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IRCTC Scam: लालू परिवार के लिए बड़ा झटका, चुनाव से पहले आईआरसीटीसी घोटाले में आरोप तय...

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IRCTC Scam: दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाते हुए पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव, उनकी पत्नी और पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी, साथ ही उनके बेटे और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के खिलाफ आईआरसीटीसी घोटाले में धारा 420 के तहत आरोप तय कर दिए हैं। इस फैसले ने न सिर्फ लालू परिवार की कानूनी मुश्किलें बढ़ा दी हैं, बल्कि बिहार विधानसभा चुनाव के मद्देनजर राजनीतिक हलचलों को भी बढ़ा दिया है।

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आईआरसीटीसी घोटाले की पृष्ठभूमि और आरोप- IRCTC Scam

यह मामला 2004 से 2009 के बीच का है, जब लालू प्रसाद यादव रेल मंत्री थे। आरोप है कि उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग कर रेलवे के दो होटलों के आवंटन में गड़बड़ी की। यह घोटाला करीब 16 साल पुराना है, लेकिन कोर्ट के इस फैसले ने इसे फिर से सुर्खियों में ला दिया है। राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव का भी नाम इस मामले में जुड़ा है, जिससे पूरा परिवार अब इस गंभीर आरोप की फांस में फंसा हुआ है।

कोर्ट का यह आदेश अब इस केस को ट्रायल स्टेज में ले जाएगा, जहां अभियोजन पक्ष और बचाव पक्ष अपनी दलीलें रखेंगे। लालू परिवार ने अभी तक आरोपों से साफ इनकार किया है और कहा है कि वे न्याय प्रक्रिया में अपनी निर्दोषता साबित करेंगे। हालांकि, वक्त इस फैसले के लिए चुनौतीपूर्ण है क्योंकि बिहार विधानसभा चुनाव का पहला चरण मात्र 23 दिन दूर है और दूसरे चरण का मतदान भी 28 दिन बाद होने वाला है।

राजनीतिक माहौल में बड़ा झटका

इस कोर्ट के फैसले ने लालू परिवार के लिए एक बड़ा झटका दिया है। न केवल उनके ऊपर कानूनी दबाव बढ़ा है, बल्कि यह फैसला चुनावी राजनीति में भी बड़ा मुद्दा बनने वाला है। एनडीए इसे चुनावी रणनीति में खूब भुना सकता है। भाजपा और जेडीयू के नेता इस मुद्दे को ‘भ्रष्टाचार बनाम विकास’ की लड़ाई के रूप में पेश करेंगे और महागठबंधन की छवि पर प्रहार करेंगे।

एनडीए के लिए यह एक सुनहरा मौका है कि वे लालू परिवार के भ्रष्टाचार के आरोपों को चुनावी मुद्दा बनाकर वोटरों को समझाएं कि विकास के लिए भ्रष्टाचार से लड़ना जरूरी है। दूसरी ओर, महागठबंधन को अब अपने सुर बदलकर रक्षात्मक रणनीति अपनानी पड़ेगी ताकि जनता का मन न बदले।

महागठबंधन के लिए चुनौती

राष्ट्रीय जनता दल के लिए यह फैसला राजनीतिक और कानूनी दोनों रूपों में मुश्किल पैदा करेगा। तेजस्वी यादव को न केवल चुनावी मंच पर विरोधियों के हमलों का जवाब देना होगा, बल्कि अदालत में भी परिवार की सफाई करनी होगी। इस स्थिति में महागठबंधन को चुनावी रणनीति में बदलाव करना होगा और इस फैसले को ‘राजनीतिक साजिश’ बताकर अपनी राजनीति बचानी होगी।

लालू परिवार बिहार की राजनीति में दशकों से एक मजबूत शक्ति रहा है। लेकिन इस मामले में आरोप तय होने के बाद उनके राजनीतिक विरोधी इसे बड़ा हथियार बनाएंगे। खासकर युवा और शहरी वोटर इस मुद्दे को लेकर सजग हो सकते हैं, जो महागठबंधन के लिए चिंता की बात है।

वोटरों पर असर और चुनावी रणनीति

आईआरसीटीसी घोटाले के आरोप तय होने के बाद तेजस्वी यादव की छवि पर दबाव बढ़ेगा। उन्हें अपनी राजनीतिक साख बचाने के साथ-साथ हर बयान और कदम पर सतर्क रहना होगा, क्योंकि एनडीए के नेता हर मोड़ पर उन पर निशाना साधेंगे। भाजपा और जेडीयू विकास, सुशासन और भ्रष्टाचार मुक्त शासन को लेकर पहले से चुनावी माहौल बना रहे हैं, अब इस मामले से उनका दावा और मजबूत होगा।

एनडीए इसे भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई के तौर पर पेश करेगा और महागठबंधन की ‘कमजोरी और भ्रष्टाचार की विरासत’ को उजागर करने की पूरी कोशिश करेगा। वहीं, महागठबंधन को अपने वोट बैंक को बचाने के लिए सटीक जवाब देना होगा कि वे भ्रष्टाचार के आरोपों को राजनीति से प्रेरित मानते हैं।

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Zubeen Garg Case: क्या वाकई हादसा था? जुबीन गर्ग की मौत पर विसेरा रिपोर्ट ने पलट दी ज...

