानते हैं।

स्कॉटलैंड में प्रमुख गुरुद्वारे

स्कॉटलैंड में सात प्रमुख गुरुद्वारे हैं, जो सिख धर्म के अनुयायियों के लिए धार्मिक और सामाजिक केंद्र हैं। इनमें से चार गुरुद्वारे ग्लासगो में स्थित हैं, एक एडिनबर्ग में, एक डंडी में और एक इर्विन में स्थित है। इन गुरुद्वारों में सिखों द्वारा की जाने वाली पूजा अर्चना और अन्य धार्मिक गतिविधियाँ होती हैं। इसके अलावा, अब्बरडीन में एक और गुरुद्वारा खोलने की योजना बनाई जा रही है।

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स्कॉटलैंड में गुरुद्वारे

  • गुरु नानक गुरुद्वारा, डंडी
  • गुरु नानक गुरुद्वारा, एडिनबर्ग
  • गुरु नानक गुरुद्वारा, ग्लासगो (वेस्ट एंड)
  • सेंट्रल गुरुद्वारा सिंह सभा, ग्लासगो (सेंट्रल)
  • श्री गुरु तेग बहादुर गुरुद्वारा, ग्लासगो (दक्षिण की ओर)
  • गुरुद्वारा गुरु ग्रंथ साहिब सिख सभा, ग्लासगो (दक्षिण की ओर)
  • गुरु नानक गुरुद्वारा इरविन, इरविन

स्कॉटिश सिखों की सांस्कृतिक पहचान

स्कॉटलैंड के सिख समुदाय का एक विशिष्ट सांस्कृतिक पहचान है। यहां के सिख अपनी पारंपरिक पोशाक, जैसे कि किल्ट्स और टैर्टन पहनने के लिए प्रसिद्ध हैं। स्कॉटिश सिखों का खुद का टैर्टन भी है, जिसे वे अपनी सांस्कृतिक विरासत और धार्मिक पहचान को दर्शाने के लिए पहनते हैं।

प्रमुख सिख व्यक्तित्व

स्कॉटलैंड में सिख समुदाय के कई प्रमुख व्यक्तित्व हैं जिन्होंने अपने क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इनमें से कुछ प्रसिद्ध नामों में पाम गोसल हैं, जो पश्चिमी स्कॉटलैंड से स्कॉटिश संसद की सदस्य हैं, हर्दीप सिंह कोहली जो अभिनेता, हास्य कलाकार और प्रस्तुतकर्ता हैं, संजेव कोहली, जो एक और प्रसिद्ध अभिनेता और प्रस्तुतकर्ता हैं। इसके अलावा, टाइगरस्टाइल बंधु, जो संगीत बैंड के सदस्य हैं, टोनी सिंह, जो एक प्रसिद्ध शेफ हैं, और जगतार सिंह जोहल, जो एक सिख कार्यकर्ता हैं, शामिल हैं।

सिखों की बढ़ती उपस्थिति और भविष्य

स्कॉटलैंड में सिख धर्म और सिख समुदाय का भविष्य उज्जवल दिखाई देता है। यह समुदाय न केवल अपनी धार्मिक पहचान को बनाए रखे हुए है, बल्कि साथ ही अपने सामाजिक और सांस्कृतिक योगदान से भी समाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। आने वाले वर्षों में यह समुदाय और भी अधिक प्रभावी हो सकता है, खासकर जब सिखों के बीच आपसी सहयोग और परंपराओं के प्रचार-प्रसार के प्रयास बढ़ेंगे।

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Romancham remake Kapkapiii: महज 3 करोड़ में बनी इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर मचाया धमाल,...

Romancham remake Kapkapiii: फिल्म इंडस्ट्री में बड़े बजट की फिल्मों का चलन आम हो चुका है, जहां फिल्में सौ करोड़ से लेकर पांच सौ करोड़ रुपये तक के बजट में बनती हैं। लेकिन इस दौर में एक ऐसी फिल्म ने तहलका मचाया, जिसका बजट सिंगल डिजिट में था और इसने बॉक्स ऑफिस पर बजट का कई गुना कमाई की। हम बात कर रहे हैं मलयालम फिल्म इंडस्ट्री की, जो अपने अनोखे विषयों और बेहतरीन फिल्म निर्माण के लिए पहचानी जाती है। 2023 में मलयालम फिल्म इंडस्ट्री ने हॉरर और कॉमेडी का शानदार मिश्रण पेश किया और फिल्म ने बड़ी फिल्म्स की तगड़ी टक्कर दी।

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यह फिल्म थी रोमांचम, जो 3 फरवरी 2023 को रिलीज हुई। महज 3 करोड़ रुपये के बजट में बनी इस फिल्म ने वर्ल्डवाइड 70 करोड़ रुपये का कलेक्शन किया, जिससे यह एक ऑल-टाइम ब्लॉकबस्टर साबित हुई। फिल्म के निर्देशक जीतू माधवन ने पहली बार निर्देशन में कदम रखा था और इस फिल्म ने उनका निर्देशन सफल साबित किया। फिल्म में कलाकारों ने शानदार अभिनय किया, जिनमें सौबिन शाहिर, अर्जुन अशोकन, स्नेहा मैथ्यू, सीजू सनी, सजिन गोपू और आदित्य भास्कर शामिल थे।

