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Sikhism in Antarctica: बर्फीले महाद्वीप पर सिखों का बोलबाला: वैज्ञानिक मिशनों में भार...

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Sikhism in Antarctica: सोचिए, आप दुनिया के सबसे ठंडे महाद्वीप पर खड़े हैं, जहां बर्फ के अलावा कुछ नहीं दिखता और तापमान -89 डिग्री सेल्सियस तक गिर सकता है। जी हां, हम बात कर रहे हैं अंटार्कटिका की, वह जगह जो पूरी तरह से बर्फ से ढकी हुई है और जहां कोई स्थायी बस्ती नहीं है। लेकिन क्या आपको पता है कि इस बर्फीले महाद्वीप पर कुछ सिख वैज्ञानिक और पर्यटक भी गए हैं, जिन्होंने ना केवल अपना शोध किया, बल्कि सिख धर्म के मूल्यों को भी यहां अपनी मेहनत और साहस से फैलाया है?

और पढ़ें: Sikhism in Guyana: जहां भारतीय मूल के लोग अपनी सांस्कृतिक धरोहर के साथ बसे हैं, लेकिन सिखों की कहानी थोड़ी अलग है

दरअसल, अंटार्कटिका में सिख धर्म का इतिहास उतना लंबा नहीं है, लेकिन सिख वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं की कुछ अद्भुत कहानियां हैं, जिन्होंने इस बर्फीले महाद्वीप पर अपने कदम जमाए और सिख धर्म के जज्बे को पूरी दुनिया के सामने पेश किया।

आइए, जानते हैं अंटार्कटिका में सिखों का क्या इतिहास है और कैसे उन्होंने इस सर्द और बर्फीले स्थान पर अपने सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर को जीवित रखा।

अंटार्कटिका कहां है? (Sikhism in Antarctica)

सबसे पहले बात करते हैं अंटार्कटिका की, यह पृथ्वी का सबसे दक्षिणी महाद्वीप है, जो दक्षिणी महासागर से घिरा हुआ है। यहां के तापमान अक्सर -60°C से भी नीचे चला जाता है, और यह जगह पूरी तरह से बर्फ से ढकी हुई है। जैसा कि हमने आपको पहले बताया था अंटार्कटिका में कोई स्थायी मानव बस्ती नहीं है। यहां के रिसर्च स्टेशनों पर दुनिया भर के वैज्ञानिक कुछ महीनों के लिए आते हैं। यह महाद्वीप पूरी तरह से शांति और वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए समर्पित है, और अंटार्कटिक संधि के तहत यहां कोई भी धार्मिक या राजनीतिक विवाद नहीं होता।

सिखों का अंटार्कटिका से जुड़ाव

अब सवाल यह है कि क्या अंटार्कटिका में सिखों का कोई इतिहास है? दरअसल, अंटार्कटिका में सिखों की संख्या बहुत कम है, क्योंकि यह कोई स्थायी आबादी नहीं है। लेकिन फिर भी, कुछ सिख वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं ने इस ठंडे महाद्वीप पर अपने कदम जमाए हैं, और वहां के कठोर वातावरण में भी सिख धर्म का जज्बा देखा गया है।

1980 के दशक में परमजीत सिंह सेहरा पहले भारतीय बने, जिन्होंने अंटार्कटिका में कदम रखा था। वह सोवियत मिशन का हिस्सा थे और अहमदाबाद के फिजिकल रिसर्च लैबोरेटरी से थे। 2012 में, बंदनजोत सिंह ने अंटार्कटिका के वैज्ञानिक मिशन में हिस्सा लिया और पगड़ीधारी पंजाबी सिख के रूप में अंटार्कटिका में अपनी पहचान बनाई।

इसके अलावा, ब्रिटिश सिख आर्मी के डॉक्टर हरप्रीत चांदी (Polar Preet) ने अंटार्कटिका में सबसे तेज़ महिला के रूप में 1,130 किलोमीटर की दूरी अकेले स्कीइंग करते हुए तय की थी। यह भी एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, जिसने सिखों के साहस और मेहनत की मिसाल पेश की।

अंटार्कटिका में गुरुद्वारा नहीं है

अब बात करें अंटार्कटिका में सिख धर्म की धार्मिक गतिविधियों की तो यहां कोई गुरुद्वारा नहीं है। अंटार्कटिका पूरी तरह से वैज्ञानिक रिसर्च के लिए समर्पित है, और यहां कोई स्थायी धार्मिक इमारत नहीं है। हालांकि, कुछ ईसाई चर्च हैं, जैसे “चैपल ऑफ द स्नोज”, जो बौद्ध और बहाई धर्म के समारोहों के लिए भी इस्तेमाल होते हैं। लेकिन सिखों के लिए कोई गुरुद्वारा नहीं है। हालांकि, सिख धर्म के अनुयायी यहां अपनी श्रद्धा और संस्कृतियों का पालन करते हैं, भले ही यहां उनका कोई स्थायी धार्मिक स्थल नहीं है।

अंटार्कटिका में सिख धर्म का महत्व

अंटार्कटिका में सिखों के धार्मिक योगदान की कोई बड़ी चर्चा तो नहीं है, लेकिन उनके साहस और लगन को देखकर यह कहा जा सकता है कि सिखों ने इस ठंडी धरती पर भी अपनी पहचान बनाई है। अंटार्कटिका के मिशनों में शामिल सिख वैज्ञानिकों ने अपनी मेहनत से न केवल भारत का नाम रोशन किया, बल्कि सिख धर्म के आदर्शों को भी इस धरती के सबसे दूर कोने तक पहुंचाया। चाहे वह परमजीत सिंह हों, जिन्होंने सोवियत मिशन में अंटार्कटिका की ओर रुख किया, या बंदनजोत सिंह हों, जिन्होंने पगड़ी पहनकर अंटार्कटिका के मिशन में हिस्सा लिया, सभी ने सिख धर्म के प्रति अपनी निष्ठा और श्रद्धा को पूरी दुनिया में दिखाया।

अंटार्कटिका का वैज्ञानिक महत्व और सिखों का योगदान

आपकी जानकारी के लिए बता दें, भारत का अंटार्कटिका मिशन 1981 से चल रहा है, और इसके तहत भारत ने कई रिसर्च स्टेशन स्थापित किए हैं, जिनमें से मैत्री और भारती प्रमुख हैं। इन मिशनों में भारत के वैज्ञानिकों ने अंटार्कटिका की जलवायु, पर्यावरण और जैव विविधता के अध्ययन में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। सिख वैज्ञानिकों ने इस मिशन में अपनी भूमिका निभाई और अंटार्कटिका के कठोर वातावरण में भी भारतीय और सिख धर्म की पहचान को बनाए रखा।

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Operation Sindoor पर गरमाई बहस: Rajnath Singh के बचाव में कांग्रेस के सवाल, क्या सरका...