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Zubeen Garg Case: असम के मशहूर सिंगर जुबीन गर्ग की मौत से जुड़े मामले में अब जांच एक नए मोड़ पर पहुंच गई है। काफी वक्त से लोग ये जानना चाह रहे थे कि जुबीन की मौत हादसा थी या इसके पीछे कोई गहरी साजिश थी। अब दिल्ली की CFSL लैब से आई विसेरा रिपोर्ट ने इस केस में कुछ बड़े सुराग दे दिए हैं। खुद मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने इस रिपोर्ट के आने के बाद कहा है कि अब जांच सही दिशा में आगे बढ़ रही है और बहुत जल्द पूरी सच्चाई सामने लाई जाएगी।

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CFSL की विसेरा रिपोर्ट ने खोले नए रास्ते- Zubeen Garg Case

असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने रविवार को बताया कि दिल्ली स्थित सेंट्रल फॉरेंसिक साइंस लैबोरेटरी (CFSL) ने विसेरा सैंपल की रिपोर्ट भेजी है, जिसने मामले की दिशा तय कर दी है। मुख्यमंत्री ने फेसबुक लाइव के जरिए कहा कि इस रिपोर्ट के आने के बाद अब उन्हें भरोसा है कि जल्द ही इस केस की पूरी कहानी अदालत में पेश की जा सकेगी। उन्होंने यह भी बताया कि रिपोर्ट शुक्रवार को CFSL से असम पुलिस को दी गई, और अब इसे गुवाहाटी मेडिकल कॉलेज ले जाया गया है, जहां विशेषज्ञ टीम इसे पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के साथ जोड़ेंगे।

यह मामला पहले ही दो पोस्टमॉर्टम रिपोर्टों के विवाद में उलझ चुका था पहला सिंगापुर में हुआ, दूसरा गुवाहाटी मेडिकल कॉलेज की टीम द्वारा। अब CFSL की वैज्ञानिक रिपोर्ट से अच्छे-खासे भरोसेमंद नए तथ्य सामने आ सकते हैं।

जांच एजेंसियों की पकड़: अब तक सात गिरफ्तार

CID (क्राइम इंवेस्टिगेशन डिपार्टमेंट) ने अब तक सात लोगों को गिरफ्तार किया है। नामों की सूची में शामिल हैं:

  • नॉर्थ ईस्ट इंडिया फेस्टिवल (NEIF) के आयोजक श्यामकानू महंता
  • जुबीन के मैनेजर सिद्धार्थ शर्मा
  • बैंडमेट शेखर ज्योति गोस्वामी
  • गायिका अमृतप्रभा महंता
  • जुबीन के चचेरे भाई और असम पुलिस अधिकारी संदीपन गर्ग
  • दो निजी सुरक्षा गार्ड परेश बैश्य और नंदेश्वर बोराह

परेश और नंदेश्वर पर आरोप हैं कि उन्होंने जुबीन के पैसे गलत तरीके से इस्तेमाल किए। साथ ही, श्यामकानू महंता पर आर्थिक अनियमितताओं की जांच भी हो रही है।

मामला कैसे आगे बढ़ा?

जुबीन गर्ग सिंगापुर में NEIF (नॉार्थ ईस्ट इंडिया फेस्टिवल) में गए थे। उसी दौरान असमिया एनआरआई लोगों द्वारा आयोजित यॉट पार्टी में वे समुद्र तैरने गए। अचानक उनकी हालत बिगड़ी और बाद में अस्पताल ले जाते वक्त उन्हें मृत घोषित कर दिया गया।

सरमा ने बताया कि इस केस से जुड़े कुल 11 असमिया एनआरआई हैं। उनमें से एक पहले ही गुवाहाटी आकर बयान दर्ज करा चुका है, जबकि चार और सोमवार को बयान देने आ रहे हैं। मुख्यमंत्री ने बाकियों को चेतावनी दी है कि अगर वे स्वयं जांच में शामिल नहीं हुए, तो उनके खिलाफ कानूनी कदम उठाया जाएगा।

हादसा या साजिश? अभी फैसला नहीं हुआ

मुख्य सवाल अब ये है  क्या यह महज एक हादसा था या एक सोची-समझी साजिश? CFSL की रिपोर्ट ने जांच को एक नई दिशा दी है। मुख्यमंत्री सरमा ने भरोसा जताया कि न्याय की प्रक्रिया अब तेजी से आगे बढ़ेगी और उन्होंने दोहराया कि जुबीन गर्ग को न्याय दिलाने का उनका वादा जल्द पूरा होगा।

जांच की यह दिशा अब केवल वैज्ञानिक रिपोर्टों, गवाहों और आरोपियों के बयानों पर निर्भर करेगी। कई खुलासे होने की उम्मीद है जैसे कि विसेरा सैंपल ने क्या संकेत दिए हैं, किसने, कैसे और क्यों इस घटना को अंजाम दिया, और कौन-कौन इसके पीछे हैं।

अभी तक पूरा सच सामने नहीं आया है, लेकिन CFSL की रिपोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया है कि यह मामला एक साधारण दुर्घटना नहीं यह कहीं गहरी रस्साकशी और साजिश का हिस्सा हो सकता है।

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Pakistan Protest: गाजा पीस प्लान के विरोध में पाकिस्तान में हिंसा, TLP के 250 कार्यकर...

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Pakistan Protest: पाकिस्तान में बीते पांच दिनों से हालात बेहद तनावपूर्ण बने हुए हैं। गाजा पीस प्लान को लेकर राजनीतिक माहौल गरमा गया है और लाहौर से लेकर इस्लामाबाद तक सड़कों पर प्रदर्शन हो रहे हैं। तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (TLP) पार्टी की अगुवाई में हो रहे इन विरोध प्रदर्शनों ने अब हिंसक रूप ले लिया है। पार्टी का आरोप है कि सरकार और पुलिस की कार्रवाई में अब तक 250 से ज्यादा कार्यकर्ता और नेता मारे जा चुके हैं, जबकि 1,500 से अधिक घायल हुए हैं।

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क्यों भड़का विरोध? Pakistan Protest

दरअसल, पाकिस्तान सरकार ने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा पेश किए गए गाजा पीस प्लान का समर्थन किया है, जिसे लेकर देश के भीतर कई धार्मिक और राजनीतिक संगठन नाराज़ हैं। TLP ने इस फैसले का तीखा विरोध किया है। पार्टी प्रमुख साद हुसैन रिजवी ने सरकार के खिलाफ, गाजा के समर्थन और इजराइल के विरोध में एक लंबा मार्च लाहौर से इस्लामाबाद तक निकाला। इस दौरान पुलिस के साथ उनकी झड़पें हुईं, जिसमें साद रिजवी खुद भी गंभीर रूप से घायल हो गए।

पार्टी प्रवक्ता के मुताबिक, रिजवी को तीन गोलियां लगी हैं और उनकी हालत काफी नाजुक है। उन्हें पास के मेडिकल सेंटर में भर्ती कराया गया है, जहां डॉक्टरों की एक टीम उनका इलाज कर रही है।