रोमांचम की अनोखी कहानी- Romancham remake Kapkapiii

रोमांचम की कहानी एक ओइजा बोर्ड गेम के इर्द-गिर्द घूमती है, जिसमें सात दोस्त एक आत्मा को बुलाते हैं। यह ओइजा बोर्ड गेम के माध्यम से खेली जाने वाली एक घातक चुनौती है, जो धीरे-धीरे डरावने और हास्यपूर्ण मोड़ लेती है। इस फिल्म का अनोखा मिश्रण दर्शकों को एक साथ हंसी और डर दोनों का अनुभव कराता है। फिल्म की कहानी के साथ-साथ इसका निर्देशन और अभिनय भी इतने शानदार थे कि यह बॉक्स ऑफिस पर धमाल मचाने में सफल रही।

रोमांचम की सफलता और प्रभाव

रोमांचम की सफलता ने यह साबित किया कि बड़े बजट और स्टारकास्ट के बिना भी दमदार कहानी और बेहतरीन निर्देशन दर्शकों को खींच सकते हैं। फिल्म ने यह संदेश दिया कि फिल्म इंडस्ट्री में केवल बड़ी रकम और बड़े नाम ही सफलता की गारंटी नहीं होते, बल्कि सही कंटेंट और अच्छे अभिनय से भी दर्शकों का दिल जीता जा सकता है। इस फिल्म की सफलता ने मलयालम फिल्म इंडस्ट्री को एक और पहचान दिलाई, जिससे यह साबित हुआ कि छोटी बजट वाली फिल्मों का भी बॉक्स ऑफिस पर जबरदस्त असर हो सकता है।

‘कंपकंपी’ का बॉलीवुड रीमेक

रोमांचम की अपार सफलता के बाद, इस फिल्म का बॉलीवुड में रीमेक बनाने का निर्णय लिया गया। बॉलीवुड में इसे कंपकंपी के नाम से पेश किया गया है। फिल्म की कहानी वही रहने वाली है, जिसमें ओइजा बोर्ड गेम के इर्द-गिर्द घूमती एक आत्मा की कहानी दर्शाई जाएगी, जिसमें हास्य और डर का मिश्रण होगा। इस रीमेक का निर्देशन भी रोमांचम के निर्देशक जीतू माधवन द्वारा किया गया है, जो मलयालम फिल्म के जैसी ही मास्टरपीस देने की कोशिश करेंगे।


बॉलीवुड में इस फिल्म को बड़े बजट और स्टार कास्ट के साथ पेश किया जाएगा, जो कि दर्शकों के लिए एक नया अनुभव हो सकता है। फिल्म का ट्रेलर भी हाल ही में रिलीज हुआ है, और दर्शकों ने इसके टीज़र को काफी सराहा है। अब देखना होगा कि यह बॉलीवुड रीमेक अपनी मलयालम मूल फिल्म के जितनी सफलता हासिल कर पाएगा या नहीं।

फिल्म इंडस्ट्री में बदलाव की आहट

रोमांचम की सफलता ने फिल्म इंडस्ट्री में एक नए बदलाव की आहट दी है। अब फिल्म निर्माताओं का ध्यान केवल बड़े बजट और बड़े स्टार कास्ट पर नहीं बल्कि कंटेंट और कहानी पर भी अधिक ध्यान दिया जाने लगा है। फिल्म ने यह साबित किया कि यदि कहानी दमदार हो, तो वह दर्शकों को आकर्षित करने के लिए काफी होती है। फिल्म इंडस्ट्री में इस बदलाव से भविष्य में और भी छोटी बजट वाली फिल्मों की उम्मीदें जाग सकती हैं, जो दर्शकों के दिलों में अपनी खास जगह बना सकेंगी।

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Famous Lord Shiva Temples: सावन महीने में दर्शन के लिए प्रमुख शिव मंदिर, दर्शन के लिए...

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Famous Lord Shiva Temples: सावन का महीना हिंदू धर्म में भगवान शिव की आराधना का सबसे पावन और शुभ समय माना जाता है। इस दौरान पूरे देश से लाखों श्रद्धालु शिव मंदिरों में जाकर पूजा-अर्चना और दर्शन के लिए आते हैं। सावन में विशेष उत्साह और आस्था के साथ भगवान शिव के मंदिरों का भ्रमण किया जाता है। इस मौके पर कुछ प्रमुख मंदिरों की भव्यता और श्रद्धालुओं की भीड़ देखते ही बनती है। आइए जानते हैं सावन के महीने में सबसे ज्यादा दर्शन किए जाने वाले कुछ प्रमुख शिव मंदिरों के बारे में।

