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Jaagruti Movie Unknown Facts: सलमान खान की गलती से गले में अड़ा असली चाकू, खून बहने ल...

Jaagruti Movie Unknown Facts: अब क्या आपको कभी ऐसा लगा है कि फिल्म सेट्स पर सब कुछ हमेशा सेफ होता है? तो सोचिए, अगर किसी शूटिंग के दौरान आपको असली चाकू गले में लग जाए तो क्या होगा? जी हां, यह कहानी है बॉलीवुड के सीनियर एक्टर अशोक सराफ की, जो जागृति फिल्म के सेट पर सलमान खान के साथ एक खौ़फनाक हादसे का शिकार हो गए थे। यह वाकया ऐसा था कि सलमान खान ने अपने डायलॉग बोलने की कोशिश की, और इसी दौरान उनका चाकू अशोक के गले में लग गया। और बात तब और बिगड़ गई जब वह चाकू असली था। सोचिए, शूटिंग के दौरान सलमान खान की गलती से एक्टर अशोक सराफ की जान पर बन आई! आइए आपको पूरी कहानी बताते हैं।

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तो क्या हुआ था उस दिन? (Jaagruti Movie Unknown Facts)

अब, ये जो सीन था ना, ये कुछ खास था। फिल्म में अशोक सराफ को सलमान खान के गले में चाकू अड़ाने थे। स्क्रिप्ट के मुताबिक, सलमान को अशोक का गला पकड़ना था और चाकू उनके गले में अड़ाना था। बात यहीं तक ठीक थी, लेकिन असली चाकू इस्तेमाल किया जा रहा था। और सलमान को इस बारे में कोई जानकारी नहीं थी। अब, जैसे ही चाकू अशोक सराफ के गले पर रखा गया, सब कुछ ठीक था, लेकिन जैसे ही डायलॉग्स शुरू हुए, और सलमान ने चाकू पर और जोर लगाया, अशोक को लगा कुछ गड़बड़ हो रही है।

आखिरकार क्या हुआ?

अशोक सराफ ने तुरंत खुद को छुड़वाने की कोशिश की, लेकिन सलमान खान ने इस पर और दबाव डाला। और फिर, जो हुआ, वह काफी डरावना था। अशोक सराफ के गले में गहरा कट लग गया। इस घटना ने ना सिर्फ अशोक, बल्कि पूरी टीम को हिलाकर रख दिया। अशोक ने सलमान से कहा कि उनका गला कट रहा है, तो सलमान ने जवाब दिया, “अब मुझे क्या करना चाहिए?”

सलमान को क्या करना था?

इसके बाद, अशोक ने सलमान को चाकू को उल्टा पकड़ने की सलाह दी, ताकि गले पर कम दबाव पड़े। लेकिन सलमान ने कैमरे की दिशा का हवाला देते हुए ऐसा नहीं किया। सलमान ने कहा कि कैमरा हमारी तरफ फेस कर रहा है। दिख जाएगा उसमें, तो मैंने रहने दिया। हमने वह सीन किया।’ जैसे ही शूटिंग खत्म हुई, अशोक सराफ ने देखा कि उनकी गर्दन पर गहरा कट लग चुका था।

क्या अगर गले की नस कट जाती तो?

अशोक सराफ ने इस घटना के बारे में बताते हुए कहा, “सोचिए अगर गले की नस कट जाती तो क्या होता?” उनका कहना था कि यह हादसा उन्हें जिंदगी भर याद रहेगा। उन्होंने यह भी कहा कि सलमान को शायद यह हादसा याद नहीं होगा, लेकिन उनके लिए यह एक खौ़फनाक और डरावना अनुभव था।

सलमान को याद है या नहीं?

अशोक सराफ ने मुस्कुराते हुए कहा कि शायद सलमान खान को यह हादसा याद न हो, क्योंकि ऐसे हादसे लोग भूल जाते हैं। लेकिन उन्होंने कहा, “मैं इसे कभी नहीं भूलूंगा।” यकीन मानिए, ये वाकया अशोक सराफ के लिए एक गंभीर याद बन चुका है, जबकि सलमान शायद इसे एक साधारण शूटिंग की तरह मानते होंगे।

फिल्म ‘जागृति’ और उसकी कास्ट

आपको बता दें, जागृति फिल्म 1992 में रिलीज हुई थी, जिसमें सलमान खान, अशोक सराफ, करिश्मा कपूर, प्रेम चोपड़ा और पंकज धीर जैसे सितारे थे। हालांकि फिल्म बॉक्स ऑफिस पर ज्यादा सफल नहीं रही, लेकिन इस फिल्म की शूटिंग के दौरान घटित यह घटना आज भी एक चर्चा का विषय बन चुकी है।

अशोक सराफ की जर्नी

वहीं, अशोक सराफ कि बात करें तो उन्हे न केवल उनकी कॉमिक टाइमिंग के लिए जाना जाता है, बल्कि वह अपनी दमदार एक्टिंग के लिए भी प्रसिद्ध हैं। हम पांच शो में उनका ‘अशोक माथुर’ वाला किरदार आज भी लोगों के दिलों में बसा हुआ है। इसके अलावा उन्होंने कई फिल्मों और टीवी शो में अपनी अदाकारी से सबको प्रभावित किया है।

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Bulandshahr News: बुलंदशहर में अजीब मामला: महिला के लीवर में पल रहा 12 हफ्ते का बच्चा...

