Home Blog Page 27

Story of Stone Roti: पाकिस्तान में बनती है ये ‘पत्थर की रोटी’,  कैसे बनती...

0

Story of Stone Roti: पाकिस्तान दुनिया का एक ऐसा देश है जो न तो खुद चैन से रहता है और न ही किसी और को रहते हुए देख सकता है। भूखमरी, महंगाई, बेरोजगारी, राजनीतिक उथल पुथल और सबसे बड़ा दाग है पाकिस्तान पर आतंकवाद, जिसके कारण पुरी दुनिया त्रस्त है शायद खुद पाकिस्तान भी। लेकिन वो कभी इस बात को स्वीकार नहीं करेगा कि आतंकवाद का जनक वहीं है, लेकिन इन सभी कमियों के बावजूद भी बावजूद पाकिस्तान की कुछ परंपराएं ऐसी भी है, जिन्हें जानने के लिए, जिन्हें देखने के लिए लोग अक्सर उत्सुक रहते है। इन्ही परंपराओं में से एक है पत्थर की रोटी(Story of Stone Roti)। जी हां, अब सवाल बड़ा हैरान करने वाला है कि आखिर पत्थर की रोटी होती है, और वो भी परंपरा कैसे हो गई, साथ ही ये भी बड़ा सवाल है कि आखिर इस पत्थर की रोटी को पाकिस्तान के लोग खाते कैसे है। तो आज हम आपको पाकिस्तान के इस स्वादिस्ट रोटी के बारे में बतायेंगे, जो अक्सर लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है।

कैसे बनाई जाती है रोटी-How to make stone Roti

पत्थर की रोटी (Story of Stone Roti), जिसे आम भाषा में पाकिस्तान के लोग सांग रोटी कहते है। सांग रोटी को बनाने के लिए किसी लोहे के तवे का इस्तेमाल नहीं किया जाता है बल्कि एक चिकने पत्थर पर इस रोटी को बनाया जाता है। इसे बनाने के लिए गेहूं के आटे में नमक डालकर इसे गूंथा जाता है। गूंथते समय इस बात का पूरा ध्यान रखा जाता है कि आटा गीला न हो। इसके बाद आटे की अलग अलग लोई बना ली जाती है और इसे थोड़ा मोटा मोटा बेला जाता है। कई बार इसे हाथ से ही रोटी का आकार दिया जाता है। रोटी को बनाने से पहले एक चिकना पत्थर आग पर रखा जाता है, और रोटी को बेलने के बाद इस गर्म पत्थर पर रोटी को पकाया जाता है। पत्थर पर पकने के कारण ये ऊपर से सख्त हो जाता है और अंदर से नर्म रहता है। सख्त होने के कारण ही इसे पत्थर की रोटी कहा जाता है।

और पढ़ेः यूरेनस का खौफनाक सच! जहरीली गैसों और तेज हवाओं के बीच इंसान की जिंदगी सिर्फ कुछ सेकंडों की मेहमान.

कहां बनाई जाती है पत्थर की रोटी

पत्थर की ये अनोखी दरअसल बलूचिस्तान के कुछ इलाकों में बनाई जाती है। आपको बता दे कि पाकिस्तानी सेना और बलूचिस्तान की जनता के बीच आंतरिक युद्ध जैसी स्थिति चल रही है। एक और बलूचिस्तान पाकिस्तान से आजादी चाहता है तो वहीं पाकिस्तान इसे अपना हिस्सा मानता है। यहीं कारण है कि बलूचिस्तान में बेसिक सुविधाएं भी मौजूद नहीं है। तो फिर एक साधन से भरे किचन की तो उम्मीद करना ही बेकार है, ऐसे में इन सबका सहारा है सांग रोटी। (Story of Stone Roti) सांग रोटी को यहां के स्थानीय लोग मौसमी सब्जी के साथ खाते है। जिसमें घी-तेल का भी इस्तेमाल नहीं किया जाता है। बलोच लोगो के लिए जीवन यापन करने और पेट भरने का सबसे सरल तरीका है सांग रोटी

परंपरा से जुड़ी रोटी-Traditional Stone Roti

सांग रोटी के साथ बलूचिस्तान की पुरानी परंपरा भी जुड़ी है। पूरे पाकिस्तान में केवल बलूचिस्तान में ही सांग रोटी बनाई जाती है। इसका कुरकुरा स्वाद, यहां की सादगी को दर्शाता है। बलूचिस्तान एक पहाड़ी इलाका है, वहां पर खानाबदोश गड़ेरियें ज्यादा मात्रा में रहते है। उनका काम अलग अलग हिस्सों में जाकर कुछ समय के लिए डेरा डालना होता है और फिर वो दूसरी जगह की तलाश में निकल जाते है। ऐसे में एक स्थाई घर हो, ये तो केवल सपना भर है। इसलिए सांग रोटी को पत्थर पर बनाया जाता है। ताकि लोगों का पेट भर सकें। बलोच खानाबदोश लोगो के लिए जीवन जीने का सबसे बड़ा साधन है सांग रोटी।

और पढ़ेः बेंगलुरु के लग्जरी सुपरमार्केट में कीमतें देखकर उड़ जाएंगे होश, गाजर से लेकर चाय तक सब कुछ है बेहद महंगा. 

सांग रोटी को लेकर अक्सर सोशल मीडिया पर भी विडियोज दिखाई देते है। इसे बनाने के अनोखे तरीके के कारण धीरे धीरे ये पत्थर की रोटी दुनिया भर में पहचान बना रही है। वेल क्या आप भी पत्थर की ये अनोखी रोटी का स्वाद लेना चाहते है तो इसकी रेसीपी एक बार जरूर ट्राई

 

RCB vs PBKS Final: IPL 2025 में पहली बार नया चैम्पियन बनने की दौड़, पंजाब किंग्स और र...

0

RCB vs PBKS Final: 1 जून 2025 को अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम में खेले गए क्वालीफायर-2 मैच में पंजाब किंग्स ने पांच बार की चैंपियन मुंबई इंडियंस को 5 विकेट से मात देकर आईपीएल के फाइनल में प्रवेश किया। यह पंजाब किंग्स का 2014 के बाद पहला फाइनल है, जब उन्हें कोलकाता नाइट राइडर्स के हाथों हार का सामना करना पड़ा था। आईपीएल के 18 सीजन में यह दूसरी बार है जब पंजाब फाइनल तक पहुंची है। 3 जून को फाइनल में पंजाब किंग्स का मुकाबला रजत पाटीदार की कप्तानी वाली रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) से होगा।

और पढ़ें: Who is Rajeev Shukla: वो कांग्रेस नेता जिसे मोदी राज भी BCCI से नहीं हटा सका, अब बन सकते हैं अध्यक्ष!