पुलिस की कार्रवाई और हिंसा

सोमवार को पंजाब प्रांत के कई इलाकों में पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच जबरदस्त झड़पें हुईं। खासकर मुरिदके में हालात बेहद बिगड़ गए, जहां प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस और पाकिस्तान रेंजर्स ने लाठीचार्ज और आंसू गैस का सहारा लिया। हालांकि इसके जवाब में TLP समर्थकों ने भी जमकर प्रतिरोध किया। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस ऑपरेशन की शुरुआत रात 2 बजे हुई और सुबह 7 बजे तक हिंसा जारी रही।

इस दौरान दो पुलिस अधिकारियों की मौत हो गई और दर्जनों घायल हुए हैं। TLP ने आरोप लगाया है कि पुलिस ने उन पर सीधा फायरिंग की, जबकि मीडिया कवरेज पर भी बैन लगा दिया गया है। पार्टी का कहना है कि अब तक 170 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है।

हिंसा की शुरुआत कैसे हुई?

आपको बता दें, इस विरोध की चिंगारी तब भड़की जब गुरुवार देर रात पुलिस ने लाहौर स्थित TLP मुख्यालय पर छापा मारा और पार्टी प्रमुख साद रिजवी को गिरफ्तार करने की कोशिश की। हालांकि, साद उस समय वहां से निकलने में सफल रहे, लेकिन इसके बाद पुलिस और समर्थकों के बीच जमकर झड़प हुई। हालात को देखते हुए प्रशासन ने कई शहरों की सड़कें बंद कर दीं और खासतौर पर रेड जोन एरिया जहां विदेशी दूतावास और सरकारी दफ्तर हैं, को पूरी तरह सील कर दिया।

कौन है साद रिजवी और TLP?

TLP की स्थापना साल 2015 में खादिम हुसैन रिजवी ने की थी, जो मूल रूप से पंजाब के धार्मिक विभाग में काम करते थे। 2011 में उन्होंने सलमान तासीर के हत्यारे मुमताज कादरी का खुलकर समर्थन किया, जिसके चलते उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया। इसके बाद उन्होंने पार्टी बनाई और ईशनिंदा, फ्रांस विरोधी अभियान जैसे मुद्दों को लेकर कई बार देशव्यापी प्रदर्शन किए।

खादिम रिजवी की मौत के बाद 2021 में उनके बेटे साद हुसैन रिजवी ने TLP की कमान संभाली और आज वे पार्टी के मुखर नेता हैं।

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Who is Akhtar Bano: नेपाल से भागी, बांग्लादेश होकर आई और त्रिपुरा में फंसी… ये ...

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Who is Akhtar Bano: त्रिपुरा के दक्षिणी इलाके से एक बेहद चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसने सुरक्षा एजेंसियों की नींद उड़ा दी है। नेपाल की जेल से फरार होकर भारत में घुसी एक 65 साल की पाकिस्तानी महिला को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। पकड़ी गई महिला का नाम अख्तर बानो उर्फ निगहत अख्तर बताया जा रहा है, जो नेपाल में नशे की तस्करी के आरोप में 15 साल की सजा काट रही थी, लेकिन जेल में हुई हिंसा के दौरान वह फरार हो गई और कई देशों से होते हुए भारत में दाखिल हो गई।

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रेलवे स्टेशन पर हुई गिरफ्तारी- Who is Akhtar Bano

अख्तर बानो को त्रिपुरा के सबरूम कस्बे में उस वक्त पकड़ा गया जब वह कोलकाता से कंचनजंगा एक्सप्रेस के जरिए यहां पहुंची थी। रेलवे स्टेशन पर उतरते ही सुरक्षा एजेंसियों ने उसे घेर लिया और हिरासत में ले लिया। शुरुआती पूछताछ में महिला ने खुद को दिल्ली की शाहिना परवीन बताया, लेकिन उसके पास कोई वैध दस्तावेज नहीं था।

जब पुलिस ने उसकी तलाशी ली, तो उसके सामान से पाकिस्तान के कई नंबर और संदिग्ध कागज़ात मिले। इसके बाद जांच एजेंसियों ने उसकी असली पहचान उजागर की अख्तर बानो, जो पाकिस्तान के शेखपुरा जिले की रहने वाली है और वर्ष 2014 में नेपाल में ब्राउन शुगर की तस्करी के आरोप में गिरफ्तार की गई थी।

नेपाल से लेकर भारत तक का लंबा सफर

महिला ने पूछताछ में बताया कि वह 12 साल पहले पाकिस्तानी पासपोर्ट पर नेपाल गई थी। वहीं वह नशा तस्करी में शामिल हो गई। 2014 में एक किलो ब्राउन शुगर के साथ पकड़े जाने पर उसे 15 साल जेल की सजा सुनाई गई थी। वह काठमांडू की जेल में बंद थी, लेकिन कुछ समय पहले जेल में हुए उपद्रव का फायदा उठाकर वह फरार हो गई।

फरारी के बाद वह पहले बांग्लादेश पहुंची, फिर पश्चिम बंगाल के रास्ते अवैध रूप से भारत में दाखिल हुई और आखिरकार त्रिपुरा तक आ पहुंची। उसका दावा है कि वह दिल्ली में हाउस हेल्पर के रूप में काम कर रही थी और अब बांग्लादेश के रास्ते पाकिस्तान लौटने की कोशिश कर रही थी।

नशा, जालसाजी या जासूसी?

महिला की गिरफ्तारी ने सिर्फ भारत ही नहीं, नेपाल की जेल सुरक्षा व्यवस्था पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। नेपाल से भाग कर इतनी आसानी से भारत पहुंच जाना वो भी बिना किसी वैध दस्तावेज के सुरक्षा व्यवस्था की बड़ी चूक मानी जा रही है।

अब भारतीय सुरक्षा एजेंसियां इस पूरे मामले को नशा तस्करी से कहीं ज्यादा गंभीर मान रही हैं। अफसरों का मानना है कि ये सिर्फ तस्करी नहीं बल्कि इससे जुड़े बड़े नेटवर्क, जासूसी या आतंकी स्लीपर सेल से जुड़े तार भी हो सकते हैं। फिलहाल पुलिस और खुफिया एजेंसियां सभी एंगल्स से इस महिला से पूछताछ कर रही हैं।

क्या है अगला कदम?

