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Why people leaving India: भारत से बाहर जाने का बढ़ता ट्रेंड: 2024 में 2 लाख से ज्यादा...

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Why people leaving India: राज्यसभा में विदेश मंत्रालय से एक सवाल पूछा गया था, जिसमें यह जानने की कोशिश की गई थी कि कितने भारतीयों ने अपनी नागरिकता छोड़ी है। इस सवाल के जवाब में गुरुवार को विदेश मंत्रालय ने जानकारी दी कि 2024 में 2 लाख से ज्यादा भारतीयों ने अपनी नागरिकता त्यागी। हालांकि, यह आंकड़ा पिछले साल के बराबर ही है, लेकिन पिछले साल की तुलना में इसमें थोड़ी कमी देखी गई है।

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2024 में कितने भारतीयों ने छोड़ी नागरिकता? (Why people leaving India)

विदेश मंत्रालय की तरफ से दी गई जानकारी के अनुसार, 2024 में 2,06,378 भारतीयों ने अपनी नागरिकता छोड़ी। यह आंकड़ा 2023 में 2,16,219 और 2022 में 2,25,620 था। इस तरह, 2024 में भारतीय नागरिकता त्यागने की संख्या 2023 और 2022 के मुकाबले थोड़ी कम रही, लेकिन 2021, 2020 और 2019 के आंकड़ों से यह अधिक है। 2021 में 1,63,370, 2020 में 85,256 और 2019 में 1,44,017 भारतीयों ने नागरिकता त्यागी थी।

विदेशी नागरिकता की ओर बढ़ते कदम

भारत में कई लोग विदेशों में रहकर अपना जीवन बिता रहे हैं, लेकिन बहुत से ऐसे भी हैं जो अपनी नागरिकता को छोड़कर पूरी तरह से विदेशों में बस जाते हैं। ये लोग अपने जीवन के बेहतर अवसरों की तलाश में विदेशों की तरफ रुख करते हैं। देश की बढ़ती आर्थिक और सामाजिक असमानताओं के बीच कुछ लोग ऐसी परिस्थितियों का सामना करने के लिए भारत की नागरिकता छोड़ने का निर्णय लेते हैं।

राज्यसभा में यह सवाल पूछा गया था कि क्या मंत्रालय को यह जानकारी है कि भारतीय नागरिकता छोड़ने वालों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। इस पर विदेश मंत्रालय ने बताया कि साल दर साल यह आंकड़ा उतार-चढ़ाव करता रहता है, लेकिन 2024 में यह आंकड़ा पिछले कुछ वर्षों के मुकाबले थोड़ा घटा है।

नागरिकता छोड़ने की प्रक्रिया

वहीं, इस प्रक्रिया के बारे में भी कई सवाल उठाए गए। विदेश मंत्रालय ने बताया कि भारतीय नागरिकता छोड़ने के लिए संबंधित व्यक्ति को https://www.indiancitizenshiponline.nic.in पर आवेदन करना होता है। इसके बाद, उनके पासपोर्ट और अन्य दस्तावेजों का वेरिफिकेशन किया जाता है। यह प्रक्रिया लगभग 60 दिन में पूरी होती है और दस्तावेजों के वेरिफिकेशन के बाद संबंधित विभाग से 30 दिनों के अंदर प्रतिक्रिया प्राप्त होती है। इसके बाद, एक रिनन्सीएशन सर्टिफिकेट ऑनलाइन जारी किया जाता है।

भारतीय नागरिकता छोड़ने के बाद, नागरिक को भारत में उपलब्ध सभी दस्तावेज जैसे आधार कार्ड, वोटर आईडी, ड्राइविंग लाइसेंस आदि को संबंधित अधिकारियों को जमा करना होता है।

2024 में गिरावट, फिर भी चिंता का विषय

2024 में नागरिकता छोड़ने वालों की संख्या में थोड़ा सा गिरावट देखने को मिली है, लेकिन इस मुद्दे पर सवाल उठने लगे हैं कि इस प्रक्रिया में और सुधार की आवश्यकता है। क्या यह संकेत है कि भारत में कई लोग अपनी नागरिकता से संतुष्ट नहीं हैं? यह सवाल अब देश में गंभीर हो गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि नागरिकता छोड़ने का कारण सिर्फ आर्थिक या सामाजिक नहीं, बल्कि राजनीतिक और सांस्कृतिक भी हो सकते हैं।

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India vs Vietnam MBBS Fees: वियतनाम में MBBS 4 लाख में, भारत में 1 करोड़ में क्यों? श...

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India vs Vietnam MBBS Fees: जोहो के संस्थापक श्रीधर वेम्बु ने भारत में मेडिकल शिक्षा की बढ़ती लागत पर गंभीर चिंता जताई है। उन्होंने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट शेयर करते हुए सवाल किया कि वियतनाम और भारत की प्रति व्यक्ति जीडीपी लगभग समान होने के बावजूद, वियतनाम में मेडिकल शिक्षा इतनी सस्ती क्यों है, जबकि भारत के प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में फीस आसमान छूने लगी है। श्रीधर वेम्बु ने बताया कि वियतनाम के मेडिकल कॉलेजों में विदेशी छात्रों से सालाना सिर्फ 4 लाख रुपये (4600 डॉलर) फीस ली जाती है। जबकि भारत के निजी कॉलेजों में एमबीबीएस की फीस 60 लाख से 1 करोड़ रुपये तक हो सकती है। वेम्बु का कहना है कि यह अंतर समझ से परे है, खासकर तब जब दोनों देशों की प्रति व्यक्ति जीडीपी लगभग समान है। उन्होंने इसे ‘शर्मनाक’ बताया और कहा कि यही वजह है कि भारतीय छात्र विदेशों में मेडिकल शिक्षा के लिए जाते हैं।

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क्यों भारत में विदेशों में मेडिकल शिक्षा लेना हो रहा है जरूरी? (India vs Vietnam MBBS Fees)

भारत में मेडिकल शिक्षा का खर्च लगातार बढ़ता जा रहा है। श्रीधर वेम्बु ने यह भी बताया कि इस वजह से भारतीय छात्र सस्ती मेडिकल शिक्षा के लिए चीन, रूस, यूक्रेन, फिलीपींस और बांग्लादेश जैसे देशों का रुख कर रहे हैं। हालांकि, ये छात्रों के लिए कई तरह की मुश्किलें पैदा कर सकता है, क्योंकि विदेश में मेडिकल की पढ़ाई करने के बाद, उन्हें भारत में फिर से एक कठिन परीक्षा पास करनी होती है, जो अक्सर उनकी पढ़ाई में और देरी कर देती है।