बारिश से देरी के बाद रोमांचक मुकाबला- RCB vs PBKS Final

बारिश के कारण मैच लगभग सवा दो घंटे की देरी से शुरू हुआ और अगले दिन समाप्त हो पाया। टॉस हारकर मुंबई ने पहले बल्लेबाजी की। शुरुआत खराब रही क्योंकि कप्तान रोहित शर्मा तीसरे ओवर में आउट हो गए। बावजूद इसके टीम ने 20 ओवर में 203 रन बनाए, जो आईपीएल प्लेऑफ में एक चुनौतीपूर्ण स्कोर माना जाता है।

RCB vs PBKS Final IPL
Source – google

मुंबई की पारी में जॉनी बेयरस्टो ने 38, तिलक वर्मा और सूर्यकुमार यादव ने समान रूप से 44-44 रन बनाए। अंत के ओवरों में नमन धीर ने 37 रन की तेज पारी खेली। पंजाब की ओर से अजमतुल्लाह ओमरजाई ने 2 विकेट लिए, जबकि जेमीसन स्टोइनिस, विजयकुमार वैश्य और चहल ने 1-1 विकेट हासिल किए।

पंजाब की शुरुआत धीमी, लेकिन कप्तान की पारी ने मैच पलटा

पंजाब किंग्स की शुरुआत भी अच्छी नहीं रही। सिर्फ 13 रन पर पहले विकेट के रूप में प्रभसिमरन सिंह 6 रन बनाकर आउट हो गए। इसके बाद प्रियांश आर्य और जोश इंगलिस ने दूसरे विकेट के लिए 42 रन जोड़े। आर्य 20 रन बनाकर पवेलियन लौटे और इंगलिस भी 38 रन बनाकर आउट हुए। पंजाब का तीसरा विकेट 72 रन पर गिरा।

यहां से कप्तान श्रेयस अय्यर ने नेहाल वढेरा के साथ 84 रनों की महत्वपूर्ण साझेदारी निभाई। नेहाल 48 रन बनाकर आउट हुए, और उसके बाद शशांक सिंह भी 169 रन पर आउट हो गए।

कप्तान अय्यर की नाबाद 87 रनों की पारी ने दिलाई जीत

श्रेयस अय्यर ने अपने आईपीएल करियर की यादगार पारियों में से एक खेली। उन्होंने 41 गेंदों में 5 चौकों और 8 छक्कों की मदद से नाबाद 87 रन बनाए। विशेष रूप से उन्होंने अश्वनी कुमार के 19वें ओवर में 4 छक्के लगाए, जिसमें एक नो बॉल और एक वाइड भी शामिल था। अय्यर ने 1 ओवर शेष रहते ही छक्का लगाकर टीम को जीत दिलाई।

RCB vs PBKS Final IPL
Source – google

यह कप्तान के रूप में उनका तीसरा अलग फ्रैंचाइज़ी के साथ फाइनल है। इससे पहले उन्होंने 2020 में दिल्ली कैपिटल्स और 2024 में कोलकाता नाइट राइडर्स को फाइनल तक पहुंचाया था।

मैच में बने कई रिकॉर्ड

मुंबई इंडियंस को अहमदाबाद में यह लगातार छठी हार रही। यहां उनकी आखिरी जीत 2014 में राजस्थान रॉयल्स के खिलाफ हुई थी। आईपीएल प्लेऑफ/नॉकआउट मैचों में 203 रनों का यह अब तक का सबसे बड़ा टारगेट था, जिसे पंजाब ने पहली बार सफलतापूर्वक चेज किया।

मुंबई आईपीएल इतिहास में पहली बार 200+ स्कोर बनाने के बावजूद हार गई। वहीं, पंजाब ने आईपीएल में आठवीं बार 200 से अधिक रन के टारगेट को सफलतापूर्वक चेज किया, जो किसी टीम द्वारा किया गया सबसे अधिक सफल चेज है। आईपीएल 2025 में अब तक नौ बार किसी टीम ने 200+ स्कोर का पीछा पूरा किया है, जो एक सीजन में सबसे ज्यादा रिकॉर्ड है।

और पढ़ें: Chennai Super Kings: IPL 2025 में चेन्नई सुपर किंग्स का निराशाजनक अंत, राजस्थान रॉयल्स ने 6 विकेट से हराया

Sikh Diaspora: सिख धर्म और विश्व में इसके प्रभावशाली डायस्पोरा, भारत के बाहर पांच प्र...

0

Sikh Diaspora: सिख धर्म, जिसकी स्थापना 15वीं शताब्दी में गुरु नानक देव जी ने पंजाब क्षेत्र में की थी, आज विश्व का पांचवां सबसे बड़ा धर्म बन चुका है। अनुमानित तौर पर विश्व में 25 से 30 मिलियन सिख हैं, जिनमें से अधिकांश भारत में रहते हैं, लेकिन विश्व के कई देशों में भी सिखों की मजबूत उपस्थिति है। भारत के बाहर पांच ऐसे देश हैं जहां सिख समुदाय न केवल संख्या में बल्कि सामाजिक, सांस्कृतिक एवं आर्थिक क्षेत्रों में भी अपने योगदान के लिए जाना जाता है।

और पढ़ें: Hate against Sikhs in America: 9/11 के बाद सिख समुदाय पर उभरी नफरत, शुरू हुआ हेट क्राइम का काला दौर

1. कनाडा: सबसे बड़ा सिख प्रवासी देश- Sikh Diaspora       

कनाडा में विश्व का दूसरा सबसे बड़ा सिख समुदाय मौजूद है। 2021 की जनगणना के अनुसार, कनाडा में लगभग 7,71,800 सिख रहते हैं, जो देश की कुल जनसंख्या का करीब 2.12% हैं। सिख मुख्य रूप से टोरंटो, वैंकूवर और ब्रिटिश कोलंबिया के सरे में केंद्रित हैं, जहां उनकी संख्या 5.9% तक पहुंच जाती है। 19वीं सदी के अंत में सिख मजदूर रेलवे और लकड़ी उद्योग में काम करने आए, जिससे कनाडा में उनकी उपस्थिति शुरू हुई। आज सिख समुदाय कनाडा की राजनीति, शिक्षा, और व्यवसाय में गहरा प्रभाव रखता है। कनाडा की संसद में भारतीय मूल के 19 सांसद हैं, जिनमें कई सिख भी शामिल हैं, और तीन सिख कैबिनेट मंत्री भी हैं। गुरुद्वारों और लंगर की परंपरा यहां सिख संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।

Sikh Diaspora canada
Source – google

2. यूनाइटेड किंगडम: समृद्ध इतिहास और सांस्कृतिक मेलजोल

यूनाइटेड किंगडम में लगभग 5,20,100 सिख रहते हैं, जो देश की कुल जनसंख्या का लगभग 0.92% है। मुख्य रूप से सिख वेस्ट मिडलैंड्स (जहां उनकी जनसंख्या 2.9% है) और लंदन में रहते हैं। ब्रिटिश औपनिवेशिक काल में सिख सैनिकों और मजदूरों ने यूके में कदम रखा था। आज के दौर में यूके में सिख शिक्षा, व्यवसाय, और सार्वजनिक सेवाओं में अपना योगदान दे रहे हैं। साउथॉल का गुरुद्वारा श्री गुरु सिंह सभा यहां के प्रमुख धार्मिक और सांस्कृतिक केंद्रों में से एक है। पगड़ी और खालसा जैसे प्रतीक ब्रिटिश समाज में सिखों की विशिष्ट पहचान हैं।

