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Yogendra Mishra Gaurav Garg Dispute: इनकम टैक्स अफसरों की मारपीट का मामला गरमाया, योग...

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Yogendra Mishra Gaurav Garg Dispute: लखनऊ के प्रतिष्ठित प्रत्यक्ष कर भवन में 29 मई को घटित एक घटना ने न केवल आयकर विभाग के भीतर की तनावपूर्ण स्थितियों को उजागर कर दिया है, बल्कि प्रदेश प्रशासन में भी हलचल मचा दी है। इस दिन दो वरिष्ठ आईआरएस अधिकारी – योगेंद्र मिश्रा और गौरव गर्ग – के बीच हुए विवाद ने हाथापाई का रूप ले लिया। अब यह प्रकरण महज कार्यालयी झगड़ा नहीं रह गया, बल्कि सुरक्षा, न्याय और प्रभाव के दुरुपयोग जैसे कई बड़े सवालों से जुड़ गया है।

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मीटिंग से मारपीट तक का मामला- Yogendra Mishra Gaurav Garg Dispute

मामला तब शुरू हुआ जब एक नियमित मीटिंग के दौरान दोनों अधिकारियों के बीच बहस तेज़ हो गई। योगेंद्र मिश्रा का आरोप है कि गौरव गर्ग ने उन्हें न केवल सार्वजनिक रूप से गाली दी, बल्कि सबके सामने थप्पड़ मारकर अपमानित भी किया। मिश्रा का कहना है कि इस पूरी घटना के सीसीटीवी फुटेज और गवाहों के बयान उनके पास मौजूद हैं।

दूसरी तरफ, गौरव गर्ग ने आरोप लगाया कि मिश्रा ने उन पर पहले हमला किया और अंगूठी से चेहरा घायल किया। इसके जवाब में उन्होंने ग्लास फेंकने, गला दबाने और पेपरवेट से हमला होने जैसी शिकायतें दर्ज कराईं। दोनों ओर से आरोपों की बौछार के बीच सच क्या है, इसकी जांच अब राजनीतिक और सामाजिक चिंता का विषय बन चुकी है।

सीएम योगी और डीजीपी से सुरक्षा की गुहार

विवाद के बाद योगेंद्र मिश्रा ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और यूपी पुलिस प्रमुख को पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने निष्पक्ष जांच और पुलिस सुरक्षा की मांग की है। उन्होंने इस मामले में गौरव गर्ग की पत्नी आईपीएस अधिकारी रवीना त्यागी की भूमिका पर भी सवाल उठाया है। उनका आरोप है कि वह लखनऊ पुलिस में अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर जांच की दिशा मोड़ने की कोशिश कर रही हैं।

मिश्रा ने मांग की है कि रवीना त्यागी का तत्काल तबादला किया जाए, ताकि जांच में कोई पक्षपात न हो। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि उनके खिलाफ एक प्रचार अभियान चलाया जा रहा है, जिससे उनकी छवि खराब हो रही है।

नाबालिग बेटी की जासूसी का गंभीर आरोप

इस पूरे मामले में सबसे गंभीर पहलू वह है जो मिश्रा ने अपनी नाबालिग बेटी की सुरक्षा को लेकर उठाया है। उन्होंने आरोप लगाया है कि घटना के बाद से उनकी बेटी का पीछा किया गया, उसकी तस्वीरें ली गईं, और परिवार को डराने-धमकाने की कोशिशें हुईं।

30 मई को दो पुलिसकर्मियों के बिना सूचना के उनके कानपुर स्थित आवास पर पहुंचने से परिवार में दहशत फैल गई। मिश्रा का कहना है कि उन्होंने पत्नी और बेटी को उन्नाव भेज दिया, लेकिन वहां भी कुछ संदिग्ध गतिविधियां देखी गईं।

पुलिस पर उठे सवाल

पूरे घटनाक्रम में पुलिस की भूमिका पर सवाल खड़े हो रहे हैं। मिश्रा का कहना है कि उन्होंने 9 पेज की विस्तृत शिकायत और 4 जरूरी दस्तावेज पुलिस को सौंपे हैं, बावजूद इसके पुलिस की कार्रवाई एकतरफा दिख रही है। इससे यह आशंका और भी गहरी हो गई है कि मामले में राजनीतिक और प्रशासनिक दबाव हो सकता है।

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Who is Rajeev Shukla: वो कांग्रेस नेता जिसे मोदी राज भी BCCI से नहीं हटा सका, अब बन स...

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Who is Rajeev Shukla: भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) की नई कार्यकारिणी का गठन हो चुका है और कांग्रेस सांसद राजीव शुक्ला एक बार फिर उपाध्यक्ष के पद पर चुने गए हैं। यह नियुक्ति सिर्फ खेल संगठन का हिस्सा भर नहीं है, बल्कि राजनीति और क्रिकेट के संगम की एक अहम कड़ी भी है। शुक्ला इस नई कमेटी में इकलौते कांग्रेस से जुड़े सदस्य हैं, जबकि बाकी सदस्यों का झुकाव भारतीय जनता पार्टी (BJP) की ओर है।

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कौन हैं राजीव शुक्ला? (Who is Rajeev Shukla)

राजीव शुक्ला, उम्र 63 साल, ने अपने करियर की शुरुआत 1978 में पत्रकारिता से की थी। कानपुर से निकलकर उन्होंने “रविवार” पत्रिका के लिए कई चर्चित स्टोरीज़ कीं। वीपी सिंह के ज़मीन सौदों पर रिपोर्टिंग से उन्हें ख्याति मिली। इसी दौरान उनकी नज़दीकी राजीव गांधी और गांधी परिवार से बनी, जो आज भी कायम है। कहा जाता है कि शुक्ला की 10 जनपथ तक बेरोकटोक पहुंच है।

Who is Rajeev Shukla BCCI
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उनकी पत्नी अनुराधा प्रसाद, पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद की बहन हैं और एक मीडिया कंपनी बीएजी फिल्म्स की मालकिन हैं। शुक्ला खुद मनमोहन सिंह सरकार में मंत्री रह चुके हैं और फिलहाल राज्यसभा में कांग्रेस का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।

BCCI में शुक्ला का सफर: पत्रकार से संकटमोचक तक

2000 में राज्यसभा सांसद बनने के साथ ही, शुक्ला ने खेल प्रशासन में भी कदम रखा। वे उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन (UPCA) के प्रतिनिधि के तौर पर BCCI की बैठकों में शामिल होने लगे। यहीं से उनकी सक्रियता और पहुंच बढ़ती गई।