Operation Sindoor: लोकसभा में सोमवार को ऑपरेशन सिंदूर पर हुई विशेष चर्चा के दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने विपक्ष पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि विपक्ष के कुछ नेताओं द्वारा यह सवाल उठाना कि “कितने विमान गिरे”, राष्ट्रीय भावनाओं का सही प्रतिनिधित्व नहीं करता। राजनाथ सिंह ने यह भी कहा कि जब लक्ष्य बड़े होते हैं, तो छोटे मुद्दों पर सवाल नहीं उठाए जाते।

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राजनाथ सिंह ने कहा, “विपक्ष ने यह नहीं पूछा कि हमारे सशस्त्र बलों ने कितने दुश्मन विमान गिराए। अगर सवाल पूछना है, तो यह होना चाहिए कि क्या भारत ने आतंकवादी ठिकानों को नष्ट किया, और इसका जवाब है, हां। क्या ऑपरेशन सिंदूर सफल रहा? इसका जवाब है, हां।” उन्होंने कहा कि इस ऑपरेशन में हमारे किसी भी सैनिक को नुकसान नहीं पहुंचा। उनके मुताबिक, किसी भी परीक्षा के बाद परिणाम मायने रखते हैं और ऑपरेशन सिंदूर ने पूरी तरह से निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त किया है।

1962 और 1971 के युद्ध का उदाहरण देते हुए राजनाथ सिंह ने कहा, “हमने तब यह नहीं पूछा था कि कितने विमान गिरे थे। उस समय हमारा ध्यान देश की सुरक्षा और लक्ष्य पर था।”

ऑपरेशन सिंदूर पर बाहरी दबाव का आरोप खारिज- Operation Sindoor

रक्षा मंत्री ने ऑपरेशन सिंदूर को बाहरी दबाव में रोकने के आरोपों को पूरी तरह से खारिज कर दिया। उनका कहना था, “भारत ने ऑपरेशन सिंदूर इसलिए रोका क्योंकि हमारे तय किए गए राजनीतिक और सैन्य उद्देश्य पूरे हो चुके थे। किसी भी बाहरी दबाव के कारण इसे रोकने का आरोप निराधार और गलत है।” उन्होंने यह भी बताया कि जब भारतीय वायुसेना ने 10 मई को पाकिस्तान के एयरफील्ड पर करारा हमला किया, तो पाकिस्तान ने हार मान ली और संघर्ष रोकने की पेशकश की।

राजनाथ सिंह ने कहा, “हमने पाकिस्तान से जो समझौता किया, वह इस शर्त पर था कि अगर भविष्य में कोई दुस्साहस हुआ, तो ऑपरेशन फिर से शुरू किया जाएगा।”

पाकिस्तान के आतंकवादी शिविरों को नष्ट करने की सफलता

सिंह ने आगे बताया कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान के सात आतंकवादी शिविर पूरी तरह नष्ट कर दिए गए थे। उन्होंने बताया कि यह ऑपरेशन 22 मिनट में समाप्त हो गया था और पहलगाम हमले का बदला लिया गया था। राजनाथ सिंह ने कहा, “हमारे लक्ष्य थे—आतंकवादी ठिकानों को नष्ट करना और पाकिस्तान को यह संदेश देना कि अगर कोई हमारे नागरिकों को नुकसान पहुंचाता है, तो भारत चुप नहीं बैठेगा।”

उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि ऑपरेशन में किसी भी निर्दोष नागरिक को निशाना नहीं बनाया गया था। उनका कहना था कि हमारी सैन्य रणनीति में यह सुनिश्चित किया गया था कि कोई भी नागरिक नुकसान न पहुंचे।

गोगोई का सवाल: ऑपरेशन सिंदूर क्यों रोका गया?

इसी बीच, कांग्रेस के उप नेता गौरव गोगोई ने सरकार से कुछ अहम सवाल किए। उन्होंने पूछा, “ऑपरेशन सिंदूर क्यों रोका गया? पहलगाम हमले में जो आतंकवादी शामिल थे, उन्हें अब तक क्यों नहीं पकड़ा गया?” गोगोई ने गृह मंत्री अमित शाह से यह सवाल भी किया कि पहलगाम हमले में सुरक्षा चूक की नैतिक जिम्मेदारी उन्हें लेनी चाहिए। उनका कहना था, “जब लोग आतंकवादी हमलों में मारे जाते हैं, तो एंबुलेंस एक घंटे तक नहीं पहुंचती। यह चूक किसकी है?”

गोगोई ने यह भी आरोप लगाया कि सरकार ने पहलगाम हमले के बाद टूर ऑपरेटरों को दोषी ठहराया और यह सरकार की कमजोर और बुजदिल रणनीति का हिस्सा था। गोगोई ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी निशाना साधते हुए कहा, “प्रधानमंत्री मोदी को पहलगाम जाना चाहिए था, लेकिन वे सऊदी अरब से लौटकर सीधे चुनावी भाषण देने बिहार गए।”

पीओके और चीन पर भी सवाल उठाए गए

गोगोई ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (POK) और चीन के खिलाफ सरकार की नीति पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा, “रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह कहते हैं कि हमारा मकसद युद्ध नहीं था, लेकिन अगर पीओके को आज नहीं लेंगे तो कब लेंगे?” गोगोई का कहना था कि सरकार ‘चीन को लाल आंख दिखाने’ की बात करती है, लेकिन चीन का नाम तक नहीं लिया गया।

उन्होंने यह भी सवाल किया, “जब पूरा देश और विपक्ष प्रधानमंत्री के साथ खड़ा था, तो अचानक युद्धविराम क्यों हुआ? अगर पाकिस्तान घुटनों पर था तो सरकार क्यों झुकी?”

ट्रंप के बयान का जिक्र

गोगोई ने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बयान का हवाला देते हुए कहा कि ट्रंप ने 26 बार यह दावा किया था कि उन्होंने व्यापारिक मुद्दों पर बातचीत करके युद्ध को रुकवाया। गोगोई ने सरकार से यह सवाल किया कि क्या सच्चाई यही है, और अगर यह सच है तो देश की जनता और हमारे सैनिकों को क्यों नहीं बताया जा रहा?

सिंह की प्रतिक्रिया और संदेश

वहीं, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान पर निशाना साधते हुए कहा, “हमारी सेना शेरों की तरह है। शेर जब मेंढकों को मारता है तो उसका संदेश बहुत अच्छा नहीं जाता। पाकिस्तान जैसा देश, जो दूसरों पर निर्भर है, उससे मुकाबला करना हमारे स्तर को गिराना है। हमारी नीति आतंकवाद के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई करने की है।”

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Operation Mahadev: पहलगाम और सोनमर्ग हमलों के मास्टरमाइंड को सेना ने किया ढेर, ऑपरेशन...

