Home Blog Page 24

Bhai Dooj 2025: रिश्तों में घोलें मिठास! अपनों को भेजें ये दिल छू लेने वाले मैसेजेस ए...

0

Bhai Dooj Wishes: भाई-बहन के अटूट प्रेम और विश्वास का प्रतीक त्योहार ‘भाई दूज’ दिवाली के दो दिन बाद और गोवर्धन पूजा के अगले दिन मनाया जाता है। यह त्योहार पूरे भारत में धूमधाम से मनाया जाता है। अगर आप इस खास मौके पर अपने प्यारे भाई या बहन को भाई दूज की शुभकामनाएं और संदेश भेजना चाहते हैं और सोच रहे हैं कि क्या लिखें, तो चलिए आपको इस लेख में भाई दूज के कुछ बेहतरीन हिंदी मेसेज, wishes और कोट्स के बारे में बताते हैं, जिन्हें आप आसानी से व्हाट्सएप, फेसबुक या मेसेज के जरिए भेजकर उनके दिन को और भी खास बना सकते हैं।

भाई दूज के शानदार मैसेजेस (Bhai Dooj Wonderful Messages)

  1. “चंदन का टीका, नारियल का उपहार, भाई की उम्मीद, बहना का प्यार। खुशी से मनाएं आप भाई दूज का त्योहार, भाई दूज की हार्दिक शुभकामनाएं!”
  2. “भाई तेरे मेरे प्यार का बंधन, प्रेम और विश्वास का बंधन, तेरे माथे पर लगाऊं चंदन, मांगूं दुआएं तेरे लिए हर पल। भाई दूज की हार्दिक शुभकामनाएं।”
  3. “आरती की थाली मैं सजाऊं, कुमकुम और अक्षत से तिलक लगाऊं, तेरे उज्ज्वल भविष्य की कामना करूं, संकट न आए तुझ पर कभी ऐसी दुआ करूं। Happy Bhai Dooj!”
  4. “प्रेम और विश्वास के बंधन को मनाओ, जो दुआ मांगो उसे तुम हमेशा पाओ। भाई दूज का त्योहार है, भईया जल्दी आओ, अपनी प्यारी बहना से आकर तिलक लगवाओ। भाई दूज के पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं।”
  5. “भाई दूज का है आया शुभ त्योहार, बहनों की दुआएं भाइयों के लिए हज़ार, भाई बहन का यह अनमोल रिश्ता है बहुत अटूट, बना रहे ये बंधन हमेशा खूब। हैप्पी भाई दूज!”
  6. “बहन लगाती तिलक फिर मिठाई खिलाती है, भाई देता तोहफा और बहन मुस्कुराती है, भाई बहन का ये रिश्ता न पड़े कभी लूज, मेरी तरफ से मुबारक हो आपको भाई दूज!”
  7. “इस खास दिन पर, आपके भाई की खुशी और स्वास्थ्य की कामना करती हूँ, भाई दूज मुबारक।”
  8. “आपके भाई-बहन के बीच का रिश्ता हर गुजरते साल के साथ और मज़बूत होता जाए। इस भाई दूज पर आपको खुशी, सफलता और अनंत आशीर्वाद की कामना करता हूँ।”
  9. इस पावन अवसर पर मेरे प्यारे भाई को ढेर सारा प्यार और शुभकामनाएं – भाई दूज मुबारक!
  10. बहन की दुआ हमेशा भाई के साथ होती है, खुश रहो मेरे प्यारे भाई हमेशा.

भाई दूज मैसेजेस

  1. भगवान करे तुम्हारा जीवन खुशियों से भरा रहे – हैप्पी भाई दूज!
  2. भाई दूज का ये दिन लाए आपके जीवन में खुशियां और समृद्धि की बहार.
  3. इस भाई दूज पर भाई-बहन के रिश्ते में और गहराई आए – शुभकामनाएं!
  4. मेरी हर मुस्कान मेरे भाई की वजह से है – हैप्पी भाई दूज!
  5. भाई दूज पर भगवान यमराज आपको दीर्घायु और सफलता का आशीर्वाद दें.
  6. इस पवित्र पर्व पर आपका जीवन खुशियों और प्रेम से भर जाए.
  7. भाई दूज के मौके पर मेरे प्यारे भाई को दिल से शुभकामनाएं!
  8. बहन के प्यार और दुआओं से जीवन में मिले हर खुशी – हैप्पी भाई दूज!
  9. भाई दूज का तिलक है भाई-बहन के प्यार की निशानी, रहे यह रिश्ता सदा सुहानाबहन की दुआएं सदा तुम्हारे साथ रहें – शुभ भाई दूज!
  10. इस दिन भगवान से यही प्रार्थना है कि मेरे भाई का जीवन सदा मुस्कुराता रहे.

Bihar Chara Ghotala story: चारा था जानवरों के लिए, पर खा गए नेता और अफसर मिलके! जानिए...

0

Bihar Chara Ghotala story: बिहार की राजनीति में कई उतार-चढ़ाव आए हैं, लेकिन ऐसा कोई घोटाला नहीं हुआ जिसने राज्य की राजनीति, प्रशासन और न्याय व्यवस्था तीनों को एक साथ झकझोर कर रख दिया हो। यह कहानी सिर्फ भ्रष्टाचार की नहीं, बल्कि उस सिस्टम के सड़ने की है, जहां सालों तक सरकारी खजाना लुटता रहा और कोई पूछने वाला नहीं था। हम बात कर रहे हैं ‘चारा घोटाले’ की, जिसकी गूंज आज भी बिहार के इतिहास में गूंजती है।

और पढ़ें: Bihar Election 2025: नामांकन भरा और गिरफ्तार हो गए! सासाराम में राजद उम्मीदवार सत्येंद्र साह की एंट्री पर बवाल

1970 के दशक में रखी गई घोटाले की नींव- Bihar Chara Ghotala story

यह मामला सिर्फ एक दो साल की लूट का नहीं, बल्कि एक ऐसा खेल था जो दशकों तक चुपचाप चलता रहा। दरअसल 1970 के दशक में बिहार के पशुपालन विभाग में फर्जी बिल बनाकर पैसा निकाला जाने लगा। शुरू में ये रकम छोटी होती थी, लेकिन जैसे-जैसे अधिकारियों, नेताओं और सप्लायर्स की मिलीभगत बढ़ी, चोरी भी करोड़ों में पहुंच गई।

विभाग में पशुओं के चारे, दवाइयों, ट्रांसपोर्ट और उपकरणों के नाम पर बिल बनाए जाते थे, जबकि असल में ये सामान कभी खरीदे ही नहीं गए। और यह सब बड़ी सफाई से होता रहा क्योंकि सबका हिस्सा बंटा हुआ था।

1985 में मिली पहली चेतावनी, लेकिन हुआ कुछ नहीं

1985 में तत्कालीन कैग (CAG) टी.एन. चतुर्वेदी ने बिहार सरकार को रिपोर्ट दी थी कि विभाग में गड़बड़झाला हो रहा है। अकाउंट्स में देर से रिपोर्टिंग और हिसाब-किताब में गड़बड़ी के चलते शक जताया गया था। लेकिन इस चेतावनी को पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया गया।