2005 में शरद पवार के अध्यक्ष बनने के बाद, शुक्ला BCCI के अनौपचारिक प्रवक्ता के रूप में उभरे। टीवी मीडिया में उनके पुराने अनुभव ने उन्हें इस भूमिका में खास बना दिया। वे लगातार मीडिया और सरकार के बीच सेतु का काम करते रहे।

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दिल्ली में कांग्रेस सांसद होने के नाते उनकी प्रशासनिक पकड़ मजबूत रही, लेकिन BJP नेताओं से भी उनके अच्छे रिश्ते बने रहे। अरुण जेटली से उनकी नज़दीकियां खास तौर पर चर्चा में रही हैं। यही वजह है कि जब BJP सत्ता में आई, तब भी शुक्ला BCCI के संकटमोचक बने रहे।

उनके बारे में कहा जाता है कि चाहे कांग्रेस का शासन रहा हो या भाजपा का, राजीव शुक्ला सभी से मिल सकते हैं, और सभी की जरूरतों को समझते हुए समन्वय स्थापित कर सकते हैं। शुक्ला ने एक बार कहा था, “मेरे दोस्त गिनना मुश्किल है, लेकिन दुश्मन गिनना आसान, क्योंकि वो बहुत कम हैं।”

शरद पवार, डालमिया, श्रीनिवासन, अनुराग ठाकुर जैसे बड़े चेहरों के दौर में भी, शुक्ला लगातार BCCI में बने रहे। सभी अध्यक्षों के साथ उन्होंने काम किया और हर संकट की घड़ी में BCCI का चेहरा बने।

नई BCCI कमेटी: भाजपा का दबदबा, लेकिन शुक्ला बरकरार

BCCI की नई कार्यकारिणी में रोजर बिन्नी अध्यक्ष, जय शाह सचिव (गृह मंत्री अमित शाह के पुत्र), आशीष शेलार कोषाध्यक्ष, और देवाजीत सैकिया संयुक्त सचिव बनाए गए हैं। अरुण धूमल, खेल मंत्री अनुराग ठाकुर के भाई, और अभिषेक डालमिया, पूर्व अध्यक्ष जगमोहन डालमिया के बेटे को IPL प्रतिनिधि नियुक्त किया गया है।

यह कमेटी राजनीतिक रूप से स्पष्ट रूप से BJP से जुड़ी दिखाई देती है, लेकिन इसके बावजूद राजीव शुक्ला का उपाध्यक्ष पद पर बना रहना उनकी स्वीकार्यता और रणनीतिक कुशलता का प्रमाण है।

कितने सदस्य हैं पूर्व क्रिकेटर?

नई कार्यकारिणी में रोजर बिन्नी इकलौते सदस्य हैं, जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेला है। इसके अलावा, देवाजीत सैकिया ने प्रथम श्रेणी क्रिकेट खेला है और असम क्रिकेट एसोसिएशन में सक्रिय हैं। यानी कुल दो सदस्य ऐसे हैं जिनका प्रत्यक्ष खेल अनुभव रहा है।

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Uranus Unknown Facts: यूरेनस का खौफनाक सच! जहरीली गैसों और तेज हवाओं के बीच इंसान की ...

Uranus Unknown Facts: ब्रह्मांड सदियों से इंसानों को अपनी रहस्यमयता और विशालता के कारण आकर्षित करता रहा है। वैज्ञानिकों ने टेलीस्कोप और अन्य आधुनिक उपकरणों की मदद से ब्रह्मांड की गहराइयों में जाकर अनेक नई जानकारियां जुटाई हैं। पृथ्वी को ही एकमात्र ऐसा ग्रह माना जाता है जहां जीवन संभव है, लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या हम ब्रह्मांड में अकेले हैं? इसी कड़ी में यूरेनस नामक ग्रह की जानकारी भी बेहद दिलचस्प है, जो हमारे सौरमंडल का सातवां ग्रह है।

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यूरेनस: सौरमंडल का नीला विशाल – Uranus Unknown Facts

यूरेनस को सूर्य से सातवां ग्रह माना जाता है। इसकी सबसे खास बात इसका नीला रंग है, जो इसकी वायुमंडल में मौजूद मीथेन गैस की वजह से होता है। इस ग्रह की हवा में हाइड्रोजन सल्फाइड, हीलियम और मीथेन जैसी गैसें मौजूद हैं, जो जहरीली और बेहद खतरनाक मानी जाती हैं। यूरेनस पर कोई ठोस सतह नहीं है, इसका पूरा ग्रह गैसों से घिरा हुआ है।

Uranus Unknown Facts:
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यूरेनस पर इंसान का जीवन असंभव

यूरेनस पर इंसान का जीवन संभव नहीं है। वैज्ञानिकों का कहना है कि यदि कोई व्यक्ति इस ग्रह पर पहुंच भी जाए, तो पांच सेकेंड के भीतर उसकी मौत हो जाएगी। ऐसा इसलिए क्योंकि यहां का वातावरण बेहद विषाक्त और कठोर है। यह ग्रह न सिर्फ गैसों से भरा है, बल्कि यहां का तापमान भी अत्यंत कम, लगभग -224 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है, जो इंसानी शरीर के लिए सहनशील नहीं है।

यूरेनस की चुनौतियां: तेज हवाएं और जहरीली गैसें

यूरेनस की हवा लगभग 900 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलती है, जो धरती के सबसे भयंकर तूफानों से कई गुना तेज है। इस ग्रह के बादलों में हाइड्रोजन सल्फाइड गैस मौजूद है, जो बदबूदार और जहरीली है। यदि कोई इंसान इन बादलों के अंदर पहुंच जाए, तो उसकी मौत तुरंत हो जाएगी।

Uranus Unknown Facts
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यूट्यूब वीडियो में दिखाया गया यूरेनस का सच

एक लोकप्रिय यूट्यूब चैनल ने वीडियो के माध्यम से बताया है कि यदि कोई इंसान यूरेनस पर पहुंचता है, तो उसे पहले इसके 13 धूल भरे छल्लों से गुजरना होगा। इसके बाद उसे अत्यंत ठंडे तापमान को सहना होगा, जो मानव शरीर को जमाने के लिए पर्याप्त है। इसके बाद इंसान को यूरेनस के जहरीले बादलों का सामना करना पड़ेगा, जहां उसकी जान बचाना नामुमकिन होगा।