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कैलाश मंदिर, एलोरा (महाराष्ट्र) – Famous Lord Shiva Temples

महाराष्ट्र के एलोरा में स्थित कैलाश मंदिर वास्तुकला और धार्मिक महत्व की दृष्टि से अत्यंत प्रसिद्ध है। यह मंदिर आठवीं शताब्दी में निर्मित हुआ था और इसे भारत के सबसे अद्भुत मंदिरों में गिना जाता है। सावन के दौरान यहां देश-विदेश से भक्तगण बाबा के दर्शन करने के लिए आते हैं। इसकी विशाल पत्थर की खुदाई और नक्काशी इसे अनूठा बनाती है।

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ओंकारेश्वर मंदिर, मध्य प्रदेश

ओंकारेश्वर मंदिर शिवपुरी के एक छोटे द्वीप पर बना हुआ है, जिसका आकार ‘ओम’ के प्रतीक जैसा है। यह मंदिर बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है, जो इसे अत्यंत पवित्र स्थान बनाता है। सावन के महीनों में यहां भक्तों की भारी भीड़ होती है, जो दूर-दूर से शिवभक्ति के लिए आते हैं।

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मुरुदेश्वर मंदिर, कर्नाटक

उत्तरी कर्नाटक में मुरुदेश्वर मंदिर भगवान शिव की दूसरी सबसे ऊंची मूर्ति के लिए जाना जाता है। यह मंदिर अपनी भव्यता और विशाल शिवलिंग के कारण भक्तों के बीच अत्यंत लोकप्रिय है। सावन के महीने में यहां दर्शन के लिए श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है।

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लिंगराज मंदिर, ओडिशा

भुवनेश्वर में स्थित लिंगराज मंदिर राज्य का सबसे बड़ा शिव मंदिर है। भगवान शिव को समर्पित यह मंदिर न केवल स्थापत्य कला में अद्भुत है, बल्कि धार्मिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। सावन के दौरान यहां विशेष पूजा और उत्सव आयोजित किए जाते हैं।

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त्र्यम्बकेश्वर मंदिर, महाराष्ट्र

महाराष्ट्र का त्र्यम्बकेश्वर मंदिर अपनी विशिष्टता के लिए प्रसिद्ध है क्योंकि इसके तीन मुख भगवान शिव, विष्णु और ब्रह्मा को दर्शाते हैं। सावन के महीने में इस मंदिर में विशेष पूजा पाठ के साथ भव्य धार्मिक आयोजन होते हैं, जहां भक्तगण बड़ी संख्या में भाग लेते हैं।

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सोमनाथ मंदिर, गुजरात

गुजरात में स्थित सोमनाथ मंदिर प्राचीन और प्रसिद्ध शिव मंदिरों में से एक है। यह मंदिर सावन के दौरान सुबह चार बजे से ही खुल जाता है और रात दस बजे तक भक्तों के लिए खुला रहता है। यहाँ की भव्य आराधना और महाप्रसाद के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं।

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काशी विश्वनाथ मंदिर, वाराणसी (उत्तर प्रदेश)

वाराणसी के घाटों पर स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर भगवान शिव का एक अत्यंत पवित्र मंदिर है। इसका इतिहास लगभग 3500 साल पुराना माना जाता है। सावन के हर सोमवार इस मंदिर को विशेष सजावट और विधि-विधान के साथ सजाया जाता है। इस समय यहां लाखों श्रद्धालु दर्शन और पूजा करने आते हैं।

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Dreams and Vedic texts: वेद, पुराण और उपनिषदों में सपनों का गूढ़ महत्व, जानें आध्यात्...

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Dreams and Vedic texts: प्राचीन भारतीय ग्रंथों में सपनों को केवल नींद के दौरान दिखने वाली छवियों से अधिक माना गया है। वेद, पुराण और उपनिषदों में सपनों को तीन अवस्थाओं—जागृत, स्वप्न और सुषुप्ति—के माध्यम से समझाया गया है। इन ग्रंथों के अनुसार, सपने परमात्मा की माया का एक रूप हैं, जिनमें प्राणी के कर्मों का फल प्रकट होता है। सपनों का महत्व न केवल आध्यात्मिक है बल्कि कई बार भविष्य की जानकारी देने वाले भी होते हैं।

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सपनों की विभिन्न अवस्थाएं और उनका अर्थ- Dreams and Vedic texts