सूत्रों के मुताबिक, अख्तर बानो से लगातार पूछताछ की जा रही है और इंटरनेशनल एजेंसियों को भी अलर्ट कर दिया गया है। नेपाल प्रशासन ने भी अपनी सीमा सुरक्षा बढ़ा दी है। वहीं भारत की खुफिया एजेंसियां इस बात की पड़ताल में जुट गई हैं कि कहीं ये पूरी घटना किसी बड़ी साजिश का हिस्सा तो नहीं।

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Indian Airforce Rafale F4 deal: 114 फाइटर जेट्स और एक बड़ा गेमचेंजर, राफेल F4 डील फिक...

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Indian Airforce Rafale F4 deal: भारतीय वायुसेना को लंबे वक्त से जिस एडवांस फाइटर जेट की तलाश थी, वह अब लगभग फाइनल स्टेज में पहुंच चुकी है। देश की स्काई डिफेंस को मजबूत करने के लिए भारतीय वायुसेना (IAF) 114 मल्टी-रोल फाइटर एयरक्राफ्ट (MRFA) खरीदने की तैयारी में है और इस रेस में फ्रांस का Dassault Rafale F4 वर्जन सबसे आगे बताया जा रहा है।

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सूत्रों के मुताबिक, भारत ने राफेल के इस एडवांस वर्जन को लेकर लगभग अपनी हामी भर दी है। यह वही विमान है, जिसका इंतजार भारतीय वायुसेना काफी वक्त से कर रही थी और अब यह डील 2026 तक साइन हो सकती है।

क्या है राफेल F4 की खासियत? Indian Airforce Rafale F4 deal

राफेल F4 मौजूदा राफेल जेट्स का अपग्रेडेड और ज्यादा स्मार्ट वर्जन है। इसे खास तौर पर भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखकर डिजाइन किया गया है। इस फाइटर जेट में AI-आधारित सिस्टम, नई जेनरेशन के हथियार और हाई-टेक सेंसर शामिल हैं।

F4 वर्जन में बेहतर डाटा लिंकिंग टेक्नोलॉजी है, जिससे यह जेट हवा में मौजूद अन्य विमानों और जमीन पर मौजूद कमांड सेंटरों से आसानी से कनेक्ट हो सकता है। इसका मतलब है ज़्यादा फुर्तीला कम्युनिकेशन, तेज निर्णय और सटीक हमला।

इतना ही नहीं, इसे इस तरह डिजाइन किया गया है कि इसका रखरखाव आसान और तेज हो, जिससे यह ज्यादा वक्त तक ऑपरेशन में रह सके।

क्यों जरूरी है ये MRFA डील?

वर्तमान में IAF के पास केवल 29 स्क्वाड्रन हैं, जबकि आदर्श संख्या 42 स्क्वाड्रन मानी जाती है। ऐसे में वायुसेना की युद्धक क्षमता को बनाए रखने के लिए नए फाइटर जेट्स की तुरंत ज़रूरत है।

114 फाइटर जेट्स की इस डील के ज़रिए ना सिर्फ यह गैप भरा जाएगा, बल्कि भारत की एयर पावर को आधुनिकता की नई ऊंचाइयों पर ले जाया जाएगा।

राफेल F4 को चुनने की एक बड़ी वजह यह भी है कि भारतीय पायलट और टेक्निकल स्टाफ पहले से राफेल के साथ काम कर चुके हैं। ऐसे में ट्रेनिंग का समय और खर्च दोनों कम होंगे।

मेक इन इंडिया को भी मिलेगा बूस्ट

इस डील की एक और बड़ी खासियत है मेक इन इंडिया। सूत्र बताते हैं कि इस सौदे में यह तय किया गया है कि अधिकतर विमान भारत में ही बनाए जाएंगे। इसका मतलब है कि न केवल वायुसेना को ताकत मिलेगी, बल्कि देश की रक्षा उत्पादन क्षमता भी बढ़ेगी।

फ्रांस से टेक्नोलॉजी ट्रांसफर (ToT) की उम्मीद की जा रही है, जो भारत के एयरोस्पेस सेक्टर को नई दिशा देगा। यह साझेदारी भारत और फ्रांस के बीच पहले से मौजूद मजबूत रिश्तों को और मज़बूती देगी।

कब तक हो सकता है सौदा?

अगर सब कुछ प्लान के मुताबिक चला, तो 2026 तक इस डील पर दस्तखत हो सकते हैं। इसका सीधा मतलब है कि भारत ने अब साफ तौर पर तय कर लिया है कि वह अपनी वायुसेना की ताकत को एक नए मुकाम पर लेकर जाएगा और राफेल F4 इस सफर का सबसे अहम हिस्सा बनने जा रहा है।

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Inspector Bhawna Chaudhary: बीएसएफ को मिली पहली महिला फ्लाइट इंजीनियर, इंस्पेक्टर भाव...

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Inspector Bhawna Chaudhary: भारत की सुरक्षा व्यवस्था में एक नया इतिहास जुड़ गया है। सीमा सुरक्षा बल (BSF) की वायु शाखा को 50 साल से ज्यादा के लंबे सफर में आखिरकार पहली महिला फ्लाइट इंजीनियर मिल गई हैं। इंस्पेक्टर भावना चौधरी ने इस उपलब्धि को हासिल कर न सिर्फ BSF, बल्कि पूरे देश का नाम रोशन किया है। उनकी यह उपलब्धि महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक और अहम कदम माना जा रहा है।

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आंतरिक प्रशिक्षण के बाद मिली जिम्मेदारी- Inspector Bhawna Chaudhary

बीएसएफ की ओर से जारी जानकारी के मुताबिक, इंस्पेक्टर भावना चौधरी और चार अन्य पुरुष अधीनस्थ अधिकारियों ने हाल ही में अपना दो महीने का इंटर्नल ट्रेनिंग प्रोग्राम पूरा किया। इस प्रशिक्षण के बाद सभी को फ्लाइंग बैज दिए गए। खास बात यह रही कि यह प्रशिक्षण बीएसएफ वायु शाखा के ही अनुभवी प्रशिक्षकों द्वारा कराया गया था।