यूरेनस की भीषण आंतरिक परिस्थितियां

यूरेनस के भीतरी हिस्से में इतना दबाव होता है कि मीथेन गैस हीरे में बदल जाती है। इतनी उच्च दबाव वाली परिस्थितियों में इंसानी शरीर दबकर पूरी तरह चकनाचूर हो जाएगा। वैज्ञानिकों के अनुसार, यहां इंसानी शरीर के कार्बन तत्व भी हीरे में परिवर्तित हो सकते हैं। यह ग्रह अपनी भयानक परिस्थितियों के कारण जीवन के लिए सबसे अधिक असंभव स्थान माना जाता है।

वैज्ञानिकों की निरंतर खोज और ब्रह्मांड की नई-नई जानकारियां हमें इस रहस्यमय संसार को समझने में मदद करती हैं, लेकिन यूरेनस जैसे ग्रहों की परिस्थितियां यह भी याद दिलाती हैं कि जीवन केवल पृथ्वी जैसे विशेष वातावरण में ही संभव हो सकता है।

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Mount Everest Name Story: कैसे एक अंग्रेज के नाम पर रखा गया माउंट एवरेस्ट का नाम, जान...

Mount Everest Name Story: हर साल 29 मई को पूरी दुनिया अंतर्राष्ट्रीय एवरेस्ट दिवस मनाती है। यह दिन न्यूजीलैंड के सर एडमंड हिलेरी और शेरपा तेनजिंग नोर्गे की याद में मनाया जाता है, जिन्होंने 29 मई 1953 को पहली बार माउंट एवरेस्ट को फतह किया था। उस समय यह पर्वत पीक-15 के नाम से जाना जाता था, जिसका आधिकारिक नाम 1865 में रखा गया था। हालांकि, माउंट एवरेस्ट का नाम सर जार्ज एवरेस्ट के नाम पर पड़ा, जो इस चोटी से जुड़े दिलचस्प इतिहास का हिस्सा है।

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जार्ज एवरेस्ट कौन थे? (Mount Everest Name Story)

सर जार्ज एवरेस्ट ब्रिटेन के वेल्स के निवासी थे। उनका जन्म 4 जुलाई 1790 को हुआ था। वे एक गणितज्ञ और भूविज्ञानी थे और 1830 से 1843 तक भारत के सर्वेयर जनरल के पद पर रहे। भारत में उनका योगदान अतुलनीय रहा, क्योंकि उन्होंने पूरे देश का सर्वेक्षण वैज्ञानिक तरीके से किया। उन्होंने सर्वेक्षण की तकनीकों में कई महत्वपूर्ण सुधार किए, जिनकी वजह से भारत के नक्शे की सटीकता विश्वस्तरीय बनी।

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माउंट एवरेस्ट का नामकरण और विवाद

पहले इस पर्वत को पीक-15 के नाम से जाना जाता था। नेपाल के लोग इसे ‘सागर माथा’ और तिब्बती लोग ‘चोमोलुंगमा’ कहते हैं। जब सर जार्ज एवरेस्ट के अधीन काम करने वाले सर्वेयर ने इस चोटी का नाम उनके नाम पर रखने का प्रस्ताव दिया, तो एवरेस्ट ने इसका विरोध किया। उनका मानना था कि इस चोटी का नाम स्थानीय लोगों की भाषा और सुविधा के अनुसार रखा जाना चाहिए। लेकिन उनके बाद के सर्वेयर सर एंड्रयू ने 1856 में इस नामकरण का प्रस्ताव रखा, जिसे 1865 में रॉयल जियोग्राफिकल सोसायटी ने आधिकारिक रूप से स्वीकार कर लिया।

सर जार्ज एवरेस्ट का माउंट एवरेस्ट से कोई व्यक्तिगत संबंध नहीं

इस सबसे ऊंची पर्वत चोटी का नाम सर जार्ज एवरेस्ट के नाम पर तो पड़ा, लेकिन वे कभी नेपाल नहीं गए और न ही इस पर्वत पर चढ़ाई की कोशिश की। उनकी उपलब्धि भारत में किए गए सर्वेक्षण और मापन की सटीकता का परिणाम थी, जिसने इस चोटी को दुनिया की सबसे ऊंची माना। वे एक परफेक्शनिस्ट थे, जो हर गणना और माप को बार-बार जांचते थे। उन्होंने भारत में मेरिडियन आर्क सर्वे के तहत लगभग 2400 किलोमीटर का सर्वेक्षण किया, जिसकी सटीकता आज भी आधुनिक तकनीकों के साथ तुलनीय है।

माउंट एवरेस्ट की खोज की कहानी

19वीं सदी में भारत में त्रिकोणमिति सर्वे का कार्य चल रहा था, जिसमें पता चला कि भारत-तिब्बत सीमा पर एक अज्ञात पर्वत चोटी है जो सबसे ऊंची है। इसे पीक-15 कहा गया। भारतीय गणितज्ञ राधानाथ सिकदर ने 1852 में इस चोटी की ऊंचाई 8840 मीटर मापी। हालांकि, ब्रिटिश प्रशासन ने उनके माप को ज्यादा महत्व नहीं दिया।

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एवरेस्ट हाउस: मसूरी में जार्ज एवरेस्ट का घर

भारत में अपने कार्यकाल के दौरान सर जार्ज एवरेस्ट का मसूरी से गहरा लगाव था। उन्होंने मसूरी के हाथीपांव इलाके में अपना घर बनाया, जिसे आज ‘जार्ज एवरेस्ट हाउस’ के नाम से जाना जाता है। यह जगह हिमालय की चोटियों को निहारने के लिए प्रसिद्ध है और अब पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है।

अंतर्राष्ट्रीय एवरेस्ट दिवस की शुरुआत

सर एडमंड हिलेरी का निधन 11 जनवरी 2008 को हुआ। उसी वर्ष नेपाल सरकार ने 29 मई को हर साल अंतर्राष्ट्रीय एवरेस्ट दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया। इस दिन नेपाल में सरकारी और निजी स्तर पर कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिनमें माउंट एवरेस्ट की विजय की याद और पर्वतारोहण के महत्व को सम्मानित किया जाता है।

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Ocean Turning Black: महासागर क्यों हो रहे हैं काले? जानिए हमारे जीवन पर इसका क्या प्र...