3. संयुक्त राज्य अमेरिका: तकनीक और विविधता का संगम

संयुक्त राज्य अमेरिका में लगभग 2,80,000 सिख हैं, जो देश की जनसंख्या का एक छोटा लेकिन प्रभावशाली हिस्सा हैं। कैलिफोर्निया, न्यूयॉर्क, और न्यू जर्सी में सिख समुदाय केंद्रित है। 19वीं सदी के अंत में यहां भी सिखों ने कृषि और रेलवे में काम किया। आज सिख अमेरिकी समाज में तकनीक, चिकित्सा, और शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। कैलिफोर्निया के युबा सिटी में होने वाला वार्षिक नगर कीर्तन (सिख परेड) सिख संस्कृति का जीवंत उदाहरण है। हालांकि धार्मिक पहचान के कारण कभी-कभी भेदभाव का सामना करना पड़ा, फिर भी सिखों ने अपनी सांस्कृतिक विरासत को मजबूती से बनाए रखा है।

Sikh Diaspora india
Source – google

4. ऑस्ट्रेलिया: बहुसांस्कृतिक पहचान में सिख योगदान

ऑस्ट्रेलिया में करीब 2,10,400 सिख निवास करते हैं, जो देश की जनसंख्या का 0.83% है। मेलबर्न, सिडनी, और ब्रिस्बेन जैसे शहरों में सिख समुदाय का बसाव है। 19वीं सदी में कृषि और व्यापार के लिए सिख प्रवास शुरू हुआ। आज ऑस्ट्रेलिया में सिख शिक्षा, आतिथ्य, और परिवहन जैसे क्षेत्रों में सक्रिय हैं। यहां गुरुद्वारों और लंगर की परंपरा सामुदायिक सेवा और एकता का प्रतीक हैं। पंजाबी संगीत और भांगड़ा जैसे सांस्कृतिक तत्व ऑस्ट्रेलिया की बहुसांस्कृतिक पहचान का अहम हिस्सा बन चुके हैं।

5. मलेशिया: संरक्षण और सामाजिक सेवा

मलेशिया में लगभग 1,00,000 सिख रहते हैं, जो देश की कुल आबादी का लगभग 0.3% है। कुआलालंपुर, पेनांग, और पेराक जैसे क्षेत्रों में सिख समुदाय केंद्रित है। ब्रिटिश औपनिवेशिक काल के दौरान सिख सैनिक और पुलिसकर्मी मलेशिया आए थे। आज मलेशिया में सिख व्यापार, शिक्षा, और सार्वजनिक सेवाओं में सक्रिय भूमिका निभाते हैं। कुआलालंपुर का गुरुद्वारा साहिब यहां के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है। सेवा और समानता की भावना सिख समुदाय की पहचान को मलेशियाई समाज में मजबूत बनाती है।

सिख डायस्पोरा की वैश्विक छवि

भारत के बाहर सिख समुदाय ने कनाडा, यूके, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और मलेशिया में न केवल अपनी धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत को जिंदा रखा है, बल्कि स्थानीय समाज में शिक्षा, व्यवसाय, और सामाजिक सेवा के माध्यम से भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है। गुरुद्वारों में लंगर की परंपरा और खालसा की भावना सिखों की एकता और सेवा के प्रति समर्पण को दर्शाती है, जो विश्वभर में सिख समुदाय की छवि को मजबूती प्रदान करती है।

और पढ़ें: Sikh Surnames and Meanings: नाम में क्या रखा है? अगर वो सिख सरनेम हो, तो बहुत कुछ! जानिए सिख सरनेम्स के पीछे की गहरी कहानी

Transformation of Delhi Zoo: दिल्ली चिड़ियाघर का रूपांतरण! वनतारा मॉडल पर निजीकरण की ...

0

Transformation of Delhi Zoo: दिल्ली चिड़ियाघर को जल्द ही निजी हाथों या किसी सोसाइटी के जिम्मे सौंपे जाने की संभावना प्रबल हो गई है। पर्यावरण एवं वन मंत्रालय और प्रधानमंत्री कार्यालय के बीच इस संदर्भ में कई बैठकें हो चुकी हैं, जिसमें गुजरात के जामनगर में स्थित वनतारा परियोजना के मॉडल को अपनाकर दिल्ली चिड़ियाघर को आधुनिक रूप देने की योजना पर चर्चा हुई है।

और पढ़ें: India Indus Water Treaty: भारत के सिंधु जल समझौते के रद्द होने के बाद पाकिस्तान में चिनाब नदी के जल प्रवाह में गंभीर उतार-चढ़ाव, मंगला डैम और पंजाब की कृषि पर संकट

वनतारा जैसा होगा नया दिल्ली चिड़ियाघर- Transformation of Delhi Zoo

सूत्रों के मुताबिक, देश की एक प्रमुख कंपनी इस प्रोजेक्ट को संभालने के लिए तैयार है। नई योजना के तहत चिड़ियाघर में वन्यजीवों को उनकी प्राकृतिक जीवनशैली के करीब वातावरण उपलब्ध कराया जाएगा। इसके लिए विश्वस्तरीय सुविधाएं विकसित की जाएंगी, जिनमें एयर-कंडीशन्ड मेडिकल यूनिट्स, मॉडर्न रिहैबिलिटेशन सेंटर शामिल होंगे। जानवरों को खुले जंगल जैसी आज़ादी देने की भी योजना है ताकि वे अपनी प्राकृतिक प्रवृत्ति के अनुसार जीवन बिता सकें।

Transformation of Delhi Zoo
Source – google

साथ ही, लुप्तप्राय वन्यजीवों के संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। ऐसे जानवरों का रेस्क्यू कर उनका इलाज और पुनर्वास भी यहां किया जाएगा। प्रबंधन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि चिड़ियाघर का डिज़ाइन विशेषज्ञों की मदद से तैयार किया जा रहा है, जिसमें वन्यजीवों के लिए जंगल जैसा वातावरण और पर्यटकों के आकर्षण को ध्यान में रखा जा रहा है।

लुप्तप्राय प्रजातियों का संरक्षण और नई सुविधाएं

दिल्ली चिड़ियाघर में कुछ प्रजातियों के वन्यजीव समय के साथ लगभग समाप्त हो चुके हैं। कुछ प्रजातियां यहां के जलवायु अनुकूल नहीं हैं। इन्हें ध्यान में रखते हुए पानी के नीचे एक बाड़ा बनाया जाएगा, जहां विजिटर्स लुप्तप्राय मगरमच्छ और घड़ियाल जैसे जलीय जीवों को उनके प्राकृतिक आवास में देख सकेंगे। इसके अलावा वॉक-थ्रू एवियरी (पक्षियों के लिए खुला बाड़ा) भी विकसित किया जाएगा, जिसमें पक्षियों के लिए प्राकृतिक हरी-भरी वनस्पतियां लगाई जाएंगी।