दरअसल, भ्रष्टाचार को राजनीतिक छत्रछाया मिल चुकी थी। कोई अधिकारी अगर आवाज उठाता, तो उसे ही सजा मिलती।

1992 में सतर्कता विभाग ने खोले राज, लेकिन गवाह बना अपराधी

1992 में सतर्कता विभाग के निरीक्षक बिधु भूषण द्विवेदी ने एक अहम रिपोर्ट सौंपी, जिसमें उन्होंने मुख्यमंत्री स्तर तक की संलिप्तता बताई। लेकिन उन्हें इनाम देने की बजाय सस्पेंड कर दिया गया और उनका तबादला कर दिया गया। बाद में कोर्ट के आदेश पर बहाल हुए और चारा घोटाले के अहम गवाह बने।

1996 में हुआ बड़ा धमाका: सामने आया असली खेल

जनवरी 1996 में युवा IAS अधिकारी अमित खरे ने रांची के चाईबासा कोषागार में छापा मारा। वहां से जो दस्तावेज मिले, उसने सबकी आंखें खोल दीं। करोड़ों के फर्जी बिल, काल्पनिक पशु और ग़ायब सप्लायर्स सब सामने आ गए। यह बिहार के इतिहास की सबसे बड़ी लूट थी।

पत्रकारिता ने दिखाई ताकत, देशभर में मचा हड़कंप

स्थानीय पत्रकार रवि एस. झा ने इस घोटाले को गहराई से उठाया और यह राष्ट्रीय मीडिया की सुर्खियों में आ गया। उनकी रिपोर्ट में बताया गया कि सिर्फ अधिकारी ही नहीं, बल्कि मंत्री, विधायक और यहां तक कि मुख्यमंत्री तक की इसमें भूमिका थी।

जांच पहुंची CBI तक, शुरू हुई सियासी बवाल

जनता का गुस्सा बढ़ रहा था। 1996 में पटना हाई कोर्ट ने इस मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी। सीबीआई ने जब जांच शुरू की, तो चौंकाने वाले नाम सामने आए – मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव, पूर्व सीएम जगन्नाथ मिश्रा, कई IAS अधिकारी और सैकड़ों सरकारी कर्मचारी।

लालू की कुर्सी गई, राबड़ी बनीं सीएम

1997 में जब सीबीआई ने राज्यपाल से लालू यादव पर मुकदमा चलाने की अनुमति मांगी और उसे मंजूरी मिल गई, तो लालू ने जनता दल से अलग होकर राष्ट्रीय जनता दल (RJD) बनाई। 25 जुलाई 1997 को उन्होंने इस्तीफा दिया और अपनी पत्नी राबड़ी देवी को मुख्यमंत्री बना दिया।

यह कदम अपने आप में अभूतपूर्व था और इससे बिहार की राजनीति पूरी तरह बदल गई।

मुकदमे, गिरफ्तारियां और जेल की कहानी

लालू यादव को पहली बार 1997 में गिरफ्तार किया गया। उसके बाद 1998 और 2000 में भी उन्हें हिरासत में लिया गया। घोटाले की जांच के दौरान अदालत में 20 ट्रकों में दस्तावेज लाए गए, गवाहों की लाइनें लगीं और सालों तक केस चलते रहे।

संपत्ति से लेकर सजा तक – बढ़ती मुसीबतें

1998 में लालू और राबड़ी देवी पर आय से अधिक संपत्ति का केस दर्ज हुआ। उन पर आरोप था कि उन्होंने अवैध रूप से 46 लाख की संपत्ति बनाई। हालांकि 2006 में कोर्ट ने उन्हें बरी कर दिया।

लेकिन चारा घोटाले से जुड़े केस चलते रहे। 2013 में सीबीआई कोर्ट ने लालू को दोषी ठहराया और उनकी लोकसभा सदस्यता चली गई। बाद में उन्हें साढ़े तीन साल की सजा और 5 लाख जुर्माने की सजा मिली।

डोरंडा केस – सबसे बड़ा उदाहरण

इस घोटाले में सबसे अहम केस रहा डोरंडा ट्रेजरी का। इसमें 600 से ज्यादा गवाहों की गवाही रिकॉर्ड हुई और 50,000 से ज्यादा दस्तावेज पेश किए गए। इस केस में कुल 124 लोग आरोपी थे, जिनमें से 89 को दोषी करार दिया गया।

जगन्नाथ मिश्रा को भी नहीं छोड़ा कानून

आपको बता दें, पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा भी इस केस में आरोपी थे। शुरुआत में उन्हें दोषी ठहराया गया, लेकिन बाद में सबूतों के अभाव में कोर्ट ने 2018 में उन्हें बरी कर दिया। 2019 में उनका निधन हो गया।

अब तक कितना पैसा मिला वापस?

वहीं, यह सवाल अब भी बना हुआ है। घोटाले में सैकड़ों लोगों को सजा मिली, केस दर्ज हुए, नेता जेल गए… लेकिन जो 950 करोड़ रुपये सरकारी खजाने से लूटे गए थे, उनका बड़ा हिस्सा अब तक वापस नहीं आया।
चारा घोटाले ने यह साफ कर दिया कि जब नेता, अफसर और सिस्टम मिल जाएं तो भ्रष्टाचार रुकना मुश्किल हो जाता है। लेकिन यही घोटाला यह भी दिखाता है कि जब सच को दबाने की कोशिश होती है, तब एक सच्चा अफसर, एक ईमानदार पत्रकार और जनता की आवाज मिलकर पूरे सिस्टम को हिला सकती है।

और पढ़ें: Bihar Elections 2025: राबड़ी को दी मात, अब तेजस्वी को दी चुनौती – बीजेपी का दांव फिर उसी चेहरे पर 

World Largest Sanatan Sansad: हरिद्वार में बनेगा विश्व का सबसे बड़ा सनातन संसद भवन, 1...