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Ocean Turning Black: धरती की सतह का लगभग 71 प्रतिशत हिस्सा समुद्रों से ढका हुआ है, जबकि केवल 29 से 30 प्रतिशत भाग स्थलीय क्षेत्र है। महासागर न केवल पृथ्वी के जलवायु और मौसम के संतुलन के लिए जरूरी हैं, बल्कि जीवन के लिए भी वे बेहद महत्वपूर्ण हैं। लेकिन अब वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि हमारे महासागर तेजी से काले होते जा रहे हैं, जो एक गंभीर पर्यावरणीय संकट की तरफ संकेत करता है।

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महासागरों में कालेपन की वजह और इसका अर्थ- Ocean Turning Black

प्लायमाउथ विश्वविद्यालय के एक शोध के अनुसार, पिछले 20 वर्षों में वैश्विक महासागरों का 21% से अधिक हिस्सा कालेपन की चपेट में आ चुका है। इसे “महासागरों का काला पड़ना” कहा जाता है। यह तब होता है जब महासागर की ऊपरी सतह में ऐसे बदलाव आते हैं जिससे सूर्य की रोशनी की गहराई में कमी हो जाती है।

 

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इस कालेपन का मतलब है कि महासागर के बड़े हिस्से में सूर्य की रोशनी कम पहुंच रही है। महासागर की वह ऊपरी परत, जिसे फोटिक जोन कहते हैं, जिसमें प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया होती है और समुद्री जीवों का जीवन चलता है, सिकुड़ रही है। लगभग 20 साल के उपग्रह डेटा ने यह खतरनाक स्थिति उजागर की है।

समुद्री जीवन और मानव जीवन पर असर

फोटिक जोन के सिकुड़ने से समुद्री जैव विविधता पर गहरा असर पड़ता है। महासागर के पारिस्थितिकी तंत्र में बाधा आती है और वह जलवायु नियंत्रण और ऑक्सीजन उत्पादन की अपनी भूमिका ठीक से निभा नहीं पाता। वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि महासागरों के इस कालेपन को हम केवल एक पर्यावरणीय समस्या न समझें, बल्कि इसे वैश्विक चिंता के रूप में लें क्योंकि इसका असर सीधे मानव जीवन पर भी पड़ता है।

कालेपन के कारण और बड़ा असर

महासागर के काले पड़ने के पीछे कई कारण हैं। इनमें समुद्र के गर्म होने से शैवालों का असामान्य विकास, समुद्र तल और सतह के बीच तापमान में बदलाव, और समुद्र में तलछट का जमाव शामिल हैं। ग्लोबल चेंज बायोलॉजी जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन के मुताबिक, महासागर के लगभग 9% हिस्से में, जो अफ्रीका के पूरे आकार के बराबर है, फोटिक जोन की गहराई में 50 मीटर से अधिक की कमी देखी गई है।

वैज्ञानिकों की प्रतिक्रिया

प्लायमाउथ विश्वविद्यालय के समुद्री संरक्षण विशेषज्ञ डॉ. थॉमस डेविस ने बताया कि पिछले दो दशकों में समुद्र की सतह का रंग कैसे बदल रहा है, इसका पता उनके अनुसंधान से चलता है। उन्होंने कहा कि महासागरों के काले होने का मतलब है कि ऐसे बड़े क्षेत्र जहां सूर्य और चंद्रमा की रोशनी समुद्री जीवों के जीवन और प्रजनन के लिए जरूरी होती है, वहां अब रोशनी की कमी हो रही है। इसका असर समुद्री जीवन की उपलब्धता पर पड़ेगा।

डॉ. डेविस ने आगे बताया कि यह बदलाव मनुष्यों के लिए भी खतरनाक है क्योंकि इससे हमें मिलने वाली ऑक्सीजन, समुद्री भोजन और जलवायु परिवर्तन से मुकाबले की क्षमता प्रभावित हो सकती है। उनका कहना था, “यह निष्कर्ष हमें गहरी चिंता में डालने वाला है।”

प्लायमाउथ समुद्री प्रयोगशाला के प्रमुख प्रोफेसर टिम स्मिथ ने भी इस मुद्दे पर कहा कि कुछ समुद्री जीव जो प्रकाश पर निर्भर हैं, वे अब सतह के करीब आ सकते हैं। इससे समुद्री खाद्य श्रृंखला और संसाधनों के लिए प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी, जो मानव जीवन के लिए भी चुनौतीपूर्ण साबित होगी।

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Hate against Sikhs in America: 9/11 के बाद सिख समुदाय पर उभरी नफरत, शुरू हुआ हेट क्रा...

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Hate against Sikhs in America: 11 सितंबर 2001 को अमेरिका में हुए आतंकी हमलों ने न केवल विश्व के इतिहास में एक काला अध्याय जोड़ा, बल्कि अमेरिकी समाज के अंदर एक नई चुनौती भी पैदा की। अल-कायदा के 19 आतंकवादियों द्वारा चार विमानों का हाईजैक कर वर्ल्ड ट्रेड सेंटर, पेंटागन और एक खेत में टकराने वाले हादसे ने करीब 2,977 लोगों की जान ले ली। इस हमले ने न केवल अमेरिका की सुरक्षा नीतियों को बदल दिया, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक स्तर पर भी गहरे घाव छोड़े। विशेष रूप से सिख समुदाय, जो अपनी पगड़ी और दाढ़ी की विशिष्ट पहचान के लिए जाना जाता है, इस त्रासदी के बाद नफरत और हिंसा का शिकार बना।

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आतंक के बाद उभरी नफरत- Hate against Sikhs in America

9/11 के हमलों के तुरंत बाद अमेरिका में इस्लामोफोबिया की लहर दौड़ गई। आतंकियों को इस्लाम से जोड़कर देखा गया, लेकिन इससे सिख समुदाय को भारी नुकसान हुआ क्योंकि उनकी पगड़ी और दाढ़ी को अक्सर मुस्लिम चरमपंथी समझा गया। बीबीसी हिंदी की रिपोर्ट के अनुसार, 9/11 के बाद नस्लीय हिंसा की घटनाएं 17 गुना बढ़ गईं। सिखों पर शारीरिक हमले, गाली-गलौज और संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की घटनाएं आम हो गईं।

Hate against Sikhs in America 9/11 Terrorist Attack
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पहली प्रमुख घटना थी बलवीर सिंह सोढ़ी की हत्या। 15 सितंबर 2001 को, एरिजोना में एक गैस स्टेशन के मालिक बलवीर सिंह को एक हमलावर ने गोली मार दी, क्योंकि उसने उन्हें “आतंकवादी” समझ लिया। यह घटना सिखों के खिलाफ बढ़ती हिंसा को राष्ट्रीय स्तर पर उजागर करने वाली पहली घटनाओं में से एक थी। सिख कोएलिशन के अनुसार, 2001 के अंत तक सिखों के खिलाफ सैकड़ों हिंसक घटनाएं दर्ज की गईं, जिनमें से कई को आधिकारिक तौर पर हेट क्राइम के रूप में वर्गीकृत किया गया।