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Operation Mahadev: जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों के खिलाफ भारतीय सेना ने एक और ऐतिहासिक जीत दर्ज की है। 28 जुलाई को श्रीनगर के लिडवास इलाके में सेना ने लश्कर-ए-तैयबा (LeT) के खतरनाक कमांडर हाशिम मूसा को मार गिराया, जो न सिर्फ पहलगाम हमले का मास्टरमाइंड था, बल्कि सोनमर्ग टनल हमले में भी शामिल था। यह एनकाउंटर भारतीय सेना की ताकत और रणनीति का एक बेहतरीन उदाहरण साबित हुआ है, जिससे आतंकवादियों के बीच डर का माहौल फैल गया है। आईए आपको इस खबर के बारे में विस्तार से बताते हैं।

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पहलगाम और सोनमर्ग हमले- Operation Mahadev

पहलगाम हमला 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के बाइसरन घाटी में हुआ था। इसमें पांच आतंकवादियों ने 26 पर्यटकों पर हमला किया, जिनमें ज्यादातर हिंदू थे। इस हमले में M4 कार्बाइन और AK-47 जैसे खतरनाक हथियारों का इस्तेमाल किया गया था। इस हमले की जिम्मेदारी द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने ली थी, लेकिन बाद में उसने इससे मुँह मोड़ लिया। हाशिम मूसा का नाम इस हमले में भी सामने आया था।

सोनमर्ग टनल हमला 2024 में हुआ था, जिसमें सात लोगों की जान गई थी, जिनमें छह मजदूर और एक डॉक्टर शामिल थे। इस हमले का भी लश्कर-ए-तैयबा से कनेक्शन था और हाशिम मूसा का नाम इसमें भी शामिल था। इन दोनों हमलों की साजिश और संचालन में हाशिम मूसा की महत्वपूर्ण भूमिका थी।

हाशिम मूसा: आतंकवादी कमांडर की पहचान

आपको बता दें, हाशिम मूसा, जिसे सुलैमान शाह मूसा फौजी भी कहा जाता था, लश्कर-ए-तैयबा का एक खतरनाक कमांडर था। वह पाकिस्तान की स्पेशल सर्विस ग्रुप (SSG) का पैरा-कमांडो था और एक ट्रेन सैनिक था। 2022 में, हाशिम मूसा भारत में घुसपैठ कर लश्कर-ए-तैयबा में शामिल हुआ। इसके बाद उसने कई आतंकवादी हमलों की साजिश रची और उन्हें अंजाम दिया। हाशिम मूसा ने पहलगाम हमले की योजना बनाई और उसे अंजाम दिया। वह बाइसरन घाटी में 15 अप्रैल से मौजूद था और सात दिन तक रेकी (जासूसी) करता रहा।

ऑपरेशन महादेव और लिडवास एनकाउंटर

भारतीय सेना ने हाशिम मूसा को खत्म करने के लिए ऑपरेशन महादेव शुरू किया था, जो 96 दिन तक चला। सेना ने ड्रोन, थर्मल इमेजिंग और मानव खुफिया का इस्तेमाल किया और लिडवास के जंगलों में उसकी लोकेशन ट्रैक की। 28 जुलाई को सेना ने लिडवास इलाके को घेर लिया और हाशिम मूसा और उसके दो साथियों ने गोलीबारी शुरू कर दी। छह घंटे की मुठभेड़ के बाद तीनों आतंकवादी मारे गए।

मुठभेड़ में AK-47, ग्रेनेड और IED जैसे हथियार बरामद हुए। हाशिम के पास से पाकिस्तानी पासपोर्ट और सैटेलाइट फोन भी मिला, जो पाकिस्तान की ISI से उसका संपर्क दिखाता है।

स्वदेशी तकनीक और सटीक रणनीति

इस ऑपरेशन की खास बात यह थी कि सेना ने स्वदेशी ड्रोन और रडार का इस्तेमाल किया, जिससे जंगलों में छिपे आतंकवादियों को ढूंढने में मदद मिली। थर्मल इमेजिंग से आतंकवादियों की गतिविधियों का पता चला, और IED को निष्क्रिय करने के लिए रोबोट का इस्तेमाल किया गया। इस ऑपरेशन में सेना ने नागरिकों की सुरक्षा का खास ध्यान रखा, ताकि किसी भी तरह का नुकसान न हो।

भारत की सुरक्षा पर असर

हाशिम मूसा का अंत भारतीय सेना की बड़ी कामयाबी है। इससे न केवल जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों के मनोबल को तोड़ा गया है, बल्कि यह भी साबित हुआ है कि भारतीय सेना किसी भी आतंकी संगठन से सख्ती से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है।

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नाग पंचमी 2025: क्यों मनाई जाती है नाग पंचमी, जानें इसका धार्मिक महत्व साथ ही शुभ मुह...

Naag Panchami 2025: हिंदू धर्म में कई त्यौहार मनाए जाते हैं। इन दिनों सावन माह में नाग पंचमी की पूजा चल रही है। इस महीने में भी कई त्यौहार आते हैं। इन्हीं में से एक है नाग पंचमी। नाग पंचमी को लेकर कई मान्यताएँ हैं। कहा जाता है कि जिन लोगों पर काल सर्प योग होता है, उन्हें नाग पंचमी के दिन पूजा करनी चाहिए। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस साल नाग पंचमी किस दिन है और इसका शुभ मुहूर्त कब है? अगर नहीं, तो आइए आपको इस लेख में विस्तार से बताते हैं।

नाग पंचमी की सही डेट और शुभ मुहूर्त

नाग पंचमी 2025 में 29 जुलाई, मंगलवार को मनाई जाएगी। यह त्योहार श्रावण (सावन) माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। वही पंचमी तिथि प्रारम्भ: 28 जुलाई 2025 रात्रि 11:24 बजे और द्वितीया पंचमी तिथि समाप्त: 30 जुलाई 2025 रात्रि 12:46 बजे साथ ही नाग पंचमी पूजा मुहूर्त: 29 जुलाई 2025 प्रातः 05:41 बजे से प्रातः 08:23 बजे तक है।

नाग पंचमी क्यों मनाई जाती है?

नाग पंचमी का पर्व नागों और नाग देवताओं की पूजा को समर्पित है। इस पर्व से अनेक पौराणिक कथाएँ और मान्यताएँ जुड़ी हैं। जैसे महाभारत काल में राजा परीक्षित के पुत्र जनमेजय ने अपने पिता की मृत्यु का बदला लेने के लिए एक विशाल नाग यज्ञ का आयोजन किया था। इस यज्ञ में सभी नाग जलने लगे। तब आस्तिक मुनि ने जनमेजय को समझाया और यज्ञ रुकवाया, जिससे नागों की रक्षा हुई। यह घटना श्रावण मास की पंचमी तिथि को घटी थी, तभी से यह दिन नागों की रक्षा के लिए समर्पित माना जाता है।

भगवान कृष्ण और कालिया नाग- एक अन्य कथा के अनुसार, श्रावण शुक्ल पक्ष पंचमी के दिन भगवान कृष्ण ने वृंदावनवासियों को कालिया नाग से बचाया था। भगवान ने नाग के फन पर नृत्य किया और बांसुरी भी बजाई। तभी से नागों की पूजा की परंपरा चली आ रही है।

कालसर्प दोष से मुक्ति – ऐसा माना जाता है कि नाग पंचमी के दिन नागों की पूजा करने और उन्हें दूध चढ़ाने से कुंडली में मौजूद कालसर्प दोष के अशुभ प्रभाव कम होते हैं।

प्रकृति और नागों का सम्मान 

यह पर्व प्रकृति और जीवों के साथ सह-अस्तित्व का प्रतीक है। नागों को देवता के रूप में पूजा जाता है और उन्हें घर का रक्षक माना जाता है। इस दिन नाग देवता की पूजा करने से घर में सुख, शांति और समृद्धि आती है, साथ ही सर्पदंश का भय भी कम होता है।

आपको बता दें, इस दिन भक्त दूध, फूल, हल्दी, चंदन, अक्षत आदि चढ़ाकर नाग देवताओं की पूजा करते हैं और सुख-समृद्धि की कामना करते हैं। कई लोग इस दिन व्रत भी रखते हैं।

Sikhism in Guyana: जहां भारतीय मूल के लोग अपनी सांस्कृतिक धरोहर के साथ बसे हैं, लेकिन...