भारत के आर्थिक सर्वेक्षण का बयां: फीस के कारण छात्रों को हो रही मुश्किलें

भारत के आर्थिक सर्वे 2024-25 के अनुसार, मेडिकल शिक्षा की उच्च फीस के कारण गरीब और मिडल क्लास छात्रों को यह शिक्षा हासिल करना मुश्किल हो रहा है। हालांकि सरकार द्वारा कई प्रयास किए गए हैं, फिर भी प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में फीस लगातार बढ़ रही है, जिससे यह शिक्षा केवल कुछ विशेष वर्ग के लिए ही रह गई है।

मेडिकल शिक्षा का असमान वितरण

सर्वे में यह भी कहा गया है कि मेडिकल शिक्षा के अवसर ज्योग्राफिक रूप से समान रूप से उपलब्ध नहीं हैं। खासकर दक्षिणी राज्यों में मेडिकल कॉलेजों की संख्या ज्यादा है, जबकि अन्य हिस्सों में यह अवसर सीमित हैं। इसके परिणामस्वरूप, शहरी क्षेत्रों में डॉक्टरों की संख्या ग्रामीण इलाकों के मुकाबले कहीं ज्यादा है, जिससे स्वास्थ्य सेवाओं में असमानता पैदा हो रही है।

सरकार को फीस कम करने के कदम उठाने होंगे

विशेषज्ञों का मानना है कि इस समस्या से निपटने के लिए सरकार को मेडिकल एजुकेशन की फीस को कम करने के उपायों पर विचार करना चाहिए। इससे न सिर्फ छात्रों को राहत मिलेगी, बल्कि देश की स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता भी बेहतर होगी। इसके लिए सरकार को सरकारी मेडिकल कॉलेजों के स्तर को और सुधारने की आवश्यकता है, ताकि ज्यादा से ज्यादा छात्रों को सस्ती और क्वालिटी शिक्षा मिल सके।

वेम्बु ने की अपील: भारत में मेडिकल शिक्षा सस्ती हो

वहीं, श्रीधर वेम्बु ने इस मुद्दे पर अपनी राय देते हुए कहा कि अगर सरकार मेडिकल एजुकेशन की फीस को कम कर देती है तो इससे छात्रों को काफी राहत मिलेगी। उन्होंने यह भी कहा कि इससे देश की स्वास्थ्य सेवाओं को भी एक मजबूत आधार मिलेगा और भारतीय छात्रों को अपनी पढ़ाई के लिए विदेश जाने की जरूरत नहीं होगी।

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RSS-BJP Conflicts: राज्यसभा में हलचल, सरकार ने स्पष्ट किया – संविधान की प्रस्तावना से...

RSS-BJP Conflicts: भारतीय संविधान की प्रस्तावना से ‘समाजवादी’ और ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्दों को हटाने की चर्चाओं के बीच, कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने राज्यसभा में यह स्पष्ट किया है कि वर्तमान सरकार का इन शब्दों को हटाने का कोई इरादा नहीं है। यह बयान उनके द्वारा उस सवाल के जवाब में आया, जो समाजवादी पार्टी के सांसद रामजी लाल सुमन ने उठाया था। सुमन ने सरकार से पूछा था कि क्या संविधान की प्रस्तावना से ‘समाजवादी’ और ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्दों को हटाने पर कोई विचार किया जा रहा है, या यह सिर्फ कुछ सामाजिक संगठनों द्वारा फैलाए गए माहौल का परिणाम है।

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कानून मंत्री का बयान- RSS-BJP Conflicts

मेघवाल ने इस मुद्दे पर स्पष्ट करते हुए कहा, “भारत सरकार ने संविधान की प्रस्तावना से ‘समाजवादी’ और ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्दों को हटाने की कोई कानूनी और संवैधानिक प्रक्रिया औपचारिक रूप से शुरू नहीं की है। हालांकि, कुछ सार्वजनिक या राजनीतिक हलकों में इस मुद्दे पर चर्चा हो सकती है, लेकिन सरकारी तौर पर कोई औपचारिक निर्णय नहीं लिया गया है।” इस बयान के जरिए उन्होंने इस बात को साफ किया कि सरकार की कोई ऐसी योजना नहीं है, जिससे इन शब्दों को हटाया जाए।

आरएसएस नेता दत्तात्रेय होसबले का बयान

यह बयान आरएसएस सर कार्यवाह दत्तात्रेय होसबले के एक महीने पहले के बयान के बाद आया, जिसमें उन्होंने संविधान की प्रस्तावना से ‘समाजवादी’ और ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्दों को हटाने की मांग की थी। होसबले ने कहा था कि इन शब्दों का संविधान में समावेश आपातकाल के दौरान किया गया था, और इन शब्दों की प्रासंगिकता पर चर्चा होनी चाहिए। उनका यह भी कहना था कि बाबा साहेब आंबेडकर ने जब संविधान तैयार किया था, तो इन शब्दों का उसमें कोई जिक्र नहीं था।

बीजेपी और आरएसएस का समर्थन

होसबले के बयान के बाद कई बीजेपी नेताओं और समर्थकों ने इसे खुलकर समर्थन दिया था। असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने भी इस मुद्दे पर बयान दिया और कहा कि यह सुनहरा समय है जब इन शब्दों को हटाने पर विचार किया जाना चाहिए। पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने भी इस विचार का समर्थन किया था, जिसके बाद यह मुद्दा राजनीतिक चर्चाओं में और भी गर्म हो गया था।

कांग्रेस और विपक्षी दलों का विरोध

वहीं, इस मुद्दे पर कांग्रेस और कुछ अन्य विपक्षी दलों ने विरोध जताया। कांग्रेस नेता प्रताप सिंह खाचरियावास ने इस बारे में तीखी प्रतिक्रिया दी और कहा, “अगर सरकार ने इन शब्दों को हटाने पर विचार करना शुरू किया है, तो यह एक बहुत ही गलत कदम होगा। यह देश की नींव को कमजोर करने जैसा होगा।” उनका कहना था कि इन शब्दों को हटाने की बात करके सरकार अपने ही संविधान के खिलाफ जा रही है, जो सभी धर्मों के बीच समानता और समाज के हर वर्ग के कल्याण के लिए है।