Hate against Sikhs in America 9/11 Terrorist Attack
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अज्ञानता और गलतफहमियों का कारण

सिखों के प्रति नफरत की जड़ में उनकी धार्मिक पहचान को समझने में लोगों की अज्ञानता थी। पगड़ी और दाढ़ी, जो सिख धर्म के अनिवार्य अंग हैं, को आतंकवाद से जोड़कर देखा गया। न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, मीडिया में मुस्लिम समुदाय के प्रति नकारात्मक रवैया इस भ्रांति को और हवा देता रहा। सिखों को “आतंकवादी” और “बिन लादेन” जैसे अपमानजनक शब्दों से संबोधित किया गया।

Hate against Sikhs in America 9/11 Terrorist Attack
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सिख समुदाय पर गहरा असर

हेट क्राइम का प्रभाव सिख समुदाय पर गहरा और दीर्घकालिक रहा। कई सिखों ने अपनी धार्मिक पहचान छुपाने का प्रयास किया। बच्चे स्कूलों में उत्पीड़न का सामना करते रहे, और कार्यस्थलों पर भेदभाव आम बात हो गई। सिख कोएलिशन के एक सर्वे के अनुसार 9/11 के बाद 60% से अधिक सिख बच्चों को स्कूलों में धमकाया गया।

इस उत्पीड़न ने मानसिक स्वास्थ्य पर भी बुरा असर डाला। भय, तनाव और अवसाद के मामले बढ़े। आर्थिक नुकसान भी हुआ क्योंकि कई सिख व्यवसायियों की दुकानों और संपत्तियों को क्षति पहुंचाई गई।

एफबीआई के आंकड़े और कानूनी पहल

संघीय जांच ब्यूरो (एफबीआई) के मुताबिक, वर्ष 2020 में सिखों के खिलाफ नफरत से प्रेरित अपराध के 67 मामले दर्ज किए गए, जो 2015 के बाद सबसे अधिक हैं। इससे पहले एफबीआई इस तरह की घटनाओं की निगरानी नहीं करता था। कानून प्रवर्तन एजेंसियां इन अपराधों को रोकने में नाकाम रहीं। सिख कोलिशन के कार्यकारी निदेशक सतजीत कौर ने कहा कि इस जिम्मेदारी का बोझ उनकी तरह के संगठनों पर आ गया है, जिन्होंने समस्या की पहचान कर समर्थन जुटाया। संगठन ने आतंकवादी हमले के बाद कुछ महीनों में ही 300 से अधिक हिंसा और भेदभाव की घटनाओं का दस्तावेजीकरण किया।

कानूनी और सामाजिक कदम

इस तरह से सिख समुदाय ने हेट क्राइम के खिलाफ आवाज उठाई। सिख कोएलिशन और सिख अमेरिकन लीगल डिफेंस एंड एजुकेशन फंड (SALDEF) जैसे संगठन जागरूकता अभियान चलाने लगे और कानूनी सहायता प्रदान की। 2012 में विस्कॉन्सिन के एक गुरुद्वारे में हुए नरसंहार ने इस मुद्दे को फिर से राष्ट्रीय चर्चा में ला दिया। इस घटना के बाद अमेरिकी सरकार ने सिखों के खिलाफ हेट क्राइम की विशेष श्रेणी बनाई और एफबीआई ने ऐसे मामलों पर कड़ी नजर रखनी शुरू की। हालांकि आज भी सिखों के खिलाफ हेट क्राइम की घटनाएं पूरी तरह खत्म नहीं हुई हैं।

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Guru Gochar 2025: गुरु बृहस्पति का नक्षत्र परिवर्तन 2025, जानिए किन राशियों की किस्मत...

Guru Gochar 2025: गुरु ग्रह बृहस्पति मिथुन राशि में रहकर जल्द ही आर्द्रा नक्षत्र में प्रवेश करने वाला है। इस नक्षत्र परिवर्तन का असर कई राशियों के जीवन पर सकारात्मक रूप से दिखाई देगा और कुछ राशि वालों को बंपर लाभ भी मिल सकता है। आर्द्रा नक्षत्र की तूफानी ऊर्जा के साथ गुरु की सकारात्मकता मिलकर जातकों की ताकत और सफलता को बढ़ावा देगी। आइए विस्तार से जानते हैं उन पांच राशियों के बारे में जिनके जीवन में इस परिवर्तन के कारण महत्वपूर्ण बदलाव हो सकते हैं।

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वृषभ राशि: आर्थिक मजबूती और परिवार में खुशहाली- Guru Gochar 2025

वृषभ राशि के जातकों के लिए गुरु का आर्द्रा नक्षत्र में प्रवेश अत्यंत शुभ साबित होगा। इस दौरान उनकी आर्थिक स्थिति पहले से बेहतर होगी और रुका हुआ पैसा मिलने के अच्छे अवसर बनेंगे। परिवार में खुशी का माहौल रहेगा और नौकरी में प्रमोशन या व्यापार में मुनाफा होने के संकेत हैं। प्रॉपर्टी खरीदने या बड़े निवेश के लिए यह समय अनुकूल है, लेकिन विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें। अनावश्यक खर्चों से बचना होगा ताकि फायदे का पूरा लाभ उठाया जा सके।

Guru Gochar 2025 horoscope
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मिथुन राशि: आत्मविश्वास में वृद्धि और करियर में सफलता

मिथुन राशि वाले जातकों के लिए भी यह नक्षत्र परिवर्तन लाभकारी रहेगा। इस समय उनका आत्मविश्वास बढ़ेगा और उनके विचारों तथा बातों से लोग प्रभावित होंगे। नौकरी में पदोन्नति के अवसर खुलेंगे और व्यवसाय में वृद्धि होगी। छात्र जातकों के लिए पढ़ाई में सफलता मिलने के संकेत हैं। नए प्रोजेक्ट शुरू करने के लिए भी यह समय सही रहेगा। इसके साथ ही, बुधवार के दिन गणेश जी की पूजा करने से आने वाली बाधाएं दूर हो सकती हैं।

Guru Gochar 2025 horoscope
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सिंह राशि: व्यापार में लाभ और पदोन्नति के अवसर