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Sikhism in Guyana: क्या आपने कभी सुना है गुयाना के बारे में? यह छोटा सा देश, जो दक्षिण अमेरिका के उत्तर में स्थित है, भारत से हजारों किलोमीटर दूर है, लेकिन यहां भारतीय मूल के लोगों की बड़ी संख्या है। मजे की बात यह है कि करीब 40 प्रतिशत आबादी भारतीय मूल की है। इसके अलावा, इस देश का इतिहास भी भारत से गहरा जुड़ा हुआ है। आप सोच रहे होंगे, “लेकिन इसमें सिखों की क्या भूमिका है?” गुयाना में सिख धर्म का क्या इतिहास है और वहां सिखों की क्या स्थिति है? आइए, इस दिलचस्प कहानी को थोड़ा और जानें।

गुयाना में भारतीयों की इतनी बड़ी आबादी कैसे बस गई? क्या ये लोग सच में भारतीय हैं? और क्या यहां सिख धर्म का भी कोई असर है? इन सवालों के जवाब आपको आज इस लेख में मिलेंगा, तो आइए, शुरुआत करते हैं गुयाना के इतिहास और वहां के सिख समुदाय की यात्रा से।

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गुयाना: भारत से दूर, लेकिन गहरे कनेक्शन के साथ – Sikhism in Guyana

गुयाना, जैसा कि हम जानते हैं, एक छोटा सा देश है। इसका क्षेत्रफल लगभग 1 लाख 60 हजार वर्ग किलोमीटर है और यहां की कुल आबादी 8 लाख 17 हजार के आसपास है। दिलचस्प बात यह है कि यहां 40 प्रतिशत लोग भारतीय मूल के हैं, यानी एक बड़ा हिस्सा भारतीय संस्कृति, धर्म और परंपराओं से जुड़ा हुआ है। यह देश उन भारतीयों के पूर्वजों की धरती है, जो 19वीं सदी में गिरमिटिया मजदूरों के रूप में यहां आए थे।

गुयाना और भारत के बीच का यह कनेक्शन सिर्फ जनसंख्या तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके इतिहास में गहरे संस्कृतिक संबंध हैं। आपको जानकार हैरानी होगी कि गुयाना के राष्ट्रपति इरफान अली भी भारतीय मूल के हैं, और उनके पूर्वज 19वीं सदी में गिरमिटिया मजदूर बनकर यहां आए थे। यही कारण है कि भारत और गुयाना के बीच इस गहरे रिश्ते को और भी मजबूत किया है।

गिरमिटिया मजदूरों का इतिहास: भारत से गुयाना तक का सफर

अगर हम गुयाना में भारतीयों की उपस्थिति की बात करें, तो इसका इतिहास 19वीं सदी में जाता है। ब्रिटिश शासन के दौरान जब गुयाना ब्रिटिश उपनिवेश था, तब यहां गन्ने के बागानों में काम करने के लिए मजदूरों की भारी कमी हो गई थी। 1834 में ब्रिटेन में गुलामी प्रथा को समाप्त किया गया, लेकिन फिर भी मजदूरों की आवश्यकता बनी रही। इस दौरान, भारत से हजारों मजदूरों को “गिरमिटिया मजदूर” के रूप में गुयाना लाया गया। यह प्रक्रिया 1838 से लेकर 1917 तक जारी रही, और लगभग 2 लाख भारतीय मजदूरों को यहां लाया गया। इनमें से अधिकांश उत्तर भारत के बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखंड से थे, जबकि कुछ सिख भी पंजाब से आए थे।

गुयाना में सिख धर्म की नई शुरुआत

अगर सिखों की बात करें तो, सिख मजदूरों की मेहनत और संघर्ष ने गुयाना की अर्थव्यवस्था को आकार दिया और चीनी उद्योग को एक नई दिशा दी। इन मजदूरों का भारतीय संस्कृति और धार्मिक जीवन से गहरा संबंध था, और उन्होंने यहां अपने सिख रीति-रिवाजों और त्योहारों को बनाए रखा। यही कारण था कि गुयाना में बैसाखी, गुरुपर्व और अन्य भारतीय त्योहार बड़े धूमधाम से मनाए जाते थे।

हालांकि, गुयाना में सिखों की संख्या बहुत कम थी, लेकिन उन्होंने अपनी पहचान बनाए रखी। लेकिन समय के साथ, सिख धर्म की उपस्थिति यहां कम होती चली गई, और कई सिख हिंदू धर्म में घुल-मिल गए।

सिख धर्म की पहचान यहां धीरे-धीरे कम होती गई, और सिख धर्म की धार्मिक गतिविधियाँ भी सीमित हो गईं। इसके बावजूद, गुयाना में सिख धर्म से जुड़े कुछ पारंपरिक रीति-रिवाजों का पालन अब भी कुछ परिवारों में किया जाता है। लेकिन यहां का सिख समुदाय बहुत छोटा है और धार्मिक पहचान प्रमुख नहीं है।

गुयाना में सिखों का वर्तमान स्थिति: क्या है आज का परिदृश्य?

आज के वक्त में, गुयाना में सिखों का एक छोटा सा समुदाय बसा हुआ है। यहां सिखों की धार्मिक गतिविधियाँ सीमित हैं, और उनका प्रभाव मुख्यधारा में नहीं है। हालांकि, कुछ परिवारों में सिख धर्म की मान्यताएँ और परंपराएँ अभी भी जीवित हैं, लेकिन कुल मिलाकर, सिख धर्म का प्रभाव गुयाना की संस्कृति और समाज में बहुत कम है।

गुयाना में सिख धर्म से जुड़ी एक प्रमुख बात यह है कि यहां कोई बड़ा गुरुद्वारा नहीं है। जॉर्जटाउन में एक गुरुद्वारा है, जो 1950 के दशक में स्थापित किया गया था, लेकिन यह गुरुद्वारा बाकी देशों के गुरुद्वारों की तरह बड़ा और भव्य नहीं है। यहां के लोग अधिकतर हिंदू और मुस्लिम धर्मों का पालन करते हैं, और सिख धर्म के अनुष्ठान और रीति-रिवाजों का अनुसरण बहुत कम लोग करते हैं।

Sikhism in Guyana Gurudwara Sahib
source: Google

गुयाना में सिख धर्म का प्रभाव: क्या बची हुई है पहचान?