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Bulandshahr News: उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले में एक ऐसा मेडिकल केस सामने आया है, जिसे देखकर डॉक्टर भी चौंक गए। यहां 30 साल की एक महिला, जो पिछले दो महीनों से पेट में दर्द और उल्टियों से परेशान थी, जब डॉक्टर के पास गई तो उसे शुरुआत में सामान्य इलाज दिया गया। लेकिन जब कोई फर्क नहीं पड़ा, तो उसे MRI जांच के लिए भेजा गया। जांच के बाद जो रिपोर्ट सामने आई, उसे देख कर न सिर्फ महिला बल्कि डॉक्टर भी हैरान रह गए।

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एमआरआई रिपोर्ट में खुलासा- Bulandshahr News

एमआरआई रिपोर्ट में पता चला कि महिला प्रेग्नेंट तो थी, लेकिन उसका गर्भाशय (यूट्रस) खाली था। यह सुनकर डॉक्टर चौंक गए, क्योंकि यह एक बेहद असामान्य स्थिति थी। फिर जो हुआ, वह और भी चौंकाने वाला था। महिला का 12 हफ्ते का भ्रूण उसके गर्भाशय में नहीं, बल्कि उसके लीवर के दाहिने हिस्से में पल रहा था। और सबसे हैरानी की बात यह थी कि भ्रूण पूरी तरह से ज़िंदा था, उसकी धड़कन भी चल रही थी। यह स्थिति इतनी असाधारण थी कि डॉक्टर भी इसे देखकर दंग रह गए।

डॉक्टर की हैरानी और मेडिकल समुदाय का नजरिया

इस मामले की पुष्टि करने वाले डॉ. के.के. गुप्ता, एक रेडियोलॉजिस्ट, ने बताया कि उन्होंने अपने पूरे करियर में ऐसा केस पहली बार देखा है। उन्होंने यह भी बताया कि दुनिया भर में अब तक इस तरह के केवल 18 मामले ही सामने आए हैं, और यह भारत में शायद पहला ऐसा मामला हो सकता है। वहीं, स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. अनुपम सिरोही ने इसे एक्टोपिक प्रेग्नेंसी का सबसे असामान्य रूप बताया। उनका कहना था कि आमतौर पर एक्टोपिक प्रेग्नेंसी ओवरी, फेलोपियन ट्यूब या पेट की दीवार में होती है, लेकिन लीवर में भ्रूण का पलना बहुत ही दुर्लभ है और इस तरह के मामलों का मिलना मुश्किल होता है।

महिला की स्थिति और संभावित खतरे

महिला पहले से दो बच्चों की मां है और एक हाउस वाइफ है। डॉक्टरों का कहना है कि यह एब्डोमिनल प्रेग्नेंसी का मामला है, जो बेहद खतरनाक हो सकता है। डॉ. गुप्ता ने बताया, “जब महिला हमारे पास आई, तो हमें बहुत हैरानी हुई। हमने मेडिकल लिटरेचर खंगाला और पाया कि लीवर में भ्रूण का पलना बहुत असामान्य है। 14 हफ्ते से ज़्यादा इसे मां के शरीर में रखना खतरनाक हो सकता है।” इसका मतलब था कि यदि जल्द ही इस पर कार्रवाई नहीं की जाती, तो महिला और भ्रूण दोनों के लिए खतरा हो सकता था।

इलाज और भविष्य की योजना

महिला को तुरंत दिल्ली के AIIMS (अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान) भेजा गया है, जहां विशेषज्ञ डॉक्टरों की एक टीम उसकी सर्जरी और आगे के इलाज पर काम करेगी। डॉ. अनुपम सिरोही के अनुसार, इस स्थिति में भ्रूण को हटाना जरूरी होता है क्योंकि यह मां के लिए जीवन के लिए खतरा हो सकता है। इलाज के दौरान लीवर का एक हिस्सा निकालना भी पड़ सकता है, और अगर यह इलाज समय पर न हुआ तो महिला की जान को भी खतरा हो सकता है।

क्या भारत में यह पहला ऐसा मामला है?

कुछ डॉक्टरों का कहना है कि यह भारत में संभवतः पहला ऐसा मामला है, और इसे मेडिकल लिटरेचर में दस्तावेज किया जा सकता है। इस केस ने यह साबित किया है कि चिकित्सा विज्ञान के कुछ मामले इतने असामान्य होते हैं कि उन्हें समझ पाना और उनका इलाज करना डॉक्टरों के लिए भी चुनौतीपूर्ण हो सकता है।

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Pak Missile Test Fail: अग्नि-5 की नकल में नाकाम पाक, अबाबील मिसाइल टेस्ट में फेल हुए ...

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Pak Missile Test Fail: भारत और पाकिस्तान के बीच राइवलरी हमेशा ही चर्चा का विषय रही है, खासकर जब बात आर्म्स रेस या मिसाइलों की हो। पाकिस्तान, जो हमेशा भारत से नकल करने की कोशिश करता रहा है, बैलेस्टिक मिसाइलों के मामले में अब तक सफल नहीं हो पाया है। हाल ही में पाकिस्तान ने अपनी मीडियम रेंज की बैलेस्टिक मिसाइल ‘अबाबील’ का परीक्षण किया, लेकिन यह परीक्षण भी नाकाम साबित हुआ। यह घटना एक बार फिर पाकिस्तान की मिसाइल विकास योजनाओं को लेकर सवाल उठाती है।

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अबाबील मिसाइल का महत्व और पाकिस्तान का सपना– Pak Missile Test Fail

अबाबील एक तीन चरणों वाली ठोस ईंधन से चलने वाली मिसाइल है, जिसका रेंज लगभग 2,000 किलोमीटर बताया जाता है। इसमें MIRV तकनीक (Multiple Independent Re-entry Vehicle) का इस्तेमाल किया गया है, जिससे यह एक साथ कई दुश्मन ठिकानों को तबाह करने में सक्षम होती है। पाकिस्तान ने इस मिसाइल को अपने जंगी बेड़े में शामिल करने का सपना देखा है, ताकि वह भारत के खिलाफ अपनी ताकत को बढ़ा सके। हालांकि, इसका परीक्षण लगातार असफल हो रहा है। इससे पहले अक्टूबर 2023 में भी अबाबील का परीक्षण फेल हो चुका था।

भारत की मिसाइलों के मुकाबले पाकिस्तान की कमजोरी

भारत की मिसाइलों की शक्ति पाकिस्तान के लिए चुनौती बनती जा रही है। भारत की अग्नि-5 मिसाइल, जो 5,000 किलोमीटर तक मार करने में सक्षम है, पाकिस्तान के लिए एक बड़ा खतरा है। मार्च 2024 में इस मिसाइल का परीक्षण सफल रहा था। इसके अलावा, भारत ने अपनी आईसीबीएम मिसाइलों का भी विकास किया है, जो पाकिस्तान की सीमा से कहीं आगे तक मार कर सकती हैं। पाकिस्तान, हालांकि, अब तक ऐसी कोई इंटरकॉन्टिनेंटल बैलेस्टिक मिसाइल (ICBM) नहीं बना सका है।