सिंह राशि के जातकों के लिए गुरु का आर्द्रा नक्षत्र में प्रवेश शुभ संकेत लेकर आएगा। व्यवसाय में बड़ा लाभ मिलने की संभावना है और नौकरी में उच्च पद प्राप्ति के रास्ते खुलेंगे। दोस्तों और सहकर्मियों का पूरा समर्थन मिलने से रुके हुए कार्य आगे बढ़ेंगे। बड़े लक्ष्यों को पूरा करने का यह समय अनुकूल है, हालांकि बड़े निवेश सोच-समझकर ही करें ताकि नुकसान से बचा जा सके। नई योजनाओं पर काम शुरू करने का भी समय सही है।

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तुला राशि: भाग्य चमकेगा और आध्यात्मिक उन्नति

तुला राशि के जातकों के लिए यह नक्षत्र परिवर्तन सकारात्मक परिणाम लेकर आएगा। भाग्य का साथ मिलेगा और व्यापार संबंधी लंबी यात्राओं का फल मिलेगा। पढ़ाई और करियर में सफलता के नए मार्ग खुलेंगे। साथ ही धार्मिक और आध्यात्मिक कार्यों को पूरा करने में भी जातक सफल रहेंगे। हालांकि, इस समय गुस्से में लिए गए बड़े फैसले हानिकारक साबित हो सकते हैं, इसलिए संयम बनाए रखना आवश्यक है।

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कुंभ राशि: संतान पक्ष की खुशखबरी और रचनात्मक सफलता

कुंभ राशि के जातकों को इस नक्षत्र परिवर्तन से विशेष लाभ होगा। संतान पक्ष से सुखद खबरें मिल सकती हैं। कला, संगीत या अन्य रचनात्मक क्षेत्रों में कार्यरत जातकों को बड़ी सफलता मिलने की संभावना है। प्रेम संबंधों में मजबूती और गहराई आएगी। गुरु के आर्द्रा नक्षत्र में गोचर के दौरान नया व्यवसाय शुरू करना भी शुभ होगा। हालांकि, बेवजह विवाद और बहस से बचना चाहिए क्योंकि इससे सम्मान में कमी आ सकती है।

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(Disclaimer: प्रिय पाठक, यह लेख सामान्य जानकारी के लिए है। इसमें दी गई जानकारी ज्योतिषीय मान्यताओं पर आधारित है और nedrick news इसकी पुष्टि नहीं करता।)

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Mainpuri Bjp Son Scandal: कर्नाटक के प्रज्जवला रेवन्ना कांड जैसा सेक्स स्कैंडल यूपी म...

Mainpuri Bjp Son Scandal: पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान कर्नाटक की राजनीति में भूचाल लाने वाला प्रज्जवला रेवन्ना सेक्स स्कैंडल जैसा ही मामला अब उत्तर प्रदेश के मैनपुरी से सामने आया है। यहां भाजपा की एक स्थानीय नेता के बेटे के खिलाफ दर्जनों अश्लील वीडियो वायरल होने का विवाद गहरा गया है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस मामले में सौ से अधिक अश्लील वीडियो सामने आए हैं, जो होटलों और रेस्तरां में बनाए गए थे। वीडियो में दिख रही युवती ने खुद पुलिस को तहरीर देकर भाजपा नेता के बेटे के खिलाफ केस दर्ज कराया है। फिलहाल आरोपी फरार बताया जा रहा है और पुलिस उसकी तलाश में जुटी है।

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मामला क्या है? (Mainpuri Bjp Son Scandal)

मैनपुरी के कोतवाली थाना क्षेत्र की भाजपा नेता वर्तमान में मैनपुरी शहर के एक मंडल की अध्यक्ष हैं। उनके बेटे के खिलाफ वायरल हुए वीडियो में एक युवती नजर आ रही है, जिसने पुलिस को बयान दिया कि उसे नशीला पदार्थ देकर साथ आपत्तिजनक वीडियो बनवाए गए। युवती शादीशुदा है, लेकिन पति से अलग रहती है। उसने पुलिस को बताया कि आरोपी ने उसे यह घटना करवाई और वीडियो भी बनाया। इसके अलावा, युवती ने अपनी शादीशुदा जिंदगी की भी पोल खोलते हुए कहा कि पति के अवैध संबंधों के कारण उनका वैवाहिक जीवन बेहद परेशान है।

पत्नी ने भी खोला राज़

भाजपा नेता के बेटे की पत्नी ने भी इस मामले में अपनी आपबीती सुनाई है। उन्होंने कहा कि पति की ये हरकतें उन्हें पहले से पता थीं। पति खुद अश्लील वीडियो बनाता और दिखाता था, कहता था कि वे उसे कुछ नहीं कर सकतीं क्योंकि उसकी मां भाजपा की बड़ी नेता है। शादी के बाद से ही वह मानसिक और भावनात्मक रूप से परेशान हैं। इस बयान ने मामले की संवेदनशीलता को और बढ़ा दिया है।

 

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पुलिस की कार्रवाई और गिरफ्तारी की कोशिश

पुलिस ने युवती की तहरीर पर तुरंत केस दर्ज कर आरोपी की तलाश शुरू कर दी है। पुलिस अधिकारी ने बताया कि जल्द ही आरोपी को गिरफ्तार किया जाएगा और कड़ी कार्रवाई की जाएगी। फिलहाल यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि वीडियो वायरल कैसे हुआ और किसने इसे बाहर लाया। जांच जारी है।

भाजपा का मौन और विपक्ष का हमला

मामले पर भाजपा ने फिलहाल कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है। पार्टी के संगठन स्तर से चुप्पी साधी गई है, जो राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बनी हुई है। वहीं, विपक्षी दलों ने इस मुद्दे को भाजपा के खिलाफ मोर्चा खोलने के लिए भुनाना शुरू कर दिया है। समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस ने भाजपा की नीतियों और उसके नेताओं की छवि को धूमिल करने की कोशिश की है। खासतौर पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने इस मुद्दे को लेकर भाजपा पर जमकर हमला बोला।

अखिलेश यादव की तीखी प्रतिक्रिया

अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व ट्विटर) पर लिखा कि मैनपुरी से सामने आए ‘130 वीडियो’ भाजपा की गंदी राजनीति का हिस्सा हैं और यह कर्नाटक के प्रज्जवला रेवन्ना कांड से भी बड़ा और शर्मनाक मामला है। उन्होंने भाजपा की महिला विंग पर कटाक्ष करते हुए कहा कि इस तरह की घटनाओं के बाद महिलाएं भाजपा से दूर हो जाएंगी और पार्टी के प्रति विश्वास खत्म होगा। यादव ने सवाल उठाया कि भाजपा का ‘पार्टी विद ए डिफरेंस’ अभियान क्या सचमुच महिलाओं के सम्मान के लिए है या सिर्फ एक दिखावा है।

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Akshay Kumar’s Super Flop Films: अक्षय कुमार की वो 5 फिल्में, जो 3 करोड़ भी नही...