सुप्रीम कोर्ट का फैसले का हवाला

कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का भी हवाला दिया, जिसमें 42वें संविधान संशोधन के तहत जोड़े गए इन शब्दों की प्रासंगिकता पर सर्वोच्च न्यायालय ने अपनी सहमति दी थी। 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने डॉ. बलराम सिंह बनाम भारत संघ मामले में एक महत्वपूर्ण निर्णय दिया था, जिसमें कहा गया था कि ‘समाजवाद’ एक कल्याणकारी राज्य का प्रतीक है और ‘धर्मनिरपेक्षता’ संविधान के मूल ढांचे का अभिन्न हिस्सा है।

समाजवाद और धर्मनिरपेक्षता का महत्व

बता दें, ‘समाजवाद’ और ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्द 1976 में इंदिरा गांधी सरकार के आपातकाल के दौरान संविधान की प्रस्तावना में जोड़े गए थे। तब से इन शब्दों को लेकर विभिन्न राजनीतिक दलों और समूहों में मतभेद देखे गए हैं। ‘समाजवाद’ शब्द का अर्थ है समाज में समानता और हर व्यक्ति को बराबरी का अवसर, जबकि ‘धर्मनिरपेक्षता’ का मतलब है कि राज्य किसी भी धर्म के प्रति पक्षपाती नहीं होगा और सभी धर्मों के साथ समान व्यवहार करेगा।

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China Brahmaputra Dam Project: चीन का यारलुंग ज़ांगबो नदी पर दुनिया का सबसे बड़ा हाइड...

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China Brahmaputra Dam Project: चीन ने हाल ही में तिब्बत में यारलुंग ज़ांगबो नदी पर दुनिया का सबसे बड़ा हाइड्रोपावर डैम बनाने का काम शुरू किया है। इस प्रोजेक्ट को मोतुओ हाइड्रोपावर स्टेशन नाम दिया गया है और इसकी लागत लगभग 170 अरब डॉलर (1.2 ट्रिलियन युआन) आंकी जा रही है। इस नदी को भारत में ब्रह्मपुत्र और बांग्लादेश में जमुना के नाम से जाना जाता है। यह परियोजना न केवल चीन की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने का दावा करती है, बल्कि यह भारत और बांग्लादेश जैसे पड़ोसी देशों के लिए गंभीर चिंता का विषय बन चुकी है।

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क्या है यारलुंग ज़ांगबो मेगा-डैम प्रोजेक्ट? (China Brahmaputra Dam Project)

आजतक की रिपोर्ट के मुताबिक, यारलुंग ज़ांगबो, तिब्बत की सबसे लंबी नदी है, जो हिमालय से निकलकर भारत और बांग्लादेश में बहती है। इस नदी का पानी लाखों लोगों की जरूरतों को पूरा करता है। चीन इस नदी के “ग्रेट बेंड” इलाके में पांच बड़े डैम बनाने की योजना बना रहा है। यह क्षेत्र नदी के यू-टर्न लेने की वजह से खास है, और यहाँ नदी लगभग 2000 मीटर नीचे गिरती है, जो इसे हाइड्रोपावर उत्पादन के लिए आदर्श स्थान बनाता है।

चीन का दावा है कि यह डैम स्वच्छ ऊर्जा, बाढ़ नियंत्रण, और स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती देगा। चीन की इस परियोजना के तहत पांच कैस्केड पावर स्टेशन बनाए जाएंगे, जो कुल 60 गीगावाट बिजली पैदा करेंगे, जो 30 करोड़ लोगों की सालाना बिजली जरूरत को पूरा कर सकते हैं। इस डैम का निर्माण का कार्य 2030 तक पूरा होने की संभावना है, हालांकि, इस परियोजना से जुड़ी पर्यावरण और पानी से जुड़ी समस्याएं लगातार बढ़ती जा रही हैं।

भारत और बांग्लादेश क्यों हैं चिंतित?

यारलुंग जांग्बो नदी भारत और बांग्लादेश के लिए बहुत जरूरी  है। ब्रह्मपुत्र नदी में आए बदलाव से इन दोनों देशों की कृषि, मछली पकड़ने और पानी की आपूर्ति पर सीधा असर पड़ेगा। अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने चेतावनी दी है कि डैम से नदी का 80% पानी कम हो सकता है, जिससे अरुणाचल और असम में खेती और आजीविका पर बुरा असर पड़ेगा। वहीं बांग्लादेश में 65% पानी ब्रह्मपुत्र से आता है, और यदि पानी में 5% भी कमी आई तो बांग्लादेश में खाद्य संकट और प्रवासी समस्या पैदा हो सकती है।

पानी की कमी और बाढ़ का खतरा

चीन का यह डैम पानी को नियंत्रित करने के लिए एक “जल बम” का रूप ले सकता है। यदि चीन कभी बाढ़ की स्थिति पैदा करता है, तो अपने विशाल रिजर्वायर से पानी को अचानक छोड़ने से भारत और बांग्लादेश में भारी बाढ़ आ सकती है। इस बारे में पेमा खांडू ने कहा, “यह हमारे लिए अस्तित्व का खतरा हो सकता है।” डैम से नदी की गाद का बहाव भी रुक सकता है, जिससे भारत और बांग्लादेश के डेल्टा क्षेत्र में मिट्टी की उपजाऊ क्षमता में कमी आ सकती है, और समुद्र स्तर में वृद्धि हो सकती है।

चीन का दावा और पड़ोसियों का डर

मगर चीन का कहना है कि इस परियोजना से पड़ोसी देशों को कोई नुकसान नहीं होगा, और यह केवल स्वच्छ ऊर्जा के लिए है। चीनी विदेश मंत्रालय ने बताया कि इस डैम का उद्देश्य केवल जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई और बाढ़ नियंत्रण है। लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि चीन की पारदर्शिता की कमी और हाइड्रोलॉजिकल डेटा को साझा नहीं करने से भारत और बांग्लादेश को अपनी चिंताओं का समाधान करना मुश्किल हो रहा है।

भारत और बांग्लादेश की प्रतिक्रिया

वहीं, भारत ने सियांग अपर मल्टीपर्पस प्रोजेक्ट के जरिए अपनी जल सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए हैं। हालांकि, इस प्रोजेक्ट का भी स्थानीय लोगों और पर्यावरणविदों द्वारा विरोध किया जा रहा है। बांग्लादेश भी इस डैम को लेकर चिंतित है, और बांग्लादेश के विशेषज्ञों का कहना है कि डैम से पानी की कमी और गाद का रुकना बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था और इकोलॉजी को गंभीर नुकसान पहुंचाएगा।

रणनीतिक खतरा

कई विशेषज्ञों का मानना है कि चीन इस डैम का इस्तेमाल रणनीतिक दबाव बनाने के लिए कर सकता है, क्योंकि यह डैम अरुणाचल प्रदेश की सीमा के पास बन रहा है, जिसे चीन दक्षिण तिब्बत का हिस्सा मानता है। ऐसे में चीन का यह कदम एक तरह से भारत के लिए एक रणनीतिक चुनौती बन सकता है।

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Rajasthan School Building Collapses: राजस्थान के झालावाड़ में सरकारी स्कूल की बिल्डिं...