चीन की चुनौती से निपटने के लिए भारत की मिसाइल रणनीति

भारत ने अपनी मिसाइल क्षमता को बढ़ाने के लिए चीन की चुनौती को ध्यान में रखते हुए आईसीबीएम और अन्य लंबी दूरी की मिसाइलों का विकास किया है। 1998 में पोखरण परमाणु परीक्षण के बाद, तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने अमेरिका को चीन की बढ़ती सैन्य ताकत के बारे में बताया था। पाकिस्तान ने अपनी हथियार प्रणाली की जरूरतों को देखते हुए शॉर्ट और मीडियम रेंज की मिसाइलों का विकास किया है, लेकिन आईसीबीएम के मामले में वह भारत से काफी पीछे है।

पाकिस्तान के मिसाइल विकास में क्या समस्याएं हैं?

पाकिस्तान के मिसाइल परीक्षणों में लगातार असफलता के पीछे कई कारण बताए जा रहे हैं। डिफेंस एक्सपर्ट्स के अनुसार, पाकिस्तान के पास जरूरी इंजीनियरिंग और टेस्टिंग इंफ्रास्ट्रक्चर का अभाव है। इसके अलावा, पाकिस्तान अपनी मिसाइल विकास योजनाओं में मुख्य रूप से चीन पर निर्भर है, जो अपनी तकनीक को पाकिस्तान के साथ साझा करता है, लेकिन पाकिस्तान की अपनी तकनीकी क्षमता कमजोर है। वहीं, भारत के पास अपना मजबूत रक्षा ढांचा है, जिसमें डीआरडीओ और अन्य सरकारी रक्षा कंपनियां शामिल हैं, जो भारत की मिसाइलों को विश्वस्तरीय बनाती हैं।

भारत और पाकिस्तान की परमाणु ताकत का अंतर

ग्लोबल फायरपावर की रिपोर्ट के अनुसार, भारत के पास लगभग 172 परमाणु हथियार हैं, जबकि पाकिस्तान के पास 170 परमाणु हथियार हैं। इसके अलावा, आईसीबीएम के मामले में भारत के पास अग्नि-5 जैसी मिसाइलें हैं, जो 5,000 किलोमीटर से अधिक दूर तक मार कर सकती हैं। पाकिस्तान के पास ऐसी कोई मिसाइल अभी नहीं है।

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Katihar Looteri Dulhan: बिहार की लुटेरी ‘दुल्हन’ का भयानक खेल: एक ढूंढता ...

Katihar Looteri Dulhan: लुटेरी दुल्हन के बारे में आपने कई खबरें सुनी और पढ़ी होंगी, लेकिन जो मामला आज हम आपको बताने जा रहे हैं, वह वाकई चौंकाने वाला है। यह किसी एक साधारण घटना का मामला नहीं है, बल्कि यह एक सुनियोजित और संगठित तरीके से लड़कों को शिकार बनाने वाले गैंग का हिस्सा है। इस गैंग का नेटवर्क उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा सहित कई राज्यों में फैला हुआ था, और ये लड़कियों की शादी करके दूल्हे से लाखों रुपये लूटकर फरार हो जाते थे। लेकिन इस बार कटिहार की एक लुटेरी दुल्हन और उसके गैंग के पांच आरोपियों को पुलिस ने यूपी के फिरोजाबाद से गिरफ्तार कर लिया।

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लुटेरी दुल्हन की फिल्मी कहानी- Katihar Looteri Dulhan

कटिहार की रहने वाली पूनम उर्फ रंजना की कहानी किसी फिल्म की कहानी से कम नहीं है। यह गैंग लड़कों की शादी कराकर उन्हें लूटने का काम करता था। इस गैंग में शामिल लोग शादी के बाद दूल्हे को लाखों रुपये का चूना लगाते थे और फिर फरार हो जाते थे। पुलिस ने बताया कि झारखंड और बिहार की लड़कियों से शादी कराकर गहने और रुपयों की ठगी करने वाले इस गिरोह के पांच सदस्य गिरफ्तार किए गए हैं। इनमें से एक लुटेरी दुल्हन भी है, जो शादी के दूसरे दिन ही दूल्हे के गहने, नकदी और अन्य सामान लेकर गायब हो गई थी।

कैसे काम करता था लुटेरी दुल्हन का गैंग?

पुलिस ने बताया कि यह गैंग किस तरह काम करता था। कटिहार के कदवा थाना क्षेत्र के सिकोरना नूर टोला की रहने वाली पूनम उर्फ रंजना के मौसेरे भाई अजय ने इस गैंग की शुरुआत की थी। अजय का काम ऐसे लड़कों को फंसाना था, जिनकी शादी नहीं हो रही थी। अजय का संपर्क यूपी के कानपुर में रहने वाले अजय प्रकाश सविता से हुआ, जो एक मेडिकल स्टोर चलाता था और उसकी शादी नहीं हो रही थी। अजय ने उसे बताया कि वह उसकी शादी करवा सकता है।

इसके बाद अजय प्रकाश को रंजना से मिलवाया गया, और रंजना को देखकर अजय प्रकाश ने शादी के लिए हां कर दी। 16 जुलाई को कानपुर के एक मंदिर में रंजना उर्फ पूनम से अजय प्रकाश की शादी कर दी गई। शादी के दौरान रंजना और उसके साथियों ने अलग-अलग भूमिका निभाई। किसी ने बहन बनकर शादी की, तो किसी ने भाई का रोल अदा किया।

लुटेरी दुल्हन की करतूत

18 जुलाई की रात को रंजना ने दूल्हे के परिवार को बेहोशी की दवा खिला दी और उनके गहने, नकदी और अन्य सामान लेकर फरार हो गई। इसके बाद से वह और उसके गैंग के सदस्य इस पूरी घटना को अंजाम देने के बाद भाग गए। पुलिस ने बताया कि गैंग में रंजना उर्फ पूनम के अलावा झारखंड की एक लड़की रानी भी शामिल थी, जो भी लुटेरी दुल्हन बनकर शादी करती थी। इसके अलावा अजय, अमर और शाहरुख नाम के तीन लोग यूपी से थे।