Akshay Kumar’s Super Flop Films: फिल्म इंडस्टी में अगर आपसे पूछा जाए कि ऐसा कौन सा स्टार है जिसकी लाइफ स्टाइल सबको प्रेरित करती है, जहां शाहरूख खान, सलमान खान और आमिर खान जैसे दिगगज सितारें साल में एक फिल्म ले कर आते है तो वहीं वो कौन सा सितारा है जिसकी हर तिमाही में एक फिल्म तो आ ही जाती है, तो एंटरटेंनमेंट जगत में दिलचस्पी रखने वाला कोई भी इस सवाल का जवाब आसानी से दे सकता है। जी हां, वो स्टार है हमारे आपके सबसे फेवरेट बॉस कहे, खिलाड़ी कहे या फिर कॉमेडी-एक्शन किंग, किसी भी नाम से बुला सकते है हम अक्षय कुमार को।

अक्षय कुमार की सुपर फ्लॉप फिल्म

अभी हाल ही में अक्षय कुमार की फिल्म केसरी-2 बॉक्स ऑफिस पर रिलीज हुई है। फिल्म को काफी पसंद किया जा रहा है, हमेशा लीक से हटकर कुछ नए कंसेप्ट पर फिल्म बनाने के मामले में अक्षय कुमार को कोई पीछा नहीं छोड़ सकता है। अक्षय कॉमेडी हो, एक्शन हो या थ्रिल, सभी में अपनी एक्टिंग से जान डाल देते है। लेकिन साल में 5 से 6 फिल्म करने के कारण फ्लॉप फिल्में की लिस्ट में भी अक्षय का नाम ऊपर आता जा रहा है। अक्षय की डिफरेंट जॉनर की फिल्मों कई बार फैंस एक्सेप्ट नहीं कर पाते है, नतीजा फिल्म फ्लॉप हो जाती है। आपको जानकार हैरानी होगी की कोरोना महारामी के बाद अक्षय कुमार पर फिल्म निर्माताओं ने करीब 2000 करोड़ रूपय लगाए है, मगर कोरोना के बाद का समय अक्षय के लिए काफी बुरा साबित हो रहा है। आज हम आपको खिलाड़ी कुमार की कुछ ऐसे ही फिल्मों क बारे में बताने जा रहे है जो बड़े बड़े बजट की बनी लेकिन ये फिल्में हिट होना तो दूर फिल्म का बजट तक नहीं निकाल पाई थी। जी हां इन फिल्मों ने तो अक्षय का फीस के बराबर भी कमाई नहीं की।

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3 करोड़ भी नहीं कमा पाई

बड़े मियां छोटें मियां-

सबसे पहले बात करेंगे फिल्म बड़े मियां छोटें मियां की- जब भी हम बड़े मियां-छोटे मियां का नाम सुनते है तो हमारे जेहन में अमिताभ बच्चन और गोविंदा की छवि उभर आती है। जब अक्षय और टाइगर की फिल्म आई तो लगा की शायद अब अमिताभ-गोविंदा की जोड़ी को टक्कर मिलने वाली है। 350 करोड़ के बजट में बनी ये फिल्म भरपूर एक्शन औऱ वीएफएक्स से लैस थी, लेकिन जब फिल्म रीलिज हुई तो फैंस का दिल टूट गया। फिल्म बुरी तरह से फ्लॉप हो गई। फिल्म ने ऑवरऑल 110 करोड़ की ही कमाई की थी।

सम्राट पृथ्वीराज चौहान-

अगली फिल्म है अक्षय की हिस्टोरिकल बायोग्राफी सम्राट पृथ्वीराज चौहान। फिल्म में पहली बार मिस वर्ल्ड मानुषी छिल्लर नजर आई थी। लेकिन उनकी एक्टिक की बात न ही की जाए तो अच्छा, करीब 300 करोड़ के बजट में बनी ये फिल्म अक्षय के करियर के लिए बड़ी डिजास्टर साबित हुई। पृथ्वीराज की ओलरऑल कमाई मात्र 90 करोड़ ही रह गई थी। ऐसा लगा कि मानुषी छिल्लर की एक्टिंग देखकर अक्षय भी एक्टिंग करना भूल गए थे, तभी तो फिल्म बड़ी जल्दी-जल्दी और भागमभाग में खत्म कर दी गई।

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बेल बॉटम-

अगली फ्लॉप फिल्म है बेल बॉटम, बेल बॉटम कोरोना पेनडेमिक के बाद अक्षय की रिलीज हुई पहली फिल्म थी। अक्षय निर्माताओं के लिए पैसा बनाने की मशीन की तरह है, और इसलिए अक्षय की फिल्म में काफी पैसा लगाया जाता है। बेल बॉटम का बजट 160 करोड़ था, लेकिन फिल्म जब रीलिज हुई तो वो मात्र 57 करोड़ की कमाई में सिमट गई। हालांकि कोरोना के कारण घरों में छिपे लोगो को थिएटर लाने का काम अक्षय ने काफी अच्छा किया था।

सरफिरा-

अगली फिल्म है सरफिरा। सरफिरा सूर्या की फिल्म उड़ान भले ही रिमेक है लेकिन फिल्म इतनी बड़ी फ्लॉप होगी, इसका अंदाजा तो शायद अक्षय को भी नहीं था। 100 करोड़ में बनी ये फिल्म केवल 29 करोड़ की ही कमाई पर सिमट गई। सूर्या की उड़ान को जहां 5 नेशनल अवॉर्ड मिले थे। लेकिन सरफिरा को फैंस ले सिरे से नकार दिया, और फिल्म डिजास्टर हो गई हालांकि अक्षय की एक्टिंग का काफी तारीफ हुई थी।

सेल्फी-

अगली फिल्म की बात करें तो वो पेनडेमिक के बाद अक्षय की सबसे लोएस्ट कलेक्शन वाली फिल्म कह सकते है। ये फिल्म है सेल्फी। फिल्म को बनाने में 1000 करोड़ रूपय खर्च किए गए, लेकिन कमजोर कहानी और ऑवर एक्टिंग का खामियाजा फिल्म को भुगतना पड़ा। फिल्म की भारत में केवल 20 करोड़ ही रही थी, जो अक्षय के लिए एक बड़ी डिजास्टर फिल्म साबित हुई।

और पढ़ेः 200 करोड़ की अनुष्का की ये फिल्म, जो बन गई डिजास्टर साथ में थे शाहरुख.