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Rajasthan School Building Collapses: राजस्थान के झालावाड़ जिले के पिपलोदी गांव में शुक्रवार की सुबह एक दर्दनाक हादसा हुआ, जब सरकारी स्कूल की एक जर्जर बिल्डिंग अचानक ढह गई। इस हादसे में 4 बच्चों की मौत हो गई, जबकि 11 अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए। यह हादसा उस समय हुआ जब स्कूल में पढ़ाई चल रही थी और बच्चे अपनी कक्षाओं में मौजूद थे। हादसे के बाद मलबे में फंसे बच्चों को बाहर निकालने के लिए त्वरित रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया गया, लेकिन इससे पहले कई बच्चों की जान जा चुकी थी।

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वहीं, घायल बच्चों को इलाज के लिए जिला अस्पताल रेफर किया गया है, जबकि मलबे से निकाले गए करीब 35 बच्चों में से 19 को हल्की चोटें आई हैं, जिनका इलाज मनोहर थाना क्षेत्र के सरकारी अस्पताल में चल रहा है।

हादसा उस समय हुआ जब बच्चे कक्षा में पढ़ाई कर रहे थे- Rajasthan School Building Collapses

जानकारी के मुताबिक, सभी घायल बच्चे 7वीं कक्षा के छात्र थे। हादसे के वक्त वे स्कूल के कक्षा में पढ़ाई कर रहे थे। अचानक स्कूल की बिल्डिंग की छत गिरने से यह भयंकर हादसा हुआ। इस मंजर को देखकर पूरे गांव में हड़कंप मच गया। हादसे की सूचना मिलते ही स्थानीय ग्रामीण और पुलिस मौके पर पहुंच गए और रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया। चार जेसीबी मशीनों की मदद से मलबे को हटाया गया और बच्चों को बाहर निकाला गया। घायलों को तुरंत अस्पताल भेजा गया।

जर्जर स्कूल की बिल्डिंग पर उठे सवाल

स्थानीय लोग और ग्रामीण इस बात को लेकर गुस्से में हैं कि स्कूल की यह बिल्डिंग लंबे समय से जर्जर हालत में थी, लेकिन प्रशासन ने इस पर ध्यान नहीं दिया। ग्रामीणों का कहना है कि कई बार इस जर्जर स्कूल की मरम्मत की मांग की गई, लेकिन इस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। इस हादसे के बाद इस मुद्दे पर सवाल उठने लगे हैं कि आखिर क्यों बच्चों को इतनी खतरनाक स्थिति में पढ़ाई के लिए भेजा गया।

राजनीतिक बयानबाजी में उलझी सरकार

घटना के बाद राजस्थान के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने इस हादसे पर प्रतिक्रिया दी और इसे कांग्रेस के गुनाहों का नतीजा बताया। उन्होंने कहा, “यह दुर्घटना कांग्रेस के पाप का नतीजा है, जिसे हमें भुगतना पड़ रहा है।” उन्होंने इस घटना की उच्चस्तरीय जांच का वादा किया और बताया कि घायल बच्चों का इलाज सरकारी खर्चे पर होगा। वहीं, कांग्रेस नेता प्रताप सिंह खाचरियावास ने पलटवार करते हुए कहा कि यह सरकारी स्कूल है और इसकी रिपोर्ट हर तीसरे महीने पर शिक्षा विभाग को दी जाती है, तो शिक्षा मंत्री ने क्यों रिपोर्ट नहीं देखी। उन्होंने कहा कि सरकार को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए और मुख्यमंत्री को घटना स्थल पर जाकर जिम्मेदारी तय करनी चाहिए।

मुख्यमंत्री और पूर्व सीएम की प्रतिक्रिया

दूसरी तरफ, राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने इस घटना पर शोक व्यक्त किया और घायलों के इलाज के लिए संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए। उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा, “स्कूल की छत गिरने से हुआ दर्दनाक हादसा अत्यंत दुःखद एवं हृदयविदारक है।”

वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी ट्वीट किया और कहा कि उन्होंने घटना की जानकारी ली और घायलों के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की प्रार्थना की।

वसुंधरा राजे और दुष्यंत कुमार की भी चिंता

बता दें, यह इलाका वसुंधरा राजे का गृह क्षेत्र है और उनके बेटे और वर्तमान में सांसद दुष्यंत कुमार ने भी प्रशासनिक अधिकारियों से संपर्क कर हादसे की जानकारी ली है। खबरों के मुताबिक, दुष्यंत कुमार जल्द ही पिपलोदी गांव का दौरा कर सकते हैं।

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Thailand Cambodia War: शिव मंदिर विवाद से छिड़ा थाइलैंड और कंबोडिया के बीच युद्ध! F-1...

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Thailand Cambodia War: दक्षिण-पूर्व एशिया में स्थित दो पड़ोसी देश थाइलैंड और कंबोडिया के बीच सीमा विवाद अब खून-खराबे में बदल चुका है। गुरुवार को दोनों देशों के सीमांत इलाकों में हुई गोलीबारी में थाइलैंड के नौ नागरिकों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए। यह घटना उस लैंडमाइन्स विस्फोट के एक दिन बाद हुई, जिसमें थाइलैंड के पांच सैनिक घायल हो गए थे। दोनों देशों के बीच सीमा विवाद गहरा हो गया है और अब राजनयिक रिश्ते भी टूटने की कगार पर पहुंच गए हैं। आईए इस पूरे मामले को विस्तार से जानते हैं।

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एफ-16 से हमला, थाइलैंड ने लिया कड़ी प्रतिक्रिया- Thailand Cambodia War