 

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अगस्त में शुरू हुए इस दो महीने के कार्यक्रम के दौरान इन पांचों अधिकारियों को 130 घंटे की उड़ान ट्रेनिंग दी गई। इतना ही नहीं, इन्हें असली मिशनों में भी हिस्सा लेने का मौका मिला। पंजाब और कुछ अन्य राज्यों में जब हाल ही में भारी बारिश और बाढ़ की स्थिति बनी थी, उस वक्त BSF की वायु इकाइयों ने इन प्रशिक्षुओं को साथ लेकर राहत कार्यों के लिए उड़ानें भरीं। इस तरह उन्हें ग्राउंड लेवल पर रियल ऑपरेशन का अनुभव भी मिला।

फ्लाइट इंजीनियरों की कमी बड़ी चुनौती

BSF के MI-17 हेलीकॉप्टर बेड़े को फ्लाइट इंजीनियरों की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है। पहले भारतीय वायुसेना (IAF) ही इन इंजीनियरों को ट्रेनिंग देती थी। IAF ने पहले बैच को तो ट्रेनिंग दी, लेकिन जब दूसरे बैच की बारी आई, तो कुछ तकनीकी और प्रशासनिक अड़चनों के चलते ट्रेनिंग संभव नहीं हो सकी।

इसके बाद BSF ने गृह मंत्रालय से अनुमति लेकर अपनी वायु शाखा में फ्लाइट इंजीनियरों के लिए आंतरिक प्रशिक्षण कार्यक्रम की शुरुआत की। इसी पहल के जरिए इंस्पेक्टर भावना चौधरी और चार अन्य कर्मियों को ट्रेनिंग दी गई और उन्होंने इसे सफलतापूर्वक पूरा भी किया।

महिला सशक्तिकरण की नई मिसाल

इंस्पेक्टर भावना चौधरी का यह मुकाम इसलिए भी खास है क्योंकि BSF की वायु शाखा में अब तक कोई भी महिला फ्लाइट इंजीनियर नहीं रही थी। भावना ने तमाम चुनौतियों को पार करते हुए न सिर्फ प्रशिक्षण पूरा किया बल्कि अपनी काबिलियत से यह दिखा दिया कि महिलाएं अब किसी भी फील्ड में पीछे नहीं हैं चाहे वो जमीन हो, पानी या फिर आसमान।

BSF की वायु शाखा का दायरा

गौरतलब है कि BSF को 1969 में गृह मंत्रालय की ओर से विमानन इकाई का संचालन करने की जिम्मेदारी दी गई थी। यह यूनिट सिर्फ BSF के लिए ही नहीं, बल्कि अन्य अर्धसैनिक बलों, एनएसजी और एनडीआरएफ जैसी विशेष इकाइयों की ऑपरेशनल जरूरतों को भी पूरा करती है।

भावी पीढ़ी के लिए प्रेरणा

इंस्पेक्टर भावना चौधरी की यह उपलब्धि उन तमाम युवतियों के लिए प्रेरणा है जो रक्षा और सुरक्षा सेवाओं में करियर बनाना चाहती हैं। यह दिखाता है कि अगर जज्बा हो, तो कोई भी सपना पूरा किया जा सकता है। BSF की यह पहल और भावना की सफलता भविष्य में और भी महिलाओं के लिए रास्ते खोलेगी।

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Baghpat Triple Murder Case: मौलाना की पिटाई से बौखलाए छात्रों ने की पत्नी-बेटियों की ...

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Baghpat Triple Murder Case: उत्तर प्रदेश के बागपत जिले में एक दिल दहला देने वाली वारदात सामने आई है, जिसने पूरे इलाके को झकझोर कर रख दिया। गांगनोली गांव की एक मस्जिद में मौलाना की पत्नी और दो छोटी बेटियों की हत्या उन्हीं के दो छात्रों ने कर दी। हैरानी की बात यह है कि दोनों आरोपी महज़ 14 और 15 साल के हैं और हत्या की वजह थी सिर्फ सुबह हुई पिटाई का बदला।

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क्या हुआ उस दिन- Baghpat Triple Murder Case

शनिवार सुबह करीब 9 बजे मौलाना इब्राहिम ने मदरसे में पढ़ाई के दौरान दो छात्रों को किसी गलती पर डांटकर पीटा था। दोनों छात्र मस्जिद में ही तालीम लेते थे। पिटाई के कुछ घंटे बाद ही मौलाना अपने गांव से देवबंद के लिए निकल गए, जहाँ उन्हें अफगानिस्तान के विदेश मंत्री मुत्तकी के स्वागत समारोह में शामिल होना था।

लेकिन जब मौलाना घर से गए, तभी इन किशोर छात्रों के मन में बदले की आग भड़क चुकी थी। दोपहर करीब 1 बजे दोनों मस्जिद में लौटे और ऊपर बने कमरे की ओर गए, जहाँ मौलवी की पत्नी इसराना (30) और उनकी दोनों बेटियाँ सोफिया (5) और सुमैय्या (2) दोपहर में सो रही थीं।

4 घंटे में ली पिटाई का बदला

दोनों छात्रों ने कमरे में रखे हथौड़े से सोती हुई महिला और दोनों बच्चियों के सिर पर हमला कर दिया। इसके बाद उन्होंने चाकू से गला रेतकर यह सुनिश्चित कर लिया कि कोई ज़िंदा न बचे। हत्या के बाद दोनों वहां से फरार हो गए। इस पूरी वारदात को अंजाम देने में कुछ ही मिनट लगे, लेकिन उसकी वजह बनी वो चार घंटे पुरानी पिटाई।

शाम को जब खुला खून से लथपथ मंजर

करीब 2 बजे जब लोग नमाज़ के लिए मस्जिद पहुँचे, तो ऊपर वाले कमरे से खून बहता नज़र आया। दरवाज़ा खोलने पर अंदर का दृश्य देखकर सबके होश उड़ गए तीनों की लाशें खून से लथपथ पड़ी थीं। पत्नी ज़मीन पर थी जबकि दोनों बेटियाँ तख्त पर पड़ी थीं।
देखते ही देखते सैकड़ों लोग मस्जिद के बाहर इकट्ठा हो गए और माहौल तनावपूर्ण हो गया।

