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CJI Justice BR Gavai: मुख्य न्यायाधीश ने महाराष्ट्र के शीर्ष अफसरों को सार्वजनिक रूप ...

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CJI Justice BR Gavai: देश के 52वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) जस्टिस बीआर गवई ने महाराष्ट्र दौरे के दौरान प्रोटोकॉल का सही ढंग से पालन न होने पर गहरी नाराजगी जताई है। रविवार को मुंबई पहुंचने पर जब महाराष्ट्र के शीर्ष अधिकारी जैसे मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक और मुंबई पुलिस कमिश्नर उनकी अगवानी के लिए मौजूद नहीं थे, तो उन्होंने सार्वजनिक रूप से अपनी असंतोष व्यक्त किया। हालांकि कुछ घंटे बाद ये अधिकारी एक अन्य कार्यक्रम में सीजेआई के साथ नजर आए।

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सीजेआई गवई ने क्या कहा? (CJI Justice BR Gavai)

सीजेआई गवई ने महाराष्ट्र और गोवा बार काउंसिल के आयोजन में अपने सम्मान समारोह में कहा, “लोकतंत्र के तीन स्तंभों—न्यायपालिका, विधायिका और कार्यपालिका—के बीच सम्मान बेहद आवश्यक है।” उन्होंने यह भी कहा कि प्रोटोकॉल कोई मामूली औपचारिकता नहीं, बल्कि संवैधानिक संस्थाओं के बीच सम्मान का प्रतीक है।

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सीजेआई ने स्पष्ट किया कि जब कोई महाराष्ट्र का व्यक्ति देश का मुख्य न्यायाधीश बनता है और पहली बार अपने गृह राज्य आता है, तो उससे जुड़े वरिष्ठ अधिकारी सम्मान दिखाने के लिए उपस्थित रहना चाहिए। उन्होंने कहा, “अगर ऐसा नहीं होता, तो अधिकारियों को इस बात पर विचार करना चाहिए।”

हालांकि जस्टिस गवई ने इस मामले को लेकर ज्यादा विवाद खड़ा करने से इनकार किया, लेकिन उन्होंने यह बात जनता तक पहुंचाने की जरूरत महसूस की ताकि सभी इसकी गंभीरता समझें। उन्होंने हल्के फुल्के अंदाज में कहा, “अगर मेरी जगह कोई और होता तो अनुच्छेद 142 की चर्चा होने लगती।”

सीजेआई की टिप्पणी के बाद अधिकारियों की मौजूदगी

सीजेआई की नाराजगी के कुछ घंटे बाद ही महाराष्ट्र के मुख्य सचिव सुजाता सौनिक, पुलिस महानिदेशक रश्मि शुक्ला और मुंबई पुलिस कमिश्नर देवेन भारती दादर स्थित चैत्यभूमि में डॉ. बीआर अंबेडकर को श्रद्धांजलि देने के मौके पर मौजूद थे। इस अवसर पर सीजेआई ने कहा, “सीजेआई बनने के बाद यह मेरा पहला चैत्यभूमि दौरा है, मैं यहां डॉ. अंबेडकर का आशीर्वाद लेने आया हूं। मैं प्रोटोकॉल को लेकर ज्यादा परेशान नहीं हूं, बस इस बात को उजागर किया है।”

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अनुच्छेद 142 का महत्व

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत सुप्रीम कोर्ट को यह अधिकार है कि वह न्यायिक कार्यवाही में पूर्ण न्याय सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक आदेश जारी करे। इसके अंतर्गत अदालत व्यक्तियों की उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए निर्देश भी दे सकती है।

सीजेआई गवई का बार एसोसिएशन पर भी बयान

सीजेआई ने पहले भी सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन की उस नीति की आलोचना की थी, जिसमें जस्टिस बेला त्रिवेदी को उचित विदाई नहीं दी गई। उन्होंने कहा कि न्यायाधीशों के बीच मतभेद हो सकते हैं, लेकिन सम्मान की कमी स्वीकार्य नहीं है। सीजेआई ने बार एसोसिएशन के अध्यक्ष कपिल सिब्बल की तारीफ की, जिन्होंने जस्टिस त्रिवेदी के प्रति सम्मान दिखाया।

CJI के लिए प्रोटोकॉल का मतलब

जब मुख्य न्यायाधीश किसी राज्य का दौरा करते हैं तो उनके स्वागत, सुरक्षा, और ठहराव के लिए सख्त प्रोटोकॉल होता है। इसमें राज्य के मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक और अन्य वरिष्ठ अधिकारी शामिल होते हैं। एयरपोर्ट से लेकर कार्यक्रम स्थल तक उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की जाती है। न्यायपालिका, विधायिका और कार्यपालिका के बीच संतुलन और सम्मान बनाए रखने के लिए यह प्रोटोकॉल बेहद जरूरी माना जाता है।

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Mj Akbar Diplomatic Comeback: मीटू विवाद के बाद एमजे अकबर की वापसी, मोदी सरकार के कूट...