0

World Largest Sanatan Sansad: धर्मनगरी हरिद्वार एक बार फिर सनातन संस्कृति के इतिहास में नया अध्याय जोड़ने जा रही है। यहां जल्द ही दुनिया की सबसे बड़ी “सनातन संसद” की नींव रखी जाएगी, जो सिर्फ एक भवन नहीं, बल्कि वैदिक परंपरा और हिंदू संस्कृति के पुनर्जागरण का प्रतीक बनने जा रही है। इस मेगा प्रोजेक्ट का निर्माण कार्य 21 नवंबर से शुरू होगा और लक्ष्य है इसे 2032 तक पूरी तरह तैयार करना।

और पढ़ें: Govardhan Puja 2025: मथुरा में आज नहीं कल होगी गोवर्धन पूजा, जानें शुभ मुहूर्त और अन्नकूट का महत्व

100 एकड़ में फैलेगा महापीठ, 1000 करोड़ का बजट- World Largest Sanatan Sansad

यह पूरा प्रोजेक्ट 100 एकड़ भूमि पर विकसित किया जा रहा है, जिसका नाम होगा “विश्व सनातन महापीठ”। इस महापीठ के निर्माण पर 1,000 करोड़ रुपए का अनुमानित खर्च बताया गया है।
तीर्थ सेवा न्यास के संरक्षक बाबा हठयोगी ने जानकारी देते हुए कहा कि यह महापीठ केवल इमारतों का समूह नहीं होगा, बल्कि यह भारत की वैदिक परंपरा और आध्यात्मिक चेतना को एक नया जीवन देगा।

संतों के लिए आधुनिक सुविधाओं से युक्त परिसर

सनातन संसद के तहत 108 संतों के लिए कुटिया बनाई जाएंगी, जो आधुनिक लेकिन पारंपरिक दृष्टिकोण से तैयार होंगी। इसके अलावा, यहां पर सनातन संसद भवन, एक विशाल ध्यान केंद्र, और 13 अखाड़ों के उद्देश्य पत्र की प्रदर्शनी भी स्थापित की जाएगी।

चारों शंकराचार्य पीठों को समर्पित ‘प्रेरणा परिसर’ भी इस प्रोजेक्ट का हिस्सा होगा, जो आध्यात्मिक ज्ञान के आदान-प्रदान का केंद्र बनेगा।

दुनिया का सबसे बड़ा गुरुकुल

इस महापीठ की एक और खास बात ये है कि विश्व का सबसे बड़ा गुरुकुल, जिसमें 10,000 से अधिक विद्यार्थी वैदिक शिक्षा प्राप्त करेंगे। यहां विद्यार्थियों को केवल धार्मिक शिक्षा ही नहीं, बल्कि आधुनिक युग की आवश्यकताओं के अनुरूप संस्कारित और संतुलित जीवन जीने की भी सीख दी जाएगी।

श्रद्धालुओं के लिए विशेष इंतजाम

सिर्फ संत ही नहीं, आम श्रद्धालुओं का भी इस परियोजना में पूरा ध्यान रखा गया है। महापीठ परिसर में 1,000 कमरे श्रद्धालुओं के ठहरने के लिए बनाए जाएंगे। साथ ही यहां 108 तीर्थ स्थलों की परिक्रमा पथ, देशी गौ संरक्षण केंद्र, और स्वरोजगार प्रशिक्षण केंद्र भी होंगे।

आत्मरक्षा और सुरक्षा के लिए शस्त्र प्रशिक्षण

इस महापीठ की एक अनोखी पहल होगी कि एक लाख हिंदुओं को शस्त्र प्रशिक्षण देना। बाबा हठयोगी के मुताबिक, यह पहल आत्मरक्षा और सनातन परंपराओं की सुरक्षा के उद्देश्य से की जा रही है, ताकि समाज अपने धर्म और संस्कृति की रक्षा खुद कर सके।

“युग परिवर्तन की दिशा में एक कदम”

तीर्थ सेवा न्यास के अध्यक्ष रामविशाल दास ने बताया कि 21 नवंबर को विधिवत रूप से इस प्रोजेक्ट की शुरुआत होगी। उन्होंने कहा, “यह महापीठ केवल ईंट और पत्थरों का ढांचा नहीं है, यह भारत के वैदिक तेज का पुनर्जन्म है। हर वह व्यक्ति जो सनातन से जुड़ा है, उसका इसमें योगदान होगा।”

कार्यक्रम में अनेक गणमान्य लोग रहे मौजूद

इस परियोजना की घोषणा के मौके पर ओम दास, डॉ. गौतम खट्टर, राजेश कुमार, अशोक सोलंकी, और सुशील चौधरी जैसे कई प्रमुख लोग भी उपस्थित रहे। सभी ने इस पहल की सराहना की और इसे “युग परिवर्तन की दिशा में एक बड़ा कदम” बताया।

और पढ़ें: Amit Dhurve story: बागेश्वर धाम में चमकी आदिवासी सिंगर की किस्मत, रातों-रात हुआ मशहूर

Daniel Naroditsky death: ग्रैंडमास्टर डेनियल नारोदित्स्की का 29 साल की उम्र में निधन,...

0

Daniel Naroditsky death: अंतरराष्ट्रीय शतरंज जगत से एक बेहद दुखद खबर सामने आई है। अमेरिका के मशहूर ग्रैंडमास्टर डेनियल नारोदित्स्की का सोमवार को निधन हो गया। महज 29 साल की उम्र में इस प्रतिभाशाली खिलाड़ी का यूं जाना शतरंज की दुनिया के लिए एक बड़ा झटका है। उनका निधन उत्तरी कैरोलिना में हुआ, हालांकि अभी तक उनकी मौत का कारण सार्वजनिक नहीं किया गया है।

और पढ़ें: IND W vs AUS W से पहले महिला क्रिकेट को बड़ा सम्मान, Mithali Raj और Ravi Kalpana के नाम से स्टैंड और गेट का नामकरण

बचपन से दिखने लगी थी प्रतिभा- Daniel Naroditsky death

डेनियल नारोदित्स्की का जन्म कैलिफोर्निया में हुआ था। उन्होंने बहुत ही कम उम्र में शतरंज खेलना शुरू कर दिया था और 12 साल से कम उम्र की विश्व चैंपियनशिप जीतकर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया था। वह सिर्फ 18 साल की उम्र में ग्रैंडमास्टर बन गए थे, जो शतरंज की दुनिया का सबसे प्रतिष्ठित खिताब होता है।

किशोरावस्था में ही उन्होंने शतरंज पर किताबें लिखनी शुरू कर दी थीं और जल्दी ही दुनिया के टॉप खिलाड़ियों में गिने जाने लगे। वह लंबे समय तक दुनिया के टॉप 200 खिलाड़ियों में शामिल रहे।

ब्लिट्ज शतरंज में शानदार प्रदर्शन

डेनियल को खासतौर पर ब्लिट्ज शतरंज (तेज चालों वाला फॉर्मेट) में महारत हासिल थी। इस फॉर्मेट में वह करियर के दौरान टॉप 25 खिलाड़ियों में बने रहे। अगस्त 2025 में उन्होंने यूएस नेशनल ब्लिट्ज चैंपियनशिप जीतकर यह साबित कर दिया था कि वह अभी भी अपने खेल के शीर्ष पर हैं।

शतरंज के शिक्षक और डिजिटल फेस

नारोदित्स्की सिर्फ एक खिलाड़ी नहीं, बल्कि एक बेहतरीन कोच भी थे। वह उत्तरी कैरोलिना के शार्लोट शतरंज सेंटर में न केवल ट्रेनिंग लेते थे, बल्कि वहां कोचिंग भी देते थे। सेंटर ने सोशल मीडिया पर उनकी मौत की पुष्टि करते हुए उन्हें “एक शानदार खिलाड़ी और प्यारे शिक्षक” के रूप में याद किया।

डेनियल का एक और बड़ा योगदान था शतरंज को डिजिटल प्लेटफॉर्म्स तक पहुंचाना। YouTube और Twitch पर उनके लाखों फॉलोअर्स थे। वह ना सिर्फ अपने मुकाबलों की लाइव स्ट्रीमिंग करते थे, बल्कि चालों की बारीकियां भी दर्शकों को बड़े आसान अंदाज़ में समझाते थे। इससे शतरंज को नए और युवा दर्शकों तक पहुंचने में काफी मदद मिली।

आखिरी वीडियो: “You thought I was gone!”