शायद यही कारण है कि वर्तमान में गुयाना में सिख धर्म की पहचान कमजोर होती जा रही है। यहां की संस्कृति और समाज में भारतीय मूल के लोगों का महत्वपूर्ण योगदान है, लेकिन सिख धर्म के प्रभाव का अभाव है। हिंदू और मुस्लिम धर्मों की तुलना में सिख धर्म का यहाँ बहुत सीमित प्रभाव है। फिर भी, गुयाना में कुछ सिख परिवार आज भी अपने धर्म और सांस्कृतिक पहचान को बनाए रखने की कोशिश कर रहे हैं।

गुयाना में सिखों का सफर और भविष्य

गुयाना में सिख धर्म का इतिहास एक दिलचस्प और चुनौतीपूर्ण यात्रा रही है। शुरुआत में, सिखों ने यहां अपनी पहचान बनाए रखी, लेकिन समय के साथ उनकी संख्या कम होती गई और उनका प्रभाव भी समाप्त होता चला गया। हालांकि, गुयाना में सिख धर्म की प्रमुख पहचान अब नहीं रही, फिर भी यह कहना गलत नहीं होगा कि यहां के सिख परिवार अब भी अपनी पहचान बनाए रखने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

गुयाना में सिख धर्म की उपस्थिति को लेकर बहुत कुछ बदल चुका है, लेकिन इस देश के भारतीय समुदाय का योगदान आज भी बहुत महत्वपूर्ण है। चाहे वह कृषि, उद्योग, या समाजसेवा हो, भारतीय मूल के लोग यहां अपनी भूमिका निभा रहे हैं, और सिखों का इतिहास भी इस महान सफर का हिस्सा बन चुका है।

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P Chidambaram Pahalgam controversy: क्या चिदंबरम ने पहलगाम हमले में पाकिस्तान को दी क...

P Chidambaram Pahalgam controversy: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम ने हाल ही में पहलगाम आतंकी हमले पर ऐसे विवादित सवाल उठाए हैं, जिससे सियासी माहौल में हलचल मच गई है। उन्होंने पाकिस्तान की पैरवी करते हुए कहा कि अभी तक यह साबित नहीं हुआ है कि आतंकी पाकिस्तान से आए थे, वे लोकल भी हो सकते हैं। इतना ही नहीं, चिदंबरम ने यह भी आरोप लगाया है कि सरकार ने इस मामले में पर्याप्त जानकारी साझा नहीं की है और उन्होंने इस मामले की जांच कर रही राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की भूमिका पर भी सवाल उठाए। अब चिदंबरम ने बयान तो दे दिया है, लेकिन कांग्रेस के लिए उनके बयानों पर सफाई देना मुश्किल होता दिख रहा है।

और पढ़ें: RSS-BJP Conflicts: राज्यसभा में हलचल, सरकार ने स्पष्ट किया – संविधान की प्रस्तावना से ‘समाजवादी’ और ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्द हटाने का कोई इरादा नहीं

चिदंबरम ने एक इंटरव्यू में कहा, “आतंकी कहां हैं? आपने उन्हें क्यों नहीं पकड़ा, या उनकी पहचान क्यों नहीं की?” साथ ही उन्होंने यह भी पूछा कि एनआईए ने इस हफ्ते में क्या किया है और क्या उसने आतंकवादियों की पहचान की है। उनका कहना था कि अभी तक यह स्पष्ट नहीं हुआ कि आतंकी कहां से आए थे और क्या वे पाकिस्तान से थे या लोकल थे। उनका सवाल था कि पाकिस्तान को दोषी ठहराने के लिए कोई ठोस सबूत नहीं हैं।

सियासी प्रतिक्रियाएं- P Chidambaram Pahalgam controversy

चिदंबरम के इस बयान के बाद सियासी हलचल तेज हो गई है। जहां एक ओर विरोधी दलों के नेता उनके बयान पर प्रतिक्रिया दे रहे हैं, वहीं दूसरी ओर कांग्रेस भी इस मुद्दे पर अपनी स्थिति स्पष्ट करने की कोशिश कर रही है। शिवसेना नेता संजय निरुपम ने चिदंबरम के बयान को लेकर वीडियो शेयर करते हुए कहा कि अगर यह वीडियो सही है, तो चिदंबरम ने पाकिस्तान को क्लीन चिट दे दी है। उन्होंने यह सवाल भी उठाया कि क्या कांग्रेस अब ऑपरेशन सिंदूर पर इस दृष्टिकोण से डिबेट करने जा रही है।

कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर ने कहा, “हम जानते हैं कि बीजेपी हमेशा असली मुद्दों से ध्यान भटकाना चाहती है। असली मुद्दे पहलगाम आतंकी हमला और ऑपरेशन सिंदूर में सरकार की विफलता हैं।” उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस ने हमेशा पाकिस्तान से आतंकवाद के निर्यात को बंद करने की बात की है और कांग्रेस सेना के साथ खड़ी है।

अखिलेश यादव का रिएक्शन

समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने चिदंबरम के बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा, “बीजेपी के शासन में आतंकवाद और आतंकी घटनाओं का सिलसिला क्यों बढ़ता जा रहा है? पहलगाम हमले में आतंकवादी कहां गए, यह सवाल अब सरकार को जवाब देना होगा।” उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस भी दिल्ली सरकार में रही है, इसलिए उनके पास इसके बारे में जानकारी होगी।

शिवसेना का रुख

शिवसेना (यूबीटी) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने चिदंबरम के बयान पर कहा, “भारत और पाकिस्तान के बीच पिछले 70 सालों में हमने कई युद्ध लड़े हैं और पाकिस्तान की आतंकी गतिविधियों का सामना किया है। टीआरएफ ने पहले पहलगाम हमले की जिम्मेदारी ली थी, फिर वह इससे मुकर गया। पाकिस्तान लगातार आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा दे रहा है।” उन्होंने यह भी कहा कि भारत को किसी भी सबूत की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि पाकिस्तान की भूमिका स्पष्ट है।

चिदंबरम की सफाई

वहीं, बढ़ते विवाद को देख चिदंबरम ने अपने बयान को लेकर सफाई दी है। उन्होंने सोशल मीडिया पर कहा, “कुछ लोग गलत सूचना फैलाने के लिए केवल कुछ शब्दों को चुनकर पूरी इंटरव्यू को तोड़-मरोड़ कर पेश करते हैं। यह एक तरह का ट्रोलिंग है और इससे वे सिर्फ भ्रम फैलाने का काम कर रहे हैं।” उनका यह भी कहना था कि पूरी जानकारी दी गई थी और ट्रोल्स केवल कुछ वाक्यों को गलत तरीके से पेश कर रहे हैं।