गैंग के सदस्य और उनकी भूमिकाएं

इस गैंग में हर सदस्य का अलग-अलग काम था। अजय का काम शादी के इच्छुक लड़कों को जाल में फंसाना था, जबकि शाहरुख का काम बिहार और झारखंड से लड़कियों को लाकर शादी के लिए तैयार करना था। अमर का काम शादी के दौरान गैंग के सदस्यों को ठहराने के लिए व्यवस्था करना था।

पुलिस ने इस गैंग के पांच सदस्य गिरफ्तार किए हैं और उनकी पूरी योजना को बेनकाब कर दिया है। इस मामले में आरोपियों से पूछताछ की जा रही है और गैंग के अन्य सदस्यों की तलाश जारी है।

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Priyanka Gandhi on Pahalgam attack: प्रियंका गांधी का सरकार पर जोरदार हमला: पहलगाम हम...

Priyanka Gandhi on Pahalgam attack: कांग्रेसी सांसद प्रियंका गांधी ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले को लेकर केंद्र सरकार पर कड़ा हमला बोला है। उन्होंने इस हमले को सुरक्षा में गंभीर चूक बताते हुए सरकार से सवाल किया कि इस हमले की जिम्मेदारी आखिर किसकी है। प्रियंका गांधी ने कश्मीर को सुरक्षित और शांति का गढ़ बनाने के सरकार की नीतियों पर संदेह जताया और कहा कि अगर सरकार ने अपनी सुरक्षा नीतियों पर सही ढंग से ध्यान दिया होता, तो आज यह स्थिति नहीं होती। उन्होंने कहा कि सरकार के भरोसे पर लोग पहलगाम गए थे, लेकिन सरकार ने लोगों को भगवान के भरोसे छोड़ दिया, क्योंकि वहां सुरक्षा के कोई ठोस इंतजाम नहीं थे।

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प्रियंका गांधी का सवाल: क्या यह गृह मंत्री की जिम्मेदारी नहीं थी? (Priyanka Gandhi on Pahalgam attack)

प्रियंका गांधी ने सरकार से पूछा, “क्या नागरिकों की सुरक्षा रक्षा मंत्री की जिम्मेदारी नहीं है? क्या ये गृह मंत्री की जिम्मेदारी नहीं है?” उन्होंने आतंकवादी संगठन TRF (The Resistance Front) के बारे में भी सवाल उठाए, जो पाकिस्तान समर्थित लश्कर-ए-तैयबा का हिस्सा है। प्रियंका ने कहा कि सरकार की कोई ऐसी एजेंसी नहीं है, जिसे भनक लगे कि ऐसे भयानक हमले की योजना बन रही है। यह सरकारी एजेंसियों की विफलता को दर्शाता है। प्रियंका ने इसे बड़ी विफलता करार दिया और पूछा कि क्या यह सबक नहीं है?

अबाबील आतंकी हमला और शुभम द्विवेदी का जिक्र

प्रियंका ने पहलगाम हमले के बारे में बात करते हुए कानपुर के शुभम द्विवेदी का जिक्र किया। शुभम अपने परिवार के साथ पहलगाम की खूबसूरत वादियों का आनंद लेने गए थे, लेकिन आतंकवादियों ने उन्हें उनकी पत्नी के सामने गोली मार दी। प्रियंका गांधी ने कहा कि शुभम जैसे कई लोग सरकार के शांति-पूर्ण कश्मीर के दावों पर भरोसा करके वहां गए थे, लेकिन उन्हें सुरक्षा के नाम पर कुछ भी हासिल नहीं हुआ। इस घटना ने यह साबित कर दिया कि सरकार की नीतियां पूरी तरह से विफल हो गई हैं।

प्रियंका गांधी ने उठाए गंभीर सवाल

प्रियंका गांधी ने इस आतंकी हमले के बाद पूछे गए कुछ सवालों का जिक्र किया। उन्होंने कहा, “क्या सेना प्रमुख, क्या इंटेलीजेंस प्रमुख ने इस्तीफा दिया? क्या गृह मंत्री ने इस्तीफा दिया? इस्तीफा छोड़िए, जिम्मेदारी तक नहीं ली।” प्रियंका ने यह भी कहा कि जब मनमोहन सरकार के दौरान मुंबई हमले हुए थे, तो तत्कालीन सरकार ने जिम्मेदारी ली थी और इस्तीफा भी दिया था। उन्होंने यह सवाल भी उठाया कि क्यों राजनाथ सिंह, जो उरी और पुलवामा हमलों के वक्त गृह मंत्री थे, आज भी रक्षा मंत्री हैं? और क्यों अमित शाह, जो मणिपुर और दिल्ली दंगों के दौरान गृह मंत्री थे, अब भी गृह मंत्री हैं? प्रियंका ने कहा कि इन घटनाओं के बाद जिम्मेदारी लेने के बजाय, सरकार की ओर से सिर्फ बचाव की रणनीति अपनाई गई है।

पीएम मोदी का श्रेय लेने पर प्रियंका का तंज

प्रियंका गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तंज कसते हुए कहा कि देश जानता है कि हम सभी सरकार के साथ खड़े हो जाएंगे जब देश पर हमला होगा, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी चाहते हैं कि वे ऑपरेशन सिंदूर के श्रेय को खुद लें। प्रियंका ने कहा, “संसद में इस समय ऑपरेशन सिंदूर को लेकर चर्चा हो रही है, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी खुद को श्रेय देने में व्यस्त हैं।”

अखिलेश यादव का सवाल: पाकिस्तान से ज्यादा चीन से खतरा

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी इस मामले पर तंज कसा। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान से ज्यादा हमें चीन से खतरा है। अखिलेश ने कहा कि पाकिस्तान के खिलाफ सरकार वोट के लिए चर्चा करती है, जबकि चीन से हमारी विदेश नीति पूरी तरह असफल रही है। उन्होंने सवाल उठाया कि जब हमें जरूरत थी, तब कोई देश हमारे साथ खड़ा नहीं हुआ। इसके अलावा, उन्होंने यह भी कहा कि सरकार को यह फैसला लेना चाहिए कि अगले दस साल तक हम चीन से कोई सामान नहीं मंगवाएंगे।