Mj Akbar Diplomatic Comeback: भारत के प्रसिद्ध पत्रकार और राजनेता एमजे अकबर एक बार फिर सुर्खियों में हैं। कभी पत्रकारिता में अपने तीखे लेखन के लिए पहचाने जाने वाले अकबर, फिर मीटू विवादों में उलझे और अब एक बार फिर सरकार के कूटनीतिक मिशन का हिस्सा बनकर वैश्विक राजनीति में वापसी कर रहे हैं। नरेंद्र मोदी सरकार ने उन्हें सात बहुदलीय प्रतिनिधिमंडलों में से एक में शामिल किया है, जो पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के खिलाफ भारत का पक्ष अंतरराष्ट्रीय मंच पर रखेंगे। यह न केवल उनकी वापसी का संकेत है, बल्कि एक बार फिर उनके अनुभव और विशेषज्ञता को राष्ट्रीय हित में उपयोग में लाने की रणनीति भी है।

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पत्रकारिता से मिली पहचान- Mj Akbar Diplomatic Comeback

एमजे अकबर का नाम भारतीय पत्रकारिता के उस दौर से जुड़ा है जब अखबारों की धार लेखनी से तय होती थी। उन्होंने 1970 के दशक में संडे और एशिया जैसी पत्रिकाओं में अपने विचारों से पाठकों को प्रभावित किया। द टेलीग्राफ और एशियन एज जैसे प्रमुख अखबारों की स्थापना कर उन्होंने पत्रकारिता को नई दिशा दी। उनकी लिखी किताबें – नेहरू: द मेकिंग ऑफ इंडिया और कश्मीर: बिहाइंड द वेल – आज भी इतिहास और राजनीति के गहन अध्ययनों में मानी जाती हैं।

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राजनीति में उठापटक

अकबर ने 1989 में कांग्रेस के टिकट पर बिहार के किशनगंज से संसद में कदम रखा, लेकिन उनका राजनीतिक सफर स्थिर नहीं रहा। 2014 में उन्होंने भारतीय जनता पार्टी का दामन थामा और 2015 में राज्यसभा पहुंचे। 2016 में उन्हें विदेश राज्य मंत्री बनाया गया, जहां उन्होंने भारत की विदेश नीति को मज़बूती से अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रस्तुत किया। लेकिन उनका करियर 2018 में एक बड़े संकट में घिर गया।

मीटू विवाद की छाया

मीटू आंदोलन के दौरान कई महिला पत्रकारों ने उन पर यौन उत्पीड़न के गंभीर आरोप लगाए। इनमें पत्रकार प्रिया रमानी भी शामिल थीं, जिनके खिलाफ अकबर ने मानहानि का मुकदमा दायर किया। हालांकि, अदालत ने रमानी को बरी कर दिया और इस फैसले के खिलाफ अकबर ने दिल्ली हाईकोर्ट में अपील की हुई है। इस विवाद के चलते उन्हें मंत्री पद छोड़ना पड़ा और वे राजनीतिक रूप से हाशिए पर चले गए।

नई भूमिका में वापसी

अब जब मोदी सरकार ने उन्हें विदेशों में भारत का पक्ष रखने वाले प्रतिनिधिमंडल में शामिल किया है, यह उनकी कूटनीतिक समझ और अंतरराष्ट्रीय मामलों में पकड़ को फिर से मान्यता मिलने जैसा है। यह प्रतिनिधिमंडल यूरोप के प्रमुख देशों—यूके, फ्रांस, जर्मनी, इटली और डेनमार्क—का दौरा करेगा और भारत के खिलाफ आतंकवाद को लेकर पाकिस्तान की भूमिका को उजागर करेगा।

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पाकिस्तान पर सख्त रवैया

एमजे अकबर ने हालिया लेखों और सोशल मीडिया पोस्ट्स में पाकिस्तान को आतंकवाद का संरक्षक बताया है। उनकी चर्चित किताब टिंडरबॉक्स: द पास्ट एंड फ्यूचर ऑफ पाकिस्तान में उन्होंने पड़ोसी देश की वैचारिक संरचना का विश्लेषण किया है। हाल ही में उन्होंने लिखा, “प्रधानमंत्री मोदी ने आतंकवाद पर निर्णायक कदम उठाकर पाकिस्तान को स्पष्ट संदेश दिया है।”

क्या यह वापसी स्थायी होगी?

एमजे अकबर की यह नई भूमिका यह संकेत देती है कि सरकार फिर से उनके अनुभव का लाभ उठाना चाहती है। हालांकि, मीटू विवाद की परछाई अभी पूरी तरह से हटी नहीं है। सवाल यह है कि क्या जनता और राजनीतिक मंच उन्हें दोबारा स्वीकार करेगा? आने वाले समय में यह स्पष्ट होगा कि यह वापसी उनके लिए सिर्फ एक मिशन तक सीमित रहती है या वे पूरी तरह से सार्वजनिक जीवन में फिर से सक्रिय होते हैं।

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Odisha Murder Case: गोद ली हुई बेटी ने दो दोस्तों के साथ मिलकर की मां की हत्या, अफेयर...

Odisha Murder Case: ओडिशा के गजपति जिले से एक दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है, जिसने इंसानियत को झकझोर कर रख दिया है। यहां एक 13 वर्षीय लड़की ने उन दो युवकों के साथ मिलकर अपनी ही दत्तक मां की हत्या कर दी, जिनसे उसके रिश्ते थे। यह वारदात 29 अप्रैल को परलाखेमुंडी शहर में अंजाम दी गई। हत्या की वजह मां द्वारा प्रेम संबंधों का विरोध करना और संपत्ति पर कब्ज़े की चाहत बताई गई है।

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सड़क से उठाकर बनाया था अपना बच्चाOdisha Murder Case

करीब 14 साल पहले राजलक्ष्मी कर और उनके पति को भुवनेश्वर की एक सड़क किनारे तीन दिन की नवजात बच्ची मिली थी। संतान ना होने के कारण उन्होंने उस बच्ची को गोद ले लिया और अपना बना लिया। एक साल बाद पति की मृत्यु हो गई, लेकिन राजलक्ष्मी ने अकेले ही उस बच्ची को पाल-पोसकर बड़ा किया। बाद में वह उसे पढ़ाई के लिए परलाखेमुंडी ले गईं और वहीं एक किराए के मकान में रहने लगीं।