Transformation of Delhi Zoo
Source – google

बंदरों की विदेशी प्रजातियों को भी दिल्ली चिड़ियाघर में लाया जाएगा, जिनका अभी अभाव है। इस तरह, चिड़ियाघर को विविधता और जीवों की संख्या के लिहाज से मजबूत बनाया जाएगा।

वनतारा परियोजना: एक सफल संरक्षण मॉडल

वनतारा गुजरात के जामनगर में स्थित एक वन्यजीव संरक्षण परियोजना है, जिसकी स्थापना अनंत अंबानी ने की है। यह परियोजना रिलायंस इंडस्ट्रीज और रिलायंस फाउंडेशन के सहयोग से संचालित होती है। वनतारा करीब 3000 एकड़ क्षेत्र में फैली हुई है और घायल, संकटग्रस्त तथा लुप्तप्राय जीवों को सुरक्षित आवास प्रदान करती है।

वनतारा ने संरक्षण और पुनर्वास के क्षेत्र में कई सफलताएं हासिल की हैं और इसे देशभर में वन्यजीव संरक्षण का एक आधुनिक उदाहरण माना जाता है। इसी मॉडल को अपनाकर दिल्ली चिड़ियाघर को भी एक नए युग में प्रवेश दिलाने की तैयारी हो रही है।

पर्यावरण मंत्रालय और पीएमओ की पहल

पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के साथ प्रधानमंत्री कार्यालय के अधिकारियों ने दिल्ली चिड़ियाघर के भविष्य को लेकर बैठकें की हैं। उनका मानना है कि निजी क्षेत्र या सोसाइटी को संचालन सौंपने से चिड़ियाघर का रखरखाव बेहतर होगा और आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल करके वन्यजीव संरक्षण को एक नई दिशा मिल सकेगी।

इस पहल के तहत न केवल पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि दिल्ली जैसे बड़े शहर में लोगों को भी वन्यजीवों के करीब आने का बेहतर अवसर मिलेगा। पर्यटन और शिक्षा के लिहाज से भी यह कदम महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

और पढ़ें: Northeast Weather Update: पूर्वोत्तर में भारी बारिश और भूस्खलन से तबाही, हजारों पर्यटक फंसे, जनजीवन बुरी तरह प्रभावित

India Indus Water Treaty: भारत के सिंधु जल समझौते के रद्द होने के बाद पाकिस्तान में च...

0

India Indus Water Treaty: भारत द्वारा सिंधु जल समझौता रद्द करने के बाद इसका असर पाकिस्तान में स्पष्ट रूप से देखने को मिल रहा है। इंडस रिवर सिस्टम अथॉरिटी (IRSA) ने चिनाब नदी में जल प्रवाह में आई भारी अस्थिरता को लेकर गंभीर चिंता जताई है। इस बदलाव का असर सीधे पाकिस्तान के सेंट्रल पंजाब के चावल के क्षेत्र और मंगला डैम के जल भंडारण पर पड़ रहा है, जिससे क्षेत्रीय कृषि और जल सुरक्षा खतरे में आ गई है।

और पढ़ें: Northeast Weather Update: पूर्वोत्तर में भारी बारिश और भूस्खलन से तबाही, हजारों पर्यटक फंसे, जनजीवन बुरी तरह प्रभावित

चिनाब नदी में जल प्रवाह में भारी उतार-चढ़ाव – India Indus Water Treaty

IRSA के प्रवक्ता खालिद इदरीस राणा ने बताया कि 29 मई को चिनाब नदी में औसत जल प्रवाह 69,100 क्यूसेक था, जो 30 मई को बढ़कर 78,000 क्यूसेक तक पहुंच गया। लेकिन अचानक 31 मई को जल प्रवाह 22,700 क्यूसेक तक गिर गया, जो एक गंभीर समस्या है।

India Indus Water Treaty
Source – google

उन्होंने कहा, “चिनाब नदी में जल प्रवाह का यह उतार-चढ़ाव न केवल सिंचाई के लिए आवश्यक पानी की आपूर्ति को प्रभावित करता है, बल्कि मंगला डैम के जल भंडारण पर भी भारी दबाव डालता है।”

मंगला डैम पर संकट

मंगला डैम पाकिस्तान के जल भंडारण और सिंचाई प्रणाली के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। IRSA ने इस स्थिति को देखते हुए मंगला जलाशय से जल प्रवाह को 10,000 क्यूसेक से बढ़ाकर 25,000 क्यूसेक कर दिया है ताकि सेंट्रल पंजाब के चावल की सिंचाई की जरूरतें पूरी हो सकें।

खालिद राणा ने यह भी बताया कि जल स्तर की अस्थिरता के कारण मंगला डैम के जल भंडारण पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। मंगला डैम को 30 जून तक लगभग 80 प्रतिशत भरा होना जरूरी है, लेकिन वर्तमान हालात में यह लक्ष्य प्राप्त करना चुनौतीपूर्ण नजर आ रहा है।

पंजाब के कृषि क्षेत्र के लिए खतरा

चिनाब नदी पाकिस्तान के पंजाब के कृषि क्षेत्रों के लिए जीवनरेखा है, खासकर खरीफ फसलों जैसे चावल की सिंचाई के लिए। पानी की अनियमित आपूर्ति से कृषि उत्पादन प्रभावित होगा, जिससे खाद्य सुरक्षा और किसानों की आय पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।

India Indus Water Treaty
Source – google

खालिद राणा ने चेतावनी दी, “अगर भारत द्वारा जल प्रवाह में अनियमितता जारी रही, तो केवल चावल ही नहीं, बल्कि कपास, मक्का और गन्ना जैसी अन्य खरीफ फसलों पर भी बुरा असर पड़ेगा। यह स्थिति पाकिस्तान की कृषि अर्थव्यवस्था के लिए बड़ा खतरा है।”

पाकिस्तान की खाद्य सुरक्षा और आर्थिक स्थिति पर प्रभाव

जल संकट के कारण किसानों की फसल प्रभावित होगी, जिससे न केवल स्थानीय बाजार में खाद्य संकट पैदा हो सकता है, बल्कि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर भी बुरा असर पड़ेगा क्योंकि कृषि देश की प्रमुख आर्थिक गतिविधि है। सिंधु जल संधि के तहत भारत से उचित जल वितरण की अपेक्षा थी, जिसे रद्द किए जाने के बाद पाकिस्तान को भारी नुकसान हो सकता है।

IRSA की भारत से अपील

इंडस रिवर सिस्टम अथॉरिटी ने भारत से अनुरोध किया है कि वह सिंधु जल संधि के तहत अपनी प्रतिबद्धताओं का पालन करे और जल प्रवाह को नियमित बनाए रखे। यह न केवल दोनों देशों के बीच स्थिरता बनाए रखने के लिए आवश्यक है, बल्कि पाकिस्तान की खाद्य सुरक्षा और कृषि की रक्षा के लिए भी अहम है।

और पढ़ें: Yogendra Mishra Gaurav Garg Dispute: इनकम टैक्स अफसरों की मारपीट का मामला गरमाया, योगेंद्र मिश्रा ने सीएम योगी से की हस्तक्षेप की मांग

Jaiky Yadav vs Virat Chaudhary: जैकी यादव और विराट चौधरी के बीच हाइट चैलेंज को लेकर ट...