पुलिस पहुँची, मौलाना पर गया पहला शक

मौलाना उस समय देवबंद में थे, लेकिन जब उन्हें फोन से खबर मिली तो वे तुरंत लौट आए। शुरुआती जांच में पुलिस को लूटपाट का कोई एंगल नहीं मिला, इसलिए शक का दायरा परिवार और मस्जिद तक सिमट गया। सीसीटीवी कैमरे भी बंद मिले, जिससे पुलिस को शक हुआ कि किसी अंदरूनी व्यक्ति का हाथ है।
पुलिस ने पहले मौलाना इब्राहिम को हिरासत में लेकर पूछताछ की, लेकिन जब उन्होंने पूरा घटनाक्रम बताया, तो उन्हें छोड़ दिया गया।

कैसे पकड़े गए आरोपी छात्र

फोरेंसिक टीम, डॉग स्क्वॉयड और डीआईजी की मौजूदगी में जांच तेज़ हुई। पुलिस ने मस्जिद और आसपास के सीसीटीवी फुटेज खंगाले। एक फुटेज में दो छात्र दोपहर 12:30 बजे मस्जिद में दाखिल होते दिखे।
पुलिस ने दोनों को तुरंत हिरासत में लिया। शुरुआत में उन्होंने अनजान बनने की कोशिश की, लेकिन पूछताछ सख्त होने पर दोनों टूट गए और हत्या की बात स्वीकार कर ली।

पुलिस के सामने कबूलनामा

पूछताछ में छात्रों ने बताया कि उन्हें मौलवी अक्सर सबके सामने डांटते और मारते थे, जिससे वे बहुत अपमानित महसूस करते थे। शनिवार सुबह जब फिर पिटाई हुई, तो उन्होंने तय किया कि वे बदला लेंगे।
उन्होंने बताया कि दोपहर में मौलाना के जाने के बाद वे मस्जिद में घुसे और हथौड़ा व चाकू से हमला कर दिया।

एसपी सूरज राय ने बताया कि दोनों आरोपी नाबालिग हैं, और दोनों ने जुर्म कबूल कर लिया है। दोनों मस्जिद के मदरसे में पढ़ते थे और घर भी पास ही रहता था।

नाटक भी रचा, भीड़ में शामिल होकर रोने लगे

हैरानी की बात तो ये है कि हत्या के बाद दोनों आरोपी इतने शातिर निकले कि खुद भीड़ में शामिल होकर रोने और नारे लगाने लगे।
जब पुलिस ने मौलाना को पूछताछ के लिए पकड़ा, तो ये दोनों वहीं खड़े होकर चिल्ला रहे थे —
“हमारे मौलवी साहब ऐसा नहीं कर सकते!”
इससे किसी को उन पर शक तक नहीं हुआ।

बाद में जब सच्चाई सामने आई, तो पूरा इलाका सन्न रह गया।

इलाके में तनाव, लोगों का गुस्सा

ट्रिपल मर्डर की खबर फैलते ही पूरे गांगनोली गांव में तनाव फैल गया। सैकड़ों लोग मस्जिद और थाने के बाहर जमा हो गए। पुलिस ने लोगों को समझाने में घंटों लगाए। मेरठ जोन के डीआईजी कलानिधि नैथानी ने मौके पर पहुंचकर शवों को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजना चाहा, लेकिन परिजनों ने विरोध किया। बाद में समझाने पर वे राजी हुए।

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Rekha बोलीं: बच्चन जी को देख-देख के स्टार बन गई… अब क्या करें, असर था गहरा!

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Rekha: बॉलीवुड की चकाचौंध भरी दुनिया में जहां हर दिन सैकड़ों चेहरे आते और गुम हो जाते हैं, वहां रेखा जैसी शख्सियत का टिके रहना, और सालों तक अपनी मौजूदगी को असरदार बनाए रखना, अपने आप में किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है। कभी दिन में तीन-तीन फिल्मों की शूटिंग करने वाली, तो कभी 15 हजार लोगों की भीड़ के सामने इमोशनल सीन करते वक्त कांपने वाली ये अदाकारा अपने संघर्ष और जज्बे की मिसाल हैं। और जब उस सीन को निभाने में डर लग रहा था, तब साथ में मौजूद अमिताभ बच्चन ने उन्हें जो कहानी सुनाई, वो आज भी रेखा की यादों में जिंदा है। लेकिन ये सिर्फ एक किस्सा नहीं, बल्कि उस रिश्ते की झलक है जिसने पर्दे के बाहर भी लोगों को हैरान किया… और पर्दे पर जादू रच दिया।

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14 साल की उम्र में संभालनी पड़ी जिम्मेदारियां- Rekha

आपको बता दें, रेखा का फिल्मी सफर बहुत कम उम्र में शुरू हो गया था। महज 14 साल की उम्र में उन्हें बड़ा बनना पड़ा और अपने परिवार की जिम्मेदारी उठानी पड़ी। उस वक्त रेखा सिर्फ एक आम लड़की नहीं रहीं, बल्कि एक ऐसी प्रोफेशनल बन गईं जिसे लगातार काम करना था। एक समय ऐसा भी आया जब वह एक साथ 40 फिल्मों पर काम कर रही थीं। उनका शेड्यूल इतना टाइट होता था कि उन्हें दिन में तीन-तीन फिल्मों की शूटिंग करनी पड़ती थी। इस मेहनत ने ही उन्हें बॉलीवुड की सबसे चमकदार अदाकाराओं में शामिल कर दिया।

अमिताभ बच्चन से खास रिश्ता और सीख

वहीं, रेखा और अमिताभ बच्चन की जोड़ी को सिल्वर स्क्रीन पर खूब पसंद किया गया। ‘सिलसिला’ जैसी फिल्मों में उनकी केमिस्ट्री को दर्शकों ने सर आंखों पर बिठाया। रेखा खुद कई बार मान चुकी हैं कि अमिताभ उनके लिए सिर्फ एक को-स्टार नहीं, बल्कि एक प्रेरणा हैं। फिल्मफेयर को दिए एक इंटरव्यू में रेखा ने कहा था, “मैं आज एक एक्टर के तौर पर जो कुछ भी हूं, उसका 100 प्रतिशत श्रेय अमिताभ को जाता है। मैं बस उन्हें देखती थी और सब कुछ अपने अंदर समेट लेती थी।”