हालांकि अक्षय हमेशा अपनी फ्लॉप फिल्मों की जिम्मेदारी लेते है, लेकिन हम आपको बता दें कि ये कलेक्शन केवल बॉक्स ऑफिस के है। ओटीटी राइट्स, म्यूजिक राइट्स के बदले फिल्म के निर्माताओं को अच्छा खासा पैसा मिलता है। इसलिए अक्षय का नाम ही काफी है कमाई के लिए, तभी तो लगातार फ्लॉप होती फिल्मों के बावजूद भी अक्षय निर्माताओं की पहली पसंद बने हुए है। वेल आपको अक्षकी की कौन सी फिल्म बेस्ट और कौन सी वर्स्ट लगी, हमें कमेंट करके जरूर बताएं।

King khan’s disaster movies: 200 करोड़ की अनुष्का की ये फिल्म, जो बन गई डिजास्ट...

King khan’s disaster movies: 200 करोड़ के बड़े बजट की एक फिल्म बनी, बड़े-बड़े सितारों से सजाई गई, प्रमोशन के नाम पर भी करोड़ों का खर्च हुए, लव ट्राएंगल,  ग्लैमर, कॉमेडी, और थ्रिलर का भी तड़का लगाया गया, लेकिन सिर्फ एक गलती ने फिल्म को बना दिया डिजास्टर। कौन सी थी ये फिल्म, जो बड़े बड़े सितारों के बावजूद भी अपनी शाख तक नहीं बचा सकीं। जी हां हम बात कर रहे हैं साल 2018 में आई शाहरुख खान अनुष्का शर्मा और कैटरीना कैफ जैसे दिग्गज स्टार्स से सजी फिल्म ज़ीरो(zero) की। ज़ीरो जिसने पहली बार शाहरुख अपने रॉयल अंदाज में होते हुए भी अलग दिखे। फिल्म में शाहरुख बने एक बौने तो वहीं अनुष्का बनी नासा की एक हैंडिकैप्ड साइंटिस्ट। जिनका कैरेक्टर मशहूर वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग से प्रेरित लगा था।  वहीं कैटरिना कैफ को केवल एक शोपीस के तौर पर इस्तेमाल किया गया था। तमाम प्रोमोशन के बावजूद भी ये फिल्म 2016 की सबसे बड़ी डिजास्टर साबित हुई। किसी ने नहीं सोचा था कि ये फिल्म अपना पूरा बजट भी नहीं निकाल सकेगी।

बौने शाहरूख का नहीं चला जादू

फिल्म की बात करे तो आदाकारी के मामले में शाहरूख औऱ अनुष्का ने बेहद बेहतरीन काम किया था। वीएफएक्स के जरिए शाहरूख को बौना बनाने का तरीका बहुत रोमांचक रहा तो वहीं अनुष्का साइंटिस्ट के रोल में काफी जची, लेकिन फिल्म को नहीं बचा पाए। 200 करोड़ के बड़े बजट में बनी फिल्म जीरों 190 करोड़ की कमाई में ही सिमट गई। फिल्म को क्रिटिक्स की ओर से भी मिली जुली प्रतिक्रिया मिली थी।

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फिल्म के फ्लॉप होने की बड़ी वजह

बड़े-बड़े सितारे और मजबूत अदाकारी के बावजूद भी फिल्म को क्रिटिक्स से डिजास्टर करार दे दिया था। आखिर क्या था वजह, जीरो के न चलने की। तो वजह थी फिल्म का कमजोर डायरेक्शन। फिल्म के डायरेक्टर आनन्द ए. राय का डायरेक्शन बेहद ही कमजोर था। इस फिल्म को लेकर कहा जाता है कि फिल्म के प्रोड्यूसर गौरी खान थी और उन्होंने लगभग अपनी सारी जमा पूंजी जीरों को सुपरहिट बनाने में लगा दी थी, लेकिन फिल्म के फ्लॉप होने के कारण शाहरूख खान को लगभग 5 साल लगे इस डिजास्टर से उबरने में।

शाहरूख को मिला बेस्ट एक्टर का अवार्ड

फिल्म जीरो 2018 की सबसे फिल्म साबित हुई हो लेकिन शाहरूख खान की अदाकारी के क्या कहने। उनकी अदाकारी की तारीफ हुई और इसका असर 64वे फिल्म फेयर अवार्ड शो में भी देखने को मिला। शाहरूख खान को बाउआ के रोल के लिए बेस्ट एक्टर का अवार्ड मिला था।

फिल्म की वीकनेस

अब बात करेंगे फिल्म के कुछ ऐसे की पोइंट्स जो इस फिल्म की सबसे कमजोर कड़ी रही। फिल्म जीरो का कंसेप्ट काफी दमदार था। फस्ट हाफ काफी तेजी से निकला लेकिन सेकेंड हाफ ने सब बिगाड़ दिया। फिल्म काफी स्लो हो गई। अच्छी कहानी के बावजूद कमजोर डायेरेक्शन फिल्म को ले डूबी। कहानी में ट्विस्ट तब आता है जब बउआ अपनी फेवरेट हिरोइन बबीता कुमारी यानि की कैटरिना कैफ से मिलने के लिए शादी से भाग जाता है, लेकिन फिर उसे अपनी गलती का एहसास होता है और वो चल पड़ता है अनुष्का के पीछे, ये कहानी काफी पुरानी है। इसमें कुछ भी नया नहीं होता। आधी फिल्म लव स्टोरी है और आधी फिल्म काल्पनिक साइंस फिक्सन, फिल्म असल में मैसेज क्या देना चाहती ये क्लियर ही नहीं हुआ। और इन सब के बीच बौने बने शाहरूख को फिल्म के कई हिस्सों में कच्छा बनियान पहले सड़कों पर घूमते दिखाया गया है। जो शाहरूख के कैरेक्टर को मैच ही नहीं करती है।

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कोशिश तो बहुत की गई, फिल्म को जोरो शोरो से सिनेमाघरों में उतारा गया, लेकिन कहते है न कि आज के फैन सिर्फ फैन होने के नाते फिल्म नहीं देखने जाते, बल्कि वो कॉन्सेप्ट औऱ स्टोरी पर भी ध्यान देते है। जो एक बड़ा कारण रही जीरो के डिजास्टर बनने का। खैर क्या आपने जीरो फिल्म देखी है, तो हमें कमेंट करके बताइये कि आपको ये फिल्म कैसी लगी।