निधन से ठीक दो दिन पहले, शुक्रवार को डेनियल ने अपने यूट्यूब चैनल पर एक वीडियो अपलोड किया था – “You thought I was gone!” इस वीडियो में उन्होंने कहा था कि वह एक ब्रेक के बाद पहले से भी ज्यादा बेहतर होकर लौटे हैं। उन्होंने अपने स्टूडियो से लाइव शतरंज खेलते हुए अपने फैन्स से संवाद किया था। किसी को भी अंदाजा नहीं था कि यही उनकी आखिरी झलक होगी।

शतरंज जगत में शोक, साथियों ने दी श्रद्धांजलि

दुनियाभर के दिग्गज खिलाड़ियों ने सोशल मीडिया पर शोक जताया। अमेरिकी ग्रैंडमास्टर हिकारू नाकामुरा ने उन्हें याद करते हुए कहा, “उन्हें लोगों को सिखाना और लाइव आना बेहद पसंद था। शतरंज जगत हमेशा उनका आभारी रहेगा।”

डच ग्रैंडमास्टर बेंजामिन बोक ने भी एक्स (Twitter) पर भावुक संदेश साझा करते हुए लिखा, “दान्या के साथ खेलना, सीखना और बातचीत करना मेरे लिए सौभाग्य था, लेकिन सबसे बढ़कर वह मेरे दोस्त थे। अभी भी यकीन नहीं हो रहा।”

पढ़ाई से लेकर कोचिंग तक

डेनियल एक होनहार छात्र भी थे। उन्होंने स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से इतिहास में स्नातक किया और 2019 में पढ़ाई पूरी करने के बाद पूर्ण रूप से शतरंज के करियर में सक्रिय हो गए। वह यूक्रेन और अजरबैजान से अमेरिका आए यहूदी परिवार में पैदा हुए थे। उनके माता-पिता उन्हें बचपन से ही बेहद गंभीर और एकाग्र बच्चा मानते थे।

कॉलेज के बाद वह उत्तरी कैरोलिना शिफ्ट हो गए और शार्लोट में उभरते हुए जूनियर खिलाड़ियों को ट्रेनिंग देना शुरू किया।

एक विरासत छोड़ गए पीछे

डेनियल नारोदित्स्की का जाना सिर्फ एक ग्रैंडमास्टर की मौत नहीं, बल्कि एक प्रेरणादायक इंसान, शिक्षक और डिजिटल युग के शतरंज आइकन का खो जाना है। उन्होंने जो योगदान दिया है, वो आने वाली पीढ़ियों के लिए मिसाल बना रहेगा। शतरंज की दुनिया उन्हें हमेशा याद रखेगी।

और पढ़ें: Hardik Pandya Girlfriend: हार्दिक पांड्या का दिल फिर से धड़का! रूमर्ड गर्लफ्रेंड माहिका शर्मा के साथ वेकेशन मूड में दिखे स्टार ऑलराउंड

अगर वो लड़की ना होती, तो Madhuri Dixit शायद स्टार ना बन पातीं! जानिए पूरा किस्सा

0

Madhuri Dixit: बॉलीवुड की दुनिया में बहुत से सितारे ऐसे रहे हैं, जिनका सफर आसान नहीं रहा। इन्हीं में से एक हैं माधुरी दीक्षित। आज उन्हें ‘धक-धक गर्ल’ के नाम से जाना जाता है, लेकिन ये मुकाम उन्होंने एक दिन में नहीं पाया। करियर की शुरुआत में एक के बाद एक फ्लॉप फिल्मों ने उनके सपनों पर पानी फेरने की कोशिश की थी। यहां तक कि उनके परिवारवालों ने भी उन्हें फिल्मों से दूरी बनाने की सलाह दे दी थी। मगर फिर एक मोड़ आया, जिसने सब कुछ बदल दिया।

और पढ़ें: Asrani Death: बॉलीवुड के मशहूर कॉमेडियन असरानी का निधन, दिवाली के प्रदूषण ने बिगाड़ दी थी उनकी तबीयत!

कैसे शुरू हुआ सफर? Madhuri Dixit

माधुरी ने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत साल 1984 में फिल्म अबोध से की थी। फिल्म ज्यादा नहीं चली और इसके बाद भी उनकी कई फिल्में बॉक्स ऑफिस पर कुछ खास नहीं कर पाईं। लगातार हो रही नाकामियों से उनका आत्मविश्वास डगमगाने लगा। लोग उन्हें पहचानने तो लगे थे, लेकिन उन्हें वो स्टारडम नहीं मिल पा रहा था, जो एक लीड हीरोइन को मिलना चाहिए।

‘तेजाब’ से मिला पहचान, ‘राम लखन’ से मिली उड़ान

साल 1988 में फिल्म तेजाब का गाना “एक दो तीन” जबरदस्त हिट हुआ। इस गाने ने उन्हें ‘मोहिनी’ के नाम से लोगों के दिलों में जगह दिला दी। गाना हिट हुआ, पर फिर भी उन्हें वो मुकाम नहीं मिला, जिसकी वो हकदार थीं। और तभी उनकी जिंदगी में एक नाम आया – सुभाष घई।

सुभाष घई अपनी फिल्म राम लखन के लिए नए चेहरे की तलाश में थे। और यहीं एंट्री होती है उस इंसान की, जिसने माधुरी दीक्षित की किस्मत ही पलट दी – खातून डिजाले।

कौन हैं खातून डिजाले?