‘सिलसिला’ के सेट से एक दिलचस्प किस्सा

1994 में दिए एक इंटरव्यू में रेखा ने फिल्म ‘सिलसिला’ की शूटिंग के दौरान का एक बेहद खास अनुभव साझा किया था। वो एक इमोशनल सीन था – “आई हेट यू” वाला। सुबह के करीब पांच बजे का समय था और सेट पर करीब 15 हजार लोग मौजूद थे। रेखा को भारी-भरकम डायलॉग बोलने थे और सीन में रोना भी था। वह थोड़ा वक्त चाहती थीं, लेकिन डायरेक्टर यश चोपड़ा ने उन्हें समय नहीं दिया।

ऐसे में अमिताभ बच्चन ने रेखा को हिम्मत दी। उन्होंने उन्हें एक कहानी सुनाई  हॉलीवुड एक्टर जेम्स डीन की फिल्म ‘जायंट’ की। अमिताभ ने बताया कि डीन भी एक ऐसे ही सीन के दौरान नर्वस हो गए थे। लेकिन उन्होंने खुद को रिलैक्स करने के लिए भीड़ के सामने पेशाब कर दी और खुद से कहा, “इससे बुरा और क्या हो सकता है?” इसके बाद उन्होंने शानदार शॉट दिया।

रेखा बताती हैं कि इस कहानी ने उनका आत्मविश्वास लौटा दिया। जैसे ही “स्टार्ट, कैमरा, एक्शन” की आवाज आई, पूरा माहौल शांत हो गया और उन्होंने पूरा सीन बेहतरीन तरीके से कर लिया। सीन के अंत में जब उन्होंने अमिताभ को गले लगाया तो भीड़ ने एक साथ “ओह्ह्ह” कहा। वो पल रेखा के लिए कभी न भूलने वाला था।

अमिताभ की स्टाइल कॉपी करने की बात कबूली

उसी इंटरव्यू में रेखा ने ये भी माना कि उन्होंने अमिताभ बच्चन के अंदाज़ से काफी कुछ सीखा है और कुछ हद तक उन्हें कॉपी भी किया है। फिल्म ‘मैडम एक्स’ में उन्होंने अमिताभ की कई अदाओं को अपनाया। उन्होंने कहा, “जब हमने साथ में काम करना शुरू किया, तब हम एक ऐसे दौर में थे जब छोटी-छोटी चीजें भी हमें गहराई से प्रभावित कर सकती थीं। हमने एक-दूसरे पर असर डाला, और मैंने उनसे बहुत कुछ सीखा।”

आज भी कायम है रेखा का जादू

रेखा का फिल्मी करियर 50 साल से भी ज्यादा लंबा रहा है और आज भी उनका नाम लेते ही एक क्लासिक, ग्रेसफुल और दमदार कलाकार की छवि सामने आ जाती है। ‘धर्मात्मा’, ‘घर’, ‘मुकद्दर का सिकंदर’, ‘मिस्टर नटवरलाल’, ‘नमक हराम’ जैसी फिल्मों में उन्होंने अपने अभिनय से दर्शकों का दिल जीता।

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IND W vs AUS W से पहले महिला क्रिकेट को बड़ा सम्मान, Mithali Raj और Ravi Kalpana के न...

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IND W vs AUS W: भारत और ऑस्ट्रेलिया की महिला टीमों के बीच रविवार को विशाखापत्तनम के एसीए-वीडीसीए स्टेडियम में खेले जाने वाले मुकाबले से पहले एक बेहद खास और ऐतिहासिक पल सामने आया। महिला क्रिकेट में शानदार योगदान देने वाली दो भारतीय खिलाड़ियों मिताली राज और रावी कल्पना के नाम पर स्टेडियम में एक स्टैंड और एक गेट का नाम रखा गया।

यह फैसला केवल एक सम्मान नहीं, बल्कि एक मजबूत संदेश है कि भारतीय महिला क्रिकेट अब हाशिये से निकलकर सम्मान के केंद्र में आ चुका है।

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दिग्गजों की मौजूदगी में हुआ अनावरण- IND W vs AUS W

इस ऐतिहासिक मौके पर कई बड़ी हस्तियों ने अपनी मौजूदगी दर्ज कराई। इसमें आईसीसी अध्यक्ष जय शाह, बीसीसीआई अध्यक्ष मिथुन मन्हास, बीसीसीआई सचिव देवजीत सैकिया, आंध्र प्रदेश सरकार के मंत्री नारा लोकेश, खुद मिताली राज, और एसीए अध्यक्ष केसिनेनी शिवनाथ (जो विजयवाड़ा से सांसद भी हैं) शामिल थे।

कार्यक्रम के दौरान माहौल बेहद भावुक और गर्व से भरा रहा। जहां एक ओर मिताली को सम्मानित किया गया, वहीं कल्पना जैसे खिलाड़ी, जिन्होंने घरेलू क्रिकेट को मज़बूत किया, उन्हें भी भुलाया नहीं गया।

स्मृति मंधाना की अपील ने दिलाई मिताली को ये पहचान

इस सम्मान के पीछे भारतीय टीम की स्टार ओपनर स्मृति मंधाना की एक अहम भूमिका रही। अगस्त 2025 में ‘ब्रेकिंग बाउंड्रीज’ नामक कार्यक्रम में मंधाना ने मंत्री नारा लोकेश से आग्रह किया था कि मिताली राज जैसी खिलाड़ी, जिन्होंने महिला क्रिकेट को एक नई पहचान दी, उनके नाम पर स्टैंड होना चाहिए।

मंधाना का मानना था कि इससे आने वाली पीढ़ी की लड़कियों को प्रेरणा मिलेगी कि क्रिकेट उनके लिए भी एक बड़ा करियर ऑप्शन हो सकता है।

इस अपील को गंभीरता से लेते हुए नारा लोकेश ने तुरंत एसीए से बातचीत की और कुछ ही दिनों में फैसला पास करवा लिया। ये तेजी से लिया गया निर्णय महिला खिलाड़ियों के प्रति एक नया दृष्टिकोण दर्शाता है।