प्राचीन ग्रंथों में बताया गया है कि सपने तीन प्रकार के होते हैं: जागृत अवस्था, स्वप्न अवस्था, और सुषुप्ति अवस्था। ये सपने परमात्मा द्वारा प्राणी को उसके कर्मों के आधार पर दिए जाते हैं। वेदों के अनुसार, कुछ सपने भविष्यवाणी करने वाले होते हैं जबकि अग्नि-पुराण में सपनों के अर्थों का विस्तृत वर्णन मिलता है। गरुड़ पुराण के अनुसार, मृत आत्माएं भी सपनों के माध्यम से संदेश भेजती हैं। यदि सपनों में हम वीरता दिखाते हैं तो वह हमारे जीवन में सफलता का संकेत होता है, और यदि निष्क्रिय रहते हैं तो यह अशुभ फल की चेतावनी है।

saint dream
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उपनिषदों में सपनों को लेकर दो मत प्रचलित हैं। एक मत यह कहता है कि सपने हमारे मन की इच्छाओं का प्रतिबिंब होते हैं, जबकि दूसरा मानता है कि हमारी आत्मा स्वप्न अवस्था में शरीर से बाहर निकलकर यात्रा करती है और मार्गदर्शन प्राप्त करती है।

अर्थहीन सपनों के कारण

जब मन तनाव, चिंता, अत्यधिक भोजन या प्राकृतिक आवेगों से प्रभावित होता है, तब देखने वाले सपने ज्यादातर अर्थहीन होते हैं। आयुर्वेद के अनुसार शरीर में वात, पित्त और कफ दोष के असंतुलन से भी सपनों का स्वरूप प्रभावित होता है। उदाहरण के तौर पर, वात दोष असंतुलन से उड़ने या गिरने जैसे सपने आते हैं, पित्त दोष से आग जलने या लाल रंग की वस्तुएं देखने के सपने और कफ दोष से जलाशयों या बगीचों में घूमने के सपने आते हैं।

दिव्य और पूर्वाभास वाले सपने

कुछ सपने बार-बार देखने या वास्तविक जीवन में घटित होने के कारण विशेष माने जाते हैं। ऐसे सपनों का अनुभव उन लोगों को होता है जिनमें अतिइंद्रिय शक्ति या संवेदनशीलता अधिक होती है। ज्योतिष के अनुसार, जिनकी जन्मकुंडली में नवम भाव मजबूत होता है, उन्हें सपनों के जरिए पूर्वाभास प्राप्त हो सकता है। यह पूर्वाभास विशेषकर चंद्रमा और शनि की दशा में देखने को मिलता है।

Flying in Dreams
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सपनों की शुभता और अशुभता

भारतीय ग्रंथों में सपनों के फल को देखने के समय, तिथि और अवस्था के आधार पर वर्गीकृत किया गया है। उदाहरण के लिए, शुक्ल पक्ष की षष्ठी से दशमी तक देखे गए सपने शीघ्र फल देते हैं जबकि कृष्ण पक्ष की कुछ तिथियों पर देखे गए सपने विपरीत परिणाम देते हैं। साथ ही, रात के विभिन्न प्रहरों में देखे गए सपनों का फल भी अलग-अलग होता है, जैसे प्रथम प्रहर के सपने का फल एक वर्ष तक मिलता है और चौथे प्रहर के सपनों का फल अधिक सटीक होता है।

सपनों के प्रकार और ज्योतिषीय प्रभाव

सपनों को विभिन्न श्रेणियों में बांटा गया है जैसे दृष्ट (जागृत अवस्था का प्रतिबिंब), श्रुत (सुनी हुई बातें), अनुभूत (जाग्रत अनुभव), प्रार्थित (जाग्रत प्रार्थना), दोषजन्य (शारीरिक दोषों से उत्पन्न) और भाविक (भविष्य के संकेत)। ज्योतिष के अनुसार चंद्रमा ग्रह स्वप्नों का प्रमुख कारक है। चंद्रमा की स्थिति और उसकी युति अन्य ग्रहों से सपनों के प्रकार और उनके परिणामों को प्रभावित करती है। उदाहरण के लिए, चंद्रमा की राहु से युति से डरावने सपने आते हैं, जबकि शुक्र से युति से सुंदर और शुभ सपने देखने को मिलते हैं।

सपनों से सवालों के जवाब पाने की विधि

सपनों में प्रश्नों के उत्तर प्राप्त करने के लिए प्राचीन पद्धति के अनुसार शंकर मंदिर में पूजा-अर्चना करना लाभकारी माना जाता है। मंत्रों का जाप और सही विधि से पूजा करने के बाद सोना सपनों में समाधान और मार्गदर्शन प्राप्त करने में मदद करता है।

सपनों का इतिहास और वैज्ञानिक दृष्टिकोण

सपनों की व्याख्या और उनका महत्व विश्व के प्राचीन सभ्यताओं में भी पाया जाता है। मेसोपोटामिया, प्राचीन यहूदी, मिस्र और ग्रीस जैसे देशों में सपनों को दिव्य संदेश और भविष्यवाणी का स्रोत माना गया। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से सपने अवचेतन मन की अभिव्यक्ति होते हैं जो हमारी इच्छाओं और भावनाओं का दर्पण प्रस्तुत करते हैं।

डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। नेड्रिक न्यूज़ इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें।

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RBI Cancels HCBL Licence: RBI ने एचसीबीएल को-ऑपरेटिव बैंक का लाइसेंस किया रद्द, जमाकर...