खातून डिजाले एक जानी-मानी हेयर ड्रेसर हैं, जो उस दौर में बॉलीवुड के कई बड़े सितारों के साथ काम कर चुकी थीं। हाल ही में एक इंटरव्यू में उन्होंने इस राज से पर्दा उठाया कि कैसे उन्होंने माधुरी दीक्षित को सुभाष घई से मिलवाया।

खातून ने बताया, “सुभाष जी ने मुझसे कहा कि उन्हें एक नई लड़की चाहिए फिल्म के लिए। मैंने उन्हें माधुरी का नाम सुझाया। मैंने कहा कि वो पहले काम कर चुकी हैं और बहुत अच्छी हैं। मैंने ‘अबोध’ के लिए उनका हेयर टेस्ट किया था।”

डांस टेस्ट से मिला मौका

इसके बाद सुभाष घई ने माधुरी को कश्मीर में चल रही एक फिल्म की शूटिंग के दौरान डांस टेस्ट के लिए बुलाया। माधुरी अपने माता-पिता के साथ वहां पहुंचीं और उन्होंने शानदार परफॉर्मेंस दी। यहीं से उन्हें राम लखन में काम करने का मौका मिला। फिल्म रिलीज होते ही माधुरी छा गईं। उनका गाना “धक-धक करने लगा” सुपरहिट हुआ और वो बन गईं सबकी फेवरेट बॉलीवुड की ‘धक-धक गर्ल’।

सुभाष घई ने दिया पूरा क्रेडिट

खातून डिजाले ने बताया कि सुभाष घई ने कई इंटरव्यू में उन्हें इसका पूरा क्रेडिट दिया। एक इंटरव्यू में उनसे पूछा गया कि उन्होंने किन हीरोइनों का करियर बनाया, तो उन्होंने सबसे पहले माधुरी दीक्षित का नाम लिया और बताया कि “खातून डिजाले ने मुझे माधुरी से मिलवाया था।” सुभाष घई ने ईमानदारी से स्वीकार किया कि उन्हें ये अंदाजा नहीं था कि माधुरी इतनी बड़ी स्टार बन जाएंगी।

आज भी एक्टिव हैं माधुरी

अब बात करें माधुरी दीक्षित के वर्क फ्रंट की, तो हाल ही में वो अनीस बज्मी की फिल्म भूल भुलैया 3 में नजर आई थीं। इसके अलावा उनके पास दो और प्रोजेक्ट्स हैं एक वेब सीरीज ‘मिसेज देशपांडे’ और एक फिल्म ‘मां बहन’, जो जल्दी ही रिलीज होने वाली हैं।

और पढ़ें: तालिबानी मंत्री के स्वागत पर भड़के Javed Akhtar, बोले – “मेरा सिर शर्म से झुक गया”

Govardhan Puja 2025: मथुरा में आज नहीं कल होगी गोवर्धन पूजा, जानें शुभ मुहूर्त और अन्...

0

Govardhan Puja 2025: गोवर्धन पूजा, जिसे अन्नकूट के नाम से भी जाना जाता है, कल, बुधवार, यानी 22 अक्टूबर 2025 को मथुरा और पूरे देश में मनाई जाएगी। हालाँकि यह त्यौहार आमतौर पर दिवाली के अगले दिन मनाया जाता है, लेकिन इस बार (21 अक्टूबर) यह नहीं मनाया जाएगा क्योंकि गोवर्धन पूजा कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को की जाती है और यह तिथि अमावस्या (अमावस्या) को नहीं पड़नी चाहिए।

चूँकि प्रतिपदा तिथि आज शाम से शुरू होकर कल, 22 अक्टूबर को सूर्योदय (उदय तिथि) तक रहेगी, इसलिए कल पूजा करना शुभ रहेगा। तो चलिए आपको इस लेख में गोवर्धन पूजा के बारे ने विस्तार से बताते हैं।

गोवर्धन पूजा 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त

विवरण तिथि और समय
गोवर्धन पूजा की तिथि 22 अक्टूबर 2025, बुधवार
प्रतिपदा तिथि आरंभ 21 अक्टूबर 2025, शाम 5:54 बजे
प्रतिपदा तिथि समाप्त 22 अक्टूबर 2025, रात 8:16 बजे
प्रातःकाल पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 6:26 बजे से सुबह 8:42 बजे तक (अवधि: 2 घंटे 16 मिनट)
सायंकाल पूजा का शुभ मुहूर्त दोपहर 3:29 बजे से शाम 5:44 बजे तक (अवधि: 2 घंटे 16 मिनट)
Dyuta Krida (द्यूत क्रीड़ा) 22 अक्टूबर 2025, बुधवार

 

गोवर्धन पूजा विधि (Puja Vidhi)

आपको बता दें, गोवर्धन पूजा (Govardhan puja) प्रकृति और भगवान कृष्ण को समर्पित है। इस दिन लोग गोबर और मिट्टी से कृष्ण भगवान  की मूर्ति बनाकर उनकी की पूजा करते हैं। पूजा के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ़ कपड़े पहनें। अपने आँगन में गोबर से गोवर्धन पर्वत की प्रतीकात्मक आकृति बनाते हैं। इस आकृति को फूलों, दीयों, मुरमुरे, मिश्री, मिठाइयों और अनाज से सजाएँ। गोवर्धन के पास ग्वालों और गायों की आकृतियाँ भी बनाई जाती हैं।

शुभ मुहूर्त में गोवर्धन जी की पूजा करें और धूप, दीप, जल, फल, और मिठाई अर्पित करें। पूजा के समय ॐ अन्नपूर्णायै नमः” मंत्र का जाप करें। इस दिन अन्नकूट (56 भोग/56 प्रकार के व्यंजन) तैयार किए जाते हैं और भगवान श्री कृष्ण को अर्पित किए जाते हैं। ठीक उसी तरह जैसे जन्माष्टमी पर होता हैं।

परिक्रमा और गौ पूजा

वही पूजा के बाद गोवर्धन भगवान जी की सात बार परिक्रमा की जाति है जो कि सभी को करनी चाहिए। गोवर्धन पूजा के दिन गायों और बैलों की पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन कुछ गाय तो कुछ नहीं खाती हैं वही आप गायों को स्नान कराकर उन्हें माला पहनाएं, तिलक लगाएं और गुड़ तथा चारा खिलाएं। कहते है कि गाय माता की पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि आती है।

इसके अलवा अंत में भगवान श्री कृष्ण और गोवर्धन जी की आरती गाएं। पूजा पूरी होने के बाद अन्नकूट प्रसाद को ब्राह्मणों, गरीबों और अपने परिवार के सदस्यों में बांट दें।

Sultana Daku Story: चिट्ठी लिखकर करता था डकैती, उसे पकड़ने के लिए अंग्रेजों ने डर से ख...

Sultana Daku Story: एक दौर था जब पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सहारनपुर, हरिद्वार, बिजनौर और कोटद्वार जैसे इलाके सुल्ताना डाकू के नाम से कांपते थे। उसका खौफ इतना था कि ब्रिटिश हुकूमत को बाकायदा इन इलाकों में नए थाने खोलने पड़े। सहारनपुर जिले में जो आज कई थाने हैं, उनमें से कई की स्थापना सुल्ताना डाकू और स्वतंत्रता सेनानियों से निपटने के मकसद से की गई थी।

उस वक्त देहरादून और हरिद्वार भी सहारनपुर का हिस्सा हुआ करते थे। मेरठ कमिश्नरी के अधीन वेस्ट यूपी का लंबा चौड़ा हिस्सा आता था। 1909 में सहारनपुर में पुलिस अधीक्षक कार्यालय की नींव रखी गई, और फिर धीरे-धीरे कई थानों का गठन हुआ—बड़गांव (1907), चिलकाना, बिहारीगढ़, मिर्जापुर, नकुड़, गंगोह, नगर कोतवाली, देहरादून, हरिद्वार और रुड़की।