मिताली राज: रिकॉर्ड्स की रानी

मिताली राज का करियर किसी प्रेरणादायक फिल्म से कम नहीं रहा। उन्होंने 2022 में क्रिकेट को अलविदा कहा, लेकिन उनके नाम आज भी महिला वनडे क्रिकेट में सबसे ज्यादा रन बनाने का रिकॉर्ड है।

23 साल लंबे करियर में मिताली ने न केवल भारत का नाम रोशन किया, बल्कि दुनिया भर में महिला क्रिकेट को एक नई पहचान भी दी। उनके नाम पर स्टैंड होना, सिर्फ सम्मान नहीं, एक ऐतिहासिक दस्तावेज है।

रावी कल्पना: जिनकी प्रेरणा से निकली नई पीढ़ी

वहीं, रावी कल्पना ने भले ही भारत के लिए सिर्फ 7 वनडे खेले हों, लेकिन उनका योगदान आंध्र की महिला क्रिकेट में काफी बड़ा रहा है। अरुंधति रेड्डी, एस. मेघना और एन. श्री चरणी जैसी कई उभरती क्रिकेटर्स के लिए कल्पना एक रोल मॉडल रही हैं।

स्टेडियम के गेट को उनके नाम पर रखना उन सभी घरेलू खिलाड़ियों के लिए भी सम्मान है जो इंटरनेशनल फेम नहीं पा सकीं, लेकिन ज़मीन पर मेहनत करके आने वालों के रास्ते आसान कर गईं।

महिला क्रिकेट को मिली नई ऊंचाई

बता दें, पहले से ही इस स्टेडियम में एमएसके प्रसाद और वेणुगोपाल राव जैसे पुरुष क्रिकेटर्स के नाम पर स्टैंड हैं। अब मिताली और कल्पना के नाम जुड़ने से यह संदेश साफ है महिला क्रिकेट अब साइड स्टोरी नहीं, मुख्य कहानी बन चुका है।

यह कदम भारतीय क्रिकेट में महिला खिलाड़ियों को बराबरी का दर्जा देने की दिशा में एक मजबूत और जरूरी पहल माना जा रहा है।

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Chhath Puja 2025: इस बार कब है छठ? देखिए तिथि और पूजा का समय

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Chhath Puja 2025: बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और देशभर के करोड़ों श्रद्धालुओं के लिए आस्था का सबसे बड़ा पर्व छठ पूजा एक बार फिर आने वाला है। इस बार छठ महापर्व 25 अक्टूबर (शनिवार) से शुरू होकर 28 अक्टूबर (मंगलवार), 2025 तक चलेगा। सूर्य देव और छठी मैया को समर्पित यह चार दिवसीय त्योहार पूरी श्रद्धा, सादगी और नियमों के साथ मनाया जाता है।

छठ व्रत खासतौर पर सूर्य उपासना का पर्व है, लेकिन इसके साथ ही छठी मैया की पूजा का विशेष महत्व है, जिन्हें सूर्य देव की बहन माना जाता है। मान्यता है कि छठ पूजा करने से परिवार की आरोग्यता, समृद्धि, संतान सुख और दीर्घायु का आशीर्वाद मिलता है।

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पहला दिन: नहाए-खाए (25 अक्टूबर, शनिवार) Chhath Puja 2025

छठ पूजा की शुरुआत ‘नहाए-खाए’ से होती है। इस दिन व्रती नदी, तालाब या घर में स्नान कर खुद को शुद्ध करते हैं और सात्विक भोजन ग्रहण करते हैं। आमतौर पर इस दिन लौकी-चने की दाल और चावल खाया जाता है। यह दिन व्रत की तैयारी का पहला कदम होता है।
सूर्योदय: 6:28 बजे
सूर्यास्त: 5:42 बजे

दूसरा दिन: खरना (26 अक्टूबर, रविवार)

‘खरना’ छठ पूजा का दूसरा दिन होता है। इस दिन व्रती पूरे दिन निर्जला उपवास रखते हैं और सूर्यास्त के बाद गुड़ की खीर, रोटी या पूड़ी का प्रसाद खाकर व्रत का पहला भाग पूरा करते हैं। इसके बाद अगला 36 घंटे का कठिन उपवास शुरू होता है, जिसमें बिना अन्न और जल के उपासना की जाती है।
सूर्योदय: 6:29 बजे
सूर्यास्त: 5:41 बजे

तीसरा दिन: षष्ठी और संध्या अर्घ्य (27 अक्टूबर, सोमवार)

छठ पूजा का सबसे अहम दिन होता है षष्ठी, जब श्रद्धालु सामूहिक रूप से नदी या तालाब के घाट पर एकत्र होकर डूबते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं। बांस की टोकरी में सजाए गए ठेकुआ, फल, नारियल, गन्ना और अन्य पारंपरिक प्रसाद के साथ पूरा माहौल बेहद भक्ति-भाव से भर जाता है। इस दिन घाटों पर मेले जैसा दृश्य होता है।
सूर्योदय: 6:30 बजे
सूर्यास्त: 5:40 बजे

चौथा दिन: उषा अर्घ्य और पारण (28 अक्टूबर, मंगलवार)

अंतिम दिन यानी सप्तमी को व्रती सूर्योदय से पहले घाट पर पहुंचते हैं और उगते सूर्य को अर्घ्य देते हैं। इसके बाद व्रतियों द्वारा प्रसाद ग्रहण कर उपवास का समापन किया जाता है, जिसे पारण कहा जाता है। यह पल बेहद भावुक और आध्यात्मिक होता है, जब व्रती और उनका परिवार छठी मैया से आशीर्वाद मांगते हैं।
सूर्योदय: 6:30 बजे
सूर्यास्त: 5:39 बजे

क्यों खास है छठ पूजा?

छठ पूजा ना केवल आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह प्रकृति, सूर्य और शुद्धता के प्रति समर्पण का पर्व भी है। व्रती इस दौरान सादगी, अनुशासन और पूर्ण संयम के साथ पूजा करते हैं। इस पर्व में न गीतों की मिठास कम होती है, न श्रद्धा का रंग।

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