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अब नाश्ता होगा हेल्दी भी और टेस्टी भी, ट्राई करें काले चने की ये 4 खास रेसिपी

Black Chick pea Breakfast: अगर आप भी रोज़ एक जैसा नाश्ता खाकर बोर हो गए हैं और कुछ नया और हेल्दी ट्राई करना चाहते हैं, तो काले चने एक बेहतर विकल्प हो सकते हैं। काले चने से बनी ये 4 चीज़ें आपके लिए एक बेहतरीन विकल्प हो सकती हैं। काले चने प्रोटीन, फाइबर और कई ज़रूरी पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं, जो इसे नाश्ते के लिए एक बेहतरीन विकल्प बनाते हैं। तो चलिए इस लेख में हम आपको चने से बनने वाले कुछ बेहतरीन व्यंजनों के बारे में बताते हैं।

1. काले चने का सलाद

नाश्ते में हल्का और पौष्टिक कुछ चाहिए तो काले चने का सलाद (Black Chickpea Salad) एक शानदार विकल्प है। इसे बनाने के लिए उबले हुए काले चनों में बारीक कटे प्याज, टमाटर, खीरा, हरी मिर्च, धनिया पत्ती और थोड़ा-सा नींबू का रस मिलाएं। स्वाद के लिए काला नमक और चाट मसाला भी डाल सकते हैं। यह प्रोटीन और फाइबर से भरपूर होता है, जो आपको लंबे समय तक भरा हुआ महसूस कराएगा।

2. चना दाल चीला

अगर आप भी चीला खाने के शौकीन हैं, तो चना दाल चीला (Chana Dal Cheela) ट्राई करें। इसे बनाने के लिए काले चनों को रात भर भिगो दें और सुबह पीसकर गाढ़ा घोल बना लें। इसमें अपनी पसंद की सब्जियां जैसे प्याज, गाजर, पालक और मसाले मिलाकर तवे पर चीला बनाएं। यह स्वादिष्ट होने के साथ-साथ काफी पौष्टिक भी होता है।

3. काले चने की घुगनी

बिहार (Bihar) और उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में मशहूर काले चने की घुगनी (Black gram ghugni) नाश्ते के लिए एक बेहतरीन और चटपटा विकल्प है। इसे बनाने के लिए उबले हुए काले चनों को तेल में जीरा, प्याज, अदरक-लहसुन पेस्ट और कुछ मसालों (Spices)के साथ भूनें। ऊपर से हरा धनिया डालकर (Coriander Powder) गरमागरम परोसें। इसे आप ऐसे भी खा सकते हैं या फिर पाव के साथ।

4. काले चने की टिक्की/कबाब

नाश्ते में कुछ क्रिस्पी और टेस्टी खाना चाहते हैं तो काले चने की टिक्की या कबाब बना सकते हैं। उबले हुए काले चनों को मैश करके उसमें उबले आलू, प्याज, हरी मिर्च, धनिया पत्ती और अपनी पसंद के मसाले मिलाएं। इसकी टिक्की बनाकर शैलो फ्राई करें। ये बाहर से क्रिस्पी और अंदर से सॉफ्ट होती हैं, जो बच्चों और बड़ों दोनों को पसंद आएंगी।

इन सभी रेसिपीज़ को बनाना आसान है और ये आपको दिन भर ऊर्जावान बनाए रखने में मदद करेंगी। तो अगली बार जब नाश्ते में कुछ नया ट्राई करना हो, तो काले चने को अपनी लिस्ट में जरूर शामिल करें!

Varanasi News: वाराणसी में कांवड़ियों की पिटाई, मुस्लिम युवकों ने शिव भक्तों पर किया ...

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Varanasi News: उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले में एक गंभीर घटना सामने आई है, जहां राजातालाब थाना क्षेत्र के पंचक्रोशी मार्ग पर स्थानीय दुकानदारों और कांवड़ियों के बीच विवाद हो गया। इस विवाद के बाद दुकानदारों ने कांवड़ियों की पिटाई कर दी। पिटाई का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिससे इलाके में हलचल मच गई। बताया जा रहा है कि पिटाई करने वाले युवक मुस्लिम समुदाय से थे।

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घटना के बाद नाराज कांवड़ियों ने विरोध स्वरूप चौराहे पर सड़क जाम कर दी और राजतिलक चौकी का घेराव कर दिया। इसके चलते इलाके में यातायात प्रभावित हुआ और स्थिति तनावपूर्ण हो गई।

पुलिस की त्वरित प्रतिक्रिया- Varanasi News

घटना की गंभीरता को देखते हुए पुलिस ने तुरंत एक्शन लिया। पुलिस प्रशासन ने कांवड़ियों से उनकी शिकायतें लीं और विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों से समझाया। पुलिस का कहना था कि किसी भी प्रकार की हिंसा को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और इस मामले में उचित कानूनी कार्रवाई की जाएगी। इसके बाद, चार मुस्लिम युवकों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया। पुलिस की सक्रियता से कांवड़ियों ने अपना विरोध प्रदर्शन खत्म किया और रास्ता खोल दिया, जिससे स्थिति सामान्य हो गई।

सामाजिक सद्भाव की अहमियत

इस घटना ने एक बार फिर से यह साबित कर दिया कि समाजों के बीच समझ और सहिष्णुता बनाए रखना कितना जरूरी है। अगर हम सभी मिलजुल कर रहें और एक-दूसरे के प्रति सम्मान बनाए रखें, तो ऐसे विवादों से बचा जा सकता है। प्रशासन की त्वरित प्रतिक्रिया और पुलिस की भूमिका ने यह सुनिश्चित किया कि किसी भी तरह की हिंसा को रोकने के लिए कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