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RBI Cancels HCBL Licence: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने लखनऊ के एचसीबीएल को-ऑपरेटिव बैंक का बैंकिंग लाइसेंस रद्द करने का फैसला किया है। यह इस साल के पहले पांच महीनों में दूसरी बार है जब केंद्रीय बैंक ने किसी बैंक का लाइसेंस रद्द किया है। आरबीआई ने यह कार्रवाई बैंक के पास पर्याप्त पूंजी और आय उत्पन्न करने की संभावना न होने को मुख्य कारण बताया है। इसके बाद से 19 मई 2025 से एचसीबीएल बैंक का संचालन बंद रहेगा और वह कोई भी बैंकिंग सेवा नहीं दे सकेगा।

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आरबीआई की सख्ती: नियमों का उल्लंघन और वित्तीय स्थिति- RBI Cancels HCBL Licence

आरबीआई ने स्पष्ट किया है कि एचसीबीएल को-ऑपरेटिव बैंक ने बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 के कई नियमों का पालन नहीं किया। बैंक की मौजूदा वित्तीय हालत इतनी खराब है कि वह अपने जमाकर्ताओं को उनकी पूरी जमा राशि वापस नहीं कर सकता। ऐसे में अगर बैंक को कारोबार जारी रखने की अनुमति दी गई, तो यह जनता के हितों के खिलाफ होगा और व्यापक आर्थिक नुकसान का कारण बन सकता है।

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केंद्रीय बैंक ने उत्तर प्रदेश के सहकारिता आयुक्त और रजिस्ट्रार को बैंक बंद करने तथा एक लिक्विडेटर नियुक्त करने के निर्देश दिए हैं, जो बैंक की संपत्ति का निपटान करेंगे। इसके बाद जमाकर्ताओं को डिपॉजिट इंश्योरेंस और क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (DICGC) से 5 लाख तक की जमा राशि का दावा करने का अधिकार होगा।

जमाकर्ताओं की सुरक्षा का इंतजाम

आरबीआई ने बताया है कि बैंक के लगभग 98.69% जमाकर्ता अपनी पूरी जमा राशि डीआईसीजीसी से प्राप्त कर सकेंगे। 31 जनवरी 2025 तक ही डीआईसीजीसी ने जमाकर्ताओं को 21.24 करोड़ का भुगतान कर दिया है। यह व्यवस्था ग्राहकों को आर्थिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए बनाई गई है ताकि बैंक बंद होने के बाद भी उन्हें नुकसान न हो।

हाल के समय में अन्य बैंकों का लाइसेंस रद्द

एचसीबीएल बैंक के बाद, पिछले महीने 16 अप्रैल 2025 को अहमदाबाद के कलर मर्चेंट्स को-ऑपरेटिव बैंक का भी आरबीआई ने लाइसेंस रद्द किया था। इस बैंक के बंद होने का कारण भी पूंजी की कमी और कमाई की संभावना न होना था।

इसके अलावा, वर्ष 2024 में भी दो बैंकों का लाइसेंस रद्द किया गया था। 12 नवंबर 2024 को विजयवाड़ा के दुर्गा को-ऑपरेटिव अर्बन बैंक और 4 जुलाई 2024 को बनारस मर्केंटाइल को-ऑपरेटिव बैंक का लाइसेंस रद्द हुआ था। इन सभी मामलों में बैंक की खराब वित्तीय स्थिति और नियमों का उल्लंघन प्रमुख कारण थे।

आरबीआई की कड़ी निगरानी और सख्त कदम

भारतीय रिजर्व बैंक समय-समय पर बैंकों की वित्तीय स्थिति, नियमों का पालन और ग्राहक हितों की सुरक्षा के लिए कड़े कदम उठाता रहता है। हाल ही में आरबीआई ने एसबीआई, पीएनबी जैसे बड़े बैंकों पर भी जुर्माना लगाया था। छोटे और को-ऑपरेटिव बैंक के मामले में आरबीआई का रुख और भी सख्त रहा है ताकि वित्तीय प्रणाली में विश्वास बना रहे।

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भविष्य में संभावित असर

एचसीबीएल बैंक के लाइसेंस रद्द होने से वहां के जमाकर्ताओं को तत्काल बैंकिंग सेवाओं से वंचित होना पड़ सकता है, लेकिन डीआईसीजीसी की सुरक्षा व्यवस्था से उन्हें आर्थिक नुकसान से बचाव होगा। वहीं, इस तरह की कार्रवाई से बैंकिंग क्षेत्र में वित्तीय अनुशासन और जवाबदेही बढ़ेगी।

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Jessica Mann Rape Case: 12 साल बाद खुला हॉलीवुड एक्ट्रेस जेसिका मान पर हुए दुष्कर्म क...