रिश्ते पर ऐतराज बना जानलेवा कारण

समय के साथ लड़की की दोस्ती दो युवकों—गणेश रथ (21), जो मंदिर का पुजारी है, और दिनेश साहू (20)—से हो गई। दोनों उससे उम्र में काफी बड़े थे। जब राजलक्ष्मी को इन संबंधों का पता चला तो उन्होंने सख्ती से इसका विरोध किया। यह विरोध ही बेटी को इतना नागवार गुज़रा कि उसने अपनी मां को रास्ते से हटाने की योजना बना डाली। पुलिस के मुताबिक, गणेश ने लड़की को उकसाया कि मां की हत्या कर दी जाए ताकि कोई उनकी राह में बाधा न बने और साथ ही उनकी संपत्ति पर भी कब्जा हो सके।

सोशल मीडिया चैट ने खोला राज

हत्या के बाद राजलक्ष्मी को अस्पताल ले जाया गया, जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया। आरोपियों ने इसे दिल का दौरा बताया और अगले दिन भुवनेश्वर में अंतिम संस्कार कर दिया गया। लेकिन सच्चाई ज्यादा दिनों तक छिप नहीं पाई। करीब दो हफ्ते बाद राजलक्ष्मी के भाई सिबा प्रसाद मिश्रा को लड़की का मोबाइल मिला, जिसमें इंस्टाग्राम चैट्स के ज़रिए पूरे हत्याकांड की योजना का खुलासा हुआ। इसमें सोने के गहनों और नकदी को हथियाने की बातचीत भी सामने आई।

तीनों आरोपी गिरफ्तार, गहने और सबूत बरामद

राजलक्ष्मी के भाई ने 14 मई को पुलिस में शिकायत दर्ज कराई, जिसके बाद लड़की और उसके दोनों सहयोगियों को गिरफ्तार कर लिया गया। पूछताछ में पता चला कि लड़की ने मां को नींद की गोलियां दीं और बेहोश होने पर दोनों लड़कों को बुलाकर तकिए से उसका दम घोंट दिया। पुलिस ने तीनों के पास से लगभग 30 ग्राम सोने के गहने, तीन मोबाइल फोन और दो तकिए बरामद किए हैं, जिनका इस्तेमाल अपराध में हुआ था।

यह मामला एक मां-बेटी के रिश्ते को कलंकित करने वाला है। एक महिला जिसने किसी अनजान बच्ची को गले लगाकर जीवन भर पाल-पोसकर बड़ा किया, उसी बच्ची ने प्यार और संपत्ति के लालच में उसे मौत की नींद सुला दिया। पुलिस मामले की जांच और कानूनी प्रक्रिया में जुटी है, लेकिन यह घटना समाज के सामने कई गंभीर सवाल खड़े कर रही है।

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नाश्ते में दलिया का सेवन हो सकता है फायदेमंद, तेजी से घटेगा वजन

Oatmeal Benefits: अगर आप ऐसे नाश्ते की तलाश में हैं जो आपको तृप्त रखे और वजन कम करने में मदद करे, तो ओटमील आपके लिए एक बेहतरीन विकल्प हो सकता है। इसे नाश्ते में खाने से आपकी भूख कम लगेगी और आपके शरीर में प्रोटीन और फाइबर की मात्रा भी बढ़ेगी, तो चलिए इस लेख में हम आपको ओटमील खाने के कुछ बेहतरीन फायदे बताते हैं, जिन्हें खाने से आप खुद को स्वस्थ भी महसूस करेंगे।

वजन घटाने में दलिया कैसे मदद कर सकता

  • उच्च फाइबर सामग्री: दलिया में घुलनशील फाइबर (विशेष रूप से बीटा-ग्लूकन) भरपूर मात्रा में होता है। यह फाइबर पानी को सोखकर पेट में एक गाढ़ा जेल बनाता है, जिससे आपको लंबे समय तक भरा हुआ महसूस होता है। इससे आप कम कैलोरी का सेवन करते हैं और वजन घटाने में मदद मिलती है।
  • भूख को नियंत्रित करता है: फाइबर धीरे-धीरे पचता है, जिससे रक्त शर्करा का स्तर स्थिर रहता है और अचानक भूख लगने की संभावना कम हो जाती है।
  • कम कैलोरी: बिना अतिरिक्त चीनी या वसा के बनाया गया दलिया एक कम कैलोरी वाला भोजन है। यह आपको पेट भरने के साथ-साथ कम कैलोरी लेने में मदद करता है।
  • पोषक तत्वों से भरपूर: दलिया में कई आवश्यक विटामिन और खनिज होते हैं, जैसे कि मैंगनीज, फास्फोरस, मैग्नीशियम, आयरन और जिंक। यह आपको वजन घटाने के दौरान भी पोषण प्रदान करता है।
  • पाचन स्वास्थ्य में सुधार: दलिया में मौजूद फाइबर पाचन क्रिया को बेहतर बनाने और कब्ज को रोकने में मदद करता है।

दलिया को और भी फायदेमंद बनाने के तरीके

  • अतिरिक्त चीनी से बचें – दलिया को मीठा करने के लिए शहद या मेपल सिरप का इस्तेमाल करें, लेकिन सीमित मात्रा में। आप फलों का भी उपयोग कर सकते हैं।
  • स्वस्थ टॉपिंग चुनें – फल, नट्स और बीज जैसे स्वस्थ टॉपिंग मिलाएं। ये फाइबर, प्रोटीन और स्वस्थ वसा प्रदान करते हैं।
  • प्रोटीन शामिल करें –  दही, दूध या नट्स जैसे प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थों के साथ दलिया का सेवन करने से आपको और भी अधिक तृप्ति महसूस होगी।
  • आपको बता दें, सिर्फ दलिया खाने से वजन तेजी से कम नहीं होगा। स्वस्थ वजन घटाने के लिए संतुलित आहार और नियमित व्यायाम भी जरूरी है। तभी नाश्ते में दलिया का सेवन निश्चित रूप से एक स्वस्थ और वजन घटाने के अनुकूल विकल्प हो सकता है।