प्रशासन और पुलिस की भूमिका

यह घटना यह भी बताती है कि प्रशासन और पुलिस की भूमिका ऐसी परिस्थितियों में बहुत अहम होती है। अगर पुलिस सक्रिय और संवेदनशील तरीके से काम करती है, तो स्थिति को जल्द से जल्द नियंत्रण में लिया जा सकता है। स्थानीय पुलिस ने एक मिसाल पेश की है, जहां उन्होंने विवाद बढ़ने से पहले ही समाधान निकाल लिया।

समाज में शांति और सौहार्द बनाए रखना है जरूरी

इस घटना से यह भी सिखने को मिलता है कि समाज में शांति और सौहार्द बनाए रखना हम सभी की जिम्मेदारी है। ऐसे समय में प्रशासन की सतर्कता और समाज के हर वर्ग की समझदारी से ही हम एक दूसरे के बीच मेलजोल बनाए रख सकते हैं। अब समय आ गया है कि हम सभी समुदायों के बीच संवाद और सहयोग बढ़ाएं, ताकि इस तरह के तनावपूर्ण हालात से बचा जा सके।

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Pakistan-Bangladesh visa-free deal: भारत के खिलाफ पाक-बांग्लादेश की खतरनाक साजिश: ...

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Pakistan-Bangladesh visa-free deal: बांग्लादेश और पाकिस्तान के बीच हाल ही में एक समझौता हुआ है, जिसमें दोनों देशों ने डिप्लोमैटिक और ऑफिशियल पासपोर्ट रखने वाले नागरिकों को वीजा-फ्री एंट्री देने का निर्णय लिया है। इस डील का मतलब है कि अब पाकिस्तान के अधिकारी बिना वीजा के बांग्लादेश की सरज़मीन पर आ-जा सकते हैं। यह कदम भारत की सुरक्षा के लिए खतरनाक साबित हो सकता है, क्योंकि इस समझौते के जरिए पाकिस्तान अपनी आतंकवादी गतिविधियों को और बढ़ा सकता है।

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पाकिस्तान और बांग्लादेश का सहयोग- Pakistan-Bangladesh visa-free deal

खबरों की मानें तो, यह समझौता ढाका में पाकिस्तान के गृहमंत्री मोहसिन नकवी और बांग्लादेश के गृहमंत्री रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल जहांगीर आलम चौधरी के बीच हुआ। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और बांग्लादेश के नए शासक मोहम्मद यूनुस ने इसे ऐतिहासिक कदम बताया, लेकिन भारत के लिए यह कदम बेहद खतरनाक है। पाकिस्तान ने अपनी रणनीति बदलते हुए बांग्लादेश को आतंकियों और जासूसों के भेजने के लिए एक नया रास्ता बना लिया है, जिससे भारत को गंभीर खतरा हो सकता है।

पाकिस्तान का आतंकवाद फैलाने का इतिहास

पाकिस्तान की आतंकवाद फैलाने की भूमिका कोई नई बात नहीं है। दशकों से पाकिस्तान कश्मीर और पीओके सीमा के जरिए आतंकवादियों को भारत में घुसपैठ कराने में शामिल रहा है। भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने ऑपरेशन सिंदूर जैसे सख्त कदमों के जरिए पाकिस्तान की इन गतिविधियों को काफी हद तक नियंत्रित कर लिया था। लेकिन अब पाकिस्तान ने अपनी रणनीति बदलते हुए बांग्लादेश की सीमा को चुना है, जहां भारत की निगरानी कम है।

भारत के लिए नई सुरक्षा चुनौती

नई वीजा-फ्री डील के जरिए पाकिस्तान अपनी आतंकवादी गतिविधियों को बांग्लादेश के रास्ते भारत तक पहुंचा सकता है। डिप्लोमैटिक और ऑफिशियल पासपोर्ट का इस्तेमाल कर पाकिस्तान के एजेंट्स और प्रशिक्षित आतंकियों को बांग्लादेश भेजा जा सकता है, जहां से वे भारत में प्रवेश कर सकते हैं। यह पाकिस्तान को भारत के खिलाफ अपनी गतिविधियों को सीधे तौर पर अंजाम देने से बचने का मौका देगा।

बांग्लादेश और पाकिस्तान का कुटिल गठबंधन

पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच बढ़ते हुए इस गठबंधन में एक और बड़ी बात है। बांग्लादेश के वर्तमान शासक मोहम्मद यूनुस, पाकिस्तान के साथ-साथ चीन के भी करीबी माने जा रहे हैं। हाल ही में उनके चीन दौरे के दौरान उन्होंने भारत के पूर्वोत्तर राज्यों को लैंडलॉक क्षेत्र बताकर यह दावा किया कि बांग्लादेश को समुद्र तक पहुंचने के लिए चीन को जरूरत है। यह बयान चीन के विस्तारवादी एजेंडे को बढ़ावा देता है और भारत के लिए एक नया खतरा उत्पन्न करता है।

भारत को तीन तरफ से घेरने की साजिश

भारत के लिए अब स्थिति और भी गंभीर हो गई है। उसे तीन तरफ से सामरिक और रणनीतिक घेराबंदी का सामना करना पड़ रहा है। पाकिस्तान पश्चिम से, चीन उत्तर से, और बांग्लादेश अब पूर्व से भारत को घेरने की चाल चल रहे हैं। भारत के पूर्वोत्तर राज्य, जो केवल 22 किलोमीटर चौड़े चिकन नेक कॉरिडोर के जरिए मुख्यभूमि से जुड़े हुए हैं, पहले ही चीन की नजरों में हैं, और अब बांग्लादेश भी इस घेराबंदी में शामिल हो गया है।

भारत को अपनी सुरक्षा रणनीतियों पर फिर से विचार करना होगा

वहीं, भारत को अब अपनी सीमाओं की सुरक्षा और निगरानी को और मजबूत करने की जरूरत है। यह डील केवल वीजा की सुविधा नहीं, बल्कि एक कूटनीतिक आवरण में छिपी आतंकवादी साजिश है। भारत को अब अपनी सुरक्षा रणनीतियों को फिर से परखने की आवश्यकता है, ताकि वह पाकिस्तान, बांग्लादेश और चीन की बढ़ती घेराबंदी से बच सके और अपनी सांप्रभुता की रक्षा कर सके।

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Deoghar Road Accident: कांवड़ियों से भरी बस और ट्रक के बीच भीषण टक्कर, 18 की मौत, 23 ...