और पढ़ें: Kidnapping of Rubaiya Sayeed: जब गृहमंत्री की बेटी बनी आतंक का मोहरा, जानें उस अपहरण की कहानी  जिसने कश्मीर में आतंकवाद की आग भड़का दी

सुल्ताना डाकू: डाकू कम, किंवदंती ज़्यादा- Sultana Daku Story

सुल्ताना डाकू सिर्फ एक नाम नहीं था, वो एक ऐसा चेहरा था जिसे अमीरों के लिए काल और गरीबों के लिए मसीहा माना जाता था। साहित्यकार डॉ. वीरेंद्र आज़म बताते हैं कि सुल्ताना पुलिस की वर्दी पहनता था और उससे भी हैरानी की बात ये कि डाका डालने से पहले बाकायदा चिट्ठी भेजकर सूचना देता था।

उसकी हिम्मत देखिए जिस घर में डाका डालना होता, वहां पहले से चिट्ठी भेज दी जाती और तय तारीख पर वह आता और डाका डालता भी। पुलिस उसे कई बार पकड़ने गई लेकिन नाकाम रही।

उसने नजीबाबाद के एक पुराने किले को अपना अड्डा बना लिया था। वो किला जो नजीबुद्दौला ने बनवाया था, सुल्ताना के कब्जे में था और पुलिस उस इलाके में जाने से भी डरती थी।

उमराव सिंह और वो घोड़े वाली कहानी

एक किस्सा काफी मशहूर है, कोटद्वार के जमींदार उमराव सिंह को सुल्ताना ने चिट्ठी भेजी कि फलां तारीख को तुम्हारे घर डाका डालूंगा। उमराव सिंह ने गुस्से में अपने नौकर को चिट्ठी देकर पुलिस को सूचना देने भेजा। नौकर को घोड़ा दिया गया ताकि वह जल्दी पहुंचे। लेकिन रास्ते में सुल्ताना खुद अपने साथियों के साथ नहा रहा था। वर्दी में होने के चलते नौकर ने उसे ही पुलिस समझ लिया और चिट्ठी दे दी।

ये देखकर सुल्ताना तिलमिला गया और उसी रात उमराव सिंह को गोली मार दी।

गरीबों का मददगार, अमीरों का दुश्मन

सुल्ताना के बारे में एक लोककथा ये भी कहती है कि वो अमीरों को लूटकर गरीबों में बांटता था। किसी छोटे दुकानदार से सामान लेता, तो उसके दोगुने पैसे देता। और अगर कोई गरीब अपनी बेटी की शादी के लिए मदद मांगता, तो खुलकर चंदा देता।

वो अमीरों की लाशें पेड़ से लटका देता था ताकि बाकी लोग डरें। उसका खौफ इतना था कि ब्रिटिश हुकूमत ने बिहारीगढ़, फतेहपुर और नजीबाबाद जैसे इलाकों में नए थाने खोले।

ब्रिटिश सरकार की सख्त कार्रवाई

आखिरकार ब्रिटिश सरकार ने सुल्ताना को पकड़ने के लिए स्पेशल अफसर कैप्टन यंग को भेजा। कैप्टन यंग ने 1923 में सुल्ताना और उसके कुछ साथियों को पकड़ लिया। उसी साल जून में हल्द्वानी जेल में उसे फांसी दे दी गई।

तब उसकी उम्र करीब 30 साल थी और उसका आतंक लगभग 10 साल तक चला था।

सुल्ताना की कहानी, इतिहास या हीरो?

सुल्ताना डाकू की कहानी सिर्फ डकैती की नहीं, बल्कि उस दौर की है जब एक व्यक्ति का नाम ब्रिटिश सत्ता की नींव हिला सकता था। चाहे वो डाकू रहा हो या ‘गरीबों का रॉबिनहुड’, उसकी वजह से सहारनपुर और आसपास के इलाकों में जो पुलिस ढांचा खड़ा हुआ, वो आज भी कायम है।

और शायद यही वजह है कि आज भी फिल्मों, किस्सों और लोकगीतों में सुल्ताना डाकू ज़िंदा है।

और पढ़ें: Indian Artillery Regiment: अंग्रेजों की बनाई वो तोपखाना रेजिमेंट, जिसने दुश्मनों को किया पस्त, आज भी भारतीय सेना का अभिमान

Diwali Air Pollution: दिवाली के बाद दिल्ली से कोलकाता तक प्रदूषण का कहर, सुप्रीम कोर्...

0

Diwali Air Pollution: दिवाली के त्योहार के बाद देशभर में वायु गुणवत्ता का स्तर एक बार फिर चिंताजनक हो गया है। खासकर दिल्ली, कोलकाता और मुंबई जैसे बड़े शहरों में हवा इतनी जहरीली हो चुकी है कि सांस लेना भी मुश्किल हो गया है। पटाखों की गूंज और धुएं ने हवा में ज़हर घोल दिया है, जबकि सुप्रीम कोर्ट ने साफ निर्देश दिया था कि केवल हरित पटाखों का सीमित समय में इस्तेमाल किया जाए।

और पढ़ें: Asrani Death: बॉलीवुड के मशहूर कॉमेडियन असरानी का निधन, दिवाली के प्रदूषण ने बिगाड़ दी थी उनकी तबीयत!

दिल्ली का दम निकला, AQI पहुँचा ‘गंभीर’ श्रेणी में- Diwali Air Pollution

राजधानी दिल्ली में दिवाली के बाद हवा की गुणवत्ता एक बार फिर खतरनाक स्तर पर पहुंच गई है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, मंगलवार को दिल्ली का औसतन AQI 354 रिकॉर्ड किया गया, जो ‘बहुत खराब’ श्रेणी में आता है। सुबह के समय कुछ इलाकों में AQI 500 के पार तक चला गया, जो सीधे ‘गंभीर’ श्रेणी में आता है।

दिल्ली के 35 में से 32 AQI मॉनिटरिंग स्टेशनों ने 300 से ऊपर का स्तर दर्ज किया है। बवाना 427, वज़ीरपुर 408, जहांगीरपुरी 407 और बुराड़ी 402 के साथ सबसे ज़्यादा प्रदूषित क्षेत्रों में शामिल रहे। आनंद विहार का AQI 360 रहा, जो पहले से ही वायु गुणवत्ता को लेकर संवेदनशील क्षेत्र माना जाता है।

सुप्रीम कोर्ट के निर्देश बेअसर, पटाखे देर रात तक फोड़े गए

सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि दिवाली पर रात 8 से 10 बजे तक केवल हरित पटाखों का ही प्रयोग किया जाए, लेकिन हकीकत इससे उलट रही। दिल्ली-NCR में रातभर पटाखों का शोर और धुआं छाया रहा। लोग न केवल तय समय के बाद पटाखे फोड़ते नजर आए, बल्कि हरित पटाखों के बजाय तेज आवाज़ और धुएं वाले बैन किए गए पटाखों का इस्तेमाल भी जमकर हुआ।