Jessica Mann Rape Case: हॉलीवुड की पूर्व प्रसिद्ध अभिनेत्री जेसिका मान (Jessica Mann) इस समय एक गंभीर विवाद के केंद्र में हैं। मामला 12 साल पहले न्यूयॉर्क के एक होटल के बंद कमरे में उनके साथ हुई दरिंदगी का है। हाल ही में इस मामले की सुनवाई न्यूयॉर्क की अदालत में हुई, जहां जेसिका ने अपनी कहानी खुलकर बताई और बताया कि कैसे ऑस्कर पुरस्कार विजेता हॉलीवुड फिल्म निर्माता हार्वे वेनस्टेन (Harvey Weinstein) ने उनके साथ यौन हिंसा की।

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कोर्ट में जेसिका मान की गवाही- Jessica Mann Rape Case

पिछले सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान 38 वर्षीय जेसिका मान भावुक हो गईं और अपनी पूरी कहानी जूरी के सामने रखी। उन्होंने बताया कि 2013 में मिडटाउन के एक होटल में हार्वे वेनस्टेन ने उनका यौन उत्पीड़न किया। यह घटना होटल के बंद कमरे में हुई जहां वेनस्टेन ने जेसिका के खिलाफ जबरदस्ती की कोशिश की। उनकी गवाही के अनुसार, उन्होंने इसका विरोध किया और दोनों के बीच हिंसक झड़प भी हुई, लेकिन वेनस्टेन की मर्दाना ताकत के सामने वे जंग हार गईं।

Jessica Mann Rape Case Harvey Weinstein
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गवाही के दौरान जेसिका मान ने यह भी खुलासा किया कि हार्वे वेनस्टेन ने उनके साथ यौन हिंसा के लिए मर्दाना शक्ति बढ़ाने वाले इंजेक्शन का उपयोग किया था। इस खुलासे ने अदालत के माहौल को और गंभीर बना दिया। जूरी के सामने अपनी आपबीती सुनाते हुए जेसिका रोती हुई नजर आईं, जिससे सुनवाई और भी संवेदनशील हो गई।

जेसिका मान कौन हैं?

जेसिका मान हॉलीवुड की एक बार की प्रसिद्ध एक्ट्रेस रही हैं, जिनका अभिनय करियर अपेक्षाकृत छोटा रहा। उन्होंने कई फिल्मों में काम किया, जिनमें कुछ लोकप्रिय फिल्में भी शामिल हैं। जैसे की:

  • केवमेन (2013)
  • दिस नॉट फनी (2015)
  • असाइलम: ट्विस्टेड हॉरर एंड फैंटेसी टेल्स (2020)

फिलहाल, वे अपने विवादित मामले के कारण अब चर्चा में हैं। उनकी खूबसूरती और टैलेंट के बावजूद उनका करियर लंबे समय तक चमक नहीं पाया।

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हार्वे वेनस्टेन और उनके विवाद

हार्वे वेनस्टेन का नाम पहले भी यौन उत्पीड़न और दुष्कर्म के मामलों में कई बार सामने आ चुका है। ‘मी टू’ (Me Too) आंदोलन के दौरान कई महिलाओं ने उन पर गंभीर आरोप लगाए थे, जिससे हॉलीवुड और दुनिया भर में उनका करियर बुरी तरह प्रभावित हुआ। हार्वे को पहले भी 23 और 16 साल की जेल की सजा सुनाई जा चुकी है।

हार्वे वेनस्टेन ने शेक्सपियर इन लव जैसी मशहूर फिल्म प्रोड्यूस की है, जिसके लिए उन्हें अकादमी पुरस्कार (ऑस्कर) भी मिला था। बावजूद इसके उनके खिलाफ यौन शोषण के गंभीर आरोप उनकी छवि को धूमिल कर चुके हैं।

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जानें क्या हैं प्रोस्टेट कैंसर के कारण-लक्षण और इलाज, जिससे जूझ रहे हैं पूर्व अमेरिकी...

Prostate cancer: कुछ समय पहले अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जो बिडेन (Former US President Joe Biden) को लेकर एक बड़ी खबर सामने आई थी जिसमें पता चला था कि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जो बिडेन को प्रोस्टेट कैंसर (Prostate cancer) होने की पुष्टि हुई है और इसे कैंसर की एक गंभीर श्रेणी बताया जा रहा है जो उनकी हड्डियों तक भी फैल चुका है। तो चलिए इस लेख में हम आपको प्रोस्टेट कैंसर के कारण, लक्षण और उपचार के बारे में विस्तार से बताते हैं।

प्रोस्टेट कैंसर क्या है? – Prostate cancer

प्रोस्टेट कैंसर (Prostate cancer) पुरुषों में होने वाला एक प्रकार का कैंसर है जो प्रोस्टेट ग्रंथि में शुरू होता है। प्रोस्टेट एक छोटी अखरोट के आकार की ग्रंथि है जो मूत्राशय के नीचे स्थित होती है और वीर्य बनाने में मदद करती है।