पिछले कुछ दिनों से दोनों देशों के सीमा पर तनाव बढ़ा हुआ था। बुधवार को हुए लैंडमाइन्स विस्फोट के बाद दोनों देशों के रिश्तों में कड़वाहट आ गई। थाइलैंड ने तुरंत कंबोडिया के राजदूत को निष्कासित कर दिया और कंबोडिया से अपने राजदूत को वापस बुला लिया। इसके बाद गुरुवार को थाइलैंड ने कंबोडिया के सीमाई इलाकों में लड़ाकू विमान F-16 से हमला किया, जिसके बाद गोलीबारी की घटनाएं शुरू हो गईं। थाई वायुसेना ने भी कंबोडिया के इलाकों में बमबारी की, जिससे इलाके में भारी तबाही मची।

कंबोडिया में 9 मौतें, 14 घायल

‘बैंकाक पोस्ट’ के अनुसार, कंबोडिया के हमले में एक बच्चे समेत थाइलैंड के 9 नागरिकों की मौत हो गई, जबकि 14 अन्य गंभीर रूप से घायल हुए हैं। कंबोडिया के खिलाफ थाइलैंड ने रॉकेट लॉन्चर से जवाबी कार्रवाई की और कंबोडिया के कई सीमाई इलाकों में तबाही मचाई। कंबोडिया के अधिकारियों ने इस हमले को बिना उकसावे का बताया और थाइलैंड पर गंभीर आरोप लगाए।

सीमा विवाद का इतिहास

यह विवाद थाइलैंड और कंबोडिया के बीच पुराने सीमा विवादों से जुड़ा हुआ है। दोनों देशों की 817 किलोमीटर लंबी सीमा पर हमेशा तनाव बना रहता है, खासकर प्रीह विहार मंदिर के आसपास। यह मंदिर भारत से जुड़े शिव मंदिरों में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। थाइलैंड और कंबोडिया के बीच यह विवाद 1959 में शुरू हुआ, जब कंबोडिया ने इस मामले को अंतरराष्ट्रीय कोर्ट में उठाया था। 1962 में कंबोडिया के पक्ष में फैसला आया था, लेकिन बाद में थाइलैंड ने मंदिर के आसपास की करीब 4.6 किमी जमीन पर अपना दावा किया। इसी बीच, 2008 में यूनेस्को ने इस मंदिर को अपनी सांस्कृतिक धरोहरों की सूची में शामिल कर लिया था, जिसके बाद से दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ता गया।

शांति की उम्मीदें

बढ़ते विवाद को देखते हुए कंबोडिया के प्रधानमंत्री हुन मानेत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से तुरंत बैठक बुलाने का आग्रह किया है, ताकि दोनों देशों के बीच जारी संघर्ष को रोका जा सके। उन्होंने थाइलैंड पर बिना उकसावे के हमले करने का आरोप लगाया और इसे क्षेत्रीय शांति के लिए खतरे के रूप में देखा। वहीं, चीन और मलेशिया ने भी दोनों देशों से अपनी-अपनी सेनाओं को वापस बुलाने और आपसी तनाव को कम करने की अपील की है।

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Hulk Hogan Dead: रेसलिंग के आइकन हल्क होगन का 71 वर्ष की आयु में निधन, दिल का दौरा बन...

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Hulk Hogan Dead: रेसलिंग की दुनिया के दिग्गज और विश्वप्रसिद्ध रेसलर हल्क होगन अब हमारे बीच नहीं रहे। खबरों के मुताबिक, 71 वर्ष की उम्र में उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कहा। टीएमजेड स्पोर्ट्स के अनुसार, उनकी मौत का कारण दिल का दौरा बताया जा रहा है। हल्क होगन, जिनका असली नाम टेरी जीन बोलिया था, ने रेसलिंग की दुनिया में अपने जोश और जूनून से एक नई पहचान बनाई थी।

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रेसलिंग और फिल्मों में होगन की पहचान- Hulk Hogan Dead

होगन का जन्म 11 अगस्त 1953 को अमेरिका के फ्लोरिडा में हुआ था। उन्होंने  1983 में रेसलिंग की दुनिया में कदम रखा था और इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। वह रेसलिंग के सबसे बड़े स्टार बन गए और WWE को वैश्विक पहचान दिलाने में अहम भूमिका निभाई। उनका लाल-पीला पोशाक और लंबे सुनहरे बालों वाला लुक हमेशा ही फैंस के बीच मशहूर रहा। “हल्कमेनिया” का उनका स्लोगन आज भी लोगों की ज़ुबान पर है। होगन ने 6 बार WWE वर्ल्ड हैवीवेट चैंपियनशिप जीती और रेसलमेनिया जैसे बड़े आयोजनों का हिस्सा बने। उन्होंने रेसलिंग की दुनिया के बड़े नामों जैसे एंड्रे द जायंट, रैंडी सैवेज और द रॉक के साथ यादगार मुकाबले किए।

होगन ने न सिर्फ रेसलिंग, बल्कि हॉलीवुड में भी अपनी पहचान बनाई। उन्होंने नो होल्ड्स बार्ड”, सबअर्बन कमांडो”, और मिस्टर नैनी” जैसी फिल्मों में भी अभिनय किया। उनकी फिल्मों और रेसलिंग की बदौलत वह एक पॉप कल्चर आइकॉन बन गए थे। होगन का अनोखा अंदाज और उनकी विशेष शैली ने उन्हें दुनियाभर में मशहूर किया।

WWE ने दी श्रद्धांजलि

हल्क होगन का निधन के बाद WWE ने भी अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एक श्रद्धांजलि वीडियो पोस्ट किया, जिसमें होगन को याद करते हुए कहा, “WWE को यह जानकर दुख हुआ कि WWE हॉल ऑफ फेमर हल्क होगन का निधन हो गया है।” WWE ने यह भी लिखा, “हम होगन के परिवार, दोस्तों और फैंस के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करते हैं।”

रिक फ्लेयर और अन्य दिग्गजों का भावुक संदेश

रेसलिंग के 16 बार वर्ल्ड चैंपियन रिक फ्लेयर ने भी अपने दोस्त हल्क होगन के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया। उन्होंने लिखा, “मेरे करीबी दोस्त हल्क होगन के निधन की खबर सुनकर मैं बिल्कुल स्तब्ध हूं! हल्क रेसलिंग के कारोबार में शुरुआत से ही मेरे साथ रहे हैं।” फ्लेयर ने होगन की तारीफ करते हुए कहा, “एक अविश्वसनीय एथलीट, प्रतिभाशाली दोस्त और पिता! हमारी दोस्ती का मेरे लिए बहुत महत्व है। वह हमेशा मेरे लिए मौजूद रहे, तब भी जब मैंने उनसे ऐसा करने के लिए नहीं कहा।”