0

Jaiky Yadav vs Virat Chaudhary: फिटनेस और फौजी प्रशिक्षण के क्षेत्र में सोशल मीडिया पर तेजी से लोकप्रिय हो रहे Commando Academy के संचालक विराट चौधरी और पत्रकार जैकी यादव के बीच इन दिनों एक गर्मागर्म ट्विटर वार चल रहा है। इस विवाद की शुरुआत विराट चौधरी के उस दावे से हुई, जिसमें उन्होंने कहा कि उनकी अकादमी के कई अभ्यर्थियों की लंबाई उनके प्रोडक्ट और एक्सरसाइज से 4 इंच तक बढ़ गई है।

और पढ़ें: Who is Jacky Yadav: जानें संघर्ष से सफलता तक की अनसुनी कहानी

विराट चौधरी और उनकी Commando Academy

विराट चौधरी की कमांडो अकादमी फौज में भर्ती होने वाले उम्मीदवारों को प्रशिक्षण देती है। उनकी सोशल मीडिया पर खास पहचान है, जहां वे नियमित तौर पर ट्रेनिंग की रील्स और वीडियो शेयर करते हैं। इन वीडियो में वे कई बार दावे करते हैं कि उनके द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले उत्पाद और अभ्यास से हाइट बढ़ने में मदद मिलती है, जिससे कई अभ्यर्थी बेहतर प्रदर्शन कर पाते हैं।

विवाद की शुरुआत- Jaiky Yadav vs Virat Chaudhary

पत्रकार जैकी यादव ने विराट के दावे को चुनौती दी और ट्वीट कर कहा कि उनकी हाइट 5 फुट 8 इंच है और यदि विराट चौधरी उनका हाइट 6 फुट तक बढ़ा पाते हैं तो वे उन्हें एक लाख रुपए देंगे। जैकी ने साफ तौर पर कहा कि यदि वे यह काम नहीं कर पाए तो उन्हें सभी अभ्यर्थियों से माफी मांगनी होगी, क्योंकि उनका दावा बच्चों के जज़्बातों के साथ खेलने जैसा है।

चुनौती को लेकर बढ़ती बहस

इस ट्वीट के बाद जैकी ने फिर से विराट को टैग करते हुए कहा कि उन्होंने पहले ही चुनौती दी थी लेकिन अभी तक विराट ने उसे स्वीकार नहीं किया है। उन्होंने ईनाम राशि को बढ़ाकर 2 लाख रुपए कर दिया और विराट से कहा कि अब तो चैलेंज एक्सेप्ट करें।

विराट चौधरी ने अंततः इस चुनौती को स्वीकार किया और कहा कि जैकी को उनकी अकादमी में आकर 60 दिन बेसिक ट्रेनिंग लेनी होगी, उसके बाद 90 दिन तक हाइट बढ़ाने की ट्रेनिंग दी जाएगी। यदि इस ट्रेनिंग के बाद भी जैकी की हाइट नहीं बढ़ती, तो विराट 4 लाख रुपए पुरस्कार देंगे। साथ ही अकादमी की फीस जमा करनी होगी, जो बाद में वापस की जाएगी।

जैकी यादव का आरोप

जैकी यादव ने विराट चौधरी पर दोहरी नीति अपनाने का आरोप भी लगाया। उन्होंने कहा कि विराट एक तरफ मान रहे हैं कि जैकी की हाइट बढ़ने की उम्र खत्म हो चुकी है, वहीं दूसरी ओर वे खुद अपनी अकादमी में जाकर जैकी की हाइट बढ़ाने का दावा कर रहे हैं। जैकी ने इसे डबल पर्सनेलिटी डिसऑर्डर जैसा बताया।

उन्होंने इसके अलावा ऐसे ट्रेनरों पर सवाल उठाए जो मासूम बच्चों के जज़्बातों के साथ खेलकर उन्हें फौजी बनने के सपने दिखाते हैं और इस तरह अपनी अकादमी से धन कमाते हैं।

विराट चौधरी का जवाब

विराट चौधरी ने जैकी की बातों को सम्मानपूर्वक स्वीकार करते हुए कहा कि वे नए हैं और पूरी स्थिति को समझने में समय लग सकता है। उन्होंने कहा कि उनका काम सही है और अब तक उनके प्रोडक्ट और ट्रेनिंग के कारण कई लोग फायदा उठा चुके हैं।

सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएं

इस पूरे विवाद ने सोशल मीडिया पर हलचल मचा दी है। जहां कुछ लोग जैकी यादव के सीधे और स्पष्ट अंदाज को पसंद कर रहे हैं, वहीं कुछ विराट चौधरी की ट्रेनिंग की प्रभावशीलता और उनके दावों पर भरोसा कर रहे हैं।

यह विवाद न केवल सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बना है, बल्कि फिटनेस और सैन्य प्रशिक्षण के क्षेत्र में सच्चाई और दावों की जांच की जरूरत को भी उजागर करता है। अब देखना होगा कि जैकी यादव और विराट चौधरी के बीच यह टकराव किस दिशा में आगे बढ़ता है और क्या विराट चौधरी के दावे साबित हो पाते हैं या नहीं।

और पढ़ें: Northeast Weather Update: पूर्वोत्तर में भारी बारिश और भूस्खलन से तबाही, हजारों पर्यटक फंसे, जनजीवन बुरी तरह प्रभावित

Russia Ukraine War Update: यूक्रेन ने रूस के भीतर जाकर 40 फाइटर जेट उड़ाए, ड्रोन से ह...

0

Russia Ukraine War Update: 1 जून 2025 की सुबह वैश्विक इतिहास में एक नई सैन्य क्रांति की शुरुआत बन गई। यूक्रेन ने रूस के अंदर घुसकर एक ऐसा हमला किया, जिसकी कल्पना शायद किसी ने नहीं की थी। इरकुत्स्क क्षेत्र के बेलाया एयरबेस पर हुए इस ड्रोन हमले में रूस के 40 से अधिक फाइटर जेट्स नष्ट हो गए। इस हमले की तुलना 1941 के पर्ल हार्बर से की जा रही है—जहाँ जापान ने अमेरिका पर अचानक हमला किया था और अमेरिका द्वितीय विश्व युद्ध में कूद पड़ा था।

और पढ़ें: Chinese Weapons Against India: पाकिस्तान को चीन के हथियारों से भारी नुकसान, चीनी डिफेंस प्रवक्ता ने टाला जवाब, दी डिप्लोमेसी की सलाह!