बंगाल भी चपेट में, काली पूजा के बाद बिगड़ी हवा

दिवाली के साथ-साथ बंगाल में काली पूजा के मौके पर भी भारी मात्रा में पटाखे जलाए गए, जिससे कोलकाता और हावड़ा की हवा भी बुरी तरह प्रभावित हुई।
WBPCB के अनुसार, हावड़ा के बेलूर में रात 10 बजे AQI 364 तक पहुंच गया। वहीं, कोलकाता के विक्टोरिया मेमोरियल इलाके में PM 2.5 का स्तर 186 दर्ज किया गया।

हावड़ा के पद्मापुकुर में AQI 361, घुसुड़ी में 252, बल्लीगंज में 173 और जादवपुर में 169 रहा। रवीन्द्र भारती विश्वविद्यालय (सिंथी) क्षेत्र में AQI 167 तक पहुंच गया। पर्यावरणविद् सोमेंद्रमोहन घोष ने बताया कि काली पूजा की रात प्रतिबंध के बावजूद कई जगहों पर तेज आवाज़ वाले पटाखों का इस्तेमाल किया गया।

बाकी शहरों की भी हालत खराब

दिल्ली और कोलकाता के अलावा मुंबई में भी दिवाली के बाद हवा का हाल बेहाल रहा। मुंबई का AQI 214 रिकॉर्ड किया गया, जो ‘खराब’ श्रेणी में आता है। पटना (224), जयपुर (231), और लखनऊ (222) में भी यही स्थिति रही।
हालांकि, बेंगलुरु (94) की हवा ‘संतोषजनक’ और हैदराबाद (107) व चेन्नई (153) की हवा ‘मध्यम’ श्रेणी में रही।

GRAP लागू, लेकिन असर नहीं

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) ने पहले से ही GRAP (Graded Response Action Plan) का चरण 2 लागू कर रखा है, ताकि प्रदूषण पर काबू पाया जा सके। लेकिन दिवाली की रात जो हुआ, उससे यह साफ है कि नियमों का पालन ज़मीन पर न के बराबर रहा।

नतीजा? सांस लेना भी हो रहा मुश्किल

बढ़ता प्रदूषण न सिर्फ आंखों में जलन और गले में खराश ला रहा है, बल्कि सांस की बीमारियों से जूझ रहे मरीजों के लिए यह हवा जानलेवा बन चुकी है। डॉक्टरों और पर्यावरणविदों की चेतावनी है कि अगर जल्द कदम नहीं उठाए गए, तो हालात और बिगड़ सकते हैं।

और पढ़ें: NOTAM Begin Today: भारत के मिसाइल मिशन की नई उड़ान! बंगाल की खाड़ी में 3,550 किमी का NOTAM, अग्नि-6 टेस्टिंग की अटकलें तेज

Bihar Election 2025: नामांकन भरा और गिरफ्तार हो गए! सासाराम में राजद उम्मीदवार सत्यें...

0

Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव के माहौल में उस वक्त बड़ा ट्विस्ट आ गया जब सासाराम विधानसभा सीट से महागठबंधन के उम्मीदवार सत्येंद्र साह को नामांकन दाखिल करने के तुरंत बाद पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। सोमवार को जैसे ही सत्येंद्र साह ने नामांकन प्रक्रिया पूरी की और निर्वाची पदाधिकारी के कक्ष से बाहर निकले, पुलिस पहले से ही उन्हें पकड़ने के लिए तैयार खड़ी थी। बाहर निकलते ही उन्हें हिरासत में ले लिया गया, जिससे इलाके में अफरा-तफरी मच गई।

और पढ़ें: Bihar Elections 2025: राबड़ी को दी मात, अब तेजस्वी को दी चुनौती – बीजेपी का दांव फिर उसी चेहरे पर 

21 साल पुराना मामला बना गिरफ्तारी की वजह- Bihar Election 2025

सदर डीएसपी वन दिलीप कुमार ने गिरफ्तारी को लेकर जानकारी दी कि सत्येंद्र साह के खिलाफ करीब 21 साल पुराना एक मामला लंबित था। यह मामला साल 2004 में झारखंड के गढ़वा थाने में दर्ज हुआ था। इस मामले में कोर्ट द्वारा स्थायी वारंट जारी किया गया था, जिस पर कार्रवाई करते हुए करगहर थाने की पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार किया। अब सत्येंद्र साह को कोर्ट में पेश किए जाने के बाद जेल भेजा जाएगा।

प्रत्याशी बोले – यह विरोधियों की साजिश है

गिरफ्तारी के तुरंत बाद सत्येंद्र साह ने इसे पूरी तरह से एक सियासी चाल बताया। उनका साफ कहना है कि यह सब उनके विरोधियों की सोची-समझी साजिश है। उन्होंने सवाल उठाया कि जब इतने सालों से वारंट लंबित था, तो उन्हें पहले क्यों नहीं गिरफ्तार किया गया? उन्होंने कहा, “जैसे ही राष्ट्रीय जनता दल ने मुझे अपना प्रत्याशी घोषित किया, वैसे ही यह साजिश रची गई और मुझे चुनाव मैदान से हटाने की कोशिश की जा रही है।”

उन्होंने कहा कि इस बार सासाराम में जनता खुद चुनाव लड़ रही है और उन्हें पूरा भरोसा है कि जीत उनकी ही होगी। उन्होंने समर्थकों से शांति बनाए रखने और लोकतांत्रिक तरीके से समर्थन देने की अपील की।

समर्थकों में गुस्सा, सड़कों पर दिखा आक्रोश

गिरफ्तारी की खबर फैलते ही वहां मौजूद महागठबंधन समर्थकों में भारी नाराजगी देखी गई। बड़ी संख्या में लोग नामांकन स्थल पर जमा हो गए और प्रशासन के खिलाफ जोरदार नारेबाजी शुरू कर दी। समर्थकों का आरोप था कि यह एक सोची-समझी रणनीति के तहत किया गया हमला है ताकि जनता के नेता को चुनाव लड़ने से रोका जा सके।

इस दौरान अनुमंडल कार्यालय के बाहर कुछ देर के लिए स्थिति तनावपूर्ण हो गई और शहर की पुरानी जीटी रोड पर जाम जैसी स्थिति बन गई। हालांकि, मौके पर भारी संख्या में पुलिस बल की तैनाती कर हालात को काबू में लिया गया।

चुनाव से पहले बढ़ी राजनीतिक गर्मी

सत्येंद्र साह की गिरफ्तारी ने सासाराम विधानसभा क्षेत्र की सियासत में नई हलचल मचा दी है। जहां एक ओर राजद और महागठबंधन इसे प्रतिशोध की राजनीति बता रहे हैं, वहीं दूसरी ओर प्रशासन इसे कानून का पालन कह रहा है। इस घटनाक्रम ने निश्चित रूप से सासाराम के चुनावी माहौल को और भी गर्म कर दिया है।

और पढ़ें: Bihar Elections 2025: सीट शेयरिंग से बढ़ी बिहार में सियासी दरार, महागठबंधन में रार तो NDA में खटास बरकरार

Asrani Death: बॉलीवुड के मशहूर कॉमेडियन असरानी का निधन, दिवाली के प्रदूषण ने बिगाड़ द...