फ्लेयर ने यह भी बताया कि जब वह मुश्किल दौर से गुजर रहे थे, तो हल्क होगन उनके पास मदद के लिए सबसे पहले पहुंचे। फ्लेयर ने कहा, “जब मेरे बचने की संभावना सिर्फ 2% थी, तब वह अस्पताल में मुझसे मिलने आने वाले पहले लोगों में से थे।”

होगन का परिवार और निजी जीवन

बता दें, हल्क होगन ने अपनी जिंदगी में तीन शादियां की थीं। उनके परिवार में उनकी मौजूदा पत्नी स्काई डेली, एक बेटा निक और एक बेटी ब्रुक हैं। उनके निधन से उनके परिवार और रेसलिंग के दुनियाभर में उनके चाहने वाले गहरे सदमे में हैं। हल्क होगन हमेशा अपनी हंसी-मजाक और जोशीली शख्सियत के लिए जाने जाते थे, और उनकी यह शख्सियत उन्हें हर उम्र के फैंस का पसंदीदा बना देती थी। हल्क होगन के योगदान से रेसलिंग को वैश्विक स्तर पर पहचान मिली और वह आज भी युवा रेसलर्स के लिए प्रेरणा बने हुए हैं।

हालांकि, हाल के वर्षों में होगन ने रेसलिंग से दूरी बनाई थी, लेकिन वह टीवी और सोशल मीडिया के जरिए अपने फैंस से जुड़े रहे। उनकी जिंदगी एक प्रेरणा थी, और उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा।

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Twins Village in Kerala: केरल का ‘ट्विन टाउन’, जहां हर घर में जुड़वा बच्च...

Twins Village in Kerala: आपने दुनियाभर में कई अजीबोगरीब गांवों के बारे में सुना होगा, लेकिन केरल का एक छोटा सा गांव है, जो इस मामले में सबसे खास और अनोखा है। हम बात कर रहे हैं कोडिन्ही गांव की, जिसे “जुड़वा बच्चों का गांव” कहा जाता है। इस गांव में लगभग हर घर में जुड़वा बच्चे पैदा होते हैं। क्या आपने कभी सोचा है कि ऐसा क्यों होता है? आइए जानते हैं इस गांव के बारे में और क्यों यह जगह दुनियाभर में इतनी मशहूर है।

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क्यों है कोडिन्ही इतना खास? (Twins Village in Kerala)

अगर हम सामान्य रूप से देखें, तो दुनियाभर में एक हजार में से सिर्फ 9 जुड़वा बच्चे पैदा होते हैं, लेकिन कोडिन्ही में यह आंकड़ा कहीं ज्यादा है। यहां 1000 बच्चों में से 45 बच्चे जुड़वा होते हैं। इस गांव में अब तक 400 से ज्यादा जुड़वा बच्चों का जन्म हो चुका है और यह आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है। 2008 में इस गांव में 280 जुड़वा बच्चों की लिस्ट सामने आई थी, और उसके बाद से जुड़वा बच्चों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है। कोडिन्ही के बारे में खास बात यह है कि यह गांव दुनियाभर के वैज्ञानिकों के लिए एक रहस्य बन चुका है। उन्होंने इस रहस्य को सुलझाने के लिए यहां पर कई बार रिसर्च की, लेकिन अभी तक इस पर कोई पक्का कारण नहीं पता चल पाया है।

कोडिन्ही का जुड़वा बच्चे पैदा करने का सिलसिला

आपको बता दें, कोडिन्ही में जुड़वा बच्चों का जन्म होने का सिलसिला लगभग तीन पीढ़ी पहले शुरू हुआ था। 2008 में करीब 300 महिलाओं ने स्वस्थ बच्चों को जन्म दिया था, जिनमें से 15 जोड़े जुड़वा बच्चे थे। यह संख्या अब लगातार बढ़ती जा रही है। केरल के प्रसिद्ध डॉक्टर कृष्णन श्रीबिजू ने इस गांव के रहस्य का पता लगाने की कोशिश की, लेकिन उनका कहना है कि जुड़वा बच्चों की संख्या बढ़ने के पीछे का कारण गांव के खानपान या किसी और बाहरी कारण से जुड़ा हुआ नहीं है। उनका मानना है कि यह किसी जेनेटिक प्रोसेस का परिणाम हो सकता है, लेकिन कोई ठोस कारण अब तक नहीं मिल पाया है।

वैज्ञानिकों की जांच और शोध

इस असाधारण घटना पर पूरी दुनिया का ध्यान आकर्षित करने के लिए साल 2016 में भारत, लंदन और जर्मनी के वैज्ञानिकों का एक ग्रुप कोडिन्ही गांव पहुंचा। उन्होंने गांववासियों के डीएनए सैंपल एकत्र किए, जिसमें बाल और सलाइवा (लार) के सैंपल शामिल थे। इसके बाद वैज्ञानिकों ने इस पर गहन शोध किया, लेकिन नतीजा वही रहा कि इस रिसर्च से कोई ठोस और सटीक परिणाम नहीं निकल सका। इस रिसर्च से यह स्पष्ट हो गया कि कोई बाहरी पर्यावरणीय या जेनेटिक बदलाव इसका मुख्य कारण नहीं है।

गांव वालों को कब हुआ एहसास?

शुरुआत में कोडिन्ही के लोगों को यह घटना सामान्य लगती थी और उन्होंने कभी इस पर गौर नहीं किया। लेकिन कुछ साल पहले गांव की दो जुड़वा बहनों, समीरा और फेमिना ने यह ध्यान में लाया कि उनके स्कूल में 8 जोड़े जुड़वा बच्चे हैं। इसके बाद उन्होंने अपनी क्लास में और बाकी क्लासों में भी देखा और पाया कि यहां 24 जोड़े जुड़वा बच्चे हैं। यह खोज धीरे-धीरे गांव में फैल गई और लोग इस पर गौर करने लगे। इस खोज के बाद कोडिन्ही को “ट्विन टाउन” के नाम से जाना जाने लगा।

ट्विन टाउन में रजिस्ट्रेशन और सपोर्ट

बता दें, कोडिन्ही गांव में अब जुड़वा बच्चों के परिवारों के लिए एक संस्था भी बन चुकी है, जिसका नाम है “ट्विन्स एंड किन एसोसिएशन” (TAKA)। यह संस्था जुड़वा बच्चों के परिवारों को रजिस्ट्रेशन, सहायता और सलाह प्रदान करती है। जुड़वा बच्चों को पालने की लागत अधिक हो सकती है और उन्हें शारीरिक रूप से पालना भी कठिन हो सकता है, इसलिए यह संस्था ग्रामीणों को शिक्षित करने और उनका समर्थन करने का काम करती है।

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Finland Traffic Rules: इस देश में इनकम के हिसाब से कटता है ट्रैफिक चालान, जानें कैसे ...