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भारतीय कंपनी का कमाल, लॉन्च किया सबसे किफायती 5G स्मार्टफोन

आज के समय में दुनिया में फोन का यूज़ इतना ज्यादा हो गया है। की जो कोई भी कुछ काम करता है सब फोन से ही चाहे फिर वो किसी से बात करना हो या फिर शॉपिंग, का घर की ग्रोसेरी हो या फिर ऑफिस मीटिंग्स हो। लोग के बीच फोन का क्रेज़ इतना हो गया है की फोन अब आम जिंदगी का हिस्सा बन गया है। वही कोविड के समय से तो स्कूलो में भी पढ़यी भी फोन से होने लगी आज के समय में हर किसी के पास फोन है चाहे फिर बच्चा हो या बूढ़ा। इन्हीं सब चीजों को ध्यान रखते हुए हाल ही में, कई भारतीय कंपनियों ने सस्ते 5G फोन लॉन्च किए हैं जो चीनी ब्रांडों को कड़ी टक्कर दे रहे हैं। तो चलिए आपको इस लेख में विस्तार से बताते भारत में कौनसे फोन है जो चीनी ब्रांड को टक्कर दे रहे है।

लावा शार्क 5G

लावा इंटरनेशनल ने अपना नया स्मार्टफोन लावा शार्क 5G 7,999 रुपये की कीमत पर लॉन्च किया है। इसमें 4GB फिजिकल रैम और 4GB वर्चुअल रैम के साथ कुल 8GB रैम है। फोन में 64GB स्टोरेज, 5000mAh की बैटरी है और यह स्टेलर गोल्ड और स्टेलर ब्लू रंगों में उपलब्ध है। कंपनी इस फोन के साथ 1 साल की मुफ्त होम सर्विस वारंटी भी दे रही है।

लावा ब्लेज़ ड्रैगन 5G

लावा ने एक और सस्ता 5G स्मार्टफोन, लावा ब्लेज़ ड्रैगन 5G भी 9,999 रुपये में लॉन्च किया है। यह स्नैपड्रैगन 4 जेनरेशन 2 चिपसेट द्वारा संचालित है और इसमें 5,000mAh की बैटरी के साथ 18W फास्ट चार्जिंग सपोर्ट है। इसमें 6.74-इंच का HD+ LCD डिस्प्ले है जो 120Hz रिफ्रेश रेट के साथ आता है। फ़ोन में 4GB रैम और 128GB स्टोरेज है और यह स्टॉक एंड्रॉइड 15 के साथ आता है।

Jio Phone 5G

कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक, Jio 1,999 रुपये में एक बेहद सस्ता 5G फ़ोन, Jio Phone 5G, भी लॉन्च करने की तैयारी कर रहा है। इसमें 8000mAh की दमदार बैटरी होने की बात कही जा रही है। वही AI+ नाम का एक नया भारतीय ब्रांड भी 8 जुलाई, 2025 को भारत में दस्तक देने वाला है। खबरें हैं कि यह अपने पहले डिवाइस Nova 5G और Pulse 4G स्मार्टफोन 5,000 रुपये की शुरुआती कीमत पर लॉन्च कर सकता है।

ये देसी कंपनियां कम कीमत में 5G कनेक्टिविटी और अच्छे फीचर्स देकर भारतीय बाजार में चीनी स्मार्टफोन ब्रांड्स को कड़ी टक्कर दे रही हैं। Lava जैसे ब्रांड्स ने अपने फोन में दमदार बैटरी, अच्छे कैमरे और बेहतरीन सॉफ्टवेयर एक्सपीरियंस पर ध्यान केंद्रित किया है, जिससे ग्राहकों को कम बजट में बेहतर विकल्प मिल रहे हैं।

जानें कैसे आप भी पोस्ट ऑफिस में बचत खाता खोल कर डबल ब्याज पा सकते है, इसके महत्वपूर्ण...

अगर आप अपनी बचत को सुरक्षित जगह निवेश करके अच्छा रिटर्न कमाना चाहते हैं, तो पोस्ट ऑफिस टाइम डिपॉजिट स्कीम आपके लिए एक बेहतरीन विकल्प साबित हो सकती है। इस सरकारी योजना में न सिर्फ आपको निवेश पर गारंटीड रिटर्न मिलता है, बल्कि सरकार आपके पैसों की सुरक्षा की पूरी गारंटी भी देती है। तो चलिए आपको इस लेख में पोस्ट ऑफिस की महत्वपूर्ण योजाना के बारे में विस्तार से बताते है। साथ ही पोस्ट ऑफिस योजनाओं और उनसे ₹4,50,000 ब्याज कमाने की जानकारी भी देते है।

डाकघर सावधि जमा (POTD) योजना (5 वर्ष)

यह डाकघर द्वारा संचालित एक सावधि जमा योजना की तरह है। वर्तमान में, 5 वर्षीय डाकघर सावधि जमा पर 7.5% वार्षिक ब्याज मिल रहा है (यह दर जुलाई-सितंबर 2025 तिमाही के लिए है और तिमाही आधार पर बदल सकती है)। न्यूनतम ₹1,000 और अधिकतम कोई सीमा नहीं है। आप सिंगल या जॉइंट अकाउंट खोल सकते हैं। इस 5 वर्ष ब्याज वार्षिक रूप से संयोजित होता है।

₹4,50,000 (5-वर्षीय POTD पर) पर अर्जित ब्याज की गणना

यदि आप 5-वर्षीय POTD में 7.5% की वार्षिक ब्याज दर पर ₹10 लाख की एकमुश्त राशि निवेश करते हैं, तो आपको परिपक्वता पर लगभग ₹4,49,948 का ब्याज मिलेगा। 7.5% (प्रति वर्ष) की ब्याज दर पर ₹10 लाख तक की समान निवेश राशि के लिए, इसकी अवधि 5 वर्ष है और परिपक्वता पर कुल राशि लगभग ₹14,49,948 होगी, जिसमें अर्जित ब्याज लगभग ₹4,49,948 होगा। यह एक सुरक्षित निवेश विकल्प है क्योंकि यह सरकार द्वारा समर्थित है। 5-वर्षीय POTD आयकर अधिनियम की धारा 80C के तहत कर छूट के लिए पात्र है।

राष्ट्रीय बचत प्रमाणपत्र (एनएससी)

एनएससी (NSC)भी डाकघर की एक लोकप्रिय एकमुश्त निवेश योजना है। वर्तमान में, एनएससी 7.7% वार्षिक ब्याज दर प्रदान कर रहा है (यह दर जुलाई-सितंबर 2025 तिमाही के लिए है और तिमाही आधार पर संशोधित की जाती है)। न्यूनतम ₹1,000 और अधिकतम कोई सीमा नहीं। आपको बता दें इसका मैच्योरिटी पीरियड 5 वर्ष है। ब्याज वार्षिक रूप से संयोजित होता है, लेकिन केवल परिपक्वता पर ही देय होता है।