जब वार्ता की बात चल रही थी, तब युद्ध का एलान हो गया- Russia Ukraine War Update

यह हमला ऐसे समय पर हुआ, जब यूक्रेन और रूस के बीच शांति वार्ता की तैयारी चल रही थी। राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने खुद इस हमले की निगरानी की और उसी दिन ऐलान किया कि उनकी सरकार इस्तांबुल में शांति बैठक के लिए प्रतिनिधिमंडल भेजेगी। लेकिन इससे कुछ ही घंटे पहले रूस के अंदर इतना गहरा हमला करके यूक्रेन ने रणनीतिक संदेश दे दिया कि वह अब आक्रामक मुद्रा में है।

कैसे हुआ हमला?

अमेरिकी पत्रकार मुर्तजा हुसैन के अनुसार, यूक्रेन ने इस ऑपरेशन में FPV (First Person View) ड्रोन का इस्तेमाल किया। ये ड्रोन रूसी सीमा के अंदर पहले से मौजूद ट्रकों से लॉन्च किए गए, जिनकी छतें हटाई गई थीं ताकि वे आसानी से ड्रोन लॉन्चिंग प्लेटफॉर्म बन सकें। ड्रोन इतने सटीक और तेज़ थे कि रूस को संभलने का मौका तक नहीं मिला।

रूसी गवर्नर इगोर कोबज़ेवा ने हमले की पुष्टि की, लेकिन यह भी कहा कि नागरिकों को कोई नुकसान नहीं पहुंचा। हालांकि, यह पहला मौका है जब यूक्रेनी ड्रोन रूस के इतने भीतर तक पहुंचे हैं, करीब 4,000 किलोमीटर दूर इरकुत्स्क तक।

एक साल से चल रही थी प्लानिंग

एसोसिएटेड प्रेस की रिपोर्ट बताती है कि यह ऑपरेशन कोई अचानक लिया गया फैसला नहीं था, बल्कि इसकी योजना पिछले एक साल से चल रही थी। ड्रोन को कंटेनरों में छुपाकर रूस की सीमा में पहुंचाया गया। लॉजिस्टिक्स, समय, और संचालन को इस तरह अंजाम दिया गया कि सूचना का लीक होना लगभग असंभव था।

रूस का जवाब: सबसे बड़ा ड्रोन हमला

रूसी रक्षा मंत्रालय ने दावा किया कि उन्होंने यूक्रेनी हमलों को नाकाम किया, लेकिन सैटेलाइट इमेज और स्वतंत्र मीडिया रिपोर्ट्स ने 40 से अधिक विमानों के नष्ट होने की पुष्टि की है। इसके जवाब में रूस ने 2 जून को यूक्रेन पर 472 ड्रोन छोड़े—जो 2022 से जारी युद्ध का अब तक का सबसे बड़ा जवाबी हमला माना जा रहा है।

अमेरिका को पहले से जानकारी?

Axios वेबसाइट की रिपोर्ट ने इस हमले को और भी संवेदनशील बना दिया है। रिपोर्ट के अनुसार, यूक्रेन ने हमले से पहले अमेरिका (ट्रंप प्रशासन) को इसकी जानकारी दी थी। अगर यह दावा सही है, तो यह मामला सिर्फ यूक्रेन-रूस के बीच नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय कूटनीति और सुपरपावर की भूमिका तक पहुंच जाता है।

और पढ़ें: Ukraine Drone attack Russia: ड्रोन हमले ने बदली रूस-यूक्रेन युद्ध की तस्वीर, पुतिन की रणनीति पर सस्पेंस, तीसरे विश्व युद्ध का खतरा बढ़ा!

Ukraine Drone attack Russia: ड्रोन हमले ने बदली रूस-यूक्रेन युद्ध की तस्वीर, पुतिन की...

0

Ukraine Drone attack Russia: लगभग 2500 साल पहले चीनी दार्शनिक सन त्जू ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक “Art of War” में लिखा था कि जब लड़ाई लंबी खिंच जाती है और जीत में देरी होती है, तब हथियार अपनी धार खो देते हैं और सैनिकों का जोश ठंडा पड़ जाता है। यह बात आज के युग में भी उतनी ही सत्य लगती है, खासकर रूस-यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध में। हाल ही में यूक्रेन ने रूस पर जो ड्रोन हमला किया है, उससे रूस की सैन्य ताकत पर गंभीर असर पड़ा है और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की चिंताएं भी बढ़ गई हैं।

और पढ़ें: Chinese Weapons Against India: पाकिस्तान को चीन के हथियारों से भारी नुकसान, चीनी डिफेंस प्रवक्ता ने टाला जवाब, दी डिप्लोमेसी की सलाह!

41 लॉन्ग रेंज बॉम्बर नष्ट, 7 अरब डॉलर का नुकसान- Ukraine Drone attack Russia

1 जून 2025 को यूक्रेन ने रूस की गहराई में घुसकर एक बड़ा और रणनीतिक हमला किया। इस हमले में रूस के 5 प्रमुख एयरबेस — बेलाया, ड्यागिलेवो, इवानोवो, ओलेन्या और अन्य — को भारी नुकसान पहुंचाया गया। यूक्रेन की खुफिया एजेंसी SBU के अनुसार, इस ऑपरेशन में रूस के 41 लंबी दूरी के बमवर्षक विमान तबाह हुए। इन विमानों की तस्वीरें सोशल मीडिया और मीडिया पर तेजी से वायरल हुईं। यूक्रेन ने इस मिशन को कोडनेम “स्पाइडरवेब” दिया है।

SBU ने अनुमान लगाया है कि इस हमले से रूस को लगभग 7 अरब डॉलर का नुकसान हुआ है। यह अब तक का सबसे बड़ा ड्रोन हमला माना जा रहा है, जो रूस के सैन्य संसाधनों को कमजोर करने की कोशिश है। इस हमले ने रूस के सैन्य गौरव को चुनौती दी है और साथ ही यूक्रेन के साहस और रणनीतिक क्षमता को भी प्रदर्शित किया है।

रूस की प्रतिक्रिया और संकट की गंभीरता

रूसी रक्षा मंत्रालय ने यूक्रेन के हमलों को नाकाम करने का दावा किया, लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स और सैटेलाइट इमेज ने भारी नुकसान की पुष्टि की है। इसके जवाब में रूस ने यूक्रेन पर 472 ड्रोन हमले किए, जो 2022 से जारी युद्ध का अब तक का सबसे बड़ा जवाबी हमला था।

रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने इस हमले को “अभूतपूर्व उकसावा” करार दिया है और संकेत दिए हैं कि रूस इसका सख्त जवाब देगा। पुतिन के 25 साल के शासनकाल में यह हमला उनकी सैन्य और राजनीतिक क्षमताओं के लिए एक बड़ा चुनौतीपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है।

युद्ध का बढ़ता खतरा और परमाणु संकट

पुतिन के पास अत्याधुनिक हथियारों का भंडार है, जिनमें क्रूज मिसाइलें, हाइपरसोनिक मिसाइलें (जैसे Kinzhal) और Yars न्यूक्लियर मिसाइलें शामिल हैं। Yars एक तीन-स्टेज वाला ठोस ईंधन मिसाइल है, जिसमें कई थर्मोन्यूक्लियर वारहेड्स होते हैं। हालांकि, इस समय परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की संभावना कम मानी जा रही है क्योंकि यह पूरी मानवता के लिए विनाशकारी होगा।