Finland Traffic Rules: भारत में सड़क सुरक्षा को लेकर हमेशा चिंता रहती है, क्योंकि यहां हर दिन सैकड़ों लोग सड़क हादसों का शिकार हो जाते हैं। ये हादसे अक्सर लोगों की लापरवाही और ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करने के कारण होते हैं। हालांकि, हाल ही में सरकार ने ट्रैफिक रूल्स तोड़ने वालों पर जुर्माना लगाने की व्यवस्था को सख्त किया है, ताकि सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाई जा सके और लोगों को सुरक्षा मिल सके। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि दुनिया में एक ऐसा देश भी है, जहां ट्रैफिक जुर्माना आपकी सैलरी के आधार पर लगाया जाता है? जी हां, हम बात कर रहे हैं फिनलैंड की, जहां जुर्माना किसी की सैलरी के हिसाब से तय किया जाता है।

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फिनलैंड में एक करोड़ रुपये का जुर्माना- Finland Traffic Rules

आपको जानकारी हैरानी होगी कि, दिसंबर 2020 में फिनलैंड के एक शख्स पर एक करोड़ रुपये से ज्यादा का जुर्माना लगाया गया था। यह जुर्माना ओवरस्पीडिंग के कारण हुआ था और उसे 1 करोड़ 6 लाख 27 हजार रुपये का चालान मिला था। इस खबर ने दुनियाभर में हलचल मचा दी थी। लोग सोचने लगे थे कि क्या यह किसी के साथ ज्यादती हो रही है। लेकिन फिनलैंड का ट्रैफिक नियम तो यही कहता है कि जुर्माना किसी व्यक्ति की आय के हिसाब से होना चाहिए। इस सिस्टम के पीछे एक खास सोच और उद्देश्य है, जो सभी के लिए समान रूप से न्याय सुनिश्चित करता है।

किस तरह से काम करता है यह सिस्टम?

फिनलैंड में ट्रैफिक जुर्माना प्रणाली कुछ अलग है। यहां पर जुर्माना आपकी सैलरी के आधार पर तय किया जाता है। अगर आप ज्यादा कमाते हैं तो जुर्माना भी उतना ही ज्यादा होगा। यह सिस्टम इस लिए अपनाया गया है ताकि जुर्माना सभी के लिए समान रूप से प्रभावी हो, न कि सिर्फ उन लोगों के लिए जो कम इनकम वाले हैं। इस सिस्टम के तहत, अगर किसी ने ट्रैफिक नियम तोड़ा, तो उसकी सैलरी के हिसाब से जुर्माना आधा हो जाता है। इसके अलावा, स्पीड लिमिट से ऊपर जाने पर, स्पीड के हिसाब से उसकी सैलरी का हिस्सा जुर्माने के रूप में लिया जाता है।

कैसे होता है जुर्माने का निर्धारण?

आपको बता दें, फिनलैंड में पुलिस के पास स्मार्टफोन में एक सेंट्रल टैक्सपेयर डेटाबेस होता है। इसके जरिए वे किसी भी व्यक्ति की सैलरी चेक कर सकते हैं और उसी हिसाब से जुर्माना तय कर सकते हैं। अगर कोई व्यक्ति स्पीड लिमिट से ज्यादा तेज चला है, तो उस व्यक्ति की सैलरी के हिसाब से जुर्माना लगाया जाएगा, और यह नियम न केवल फिनलैंड में, बल्कि बाकी नॉर्डिक देशों में भी लागू है। वहीं, यह सिस्टम फिनलैंड में 1920 के दशक से लागू है।

क्यों है यह सिस्टम महत्वपूर्ण?

इस सिस्टम का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि जुर्माना एक व्यक्ति की आय के हिसाब से हो, ताकि यह समान रूप से न्यायपूर्ण हो। अगर जुर्माना केवल कम आय वाले लोगों के लिए ही कम होता, तो यह सिस्टम सही नहीं होता। इस प्रणाली के जरिए, किसी भी व्यक्ति को उसके आर्थिक स्तर के आधार पर ही सजा मिलती है, न कि उसके लिए जो उसकी आर्थिक स्थिति पर निर्भर करता है।

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Maa Durga 108 Names: मां दुर्गा के 108 नाम और उनके अद्भुत अर्थ: जानें देवी के शक्तिशा...

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Maa Durga 108 Names: हिंदू धर्म में माँ दुर्गा को शक्ति का सर्वोच्च प्रतीक माना जाता है, जिनकी उपासना से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है। उनकी शक्ति, महिमा और गुणों की अद्भुत कहानी उनके 108 नामों में छिपी है। प्रत्येक नाम का एक विशेष अर्थ है, जो न केवल देवी दुर्गा की विशिष्टता को उजागर करता है, बल्कि उनके अनंत रूपों को समझाने का माध्यम भी बनता है। ये 108 नाम उनकी विविध शक्तियों, रूपों और गुणों के प्रतीक हैं, जिनमें से प्रत्येक हमें जीवन में एक नई दिशा और शक्ति प्रदान करता है। आइए, माँ दुर्गा के इन 108 नामों और उनके गूढ़ अर्थों के बारे में जानें।

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मां दुर्गा के 108 नाम और उनके अर्थ- Maa Durga 108 Names