₹4,50,000 ब्याज से कमाने का कैलकुलेशन (NSC पर) यदि आप NSC में ₹10 लाख का एकमुश्त निवेश करते हैं, तो 7.7% वार्षिक ब्याज दर पर, आपको 5 साल बाद मैच्योरिटी पर लगभग ₹14,50,000 मिलेंगे, जिसमें से लगभग ₹4,50,000 ब्याज की कमाई होगी।

  • निवेश की रकम: ₹10 लाख
  • ब्याज दर: 7.7% (सालाना)
  • अवधि: 5 साल
  • मैच्योरिटी पर कुल फंड: लगभग ₹14,50,000
  • ब्याज से कमाई: लगभग ₹4,50,000
  • NSC में निवेश पर भी आयकर अधिनियम की धारा 80C के तहत टैक्स छूट का लाभ मिलता है।
  • यह भी एक सुरक्षित और सरकारी गारंटीड स्कीम है।

4. डाकघर मासिक आय योजना (POMIS)

ब्याज दर (जुलाई-सितंबर 2025): 7.4% प्रति वर्ष (मासिक देय)।

अवधि: 5 वर्ष।

अधिकतम निवेश: एकल खाते में ₹9 लाख, संयुक्त खाते में ₹15 लाख।

गणना:

यदि आप संयुक्त खाते में अधिकतम ₹15 लाख निवेश करते हैं, तो आपको ₹15,00,000 * 7.4% = ₹1,11,000 वार्षिक ब्याज मिलेगा।

5 वर्षों में कुल ब्याज ₹1,11,000 * 5 = ₹5,55,000 होगा।

इस योजना में ₹4,50,000 ब्याज अर्जित करने के लिए, आपको ₹15 लाख का निवेश करना होगा।

निष्कर्ष:

उपरोक्त विश्लेषण के आधार पर, वरिष्ठ नागरिक बचत योजना (SCSS) और डाकघर मासिक आय योजना (POMIS) ₹4,50,000 का ब्याज पाने के लिए बेहतरीन विकल्प हैं, खासकर अगर आपके पास बड़ी निवेश राशि है। KVP भी एक अच्छा विकल्प है जहाँ आपका पैसा दोगुना हो जाता है, इसलिए आपको ₹4,50,000 का ब्याज पाने के लिए लगभग ₹4,50,000 का निवेश करना होगा। आप NSC में भी बड़ी राशि निवेश करके ₹4,50,000 का ब्याज पा सकते हैं।

महत्वपूर्ण बिंदु:

ब्याज दरें बदल सकती हैं: सरकार डाकघर योजनाओं की ब्याज दरों में तिमाही आधार पर संशोधन करती है। ऊपर दी गई दरें जुलाई-सितंबर 2025 तिमाही के लिए मान्य हैं।

कर: SCSS और NSC में निवेश धारा 80C के तहत कर लाभ के लिए पात्र हो सकते हैं, लेकिन ब्याज आय कर योग्य हो सकती है (SSCS में ब्याज मासिक प्राप्त होता है जो कर योग्य है)। POMIS (किसान विकास पत्र) में ब्याज आय पूरी तरह से कर योग्य है और KVP में भी।

जोखिम: ये सभी डाकघर योजनाएँ इन्हें कम जोखिम वाला माना जाता है क्योंकि ये सरकार द्वारा समर्थित होते हैं और निवेशित राशि की सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं।

अपनी वित्तीय स्थिति और लक्ष्यों के आधार पर सबसे उपयुक्त योजना चुनने से पहले आपको किसी वित्तीय सलाहकार से परामर्श लेना चाहिए।

Hrithik Roshan और Jr NTR की टॉप फिल्मों ने बॉक्स ऑफिस पर मचाया धमाल, जानें कौन किससे ...

Hrithik Roshan vs Jr NTR: आज हम बात करेंगे दो ऐसे सुपरस्टार्स की जिनके नाम सुनते ही उनके फैंस की धड़कनें तेज हो जाती हैं – जी हां, हम बात कर रहे हैं बॉलीवुड के धुरंधर ऋतिक रोशन और साउथ के रॉकिंग स्टार जूनियर एनटीआर की! अब दोनों ही इस वक्त लाइमलाइट में हैं, और सबसे बड़ी वजह है उनकी आने वाली फिल्म वॉर 2, जिसमें दोनों सुपरस्टार्स एक साथ दिखेंगे! तो जाहिर है, इस फिल्म को लेकर सभी के बीच बहुत एक्साइटमेंट है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन दोनों के अब तक के करियर ने बॉक्स ऑफिस पर क्या कमाल किया है? आज हम आपको बताएंगे इन दोनों के टॉप हिट्स के बारे में और देखेंगे कि किसकी फिल्मों ने ज्यादा कमाई की। तो चलिए, इस रोमांचक मुकाबले में किसका पलड़ा भारी है, यह जानते हैं!

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ऋतिक रोशन की टॉप हिट फिल्में- Hrithik Roshan vs Jr NTR

अब बात करते हैं बॉलीवुड के सुपरहीरो, ऋतिक रोशन की! जब से उन्होंने अपनी फिल्म कहो ना प्यार है से डेब्यू किया था, तब से उनके पास हिट्स की लाइन लग गई। उन्होंने हर फिल्म में कुछ नया किया और दर्शकों को अपना दीवाना बना लिया।

तो चलिए, बात करते हैं उनकी टॉप 5 हिट फिल्मों (Hrithik Roshan Top Hit Movies) की। सबसे पहले आता है वॉर, जिसने 475.62 करोड़ का कलेक्शन किया। इसके बाद कृष 3 है, जिसने 393 करोड़ का बिजनेस किया। फिर आता है बैंग बैंग, जिसमें ऋतिक और कैटरीना एक साथ काम किया था, और इस फिल्म ने 332.43 करोड़ की कमाई की थी। वहीं, हाल ही में आई फाइटर फिल्म का कलेक्शन 344.46 करोड़ था। आखिर में है सुपर 30, जिसमें उन्होंने मैथ टीचर आनंद कुमार का किरदार निभाया और इस फिल्म ने 208.93 करोड़ की कमाई की थी।

ऋतिक की फिल्मों ने न केवल बॉक्स ऑफिस पर धमाल मचाया, बल्कि उनकी एक्टिंग ने भी सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।

जूनियर एनटीआर की टॉप हिट फिल्में

अब बात करते हैं साउथ के सुपरस्टार, जूनियर एनटीआर की! साउथ सिनेमा के ये सितारे अपनी फिल्मों और कमाल के अभिनय के लिए पूरी दुनिया में पहचाने जाते हैं। उनका करियर भी शानदार रहा है, और उनके पास भी कई ब्लॉकबस्टर फिल्में हैं।

जूनियर एनटीआर की टॉप 5 हिट फिल्मों (Jr NTR Top Hit Movies) की लिस्ट में सबसे पहले आता है आरआरआर, जिसने 1300 करोड़ का कलेक्शन किया और इसे वर्ल्डवाइड बहुत पसंद किया गया। फिर आता है जनता गैराज, जिसने 135 करोड़ कमाए। इसके बाद अरविंदम समेथा वीरा राधव है, जिसने 179.6 करोड़ कमाए। उनकी फिल्म जय लव कुश भी काफी हिट रही और इसने 130 करोड़ की कमाई की। आखिरी में टेम्पर है, जिसने 74.3 करोड़ का कलेक्शन किया।