प्रोस्टेट कैंसर के कारण

प्रोस्टेट कैंसर (Prostate cancer) का सटीक कारण अक्सर ज्ञात नहीं होता है, लेकिन कुछ जोखिम कारक इसके विकसित होने की संभावना को बढ़ा सकते हैं। 50 वर्ष से अधिक आयु के पुरुषों में इसका जोखिम अधिक होता है। अधिकांश मामले 65 वर्ष से अधिक आयु के पुरुषों में पाए जाते हैं। यदि परिवार में किसी पुरुष को प्रोस्टेट कैंसर (Prostate cancer) हुआ है (जैसे पिता, भाई), तो उस व्यक्ति को भी रोग विकसित होने का जोखिम बढ़ जाता है।

BRCA1 या BRCA2 जीन जैसे कुछ आनुवंशिक उत्परिवर्तन भी जोखिम को बढ़ा सकते हैं। अश्वेत पुरुषों में अन्य जातियों के पुरुषों की तुलना में प्रोस्टेट कैंसर विकसित होने की संभावना अधिक होती है और यह अधिक आक्रामक होता है। अधिक वजन या मोटापे से प्रोस्टेट कैंसर का जोखिम बढ़ सकता है, विशेष रूप से इसके अधिक आक्रामक रूप। उच्च वसा वाला आहार और लाल मांस का अधिक सेवन भी संभावित जोखिम कारक हो सकते हैं, हालाँकि अधिक शोध की आवश्यकता है। धूम्रपान और अधिक शराब का सेवन भी जोखिम को बढ़ा सकता है।

प्रोस्टेट कैंसर के लक्षण –  Symptoms of Prostate Cancer

प्रोस्टेट कैंसर के शुरुआती चरणों में अक्सर कोई स्पष्ट लक्षण नहीं होते हैं। हालाँकि, जैसे-जैसे कैंसर बढ़ता है, कुछ लक्षण दिखाई दे सकते हैं जैसे कि मूत्र संबंधी समस्याएँ – बार-बार पेशाब आना, खासकर रात में, पेशाब करने में कठिनाई (कमज़ोर या धीमी मूत्र धारा), पेशाब शुरू करने या रोकने में कठिनाई, पेशाब करते समय दर्द या जलन, पेशाब या वीर्य में खून आना (हालाँकि यह अन्य स्थितियों के कारण भी हो सकता है)। साथ ही, मूत्राशय को पूरी तरह से खाली करने में असमर्थता।

उन्नत (Advanced) या मेटास्टेटिक चरण में लक्षण

हड्डियों में दर्द यह सबसे आम लक्षणों में से एक है जब कैंसर हड्डियों में फैलता है (जो जो बिडेन के मामले में भी रिपोर्ट किया गया है)। यह दर्द अक्सर पीठ, कूल्हों, पसलियों या जांघों में होता है और रात में बदतर हो सकता है। पीठ के निचले हिस्से, कूल्हों या श्रोणि क्षेत्र में असुविधा या दर्द, बिना प्रयास के वजन कम होना, थकान और कमजोरी।

प्रोस्टेट कैंसर का इलाज – Prostate Cancer Treatment

प्रोस्टेट कैंसर का उपचार कई कारकों पर निर्भर करता है, जिसमें कैंसर का चरण, ग्लीसन स्कोर (जो कैंसर की आक्रामकता को दर्शाता है), रोगी की आयु और समग्र स्वास्थ्य शामिल है। जैसे…सक्रिय निगरानी (Active Surveillance): यदि कैंसर बहुत धीमा है, शुरुआती चरण में है और कोई लक्षण नहीं पैदा कर रहा है, तो डॉक्टर नियमित निगरानी (PSA परीक्षण और बायोप्सी) की सलाह दे सकते हैं, ताकि अनावश्यक उपचार से बचा जा सके।

सर्जरी (प्रोस्टेटेक्टॉमी): इसमें प्रोस्टेट ग्रंथि और आस-पास के कुछ ऊतकों (कभी-कभी लिम्फ नोड्स भी) को पूरी तरह से हटा दिया जाता है। यह सर्जरी खुले तरीके से या रोबोटिक तरीके से की जा सकती है। रेडिएशन थेरेपी: इसमें बाहरी बीम रेडिएशन (EBRT) शामिल है। कैंसर कोशिकाओं को उच्च-ऊर्जा एक्स-रे या प्रोटॉन बीम का उपयोग करके बाहर से लक्षित किया जाता है। इसके अलावा, ब्रैकीथेरेपी इसमें प्रोस्टेट ग्रंथि में सीधे रेडियोधर्मी बीज प्रत्यारोपित करना शामिल है, जो अंदर से विकिरण जारी करते हैं।

Pakistan Faces Food Shortage: पाकिस्तान में भुखमरी और कुपोषण की बढ़ती समस्या, आतंकियो...