फिर भी, इस घटना के बाद रूस का जवाबी हमला संभवतः यूक्रेन के सैन्य और ऊर्जा ढांचे को निशाना बना सकता है ताकि यूक्रेन की मिसाइल और ड्रोन उत्पादन क्षमता को कमजोर किया जा सके और NATO के समर्थन को प्रभावित किया जा सके।

NATO का हस्तक्षेप और जर्मनी का बढ़ता दखल

यूक्रेन को NATO से मिलने वाले हथियार और खुफिया सहयोग को रूस ने पश्चिमी हस्तक्षेप के रूप में देखा है। खासतौर पर जर्मनी का यूक्रेन को मिसाइल और हथियार सप्लाई करना इस तनाव को और बढ़ावा दे रहा है। जर्मनी के विदेश मंत्री और चांसलर ने खुलकर कहा है कि वे यूक्रेन को लंबी दूरी तक मार करने वाली मिसाइलें देने में कोई रोक-टोक नहीं करेंगे। यह रूस के लिए बड़ी चिंता का विषय है।

तीसरे विश्व युद्ध की आशंका

रूसी नेतृत्व की NATO के प्रति नाराजगी और परमाणु युद्ध की चेतावनियां इस युद्ध को वैश्विक संकट की ओर ले जा रही हैं। पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और सीआईए के पूर्व निदेशक विलियम बर्न्स जैसे प्रमुख सुरक्षा विश्लेषकों ने चेतावनी दी है कि यह संघर्ष तीसरे विश्व युद्ध में बदल सकता है।

पुतिन ने भी 2024 में चेतावनी दी थी कि अगर NATO सीधे हस्तक्षेप करता है, तो “सभ्यता का विनाश” हो सकता है। यह बयान दर्शाता है कि रूस के लिए यह संघर्ष केवल क्षेत्रीय नहीं, बल्कि वैश्विक शक्ति संघर्ष भी है।

बता दें, यूक्रेन के ड्रोन हमले ने रूस के सैन्य सामर्थ्य को हिला कर रख दिया है और पुतिन के सामने गंभीर चुनौतियां खड़ी कर दी हैं। सन त्जू के 2500 साल पुराने युद्ध के सिद्धांत आज भी सटीक साबित हो रहे हैं — लंबी लड़ाई से संसाधनों पर दबाव बढ़ता है, और जीत की भूख लड़ाकों का हौसला बढ़ाती है।

इस बीच, युद्ध की यह कड़ी बढ़ती जा रही है और तीसरे विश्व युद्ध के खतरे के बावजूद शांति वार्ताओं की उम्मीद अभी जिंदा है। लेकिन यह साफ है कि इस जटिल संघर्ष में तकनीक, रणनीति और वैश्विक राजनीति की भूमिका पहले से कहीं अधिक निर्णायक हो गई है।

और पढ़ें: Elon Musk DOGE resignation: एलॉन मस्क का DOGE से इस्तीफा! ट्रंप प्रशासन के बाद विभाग का भविष्य क्या होगा?

Cinnamon tea: सेहत का खजाना, कई बीमारियों का एक इलाज!

Cinnamon tea: भारतीय रसोई में आसानी से मिलाने वाला मसाला दाल चीनी (Cinnamon) ये लकड़ी जैसे दिखती है लेकिन दालचीनी की चाय (Cinnamon tea) शरीर के लिए कई तरह से फायदेमंद साबित हो सकती है। यह आपके लिए मौजूद औषधीय गुणों से भरपूर है और कई स्वास्थ्य समस्याओं को ठीक करने में मदद कर सकती है। तो चलिए आपको इस लेख में दालचीनी के अनोखे फायदे के बारे में विस्तार से बताते है।

दालचीनी की चाय के चमत्कारी फायदे

चूंकि दालचीनी एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होती है, जो शरीर को हानिकारक फ्री रेडिकल्स से बचाती है। इसके सेवन से कई स्वास्थ्य समस्याओं से छुटकारा मिल सकता है। जी हां, दालचीनी की चाय पाचन क्रिया को बेहतर बनाने में सहायक है। यह पेट फूलना, गैस, अपच और एसिडिटी जैसी समस्याओं से राहत दिला सकती है। इसके नियमित सेवन से पेट साफ रहता है और भूख भी नियंत्रित रहती है।

दालचीनी ब्लड शुगर लेवल को कम करने में मदद कर सकती है, जिससे यह मधुमेह रोगियों के लिए फायदेमंद है। कई अध्ययनों से पता चला है कि दालचीनी का अर्क ग्लूकोज के स्तर को कम करता है। वहीं, दूसरी ओर यह खराब कोलेस्ट्रॉल (LDL), ट्राइग्लिसराइड्स और रक्तचाप को कम करने में मदद कर सकता है, जो हृदय रोगों के जोखिम को बढ़ाते हैं। यह रक्त के थक्कों के जोखिम को भी कम कर सकता है, जिससे हृदय स्वस्थ रहता है।

तनाव और नींद की समस्या में सहायक दाल चीनी 

दालचीनी में एंटीबैक्टीरियल, एंटीवायरल और एंटीफंगल गुण होते हैं, जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाते हैं। इसके नियमित सेवन से सर्दी, खांसी, वायरल संक्रमण और मौसमी बीमारियों से लड़ने में मदद मिलती है। कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि दालचीनी कैंसर के जोखिम को कम करने में भी मददगार हो सकती है। यह ट्यूमर के विकास और प्रसार को कम करने में मदद कर सकती है।

आपको बता दें, रात को सोने से पहले दालचीनी की चाय पीने से तनाव कम होता है और दिमाग शांत होता है, जिससे अनिद्रा की समस्या से राहत मिलती है। इसे “स्लीप टॉनिक” भी कहा जाता है। इसके अलावा, दालचीनी की चाय पीरियड्स के दौरान होने वाले दर्द और ऐंठन को कम करने में मददगार हो सकती है। यह शरीर में रक्त के प्रवाह को बढ़ाकर आराम पहुंचाती है।

दालचीनी की चाय बनाने की विधि

दालचीनी की चाय बनाना बेहद आसान है। एक पैन में एक कप पानी उबालें। उबलते पानी में 1-2 इंच दालचीनी की छाल या 1/2 चम्मच दालचीनी पाउडर डालें। इसे 5-10 मिनट तक धीमी आंच पर उबलने दें। अब चाय को छान लें। स्वाद के अनुसार इसमें एक चम्मच शहद या नींबू का रस मिला सकते हैं (वैकल्पिक)। आपको बता दें, दालचीनी की चाय फायदेमंद तो है, लेकिन इसका सेवन सीमित मात्रा में ही करना चाहिए। दालचीनी का अधिक सेवन करने से कुछ नुकसान भी हो सकते हैं, जैसे कुछ लोगों को दालचीनी से एलर्जी हो सकती है, जिससे त्वचा पर चकत्ते, खुजली या सूजन हो सकती है।

दालचीनी की तासीर गर्म होती है, इसलिए इसके अधिक सेवन से मुंह और होठों में जलन या पसीना आ सकता है। इसके अलावा कैसिया दालचीनी में कूमेरिन नामक तत्व होता है, जिसकी अधिक मात्रा लिवर के लिए नुकसानदायक हो सकती है। इसलिए इसका सेवन सीमित मात्रा में करने की सलाह दी जाती है।

Northeast Weather Update: पूर्वोत्तर में भारी बारिश और भूस्खलन से तबाही, हजारों पर्यट...