  1. सती – अग्नि में जलकर भी जीवित रहने वाली
  2. साध्वी – आशावादी
  3. भवप्रीता – भगवान शिव पर प्रीति रखने वाली
  4. भवानी – ब्रह्मांड में निवास करने वाली
  5. भवमोचनी – संसारिक बंधनों से मुक्त करने वाली
  6. आर्या – देवी
  7. दुर्गा – अपराजेय
  8. जया – विजयी
  9. आद्य – शुरुआत की वास्तविकता
  10. त्रिनेत्र – तीन आंखों वाली
  11. शूलधारिणी – शूल धारण करने वाली
  12. पिनाकधारिणी – शिव का त्रिशूल धारण करने वाली
  13. चित्रा – सुरम्य, सुंदर
  14. चण्डघण्टा – प्रचण्ड स्वर से घण्टा नाद करने वाली
  15. सुधा – अमृत की देवी
  16. मन – मनन-शक्ति
  17. बुद्धि – सर्वज्ञाता
  18. अहंकारा – अभिमान करने वाली
  19. चित्तरूपा – वह जो सोच की अवस्था में है
  20. चिता – मृत्युशय्या
  21. चिति – चेतना
  22. सर्वमन्त्रमयी – सभी मंत्रों का ज्ञान रखने वाली
  23. सत्ता – सत-स्वरूपा
  24. सत्यानंद स्वरूपिणी – अनन्त आनंद का रूप
  25. अनन्ता – जिनके स्वरूप का कहीं अंत नहीं
  26. भाविनी – सबको उत्पन्न करने वाली
  27. भाव्या – भावना एवं ध्यान करने योग्य
  28. भव्य – कल्याणरूपा
  29. अभव्या – जिससे बढ़कर भव्य कुछ नहीं
  30. सदागति – हमेशा गति में, मोक्ष दान
  31. शाम्भवी – शिवप्रिया, शंभू की पत्नी
  32. देवमाता – देवगण की माता
  33. चिन्ता – चिन्ता
  34. रत्नप्रिया – गहने से प्यार करने वाली
  35. सर्वविद्या – ज्ञान का निवास
  36. दक्षकन्या – दक्ष की बेटी
  37. दक्षयज्ञविनाशिनी – दक्ष के यज्ञ को रोकने वाली
  38. अपर्णा – तपस्या के समय पत्ते को भी न खाने वाली
  39. अनेकवर्णा – अनेक रंगों वाली
  40. पाटला – लाल रंग वाली
  41. पाटलावती – गुलाब के फूल जैसी
  42. पट्टाम्बरपरीधाना – रेशमी वस्त्र पहनने वाली
  43. कलामंजीरारंजिनी – पायल पहनकर प्रसन्न रहने वाली
  44. अमेय – जिसकी कोई सीमा नहीं
  45. विक्रमा – असीम पराक्रमी
  46. क्रूरा – दैत्यों के प्रति कठोर
  47. सुन्दरी – सुंदर रूप वाली
  48. सुरसुन्दरी – अत्यंत सुंदर
  49. वनदुर्गा – जंगलों की देवी
  50. मातंगी – मतंगा की देवी
  51. मातंगमुनिपूजिता – बाबा मतंगा द्वारा पूजनीय
  52. ब्राह्मी – भगवान ब्रह्मा की शक्ति
  53. माहेश्वरी – प्रभु शिव की शक्ति
  54. इंद्री – इंद्र की शक्ति
  55. कौमारी – किशोरी
  56. वैष्णवी – अजेय
  57. चामुण्डा – चंड और मुंड का नाश करने वाली
  58. वाराही – वराह पर सवार होने वाली
  59. लक्ष्मी – सौभाग्य की देवी
  60. पुरुषाकृति – वह जो पुरुष धारण कर ले
  61. विमिलौत्त्कार्शिनी – आनन्द प्रदान करने वाली
  62. ज्ञाना – ज्ञान से भरी हुई
  63. क्रिया – हर कार्य में होने वाली
  64. नित्या – अनन्त
  65. बुद्धिदा – ज्ञान देने वाली
  66. बहुला – विभिन्न रूपों वाली
  67. बहुलप्रेमा – सर्वप्रिय
  68. सर्ववाहनवाहना – सभी वाहन पर विराजमान होने वाली
  69. निशुम्भशुम्भहननी – शुम्भ, निशुम्भ का वध करने वाली
  70. महिषासुरमर्दिनि – महिषासुर का वध करने वाली
  71. मसुकैटभहंत्री – मधु व कैटभ का नाश करने वाली
  72. चण्डमुण्ड विनाशिनि – चंड और मुंड का नाश करने वाली
  73. सर्वासुरविनाशा – सभी राक्षसों का नाश करने वाली
  74. सर्वदानवघातिनी – संहार के लिए शक्ति रखने वाली
  75. सर्वशास्त्रमयी – सभी सिद्धांतों में निपुण
  76. सत्या – सच्चाई
  77. सर्वास्त्रधारिणी – सभी हथियारों धारण करने वाली
  78. अनेकशस्त्रहस्ता – कई हथियार धारण करने वाली
  79. अनेकास्त्रधारिणी – अनेक हथियारों को धारण करने वाली
  80. कुमारी – सुंदर किशोरी
  81. एककन्या – कन्या
  82. कैशोरी – जवान लड़की
  83. युवती – नारी
  84. यति – तपस्वी
  85. अप्रौढा – जो कभी पुराना ना हो
  86. प्रौढा – जो पुराना है
  87. वृद्धमाता – शिथिल
  88. बलप्रदा – शक्ति देने वाली
  89. महोदरी – ब्रह्मांड को संभालने वाली
  90. मुक्तकेशी – खुले बाल वाली
  91. घोररूपा – एक भयंकर दृष्टिकोण वाली
  92. महाबला – अपार शक्ति वाली
  93. अग्निज्वाला – मार्मिक आग की तरह
  94. रौद्रमुखी – विध्वंसक रुद्र की तरह भयंकर चेहरा
  95. कालरात्रि – काले रंग वाली
  96. तपस्विनी – तपस्या में लगे हुए
  97. नारायणी – भगवान नारायण की विनाशकारी रूप
  98. भद्रकाली – काली का भयंकर रूप
  99. विष्णुमाया – भगवान विष्णु का जादू
  100. जलोदरी – ब्रह्मांड में निवास करने वाली
  101. शिवदूती – भगवान शिव की राजदूत
  102. करली – हिंसक
  103. अनन्ता – विनाश रहित
  104. परमेश्वरी – प्रथम देवी
  105. कात्यायनी – ऋषि कात्यायन द्वारा पूजनीय
  106. सावित्री – सूर्य की बेटी
  107. प्रत्यक्षा – वास्तविक
  108. ब्रह्मवादिनी – वर्तमान में हर जगह वास करने वाली

मां दुर्गा के इन नामों का जाप न केवल हमें मानसिक शांति प्रदान करता है, बल्कि हमें उनके हर रूप की शक्ति का एहसास भी कराता है। इन नामों का अर्थ जानकर हम अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं और देवी दुर्गा की कृपा से जीवन में हर समस्या का समाधान पा सकते हैं।

डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई जानकारी किसी भी प्रकार की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं देती है। यह जानकारी विभिन्न माध्यमों, धार्मिक ग्रंथों, मान्यताओं, और लोक कथाओं से संकलित की गई है। हमारा उद्देश्य केवल सूचना साझा करना है, किसी भी जानकारी को अपनाने से पहले विशेषज्ञ से सलाह लें।

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