दलिया बनाने के कई तरीके

दलिया बनाने के कई तरीके हैं, यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप मीठा या नमकीन दलिया बनाना चाहते हैं और आप इसमें क्या सामग्री मिलाना चाहते हैं। सादा दलिया बनाने की विधि सामग्री- 1/2 कप दलिया (टूटा हुआ गेहूं), 2 कप पानी या दूध (आप अपनी पसंद के अनुसार मात्रा समायोजित कर सकते हैं)

दलिया को एक बर्तन में डालें और धूल या अशुद्धियों को हटाने के लिए इसे पानी से अच्छी तरह धो लें। फिर पानी निथार लें। एक बर्तन में पानी या दूध डालें और इसे उबाल लें। जब पानी या दूध उबलने लगे, तो इसमें धोया हुआ दलिया डालें।आंच को मध्यम कर दें और दलिया को लगातार हिलाते हुए पकाएं ताकि यह बर्तन के तले में न चिपके। दलिया धीरे-धीरे गाढ़ा होने लगेगा। इसे तब तक पकाएं जब तक यह आपकी मनचाही गाढ़ी स्थिरता तक न पहुंच जाए। इसमें लगभग 10-15 मिनट लग सकते हैं।

स्वादानुसार मिलाएँ: जब दलिया पक जाए, तो स्वादानुसार नमक (नमकीन दलिया के लिए) या चीनी (मीठे दलिया के लिए) डालें और अच्छी तरह मिलाएँ।

Anand Vardhan in Sooryavansham: अमिताभ को ‘जहरीली खीर’ खिलाने वाला बच्चा अब है साउथ क...

Sooryavansham Kid: साल 1999 में रिलीज़ हुई फिल्म ‘सूर्यवंशम’ उस दौर की सबसे सफल फिल्मों में से एक थी। अमिताभ बच्चन, सौंदर्या और मुकेश रिशी की यह फिल्म दर्शकों के बीच इतनी लोकप्रिय हुई कि सिनेमाघरों में इसकी टिकटों के लिए लंबी-लंबी कतारें लग जाती थीं। इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर 12.5 करोड़ रुपये से अधिक की कमाई की और अपनी दिल छू लेने वाली कहानी के कारण आलोचकों और दर्शकों दोनों से खूब तारीफें बटोरीं। इस फिल्म का एक खास पहलू था अमिताभ बच्चन द्वारा निभाया गया डबल रोल, जिसमें वे भानु प्रताप और हीरा ठाकुर दोनों किरदारों में नजर आए। फिल्म में एक बच्चा भी था, जो अलग हो चुके पिता-पुत्र के बीच सुलह कराने की कहानी में अहम भूमिका निभाता है। यह बच्चा कोई और नहीं बल्कि आनंद वर्धन थे, जो अब बड़े होकर दक्षिण भारतीय सिनेमा के एक युवा अभिनेता बन चुके हैं।

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आनंद वर्धन का ‘सूर्यवंशम’ में सफर- Sooryavansham Kid

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‘सूर्यवंशम’ में आनंद वर्धन ने भानु प्रताप के पोते का किरदार निभाया था। इस भूमिका में उन्होंने अपने दादा को जहरीली खीर खिलाने वाले बच्चे का प्रभावशाली प्रदर्शन किया था, जो फिल्म के भावुक और महत्वपूर्ण हिस्सों में आता है। उस वक्त आनंद एक मासूम और क्यूट बच्चे के रूप में दर्शकों के दिलों में बस गए थे। उनकी क्यूटनेस और मासूमियत के कारण आज भी लोग उन्हें ‘सूर्यवंशम’ के उस छोटे बच्चे के रूप में याद करते हैं।

बचपन से एक्टिंग की शुरुआत

आनंद वर्धन ने अपने एक्टिंग करियर की शुरुआत एक बाल कलाकार के रूप में 1997 में तेलुगु फिल्म ‘प्रियरागालु’ से की थी। इसी फिल्म के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ बाल अभिनेता का प्रतिष्ठित ‘नंदी पुरस्कार’ भी मिला। आनंद के दादा, प्रसिद्ध पार्श्व गायक पी.बी., जिन्होंने 3000 से अधिक गाने गाए हैं, चाहते थे कि वह अभिनय की दुनिया में आएं। आनंद ने इस ख्वाब को पूरा किया और अब तक 20 से ज्यादा तेलुगु फिल्मों में काम कर चुके हैं।

अब बड़े होकर हुए हैं हैंडसम और फिट

समय के साथ आनंद वर्धन ने खुद को एक फिट और स्टाइलिश अभिनेता के रूप में भी स्थापित किया है। उनकी हाल की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल होते हैं और प्रशंसकों के बीच चर्चा का विषय बने रहते हैं। उन्होंने बाल कलाकार के मासूमपन से उठकर अब एक युवा और आकर्षक अभिनेता का रूप धारण कर लिया है।

‘सूर्यवंशम’ का परिवार और फिल्म की खासियत

‘सूर्यवंशम’ में अमिताभ बच्चन ने दो अलग-अलग किरदार निभाए थे, जो फिल्म की सबसे बड़ी खासियत थी। साथ ही सौंदर्या, जिनका एक दुर्भाग्यपूर्ण फ्लाइट एक्सीडेंट में निधन हो गया, ने फिल्म में अहम भूमिका निभाई थी। इसके अलावा अनुपम खेर, मुकेश ऋषि और कादर खान जैसे दिग्गज कलाकारों ने भी फिल्म को सफल बनाने में योगदान दिया। यह फिल्म आज भी कई बार टीवी और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर दिखाई जाती है और इसे ‘नेशनल फिल्म’ की उपाधि मिल चुकी है। इसके कई सीन और डायलॉग सोशल मीडिया के मीम्स में भी खूब लोकप्रिय हैं।

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Chernobyl Disaster: दुनिया का सबसे भयानक परमाणु हादसा जिसने 50 लाख लोगों की ज़िंदगी प...