जूनियर एनटीआर की फिल्मों ने साउथ सिनेमा को ही नहीं, बल्कि पूरे भारत और विदेशों में भी जबरदस्त पहचान बनाई। खासतौर पर आरआरआर ने तो सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए थे।

ऋतिक और जूनियर एनटीआर का कलेक्शन मुकाबला

अब बात करते हैं कि इन दोनों सितारों की टॉप 5 हिट फिल्मों ने कुल मिलाकर कितना कलेक्शन किया। ऋतिक रोशन की फिल्मों ने कुल मिलाकर 1754.44 करोड़ रुपये कमाए। वहीं, जूनियर एनटीआर की फिल्मों ने कुल 1818.9 करोड़ रुपये की कमाई की। तो अगर देखा जाए, तो जूनियर एनटीआर का कलेक्शन थोड़ा ज्यादा रहा है, जो यह साबित करता है कि उनका स्टारडम साउथ फिल्म इंडस्ट्री में बहुत मजबूत है।

वॉर 2: जब दो सुपरस्टार्स एक साथ!

अब दोनों सुपरस्टार्स एक साथ फिल्म वॉर 2 में नजर आने वाले हैं, और यह खबर हर फैन के लिए किसी सपने से कम नहीं है! फिल्म की रिलीज का बेसब्री से इंतजार किया जा रहा है। वॉर 2 यशराज फिल्म्स की स्पाई यूनिवर्स का हिस्सा है, और इसमें कियारा आडवाणी, अनिल कपूर और आशुतोष राणा भी अहम रोल में नजर आएंगे।

इस फिल्म का बजट लगभग 400 करोड़ रुपये है और इसे डायरेक्ट किया है अयान मुखर्जी ने। फिल्म का प्रमोशन जोर-शोर से हो रहा है और इसे लेकर पूरी दुनिया में चर्चा हो रही है। यह फिल्म 14 अगस्त 2024 को रिलीज होगी, और जब दो बड़े सितारे एक साथ आएंगे तो दर्शकों का अनुभव और भी बेहतरीन होने वाला है!

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Veda Krishnamurthy Retirement: भारतीय महिला क्रिकेट स्टार वेदा कृष्णमूर्ति ने क्रिकेट...

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Veda Krishnamurthy Retirement: क्रिकेट जगत से इस समय एक बेहद चौंकाने वाली खबर सामने आ रही है। दरअसल भारतीय महिला क्रिकेट की शानदार बल्लेबाज, वेदा कृष्णमूर्ति ने क्रिकेट से संन्यास लेने का फैसला किया है। 32 वर्षीय खिलाड़ी ने सोशल मीडिया पर पोस्ट डालकर अपने क्रिकेट सफर के अंत की घोषणा की। 18 साल की उम्र में भारत के लिए डेब्यू करने वाली वेदा, अब इस खेल को छोड़ रही हैं, और उनका यह कदम एक ऐसे युग के खत्म होने जैसा है।

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क्रिकेट से संन्यास, लेकिन खेल से नाता हमेशा रहेगा- Veda Krishnamurthy Retirement

कमेंट्री में अपना नया करियर बनाने वाली वेदा ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा, “एक छोटे शहर से बड़े सपने रखने वाली लड़की से लेकर गर्व से भारतीय टीम की जर्सी पहनने तक का सफर आसान नहीं था। क्रिकेट ने मुझे जो सिखाया, जो लोग दिए, जो यादें दीं, उसके लिए मैं हमेशा आभारी रहूंगी। अब खेल से अलविदा लेने का समय आ गया है, लेकिन खेल से मेरा नाता हमेशा रहेगा। मैं हमेशा भारत और टीम के लिए उपलब्ध रहूंगी।”

उनके इस संदेश ने न केवल उनके फैंस को बल्कि पूरी क्रिकेट जगत को भावुक कर दिया। लगभग 5 साल टीम से बाहर रहने के बाद उन्होंने क्रिकेट को अलविदा कहने का फैसला किया है।

क्रिकेट की दुनिया में उनका पहला कदम

आपको बता दें, जब वेदा ने 2011 में इंग्लैंड के खिलाफ भारत के लिए अपना पहला इंटरनेशनल मैच खेला था, तो किसी को नहीं पता था कि ये युवा लड़की कभी भारतीय महिला क्रिकेट का चमकता सितारा बनेगी। उन्होंने अपनी पहली ही पारी में 51 रन बनाकर भारतीय टीम के लिए अपनी पहचान बनाई। फिर धीरे-धीरे वेदा ने अपने शानदार प्रदर्शन से क्रिकेट जगत में अपनी जगह बनाई।

2017 महिला विश्व कप में उनका शानदार प्रदर्शन और 45 गेंदों पर 70 रन की ताबड़तोड़ पारी आज भी क्रिकेट प्रेमियों के दिलों में ताजे हैं। वेदा ने केवल अपनी बल्लेबाजी से ही नहीं, बल्कि अपनी खेल भावना से भी सभी को प्रभावित किया। उन्होंने हमेशा खुद को भारतीय महिला क्रिकेट का अभिन्न हिस्सा समझा और हर मुश्किल वक्त में टीम को एकजुट किया।

साथी क्रिकेटरों के लिए प्रेरणा और भारतीय महिला क्रिकेट का चेहरा

जब भी बात भारतीय महिला क्रिकेट की होती है, तो वेदा कृष्णमूर्ति का नाम हमेशा सामने आता है। 48 वनडे और 76 टी20 इंटरनेशनल मैचों में उन्होंने 829 और 875 रन बनाए, जो किसी भी भारतीय महिला क्रिकेटर के लिए मिसाल से कम नहीं हैं।

वेदा ने हमेशा अपने खेल में एक नई उम्मीद दिखाई। साउथ अफ्रीका के खिलाफ 32 गेंदों पर फिफ्टी लगाने का रिकॉर्ड, या फिर न्यूजीलैंड के खिलाफ 2017 महिला विश्व कप में उनकी ताबड़तोड़ पारी—वेदा ने खुद को साबित किया कि भारतीय महिला क्रिकेट को भी वही सम्मान और पहचान मिलनी चाहिए जो पुरुष क्रिकेट को मिलती है।

वेदा की यात्रा: एक छोटे शहर से भारतीय टीम तक

वेदा कृष्णमूर्ति की कहानी हर उस लड़की के लिए प्रेरणा है, जो किसी बड़े सपने को पालकर अपने रास्ते पर चलने की हिम्मत रखती है। एक छोटे से शहर से निकलकर भारतीय महिला क्रिकेट टीम की सदस्य बनना, यह उनके संघर्ष और मेहनत का नतीजा था। और फिर वह दिन आया जब उन्होंने भारतीय जर्सी पहनकर दुनियाभर में अपना नाम रोशन किया।

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