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Pakistan Faces Food Shortage: पाकिस्तान लंबे समय से आतंकवाद को पनाह देने वाले देश के रूप में जाना जाता है। भारत ने हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर के तहत पड़ोसी देश के आतंकी अड्डों को तबाह कर बड़े ठोस कदम उठाए हैं। इसके बाद भारत ने पाकिस्तान के साथ सिंधु जल समझौते को निलंबित कर दिया और दोनों देशों के बीच व्यापार भी पूरी तरह ठप हो गया। इन परिस्थितियों ने पहले से ही आर्थिक और सामाजिक संकट झेल रहे पाकिस्तान की हालत और अधिक खराब कर दी है।

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खाद्य सुरक्षा और बढ़ती गरीबी का संकट- Pakistan Faces Food Shortage

पाकिस्तानी मीडिया संस्थान ‘डॉन’ की रिपोर्ट के अनुसार, देश में खाद्य सुरक्षा का संकट गहराता जा रहा है। दिसंबर 2024 तक खाद्य मुद्रास्फीति 0.3 प्रतिशत तक कम जरूर हो गई है, लेकिन गरीबी और बेरोजगारी लोगों के लिए भोजन उपलब्ध कराने में सबसे बड़ी बाधा बनी हुई है। देश में 2022 की विनाशकारी बाढ़ और 2023-24 में अनियमित मौसमी बदलावों ने ग्रामीण इलाकों की आजीविका को बुरी तरह प्रभावित किया है, खासकर बलूचिस्तान, सिंध और खैबर पख्तूनख्वा में।

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इन इलाकों में जलस्तर लगातार घट रहा है, जिससे कृषि उत्पादन कम हो रहा है और किसान भारी कर्ज के जाल में फंसे जा रहे हैं। इससे भूखमरी जैसे हालात उत्पन्न हो रहे हैं और लोगों की जीवनशैली पर गहरा असर पड़ रहा है।

कुपोषण से जूझता पाकिस्तान

रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि पाकिस्तान में लगभग 11 मिलियन लोग ‘IPC फेस 3’ की गंभीर स्थिति में हैं, जिसका अर्थ है कि वे खाद्य संकट और कुपोषण जैसी आपातकालीन स्थिति से गुजर रहे हैं। खासकर सिंध और खैबर पख्तूनख्वा में कुपोषण लगातार बढ़ रहा है, जहां कम वजन वाले बच्चों की संख्या बढ़ रही है और डायरिया तथा फेफड़ों के संक्रमण आम हो गए हैं।

‘IPC फेस 3’ का मतलब है कि तत्काल प्रभावी कदम उठाने की जरूरत है ताकि लोगों की आजीविका बचाई जा सके, खाद्य संकट दूर हो और कुपोषण पर नियंत्रण पाया जा सके। हालांकि, मानवीय सहायता और वैश्विक निवेश में कमी के कारण इन चुनौतियों से निपटना मुश्किल होता जा रहा है।

वैश्विक सहायता में कमी

पाकिस्तान को मानवीय आधार पर मिलने वाली आर्थिक मदद में गिरावट आई है, जिससे खाद्य सहायता कार्यक्रम कमजोर हो गए हैं। वैश्विक संस्थाएं अब कम संसाधन दे रही हैं, जिससे कुपोषण, खाद्य सुरक्षा और सामाजिक सहायता की योजनाएं प्रभावहीन हो रही हैं। इस वजह से देश में भूखमरी और गरीबी के हालात और गंभीर होते जा रहे हैं।

आतंकियों पर खर्च बढ़ा, आम जनता की परेशानी बढ़ी

‘डॉन’ की रिपोर्ट में यह भी उजागर किया गया है कि पाकिस्तान की सरकार आतंकवादियों को आर्थिक मदद देने में ज्यादा खर्च कर रही है, जबकि आम नागरिकों के लिए संसाधनों की कमी है। शहबाज सरकार ने हाल ही में आतंकवादी मसूद अजहर को 14 करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता देने का ऐलान किया, जिससे यह बात और भी स्पष्ट हो गई है कि पाकिस्तान सरकार की प्राथमिकता आम जनता नहीं, बल्कि आतंकियों की मदद करना है।

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ऐसे में जब तक पाकिस्तान की सरकार आतंकवाद को पनाह देती रहेगी और आतंकियों को आर्थिक मदद देगी, तब तक वहां के आम नागरिकों की समस्याओं का समाधान पाना बेहद मुश्किल होगा।

समाधान के लिए क्या चाहिए?

रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान को तत्काल नीतिगत बदलाव करने होंगे। केंद्र और प्रांतीय सरकारों को अपने सोशल सिक्योरिटी नेटवर्क को मजबूत करना होगा। साथ ही माताओं और बच्चों के लिए पोषण सहायता कार्यक्रमों को प्रभावी बनाना होगा। कृषि क्षेत्र में निवेश बढ़ाकर किसानों की मदद करनी होगी ताकि उनकी आजीविका सुरक्षित हो सके।

बिना निर्णायक कार्रवाई के, पाकिस्तान फिर से भूख और गरीबी के चक्र में फंस सकता है। आतंकवाद पर खर्च कम करके आम लोगों की भलाई और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना जरूरी है।

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