0

Asrani Death: बॉलीवुड के दिग्गज कॉमेडियन असरानी, जिनकी चुटीली कॉमिक टाइमिंग ने लाखों दर्शकों को हंसी से लोटपोट किया, अब इस दुनिया में नहीं रहे। 84 वर्षीय असरानी ने 20 अक्टूबर को मुंबई के अस्पताल में अंतिम सांस ली। वह फेफड़ों की गंभीर बीमारी से जूझ रहे थे और उनकी स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही थी। उनका निधन फिल्म इंडस्ट्री के लिए एक बड़ा सदमा है, और उनके चाहने वालों के लिए यह बहुत दुखद पल है।

और पढ़ें: तालिबानी मंत्री के स्वागत पर भड़के Javed Akhtar, बोले – “मेरा सिर शर्म से झुक गया”

कैसे बिगड़ी असरानी की तबीयत? Asrani Death

जानकारी के अनुसार, असरानी पिछले पांच दिनों से मुंबई के आरोग्य निधि अस्पताल में भर्ती थे। डॉक्टरों ने बताया कि उनकी क्रॉनिक रेस्पिरेटरी डिजीज (COPD) में अचानक बढ़ोतरी हो गई थी। सांस लेने में दिक्कत इतनी बढ़ गई थी कि उन्हें ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखा गया था। डॉक्टरों के मुताबिक, दिवाली के दौरान होने वाले प्रदूषण ने उनकी स्थिति को और गंभीर बना दिया। खासकर फेफड़ों की बीमारी से जूझ रहे मरीजों के लिए प्रदूषण बेहद खतरनाक साबित हो सकता है।

पटाखों से निकलने वाला सल्फर डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन ऑक्साइड जैसे प्रदूषक गैसें फेफड़ों की नलियों को सिकोड़ देती हैं। इससे सांस लेने में और कठिनाई होती है और खांसी, ब्रॉन्काइटिस जैसी समस्याएं और बढ़ जाती हैं। इस प्रदूषण के कारण असरानी जैसे बुजुर्गों में फेफड़ों की कार्यक्षमता 30 प्रतिशत तक कम हो सकती है।

दिवाली के दिन मुंबई में पॉल्यूशन की स्थिति

दिवाली के दिन, यानी 20 अक्टूबर को, मुंबई भी प्रदूषण की समस्या से जूझ रही थी। सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के आंकड़ों के मुताबिक, मुंबई में पीएम 2.5 का स्तर 339 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर था, जो WHO की निर्धारित सीमा से लगभग छह गुना अधिक था। इस तरह के प्रदूषण से फेफड़ों में सूजन और सांस लेने में कठिनाई बढ़ सकती है। इंडियन चेस्ट सोसायटी की रिपोर्ट के अनुसार, दिवाली के बाद रेस्पिरेटरी इंफेक्शन के मामलों में 40 प्रतिशत तक वृद्धि हो जाती है।

प्रदूषण का फेफड़ों पर असर

डॉक्टरों का कहना है कि दिवाली के प्रदूषण से फेफड़ों की स्थिति बिगड़ने के अलावा, यह हार्ट अटैक का खतरा भी बढ़ा सकता है। दिल्ली के विनायक हेल्थ हॉस्पिटल की सीनियर कंसल्टेंट पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. राधिका शर्मा के अनुसार, दिवाली के बाद स्मॉग का असर एक हफ्ते तक रहता है, जिससे फेफड़ों की कार्यक्षमता 25 प्रतिशत तक कम हो जाती है। इसके अलावा, क्रॉनिक बीमारियों जैसे COPD या अस्थमा वाले मरीजों के लिए सांस लेना और भी मुश्किल हो जाता है।

दिवाली के प्रदूषण से बचने के उपाय

दिवाली के प्रदूषण से बचने के लिए डॉक्टरों ने कुछ अहम सुझाव दिए हैं। दिल्ली के AIIMS में अडिशनल प्रोफेसर डॉ. हर्षल आर सल्वे के अनुसार, दिवाली का प्रदूषण शॉर्ट-टर्म में अस्थमा और COPD के मरीजों को और ज्यादा प्रभावित करता है। इसके अलावा, लॉन्ग-टर्म में कार्डियो-रेस्पिरेटरी डिजीज, स्ट्रोक और हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में मास्क पहनना और घर के अंदर रहना फायदेमंद हो सकता है।

असरानी का अंतिम संस्कार और परिवार की इच्छा

आपको बता दें, असरानी के निधन के बाद उनका अंतिम संस्कार सांताक्रूज वेस्ट के शास्त्री नगर शवदाह गृह में किया गया। परिवार के मुताबिक, असरानी ने कभी नहीं चाहा था कि उनके निधन के बाद किसी तरह का शोर-शराबा हो या उनकी मौत की खबर को सार्वजनिक किया जाए। उनके परिवार ने उनकी इस इच्छा का सम्मान करते हुए उनका अंतिम संस्कार बहुत ही शांति से किया। एक्टर के मैनेजर बाबुभाई थीबा ने उनके निधन की पुष्टि करते हुए बताया कि उनकी तबीयत कई दिनों से खराब थी।

असरानी का शानदार फिल्मी करियर

असरानी का जन्म 1 जनवरी 1941 को जयपुर में हुआ था। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा सेंट जेवियर्स स्कूल से की और राजस्थान कॉलेज से ग्रेजुएशन किया। 1967 में फिल्म ‘हरे कांच की चूड़ियां’ से बॉलीवुड में कदम रखा। इसके बाद वह फिल्म इंडस्ट्री का अहम हिस्सा बन गए। उन्होंने 50 साल से भी अधिक समय तक सैकड़ों फिल्मों में काम किया और अपनी बहुमुखी प्रतिभा का लोहा मनवाया। उनकी सबसे यादगार भूमिका ‘शोले’ फिल्म में जेलर के किरदार के रूप में थी। उनका डायलॉग “हम अंग्रेजों के जमाने के जेलर हैं” आज भी दर्शकों की जुबान पर है।

निजी जीवन

असरानी के निजी जीवन की बैट करें तो उन्होंने 1973 में मंजू बंसल से शादी की थी और उनका एक बेटा, नवीन असरानी है, जो अहमदाबाद में डेंटिस्ट हैं। असरानी के परिवार में तीन भाई और चार बहनें थीं। उनके पिता एक कालीन की दुकान चलाते थे, और असरानी एक साधारण परिवार से आते थे।

असरानी बॉलीवुड के उन चुनिंदा कलाकारों में से थे जिन्होंने दशकों तक हिंदी सिनेमा में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनका निधन न केवल फिल्म इंडस्ट्री के लिए बल्कि उनके लाखों चाहने वालों के लिए भी एक अपूरणीय क्षति है।

और पढ़ें: Rekha बोलीं: बच्चन जी को देख-देख के स्टार बन गई… अब क्या करें, असर था गहरा!