Chernobyl Disaster: वर्तमान भारत-पाकिस्तान के बीच परमाणु तनाव और धमकियों के बीच यह जानना जरूरी है कि विश्व में पहली बार रेडिएशन लीक और परमाणु विस्फोट का भयानक खतरा कब सामने आया था। 26 अप्रैल 1986 को यूक्रेन के चेरनोबिल न्यूक्लियर पावर प्लांट में एक विनाशकारी दुर्घटना हुई, जिसने पूरे विश्व को हिलाकर रख दिया।

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दुर्घटना का कारण और प्रारंभिक टेस्टिंग- Chernobyl Disaster

चेरनोबिल दुर्घटना उस समय हुई जब पावर प्लांट में एक टेस्टिंग चल रही थी। इसका उद्देश्य यह जांचना था कि बिजली की सप्लाई अचानक रुकने पर मशीनें कितनी देर तक काम कर सकती हैं और रिएक्टर को ठंडा करने वाला सिस्टम कितनी देर तक सक्रिय रह सकता है। इस परीक्षण के दौरान, रात लगभग 1:30 बजे टर्बाइन कंट्रोल करने वाला वॉल्व हटा दिया गया और इमरजेंसी में इस्तेमाल होने वाला रिएक्टर को ठंडा करने वाला सिस्टम बंद कर दिया गया।

Chernobyl Disaster 1986 Nuclear accident
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इसी बीच, न्यूक्लियर फ्लूजन को रोकने वाला स्विच भी बंद कर दिया गया, जिससे परमाणु प्रतिक्रिया नियंत्रण से बाहर हो गई। इस गलती के कारण भारी विस्फोट हुआ, जिसकी तीव्रता हिरोशिमा और नागासाकी पर गिराए गए परमाणु बमों से भी ज्यादा थी।

विनाशकारी विस्फोट और रेडिएशन का फैलाव

विस्फोट के तुरंत बाद रेडिएशन का घातक फैलाव हुआ, जिससे प्लांट के आसपास 40 लोगों की तत्काल मृत्यु हो गई और कई लोग गंभीर रूप से जल गए। रेडिएशन के प्रभाव से कैंसर और अन्य गंभीर बीमारियां फैल गईं। अनुमान के मुताबिक, करीब 50 लाख लोग इस रेडिएशन की चपेट में आए और 4000 से अधिक लोगों को कैंसर जैसी बीमारियां हुईं।

इस दुर्घटना से आर्थिक नुकसान भी अत्यंत भारी हुआ, जिसकी राशि लगभग 2.5 लाख करोड़ रुपये आंकी गई है। पूरे क्षेत्र को रेडिएशन से संक्रमित होने के कारण लोग मजबूरन वहां से पलायन कर गए।

दुर्घटना के बाद के असर और सीख

चेरनोबिल हादसे ने दुनिया को परमाणु ऊर्जा के खतरों से आगाह किया। यह घटना परमाणु सुरक्षा के महत्व को समझने और कड़े नियम बनाने की प्रेरणा बनी। इसके बाद कई देशों ने अपने परमाणु संयंत्रों की सुरक्षा बढ़ाने और जोखिम कम करने के लिए कदम उठाए।

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भारत-पाकिस्तान जैसे देशों के बीच परमाणु हथियारों को लेकर तनाव की स्थिति में चेरनोबिल जैसी त्रासदी की याद दिलाना आवश्यक है कि परमाणु हथियार और ऊर्जा के प्रयोग में अत्यंत सावधानी बरतनी चाहिए।

26 अप्रैल 1986 को चेरनोबिल न्यूक्लियर पावर प्लांट में हुई दुर्घटना इतिहास की सबसे भयावह परमाणु आपदाओं में से एक है। यह घटना न केवल तत्कालीन क्षेत्र बल्कि पूरे विश्व के लिए एक चेतावनी थी कि परमाणु तकनीक का गलत इस्तेमाल कितना विनाशकारी हो सकता है। आज भी, जब भारत और पाकिस्तान के बीच परमाणु तनाव जारी है, तब चेरनोबिल की घटना हमें परमाणु हथियारों और ऊर्जा के सुरक्षित उपयोग की अहमियत समझाती है।

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Aamir Khan Hit-Flop Movie: 36 साल के करियर की कमाई के रंग-ढंग, आमिर खान की ब्लॉकबस्टर...

Aamir Khan Hit-Flop Movie: बॉलीवुड एक्टर आमिर खान ने अपने 36 सालों के करियर में कई ब्लॉकबस्टर फिल्में दी हैं, जिन्होंने न केवल बॉक्स ऑफिस पर तहलका मचाया बल्कि दर्शकों के दिलों में भी खास जगह बनाई। उनकी फिल्मों में सामाजिक संदेश, मनोरंजन और बेहतरीन अभिनय का अनूठा मिश्रण देखने को मिलता है। भारत की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म ‘दंगल’ से लेकर उनकी एक बड़ी फ्लॉप फिल्म तक, हम आपको आमिर की टॉप 5 सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्मों और उनकी कमाई के बारे में विस्तार से बता रहे हैं।

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दंगल (2016) – भारत की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म – Aamir Khan Hit-Flop Movie

आमिर खान की 2016 में रिलीज हुई फिल्म ‘दंगल’ ने न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया में रिकॉर्ड तोड़ कमाई की। भारत में इस फिल्म ने 387.38 करोड़ रुपये का कलेक्शन किया जबकि वर्ल्डवाइड कमाई 2070 करोड़ रुपये तक पहुंची। यह फिल्म महिला पहलवानों की सच्ची कहानी पर आधारित है और आमिर के दमदार अभिनय ने इसे हर वर्ग में लोकप्रिय बनाया।

Aamir Khan Hit-Flop Movie Bollywood
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पीके (2014) – हास्य और सामाजिक संदेश का तड़का