0

Northeast Weather Update: भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में इस समय भारी बारिश और भूस्खलन ने जनजीवन को तहस-नहस कर दिया है। खासतौर पर सिक्किम में मूसलाधार बारिश ने बुनियादी ढांचे को भारी नुकसान पहुंचाया है। मंगन जिले के दूरदराज इलाकों लाचेन और लाचुंग में सैकड़ों घरेलू पर्यटक और दो विदेशी नागरिक फंसे हुए हैं। लगातार हो रही बारिश और तीस्ता नदी के उफान के कारण बचाव अभियान में काफी बाधाएं आ रही हैं।

और पढ़ें: Yogendra Mishra Gaurav Garg Dispute: इनकम टैक्स अफसरों की मारपीट का मामला गरमाया, योगेंद्र मिश्रा ने सीएम योगी से की हस्तक्षेप की मांग

सिक्किम में भारी बारिश और भूस्खलन का कहर- Northeast Weather Update

मंगन जिले में लगातार तीसरे दिन भारी बारिश बनी हुई है, जिससे लगभग 1,500 पर्यटक फंसे हुए हैं। बारिश के कारण दो पुल आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हो गए हैं, जिससे आवाजाही पर बड़ा असर पड़ा है। पूर्वी सिक्किम के नीमचेन प्रेमलखा के पास भी भूस्खलन हुआ है। यात्रियों को सतर्क रहने और सुरक्षित यात्रा के लिए कहा गया है।

Northeast Weather Update india
Source – google

लाचेन में करीब 112 और लाचुंग में 1,350 पर्यटक फंसे हैं। सीमा सड़क संगठन (BRO) ने थेंग सुरंग से चुंगथांग तक रास्ते खोलने के लिए भारी मशीनरी तैनात की है। भूस्खलन ने थेंग में सड़क को बाधित किया था, लेकिन अब कुछ हिस्सों को साफ कर दिया गया है। हालांकि, कुछ बड़े पत्थर अभी भी हटाए जाने बाकी हैं।

तीस्ता नदी के तेज बहाव ने द्ज़ोंगू इलाके के फ़िदांग पुल को नुकसान पहुंचाया है। नदी के जल प्रवाह से पुल की आधारशिला कमजोर हुई है, जिससे पुल की स्थिरता पर खतरा मंडरा रहा है। मंगन को चुंगथांग से जोड़ने वाला संगकालांग बेली ब्रिज भी क्षतिग्रस्त हो गया है और अब यह सार्वजनिक उपयोग के लिए सुरक्षित नहीं है।

कांग्रेस की राहत कार्यों में तेजी की अपील

कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने पूर्वोत्तर राज्यों में भारी बारिश और बाढ़ से हुए नुकसान को दुखद बताया है। उन्होंने केंद्र और राज्य सरकारों से अपील की है कि राहत एवं बचाव कार्यों को तेज किया जाए ताकि प्रभावित लोगों को कम से कम परेशानी हो। प्रियंका गांधी ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं से भी प्रभावितों की मदद करने का अनुरोध किया है।

Northeast Weather Update india
Source – google

त्रिपुरा में भारी जलभराव और एक मौत

त्रिपुरा में भी भारी बारिश के चलते जलभराव हो गया है। राजधानी अगरतला में महज तीन घंटे में लगभग 200 मिमी बारिश दर्ज हुई। निचले इलाकों में पानी भर जाने से जनजीवन प्रभावित हुआ। एक व्यक्ति की मैनहोल में गिरने से मौत हो गई। पिछले 24 घंटों में पश्चिम त्रिपुरा, उनाकोटी और उत्तरी त्रिपुरा जिलों में बाढ़ की स्थिति बनी रही। राज्य भर में 2,800 परिवारों के 10,600 सदस्यों को राहत शिविरों में पहुंचाया गया है।

Northeast Weather Update india
Source – google

मणिपुर में बाढ़ और भूस्खलन का प्रकोप

मणिपुर में भी बारिश के कारण बाढ़ और भूस्खलन ने 3,802 लोगों को प्रभावित किया है और 883 घर क्षतिग्रस्त हुए हैं। इंफाल के कई इलाके जलमग्न हो गए हैं। ऑल इंडिया रेडियो इंफाल कॉम्प्लेक्स और जवाहरलाल नेहरू आयुर्विज्ञान संस्थान के परिसर में पानी भर गया है, जिससे मरीजों को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित करना पड़ा।

राज्यपाल अजय कुमार भल्ला ने प्रभावित इलाकों का दौरा किया और राहत कार्यों का जायजा लिया। सेना और असम राइफल्स के जवानों ने भी बाढ़ से प्रभावित लगभग 800 लोगों को सुरक्षित निकाला है। मणिपुर कांग्रेस के अध्यक्ष ने राज्य सरकार पर बाढ़ नियंत्रण में विफलता का आरोप लगाया है।

नागालैंड में सड़क धंसने की समस्या

नागालैंड के कोहिमा-माओ मार्ग पर लगातार बारिश के कारण राष्ट्रीय राजमार्ग-2 पर सड़क करीब 4 फीट धंस गई है, जिससे मार्ग पूरी तरह बंद हो गया है। कोहिमा के डिप्टी कमिश्नर ने यात्रा प्रतिबंध लगाकर लोगों को सुरक्षा के प्रति सावधान रहने को कहा है। भारी वाहनों को अन्य मार्गों से गुजरने के निर्देश दिए गए हैं।

असम में भूस्खलन और बाढ़ से मौतें

असम के गुवाहाटी में हालिया भूस्खलन में तीन परिवार के सदस्यों की मौत हो गई है। मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने प्रभावित इलाकों के लोगों को सतर्क रहने और सुरक्षा निर्देशों का पालन करने की सलाह दी है। राज्य में सिलचर, करीमगंज और हैलाकांडी में भारी बारिश दर्ज की गई है, जिससे नदियों का जल स्तर तेजी से बढ़ा है।

गुवाहाटी जिले में पिछले दो दिनों में आठ लोगों की मौत हुई है। असम के मंत्री जयंत मल्लाबारुआ ने मृतकों के परिजनों को चार लाख रुपये की सहायता राशि देने की घोषणा की है।

और पढ़ें: North East Heavy Rain: मूसलाधार बारिश से नॉर्थ-ईस्ट में तबाही, अब तक 25 मौतें, राहत कार्य जारी