Kumbh stampede Shocking Truth: 29 जनवरी, 2025 को प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ के दौरान एक दिल दहला देने वाली घटना घटी, जब कुंभ मेले में चार अलग-अलग स्थानों पर भगदड़ मच गई, जिससे कम से कम 82 लोगों की जान चली गई। उत्तर प्रदेश सरकार ने इसकी आधिकारिक पुष्टि करते हुए 37 मृतकों के परिजनों को मुआवजा देने की घोषणा की, लेकिन बीबीसी द्वारा की गई गहन पड़ताल में और भी गंभीर तथ्य सामने आए, जिससे मुआवज़े की प्रक्रिया पर सवाल खड़े हो गए हैं।
आधिकारिक आंकड़ों और बीबीसी की पड़ताल- Kumbh stampede Shocking Truth
उत्तर प्रदेश सरकार के अनुसार, कुंभ मेले में हुई भगदड़ में 37 लोगों की मौत हुई थी, और उनके परिजनों को 25-25 लाख रुपए का मुआवजा दिया गया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 19 फरवरी को विधानसभा में इस घटना के बारे में बयान दिया, जिसमें उन्होंने कहा था कि 29 जनवरी की रात 1.10 बजे से 1.30 बजे के बीच संगम नोज़ के पास भगदड़ मचने से 66 श्रद्धालु घायल हुए थे, जिनमें से 30 की मौत हो गई थी। इसके बाद, 30 में से 29 की पहचान हो पाई और एक की पहचान नहीं हो पाई।
यूपी सरकार ने कहा कि कुंभ भगदड़ में कल 37 लोगों की मौत हुई। अब बीबीसी ने मृतकों के परिजनों से पुष्टि करने के बाद दावा किया है कि कम से कम 82 लोगों की मौत हुई।
आप इलाहाबाद के किसी भी निवासी से पूछिए, वह तपाक से कहता है कि कम से कम 1000 लोग मारे गए। हर व्यक्ति यही कहता है। ये… pic.twitter.com/4c5DY1t4Kf
— Krishna Kant (@kkjourno) June 10, 2025
हालांकि, बीबीसी की विस्तृत पड़ताल में पाया गया कि मृतकों की संख्या 37 से कहीं अधिक थी। बीबीसी के अनुसार, कम से कम 82 लोग कुंभ में मची भगदड़ में मारे गए थे। रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि 26 परिवारों को 5 लाख रुपये की कैश राशि दी गई थी, लेकिन उनका नाम मृतकों की आधिकारिक सूची में नहीं था। इस राशि के वितरण के संबंध में कोई स्पष्ट जानकारी नहीं मिल पाई कि यह पैसे सरकारी खजाने से आए थे या किसी अन्य स्रोत से।
मुआवज़े के वितरण में असमंजस
कुंभ मेले के भगदड़ में मारे गए 82 लोगों की मृतकों की सूची में कई नाम शामिल थे, जिनकी पहचान बीबीसी की पड़ताल में सामने आई। इन मृतकों के परिजनों को मुआवजा देने का मामला भी जटिल बन गया था। यूपी सरकार ने 36 मृतकों के परिवारों को 25-25 लाख रुपये की राशि दी, जबकि 26 परिवारों को 5-5 लाख रुपये का कैश सौंपा गया। कुछ परिवारों ने आरोप लगाया कि उन्हें पैसे लेने के बाद सरकारी कागज़ों पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया गया, जिनमें यह लिखा था कि उनके परिजनों की मौत अचानक तबीयत बिगड़ने के कारण हुई थी, न कि भगदड़ में।
एक बड़ा सवाल यह भी उठा कि 19 परिवारों को किसी भी प्रकार का मुआवजा क्यों नहीं मिला, जिनके अपनों की मौत भगदड़ के दौरान हुई थी। इन परिवारों के पास पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट, अस्पताल के मुर्दाघर की पर्ची, और मृतकों के शव की तस्वीरें जैसे ठोस प्रमाण थे, लेकिन उन्हें सरकारी मदद नहीं मिली।
एक भयावह दृश्य
बीबीसी की रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि जब भगदड़ हुई, तो कई शवों को घटनास्थल पर घंटों तक पड़ा रहने दिया गया। जैसे ही भगदड़ मची, सैकड़ों लोग जमीन पर गिर पड़े और रौंदे गए। कई शवों के पास परिवार वाले घंटों तक बैठे रहे, लेकिन उन्हें कोई मदद नहीं मिली। इन परिवारों ने बताया कि वे अपनी लाशों को लेकर घटनास्थल पर 4 बजे तक बैठे रहे, लेकिन प्रशासन की तरफ से कोई मदद नहीं आई।
ननकन और उनकी पत्नी रामा देवी का उदाहरण लिया जा सकता है। वे कुंभ के लिए आए थे, लेकिन भगदड़ में ननकन की मौत हो गई। उनके परिवार ने बताया कि उनके पास 15 हजार रुपये का लिफाफा दिया गया और शव को घर भेजने के लिए एंबुलेंस की व्यवस्था की गई। इसी तरह से अन्य परिवारों को भी कुछ पैसे दिए गए, लेकिन यह राशि हमेशा से मुआवजे के रूप में नहीं दी गई।
भगदड़ की घटनाओं के दौरान सुरक्षा व्यवस्था की खामियाँ
कुंभ मेले में सुरक्षा व्यवस्था के लिए 50,000 से ज्यादा पुलिसकर्मी तैनात थे, साथ ही 2750 सीसीटीवी कैमरे और ड्रोन के माध्यम से निगरानी की जा रही थी। लेकिन इन सारी तैयारियों के बावजूद, भगदड़ जैसी घटनाओं का होना, और उन घटनाओं में लोगों की मौत होना, सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े करता है। मेला प्रशासन ने दावा किया कि सुरक्षा के सभी उपाय किए गए थे, लेकिन बीबीसी की पड़ताल से यह स्पष्ट हो गया कि प्रशासन की तरफ से उचित कदम नहीं उठाए गए थे और पीड़ित परिवारों को मदद देने में भी कई खामियाँ रहीं।