राजकुमार हिरानी निर्देशित ‘पीके’ भी आमिर की बड़ी कमाई करने वाली फिल्मों में से एक है। 2014 में रिलीज हुई इस फिल्म ने भारत में 340.8 करोड़ रुपये और दुनियाभर में करीब 800 करोड़ रुपये कमाए। फिल्म ने समाज में फैली अंधविश्वास की पोल खोलते हुए मनोरंजन का नया आयाम प्रस्तुत किया।

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धूम 3 (2013) – एक्शन थ्रिलर का धमाका

‘धूम’ फ्रेंचाइजी की तीसरी कड़ी ‘धूम 3’ 2013 में आई और यह भी आमिर की टॉप कमाई वाली फिल्मों में शामिल हुई। इसमें कटरीना कैफ और अभिषेक बच्चन जैसे सितारे थे। भारत में इस फिल्म ने 284.27 करोड़ रुपये और विश्व स्तर पर 558 करोड़ रुपये की कमाई की।

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थ्री इडियट्स (2009) – शिक्षा पर मार्मिक व्यंग्य

आमिर की ‘थ्री इडियट्स’ को दर्शकों ने बेहद पसंद किया। 2009 में आई यह फिल्म भारत में 202 करोड़ रुपये और दुनियाभर में कुल 460 करोड़ रुपये की कमाई करने में सफल रही। यह फिल्म शिक्षा प्रणाली पर व्यंग्य करती है और आमिर की यादगार परफॉर्मेंस के लिए जानी जाती है।

ठग्स ऑफ हिंदोस्तान (2018) – भारी बजट के बावजूद फ्लॉप

2018 में रिलीज हुई ‘ठग्स ऑफ हिंदोस्तान’ आमिर की सबसे बड़ी फ्लॉप फिल्मों में से एक रही। अमिताभ बच्चन के साथ फिल्म में आमिर ने अभिनय किया। फिल्म ने दुनियाभर में 327.51 करोड़ रुपये और भारत में 151 करोड़ रुपये कमाए, लेकिन इसका भारी बजट (करीब 300 करोड़ रुपये) इसे व्यावसायिक रूप से सफल नहीं बना पाया। आलोचकों और दर्शकों दोनों की प्रतिक्रिया फिल्म पर निराशाजनक रही।

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बात दें, आमिर खान ने अपने करियर में विविधता और गुणवत्ता को हमेशा प्राथमिकता दी है। उनकी फिल्में न केवल मनोरंजन करती हैं बल्कि समाज को भी सोचने पर मजबूर करती हैं। चाहे वह ‘दंगल’ जैसी सफल फिल्म हो या ‘ठग्स ऑफ हिंदोस्तान’ जैसी फ्लॉप, आमिर की फिल्मों ने हिंदी सिनेमा को कई बेहतरीन यादें दी हैं।

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Gut Health Alert: क्या आपका पेट है स्वस्थ? जानिए इन 4 संकेतों को जो गट हेल्थ में गड़ब...

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Gut Health Alert: पेट हमारे शरीर का एक अहम हिस्सा है जो न केवल पाचन तंत्र के कार्यों को अंजाम देता है, बल्कि यह हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता और मानसिक स्वास्थ्य में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। एक स्वस्थ पेट शरीर को अच्छे स्वास्थ्य की दिशा में मार्गदर्शन करता है, जबकि अगर इसमें कुछ गड़बड़ी हो, तो यह शरीर के अन्य हिस्सों पर असर डाल सकता है। पेट से जुड़ी समस्याएं कई बार बहुत हल्की सी लगती हैं, लेकिन ये किसी गंभीर समस्या का संकेत भी हो सकती हैं। हेल्थ एक्सपर्ट्स के अनुसार, पेट फूलना, कब्ज, एसिडिटी और थकान जैसी समस्याएं गट हेल्थ में असंतुलन का संकेत हो सकती हैं।

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पेट फूलना- Gut Health Alert

पेट फूलने की समस्या आमतौर पर शरीर में गैस की अधिकता के कारण होती है, जो अक्सर पाचन तंत्र की समस्याओं को दर्शाती है। इसमें एक सामान्य कारण पेट में कार्बोहाइड्रेट का ठीक से पच न पाना हो सकता है। जब पेट में कार्बोहाइड्रेट ठीक से पचते नहीं हैं, तो बैक्टीरिया उन कार्बोहाइड्रेट्स का किण्वन करने लगते हैं, जिससे गैस उत्पन्न होती है और पेट में सूजन की समस्या होती है। इसके अलावा, पेट फूलने का कारण हार्मोनल बदलाव, डाइट या कभी-कभी मानसिक तनाव भी हो सकता है। इस समस्या का नजरअंदाज करना पेट से जुड़ी अन्य समस्याओं को जन्म दे सकता है, जो समय के साथ गंभीर हो सकती हैं।

थकान

पेट की समस्याओं का एक और अहम लक्षण थकान हो सकता है। जब पाचन तंत्र ठीक से काम नहीं करता है, तो शरीर जरूरी पोषक तत्वों और विटामिन्स को अवशोषित करने में सक्षम नहीं हो पाता। इससे शरीर की ऊर्जा का स्तर गिर जाता है, जिससे थकान महसूस होती है। थकान का एक और कारण पेट के असंतुलन के कारण शरीर में सेरोटोनिन (जो कि एक न्यूरोट्रांसमीटर है और मूड को नियंत्रित करता है) का उत्पादन प्रभावित हो सकता है। अगर पेट का स्वास्थ्य सही नहीं है, तो यह न केवल शारीरिक थकान पैदा कर सकता है, बल्कि मानसिक थकावट भी हो सकती है, जिससे मूड स्विंग्स और कम ऊर्जा महसूस होती है।