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Deoghar Road Accident: देवघर जिले के मोहनपुर प्रखंड स्थित जमुनिया के पास आज मंगलवार की सुबह एक भीषण हादसा हुआ, जिसमें कांवड़ियों से भरी एक बस और ट्रक के बीच टक्कर हो गई। इस हादसे में बस चालक समेत 18 श्रद्धालुओं की मौत हो गई। मृतकों में एक नाबालिग भी शामिल है, जबकि 23 अन्य श्रद्धालु घायल हो गए हैं, जिनमें कई की हालत गंभीर बताई जा रही है। घायलों को देवघर सदर अस्पताल और आसपास के स्वास्थ्य केंद्रों में भर्ती कराया गया है, और कुछ गंभीर घायलों को रांची रेफर किया गया है।

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हादसा कैसे हुआ? (Deoghar Road Accident)

घटना के बारे में जानकारी देते हुए देवघर के एसडीओ रवि कुमार ने बताया कि श्रद्धालु देवघर बाबा धाम से दर्शन करके बासुकिनाथ धाम जा रहे थे। सुबह करीब 5 बजे बस चालक को झपकी आ गई, जिसके बाद बस अनियंत्रित होकर गैस सिलेंडर लदे ट्रक से टकरा गई। इसके बाद बस कुछ और दूर जाकर ईंटों के ढेर से टकरा गई। इस भीषण हादसे में बस चालक की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि अन्य श्रद्धालु गंभीर रूप से घायल हो गए।

मृतकों की पहचान

मृतकों की पहचान देवघर जिले के मनोहरपुर थाना अंतर्गत चकरमा गांव निवासी सुभाष तुरी (40), बिहार के पश्चिम चंपारण जिला के मतराजी गांव निवासी दुर्गावती देवी (45), जानकी देवी (35), पटना जिले के धनरूआ थाना अंतर्गत तरेगना गांव निवासी समदा देवी (40), और वैशाली जिले के महनार गांव निवासी सुनील पंडित का 14 वर्षीय बेटा पीयूष कुमार उर्फ शिवराज के रूप में हुई है।

स्थानीय ग्रामीणों और प्रशासन की प्रतिक्रिया

हादसे के बाद स्थानीय ग्रामीणों और पुलिस की टीम ने तत्परता दिखाते हुए घायलों को अस्पताल पहुंचाया। एक स्थानीय ग्रामीण ने बताया, “हम पास के खेत में काम कर रहे थे, तभी जोरदार आवाज आई। दौड़कर पहुंचे तो देखा बस ईंटों के ढेर में घुसी थी और कई लोग खून से लथपथ पड़े थे। हमने पुलिस को सूचना दी और घायलों को बाहर निकालने में मदद की।”

स्थानीय महिला रीना देवी ने भी इस मार्ग की सुरक्षा को लेकर चिंता जताई। उन्होंने कहा, “यह जगह बेहद खतरनाक है। यहां कोई स्पीड ब्रेकर नहीं है और न ही चेतावनी बोर्ड हैं। अगर सरकार पहले से ध्यान देती, तो शायद यह हादसा नहीं होता।”

सांसद का बयान

इस घटना पर सांसद निशिकांत दुबे ने दुख व्यक्त करते हुए ट्वीट किया और 18 श्रद्धालुओं की मौत का जिक्र किया। हालांकि, प्रशासन ने अभी तक केवल 5 मौतों की पुष्टि की है।

कांवड़ियों का बयान

बस में सवार एक कांवड़िए ने बताया कि बस बहुत तेज गति से चल रही थी और चालक को झपकी आ गई। इसके बाद बस ट्रक से टकराई और एक पत्थर से टकराते हुए ईंटों के ढेर में जा घुसी। हादसे के बाद कांवड़ियों में अफरा-तफरी मच गई और कुछ समय तक किसी ने भी मदद नहीं की। एक घायल कांवड़ी सुनील कुमार ने बताया, “अगर समय पर मदद मिलती, तो मेरी पत्नी भी बच सकती थी।”

हादसे का एक और विवरण

इससे पहले भी इस जगह पर कई दुर्घटनाएँ हो चुकी हैं, और स्थानीय लोग पहले ही प्रशासन को चेतावनी दे चुके थे कि सावन के महीनों में इस रास्ते पर सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाई जाए।

पीएम नरेंद्र मोदी ने जताया दुख

वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देवघर की दुर्घटना पर अपना बयान देते हुए कहा, झारखंड के देवघर में हुई सड़क दुर्घटना अत्यंत दुखद है। इसमें जिन श्रद्धालुओं को अपनी जान गंवानी पड़ी है, उनके परिजनों के प्रति मेरी गहरी शोक-संवेदनाएं। ईश्वर उन्हें इस पीड़ा को सहने की शक्ति दे। इसके साथ ही मैं सभी घायलों के जल्द से जल्द स्वस्थ होने की कामना करता हूं।

सीएम हेमंत ने भी प्रकट किया दुख

राज्य के सीएम हेमंत सोरेन ने दुख प्रकट करते हुए कहा कि आज सुबह देवघर के मोहनपुर प्रखंड के जमुनिया चौक के पास बस दुर्घटना में बस सवार श्रद्धालुओं की मृत्यु की अत्यंत दुःखद सूचना मिली है। जिला प्रशासन द्वारा राहत और बचाव कार्य के साथ घायलों को चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराया जा रहा है। बाबा बैद्यनाथ दुर्घटना में मरने वाले श्रद्धालुओं की आत्मा को शांति प्रदान कर शोकाकुल परिवारजनों को दुःख की घड़ी सहन करने की शक्ति दे।

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Sikhism in Antarctica: बर्फीले महाद्वीप पर सिखों का बोलबाला: वैज्ञानिक मिशनों में भार...