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कब्ज

कब्ज पेट की समस्याओं का एक आम संकेत है और यह आमतौर पर शरीर में फाइबर की कमी से जुड़ा होता है। फाइबर की कमी के कारण पाचन तंत्र सही से काम नहीं कर पाता, जिससे शरीर में गंदगी जमा होने लगती है और पेट ठीक से साफ नहीं हो पाता। कब्ज की समस्या लगातार बनी रहने से पाचन तंत्र में रुकावट आती है, जिससे शरीर से टॉक्सिन्स का बाहर निकलना मुश्किल हो जाता है। इससे पेट में दर्द और असहजता हो सकती है। नियमित रूप से फाइबर युक्त आहार लेने से कब्ज की समस्या को रोका जा सकता है और पेट के स्वास्थ्य को बेहतर रखा जा सकता है।

एसिडिटी

एसिडिटी या हार्टबर्न का संकेत पेट के एसोफेजियल स्फिंक्टर की कार्यप्रणाली में गड़बड़ी हो सकता है। यह तब होता है जब पेट का एसिड अन्नप्रणाली (esophagus) में चला जाता है, जिससे जलन और बेचैनी महसूस होती है। यह समस्या अक्सर तब बढ़ जाती है जब कोई व्यक्ति ऐसे खाद्य पदार्थों का सेवन करता है जो पेट में अधिक एसिड उत्पन्न करते हैं, जैसे तला-भुना भोजन, मसालेदार खाद्य पदार्थ और कैफीन। एसिडिटी का बढ़ना ना सिर्फ पेट के लिए, बल्कि अन्नप्रणाली के लिए भी हानिकारक हो सकता है, जिससे लंबी अवधि में अन्य गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। इसलिए, इस लक्षण को नजरअंदाज करने के बजाय उचित उपचार और आहार में सुधार करना महत्वपूर्ण है।

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पेट से जुड़ी समस्याओं को अनदेखा न करें

पेट से जुड़ी समस्याएं अक्सर हमें अनदेखा कर देती हैं, लेकिन ये संकेत हमारे शरीर की ओर से हमें चेतावनी दे रहे होते हैं। पेट का असंतुलन न केवल पाचन तंत्र पर असर डालता है, बल्कि यह हमारी मानसिक स्थिति और ऊर्जा स्तर को भी प्रभावित करता है। यदि आप पेट से जुड़ी समस्याओं का सामना कर रहे हैं, तो यह समय है कि आप इन समस्याओं को नजरअंदाज करने के बजाय समय रहते उचित उपाय करें। एक स्वस्थ पेट से न केवल आपकी शारीरिक स्थिति में सुधार होगा, बल्कि यह आपके मानसिक स्वास्थ्य को भी बेहतर बनाए रखेगा।

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Global Demand for BrahMos: भारत के ब्रह्मोस मिसाइल सिस्टम का बढ़ता प्रभाव, कई देशों न...

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Global Demand for BrahMos: भारत के लिए ऑपरेशन सिंदूर ने ब्रह्मोस मिसाइल सिस्टम को वैश्विक सुर्खियों में ला दिया है। इस क्रूज मिसाइल का भारतीय सेना ने पाकिस्तान पर हमले के दौरान बेहद प्रभावी ढंग से उपयोग किया। यह पहली बार था जब ब्रह्मोस मिसाइल का युद्ध में उपयोग किया गया। हालांकि भारत ने इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं की, पाकिस्तान ने इस तथ्य की पुष्टि की है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने लखनऊ में ब्रह्मोस मिसाइल की एक नई सुविधा का उद्घाटन करते हुए इस मिसाइल प्रणाली की बढ़ती ताकत पर जोर दिया।

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ब्रह्मोस मिसाइल खरीदने के लिए आगे आए कई देश- Global Demand for BrahMos

भारत की ब्रह्मोस मिसाइल की बढ़ती मांग को देखते हुए कई देश इसके खरीदारी के लिए उत्सुक हैं। फिलीपींस, इंडोनेशिया, वियतनाम, मलेशिया, और अन्य देशों ने इस मिसाइल प्रणाली में रुचि दिखाई है।

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फिलीपींस: भारत का पहला बड़ा रक्षा निर्यात

भारत और फिलीपींस के बीच ब्रह्मोस मिसाइलों का एक ऐतिहासिक सौदा हुआ था, जिसे भारत का पहला बड़ा रक्षा निर्यात माना गया। जनवरी 2022 में दोनों देशों ने लगभग 375 मिलियन डॉलर के सौदे पर हस्ताक्षर किए थे। इस सौदे के तहत, भारत को फिलीपींस को तीन कोस्टल डिफेंस बैटरियां आपूर्ति करनी थीं। फिलीपींस को पहली बैटरी अप्रैल 2024 में और दूसरी बैटरी अप्रैल 2025 में भेजी जाएगी। रिपोर्ट के अनुसार, दूसरी बैटरी इस बार एक जहाज में भेजी गई है, जबकि पहली बैटरी भारतीय वायुसेना के विमान में भेजी गई थी।

इंडोनेशिया: 450 मिलियन डॉलर का सौदा

इंडोनेशिया भी ब्रह्मोस मिसाइलों की खरीदारी पर विचार कर रहा है। भारत और इंडोनेशिया के बीच पिछले एक दशक से इस सौदे पर बातचीत चल रही थी, और अब यह लगभग 450 मिलियन डॉलर का सौदा पूरा होने की कगार पर है। इस सौदे के अंतर्गत, इंडोनेशिया क्रूज मिसाइल के उन्नत संस्करण की मांग कर रहा है।

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वियतनाम, मलेशिया और अन्य देशों की रुचि