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Sikhism in Antarctica: सोचिए, आप दुनिया के सबसे ठंडे महाद्वीप पर खड़े हैं, जहां बर्फ के अलावा कुछ नहीं दिखता और तापमान -89 डिग्री सेल्सियस तक गिर सकता है। जी हां, हम बात कर रहे हैं अंटार्कटिका की, वह जगह जो पूरी तरह से बर्फ से ढकी हुई है और जहां कोई स्थायी बस्ती नहीं है। लेकिन क्या आपको पता है कि इस बर्फीले महाद्वीप पर कुछ सिख वैज्ञानिक और पर्यटक भी गए हैं, जिन्होंने ना केवल अपना शोध किया, बल्कि सिख धर्म के मूल्यों को भी यहां अपनी मेहनत और साहस से फैलाया है?

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दरअसल, अंटार्कटिका में सिख धर्म का इतिहास उतना लंबा नहीं है, लेकिन सिख वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं की कुछ अद्भुत कहानियां हैं, जिन्होंने इस बर्फीले महाद्वीप पर अपने कदम जमाए और सिख धर्म के जज्बे को पूरी दुनिया के सामने पेश किया।

आइए, जानते हैं अंटार्कटिका में सिखों का क्या इतिहास है और कैसे उन्होंने इस सर्द और बर्फीले स्थान पर अपने सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर को जीवित रखा।

अंटार्कटिका कहां है? (Sikhism in Antarctica)

सबसे पहले बात करते हैं अंटार्कटिका की, यह पृथ्वी का सबसे दक्षिणी महाद्वीप है, जो दक्षिणी महासागर से घिरा हुआ है। यहां के तापमान अक्सर -60°C से भी नीचे चला जाता है, और यह जगह पूरी तरह से बर्फ से ढकी हुई है। जैसा कि हमने आपको पहले बताया था अंटार्कटिका में कोई स्थायी मानव बस्ती नहीं है। यहां के रिसर्च स्टेशनों पर दुनिया भर के वैज्ञानिक कुछ महीनों के लिए आते हैं। यह महाद्वीप पूरी तरह से शांति और वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए समर्पित है, और अंटार्कटिक संधि के तहत यहां कोई भी धार्मिक या राजनीतिक विवाद नहीं होता।

सिखों का अंटार्कटिका से जुड़ाव

अब सवाल यह है कि क्या अंटार्कटिका में सिखों का कोई इतिहास है? दरअसल, अंटार्कटिका में सिखों की संख्या बहुत कम है, क्योंकि यह कोई स्थायी आबादी नहीं है। लेकिन फिर भी, कुछ सिख वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं ने इस ठंडे महाद्वीप पर अपने कदम जमाए हैं, और वहां के कठोर वातावरण में भी सिख धर्म का जज्बा देखा गया है।

1980 के दशक में परमजीत सिंह सेहरा पहले भारतीय बने, जिन्होंने अंटार्कटिका में कदम रखा था। वह सोवियत मिशन का हिस्सा थे और अहमदाबाद के फिजिकल रिसर्च लैबोरेटरी से थे। 2012 में, बंदनजोत सिंह ने अंटार्कटिका के वैज्ञानिक मिशन में हिस्सा लिया और पगड़ीधारी पंजाबी सिख के रूप में अंटार्कटिका में अपनी पहचान बनाई।

इसके अलावा, ब्रिटिश सिख आर्मी के डॉक्टर हरप्रीत चांदी (Polar Preet) ने अंटार्कटिका में सबसे तेज़ महिला के रूप में 1,130 किलोमीटर की दूरी अकेले स्कीइंग करते हुए तय की थी। यह भी एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, जिसने सिखों के साहस और मेहनत की मिसाल पेश की।

अंटार्कटिका में गुरुद्वारा नहीं है

अब बात करें अंटार्कटिका में सिख धर्म की धार्मिक गतिविधियों की तो यहां कोई गुरुद्वारा नहीं है। अंटार्कटिका पूरी तरह से वैज्ञानिक रिसर्च के लिए समर्पित है, और यहां कोई स्थायी धार्मिक इमारत नहीं है। हालांकि, कुछ ईसाई चर्च हैं, जैसे “चैपल ऑफ द स्नोज”, जो बौद्ध और बहाई धर्म के समारोहों के लिए भी इस्तेमाल होते हैं। लेकिन सिखों के लिए कोई गुरुद्वारा नहीं है। हालांकि, सिख धर्म के अनुयायी यहां अपनी श्रद्धा और संस्कृतियों का पालन करते हैं, भले ही यहां उनका कोई स्थायी धार्मिक स्थल नहीं है।

अंटार्कटिका में सिख धर्म का महत्व

अंटार्कटिका में सिखों के धार्मिक योगदान की कोई बड़ी चर्चा तो नहीं है, लेकिन उनके साहस और लगन को देखकर यह कहा जा सकता है कि सिखों ने इस ठंडी धरती पर भी अपनी पहचान बनाई है। अंटार्कटिका के मिशनों में शामिल सिख वैज्ञानिकों ने अपनी मेहनत से न केवल भारत का नाम रोशन किया, बल्कि सिख धर्म के आदर्शों को भी इस धरती के सबसे दूर कोने तक पहुंचाया। चाहे वह परमजीत सिंह हों, जिन्होंने सोवियत मिशन में अंटार्कटिका की ओर रुख किया, या बंदनजोत सिंह हों, जिन्होंने पगड़ी पहनकर अंटार्कटिका के मिशन में हिस्सा लिया, सभी ने सिख धर्म के प्रति अपनी निष्ठा और श्रद्धा को पूरी दुनिया में दिखाया।

अंटार्कटिका का वैज्ञानिक महत्व और सिखों का योगदान

आपकी जानकारी के लिए बता दें, भारत का अंटार्कटिका मिशन 1981 से चल रहा है, और इसके तहत भारत ने कई रिसर्च स्टेशन स्थापित किए हैं, जिनमें से मैत्री और भारती प्रमुख हैं। इन मिशनों में भारत के वैज्ञानिकों ने अंटार्कटिका की जलवायु, पर्यावरण और जैव विविधता के अध्ययन में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। सिख वैज्ञानिकों ने इस मिशन में अपनी भूमिका निभाई और अंटार्कटिका के कठोर वातावरण में भी भारतीय और सिख धर्म की पहचान को बनाए रखा।

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