वियतनाम भारत के साथ 700 मिलियन डॉलर के सौदे के तहत अपनी सेना और नौसेना के लिए ब्रह्मोस मिसाइलें चाहता है। मलेशिया भी अपने सुखोई Su-30MKM लड़ाकू विमानों और केदाह श्रेणी के युद्धपोतों के लिए ब्रह्मोस मिसाइलों की खरीदारी की योजना बना रहा है। इसके अलावा, थाईलैंड, सिंगापुर, ब्रुनेई, ब्राज़ील, चिली, अर्जेंटीना, वेनेजुएला, मिस्र, सऊदी अरब, यूएई, कतर, और ओमान ने भी ब्रह्मोस मिसाइल के विभिन्न संस्करणों में रुचि दिखाई है।

ब्रह्मोस मिसाइल: तकनीकी विशेषताएँ और सामर्थ्य

ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल भारत के रक्षा शस्त्रागार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह मिसाइल भारत के रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) और रूस के NPO मशीनोस्ट्रोयेनिया द्वारा संयुक्त रूप से बनाई गई है। ब्रह्मोस मिसाइल को विभिन्न प्लेटफॉर्म से लॉन्च किया जा सकता है, जैसे कि पनडुब्बियाँ, जहाज, विमान, और जमीन से। इसकी रेंज लगभग 300 किलोमीटर तक है और यह 200 से 300 किलो वजन का वारहेड ले जाने में सक्षम है। मिसाइल 2.8 मैक की गति से उड़ती है, जो ध्वनि की गति से लगभग तीन गुना तेज है। वर्तमान में इसके लगभग 83 प्रतिशत घटक स्वदेशी हैं, जो भारत से ही प्राप्त होते हैं।

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Trump opposes iPhone manufacturing India: $22 अरब का झटका! ट्रंप के कारण ऐपल और भारत ...

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Trump opposes iPhone manufacturing India: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने Apple Inc. के CEO टिम कुक से भारत में उत्पादन बढ़ाने की योजना पर सवाल उठाया है। ट्रम्प का कहना था कि वह नहीं चाहते कि Apple भारत में प्लांट स्थापित करे। यह बयान उस समय आया जब Apple, जो मुख्य रूप से iPhone का निर्माण चीन में करती है, अपने उत्पादन को चीन से बाहर ले जाने की योजना बना रही है, और भारत को इसके लिए एक प्रमुख स्थान के रूप में देख रही है।

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ट्रम्प और टिम कुक के बीच वार्ता- Trump opposes iPhone manufacturing India

अमेरिकी राष्ट्रपति ने इस मामले पर कतर यात्रा के दौरान टिम कुक से बात की, जिसमें उन्होंने कहा कि उन्हें इस मुद्दे पर कुछ समस्या थी। ट्रम्प का दावा था कि इस बातचीत के बाद Apple अब अमेरिका में उत्पादन बढ़ाएगी। ट्रम्प ने यह भी कहा कि उन्हें भारत में Apple के उत्पादन प्लांट के निर्माण में कोई दिलचस्पी नहीं है, और भारत अपनी स्थिति खुद संभाल सकता है।

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भारत में उत्पादन को लेकर ट्रम्प की चिंता

ट्रंप ने भारत में आयातित सामान पर उच्च करों का जिक्र किया, जिसके कारण अमेरिकी कंपनियों को वहां के बाजार में अपने उत्पाद बेचना मुश्किल हो जाता है। उनका कहना था कि भारत में दूसरे देशों से आने वाले सामान पर भारी टैक्स लगाए जाते हैं, जो अमेरिकी कंपनियों के लिए चुनौतीपूर्ण है। हालांकि, उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि भारत ने अमेरिकी सामान पर टैक्स कम करने का प्रस्ताव दिया है, और दोनों देशों के बीच एक समझौता हो सकता है।

Apple की चीन से बाहर जाने की योजना

Apple का मुख्य उद्देश्य अपनी आपूर्ति श्रृंखला को चीन पर निर्भरता से कम करना है। यह कदम उस समय उठाया गया जब COVID-19 महामारी के कारण चीन में Apple के प्रमुख प्लांटों में उत्पादन रुक गया था। इसके अलावा, अमेरिका और चीन के बीच व्यापारिक तनाव और ट्रम्प द्वारा लगाए गए टैरिफ ने Apple को यह निर्णय लेने पर मजबूर किया। Apple की योजना है कि अगले साल तक ज्यादातर iPhones भारत में निर्मित हों, जिससे चीन पर निर्भरता कम हो सके।

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भारत में Apple का उत्पादन बढ़ाने की दिशा में कदम

Apple का भारत में उत्पादन बढ़ाने का प्रयास जारी है। दक्षिण भारत में स्थित Foxconn Technology Group के प्लांट में ज्यादातर iPhones का निर्माण होता है। इसके अलावा, टाटा ग्रुप, जो Apple का एक प्रमुख सप्लायर है, ने भारत में पेगाट्रॉन कॉर्प के संचालन को संभाला है और विस्ट्रॉन कॉर्प का स्थानीय व्यवसाय भी अधिग्रहित किया है। इन कदमों से Apple का भारत में उत्पादन काफी बढ़ा है। पिछले साल की तुलना में इस साल Apple ने भारत में लगभग 60% अधिक iPhones का उत्पादन किया है। इसके साथ ही मार्च 2021 तक Apple ने भारत में 22 बिलियन डॉलर के iPhones का उत्पादन किया है।

भारत में बढ़ता उत्पादन और संभावना

Apple का भारत में उत्पादन बढ़ाने के पीछे मुख्य कारण स्थानीय आपूर्ति श्रृंखला का विस्तार और चीन पर निर्भरता कम करना है। इस दिशा में Apple ने महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं और भारत को एक प्रमुख उत्पादन केंद्र बनाने की योजना है। हालांकि, ट्रम्प के बयान से यह स्पष्ट होता है कि अमेरिकी राष्ट्रपति भारत में Apple के बड़े पैमाने पर उत्पादन से खुश नहीं हैं और वह चाहते हैं कि Apple अपने उत्पादन को अमेरिका में बढ़ाए।

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